Jawan Bahu Fingering
मैं सीमा २० साल की महिला हूँ !मेरी शादी करीब १ साल पहले उमेश से हुई !मैं दिल्ली में रहती हूँ और लखनऊ के पास एक गांव में मेरा ससुराल है !ससुराल में मेरी सास अपने दो बेटों के साथ रहती है ! मेरा देवर का बचपन में ही दौरे पड़ने की बीमारी लग गई थी,और वो अपाहिज की ज़िन्दगी जी रहा था ! Jawan Bahu Fingering
दौरे के वक़्त उसको तुरंत इंजेक्शन देना पड़ता था,जिसके लिए एक नर्स हमेशा उसके साथ रहती थी !वो बिस्तर पर ही पर रहता था,और चल फिर नहीं पाता था !सास को भी घुटनो के परेशानी की वज़ह से व्हील चेयर और बेड पर ही रहना पड़ता था !
मेरे जेठ जी ने जनरल फिजिशियन और गायनोकोलोजी के डाक्टर का कोर्स किया था पर गावं में रहकर ही सबकी देखभाल करते थे, और मरीज़ों को देखते थे !गावं के औरतों की डिलीवरी भी इन्ही के क्लिनिक में होती थी,जिसके लिए एक और नर्स रखी हुई थी!
दूर दूर के गावं में उनका नाम था, और लोगों को विश्वास था की उनके इलाज़ से बाँझ को भी बच्चा हो जाता था !लोग उनको भगवान की तरह मानते थे और इज़्ज़त करते थे ! एक चीज़ जो उन्हें और भी महान बनाती थी .वो ये की घर में दो दो अपाहिजों के चलते, ४५ साल के होते हुए भी उन्होंने शादी नहीं की थी !
वैसे अभी भी वो २५ साल के लड़कों को कुश्ती में हरा देते थे,दिखने में भी डाक्टर काम पहलवान ज्यादा लगते थे !शादी के बारे उनका कहना था की कोई भी पत्नी दो दो अपाहिजों को नही झेल सकती !उनकी इस बात का उमेश हमेशा जिक्र करते थे और खुद को छोटा समझते थे की वो नौकरी के लिए बाहर हैं!
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मैं भी जेठ जी की इस बात पर बहुत गर्व महसूस करती थी, क्योंकि एक दिन में मैं बहुत परेशान हो जाती थी ! देवर के चलते मुझे भी इंजेक्शन लगाना सीखना पड़ा था,क्योंकि घर में हर आदमी को सिखाया गया था की क्या जाने कब जरुरत पड़ जाए !
उमेश हर हफ्ते गावं जाते थे, और बड़े भाई का हाथ खेती में और छोटे भाई और माँ की सेवा में लगाते थे !मैं भी कभी कभी साथ जाती थी,पर कभी एक रात से ज्यादा नही रूकती थी ! घर में सब मुझे बहुत प्यार करते थे और जेठ जी मुझे सोना बेटा कहते थे,और मैं उनको भैया कहती थी !
साल में एक बार पिताजी के बरसी पे घर के सभी रिश्तेदार को बुलाया जाता था, और पूरे गावं को खाना खिलाया जाता था ! मेरे लिए ये दूसरा मौका था !पहली बार मैं नई नवेली दुल्हन थी,और चुप चाप बिस्तर पर ही बैठी रही थी !लेकिन इस बार सारा काम मेरे जिम्मे था !
उमेश की ट्रेनिंग चल रही थी,और ट्रेनिंग के बाद उसको १० दिन के लिए अमेरिका जाना था !शहर में खाली समय रहने के कारण मैंने एक बहुत महंगा कोर्स ज्वाइन कर लिया था !रोज़ एक घंटे की क्लास होती थी !छुट्टी एडजस्ट करना मुस्किल था !
गावं की नर्स एक हफ्ते छुट्टी पर थी, जिसकी वजह से भैया भी,देवर के कारण गावं से नहीं आ सकते थे !अंत में ये फैसला हुआ कि उमेश मुझे गावं छोड़ कर,उसी रात लौट आयेगे! और भैया मुझे तीन दिन के बाद वापस दिल्ली छोड़ आएंगे और मेरे साथ वहां १० दिन रहेंगे,जब तक उमेश अमेरिका से वापस नहीं आ जाते !
