Chudai Ka Rishta
कल्लुआ ट्रको के टायर के पंक्चर बनाता था। वो मेन रोड पर दुकान करता था। रोड के ठीक उलटे हाथ पर पंडिताइन रहती थी। वो पोस्ट ऑफिस के बीमे किया करती थी। इसके अलावा एक छोटी किराना की दुकान भी किया करती थी। कल्लुआ ट्रेक्टर ट्राली के पंक्चर बनाया करता था। Chudai Ka Rishta
कल्लुआ मुसलमान था। वो बहुत ही बड़ा छिन्द्रा था। इमामबाड़े में कई औरतों को वो रखे हुए था। उनके बारे में रोड का बच्चा बच्चा जानता था की वो एक नम्बर का छिन्द्रा है। धीरे 2 पंक्चर बनाते 2 कल्लुआ की पंडिताइन से आँखे लड़ने लगी। और कुछ महीनो में पंडिताइन जो 3 बच्चों की माँ थी पता नही कैसै कल्लुआ जैसे छिन्द्ररे मुस्लमान से सेट हो गयी।
पंडिताइन के मर्द बस चलाने का काम करता था। वो बस को कानपुर, झाँसी होते हुए इलाहाबाद ले जाता था। पंडिताइन का मर्द 3 3 दिन बाद घर आता था। पंडिताइन जरा भी सुंदर नही थी। वो सावली छोटी कद की थी। पर उनकी आँखें बड़ी चटक, कजरारी और तेज थी।
वो कल्लुआ के बारे में सब जानती थी की वो कितना बड़ा चोदूँ है। पर ये सब जानते हुए भी पंडिताइन कल्लुआ से सेट हो गयी। एक दिन कोई दोपहर के 12 बजे थे। पंडिताइन अपनी किराना की दुकान पर बैठी थी। कल्लुआ भी खाली बैठा था। मार्किट बहुत डाउन था।
कोई भी कस्टमर ना तो पंडिताइन की दूकान पर था ना तो कल्लुआ के पास। कल्लुआ पंडिताइन से आँख लड़ाने लगा। पंडिताइन भी मस्त हो गयी। कल्लुआ ने अपनी भोहों को उठाकर इशारा किया की क्या वो देगी। मतलब क्या वो चूत देगी? पंडिताइन पुरे मूड में थी।
उसने इशारा किया की दुकान के बगल का गेट उसने खोल दिया है। कल्लुआ अंदर आ सकता है। कल्लुआ झट से सड़क पार करके पंडिताइन के घर में घुस गया। गुप्ताइन ने अपनी 10 साल की लड़की को दूकान पर बैठा दिया था। अंदर जाते ही कल्लुआ ने पंडिताइन को पकड़ लिया।
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ये प्यार व्यार वाला रिश्ता नही था। ये शुद्ध चुदास और चोदन शास्त्र वाला रिश्ता था। कल्लुआ वैसे भी प्यार व्यार में यक़ीन नही रखता था। उसके बारे में लोग कहते थे की वो एक बार में 3 3 औरतों को भजतां था। कल्लुआ हर रोज 1 किलो भैंसे का गोश खाता था।
सायद इसी मारे उसे बुर की बहुत जरूरत थी। वो राक्षसों की तरह औरतों को नंगा करके बेदर्दी से चोदता था। चोदन करने से पहले वो औरतों को बता देता था की नाजुक औरतों की उसे जरूरत नही है। जो औरत 5 6 घण्टे लगातार चुदवा सके वही रुके। वो औरतों को हर दिन के हिसाब से 200 कभी 300 रुपए दे देता था।
कभी उसे कोई औरत जम जाती थी तो 500 600 भी खर्च कर देता था। उसकी जमीन फाड़ चुदाई के बारे में पूरा इमामबाड़ा जानता था। एक तो इमामबाड़े में मुसलमान बस्ती थी। बहुत आबादी थी। बहुत औरते थी जो गरीब थी। जादातर गरीब औरते जिस्म फरोशी करती थी।
इमामबाड़े में कल्लुआ को सस्ते रेट में औरते पुरे दिन के लिए चोदने को मिल जाती थी। वो 1000 में 3 औरतों को एक कमरे में बुला लेता था। सबको नंगा कर देता था और फिर सबकी बारी 2 चूत मरता था। 3 औरतों पर 1 कल्लुआ भारी पड़ जाता था।
