Bihar Girl Boobs
मैं बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाला हूँ। मेरी पढाई खत्म हो चुकी थी, इसलिए मेरे घर वालों ने मुझे आई ए एस की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया। बिहार में बच्चा पैदा होते ही उसके घर वाले लालबत्ती का ख्वाब देखने लगते है की एक दिन लड़का सिविल परीक्षा पास करके कोई बड़ा अधिकारी बनेगा और लाल बत्ती पाएगा। Bihar Girl Boobs
साथ में मेरे दोस्त संतोष की जवान बहन आरोही को भी भेज दिया। संतोष मेरे घर के बगल ही रहता है और मेरे घर वालों की तरह उसके घर वाले भी उनकी बहन आरोही को आई ए एस बनाना चाहते थे इसलिए हम दोनों को दिल्ली साथ में भेज दिया गया।
“बेटा आकाश, आरोही का ख्याल रखना। तुम्हारे ही भरोसे मैं उसको दिल्ली भेज रही हूँ” आरोही की माँ मुझसे बोली चलते समय.
हम दोनों दिल्ली आ गए और मुखर्जी नगर में सिविल की तैयारी करने लगे। मुखर्जी नगर को दिल्ली में सिविल की तैयारी करने वालो का गढ़ माना जाता है। हम लोग एक ही बिल्डिंग में कमरा किराये पर लेकर रहने लगे। आपको बता दूँ की मैं पढने में काफी होशियार था, इसके साथ ही मैं काफी चोदू टाइप का आदमी था और कई लडकियों की रसीली चूत का शिकार कर चूका था।
धीरे धीरे संतोष की बहन आरोही मुझे बहुत अच्छी लगने लगी, हम दोनों एक ही उम्र के २१ २१ साल के थे। धीरे धीरे आरोही भी मुझे पसंद करने लगी। यहाँ दिल्ली में हमे कोई देखने वाला तो था नही, तो मैंने आरोही का कमरा छुडवा दिया और अब वो मेरे ही साथ रहने लगी। मैंने उसे २ ३ बार चोद भी लिया।
उसके बाद तो मुझे उसकी चूत पीने और मारने दोनों की आदत सी पड़ गयी। हम दोनों पढाई भी करते थे और चुदाई भी करते थे। सुबह ५ बजे मैं उठकर चाय बना देता था और आरोही को जगा देता था। चाय पीने के बाद हम दोनों ५ से ८ बजे तक इतिहास का पेपर तैयार करते थे, फिर एक बिहारी होने के कारण हम नास्ते में सत्तू और दही खाते थे।
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मुझे और आरोही दोनों को ये बहुत पसंद था। वो इसे बिहारियों का होर्लिक्स कहती थी। उसके बाद नहाधोकर हम कोचिंग चले जाते थे और ११ से १ बजे तक कोचिंग पढ़ते थे। उसके बाद आकर हम दोपहर में अपनी बिल्डिंग की मेस में ही खाना खाते थे।
इस पूरी बिल्डिंग को बिहारी भवन कहा जाता था क्यूंकि यहाँ पर सिर्फ बिहार के स्टूडेंट्स ही चारों तरफ दिखते थे। खाना बनाने में बहुत वक़्त बर्बाद होता है, इसलिए हम दोनों खाना मेस में ही खाते थे। खाना खाकर ३ बजे तक सोना, उसके बाद ६ बजे तक पढ़ना, फिर शाम को ८ बजे बत्रा सिनेमाहाल का एक चक्कर लगता था।
दिल्ली की चमक दमक और लडकियों को हम ताड़ते थे, मैं से मतलब सिर्फ मैं, क्यूंकि आरोही तो खुद ही एक लड़की है। ये हम दोनों का रोज का रूटीन था। अब तक ६ महीने हम लोगो को हो गये थे साथ में रहते। आज फिर से मेरा संतोष की बहन आरोही को चोदने का मन था। रात में पढाई के बाद हम साथ एक ही बिस्तर पर लेट गये।
“आरोही…..ऐसे ही सूखे सूखे….चूत दो ना यार!! सुबह से इतनी पढाई की है, कुछ मौजमस्ती तो होनी ही चाहिए” मैंने कहा.
“नही….कल…कल मुझे चोद लेना!” वो बहाना मारते हुए बोली.
