Bhabhi Suhagrat
मैं दिव्यांका बरेली की रहने वाली हूँ. अभी मेरी शादी को ३ साल हुए है. कुछ दिन से मेरी पति मुझसे एक अजीब की डिमांड कर रहें थे. वो बार बार बस एक ही बात कर रहें थे ‘एक बार ऋत्विक को अपनी चूत दे दो’ ऋत्विक मेरा देवर है. उम्र में मेरे पति और मुझसे छोटा है. Bhabhi Suhagrat
शुरू शुरू में तो मुझे बड़ा बुरा लगा की कैसा पति है जो अपनी धर्मपत्नी को किसी दूसरे मर्द से चुदवाने की इच्छा रखता है. पर बाद में मुझे पूरी बात पता चली. दरअसल ऋत्विक को कैंसर हो गया था. डॉक्टर ने मेरे पति से कहा की ऋत्विक कुछ दिन का मेहमान है. इसलिए वो जो जो चाहता है उसे दे दो.
जब मेरे पति ने उससे पूछा तो उसने मुझे चोदने की इच्छा जताई. क्यूंकि ३ साल से वो मेरे रूप रंग को देखता आ रहा था. इसलिए वो मुझे एक बार भोगना चाहता था. जब मैंने ये बात सुनी तो मुझे बहुत बुरा लगा की मेरा देवर अब कुछ दिन का मेहमान है.
ऋत्विक को ब्लड कैंसर हो गया था. उसके बचने की कोई सम्भावना नही थी. इसलिए मैंने भी तैयार हो गयी. मरने से पहले मैं अपने देवर की ख्वाहिश जरुर पूरी करुँगी मैंने सोचा. अगले दिन करण[ मेरे पति] बजार से ढेर सारे गुलाब के फूल ले आये.
उन्होंने ऋत्विक के कमरे को सुहागरात जैसा सजा दिया. बेड पर साफ और नई चादर बिछा दी. मेरा देवर ऋत्विक मरने से पहले अपनी भाभी यानि मेरे साथ एक बार सुहागरात मनाना मनाता चाहता था. तो उस रात मैं भी खूब सज धज गयी. मैंने अपनी बनारसी साड़ी पहनी थी. ढेर सारा मेकप किया था. पति मुझको लेकर ऋत्विक के कमरे तक ले आई.
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लो ऋत्विक! तुम्हारी भाभी आज रात के लिए तुम्हारी है?? मेरे पति ने कहा और मेरा हाथ ऋत्विक के हाथ में दे दिया.
हम दोनों ने ऋत्विक को ये नही बताया था की उसको ब्लड कैंसर हो गया है. वरना वो पैनिक हो जाता और समय से पहले ही उसकी मौत हो जाती. डॉक्टर ने कहा था की उसे ये न बताया जाए. भैया आप भी साथ में सुहागरात मनाओ! ऋत्विक ने कह दिया. मेरी पति थोडा शर्मा गए. ठीक है!
मैंने उनकी तरफ से हाँ कर दी. अपने देवर को लेकर मैंने कई बार अपनी चूत में ऊँगली की थी और मुठ मारी थी. पर आज देवर का लंड खाने को मुझे मिल जाएगा. एक नया लंड का स्वाद मुझको मिल जाएगा. हम तीनों को सुहागरात शुरू हो गयी.
मेरे देवर ऋत्विक ने मुझे अपने बिस्तर पर बिठा लिया. मेरे पति ने पुरे बिस्तर पर गुलाब के पंख तोड़ तोड़ कर बिखेर दिए थे. ऋत्विक और मेरे पति करण दोनों ने नए कपडे पहने थे. मेरे देवर मेरे बदन से खेलने लगे, तो मेरे पति भी मेरे पैरों को चूमने लगे.
कुछ देर बाद देवर जी ने मुझे नंगा कर दिया. वो मेरे बड़े बड़े मम्मो को वो दबाने लगे. भाभी रोज तुम्हारे मम्मे ब्लाउज के उपर से देखता था, आज मैंने अन्दर से देखे है. भाभी तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हरे जैसी हसीना मैं आज तक नही देखी! देवर जी बोले. मैं
उनके इस कोम्प्लिमेंट पर बड़ी खुश हुई. क्यूंकि मेरे पति मुझे चोदते तो रोज थे, पर कभी मेरे योवन, मेरे रूप की कभी तारीफ नही करते थे. हर जवान औरत चाहती है की कोई ना कोई मर्द उसकी हर रोज तारीफ़ करे. ऋत्विक [मेरा देवर] मेरे मम्मे पीने लगा.