उसके बारे में हर औरत यही कहती थी की वो इतनी चूत मरता है की अगर मुर्दा औरत को चोद दे तो उनकी चूत में आग लग जाए और वो भी जिन्दा हो जाए। पंडिताइन झांट की इन सारी बातों से अनजान थी। वो कल्लुआ को छोटा मोटा चोदूँ समझती थी।
उसे नही पता था की उनकी चूत बहुत बुरी फटने वाली थी। कल्लुआ सब लोगों की नजरों से बचता हुआ पंडिताइन के घर में घुस गया। कुछ बगल वाली दुकानदारों ने उसे देख लिया। ये कल्लुआ देखना इसकी चूत इतनी कसके मारेगा की ये छिनार भी याद रखेगी।। बगल वाले दुकानदार बात करने लगे।
कल्लुआ से पंडिताइन को दबोच लिया जैसे चिल मछली हो अपने दोनों पंझो से दबोच लेती है। क्यों रे पंडिताइन! तेरा मर्द तेरी चूत की गर्मी क्या शांत नही कर पाता है?? कल्लुआ से पूछा। उनका साथ सीधे पंडिताइन की बुर पर गया। कल्लुआ साड़ी पर से ही पंडिताइन की चूत में ऊँगली करने लगा।
वो मुझसे ठीक से नही ले पाता है! वो 3 3 दिन बाद आता है। पंडिताइन बोली.
छिनार की औलाद, ऐसे की किसी मर्द का लण्ड खाने को तू तैयार हो गयी। कैसी औरत है तो ? तेरी तो 3 बच्चे है! कल्लुआ बोला.
बकवास मत कर! तुझे मेरी चूत चाहिए तो बता पंडिताइन रण्डियों जैसी स्टाइल में बोली.
अरे इसका माँ की! ये तो बहुत बड़ी आल्टर है कल्लुआ आश्चर्य से बोला।
हाँ हाँ मुझसे तेरी बुर चाहिए। तेरी चूत की गर्मी मैं जरूर शांत करूँगा। अवारा कल्लुआ बोला। उसने एक हाथ से पंडिताइन की साड़ी उदा दी और उनकी सफ़ेद चड्डी में हाथ दाल दिया।
कल्लुआ जोश में आ गया और पंडिताइन की चूत में ऊँगली करने लगा। उसको सर्दी के मौसम में पंडिताइन की चूत में गर्मी महसूस हुई। उसने एक ही सेकंड में अपनी बीच वाली दो उँगलियाँ पंडिताइन की चूत में दाल दी और जोर 2 से गहराई में जाने लगा।
पंडिताइन को तो जैसे स्वर्ग मिल गया। एक चुदासी औरत को लण्ड मिल जाए तो समझो अंधे को आँख मिल गयी। मैं भी देखता हूँ साली तू कितनी बड़ी अल्टर है कल्लुआ ऊँगली करते 2 बोला। कल्लुआ बड़ी बेदर्दी से गुप्ताताईं की चूत में पूरा हाथ डाल कर ऊँगली करने लगा।
वो अपनी उँगलियों को जोर जोर से फेटने लगा। पंडिताइन की चूत से पिच पिच की पनीली आवाज आने लगी। जैसे कोई दही मथकर लस्सी बना रहा हो। पंडिताइन इतनी बड़ी अल्टर निकल जाएगी ये किसी ने भी नही सोचा था । वो दोपहर के 2 बजे एक मुस्लमान से चुद जाएगी, ये किसी ने भी नही सोचा था।
पंडिताइन भी बहुत बड़ी छिंदरी थी। कल्लुआ 15 20 मिनटों तक ऊँगली गर्म चूत को मथता रहा पर पर वो साली पीछे नही हटी। बहुत गरम मिट्टी की बनी थी पंडिताइन। कल्लुआ जान गया की ये साली तो भुत गरम निकल गयी। चल छिनार …चल चूत दे। कल्लुआ जोश में आकर बोला। उसने पंडिताइन को एक झटके में गोद में उठा लिया। कल्लुआ की आँखों में खून उतर आया।
