Sister Fuck Train
मेरा नाम बलविंदर कौर है और घर वाले प्यार से मुझे बिल्लो कहते हैं. भाई का नाम जसविंदर है और हम उसे जस्सी कह कर पुकारते हैं. मॉम को दिल्ली में कुछ ज़रूरी काम था और वो जम्मूतवी ट्रेन से दिल्ली जा रही थी.. घूमने के बहाने भाई मॉम के साथ हो लिया तो मैं भी जाने की ज़िद करने लगी तो मॉम मान गयी. Sister Fuck Train
दरअसल जो मज़ा आजकल मुझे भाई की छेड़ खानी मे आ रहा था उस से मैं महरूम रह जाती. ज़रा सा मौका मिलते ही भाई कभी मेरी चुचि दबा देता तो कभी चुम्मा ले लेता था. हम नकली लड़ाई भी लड़ते रहते थे जिसमे कभी वो मेरे उप्पर चढ़ कर फ्रॉक हटा कर मेरी गांद मे लंड गढ़ाता और चुचियाँ मसलता तो कभी मैं उसके लंड को भींच देती.
जवानी मे कदम रखते ही मज़ा आ रहा था. इसी मज़े की मारी मैं भाई और मॉम के साथ चल पड़ी. मज़े की सुरुआत भाई ने ट्रेन मे चढ़ते टाइम ही मुझे सहारा देने के बहाने मेरी चुचि दबा कर की. सफ़र का पूरा लुतफ उठाने के लिए मेने ब्रा पहनी ही नही थी.
फिर भाई ने मेरी गांद पे भी चिकोटी काट ली. मेने गांद को सहलाते हुए भाई को एक हल्का सा मुक्का मारा. मॉम हमारे आगे थी इसलिए उन्हे कुच्छ पता नही था कि पिछे उनके लाड़ले बेटा बेटी क्या गुल खिला रहे हैं. हम एसी-2 के कॅबिन के अंदर दाखिल हो गये….
प्राइवसी के लिए भाई ने पर्दे खींच दिए. यहा से 3 बजे के करीब ट्रेन चली. मॉम ने नीचे की बर्त पे पसरते हुए कहा क मुझे रेस्ट करने दो, तुम उपर की बर्त पे चले जाओ. भाई ने वहीं खड़े हो कर टवल लपेट कर जीन्स उतारी और सफ़र के लिए एलास्टिक वाला पायज़मा पहन लिया.
मेने गौर किया कि जीन्स के साथ भाई ने अंडरवेर भी उतार दिया था… मुझे लगा कि आज तो मुआ चोद के ही मानेगा. ये सोच कर ही मेरी चूत गिल्ली हो गयी. मेने मॉम को सुनाते हुए भाई से कहा कि वीर जी थोरी देर के लिए कॅबिन से बाहर जाओ, मेने भी कपड़े चेंज करने हैं.
मॉम बीच मे बोल पड़ी “अरी अब कहाँ जाएगा ये, बेटे जस्सी उधर मूह फेर ले.. बिल्लो कपड़े चेंज कर लेगी. भाई ने दूसरी तरफ मूह कर लिया. मैं सलवार उतारने लगी लेकिन गोल गाँठ लगने की वजह से मेरी सलवार का नारा नही खुला तो मैं मॉम के नज़दीक गयी और नारा खोलने की रिक्वेस्ट की.
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मॉम ने मूह से खोलने की नाकाम कोशिश की और थक हार कर लेट गयी और जस्सी से बोली कि बेटे तेरे दाँत मजबूत हैं,बिल्लो का नारा खोल दे. मैं बोल पड़ी… क्या भैया से ? मॉम मेरी बात को अनसुना करके बोली कि कल तक तो तुम्हे इकट्ठा नहलाती थी अब इतना शरमाती है, और जस्सी को कहा कि बेटे नारा खोलते टाइम तुम आँखें बंद कर लेना,और बिल्लो अगर तुम्हे ज़्यादा शरम आए तो तू भी आँखे बंद कर लेना,अब मुझे रेस्ट करने दो.