सुबह हम पहुंचे,और मैं काम में लग गई !शाम को गावं को खाना खिलने के बाद उमेश को दिल्ली वापस जाना था ! मैं पुरे दिन काम काज में लगी रही !पूरा बदन टूट चूका था !लगता था कि अब बेहोश हो जाउंगी !मुझे दो बार चक्कर सी आई,पर उमेश को नहीं बताया क्योंकि वो बेकार परेशान होता !
मैंने भैया से कहा, उन्होंने चेक करने के बाद दो सफ़ेद और दो गुलाबी टेबलेट दी !सफ़ेद वाली आज और कल रात के लिए और गुलाबी दिन में खाने को बोला ! घर में मेहमान के कारण मुझे किचन के ऊपर का कमरा दिया गया था,जो आँगन के दूसरी तरफ था !ऊपर दो कमरे थे !
एक में भैया और देवर को रखा गया था !भैया के न होने पर मैं इंजेक्शन दे सकती थी, इसलिए मुझे उनके साथ ही रखा गया था !उमेश के जाते ही मै अपने कमरे में आ गई !दूसरे कमरे में देवर सो रहा था !मैंने गुलाबी साटन कि साड़ी और और ब्लाउज पहन राखी थी !अंदर शैतान कि ही मैचिंग ब्रा और पॅंटी पहनी थी !
सर में दर्द था और चक्कर भी आ रहे थे !मैंने सोचा कि दवा खा कर थोड़ी देर लेटती हूँ,फिर नाईट ड्रेस पहन लुंगी !बिस्तर पर लेटते ही कब नींद आ गई,पाता नहीं चला !करीब पांच बजे सुबह नींद खुली तो कुछ अजीब सा लगा !साड़ी पूरी उठी हुई थी,पेटीकोट के साथ !पैंटी में बहुत गीलापन था !ब्रा के हुक अंदर से खुले थे और निप्पल के पास पूरा गीला था !
मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किये और बाथरूम भागी !पैंटी उतारते ही मैं चौंक गयी,क्योकि पैंटी उलटी थी !मैंने ज़िन्दगी में कभी उलटी पैंटी नही पहनी थी,और मुझे पूरा विस्वास था कि कल भी मैंने सीधी पहनी थी! ब्लाउज उतारा तो देखा कि ब्रा का सिर्फ एक हुक लगा है वो भी गलत जगह !
इसका मतलब था कि किसी ने मेरी ब्लाउज और ब्रा खोली,पैंटी उतारी और वापस पहना दिया !मेरे चिकने चूत पर भी एक चमक थी,जैसे किसी ने उसको रगड़ रगड़ के साफ़ किया हो !मेरे तो होश उड़ गए कि कौन हो सकता है,क्या किसी ननद ने किया है या किसी मर्द ने !
ताज़्ज़ुब इस बात का था कि मुझे पाता नहीं चला !किसी तरह इस टेंशन में मैं तैयार होकर नीचे उतरी,घर के काम काज के लिए ! अंदर से मैं बहुत डर गई थी, ज़िन्दगी में पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ था ! किसी से कुछ पूछना या बोलना मेरे लिए असंभव था !
एक बार सोचा की उमेश से बात करूँ,पर मुझे लगा कि अभी तो क्या,मैं पूरी ज़िन्दगी यह बोलने का साहस नहीं कर पाउंगी ! किचन से चाय लेकर निकली तो देखा कि भैय्या खेत से वापस आ गए थे ! उन्होंने पुछा कि तबियत कैसी है, दवा टाइम पर ले रही हो या नहीं !
मैंने हाँ में सर झुकाया,और आगे बढ़ गई !बदन में अजीब सी सनसनाहट हो रही थी ! चूत बहुत ज्यादा कोमल लग रही थी ! पैंटी के साथ हलकी सी रगड़ भी सनसनाहट दे रही थी !मेरे लिए ये नया अनुभव था ! कौन है वो जिसने मेरे अंगों से खेला है !
औरत होने के नाते एक बात का मुझे पक्का यकीन था कि मेरे साथ सेक्स नहीं हुआ है,पर बाहर से किसी ने जी भर के चूमा चाटा है ! मेरा किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था ! मैं इतनी बेहोश कैसे हो सकती हूँ कि मुझे पता नहीं चला !दिन भर रिश्तेदारों के साथ बातें होती रही !
