Couple Swapping
हेल्लो दोस्तों, मैं यामिनी आप सभी का एक बार फिर से स्वागत करती हूँ. दोस्तों आपको मैंने अपनी कहानी के पिछले भाग मुझे लंड की प्यासी बना दिया बॉयफ्रेंड ने 1 में बताया था, की मैं एक कॉलेज गर्ल हूँ, और मेरे बॉयफ्रेंड भावेश ने मेरी पहली चुदाई एक अंजान कपल के सामने वेबकैम पर किया था. और मुझे उस पहली चुदाई में बहुत मज़ा आया था. अब आगे – Couple Swapping
मैं लगभग एक महीने तक भावेश के घर नहीं गई और न ही भावेश ने मुझे कभी फोर्स किया। हाँ, अब कॉलेज में मैं और भावेश खूब समय बिताते और भावेश अब मेरी हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखता। लेकिन अब एक बार जो आग लग चुकी थी उसे मैं चाह करके भी काबू में नहीं कर पा रही थी और न ही भावेश को बता पा रही थी।
पर एक दिन उसने मुझसे कहा कि उसका मन एक बार फिर मुझमें समाने के लिये कर रहा है। मन में मेरे भी आग लगी थी, मैंने भी मौन स्वीकृति दे दी। उसने सबकी नजरों को बचाते हुए मेरे गालों की पप्पी ली और मेरे स्तन को दबा दिया।
मुझे या शायद किसी को भी नहीं पता होता कि कल क्या होने वाला होगा लेकिन भावेश जैसा जीवन साथी मिलना बहुत ही नसीब की बात होती है। दो दिन बाद भावेश ने मुझे बताया कि आने वाले रविवार को उसके घर में कोई नहीं होगा और अगर मैं चाहूँ तो… कहकर उसने अपनी बात को बीच में ही रोक लिया, जिसको मुझे पूरा समझने में कोई परेशानी नहीं हुई।
मैंने उसे एक बार फिर अपनी स्वीकृति दे दी। मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि भावेश मुझसे जो कहता जा रहा था, मैं उसकी किसी बात को नहीं काट पा रही थी। लेकिन अब एक बार जब सीमांए टूट गई तो अब उस सीमा को फिर से वापस बांधना मुश्किल सा था। खैर मैंने भावेश से पूछा कि मैं उसके पास कैसे कपड़े पहन कर आऊँ.
तो वो बोला- देख, हम लोग जो करेंगे, नंगे होकर ही करेंगे, इसलिये तुम्हें कोई सेक्सी कपड़े पहन कर आने की जरूरत नहीं है, और वैसे भी तुम मेरे लिये हर कपड़े में सेक्सी ही हो।
मेरे लिये एक बहुत बड़ी समस्या खतम हुई क्योंकि अगर मैं घर से कुछ खास कपड़े पहन कर निकलती तो घर वालों से काफी झूठ बोलना पड़ता। खैर रविवार का दिन आया और मैंने घर वालों से प्रोजेक्ट का बहाना बनाया और अपने भावेश के पास पहुँच गई।
भावेश ने दरवाजा खोला, वो नंगा था और उसका लंड बिल्कुल डण्डे के समान तना हुआ था। घर के अन्दर घुसते ही भावेश ने मुझे दबोच लिया, अपने जिस्म से चिपका लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन जहां पर उसने चाहा, चुम्मे की झड़ी लगा दी। मुझे भी वहीं नंगी कर दिया और गोदी में उठा कर अन्दर ले आया।
जब मैं उसकी गोदी में थी तो मैंने भी भावेश को चूमना शुरू किया। फिर उसने मुझे सोफे पर बैठाया और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरे योनि, अरे… योनि नहीं… चूत के अग्र भाग को फैलाते हुए उसमे उंगली करने लगा और उसके बाद उसमें अपनी जीभ लगा दी।
थोड़ी देर तक अपनी जीभ से मेरी चूत की मालिश करने के बाद भावेश खड़ा हुआ। तब मैंने पहली बार उसके लंड को साफ साफ देखा जो एकदम से तना हुआ था और उसके लंड के हिस्से वाला भाग बाल रहित था जबकि अभी भी मेरी चूत में बालों की भरमार थी।
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मैं भावेश से बोली- यार, तेरे इस जगह बाल क्यों नहीं हैं?
तो वो मुस्कुराते हुए बोला- मैं इसे बनाकर रखता हूँ।
‘तो मेरे भी बना दो…’ मैंने उसकी ओर खुमारी भरी नजर से देखा।
वह तुरन्त मुड़ा, पहली बार मैंने नंगे भावेश को चलते हुए देखा उसके पीछे का हिस्सा ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी गांड के बीचोंबीच एक लकीर सी खिंची हुई थी जो मेरे लिये बड़ा ही अनोखा था। दो मिनट बाद ही वो एक क्रीम, कैंची, काटन और एक लोटा पानी ले आया।
मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा जिससे मेरे कमर के नीचे का हिस्सा सोफे से बाहर हो गया और बाकी मैं सोफे पर पसर गई। उसके बाद भावेश बड़े प्यार से मेरी चूत के बड़े हुए बालों को कैची से काट-काट कर छोटा कर रहा था और बीच-बीच में जांघ, चूतड़ के उभार आदि जगह को चाट लेता था, मेरी उठी हुई चूची को दबा देता और बीच-बीच में अपने लंड को उंगली से मसलता और फिर उस उंगली को चाट लेता।
जब वो मेरी जांघ को चूमता या चाटता तो मुझे एक गुदगुदी से होती। जब उसने मेरी चूत के बालों को कैची से ट्रिम कर दिया तो उसके बाद उसने क्रीम वाली ट्यूब उठाई और मेरी चूत के आस पास अच्छे से लगा दिया और मेरे बगल में बैठ कर मेरे चूचों को चूसने लगा और मेरे हाथों को उठाकर मेरे बगल को भी चाटता।
उसके लिये मेरा जिस्म मक्खन की तरह था और मेरे जिस्म का कोई ऐसा हिस्सा नहीं था जिसे वो चाट नहीं रहा था। करीब दस मिनट तक ऐसा करने के बाद उसने रूई को गीला किया और जहाँ जहाँ क्रीम लगाई थी, उसको साफ करने लगा। फिर भावेश ने मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया।
अभी तक मेरी चूत जो बालों से घिरी हुई थी अब वो बिल्कुल सफाचट हो गई थी और गुलाबी जैसी पाव रोटी लग रही थी। मेरे हाथ स्वतः ही मेरी चूत पर चले गये… क्या मखमली चूत थी मेरी! तभी भावेश ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरे कंधे को चूमते हुए मेरी एक टांग को उठा कर टेबल पर रख दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए वो मेरी चूत में उंगली करने लगा।
मेरे हाथों की माला ने भावेश को जकड़ लिया और आंख बन्द करके जो वो कर रहा था, उसका आनन्द लेने लगी। कुछ देर में मेरी चूत के अन्दर का पानी बाहर निकलने लगा और भावेश की उंगली गीली होने लगी, उसने अपनी उंगली निकाल कर मेरे मुँह में घुसेड़ दी। खारी नमकीन सी उसकी उंगली मेरे मुंह के अन्दर थी और भावेश के बोल मेरे कान के अन्दर थे,
वो कह रहे थे- लो, अपना पानी चखो! बड़ा स्वादिष्ट है।
मैं उसकी तरफ घूमी और उससे पूछा- तुम्हें कैसे मालूम?