जबकि मेरे पति मेरे चूत पीने लगे. ‘दिव्यांका बेबी!! मुझे माफ कर देना. तुम सच में बहुत सुंदर हो. मैं कभी तुम्हारी तारीफ ही नही करता हूँ. क्यूंकि मेरा काम मुझको बड़ी टेंशन और तनाव दे देता है. सॉरी बेबी!! पतिदेव बोले.
कोई नही जी !! मैं बोली.
देवर जी और मेरे पति दोनों अब नंगे हो गए. देवर जी की ही ये सुहागरात थी. इसलिए उन्होंने मुझे सीधा बेड पर लिटा दिया और मेरे उपर सिर से पाँव तक गुलाब के फूल डाल दिए. मुझे बहुत अच्छा लगा. बड़ी खुशी मिली मुझे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
देवर मेरे दोनों स्तन को अपने सख्त हाथ से दबाने लगा. मुझे हल्का हल्का दर्द ही हो रहा था, पर अच्छा भी लग रहा था. आज किसी दूसरे मर्द के हाथों ने मुझे मेरे गुप्त अंगों पर हाथ लगाया था. मुझे अच्छा लगा. ऋत्विक का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा और कुछ देर बाद तो मेरे पति से भी जादा लम्बा हो गया.
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मन हुआ की देवर से कहूँ की अपनी भाभी को अपना लंड चुस्वाओ, पर फिर सोचा की ऐसा करना सही नही होगा. इसलिए मैंने अपनी इच्छा को दबाए रखा. ऋत्विक मेरे दोनों मम्मे अपने हाथ से गोल गोल आकार में दबाता रहा और पीता रहा.
मेरी पति दूसरी तरह मेरी चिकनी संगमरमरी जांघ को सहला और चूम रहें थे. आज मैं २ २ मर्दों से चुदने वाली थी. ऋत्विक के इस कमरे में मैं आज उसके साथ सुहागरात मनाने आई थी. पुरा कमरा फूलों से महक रहा था. कभी सोचा नही था की ऋत्विक को इस भरी जवानी में कैंसर का रोग हो जाएगा. कभी सोचा नही था की वो कभी मेरी चूत मारेगा.
पर दोस्तों, इन्सान जो नही सोचता है, वही उसके साथ होता है. ऋत्विक मेरे होंठ, मेरे लब का बार बार रसपान कर रहा था. आखिर मैं उसकी भाभी थी. मरने से पहले उसकी ये आखरी ख्वाइश तो पूरी कर ही सकती थी. मेरे मेरे माथे को बार बार मुझे अपनी बीबी समझ के चूम रहा था.
मेरे दोनों उजले कन्धों को वो चूम लेता था और काट लेता था. मेरे पति अपने छोटे भाई का मेरे लिए उमड़ता प्यार देख कर मुस्कुरा देते थे. कबसे ऋत्विक मुझे और मेरी चूत को भोगना चाहता था. आज उसकी तमन्ना पूरी होने वाली थी.
ऋत्विक की आँखों में जहाँ मेरे लिए बेसुमार प्यार था वहीँ मेरी चूत मारने की वासना भी मैं उसकी आँखों में देख रही थी. पतिदेव बार बार मुस्कुराते थे की आज दिव्यांका तो एक नए मर्द से आज चुद जाएगी. ऋत्विक मुझसे उम्र में छोटा था, इसलिए मुझे उससे किसी तरह की शर्म नही आ रही थी.
तभी ऋत्विक ने मेरा सीधा मम्मा अपने मुंह में भर लिया. आँखे बंद करके मेरे उपर ही लेट गया और पीने लगा. लगा जैसे कोई बच्चा मेरा दूध पि रहा हो. पति मेरी बुर पी रहें थे. करीब एक घंटे तक मेरे दूध पीटा रहा. क्यूंकि वो मेरे साथ अपनी यादगार सुहागरात मना रहा था.
