Nayi Dulhan Chut Kahani
मेरा नाम प्रतिभा तिवारी है और मैं एक मिड्ल क्लास घर की बहू हूँ. मेरी शादी, 3 महीने पहले अभिषेक से हुई थी. अभिषेक एक व्यापारी है और उनका छोटा कारोबार है. घर में सास के अलावा, मेरी ननद शिल्पी रहती है जो अब कॉलेज ख़तम करके एक छोटी सी फर्म में नौकरी कर रही है.. Nayi Dulhan Chut Kahani
मेरी सासू मां बहुत ही धार्मिक किस्म की औरत है जो ज़्यादातर वक़्त पूजा-पाठ में गुज़ार देती है. सासू मां, सिर्फ़ 37 साल की है क्यूंकी उनकी शादी 15 वर्ष की आयु में हुई थी और जब अभिषेक पैदा हुआ तब वो सिर्फ़ 18 साल की थी. अभिषेक 21 साल के है और मैं 19 की. उनकी छोटी बहन शिल्पी भी मेरे उम्र की ही है.
अभिषेक की शादी के बाद, अब शिल्पी की शादी के चर्चे जोरों पर है. क्यूंकी मां जी बहुत धार्मिक है, उनके मुंह से हमेशा उनके गुरु जी के बारे में सुना करती थी. गुरु जी का नाम आरके महाराज है जो इन दिनों उतर भारत की यात्रा पर गये हुए थे.
जब मैं नयी दुल्हन बन कर इस घर में आई थी तब से मां जी और शिल्पी को गुरु जी के आश्रम जाते हुए देखा करती थी. मां जी ने मुझे सिर्फ़ इतना कहा था की गुरु जी की वजह से उनके परिवार में सुख-शांति बनी हुई है.
मैं मां जी की तरह घंटों पूजा घर में बैठ कर पूजा नहीं करती थी लेकिन फिर भी मैं धार्मिक थी. हमेशा से मेरे मां-बाबूजी ने मुझे धर्म के प्रति आस्था बनाए रखने की सलाह दी थी. मैं भी रोज़ मां जी के साथ पूजा घर में बैठ कर उनके लिए पूजा की सामग्री तैयार करके देती.
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परिवार में सब कुछ एकदम ठीक चल रहा था. मैंने अपने परिवार में हमेशा झगड़ा और नफ़रत देखी थी. मेरे बाबूजी के रिश्तेदार, हमेशा जायदाद के नाम पर एक दूसरे पर कीचड़ उछालते रहते थे पर यहाँ आकर मैं जैसे सब परेशानियों से मानो दूर आ गई थी. मेरे मा-बाबूजी शादी के बाद मेरी खुशी देख कर बहुत खुश थे.
अभिषेक मुझसे बहुत प्यार करते है. व्यापारी होने के कारण, वो हफ्ते में 2-3 बार देर से घर लौटते थे लेकिन फिर भी मैं उनका इंतेज़ार करती थी और हम दोनों साथ बैठकर खाना खाते. आज रात को भी मैं अभिषेक का इंतेज़ार कर रही थी और अभिषेक को घर आते आते, रात का 1 बज गया. थके हारे घर पर लौटने के बाद, फ्रेश होकर वो खाना खाने बैठे. मैं भी उनके सामने बैठ गई.
पहला नीवाला खाने के बाद, दूसरा नीवाला मेरे मुंह के पास लाकर बोले – चलो खा लो जानेमन? मैंने अपना मुंह खोला और उनकी उंगलियों को मुंह में लेकर नीवाला मुंह में लिया और जैसे ही उन्होंने अपनी उंगलियाँ पीछे खींची, मैंने उनकी कलाई पकड़ ली और उनकी उंगलियों को हल्के से चूस लिया.
नीवाला खाते हुए, मैं हल्के से हंस पड़ी. आँखों-आँखों में मानो, वो मुझसे कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे. उनकी नज़रें, मेरे पूरे जिस्म का जायज़ा ले रही थी. खाना खा कर अभिषेक अख़बार लेकर बेडरूम में चले गये और में रसोई के काम ख़तम करने लगी. रसोई के काम निपटाकर मैं बेडरूम में आई.
अभिषेक जैसे अख़बार में डूबे हुए थे. मैं बिस्तर पर उनके पास बैठ गई और मैंने अख़बार खींचते हुए उनसे थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा – आप इतनी देर से मत आया करो जी… मुझे आपके साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता है और आप है की हमेशा देर से आते हो… घर से बाहर निकलने के बाद आपको याद भी रहता है की आपकी बीवी घर पर इंतेज़ार कर रही होगी?
अभिषेक मुस्कुराते हुए बोले – जानेमन, ये सब हमारे भविष्य के लिए ही तो कर रहा हूँ ना… हमारा परिवार बढ़ेगा तो हमें आगे के लिए भी तो सोचना चाहिए, है ना? – और मुझे समझाते हुए उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने सीने से लगाते हुए कहा – कस कर पाकड़ो ना जान !!
