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बिस्तर का असली सुख जेठ जी ने दिया 5

दिसम्बर 11, 2023 by hamari

Village Doctor Chudai

नमस्कार दोस्तों, मैं आपकी सेक्सी सीमा भाभी अपनी कहानी का आखिरी भाग लेकर आपके सामने हाज़िर हूँ. दोस्तों आपने मेरी कहानी का पिछला भाग बिस्तर का असली सुख जेठ जी ने दिया 4 में आपने पढ़ा होगा, की डेल्ही आते हुए ट्रेन में कैसे जेठ जी ने मेरी चूत चोदी. अब आगे – Village Doctor Chudai

जब मेरी नींद खुली, तो शाम हो चुकी थी, मेरी चूत अभी तक दर्द कर रही थी ! बहुत ज्यादा सनसनाहट सी हो रही थी ! भैया के ऊपर से हटी, तो गाढ़ा वीर्य इधर उधर फ़ैल गया ! उसको साफ़ किया, भैया का लण्ड पोछा, लण्ड की एक हलकी किस ली और बिस्तर से उत्तर गई !

नंगी बाथरूम जाकर चूत की सफाई भी की और नहा भी लिया ! चूत देखकर मैं हैरान हो गई, अभी दो दिन पहले तक दोनों हिस्से होंठ की तरह चिपके होते थे, अब मुंह खुला हुआ था ! अगर उमेश अभी मेरी चूत में लण्ड डालें तो पता भी नहीं चलेगा, की अंदर कुछ गया है !

जेठ जी का लण्ड अपने चूत के घंटों तक अंदर लेने से मुझे अब चुदाई में तो आसानी हो रही थी, पर चूत का शेप बिगड़ना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था ! नहाने के बाद नंगी ही बाथरूम से बहार आई, देखा जेठ जी उठ गए थे, मुझे देखकर मुस्कराने लगे !

मैंने नाईट ड्रेस निकला तो भैया ने मन कर दिया, ऐसे ही रहो, अच्छा लगता है !मैं शर्म से मरी जा रही थी, जेठ जी से कम से कम ब्रा पैंटी का अनुरोध किया, भैया ने कहा मैं पहना देता हूँ !भैया ने पहनाते पहनाते भी अपनी शरारतें कर दी ! चूची खूब दबाया और चूत भी सहलाई !

भैया थोड़े मूड में आने लगे थे, मैंने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगी, चूत में दर्द भी बताया ! भैया ने दर्द की एक टेबलेट दी और एक क्रीम से चूत की मालिश भी कर दी ! भैया नहाने चले गए और मैं चाय बनाने ! चाय पीकर हम खुले में छत पर अपने छोटे से गार्डन में आ गए !

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भैया का साथ मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, बहुत मज़ाकिया स्वाभाव के थे भैया, मैंने पहले कभी ज्यादा बातें नहीं करती थी भैया से, इसलिए उनके स्वाभाव से मैं परिचित नहीं थी ! मैंने भैया से पूछा की आखिर उमेश को और अनिल को किस तरह की प्रॉब्लम है !

भैया ने बताया कि दरअसल ये दोनों ही नहीं, हमारा पूरा गावं और आस पास के गावं के सभी मर्द को ये समस्या है ! असल में हमारे गावं के शुरू में एक बहुत बड़े ग्रुप की केमिकल फैक्ट्री है, उसमें करीब डेढ़ सौ लोग काम करते हैं, जो हमारे और आस पास के गावं के हैं !

अनिल वहां काम करता था, लेकिन उमेश पढाई पूरी करने के बाद उसी फैक्ट्री में तीन साल तक कंप्यूटर इंजीनियर था, और बाद में दिल्ली शिफ्ट हो गया ! उस फैक्ट्री से कोई ऐसी गैस निकलती थी, जिसका असर सीधा मर्द को नामर्दी के तरफ ले जाते थे, वीर्य में बच्चा पैदा करने लायक दम नहीं रह जाता था और ऑर्गन भी कमज़ोर हो जाता था, जल्दी ही वीर्य निकल जाता था !

ज्यादातर लोग तो शादी के कई सालों तक अपनी पत्नी का कौमार्य नहीं भांग कर पाते हैं ! मुझे देर से पता लगा, तो मैंने कंपनी में शिकायत की और अब कंपनी ने इस खतरनाक गैस को बहुत कंट्रोल कर दिया है ! मैं तो कंपनी बंद करवाना चाहता था,पर लोगों की रोज़ी का सवाल था !