कल्लुआ ने इससे पहले सैकडों औरतों की बुर को मथा था। सब की सब 10 15 मिनट में आउट हो गयी थी। पर ये रांड पंडिताइन ने आधे घण्टे तक उपनी चूत मथवाई पर एक बार भी नही कहा की अब मत करो। कल्लुआ को अंदाजा हो गया था की ये औरत बिल्लाल को हरा देगी। कल्लुआ वासना भरी नजरों ने भरकर पंडिताइन को सबसे पीछे वाले कमरे में ले गया। ये पंडिताइन का बेडरूम था। कल्लुआ पर वासना पूरी तरह से हावी हो गयी।
जरा मैं भी देखो साली ये कितनी बड़ी छिनार है!! कल्लुआ ने मन ही मन सोचा. और उसने पंडिताइन को बेड पर धड़ाम से पटक दिया। उसकी छोटी लकड़ी कहीं दुकान से उठकर अंदर ना आ जाए इसलिए कल्लुआ ने अंदर से सिटकनी लगी ली।
सीधे कल्लुआ ने पंडिताइन की साडी ऊपर उठा दी। पीले रंग की साडी पर पंडिताइन ने पीला पेटीकोट पहन रखा था। कल्लुआ से देखते ही देखते उसकी सफ़ेद चड्डी उतार दी। 3 बच्चे होने के बाद की पंडिताइन की चूत कसी थी। कल्लुआ से एक सेकंड में ही अपनी पैंट और अंडरवेअर उतार दिया और पंडिताइन को चोदने लगा।
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चोदते चोदते ही कल्लुआ से अपनी शर्ट और बनियन उतार दी। पंडिताइन ने शूरु में तो आँखें बन्द कर रखी थी पर बाद में उसने आँखें खोल दी। कल्लुआ राक्षशों की तरह पंडिताइन को बजाने लगा। आवारा छिनार मजे से एक मुसलमान का लण्ड खाने लगी।
कल्लुआ गहरे से गहरे धक्के देने लगा। पंडिताइन से मजे से पैर फैला दिए जैसे मोरनी नाचते समय पंख फैला देती है। पंडिताइन पहली बार किसी गैर मर्द से चुद रही थी। इससे पहले तो वो सती सावित्री ही थी। पर कल्लुआ से उनकी ना जाने कैसी आँखे लड़ी की भरी दोपहर में अपने घर में एक मुस्लमान का लण्ड खा रही थी।
धीरे 2 चुदाई जोर पकड़ने लगे। पलक झपकते ही आधा घण्टा हो गया पर गुपताइन से उफ़ तक नही की। कल्लुआ को भी मजा आने लगा। एक तो कल्लुआ को सालों बाद कोई फ्रेश औरत चोदने को मिली थी। दूसरे इसकी रांड की चूत भी काफी फ्रेश थी।
इमामबाड़े की सारी रण्डियों की चूत तो कल्लुआ के उन पंक्चर टायरों की तरह फटी हुई थी जिसे कल्लुआ बनाता था। दूसरे एक शादी शुदा हिंदी औरत को उसी के घर में बेदर्दी से नंगा करने में कल्लुआ को मजा भी आ रहा था और उसे शबाब भी मिल रहा था।
कल्लुआ दुगने जोश से गुपताइन की चूत फाड़ने लगा। हुँ! हूँ! हूँ! ले साली!..ले रंडी! कितना लण्ड खाएगी!! कल्लुआ जोर 2 से राक्षसों की तरह गुर्राने लगा और धक्के मारने लगा। कल्लुआ का लण्ड पंडिताइन की बुर में खुटे की तरह गड़ गया।
कल्लुआ बार 2 खुटा गाड़ देता बार 2 निकाल लेता। पूरा लण्ड पंडिताइन के भोसड़े में समा जाता फिर बाहर निकलता फिर समा जाता। जितना कल्लुआ से सोचा था पंडिताइन उससे बड़ी चुद्दकड़ निकल गयी। कल्लुआ तेज तेज धक्के मारने लगा।
डेढ़ घण्टे तक पंडिताइन को लगातार नॉनस्टॉप चोदने के बाद भी उसने उफ़ तक नही की और आखिर में कल्लुआ ये चुदास का खेल हार गया। आखरी समय तो यही लग रहा था की पंडिताइन की चूत में चिंगारी निकल जाएगी, आग लग जाएगी और ये छिनार कहेगी की बस करो!