अभिषेक की बाहों में, मुझे जैसे जन्नत नसीब होने के एहसास मिलता. अभिषेक के होंठ मेरे गले को छू रहे थे. उन्होंने मेरी गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए कहा – इतनी शिकायत करोगी तो कल से बिस्तर से नहीं उतुंगा और ना ही तुम्हें उठने दूँगा… उनकी ये प्यार भरी बातें सुन कर मैं उनकी बाहों में जैसे पिघल सी गई थी.
अभिषेक ने मेरे गालों को चूमा और फिर मेरे होंठों पर अपना मुंह रखा और मेरे होंठों को चूमने लगे. मैं भी उनके होंठों को चूमने लगी.. – उम्म्म म्म्म्म म म म मम म्म्म्म म मम… फिर अभिषेक ने मेरा पल्लू हटाया और मेरी चोली के बटन्स खोल कर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया.
मेरी साड़ी और पेटिकोट उतार कर मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाना शुरू किया. आ आ अह ह स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स स्स अभिषेकक्क्कक्क्क सस्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्सस्स ओह… अभिषेक के मेरी पैंटी निकाली और मेरी बुर पर कस कर अपनी उंगलियाँ रगड़ने लगे.
ओह, अभिशेक्क्कक्क्क आ आ आ अहह क्या कर रहे हूऊ ऊ ऊ ऊ ऊ स स्स्स्स्स् स्स्स स्स… – मैं सिसकारियाँ ले रही थी और अभिषेक मेरी बुर को रगड़ रहे थे. फिर अभिषेक ने अपनी शॉर्ट्स उतारी और अपने लंड का सुपाड़े को मेरी बुर पर रगड़ना शुरू किया.
ओह म्म्म्म म म म म कितना गर्म है तुम्हारे ये अभिषेक…
अंदर डालूं ना जानेमन… – अभिषेक ने पूछा..
मैंने मुस्कुराते हुए, उनकी कमर पर हाथ रखते हुए कहा – एकदम गहराई तक डालो, जानू… मेरी ये सिर्फ़ तुम्हारी है… सिर्फ़ तुम्हारी…और अभिषेक ने मेरे पैर फैलाते हुए, अपना वो एक झटके के साथ मेरी बुर के अंदर डाल दिया. उूउ उइईई माआ आ आअ उू उउफ फ फ फ फफ फफ्फ़ स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स स्स ओह…
अभिषेक, मेरे ऊपर झुक गये और अपनी कमर ऊपर नीचे हिलाते हुए मेरी बुर मारने लगे. उनका वो मेरी बुर के अंदर बाहर होने लगा और में सिसकारियाँ लेती रही – स स्स्स्स्स् स्स स्स ओह आ आह ह अभिषेक सस्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स स्स म्म्म्म म म म मम… 2-3 मिनिट बाद, अभिषेक ने अपना वो मेरी बुर से निकाला और अपना सारा मुठ मेरे पेट पर उंड़ेल दिया. मैं बाथरूम गई और अपने आपको सॉफ करके उनके बगल में आ कर बैठ गई.
अभिषेक, मेरे तरफ देख कर बोले – मां जी ने बताया होगा ना की गुरु जी वापस आ गये है?
मैंने हाँ में सिर हिलाया. देखो शायद, गुरु जी कल दोपहर को घर आ रहे है… इससे पहले की व अपनी बात ख़तम करते मैंने उनके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा – जी, मैं जानती हूँ की गुरु जी कल घर आ रहे है और उनकी खूब सेवा करनी है… मां जी ने सब बताया था, शाम को… आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए… आपकी जोरू आपको शिकायत का मौका नहीं देगी…
मां जी ने आज मुझे गुरु जी के बारे सब कुछ बताया… ये भी की कैसे 10 साल पहले आपकी जान ख़तरे में थी तब गुरु जी ने ही आपकी रक्षा की थी… यहाँ आने के बाद मैंने गुरु जी के बारे में जितना सुना है, उससे मेरी उत्सुकता और बढ़ गई है… इतनी महान हस्ती से मिलने का मौका रोज़ रोज़ थोड़ी मिलता है !!
बात करते करते, मैंने अभिषेक के सीने पर सिर रखा.. मां जी ने तो ये भी बताया की कैसे आपने ये कारोबार गुरु जी के कहने पर सिर्फ़ 5,000 की लागत से शुरू किया और आज इससे इस मुकाम तक पहुँचाया है की आपने ये घर भी खुद के दम पर खरीदा… अपनी बीवी की ऐसे समझदार बातें सुन कर, अभिषेक को अच्छा लगा..
अगले दिन दोपहर को बताए अनुसार गुरु जी घर आए. उनके आते ही, घर में मानो रौनक सी आ गई. सारे घर पर चहल-पहल थी. आस पड़ोस की औरतें भी उनके दर्शन करने आई थी. गुरु जी ने जल-पान करके सबको एक एक करके आशीर्वाद दिया और जब सारे लोग लौट गये तो मां जी, दीदी, शिल्पी और मैंने गुरु जी के चरण स्पर्श किए.
मैं गुरु जी को पहली बार देख रही थी. उनके चेहरे पर मानो एक अलग सा तेज था. मां जी ने मुझे एक बार बताया था की गुरु जी की उम्र लगभग 46-48 की है लेकिन उन्हें देख कर लग रहा था मानो वो मुश्किल से 25-30 वर्ष के है.