हर एक काम करनेवालों का मैं इलाज़ कर रहा हूँ ! उमेश का इलाज़ बहुत सही चल रहा है, अब उसे खुद में कॉन्फिडेंस लाना पड़ेगा, तभी वह सही से सेक्स कर पायेगा ! समय आने पर मैं तुम्हें बता दूंगा, तुम उसके लिए क्या कर सकती हो ! तुम्हारे साथ जो कुछ भी मैं कर रहा हूँ, वो उसका इलाज़ ही समझो !

मेरी समझ में कुछ नहीं आया ! जेठ जी ने पूछा की क्या उमेश शराब पीता है ! मैंने कहा की पार्टी में पी लेते हैं,लेकिन उनको पीने से ज्यादा जमा करने का शौक है !घर में बहुत सारी विदेशी शराब की बोतलें हैं ! भैया ने मुझसे पूछा की मैं लेती हूँ !

मैंने कहा एक दो बार उमेश ने जिद करके पिला दिया था, पर मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा, और एक पैग में ही मेरी हालत ख़राब हो गयी थी ! चलो आज हम अपने नए रिश्ते को सेलिब्रेट करतें है ! मैंने भी हाँ कर दी, कैसे टाल सकती थी, जेठ पति की बात ! मैंने चिकन की कुछ आइटम फ़ोन पर आर्डर कर दिया !

भैया ने जूस के पैकेट्स भी मंगवा लिए ! रात के नौ बज चुके थे, भैया ने दो पैग बनाये, मेरे वाले पैग को उन्होंने जूस में बनाया था, जिससे मुझे शराब के टेस्ट का पता ही न चला ! हम आराम से शराब पी रहे थे, और इधर उधर कि बातें भी कर रहे थे ! अब मुझ पर नशा छाने लगा, मैं क्या बोल रही थी, मुझ पर कंट्रोल नहीं रहा !

एक दो बार मुझे लगा कि मैंने गाली भी दी है ! भैया और मैं चुदाई जरूर करते थे पर अभी तक हम दोनों बहुत सभ्य भाषा का इस्तेमाल करते थे ! चूत, लण्ड, चुदाई जैसे शब्द मुंह से निकले नहीं थे !भैया भी एक दो बार मेरी बात सुन कर चौंके, पर समझ गए कि मैं पूरे नशे में हूँ !

हम दोनों बेड पर ही बैठे थे, साथ में टेबल पर चीज़ें सजी थी ! मैंने भैया से बोला, भैया पता है, मुझे आपकी चुदाई बहुत अच्छी लगती है, पर एक चीज़ मैं कभी नहीं कर सकती, मैं आपका लण्ड मुंह में नहीं ले सकती, मुझे घिन आती है ! भैया ने पूछा, तुमने कभी टेस्ट किया है !

मैंने कहा ‘नहीं’ ! फिर तुम कैसे कह सकती हो . बिना टेस्ट किये, दुनिया हर कि औरतें पागल हैं जो, मर्द का लण्ड चूसने को बेक़रार रहती है ! एक काम करो, तुम अभी चूस के बताओ कि कैसा लगा, अगर अच्छा नहीं लगा तो फिर कभी नहीं कहूँगा चूसने को, ये मेरा वादा है !

मुझे सच में घिन आती थी, मैंने सोचा, कि आज के बाद मुझे इससे छुटकारा मिल जायेगा ! भैया का लण्ड अब उठने लगा था ! भैने ने तौलिए उतार दिया, लण्ड सामने था ! मैंने पहले उसको सूंघा, फिर जीभ लगाया और मुंह मैं ले लिया ! कुछ भी बुरा नहीं था, खारा सा टेस्ट था, पर खुशबू बड़ी प्यारी थी !

मैंने लण्ड चूसना शुरू कर दिया, भैया ने मेरा नया गिलास बनाया, शराब थोड़ी ज्यादा डाल दी, और बूँद बूँद कर लण्ड पर गिराने लगे, मैं चाटने लगी ! अब मुझे लण्ड चाटने में मज़ा आ रहा था ! 15 मिनट के अंदर मैंने पैग खाली कर दिया ! अब मैं खड़ी होने लायक नहीं थी, लगा गिर जाउंगी !