मैं उसको किसी भी बात के लिए मना नहीं कर सकती थी. मुझे हर हाल में उसकी इक्छा पूरी करनी थी. ऋत्विक, मेरा देवर मेरे नंगी सपाट, चिकनी पीठ को अपने हाथ से सहलाता था और लेटकर मेरे मम्मे पी रहा था. मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था.
इसके पीछे वजह थी की मेरे पति करण तो बस मुझे जल्दी जल्दी हर रात चोद लेटे थे, और सो जाते थे. बड़े मतलबी सैंया थे वो. पर आज मेरा देवर ऋत्विक मुझे प्रमिकाओं जैसा प्यार कर रहा था. मुझे बड़ा आनंद मिल रहा था. कुछ देर बाद ऋत्विक मेरे दोनों मम्मे अच्छे से पी चुका.
भाभी! तुम्हारी चूत में ऊँगली करूँगा! वो बोला.
ठीक है देवर जी, कर लो ! मैंने कहा.
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मेरी पति अब मेरी चूत ने हट गए. वो मेरे सिरहाने आ गए. उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया. मैं चूसने लगी. मेरा देवर ऋत्विक मेरी चूत पर आ गया. मैंने आज सुबह ही अपनी झांटे बना ली थी. क्यूंकि मैं अपने देवर को खुश करना चाहती थी.
ऋत्विक ने अपने दोनों अंगूठे से मेरी चूत रबर की तरह फैला दी. उसको मेरी बड़ी सी फटी फटी चूत के दीदार हो गए. मेरा भोसड़ा अच्छी तरह से फट चुका था. क्यूंकि मेरे पति मुझे हर रात चोदते थे. इसलिए मेरा भोसड़ा अच्छे से फट चुका था. मेरे देवर ऋत्विक के मुंह में मेरा भोसड़ा देख के पानी आ गया.
भाभी!! तुमने तो भैया का खूब लंड खाया है! ऋत्विक हँसते हुए बोला.
हाँ देवर जी, तुम सही कहते हो! मैंने कहा.
ऋत्विक ने अपने अन्गुठे से जब मेरा भोसड़ा फैलाया तो मेरे मूतने का छेद और उनके नीचे मेरी चूत के दर्शन उसको हो गए. मेरी चूत के अंदर सफ़ेद सफ़ेद चमड़ी वाली थी, जैसा जादा हिन्दुस्तानी औरतों की चूत की चमड़ी अंदर से सफ़ेद सफ़ेद होती है.
ऋत्विक मेरी चूत पीने लगा. मुझे बड़ी खुशी हुई. क्यूंकि मेरे पति शादी के दिनों में मेरी चूत पिया करते थे. फिर धीरे धीरे उन्होंने मेरी चूत पीना बिल्कुल बंद कर दी. मेरा देवर ऋत्विक आज मेरी चूत पी रहा था. फिर उसने अपना मुंह हटा लिया और अपनी दो लम्बी उँगलियाँ मेरे भोसड़े में डाल दी. मुझे तो स्वर्ग ही मिल गया था.
ऋत्विक अपनी २ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी चूत में चलाने लगा. मैं तो मजे में डूब गयी. मेरा देवर ऋत्विक तो बड़ा शरारती निकला. जहाँ एक तरह वो मेरे बड़े से फटे हुए भोसड़े में अपनी लम्बी २ उँगलियाँ जल्दी जल्दी चला रहा था, वहीँ वो अपने उन्गुठे ने मेरी मूत करने के छेद को सहला रहा था.
बाप रे!! उत्तेजना और सनसनी मेरी चूत में बहुत जादा होने लगी. मन हुआ की जहाँ से मैं मूतती हूँ, काश उसमे भी ऋत्विक अपना लंड डाल दे और मुझे पेले. बजाए. उधर मेरे पति मेरे सिरहाने पर आकर खड़े हो गए थे, और मुझे अपना लंड चुसवा रहे थे.
