Drunk Girl XXX
हिमांशी ने यह विज्ञापन पढा तो उसकी आंखों में एक चमक सी आ गई थी। उसने सोचा कि अगर उसे यह नौकरी मिल गई तो दहेज के लिये रूपये इकट्ठे किये जा सकते है तथा मोहल्ले वालों में उसे काफी सम्मान भी प्राप्त हो जायेगा। हाथ में अखबार लिये वह इन्हीं खयालों में डुबी थी कि उसकी सहेली शिखा ने कमरे में प्रवेश किया और उसे खोई हुई सी देखकर वह बोली क्या सोच रही ही रानी जी। Drunk Girl XXX
अ अ शिखा तु। हिमांशी जैसे एकदम से जागी हो ऐसे अन्दाज में वह बोली थी फिर संयत होकर बोली शिखा आज यह वैकेंसी निकली हैं। मुझे यह नौकरी मिल जाये तो मेरा जीवन सफल हो सकता है। परन्तु बिन सोर्स के आजकल ऐसी अच्छी नौकरी मिलना बड़ी मुश्किल है।
हिमांशी एक बात अगर मैं तुमसे कहूं तो तु बुरा तो न मानेगी। शिखा गर्दन हिलेट हुये बोली।
तु कह तो सही आखिर बात तो भला हिमांशी ने उत्सुकता से उमसे पुछा।
इस पर शिखा बोली देख हिमांशी तेरे पास तो ऐसा सोर्स है कि तु चाहे तो बड़ी से बड़ी नौकरी बड़ी आसानी से तुझे मिल सकती है।
कोन सा सोर्स है मेरे पास हिमांशी उत्सुकता से बोली उसे शिखा कि यह बात पहेली सी जान पड़ी थी शिखा ने पहले तो एक जोरदार अगंराई ली और फिर वह सांस सी छोड़कर बोली। मेरी रानी तेरा रूप देखकर किसी भी फर्म का मालिक अपनी फर्म तक तेरे नाम कर देगा तुं तो नौकरी की बात कर रही है।
हट बदमाश कहीं की इस बात पर हिमांशी ने शिखा के कन्धे पर आहिस्ता से एक चपत सी जमा दी। तथा वह तुनक कर उठ गई थी। शिखा का मजाक का मुड अचानक बदला और वह सीरियस सी होकर बोली।
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हिमांशी। मेरी बात को मजाक मत समझ आजका पुरूष इतना कामी हो गया है कि बिना अपनी बासना शांत किये वह रह ही नहीं सकता और पैसे वाले तो रोजाना ही नई नई कलियां का रस निचोड़ कर पान करने के चक्कर में रहते ही हैं। ये मेरा तर्जुबा है मैं दस जगह नौकर के लिये चक्कर खाती रही थी। जहां भी गई सबकी आंखों में वासना की चमक ही मुझे मिली.
आखिरकार मैंने सूर्या एक्सपोर्टर्स के मालिक के सामने अपने आपको समर्पित कर दिया तो उसने खुश हो कर मुझे अपनी सेक्रेटरी ही बना लिया आज मैं बड़े मजे में हुं। हिमांशी के दिमाग में यह बात तीर की तरह जाकर लगी थी। उसने सोचा कि अगर शिखा कि बात सच भी हो.