मैं सब जानता था की ये उसकी पुरानी आदत थी, जब मेरा उसकी चूत मारने के बड़ा दिल होगा, तब वो जरुर बहाना मारेगी और मुझे खूब सताएगी। मैं ये अच्छे से जानता था। मैंने उसे बेड पर पकड़ लिया और हम दोनों हंसी ठिठोली करने लगे। कुछ देर बाद वो चुदने को तैयार हो गयी।
मेरी बड़ी इच्छा थी की उसको शर्ट पैंट पहनाकर चोदू तो मैंने उसको अपनी चेक शर्ट पहना दी। उसका पजामा मैंने निकाल दिया था। उसने सिर्फ काली रंग की चुस्त ब्रा पहन रखी थी और मेरी चेक शर्ट उसने पहन रखी थी। अब दोस्तों आपको क्या बताऊ की किसी लडकी को शर्ट पहनाकर चोदना, मजा आ जाएगा।
आज पहली बार मैंने जाना की लडकियाँ शर्ट पहनकर तो बहुत ही हॉट, सेक्सी और अलग दिखती है। ये बात मुझे आज ही पता चली। फिर हम प्यार करने लगी। संतोष की बहन पीया का रंग काफी साफ़ था, अगर मैं उसे लेकर दिल्ली नही आता तो कभी उसकी रसीली बुर चोदने को नही मिलती।
हम दोनों प्यार करने लगे। आरोही मेरे ही साथ बेड पर लेट गयी। उसने मेरी शर्ट पहन रखी थी और मैंने उसके बाल खोल दिए थे, उफफ्फ्फ्फ़ वो खुले बालों में शर्ट और सिर्फ पेंटी पहने कितनी हॉट और सेक्सी लग रही थी। मैंने आरोही की शर्ट की सिर्फ ३ बटन नीचे से खोल दी तो उसका नंगा पेट और नाभि ठीक मेरे सामने आ गया।
मैं जीभ लगाकर उसका पतला सेक्सी पेट चूमने लगा, फिर नाभि चूमने लगा। कुछ देर बाद मैंने आरोही की शर्ट की सारी बटन खोल दी, पर शर्ट नही निकाली। अगर शर्ट निकाल देता तो सब मजा ही खत्म हो जाता। उसके बाद मैं उसके दूध पीने लगा। ३६ इंच के शानदार गहराए किसी पके इलाहाबादी अमरुद से दिखने वाले दूध मेरे सामने थे।
मैं किसी भी हालत में आरोही के कुदरती इलाहाबादी अमरुद का अपमान नही कर सकता था। इसलिए मैंने उसके दूध को तुरंत हाथ में ले लिया और कसकर अमरुद दबाने लगा। उफफ्फ्फ्फ़…इतनी बड़ी बड़ी रसीली सफ़ेद चिकनी छातियाँ मैंने आजतक नही देखी थी। मैंने मजे से संतोष की बहन आरोही के मस्त मस्त अमरुद दबाने लगा और फिर लेटकर उसके दूध पीने लगा।
जरुर आरोही को उपरवाले ने बड़ी फुर्सत से बनाया होगा। इससे पहले इसकी कहीं शादी वादी हो, मुझे इसको जी भर के चोद लेना चाहिए। मैंने सोचा और मैं तेज तेज आरोही के दूध दबाने लगा और मुंह में लेकर पीने लगा। बड़ी देर तक मैंने उसके दूध दबाए, फिर उसकी पेंटी मैंने उपर से ही चाटने लगा।
काली चुस्त पेंटी में वो कमाल की चोदने ठोंकने वाली सामान लग रही थी। मैंने कपड़े निकाल दिए और पूरी तरह से नंगा हो गया। उसके बाद पीया की बुर को उसकी काली पेंटी के उपर से ही मैं किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा। पेंटी का कपड़ा बहुत महीन था, इसीलिए मेरे होठ आरोही की चूत में साफ साफ़ हलचल मचा रहे थे।
आरोही “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी…. ऊँ..ऊँ…ऊँ….किस माय पुसी!!…..किस माय पुसी( मेरी चूत को पियो)” की तेज तेज आवाज लगा रही थी। एक बिहार की लड़की चुदाई में भी कितनी अच्छी इंग्लिश इस्तेमाल कर सकती है, आज मैंने देखा।