भैया ने तकिये के सहारे मुझे लिटा दिया और मेरे मुंह में शराब डालकर,अपना मुंह सटाकर चूमने के अंदाज़ में अपने मुंह में शराब डलवा लेते ! थोड़ी देर बाद मेरी चूची पर शराब गिराकर, उसको चूसकर और चाटकर साफ़ कर देते ! मेरे पूरे बदन में सिहरन हो रही थी !

बीस मिनट तक यही सब चलता रहा, बस भइया ने मेरे चूत में शराब नहीं डाली, बाकि सारे अंग चूस और चाट चुके थे ! अब भैया मेरी चूत चूसने लगे, सब कुछ वैसा ही था, बस फर्क ये था कि मैं नशे में भैया को कई बार चोदने को बोल चुकी थी ! जब मेरे बर्दाश्त के बाहर हुआ तो मैंने चिल्ला उठी, चोदते क्यों नहीं भैया, फाड़ डालो न मेरी चूत, आग लगी हुई है, जल्दी चोदो न भैया !

भैया का जोश अब उफान पर था ! लण्ड को मेरे चूत पर लगाया और एक झटके में आधी चूत पार कर दी ! मैं बस मुंह खोल पायी, आवाज़ जैसे निकला ही नहीं ! दर्द तो बहुत हुआ होगा पर पर मुझे मज़ा ही आ रहा था ! तीन चार बार हलके हलके धक्के देने के बाद, भैया ने जड़ ता ठूंस दिया लण्ड !

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मुझे समझ नहीं आ रहा था कि चीखना भी है, जब तक आगे का सोचती, भैया ने दुबारा धक्का लगाया ! अब तो भैया शुरू हो गए, स्पीड धीरे धीरे बढ़ रही थी, मुझे थोड़ा आराम मिल रहा था ! चूत भी झड़ती जा रही थी ! भइया को आज बहुत मजा आ रहा था, तीन दिन में कुंवारी चूत को सटा सट पेलने में सफल हो गए थे भैया !

मैं चीख रही थी, चिल्ला रही थी, बोलना था कि बस करो भैया, मेरी चूत फट गई ! लेकिन मुंह से निकल रहा था, और चोदो भैया, फाड़ दो अपने छोटे भाई कि कुंवारी बीवी कि चूत ! मेरे बार बार भैया कहने पर भैया को और जोश आ जाता था, और मैं हर बात पर भैया लगाना नहीं भूलती थी !

ऐसा मज़ा ज़िन्दगी में पहली बार आया था ! शराब के नशे कि चुदाई ऐसी होती है, आज ही पता चला ! अब भैया कि साँसे उखड रही थी, एक लम्बा शॉट लगाया, और भैया के लण्ड नें मेरी चूत में उलटी कर दी, मैं तो पहले ही खलास थी ! मेरी चूत का भोंसड़ा भैया के लण्ड से हो गया था ! मुझे याद नहीं कौन किसके ऊपर था, पर दोनों बेहोश थे !

सुबह नींद देर से खुली, बदन में दर्द था पर हैंगओवर नहीं हुआ था ! भैया अभी भी नींद में थे, कुछ बड़बड़ा रहे थे, और चूसो, और चाटो मेरा लण्ड मेरी सोनी, मेरी रानी !यानी भैया नींद में भी मेरे साथ ही लगे थे, क्या ताक़त थी इस मर्द में, दिन में दो बार लम्बी लम्बी चुदाई के बाद भी, नींद में भी चुदाई में ही लगे थे !

रात को जहाँ तक मुझे याद था, मैं नीचे और भैया ऊपर थे, लेकिन सुबह मैं ऊपर थी ! भैया का लण्ड अभी भी चूत में ही था ! आज कुछ टाइट लग रहा था, मेरे हिलाने डुलाने पर भी निकला नहीं, शायद नींद में मुझसे अपना लण्ड चुसवा रहे थे, और लण्ड को सोने या जागने से मतलब नहीं था !

बहुत कोशिश के बाद मैंने चूत से लण्ड को निकाला, पूरा कीचड़ हो गया था, पहले अपना साफ़ किया और फिर भैया का लण्ड साफ़ किया !बिस्तर पर भी भैया और मेरा पानी जो अब बहुत गाढ़ा हो चूका था,फ़ैल गया था, शायद चूत में रहने के कारण सूख नहीं पाया था !