मां जी ने पहले सारी आस-पड़ोस की औरतों को गुरु जी के दर्शन करने दिए और तब तक, मैं सोलह शृंगार करती रही. मेरे बाहर आने के बाद मां जी ने मुझे गुरु जी से मेरा परिचय कराया और साथ में मुझे इशारे करते हुए उनके पैर छूने को कहा. मैंने मां जी के कहे अनुसार गुरु जी के पैर छुए.
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गुरु जी ने अपना हाथ मेरे सिर पर थपथपाते हुए मुझे आशीर्वाद देते हुए कहा – सदा सुहागन रहो, बहू…
फिर गुरु जी ने मां जी की तरफ देखते हुए कहा – बहू तो बहुत सुंदर है मां जी और संस्कार बड़े अच्छे है… (गुरु जी के मुंह से अपनी तारीफ़ सुन कर, में हल्के से मुस्कुरा उठी.)
मां जी- आप के कहे अनुसार ही हमारे गाँव का सरपंच के बेटी से ब्याह कराया है, अभिषेक का… सच कहूँ तो अगर आपने बहू की सिफारिश नहीं की होती तो ऐसी बहू पाने का सौभाग्य नहीं मिलता, गुरु जी…
आस-पड़ोस की औरतें अब जा चुकी थी. शिल्पी भी तैयार हो रही थी लेकिन उससे इतनी देर होते देख मां जी ने मुझे उसके कमरे में भेजा.. मैं उसके कमरे की तरफ चलने लगी और मां जी गुरु जी से आश्रम के बारे में बातें करने लगी.. शिल्पी के कमरे में पहुँचते ही, शिल्पी ने दरवाज़ा खोल कर मुझे गले लगाते हुए पूछा – भाभी, आपको हमारे गुरु जी कैसे लगे?
मैंने उस सवाल को टालते हुए उससे पूछा – क्या सचमुच गुरु जी 47-48 साल के है? उन्हें देखकर लगता है की उनकी उम्र 30-32 से ज़्यादा नहीं होगी…
शिल्पी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – भाभी जान, आप भी ना? मां तो लगभग 17-18 वर्षों से गुरु जी की भक्त रही है… वैसे तो मां गुरु जी से उम्र में छोटी है लेकिन गुरु जी फिर भी मां को आदर से मां जी कहते है… आपने तो सुना ही होगा ना, उन्हें बातें करते हुए?
हम दोनों बातों में मसरूफ़ थी.
उतने में मां जी की आवाज़ आई – बहू और शिल्पी? दोनों ऊपर क्या कर रही हो इतनी देर? जल्दी नीचे आओ दोनों…
हम दोनों कहे अनुसार नीचे आई और शिल्पी ने भी गुरु जी के पैर छुए. गुरु जी ने उससे भी आशीर्वाद दिया और चलने की इजाज़त माँगी. गुरु जी ने जब जाने की बात की तो मां जी ने गुरु जी से 2 मिनिट रुकने को कहा.. मां जी ने गुरु जी से कहा की उन्हें कुछ बात करनी है…
गुरु जी ने मां जी की तरफ मुड़ कर कहा – कहिए क्या बात है मां जी? निसंकोच होकर कहिए..
मां जी के चेहरे पर हल्की सी शिकन थी. बात करते हुए वो थोड़ा सा हड़बड़ा रही थी.
गुरु जी – वो… वो… वो… (गुरु जी ने फिर से उन्हें आश्वस्त किया.)
गुरु जी आपके कहे अनुसार मैंने तीर्थ यात्रा पर जाने का प्रबंध किया है… मैं कल रात 8 बजे की ट्रेन से जा रही हूँ… शिल्पी भी कल सुबह अपने ऑफीस के काम से मुंबई जा रही है, कुछ दिनों के लिए… लगा था की अभिषेक और बहू को अकेले में वक़्त बिताने का मौका मिलेगा…
लेकिन अभिषेक ने आज सुबह बताया की उससे भी शायद कुछ दिन देल्ही जाना पड़ेगा… हम तीनो शायद 2 हफ्तों तक घर पर नहीं है… बहू की चिंता हो रही है, गुरु जी… ये गाँव के माहौल में पली बढ़ी है तो शहर में अकेले रखना उचित नहीं होगा…
मैंने आश्रम में सुषमा दीदी से बात की थी और उन्होंने कहा की रात में किसी स्त्री का आश्रम में रहना उचित नहीं है… मैं ये सोच रही थी की अगर आप हमारे घर पर कुछ दिन रुक जायें तो बहू को अभी आपकी सेवा करने का अवसर मिलेगा… आस पड़ोस की बहनें भी आपकी छत्र-छाया में रहेंगी तो उन्हें भी आनंद होगा…
मां जी की बातें सुन कर मुझे दुख हुआ की अभिषेक 2 हफ्ते मुझसे अलग रहेंगे. लेकिन इस बात की खुशी थी की गुरु जी का सेवा करने का अवसर भी मिलेगा मुझे. गुरु जी ने मुस्कुराते हुए, उन्हें आश्वस्त किया की अगर वो यही चाहती है तो वो ज़रूर रहेंगे हमारे घर पर..
