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प्यासी माँ बेटी दोनों अंकल की आगोश में आ गई 2

जुलाई 7, 2023 by hamari

Bade Uroj

हेल्लो दोस्तों मैं आपकी दोस्त भूमि. दोस्तों आपने मेरी कहानी के पिछले भाग प्यासी माँ बेटी दोनों अंकल की आगोश में आ गई 1 में आपने पढ़ा कि मैंने अंकल और मम्मी की चुदाई देखि फिर अंकल मुझे भी चोदने लगे. अब अंकल हम दोनों को चोदते थे. एक दिन अंकल अपने साथ एक और आदमी लेके आये थे. Bade Uroj

प्रकाश अंकल- हाय जूही कैसी हो? इससे मिलो, यह मेरा दोस्त दिनेश है!

माँ ने धीरे से ‘हाय’ करके अपना हाथ आगे बढ़ाया था।

‘और दिनेश यह है मेरी प्यारी सी नन्हीं सी भतीजी भूमि..’

प्रकाश अंकल ने मेरे गाल खींचते हुए.. दिनेश को मेरी तरफ इशारा किया। दिनेश ने ललचाई हुई नज़रों से मुझे नीचे से ऊपर तक देखा था.. उस वक़्त मैंने रेड स्कर्ट और ब्लैक टॉप पहना हुआ था। मैं बिना जवाब दिए अपने कमरे में चली गई थी। मैं अपने कमरे में चली गई थी और खिड़की से उनकी बातें सुनने लगी थी। प्रकाश अंकल माँ को कमरे में ले कर गए थे.. दिनेश बरामदे में ही रुका था।

‘जूही यह मेरा दोस्त दिनेश है.. आज रात यह हमारे साथ रुकेगा..।’

अंकल माँ को समझा-बुझा रहे थे.. लेकिन माँ मानने को तैयार नहीं थीं।

‘अरे.. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. बस मैं तुम और दिनेश.. एक रात की तो बात है..’

मैं समझ चुकी थी कि प्रकाश अंकल माँ को दिनेश से चुदवाने के लिए राजी कर रहे थे।

जूही- तुम्हारी बात अलग है प्रकाश.. तुम मेरे शौहर के दोस्त हो.. लेकिन एक गैर मर्द के साथ मैं नहीं कर सकती।

माँ परेशानी से अपना सिर पकड़े सोफे पर बैठी थीं।

प्रकाश अंकल- मैं और दिनेश बचपन के दोस्त हैं.. यहाँ तक कि मैंने उसकी पत्नी की भी ली है.. अब अगर वह कुछ माँगता है.. तो मैं कैसे मना कर दूँ.. और फिर यह बात इस कमरे से बाहर थोड़े ही जाने वाली है? मैंने दिनेश को बोला है कि तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त रंगीला की बीवी हो।

‘तुमने मुझसे पूछ कर बोला था क्या..? मैं ऐसा नहीं कर सकती प्रकाश..’

प्रकाश अंकल ने माँ के गालों को अपने दोनों हाथों में लेते हुए अपनी बात पर जोर देकर कहा।

‘लेकिन घर में मेरी बेटी भूमि भी है.. वह क्या सोचेगी.. अब वह छोटी नहीं रही है..?’

माँ ने अपनी शंका ज़ाहिर करते हुए जवाब दिया था.. जबकि दिनेश अंकल बाहर बरामदे में बैठे सिगरेट पी रहे थे।

‘हाँ मुझे बहुत अच्छी तरह से मालूम है कि वो ‘बड़ी’ हो गई है.. उसकी तुम फ़िक्र मत करो.. मैं उसको सम्हाल लूँगा।

फिर माँ धीरे-धीरे राजी हो गई थीं। प्रकाश अंकल माँ को अपनी गोद में लिए हुए थे और उनके कुरते में हाथ डाल कर उनके चूचों को मसल रहे थे। जिससे उनका विरोध अब कम हो गया था। रात होने को थी.. मेरा दिल धड़कने लगा था..

मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी माँ मेरे सामने ही दो-दो मर्दों से चुदेगीं.. कैसे चुदेगीं.. आह्ह्ह चाचा का और उनके दोस्त का कड़क लण्ड भला अन्दर कैसे घुसेगा..? यह सोच कर तो मेरी चूत में भी पानी उतारने लगा था। रात को माँ मेरे कमरे में आईं और मुझे ठीक से सुला दिया और चादर ओढ़ा कर लाईट बन्द करके कमरे बन्द करके चली गईं।

मैंने धीरे से चादर हटा दी और उछल कर खिड़की पर आ गई। दिनेश अंकल शायद शराब पी रहे थे.. उसका यह रूप भी मेरे सामने आने लगा था। अपना लण्ड मसलते हुए वो धीरे-धीरे शराब पी रहे थे।

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‘उसे चादर उढ़ा दी है.. वो गहरी नींद में सो गई है..’

