Kunwari Sexy Girl Vlog
मेरी उम्र 18 साल है, मैं कुँवारी युवती हूँ. मैने 12थ का एग्ज़ॅम दिया है. मैं अपने बारे में यह बताना ज़रूरी समझती हूँ कि मेरी फॅमिली काफ़ी अड्वान्स है, और मुझे किसी प्रकार की बंदिश नहीं लगाई जाती. मैं अपनी मर्ज़ी से जीना पसंद करती हूँ. अपने ही ढंग से फॅशनबल कपड़े पहनना मेरा शौक है. Kunwari Sexy Girl Vlog
और क्योंकि मैं मम्मी पापा की इकलौती बेटी हूँ इसलिए किसी ने भी मुझे इस तरह के कपड़े पहन-ने से नहीं रोका. स्कूल आने जाने के लिए मुझे एक ड्राइवर के साथ कार मिली हुई थी. वैसे तो मम्मी मुझे ड्राइव करने से मना करती थी, मगर मैं अक्सर ड्राइवर को घूमने के लिए भेज देती और खुद ही कार लेकर सैर करने निकल जाती थी.
स्कूल में पढ़ने वाला एक लड़का मेरा दोस्त था. उसके पास एक अच्छी सी बाइक थी. मगर वो कभी कभी ही बाइक लेकर आता था, जब भी वो बाइक लेकर आता मैं उसके पीछे बैठ कर उसके साथ घूमने जाती. और जब उसके पास बाइक नहीं होती तो मैं उसके साथ कार में बैठ कर घूमने का आनंद उठाती.
ड्राइवर को मैने पैसे देकर मना कर रखा था कि घर पर मम्मी या पापा को ना बताए कि मैं अकेली कार लेकर अपने दोस्त के साथ घूमने जाती हूँ. इस प्रकार उसे दोहरा फ़ायदा होता था, एक ओर तो उसे पैसे भी मिल जाते थे और दूसरी ओर उसे अकेले घूमने का मौका भी मिल जाया करता था.
दो बजे स्कूल से छुट्टी के बाद अक्सर मैं अपने दोस्त के साथ निकल जाती थी और करीब 6-7 बजते बजते घर पहुँच जाती थी. एक प्रकार से मेरा घूमना भी हो जाता था और घर वालो को कुछ कहने का मौका भी नहीं मिलता था. मेरे दोस्त का नाम तो मैं बताना ही भूल गयी.
उसका नाम विक्रम है. विक्रम को मैं मन ही मन प्यार करती थी और विक्रम भी मुझसे प्यार करता था, मगर ना तो मैने कभी उससे प्यार का इज़हार किया और ना ही उसने. उसके साथ प्यार करने में मुझे कोइ झिझक महसूस नहीं होती थी. मुझे याद है की प्यार की शुरुआत भी मैने ही की थी जब हम दोनो बाइक में बैठ कर घूमने जा रहे थे.
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मैं पीछे बैठी हुई थी जब मैने रोमॅंटिक बात करते हुए उसके गाल पर किस कर लिया. ऐसा मैने भावुक हो कर नहीं बल्कि उसकी झिझक दूर करने के लिए किया था. वो इससे पहले प्यार की बात करने में भी बहुत झिझकता था. एक बार उसकी झिझक दूर होने के बाद मुझे लगा की उसकी झिजाहक दूर करके मैने ठीक नहीं किया.
क्योंकि उसके बाद तो उसने मुझसे इतनी शरारत करनी शुरू कर दी कि कभी तो मुझे मज़ा आ जाता था और कभी उस पर गुस्सा. मगर कुल मिलाकर मुझे उसकी शरारत बहुत अच्छी लगती थी. उसकी इन्ही सब बातो के कारण मैं उसे पसंद करती थी और एक प्रकार से मैने अपना तन मन उसके नाम कर दिया था.
एक दिन मैं उसके साथ कार में थी. कार वोही ड्राइव कर रहा था. एकाएक एक सुनसान जगह देखकर उसने कार रोक दी और मेरी ओर देखते हुए बोला, “अच्छी जगह है ना ! चारो तरफ अंधेरा और पह पौधे हैं. मेरे ख़याल से प्यार करने की इससे अच्छी जगह हो ही नहीं सकती.” यह कहते हुए उसने मेरे होंठो को चूमना चाहा तो मैं उससे दूर हटने लगी.