पर कल्लुआ भोसड़ी का खुद आउट हो गया। सर्दी में मौसम में वो पसीना 2 हो गया। और पंडिताइन के बगल बिस्तर पर गिर गया। वहां कल्लुआ जोर जोर से हाफ रहा था वहीँ पंडिताइन बस जरा जरा सा हाफ रही थी। कल्लुआ भी जान गयी की साली ये रांड तो बहुत गरम सामान निकल गयी।
साली को कल्लुआ से इतना चोदा पर चूँ तक इस छिनार ने नही की। कल्लुआ के पुरे शरीर में गर्मी उफना गयी। उसका दिल जोर 2 से धकड़ने लगा। उसे लगा की इस हरामजादी को चोदकर कहीं वो मर मरा ना जाए। कल्लुआ सुस्ताने लगा। वहीँ पंडिताइन मजे से बिस्तर पर कुलांचे भरने लगी।
साली रंडी, बड़ी गरम चीज है तू! तेरी चूत ने तो मुझसे पानी पिला दिया कल्लुआ बोला।
करीब आधे घण्टे तक कल्लुआ हफ्ता रहा। अब चुदाई के दूसरे राउंड के लिए वो तैयार होने लगा। पंडिताइन को तो बस चुदास लगी थी। ना जाने कैसी मिटटी की वो बानी थी। एक साथ 10 मर्दों को छिनार हरा सकती थी। सच में! बड़ी छिनार है तू! तेरा पंक्चर तो बनाना ही पड़ेगा चाहे मेरा रिंच ही क्यों ना टूट जाए कल्लुआ बोला। और दोबारा उसे चोदने की तैयारी करने लगा।
पंडिताइन बाहर गयी और एक जग में पानी , गिलास और परले बिस्कुट ले आई। ले पानी पी ले! पंडिताइन बोली ।। उसकी 10 साल की लड़की जिसका नाम दीपिका था बाहर दुकान पर बैठी थी। दीपिका को नही पता था की अंदर उसकी माँ एक मुसलमान मर्द से चुदवा रही थी।
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कल्लुआ ने पानी पिया और गला तर किया। उसने बिस्किट भी खाया। पहले राउंड की चुदाई में कल्लुआ की अच्छी खासी ताकत खर्च हो गयी थी। दूसरे राउंड की चुदाई शूरु हुई। कल्लुआ ने पंडिताइन का ब्लाऊज़ निकाल दिया। उसे बिलकुल नंगा कर दिया।
कल्लुआ उसके चुच्चे पिने लगा। 3 बच्चों ने उनका ढेर सारा दूध पिया था। इससे उसके निपल्स सिकुड़ गए थे। चुचिया बड़ी 2 तो थी, पर लटक गयी थी। कल्लुआ से पंडिताइन को चूचियों पर 2 4 चपट लगायी। चूचियों में खून का बहाव कुछ तेज हो गया। वो कुछ फूलने लगी।
इस पानी से कुछ नही होगा अब तो बड़ा वाला गोश ही खाना पड़ेगा कल्लुआ बोला.
कुछ देर बाद कल्लुआ चुदास के मैदान में दोबारा कुश्ती लड़ने को तैयार हो गया। सुरुवात उसने पंडिताइन की बुर चाटने से की। अपनी जीब से वो उसकी बुर चाटने लगा। उसे पंडिताइन की चूत से प्यार सा हो गया। कितनी चूते कल्लुआ ने मारी थी पर पंडिताइन की चूत ही उसके सामने टिक पायी।
पंडिताइन तू मेरे टक्कर की औरत है। तेरा मेरा साथ लम्बा चलेगा! तेरी चूत की आग मैं जरूर भुझाऊंगा! वो बोला और फिर से पंडिताइन के लटकी छातियाँ पिने लगा। तेरे मर्द को जब पता चलेगा की तूने भरी दोपहर मुझसे कस के चुदवा लिया तो तू क्या करेगी?? बिल्लाल ने पंडिताइन की लटकी छातियों को चूसते हुए कहा।
मैं सम्भाल लुंगी आवारा, छिनार और रंडी पंडिताइन बोली. कल्लुआ ने छिनार की लटकी छातियों को जमकर पिया। बिच 2 में हाथ से चपट भी देता रहा जिससे छतियां कुछ फूलकर बड़ी हो जाए। फिर उसने अपना उँगलियाँ पंडिताइन के भोसड़े में पेल दी और उसकी चूत को मथने लगा।
उसकी चूत की लस्सी बनाने लगा। एक बार फिर से पिच पिच की पनीली आवाज पंडिताइन की चूत से आने लगी। पंडिताइन फिर से मस्त हो गयी। अपनी कमर उठाने लगी। कल्लुआ जल्दी 2 उसकी चूत को मथने लगा। काफी देर बाद पंडिताइन का बदन अकड़ने लगा।
और एकाएक उसकी चूत ने पिचकारी की तरह अपना मीठा पानी छोड़ दिया। कल्लुआ के चेहरे पर सारा पानी चूत गया। औरतों को खिलौना समझ के बेदर्दी से चोदने वाले राक्षसी कल्लुआ को जैसे पंडिताइन की चूत से प्यार हो गया।
वो निचे झुक गया और फिर से पंडिताइन की चूत चाटने लगा। तू बहुत मस्त चीज है पंडिताइन! कल्लुआ बोला उसकी बुर की काली 2 फांको को चाटते हुए। उसे इस बुर से सच में प्यार हो गया था। बीच 2 में कल्लुआ चूत में ऊँगली भी कर देता था।
सच सच बताना पंडिताइन, क्या शादी से पहले ही तू अल्टर थी?? कल्लुआ ने पूछा.
