Kaamvasna Ki Garmi
आज मैं अपनी स्टोरी आप लोगो को सुना रहा हूँ। दोस्तों, ना जाने क्यों मेरी किस्मत शुरू से ही ख़राब थी। जब मैं किसी लड़की को पटाकर चोदना चाहता था तो वो किसी और से पट जाती थी और चुदवा लेती थी। मैं सुंदर जवान लड़कियों को देखकर मुठ मार लिया करता था। Kaamvasna Ki Garmi
सायद मुझे जवान चुदासी लड़कियों को पटाने की कला नही आती होगी। क्यूंकि जो लड़के मुझसे भी कम मार्क्स लाते थे, जो देखने में बहुत काले कलूटे और बदसूरत थे, पता नही वो भी कैसी कॉलेज की मस्त मस्त माल को पटा लेते थे।
कुछ दिन बाद मेरे घर वालों ने मेरी शादी कर दी। मेरी बीबी का नाम दिव्या था। बहुत मस्त माल थी। क्या गजब के तीखे नैन नक्स थे उसके। दोस्तों, अपनी सुहागरात पर मैं उसे पूरी तरह से नंगा कर लिया और खूब चोदा बहनचोद को। खूब जी भरके उसकी लाल चूत को मैंने अपनी जीभ लगाकर चाटा और जमकर उसकी चूत मारी।
उसकी बुर से खून निकलने लगा। कुछ दिन बाद उसका दर्द खत्म हो गया और मैं सारी सारी रात अपनी जवान और हीरोइन जैसी खूबसूरत बीबी चोदता रहता। दोस्तों, एक बार मुझे एक काम से तेलंगाना जाना पड़ा। मैं अपने ऑफिस के काम से वहाँ गया था।
जब मैं १ महीने बाद वहाँ से लौटा तो मेरे भाई ने बताया की भाभी मेरी कालोनी के एक लड़के से फंस चुकी है और उसको रात में उसने बुलाकर खूब चुदवाया १ महीने तक। इस बात को लेकर मेरी अपनी बीबी दिव्या से कहा सुनी हो गयी।
“क्यों छिनाल!! किसी गैर मर्द से क्यों चुदवाया तूने???’ मैंने अपनी बीबी से पूछा और उसके गाल पर मैंने १० २० चांटे जोर जोर से रसीद कर दिए।
“चुदवाउंगी!!…..मैं उस लड़के से हजार बार चुदवाउंगी!! चाहे मुझे मार दो, चाहे काट डालो पर मैं उस लड़के से मिलना बंद नही करुँगी!!” मेरी चुदासी बीबी बोली। मुझे गुस्सा आ गया। मैं उसे लाठी से बहुत मारा और उसका पैर टूट गया। उसके बाद उसका बाप यानी मेरा ससुर अपनी चुदासी लड़की को अपने घर ले गया।
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उस बेटीचोद से मुझसे बदला लेने के लिए पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी की दहेज़ के लिए मैंने उसकी लड़की को मारा और उसका पैर तोड़ दिया। दोस्तों, कुछ दिन बाद मैं उस कामिनी औरत को तलाक दे दिया। भले मेरी बीबी अल्टर थी और मर्दों से मौका मिलने पर चुदवा लेती थी। पर दोस्तों, अब वो भी चूत गयी। कुछ महीने बिना चूत मारे बीता तो लगा की १० साल से मैंने चूत नही मारी है।
मुझे बड़ी बेचैनी लगने लगी। मेरे शरीर में बहुत गर्मी जमा हो गयी थी क्यूंकि मुठ मैं मारता नही था और कोई जवान चूत मेरे पास चोदने को थी नही। धीरे धीरे मैं जान गया की गुरु ऐसे बिना किसी माल के काम नही चलेगा। मैंने अपने दोस्तों को फोन करना शुरू किया की कोई लड़की पेलने खाने और सम्भोग करने को मिल जाए तो बताये।
तो दोस्तों बोले की ये सब काम तो रंडी ही करती है। पैसे के लिए वो ही चुदवाती है। मैंने कहा की भाई कोई रंडी की चूत ही दिला दो। मेरे दोस्तों ने मुझे कुछ फोन नं दे दिए। एक दिन जब मेरे घर पर कोई नही था मैंने उस रंडी को बुला लिया।
जब वो मेरे घर आई और मैंने उसे देखा तो मेरा होश उड़ गया। उसका नाम गायत्री था। कोई २५ साल की लड़की होगी। देखने में बिलकुल फूल थी वो। मैंने उसे घर में ले गया। मैंने उसे कोल्ड्रिंक दी। उसने जींस टॉप पहन रखा था। देखने से अच्छे घर की लग रही थी। वो थोडा सहमी हुई थी। बड़ी धीरे धीरे कोल्ड्रिंक पी रही थी। माल अच्छा थी।
उसने हल्के हरे रंग का बड़ा सुंदर सलवार सूट पहन रखा था। बिलकुल नये जमाने वाला नई डिजाइन का सूट था उसका। उसके गोल गोल बड़े बड़े मम्मे पर उसका दुपट्टा पड़ा हुआ था। मैं अपने हाथों में कोको कोला का ग्लास लिए हुआ था। धीरे धीरे सिप्प सिप्प कर रहा था और पी रहा था। पर दोस्तों, मेरी नजरें बिना के मम्मे पर टिकी हुई थी.