उसने मुझे बाहों में कस लिया और मेरे होंठो को ज़ोर से अपने होंठो में दबाकर चूसना शुरू कर दिया. मैं जबरन उसके होंठो की गिरफ़्त से आज़ाद हो कर बोली, “छ्चोड़ो, मुझे साँस लेने में तक़लीफ़ हो रही है.” उसने मुझे छ्चोड़ तो दिया मगर मेरी चूची पर अपना एक हाथ रख दिया.
मैं समझ रही थी की आज इसका मन पूरी तरह रोमॅंटिक हो चुक्का है. मैने कहा, “मैं तो उस दिन को रो रही हूँ जब मैने तुम्हारे गाल पर किस करके अपने लिए मुसीबत पैदा कर ली. ना मैं तुम्हे किस करती और ना तुम इतना खुलते.” “तुमसे प्यार तो मैं काफ़ी समय से करता था.
मगर उस दिन के बाद से मैं यह पूरी तरह जान गया कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो. वैसे एक बात कहू, तुम हो ही इतनी हसीन की तुम्हे प्यार किए बिना मेरा मन नहीं मानता है.” वो मेरी चूची को दबाने लगा तो मैं बोली, “उम्म्म्मम क्यों दबा रहे हो इसे? छ्चोड़ो ना, मुझे कुच्छ कुच्छ होता है.”
“क्या होता है?” वो और भी ज़ोर से दबाते हुए बोला, मैं क्या बोलती, ये तो मेरे मन की एक फीलिंग थी जिसे शब्दो में कह पाना मेरे लिए मुश्किल था. इसे मैं केवल अनुभव कर रही थी. वो मेरी चूची को बदस्तूर मसल्ते दबाते हुए बोला, “बोलो ना क्या होता है?” “उम्म्म्मम उफफफफफफ्फ़ मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं इस फीलिंग को कैसे व्यक्त करूँ. बस समझ लो कि कुच्छ हो रहा है.”
वो मेरी चूची को पहले की तरह दबाता और मसलता रहा. फिर मेरे होंठो को किस करने लगा. मैं उसके होंठो के चुंबन से कुछ कुछ गरमा होने लगी. जो मौका हमे संयोग से मिला था उसका फ़ायदा उठाने के लिए मैं भी व्याकुल हो गयी. तभी उसने मेरे कपड़ो को उतारने का उपक्रम किया. होंठ को मुक्त कर दिया था.
मैं उसकी ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. ऐसा मैने उसका हौंसला बढ़ाने के लिए किया था. ताकि उसे एहसास हो जाए कि उसे मेरा सपोर्ट मिल रहा है. मेरी मुस्कुराहट को देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट दिखाई देने लगी. वो आराम से मेरे कपड़े उतारने लगा, पहले उसका हाथ मेरी चूची पर ही था सो वो मेरी चूची को ही नंगा करने लगा.
मैं होल से बोली, “मेरा विचार है कि तुम्हे अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिए. प्यार की ऐसी दीवानगी अच्छी नहीं होती.” उसने मेरे कुच्छ कपड़े उतार दिए. फिर मेरी ब्रा खोलते हुए बोला, “तुम्हारी मस्त जवानी को देखकर अगर मैं अपने आप पर काबू पा लूँ तो मेरे लिए ये एक अजूबे के समान होगा.”
मैने मन में सोचा कि अभी तुमने मेरी जवानी को देखा ही कहाँ है. जब देख लोगे तो पता नहीं क्या हाल होगा. मगर मैं केवल मुस्कुराई. वो मेरे मम्मे को नंगा कर चुक्का था. दोनो चूचियों में ऐसा तनाव आ गया था उस वक़्त तक कि उसके दोनो निपल अकड़ कर और ठोस हो गये थे. और सुई की तरह तन गये थे.
वो एक पल देख कर ही इतना उत्तेजित हो गया था कि उसने निपल समेत पूरी चूची को हथेली में समेटा और कस कस कर दबाने लगा. अब मैं भी उत्तेजित होने लगी थी. उसकी हर्कतो से मेरे अरमान भी मचलने लगे थे.
मैने उसके होंठो को किस करने के बाद प्यार से कहा, “छ्चोड़ दो ना मुझे. तुम दबा रहे हो तो मुझे गुदगुदी हो रही है. पता नहीं मेरी चूचियों में क्या हो रहा है कि दोनो चूचियों में तनाव सा भरता जा रहा है. प्लीज़ छ्चोड़ दो, मत दबाओ.” वो मुस्कुरा कर बोला, “मेरे बदन के एक ख़ास हिस्से में भी तो तनाव भर गया है. कहो तो उसे निकाल कर दिखाऊँ?”