हिमांशी ने बी० ए० पास करके टाइप तो सीख ही ली थी। उसकी स्पीड भी काफी अच्छी थी मगर इन सब बातों के अलावा उसमें जो खास क्वालिफिकेशन थी वह थी उसकी बहुत ही ज्यादा सुन्दरता उसके चोली में तने हुये दो ठोस व जवान जिस्म। देखकर मोहल्ले के लड़कों के लण्ड खड़े हो जाया करते थे उसके भारी गदराये 19 वर्षीये चूतड़ों में लण्ड रगड़ने को हजारो लड़को बेचैन रहा करते थे।
मगर आज तक अपने शरीर के ऊपर हिमांशी ने किसी को हाथ नहीं रखने दिया था। और इस जबरदस्त लण्डमार हुस्न को उस दिन वैभव एन्टरप्राइजेज के मालिक सत्यम के लण्ड ने जी भर कर रोंदा था उस दिन हिमांशी सील तुड़वाकर पछताई भी थी। परन्तु शानदार नौकरी मिलने की खुशी ने उसे सील टुटने के दर्द को भुलाने पर मजबूर कर दिया था। हुआ यु था।
उस दिन हिमांशी के सिर पर नौकरी की भुत बुरी तरह सबार हो चुका था। सुबह के दस बजते ही वह बन-उन कर घर से निकल पड़ी थीसीधी बस में बैठ वह सीधी वैभव एन्टरप्राईजेज की तरफ रूख कर चुकी थी उसका दिल चुत फुड़वाने के डर से बुरी तरह धड़क रहा था।
वैभव एन्टर प्राइजेज के सामने ही वह सीधी बस से उतरी उतरते ही ऊसने उस शानदार तीन मन्जिली बिल्डिंग की तरफ अपने कदम बढ़ा दिये थे। लिफ्ट में खड़ी होकर वह तीसरी मंजिल के उस बड़े से कमड़े के सामने पहुंच चुकी थी। जिसके बाहर एक प्लेट पर लिखा था मैनेजिंग डायरेक्टर सत्यम के कमरे के बाहर चपरासी बैठा हआ था। वह हिमशी को देखते ही बोला। जी किससे मिलना हैं आपको।
भाई। मुझे सत्यम साहब से मिलना है ये मेरी एप्लीकेशन उन्हें दे दिजिएगा।
हिमांशी के हाथ से एप्लीकेशन लेकर चपरासी बोला। आप सामने चेयर पर बेट किजिये मैं अभी आता हुं।
एप्लीकेशन रख दी एक सरसरी सी नजर एप्लीकेशन पर डाल कर बे बोले। उसे अन्दर भेज दो और बाहर का ख्याल रखना कोई डिस्टर्व न करे।
बहुत अच्छा साहब। चपरासी गर्दन झुकाये बाहर निकल आया और हिमांशी से बोला। आपको साहब बुला रहे हैं।
अन्दर कमरे में आते ही हिमांशी बड़े ही मीठे स्वर में बोली में आई यह कम इन।
सत्यम ने अपनी बड़ी-बड़ी आंखे फाड़ते हुये उतर दिया था। फिर वे बोले। बैठिये मिस हिमांशी।
थैंक यू सर। हिमांशी ने एक बड़ी सी कुर्सी पर बैठते हुये कुतज्ञता सी प्रकट करते हुये कहा।
मिस हिमांशी। स्पीड तो आपकी ठीक है परन्तु हमें ऐसी स्टैनी चाहिये जो आधुनिक विचारों की हो।
जी जी आपको मुझसे कभी कोई भी शिकायत नहीं होगी मुझे चांस देकर देखियेगा।
ये बात हैं तो आपकी नौकरी पक्की कल आप ऑफिस में आ सकती है कान्ग्रेचुलेसन मिस हिमांशी। सत्यम ने जैसे ही अपना हाथ आगे बढ़ाया मजबुरन हिमांशी ने भी वैसा ही किया। सत्यम जी ने मुलायम और चिकने हाथ को दिल थामकर दबाया बरना उनका बस चलता तो वे कभी हो हिमांशी की चुत का बाजी बजाने से बात नहीं आते।
परन्तु उन्हें उम्मीद थी कि बहुत जल्दी यह मदमाता जवान बदन उनके लण्ड के नीचे पड़ा चुद रहा होगा। अगले दिन सुबह साढ़े दस बजे बड़ी ही वेकरारी से चपरासी से सत्यम जी ने कहा। मिस हिमांशी को फौरन हमारे पास भेज दो कुछ जरूरी डाक्युमेंटस तैयार करवाने है।
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अभी लो साहब। चपरासी गया और हिमांशी को सुचित कर गया। एक मिनट बाद हिमांशी सत्यम जी के सामने बैठी थी। तभी आओं मिस हिमांशी। तुम्हें अन्दर से अपना ऑफिस दिखाता हु। प्यारे सर चलिये। उत्सुकता से उठकर उनके पीछे चल दी हिमांशी। सत्यम जी ने हिमांशी की कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ते हुये कहा।
मिस हिमांशी आपकों अगर मैं यु पकड़ लु तो कोई एतराज तो नहीं। नो सर आप जैसा चाहे करे मुझे कोई आपति नहीं है उसके इस उत्तर से सत्यम जी समझ गये कि लौडिया अब शायद चुदवाने में भी कोई एतराज नहीं उठायेगी। अपने रूम के अन्दर से ही वे दोनों एक बड़े से एकान्त कमरे में आ गया था एकाएक सत्यम जी एक टेबल के पास आकर हिमांशी को जोर से भिंचते हुये बोले।
मिस हिमांशी। यहां बैठो कुछ नास्ता कर लिया जाय क्यु क्या ख्याल.
