Gulabi Lip Kiss
मैं विवेक आपका बहुत बहुत वेलकम करता हूँ. अब तो मुझे हमारी वासना का नशा सा हो गया है. रात ढलते ही मैं इसकी कहानी पढ़ने बैठ जाता हूँ. मैं बी एस सी सेकंड इयर का स्टूडेंट हूँ और अमेठी का रहने वाला हूँ. तो आज मैं भी आपको अपनी सेक्सी कहानी सुना रहा हूँ. Gulabi Lip Kiss
मेरी बहन अदिति की कई सहेलिया है तो लगभग हर मेरे घर पर आती थी. कृति, अंजना, अनुष्का, मनीषा और अवंतिका हर रोज मेरे घर आ जाती थी. पर उस सभी में से अवंतिका मौर्य सबसे खूबसरत थी. मैं सोचता था की काश ये लड़की अगर पट जाए तो जिंदगी ही बदल जाए और खुशनुमा हो जाए.
अवंतिका गाती भी बहुत अच्छा थी. सभी सहेलिया मेरे घर आकार हर रोज पार्टी करती थी. वहीँ मैंने उसको गाते हुए सुना था. सच में उसके गले में सरस्वती विराजमान थी. देखने में भी वो किसी परी से कम नही थी. मैं भी उसके आसपास रहता था और उसको जोक सुनाता था. धीरे धीरे मेरी अवंतिका से सेटिंग हो गयी. एक दिन उसको बड़ी देर हो रही थी.
भैया ! तुम अवंतिका को बाइक से उसके घर छोड़ दोगे?? मेरी बहन अदिति ने मुझसे पूछा. मैं खुश हो गया की अवंतिका के साथ मैं तो घूमना ही चाहता था.
हाँ हाँ क्यूँ नही ! मैंने कहा.
अवंतिका को मैंने बाइक पर बैठा लिया और उसके घर छोड़ आया. धीरे धीरे मेरी उससे गहरी जानपहचान और दोस्ती हो गयी. एक दिन वो अवंतिका मुझसे मेरे कमरे में मैथ के सवाल पूछ रही थी. इस बार उसका बी अस सी फर्स्ट यिअर था और मैं पहले हे इसे पास कर रहा था. मेरी बहन अदिति का पूरा गैंग दूसरे कमरे में था. अवंतिका अपनी बुक्स लेकर मेरे रूम में आ गयी थी. हम दोनों में अच्छी ट्यूनिंग होने लगी थी. सवाल बताते बताते मैंने उससे पूछ लिया.
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ऐ अवंतिका! क्या तुम्हारा कोई बोयफ़्रेंड है क्या ?? मैंने पूछ लिया.
वो हस पड़ी.
नही विवेक भैया! वो हंस कर बोली.
विल यू बी माय गर्लफ्रेंड ?? मैंने बड़ी प्यार से पूछा.
ओके ! वो हंसकर बोली.
हम दोनों में सेटिंग हो गयी. कुछ दिन बाद १४ फरवरी का वेलेन्टाइन डे आया तो मैंने उसको ढेर सारे वेलेन्टाइन डे कार्ड, गिफ्ट्स और गुलाब दिए. हम दोनों की अब फूल सेटिंग हो गयी. आज का वेलेन्टाइन डे प्रेमियों के लिए बहुत ही खास दिन होता है. ये बात मैं और अवंतिका दोनों अच्छी तरह जानते थे.
मुझसे मैथ पूछने मेरे कमरे में आई तो मैंने उसको पकड़ लिया. वो थोडा घबरागयी. ‘डरो मत!’ मैंने कहा. वो स्टडी टेबल पर ठीक मेरे सामने ही कुर्सी पर बैठी थी. मैंने पैर से उसकी कुर्सी अपने पास कर ली. उसके दोनों कंधे पकड़ लिए. मैंने अवंतिका के होठ पर किस करने के लिए आगे बढा.
वो थोडा झेपी, पर मैंने मौका हाथ से जाने नही दिया. उसके दोनों कन्धों को मैंने कसके पकड़ लिया. अवंतिका ने गुलाबी रंग की बड़ी खूबसरत स्कर्ट पहन रखी थी. उसमे वो गजब की माल लग रही थी. स्कर्ट के नीचे किनारे कई झालरे लगी थी, बहुत सुंदर पट्टियाँ थी वो.