दिन में आराम का मौका ही नहीं मिला,जिससे थकावट बहुत ज्यादा हो गई थी !भैया किसी जरुरी डिलीवरी पर बगल के गावं चले गए थे, उनके आने का कुछ पता नहीं था ! बोल कर गए थे कि शायद न भी आ सकें रात को ! शाम होते होते मुझे बहुत ज्यादा थकावट होने लगी थी !
मैंने खाना शाम को ही खाया था,इसलिए रात को खाना नहीं खाना था !मेरी सास ने कहा कि मैं जा के आराम कर लूँ !मैंने कह दिया कि अब मैं रूम में जा रही हूँ सोने के लिए ! ऊपर रूम में आकर मैंने कपड़े बदलने कि सोची, नाईट ड्रेस पहना और दवा खाकर सोने चली गई !
नाईट ड्रेस के साथ मैं ब्रा और पैंटी नहीं पहनती थी ! दिमाग में कल कि बातें चल रही थी !मैंने सोच लिया था कि अगर आज ऐसा कुछ हुआ तो मैं जरूर पकड़ लुंगी उस अनजान चेहरे को !शाम के ७ बजते बजते मुझे गहरी नींद आ गई !देर रात मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरे चूत को जीभ से चाट रहा है !
मैं डर के मारे आँख नहीं खोल पाई !मेरी नाईट ड्रेस ऊपर गर्दन तक उठे हुए थे, अजनबी के दोनों हाथ मेरे चूची को सहला रहे थे !कमरे में हलकी रौशनी तो थी, पर आँखें खोल कर देखने का साहस मुझमे नहीं था !चूत चाटने वाला बड़े आराम से चूत का कोना कोना जीभ से साफ़ कर रहा था, कोई जल्दी नहीं लग रही थी !
ज़िंदगी में पहली बार किसी मर्द ने मुझे उस जगह छुआ था !उमेश ने तो आज तक मेरी चूत देखी भी नहीं थी ! पूरा बदन सनसना रहा था ! कि अचानक मेरे पूरे बदन में एक तनाव सा आया, और लगा जैसे मेरी चूत से फौवारा छूटा है ! उसके बाद मेरे कमर के नीचे का हिस्सा बिलकुल ही ढीला पर गया !
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शायद अज़नबी को कुछ शक हुआ की मैं जाग रही हूँ !थोड़ी देर के लिए सब कुछ शांत हो गया !मैं समझी की चलो बला टली !मैं चुप चाप लेटी रही !मैं यह चाहती थी की अजनबी को लगे कि मुझे कुछ पता नहीं चला कि मेरे साथ क्या हुआ !मैं किसी आहट का इंतज़ार कर रही थी कि उसके जाते जाते मैं उसे देख पाउ और कम से कम ये जान तो लूँ कि ये कौन है !
कुछ समय ऐसे ही बीत गया !मैं चाहती थी कि जल्दी से मैं नाईटी को नीचे करू,क्यूकि नंगे बदन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था !मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी मेरे साथ ऐसा हो सकता है !उमेश ने भी मुझे कभी नंगा नहीं किया ! बस अँधेरे कमरे में नाईटी कमर तक उठा कर जो भी उससे बन पड़ता था,कर लेता था !
मुझे भी सेक्स के बारे ज्यादा पता नहीं था,जीभ से चूत को चाटा जाता है, ये तो बिलकुल मेरी समझ के बाहर था ! मुझे बस एक ही बात अच्छी लगी थी कि मेरी चूत ने उसे बहुत पसंद किया था और पहली बार मुझे पूरा संतोष लग रहा था !लेकिन अनजाने मर्द का ख्याल आते ही मन घृणा से भर गया !
मैं किस मुह से उमेश के सामने जाउंगी,मेरे दिमाग में ये बात चल रही थी !मुझे पहली बार ऐसा लगा कि मैंने उमेश के साथ धोखा किया !लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी !जब पहली बार मेरी चूत और चूची चाटी गई, तो मुझे पता भी न चला, अब आज अगर रोक भी लेती तो दाग तो लग ही चूका था मेरे दामन पे !