जी-जैसी आपकी इन।
हिमांशी की इस बात को सुनकर सत्यम जी अपने होठों पर जिभ फिराते हुये मन ही मन में बोले….. साली ईच्छा तो मेरी तेरी चुत में अपना लण्ड डालने की भी हो रही है उसे पुरी करके दिखायेगी तब मानु ?
तभी अपना मौन तोड़ते हुये बे बोले…… मिस हिमांशी। आगर मुम्हें मेरा कोई बात बुरी लगे तो बता देना मैं किसी को जबरदस्ती परेशान नहीं किया करता।
सर आप मुझे गैर क्यों समझ रहे हैं मैं तो आज से आपकी चीज हुंफिर आप ही सोचिये कि अपनी को क्या एतराज हो सकता है।
गुड गर्ल काफी समझदार लगती हो मिस हिमांशी बहुत दिनों से तुम जैसी सुन्दर व समझदार लड़की की ही जरूरत थी। मुझे लग रहा है कि आज मेरी मुराद पुरी हो गई है।
हिमांशी शर्म से दोहरी हो उठी थी वह समझ रही थी कि साला किस चक्कर में हैं। मगर आपने भी सोच लिया था कि जब चूत हथेली पर होतो लण्ड से क्या घबराना और यही सोच वह आने वाले खतरों का दिल थाम कर इन्तजार कर रही थी। और जैसे सत्यम ने हिमांशी की एक चुची की तरफ हाथ बढ़ाया तो वह हड़बड़ा कर बोली।
ओह नो सर। कोई आ जायेगा।
मिस हिमांशी। इस कमरे में मेरे और तुम्हारे सिवाय मक्खी भी नहीं आ सकती खुलकर पेश आओं ये राज की बाते राज ही रहेगी ये हमारा बायदा है।
जी…..जी ठीक है।
हिमांशी इस बार कुछ कांप उठी थी क्योंकि जिन्दगी में पहली बार कोई उसके कुंवारे व अछुते जिस्म पर हाथ बढ़ाने की कोशिश कर रहा था। अचानक कोली उन्होंने भरली जोर से हिमांशी के गाल पर एक चुम्बी काट कर बोले……… मैं कैसा लग रहा हूं मेरी जान।
आप तो हीरों हैं सर सच अपमें तो बड़ी जान है। प्लीज धीरे मिचियें ना।
बयालीस साल के प्यासे बुढ़े को काबू में करने के लिये हिमांशी ने यह डायलाग मारा था। वह कोई भी बात ऐसी नहीं करना चाह रही थी जो सत्यम का बुसे लगे। उसे अपनी नौकरी हर हालात में पक्की करवानी थी। शिखा की एक……एक बात रह रह कर उसके पहन में आती जा रही थी।
चुदवाने के अलावा कोई रास्ता अब उसे दिखाई नहीं दे रहा था। जो अमुल्य रत्न यानि चुत पति के लिये सबसे बड़ा दहेज होती हैं वही चुत अगर चुदी पिटी उसे मिले तो उस पर क्या गुजरेगा। मगर आजकल मामला कुछ उल्टा ही है। यानि पति को चाहे चुत कितनी भी ज्यादा चुदी दे दो कोई फर्क नहीं पड़ता उसे तो बस टेलीविजन बाइक और कैश चाहिये।
और अपने होने वाले पति के लिये अच्छे से अच्छे दहेज पैदा करने के लिये हिमांशी ने अपनी चुत आज दाब पर लगा दी थी। क्योंकि वह जानती थी कि आज के पति को उसका कुआरा पन नहीं बल्कि उससे दौलत चाहिये। और दौलत हासिल करने के लिये उसके पास चुत के अलावा और साधन ही क्या हो सकता है। यही एक ऐसा खजाना है कि जितना चाहों इसमें से दौलत निकाल लो।
कुछ देर हिमांशी कि चुचियो को भीच भिंच कर मजा लुटने के बाद सत्यम जी उसे छोड़कर बोले। तुम बैठो रानी में पेग तैयार करता हूं। और देखते-देखते ही सत्यम जी ने हिमांशी के सामने शराब की एक बोतल दो गिलास तले हुये काजु तथा बर्फ व पानी लागर रख दिये थे इस समय वे कुछ।