मेने देखा कि भाई की नज़र मेरे सलवार के नारे पे थी जिसे मैं अभी भी हाथ से पकड़े हुए थी. भाई ललचाई नज़रो से मुझे देखते हुए सामने के बर्त पे बैठ गया. मेने देखा कि मॉम ने भी दूसरी तरफ मूह फेर लिया था. मैं शरमाती सी आगे बढ़ी और सलवार के नारे का सिरा भाई को पकड़ा दिया और शर्ट को चुचिओ तक उपर उठा दिया.
भाई ने एक हाथ मेरे हेवी चूतड़ पे रखा और मेरी नाभि को चूम लिया. फिर भाई जीभ नाभि मे डाल कर घुमाने लगा. मेरे सारे बदन मे करेंट सा दौड़ने लगा. फिर भाई दांतो से सलवार का नारा खोलने लगा और जल्दी ही सलवार खुल कर मेरे पैरों मे जा गिरी.
भाई ने तेज़ी से मेरी चढ्ढि नीचे खिसका दी और दोनो हाथ मेरे चूतदों पे लगा कर मेरी फूली हुई चूत का चुम्मा ले लिया. आज सवेरे ही मेने चूत को साबुन की तरह चिकना बनाया था. मेने मूड कर मॉम को देखा, वो अभी भी दूसरी तरफ मूह करके लेटी हुई थी.
जब भाई ने चूत पे जीभ फेरना शुरू किया तो मेने मूह पे हाथ रख के सिसकारी को रोका. मेने भाई को कंधा पकड़ कर हिलाया, उसने मेरी तरफ देखा तो मेने उपर वाली बर्त पे चलने का इशारा किया. फिर मेने भी चढ्ढि और शर्ट उतार कर नाइटी पहन ली, ब्रा तो मे पहले ही उतार कर चली थी.
मॉम ने हमारी तरफ देखे बगैर ही पुछा “बेटी नारा खुल गया क्या ?”.
मेने कहा कि हाँ मम्मी मेने कपड़े भी बदल लिए हैं.
मॉम बोली कि अच्छा बेटी, अब तुम भी रेस्ट कर लो”.
मैं बोली कि मम्मी हम उपर वाले बर्त पे लेट जाते हैं.
मॉम ने कहा कि ठीक है बेटा, जहाँ तुम्हारा दिल करे, सारे कॅबिन मे हम तीन ही तो हैं.
मॉम के ठीक उपर वाली बर्त पे पहले मैं उपर चढ़ि तो भाई ने दोनो हाथों से मेरे कूल्हे पकड़े और मेरे चूतदों के बीच मूह गढ़ा कर मुझे उपर चढ़ाया. फिर भाई भी उपर आगाया और साथ लेट कर मुझे बाहों मे भर लिया.
मैं डरती हुई भाई के कान मे फुस्फुसाइ “भैया कहीं मम्मी ने देख लिया तो?
भाई मेरे कान से मूह लगा कर धीमी आवाज़ मे बोला ” मम्मी हमारे ठीक नीचे वाली बर्त पे आँख बंद करके लेटी हुई है, उसे हम नज़र नही आएँगे.”
फिर तो हम एक दूजे से लिपट गये, हमारे होंठ जुड़ गये. मेने भाई के मूह मे जीभ डाल दी तो भाई भी मेरी जीभ चूस्ते हुए नाइटी के अंदर हाथ डाल कर मेरी चुचि दबाने लगा. उमड़ता हुआ तूफान चूत की तरफ इक्कथा हो रहा था. भाई का लंड खड़ा होकर मेरी चूत पे गाढ़ने लगा.
मेने भाई का पायज़मा नीचे खिसका दिया और गरम मोटे लॉड को हाथ मे ले लिया. भाई ने भी मेरी नाइटी उपर सरका दी और मेरी चूत को मुति मे भींच दिया. मैं फुर्ती के साथ नाइटी कमर तक उठा कर भाई के उपर इस तरह हो गयी कि उसका लंड मेरे मूह के पास था और मेरी चूत उनके मूह पर.
मेने मोटे लंड का सूपड़ा चाटना शुरू किया तो भाई भी जीभ निकाल कर मेरी चूत को चाटने लगा.. फिर मैं लौदे को गले तक निगल कर मूह को उपर नीचे करने लगी तो भाई भी चूत के टींट से लेकर गांद के छेद तक चाटने लगा. सफ़र का बड़ा मज़ा अरहा था.