इन उलझलों में अभी खोई ही थी कि एक ऊँगली का अहसास मेरे चूत को हुआ ! वो ऊँगली से मेरे चूत को सहला रहा था !स्पर्श इतना हल्का था कि मेरे रोएँ खड़े हो गए थे !वो मेरे चूत के आस पास ऊँगली से सहला रहा था और बीच बीच में चूत में भी थोड़ा सा घुसा कर आगे पीछे कर रहा था !
अज़नबी की ऊँगली उमेश के लण्ड से मोटी थी ! फिर मुझे लगा कि कोई मेरे बगल में आकर लेटा है! उसका एक हाथ मेरे चूत पर था और दूसरे से वो मेरे होंठ सहला रहा था !फिर अचानक से मेरे चूची पर जीभ फिराने का अहसास होने लगा, और उसने एक निप्पल मुंह में ले लिया !
जैसे जैसे वो मेरे निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा था,मेरा शरीर मेरा साथ छोड़ रहा था !शरीर और अंतरात्मा में जंग छिड़ गयी थी !बदन पूरी तरह अज़नबी का साथ दे रहा था और अंतरात्मा मुझे धिक्कार रही थी ! मुझे लगा अगर जल्दी से मैंने कोई कदम नहीं उठाया तो अनर्थ हो जायेगा !
शरीर में कंपकपी होने लगी थी !मैंने पूरी हिम्मत के साथ अपनी आँख थोड़ी सी खोली !हलकी रौशनी कमरे में थी ! डर से आँख ज्यादा नहीं खोल रही थी क्योंकि मैं यही चाहती थी कि मुझे उसका सामना न करना पड़े और वो बस इतने पर वापस चला जाये !
उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,क्योकि वो बीच बीच में मेरे होंठ भी चूस लेता था !अब मुझे लगा कि अब नहीं तो फिर बहुत देर हो जाएगी ! मैंने अपने बदन को इस तरह घुमाया, जैसे मैं करवट ले रही हूँ !लेकिन मेरी उम्मीद के उलट अज़नबी ने मुझे अपने बाँहों में ले लिया !
शुक्र था कि उसने कपड़े पहन रखे थे !अब मेरे बगल में अजनबी लेटा था !उसने अपना एक पैर मेरे दोनों पैर के ऊपर डाल कर मुझे हिलने डुलने से रोक दिया !बहुत ही ताक़त थी उसके बंधन में और बहुत गठीला जवान मर्द का अहसास हो रहा था मुझे !
अब उसने मेरे मुंह में अपनी जबान डाल दी और रास पीने लगा !मेरे लिए अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था,और मुझे लग रहा था कि अब किसी भी वक़्त वो मुझे चोद सकता है,क्योंकि वो आक्रामक होता जा रहा था ! न जाने क्यों ये सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था,लेकिन उमेश के साथ मैं मरते दम तक बेवफाई नहीं कर सकती थी !
काश ये सब उमेश कर रहा होता, मैं तो गुलाम बन जाती उसकी ! अब बस और नहीं, मैंने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और ऑंखें खोल दी !आँखें खोलते ही जैसे भूचाल आ गया !मैं पूरी जोर से चीखी…….भैया आप !लेकिन मेरी चीख में उतना जोर नहीं था कि वो आँगन के उस पार सो रहे लोगों तक पहुँच पाती, और फिर भइया ने अपना हाथ मेरे मुंह पर रख दिया था जिससे रूम में ही मेरी आवाज़ दब कर रह गई !
मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि भैया मेरे साथ ऐसी हरकत कर सकते हैं !हैरानी कि बात ये थी कि मेरे जागने के बाद भी भैया को कोई डर या पछतावा नहीं था !मेरा मुंह उन्होंने बंद कर रखा था ! मेरी आँखों में आंसू थे ! भैया ने बोला, देखो सोना बेटा, अगर तुम चिल्लाओ नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह पर से हाथ हटाउ !
मेरा मुंह गुस्से से लाल हो रहा था !भैया के भारी हाथ के कारण मेरा मुंह दर्द कर रहा था ! मैंने आँखों से ही उनसे रिक्वेस्ट किया, उन्होंने फिर पूछा ‘चिल्लाओगी तो नहीं’ ! मैंने पलकें झपका कर ना कहा !उन्होंने कहा ‘प्रॉमिस ‘,और हाथ थोड़ा हल्का किया,मैंने दबी जबान में बोला ‘प्रॉमिस !
