Father Daughter Sex Night
नमस्कार दोस्तों, आप सभी का फिर से स्वागत करती हूँ. दोस्तों आपने कहानी के पिछले भाग “पापा के साथ घर बसाया 2“ में अब तक आपने पढ़ा की मेरी मां की मौत के बाद मेरी बुआ ने मुझे मेरी बहनों की मम्मी बनने के लिए कहा और मेरे पापा की भी यही इच्छा थी मैं भी पापा जैसा जीवन साथी अपने जीवन में चाहती थी और कुदरत ने मुझे पापा को ही मेरा जीवन साथी बना दिया उसी के अगले घड़ी में यह कहानी फिर शुरू होती है. Father Daughter Sex Night
मैं : (पापा से) मैं काहे की जादूगरनी हूं मैंने कोन सा जादू किया ही.
पापा : अच्छा जी अभी आपने कुछ किया ही नहीं तो मैडम हसीनो की अदा ही हमें आप ने गुलाम बना लिया और कह रहे हैं कि कुछ किया ही नहीं.
मैं : क्या आप भी मैने कहा गुलाम बनाया है मेरे पास क्या है आपको मेरे पास क्या मिलेगा जो आप मेरी गुलामैं करोगे।
पापा: हजरत जो आपके पासहै वो किसी और पास कहां आपके पास तो दुनिया की सब से अनमोल दौलत रूप की दौलत ही सरकार आपकी एक मुस्कान ही करोड़ों की है तन्खा मैं दे ही दूंगा वैसे हजूर बाकी आपकी मेहरबानी जो आप इस दास को बख्शीश मैं पापा मुझे बताओ मेरे लिए रोमांस कर ही रहे थे कि तभी रिंकी आ गई और हम दोनो हड़बड़ा कर अलग हो गए.
और पापा जल्दी से बाहर चले और मेरी रसोई का काम निपटने में लग गई। किचन का काम निपटाकर पापा के कमरे में चली गई और पापा ने उनका फोन मांगा क्योंकि जब तक बुआ से बात नहीं हुई तो मुझे चेन नहीं मिली। पापा मुझे फोन देने की बजाये बोले, यार रहने दो ना फोन आओ ना हम बात करते ही हैं।
पापा के मुँह से मुझे फोन ना देने की बात सुन कर थोड़ा गुस्से से रहने दीजिए आप अपना फोन। मुझे नहीं करना आपके फोन से फोन अपना नया फोन लुंगी तभी बात करूंगी और कमरे से बाहर जाने लगी तो पापा काम पकड़ कर बोले, हजारों ये क्या आप नाराज़ हो गई।
मेरी सरकार हमारी क्या जरूरी है आपको मन कर दे मुझे क्या अपनी नौकरी से हाथ धोना ही और पापा अपना फोन आगे करके प्यार से बोले लीजिए रानी साहिबा, अब ये तो बता दीजिए इस गुस्ताख को अपनी गुस्ताखी की माफ़ी मिलेगी। पापा के इस अंदाज को देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
मैंने पापा से फोन लिया और बाहर जाने लगी तो पापा बोले यहीं कर लो ना बात हमें भी पता चले कि हम से ज्यादा कोई और हमारे पर आपकी मेहरबानी ही नहीं, ऐसा तो नहीं तो हमारी शिकायत की जा रही है लगता ही अब थोड़ा संभल कर रहना होगा.
मैं रूम में से बाहर निकल दरवाजे के पास पहुंच कर पीछे मुंह कर पापा की और देख कर मुस्कुराने लगी और बोली गलती करते ही क्यों हो जो माफ़ी मांगनी पड़े, समझे और बाहर जाते जाते बोली दीदी से बात करके आपको दूध देती हूँ.
पापा, यार दूध रहने दो.
मैं, आप मेरा दूध पीने से मना कर रहे हैं.
पापा, मेरी जान तुम्हारा दूध पीने से कौन मना कर रहा है।
मैंने देखा पापा की नज़र मेरे ही दूध पर थी और मेरी अपनी कही बात को समझ आ गया कि शर्मा गई और जल्दी से बहार निकल आई। मैंने बुआ को फोन मिलाया, पर बुआ ने फोन नहीं उठाया, पर तब तक बुआ से बात नहीं कर पाती थी, मुझे चेन नहीं मिली थी, मैंने फिर से बुआ को फोन मिलाया, इस बार बुआ ने फोन उठाया।
मेरी बुआ से सुबह हमने जो शॉपिंग की थी उसके बारे में मैं बात करते रहे और फिर मैंने कहा एक बात बताई आप को तो मुझसे छेड़ती हुई बोली कोन सी बात कही ये तो नहीं आप लोगो ने सुहागरात पहले ही मना ली हो शादी बस नाम की ही। वैसे भाभी इसमैं कसूर भैया का नहीं मेरी भाभी का रूप ही ऐसा है कि देवता भी डग्मगा जाए.
तो मैं शरमाती हुई क्या दीदी आप भी ना ऐसा कुछ नहीं है तो बुआ ठंडी सांसें भरे हुए ओह अच्छा तो फिर बताओ क्या हुआ अगर वो नहीं हुआ तो अब हम बुआ के साथ सीक्रेट भी शेयर करने लगे थे और वह भी अपने सीक्रेट्स हमसे शेयर करती थी.
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मैं : दीदी आज शॉपिंग करते हुए तुम्हारे भाई ने ब्रा और पैंटी के सेट के लिए.
बुआ: तो क्या भैया ने पहचान कर देख लिया.
मैं : क्या दीदी आप भी ना कुछ बी.
बुआ: फ़िर को.
मैं : दीदी उन पैंटी पर इतना गंदा गंदा लिखा था कि मैं तो शर्म से मुंह ही नहीं उठा पा रही थी.
बुआ: तो फिर मन कर देती है भैया को.
मैं : दीदी कैसे मन कर देती इनको इनकी इच्छा थी तो और जानती हूँ वो पेंटी जिस को पहनो ना पहनो एक बराबर बस आगे हमें ढकने के लिए छोटा सा कपड़ा और पिचे सिर्फ एक पतली सी दौरी हमें क्या छुपाएगा सब कुछ तो दिखेगा मुझे तो बड़ी शर्म आएगी.
बुआ: अरे भाभी आज के मर्दो को यही अच्छा लगता है और हमें अपने मर्दों को यहीं पहनना चाहिए होता है। उनके सामने पहनो या ना पहनो क्या फर्क पड़ता ही। एक बार जब ये हमारी पैंटी उतार देते हैं तो फिर रात भर कहा पहनने देते हैं सारी रात नंगी ही अपने साथ सुलाते ही अब तो मुझे भी नंगी सोने की आदत सी हो गई ही रात मेरा इनका मूड बन जाए तो कोन झंझट करे कपड़े उतारने का पहन ने का.
बुआ की बात सुन कर अब मैं बुआ से मस्ती के मूड में हूं, दीदी जीजा जी का मूड बन जाएगा या फिर आपका बुआ तो एक खेली खाई औरत थी तपाक से बोली, जब इनका मूड बन सकता है तो मेरा क्यू नहीं, जब तुम्हारे जीजा जी का घोड़ा सारी रात मेरे अस्तबल पर दस्तक देता रहेगा तो फिर मुझे कुछ नहीं होगा, मेरा घोड़ा पकड़ कर उस पर सवारी कर लेती हूं और फिर उनके घोड़े को अपने अस्तबल में बंद कर सो जाती हूं।
वैसे भाभी मुझे कह रही हो देखना कुछ दिनों के बाद तुम भी नंगी भैया के साथ पड़ी रहोगी मैं जानती थी कि बातों में मैं बुआ से जीत नहीं पाऊंगी, इसलिए मैंने बात को दूसरा और घुमा दिया, मेरी और पापा की शादी को मात्र चार दिन ही रह गए, इसलिए मैंने बुआ से पूछा कि वो कब आ रही ही.
तो उनको ने बताया की वो शादी के 1 दिन पहले ही आ सकती है और हमारी शादी करवा कर वो उसी दिन वापस चली जाएगी तो मुझे बहुत बुरा लगेगा और मैं उनसे गुस्से में रूठ गई तो उन्हें ने बताया कि हमारी शादी के अगले ही दिन उनके बच्चों के एग्जामहै और फूफा जी को अगले दिन बहुत ही जरूरी काम ही चाहिए, वो ज्यादा रुक नहीं सकती.
तो मैंने कहा, दीदी अगर आसा ही हम शादी कुछ दिनों के लिए टाल देतेहै तो बुआ ने नहीं भाभी आसा नहीं क्योंकि अगर इस महुरत में शादी नहीं होती तो अगले 4 महीने कोई महूरत नहीं है और तुम बताओ कि शादी को 4 महीने के लिए टाल दे क्या तूम दोनों 4 महीने रुक पाओगे। मुझे सोचने लगी मेरा तो पता नहीं, पापा का बस चले तो 4 दिन तो क्या 4 घंटे ना रुके.
बुआ: वैसे भी भैया यहां अपना ट्रांसफर करवा रहे हैं तो कुछ दिनों में तुम लोग यहीं आ जाओगे.
तो मैंने कहा अच्छा दीदी जैसा आप कहें। मुझे तो खुशी इतनी थी कि मैं बता नहीं सकता थी।
बुआ: मुझसे मिलने की या फिर अपने साजन से मिलने की अब मैंने भी मुस्काराते हुए कहा दोनों से.
बुआ बोली भाभी सुहागरात की तैयारियां कर लो. मैं बोली दीदी क्या तैयारी करनी है आप आ जाओ और मुझे गाइड कर देना आप मेरी सहेली भी तो हो, अरे मेरी बन्नो रानी मतलब के लिए इतना दोस्ताना. बुआ की बात सुन कर और फिर मैंने फोन काट दिया. मुझे पापा को फोन देने उनके रूम में जाना था पर आज रात को पापा के रूम की और जाते मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा.
मुझे ऐसा लगने लगा कि इतनी रात को पापा के पास उनके रूम में चली गई तो कहीं मुझे फिर से अपनी जगह मैंने ना भर लिया मुझे रात को अपने साथ रुकने के लिए मना लिया तो और अगर मैं पापा के साथ आज रात उनके कमरे में रुक गई तो मुझे पूरा यकीन था कि पापा आज ही रात मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे कली से फूल बना डालेंगे.