मे 2 मिनिट मे ही खलास हो गयी. भाई चूत से निकला सारा कुँवारा अमृत पी गया. थोड़ी देर की सुस्ती के बाद मे फिर लंड को चूसने लगी क्योकि भाई अभी नही झाड़ा था. भाई की जीभ ने फिर कमाल दिखाना शुरू कर दिया… जीभ की नोक चूत के टिंट को गिट्टार बजाने की तरह छेड़ रही थी.
मैं दुबारा झड़ने लगी तो भाई ने भी नीचे से झटका सा मारा और लंड के पानी की तेज बोच्चरें मेरे गले से टकरा कर नीचे उतरने लगी. लंड को दबा दबा कर मैं आखरी बूँद तक चाट गयी. थोड़ी देर के बाद मैं सुसू करने के लिया गई. आगे के कॅबिन में एक स्मार्ट लड़का था.
उस ने मुझे देखा में ने भी उसे देखा और फिर में टाय्लेट चली गई, वो भी टाय्लेट के बाहर आ कर खड़ा हो गया, मैं जैसे ही निकली उस ने मुझ से पुछा आप कहा जा रही हो तो में ने बताया कि में अपनी मॉम और भाई के साथ दिल्ली जा रही हूँ, मैं वही खड़ी होकर उस से बातें करने लगी.
उस ने बताया कि वो अपनी सिस्टर को लेकर दिल्ली जा रहा है फिर मैं उस की सीट पे बैठ गई और उस की सिस्टर से बातें करने लगी, में ने ध्यान दिया कि वो लड़का बार बार मेरी चुचि की तरफ देख रहा है, में ने भी उसे छूट देदी और अपना दुपट्टा थोड़ा नीचे कर दिया.
फिर मेंने कहा कि मैं अपनी मॉम और भाई से कह कर आती हूँ कि में यहा बैठी हूँ नही तो मॉम परेशान होगी, और मैं अपनी मॉम के पास चली गई और जा कर कहा कि मेरी एक फ्रेंड मिल गई है मैं उसी के पास बैठने जा रही हूँ, मॉम ने कहा ठीक है तुम भैया के साथ चली जाओ.
ट्रेन करीब करीब खाली ही थी कुछ ज़्यादा लोग नही थे, मेरा भाई भी मेरे साथ आगेया, मेरा भाई और मैं दोनो ही मिलन के लिए मरे जा रहे थे.. ख़ासकर मेरा दिल तो बस भाई से चुदाई के लिए तड़फ़ रहा था. पर हम आपस में शरमाते थे.
यह अलग बात है के वो भाई का प्यार दिखाने के लिए मुझे बाहों में भर लेता, मेरे गाल का चूमा ले लेता और कई बार मेरे चूतादो पर चिकोटी भी काट लेता पर चुदाई के अरमान हम दोनो के दिल मे ही थे. आज हम बहुत आगे बढ़ चुके थे. मुझे इस बात का पूरा अहसास था कि भाई आज मेरी ज़रूर लेगा.
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ये तो हम जानते थे के एक बार बस शुरुआत हो गई तो फिर हम सारी कसर निकाल देंगे. एक दूसरे से पहल करने की उम्मीद लगाए बैठे थे. हम वाहा पे बैठ कर बातें करने लगे तो मेरे भाई ने मेरे कान मे कहा कि दीदी वो लड़का तुम्हारी चुचि को देख रहा है तो में ने कहा हां मुझे मालूम है इसी लिए तो दिखा रही हूँ, तुम भी उसकी बेहन को अपना निकाल कर दिखा दो.
हम बातें करते रहे फिर उस लड़के की सिस्टर को सुसू लगी और वो सुसू करने चली गई, मुझे मोका मिल गया, और में ने उस लड़के से बात करना शुरू कर दिया. उस ने एक किताब ली हुई थी, हम ने अभी बातें शुरू ही की थी कि उस की सिस्टर वापिस आगाई, और वो उठ कर जाने लगा तो में ने पुछा आप कहा जा रहे हो.
तो उस ने कहा में बाथरूम जा रहा हूँ तो में ने कहा कि ज़रा ये बुक देते जाए तो उस ने कहा नही में ये बुक नही दे सकता, में समझ गई कि ये कौन सी बुक है, फिर भी मैने उस के हाथ से बुक लेने की कोशिश की और कहा प्लीज बुक दीजिए ना जब आप आओगे तो मैं बुक दे दूँगी और झटके से बुक मेरे हाथ में आगाई.