मैं समझ नहीं पाई की वो किसकी बात कर रहा है. मगर एका एक वो अपनी पॅंट उतारने लगा तो मैं समझ गयी और मेरे चेहरे पर शर्म की लाली फैल गयी. वो किस्में तनाव आने की बात कर रहा था उसे अब मैं पूरी तरह समझ गयी थी.
मुझे शर्म का एहसास भी हो रहा था और एक प्रकार का रोमांच भी सारे बदन में अनुभव हो रहा था. मैं उसे मना करती रह गयी मगर उसने अपना काम करने से खुद को नहीं रोका, और अपनी पॅंट उतार कर ही माना. जैसे ही उसने अपना अंडरवेर भी उतारा तो मैने जल्दी से निगाह फेर ली.
वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए बोला, “छ्छू कर देखो ना. कितना तनाव आ गया है इसमें. तुम्हारे निप्पल से ज़्यादा तन गया है ये.” मैने अपना हाथ छुड़ाने की आक्टिंग भर की. सच तो ये था की मैं उसे छ्छूने को उतावली हो रही थी. अब तक देखा भी नहीं था. छ्छू कर देखने की बात तो और थी.
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उसने मेरे हाथ को बढ़ा कर एक मोटी सी चीज़ पर रख दिया. वो उसका लंड है ये मैं समझ चुकी थी. एक पल को तो मैं सन्न रह गयी, उसका लंड पकड़ने के बाद. मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज़ हो गयी की खुद मेरे कानो में भी गूँजती लग रही थी.
मैं उसके लंड की जड़ की ओर हाथ बढ़ाने लगी तो एहसाह हुआ कि लंड लंबा भी काफ़ी था. मोटा भी इस कदर की उसे एक हाथ में ले पाना एक प्रकार से नामुमकिन ही था. वो मुझे गरम होता देख कर मेरे और करीब आ गया और मेरे निपल को सहलाने लगा.
एका एक उसने निपल को चूमा तो मेरे बदन में खून का दौरा तेज़ हो गया, और मैं उसके लंड के ऊपर तेज़ी से हाथ फिराने लगी. मेरे ऐसा करते हुए उसने झट से मेरे निपल को मूह में ले लिया और चूसने लगा. अब तो मैं पूरी मस्ती में आ गयी और उसके लंड पर बार बार हाथ फेर कर उसे सहलाने लगी.
बहुत अच्छा लग रहा था, मोटे और लंबे गरम लंड पर हाथ फिराने में. एका एक वो मेरे निपल को मूह से निकाल कर बोला, “कैसा लग रहा है मेरे लंड पर हाथ फेरने में?” मैं उसके सवाल को सुनकर शर्मा गयी. हाथ हटाना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर लंड पर ही दबा दिया और बोला, “तुम हाथ फेरती हो तो बहुत अच्छा लगता है, देखो ना, तुम्हारे द्वारा हाथ फेरने से और कितना तन गया है.”
मुझसे रहा नहीं गया तो मैं मुस्कुरा कर बोली, “मुझे दिखाई कहाँ दे रहा है?”
“देखोगी ! ये लो.” कहते हुए वो मेरे बदन से दूर हो गया और अपनी कमर को उठा कर मेरे चेहरे के समीप किया तो उसका मोटा तगड़ा लंड मेरी निगाहो के आगे आ गया. लंड का सुपाड़ा ठीक मेरी आँखो के सामने था और उसका आकर्षक रूप मेरे मन को विचलित कर रहा था.
उसने थोड़ा सा और आगे बढ़ाया तो मेरे होंठो के एकदम करीब आ गया. एक बार तो मेरे मन में आया की मैं उसके लंड को किस कर लूँ मगर झिझक के कारण मैं उसे चूमने को पहल नहीं कर पा रही थी. वो मुस्कुरा कर बोला, “मैं तुम्हारी आँखो में देख रहा हूँ कि तुम्हारे मन में जो है उसे तुम दबाने की कोशिश कर रही हो. अपनी भावनाओं को मत दबाओ, जो मन में आ रहा है, उसे पूरा कर लो.”
उसके यह कहने के बाद मैने उसके लंड को चूमने का मन बनाया मगर एकदम से होंठ आगे ना बढ़ा कर उसे चूमने की पहल ना कर पाई. तभी उसने लंड को थोड़ा और आगे मेरे होंठो से ही सटा दिया, उसके लंड के दहाकते हुए सुपादे का स्पर्श होंठो का अनुभव करने के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं पे और लंड के सुपादे को जल्दी से चूम लिया.