तो बोला- जान, तेरे को स्वाद दिलाने से पहले मैंने इसका स्वाद लिया है और अब मैं इसका पूरा स्वाद लूंगा।
कहकर मुझे उसने थोड़ा नीचे किया, इस प्रकार झुकाया कि मेरी चूत और गांड के छेद उसे साफ-साफ नजर आने लगे। फिर वो बैठ कर मेरी चूत से निकले पानी को चूसने लगा और बीच-बीच में मेरी गांड को भी चाटने लगा। उधर मैं भी शीशे से अपने आप को देख रही थी।
मेरी उठी हुई चूची भावेश के हाथ में कैद थी और जैसा भावेश चाहता वैसा ही मेरी नाजुक चूचियों के साथ करता। कुछ देर ऐसा करने के बाद वो उठा और पीछे से मेरी चूत रूपी गुफा में अपने लंड को प्रवेश कराने लगा। उसका लंड मेरी गुफा के अन्दर जा ही नहीं रहा था।
कई बार कोशिश करने के बाद भी जब नहीं हुआ तो उसने मेरे कूल्हों पर कस कर तीन चार चपत लगाई जिससे मैं बिलबिला गई। मुझे भी कुछ नहीं समझ में आ रहा था तो जाकर बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला कर उसे निमन्त्रण देने लगी।
भावेश को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वो मेरे पास आया और फिर जिस तरह उसने पहली बार मेरी चुदाई की थी, उसी तरह अपने लंड को मेरी चूत में प्रवेश करा दिया। इस बार भी एक दो प्रयास के बाद उसका लंड मेरे अन्दर प्रवेश कर गया.
और इस बार थोड़ा दर्द तो हुआ पर उस जैसा न तो दर्द था और न ही जलन जैसा पहली बार जब भावेश के लंड ने मेरी चूत रूपी गुफा के द्वार को खोला था। लेकिन मजा बहुत आ रहा था। वो बहुत तेज-तेज धक्के लगा रहा था, जैसे शायद वो बहुत गुस्से में हो।
इस बीच में मैं पानी छोड़ चुकी थी पर भावेश अभी भी धक्का लगाये जा रहा था। कुछ ही पल बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और फिर कटे हुए पेड़ की तरह मेरे ऊपर गिर गया। इस समय मैं उसके लावे को अपने अन्दर महसूस कर सकती थी। थोड़ी देर बाद जब उसके शरीर की शिथिलता खत्म हुई तो वो खड़ा हुआ और कम्प्यूटर पर एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें लड़का लड़की को कुतिया बना कर पीछे से चोद रहा था।
फिल्म लगाने के बाद भावेश मेरे पास आया और बोला मैं तुम्हें ऐसे ही चोदना चाहता हूँ। मैंने उसके लंड को पकड़ा और बोली- लो, मैं इस तरह झुक जाती हूं, तुम एक बार फिर कोशिश कर लो।
कहकर मैं भी उस फिल्म की लड़की की तरह झुक गई।
भावेश हंसा और बोला- पगली, पहले मेरा लंड तो चूस कर खड़ा तो कर! जब तक यह खड़ा नहीं होगा तो जायेगा कैसे।
इन दो चुदाई में इतनी तो बात समझ में आ गई थी कि लंड की पूरी ताकत उसके टाईट होने पर है, अगर ढीला है तो फिर वो किसी काम का नहीं। भावेश अपने हाथ में अपने सिकुड़े हुए लंड को लिये था और हंस रहा था।.मैं पलटी और घुटने के बल बैठ कर उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
जैसे ही मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया तो मेरे और उसके मिलन का जो रस था, उसका स्वाद मेरे मुंह में था। मैं उसके लंड को चूस रही थी। तभी भावेश ने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाला और उसके खाल को पीछे करते हुए लंड के टोपे को दिखाते हुए मुझे उस हिस्से पर अपनी जीभ फिराने के लिये बोला।
भावेश जैसे जैसे बोलता गया, मैं उसके टोपे को चाटती गई और भावेश के मुंह से सी-सी की आवाज आती गई। कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो गया। भावेश ने मुझसे कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुकने के लिये बोला। मेरे दिल मैं तो एक ही बात थी कि जो भावेश कहे उसे करते जाओ।
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इसलिये मैं कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुक गई और भावेश मेरी कमर को पकड़ के अपने लंड को मेरी चूत में सेट किया और एक धक्का दिया। इस बार लंड सीधे मेरी चूत के अन्दर था। अब मैं और उस फिल्म की लड़की एक ही पोजिशन में थे और भावेश उसी तरह धक्के मार रहा था जैसे उस फिल्म का लड़का कर रहा था।
जिस-जिस पोजिशन में वो लड़का उस लड़की की चुदाई कर रहा था उसी पोजिशन में भावेश मेरी भी चुदाई करता। उस लड़के ने लड़की को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग को पकड़ कर हवा में उठाकर उसको चोद रहा था तो भावेश ने भी मुझे उसी तरह की पोज में कर दिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी।
उसकी नजर भी स्क्रीन पर थी। फिर चार-पांच धक्के मारने के बाद भावेश ने मुझे डायनिंग टेबल पर बैठाया और अपना लंड मेरी चूत में डालने के बाद मुझे गोदी में उठा कर उछल कूद करने लगा। अब इस समय मैं अपनी तो कुछ नहीं कह सकती पर भावेश को खूब मजा आ रहा था।
कुछ दस पन्द्रह शॉट लगाने के बाद एक बार फिर भावेश ने मुझे उसी तरह लेकर एक कुर्सी पर बैठ गया। दूसरे ही पल लगा कि भावेश एक बार फिर अपनी गर्मी को मेरे अन्दर उतार दिया। ठीक उसी समय उस लड़के ने लड़की को नीचे बैठा कर अपने लंड को उसके मुंह में लगा दिया और कुछ सफेद सा उसके मुंह में डालने लगा जिसको लड़की ने पूरा गटक लिया और फिर मुंह से लड़के का लंड चाट कर उसकी मलाई को साफ कर दिया।
ऐसा देख कर मैंने भावेश से पूछा- तुम अपनी मलाई मेरे अन्दर क्यों डाल देते हो?
