Driver Fuck Malkin
मेरा नाम मुकेश है, मैं एक सरकारी ऑफीसर के घर 5 साल से ड्राइवर की नौकरी कर रहा हूँ. साहब का नाम दयानंद पाण्डेय है. वो दूसरे ज़िले में ड्यूटी करते हैं और वहीं रहते भी हैं. वो केवल सॅटर्डे को आते हैं और मंडे को वापस चले जाते हैं. घर पर उनकी बीवी और उनकी दो लड़कियाँ रहती हैं. Driver Fuck Malkin
मेम साहब का नाम मनोरमा पाण्डेय और उनकी लड़कियाँ दामिनी और दिशा है. उन सभी का रंग गोरा, बदन एक दम स्लिम, बॉल काले रंग के और कटे हुए हैं. वो सभी दिखने में बहुत ही सेक्सी लगती हैं. मैं जब उनके यहाँ नया नया आया था तो कुछ दीनो के बाद एक दिन बाज़ार जाते हुए मनोरमा ने मेरे घर परिवार के बारे में पूछना शुरू किया.
मैने उन्हें सब कुछ बता दिया की मैं गाँव का रहने वाला हूँ और मेरे मा और बाप गाओं में ही रहते हैं. मैं शहर के बाहर हाइवे के किनारे एक किराए के रूम में अकेला ही रहता हूँ. मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है. मनोरमा बीच में कुछ उल्टे सीधे सवाल भी पूछ लेती थी और मैं शरम के मारे चुप हो जाता था.
एक दिन मनोरमा को कुछ कम से शहर से बाहर जाना था और 2 दिन बाद वापस आना था. मेम साहब ने मुझे बुलाया और कहा, “मुकेश, तुम गाड़ी तैयार करो और मेरे साथ चलो. मुझे 2 दिन के लिए बाहर जाना है.” मैने कहा, “ठीक है, मेम साहब.” मैने बाहर जा कर गाड़ी सॉफ की और उनका इंतेज़ार करने लगा.
कुछ देर बाद वो आकर गाड़ी में बैठ गयी और चलने को कहा. मैने गाड़ी स्टार्ट की और चल दिया. जब हम शहर से बाहर आ गये तो मनोरमा मुझसे पूछ्ने लगी की मैने अभी तक शादी क्यों नहीं की. मैने कहा की अभी तक मेरे पास रिश्ते के लिए कोई आया ही नहीं. फिर वो इधर उधर की बातें करने लगी.
थोड़ी देर बाद उन्होने अचानक मुझसे पूछा की तुम्हें बीवी की ज़रूरत नहीं महसूस होती. मैने झिझकते हुए कहा होती क्यों नहीं. वो बोली तब तुम क्या करते हो. मैं चुप रह गया. वो बोली की तुमने सुना नहीं मैने क्या कहा. मैने कहा की मेरे घर के पास ही एक औरत रहती है, उसी से मेरा संबंध है.
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वो बोली की उसके घर में कोई और नहीं है. तो मैने कहा की उसका पति है और वो एक फॅक्टरी में नाइट ड्यूटी पर चला जाता है. वो बोली की दिखने में वो कैसी है. मैने कहा की वो गाँव की आम औरतों की तरह ही है. शकल सूरत से ठीक-तक है. फिर वो चुप हो गयी.
1 घंटे के बाद हम उस शहर में पहुच गये तो मेम साहब ने एक होटेल का पता बताया और वहाँ चलने को कहा. मेम साहब के लिए उस होटेल में रूम बुक था. हम सीधे उस होटेल पर आ गये. रात के 9 बजने वेल थे. मैं उनके साथ रूम में आ गया और बैठ कर टीवी देख रहा था. रात के 10 बजे मेम साहब ने खाना माँगाया.
हम दोनों ने खाना खाया. खाना खाने के बाद मैं नीचे गाड़ी में सोने के लिए जाने लगा तो मेम साहब बोली, “मुकेश, तुम यहीं सोफे पर सो जाओ. मुझे अकेले में डर लगता है.” मैने कहा की मैं आप के रूम में कैसे सो सकता हूँ. वो बोली की मैं कह रही हूँ ना. मैं वहीं रुक गया.
मेम साहब ने कहा की तुम सोफे पर सो जाओ और खुद बेड पर सोने चली गयी. मैं सोफे पर सो गया. रात के लगभग 12 बजे मौसम खराब हो गया. ज़ोर ज़ोर से आँधी चलने लगी और बिजली भी कडकने लगी. मेम साहब ने उठ कर मुझे जगाया और बोली, “मुकेश, मुझे बहुत डर लग रहा है.” मैने कहा, “मैं तो यहीं हूँ. आप आराम से सो जाइए.”