लेकिन साथ में उन्होंने ये भी बताया की वो दिन के समय घर पर नहीं आ सकते क्यूंकी उनके भक्तों का आश्रम में ताँता लगा रहता है और अगर वो आश्रम में नहीं दिखाई दिए तो उनके भक्त नाराज़ हो जाएँगे..
बहू तुम्हें तो कोई ऐतराज़ तो नहीं है ना अगर में यहाँ रात में 11:30 बजे तक आओं तो? गुरु जी ने पूछा..
गुरु जी की बातें सुन कर मुझे थोड़ा गुस्सा आया क्यूंकी वो अपनी भक्त से अनुमति कैसे ले सकते है? मैंने सिर का पल्लू ठीक करते हुए ज़मीन की तरफ देखते हुए कहा – गुरु जी आप हमसे अनुमति क्यूँ माँग रहे है? आप हमारे घर पर आकर रहें ये तो हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी… आपके यहाँ रहने से, ये घर पावन हो जाएगा…
गुरु जी कुछ देर बाद लौट गये और दूसरे दिन सुबह, अभिषेक और मां जी चले गये.. शिल्पी भी श्याम 6 बजे निकल गई.. मैं अब घर में अकेली थी.. रात को 11:40 के करीब, गुरु जी घर पर आए.
मैंने उन्हें घर के भीतर लिया और उनके चरण स्पर्श किए. गुरु जी को उनकी पसंदीदा द्रक वाली चाय बना कर दी.
गुरु जी ने चाय की चुस्की लेते हुए मुझसे पूछा – बहू तुम्हें रात में डरावने सपने आते है क्या?
मैं चौंक गई क्यूंकी मैंने ये बात सिर्फ़ मां जी को बताई थी, सुबह जब वो निकल रही थी..
जी गुरु जी… 2-3 बार मुझे डरावने सपने आए थे… सपने में मैंने देखा की मैं एक बन्द कमरे में हूँ, जहाँ हर तरफ खून ही खून है… सुबह उठ कर मैं काफ़ी देर तक सोचती रही की इस सपने का मतलब क्या होगा लेकिन फिर मैंने अपने आप से कहा की ये सपना ही तो है?
गुरु जी मेरी बातें, ध्यान से सुन रहे थे. फिर उन्होंने अपने झोले में से एक नारियल निकाला और मुझे अपने कमरे में ले जाने को कहा.. मैं कहे अनुसार उन्हें अपने बेडरूम में ले आई. वहाँ चल कर गुरु जी ने नारियल पर विभूति छिड़क दी और आँखें बंद करके कुछ मंत्र पढ़े. मंत्र पढ़ने के बाद, उन्होंने अपनी आँखें खोली और झोले में से गंगा जल निकाल कर नारियल पर छिड़का.म गंगा जल छिड़कते ही, नारियल में से धुआँ उठने लगा. मैं डर के मारे सकपका गई.
गुरु जी ये क्या है? – मैंने 2 कदम पीछे जाते हुए पूछा..
गुरु जी ने मेरी तरफ देख कर नारियल को एक तरफ रखा और कहने लगे – इस कमरे में कोई नकारात्मक उर्जा महसूस कर रहा हूँ, बहू… कुछ है जो तुम्हें नुकसान पहुचाना चाहता है…
गुरु जी की बातें सुन कर मेरे पैरों तले से जैसे ज़मीन सरक गई.. मैं उनके पैरों में गिर पड़ी..
मुझे इस विपदा से बचा लीजिए, गुरु जी… कृपा करके बचा लीजिए मुझे… (मेरी आँखों से आँसू बहने लगे.)
गुरु जी ने मुझे कंधे से पकड़ कर उठाया और मेरे आँसू पोंछते हुए, मुझे दिलासा देते हुए कहा की वह सब ठीक कर देंगे… फिर उन्होंने फिर से आँखें बंद करते हुए मुझे बिस्तर में बैठने को कहा. मैं तुरंत बैठ गई. आँखें बंद करते हुए, वो मुझसे बात कर रहे थे.
बहू, क्या तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारे घर से कोई यहाँ आया था?
मैं डर के मारे कुछ सोच नहीं पा रही थी लेकिन फिर मुझे याद आया की मेरी मेरी मासी आई थी, शादी के 2 हफ्ते बाद..
जी गुरु जी… मेरी मासी आई थी, शादी के बाद मुझे आशीर्वाद देने के लिए… वो मेरी शादी में नहीं आ पाई थी इसीलिए शादी के बाद आई थी…
गुरु जी कुछ पलों के लिए शांत हो गये लेकिन फिर उन्होंने मुझसे कहा की मेरी मासी ने मुझपर जादू-टोना किया हुआ है…
बहू, अभिषेक काम से दूर नहीं गया है… उसे भेजा गया है… जब तक ये टोना दूर नहीं होगा, अभिषेक तुझ में दिलचस्पी नहीं लेगा…
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गुरु जी के बातें सुन कर दिल बैठा जा रहा था.
अभिषेक से दूर रह सकती हो, बहू?
नहीं गुरु जी… मैं उनके बगैर नहीं रह सकती… – मैंने तुरंत जवाब देते हुए उनके सामने हाथ जोड़े..