एक बार चूम लेने के बाद तो मेरे मन की झिझक काफ़ी कम हो गयी और मैं बार बार उसके लंड को दोनो हाथो से पकड़ कर सुपादे को चूमने लगी, एकाएक उसने सिसकारी लेकर लंड को थोड़ा सा और आगे बढ़ाया तो मैने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोल दिया, और सुपपड़ा मूह में लेकर चूसने लगी.
इतना मोटा सुपाड़ा और लंड था कि मूह में लिए रखने में मुझे परेशानी का अनुभव हो रहा था, मगर फिर भी उसे चूसने की तमन्ना ने मुझे हार मान-ने नहीं दिया और मैं कुछ देर तक उसे मज़े से चूस्ति रही. एका एक उसने कहा, “हयाययीयियी तुम इसे मूह में लेकर चूस रही हो तो मुझे कितना मज़ा आ रहा है, मैं तो जानता था कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो, मगर थोड़ा झिझकति हो. अब तो तुम्हारी झिझक समाप्त हो गयी, क्यों है ना?”
मैं हां में सिर हिला कर उसकी बात का समर्थन किया और बदस्तूर लंड को चूस्ति रही. अब मैं पूरी तरह खुल गयी थी और चुदाई का आनंद लेने का इरादा कर चुकी थी. वो मेरे मूह में धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. मैने अंदाज़ा लगा लिया कि ऐसे ही धक्के वो चुदाई के समय भी लगाएगा.
चुदाई के बारे में सोचने पर मेरा ध्यान अपनी चूत की ओर गया, जिसे अभी उसने निवस्त्र नहीं किया था. जबकि मुझे चूत में भी हल्की हल्की सिहरन महसूस होने लगी थी. मैं कुछ ही देर में थकान का अनुभव करने लगी. लंड को मूह में लिए रहने में परेशानी का अनुभव होने लगा.
मैने उसे मूह से निकालने का मन बनाया मगर उसका रोमांच मुझे मूह से निकालने नहीं दे रहा था. मूह थक गया तो मैने उसे अंदर से तो निकाल लिया मगर पूरी तरह से मुक्त नहीं किया. उसके सुपादे को होंठो के बीच दबाए उस पर जीभ फेरती रही. झिझक ख़त्म हो जाने के कारण मुझे ज़रा भी शर्म नहीं लग रही थी.
तभी वो बोला, “हाई मेरी जान, अब तो मुक्त कर दो, प्लीज़ निकाल दो ना.”…
वो मिन्नत करने लगा तो मुझे और भी मज़ा आने लगा और मैं प्रयास करके उसे और चूसने का प्रयत्न करने लगी. मगर थकान की अधिकता हो जाने के कारण, मैने उसे मूह से निकाल दिया. उसने एका एक मुझे धक्का दे कर गिरा दिया और मेरी जीन्स खोलने लगा और बोला,“मुझे भी तो अपनी उस हसीन जवानी के दर्शन करा दो, जिसे देखने के लिए मैं बेताब हूँ.”
मैं समझ गयी कि वो मेरी चूत को देखने के लिए बेताब था. और इस एहसास ने कि अब वो मेरी चूत को नंगा करके देख लेगा साथ ही शरारत भी करेगा. मैं रोमांच से भर गयी. मगर फिर भी दिखावे के लिए मैं मना करने लगी. वो मेरी जीन्स को उतार चूकने के बाद मेरी पॅंटी को खींचने लगा तो मैं बोली, “छ्चोड़ो ना ! मुझे शर्म आ रही है.”
“लंड मूह में लेने में शर्म नहीं आई और अब मेरा मन बेताब हो गया है तो सिर्फ़ दिखाने में शर्म आ रही है.” वो बोला. उसने खींच कर पॅंटी को उतार दिया और मेरी चूत को नंगा कर दिया. मेरे बदन में बिजली सी भर गयी. यह एहसास ही मेरे लिए अनोखा था उसने मेरी चूत को नंगा कर दिया था.
अब वो चूत के साथ शरारत भी करेगा. वो चूत को छूने की कोशिश करने लगा तो मैं उसे जाँघो के बीच छिपाने लगी. वो बोला, “क्यों छुपा रही हो. हाथ ही तो लगाउन्गा. अभी चूमने का मेरा इरादा नहीं है. हां अगर प्यारी लगी तो ज़रूर चूमूंगा.”
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उसकी बात सुनकर मैं मन ही मन रोमांच से भर गयी. मगर प्रत्यक्ष में बोली, “तुम देख लोगे उसे, मुझे दिखाने में शर्म आ रही है. आँख बंद करके च्छुओगे तो बोलो.”