“कमरे में चला जाए???’ मैंने कहा जब उसकी कोल्ड्रिंक खत्म हो गयी.
“जी ओके!!” वो बोली.
“कितने पैसे लेंगी आप गायत्री जी??” मैंने पूछा.
“१००० में आप ३ बार कर लेना” वो शर्म और संकोच करते हुए बोली। उसने मेरी तरह नही देखा, अपनी नजरें नीची किये हुई थी। मैं सोच रहा था की वो खुलकर “चोदना” शब्द का इस्तमाल करेगी। पर कैसी कोई हिन्दुस्तानी लड़की ऐसा बोल सकती है।
“क्या मैं आपको १००० में ४ बार चोद सकता हूँ!!” मैंने उससे मजा लेते हुए कहा। मैं सोच रहा था की कुछ मस्ती करूंगा, कुछ बकचोदी करूँगा और मजा लूँगा। पर गायत्री ने कुछ नही कहा और जाने लगी।
“प्लीस!! गायत्री जी !! आप मत जाइये ! मैं ३ बार ही आपको चोदूंगा १००० में” मैंने कहा। वो राजी हो गयी। मैं उसको कमरे में ले गया। दोस्तों मेरी बीबी को तलाक दिए पूरा १ साल हो चूका था। इसी से आप अंदाजा लगा सकते है की अगर किसी लड़के को पूरा १ साल तक चूत मारने को ना मिले तो उसे कैसा लगेगा। कितना बेचैन महसूस कर रहा था मैं।
गायत्री रंडी के साथ मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिए। वो अपनी पेंटी पहने रही और उसने अपनी ब्रा निकाल दी। दोस्तों, ना जाने क्यों मुझे गायत्री किसी अफसरा से कम नही लग रही थी। कितनी सुंदर थी वो। पतली दुबली किसी अफसरा जैसी। मैंने उसके हाथ चूमने लगा। फिर उसके स्ट्राबेरी जैसे रसीले ओंठ पीने के लिए मैं आगे बढ़ा तो उसने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया।
“कौशल जी !! होंठ पर नही!!” बिना बोली.
“…..ऐसा क्यों??” मैंने पूछा.
“हम धंधेवाली रंडियां होठ पर चुम्मा नही देती है!! ये हमारे धंधे का उसूल होता है! होठ पर चुम्मा हम सिर्फ अपने पति को देती है!!” गायत्री रंडी बोली.
मैंने उस पर कोई जोर जबरदस्ती करना सही नही समझा। क्यूंकि मेरा मानना था की कोई लड़की जान बूझकर रंडी तो बनेगी नही। कोई मजबूरी रही होगी। इसलिए मैंने कहा कोई नही। मैंने उसके होठ पीने से खुद को रोक लिया पर मेरा दिल मुझसे बार बार कह रहा था की इतनी खूबसूरत लड़की के होठ चूस लूँ।
मैं गायत्री के गाल पर किस करने लगा क्यूंकि उसके होठ पीना मना था गाल चूमना नही। धीरे धीरे मैं उसके सुराही जैसे पतले गाल को चूमने लगा और दांत से उसके गले की नाजुक और पतली खाल को मैं चूमने और खींचने लगा। फिर मैं उस कमाल की खूबसूरत लड़के के नंगे और बेहद चिकने सेक्सी कन्धो को चूमने लगा और दांत से काटने लगा।
बिना को भी खूब मजा मिल रहा था। उसने अपनी ब्रा निकाल दी थी। इसलिए नये नये बेहद सेक्सी बूब्स मेरे सामने थे। मैंने उसके बाये स्तन पर अपना हाथ रख दिया तो गायत्री सिसक गयी। मैंने उससे नजरे मिलाने की बहुत कोशिश की पर उसने मेरी तरह नही देखा। फिर मैं हाथ से उसके दूध दबाने लगा। बहुत मजा मिल रहा था दोस्तों। आज कितने दिनों बाद कोई औरत मैंने नंगी देखी थी। मैं जोर जोर से गायत्री रंडी के बूब्स दबाने लगा। वो आह आह करने लगी।
“गायत्री इधर देखो!!” मैंने कहा
“ऐसे ही मेरी चुच्ची पी लीजिये!!” बिना दूसरी तरह नजरें करते हुए बोली। मैंने कोई जबरदस्ती नही की। उसके बूब्स बहुत नशीले थे। कितने मस्त सेक्सी बूब्स थे गायत्री के। स्तन बेहद गोल गोल उभार लिए हुए थे, बहुत गोल गोल थे मन कर रहा था की दांत से काट लूँ। निपल्स के चारों तरह काले काले छल्ले थे जो बहुत सेक्सी लग रहे थे।