हमारी सुहागरात आज ही हो जाती है और फिर खुद ही कहां अगर हो जाए गी तो हो जाने दो इस मैं गलत ही क्या आखिर वो मेरे होने वाले पति ही उनका मेरे ऊपर चढ़ने का अधिकार है और मेरे ऊपर चढ़ने का उनको कानूनी अधिकार 4 दिनो के बाद मिलना था मैं यह सब सोचते पापा के रूम में आ गई।
कुछ देर पापा से बात करने परमैं उठी और अपने रूम की और जाने लगी तो पापा मुझसे बोले जा रही हो कुछ देर और बैठो ना तो शर्माते हुए एक अदा से अपनी आंख उठाकर पापा को देखते कहा, जी वो नींद आ रही ही तो पापा बोले अरे यार चली जाना कुछ देर बाद कुछ देर तो बैठो.
और पापा ने रुम में म्यूजिक ऑन कर दिया तो मैं आंखो से धीरे से बोली कि पापा सुन ना ली, निशी लगता ही जनाब के इरादे नेक नहीं है आज रात ही तेरा बाजा बजा डालेंगे तो फिर थोड़ा मुस्कुराते हुए खुद ही मन मैं बोली, बजाना तो इन्होने ही है तेरा बाजा आज बजे या कल और मैं चलती पापा के पास आ गई.
पापा म्यूजिक के साथ-साथ धीरे-धीरे डांस करने लगे अपनी कमर हिलाते पापा ने अपना हाथ आगे बढ़ाया कर मुझसे बोले आओ ना निशी कुछ देर डांस करते ही पापा का ये रोमांटिक अंदाज देख जहां मैं अंदर से खुशी से झूम रही थी पर अभी थोड़ी शर्म और झिझक भी थी पापा ने हाथ बढ़ाया और बोले आओ ना निशी.
तो मैंने अपने बालों को ठीक किया कहा मुझे नाचना नहीं आता तो पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींचे हुए बोले आओ ना जानता हूं तुम कितना अच्छा डांस करती हूं। पापा के इस तरह खिंचने पर खिंची चली गई तो पापा ने मुझे अपनी बाहो में भर लियामैं पापा से चिपकी मुस्कराते हुए बोली मुझे नहीं पता था कि अपने ऐसे शौक पाल रखे ही.
पापा मेरा एक हाथ अपने हाथ में थामे और अपने दूसरे हाथ को मेरी कमर मैं डाल कर धीरे-धीरे नाचने लगे मैंने भाई अपना दूसरा हाथ पापा के कंधे पर रख दिया और पापा की आंखें मुझे देख कर मुस्कुराती हुई अपनी गांड को धीरे हिलाने लगी। जिस से मुँह से प्यार और मस्ती भारी आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह निकल जाती है।
हम दोनों के बदन एक दम से चिपके हुए थे पापा के गाल मेरे चिकने गालों से रगड़ खा रहे थे जिस से मेरे अंदर एक अलग ही उत्तेजना सी उठ रही थी। कि पापा से एक दम चिपक गई जिस से पापा का खड़ा लंड मुझे मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी चूत के ऊपर टकराता हुआ महसूस हुआ।मेरी सांसे और तेज चलने लगी।
जिस से मैं और भी कामातुर हो गई और मेरे पापा के साथ और भी चिपक गई। पापा के होठों और मेरे होठों के बीच बस एक ही इंच की दुरी थी कि पापा ने अपने होठों को मेरे होठों पर रख दिया और मेरे होठों को चूसने लगे.. पापा और काफी देर तक ऐसे ही डांस करते और एक दूसरे के होठों को चूमते रहे तो मैंने पापा की बाहो से निकल बोली क्या सारी रात ऐसे ही नाचने का इरादाहै.
तो पापा मेरा हाथ पकड़ कर बोले दिल तो यहीं करताहै मेरी जान बस तुम्हें बांहों मैं ले कर सारी जिंदगी असि प्यार करता रहुमैं शर्माते हुए बहार की और निकल गई और मूड कर उनकी और देखते हुई बोली इसके लिए आपको कुछ पलों का इंतजार करना पड़ेगा और पापा की बाहो से अलग हो कर अपने कमरे की और जाने लगी.
पापा को बोले, जा रही हो तो जाते मेरी लुंगी तो दे दो और ये बोल कर पापा अपनी पैंट खोलने लगे तो बस नज़ारे झुकाए खड़ी थी। पापा की पैंट खुल कर पापा के पैरो में पड़ी थीमैं पापा की पैंट उठाने के लिए झुकी तो मेरी नज़र अंडरवियर मैं खड़े पापा के लंड पर पड़ी। पापा का लंड वो छोटा सा अंडरवियर संभाल नहीं पा रहा था।
अंडरवियर के साइड से पापा की बड़ी बड़ी झांटे और बाल साफ दिखाई दे रहे थे। पापा का अंडरवियर पापा के लंड को संभाल नहीं पा रहा था पर मुझे तो अब पापा के लंड को संभालना ही था। मेरे पापा के लंड को इस तरफ से बाहर निकला देख पहले से पापा से बोली, आप ना अंडरवियर बड़ा ले आइए तो पापा मेरे सामने अपने लंड को सहलाते हैं.
बिना किसी शर्म के मेरे कान में बोले, अभी कह रही हो बड़ा लाने के लिए, शादी के बाद कहोगी, यह सच है कि क्या जरूरी है और ये बोल कर मेरे सामने ही अपने लंड को सहलाएं लगे और मेरे चेहरे को अपने और करते बोले यहीं कहोगी ना रिंकी की मम्मी इसको पहनने की क्या जरूरत है तो मैं ये सुन कर और देख कर वही खादी शर्माते.
आप भी ना रिंकी के पापा और ये बोल कर अपने रूम में आ गई मुझे नींद नहीं आ रही थी कि तभी मुझे ध्यान आया कि क्यों ना मैं ब्रा और पैंटी पहन कर देखूं कि उसमें मुझे कैसी लगती हूं और मैंने झट से शॉपिंग बैग खोला और हमारे पास एक जोड़ा ब्रा और पैंटी का निकला और जैसी ही वो पहन कर आईने के सामने खुद को देखा
खुद ही शर्मा गई मैं सोचने लगी क्या सचमैं पापा मुझे इस रूप मैं देखने के लिए बेचैन ही मैं कैसे इस हालत में मैं उनके सामने जाऊंगी और मुझे यकीन था कि पापा आज मुझे इस रूपमैं सोच कर अपना लंड निकाल कर हिला रहे होंगे। मैं ये देखने के लिए कि पापा क्या सच है, मुझे पता है कि रूप मेरा है, सोच कर अपना हिला रहे हो.
मेरे उनके कमरे की और चल पड़ी और बाहर से देखा तो पापा के कमरे का दरवाजा खुला था और पापा अपना मूसल लंड अपना अंडरवियर मैं हाथ डाल कर बाहर निकल रहे थे और पापा का विशाल लंड देख कर मेरी खादी उसे निहारने लगी और खुद मेरा हाथ मेरी सलवार मैं से हो गया अपनी चूत पर पहुंच गया.
और मेरे पापा के विशाल लंड को देख कर अपनी चूत को सहलाने लगी और खुद ही अपना मनमैं कहने लगी से बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं होता ये नहीं अब कुछ दिनों की बात है लेकिन सच नहीं है मैं वो अपना घोड़े जैसा लंड निकल जोर जोर से हिला रहे थे मेरी नज़र पापा के घोड़े जैसे लंड पर टिक गयी वह अपने लंड तकिया पर दबा कर धक्के मारते हुए बड़बड़ा रहे थे.
और अपने आप को बर्बाद कर रहे हैं अगर हॉट है तो मुझे कहा होता मैं अब उनकी है तो मेरी जवानी आपके लिए है तो मेरे होते हुए कैसे बेचैन हो कर हिला रहे है फिर बस 3 दिन और फिर आप को ऐसे इसको हिलाने नहीं दूंगी और मान लो अगर इतना ही मन कर रहा है वो मुझे कह देते मेरी शादी से पहले अपना छेद मैं नहीं तो काम से अपने हाथ से पकड़ कर निकाल देती.
अपने हाथ में पापा का लंड पकड़ने के बारे में मेरी सोच कर मुझे ऐसा एहसास होने लगा कि पापा का गधे जैसा मोटा लंड मैंने अपने हाथ में पापा का लंड पकड़ लिया है राम क्या शाही लंड था पापा का और मेरा एक हाथ अपनी चूत पर चला गया और फिर से मुझे याद आया कि मैं कहां खड़ी हूं, मैं शर्मा अपने कमरे में आ गई हूं, मेरे पापा को बोल रही थी.
यहां मेरी हालत भी पापा के जैसी ही हो रही थी, मेरी चूत पानी छोड़ रही थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैं पापा के लंड के बारे में सोचता हूं सोचते नंगी हो गई और अपनी चूत को सहलाने लगी और पापा को सोचते सोचते मेरी चूत गीली होने लगी और अब मुझे उसने ठंडा किया है बिना सोना भी मुश्किल हो रहा था.
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मैंने अपने मुँह को ताकिये में छुपा लिया जिससे मुझे लगा कि मैं पापा के चौड़े सीने से मैं अपना मुँह छुपा लिया और अपनी चूत मैं उंगली ऐसे डालने लगी जैसे कि वो मेरी उंगली नहीं पापा का लंड हो। पापा के लंड के ख्याल सेहै मेरा चेहरा शर्म से लाल हो उठा। मेरे अंदर की आग तो धीरे-धीरे भुजने की बजाये खराब रही थी पर हमारे समय मेरे पास उस समय मेरे पास सिवाये उंगली के दूसरा रास्ता नहीं था।
मेरी आँखो बंद थी पर बंद आँखो के सामने मुझे पापा दिखायी दे रहे थे। उनका वो मजबूत गठेला शरीर, मजबूत कंधे, उनका चौड़ा सीना और सीना के घने बाल और सब से बड़ी बात उनकी टांगों के बीच किसी शेर की तरह दहाड़ता लंड जिसकी तो मेरी दीवानी हो चुकी थी मेरी नज़र पापा के घोड़े जैसे लंड पर टिक गयी.