यह सुनते ही प्रकाश अंकल ने माँ को अपनी बाँहों में भरते हुए चूम लिया। मुझे उनके कमरे से अब दिनेश अंकल की भी आवाज सुनाई दे रही थी..मेरा दिल धड़क रहा था कि माँ की आज दो मर्दों से चुदाई होगी। प्रकाश ने माँ को दिनेश के पास जाने को कहा।

माँ धीरे-धीरे शरमाते हुए अंकल की तरफ़ बढ़ रही थीं.. उनके पास आकर वो रुक गईं.. और अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से उन्हें निहारने लगीं। तभी माँ मेरे सामने मुँह करके आ गईं.. मैंने देखा कि उन्होंने आज बेहद ही कीमती ड्रेस पहना हुआ था..

छोटी सी ब्लैक रंग की बैकलेस कुर्ती और उसके साथ लाल रंग की जालीदार सलवार.. यह ड्रेस शायद दिनेश अंकल माँ के लिए लाए थे। मैं सोचने लगी कि अरे.. वाह माँ ऐसी ड्रेस में.. मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा था, ये दोनों हरामजादे आज रात को मेरी माँ की चुदाई करेंगे।

माँ का तराशा हुआ गुदाज गोरा जिस्म.. ट्यूबलाईट की रोशनी में जैसे चांदी की तरह चमक उठा। उनकी ताजी शेव की हुई चूत की फ़ांकें.. सच में किसी धारदार हथियार से कम नहीं थीं। कैसी सुन्दर सी दरार थी.. चिकनी शेव की हुई रसीली चूत।

‘उफ़्फ़्फ़.. जूही.. आप भी ना.. अभी किसी मॉडल से कम नहीं हो।’ दिनेश अंकल ने माँ के गोरे सफ़ेद जिस्म को चूमते हुए कहा था।

‘हा.. हा.. हा.. अच्छा जी.. प्रकाश भाईजान की मेहरबानी है.. यह जो तुम्हारे सामने हूँ।’

माँ उनसे लिपट कर बातें कर रही थीं। कभी तो वो मेरी नजरों के सामने आ जातीं.. और कभी आँखों से ओझल हो जाती थीं। तभी दिनेश अंकल ने माँ का हाथ पकड़ कर अपने सामने सामने खींच लिया और कुर्ती के ऊपर से ही उनके सुडौल चूतड़ों को दबाने लगे। माँ की लम्बाई चाचा के बराबर ही थी.. उफ़्फ़.. माँ ने गजब कर दिया.. उन्होंने दिनेश अंकल की जीन्स की ज़िप धीरे से खोल दी।

‘क्यूं आपको.. मेरे सामने शर्म आ रही है क्या? अपने लण्ड को क्यूं छुपा रखा है.. जानेमन?’

तभी मेरी धड़कन तेज हो गईं.. अंकल ने माँ की सलवार के नीचे से माँ की गाण्ड को दबा दिया। माँ ने अपनी टांग कुर्सी पर रख दी.. ओह्ह्ह तो जनाब ने माँ की गाण्ड में उंगली ही घुसेड़ दी है। वो अपनी उंगली गाण्ड में घुमाने लगा.. माँ भी अपनी गाण्ड घुमा-घुमा कर आनन्द लेने लगीं। कमरबंद खींचते ही माँ की सलवार उनके शरीर से खिसक कर सरसराती हुई नीचे फ़र्श पर आ गिरी। माँ की सफ़ेद दूधिया माँसल टांगें नंगी हो चुकी थीं।

‘जूही.. तुम कितनी सुन्दर हो..’