वो बोली, “नहीं तुम मेरे साथ चल कर बेड पर एक किनारे सो जाओ. मुझे बिजली कडकने से बहुत डर लगता है.” मैं चुप-चाप उठ कर उनके साथ बेड पर आ गया. मैने एक चाडर ओढ़ ली और बेड के एक किनारे सो गया. मेम साहब बेड के दूसरे किनारे पर सोने की कोशिश करने लगी.
कुछ देर बाद बहुत ज़ोर से बिजली कडकी तो मेम साहब ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और चिपक गयी. मैं घबडा गया. उनके बूब्स को मैं अपने पीठ पर महसूस कर रहा था. मुझे भी जोश आने लगा और मैं चुप रहा. थोड़ी देर बाद वो मेरे सीने के बलों को सहलाने लगी.
मैने उनका हाथ पकड़ कर हटा दिया लेकिन वो फिर अपने हाथों से मेरे सीने को सहलाने लगी. मुझे और ज़्यादा जोश आने लगा और मेरा लंड खड़ा हो गया. वो मेरे सीने को सहलाती रही. मुझे मज़ा आ रहा था इसलिए मैं कुछ नहीं बोल रहा था.
कुछ देर तक मेरे सीने को सहलाने के बाद उनका हाथ धीरे धीरे मेरे पेट पर आ गया और वो मेरा पेट सहलाने लगी. थोड़ी ही देर बाद उनका हाथ मेरे लंड पर था. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था. जैसे ही मेम साहब का हाथ मेरे लंड पर पड़ा तो वो उसे टटोलने लगी और बोली, “मुकेश, तुम्हारा तो बहुत लंबा चौड़ा लग रहा है. क्या साइज़ होगा इसका.”
मैने कहा, “यही कोई 8″ लंबा और 2 1/2″ मोटा.” वो चौक कर बोली मुझे विश्वास नहीं होता. तुम अपना मूह मेरी तरफ करो, मैं इसे अभी देखना चाहती हूँ. मैने करवट बडाल ली. उन्होने मेरा नेकर खोला दिया और मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया. मेरी सारे बदन में आग सी लग गयी और मेरा दिल तेज़ी के साथ धड़कने लगा.
वो अपने हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था, उनके सहलाने से एक दम तन गया. वो मुझसे एक दम चिपक गयी. कुछ देर तक मेरे लंड को सहलाने के बाद बोली, “तुम्हारे बॉल बहुत बड़े बड़े हैं. तुम सॉफ नहीं करते हो क्या.” मैने कहा, “अभी 15 दिन पहले ही सॉफ किया था.”
वो बोली, “मुझे नीचे के बॉल नहीं पसंद हैं. मैं अभी तुम्हारे बाल साफ कर देती हूँ.” वो उठी और लाइट ऑन करके ड्रेसिंग टेबल से शेविंग कीट निकल कर ले आई और बोली, “तुम लेट रहो, मैं तुम्हारे बाल साफ कर देती हूँ.” मैं लेटा रहा और मेम साहब मेरे बॉल साफ करने लगी.
बॉल साफ करने के बाद उन्होने मेरे लंड पर हाथ फिराया और कहा, “अब यह और अच्च्छा लग रहा है.” कुछ देर तक मेरे लंड पर हाथ फिरने के बाद उन्होने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. थोड़ी देर देर बाद वो बोली, “मुकेश, तुम्हारा लंड तो बहुत ही बड़ा है और जब तुम अपने पड़ोसन को चोद्ते हो तो उसे दर्द नहीं होता.”
मैने कहा, “पहली बार हुआ था पर अब वो मेरे लंड की आदि हो चुकी है और खूब मज़े के साथ चुदवाती है. एक बार मैं नंगा नहा रहा था तो उसने मेरा लंड देख लिया था. मेरे लंड की साइज़ को देख कर वो मुझ पर फिदा हो गयी थी. हमेशा किसी ना किसी बहाने मेरे पास आती थी और खूब बातें करने लगी थी.
एक दिन उसने मुझसे बिना किसी शरम के कह दिया की वो मुझसे चुदवाना चाहती है. मैने बिना कोई मौका दिए उसे खूब चोदा. पहली बार उसकी चूत से खून भी आ गया था.” मेम साहब बोली, “तुम्हारा लंड तो है ही इस काबिल की कोई भी औरत इसे देख कर तुमसे चुदवाना चाहेगी. मेरे पति का लंड तुम्हारे लंड से छोटा लेकिन बहुत छोटा नहीं है. वो लगभग 5″ का होगा.”