कुछ कीजिए, गुरु जी… मैं अपने पति को खोना नहीं चाहती…
गुरु जी अब मेरे बगल में बैठ गये, बिस्तर में.
ये टोना दिन बा दिन बढ़ता जाएगा, बहू… इसे निकालने के लिए तेरे शरीर को शुद्ध करना होगा…
मैंने धीमे स्वर में पूछा – क्या करना होगा, गुरु जी?
(गुरु जी ने मेरे कंधों को पकड़ कर, मुझे बिस्तर में लिटा दिया) तुम्हारे शरीर को मंत्रों द्वारा शुद्ध करूँगा, मैं… अच्छा हुआ जो मैं गंगा जल और शहद साथ ले आया…
और उन्होंने अपने झोले से गंगा जल और शहद की बोतलें निकाली.. एक कटोरी में गंगा जल और शहद का मिश्रण करके उन्होंने मुझसे बिना कुछ बोले, मेरे धुन्नी (नेवेल) पर से साड़ी को हटाया… मेरी धुन्नी पर कटोरी को थोड़ा सा तिरछा करके गंगा जल और शहद का मिश्रण धीरे धीरे गिराया..
फिर उन्होंने उनकी उंगलियों को मेरी धुन्नी पर रगड़ना शुरू किया.. शुद्धि करते हुए ऐसा एहसास होगा, ये सोचा नहीं था मैंने. गुरु जी के गर्म हाथ मेरी धुन्नी को ज़ोर ज़ोर से रगड़ रहे थे. उम्म्म… गुरु जी… – मैंने सिसकारी भरते हुए “आ” भरी.. उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी धुन्नी में डाली और उंगली को हिलाने लगे जिससे उनकी उंगली का सिरा, मेरी धुन्नी में कस कर रगड़ने लगा..
ओह गुरु जी ये क्या… स स्स्स्स स्स… फिर उन्होंने रुक कर मेरी तरफ देखते हुए कहा – बहू, धुन्नी को ठीक से शुद्ध करना होगा… तुम्हें मेरे साथ देना होगा, इसमें… अगर तुम मेरा साथ नहीं दोगी तो में ये टोना कभी नहीं निकाल पाउँगा, बहू…
मैंने उनकी तरफ देखते हुए, बस अपनी गर्दन हिलाते हुए हामी भरी.. गुरु जी अब नीचे झुक गये और उन्होंने अब अपनी जीभ मेरी धुन्नी पर रगड़नी शुरू की.. श गुरु जी… आ आ अह ह स स्स्स्स्स स्स… मैंने उनकी बालों में उंगलियाँ फेरनी शुरू की और गुरु जी अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगे, मेरी धुन्नी के इर्द-गिर्द.
श गुरु जी… स स्स्स्स्स स्स ओह माआ आ अ… मैं मज़े से कराहने लगी और मैंने बिना सोचे समझे कहा – और चाटिये ना, गुरु जी…. हाँ, और चाटिये ना…
मेरे मुंह से ऐसा सुन कर उन्होंने अपनी जीभ का सिरा, मेरी धुन्नी के छेद में धकेला और मेरी धुन्नी को चाटने लगे.. स स्स्स्स्स् सस्स आ आ आ आ अह ह उम्म्म्म म म म म म म ओह माआ आ आ आअ उफ फ फ फ फफ्फ़…
मैंने उनके सिर को ज़ोर ज़ोर से मेरी धुन्नी में दबाया.. फिर गुरु जी ने अपना मुंह खोल कर मेरी धुन्नी पर प्रेस किया और मैंने उनके दाँतों को मेरी धुन्नी पर कटोचते हुए महसूस किया.. आ आ आ आ स स्स्स्स्स स्स ओह माआ आ ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और कीजिए ना मेरी शुद्धि गुरु जी… पूरे बदन की शुद्धि कीजिए पूरी रात… स स्स्स स्स…
अब गुरु जी ने मेरे सीने पर से पल्लू हटाया और मेरा ऊपर आकर बिना कुछ कहे मेरे मुंह पर अपना मुंह रखा. उनके गर्म होंठों के स्पर्श से जैसे में पिघल से गई. मैंने उनकी पीठ पर हाथ रखते हुए उन्हें कसकर दबोच लिया. गुरु जी ने अपना मुंह खोल कर मेरे होंठों को कस कर अपने मुंह में भींचना शुरू किया.
फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे होंठों पर रगड़ना शुरू किया. मेरे होंठों को वो अपनी जीभ से चाट रहे थे और मैं मस्त होकर मचल रही थी.. म्म्म्म म म म उम्म्म्म एम्म्म… मैंने अपना मुंह खोला और उनकी जीभ अपने मुंह में ली.
गुरु जी अब अपनी जीभ को मेरी जीभ के चारों तरफ रगड़ रहे थे. फिर मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में डाली.. गुरु जी, मेरी जीभ को चूसने लगे अपने मुंह में लेकर.. चूसते हुए उनके मुंह से – मु ह मु ह मु मु ह की आवाज़ें आ रही थी..