माँ ने मुस्कुराते हुए नजर नीची कर ली.. अंकल ने आगे बढ़ कर माँ को प्यार से गले लगा लिया। उनका दुपट्टा अलग करके उनके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए थे, माँ तो जैसे उनसे चिपट सी गई थीं, दोनों के लब एक-दूसरे से मिल गए। गहरे चुम्बनों का आदान-प्रदान होने लगा। अब दिनेश अंकल माँ के नंगे भारी-भारी चूतड़ों को चीर कर उनकी गुदा द्वार में उंगली डाल रहे थे।

‘आउच…’ माँ के मुख से एक प्यारी सी ‘आह’ निकल पड़ी। पजामे में से अंकल का लण्ड उभर कर बाहर निकलने हो रहा था। माँ ने एक बार नीचे उनके लण्ड को देखा और अपनी चड्डी से ढकी चूत उनके लण्ड से टकरा दी। अब वो अपनी चूत वाला भाग लण्ड पर दबा रही थीं। अंकल ने अपने दोनों हाथों से माँ की चूचियों को सहला कर दबा दिया.. तो माँ सिमट सी गईं।

‘जूही.. मेरे लण्ड को भी प्यार करो..न..?’ अंकल ने माँ की गर्दन को चूमते हुए कहा।

मुस्कुराते हुए माँ धीरे से नीचे बैठ गईं और उनकी जीन्स को नीचे खिसका दिया.. फिर उसे धीरे से नीचे उतार दिया। अंकल का सात इंच का लण्ड बाहर आ गया.. उनका सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था.. माँ ने मुस्करा कर ऊपर देखा और लण्ड को अपने मुख में डाल लिया। अंकल ने मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली।

अब दिनेश अंकल के हाथ माँ की ब्रा को खोलने में लगे थे.. माँ ने उनका लण्ड चूसना छोड़ कर पहले अपनी ब्रा को उतार दिया.. हाय रे… माँ के उरोज तो सच में बहुत सधे हुए थे.. हल्का सा झुकाव लिए.. चिकने और अति सुन्दर.. माँ ने फिर से उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगीं। अंकल के हाथ माँ के बालों में चल रहे थे.. उनके बाल खुल गए थे।

अब उन्होंने माँ को उठा कर खड़ा कर लिया- जूही.. मुझे भी आप अपनी चूत को प्यार करने की इजाजत देंगी?’

दिनेश की इस बात पर पहले तो माँ शरमा गईं.. फिर वो बिस्तर पर चित्त लेट गईं और उन्होंने अपनी दोनों टांगें ऊपर को खोलते हुए अपनी चूत पसार ली।

‘हाय.. जूही.. इतनी चिकनी.. इतनी प्यारी.. लण्ड लगते ही भीतर फ़िसल जाए.. 34 साल की होकर भी तुम किसी कुंवारी लड़की से कम नहीं हो।’

‘ऐसे मत बोलो.. मेरी जान.. बस इसे चूम लो.. फिर चाहे जो करो.. भले ही उसमें अपना अन्दर उतार दो..’

दिनेश- थैंक्स यार प्रकाश.. तेरे दोस्त की बीवी तो मस्त माल है.. मैं तो कहता हूँ कि परमानेंट बदल ले इसे मेरी बीवी से.. तू मेरी बीवी ज्योति को जब चाहे.. जहाँ चाहे.. ले जाया कर.. और जैसे चाहे चोदा कर।

‘अरे यार.. तू भी जूही को जब चाहे ले जा सकता है.. अब जूही हम दोनों की दोस्त है।’

प्रकाश अंकल ने दिनेश की इस बात का हँस कर जवाब दिया था।

‘अच्छा जी थोड़ा कम मस्का लगाओ..’

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माँ को चुदने की बहुत लग रही थी.. इस पर अंकल ने अपना मुँह माँ की चूत पर लगा दिया.. और उनके दाने को उनके होंठों ने मसल दिया। ‘सीईईए..’ करते हुए माँ ने आँखें बंद कर लीं और अपनी चूत उछालने लगीं। मेरी चूत में भी यह देख कर पानी उतर आया.. इधर मैं अपनी चूत को दबाने लगी। माँ तो खुशी के मारे जैसे उछल रही थीं.. पर अंकल चूत से चिपके हुए उसका रस चूसने में लगे थे।

‘अब तड़पाओ मत.. जैसा मैं कहूँ वैसा करो..’

‘जूही.. पीछे घूम कर कुतिया बन जाओ.. पहले तुम्हारी चिकनी गाण्ड मारूंगा..’

‘ओह.. तुम्हें भी गाण्ड मारना अच्छा लगता है.. कोई बात नहीं.. मेरे दोनों तरफ़ छेद हैं.. किसी को भी चोद दो.. पर पहले अपना ये लण्ड मुझे मुँह से चूसने दो ना..’

‘ओह.. जैसी जूही जी की इच्छा..’