मैं जोर जोर से आरोही की चूत को होठ लगाकर पी रहा था। मैंने ही कल उसकी झाटों को कायदे से साफ़ किया था, आरोही की चूत बहुत मस्त और रसीली थी। फिर मैंने उसके चूत के दाने को अपनी ऊँगली से घिसने लगा। वो तडप गयी। “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….. इसस्स्स्स्स्स्स्स् उहह्ह्ह्ह” आरोही गर्म गर्म सिसकारी लेने लगी।
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मैं अपने हाथ से जल्दी जल्दी उसकी चूत और उसके दाने को घिसने लगा। फिर मैंने अपना ९” लम्बा और बहुत मोटा लंड अपने दोस्त संतोष की बहन की चूत में डाल दिया और उसको चोदने लगा। धीरे धीरे मैं उसकी बुर में मीठे और बहुत ही कामुक धक्के देने लगा।
अब तो ये रोज की बात हो गयी थी, सारा दिन पढाई और फिर रात में आरोही की ठुकाई। उसने मेरी ही चेक शर्ट पहन रखी थी, खुले हुए बटन और शर्ट में वो जैसे इंग्लैंग की लड़की लग रही थी। क्यूंकि अंग्रेज लड़कियाँ की जादातर शर्ट पहनकर चुदवाती है। मैं सधी रफ्तार से आरोही को चोदने लगा।
उसके ३६ इंच के मस्त मस्त मम्मे उपर नीचे होकर जल्दी जल्दी हिलने लगे। उफफ्फ्फ्फ़….दोस्तों, अगर आप आरोही के दूध को जल्दी जल्दी उपर नीचे हिलते देख लेते तो मेरी गांड पर लात मारकर मुझे भगा देते और खुद आरोही की चूत मारने लग जाते, कितनी मस्त आइटम लग रही थी वो।
मैं उसे जल्दी जल्दी ठोकने लगा और उसे हिलते दूध का सौंदर्य मैं निहारने लगा। आरोही “ओह्ह्ह्ह फक मी हार्डर….ओह्ह्ह यससससस….कमोंन फक मी हार्ड!! ओह्ह माय गॉड….यससससससस यस!!” करके चिल्लाने लगी। उसकी कामुक सिस्कारियां तो मेरा मनोबल और जादा बढ़ा रही थी।
मैंने उसकी पतली और सेक्सी कमर पकड़ ली और उसे तेज तेज चोदने लगा। दिल्ली में आते ही मैं और आरोही भूल गए थे की हम बिहारी है। अब तो हम दिल्ली की चमक दमक में पूरी तरह से खो गये थे। मैं गचागच अपने जिगरी दोस्त संतोष की बहन को चोद रहा था।
रोज उसे मैं नंगा करके पेलता था, पर आज तो उसको मैं शर्ट पहनाकर ले रहा था। मैंने नीचे देखा तो मेरा मोटा ९ इंची लंड आरोही की चूत को जल्दी जल्दी खोद रहा था। उफफ्फ्फ्फ़…कितना मजा मिल रहा था उसको चोदने में। अगर संतोष जान जाता की मैं उसकी बहनिया को रोज रात में पेलता हूँ तो वो तो मुझे जान से मार देता।
इश्कबाजी और ऐयाशी करने के लिए दिल्ली बिलकुल सही जगह थी। फिर मैंने अपने हाथ आरोही के मम्मे पर रख दिए और उसे जल्दी जल्दी किसी रंडी की तरह चोदने लगा। वो बार बार ओह्ह्ह्ह फक मी हार्डर….ओह्ह्ह यससससस….कमोंन फक मी हार्ड!! ओह्ह माय गॉड….यससससससस यस!! चिल्ला रही थी।
मुझे उसका इस तरह से तेज तेज चिल्लाना बहुत अच्छा लग रहा था। मैं कमर मटका मटकाकर उसको ले रहा था। फिर मैंने उस पर पूरी तरह से झुक और जल्दी जल्दी उसे ठोकने लगा। मैंने देखा की आरोही की चूत और पेट में भूचाल मच गया था, जैसे ही मेरा लंड उसकी बुर में घुसता था, आरोही का पेट अंदर ही तरफ पिचक जाता था।
उसके पेट में और खासकर चूत के उपर पेडू में झुरझुरी और फुरफुरी दौड़ रही थी। वो मजे से चुदवा रही थी और जन्नत के मजे लूट रही थी। अब उसका भोसड़ा मेरा लंड खाने का आदी हो गया था और जान गया था की रात में मेरा लंड जरुर आकर उसमे घुसकर उत्पात मचा देगा।