उन्होंने हाथ हटा लिया था !मैंने गिरगिराना शुरू कर दिया . भैया आप ये क्या कर रहें हैं ..मैं आपके छोटे भाई कि बीवी हूँ,आप मेरे लिए पिता समान हैं !आप ऐसा मत कीजिये मेरे साथ !मुझे छोड़ दीजिये, मैं किसी से नहीं कहूँगी,कि आपने मेरे साथ ऐसा किया !
भैया ने कहा ‘ठीक है, मैं तुम्हें छोड़ दूंगा लेकिन एक शर्त पर ‘!मुझे आपकी सब शर्त मंजूर है भैया, बस आप मुझे छोड़ दीजिये ! भैया बहुत शर्मिंदा लग रहे थे,बोले ‘देखो बेटा,मैंने ऐसा क्यों किया,ये मैं बाद में बताऊंगा तो शायद तुम मुझे माफ़ कर सको ! मैंने कल और आज तुम्हारे शरीर के हरेक अंग को छुआ है,लेकिन तुम नींद में थी !
मैं सिर्फ १० मिनट तुम्हारे जागते हुए तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ, तुम्हारे साथ वो सब करना चाहता हूँ,जो मैंने कल और आज किया है, तुम्हारी नींद में ! लेकिन जो भी मैं करूँगा वो अपने संतुष्टि के लिए करूँगा,तुम उसमे बिलकुल शामिल न होना !
अगर तुम्हारे शरीर ने मेरा साथ दिया, तो तुम शर्त हार जाओगी, और मैं समझूंगा की ये सब तुम्हें अच्छा लग रहा है ; फिर तुम वही करोगी जो मैं चाहूंगा ! और अगर तुम दस मिनट तक बगैर किसी उत्तेज़ना के चुप चाप लेटी रही तो,मैं ज़िंदगी में कभी दुबारा तुम्हारी साथ ये सब नहीं करूँगा !
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मैं बहुत असंजस में फँस गई थी, एक तरफ अपनी आत्मा को मारना था,दूसरी तरफ भैया से हमेशा के लिए छुटकारा ! एक बात का तो मुझे पक्का यकीन था, मैं और मेरा शरीर, उनके किसी भी हरकत पर उनका साथ नहीं देंगे,क्यूंकि एक तो मुझे उनसे नफरत सी हो गई थी और दूसरा कि उनके घंटो चूमने चाटने के बाद भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल रखा था और उनको ये पता नहीं लगने दिया था कि मैं जागी हुई हूँ !
वैसे भी अगर मैं उनकी शर्त न मानती तो शायद वो अभी मेरी चुदाई कर दें ;और मुझे पता था कि मैं उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाऊँगी ! सब यही बोलेंगे कि बहू में ही बदचलन है,नहीं तो जिस आदमी ने अपने परिवार कि भलाई के लिए शादी नहीं की,वो भला कैसे छोटे भाई कि बीवी के साथ ऐसा कर सकता है !
लोग तो ये भी कह सकते हैं कि तुम्हारे परिवार के लिए जिसने ज़िन्दगी सौंप दी,उसके लिए तुम अपना शरीर नहीं सौंप सकी ! जल्दबाज़ी में मुझे कुछ नहीं सूझा. मैंने कह दिया,”मुझे मंजूर है, लेकिन आप भी प्रॉमिस कीजिये कि मेरे शर्त जीतने पर मुझे कभी नहीं छुएंगे” !
मेरे बोलने के दौरान ही भैया ने मेरी नाईटी गर्दन से निकल कर अलग कर दी,और पूरी तरह मेरे ऊपर लेट गए !उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा प्रॉमिस और उनके होंठ मेरे होंठ से सिल गए और हाथ मेरे पूरे बदन को सहलाने लगे ! मैंने नज़र उठा कर देखा,सुबह के चार बज़कर १० मिनट हो रहे थे !