दिनेश अंकल ने एक बार फिर बिस्तर पर बैठ गए और माँ को मुँह में अपना लण्ड दे दिया। माँ के मुँह से बीच-बीच में सिसकारी भी निकल जाती थी। वो अपने कठोर लण्ड को माँ के मुँह में मारते रहे और माँ ने अपनी चूत घिसवाना चालू कर दिया। मुँह से लौड़ा चुसवाते हुए जैसे ही अंकल का वीर्य छलका.. माँ के मुँह से भी सीत्कार निकल पड़ी। माँ अंकल का सारा वीर्य गटक गई थीं.. और अब वे उनके लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ करने लगी थीं।

‘इसमें आपको बहुत मजा आता है ना?’

‘हाँ’ कहते हुए उनके लण्ड को माँ ने हिलाया..

फिर माँ ने अंकल के लौड़े को अपने चिकने बोबे से लगा दिया और उसे अपनी छाती पर घिसने लगी। माँ अब बिस्तर पर बैठ गईं और अपनी चिकनी चूत को उंगली से पहले सहलाने लगीं.. फिर चूत की फांक को मसलने सी लगीं। फिर माँ ने अपना दाना उभार कर देखा और उसे मसलने लगीं..

उन्होंने अपनी गीली चूत में अपनी उंगली घुसा ली और ‘आह’ भरते हुए हस्तमैथुन करने लगीं। माँ जल्दी ही झड़ गईं.. वो शायद पहले से ही बहुत उत्तेजित थीं। माँ के झड़ते ही दिनेश अंकल माँ की चूत का रस चूसने लगे.. माँ ने उन्हें सिसकारी लेते हुए अपनी जांघों के बीच दबा लिया।

‘अब देखो.. मैं फ़िर तैयार हूँ.. अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूँगा.. मजा आ जाएगा..’

माँ ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की और उभार दी.. दिनेश अंकल को गाण्ड मारने का शौक था, उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और माँ मस्त हो गईं.. ये सब देखने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था। माँ की गाण्ड को अंकल ने बहुत देर तक बजाया, माँ भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रहीं। माँ की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे।

‘जूस पियोगे या दूध लाऊँ?’

‘अभी तो दूध ही पियूँगा.. फिर जूस..’

‘ही ही ही..’

माँ जैसे ही दूध लाने के लिए उठीं.. अंकल ने उन्हें फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुँह से दबा लिया।

‘जूही.. मेरी जान कहाँ जा रही हो.. अपने दूध नहीं पिलाओगी क्या?’

अंकल माँ को गुदगुदाते हुए दूध पीने लगे।

‘हुंह..’

मैं अपनी चूत में उंगली करते हुए सोच रही थी कि अंकल माँ के दूध तो खूब चूस-चूस कर पी रहे हैं.. मेरे तो चूसते ही नहीं हैं.. माँ गुदगुदी के मारे सिसकारियाँ भरने लगीं।

‘बहुत प्यारे हो तुम दोनों.. कैसी-कैसी शरारतें करते हो..’

दोनों नंगे ही एक-दूसरे के साथ खेल रहे थे.. खेलते हुए उन दोनों में फिर से आग भरने लगी थी। प्रकाश अंकल का लण्ड फुंफकारने लगा था।

‘अब देरी किस बात की है..’ माँ ने चुदासे स्वर में कहा।

‘नहीं मुझे अभी दूध पीने दो.. न..’

‘पहले बस एक बार.. मेरे ऊपर चढ़ जाओ.. मुझे शांत कर दो..’

माँ ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा लीं.. अंकल उन टांगों के बीच में समा गए। कुछ ही पलों में अंकल का मोटा लण्ड माँ की चूत को चूम रहा था। चाचा का लण्ड माँ की चूत में घुसता चला गया। माँ आनन्द से झूम उठी थीं।

इधर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया.. मुझे भी एक मीठी सी गुदगुदी हुई। मेरी माँ अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल-उछल कर चुदवा रही थीं और दिनेश अंकल का लण्ड चूस रही थीं। मेरा हाल इधर खराब होता जा रहा थ, माँ की मधुर चीखें मेरे कानों में रस घोल रही थीं।

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दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए थे.. कभी अंकल ऊपर तो कभी माँ ऊपर..! खूब जम कर चुदाई हो रही थी। माँ को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था.. वो एकदम रांड बनी हुई थीं। लगता था जिन्दगी भर की चुदाई वो तीनों आज ही कर डालेंगे। तभी तीनों का जोश ठण्डा पड़ता दिखाई देने लगा..