वो बोला- मुझे अच्छा लगता है।
तीन चार घंटे बीत चुके थे तो मैंने भावेश को चूम कर बाय किया और अपने घर चली आई। इसके बाद जब भी मौका मिलता तो मैं और भावेश अपनी जिस्म की आग को बुझाते और नई स्टाईल से मजा लेती। और अब तो मुझे भी गाली देने की आदत सी हो गई थी।
एक दिन मुझे उल्टी सी महसूस हुई और उसके बाद लगातार होने लगी और मन खट्टा होने लगा तो मेरी मम्मी मुझे डॉक्टर के यहां ले गई। डॉक्टर ने चेक अप करने के बाद मुझे बताया कि मेरे पेट में बच्चा है, तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई।
डॉक्टर जाकर मेरी मम्मी को बताने वाली थी लेकिन मेरे रिक्वेस्ट करने पर न बताने को बोली और जल्दी ही ऑर्बशन कराने के लिये बोली। मुझे एक लम्बा चौड़ा सा लेक्चर पिला दिया। लेकिन एक बात डॉक्टर ने बताई कि खूब खुल कर मजा लो लेकिन अगर बच्चा नहीं चाहती हो तो कुछ प्रिकॉशन लो और कोशिश करो कि लड़के का पानी तुम्हारे अन्दर न जाये।
मेरे लिये अब चिन्ता की बात यह थी कि इस बात को कैसे छुपाया जाये। तो डॉक्टर से छुटने के बाद मैं सीधा भावेश से मिली और जो जो डॉक्टर ने बताया सब बात भावेश को बता दी। किसी तरह घर से बहाना बना कर ऑबोर्शन कराने पहुँची। इस समय भावेश ने मेरा खूब साथ दिया और जैसे-जैसे डॉक्टर ने कहा उस तरह मेरा ध्यान रखा।
धीरे-धीरे दोनों लोगों का एक-दूसरे के यहां आना जाना शुरू हो चुका था। भावेश मेरे परिवार एक एक-एक सदस्य से मिल चुका था और मैं भावेश के परिवार के एक-एक सदस्य से मिल चुकी थी। हलाँकि भावेश के परिवार में ज्यादा लोग नहीं थे, उसके एक जीजा, जो काफी हैण्डसम थे और पुलिस में थे, उसकी मम्मी थी, पापा थे जो 55 की उम्र में भी काफी हट्टे कट्टे जवान को मात करते थे और दो छोटे भाई थे दोनों ही अब तक बालिग हो चुके थे।
हम दोनों के परिवार को हम दोनों के रिश्ते को मंजूरी भी मिल चुकी थी पर शर्त इतनी थी कि अच्छी सी जॉब मिलने के बाद हम दोनों की शादी कर दी जायेगी। लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि हम दोनों जिस्म की आग को बुझा रहे हैं।
खैर आओ फिर से कहानी पर लौटते हैं। अब वो कहानी यहां से शुरू होती है जब एक-एक करके कई लंड मेरी चूत में जा चले गये। शुरू शुरू में मेरी चूत में जो भी लंड गया, उसमें भावेश भी शामिल था पर बाद में लंड मिलते गये और मैं लेती गई।
इसी क्रम में एक दिन भावेश मेरे पास आया और बटरिंग करने लगा तो मैंने बोल दिया- यार तेरे को जब भी मेरी चूत चाहिये होती है तो मैं तो तैयार ही हूँ ना फिर मेरी बटरिंग करने का क्या फायदा?
‘आज कुछ नया करना है।’
मुझे लगा वो मेरी गांड मारने की बात कर रहा है तो मैं बोली- यार, एक चीज तो सुहागरात के लिये छोड़ दो, नहीं तो सुहागरात में क्या करोगे। कुछ तो कुवांरा रहने दो, मैं सुहागरात में तुमसे अपनी गांड ही मरवाऊँगी, यह वादा है।
तभी वो बोला- यार, मैं तेरी गांड सुहागरात का उदघाटन सुहागरात पर ही करूंगा पर अभी कुछ नया हो।
(कह कर वो चुप हो गया और फिर)
बोला- देख, तू मेरी होने वाली बीवी है, मैं तुझसे कुछ छिपा कर नहीं करना चाहता, जो भी मैं करूँ तेरे साथ ही करूँ।
मैं उसकी बात को काटते हुये बोली- बता, तू क्या चाहता है।
तो उसने एक बार फिर अजीत और मोना की बात बताई कि अजीत तुम्हें चोदना चाहता है और मोना मुझसे चुदवाना चाहती है। खैर इतने दिनों सेक्स का खेल खेलते हुए एक बात तो समझ में आ गई कि भावेश मुझसे बहुत प्यार करता है और सिवाय मेरे वो किसी भी और लड़की को देखता नहीं है, जबकि कई लड़कियाँ उससे चुदने को तैयार हैं। फिर भी पता नहीं अजीत और मोना के लिये ये इतना परेशान क्यों हो रहा था।
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मैंने उससे कहा- क्या तुम मुझे रंडी बनाना चाहते हो?
वो गुस्से से बोला- देख तू मेरी बीवी है और जब मुझे ऐतराज नहीं है तो तू क्यों चिन्ता करती है। क्या तू मेरे लिये इतना नहीं कर सकती?