मेम साहब ने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया और कुछ देर बाद बोली, “क्या तुमने कभी किसी औरत की चूत को चटा है.” मैने इनकार कर दिया. मेम साहब बोली, “चलो, अब तुम मेरी चूत को चतो और मैं तुम्हारे लंड को चूस्टी हूँ.” मैं और जोश में आ गया. मैं मेम साहब की टाँगों के बीच आ गया.
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मैने उनकी सारी उपर कर दी. नीचे उन्होने पनटी पहन रखी थी. मैने पेंटी भी उतार दी. उनकी चूत एक दम गोरी और चिकनी थी. मैने अभी तक ऐसी चूत नहीं देखी थी. थोड़ी देर बाद मेम साहब बोली, “क्या तुमने ऐसी चूत अभी तक नहीं देखी है. तुम देखते ही रहोगे क्या, चातोगे नहीं मेरी चूत को.”
मैने कहा, “मैने इतनी गोरी और चिकनी चूत कभी नहीं देखी है. मेरी पड़ोसन की चूत तो साँवली है.” वो बोली, “ठीक है. चलो अब मेरी चूत को चाटना शुरू करो.” मैने उनकी चूत पर अपना जीभ फिरना शुरू कर दिया. वो जोश में आ कर सिसकारियाँ भरने लगी.
फिर मैने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा. वो मेरा लंड चूस रही थी. थोड़ी देर बाद मैं बहुत ज़्यादा जोश में आ गया और मेरे लंड ने उनके मूह में पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मेम साहब वो सारा पानी पी गयी. 5 मिनिट बाद उनकी चूत से भी पानी निकला तो मैने भी सारा पानी चाट लिया.
मेम साहब मेरे लंड का पानी निगलने के बाद मेरे लंड को फिर चूसने लगी और मैं उनकी चूत को चाटने लगा. लगभग 10 मिनिट के बाद मेरा लंड फिर तय्यार हो गया. वो बोली, “मुकेश अब बर्दस्त नहीं हो रहा है. जल्दी चोदो मुझे.” मैं उठ कर उनके टाँगों के बीच आ गया. मैं
जनता था की मेरा मोटा और लंबा लंड उनकी चूत के अन्दर आराम से नहीं जाएगा और उनको बहुत तकलीफ़ होगी. मैं अपनी पड़ोसन की हालत पहली बार की चुदाई के समय देख चुका था. लेकिन मैं मेम साहब की गोरी और चिकनी चूत को बिना कोई तेल या क्रीम लगाए चोदना चाहता था.
मैने उनके चूतड़ के नीचे दो तकिये रख दिए और उनकी टाँगों को पकड़ कर फैला दिया. अब उनकी चूत उपर उठ गये और उसका मूह खुल गया. मैने अपने लंड के सूपदे को उनकी चूत के बीच रखा. वो एक दम मस्त हो गयी थी और बोली, “इतनी देर क्यों लगा रहे हो, मुकेश. जल्दी डालो अपना लंड मेरी चूत में. मुझसे अब ज़्यादा बर्दस्त नहीं होता. डाल दो अपना पूरा लंड एक ही झटके से मेरी चूत में. फाड़ दो मेरी चूत को.”
मैं और ज़्यादा जोश में आ गया. मैने लंड को उनकी चूत में एक झटके से डाल दिया. लेकिन वो उनकी चूत में केवल 5″ ही घुस पाया और उनको दर्द होने लगा. उन्होने दर्द की वजह से अपने होठों को ज़ोर से जाकड़ लिया. मैने फिर एक धक्का मारा तो वो दर्द नहीं बर्दस्त कर पे और उनके मूह से एक हल्की सी चीख निकल गयी.
अब तक मेरा लंड उनकी चूत में 6″ तक घुस चुका था. मैने फिर धक्का लगाया तो वो ज़ोर से चीखी और बोली, “मुकेश अब नहीं बर्दस्त हो रहा है, बाहर निकालो अपना लंड.” मैने अपना आधा से ज़्यादा लंड बाहर निकल लिया. मैं उनकी गोरी और चिकनी चूत को तकलीफ़ देकर चोदना चाहता था इस लिए वो कुछ और बोल पति इसके पहले मैने अपने लंड को वापस उनके चूत में एक जोरदार धक्के के साथ घुसा दिया.
वो बहुत ज़ोर से चीखी और फिर कुछ बोल पति की मैने अपनी पूरी ताक़त लगाकर एक फाइनल धक्का लगा दिया. अब मेरा 8″ का पूरा लंड उनकी चूत में जड़ तक घुस चुका था. वो अभी भी चीख रही थी. उन्होने मुझसे फिर अपना लंड बाहर निकालने को कहा तो मैने कहा, “मेम साहब, तोड़ा सबर करो. अब तो ये पूरी तरह से आपकी चूत में अन्दर घुस चुका है. अभी कुछ और धक्कों के बाद आपका दर्द भी ख़तम हो जाएगा.”