मालूम नही उस ने क्या सोचा और चुप चाप वाहा से चला गया जब में ने बुक खोला तो उस के अंदर एक बुक थी, जब में ने उस बुक को खोला तो मेरे शक सही निकला वो एक सेक्सी स्टोरी की बुक थी. मैं और मेरा भाई दोनो ही उस बुक को पढ़ने लगे हम ने थोड़ी देर में ही सारी स्टोरी पढ़ ली, स्टोरी भाई बेहन की चुदाई की थी.
मेने उस लड़की से पुछा के तुम्हे पता है के तुम्हारा भाई कैसी किताब पढ़ता है तो उसने कहा इसमे हैरानी की क्या बात है, हम तो अक्सर दोनो इकट्ठे पढ़ते हैं. आजकल तो भाई बेहन का लव अफेयर आम बात है. क्या तुम अपने भाई से प्यार नही करती?”
मेने कहा के प्यार तो हम भी आपस मे करते हैं पर ये किताब वाला प्यार नही.
इस पर वो बोली के” इसका मतलब है के असली स्वाद तो तुमने अभी चखा ही नहीं है, गरम पानी से घर नही जला करते, आग मे डूब कर देखो” और फिर बुक को हाथ में लेकर बैठ गई थोड़ी देर में वो लड़का वापिस आया, तो में ने उसे बुक देते हुए कहा इस बुक की कहानी बहुत अच्छी है.
इसी बीच उस की सिस्टर उपर के बर्थ पे सोने चली गई, जब में ने उस से उस बुक की तारीफ की तो वो समझ गया कि लाइन क्लियर है, तो उस ने मुझ से धीरे से कहा कि अगर आप अपने भाई को जाने को कहो तो में एक और बुक देता हूँ उस में इस से भी अच्छी कहानी है तो में ने उस से कहा कि कोई बात नही है मेरा भाई और में एक दम दोस्त की तरह है आप हमे बुक दो हम साथ में पढ़ेंगे.
तो उस ने इशारे से पुछा की बुक पढ़ने दूँगा तो कोई फ़ायदा होगा क्या? तो में ने भी कह दिया रात होने दो कुछ ना कुछ तो फ़ायदा दिलाउन्गि, इस पर उस ने कहा कि तुम अपने भाई से खुली हो तो उसे भी कुछ फ़ायदा होगा, तो में ने अपने भाई से कहा क्यू तुम्हे इस से कुछ फ़ायदा होगा और आँख मार दी. तो मेरा भाई ने मेरी चुचि अपने हाथ से दबाते हुए कहा हां होगा.
इस पर वो खुश हो गया और अपने बॅग से एक बुक निकाल कर दिया वो रंगीन बुक थी उस में एक से बढ़ कर एक फोटो और कई कहानिया थी मेने उस से कहा कि में बुक लेकर अपनी मॉम के पास जा रही हूँ क्योंकि अगर वो यहा पे आगाई तो ग़लत समझेंगी तुम थोड़ी देर बाद अपनी सिस्टर को मेरे पास भेजना वो मुझे बुलाकर यहा पे ले कर आएगी तब तक रात भी हो जाएगी और फिर हम सब को फ़ायदा हो जाएगा.
इस पर उसने कहा ठीक है में ऐसा ही करूँगा, फिर में और मेरा भाई वो बुक लेकर मॉम के पास आए, और फिर में उपर के बर्त पे चली गई और उस में रंगीन फोटो देखने लगी, थोड़ी देर में भाई भी उपर आया और मेरे साथ फोटो देखने लगा और मेरी चुचि दबाने लगा.
में फोटो देख कर काफ़ी हॉट हो चुकी थी, में ने अपने भाई का हाथ पकड़ कर सलवार के नारे पर रख दिया. वो समझ गया और धीरे से मेरी सलवार का नारा खोल कर मेरी बाल रहित योनि के ऊपेर हथेली रख दी. तवा गरम हो चुका था. मेने उसकी हथेली को अपनी चूत के ऊपेर दबाया तो वो मेरी चूत को मुति मे भरने लगा.