पंडिताइन एकदम से भड़क गयी। उसकी आँखें आग बरसाने लगी। कल्लुआ को लगा की कहीं जादा पुछताझ से कहीं ये छिनार बिदक ना जाए। उसने पूछताछ बन्द कर दी। और चुदाई पर ध्यान देने लगा। कल्लुआ से पंडिताइन को बिस्तर पर टेढ़ा कर दिया, थोडा तिरछा कर दिया और फिर पेलने लगा।
कुछ मिनटों तक वो पंडिताइन की दो टांगों के बिच अपने बड़े से लौड़े को मुलायम गोश के छेद में घिसता रहा। लगा जैसे बढई लकड़ी को साफ और चिकना करने के करने रनदे से घिस रहा हो। कुछ् देर बाद पंडिताइन की दो टांगो के बिच गरम गरम लगने लगा, कल्लुआ अपना रनदा चलाता रहा।
फिर पंडिताइन को लगा की उनकी 2 टैंगो के बिच किसी से माचिस से आग लगा दी है। गपागप…गचागच कल्लुआ पुरे फॉर्म में आ गया था। विराट कोहली की तरह वो चौवे छक्के लगा रहा था। ये उसका विकराल रूप था। कल्लुआ ने अपनी आँखे बन्द कर दी।
और पंडिताइन को चोदते हुए ही मन ही मन उपरवाले की इबादत करने लगा या खुदा तेरे रहम से एक हिंदी की चूत मारने को मिली है। इसे मैं कसके और जमकर चोदूंगा। इसे चोद चोदकर मैं कुतिया को अपना गुलाम बना लूंगा और इसे मुसलमान बना दूंगा। इस तरह मैं धरती पर एक मुसलमान बढ़ा दूंगा। खुदा मुझसे इसका शबाब देना।
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कल्लुआ आँखें बन्द करते हुए मन की मन इबादत करता रहा और पंडिताइन की बुर पढता रहा। कल्लुआ का लण्ड था जो आउट होने का नाम ना ले रहा था और पंडिताइन की ऐसी चूत थी जो फटने का नाम नही ले रही थी। घनघोर बारिस की तरह घ्नघोर चुदाई इस समय दोपहर में पंडिताइन के घर में चल रही थी।
कुछ् और देर हो गया। कल्लुआ से पंडिताइन को बिस्तर पर उल्टा कर दिया। उसके सर, गाला और कंधे बेड पर थे और पुट्ठा, चुत्तड़, और कमर ऊपर हवा में 90 डिग्री पर थे। चुदाई जादा होने पर पंडिताइन का चुदासा नंगा जिस्म रबर की गेंद की तरह हो गया।
कल्लुआ मनचाहे ढंग से पंडिताइन के हाथ पैर मोड़ देता और बुर भांजने लगता। आज पंडिताइन भी याद कर रही थी की किसी मर्द से पाला पड़ा है। कल्लुआ का बस चलता तो पंडिताइन की बुर में अंदर घुस जाता पर ये मुमकिन नही था। पर जितना मुमकिन था, वो कर रहा था।
पंडिताइन के मांसल गद्देदार चुत्तडों की चमड़ी को कल्लुआ ने दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया और कुत्ते की तरह चोदने लगा। लग रहा था दोनों सालों से चुदासे थे और पुरे साल की कसर आज निकाल रहे है। चुदाई का ये दूसरा राउंड को सवा घण्टा हो गया था।
अब पंडिताइन की फटने लगा। वो चिल्लाने लगी। कल्लुआ गचागच आँखे बन्द करके पेले जा रहा था। कल्लुआ का लण्ड पंडिताइन की बुर की हर गली, हर कोने में जा रहा था। उसका आदमी तो जरा भी चुदाई नही कर पाता था। आज पंडिताइन को मस्त लण्ड मिला था।