“ठीक है ! जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. मैं आँख बंद करता हूँ, तुम मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख देना.”
मैने हां में सिर हिलाया. उसने अपनी आँख बंद कर ली तो मैं उसका हाथ पकड़ कर बोली, “चोरी छिपे देख मत लेना, ओके, मैं तुम्हारा हाथ अपनी चूत पर रख रही हूँ.” मैने चूत पर उसका हाथ रख दिया. फिर अपना हाथ हटा लिया. उसके हाथ का स्पर्श चूत पर लगते ही मेरे बदन में सनसनाहट होने लगी.
गुदगुदी की वजह से चूत में तनाव बढ़ने लगा. उस पर से जब उसने चूत को च्छेड़ना शुरू किया तो मेरी हालत और भी खराब हो गयी. वो पूरी चूत पर हाथ फेरने लगा. फिर जैसे ही चूत के अंदर अपनी उंगली घुसाने की चेष्टा की तो मेरे मूह से सिसकारी निकल गयी.
वो चूत में उंगली घुसाने के बाद चूत की गहराई नापने लगा. मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मैने चाहते हुए भी उसे नहीं रोका. उसने अपनी उंगली चूत की काफ़ी गहराई में घुसा दी थी. मैं लगातार सिसकारी ले रही थी. मेरी कुँवारी और नाज़ुक चूत का कोना कोना जलने लगा.
तभी उसने एक हाथ मेरी गांद के नीचे लगाया कमर को थोड़ा ऊपर करके चूत को चूमना चाहा. उसने अपनी आँख खोल ली थी और होंठों को भी इस प्रकार खोल लिया था जैसे चूत को होंठो के बीच में दबाने का मन हो. मेरी हल्की झान्टो वाली चूत को होंठों के बीच दबा कर जब उसने चूसना शुरू किया तो मैं और भी बुरी तरह छत्पताने लगी.
उसने कस कस कर मेरी चूत को चूसा और चंद ही पलो में चूत को इतना गरम कर डाला की मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और होंठो से कामुक सिसकारी निकालने लगी. इसके साथ ही मैं कमर को हिला हिला कर अपनी चूत उसके होंठों पर रगड़ने लगी.
उसने समझ लिया कि उसके द्वारा चूत चूसे जाने से मैं गरम हो रही हूँ. सो उसने और भी तेज़ी से चूसना शुरू किया साथ ही चूत के सुराख के अंदर जीभ घुसा कर गुदगुदाने लगा. अब तो मेरी हालत और भी खराब होने लगी. मैं ज़ोर से सिसकारी ले कर बोली, “विक्रम ये क्या कर रहे हो.
इतने ज़ोर से मेरी चूत को मत चूसो और ये तुम छेद के अंदर गुदगुदी……. उूऊउईईई….. मुझसे बर्दास्त नहीं हो पा रहा है. प्लीज़ निकालो जीभ अंदर से, मैं पागल हो जाउन्गि.” मैं उसे निकालने को ज़रूर कह रही थी मगर एक सच यह भी था कि मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
चूत की गुदगुदाहट से मेरा सारा बदन काँप रहा था. उसने तो चूत को छेड़ छेड़ कर इतना गरम कर डाला कि मैं बर्दास्त नहीं कर पाई. मेरी चूत का भीतरी हिस्सा रस से गीला हो गया. उसने कुच्छ देर तक चूत के अंदर तक के हिस्से को गुदगुदाने के बाद चूत को मुक्त कर दिया.
मैं अब एक पल भी रुकने की हालत में नहीं थी. जल्दी से उसके बदन से बदन से लिपट गयी और लंड को पकड़ने का प्रयास कर रही थी कि उसे चूत में डाल लूँगी की उसने मेरी टाँगो को पकड़ कर एकदम ऊँचा उठा दिया और नीचे से अपना मोटा लंड मेरी चूत के खुले हुए छेद में घुसाने की कोशिश की.
वैसे तो चूत का दरवाज़ा आम तौर पर बंद होता था. मगर उस वक़्त क्योंकि उसने टाँगो को ऊपर की ओर उठा दिया था इसलिए छेद पूरी तरह खुल गया था. रस से चूत गीली हो रही थी. जब उसने लंड का सुपाड़ा छेद पर रखा तो ये भी एहसास हुआ कि छेद से और भी रस निकलने लगा.
मैं एक पल को तो सीसीया उठी. जब उसने चूत में लंड घुसाने की बजाए हल्का सा रगड़ा. मैं सिसकारी लेकर बोली, “घुसाओ जल्दी से………. देर मत करो प्लीज़……………..” उसने लंड को चूत के छेद पर अड़ा दिया. पहली बार मुझे ये एहसास हुआ कि मेरी चूत का सुराख उम्मीद से ज़्यादा ही छ्होटा है.