फिर चूत मे उंगली करने लगा और मेने भी आहिस्ता से उसका पयज़ामा खोल कर विकराल लंड को थाम लिया. हाए कितना मोटा और गरम था. मेरे बदन मे मज़े की मद होशी सी छाने लगी. मेने एक बार नीचे झाँक कर देखा, मॉम हमारी बर्त के बिल्कुल नीचे आँखें बंद किए लेटी हुई थी.
बेफिकर हो कर मेने भाई के लंड का चुम्मा लिया. मैं लंड को मूह मे भरने लगी तो कुच्छ आहट सी हुई. सर उठा कर देखा तो उस लड़के की बहेन थी. वो मेरी मॉम से मिली थोड़ी देर बाद उस ने मुझ से कहा चलो ना वही पे बैठते है तो मेरी मॉम ने कहा की हां हां तुम लोग जाओ अपनी फ्रेंड के साथ, भाई को भी साथ ले जाओ मगर जल्दी अजाना और खाना खा लेने फिर खाना खा के चली जाना.
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हम ने कहा ठीक है, मगर जब हम वाहा पे गये तो वो लड़का वही पे बैठा था उस ने अपनी सिस्टर को थॅंक्स कहा, और फिर हम बातें करने लगे, बातो बातो में पता चला कि वो दोनो सगे भाई बहेन है मगर वो भी आपस में चुदाई का मज़ा लेते है.
उस लड़की ने मुझ से खुल कर कहा कि “घर पे कई दिन से मौका नही मिल रहा था,मैं आज मेरे भाई से चुदवाउन्गि, मुझे खुशी हुई कि अब कोई डर नही है हम आराम से चुदाई का मज़ा ट्रेन में भी ले सकते है. वो लोग जिस कॅबिन में थे वो बिकुल खाली था तो उस ने कहा कि तुम दोनो यही पे सोने अजाना.
तो में ने कहा आप ही मॉम से कहना कि हम दोनो यही पे सोएंगे, उस ने कहा ठीक है में तुम्हारी मॉम से बात कर लूँगी, थोड़ी देर में एक स्टेशन आया हम ने चाइ पे फिर में और भाई मॉम के पास आए रात के 8:30 बज चुके थे हम ने खाना खाया.
फिर हम बैठे ही हुए थे कि वो लड़की उस का नाम तन्नू था वो आई और मॉम से बोली आंटी बिल्लो और जस्सी को आप वाहा पे भेज दो में अकेली हूँ अपने भाई के साथ उस कॅबिन में कोई नही है तो मैं बोर हो रही हूँ हम वाहा पे बातें करेंगे फिर ये दोनो वही सो जाएगी, सुबा आजाएगी.
तो मॉम ने कहा ठीक है तुम लोग जाओ वही सो जाना, मेरी तो खुशी का कोई ठिकाना नही था ट्रेन में भी मुझे जुगाड़ मिल गया था, हम वाहा पे आए और हम चारो बैठ कर बातें करने लगे हम हम चारो एक दम खुल के बातें कर रहे थे तन्नू ने मुझे और मेरे भाई जस्सी को अपने भाई से अपनी चुदाई के कई किस्से सुनाए.
जिस से मेरी चूत उसी वक्त लंड माँग रही थी, सेक्स की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी, पता ही नही चला कि कब रात के 10 बज गये हम टाइम हो चुका था कि कुछ किया जाय तो में ने तन्नू से पुछा कि केसे करना है तो उस ने कहा तुम दोनो बेहन भाई एक एक कर के बाथ रूम में जाना और वही चुदाई कर लेना, और फिर चाहो तो हम चारो एक साथ बातरूम चलेंगे क्यो कि रात में कोई बाथरूम नही आएगा.
तो में ने उस लड़के उस का नाम गौरव था उस से कहा कि जाओ देख कर आओ कि मेरी मॉम सोई है या नही तो वो गया और आकर बताया कि मॉम सो गई है. तो में ने तन्नू से कहा के पहले तुम गौरव के साथ कर्लो,फिर हम चले जाएँगे. फिर तन्नू और गौरव दोनो बाथरूम चले गये.
पहले हम ने देखा कि हमे कोई देख तो नही रहा है वाहा पे कोई नही था तो हम दोनो भाई बेहन एक दूसरे से लिपट गये और किस करने लगे. मैने भाई को कहा के’ जस्सी वो तो बाथरूम मे करके आएँगे, आजा हम यहीं बर्त पर ही जल्दी-2 कर लेते हैं”.