इस तरह की हरकतें कर रहे थे कि अगर उन्हें कोई देख लेता तो फर्म का मैनेजिंग डयेरेक्टर कहने के बजाय उन्हें किसी होटल का बेयरा समझ बैठता। धुमधाम से पीने की तैयार करने के बाद सत्यम जी ने दोनों गिलासों में शराब उड़ेली।
शराब के भमकारे से हिमांशी ने नाक पर रूमाल रख लिया अब वह कुछ घबरा सी उठी थी। उसे क्षण प्रतिक्षण सत्यम छटा हुआ बदमाश प्रतीत होता जा रहा था।
लो पियों मेरी जान वे हिमांशी से बोले।
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ये गलत चीज है मैं इसे नहीं पी सकती हमारे खानदान, में आज तक किसी ने शराब छुई तक नहीं। बुरी तरह घबराकर कांपते होठों से हिमांशी ने ये बात कही थी।
प्यारी जो कभी आज तक तुम्हारे खानदान में थी उसे तुम पुरा कर दो उनमें और तुम में बहुत फर्क हैं। तुम सन 2000 की लड़की हो जो कर जाओं कम है लो पियों और कुछ करके दिखादो इस दुनियों को।
लेकिन अगर कुछ हो गया तो….
प्यारी कुछ नहीं होने वाला तुम जैसी हट्ठी-कट्ठी लड़की के सामने इस शराब का क्या मजाल पी जाओं।
और मजबुरन हिमांशी ने गिलास पकड़ कर जैसे मुंह से लगाया तो सारे बदन के उसकी नाक फटने को हो गई। तभी अपना बैग खाल कर सत्यम जी उठे और उन्होंने हिमांशी की लम्बी गोरी नाक अपने हाथ की दो उंगलियों से पकड़ कर उसे दबाते हुये कहा। पी जाओं अब देर मत करो हरि अप।
इसब बार न चाहते हुये भी पुरे गिलास हिमांशी ने खाली कर डाला था। शराब उसके हल्के से नीचे उतर कर उसके कुंआरे पेट से जा पहुंची थी। ‘एक मिनट बाद ही शराब का जोर उस पर शुरू हो उटा। वह मस्ती में आ गई थी तथा सारी शर्म की मां को चोद कर वह बोली। राजा थोड़ी सी और दो ना बड़ा मजा आ रहा है मैं उड़ी सी जा रही हूँ.
हां हो लो खुब पियों मैं तुम्हें आज दुनियां के छूपे हुये मजे देने के लिये ही तो यहां पर आया हुं। अभी थोडी देर इससे बड़ा मजा में तुम्हें दूंगा।
सच राजा तो फिर दो ना। झुमते हुए हिमांशी बोली।
सत्यम ने उसका पैग तैयार करते हुयें कहा। पहले पी लो फिर वह मजा भी दूंगा।
और देखते-देखते, हिमांशी पांच पांच पैग पी गई थी। बची-कुची शराब सत्यम जी पी डाली थी। कुल मिलाकर बोतल खाली हो चुकी थी। दोनों नसे में मस्त हो उठे थे। हिमांशी की हालत तो देखने लायक थी उसे अपने शरीर का जरा भी होश न रहा था सारा कमरा उसे घुमता सा लग रहा था।
वह नाच सी रही थी। उसे सत्यम जैम्पी चार-चार शक्ले दिखाई दे रही थी। शराब ने एक नई दुनियां में उसे ला खड़ा किया था।। सत्यम जी ने हिमांशी को अपनी बाहों में भर ही लिया तथा जोर-जोर से उसके ममें रगड़ने पर वे उत्तर आये।
शी…..आई….उह….ये…क्यां करते हो ओह मेरीची मत उह उहा नशे में अपनी चुची का सत्यानाश करवाती हुई हिमांशी बड़बड़ाये जा रही थी। मगर उसके इस बड़बड़ाने से भला सत्यम जैसे अभ्यास चोदु पर क्या असर होने वाला था वह तो चुचियों के मजे ले लेकर बराबर रगड़े ही जा रहा था।
कमीज उसने सलबटेसी डालकर रख दी थी। मौके की नजाकत को तोडते हुये वे वोले। मेरी जान | कमीज व सलवार उतार पी अगर थे गंदी हो गई तो लोग शक कर सकते हैं।