र उन्होंने मेरी जीभ पर अपने होंठों को आगे-पीछे रगड़ना शुरू किया.. उम्म्म स्ल र्प स्ल र्प स्ल र्प स्ल र्प स्ल र्प स्ल र्प. उनकी चूसा से में पागल हो उठी और मैंने उन्हें कस कर अपनी तरफ खींचा.. चूसते हुए उन्होंने मेरी जीभ पर लगी सारी लार (थूक) चूस ली. मैं भी गुरु जी के बालों में उंगलियाँ फेरते हुए, उन्हें सहला रही थी.
अभिषेक, इस तरह तेरी जीभ चूसता है क्या बहू?
मैंने उनकी आँखों में देखते हुए कहा – मैं उनसे प्यार करती हूँ गुरु जी लेकिन सच कहूँ तो आपकी लार का स्वाद बहुत अच्छा लगा मुझे…
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अभिषेक ने कभी मेरी जीभ की चूसा नहीं की थी लेकिन जिस तरह से गुरु जी ने मेरी जीभ चूसी उससे ऐसे लगा मानो मैं स्वर्ग में हूँ.. फिर गुरु जी ने मेरे दोनों गालों को कस कर दबाते हुए मेरे मुंह खोला और अपना मुंह मेरे मुंह के ऊपर ला कर अपनी गाढ़ी थूक मेरे मुंह में गिराने लगे.
मैंने उनकी थूक को अपनी जीभ पर लिया और जीभ को मुंह में घुमाते हुए उनकी थूक का स्वाद चखने लगी.. उम्म्म्म गुरु जी स स्स स्स कितनी पावन है आपकी लार म्म्म्म म… और मैं और कुछ बोले बिना, उनकी लार पी गई. फिर गुरु जी ने मेरी क्लीवेज के बीचो-बीच चूमना शुरू किया..
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गुरु जी आ आ अह ह स स्स्स्स्स् सस्स में आपकी दासी बनना चाहती हूँ गुरु जी… मुझे अपने काम वासना के लिए रोज़ इस्तेमाल कीजिया गुरु जी स स्स्स्स्स् स्स स्स… मैं बस अपने होश खो कर उनके चुंबनों से पागल हो रही थी और गुरु जी की गर्दन को पकड़ कर उन्हें मेरे सीने पर दबा रही थी.
फिर उन्होंने मेरी क्लीवेज को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया.. आ आह ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मा आ आ अ स स्स्स्स्स् स्स्स स्स श गुरु जिइ इईईईईईईईई स स्स्स्स्स् स्स्स स्स… फिर उन्होंने मेरी चोली के बटन्स खोले और पीछे हाथ डाल कर मेरी ब्रा उतारी.
उन्होंने मुझे बिस्तर पर बिठा दिया और मेरे स्तनों को हाथ में लेकर कस कर दबाने लगे. आ आह ह कितने मजबूत हाथ है आपके स स्स्स्स्स् स्स्स्स स्स ज़ोर से… और ज़ोर से दबाइए ना, मेरे दूध… उम्म्म गुरु जी आ अह ह मेरी चूत गीली हो रही है म्म्म्म म गुरु जिइ इई…
अब उन्होंने मेरे दोनों दूध को अपनी मुट्ठी में जकड़ा और उन्हें कस कर मसलने लगे. मैं उनकी इस हरकत से कराह उठी.. आ आ आ आ आ आ आ अहह… मेरी चूत ने अपनी पहली धार छोड़ी. फिर उन्होंने मेरे लेफ्ट चुचि मुंह में ली और मेरी चुचि को चूसने लगे..
ओह मा आ आअ स स्स्स्स्स् स स्स गुरु जी मेरी पैंटी पूरी गीली हो गई है… में झड़ चुकी हूँ, एम्म्म… गुरु जी ने मेरी चुचि को अपने होंठों के बीच कस कर भींचा और उनकी इस हरकत से मैं थोड़ा पीछे झुकी. उनके बालों को सहलाने लगी, अपनी उंगलियों से और गुरु जी मेरी चुचि को चूसते रहे..
प्रतिभा, मेरी रंडियों की चूत में कभी सूखा नहीं पड़ता… उनकी चूत हमेशा गीली रहती है, मेरी कृपा से… ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गुरु जी… आ आ अहह चूसीए अपनी रंडी बहू की चुचियाँ गुरु जी… ओह स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स स्स उफ फफ फफ फफ फफ फफ फफ फफ्फ़…
मेरी गंदी गंदी बातों से उत्तेजित हो कर, गुरु जी ने मेरी चुचियों को अपनी लार से गीला करना शुरू किया. वो अपनी जीभ को मेरी चुचियों के चारों तरफ रगड़ने लगे, सर्कल्स में.. ओह, मा आ आ आ स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स स्स कितना मज़ा आ रहा है गुरु जी स स्स्स्स्स् स स्स चाटिये मेरी चुचियों को आ आ अहह स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स स्स और चाटिये… और चाटिये ना स स्स्स्स्स् स्स्स स्स…
गुरु जी अब मेरी चुचियों को दांतों तले दबाने लगे. मेरी चुचियों को काटने लगे.. आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आह ह गुरु जी… में मर गाइिईईई ईईईई ईईईई ईईईई… मेरी चूत फिर से गीली होने लगी.. उनकी जीभ मेरी चुचियों को लगातार सहला रही थी और उनके होन्ट मेरी चुचियों को कस कर दबा रहे थे.