कल्लुआ से रफ़्तार बुलेट ट्रेन की तरह बड़ा था। वो पंडिताइन के चुत्तड़ो पर कस कस के चांटे मारने लगा खूब जोर जोर से और राक्षसों की तरह उस घरेलु औरत को चोदने लगा। लगा की कहीं ये छिनार मर मरा ना जाए। पुरे कमरे में तूफान उठ गया।
पंडिताइन अब हरने लगा और हांफने लगी। आह्ह। आअह्ह्ह्ह की वो आवाज निकालने लगी और हांफने लगी। पर कल्लुआ उसको बदस्तूर पेलता रहा। कई और हो गए। अब पंडिताइन की फटने लगी। बस करो!! आह्ह बस करो! हुन्नन्नन्न हनन। आ। आह्ह्ह बस करो ! पंडिताइन कहने लगी। कल्लुआ को गुस्सा आ गया।
मैं भी देखता हूँ तू साली कितनी बड़ी छिनार है!! तेरे जैसी कितनी अल्टर की माँ चोद चूका हूँ मैं। चिलांदु कल्लुआ नाम है मेरा!! इमामबाड़े की कोई हसीन औरत नही जिसे मैंने ना पूरी रात चोदा हो। अब क्यों मर रही है हरामिन!! ले मुफ़्त का लण्ड कल्लुआ चीखकर बोला और किसी धोबी की मुंगरी की तरह पंडिताइन को चोदता रहा।
पंडिताइन के दो टांगों के बिच आग जल चुकी थी और पुरे जिस्म में फ़ैल चुकी थी। पर कल्लुआ चुदाई बन्द करने के मुद में नही था। गजब का चोदन चल रहा था कमरे में। सामने दीवाल पर कई देवी देवताओं की तस्वीर लगी थी। पंडिताइन भगवान के सामने ही जबरदस्त चुदाई का मजा रे रही थी।
उसे अचानक से दर्द होने लगा। बस करो कल्लुआ! बस करो! बाद में कर लेना! आ आह्ह। ह्हहा पंडिताइन दर्द से तड़पने लगी। कल्लुआ को sadistic मजा मिलने लगा। किसी को मार मार के दर्द देने को ही sadistic pleasure कहते है। वो और हुमक हुमक के पंडिताइन की चूत फाड़ने लगा.
चोप साली! एकदम चोप!! वरना तुझे भैसा काटते वाले बांके से काट दूंगा और कल सुबह भैंसे के गोश के साथ तेरे गोश को मिलाके पुरे इमामबाड़े में बेचवा दूंगा। एकदम चोप साली!! कल्लुआ चिखा और उसने दो तीन थापड़ पंडिताइन के गाल पर जड़ दिए। नयी नयी छिनार बनी पंडिताइन की गाड़ फट गयी।
बहुत चुदासी थी ना तू!! अपनी दुकान से मुझकोे सुबह से शाम तक घुरा करती थी। अब क्यों तेरी माँ चुद रही है रण्डी?? अब क्यों तेरी फट रही है?? साली अब तू तो चुदेगी ही, तेरी लौंडियों को भी चोदूंगा। तू क्या सोच रही थी मैं कोई छोटा मोटा गाण्डू टाइप चोदूँ हूँ! रण्डी ! तू अब मेरे जाल में फस चुकी है !! कल्लुआ चिल्लाया और देदर्दी से पंडिताइन का भोसड़ा फाड़ने लगा।
अब तो पंडिताइन की माँ चुद गयी। एक खूंखार आदमी से पंडिताइन ने दिल लगा लिया था। पंडिताइन को बहुत दर्द हो रहा था। पर वो जानती थी की रोकने का कोई फायदा नही है। और लात घुसे वो पा जाएगी। छिनार कहीं की, इसने तो अपनी माँ खुद चुदवा ली थी। अब क्या पछता रही थी।
करीब पौन घण्टे बाद कल्लुआ का बदन अड़कने लगा। वो और जोर 2 से पंडिताइन के चुत्तड़ो को चट चट मारने लगा। पंडिताइन के बड़े 2 चूतड़ लाल हो गए। फिर कल्लुआ से लण्ड बहार निकाला और मुठ मारने लगा। पिच पिच की पिचकारी कल्लुआ ने पंडिताइन के लाल हो गए चुत्तडों पर छोड़ दी।