हम दोनों के बीच काफी बहस हुई लेकिन मैं हार कर उसकी बात मान गई। भावेश ने उस प्लान के लिये वो समय चुना जब कॉलेज का टूर जा रहा था। तो हम दोनों ने अपने-अपने घर में टूर के बारे में जो कि तीन से चार दिन का था, बता दिया और तय समय पर हम लोग घर से निकल गये और दिल्ली की ट्रेन पकड़कर दिल्ली स्टशन पहुँचे।
स्टेशन पर पहले से ही अजीत और मोना हम लोगों का इंतजार कर रहे थे। अजीत की लम्बाई और डील डौल बहुत ही अच्छा था और भावेश से बीस था और उसकी बीवी मोना बहुत ही खूबसूरत… उसके सामने मैं कुछ भी नहीं थी।
उसके दूध जैसा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, आँखो में काजल, होंठों में हल्की गुलाबी लिपस्टिक, माथे के बीचोंबीच एक छोटी सी बिन्दी, बड़ी-बड़ी चूची जो उसके कपड़े से आजाद होने के लिये बेताब थी। टाईट जींस और उँची हील की सैन्डिल में वो जान मारू लग रही थी।
भावेश ही नहीं हर लड़के की नजर उसके उपर थी। खैर सबसे बेपरवाह उन दोनों ने हम दोनों के गले लग कर स्वागत किया और फिर उनकी गाड़ी में बैठ कर उनके घर की तरफ चल दिये। रास्ते में अजीत ने मुझे यामिनी डार्लिंग कहकर सम्बोधित किया और पूछा डर तो नहीं लग रहा है? मैं कुछ नहीं बोली तो उसने गाड़ी एक किनारे लगाई और
मोना से बोला- तुम भावेश के पास बैठो और यामिनी, तुम मेरे पास आओ।
मैंने भावेश की तरफ देखा और उतर कर मैंने और मोना ने अपनी जगह बदल ली। मेरे लिये ये सब अजीब सा था और हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी। तभी निसंकोच रूप से अजीत ने अपना हाथ को मेरी चूत पर रख दिया और सहलाते हुये पूछा- डार्लिंग, अब तक केवल भावेश से ही चुदवाई करवाई है या किसी और से भी?
मैं चुप रही तो अजीत, जिसका हाथ मेरी चूत को ही सहला रहा था, फिर बोला- यामिनी शर्म करने से कुछ नहीं होगा, पीछे देखो मोना ने भावेश के लंड को अपने हाथ में लिया है और चूस रही है, और भावेश मोना की चूत सहला रहा है।
दोनों अपने में मस्त मशगूल थे। मोना के लगभग कपड़े उतर ही चुके थे वो केवल पैन्टी में ही थी और भावेश के लंड पर झुकी हुई थी। मेरी नजर उन दोनों पर जब हटी जब मुझे एहसास हुआ कि मेरा हाथ जीन्स के ऊपर अजीत के लंड पर है।
इतने ही पल में अजीत ने अपने लंड को अपने जींस से बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ को लेजाकर उस पर टिका दिया। करीब आधे घंटे के बाद अजीत का बंगला आ गया। अपनी गाड़ी को पोर्च में खड़ी करके मोना नंगी ही उतर फिर उसने मेरी तरफ का दरवाजा खोला और मुझे लेकर अन्दर चली।
मैं उसे देख रही थी और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, फिर मेरी गांड में चिकोटी काटते हुये बोली- बिन्दास दो दिन सेक्स का मजा लो।
तभी फिर मुझे अपना वो ख्याल याद आया जब मैं सोचती थी कि शादी के बाद सुहागरात में मेरे साथ क्या-क्या होगा। लेकिन मेरी सुहागरात तो शादी से काफी पहले हो चुकी है और अब मुझे भावेश के अलावा दूसरा मर्द चोदेगा। सोचते-सोचते मैं घर के अन्दर प्रवेश कर गई।
थोड़ी ही देर में मोना ही हम सब के लिये चायले आई, मोना अभी भी नंगी ही थी और जब वो झुक कर चाय सर्व कर रही थी तो उसकी लटकी हुई गोल चूचियों पर से भावेश की नजर हट ही नहीं रही थी। हम सब की नजर भावेश पर थी पर ऐसा लग रहा था कि भावेश हम सब से अनजान था।
चाय का कप मैं उठा ही रही थी कि मेरे हाथ को पकड़ते हुए अजीत बोला- देखो यहां पर कोई भी किसी बात का बुरा नहीं मानेगा और अपनी मर्जी की करने के लिये सभी स्वतंत्र होंगे। दूसरे कि हम लोग चाय ऐसे नहीं पियेंगे।
और बताने लगा कि यामिनी चाय सिप करेगी फिर उसका कप मेरे पास आयेगा, मेरा कप मोना के पास जायेगा, मोना का कप भावेश की पास और भावेश का कप यामिनी के पास जायेगा। कहकर हम लोग चाय पीने लगे। थोड़ी देर तक गपशप होती रही। इसी बीच अजीत ने भी अपने सभी कपड़े उतार दिये और अपने हाथ से लंड को मसलते हुये बोला- तुम लोग नहा धो लो।
मुझे थोड़ी उलझन हो रही थी और संकोच से बाहर नहीं आ पा रही थी तो मैं ही उठी, बाथरूम में निपटने पहुँची और बाथरूम का दरवाजा बन्द ही कर रही थी कि अजीत वहां पहुँच गया, बोला- यहां कुछ बन्द में नहीं होता सब कुछ खुले में होता है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कह कर उसने दरवाजे को खोल दिया और वहीं पर कुर्सी लगा कर बैठ गया और मुझे आँख मारते हुये हवाई किस करने लगा। उसी समय भावेश आ गया और अजीत के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला- यार देखो, अब शर्माना छोड़ो और खुल कर मजा लो।
उसी समय मोना ने पीछे से भावेश को पकड़ा और उसके दोनों निप्पल को कस कर मसलने लगी और उसके गालों को किस करने लगी। हाँ, एक बात पर मेरा बहुत ज्यादा ध्यान गया वो ये कि मोना कपड़ो में नहीं थी पर हाई हील सेन्डिल पहनी हुई थी।
तभी भावेश मेरे कंधे के झटकते हुये बोला- क्या सोच रही हो? कह कर मेरी गांड में चपत लगाते हुए बोला- enjoy.
मैं अपनी सोच से बाहर आते हुये अपने कपड़े उतारने लगी कि.