जल्दी से फ्रेश होकर चाय बनाने किचन में आ गयी, सोचा भैया को चाय के साथ उठाऊंगी ! भैया का हुकुम था की कपडे नहीं पहनने हैं,इसलिए नंगी ही चाय बनाने लगी ! अभी पानी उबलने को ही था, की पीछे से भैया के लण्ड का स्पर्श मेरी गाँड को हुआ, पूरा सख्त था !

फिर एक हाथ में मेरी चूची लेकर दूसरे हाथ से मेरी कमर और बदन सहलाने लगे ! मैं एकदम से गनगना उठी ! सर को थोड़ा पीछे कर भैया को चूमने लगी ! भैया अब रुकने वाले नहीं,ये सोचकर मैंने गैस बंद कर दी, अब पानी की जगह मैं उबल रही थी ! भैया वैसे तो 45 साल के थे, पर जोश 20 साल के लड़को की तरह था, हरदम चोदने को तैयार !

लण्ड की हालत देख कर मैं समझ गयी की अब मुझे चुदने से कोई रोक नहीं सकता !भैया का चूमना चाटना चालू था, मेरे बदन को चाट चाट कर इतना गीला कर दिया कि नहाने कि जरुरत नहीं रह गयी थी ! मैं अब ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी, टांगों में कमजोरी सी आ रही थी !

भैया ने मुझे पलट दिया और मुझे किचन के स्लैब पर बिठा दिया ! मेरे पूरे चेहरे को चूमने लगे, और बीच बीच में मेरे होंठ भी चूस लेते थे ! मुंह का सारा रस चूस लेने के बाद जेठ जी ने मेरी चूचियो को चूमना और मसलना शुरू कर दिया ! पहले कभी मेरी चूची ने इतना सुख मुझे नहीं दिया, जितना जेठ जी ने पिछले तीन चार दिनों में दे दिया था !

जब वो होठों से मेरे चूचक से दूध पीने कि कोशिश करते तो पूरे बदन में आग सी लग जाती थी ! मेरी गोरी गोरी चूचियाँ अब लाल हो चुकी थी, घुंडी भी कड़ी हो गई थी !भैया ने जोश में कई बार दांत से भी काट लिया था, जिससे निशान पड़ गए थे !

भैया का लण्ड मेरी चूत और जांघों के बीच रगड़ खा रहा था, लण्ड से लसलसा सा पदार्थ मेरी जाँघों पे फिसलन पैदा कर रहा था !मेरी चूत भी अब पूरी तरह गीली थी ! भैया ने धीरे धीरे नीचे आते हुए मेरी चूत और जांघों को भी चाटने लगे !

थोड़ी देर तक चाटने के बाद, मुझे एक स्टूल पर बिठा दिया, और अपना एक पैर किचन के स्लैब के ऊपर ऐसे रखा कि उनका लण्ड ठीक मेरे मुंह पे था ! मैं इशारा समझ गई और, हाथ से लण्ड को पकड़ कर सुपाड़े को मुंह में भर लिया ! मुंह के अंदर जीभ चाटने का काम करने लगे, फिर मैंने लण्ड को मुंह में आगे पीछे करना शुरू कर दिया !

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जीभ से भैया के लण्ड को चाटने लगी, अब मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था, लण्ड चाटना ! भैया जोश से भरते जा रहे थे, मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया ! मेरे मुंह में अपने लण्ड रखकर मेरे चेहरे को दोनों हाथों में ले लिया और मुंह में ही पेलना शुरू कर दिया, ये एक और नया अनुभव था, अच्छा भी लग रहा था !

भैया का लण्ड अब बढ़ता ही जा रहा था, मेरे मुंह को दर्द होना शुरू हो गया, मेरी सांस बीच बीच में रुक जाती थी ! लण्ड कि मोटाई इतनी थी कि पूरा मुंह भर गया था, और भैया लण्ड भी गले तक उतार देते थे, अब मैं छटपटाने सी लगी थी, लगा कि अब सांस ही रुक जायेगी !

मैंने सहारे के लिए उनकी जांघें पकड़ रखी थी, मैंने उसपर नाख़ून चुभो दी, भैया को तब जा कर अहसास हुआ कि मुझे परेशानी है ! अब भैया ने मुझे वापस स्लैब पर बिठा दिया, मेरे दोनों टाँग फैलाये, और लण्ड चूत पे टिका के दवाब डाला ! मेरी चूत तो पहले से ही तैयार थी, रास्ता मिलते ही लण्ड थोड़ा अंदर घुस गया !