मैने धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया. 5 मिनिट तक धीरे धीरे चोदने के बाद उनका दर्द कम हो गया और उन्हें मज़ा आने लगा. वो बोली, “मुकेश, खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ और तेज़ी के साथ चोदो मुझे.” मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी. वो और तेज और तेज कहती रही और मैं अपनी स्पीड बढ़ता रहा.
अब मैं बहुत ही तेज़ी के साथ उनकी चूत की धुनाई कर रहा था. लगभग 20 मिनिट तक चोदने के बाद मेरे लंड ने उनकी चूत को भरना शुरू कर दिया. अब तक वो भी 3 बार झाड़ चुकी थी. मैं उनके उपर ही लेट गया और उनके होठ चूसने लगा.
वो भी मेरा होठ चूमने लगी. वो बोली, “मैं कितनी खुशकिस्मत हूँ की मुझे आज ज़िंदगी में दूसरी बार सुहग्रात का मज़ा मिला. आज मुझे ज़िंदगी में पहली बार चुदवाने में बहुत मज़ा आया. मैने जब तुमसे लंड को बाहर निकालने को कहा था, अगर तुम रुक जाते और अपना लंड बाहर निकाल लेते तो मैं ये मज़ा कभी भी नहीं ले पाती.”
थोड़ी देर बाद मैं उनके उपर से हट गया. उन्होने एक कपड़ा उठा कर अपनी चूत को साफ किया तो उस पर कुछ खून के धब्बे भी लग गये. उन धब्बों को देख कर वो और खुश हो गयी और बोली, “ये धब्बे तो किसी कुँवारी चूत की पहली बार की चुदाई के निशान जैसे ही हैं. मेरी चूत भी तो तुम्हारे लंड के लिए कुँवारी चूत जैसी ही थी.”
20 मिनिट बाद वो मनोरमा मेरा लंड फिर से चूसने लगी. मैं समझ गया की वो मुझसे दोबारा चुदवाना चाहती हैं. मैने उसकी चुचियों को मसलना शुरू कर दिया और वो मेरा लंड चूसने लगी. 5 मिनिट में ही मेरा लंड पूरी तरह से फिर तय्यार हो गया.
वो बेड पर ही डॉगी स्टाइल में हो गयी और बोली, “मुकेश, पीछे से आकर चोदो मुझे. खूब ज़ोर ज़ोर से चोदना. मुझे अगर तकलीफ़ होने लगे तो तुम उसकी परवाह मत करना.” मैं उनके पीछे आ गया. मैने उनकी गोरी और चिकनी चूत को फैला कर अपने लंड के सुपादे को बीच में रखा और एक जोरदार धक्का मारा.
उनकी चीख निकल गयी. मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस चुका था. मैने बिना रुके तेज़ी के साथ उनको चोदना शुरू कर दिया. वो चीखती रही और मैं अपना लंड उनकी चूत में घुसता रहा. मनोरमा को बहुत दर्द हो रहा था. लेकिन इस बार उसने मुझसे एक बार भी अपना लंड बाहर निकालने को या रुकने को नहीं कहा बस केवल चीखती रही.
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मैने चोदना जारी रखा. कुछ ही धक्कों के बाद मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया. मैं अपना आधे से ज़्यादा लंड बाहर निकल कर पूरे ताक़त के साथ वापस उनकी चूत में गहराई तक घुसा देता था. फ़च-फ़च की आवाज़ें रूम में गूँज रही थी. वो आवाज़ सुनकर मुझे और जोश आने लगा और मैने और बहुत ही तेज़ी से साथ उनके चूत की धुनाई शुरू कर दी. थोड़ी देर बाद उन्हें भी मज़ा आने लगा. वो अपने चूतड़ को आगे पीछे कर के मेरा साथ दे रही थी.
इस बार मैने उनको लगभग 30 मिनिट तक चोदा और वो मेरे झड़ने के पहले ही 4 बार झाड़ चुकी थी. लंड का पानी पूरी तरह निकल जाने के बाद मैने अपना लंड बाहर निकल लिया. वो पलट कर मेरे लंड के पास आई और अपनी जीभ से उसे चाट चाट कर साफ करने लगी. मनोरमा की चुदाई दूसरे दिन भी जारी रही. मैने उन्हें 48 घंटों में 8 बार चोदा. वो मेरी चुदाई से बहुत सन्तुस्त थी. 2 दिन बाद हम वापस आ गये. फिर मैंने उनकी दोनों बेटियों की कुंवारी चूत भी चोदी, ये मैंने कैसे किये जानने के लिए कहानी के अगले भाग का इन्तेजार कीजिये.