ओह नो ये बदमाशी है मैं नंगी हो जाउंगी ही हिच्च।
हिमांशी नंगे होने के डर से नशे में भी आनाकानी करने पर ऊतर आई थी मगर सत्यम जी उसके तने हुये ठोस जिस्म को देख-देख कर पागल से हो उठे थे। वे जल्दी ही मम्मा और जवान कुते के दर्शन के लिये मचल उठे बड़ी फुर्ती से वे आगे बढ़े और उनहोंने आगे बड़ कर हिमांशी की सलवार का नाड़ा खिंच ही डाला।
ज्यों-ज्यों वे नाडा खींच रहे थे। हिमांशी जा रही थी। देखते-देखते सलवार की उसकी यंगे ऊपर उठा कर सत्यम जी ने उसे आधा नंगा कर डाला था। चुत पर कच्छी थी जरूर मगर मोटी मोटी चुत की फांके। कच्छी फाड़कर बाहर आने तक को तैयार थी। कच्छी के ऊपर चुत की ऊवर हुई फांकों को देखकर सत्यम जी के लण्ड के सारे रोंगटें पल भर ही खडे होते चले गये थे।
सलवार को एक तरफ रखकर सत्यम जी के कमीज उतारने की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने उसके कमीज को ऊपर कर ही तो दिया। और उसके हाथों को ऊपर उठाकर कमीज भी सिर उपर निकाल डाला।
मारे शर्म के हिमांशी ने अपने साथ तनी हुई चुचियों के उपर ब्रेजरी पर जमा ही दिये थे। आहिस्ता-आहिस्ता सत्यम जी के हाथ हिमांशी की कमर पर फिसलने लगी। हिमांशी ने तो मना कर सकती थी न उसे मना करने की होश हवाश थी।
और जैसे ही ब्रेसरी उसकी चुचीयों पर से हटा वह कांप सी उठी। नंगे बदन देख उसके गाल शर्म से गुलाबी हो उठे। ‘उसकी शराबी आंखों झुक गई। सत्यम का हौसला जब बुलन्दी पर था। उसने अब देर करना ठीक न समझा और कच्छी की इलास्टिक में उसकी उंगलियों जा फंसा। हिमांशी ने दोनों हाथों से उसके हाथ पकर कर नशे में बड़बड़ाते हुऐ। कहा….. नहीं-नहीं ये मत देखो गंदी बात।
डार्लिंग। इस गंदी जगह में ही तो जीवन का मजा छुपा हैं। और मनमानी करता हुआ सत्यम ने उसकी कच्छा भी उतार कर एक तरफ फेंक दिया। कच्ळी के उतरने एक पराये मर्द के सामने मादरजात नंगी हो उठी थी। उसका चिकना तथा मोसने लायक जवान तथा तने हुये चोंचदार चुची को देखकर सत्यम का लण्ड पैण्ट के अन्दर उछलने लगा
सत्यम हिमांशी पर टूट पड़ा और बोला…. प्यारों। जी तो करता है यहीं चोदकर मजा दूं लेकिन नहीं चलो दुसरे कमरे में। और सत्यम हिमांशी को अपने मर्दानी हाथों से उठाकर दुसरे कमरे में ले गया। इस कमरे में लाल रंग का धीर प्रकाश हो रहा था। एक सिंगल बॅड पर डनलप का गदा बिछा था अक्सर इस कमरे में सत्यम नई छोकरी से मजा लुटता था।
आज हिमांशी को भी किस्मत ने इस बेड पर चुदने के लिए ला गिराया था। बेड पर हिमांशी को गिराने के बाद सत्यम खुद नंगा होने लगा। उस का लण्ड बाहर आ गया। जैसे ही बोझिल सत्यम का मोटा तगड़ा लण्ड कुलाचे भर रहा था हिमांशी कांप गई।
उसे लगा कि ये आदमी बुर को फाड़े न दे। साथ ही उसकी बुर में खलबली हो रही थी। उसका जी करता था कि चुत में उंगली डालकर अन्दर बाहर करे। मगर पराये मर्द को ऐसा कैसे कह कसती थी। हव टांग पर टांग को चढ़ाकर अपनी बुर को छिपाने की कोशिश करने लगा।