अरे..! क्या दोनों झड़ चुके थे? सफ़र की इति हो चुकी थी.. हाँ सच में वो दोनों झड़ चुके थे। दिनेश अंकल ने मुस्करा कर माँ कर चूचे अपने मुँह में भर लिए और ‘पुच्च.. पुच्च..’ करके चूसने लगे। माँ धीरे से नीचे बैठ गईं और दिनेश का लण्ड पकड़ कर सहलाने लगीं, उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर उसे चूसने लगीं।

दिनेश कभी तो माँ की जांघें चूमता और कभी उनके बालों को सहलाता- जोर से चूसो जूही डार्लिंग.. उफ़्फ़ बहुत मजा आ रहा है.. और कस कर जरा.. अब माँ जोर-जोर से ‘पुच्च.. पुच्च..’ की आवाजें निकालने लग गई थीं, दिनेश की तड़प साफ़ नजर आने लगी थी।

फिर माँ ने गजब कर डाला.. माँ ने अपनी एक टांग उसके दायें और एक टांग दिनेश के बायें डाल दी। दिनेश का सख्त लण्ड सीधा खड़ा हुआ था, दोनों प्यार से एक-दूसरे को निहार रहे थे। माँ उसके तने हुए लण्ड पर बैठने ही वाली थीं.. मेरे दिल से एक ‘आह..’ निकल पड़ी ‘माँ प्लीज ये मत करो.. प्लीज नहीं ना..’

पर माँ तो बेशर्मी से किसी रंडी की तरह उसके लण्ड पर बैठ गईं। ‘माँ घुस जायेगा ना.. ओह्हो समझती ही नहीं है..’ पर मैं उनके लण्ड को किसी खूँटा की तरह माँ की चूत में घुसता हुआ देखती ही रह गई.. कैसा चीरता हुआ माँ की चूत में घुसता ही जा रहा था।

फिर माँ के मुँह से एक आनन्द भरी चीख निकल गई। ‘उफ़्फ़्फ़.. कहा था ना जड़ तक घुस जाएगा.. पर ये क्या..? माँ तो दिनेश से जोर से अपनी चूत का पूरा जोर लगा कर उससे लिपट गईं और अपनी चूत में लण्ड घुसवा कर ऊपर-नीचे हिलने लगीं।

अह्ह्ह.. खुदा वो तो मस्त चुद रही थीं.. सामने से दिनेश माँ की गोल-गोल कठोर चूचियाँ मसल-मसल कर दबा रहा था। उसका लण्ड बाहर आता हुआ और फिर ‘सररर..’ करके अन्दर घुसता हुआ मेरे दिल को भी चीरने लगा था।

मेरी चूत का पानी निकल कर मेरी टांगों पर बहने लगा था। पूरी रात प्रकाश अंकल और उनके दोस्त दिनेश ने मेरी माँ को किसी रांड की तरह चोदा था। मुझे अपनी बारी का इंतज़ार था.. जो कि जल्द ही आने वाली थी।

मैं अपने बिस्तर पर आ गई और चूत में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी। संयोग से एक रात को माँ को चुदवाते हुए देखकर मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी कि मेरे मुँह से सीत्कार निकल गई जिसको माँ ने सुन लिया। मैं जान नहीं पाई कि क्या हुआ लेकिन अगले दिन माँ का व्यवहार कुछ बदला-बदला सा था।

मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने माँ से पूछा- क्या बात है माँ.. आज बहुत उदास हो?

माँ ने कहा- नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है।

कुछ देर के बाद माँ ने मुझे अकेले में बुलाया और बोलीं- कल रात..

इतना सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए.. मेरा चेहरा लाल हो गया।

तब माँ ने कहा- देखो बेटी मेरी उम्र इस वक़्त 32 साल है.. और तुम जानती हो कि तुम्हारे पापा बाहर रहते हैं.. उनको दुबई गए हुए दो साल से ऊपर हो गया।

ये सब कहते हुए माँ का गला भर आया.. उनकी आँखों से आंसू छलक पड़े। मैंने माँ को दिलासा दिया और कहा- मैं समझती हूँ.. कोई बात नहीं है माँ।

मेरी इस बात से उनका दिल कुछ हल्का हुआ और वो बोलीं- बेटी तुम नाराज़ नहीं हो न मुझसे?

मैंने कहा- नहीं माँ.. इसमें नाराज़ होने वाली कौन सी बात है.. ऐसा तो सबके साथ होता होगा?