अपने होठ मैंने उसकी तरह बढाये, वो कुछ इंच पीछे हटी, पर मैंने भी मौका हाथ से नही जाने दिया. आगे बढ़कर उसके गुलाबी चिकने होठों को मैंने मुंह में भर लिया और पीने लगा. अवंतिका की भीनी भीनी सांसों की महक मेरी नाक में जाने लगी. कुछ देर बाद उसको भी खुमारी छा गयी.
उसकी झिझक खतम हो गयी. वो खुल गयी. हम दोनों की मुंह चला चला कर एक दूसरे के होंठ पीने लगे. हम दोनों ने अपनी आँखें बंद कर ली थी. हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा. मैंने अपनी कुर्सी पर बैठे हुए ही उसको दोनों हाथ से पकड़ लिया और अपने नजदीक खीच लिया.
हम दोनों एक दूसरे का गहरा चुम्बन लेने लगे. मैंने उसके गाल पर काट लिया. उसके गले पर कई जगह मैंने उसकी खाल अपने दांतों से पकड़ ले खीच ली. हम दोनों का धीरे धीरे फूल चुदाई का मूड होने लगा. अब कोई लड़की खुद तो अपने मुंह से कहती नही है की मुझे चोदो. ये तो लड़के की जिम्मेदारी होती है.
मैंने अपनी बहन अदिति की सहेली अवंतिका को अपनी गोद में बैठा लिया. उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा. धीरे धीरे वो भी मेरी पीठ पर अपने मुलायम हाँथ फिराने लगी. उसने स्लीवलेस वाली स्कर्ट पहन रखी थी. अवंतिका के दोनों हाथ खूब गोरे गोरे भरे भरे थे.
मैं उसके हाथों को चूमने लगे. कामुक अंदाज में उसकी त्वचा को अपने दांत से मैं काट लेता और उपर की ओर खीच लेता. धीरे धीरे मैं उसके गोरे गोरे मांसल कन्धों पर पहुँच गया और कामुकता से अपने दांत से काटते लगा. अवंतिका पर चुदाई का फुल खुमार छा गया. मैं समझ गया की गुरु यही सही मौका है, अवंतिका को आज चोद लो.
मैंने दौड़ कर अपने कमरे में दरवाजा बंद कर दिया. मैंने उसकी प्रिंटेड गुलाबी शर्ट के बतन खोल दिए और निकाल दी. अवंतिका बचने की कोसिस करने लगी. मैंने उसको पकड़ लिया. उसने बचने की असफल कोशिश की पर मैंने उसको पकड़ लिया. उसके दोनों कबूतर मैंने ब्रा में ही देखे.
उसका गोरा गोरा दुधिया बदन तारीफ करने के काबिल था. मैंने उसके मम्मो के बीच में उसके क्लीवेज में अपना सिर रख दिया. उसके क्लीवेज की खुशबू मैंने सूँघी तो दोस्तों मेरे बदन में एक नई ताजगी आ गयी. जवान होती लौडिया की मस्त बदन.
चुदासी लौंडिया के नए नए बदन की मस्त महक. मैं उसके क्लीवेज को चूमने चाटने लगा. मेरे हाथ ना चाहते हुए भी आखिर अवंतिका के मस्त मस्त ३२ साइज़ के मम्मो पर चले गए. मैं उसका जायजा लेने लगा, उनको जरा जरा दबाने लगा.
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विवेक ! छोड दो मुझे, कहीं तुम्हारी बहन अदिति ना आ जाए!! अवंतिका परेशान होते हुए बोली.
शशश!! मैंने कहा.
आज वेलेन्टाइन डे है. आज प्यार का खास दिन है. आज मुझे मत रोको. मुझे आज प्यार करने दो अवंतिका. अदिति की परवाह बिल्कुल मत करो. वो तुम्हारी बाकी सहेलियों के साथ पार्टी कर रही है ! मैंने कहा. मैंने उसकी पीठ में हाथ डाल दिया और उसकी ब्रा निकाल दी.
मुझ पर तो जैसे कयामत ही टूट पड़ी. क्या मस्त सुंदर सुंदर मम्मे थे. मैंने देर करना सही नही समझा. तुरंत उसके कबूतर को मुंह में भर दिया और पीने लगा. अवंतिका सिसकने लगी. उसकी साँसें तेज हो गयी. इधर मेरी सांसे भी तेज हो गयी. मैं उसके कबूतर पीने लगा.