इधर सत्यम नंगा होने के बाद हिमांशी के बराबर लेट गया और बाहों में समेट लिया। सत्यम हिमांशी के गालों तथा होठों को चुमने लगा। ऐसा करने से उसके जांघ हिमांशी को धर से मारता हुआ बेचैन कर रहा था। हिमांशी की चुत की ज्वाला क्षण प्रतिक्षण बढ़ती ही जा रही
और जैसे ही सत्यम ने हिमांशी के कुंवारे थरथराते रसीले होठों ठी को अपने मुंह में लेकर चुसना शुरू किया तो हिमांशी मल उठी और भार उसने भी सत्यम का जकड़ लिया। वह खुशी से अपनी होठ सत्यम को पिला रही थी। लण्ड का टकराव चुत के अन्दर हो रहा था।
सत्यम जोर-जोर से उसके होठ चुरा रहे थे और बोलते जा कमरे मेरी जान, अगर ये गण्दी जगह न होती तो ये दुनिया कहा से आता सारा मजा इसी में छीपा हैं। बेड पर नई-नई कलियों को सत्यम चोदा करते थे। तड़ातड़ चुम्बा काटने पर उतर आये।
उनका खड़ा लण्ड इस समय हिमांशी की चिकनी गालों को होठों से भर कर होठों को निचोर कर चुस रहे थे। कुछ मिनट बाद जैसे ही उनका मुंह हिमांशी के गाल पर पड़ा तो चुदने के लिए मचल उठी। और सिस्कारी भर कर बोली ये क्या हो रहा है आई सी उई में मुझपर कैसा भुत सवार होता जा रहा है उफ प्लीज मुझे जी भर कर चुस लो सर।
सत्यम जी ने मस्ती में आकर आपका हाथ उसकी चुत के ऊपर लाकर रख दिया लण्ड को वे रगड़ते हुये चुत पर हाथ फिराने लगा। गालों को पीना भी वे जारी रखे हुये थे। और जब सत्यम जी को महसुस हुआ। लौण्डियां काफी गर्म हो चुकी है। उसकी चुत में लण्ड उतारना ही उन्होंने ठीक समझ लिया।
हिमांशी चुतड़ों को बेड पर रगड़ने लगी। हिमांशी महल रही थी। उसने चुत पर हाथ रखकर जोर से दबा दिया। सत्यम दोनों टांगों के बीच आकर बैठ गच। उसकी दोनों टांगों को उठाकर चुत के दर्शन किये। अब चुत लण्ड खाने को एकदम तैयार रहती है।
सत्यम ने लण्ड को ठीक चुत पर रखकर हिमांशी की कमर पकड़ कर कहा। हिमांशी ने मस्ती में आकर अपनी आंख बंद कर ली। और कहा। हिमांशी डालिंगा तुम घबड़ाना मत। हिम्मत से काम लो। सब ठीक हो जाएगा।
उसने अपनी उंगलियों शक्ति से भींच कर मस्त कर ली। वह बुरी तरह उतावली हो उठी थी। उसके होंठ खुले हुए थे। वह कांप रही थी। एकाएक सत्यम ने अपना लण्ड उसकी बुर पर रखा तो हिमांशी की चिख निकली। उसने उसके मुंह पर हाथ रख दिया। सुपाडा अन्दर जाते समय उसे बहुत कष्ट हुआ।
सत्यम समझ गये लौंडिया एकदम नई हैं। उन्होंने लण्ड चुत से बाहर निकाल लिया। हिमांशी के सिर पर हाथ फिराते हुए वे वोले बस हिमांशी डरो मत। चीखना मत। अगर ऑफिस के आदमियों ने तुम्हारी चीख सुन ली तो तुम बदनाम हो जाओगी। बस थोड़ी सी हिम्मत और कर लो।
और इस बार सत्यम जी ने उसकी चुत पर उकडु बैठकर थुक दिया। चुत पर थुक अच्छी तरह लपेट कर लण्ड की चुत पर रखा तो हिमांशी तड़पकर बोली। प्लीज। मैं मर जाऊंगी। ये मत करों। हिमांशी डार्लिंग। हर लड़की ऐसा ही कहती है। मगर आज तक चुदवाने से कोई नहीं मरी। मेरा यकीन करो तुम्हें कुछ नहीं होगा।