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माँ के चहरे पर कुछ मुस्कान आई। मैं उस वक़्त कुछ और नहीं बोली। उस दिन के बाद मैं तीन रातों तक माँ के चुदने का इंतज़ार करती रही लेकिन प्रकाश अंकल नहीं आए, उनकी चुदाई नहीं हुई। अब मैं माँ की हमराज़ हो ही गई थी, मैंने माँ से पूछा- क्यों माँ.. आजकल अंकल रात को क्यों नहीं आ रहे हैं?

माँ ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा- तुमको क्या दिक्कत हो रही है?

इधर मेरा भी तो प्रकाश के बिना बुरा हाल था, मुझे भी अंकल से चुदे कई दिन हो चुके थे। माँ के साथ-साथ मेरी चूत को भी लण्ड की ज़रूरत सताने लगी थी। जिसका नतीजा यह हुआ कि मैंने बेअदबी के साथ माँ से कह दिया- माँ मुझे भी वही चाहिए.. जो तुम रोजाना रात को अपनी चूत में डलवाती हो।

माँ तो बिल्कुल सन्न रह गईं, उन्हें मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी- देखो भूमि, तुम अभी बच्ची हो।

‘माँ मैंने आपको बताया नहीं.. प्रकाश अंकल मेरे साथ भी वो सब कर चुके हैं।’

‘क्या..???’

मेरे जवाब से माँ के पैरों तले जैसे ज़मीन खिसक गई थी।

‘माँ प्लीज़..’ मैंने माँ के गले लगते हुए कहा।

मेरी जिद के आगे माँ मजबूर हो गई थीं, उन्होंने कहा- ठीक है.. तुम्हारी चूत में भी लण्ड पेलवा दूँगी.. लेकिन ध्यान रहे पापा को ये सब बातें मालूम नहीं होनी चाहिए। मैंने ख़ुशी से उछलते हुए कहा- ओके माँ.. तुम कितनी अच्छी हो।

दोस्तो.. जब मेरी माँ ने मुझसे कहा कि वे मेरी चूत में लण्ड पेलवा देंगी.. तो मैं बहुत खुश हुई कि मैंने माँ को मजबूर कर दिया था। वैसे तो प्रकाश अंकल मुझे कई बार चोद चुके थे.. लेकिन अब मैं यह सब बिना डरे करना चाहती थी। उसी दिन जब मैं नहाने जा रही थी तो माँ बाथरूम में आ गईं और दरवाजा बंद कर लिया।

वे बोलीं- अपने कपड़े उतारो।

मैंने माँ से कहा- माँ.. मुझे शर्म आएगी।

माँ ने मुझे डांटते हुए कहा- छिनाल कहीं की.. चूत और लण्ड का खेल देखकर पेलवाने की तुम्हारी हवस जाग उठी.. लेकिन यह नहीं जानती हो कि मर्द को क्या पसंद आता है? मर्द को चिकनी चूत चाहिए.. देखूं तुम्हारी झांटें साफ़ हैं या नहीं?

इसी के साथ माँ ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगी हो गईं, उनकी चूत के बाल एकदम साफ़ थे। सच में क्या शानदार चूत थी माँ की.. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं इसी चूत के रास्ते बाहर निकली हूँ।

मैं भी फटाफट अपनी सलवार कुर्ती उतार कर नंगी हो गई। माँ ने मेरी चूत को सहलाया और बोली- आज तुम्हारे अंकल इसमें अपना लण्ड पेलकर बहुत खुश होंगे। एक बात बता दूँ.. उन्होंने मुझसे एक बार कहा था कि जूही.. एकाध नए माल का इंतज़ाम करो.. पैसों की फ़िक्र मत करना।

माँ ने मुझे रगड़-रगड़ कर अच्छी तरह नहलाया.. मेरी चूत के बाल साफ़ किए और तब बोलीं- अब तुम्हारी चूत लण्ड लेने के लिए एकदम तैयार है।

शाम को दिनेश अंकल आए तो मैं उनको निहारती रह गई। क्या बलिष्ठ गठा हुआ बदन पाया था अंकल ने..! मैं समझी कि माँ प्रकाश अंकल की बात कर रहीं हैं लेकिन मेरी चुदाई का प्रोग्राम दिनेश अंकल के साथ था। हम लोग खाना खाकर लेटने की तैयारी करने लगे। आज हम तीन लोग एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर आ गए।

माँ ने अंकल से कहा- क्यों जी.. आप किसी नए माल के बारे में कह रहे थे.. आज मैं अपनी मासूम बच्ची को आपके हवाले कर रही हूँ.. लेकिन ध्यान रखिएगा.. कि बेचारी की चूत एकदम कोरी है बहुत आराम से पेलिएगा..