मैं उनकी गर्दन को जकड़ कर अपनी तरफ खींचती रही और फिर जैसे मेरी चूत से ज्वाला-मुखी उफन पड़ा और मैं सिहर उठी. मेरी चूत ने दूसरी बार अपना पानी छोड़ा था. उफनती नदी की तरफ मेरी चूत के रस ने मेरी पैंटी को पूरी तरह भिगो दिया..
गुरु जी ने मेरी साड़ी पूरी तरह निकाल दी. मैं उनके सामने सिर्फ़ अपने पेटिकोट और पैंटी में थी. पैंटी का गीलापन पेटिकोट पर लगा हुआ था. गुरु जी ने अपना कुर्ता निकाला और फिर अपनी धोती उतारी.. अब वो केवल एक लंगोट में, मेरे सामने बिस्तर पर बैठ गये.
मैंने उन्हें वासना भरी निगाह से देखते हुए पूछा – गुरु जी आपने अपनी रंडियों का जीकर किया था कुछ देर पहले… कितनी रंडियाँ है आपकी और क्या वो मुझसे अच्छी है, बिस्तर में?
मेरे इस सवाल पर गुरु जी ने हल्की मुस्कुराहट भरे अंदाज़ में कहा – तेरे इस खानदान में ही मेरी कई रंडियाँ है, बहू. तेरी सासू मां पिछले 10 साल से मेरे साथ सो रही है और तेरी ननद शिल्पी भी मेरे साथ सोने लगी है… उसकी नथ मैंने ही उतारी थी और मैंने मां जी से सॉफ सॉफ कह दिया है की उसकी शादी इसी शहर में कराना ताकि वो मुझे अक्सर मिलने आ सके.
और तो और तेरी मां जी और शिल्पी दोनों को पता है की इन 2 दिनों में, मैं तुझे दिन-रात चोदूंगा… तेरी सासू मां की बहनें सीमा, उसकी दोनों भाभी, पिंकी और निशा और फिर तेरे पति के चाचा की बीवी और उनकी तीनो बहुए, ये सारी की सारी औरतें मेरे साथ कई बार सो चुकी है…
गुरु जी की बातें सुनकर मुझे मां जी, शिल्पी और उनकी बाकी रंडियों पर जलन तो हुई लेकिन ये भी ख़याल आया की मुझे भी मौका मिला है, गुरु जी के साथ वक़्त बिताने का..
गुरु जी, मैं आपकी सबसे बड़ी रंडी बनना चाहती हूँ… मां जी, शिल्पी और अभिषेक के आने तक मैं पूरा दिन और पूरी रात घर में नंगी रहूंगी, आपकी सेवा में…
गुरु जी अब बिस्तर पर खड़े हो गये और उन्होंने बिना कुछ कहे, मुझे अपनी तरफ खींचा.. मेरे बाल पकड़ कर उन्होंने मेरा चेहरा अपने लंगोट पर दबाया.. सूंघ ले, अपने गुरु जी का लंड रंडी… गुरु जी के आदेश अनुसार में उनके लंगोट पर से उनके लंड की मादक खुशबू सूंघने लगी उम्म्म्मम..
उनके लंगोट से पसीने की मादक खुशबू आ रही थी.. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनके लंगोट को चाटना शुरू किया.. फिर, मैंने उनकी तरफ देखा और उनका लंगोट खोल कर मैंने उनके लंड के दर्शन किए.. उनका लंड, अभिषेक के लंड से काफ़ी मोटा और काला था..
मैं झट से उनके लंड से लिपट गई और अपनी जीभ से उनके अंडकोष को चूमने और चाटने लगी. उनके लंड की मादक खुश्बू मुझे पागल करे जा रही थी. गुरु जी ने अपने लंड को पकड़ कर उनका टोपा मेरे होंठों पर रगड़ा. उम्म्म्मम गुरु जी… स स्स्स स्स कितनी मस्त खुश्बू आ रही है… स स्स स्स…
मैंने उनके लंड के टोपे को कवर करती चमड़ी को पीछे किया और उनका चिप-चिप स्लिपरी टोपा एक्सपोज़ करते हुए, उसे चाटने लगी. गुरु जी मज़े में मोन करने लगे.. ओह प्रिय्आ अ म्म्म्म म प्रतिभा बेटी आ आह ह स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् सस्स… साली, चाट अपने गुरु जी के टोपे को… मुंह में लेकर चूस ले कस कर तेरी मां की चूत…
मैं उनकी गालियों से और मस्त हो रही थी. फिर मैंने उनके टोपे पर लगी पेशाब वाली क्रॅक पर जीभ घुमाना शुरू किया..
उम्म्म गुरु जी मुझे आपका मुठ पीना है… – और ये कह कर मैंने उनका लंड मुंह में लिया..
उनके लंड को चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से.. र्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प स्लर्प… फिर गुरु जी ने मेरे गालों को पकड़ा और अपने लंड को मेरे मुंह में मारने लगे. मेरे मुंह को चोदने लगे ज़ोर ज़ोर से..