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क्योंकि लंड का सुपाड़ा अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रहा था. मेरी हालत तो ऐसी हो चुकी थी कि अगर उसने लंड जल्दी अंदर नहीं किया तो शायद मैं पागल हो जाऊं. वो अंदर डालने की कोशिश कर रहा था.मैं बोली,“क्या कर रहे हो जल्दी घुसाओ ना अंदर. उूउउफफफफफफ्फ़ उूउउम्म्म्ममम अब तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. प्लीज़ जल्दी से अंदर कर दो.”
वो बार बार लंड को पकड़ कर चूत में डालने की कोशिश करता और बार बार लंड दूसरी तरफ फिसल जाता. वो भी परेशान हो रहा था और मैं भी. मैं सीसीयाने लगी, क्योंकि चूत के भीतरी हिस्से में ज़ोरदार गुदगुदी सी हो रही थी. मैं बार बार उसे अंदर करने के लिए कहे जा रही थी.
वो प्रयास कर तो रहा था मगर लंड की मोटाई के कारण चूत के अंदर नहीं जा पा रहा था. तभी उसने कहा, “उफफफफफफफ्फ़ तुम्हारी चूत का सुराख तो इस कदर छोटा है कि लंड अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रहा है मैं क्या करूँ?”
“तुम तेज़ झटके से घुसाओ अगर फिर भी अंदर नहीं जाता है तो फाड़ दो मेरी चूत को.” मैं जोश में आ कर बोल बैठी. मेरी बात सुनकर वो भी बहुत जोश में आ गया और उसने ज़ोर का धक्का मारा. एकदम जानलेवा धक्का था, भकक से चूत के अंदर लंड का सुपाड़ा समा गया, इसके साथ ही मेरे मूह से चीख भी निकल गयी.
चूत की ओर देखा तो पाया कि बीच से फट गयी थी और खून निकल रहा था. खून देखने के बाद तो मेरी घबराहट और बढ़ने लगी मगर किसी तरह मैने अपने आप पर काबू किया. उसके लंड ने चूत का थोड़ा सा ही सफ़र पूरा किया था और उसी में मेरी हालत खराब होने लगी थी.
चूत के एकदम बीचो बीच धंसा हुआ उसका लंड ख़तरनाक लग रहा था. मैं दर्द से कराहते हुए बोली, “माइ गोद ! मेरी चूत तो सचमुच फट गयी उफफफफफफफफफ्फ़ दर्द सहन नहीं हो रहा है. अगर पूरा लंड अंदर घुसाओगे तो लगता है मेरी जान ही निकल जाएगी.”
“नहीं यार! मैं तुम्हे मरने थोड़े ही दूँगा.” वो बोला और लंड को हिलाने लगा तो मुझे ऐसा अनुभव हुआ जैसे चूत के अंदर बवंडर मचा हुआ हो. जब मैने कहा कि थोड़ी देर रुक जाओ, उसके बाद धक्के मारना तो उसने लंड को जहाँ का तहाँ रोक दिया और हाथ बढ़ा कर मेरी चूची को पकड़ कर दबाने लगा.
चूची में कठोरता पूरे शबाब पर आ गयी थी और जब उसने दबाना शुरूकिया तो मैने चूत की ओर से कुच्छ राहत महसूस की. कारण मुझे चूचियों का दब्वाया जाना अच्छा लग रहा था. मेरा तो यह तक दिल कर रहा था की वो मेरे निपल को मूह में लेकर चूस्ता.
इससे मुझे आनंद भी आता और चूत की ओर से ध्यान भी बँट-ता. मगर टाँग उसके कंधे पर होने से उसका चेहरा मेरे निपल तक पहुँच पाना एक प्रकार से नामुमकिन ही था. तभी वो लंड को भी हिलाने लगा. पहले धीरे धीरे उसके बाद तेज़ गति से.
चूची को भी एक हाथ से मसल रहा था. चूत में लंड की हल्की हल्की सरसराहट अच्छी लगने लगी तो मुझे आनंद आने लगा. पहले धीरे और उसके उसने धक्को की गति तेज़ कर दी. मगर लंड को ज़्यादा अंदर करने का प्रयास उसने अभी नहीं किया था. एका एक विक्रम बोला, “तुम्हारी चूत इतनी कमसिन और टाइट है कि क्या कहूँ?”