‘फ़िक्र मत करो जूही.. बस तुम देखो कैसे आज मैं तुम्हारी इस बच्ची को मासूम कच्ची कली से पूरी औरत बनाता हूँ।’

‘हम्म..’

अंकल बोले- जूही.. तुम भी तो साथ ही रहोगी.. जब मैं इसकी चूत में अपना डंडा पेलूँगा.. तो तुम देखती रहना।

माँ ने कहा- हाँ मेरा रहना ज़रूरी है.. क्या पता तुम क्या हाल करोगे मेरी बच्ची का.. माँ ने हँसते हुए जवाब दिया।

मैं बोली- माँ मैं बच्ची नहीं हूँ.. आप ऐसे ही डर रही हो..

इस दौरान माँ ने कुर्ती और सलवार निकाल दी, मेरी चूत को सहलाकर अंकल को दिखाकर बोलीं- देखो जी कितनी चिकनी गुलाबी चूत है.. मेरी रानी बिटिया की..

मैंने अंकल के पजामे पर हाथ फ़ेरते हुए कहा- अंकल इस उम्र में भी आपका लण्ड भी कोई कम नहीं है..

माँ ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, अंकल भी अपने कपड़े उतार चुके थे, अब हम तीनों मादरजाद नंगे थे। अंकल मेरे होंठों को चूसते हुए एक हाथ से मेरी चूत को सहला रहे थे.. तथा दूसरे हाथ से माँ की गाण्ड सहला रहे थे। मैं तो गर्म होने लगी.. लेकिन माँ अभी गरम नहीं हुई थीं।

माँ ने मुझसे पूछा- क्यों बेटी.. लण्ड चूसोगी?

मैंने कहा- आप लोग जैसा आदेश करें.. मैं तो अनाड़ी हूँ.. मुझे आप लोगों की निगाहबानी में ही चूत चुदवानी है।

माँ बोलीं- तब ठीक है..मैं जैसा कहती हूँ.. तुम वैसा करो।

हम तीनों ऐसी पोजीशन में हो गए कि मैं दिनेश अंकल का लण्ड चूस रही थी। माँ मेरी चूत चाट रही थीं और अंकल माँ की चूत चाट रहे थे.. अर्थात तीनों लोगों ने एक सर्किल बना रखा था। मैं तो माँ द्वारा चूत की चटाई से ही एक बार झड़ गई। थोड़ी देर बाद मैंने माँ से कहा- माँ.. मेरी चूत में जल्दी लण्ड डलवा दो नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी।

माँ ने कहा- अच्छा.. अपनी टांगें फैलाकर पीठ के बल लेट जाओ.. मैं वैसलीन की शीशी लाती हूँ।

माँ ने मेरी चूत के अन्दर वैसलीन लगा दी और अंकल से बोलीं- मेरी रानी बिटिया की कुंवारी चूत को अपने लम्बे लण्ड से आबाद कीजिए।

माँ ने अंकल के सुपाड़े पर भी वैसलीन लगा दी। अंकल ने मेरी टांगों को फैलाकर लण्ड को मेरी प्यासी चूत के मुहाने पर रखा और मेरी माँ ने अंकल के पीछे से मेरी चूत को फैला रखा था। अंकल ने धक्का लगाया लेकिन निशाना चूक गया।

मेरी चूत लौड़े के लिए तड़प रही थी.. कि जल्दी से उसमें लण्ड घुसे, मैं लगभग रोते हुए बोली- माँ.. पेलवा दो न.. क्यों देरी हो रही है?

माँ ने कहा- इस बार घुस जाएगा बेटी.. घबराओ मत.. मैं भी तो लगी हूँ इसी कोशिश में.. पेलिए जी मेरी बेटी को.. देखो बेचारी तड़प रही है।

जब इस बार अंकल ने अपना सुपाड़ा घुसा दिया तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल जाएगी.. लेकिन मैंने अपने दांत भींच लिए।

‘आईईए.. माँ.. दर्द हो रहा है..’

मैंने सोचा नहीं था कि दिनेश अंकल का लण्ड प्रकाश अंकल से मोटा और लम्बा भी है।

‘बस.. बस.. धीरे धीरे.. दिनेश.. अभी ये कमसिन कुंवारी है..’