बाद में पंडिताइन का हाल बड़ा बुरा हुआ था। सारा मुहल्ल्ला सारी तरबगंज रोड जान गया था की पंडिताइन कल्लुआ की नई रखेल बन गयी थी। अपने कुकर्मो कांड के बाद पंडिताइन ने घर से निकलना बन्द कर दिया। उसके बारे में बच्चा 2 जान गया।
अगल बगल वाली औरते जो पंडिताइन की सहेली हुआ करती थी, सबसे पंडिताइन से तौबा कर ली। मोहल्ले की हर औरत ने पंडिताइन ने बोलना बन्द कर दिया। सारे नाते खत्म हो गए। 5 दिनों बाद जब पंडिताइन का मर्द बस चला कर लौटा तो मोहल्ले वालों ने उसको सब बताया।
उसने बेल्ट, हॉकी जो उसे मिला उससे पंडिताइन को खूब पिता। पंडिताइन की खोपड़ी फुट गयी। उसने चुदासे जिस्म पर हर जगह लगी। उसी शाम जब कल्लुआ को ये पता चला की उसकी नयी मॉल पेली गयी है तो वो राक्षस बन गयी।
वो इमामबाड़े से 50 60 लड़कों को बुला लाया। लब लाठी, डण्डे, चाकू, कट्टा लेकर आये। कल्लुआ से पंडिताइन के आदमी को घर से बाहर निकाला और सारे मोहल्ले के सामने हॉकी 2 मारा। गुप्ता गाण्डू का हाथ टूटू गया। कल्लुआ और उसके लड़कों से अगल बगल वाले हिन्दू आदमियों को भी लात ही लात मारा।
चुदास और चुदाई के चक्कर में पुरे मोहलला मार खा गया। चिलांडुयों!! ये पंडिताइन मेरी है!! इस साली को मैं हर दिन चोदूंगा!! अगर किसी माँ के लौड़े को दिक्कत हो तो मोहल्ला छोड़ कर चला जाए!! कल्लुआ रक्षोसो की तरह गरजा। लगा जैसे कोई महाभारत का युध्द चल रहा हो और कल्लुआ दुर्योधन हो।
फिर एक घण्टे बाद पुलिस आई। कल्लुआ अपने इमामबाड़े के लड़कों के साथ जेल में बन्द हो गया। 15 दिन बाद वो जमानत पर छुट गया। उसी शाम वो पंडिताइन के घर रात 9 बजे आ गया। गुप्ता से दरवाजा खोला। सीधा साधा गुप्ता कल्लुआ को देखकर डर गया।
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पंडिताइन है?? कल्लुआ ने पूछा। उसे बड़ी तेज चुदास लगी थी। पुरानी गरम गर्म 15 पहले वाली याद ताजा हो गयी थी। गुप्ता एक ओर हट गया और दूसरे कमरे में जाकर रेडियो सुनने लगा। कल्लुआ अंदर चला गया। उसने दरवाजा बन्द कर लिया। कल्लुआ दबे पाँव सीधा पंडिताइन के कमरे में चला गया। और अंदर से दरवाजा बन्द कर लिया। सीधा साधा गुप्ता जान गया की उनकी हिन्दू बीबी आज एक भैंसा खाने वाले से पूरी रात चुदेगी। पर वो लाचार था।
पंडिताइन को सारी रात अच्छे से भांज कर कल्लुआ सुबह के 6 बजे पंडिताइन के दरवाजे से निकला। मोहल्ले के सब लोगों से उसे देखा। गली की सारि औरते सुबह 2 झाड़ू लगा रही थी. राम राम!! सब की सब कहने लगी। अब कल्लुआ से पूरा मोहल्ला डरने लगा था। कल्लुआ हर दूसरे तीसरे दिन रात के 9 बजे आ जाता था। और पुरी रात पंडिताइन की चूत मरता था। अब ये छिनार उसे मना भी नही कर सकती थी।