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुरा कर रह गयी. मैने कहा, “मगर फिर भी तो तुमने फाड़ कर लंड घुसा ही दिया.”
“अगर नहीं घुसाता तो मेरे ख़याल से तुम्हारे साथ मैं भी पागल हो जाता.”
मैं मुस्कुरा कर रह गयी.वो तेज़ी से लंड को अंदर बाहर करने लगा था. अब चूत में दर्द अधिक तो नहीं हो रहा था हां हल्का हल्का सा दर्द उठ रहा था. मगर उससे मुझे कोइ परेशानी नहीं थी. उसके मुक़ाबले मुझे मज़ा आ रहा था. कुछ देर में ही उसने लंड को थेल कर काफ़ी अंदर कर दिया था. उसके बाद भी जब और थेल कर अंदर घुसाने लगा तो मैं बोली, “और अंदर कहाँ करोगे, अब तो सारा का सारा अंदर कर चुके हो. अब बाकी क्या रह गया है?”
“एक इंच बाकी रह गया है.” कहते ही उसने मुझे कुछ बोलने का मौका दिए बगैर ज़ोर से झटका मार कर लंड को चूत की गहराई में पहुँचा दिया. मैं चिहुन्क कर रह गयी. उसके लंड के ज़ोरदार प्रहार से मैं मस्त हो कर रह गयी थी. ऐसा आनंद आया कि लगा उसके लंड को चूत की पूरी गहराई में दाखिल करवा ही लूँ. उसी में मज़ा आएगा.
यह सोच कर मैने कहा, “हाऐईयईईई…… और अंदर…….. घुसाआअऊऊऊ. गहराई में पहुँचा दो.” उसने मेरी जाँघो पर हाथ फेरा और लंड को ज़ोर से ठेला तो मेरी चूत से अजीब तरह की आवाज़ निकली और इसके साथ ही मेरी चूत से और भी खून गिरने लगा.
मगर मुझे इससे भी कोइ परेशानी नहीं हुई थी, बल्कि यह देख कर मैं आनंद में आ गयी कि चूत का सुराख पूरा खुल गया था और लंड सारा का सारा अंदर था. एक पल को तो मैं यह सोच कर ही रोमांचित हो गयी कि उसके बम्बू जैसे लंड को मैने अपनी चूत में पूरा डलवा लिया था.
उस पर से जब उसने धक्के मारने लगा, तो एहसास हुआ की वाकई जो मज़ा चुदाई में है वो किसी और तरीके से मौज-मस्ती करने से नहीं है. उसका 8 इंच लंड अब मेरी चूत की गहराई को पहले से काफ़ी अच्छी तरह नाप रहा था. मैं पूरी तरह मस्त होकर मूह से सिसकारी निकालने लगी.
पता नहीं कैसे मेरे मूह से एकदम गंदी गंदी बात निकलने लगी थी. जिसके बारे में मैने पहले कभी सोचा तक नहीं था. फहाआद्द्दद्ड….. डूऊऊओ मेरिइईईई चूऊवटतत्टतत्त कूऊऊऊ आआहह प्प्प्पीईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊओ और्र्र्ररर तेज़ पेलो टुकड़े टुकड़े कर दो मेरी चूऊऊत्त्त्त्त्त्त्त कीईईईईईईई.
एका एक मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी तो मैने विक्रम को और तेज़ गति से धक्के मारने को कह दिया,अब लंड मेरी चूत को पार कर मेरी बच्चेदानि से टकराने लगा था, तभी चूत में ऐसा संकुचन हुआ कि मैने खुद बखुद उसके लंड को ज़ोर से चूत के बीच में कस लिया.
पूरी चूत में ऐसी गुदगुदाहट होने लगी कि मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे मूह से ज़ोरदार सिसकारी निकलने लगी. उसने लंड को रोका नहीं और धक्के मारता रहा. मेरी हालत जब कुछ अधिक खराब होने लगी तो मेरी रुलाई छ्छूट निकली. वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.
मेरे रो देने पर उसने लंड को रोक लिया और मुझे मनाने का प्रयास करने लगा. मैं उसके रुक जाने पर….. खुद ही शांत हो गयी और धीरे धीरे मैं अपने बदन को ढीला छ्चोड़ने लगी. कुच्छ देर तक वो मेरी चूत में ही लंड डाले मेरे ऊपर पड़ा रहा. मैं आराम से कुच्छ देर तक साँस लेती रही.