भैया लण्ड को आगे पीछे कर के मुझे चोदने लगे !पहले चौथाई लण्ड से थोड़ी देर तक चोदते रहे, फिर मुझे थोड़ा आराम मिलते ही आधे लण्ड से चोदने लगे ! भैया कि चुदाई में एक लय होती थी, जैसे कोई साधा हुआ सुर छेड़ रहे हों, पहले धीरे धीरे, फिर रफ़्तार बढ़ाते बढ़ाते, अंत में तेज और तेज, बहुत तेज !

मेरी चूत भी अब जेठ जी के लण्ड को अच्छे से जान गई थी, जैसे ही वो रास्ता मांगते, ये और फ़ैल कर स्वागत करती थी !अब जेठ जी का लण्ड पूरा अंदर बाहर हो रहा था, मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था, पर चुदाई के मज़े के आगे सब भूल जाती थी ! लण्ड सटासट अंदर बाहर हो रहा था, पर जेठ जी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे !

फिर अचानक से रुके, लण्ड बाहर निकला ! लण्ड मेरे चूत का रस पीकर तेल लगाये पहलवान कि तरह लग रहा था, इतना बड़ा और मोटा था कि अगर मैं अभी चुद नहीं रही होती तो, डर से मर जाती ! भैया ने मुझे फर्श पर खड़ा कर उल्टा किया, और मुझे स्लैब पर झुका दिया !

मैंने डर रही थी कि कहीं गाँड न मार ले, पर उन्होंने मेरे चूतड़ को चौड़ा कर के चूत के छेद में लण्ड डाल दिया, सरसराता हुआ लण्ड अंदर फिसल गया ! उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ रखा था, उन्होंने दोनों हाथ से मेरे दोनों चूचियों को सम्हाल लिया था, और जोर जोर से दबा रहे थे !

मैंने अपना मुंह थोड़ा सा पीछे कर लिया था और एक दूसरे को चुम रहे थे, और चूस रहे थे !फच्च फच्च कि आवाज़ से पूरा किचन गूँज रहा था ! जेठ जी का लण्ड अपने पूरे जोश में अंदर बाहर हो रहा था, हर बार बाहर निकलते समय दो चार बूँद मेरी चूत से टपक कर फर्श पर गिर जाती थी, मैंने दोनों टांग फैला रखे थे, इसलिए फिसलने से बची हुई थी !

जेठ जी का जोश देख कर लग रहा था कि आज लगता है मेरी चूची उखाड़ लेंगे !अभी तक इतना सम्हालकर मैंने अपनी चूची रखी थी, जेठ जी ने मसल मसल कर ढीले कर दिए थे ! अब भैया कि साँसें उखड रही थी, लगता था छूटने वाले हैं ! मैं तो सातवें आसमान पर थी, इस पोजीशन में कभी नहीं चुदी थी, बहुत अच्छा लग रहा था !

किचन को मैं खाना बनाने का जगह समझती थी, पर जिस स्लैब पर रखे चूल्हे पर मैं रोटी सेंकती थी, भैया ने मेरी चूत की आंच पर लण्ड सेक रहे थे ! अब भूचाल आने ही वाला था ! जोर की गड़गड़ाहट की आवाज़ आई और लगा अंदर बादल फट गया है और सैलाब आ गया है !

शायद इतना वीर्य मेरी चूत में पहली बार गया है ! ओवरफ्लो हो रहा था, चूत से रस लगातार टपक रहा था ! मैं स्लैब पर लेट सी गयी, जेठ जी भी मेरे ऊपर ही लेट कर अपनी साँसों पर काबू पा रहे थे, निढाल हो गए थे !मैंने अपना चूतड़ हिला कर जेठ जी को जगाया, उन्होंने धीरे से अपना लण्ड बाहर खींचना शुरू किया, लण्ड को हिलाते डुलाते लण्ड को बाहर खीच लिया !

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छप छप की आवाज़ के साथ ढेर सारा वीर्य मेरे चूत के पानी के साथ नीचे गिरे और फर्श पर फ़ैल गए ! चूत से बाहर सारा रस मेरी जांघों पर से होते हुए मेरे पैर को भिगो रहे थे !भैया का लण्ड भी रस से सराबोर था ! वैसी ही हालत में हम दोनों एक दूसरे को सहारा देकर बैडरूम में आ गए, लण्ड और चूत की सफाई की और बिस्तर पर निढाल हो गए !