मैं अपनी चूत में अपनी उंगलियों को घचाघच खेल रही थी और कभी धनिया को अपनी टांगों के बीच में दबाकर चूत पर रगड़ रही थी. मेरी आंखो बंद थी पर बंद आंखो के सामने मुझे पापा दिखायी दे रहे थे। उनका वो मजबूत गठेला शरीर, मजबूत कंधे, उनका चौड़ा सीना और सीना के घने बाल और सब से बड़ी बात उनकी टांगों के बीच किसी शेर की तरह दहाड़ता लंड जिसकी तो मेरी दीवानी हो चुकी थी.
सच मेरे पापा (यानी के मेरे होने वाले पति) का क्या शाही लंड था अब इस शाही लंड पर मेरा नाम लिखा था आज मैं अपनी चूत की आग को अपनी उंगली से ठंडा करने की कोशिश कर रही हूं लेकिन 2 दिन के बाद पापा अपने उसी शाही लंड को चूत के अंदर डालकर मेरी चूत के अकड़ को ठंडा कर रहे होंगे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेरे अंदर भयानक आग लगी हुई थी मैं अपनी चूत में उंगली डालें सिर्फ को उधर झटका करेगी थी मैं उंगली डालकर उसका पानी निकलने लगी एक हाथ से अपने चूत को और दूसरे हाथ से अपने चूचियों को सहलाने लगी फिर निपल को धीरे धीरे मसलने लगी मेरे मुँह से आआआआआआह्हह्हह्हह्हह्ह रिंकी के पापा करो नहीं तो मर जाऊंगी मैं आआआआ.
जैसे ही निकलने लगी आज मेरे पापा के हथियार के बारे में मैं सोच कर पहली बार अपनी चूत मैं उंगली कर रही थी। मेरे लाख चाहने पर भी अपनी चूत की आग को ठंडा नहीं कर पा रही थी बाल्की मैं तो आग में घी डाल राही थी. मेरी उंगली वो काम कैसे कर सकती थी जो काम पापा का लंड कर सकता था.
पर जो भी था अब मुझे ये दो दिन तो किस भी तरह कटाने ही थे कैसे भी करके अपनी चूत की आग को अपनी उंगली से ही ठंडा करने की कोशिश करनी थी तो मैंने किया पता नहीं कब मुझे नींद आई पता ही नहीं चला। हमारी शादी की तयारी जौरो से चल रही थी बस मुझे एक ही बात का दुख था कि बुआ हमारी शादी मेरे साथ ज्यादा दिन तक रुक नहीं रही थी.
मेरे दिमाग में आया क्यू ना पापा से काहू वो शायद बुआ को कहेंगे तो बुआ रुक जाएगी मुझसे ये बात अच्छी लगी तो मैंने पापा से बात करने का फैसला किया और पापा से कहा, जी मुझसे एक बात करनी थी तो पापा बोले हां निशी बोलो तो मैंने दीदी बोल अभी थी कि वो शादी से एक दिन पहले आएगी तो शादी वाले दिन ही चली जाएगी.
तो पापा बोले हा वो बोल रही थी कि बच्चों के एग्जाम ही इसलिए मैंने जौर नहीं दिया अब मुझे भी लगा शायद बुआ ठीक थी पता नहीं अगले दिन से जब भी पापा को देखती मेरी आँखो के सामने उनका विशाल हथियार नज़र आने लगता और मेरी आंखे खुद भी खुद पापा की टांगों के बीच जींस के ऊपर उनके लंड पर टिक जाती है।
और मुझे सोचने लगी कि पापा मुझे कैसे और किस पोजीशन में चोदेंगे। और मैं पापा का साथ कितना दूंगी मेरी और पापा की शादी होने वाली थी पर शादी के लिए सब से जरूरी यानी के मंगलसूत्र और शादी का जोड़ा हम लेना भूल ही गए। मैंने पापा से कहा, सुनिए.
पापा, सुनिए मेरी मोतियों वाली सरकार.
मैं, मस्कराते हुए आपका हर वक्त.
पापा, मैडम हम तो आपके नौकर ही हैं और बताओ क्या बात है.
मैं, हमने शादी के लिए मंगलसूत्र और शादी का जोड़ा तो लिया ही नहीं.
पापा, वो तुम्हारी मम्मी का ही ना.
मैं, मैं वो नहीं पहनूंगी.
पापा, क्या हुआ तो इसका मतलब तुम शादी के लिए तयार नहीं हो। शादी नहीं करोगी.
शादी नहीं करने की बात सून कर मैं पापा की और देख कर मुस्कुराए हुए ये मैंने कब कहा हम शादी नहीं करेंगे पर मैं वो नहीं पहनूंगी.
पापा, पर क्यूं.
मैं, वो पहनने से अच्छा ही मैं यहां अपना सूट पहन कर चालू और आप मेरे गलेमैं दग्गा बंद दीजिए पर अपनी शादी मैं वो पुराना जोड़ा और मंगलसूत्र नहीं पहनूंगी.
पापा, वो तुम्हारी माँ का ही तो है.
मैं, वो माँ का था तभी तो और अब वो मेरी माँ नहीं वो आपकी पहली बीवी काहै.
पापा, ये बात है.
मैं, हा वो आपकी पहली बीवी थी और अब वो मेरी सौतन थी और मैं अपनी शादी में अपनी ही सौतन का नहीं पहनूंगी.
पापा, बस इतनी सी बात हम अभी चलते ही तुम्हारे लिए शादी का जोड़ा और मंगलसूत्र लें, खुश, मेरी जान हम आपको नाराज कर सकते हैं.
और फिर मैं और पापा बाजार चले गए शादी की शॉपिंग के लिए मैंने और पापा ने मेरे लिए शादी का बहुत ही खूबसूरत जोड़ा लिया और डायमंड का मंगलसूत्र। ये सब शॉपिंग करने के बाद पापा बोले, चले तो मैंने कहा बिस्तर नहीं लेना क्या सुहागरात जब आप की ट्रांसफर होगी वहां जा कर मनाने का इरादा ही। तो पापा झट से बोले ऐसा क्यों जुलम कर रही हो और फिर मैंने एक बहुत ही खूबसूरत डबल बेड लिया.
आख़िर कर वो दिन आ गया जिस दिन मेरी और पापा की शादी थी। बुआ एक दिन पहले शाम को ही आ गई और बुआ ने मेरी शादी से पहले की सारी रस्म करवायी जैसे हल्दी मेहंदी। रात में मैं बुआ के साथ अपने रूम में आ गई सारा सामान अरेंज करते हुए बुआ मुझे सुहागरात के बारे में मेरी जानकारी दे रही थी बात करते-करते बुआ ने मुझसे पूछा, भाभी एक बात बताओ.
मैं : जी दीदी.
बुआ: भाभी तुमने अपनी झांटों को साफ़ किया ही या नहीं.
आज से पहले मैं नहीं जानती थी कि झाँटे किस को कहते ही तो मैंने बुआ से पूछा झाँटे क्या तो बुआ मेरी बात सुन कर मुस्कुराती हुई बोली, भाभी तुम झाँटे नहीं जानती.
मैं : नहीं दीदी ये मैं आज पहली बार ही सुन रही हूं.
बुआ: भाभी जो हमारी टाँगों के बीच हमें जगह पर घना जंगल होता ही उसको ही झाँटे बोलते हैं अपनी चूत के ऊपर के रेशमैं बालो को झांटें कहते ही उसके बारे में मैं सुन करमैं शर्म से दीदी क्या आप भी ना कुछ बोलती ही पता नहीं कैसे नाम बालो को क्या कोई झांट बोलता ही.
बुआ: (प्यार से) मेरी बन्नो, हमें झांट ही बोलते ही, भाभी तुम साफ करती हो.
मैं : शर्माते हुए, दीदी उसको भी कोई साफ करता ही क्या.
बुआ: भाभी सभी औरतें करती ही खास कर अपनी सुहागरात से पहले तो जरूर और क्या मर्दों को हमारी एकदम सफाचट चिकनी पसंद होती है. चिकनी माखन सी उन्हें चाटने में मजा आता है.
मैं, तो क्या दीदी इन्हें साफ की होगी इनके वहा तो बहुत बड़ा और घना जंगल है.
बुआ: अक्सर मर्द अपनी झाँते साफ नहीं करते उन्हें पता ही हमें उनके वहा घना जंगल अच्छा लगता ही है वो जब करते समय उनकी बड़ी बड़ी झाँटे हमेशा से ही रगड़ते ही पता ही जन्नत का नजारा मिलता है। वैसे भाभी अगर तुम्हें भैया की झाँते पसंद न आए तो शादी के बाद खुद साफ कर देना.
बुआ की बात सुन कर जहां मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया.
बुआ: भाभी अगर नहीं तो कल हम ब्यूटी पार्लर जायेंगे वहां वो ही कर देगी.
मैं तपाक से नहीं, मुझे किसी से नहीं करवानी.
बुआ मुझे छेड़ते हुए अगर हमसे नहीं कारवानी तो भैया को बोल दो वो कर देंगे आपकी झांटे साफ।
पापा से अपनी झांटे साफ करवाने का सुन मैं शर्म से लाल हो उठी और ढेर से बोली, जीजा जी आपकी करते होंगे.
बुआ, हा जब रात को नखरे करते ही दर्द से साफ नहीं है तो बोल देती मुझे से इतनी ही होगी अगर आपको और ज्यादा चिकनी चाहिए तो खुद साफ कर लो। और फिर क्या है मैं तो टांगें खोल कर लेट जाती हूं फिर खुद ही अच्छे से साफ कर देते है.
मैं, दीदी आपसे शर्म नहीं आती.
बुआ शर्म किस बातहै रोज ही नंगी करते है तो अब शर्म केसी और फिर बुलाओ भैया को झांटे साफ करने के लिए.
मैं, नहीं, मैं खुद ही कर लूंगी तो बुआ ने मुझे गले लगा लिया.
मैं : बुआ से, दीदी क्या सब पहली रात को ही कर लेते ही.