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दोस्तों, मैं बता नही सकती हूँ की मुझे कितनी मौज आ रही थी. लग रहा था की २ २ लंड मुझको चोद रहें है. ऋत्विक की शरारतों ने तो मेरी जान ही निकाल दी. मेरी चूत से मक्खन निकलने लगा. मारे उत्तेजना के मैं मूतने लगी तो ऋत्विक ने अपना मुंह लगा दिया और मेरा सारा मूत वो पी गया.
मुझे बड़ी खुशी हुई. कई मिनटों से वो अपनी २ मोटी मोटी ऊँगली मेरी चूत में कर रहा था, इससे मेरा भोसड़ा और खुल गया और छेद और चौड़ा हो गया. देवर जी! अब अपनी भाभी को और मत सताओ! मुझे अब तुम चोदो और सुहागरात मनाओ! आखिर मैंने कह ही दिया.
यह सुनते ही जैसे ऋत्विक को नया उत्साह आ गया. फटाफट उसने अपना मोटा लंड मेरे भोसड़े में खोंस दिया और मुझे चोदने लगे. उधर मेरे पति करण मेरा दूसरी तरह मुंह चोद रहें थे. एक साथ २ २ लौडे का स्वाद मुझको मिल रहा था.
देवर जी कबसे मेरी चूत का भोग लगाना चाहते थे. आज जाकर उनका सपना पूरा हुआ था. वो मुझे फट फट करके भांज रहें थे. पति मेरे मुंह में चोद रहें थे. देवर जी मेरे मम्मो को सहला रहे थे. वो मेरी चूत पर अब बड़ी मेहनत कर रहें थे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
आ ममा माँ माँ ऊई उई आह आह्हह्ह !! मैं गरम चुदासी होकर गरमा गरम सिसकियाँ ले रही थी. ऋत्विक मुझे जादा से जादा, गहरा से गहरा चोदना चाहता था. मन हुआ की उसे बता दूँ की उसको कैंसर हो गया है. फिर सोचा की बेचारे का सारा मजा तुरंत खत्म हो जाएगा.
इसलिए ये रात उसको ना पता चलने पाये. वो मुझे घप घप करके भांजता रहा, मैं बस उसकी सूरत ही निहारती रही. बताओ जवानी में क्या किसी की मरने की उमर होती है. मैं तो बस अपने देवर जी ऋत्विक को ही देख रही थी. अनेक जोरदार धक्के देकर वो मेरी चूत में ही झड गया.
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अब मेरे पति मेरी चूत पर आ गए. उनका लंड खड़ा था, रेडी था, इसलिए वो मुझे ठोकने लगे. ऋत्विक, मेरा देवर मेरे बगल ही लेट गया. उसे पसीना आ गया था. मैं उसके सीने पर उसके काले काले सीने के बालों को सहलाने लगी. वो अभी बांका छोरा था. मेरी पति करण ने मुझको २० मिनट तक लिया फिर वो भी झड गए. ऋत्विक एक बार फिर से तयार हो गया था. भाभी! कुतिया बनो!! वो बोला. मैंने कोई बहाने नही मारे. कुतिया बन गयी. ऋत्विक ने एक बार फिर से मेरी चूत में लंड खोस दिया. और मुझे लेने लगा.
जोश जोश में वो मेरे चूतडों पर जोर जोर से थप्पड़ लगा देता. उसकी मार ने मेरे चुतड लाल लाल हो जाते. ऐसा करते हुए ऋत्विक ने मुझे काफी देर ठोका, फिर मेरे मस्त मस्त चूतडों पर ही उसने अपना सारा माल गिरा दिया. दोस्तों, ऋत्विक के साथ मेरी सुहागरात बड़ी मस्त रही. रात भर उसने मुझे कई बार लिया. पर २ हफ्ते भी ना बिता की ऋत्विक चल बसा. मैं उसकी याद करके बहुत रोई. मेरे पति ने उसका अंतिम संस्कार किया. आज भी मैं उसके साथ बितायी वो सुहागरात याद करके हर रात रोती हूँ.
Raj says
Aap bareilly mai kaha se hai mai bhi bareilly se hi hu
Rohit says
Maharashtra me kisi girl, bhabhi, aunty, badi ourat ya kisi vidhava ko maze karni ho to connect my whatsapp number 7058516117 only ladie