मोना अजीत से बोली- डार्लिंग, जाकर उसके कपड़े उतारने में उसकी मदद करो।
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अजीत उठा और मेरे कुर्ती, सलवार, ब्रा और पैन्टी एक एक करके सभी उतार दी और मेरी चूत की फांकों में उंगली करके मुझे कमोड में बैठा दिया। चूँकि मुझे प्रेशर बहुत ज्यादा मार रहा था तो बैठते ही पर्रर… रररर्र के साथ मैं फ्री होने लगी और इधर पर्रर्रर्र की आवाज सुन कर सभी हँस रहे थे। मेरी नजर उन सभी पर थी। हगने के बाद मैं धोने ही जा रही थी तो अजीत ने मुझसे मग ले लिया और मेरी गांड में हाथ लगा कर उसको धोने लगा। फिर मेरे खड़े होते ही कमोड में झांककर देखते हुए
बोला- यार यामिनी ने बहुत ज्यादा कर लिया।
बाकी दोनों भी आकर देखने लगे और हँसने लगे और एक एक चपत मेरी गांड में लगाते हुए बोले- बहुत ताकत है इसमें।
उसी समय भावेश मोना की तरफ देखते हुये बोला- मोना, हगने के बाद क्या तुम मेरी भी गांड धुलाओगी?
मोना बोली- भावेश, हम दोनों ने जब से शादी की है तो जब मैं अजीत के घर जाती हूँ या अजीत मेरे घर जाता है तभी हम लोग अपनी गांड खुद से साफ करते हैं। नहीं तो आज तक मैं अजीत की गांड साफ करती हूँ और ये मेरी गांड धोता है। इसलिये तुम चिन्ता मत करो केवल हगो… धो मैं दूंगी।
सुनते ही भावेश भी कमोड में बैठ गया और हगने लगा। यह मेरे जीवन के पहला मौका था जब मैं किसी के सामने इस तरह नंगी बैठ कर हगी हूँ और मेरी गांड किसी मर्द ने साफ की है। भावेश भी जब फारिग हो गया तो फिर हम चारों एक साथ नहाये।
मैंने और मोना ने पैन्टी ब्रा पहन ली जबकि भावेश और अजीत नंगे ही थे। मोना ने पैन्टी ब्रा पहनने के बाद फिर हाईहील सेन्डिल पहन ली। मुझसे अब रहा नहीं गया तो मैं मोना से बोली- मोना तो हाई हील सेन्डिल हर समय क्यों पहनती हो?
तो वो बोली- अपने अजीत के लिये।
फिर मुझे समझाते हुए बोली- जब मैं हाई हील सेन्डिल पहन कर चलती हूँ तो मेरी गांड पेन्डुलम की तरह उपर नीचे होती है और अजीत को बहुत मजा आता है।
उसकी बात सुनकर भावेश ने मेरी ओर देखा तो मैं उसके इशारे को समझते हुए मोना की एक हाई हील सेन्डिल पहनकर चलने लगी। अब भावेश और अजीत दोनों को ही मेरा इस तरह चलना बहुत अच्छा लग रहा था। दोनों मोना के अगल-बगल खड़े होकर उसकी चूत में हाथ डाले हुए मेरी ओर देखकर दोनों ही बोले- यार, इसकी गांड भी बड़ी मजेदार लग रही है।
ऊँची हील पहनने के कारण मेरी लंबाई भी भावेश के लम्बाई के बराबर हो गई। मेरी चाल को देखकर दोनों के लंड बिल्कुल तन कर नब्बे डिग्री का कोण बना चुके थे और दोनों ही अपने हाथों को कष्ट दे रहे थे मतलब दोनों ही अपने लंड को हिला रहे थे।
तभी मोना ने मुझे आँख मारी और भावेश के दोनों जांघों को हाथ से पकड़ कर उसके लंड को चूसने लगी। मोना को ऐसा करते देख मैंने भी अपनी पोजिशन पकड़ ली और अजीत के लंड को अपने मुँह में ले लिया। अब मुझे भी चुदम-चुदाई के इस खेल में बहुत कुछ समझ में आ गया था और मैं अजीत के लंड को चूस कर उसको खुश भी करना चाहती थी।
मैं कभी उसके लंड को पूरा अपने मुँह में लेती तो कभी उसके सुपारे की चमड़ी हटा कर उसके अग्र भाग को अपनी जीभ की टो से टच करती और अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाती और जो गीलापन मेरी चूत से निकलता उस गीलेपन से अजीत के लंड को मालिश करती और फिर उसके लंड को चूसती।
भावेश और अजीत के मुँह से सीसीसी की आवाजसे पूरा कमरा गूंज रहा था। मोना के कहने पर हम दोनों अदल-बदल कर लंड चूस रही थी। इस तरह करते-करते करीब दस मिनट बीत चुके थे। तभी अजीत ने मुझे खड़ा किया और मुझे घुमाते हुए नीचे की तरफ झुका दिया और पेन्टी एक किनारे करके अपने प्यासे लंड से मेरी चूत को रगड़ने लगा.
फिर बिना एक पल गवांए मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया। अजीत की देखा देखी भावेश ने भी मोना की चूत में लंड डाल दिया और धक्के पे धक्का देना शुरू कर दिया। उस पोजिशन में झुके होने से मेरे पैरों और कमर में दर्द बहुत हो रहा था पर मजा भी खूब आ रहा था। दोनों ही बारी-बारी से हम दोनों की चूत में लंड पेलते और चोदते जाते।
अजीत बड़बड़ाते हुए कह रहा था- इसको कहते है बुर का भोसड़ा बनाना। आ मेरी कुतिया… क्या मजा आ रहा तेरी चूत चोदने का!