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मुझे सेक्स के बारे में पता नहीं था मुझे डर लग रहा था तो मैं बुआ से पूछ रही थी दीदी सुहागरात को क्या होता है क्या सुहागरात को ही सभी मर्द अपनी मोहर ठोक देते हैं तो बुआ बोली अरे मुझे अपनी ननद नहीं सहेली मान कर खुल कर बोलो कि क्या मर्द चूत चोद कर ही सुहागरात मनाते हैं मैं बोली बताओ न दीदी.
बुआ: हां बन्नो सभी मर्द सुहागरात को ही अपनी दुल्हन की चूत में अपना लंड घुसेड़ कर सील खोलते हैं और चूत फ़ाड़ देते हैं।
मैं: हाय दीदी चूत फटने पर दर्द नहीं होता।
बुआ: बन्नो रानी चूत फटने पर थोड़ा दर्द होता है और पहली बार खून भी निकलता है और ये ही असली गिफ्ट होता है पति के लिए। फिर तो इतना मज़ा आता है कि पूछो मत।
मैं: दीदी आप अपनी सुहागरात के बारे में बताओ न कैसे फूफा जी ने सुहागरात मनाई थी।
बुआ: क्यों जल्दी है जानने की कल भैया के साथ सुहागरात मनाओगी मालूम हो जायेगा।
मैं: दीदी प्लीज़ बताओ ना मेरी प्यारी दीदी और मैं दीदी के गले में हाथ डाल कर मनुहार करने लगी और उनको चूमने लगी।
बुआ: बस बस और मक्खन न लगाओ भाभी बताती हूं पहले दरवाजा बंद कर आओ और साड़ी पहन लो, लाईट बंद कर नाईट लैंप जला दुल्हन की तरह बिस्तर पर बैठ जाओ।
मैं: ये हुईं ना बात आई लव यू दीदी और मैं सब करके बिस्तर पर आ गई कमरे में हल्की लाल रोशनी थी
बुआ: आओ आप जिद कर रही हैं तो आपकी थोड़ी प्रैक्टिस करा दूं मान लो कि तुम मैं हूं और मैं तुम्हारे फूफा जी ओके।
बुआ ने बिस्तर पर आकर बोली वो मेरे पास आकर बैठ गए और बोले पूजा आज से हम पति-पत्नी नई शुरुआत कर रहे हैं और मेरे घूंघट को उतार दिया फिर बुआ ने मेरी चुन्नी उतार कर बोली ऐसे, फिर मेरे माथे को चूमा आंखों को चूमने लगी और बोली पूजा तुम कितनी खूबसूरत हो आई लव यू मेरे दिल की मल्लिका.
ये सुन कर मैं बुरी तरह से शर्मा गई फिर मेरे होंठों को चूमने लगी और बोली इस तरह तुम्हारे फूफा जी ने सुहागरात शुरू की मैं बोली फिर आगे तो बुआ ने मेरे होंठों को चूसने लगी मुझे लगने लगा जैसे मेरी ही सुहागरात है मेरी सांसें भारी हो गई. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं भी बुआ का चेहरा पकड़ कर उनके होंठों को चूसने लगी। बुआ ने मेरी आंखों में आंखें डालकर पूछा और जानना चाहती हो मुझसे बोला नहीं जा रहा था तो मैं शरमाती हुई सिर हिला कर हां कहा तो उन्होंने मेरी मुसम्मी जैसी चूचियां पकड़ ली और धीरे धीरे सहलाने लगी.
फिर उसे दबाने लगी मेरी सिसकारियां निकलने लगी फिर बुआ बोली भाभी मेरी भी इसी तरह से सिसकारियां निकलने लगी थी फिर तुम्हारे फूफा ने मेरा ब्लाउज खोल कर ब्रा उतार दी इस तरह और बुआ ने मेरी ब्लाउज और ब्रा उतार दी और मेरी चूचियों को सहलाने लगी.
मैं बोली आह दीदी गुदगुदी हो रही है और जानना चाहती हो तो अब मुझे दीदी नहीं एजी बोलो, मैं बोली एजी मत करो गुदगुदी हो रही है तो बुआ फूफा जी के रोल में आ गई और मेरे कान में बोली आई लव यू पूजा मेरी जान तुम्हारी चूचियां बड़ी मजेदार हैं और फिर उसे मुंह में चूचियां भर कर चूसने लगी.
मुझे बहुत मज़ा आया मैंने भी उनके ब्लाउज और ब्रा खोल दी और चूचियों को दबाने लगी। वह बोली इसके बाद सब कुछ अपने आप होने लगता है जैसे तुमने अभी मेरा ब्लाउज और उतार दी फिर मैंने पूछा के बाद क्या हुआ दीदी तो हुआ बोल.
कुछ देर मेरी चूचियों को चूसने के बाद उन्होंने मेरी साड़ी के अंदर पेटी में हाथ डाल के मेरी चूत को पकड़ लिया ठीक वैसे जैसे मैंने तुम्हारी पकड़ी है फिर उन्होंने मेरी साड़ी और पेटीकोट खोल दिया यह कहकर बुआ ने मेरी साड़ी और पेटीकोट खोल दिया.
और फिर मेरे बदन की तारीफ करने लगी आई लव यू पूजा तुम्हारी चूत कितनी चिकनी है कितनी फूली है मैं इसे खा जाऊंगा मैं बोली ऐसे मत करो जी मुझे कुछ हो रहा है बुआ बोली जानू आज तो मैं सब कुछ करुंगा आज हमारी सुहागरात है यह बोलकर तुम्हारे फूफा जी मेरी चूत को सहलाने लगे मैं भी गरम हो गई।
मैं भी बुआ के सारे कपड़े उतार दिए अब मैं और वह दोनों नंगे बिस्तर पर थी और वह मेरी सुहागरात की प्रेक्टिस करवा रही थी फिर वह वह बोली इसके बाद तुम्हारे फूफा ने मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और मेरा पहली बार था मैं जोर से चिल्लाई मेरी चूत फट गई थी और खूब सारा खून निकला था.
फूफा जी खून देखकर खुश हो गए थे उन्हें यकीन हो गया था कि उनकी बीवी ने कहीं किसी के साथ मुंह काला नहीं किया है हर पति की यही इच्छा होती है की उसकी बीवी की सील तोड़ने का मौका उसको मिले और एक पत्नी की तरफ से अपने पति को इससे बढ़कर गिफ्ट कुछ और नहीं हो सकता है.
बुआ ने एक उंगली मेरी चूत में घुसा दी मैं चिहुंक गई मैं बोली फिर तो बहुत दर्द हुआ होगा ना और फिर खून कैसे बंद हुआ बुआ ने बताया जब चूत की सील टूटती है अंदर की जल्दी फटती है तो थोड़ा सा खून आता है यह नॉर्मल है थोड़ी देर बाद बंद हो जाता है लेकिन इसके बाद जो मजा आता है की कहा नहीं जा सकता.
फिर बुआ मेरे ऊपर लेट गई अब मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया मेरी चूचियों को दबाते हुए पीने लगी और थोड़ी देर बाद बोलीं जानूं तेरी कुंवारी चूत कितनी चिकनी और रसीली है और फिर मेरी चूत को चूमने लगे और अपने मुंह में इस तरह भर कर चूसने लगे.
मैं बुआ की इस हरकत से गनगना कर तड़प उठी आ आह आ उई मां, दीदी जीजू ने आपकी चूत भी पी थी वाऊ कितने रोमांटिक हैं जीजू, कितना मज़ा आया होगा आपको, बुआ बोली बहुत ही ज्यादा तू भी अपनी चूत पिलाना चाहती है क्या अपने जीजू को.
मैं बोली धत्त आप कुछ भी बोल देती हो, मैं तो अपने पापा को ही पिलाऊंगी, फिर दीदी ने अपनी चूत को मेरी चूत पर रखा लंड की तरह धक्का देने लगी मैं पानी छोड़ चुकी थी अब मैं बुआ को नीचे कर लिया और मैं भी बुआ की चूत से चोदते हुए बुआ के चूत पर अपनी चूत रखकर धक्के देने लगे.
थोड़ी देर में वह भी पानी छोड़ चुकी थी हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट कर बातें करने लगे मैंने पूछा फिर इसके बाद क्या हुआ हुआ तो वह ने कहा यह मेरी पहली चुदाई थी इसके बाद तो तुम्हारे फूफा जी ने मुझे रात भर सोने ही नहीं दिया.
उसे रात करीब चार बार मेरी चूत मारी थी और मैं सुबह तक खड़े होने के काबिल नहीं थी वह तो मेरे परिवार में सिर्फ एक मेरी नंद ही थी जिसने मुझे अगली सुबह संभाल लिया नीचे तुम जानती हो अभी तो मैं तुम्हारी प्रैक्टिस कराई है इसे क्या कहते .हैं
मैं बोली वह चूत ही कहते हैं बुआ बोली नहीं चूत सिर्फ औरत और मर्द में होती है इसको लेस्बियन सेक्स कहते हैं वैसे तुमको कैसा लगा मैं बोलिए अच्छा था दीदी बा हुआ बोली अगर तुम्हें अच्छा लगा तो हम उसको कभी-कभी कर सकते हैं.
मैंने कहा आप मेरी गुरु हो और आपके गुरु दक्षिणा देना मेरा फर्ज बनता है आप जब कहेंगे मैं तैयार हूं हुआ बोली यह गुरु दक्षिणा नहीं है यह तो एक छोटी सी ट्रीट है गुरु दक्षिणा में समय आने पर तुमसे मांग लूंगी। मैं बोली आई लव यू दीदी फिर हम लोग सो गए सुबह जल्दी उठना था और दिन में ही मेरी पापा से शादी होनी थी.
अगले दिन मैं और बुआ जल्दी दोनों ब्यूटी पार्लर के लिए निकल गए हमें वहां से तैयार हो कर सीधे मंदिर जाना था और फूफा जी और पापा दोनों घर से बच्चों के साथ ले कर सीधे मंदिर पहुंचना था.. ब्यूटी पार्लर में हमने मेरे पूरे शरीर बॉडी की वैक्सिंग कराई अब मेरे बदन पर बालों का नमोनिशान तक नहीं था.