जस्सी बोला के दीदी जल्दी-2 मे क्या मज़ा आएगा,जी चाहता है सारी रात करूँ. मेने उसके गाल पर चिकोटी काट ते हुए कहा बाकी कसर घर चल कर पूरी कर लेना. अभी तो जल्दी करले. उनके सामने मुझे शरम आएगी. तन्नू ने बाद मे मुझे बताया था कि जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया गौरव अपनी बेहन के उपर टूट पड़ा और उसे पागलो की तरहा किस करने लगा.
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उसे भी उसका किस करना अछा लग रहा था तो उस ने भी किस का जवाब देना शुरू कर दिया, वो बार बार उसकी चुचि को दबाता जा रहा था उसे किस किए जा रहा था कभी उसकी चूत को दबाता और कभी उसकी गांड को, उसे अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था तो उस ने उसे दूर हटा दिया और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार दिए.
उसे कपड़े उतारते देख कर वो भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया, अब वो दोनो एक दम नंगे थे, तन्नू ने उस का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया उस का लंड बहुत ज़्यादा मोटा लंबा था , और फिर उसने तन्नू को किस करना शुरू कर दिया.
तन्नू भी उसे बेतहाशा किस किए जा रही थी उस ने किस करते हुए अपने हाथ मे गौरव के लंड को लेकर सहलाने लगी. फिर उसके भाई ने उसा घोड़ी बना कर खूब चोदा. इधर मुझे भी बड़ा मज़ा आरहा था काफ़ी देर तक मैं और जस्सी किस करते रहे, उसी बीच में एक बार झड़ भी गई थी.
फिर जस्सी ने मुझे लंड चूसने को कहा में वही बैठ गई और उस का लंड चूसने लगी, थोड़ी ही देर में उस ने मेरे सिर को ज़ोर से अपने लंड पे दबा लिया में समझ गई की इस का पानी निकलने वाला है, और उसी टाइम उस के लंड का पानी निकल कर सीधे मेरे मूह में गया में ने भी सारा पानी पी लिया एक बूँद भी नीचे नही गिरने दिया, आख़िर भाई के लंड से निकला अमृत जो था.
फिर उस ने अपना लंड मेरे मूह से निकालना चाहा मगर में ने नही निकाला में उस के लंड को अपने मूह में भरी रही, जी चाहता था के सारी उमर यूही लंड को मूह मे लिए रहू. मगर उस ने ज़ोर लगा कर अपने लंड निकाल लिया, और अपने कपड़े पहनने लगा मुझे अच्छा नही लगा.
में ने तुरंत ही उसे किस करना शुरू कर दिया जिस से वो दोबारा जोश में आगेया, और एक बार फिर से उस का लंड खड़ा होगया, हम थोड़ी देर तक किस करते रहे फिर, उस ने अपना लंड मेरी चूत में सटा दिया मगर में ने उसे हटा दिया तो उस ने कहा क्या हुआ में ने कहा नही अभी चूत नही अभी तुम मेरी गांद ही मार लो तो भाई मेरे पिच्छवाड़े पे हाथ फेरने लगा.
मे उनकी तरफ देख कर मुस्कुराइ, दोनो तरफ फिर चिंगारी भड़क चुकी थी. मे बेबस हो कर बर्त पर पेट के बल लेट गयी और अपने घुटनो के बल होकर अपने चूतर हवा मे उठा चौपाया बन गयी. मेरे गोल मटोल गोरे गोरे चूतर भाई की आँखों के सामने लहरा रहे थे.
भाई से रहा नही गया और झुक कर चूतर को दन्तो से कस कर काट लिया. भाई पिछे हो कर चूत के साथ साथ गांद पे भी जीभ फेरने लगा तो सारा बदन एक नयी लज़्ज़त से रोशन हो गया. मेने कूल्हे और उँचे कर लिए. भाई जैसे ही मेरे उपर चढ़ा तो लंड का सूपड़ा सीधा गांद पे जा लगा.