मैं मुँह लगाकर गायत्री के दूध पीने लगा। वाओ !! मुझे तो लगा की जैसे मुझे जन्नत ही मिल गयी हो। ठीक इसी तरह मैं अपनी बीबी के बूब्स पीता रहा और उसे खूब चोदता था। पर वो कामिनी छिनाल निकल गयी और दुसरे मर्द से फंस गयी।
मैंने पुरानी बातों को भूल गया और मजे से बिना के दूध पीने लगा। वाओ !! मेरी लाइफ तो सेट हो गयी थी दोस्तों। फिर मैंने उसकी पेंटी में अपना सीधा हाथ डाल दिया और बिना जैसी खूबसूरत लड़की की चूत सहलाने लगा।
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कुछ देर में मैंने उसकी पेंटी निकाल दी और अपने होठ गायत्री की चूत पर रख दिए और उसकी गुलाबी बुर पीने लगा। उसकी बुर पर एक भी बाल नही था। बिलकुल साल चूत थी। कितनी सुंदर!! कितनी मासूम बुर थी दोस्तों।
ऐसा लग रहा था की उसकी चूत एक बार भी नही चुदी है। मैं चूत के उपर जीभ से इधर उधर मस्ती से चाटने लगा। फिर मैंने गायत्री की बुर की पंखुडियां अपने हाथ से खोल दी। उसकी चूत का महीन सा छेद मुझे दिख गया था। मैं जीभ लगा लगाकर गायत्री की चूत और उसके चूत के छेद को पीने लगा। वो अपनी कमर और गांड उठाने लगी।
“कौशल जी !! आराम से मेरी चूत पीजिये!! हल्के हल्के प्यार से!!” गायत्री रंडी बोली.
तो मैं बड़े प्यार से उसकी चूत के छेद को अपनी जीभ से पीने लगा। हम दोनों का बदन झनझना रहा था। ठीक इसी तरह मैं अपनी आवारा बीबी की चूत का छेद पीता था। फिर मैंने अपनी नुकीली जीभ गायत्री की चूत के अंदर तक डाल दी और उसे अपनी जीभ से चोदने लगा। कुछ देर बाद मैं गायत्री के चूत के दाने को सहलाने लगा और फिर मजे से चाटने लगा।
“कौशल जी !! अब जल्दी से मेरी बुर में लंड डाल दीजिए!! बड़ी बेचैनी हो रही है!” गायत्री रंडी बोली.
मैंने अपने हाथ में थोडा थूक लिया और लंड पर मल लिया। एक दो बार लंड को मैंने हाथ से फेटा जिससे वो जादा टाइट हो जाए और जादा खड़ा हो जाए। जब मेरा लंड अच्छी तरह से खड़ा हो गया और लोहे जैसा सख्त हो गया तो मैंने अपना मोटा ८” इंच गायत्री की गुलाबी चूत पर रखा और जोर से अंदर धक्का दे दिया।
मेरा लंड बिना की चूत में घुस गया। मुझे खुशी हुई और मैं उसे चोदने लगा। कुछ देर में मैं उसे मजे से ठोंक रहा था। बड़ा कड़क माल थी गायत्री। पता नही क्यों वो एक रंडी थी, एक दिन में कई मर्दों से चुदवाती थी, पर मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। मुझे बहुत प्यारी लग रही थी। मैं उसके गाल पर अपने दांत से प्यार से काट लेता था और उसे घपा घप चोद रहा था।
कुछ देर बाद गायत्री अपनी कमर उठाने लगी और मजे से चुदवाने लगी। मैंने उसकी चिकनी सेक्सी कमनीय नंगी पीठ में हाथ डाल दिया और उसे अपनी जानेमन की तरह पेलने लगा। कुछ देर बाद गायत्री को मेरी ठुकाई बड़ी पसंद आ गयी।
“कौशल जी !! बाकी कस्टमर से आप मुझे बहुत प्यार से चोद रहे है! मैं किसी को अपने होठ नही पिलाती हूँ, पर आज मैं अपना ये नियम सिर्फ आपके लिए बदल रही हूँ! आप मेरे होठ पी सकते है और मुझे बड़े प्यार से नजाकत से चोदिये!” गायत्री बोली.