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मेरी चूत जहां पहले थोड़े सी रेशमैं जुल्फी थी वहां अब सफाचट मैदान बन चुका था। जे अब मेरी पिच पापा के द्वारा बल्लेबाज़ी करने के लिए पूरी तरह से तैयार करा दी बुआ ने थी अब मैं तैयार हुई तो खुद आपको शीशे में देख कर शर्मा गई हाथोमैं मेहंदी और इस लाल शादी के जोड़े में सजीधजी दुल्हन बनी मैं खुद ही शर्मा रही थी.
मुझे अंदर ही अंदर ये भी एक्साइटमेंट हो रही है कि वाकई में आज मेरी शादी पापा से हो रही है और आजमैं सचमैं उनकी बेटी से उनकी बीवी बन ने जा रही हूं।मैं दुल्हन के जोड़े मैं बुआ के साथ मंदिर पहुंची जहां पापा और फूफा जी ने पहले ही सारा इंतजाम किया हुआ था।
मैं उससे शादी के जोड़े में इतनी सुंदर लग रही थी पापा तो क्या किसी का ध्यान मुझ से हट नहीं रहा था। पापा और मेरी शादी का मंडप पूरी तरह से फूलों से सजा हुआ था। तभी पंडित जी ने पापा को हमारे मंडप में बैठने को कहा और फिर मुझे भी पापा ने बगल में बैठने को कहा तो बुआ ने मुझे पापा को बगल में शादी के मंडप में बिठा दिया।
पापा तो मंडप में मेरे पास बैठे मेरे रूप को ही निहारे जा रहे थे और उनके होठों पर इक अलग ही तरह की मुस्कान थी जिसको देख कर मैं अंदर ही अंदर खुश हो रही थी कि तभी जीजा जी पापा को बार बार मेरी और ऐसे देखते देख बोले.
क्या साले साहब, आप सभी से बीवी के बारे में पता लग गया अरे भाई तुम्हारी चीज ही घर जा कर जैसा तुम्हारा दिल करे वैसे देखना पूरी रात तुम दोनों की है जैसे मर्जी वैसे करना कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा। जीजा जी बात का मतलब समझ कर मैंने तो शर्म से पानी हो गई और अपनी नजर झुका ली।
पंडित जी ने पहले मुझे और पापा को एक दूसरे को जयमाला पहनाने को कहा। फिर पंडित जी ने शादी के मंत्र बोला, हवन कुंड में आग लगाई, .और हमें एक दूसरे का हाथ पकड़ने को कहा, फिर मेरी साड़ी का पल्लू पापा के साथ बंद दिया और पंडित जी ने हमें अग्नि के सामने फेरने के लिए कहा।
मेरे और पापा की शादी के फेरे संपन्न होने के बाद पंडित जी ने पापा को मेरी मांगमैं सिन्दूर भरने को कहा और साथ ही मेरे गलेमैं मंगलसूत्र डालने को कहा। पापा ने बड़ी ख़ुशी ख़ुशी मेरी माँग मेरे अपने नाम का सिन्दूर भर दिया.
और जैसे ही पापा ने मेरे गलेमैं मंगलसूत्र बंदने के अपना हाथ बढ़ाया मैंने अपनी आंखे नीचे कर ली और पापा ने अपना हाथ मेरे गलेमैं बदलते हुए मंगलसूत्र मेरे गले मैं बंद दिया। मेरी माँगमैं सिन्दूर भारत ही मेरे और पापा के बीच पुराना रिश्ता ख़तम हो गया था और अब एक नए रिश्ते का जन्म हो गया था।
अब मेरी दुनिया समाज की नज़रो में पापा की बीवी बन चुकी थी वो मेरे पिता से मेरे सज्जन बन चुके थे . इस तरह मेरा और पापा का विवाह संपन्न हो गया। मेरी मिस निशी से मिसेज निशी बन चुकी थी पंडित जी ने कहा आज से तुम दोनों पति पत्नी हो एक दूसरे पर विश्वास करना और एक दूसरे की हर इच्छा का समान करना तुम दोनों पति पत्नी का धर्म ही।
मुझे पंडित जी ने कहा बेटी अब पति के सुख में ही तुम्हारा सुख ही अपने पति की हर अगया का पालन करना तुम्हारी ज़िम्मेदारी ही नी बाल्की ये तुम्हारा फ़र्ज़ ही। फिर पंडित जी ने मुझे पुत्रवती का आशीर्वाद दिया। इस तरह से मैं आज पूरी तरह से पापा की हो गई हमारा पिछला रिश्ता तो एक बाप बेटी का वो ख़तम हो गया था.
अब मेरा और पापा का एक नया रिश्ता था पति पत्नी का आज से मुझे उनकी परछाई बैन कर जीना था। दूसरे रिश्ते से खुश थी. विवाह संपन्न होने के बाद हम सब घर आ गए पूरे रास्ते जीजा जी मुझसे हंसी मजाक करते रहे साले साहब अब तो शादी संपन्न हो गई पार्टी कब दोगे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
आपको तो बहुत शानदार पार्टी मिलेगी क्योंकि आपने मेरे परिवार को बचाने के लिए एक परिवार के सदस्य की तरह जो जिम्मेदारी उठाते हुए जो राय दी थी वह सही है और आगे भी हम एक परिवार की तरह एक दूसरे की मदद करते रहेंगे मैं तो बस गाड़ी मैं शर्म के मारे मुंह झुकाए चुप बैठी रही.
जब हम घर पहुंचें तो रात हो गई थी और दीदी और जीजा जी को अपने घर निकलना था तो घर आते ही दीदी और जीजा ने निकलने की तैयारी कर ली दीदी मुझे कमरे में लेकर गई और मेरे गले लग गई और मुझको बोली भाभी अब आप अपने परिवार को संभालो अपने पति को खूब प्यार करो पति को अपने पीछे लट्टू करने का यह एक तरीका है उसे अच्छा-अच्छा खाना बना कर खिलाओ.
उसकी हर बात मानो उसके बच्चों का अच्छे से पालन पोषण करो और रात में पति की सेवा जिस तरह से वह चाहता है करूं अगर वह आपको बेडरूम में नंगा रखना चाहते हैं रात में 10 बार भी छोड़ना चाहे तो कभी भी मना मत करो ऐसा करोगी तो वह आपके पीछे हमेशा लट्टू रहेंगे और आपके गुलाम बन कर रहेंगे.
मैं बोली दीदी आप मेरे गुरु हो जैसे बताओगी मैं वैसे ही करूंगी आई लव यू दीदी तो दीदी ने मुझे किस किया और बोली थोड़ी देर बाद हम चले जाएंगे और तुम्हारी सुहागरात होने वाली है तो मैं कैसा महसूस हो रहा है.
मैं बोली देती है अजीब सा डर लग रहा है दिल धड़क रहा है और मुझे डर लग रहा है कि मैं पापा को कैसे संभाल पाऊंगी उनका कितना बड़ा है दीदी ने मुझे चढ़ते हुए कहा अरे कितना बड़ा है भाभी आप ले चुकी हो क्या मैंने कहा था दीदी आप भी मजाक कर रही हैं.
मैंने उन्हें बिस्तर पर तक यह मेरा करते हुए देखा था 9 इंच से लंबा और 3 इंच के लगभग मोटा था मुझे लगता है कहीं मैं मर ना जाऊं तो दीदी मुझे थॉट्स बताती हुई बोली अरे भाभी कोई नहीं मारता जितना बड़ा होता है औरतों को उतना ही मजा आता है.
हमारे इनका तो लगभग 10 इंच लंबा और साढे तीन इंच मोटा है मुझे आज भी बहुत मजा देता है तुम परेशान ना हो मैं समझा दूंगी और तुम हिम्मत मत करना कोई भी परेशानी हो तो मुझे तुरंत फोन करना फिर हुआ और मैं बाहर ड्राइंग रूम में आ गए.
बुआ फूफा जी से बोलिंग चलिए जी अब चलते हैं बच्चों के एग्जाम हैं और इन्हें अकेला छोड़ देते हैं तो पापा ने मुझसे कहा निशी मैं इनको स्टेशन छोड़ कर आता हूं मैंने हा मैं सर हिला दिया तब दीदी मेरे पास आईं और मुझे गले से लगती कहने लगी अच्छा भाभी चलती हूं तो मेरे मुंह से निकल गया दीदी घर पहुंच कर फोन कर देना.
तो दीदी ने मेरी चुटकी लेते कहा मैं फोन करु तो क्या तुम लोग डिस्टर्ब नहीं होगे आपको मेरे फोन उठाने का वक्त ही कहां मिलेगा और मैं क्यू कबाब मैं हड्डी बनु। मैं दीदी की बात का मतलब समझ कर शर्म से दीदी चिपक गई। दीदी क्या आप भी ना.
बुआ: क्या मैं भी भाभी अब आप को भैया घर में अकेले होंगे अच्छे से सुहागरात मनाना सारे अरमान पूरे कर लेना। वैसे भैया आपसे ज्यादा उत्साहित होंगे आज की रात भाभी मुझसे नहीं लगता कि भैया आप पर रहम करेंगे। बरसो से तड़प रहे हैं फिर मेरी कान में बोलीआज की रात आपकी चुटिया लाल कर देंगे और चूत की धज्जियां उड़ा देंगे।
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फिर पापा को मेरे पास बुलाकर बोलिए भैया अभी आपकी पत्नी है इसे खूब प्यार करना और जरा भी तकलीफ नहीं देना अभी 16 की भी नहीं हुई है थोड़ा प्यार से करना बेरहमैं मत दिखाना और यह बड़ी शरीफ रही है इसमें कभी बैंगन खीर भी नहीं उसे किया और इसका पहली बार होगा थोड़ा प्यार से करना.
मेरा तो शर्म से बुरा हाल था।पापा बोले पूजा अब यह मेरी जान है मैं इसका पूरा ख्याल रखूंगा और तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा फिर पापा दीदी और जीजा को ले कर स्टेशन के लिए निकल पड़े। मेरी दोनों बेटिया भी काफी थक गई थी तो आते ही सो गई.
उनको रुम में सुलाने के बाद में अब मैं अपने रुम में जाने लगी क्योंकि अब मेरा कमरा बदल कर पापा के कमरा हो गया था अब मुझे अपनी बहन के साथ नहीं बल्कि पापा की बहनो मेरा सोना था। पापा के कमरे की तरफ जाते ही आज मुझे कुछ अलग ही लग रहा है। कर चूम रहे होंगे मसल रहे होंगे तब मेरा क्या हॉल होगा.