अवंतिका के मम्मे कमल के जैसे थे, बेइंतहा सुंदर. बड़े ठोस आकार के थे उसके मम्मे पीने लगा. मैं खूब जोर जोर से पीने लगा. मैंने अपनी सिर्फ पैंट निकाल दी और अपनी टी शर्ट पहने लगा. क्यूंकि जादा वक्त नही था. मेरी शरारती और महाचंचल बहन कभी भी अवंतिका को बुलाने आ सकती थी.
पर अपना मोटा गोरा सुंदर लंड अवंतिका के गुलाबी गुलाबी होंठों से चुसवाने की तीव्र अभिलाषा तो थी ही. एक बार उसके होठ मेरे लंड को मुंह में भर ही ले. कल तो अपने दोस्तों से सेखी तो मार ही सकता हूँ की की अपने बहन की सबसे खूबसरत सहेली से मैंने अपना लंड चुसवा लिया.
मैंने अपना निकर निकाल दिया. मेरा मोटा लंड तो कबसे बेचैन हो रहा था. मैंने अवंतिका को अपनी कम्पयूटर की कुर्सी पर बैठा दिया. ये बहुत नीची कुर्सी थी. मैंने लंड हाथ में पकड़ा, अवंतिका को कुर्सी पर बिठाया और उसके मुंह में दे दिया. शुरू में तो उसने मना किया, पर मैंने उसकी एक नही सुनी.
अवंतिका बेबी !! एक बार मेरा लंड चूसो, तुमको शुरू में चाहे पसंद ना आये, पर दूसरे तीसरे बार में बड़ा मजा आएगा! मैंने कहा.
मुझे बड़ा गन्दा लग रहा है विवेक !! वो बोली. अब अवंतिका मुझको भैया नही कहती थी. सिर्फ विवेक कहती थी.
नही बेबी! एक दो बार चूस कर टेस्ट तो लो !! मैंने बड़ा समझाया और उसके मना करने पर भी लंड उसके मुंह में पेल दिया. धीरे धीरे ना चाहते हुए भी और घिनाते हुए भी वो चूसने लगी. मुझे बिल्कुल नही पता की मेरे लौडे का स्वाद कैसा होगा. क्यूंकि मैं तो लड़का था, मैंने किसी का लंड नही चूसा था.
पर जैसा भी मेरे लंड का स्वाद था सायद अवंतिका का जादा रास नही आ रहा था. पर बेमन से तो वो चूस रही थी. मेरा मोटा गुलाबी सुपाडा पूरा का पूरा वो अंडर ले रही थी. मेरे सुपाडे के गोल छल्ला उसके गुलाबी होठों से टकराता था तो मुझे बहुत मजा मिलता था. कुछ देर बाद मैंने उसका सिर पकड़ लिया और उसके मुंह में चोदने लगा.
आह !! बड़ा सुख मिला दोस्तों. नई नई जवान हुई लड़की से लंड चुसवाना तो किसी पार्टी मिलने से कम नही है. अवंतिका का चेहरा और पूरा बदन चिकना चिकना था, ये जवानी की चमक थी वो १७ १८ साल तक सभी लड़के लड़कियों पर आ जाती है और २७ २८ तक आते है ये चमक चली जाती है. अवंतिका आखिर अब मेरा लंड आचे से चूसने लगी.
मेरा लंड फेट फेट कर चूसो अवंतिका !! मैंने उसको ट्रिक बताई.
अब वो उसी तरह मेरा मोटा लंड हाथ से जल्दी जल्दी फेटने लगी और लंड चूसने लगी. अपने ही घर में और अपने ही कमरे में मुझे आज स्वर्ग मिल गया. मेरे बहन अदिति और उसका गैंग[ उसकी सभी सहेलियाँ] बड़ा शोर मचा रही थी. मन में लगातार थोडा डर भी लगा हुआ था की वो अवंतिका को बुलाने ना आ जाए.
पर मैं अपनी जगह दृढ़ था. लगातार बिना रुके अवंतिका से मौथ जॉब करवा रहा था. हम दोनों ओरल सेक्स सेक्स रहें थे. फिर मैंने उसकी वो गुलाबी झालर वाली स्कर्ट भी निकाल दी. बैंगनी रंग की उसकी पैंटी थी. उपर एक नॉट लगी थी. लग रहा था की जैसे कोई गिफट आइटम हो.