किचन से लेकर बैडरूम तक वीर्य की बूंदें टपक टपक कर निशान लगा रही थी ! हमारा हनीमून इतना जबरदस्त होगा, मैंने नहीं सोचा था ! अभी आठ दिन और बचे है उमेश के आने में, पता नहीं क्या होना है आगे ! इतने घमासान के बाद आराम करना जरुरी था, हम दोनों ही अपनी अपनी दुनियां में खो गए !

किचन में की गई चुदाई के बाद मुझमे उठने की भी हिम्मत नहीं थी ! दोपहर में हमने सुबह वाली चाय पी, जेठ जी मुझे गोद में बिठाकर टीवी देखते रहे ! हमने इतना सो लिया था, की अब सोने का मन नहीं था ! माँ और उमेश का भी फ़ोन आया था ! भैया बस हलकी फुलकी छेड़ छाड़ करते रहे, कभी बदन सहलाते और कभी चूची दबा देते !

शाम होने पर भैया ने कहा कि आज बाहर ही बिस्तर लगाते हैं, मैंने कहा ठीक है ! हमारे छत के बगीचे के फूलों के बीच एक बड़ा सा चबूतरा बना था, जिसपर भैया ने गद्दे बिछा दिए ! एक छोटी टेबल लगा कर शराब भी रख दी थी ! खाने के कई सारे आइटम मैंने मंगवा लिया था !

मैंने हल्का सा म्यूजिक चला दिया था, पोर्टेबल सेट पर ! चांदनी रात में माहौल बहुल रोमांटिक हो गया था !भैया चबूतरे के साथ लगी दीवार पर तकिया लगा के बैठे थे, मैं भी उनकी गोद में आकर बैठ गई ! अब हम आधे लेटे और आधे बैठे थे ! पहला पैग लेकर हमने धीरे धीरे पीना शुरू कर दिया, चांदनी रात का मज़ा कई गुना बढ़ गया था !

भैया बीच बीच में मेरे बदन पर हाथ फेर लेते थे ! मैंने साटन की नाईट ड्रेस पहन रखी थी, क्यूंकि खाने की डिलीवरी मैंने ली थी, पर अंदर कुछ नहीं पहना था ! भैया ने सिर्फ अंडरवियर पहना था, और उनका एक हाथ मेरी चूची पर और दूसरा पैग थामे हुआ था !

भैया और मैं अब बातों बातों में काफी खुल गए थे और काफी हंसी मज़ाक भी कर लेते थे ! मैंने कहा की भैया, अब हम पति पत्नी है, क्या आपको बुरा लगता है, जब मैं आपको अभी भी भैया कहकर बुलाती हूँ ! भैया बोले, नहीं, तुम मुझे जैसे बुलाती हो वैसे ही बुलाया करो!

हमारा नया रिश्ता सिर्फ हम तीन लोगों को ही पता है, और किसी को पता चलना भी नहीं चाहिए ; कुछ और बोलोगी, तो कभी भी भांडा फ़ूट सकता है ! और सच तो ये है की जब हम सेक्स करते हैं,तो तुम्हारे मुंह से भैया सुनकर बहुत मज़ा आता है !

मैं बोल पड़ी, हाँ भैया, सच में मुझे भी ऐसा लगता है कि आपको अच्छा लगता है, इसलिए मैं जान बूझ कर भी कई बार आपको भैया बोलती हूँ ! भैया फिर बोले ” सेक्स के समय हमपर बातों का बहुत असर होता है, कल तुम बहुत खुल कर बात कर रही थी,मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि पति पत्नी जब सेक्स करते हैं तो उन्हें वेश्या जैसा व्यवहार करना चाहिए, इससे दोनों पूरे जोश में रहते हैं” !

मैंने कहा “पता नहीं भैया, मैं कुछ बहक गई थी,इसलिए पता नहीं क्या क्या बोल गई !” भैया बोले, ” नहीं याद है तो मैं याद दिला सकता हूँ “! मैं चौंक गयी,”वो कैसे” ! भैया ने मोबाइल की रिकॉर्डिंग मुझे सुना दी, जो उन्होंने चुपके से कल रात रिकॉर्ड कर लिया था ! अपने मुंह से चूत, लण्ड, और चोदो भैया, जैसे शब्द सुनकर मैं शर्म से मर गई !