उनका लंड मेरे मुंह में थपेड़े मारने लगा – स्वूप स्वूऊप स्वू ऊ ओप स्वू ऊ ओप स्ओू ऊ ऊ ऊप ऊ ऊ ऊप स्वूऊप स्वू ऊ ओप स्वू ऊ ऊप स्ओू ऊ ऊ ऊप स्वूऊप स्वू ऊ ओप स्वू ऊ ओप स्ओू ऊ ऊ ऊप स्ओू ऊ ऊ ऊप… फिर उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और अपने हाथ में थूक कर उस थूक को अपने लंड पर रगड़ा.
उनका लंड, उनकी थूक की परत में चमक रहा था. मैंने फिर से उनका थूक से सना लंड मुंह में लिया और उससे और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. गुरु जी भी मेरे बालों को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुंह में मारने लगे, फिर से.. ले ले रंडी… ले मेरा लंड… आ आह ह स स्स्स्स्स स्स आ आ अह ह ह आह ह अह ह… तोप तोप तोप तोप तोप तोप तोप तोप…
खूब चूसा के बाद, गुरु जी ने मुझे पकड़ा और फिर अपने लंड का टोपा मेरे होंठों पर टीका कर मुस्कुराते हुए कहा – ले मेरा मुठ, कुतिया…
और बस कुछ ही पलों में, उन्होंने अपनी पहली धार मेरे मुंह में छोड़ दी. उनका गाड़ा रस, मेरे मुंह में उफन पड़ा.. उू उ उम्म्म्म स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् सस्स प्रआ आ आ आ आ आ आ आ आ आअ… गुरु जी का गर्म गर्म मुठ मेरे मुंह में था.
मैंने उससे अपने मुंह में ही रख कर उन्हें दिखाते हुए, मुठ को अपनी जीभ से मुंह में चारों तरफ घुमाया और फिर में उसे पी गई.. मुठ निकलने के बाद, मुझे लगा गुरु जी और मर्दों की तरह ठंडे पढ़ जाएँगे, कुछ देर के लिए लेकिन उन्होंने मुझे बिस्तर पर फिर से लिटा दिया और मेरा पेटिकोट उतार दिया, पूरी तरह..
अब, मैं सिर्फ़ पैंटी में थी उनके सामने.. गुरु जी ने नीचे झुक-कर, मेरी चिकनी सपाट जांघों को चूमना शुरू किया. उनकी इस हरकत से, मैं फिर से सिहर उठी और उनके बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी.
फिर उन्होंने, मेरी जांघों को और फैला दिया और वो अपनी जीभ के सिरे से मेरी जांघों को चाटने लगे.
उनकी लार से मेरी दोनों जांघें गीली होने लगी और में उनके बालों को कसकर खींचते हुए सिसकियाँ लेने लगी – सस्स्स्स्स् स्स्स स्स ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गुरुजिइइईईईईईईईई म्म्म्म मममम मममम ओह आआररर्रर गज्ग घह… ऐसे चाटगे तो मेरी चूत फिर से पानी छोड़ देगी, मेरे रजा आा अ… – मैं मदमस्त होकर बड़बड़ाने लगी..
फिर उन्होंने, मेरी कमर को दोनों हाथों में दबोचा और अपने होंठों से मेरी चूत पर चुम्मों की बारिश करने लगे. उनके होंठों का स्पर्श महसूस करते ही मुझे सातवें आसमान पर होने का अनुभव हुआ. अब मैंने उनके बालों को पकड़ा और उन्हें सिर को नीचे दबाने लगी, मेरी चूत पर. मैंने अपने पैर उनकी गर्दन पर क्रॉस किए और उन्हें अपने पैरों में जकड़ लिया.
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आह ह गुरुजिइइई ईईईई ईईईई ईईईई चाट लो, मेरी चूत को… चाट लो मेरे मालिकक्कक क स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् स्स स्स… अब से मैं आपकी रखेल हूँ… आपके साथ बिस्तर गर्म करने के लिए, कुछ भी करूँगी म्म्म्म म और मैं खुद ही मस्ती में बड़बड़ाते हुए, अपनी कमर उठा कर उनकी चटाई का आनंद लेने लगी.. गुरु जी ने अपना मुंह खोला और मेरे चूत को मुंह में दबोच लिया. उनके होंठों को मेरी चूत के इर्द-गिर्द महसूस करते ही, मेरा जिस्म जैसे एकदम टाइट हो गया.
और मैंने अपनी कमर उठा ली मस्ती में.. ओह गुरुजिइइई ईईईईई ईईईईई ऐसा आनंद देंगे तो दुनिया की हर औरत आपके साथ सोने को तैयार होगी एम्म्म स स्स्स्स्स् स्स्स्स्स् सस्स और चूसो मेरी चूत… आज तक अभिषेक ने भी इतनी दफ़ा मेरी चूत से पानी नहीं निकाला है… मुझे तो पता ही नहीं था की मेरी चूत इतना पानी छोड़ सकती है स स्स्स्स्स् स्स्स स्स… खा जाइए, मेरी चूत… मसल दीजिए, मेरी चूत को…