भैया ने मुझे पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर लिया था ! मुझे चारों तरफ से घेर रखा था ! मैंने वादे के मुताबिक अपने आप को ढीला छोड़ दिया था !जो भी करना था, उनको ही करना था !मुंह को खुलवा के उन्होंने अपनी जीभ अंदर डाल दी ! मैंने अपनी जीभ अंदर खींच रखी थी !
उन्होंने मेरे मुंह पर दवाब बनाया और मेरी जीभ को अपने जीभ के बीचों बीच रखकर चूसने लगे ! जब भी में जीभ हटाने का प्रयास करती, वो मुंह दबाकर विरोध करते और मैं ढीला छोड़ देती ! उनका दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों को हलके हलके मसल रहे थे !
उन्होंने अपना पूरा बोझ अपनी कोहनी और पैर पर बैलेंस किया हुआ था,जिससे बीच में जगह बनी हुई थी और मैं दबा हुआ भी महसूस नहीं कर रही थी ! उनके विशाल गठीले शरीर के आगे मैं बिलकुल छुप सी गयी थी ! वैसे तो मैं भी बिलकुल दुबली नहीं थीं, पर मेरे शरीर पर कोई मोटापा नहीं था !
अपने फिगर, कपड़े और अपनी सफाई का मैं पूरा ध्यान रखती थी ! गावं आने से पहले ही मैंने पूरे बाल साफ़ किये थे,बगल में और चूत के आसपास मैं रोज क्रीम लगाती थी,जिससे वो बिलकुल मुलायम रहते थे ! मेरी चूची भैया के हाथों रौंदी जा रही थी !
भैया के हाथों में बिलकुल फिट हो गए थे,जैसे उनके लिए ही नाप से बने हों ! मेरे चूचियों की घुंडियों को भैया ने अपने दो उँगलियों के बीच फसा लिया और उसको भी आहिस्ता आहिस्ता मसलने लगे ! कमाल का कंट्रोल था,एक ही हथेली की ऊँगली अलग तरीके से काम कर रहे थे और हथेली अलग तरीके से !
भैया दवाब भी इतना ही बना रहे थे,जितना मैं बर्दाश्त कर पा रही थी ! कभी जान बूझ कर जोर से दबा देते थे, तो मेरी आह निकल जाती थी ! मेरे मुंह का सारा रस वो पीते जा रहे थे ! मैंने कभी इतनी गहरी किस नहीं की थी ! कभी कभी तो सांस रुकने लगती थी !एक साथ मेरे तीन अंग भैया का जुल्म सह रहे थे !
बदन कह रहा था कि ये हसीं पल कभी खत्म न हो, पर जमीर मुझे धिक्कार रहा था ! अभी मुश्किल से दो तीन मिनट बीते होंगे, और मैं टूटने के कगार पर थी, पर उमेश का ख्याल आते ही वापस अपने होश सम्हाल लेती थी ! अब भैया ने चूमना धीमा कर दिया था, होठ को धीरे से हटाकर मेरे गालों को चाटने लगे, फिर कान और गर्दन !
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जब वो कान के पीछे और गर्दन को चारो तरफ से चूमते चाटते थे, तो उनकी गर्म साँसे मुझे पागल कर देते थे !थोड़ी देर बाद वो चूचियो तक पहुंच गए ! कभी बायीं चूची तो कभी दायीं चूची मुंह में लेते और हल्का सा दांत मेरे निप्पल पर लगा देते,मेरी सीत्कार निकल जाती थी !
मेरी चूत का तनाव बढ़ता जा रहा था, लगता था अभी बिस्फोट हो जायेगा ! चूत से पानी लगातार निकल रहा था,जो मेरी जांघों से होकर बिस्तर गीला कर रहा था ! मेरे गोर चिट्टे बदन पर अब लाल लाल निशान बनने लगे थे !भैया जब भी चूची जोर से चूसते तो मुझे लगता कि अगर मेरा बच्चा होता तो मुझे ऐसा ही महसूस होता !
आज पहली बार मुझे पता लग रहा था कि मेरे बदन मुझे इतना सुख दे सकते है ! पूरी जिंदगी में जो नहीं मिला वो आज ५ मिनट में मिल गया था !जब भैया ने चूमना शुरू किया था तो उमेश मेरे दिमाग पर छाए हुए थे, पर अब वो बीच बीच में याद आ रहे थे और मैं अपना नियंत्रण बनाने कि कोशिश कर रही थी !