माँ मेरी चूत को पीछे से सहला रही थीं ताकि दर्द न हो। अंकल ने थोड़ा और घुसाया तो मुझे लगा कि अब पूरा हो गया.. लेकिन जब मैंने अंकल से कहा- अब धक्का लगाइए.. तो उनके बोलने से पहले माँ ने बाहर निकले हुए लण्ड को नापकर कहा- बस बेटी 5 इंच लण्ड अभी बाहर है.. 3 इंच तो तुमने निगल लिया है।

यह सुनकर मेरी तो हालत खराब हो गई.. खैर अंकल ने थोड़ा और जोर लगाया.. तो दो बार में पूरा लण्ड जड़ तक घुस गया। अंकल ने स्पीड तेज़ की तो धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा। मैं बोलने लगी ‘आह्ह्ह्ह ऊह..ह उह.. पेल दो अंकल.. फाड़ दो मेरी चूत को.. उफ़..’

थोड़ी देर के बाद ‘फच.. फच..’ की आवाज़ आने लगीं। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. अंकल ने मेरी छोटी-छोटी कच्ची गुलाबी चूचियों के निप्पल को दबा-दबा कर लाल कर दिया था। उधर माँ मेरी चूत को सहला रही थीं.. बीच-बीच में वह मेरी चूत और उसमें फंसे हुए लण्ड को चाटने भी लगती थीं।

माँ सिर्फ कॉलेज में ही नहीं बल्कि बिस्तर पर भी एक अच्छी टीचर थीं। कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैं आसामान में उड़ रही हूँ। अंकल ने मेरे छोटे से दुबले-पतले जिस्म को अपने कसरती शरीर में खूब जोर से भींच लिया था।

मैं अपनी गाण्ड इस क़दर उचकाने लगी कि लण्ड खूब गहराई तक घुस जाए। अब मेरा काम-तमाम होने वाला था। मैं बड़बड़ाने लगी- अह.. मेरे राजा उन्ह.. आह औउच.. ओह.. मैं आ गई.. आह..ह ह हह ओह.. ओहोहोह.. मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया..

लेकिन अंकल रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। माँ ने मुझसे पूछा- क्यों बेटी मज़ा आया? कहो तो अब मैं भी चुदवा लूँ.. तुम्हें चुदवाते देखकर मेरी चूत भी पनिया गई है।

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अंकल ने अपना 8 इंच का लपलपाता हुआ लण्ड बाहर निकाल लिया। माँ को इतना जोश चढ़ चुका था कि अंकल ज्यों ही पीठ के बल लेटे, माँ ने उनके खड़े लण्ड को अपनी चूत में फंसा दिया और धक्का मारने लगीं। मैं माँ के पीछे जाकर उनकी चिरी हुई चूत में अंकल के फंसे हुए लण्ड को देखने लगी। क्या गज़ब का नजारा था। मैं चूत लण्ड के संधिस्थल को चाटने लगी। मेरी चूत फिर से पनियाने लगी थी। माँ ने उछल-उछल कर खूब चुदवाया।

अब माँ पीठ के बल लेट गईं और अंकल ने सामने से अपना लण्ड घुसा दिया और जोर-जोर से चोदने लगे। थोड़ी देर बाद उनका पानी निकल गया। उस रात को अंकल ने मुझे तीन बार और माँ ने जबरन दो बार चूत चुदवाई। रात के तीन बजे हम लोग सो गए। फिर धीरे-धीरे हम चारों एक साथ इस खेल को खेलने लगे थे। माँ के कहने पर दिनेश ने इस गैंग-बैंग में अपनी पत्नी ज्योति को भी शामिल कर लिया था, वो ज्योति को अपने साथ हमारे घर लाते और तीन गर्म बदनों के साथ खेलते।

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Filed Under: Hindi Sex Story Tagged With: Bathroom Sex Kahani, Boobs Suck, Hardcore Sex, Hindi Porn Story, Horny Girl, Kamukata, Mastaram Ki Kahani, Non Veg Story, Sexy Figure

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Comments

  1. Raman Deep says

    जुलाई 7, 2023 at 10:27 अपराह्न

    कोई लड़की भाभी आंटी तलाकशुदा महिला जिसकी चूत प्यासी हो ओर मोटे लड से चुदवाना चाहती हो तो मुझे कॉल और व्हाट्सएप करे 7707981551 सिर्फ महिलाएं….लड़के कॉल ना करे
    Wa.me/917707981551?text=Hiii Raman

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