फिर भाई ने मेरे चूतर को दोनो हाथों से पकड़ कर ज़ोर का धक्का लगाया और भाई का सुपरा मेरी गांड की छेद मे चला गया. मेरी कसी गांड ने भाई के लंड के सुपरे को जकड़ लिया. मुझे थोडा दर्द हुआ. भाई ने दोबारा धक्का दिया और मेरी गांड को फड़ता हुआ भाई का आधा लंड गांड मे दाखिल हो गया.
मे ज़ोर से चीख उठी, “उईइ मा, दुख़्ता है मेरे राजा. ” पर भाई ने मेरी चीख पर कोई ध्यान नही दिया और लंड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया. भाई का 9″ का लंड मेरी गांड को चौड़ा हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया. मे फिर चीख उठी.
मैं बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर भाई के लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी. भाई ने आगे को झुक कर मेरी चूंची को पकड़ लिया और उन्हे सहलाने लगा. भाई मेरी गर्दन और गालों की चुम्मियाँ ले रहा था. लंड अभी भी पूरा का पूरा मेरी गांड के अंदर था.
कुछ देर बाद मेरी गांड मे लंड डाले डाले मेरी चूंची को सहलाता रहा. जब मे कुच्छ नॉर्मल हुए तो अपने चूतर हिला कर बोली, “चलो राजा अब ठीक है. ” मेरा सिग्नल पाकर भाई ने दोबारा सीधे होकर मेरे चूतर पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.
मेरी गांड बहुत ही टाइट थी. भाई को चोदने मे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब मे भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मज़ा लेने लगी. मेने अपनी एक उंगली चूत मे डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया. मेरी मस्ती देख कर भाई भी जोश मे आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.
भाई का लंड अब पूरी तेज़ी से मेरी गांड मे अंदर-बाहर हो रहा था. मे भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके भाई के लंड का मज़ा ले रही थी. लंड ऐसे अंदर-बाहर हो रहा था मानो एंजिन का पिस्टन. पूरी कॅबिन मे चुदाई की ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी.
जब मेरे थिरकते हुए चूतर से भाई के अंडकोष टकराते थे तो लगता कोई तबलची तबले पर ठप दे रहा हो. मे पूरी जोश मे पूरी तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर-बाहर करती हुई सिसकारी भर कर भाई से गांद मरवा रही थी. हम दोनो ही पसीने पसीने हो गयी थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था.
मैं भाई को बार बार ललकार रही थी, “चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बेहन की गांड. आज फाड़ डालो इससे. शाबाश मेरे साजन, और ज़ोर से राज्ज्जा और ज़ोर से. फाड़ डाली तुमने मेरी तो. ” भाई भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा लंड बाहर खीच कर झटके से अंदर डालता तो मेरी चीख निकल जाती.
भाई का लावा अब निकलने वाला था. उधेर मे भी अपनी मंज़िल के पास थी. तभी भाई ने एक झटके से लंड मेरी गांद मे जड़ तक धंसा दिया. भाई मेरे बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेत कर दनादन शॉट लगाने लगा. मे भी सम्हल कर ज़ोर ज़ोर से आह उहह करती हुई चूतर आगे-पीछे करके अपनी गांद मे भाई का लंड लेने लगी.
हम दोनो की सांस फूल रही थी. आख़िर भाई का ज्वाला मुखी फुट पड़ा और भाई मेरी पीठ से चिपक कर मेरी गांद मे झाड़ गया. मे भी झड़ने को थी और चीख़्ती हुई झड़ गयी. तन्नू और गौरव के आने से पहले ही हमने कपड़े पहन लिए, मेने तन्नू से मज़ाक करते हुए कहा क्या बात है काफ़ी टाइम लगा दिया, कितने स्वाद लिए?
तन्नू ने भी कहा के एक बार मूह में और एक बार गांद में तो मेने कहा अरे चूत में नही उसने कहा के अभी टाइम है हर जगह पे चुदवाउन्गि, फिर हम बैठ कर बातें करने लगे,और फिर थोड़ी देर बाद गौरव और जस्सी का फिर से मूड बन गया, गौरव ने तन्नू को बाहों मे भरते हुए कहा क यार अब हमारे बीच क्या परदा और हम अपने-2 भाई की बाहों मे समा गयी.