भैया अब बिस्तर पर बैठ गए थे, अपने दोनों पैर मोड़ कर ! मेरे दोनों पैर उन्होंने अपने दोनों तरफ फैला दिए और मेरी कमर के नीचे दो तकिये लगा दिए ! अब उनके मुंह के सामने मेरी चूत थी ! मैंने इससे ज्यादा शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं किया था ! शायद मैं उमेश को भी ये नहीं करने देती !
भैया नें कमर के नीचे हाथ डाल कर मेरे निचले हिस्से को ऊपर उठा लिया और भैया ने मेरी गुदा के छेद से नाभी तक जीभ फिरानी शुरू कर दी ! मैं एक खिलोने कि तरह उनके हाथ में थी ! कितनी ताक़त थी उनके हाथों में और उतनी ही नाजुक उनका स्पर्श था मेरे अंगो के लिए !
उनके चाटने से मेरी हालत पागलों वाली हो गयी थी ! चूर फड़फड़ा रहे थे ! हर स्पर्श से बदन सिहरन से भर जाता ! पूरा कमरा चाटने कि आवाज़ से संगीतमय हो गया था ! अब उन्होंने मेरे चूत को अपना निशाना बनाया !जीभ अंदर बाहर करने लगे !एक हाथ कि ऊँगली भी मेरे चूत के आस पास ही फिसल रही थी !
अचानक पता नहीं भैया ने कौन सी जगह छू दी, मुझे एक करंट सा अनुभव हुआ और मेरे चूत ने जोर से पानी का फौवारा मारा ! मुझे लगा,जैसे मैंने झटके में जोर से पेशाब कर दिया हो !भैया का पूरा चेहरा भीग गया होगा, सोच कर ही मैं शर्म से मरी जा रही थी !पिछले कुछ देर में मुझे उमेश बिलकुल याद नहीं आये, पर जैसे ही भैया ने मुझे नीचे रखा, उमेश मेरी नज़रों के सामने महसूस होने लगे !
मैंने बहुत मुश्किल से अपने को सम्हालने कि कोशिश की, पर न तो शरीर काम कर रहा था, न ही मन ! आज मुझे समझ में आ गया था कि, औरत क्यों अच्छी चुदाई के आगे, लोक लाज की परवाह नहीं कर पाती है ! मैंने हल्का सा आँख खोलने कि कोशिश की !
दीवार पर टंगी घड़ी अभी भी ढाई मिनट का टाइम बचा हुआ बता रही थी ! मैं अब निराश होने लगी थी ! पता नहीं भैया अब क्या करने वाले है ! वैसे अगर वो इस वक़्त अपना लण्ड भी मेरी चूत के अंदर डाल देते, तो मैं शायद मन नहीं कर पाती ! लेकिन भैया की ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी, कि उन्होंने अपना लण्ड अभी तक इन सब से अलग रखा था !
भैया अब मेरे बराबर करवट लेकर लेट गए थे ! एक हाथ को मेरे सर के पीछे से ले जाकर मेरी बायीं चूची को मुट्ठी में लेकर दबाने और सहलाने लगे ! दूसरा हाथ मेरी चूत पर हाथ फ़िर रहा था !फिर अचानक एक ऊँगली मेरी चूत में डाल दी !
मेरी चीख निकली पर तब तक उन्होंने जीभ मेरे मुंह में घुसेड़कर कर मेरे मुंह को बंद कर दिया ! फिर से एक साथ भैया के हाथ,मुंह,ऊँगली सब अलग अलग काम कर रहे थे !मैं हैरान थी कि, इतना परफेक्शन कितनी प्रैक्टिस के बाद आया होगा, वो भी एक बिना शादी किये हुए 45 साल के ऊपर के इंसान को !
मैं चुप चाप लेटी थी, फिर भी थक के चूर थी, और वो पुरे जोश के साथ लगे हुए थे ! एक बार ख्याल आया कि काश उमेश में ये सारे गुण होते, तो पराया मर्द मुझे हाथ लगाता, इससे पहले मैं जान दे देती !भैया ने अपनी कारवाही जारी रखी, कभी ये चूची तो कभी वो चूची ! कभी ऊँगली कि स्पीड बढ़ा देते और कभी घटा देते !