यहीं सब सोचते हुए मेरे रूम के पास पहुंची और जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मानो ऐसा लगा कि मेरा बैग आ गया पूरा कामरा फूलो की खुशबू से महक रहा था पूरे कमरे में फूल ही फूल बिखराये थे। तब तक मेरी नजर सामने बिस्तर पर पड़ी तो मैं तो दंग रह गई पापा और फूफा जी ने मेरी सुहागरात की सेज बहुत ही सुंदर सजाई थी।
पूरे बिस्तर पर फूल ही फूल थे और उन सब के बीच इक दिल बना हुआ था जिसकी दीवार पर पापा का नाम लिखा था बाबू और हमारे दिल के अंदर मेरा नाम लिखा था निशी .मानो ऐसा था कि ये पापा का दिल हो और अब पापा कि दिल मैंने उन सब के बारे में लिखा था हैप्पी वेडिंग मिस्टर एंड मिसेज राज.
यानी अब मैं पापा कि मिसेज बन गई थी। पापा और मेरे मन का मिलन तो हो गया था बस कुछ ही देर हुई थी मेरे तन का मिलन होने वाला था .ये बिस्तर मेरे और पापा के मिलन का गवाह बनने वाला आज ये बिस्तर मेरे और पापा के मन के मिलन के साथ तन का भी मिलन का साक्षी बनने वाला था मेरे कलीसे फूल बनने का गवाह।
अब कुछ ही मिनट की बात है पापा किसी भंवरे की तरह मेरी जवानी का रस चूस कर मुझे कलीसे फूल बनाने वाले यानी पापा मेरी नथ उतारने वाले थे जिस तरह मेरे पापा से मिलन को बेकरारा थी उसी तरह मेरी चूत भी अपने लिंग महाराज से मिलने को बेकरार थी.
सुबह से मेरी चूत पापा के लंड के स्वागत के लिए पलकें बिछाईं थी मेरी चूत मेरी हल्की हल्की सुरसुराहट हो रही थी सुबह से ..तभी पापा की गाड़ी का हार्न मुझे सुनायी दिया मेरा तो दिल जोरों से धड़कने लगा और जल्दी से बिस्तर पर घूंघट निकल कर बैठ गई और पापा का इंतज़ार करने लगी.
मेरी धड़कन और सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी मुझे बाहर मैं गेट के खोलने और बंद होने की आवाज सुनाई दी और फिर पापा के कदमों की आवाज सुनाई दी जो धीरे-धीरे खराब रही थी और कमरे के बाहर आ कर जैसे पापा के कदमों की आहट रुकी.
उसी समय पापा ने दरवाजा खोला तो मेरा दिल और जरूरी से धड़कने लगा।पापा रूम आए और रूम को फिर अंदर से बंद कर दिया और फिर चलते-चलते बिस्तर के पास आने लगी तो शर्म से खुद ही सिमटने लगी।पापा के सामने बारसो से थी पर आज मुझे शर्म आ रही थी।
आज मेरे और पापा के बीच एक नया रिश्ता जुड़ गया क्योंकि शर्म आना तो लाज़मैं था वैसी भीष्म हिंदुस्तानी औरतों का गहना होता ही। मेरा हाथ वहा बिस्तर पर पड़ा था तो पापा धीरे पास आ कर बिस्तर पर बैठ गएमैं घूंघट निकले बैठी हुई थी पूरे कमरे में शांति थी बस मेरे और पापा के सांसों की आवाज गूंज रही थी।
पापा ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरे हाथ पर रख दिया पापा का हाथ अपने हाथ पर पड़ते मैंने अपना हाथ हटाने की कोशिश की पर पापा ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद पापा ने छुपी थोड़ी और बोले आज तो पूरा कमरा खुशबू से महक रहा है.
और एक फूल को उठा कर मेरी और देखते हुए बोले ये नादान फूल समाज रहेहै ये महक उनकी वजह सेहै पर ये नहीं जानती हजारों फूलों में महक नहीं जो महक मेरे इस फूल में और इतना कह पापा ने मेरा नरम मुलायम हाथ अपने मर्दाना हाथ में ले लिया।
मेरा तो पूरा बदन गंगाना गया।उस समय मैं काफी घबराई हुई थी। पापा मेरे हाथ को अपने हाथ में लेने के लिए कहा था, जिस से मेरे हाथ की चूड़ियाँ की खनक से एक बहुत ही मधुर संगीत निकल रहा था। पापा मेरे बिल्कुल सामने बैठे थे और मैं उनके सामने घूंघट मैं मुंह छुपाये बैठे थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पापा ने फिर जो कहा हमेशा सुनने के कोई पत्नी हमेशा से तैयार रहती है उन्हें मुझसे कहा निशी माय लव मेरी जान आई लव यू.निशी तुम नहीं जानती आज से पहले मैं अपने आप को दुनिया का सब से बुरा इंसान मानता था पर अब मैं अपने आप को इस दुनिया का सब से खुश किस्मत इंसान मानता हूं.
जो मुझे इस दुनिया की सब से खूबसूरत लड़की पत्नी के रूप में मिला। सच मानो मुझे लगता है कि हमारा प्यार जनम जनम का ही तभी तो हम मिले तुम ही हो जो मेरे ख्वाबो की मलिका हो मेरी जनम जनम की साथी हो।
तुम नहीं जानते जब से तुम मेरी जिंदगी आई मुझे न दिन को चैन और न रातों को नींद आती ही बस तुम्हारा ही ये सुंदर चेहरा मुझे हर जगह नजर आता ही।तुमने मुझे अपना दीवाना बना लिया ही। मेरी जान तुम मेरे दिल की रानी हो, मैं तुमसे वादा करता हूं तुम इस दुनिया की हर खुशियां दूंगा.
तुम्हें इन मखमली कदमों के नीचे में अपना दिल रख दूंगा तुम्हें इन होठों पर मुस्कान के लिए अपनी जान तक दे दूंगा। और पापा ने मुझे ऐसे ही बांहों मैं भर लिया और चुनरी के ऊपर से एरी झुल्फो की खुशबू लेते हुए मदहोशीमैं बड़बड़ा लागे निशी आई लव आई लव मेरी जान।
कुछ देर इसी तरह मुझे अपनी बांहों मैं के लिए रहे फिर धीरे से बोले जान कब मुझे अपने इस चाँद को देखने का मोका मिलेगा जान अब ये घूँघट उठा कर अपने इस चाँद से मुखरे का दीदार तो करवा दो पापा ऐसे ही मेरी तारीफ किये जा रहे हैं.
मैं घूंघटमैं शर्म से सिमटती हुई थी कि पापा मेरा घूंघट उठाएं लागे तो मैंने धीरे से पापा को रोक दिया तो पापा रुक गए और अपनी जेब से हीरो का बहुत ही खूबसूरत हार निकला और मेरी और बिगड़ते बोले, यह खादिम के और से है “मलिका ए हुसैन की खिदमतमैं पहला तोहफा।
अपनी रानी की मुंह दिखाई अब अगर” मलिका ए हुसैन की इज्जत हो तो क्या गुस्ताख इस चांद से चेहरे को देखने की गुस्ताखी कर सकती है। अब मैं पापा को कैसे रोक सकती थी। पापा अपने हाथों को मेरे घूंघट की और बड़ा कर मेरा घूंघट उठाने लगे तो शर्म से मैंने अपनी आंखें बंद कर ली।
क्योंकि अब पापा के पास आये घूंघट उठाने हां यू कहे मेरा सब कुछ उठाने का लाइसेंस था जैसे ही पापा ने मेरा घूंघट उठाया मैंने शर्म से आंखे झुका ली वैसे ही, इज पर रूप और जवानी की बेशुमार दौलत बरस रही थी और आज दुल्हन के रूप मैं मेरे चेहरे से मानो नूर टपक रहा था.
पापा ने अपनी नज़र मेरे चेहरे पर गड़ा दी। पापा ने अपना हाथ मेरे चेहरे पर रख और मेरा चेहरा उठा कर बोले, मेरी आँखों ने देखा तो मैंने शर्म और डरे से पापा की आँखों से देखा तो पापा बोले। एकदम स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
सच मेरा तुम्हारा ये शिंगार ये हुस्न लाजवाब है साक्षात काम की देवी लग रही हो अगर तुम्हारी इज्जत हो तो क्या मो ओएस सुंदर अप्सरा का चेहरा अपना दिल बसा लू। पापा आपने इतना रोमांटिक अंदाज़ कहा था कि मेरे मुँह पर हंसी आ गई.
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मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट देख कर पापा बोलते है तुम्हारी यह अदा किसी का दिल लूट ले। तुम्हारी ये झील सी गहरी आंखे जिन में कोई भी डूब सकता है जाने को मचल जाए तुम्हारे ये गुलाबी कश्मीर के सेब जैसे गाल देख कर कोई भी मचल जाए और फिर मेरे होठों पर अपनी उंगली फिरा कर बोले.
तुम्हारी ये गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे गुलाबी रसीले रस से होंठ जिस का रस चूसने के देवता भी पागल हो जाए ये सब मेरे भाग्य में ही है मुझे तो अपने भाग्य पर विश्वास ही नहीं हो रहा मेरे बिस्तर से उठे और सुहागरात की आखिरी रसम दूध का गिलास उठा कर पापा की और बधाई।
सुहागरात की रात पत्नी दूध का गिलास कहती है कि उसके पति को दूध पीने से ऊर्जा मिलती है और वह उसे ताकत के नशे में उसे मसल देती है, पापा को ये दूध कहा से अच्छा लगता है, उनका ध्यान तो मेरे दूध पर टिका हुआ था और वो आज की रात मेरा दूध निचोड़ निचोड़ कर पीने वाले थे.
मैंने जैसे ही पापा की ओर दूध का गिलास बढाया पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास बिठा लिया और दूध का गिलास मेरे होठों की और बड़ा कर बोले, मेरी जान जरा इसे अपने होठों से लगा कर मैं ठा तो कर दो मैंने हल्का सा सिप लिया और फिर पापा ने और इस तरह मैं और पापा प्यार से एक ही गिलास.