भैया ने जोर का किस लेते हुए कहा, कि तुम ऐसे ही बोला करो, बहुत अच्छा लगता है ! अब मैं दूसरा पैग ले रही थी, भैया तीन खत्म कर चुके थे, नशा आने लगा था ! मेरे मन में अचानक माधुरी का ख्याल आया, मैंने पुछा, भैया आपने माधुरी को कैसे पटाया !

भैया बोले पहले वादा करो जो तुम्हारे जबान पर शब्द आना चाहता है, वही बोलोगी, कोई पर्दा नहीं होना चाहिए हमारे बीच में ; खुल कर बोलोगी तो खुल कर जवाब दूंगा, खूब मज़ा आएगा ! मैंने दुबारा बोला, ” आपने माधुरी को कैसे चो ..चोदा” ! ये हुई न बात, देखो मेरी जान, गावं में किसी को भी मैंने पटा कर नहीं चोदा, लोग खुद मुझसे चुदने का रिक्वेस्ट करते है, माधुरी का तो तुम देख ही चुकी हो !

मेरा माथा ठनक गया, और मुंह से निकल गया, ‘यानी गावं में औरों को भी चोदा है आपने’ ! देखो डार्लिंग, तुमको बताया है न कि हमारा पूरा गावं और आस पास के गावं के सभी लोग यानि डेढ़ सौ के करीब लोग उस फैक्ट्री में काम करने कि वज़ह से नामर्द हो गए हैं, और मेरे इलाज़ में हैं !

लेकिन लगभग हर घर में बच्चे हैं, जो मेरी कोशिश से ही हुए हैं !जेठ जी अपनी मर्दानगी का बखान करते जा रहे थे और मैं गरम हो रही थी, सोच सोच कर रोमांचित हो रही थी कि जो लण्ड मुझे माँ बनाने जा रहा है, वो पहले डेढ़ सौ कुंवारी चूत से बच्चे पैदा करवा चुका है !

मेरे मुंह से निकल गया, मतलब आप डेढ़ सौ कि चूत मार चुके हैं ! भैया बोले, नहीं, सबकी नहीं चोदी, पर ज्यादातर को माँ मैंने ही बनाया ! भैया ने पांचवां पैग बना लिया और मेरे लिए तीसरा, अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं भैया का लण्ड सहलाने लगी थी, और जेठ जी का लण्ड भी हरकत में आने लगा था और उनका हाथ मेरी चूचियों को लगातार मसल रहे थे !

इन सब बातों के बीच ही मेरी हालत ख़राब हो गई थी, चूत से पानी लगातार बह रहा था ; मैं भैया का लण्ड मुंह में रखकर चूस रही थी !क्या किस्मत लेकर आये थे मेरे जेठ जी, रोज़ नया माल, ज्यादातर कुंवारी और औरतें खुद चलके आती थी की मुझे चोदो ! यहाँ तक की मेरे पति उमेश ने आठ महीने तक खुशामद किया कि मेरी बीवी को माँ बनाओ !

जेठ जी के लण्ड का भी शायद यही राज़ था, अलग अलग किस्म की टाइट चूत ढीली कर कर के फौलाद बन गया था, नहीं तो ऐसी चुदाई संभव ही नहीं है, एक साधारण आदमी से ! मुझे आज अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था, कि मुझे जेठ जी का लण्ड आसानी से मिल गया था, खामखाह एक साल बिन चुदे बिता दिए !

आज मेरा मन चुदाई की बातों में इतना मस्त हो गया था, कि मैं जेठ जी के लण्ड पर थूक डाल डाल के लण्ड चूस रही थी ! जेठ जी पूरी मस्ती में आह आह कर रहे थे, मेरा ये नया रूप उनको दीवाना कर गया था ! आज मैं पागल हो गई थी, वो तो जेठ जी ही ने मेरी सील तोड़ी थी, नहीं तो वो मुझे बदचलन ही समझते !

भैया का लण्ड मूसल हो गया था, मैंने हलके से भैया की टाँग खींचकर उनको सीधा लेटने को कहा ! जेठ जी तो जैसे पागल हो गए, मैंने पैर की उँगलियों से उनको चूमना शुरू किया और ऊपर की तरफ बढ़ी ! जांघ के एक एक कोने को चूमा चाटा, और लण्ड को जीभ से मसाज देने लगी !