और जैसे ही लण्ड सील तोड़ता हुआ अन्दर गया। हिमांशी की आंखों में आंसु छलछला आये। सत्यम इस समय एक कसाई के रूप में दिखाई देने लगे। वह जोर-जोर से चिल्लाना चाह रही थी। परन्तु इज्जत के डर से वह घुटी सी आवाज में रोते हुए लण्ड धक्के बराबर जारी रखते हए सत्यम ने उसे समझा रहे थे। मगर उसकी समझ इस समय गायब ही हो चुकी थी। वह फिर फड़फड़ाई
ओह नो। इडिएट ! मुझे यह सब नहीं करना। हाय। मैं मरी। “उफ कातिल कातिल छोड़ो। मेरी फदी गई शायद। हाय। तुही करना है या नहीं मुझे तो अपना पानी निकालना है।
हाय मेरी जान ले हजारो रूपये की नौकरी के लिए तु ये भी नहीं झेल सकती क्या।
और इसी प्रकार लगभग पक्कों की रफ्तार और तेज कर दी। हिमांशी को चुत में बिजली सी महसुस होन लगी थी। उसके लण्ड सटकने की इच्छा होने लगी थी। अब वह चुत को फाड़ कर जायजा लेने लगी। आहिस्ता-आहिस्ता उसके छटपटाने तथा घबराहट मस्ती में बदल गई।
वह कोली भरने पर पुनः मजबूर हो गई। उसने गांड़ उछाल कर बुदबाना प्रारम्भ कर दिया। हर धक्के में अब वह जन्नत के लुफ्त लुट रही थी। जुदाई का सक्चा ज्ञान क्षण प्रतिक्षण उसे होता जा रहा था। बेहद मजे को लुटती हुई वह सिसकारी भरने लगी। आह सर। आप थीक कहते। मारो। पुरा दर्द गायब होता जा रहा है। उफ मारो। वाह- ये फर्क कैसे हो गया। शीशी ई। क्या इसलिए रखा था मुझे वाह।
रानी रोज दिया करोगी न। बराबर चुत का सत्यानाश करते हुए सत्यम ने हिमांशी के दिल चुदाई चाहत के भाव ताड़ने के ख्याल से पुछा तो वह बोली करों ये नौकरी मुझे बहुत पसन्द है और करो। मैं उड़ी सी जा रही हुँ हाय हाय मुझे सम्भालों। हाय मैं गिरने हो रही हूं। सत्यम जी समझ गए कि लोडिया अब जल्दी ही पानी छोड़ने वाली है।
उन्होंने भी हिमांशी के साथ झड़ने का फैसला कर डाला अब धक्के ताण्डवी रूप से लगने लगे थे। इस धक्कों में ही चुत दुखा कर रख दी। चुत का फाटक रह रह कर लण्ड की गार से घौड़ होता जा रहा था। हिमांशी को चुत के अन्दर कुछ फटा सा महसूस होने लगा।
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उसने पूरी शक्ति से सत्यम को जकड़ रखा था। उसने अपने भारी चुतड़ों को पटकते हुए झड़ना शुरू कर दिया मजे में उसने सत्यम के कन्धों पर काट खाया था। अचानक उसे अपनी चुत के अन्दर गर्म-गर्म बस्तु गिरती हुई जान पड़ी। इस बार तो उसे ज्यादा मजा आया कि वह आं बंद कर गर्म -गर्म बीर्य चुत में गिरावाने लगी थी। दोनों झड़कर एक दूसरे की चुत ऊपर लुढ़क गये थे। खुन व बीर्य से हिमांशी की चुत गीली सी हो गई थी।
हिमांशी सोचने लगी कि मुंह के बालो से भी सख्त बाल कौन से होते हैं, आखिर पुछ ही लिया कि मुछो के बालों से भी सख्त में बाल कौन से होते हैं। सत्यम हिमांशी के इस प्रश्न पर पहले तो थोडा रूका परन्तु कुछ देर बाद उसके मुंह पर मुस्कान छाः गयी वो बोला डार्लिंग क्या तुम्हें नहीं पता हमारे शरीर के कौन से बाल सख्त होते हैं। नहीं हिमांशी ने भोलेपन में कहा। सत्यम ने उसकी आंखों में आंखें डालकर कर कहा झांटों के बाल सबसे सख्त होता है।