अब की बार हम शरमाये नही और उनके सामने ही किस करने लगे. उन्हे हमारी सुध कहाँ थी,मेने देखा के गौरव का लंड तन्नू की चूत मे समा चुका है. लगता था कि वो इसके पहले ही आदि थे. तन्नू बड़े मज़े से ताल से ताल मिला कर अपने भाई से चुदवा रही थी,मुझे तो डर भी लग रहा था कि पता नही भाई का मोटा लंड मेरी कुँवारी चूत झेल पाएगी या नही.
मेरी पहली रात थी,फिर भी उनकी चुदाई को देख कर मे रुक ना सकी और तकिये पे पुराना कपड़ा डाल कर अपने चूतड़ टिकाए और भाई को अपने ऊपेर खींच लिया. जस्सी ने मोटे लंड का गरम सूपड़ा जैसे ही मेरी चूत पर लगाया,मेरी तो एईद हो गयी.
मेने नीचे से चूतड़ उच्छाले तो गॅप से लंड का सूपड़ा योनि को चौड़ा करता हुआ अंदर चला गया. मेने बाहों का घेरा भाई पर कस दिया तो भाई ने एक जोरदार घस्सा मारा, कपड़ा फटने जैसी आवाज़ हुई और उनके अंडकोष मेरी गांद से आ लगे. चूत को फाड़ कर लंड मेरी नाभि से टकरा रहा था. बर्त पर ही जोरदार चुदाई शुरू हो गयी.
भाई के धक्के तेज होते गये और जल्दी ही मे भी ताल से ताल मिलाने लगी. ट्रेन के हिचकोलो के साथ कॅबिन मे फ़च फ़च.. पाट.. पाट.. की आवाज़ें गूँज रही थी. दो भाई और दो बहने स्वर्ग मे गोते लगा रहे थे. मुझे तो लग रहा था के जैसे ये मेरी सुहागरात है.
जब भाई का गरम गरम वीर्य मेरे गरभ मे गिर रहा था तो मे तीसरी बार झाड़ रही थी. जब सखलन का नशा उतरा तो हमारा ध्यान दूसरी तरफ गया. वो लड़का अपनी बेहन को घोड़ी बना कर चोद रहा था और उसकी बेहन भी मज़े से आँख बंद करके गपा गॅप पिछे से भाई का लंड डलवा रही थी.
ये नज़ारा देख कर हमने एक दूजे को देखा और भाई का इशारा समझ कर मैं घूम कर झुक गई. उस ने अपना लंड पिछे से मेरी चूत में डाल दिया. लंड मोटा था इस लिए एक बार चूत मरवाने के बाद भी आराम से चूत में नहीं गया, और मुझे काफ़ी दर्द हो रहा था,पर भाई का दिया हुआ दर्द था जो कि बहुत मीठा लग रहा था.
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फिर उस ने चूत मे शॉट लगाने शुरू किए. उस के हर घस्से पे में आसमान की सेर कर रही थी. करीब 10 मिंट तक उस ने मेरी चूत की चुदाई की, इस दौरान मे दो बार फिर से झाड़ चुकी थी. फिर भाई की रफ़्तार बढ़ गई में समझ गई कि इस का पानी निकलने वाला है तो में ने उस का लंड अपनी चूत से निकाल कर मूह में भर लिया और एक बार फिर उस का पानी मेरे मूह में गिरा, इस तरहा से चलती ट्रेन में चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था,वो भी अपने सगे भाई से. कभी चूत तो कभी गांद हम दोनो जोड़े सारी रात चुदाई मे लगे रहे.
सुबह होने पर हम बेहन भाई मम्मी के पास आकर ऐसे बैठ गये जैसे कुच्छ हुआ ही ना हो. पर मेरी उलझी लतें और चेहरा पे खुशी का नूर तो सब कुच्छ बता रहा था. सारी रात की किस्सिंग से मेरे होंठ भी कुच्छ सूज से गये थे. जस्सी मेरे पास मे बैठ कर फिर मुझे छेड़ने लगा तो मेने धीरे से उसके कान मे कहा के क्या कर रहे हो, मा देख लेगी,सारी रात तो सोने नही दिया,थोड़ा सा सबर भी नही होता, घर चल कर दे दूँगी”. और ये सिलसिला अब रुकने का नाम नही ले रहा है. हम एक दूजे के बिना नही रह सकते.