मैं दूध पीते रहे दूध खत्म होते ही पापा बोले, निशी क्या तुम खुश हो इस शादी से तो मैंने प्यार से अपना सर पापा की चौड़े कंधे पर रख दिया। पापा ने प्यार से मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बोले, निशी आई लव यूमैं शर्मातीँ पापा की बात का क्या जवाब देती बस चुपचप उनके सीने पर सर रख कर लेती थी.
तो पापा फिर से बोले, निशी बताओ ना तुम मुझे से प्यार करती हो. मैं शर्म से क्या कहती हूं जब पापा ने फिर से पूछा तो मैंने धीरे से कहा ये आप क्या कह रहे हैं, ये क्या कह रहे हैं अब आपके स्वामैं है मेरे देवता ही तो पापा फिर से बोले अच्छा पर ये बोलो ना क्या तुम मुझसे प्यार करते हो अगर करती हो हो तो बोलो ना आई लव यू।
पापा को आई लव यू कहना मेरे लिए आसान नहीं था, पर जब वो बार-बार जिद करने लगे तो मैंने बादा धीरे से कहा फिर कुछ चुप रहने के लिए बुरा प्यार और फिर बहुत से डरे से आपने बोला पापा ने सूरज तो लिया था फिर से बोला ऐसे नहीं जान फिर से मेरा नाम ले कर तो मैंने कहा मुझे शर्म आती है.
तो पापा बोला अब हम दोनोमैं शर्म का क्या काम मेरी जान अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तो मेरी आंखोमैं देख कर बोलो तो मैंने पापा की आंखोमैं देख कर कह बाबू आई लव यू और तेजी से ये बोल कर अपना मुंह पापा की नजरों से मैंने छुपा लिया पापा ने मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और मुझे सहलाने लगे।
मेरे पापा के सीने से चिपकी हुई थी अलग ही दुनिया मेरी थी। कुछ देर इसी तरह मुझे अपने सीने से चिपकाया रहने के बाद पापा ने फिर से मेरा चेहरा हाथ मैं लिया अब मेरे होंठ पापा के होंठों के बिल्कुल पास थे पापा की गरम सांसे मेरे चेहरे पर पड रही थी कि पापा ने अपने होठों को मेरे होठों की और बढाया ही था.
मैं शर्म से मुंह घुमा कर धीरे से बोली, लगता ही रिंकी उठ गईमैं सुला कर आती हूं तो पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बिठा लिया और बोले,,मैं देख कर आया हू वो सो रही ही और फिर से अपने होठों को मेरे होन्थो की और बड़ा दिया। मैं अब पापा को रोक नहीं सकती थी पापा ने अपने होठों से मेरे होठों को लॉक कर दिया.
और मेरे उपर वाला होंठअपने होंठोंमैं दबा कर चुजने लगे तो मिभीपापा के होंठों को चूसने उनका साथ देने लगी। मेरे होठों पर पहले तक लिपस्टिक लगाने से पहले तक सजी हुई थी उसे पापा ने बड़े प्यार से और स्वाद से चैट चूस कर एकदम साफ कर दिया.
पापा के इस तरह मेरे होठों को चूसने से मेरे होठों पर एक दम बिना लिपस्टिक के गुलाभीहो गए उनसे खून तपाक रहा था. लेकिन पापा था जो आज ही मेरे होठों का सारा रस निचोड़ लेना चाहता था पापा ने फिर से मेरे होठों को अपने होठों से पकड़ लिया.
मेरी नाक पापा की नाक से और पापा की जीभ मेरी जीभ से लड़ रही थी कि तभी पापा ने मेरी जीभ को अपने होठों पर दबा कर खींच लिया और जीभ को चूसने लगे मेरी सांसे और भी तेज चलने लगी थी.
जिस तरह से पापा मेरे होठों को मेरी जिह्वा को चूस रहे थे मेरी जान गई थी कि आज की रात पापा मेरे बदन के हर अंग को ऐसे ही चूसेंगे। मेरा कच्ची कली से फूल बनने का वक्त आ गया था। पापा तो मेरे होठों का सारा रस ही चूस जाना चाहते हो।
पापा इतनी मस्ती और अच्छी तरह से मेरे होठों का रस चूस रहे थे जैसा कोई भंवरा किसी कलीका रस चूस रहा हो। पापा के दवारा इस तरह अपने होठों का रस चूस रही थी। और मैंने अपनी दोनो बहे पापा के गले मिल डाल दी। मेरे और पापा दोनों के होंठबुरी तरह से चिपके हुए थे।
पापा मेरे होंठको चूस रहे थे और उनके कठौर हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे कि पापा ने ढेर से अपना एक हाथ आगे बड़ा कर मेरे पेट पर रख दिया। और मेरी चुनरी साइड मैं करके मेरे नंगे पेट को सहलाने लगे। और मेरी नाभी मैं अपनी जादू भरी उंगली डाल कर मेरी नाभी से छेदखानी करने लगे।
आज मुझे एक नया ही एहसास हो रहा था कि पूरे बदन मेरी गुदगुदी सी हो रही थी। मेरे प्यारे दोस्त पापा ने अपनी जीभ मेरे मेरे मुँह में डाल दी अब उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी तो उनको ने मेरी जीभ को अपने होठों पर दबा लिया और मेरी जीभ को चूसने लगे।
पूरे कमरे में हमारे समय या तो हमारे चुम्बनो की आवाज और फिर मेरी चूड़ियों के खानकाने की आवाज ही गूंज रही थी। मेरे और पापा के होंठएक दूसरे के होठों से ऐसे चिपके थे कि जैसे उनको फेविकोल से चिपका दिया हो। पापा मेरे होठों को बुरी तरह से चूस रहे थे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
और मैं उनकी बांहों मैं मचल रही थी मस्ती से पागल हो रही थी पापा जिस हाथ से मेरी नाभी से खेल रहे थे वो हाथ को धीरे धीरे करके ऊपर को ले कर मेरी चूची पर रख दिया और पहले उसे बड़े प्यार से दबाने लगे मेरा तो शर्म से बुरा हाल था आज पहले बार किसी मर्द के हाथ मेरी चूची पर पसंद था कि मैं उनको रोकना चाहती थी.
पर मेरे मुंह से कुछ भी निकल नहीं हो रहा था, इस से पहले मैं उन्हें रोकती थी, उन्हें मेरी चूची को जोर से दबा दिया था, जिस से मेरे मुंह से गाल निकल पड़ी थी उई मां.पापा मेरी गाल पर मेरी आंखो मैं देखो ह्यू बोला जान क्या हुआ तो मैं उनसे शिकायत करते हुए बोली धीरे करिए ना दर्द होता है।
पापा मेरी आंखेंमैं आंखे डाल कर बोले सौरी जान पर क्या करू तुम चीज ही ऐसी हो एकदम मुलायम मक्खन की तरह तुम जैसे सुंदर अप्सरा के सामने तो ऋषि मुनियों का ईमान भी डोल जाए फिर मैं क्या चीज हूं पापा की इन बातों सेमैं मान ही मान मुस्कुराए बिना ना रे सकी. मुझे इस खेल में अब मजा आ रहा था..
पर पापा येभी जानते थे कि उनकी जवान बीवी बहुत शर्मीली ही थी और ये मेरा किसी मर्द के साथ ही पहली बार ही ये सोच कर उन्हें और भी ज्यादा मजा आ रहा था। पापा ने मुझे धीरे से बिस्तर पर लिटा कर मेरे ऊपर खुद भी लेटने लगे मै शर्म से आंखे बंद करके बिस्तर पर सीधी लेट गई।
मेरी चुनरी से, मेरी नाभी को ढके हुए थे तो पापा ने धीरे से मेरी चुनरी को हटाया और उसे दूर फेंक दिया तो उनकी आंखों के सामने मेरी चोली, एकदम टाइट चूचियां, पापा की आंखें उजागर हो गईं। मेरी चोली भी इस समय मुझे इतनी छोटी लग रही थी और मेरे दोनों कबूतर चोली से आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे थे.
ऊपर से मेरी चोली का गला इतना खुला था कि मेरी चुचियां की पूरी घटी नजर आ रही थी मुझे नहीं लगता कि शायद पापा ने अपनी पूरी जिंदगी मेरा ऐसा नजारा पहले कभी देखा हो। मेरी चुचिया मेरी टाइट चोली मैं एकदम किसी पहाड़ की छोटी की तरह खड़ी थी.
मेरी नाभी को अपनी आंख के इतने पास देख पापा अपना कंट्रोल खो बैठे।उन्होने अपने होंठ मेरी नाभी पर रख दिए और पापा के होंठअपनी नाभी के अंदर पढ़ते ही मेरे मुँह से आआह्हह्हह्हह्ह निकल गयी “आआआह्हह वह कृपया रुक जाये।
और मैं अपने दोनों हाथों से बिस्तर की चादर को दबा कर खींचने लगी मेरे मुँह से बस मस्ती से ये निकल रहा था और मैंने अपने हाथ पापा के सर पर रख दिया मेरा हाथ अब पापा के सर मैं उनके बालो में अपनी उंगली गुमा रहा था।
पापा कभी मेरी नाभी मुझे बहुत ज्यादा गड़ा देती थी और कभी धीरे से काट लेते थे। जिस से मेरे मुँह से बस आआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह बस करो रुक जाएगी ना अह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हहै निकल रही थी।
पापा मेरे पालतू जानवर को चूमते ऊपर की और बदन लागे और जैसे ही पापा के होंठमेरी चुचियों के ऊपर आयेमैं जौर से तड़प उठी और अपने हाथ से चादर को खींची लगी। पापा चोली के ऊपर से ही मेरी चूचियों को चूमने लगे और चूमते पापा और ऊपर आये और अपनी दोनो बांहों मैं लेने लगे.
तो अबमैं पापा के जवाब मैं अपने बहे पापा के बदन पर कस ली और पापा ने मुझे अपनी बांहों मैं ले लिया और अपने होठों को मेरी चिकने गालो पेरे फिरते बदबदाने लगे, निशी तुम मेरी हो गई हो विश्वास ही नहीं रहा, आई लव यू डियर, माय लव क्या तुम्भिमुज से इतना ही प्यार करती हो।
मिभीयस समय पापा के स्पर्श से गरम थी बस आंखे बंद किये बोल पड़ी, जी रिंकी जी. पापा. मेरे गालो पर अपने घंटे रगड़ते कितनी नरम और मुलायम हो मैं तो बस सी सी आह आह उई मां उई उई उफ आआआआआह्हह्ह कर रही थी.