आरोही उन लड़कियों में से थी जो चुदवाते समय चिल्लाती बहुत है। कभी कभी तो मुझे उसका चिल्लाना बिलकुल पसंद नही आता था। पर आज मुझे उसकी चुदाई वाले आवाजे बहुत अच्छी लग रही थी। वो मुझसे चिपक गयी और उसने मुझे बाहों में भर लिया।
मेरी पीठ को उसने दोनों हाथो से कसकर पकड़ लिया। मैं फिर से उसे तेज तेज धक्के उसकी रसीली चूत में देने लगा। “आआआआअह्हह्हह… अई…अई…. .ईईईईईईई..” की तेज तेज आवाज निकालते हुए मैंने उसके गुलाबी भोसड़े में अपना माल गिरा दिया। उसके बाद हम दोनों प्यार करने लगे, मैं उसपर ही लेट गया।
कुछ ही देर में हमदोनो का दूसरा राउंड शुरू हो गया। मैंने उसकी गांड के नीचे ३ मोटे तकिया लगा दिया और उसकी उसकी गांड का छेद पीने लगा। एक तरह से किसी लौंडिया की गांड पीना बड़ा गन्दा काम माना जाता है, पर लौंडिया को अच्छे से चोदने के लिए उसकी गांड पीना जरुरी होती है।
इसलिए मैं संतोष की बहन आरोही की गांड पी रहा था। फिर मैंने अपने लंड पर ढेर सारा थूक मल लिया और उसकी गांड में लंड डाल दिया और आरोही की गांड चोदने लगा। ““उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी…. ऊँ..ऊँ…ऊँ…” की आवाज करते हुए आरोही बहुत तेज तेज चिल्लाने लगी और बार बार अपना मुंह बहुत बड़ा खोल रही थी.
जैसे मेरा ९” लंड अभी उसकी गाड़ से उसके पेट में घुस जाएगा और मुंह से निकल जाएगा। मुझे उसका खुला हुआ मुंह देखकर और जादा चुदास चढ़ गयी और मैं और वहशी होकर आरोही की गांड चोदने लगा। हायययय….क्या कसी गांड थी उसकी। वो और तेज तेज चिल्लाने लगी, जैसे अभी मेरा लंड उसके पेट में घुस जाएगा और सीधा मुंह से बाहर निकाल जाएगा।
“चिल्ला चिल्ला छिनाल!!……आज जी भरके गांड मरवा ले और चिल्ला ले!!” मैंने कहा और इसी बीच ८ १० चांटे मैंने आरोही के गाल में कामुकता और चुदाईवश मार दिए। उसका मुंह लाल हो गया, पर “सी सी सी सी.. हा हा हा . ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” करके चिल्लाना उसका बंद नही हुआ।
मैं आरोही की गांड में तेज धक्के मारने लगा। कितनी कसी गांड थी उसकी…भई वाह!!..मैंने तो दीवाना हो गया था आरोही की गांड का। आरोही चिल्ला रही थी, मगर बड़ी बहादुरी से गांड मरवा रही थी। उसके जिस्म का रोम रोम खड़ा हो गया था। हम दोनों को सर्दी के मौसम में भी पसीने छूट गए थे।
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मैं तेज तेज अपनी कमर चला रहा था, मेरा ताकतवर लंड उसकी कसी गांड में ही अपनी जगह आराम से बना पा रहा था। इसी बीच मैंने कस कसकर अपना हाथ आरोही के दूध पर मार दिया। दूध मेरे हाथ की चपत खाते की लाल हो गए और दाए बाए हिलने लगे। फिर मैं आरोही के उपर लेट गया और उसके दाए मम्मे को मैंने मुंह में भर लिया और दूध पीते पीते मैं आरोही की गांड चोदने लगा। ये अभूत ही सुंदर और हसीन अनुभव था।
आरोही अभी भी चिल्ला रही थी और बार बार अपनी गांड की ओर सिर उठाकर देखने की नाकाम कोशिश कर रही थी, पर फिर भी उसे अपनी गांड नही दिख रही थी। वो अभी भी ऊऊऊऊ आ आ आ आ …..करके चिल्ला रही थी, हो सकता है उसकी गांड और रसीली चूत में दर्द हो रहा हो। मैंने ४० मिनट उसकी गांड चोदी और माल उसी में निकाल दिया। आरोही की गांड मारने के बाद मैं उसके बगल की धराशायी हो गयी। वो मेरे पास आ गयी और मेरा लौड़ा चूसने लगी।