उधर भावेश के मुंह से केवल आह-ओह ही निकल रहा था। अब जब अजीत का माल निकलने वाला था तो उसने मुझे घुटने के बल नीचे बैठा दिया और मेरे जबड़े को कस कर पकड़ कर मेरे खुले मुँह में लंड लाकर अपने माल को डालने लगा और जब तक उसके माल की एक एक बूँद में गटक नहीं गई तब तक उस हरामी ने मेरे मुँह को छोड़ा नहीं।
उधर बड़े प्यार से मोना भावेश के माल को पी गई। फिर अजीत अपने मुरझाये लंड को मोना के पास और भावेश मेरे पास आ गया और मुँह में डालते हुए बोला- रंडियो, चलो बचा खुचा माल भी साफ करो। मैं भावेश के लंड को साफ कर ही रही थी कि अजीत मेरे पास आया और झुक गया और अपनी गांड को खोलते हुये चाटने के लिये बोला।
अब चूंकि मैं इस खेल में आ चुकी थी इसलिये नखरे मारने का कोई सवाल ही नहीं था सो मेरी जीभ स्वतः ही उसके गांड के छेद की ओर बढ़ गई और उसकी गांड को चाट चाट कर गीला कर दिया। कुछ देर बाद अजीत खड़ा हो गया और मुझे अपने से चिपकाते हुए बोला- मोना, मुझे उम्मीद नहीं थी कि यामिनी इतनी जल्दी एडजस्ट कर लेगी।
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बात करते हुए अजीत मेरी गांड में उंगली डालता और फिर निकाल कर कभी उसको सूंघता तो कभी उसको चाटता। फिलहाल झाँसी पहुँचने के बाद चुदाई का कार्यक्रम शुरू हो चुका था। अजीत से इस तरह चुदने से पहले मैं जब कभी भी भावेश से चुदी थी वो मुझे पूरी नंगी करके ही चोदता था जबकि अजीत ने न तो मेरी पेन्टी उतारी और न ही ब्रा।
वो मेरे चूची को भी ब्रा के उपर से ही मसलता था जो कि मेरे लिये एक नया अनुभव था। अब मुझे भूख लग रही थी, मैंने मोना को अपनी भूख के बारे में बताया तो सभी हँसने लगे। उसके बाद मैं और मोना रसोई में गये और खाना बनाने लगे।
खाना खाने के बाद अजीत ने सभी को मॉल चलने के लिये कहा। सभी लोग तैयार होने लगे। हम लोगों के बीच अब कोई परदा तो था नहीं… मैं भी सबके सामने कपड़े पहनने लगी। और जैसे ही मैंने अपनी जींस को पहनना शुरू किया कि.
अजीत बोला- सभी लोग केवल दो ही कपड़े पहनेंगे उससे एक भी ज्यादा नहीं।
उसकी बात सुनकर मैंने मोना की तरफ देखा तो वो मुझे आँख मारते हुए अपनी ब्रा और पैन्टी को उतार कर खड़ी हो गई और अजीत से चिपकते हुए बोली- जानू, तुम बताओ मैं क्या पहनूँ?
अजीत उसके होंठों को कस कर चूसने लगा और कोई दो मिनट बाद अलग करते हुए बोला- जान तुम और यामिनी दोनों ही शार्ट स्कर्ट और टॉप पहन कर चलो। मेरे पास तो थी नहीं, तो मोना ने मुझे अपना एक सेट निकाल कर दिया और मैं उसे पहन कर तैयार हो गई। भावेश और अजीत ने बरमुडा और टी-शर्ट पहन ली। हम सभी चल पड़े। मैं भी किसी रंडी से कम नजर नहीं आ रही थी।
मॉल पहुँच कर हम सभी घूम रहे थे कि अजीत भावेश का हाथ पकड़ कर मोना से बोला कि तुम दोनों इधर ही रहो हम दोनों अभी आ रहे हैं। इतना कहकर पता नहीं दोनों कहाँ गायब हो गये। उन दोनों को गये पाँच सात ही मिनट बीता होगा कि मोना मुझसे बोली- यार, मुझे पेशाब आ रही है, मैं मूत कर आती हूँ तुम यहीं रहना!
कह कर वो भी एक कार्नर में जाकर गायब हो गई। मैं बिल्कुल अकेली खड़ी थी कि तभी मेरी गांड में किसी ने उंगली कर दी। मैंने पलट कर देखा तो एक लम्बा चौड़ा आदमी खड़ा था। जैसे ही मैं मुड़ी तो मुझे आँखे मारते हुए बोला- एक रात का कितना लेती हो? बहुत मस्त माल हो तुम! तुम अपना रेट बताओ मैं तुम्हारी चूत और गांड का मजा लेना चाहता हूं।
कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक किनारे जहां भीड़ कम थी, ले जाने की कोशिश करने लगा और मैं लगभग घसीटती सी चली जा रही थी। मौका पाकर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरी चूचियों को कस-कस कर मसलने लगा।
मेरी सांस अन्दर बाहर न तो मैं चीख पा रही थी और न ही उससे अपने आपको छुड़ा पा रही थी। लगा कि भरे बाजार मेरी इज्जत जाने वाली थी। तभी अजीत, भावेश और मोना तीनों ही वहां पहुंच गये और मेरे साथ कुछ हो इससे पहले उन लोगों ने मुझे बचा लिया।
मैं शर्मिन्दगी के कारण किसी से नजर मिला नहीं पा रही थी, मेरे पैर भी बुरी तरह से कांप रहे थे। सभी वहां से निकल कर घर पर आ गये। घर पहुँचते ही मेरा गुस्सा भावेश पर फूट पड़ा, मैं भावेश पर चिल्ला पड़ी और बोली- बस, अब वापस चलो… रंडी ही बना कर छोड़ना! मेरा जिस्म, चूत, गांड सब केवल तुम्हारे लिये ही थी लेकिन तुमने अजीत से भी चुदवा दिया और अब मन न भरा हो तो मुझे यहीं नंगी कर दो और आने जाने वालों से मुझको चुदवा दो।
तभी मोना ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे शांत करने लगी। धीरे-धीरे मेरा गुस्सा शांत हुआ।
तब मोना बोली- देखो यामिनी, केवल तुम ही नहीं हो जो अजीत से चुद रही हो… मैं भी तो भावेश से चुद रही हूँ। और निकल इन दकियानूसी बातों से… जब हमारे पति को कोई ऐतराज नहीं तो फिर किसी के ऐतराज से हमें चिन्ता नहीं होनी चाहिए।
अजीत के साथ जब भी मैं बाहर कही जाती हूँ तो अजीत मेरी गांड को जानबूझ कर सहलाता है, ताकि लोगों की नजर मुझ पर पड़े। कई बार अजीत की इस हरकत के वजह से मेरी गांड में भी लोगों ने उंगली कर दी। शुरू-शुरू में मुझे बहुत गुस्सा आया और हमारे बीच में तलाक तक की नौबत आ चुकी थी।
लेकिन अजीत ने बताया कि उसे वाईल्ड सेक्स बहुत पसंद है और इस तरह के सेक्स के साथ वो जीवन जीना चाहता है। उसका कहना है कि जब एक आदमी कई औरतों को चोद सकता है और उसका लंड घिसता नहीं तो अगर एक औरत भी अपनी इच्छानुसार मर्द से चुदे तो कौन सी उसकी चूत और गांड में अन्तर हो जायेगा।
जब मुझे उसकी बात समझ में आई तो हमारी दुनिया ही बदल गई। और यह नहीं है कि अजीत ही जिसको सेलेक्ट करे उसी से मैं चुदूँ। इसलिये हम लोग नेट यूज करने लगे। और जो कपल में हम दोनों की रजामन्दी होती है उसी के साथ हम अपने रिश्तों को बढ़ाते हैं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कई बार ऐसा होता है कि मुझे कोई मर्द पसंद आया पर उसकी औरत अजीत को नहीं पसंद है तो भी अजीत उस औरत के साथ मेरे लिये रिलेशन बनाता है और इसी तरह मैं भी अजीत का ध्यान रखती हूँ। हम दोनों हसबैंड-वाईफ दिनभर जॉब करते हैं और रात को मजा लेते है।
तभी भावेश बोला- हम दोनों में कौन ज्यादा पसंद था?