फिर जब मैने उसकी ओर ध्यान दिया तो पाया कि उसका मोटा लंड चूत की गहराई में वैसे का वैसा ही खड़ा और आकड़ा हुआ पड़ा था. मुझे नॉर्मल देखकर उसने कहा, “कहो तो अब मैं फिर से धक्के मारने शुरू करूँ.” “मारो, मैं देखती हूँ कि मैं बर्दाश्त कर पाती हूँ या नहीं.”..
उसने दोबारा जब धक्के मारने स्टार्ट किए तो मुझे लगा जैसे मेरी चूत में काँटे उग आए हो, मैं उसके धक्के झेल नहीं पाई और उसे मना कर दिया. मेरे बहुत कहने पर उसने लंड बाहर निकालना स्वीकार कर लिया. जब उसने बाहर निकाला तो मैने राहत की साँस ली.
उसने मेरी टाँगो को अपने कंधे से उतार दिया और मुझे दूसरी तरफ घुमाने लगा तो पहले तो मैं समझ नहीं पाई की वो करना क्या चाहता है. मगर जब उसने मेरी गांद को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसमें लंड घुसाने के लिए मुझे आगे की ओर झुकाने लगा तो मैं उसका मतलब समझ कर रोमांच से भर गयी.
मैने खुद ही अपनी गांद को ऊपर कर लिया और कोशिश करी कि गांद का च्छेद खुल जाए. उसने लंड को मेरी गांद के छेद पर रखा और अंदर करने के लिए हल्का सा दबाव ही दिया था कि मैं सिसकी लेकर बोली, “थूक लगा कर घुसाओ.”
उसने मेरी गांद पर थूक चुपड दिया और लंड को गांद पर रखकर अंदर डालने लगा. मैं बड़ी मुश्किल से उसे झेल रही थी. दर्द महसूस हो रहा था. कुच्छ देर में ही उसने थोड़ा सा लंड अंदर करने में सफलता प्राप्त कर ली थी. फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, तो लंड मेरी गांद के अंदर रगड़ खाने लगा तभी उसने अपेक्षाकृत तेज़ गति से लंड को अंदर कर दिया.
मैं इस हमले के लिए तय्यार नहीं थी, इसलिए आगे की ओर गिरते बची. सीट की पुष्ट को सख्ती से पकड़ लिया था मैने. अगर नहीं पकड़ती तो ज़रूर ही गिर जाती. मगर इस झटके का एक फ़ायदा यह हुआ कि लंड आधा के करीब मेरी गांद में धँस गया था.
मेरे मूह से दर्द भरी सिसकारियाँ निकलने लगी उूुुउउफफफफफफ्फ़………. आआआहहह…. मररर्र्र्र्र्ररर गइईईई….. फट गयी मेरी गाआआअन्न्न्न्ँद्द्द्द्ड…… हाआआऐययईईईईईईईईई ऊओह…….. उसने अपना लंड जहाँ का तहाँ रोक कर धीरे धीरे धक्के लगाने स्टार्ट किए. मुझे अभी आनंद ही आना शुरू हुआ था कि तभी वो तेज़ तेज़ झटके मारता हुआ काँपने लगा, लंड का सुपाड़ा मेरी गांद में फूल पिचाक रहा था.
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आआआआहह मेर्र्र्रृिईईईईईईईई जाआअन्न्ननननणणन् म्म्म्मममममम आआआआआअ ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ आआआआआआ आआआयययी हह आआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईई कहता हुआ वो मेरी गांद में ही झाड़ गया. मैने महसूस किया कि मेरी गांद में उसका गाढ़ा और गरम वीर्य टपक रहा था. उसने मेरी पीठ को कुछ देर तक चूमा और अपने लंड को झटके देता रहा. उसके बाद पूरी तरह शांत हो गया. मैं पूरी तरह गांद मरवाने का आनंद भी नहीं ले पाई थी. एक प्रकार से मुझे आनंद आना शुरू ही हुआ था.
उसने लंड निकाल लिया. मैं कपड़े पहनते हुए बोली, “तुम बहुत बदमाश हो. शादी से पहले ही सब कुछ कर डाला.” “वो मुस्कुराने लगा. बोला, “क्या करता, तुम्हारी कमसिन जवानी को देख कर दिल पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था. काई दिनो से चोदने का मन था, आज अच्छा मौका था तो छोड़ने का मन नहीं हुआ. वैसे तुम ईमानदारी से बताओ कि तुम्हे मज़ा आया या नहीं?” उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गयी और चुपचाप अपने कपड़े पहनती रही. मैं मुस्कुरा भी रही थी. वो मेरे बदन से लिपट कर बोला, “बोलो ना ! मज़ा आया?” “हां” मैने हौले से कह दिया.
Rekha says
rekha