जेठ जी के लिए ये बहुत ज्यादा था, शायद गाँव की औरतें इतना फॉरवर्ड नहीं थी ! मैं माधुरी से भी ज्यादा उनको उत्तेजित करना चाहती थी ! उनके टट्टों को मुंह में लेकर गुलगुलाने लगी ! मुस्किल से एक गोली एक बार में मुंह में आ पाती थी ! लण्ड की पूरी चुसाई होते होते जेठ जी अब अधीर हो गए थे, चूत की तलाश कर रहे थे !

लण्ड से आगे बढ़कर, पेट,नाभि से होते होते मैं उनके छाती पे छोटे छोटे चूची वाली जगह पे आ गई थी ! इस बीच जेठ जी ने अपना लण्ड मेरी चूत पे टिकाकर सुपाड़ा मेरे चूत में प्रवेश करा दिया था ! आज मैं इतनी गीली हो गई थी कि मुझे किसी भी तरह के फिसलन कि जरुरत नहीं थी, लण्ड सटाक से अंदर जा रहा था !

मैंने भैया के चूची वाले एरिया को चाटना और चूमना शुरू कर दिया ! जेठ जी ने ही मेरी चूची कि शेप बिगड़ी थी, चूमकर और चूसकर, मैं अब सब भैया से सीख गई थी और आज मैंने भी सोच लिया था कि उनकी चूची फुला के रहूंगी ! वैसे उनकी छाती उभरी हुई थी, और जैसे मैंने जवान होने के क्रम में अपनी छाती का उभार शुरुआती दौर में देखा था, कुछ वैसा ही जेठ जी का भी था !

शायद जेठ जी को पहली बार किसी ने वहां छेड़ा था, वो पागलों कि तरह मेरी चूत में लण्ड पेले जा रहे थे, आज की तरह आराम से मैंने पहले कभी नहीं चुदवाया था, और न ही इतनी ज्यादा उत्तेजित हुई थी कभी ! भैया के चूची कि घुंडी को दांत लगाते ही जैसे भैया पागल हो गए हों, मेरे मुंह को अपने मुंह से चिपका के, जीभ अंदर डाल के ताबड़तोड़ चूसने लगे, साथ ही लण्ड को टॉप गियर में डाल दिया !

भैया अब मेरी गाँड को दोनों हाथ से पकड़ कर अपने लण्ड पर मेरी चूत को पटक रहे थे और अचानक भैया ने अपनी एक ऊँगली मेरी गाँड में घुसा दी ! फच.. फच.. फच.. की आवाज़ साथ में बज़ रहे म्यूजिक के साथ ताल मिला रहा था, मेरी चूत में जेठ जी लण्ड अंदर बाहर हो रहा था और गाँड में ऊँगली !

भैया को आज मैंने दीवाना बना दिया था, बदल बरसने को ही था ! मस्त चांदनी रात में खुले छत पर नंगे बदन, एक नाजायज़ रिश्ता मज़बूती के साथ चोदने -चुदने में लगा हुआ था, अपने से आधे उम्र की औरत के साथ ! ऐसी चुदाई की कल्पना ही की जा सकती है, जो आज मेरे हिस्से आई थी !

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आज मैं भी चुदाई में अनाड़ी होते हुए भी, एक असली मर्द को,जो सौ से ज्यादा कुंवारी औरतों को गर्भवती बना चुका था, चुदाई के खेल में पागल बनाने में कामयाब हो गई थी ! अब मैं भी उनको चूस रही थी, चूम रही थी, वो ढीले पड़ते जा रहे थे, लण्ड अपनी दौड़ के आखिरी पड़ाव पर था ! एकाएक भैया तड़पे और बौछार कर दी वीर्य की मेरे चूत में !मैं तो बार बार झड़ी थी, एक आखिरी बार भी झड़ गई वीर्य के धार के चूत की दीवारों पर पड़ने के कारण !

 भैया शांत होते जा रहे थे, पर मैं उनको लगातार चूमती चूसती जा रही थी, जब तक वो ठंढे न पड़ गए ! भैया का गाढ़ा लण्ड का पानी पूरी रात मेरी जाँघों और भैया की जांघो को फेविकोल की तरह चिपकने वाला था, पर परवाह किसे थी ! चेहरे पर धूप का अहसास हुआ, तो नींद खुली ! हम दोनों अस्त व्यस्त हालत में बिस्तर पर थे !बिस्तर की हालत बता रही थी की कल रात यहाँ घमासान चुदाई का आयोजन था !

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