अजीत ने उत्तर दिया- तुम दोनों ही पसंद थे क्योंकि दोनों ही कुंवारे थे और तुम दोनों को ही चुदाई का खेल नहीं आता था।
तभी मैं बीच में बोल पड़ी- जब मैं यहाँ आई तो एक अच्छी खासी चुदी हुई लड़की हूँ।
तभी अजीत मेरे पास आया और मेरे पीछे घुटने के बल बैठते हुए और मेरी गांड को सहलाते हुए बोला- हाँ, अब तुम चुदी हुई जरूर हो लेकिन पहली बार जब हम लोग वेब कैम पर थे तो तुम दोनों ही कुंवारे थे और तुम लोगों को कुछ नहीं मालूम था और अब से पहले जितनी बार तुम चुदी होगी वो केवल भावेश से ही चुदी होगी।
इतना कहकर अजीत मेरी गांड की फांकों को फैलाते हुए छेद में अपनी जीभ घुसेड़ दी। आज से पहले भावेश मुझे चोदते समय मेरी गांड में उंगली करता था और मैं उसे झिड़क देती थी क्योंकि मुझे ये सब पसंद नहीं था, लेकिन आज अजीत के इस तरह से मेरी गांड चाटने का मुझे एक अलग सा आनन्द मिल रहा था।
तभी अजीत ने इशारा करते हुए भावेश को पास बुलाया और मेरी चूत को सहलाते हुए उसे चाटने के लिये बोला। अब भावेश भी मेरे सामने घुटने के बल बैठ गया, मेरी चूत में उसने अपनी जीभ लगा दी और बीच बीच में वो अपने हाथोंका प्रयोग करता … पर मोना ने भावेश के हाथ को पीछे बांध दिया।
अब भावेश बिल्कुल एक कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहा था। मोना अपने होंठों पर उंगली रखकर दो मिनट कुछ सोचती रही और फिर एकाएक मेरी चूचियों को कस कस कर मसल रही थी। वो मेरी चूची को कसकर मसलती अपने दाँतों से मेरे निप्पल को काटती और फिर मुँह में रख कर उसको पीती।
कसम से मुझे पहली बार वो एहसास हो रहा था जिसका मैं बखान नहीं कर सकती। गांड में सुरसुराहट, चूत में सुरसुराहट… मतलब मेरे पूरे जिस्म में एक खलबली सी मची हुई थी। काफी देर तक सभी एक पोजिशन में थे और मैं करीब तीन बार पानी छोड़ चुकी थी और हर बार तीनों लोग मेरा पानी पी लेते।
मोना भी काफी उत्तेजित थी, वो भी पानी छोड़ रही थी और अपने हाथ से अपनी चूत का पानी लेती और मेरे मुंह के पास लाती और उसके पानी को मुझे चाटना पड़ता। अजीत का घर अब किसी रंडी खाने से कम नहीं था उस समय। भावेश की तो हालत और भी खराब थी।
अजीत फिर भी मेरी गांड चाटते हुए अपने हाथ से अपने लंड को भी सम्भाल रहा था पर भावेश का हाथ बंधा था और उसका शरीर अकड़ रहा था। उसकी हालत और पतली होती जा रही थी तो मैंने मोना से उसके हाथ को खोलने के लिये कहा।
जैसे ही मोना ने उसका हाथ खोला तो भावेश का हाथ सीधा उसके लंड पर गया और वो कस-कस कर मुठ मारने लगा और दो मिनट बाद दोनों ही खलास हो गये और फिर सभी मुझसे अलग हो गये। दोनों मर्दों का माल नीचे जमीन पर गिरा पड़ा था और लंड सिकुड़ चुका था।
तब मैं अजीत के सिकुड़े लंड को साफ करने लगी और उधर मोना भावेश के लंड को साफ करने लगी। उसके बाद मोना घुटने के बल रेंग कर उस जगह पहुँची जहां पर भावेश का माल गिरा पड़ा था और मुझे भी इशारे से उसी तरह आने के लिये कहा जैसा मोना ने किया था।
फिर हम दोनों ने ही जमीन पर गिरे माल को कुतिया की तरह चाट कर साफ किया। उसके बाद हम दोनों ही मतलब मैं और मोना अपने-अपने प्रेमी मतलब कि मैं भावेश से चिपक गई और मोना अजीत से चिपक गई और एक बार फिर चूमा-चाटी का दौर शुरू हो चुका था।
करीब आधे घंटे तक अदल-बदल कर चूमा चाटी चलती रही। दोनों के लंड टाईट हो चुके थे और हम दोनों की चूतो में खुजली हो चुकी थी जिसको अब केवल लंड से ही मिटाया जा सकता था। खैर दोनों बारी-बारी से हम दोनों को चोद रहे थे और दोनों अपनी ताकत का अहसास करा रहे थे कि दोनों में से पहले कौन फिनिश होता है।
उन दोनों के इस खेल से हम दोनों की चूत का बाजा बज चुका था। अच्छी खासी चूत चुदाई चल रही थी कि अचानक अजीत की जब बारी मुझे चोदने के लिये आई तो उसने मुझे एक बार फिर कुतिया की पोजिशन में आने के लिये कहा। चूँकि सुबह से ही मैं एक दो बार इस पोजिशन में आकर भावेश और अजीत के लंड को अपनी चूत में ले चुकी थी इसलिये बिना हिचके मैं कुतिया बन गई।
मेरे कुतिया बनते ही अजीत मेरी गांड को अपने लंड से रगड़ने लगा और मेरी गांड के अन्दर अपने लंड को डालने की कोशिश करने लगा। मैं चिहुंकी और तुरन्त खड़ी हो गई और अजीत से गांड न मारने की बात बोली तो अजीत ने कहा- यार जब छेद बना है तो लंड डलवा लो। मेरे मना करने के बाद भी वो मेरी गांड मारने के लिये जिद करने लगा।
अजीत जिद तो कर ही रहा था भावेश भी उसको बढ़ावा दे रहा था। हो सकता हो उसे मेरा वादा न याद रहा हो, इसलिये वो अजीत के हाँ में हाँ मिला रहा था। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ क्योंकि मैं चाहती थी कि भावेश ही मेरी गांड का उदघाटन करे और मैं ये सीधे सीधे बोल नहीं सकती थी… तो न चाहते हुए भी अजीत मेरी गांड मार लेता।