मैंने अवंतिका को अपनी स्टडी टेबल पर लिटा दिया. और उसकी पैंटी भी निकाल दी. उसकी फुद्दी दिखी. बड़ी छोटी सी आकर के थी. डर लगा की कैसे अवंतिका की ये छोटी सी फुद्दी मेरा मोटा लंड खायेगी. अवंतिका को मैंने टेबल पर किनारे खींच लिया. दोनों पैर उसने स्वंय ही खोल दिए.
मैं खड़ा होकर उसकी चूत पर झुक गया और उसकी बड़ी छोटी सी चूत को पीने लगा. अवंतिका को मजा जरुर आ रहा था, ये तो मैं विश्वास से कह सकता हूँ. उसकी नमकीन स्वाद वाली चूत को मैं पीने लगा. बड़ी सुंदर फुद्दी थी उसकी. गुद्दीदार लंबी नाव की आकार की. बिल्कुल मोर का पंख लग रही थी.
मैं जीभ डाल डालकर उसकी बुर पीने लगा. अवंतिका को और जोर की चुदास लग रही. मैंने अपना लंड उसकी बुर के छेद पर रखा और अंडर ठेला. लंड अंडर चला गया. सायद वो एक दो बार पहले भी चुद चुकी थी. मैंने जादा पूछ ताछ नही की.
मैं मस्ती से उसको चोदता चला गया. उसकी चूत अभी भी काफी टाईट थी. सायद वो जादा नही चूदी थी. सायद वो जादा सम्भोग नही कर पायी थी. मैं उसको लेने लगा. चुदास की खुमारी मुझ पर छा गयी. वो आ आ मंद मंद चिलाने लगी.
मुझे बड़ा अच्छा लगा. बड़ा मजा आया. अवंतिका के खुले हुए स्तन के सामने इधर उधर हिलते थे जब मैं फटके मारता था. मैंने उसको हाथ में भर लिया और दबाते दबाते उसको चोदने लगा. मस्त चुदाई में हम दोनों डूब गए. इतने में पता नही कहाँ से मेरी बहन अदिति टपक पढ़ी.
अवंतिका !! कितनी देर से पढ़ रही है तू?? चल बाहर निकल! मेरी बहन बोली और मेरा दरवाजा पीतने लगी. मैं तो इकदम भदभदा ही गया. डर के मारे मैंने अवंतिका को चोदना बंद कर कर दिया.
आ रही हूँ! ये बड़ा कठिन सवाल है, तू चल, मैं एक मिनट में आ रही हूँ ! अवंतिका ने मेरी स्टडी टेबल पर मुझसे चुदते चुदते ही कहा और मुझे आँखे दिकाए. आँखों के इशारे में उसने कहा की मैं जल्दी अपना काम खतम कर लूँ. मेरी बहन अदिति चली गयी.
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मुझे चैन मिला. अब मैं एक बार फिर से उसको चोदने लगा. मैं आगे पीछे हिलते हुए उसको दुबारा तेज रफ्तार से लेने लगा तो मेरी स्टडी टेबल ही हिलने लगी. मेज के चारो पावे चूं चूं करके हिलने लगे. मैं पक पक करके अवंतिका को पेलने लगा. उसकी चूची की काली काली खड़ी खड़ी भुन्दिया मैं अपनी ऊँगली से मसलने लगा तो मेरे आनंद की कोई सीमा नही रही. कुछ देर बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया. अवंतिका को जमींन पर घुटनों के बल बैठा दिया.
उसने मुंह खोल लिया. मैंने लंड हाथ में ले लिया और मारे चुदास और उत्तेजना के मैं अपना मोटा लंड हाथ से फट फट करके फेटने लगा. फिर गरम गरम अपनी खीर मैंने उसके मुंह में छोड दी. उसके दुधारू मम्मो पर भी मीर खीर गिर गयी. अवंतिका ने अपने नुकीले कमल जैसे खूबसूरत मम्मे हाथ में ले लिया, अपने मुंह से लगा लिए और मेरी खीर को चाटने लगी. उसकी चुदास देख कर मन तो हुआ की उसे रोके रखूं और एक बार और चोदूं, पर ऐसा करना सही नही था. वो कपड़े पहन के चली गयी.