कभी उस अनजाने स्पॉट को दबा देते ! उन्होंने जीभ से मेरे मुंह के अंदर का कोना कोना चूस लिया था ! मुझे पता भी न चला कि मैं मस्ती में सीत्कार मार रही थी,भैया के जीभ को चूस रही थी और एक हाथ से भैया कि पीठ को सहला रही थी !सब कुछ अपने आप चल रहा था, मुझे कुछ पता नहीं था कि मेरे साथ क्या हो रहा है, कौन सी शर्त थी और हार जीत पर क्या होना था !
फिर अचानक चूत में एक जोर का भूचाल आया और सबकुछ शांत सा हो गया ! भैया ने हलके से जीभ बाहर निकली,और मेरे कान में बोले, सोना बेटा, तुम शर्त हार गयी हो ! मैं जैसे बेहोशी से जागी ! मुंह से मुश्किल से निकला कैसे ? भैया बोले, बेटे मैंने तुम्हारे अंदर सिर्फ ऊँगली रखी है !
मुझे झटका सा लगा, ध्यान दिया तो महसूस हुआ कि भैया कि ऊँगली मेरी चूत में स्थिर है और मैं नीचे से उसे अंदर बाहर कर रही हूँ !फिर ध्यान में आया कि मैं भैया कि पीठ भी सहला रही हूँ ! मैं जैसे नींद से जागी, निराशा भरी नज़रों से भैया को देखा और हारे हुए जुआरी कि तरह सर झुका लिया,अभी भी ३० सेकंड बचे थे !अब मैं समझ गयी कि भैया ने मुझे छल से जीत लिया था !
मेरे लिए अपनी बात से वापस होना नामुमकिन था !मुझे बहुत जोर कि पेशाब आ रही थी ! बाथरूम जाना था, पर हिल नहीं पायी! भैया ने मेरी नाइटी बिस्तर से उठाकर, टेबल पर रख दिया और अपना कुर्ता उतार दिया ! बालों से भरा चौड़ा सीना मेरे सामने था !
भैया ने पजामा भी उतार दिया !अब सिर्फ अंडरवियर में मेरे सामने थे ! मेरी सूनी ऑंखें आंसुओं से भरी हुई थी ! उमेश आज मुझसे दूर हो रहा था, और भैया मेरे चूत के ख्यालों में मुस्करा रहे थे ! उनके बिस्तर पर लेटने से पहले ही मैंने कहा, मुझे बाथरूम जाना है !उन्होंने सहारा दिया, पर मैं सम्हल नहीं पायी और उनकी बाँहों में झूल गयी !
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उन्होंने मेरी हालत समझी और मुझे गोद में उठा लिया, और बाथरूम की तरफ चल पड़े ! उनके बालों से भरे सीने में मेरे मुंह था, अजीब सी मरदाना खुश्बू मुझे पागल करने लगे ! भैया ने मुझे सीट पर बिठाया और खुद बाहर चले गए ! जाते जाते दरवाजे को ठीक से लगाते गए !उन्होंने कहा, मैं बाहर हूँ, आवाज़ दे देना ! मैंने लगातार पता नहीं कितनी देर तक पेशाब किया, बाथरूम में आवाज़ गूँज रही थी ! फिर पता नहीं मुझमे कहाँ से इतनी हिम्मत आई, मैंने दरवाज़े तक पहुँच कर अंदर से बाथरूम बंद कर ली ! उमेश मेरे दिमाग पर फिर से हावी थे !
मैंने सोच लिया की कम से कम आज नहीं चुदूँगी ! भैया बाहर से आवाज़ लगाते रहे, मुझे वादाखिलाफी करने के लिए कोसते रहे, पर मैंने कहा भैया, आज प्लीज मुझे माफ़ कर दो ! मैंने वादा नहीं तोड़ा है,पर आज में इस हालत में नहीं हूँ ! चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ आने लगी थी, यानि सुबह हो चुकी थी ! भैया सुबह के सैर के लिए निकल गए थे शायद. दोस्तों कहानी अभी जरी रहेगी जेठ जी ने कैसे मेरी चूत में लंड घुसाया वो कहानी के अगले भाग में…