तभी मेरे मुँह से निकला- अजीत डार्लिंग, मैं चाहती थी कि मेरी चूत की सील शादी के बाद टूटे, पर भावेश के प्यार के करण वो समय से पहले टूट गई। लेकिन मैं चाहती हूँ कि जब मेरी और भावेश की शादी हो तो सुहागरात में मैं कम से कम मेरी गांड के कोरेपन का तोहफ़ा भावेश को दूँ। नहीं तो सुहागरात का कोई आनन्द नहीं रह जायेगा।
मेरी बात से मोना सहमत हो गई और उसने अजीत को मेरे लिये मना लिया लेकिन अजीत ने हम दोनों को पूरे कपड़े पहनने के लिये कहा। हम सभी लोग अजीत से पूछते रहे क्या हुआ, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया और जिद पर अड़ गया कि मुझे और मोना को पूरे कपड़े पहनने ही है। हार कर हमने अपने कपड़े पहन लिए।
ब्रा पैन्टी तो पहननी ही थी उसके ऊपर एक शार्ट स्कर्ट और टॉप पहनना था। खैर हम दोनों कपड़े पहन कर तैयार हुई। फिर उसने एक इंग्लिश म्यूजिकल सांग लगा दिया और हम दोनों से बोला कि यह म्यूजिकल गाना पन्द्रह मिनट का है और इस गाने पर हम दोनों को डांस करना है, डांस करते-करते अपने एक-एक कपड़े उतारने हैं और उसे (अजीत) और भावेश को उत्तेजित करना है।
मोना तुरन्त तैयार हो गई पर मुझे पता नहीं था कि कैसे करना है। मैंने इशारो ही इशारों में मोना से पूछा तो मोना बोली कि जैसे वो करे उस देख कर वो करती रहे। भावेश और अजीत सोफे पर बैठ गये। मोना मुझसे चिपक कर अपने एक हाथ को मेरे कमर पर रख कर अपनी कमर को मटकाने लगी।
अब उसके हाथ धीरे-धीरे मेरे पिछवाड़े चलने लगे और मैं भी समझने के बाद मोना के पिछवाड़े को सहलाने लगी। कभी मेरा पिछवाड़ा उन दो मर्दों के सामने होता तो कभी मोना का। मोना के अगले स्टेप में वो मेरी स्कर्ट को ऊपर करती और मेरी पैन्टी को हल्का सा नीचे करके मेरे चूतड़ को सहलाती और फिर पैन्टी ऊपर कर देती।
जिस तरह से वो करती, उसी तरह मैं भी करती। (दोस्तो, मैं केवल मोना के स्टेप को बता रही हूँ और आप सभी मेरे चाहने वाले यह समझ लेना कि जो स्टेप मोना ने मेरे साथ किया था उसी स्टेप को मैंने दोहराया है।)
फिर मोना ने मेरे टॉप को ऊपर करके ब्रा का हुक खोल दी और फिर मेरी टॉप भी उतार दी। अब हम दोनों कमर के ऊपरी हिस्से में नंगे हो चुके थे। मेरी और मोना की चूची आपस में चिपकी हुई थी और मोना मेरे होंठों का रसास्वादन कर रही थी कि अचानक मोना ने मुझे घुमा दिया।
अभी तक मेरा पिछवाड़ा दोनों के सामने था, लेकिन अब मेरी उछलती हुई चूचियाँ उन दोनों के सामने थी। मोना ने मेरे दोनों हाथ को ऊपर हवा में उठा कर अपने कंधे में रख लिए और मेरी चूचियों से खेलने लगी। वो बीच-बीच में मेरे कानों को काटती तो कभी मेरे कंधे को चूमती, मेरी घुमटियों को मसलती।
फिर झटके से मोना ने मेरी स्कर्ट को भी उतार दिया। अब हम दोनों ही केवल पैन्टी में थी और एक दूसरी से चिपकी हुई थी और एक दूसरे के चूतड़ को सहला रही थी। ऐसा करते करते कब हम दोनों के जिस्म से पैन्टी भी उतर गई पता नहीं चला। फिर हम दोनों इस तरह से झुक गई कि उन दोनों को हमारे गांड और चूत एक साथ दिखाई पड़े।
हम बैले डांस की तरह अपने चूतड़ हिला ही रही थी कि अचानक अजीत ने म्यूजिक को पॉज कर दिया और दो दुपट्टे को हम दोनों की तरफ उछालते हुए सलमान स्टाईल में डांस करने के लिये बोला। हमने दुपट्टा उठाया और अपनी टांगों के बीच फंसा कर अपनी चूत को उस दुपट्टे से रगड़ने लगी।
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इधर हम लोग दुपट्टे से अपनी चूत रगड़ रहे थे उधर भावेश और अजीत अपने-अपने लंडों को मसल रहे थे। हम चारों लोग अगले दो दिनों तक अजीत के घर पर इसी मस्ती के साथ लंड चूत का खेल खेलते रहे और चुदाई के नये-नये तरीके सीखते रहे। कुल मिला कर यह ट्रिप बहुत ही अच्छा था। हम लोग भी इस खेल में माहिर हो चुके थे। जब हम लोग दिल्ली से लौट रहे थे तो रास्ते में लोगों की नजर बचा कर कभी मैं भावेश के लंड को दबा देती और कभी भावेश मेरी चूची को दबा देता या फिर मेरी चूत के साथ छेड़खानी कर देता।
पब्लिकली ऐसा करने में भी एक आनन्द सा मिल रहा था। मेरे साथ कहानी की शुरूआत हो चुकी थी और भावेश के अलावा पहला गैर मर्द अजीत था जिसने मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दी। और उस दिन से एक बात समझ में आई कि हम औरतों के पास ऊपर वाले की दी वो नियामत है जिसके बल पर वो जिन्दगी के मजे भी लूट सकती हैं और चाहे मर्द कैसा भी हो, उसे अपना गुलाम बना सकती हैं। मेरी इसी उधेड़बुन में मेरा अपना शहर कब आ गया मुझे पता ही नहीं चला। हम लोग वापस अपने घर आ गये।
Hot says
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