मैं तो पापा के साथ लेटती शर्म से अपनी आंखें खोल पा रही थी कि पापा अपना मुंह थोड़ा सा उठा कर बोला, निशी अच्छा नहीं लग रहा खोलो ना आंखेमैं भला क्या कहती मैंने धीरे से आंखे खोली मेरे बांहों का हार पापा के गले मैं था तो पापा खुद को रोक नहीं पाए.
और पापा अपने होठों को मेरे होठों की और बढ़ाते बोले, कितने रसीले होंठही तुम्हारे बिल्कुल गुलाब की तरह नाज़ुक और पापा ने अपने होठों को मेरे होठों पर कैद कर लिया और जैसा कोई भाव किसी कलीका रस निचोड़ता ही वैसे ही पापा मेरे होठों का रस निचोड़ने लगे.
तभी पापा थोड़े से उठा और मेरे बदन पर पड़ी चुनरी जो मेरी जवानी को छुपाये हुए थी पकड़ कर मेरे बदन से खींच अलग कर दिया मेरी चुनरी जो कुछ देर पहले मेरे बदन पर मेरी चुचियों को ढके हुए थी अब वो जमैं न पर पड़ी थी और मेरी चोलीमैं टाइट चुचिया बिल्कुल पापा की आंखो मेरे सामने से जो बड़ी तेजी से ऊपर उठ बैठ रही थी.
मैं तो शर्म से अपनी आँखे बंद किया ही लाती थी कि पापा मेरे खुद ऊपर चढ़ गये मेरे बिल्कुल पापा के नीचे दबी हुई थी और पापा का लंड अब ठीक मेरी चूत के ऊपर था और मुझे अब पापा के खड़े लंड का एहसास अपनी चूत के आस पास हो रहा था।
पापा मुझे अपने नीचे दबाये हुए थे उनके होंठ मेरे नरम चिकने गालो पर जिसे वो बड़े बड़े प्यार से चूमते सहलते बुरा रहे थे मेरी जान बहुत हॉट हो तुम बड़ी नमकीन हो आअह्हह्हह्हह्हह्हह्ह फिर उनहो ने अपना एक हाथ नीचे की और ले जा कर धीरे से मेरे ऊपर की तरफ सरकाया.
जो मेरी चुची के साइड को छूता हुआ और रेंगता हुआ मेरी चोली के बस नीचे तक पहनूं। फिर उनको ने अपनी उंगलियों को मेरी चोली के नीचे से अंदर की तरफ दबाया, पर पापा ने अपनी बीवी की चोली को इतनी टाइट सिलवाया था कि उनकी उनकी बीवी का हर समय एक अंगो का उबर ठीक से दिखाई दे.
इसलिए मेरी चोली टाइट थी पर तीन उंगलियां तो अंदर सरक गई। मेरी चूची के निचले हिस्से को उनकी उंगली छू रही थी। और जैसे मैंने ही लंभीसांस छोड़ी मेरे सांस चोदने से मेरी चोली थोड़ी सी ढीली हुई और पापा का पौरा हाथ मेरी चोली के अंदर की तरफ चला गया।
अब मेरी एक चुची पूरी तरह से पापा के हाथ मेरी थी पापा मुझे अपने से चिपकाए मुझसे साते थे मेरे ऊपर चढ़े एक हाथ से मेरी चूची को मेरी चोली के अंदर हाथ डाल कर दबाने लगे और उनके होठों पर मेरे गुलाभीगालो पर जिसे वो कि बार काटभीराहे थे और कभी मेरे चिकने गालों को अपने होठों पर दबा कर चुसने लगते.
मस्ती के कारण मेरी तो आंखें ही नहीं खुल रही थी, मेरी तो बस मस्ती मेरी बकवास ही थी, सिसक रही थी। तभी मैंने नोटिस किया कि वो अपने दूसरे हाथ को अलग कर रहे थे और पापा का दूसरा हाथ मेरी नाभी से हो रहा था अब मेरे लहंगे की दौरी तक पहुंच चुका था मैंने शर्म से अपनी दोनों टांगें जोड़े कर बंद कर ली.
पापा मेरे गालों को चूसने और एक हाथ से चुची को बहस हुए दूसरे हाथ में मेरे लहंगे में डालने की कोशिश करने लगे पर मैंने अपने लहंगे की दौरी को इतना कस कर बंद हुआ था कि पापा के हाथ में मेरे लहंगे में नहीं जा रहा था। पापा किसी उपहार से अपना हाथ मेरे लहंगे में डालने की कोशिश कर रहे थे.
तो मैं अपना पेट अंदर की और किया तो पापा का पूरा हाथ अब मेरे लहंगे में चला गया अब पापा का पूरा हाथ मेरे लहंगे में मेरी रेशमैं चूत के ऊपर राखी सिल्की पैंटी पर था.मेरी पेंटी पूरी तरह से मेरी चूत के रस से भीगी हुई थीमैं तो शर्म से अपनी दोनों टांगों को जरूर से भीइच लिया.
ताकि पापा का हाथ मेरे लिए कीमती खज़ाने तक ना पहुंचें परमैं जांती थी ये सब बेकार ही क्यू की अबमैं तीनो तरफ के हमले से बेचैन थी एक तो पापा मेरे गालों को और मेरे होठों को चूम रहे थे और एक हाथ मेरी चोली मैं मेरी नंगी चूची पर था और दूसरे हाथ मेरे लहंगेमैं.
मेरी चूत पर हमारे पापा की गरम सांसों के साथ गरम बेटे रानी मेरी जान बड़ी नमकीन हो आआआअह्हह्हह्हह्हह्ह कितनी मुलायम हो ये सब बातें आग मेरे घी का काम कर रही थी। की तभी पापा ने ढेर से मेरे कानमैं कहा निशी खोलो ना अपनी टांगें मैं तो बस शर्म से चुप ही.
तो पापा ने कहा फिर जान प्लीज खोलो ना और पापा ने अपना जोर लगा कर मेरी दोनों टांगों को खोल दिया अब उनका पूरा हाथ मेरी चूत पर जिसे वो बड़े प्यार से सहला रहे थे। तभी पापा ने अपना जो हाथ मेरी चोली के अंदर था उसे निकल लिया और मुझे अपने से चिपका लिया.
अब उनका वो हाथ जो मेरी पीठ पर था जो सरकते सरकते मेरी चोली की दौरी पर पकड़ गयामैं तो अंदर तक सिहर उठी जब पापा ने मेरी चोली की दौरी को अपने हाथ से पकड़ कर खींच दिया। जिस से मेरी चोली काफी हद तक खुल गई बस पिचे इक हुक था.
जिस के खोलने से मेरी पूरी चोली खुल जाती थी हमें पहले पापा का हाथ था पापा कुछ देर मेरे उसी हुक के पास अपना हाथ फिराते रहे मेरी पीठ को सहलतेमैं जानती थी की पापा अब बहुत जल्दी ही मेरे ब्लाउज के हुक को भी खोल देंगे और हुवाभीसाहै.
पापा ने बस एक ही झटकेमैं खोल दियामैं कस कर पापा की बाहोमैं सिमत गईमुझे डर था अगरमैं आस नहीं करती तो कहीं मेरी चोली मेरी चुचियों का साथ छोड़ देती मेरे पापा के बदन से चिपकी थी पापा के बदन की खुशबू मुझे पागल कर रही थी.
मैंने शर्म से पापा से कहा, जी लगता ही रिंकी उठ गईहै मुझे बुला रही है मुझे जाना होगा तो पापा ने मुझे अपनी बांहों मैं कास लिया पापाभीसमाजते की शर्म से एसा बोल रही हूं और मिभीजंती थी कि पापा इस हालत में हैं मुझे कहीं जाने नहीं देंगे भला कोई हाथ आई हिरानी को एसा जाने दे सकता है. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पापा मेरे गालों पर आई मेरी रेशमैं झुल्फो को साइड मैं करते मेरे चेहरे को देखते बोले नहीं मेरी जान वो तो बहुत गहरी निंदमैं है। पर मैं कितनी देर ऐसी चिपकी रहती पापा ने मुझे अपने से थोड़ा अलग किया तो मेरी चोली मेरे कंधों से ढल कर नीचे आ गई.
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तो पापा ने मेरी चोलीमैं अपना हाथ फंसा कर मेरी चोली को मेरी बांहों से अलग कर दिया और उसे अलग कर दिया फेंक दिया. मेरी पिंक ब्रा मेरी चुचिया एक दम से खादी और टाइट थी और वो अब पापा के आंको के सामने थे. मैं तो बस आंखें बंद किये शर्म से सिमती थी तो पापा ने मुझे फिर से मुझे अपनी बाहों में भर लिया। अब पापा पगलो की तरह मेरे गालों को होठों को चूमने लगे।मैं पापा की बाहोमैं कसमसा कर अपना मुंह इधर उधर झटका रही थी कि तभी पापा मेरे ऊपर आ गए पापा के चेहरा अब मेरे चेहरे पर थे.
और पापा की नाक मेरी नाक से टच कर रही थी हम दोनो के होंठमानो ऐसे फडफडा रहे है की अभी एक हो जाए. तभी पापा ने मेरा चेहरा अपने हाथोमैं लिया और मेरी आँखोंमैं देखते हुए कहने लगे निशी आई लव यू मेरी जान और उन्होंने अपने होठों पर रख दिया और उनको चूमने लगे मैंने भी अपने दोनों हाथों में डाल दिया, उनके होठों को चूमने लगी। इसके आगे सुहागरात की कहानी चौथा पाठ में पड़ेगा और कहानी पसंद आ रही है ढेर सारी कमेंट करिए.
Uvaid says
4 nest part kab aaega
Uvaid says
Next part kab aaega papa ke sath ghar basaya 4
A k s says
Aage ki kahani kab ayegi, utsukata badh rahi hai.
Mona says
Aage ki kahani mili nahi puri site dhund li