दोस्तों, उसकी बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ। उसके बाद तो मुझे असली मजा मिलने लगा। मैंने उस छिनाल के खूब मजे से होठ पिये और सारे के सारे चूस लिए। नीचे से मैं उसको कमर उठा उठाकर चोद रहा था। कुछ ताबडतोड़ धक्कों के बाद मैं गायत्री की चूत में झड गया। फिर उससे मैं प्यार करने लगा।
“गायत्री !! जानेमन !!….तुम इस चुदाई वाले धंधे में कैसे आ गयी???” मैंने उसकी चुम्मी लेटे हुए पूछा.
“मेरे पापा खतम हो गये थे। मेरी माँ अक्सर बीमार रहती थी। उनका इलाज हमेशा चला करता था। भाई बहनों की सब जिम्मेदारी मुझ पर ही आ गयी थी इसलिए मुझे इस चुदाई के धंधे में आना पड़ा!” गायत्री बोली.
“….अब तो मैं अच्छा ख़ासा कमा लेती हूँ! एक दिन में २ कस्टमर से चुदवाती हूँ और ५० हजार महीने का कमा लेती हूँ!!” गायत्री बोली। मैं उससे फिर से प्यार करने लगा और कुछ देर में उससे अपना लंड चुसाने लगा। वो मुझसे पट गयी थी और मेरा लंड हाथ में लेकर चूसने लगी।
दोस्तों, मेरी पुरानी यादे आज फिर से १ साल बाद ताजा हो गयी थी। मेरी अल्टर बीबी इसी तरह मजे लेकर मेरा लंड चूसती थी। अपना भी मजे लेती थी और मुझे भी खूब मजे देती थी। ठीक उसी तरह ये बाजारू रंडी गायत्री से लंड चुसवा रहा था। मैं बेड के सिरहाने पर तकिया लगाकर बैठ गया था। बिना झुककर मेरा लंड हाथ से मल रही थी और चूस रही थी।
मैं एक बार फिर से कहूँगा की दोस्तों मुझे वो किसी हूर, किसी अफसरा से कम नही लग रही थी। बिना का चेहरा में बहुत दम था। कुछ देर तक वो मजे लेकर मेरा लंड चुस्ती रही। फिर मैंने उसका सिर दोनों हाथ से कान पर पकड़ लिया और उसका मुँह चोदने लगा। मैं नीचे से जल्दी जल्दी उसके मुँह में धक्के मारने लगा और उसका मुँह चोदने लगा।
फिर वो मेरी बाँहों में आ गयी और मैं उसका पतला सेक्सी सपाट पेट चूमने लगा। गायत्री की सेक्सी नाभि में जीभ डालने लगा। उस दिन तो जैसी मेरी सुहागरात मन रही थी। गायत्री खुद ही मेरा इशारा समझ गयी। “कौशल जी !! मुझे अपने लंड पर बिठाकर चोदिये!! सारे कस्टमर मुझे मिशनरी स्टाइल में लेटे है पर कोई लंड पर बिठाकर नही चोदता!” गायत्री मुझसे निवेदन करने लगी तो मैंने इंकार ना कर सका। मैंने उसे अपनी कमर पर बिठा लिया।
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वो खुद उपर हुई और मेरा लंड उसने हाथ से पकड़कर अपने लाल भोसड़े में डाल लिया। फिर वो मेरे उपर झुक गयी और मेरे कंधे उसने पकड़ लिए। वो हावी होकर मुझे चोदने लगी या करे की खुद को मुझसे चुदवाने लगी। दोस्तों, बिना कोई ६५ किलो की आराम से होगी। वो नंगी थी और बहुत जादा कमनीय लग रही थी। मैंने अपने हाथ उसकी पीठ में डाल दिया और नीचे से मैं भी गायत्री का सहयोग करने लगा। हमारे साझा प्रयास से मेरा ८” इंच बड़े आराम से गायत्री की चूत में जाने लगा और वो चुदने लगी।
इस तरह से एक नया एंगल हम दोनों को मिल रहा था। गायत्री पूरी तरह से उतेज्जित हो गयी और हावी होकर उछल उछल कर मजे से चुदवा रही थी। इस तरह से उसे लेने में मेरी खासी मेहनत खर्च करनी पड़ रही थी। मैंने गायत्री को २० मिनट इसी तरह लंड पर बिठाकर चोदा और फिर से आउट हो गया। कुछ देर के बाद मैंने गायत्री की चूत एक बार और ली। उसे ३ बार चोदा और अपने लंड की आग शांत की। फिर मैंने उसको १००० रुपया दे दिया। उसके बाद मैंने काई बार उसकी सेवा ली।