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मालिक को शारीरिक सुख दिया नौकरानी ने

नवम्बर 21, 2025 by hamari Leave a Comment

Desi Hindi Sex Kahani

मैं मध्य प्रदेश में रहती हूँ। मेरी उम्र 30 साल है। 28 साल की उम्र में मैं विधवा हो गई थी। मेरी शादी 18 साल की उम्र में हो गई थी। मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते थे। मेरा बदन हमेशा से बहुत आकर्षक रहा है, यद्यपि रंग साँवला है। मैंने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी, जब मेरा विवाह हो गया। Desi Hindi Sex Kahani

यद्यपि हम दोनों पति-पत्नी बहुत चुदाई करते थे, हमारा कभी कोई बच्चा नहीं हुआ। पर मेरे पति और मैंने कभी किसी और से सेक्स नहीं किया। कई लोगों ने मुझ पर डोरे डालने की कोशिश की, इनके भाइयों ने भी, खासकर विधवा होने के बाद, पर मैंने कभी रजामंदी नहीं दी।

इनके मरने के बाद पैसों की बहुत कमी होने लगी, पर मैं शरीर बेचकर पैसे नहीं कमाना चाहती थी। जहाँ ये काम करते थे, उनके मालिक की पत्नी ने मुझे घर का काम करने के लिए रख लिया और खाना, कपड़े के अलावा अच्छे पैसे देती थी। मैं बर्तन माँजना, कपड़े धोना, खाना बनाना आदि करती थी।

खाना बनाते समय मालकिन मुझसे बहुत बातें करती थीं, अपने परिवार के बारे में। यद्यपि वह मालकिन थी और मैं नौकरानी, हम दोनों घुलमिल गए थे। रोज़ मालिक को तौलिया, साबुन आदि देकर मैं चुपचाप दूसरे काम में लग जाती। कभी-कभी लगता कि मालिक घूर रहे हैं, पर तिरछी नज़रों से देखती तो वे कहीं और देख रहे होते।

मुझे थोड़ा सा निराशा होती, क्योंकि वे बहुत सुडौल शरीर वाले, बड़ी-बड़ी मूँछों और तेजस्वी चेहरे वाले थे। उन्हें देखकर पहली बार किसी और से चुदने का मेरा मन करता था। मालिक करीब 50 साल के और मालकिन 42 के आसपास थीं। उनके दोनों बच्चे गाँव से सागर पढ़ने अपनी मौसी के यहाँ रहते थे।

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एक दिन खाना बनाते समय मालकिन ने पूछा, “कैसा चल रहा है बबिता?”

मैंने कहा, ‘ठीक है मालकिन, आप लोगों की दया से मेरा जीवन सरल हो गया है, वरना सब आदमी मेरी मजबूरी का फायदा उठाने को तैयार थे।’

मालकिन ने बड़ी साँस भरकर कहा, ‘हाँ, मजबूरी तो मजबूरी ही है।’

मुझे अजीब-सा लगा सुनकर, मैंने पूछा, ‘क्या बात है मालकिन?’

वे हिचकिचाते हुए बोलीं, ‘एक निजी बात है, कैसे तुझसे बोलूँ, समझ में नहीं आ रहा।’

मैंने कहा, ‘मालकिन, आप लोग मेरे सब कुछ हैं, मुझसे मत झिझकिए।’

वे बोलीं, ‘तू तो जानती है, मेरी उम्र ढल चुकी है, पर मालिक के बदन में अभी भी जवानी का खूब असर है, जो मैं पूरा नहीं कर पा रही हूँ।’

मालकिन की ये बातें सुनकर मेरी चूत फड़फड़ाने लगी और दिल धक-धक करने लगा।

वे बोलीं, ‘पिछले साल तक तो फिर भी योनि में काफी पानी आता था, अब बहुत कम पानी रहता है और मालिक को चोद… मेरा मतलब रति-क्रिया में संतुष्टि नहीं मिलती। मैं बहुत परेशान हूँ, कहीं मालिक ऐसी-वैसी औरत की च… राखेल न बना लें। तो हम दोनों ने मिलकर ये सोचा है कि तेरे से मालिक के संबंध की बात करें।’

मैं एकदम सन्न रह गई।

मालकिन बोलीं, ‘सोचकर बता, क्या तू मालिक से च…, हाँ कह ही दूँ साफ-साफ, मालिक से चुदना चाहेगी।’

मेरी समझ में नहीं आ रहा था, पर दिमाग में मालिक के तेजस्वी शरीर से नंगे चिपकने की तस्वीर घूमने लगी।

मैंने कहा, ‘मालकिन, आपका कष्ट मेरा कष्ट है, पर थोड़ा सोच लूँ।’

‘हाँ बबिता, अच्छे मन से मानेगी तभी मालिक और मैं तुझे अपने दाम्पत्य जीवन की संगिनी बनाएँगे।’ कहकर मालकिन ने मुझे पहली बार जोर से आलिंगन दिया और जब मेरे माथे पर चुम्मा दिया तो उनकी आँखों में आँसू थे। उस रात मैं रातभर मालिक के साथ चुदाई के सपने देखती रही.

और बार-बार उँगली से चूत को संतुष्ट किया। दूसरे दिन और दिनों से ज़रा ज्यादा सज-धज कर मालकिन के घर गई। मालकिन मुझे सजी-धजी देखकर खुश हुईं। वे समझ गईं कि मैं मालिक से चुदने के लिए राजी होने वाली हूँ, फिर भी पूछा, ‘क्या सोच बबिता?’

मैंने कहा, ‘आप लोग ही मेरे सब कुछ हैं, आप लोगों को खुश करना मेरा कर्तव्य है।’

वे बोलीं, ‘कर्तव्य की बात मत कर, ये बता कि मालिक के प्रति तेरे हृदय में चुदने की भावना है या नहीं।’

मैंने कहा, ‘मालिक के साथ जो भी चुदेगी, बहुत भाग्यवान होगी, अभी तक ये भाग्य आपको मिला है। आपकी कृपा से यदि ये मेरे नसीब में हो जाए तो मैं धन्य हो जाऊँगी।’

वे पूछीं, ‘मालिक के बारे में कभी तूने ऐसा-वैसा सोचा है?’

मैंने कहा, ‘उनका शरीर मुझे हमेशा आकर्षक लगा है, पर कल आपकी बातें सुनकर, मैंने रातभर मालिक के सपने देखे, और उँगली से चूत को रगड़ती रही।’

यह सुनकर मालकिन की आँखें चमक उठीं, बोलीं, ‘यही सुनना था, मालिक यह सुनकर बहुत खुश होंगे।’

मेरी चूत में पानी आने लगा। उस दिन मालिक को तौलिया, साबुन देते समय मेरी साँसें जोर-जोर से चल रही थीं। खाना बनाते समय मालकिन ने कहा, ‘तेरे साथ संभोग मालिक पहली बार तेरे घर में करना चाहते हैं। आज रात आएँगे, तैयार रहना नहा-धोकर। और हाँ, साड़ी के नीचे कुछ और नहीं पहनना, ये उनकी इच्छा है। और सुन, उन्हें चोदते समय गंदी बातें करने की आदत है।’

‘अच्छा मालकिन,’ मैंने कहा।

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मालकिन ने मुझे हल्का-सा चुम्बन दे दिया। उस दिन मालिक ने खाना खाते समय पहली बार मुझे अपनी प्यारी नज़रों से देखकर पूछा, ‘सब ठीक है ना बबिता?’ मालिक बोले, ‘फिर अच्छा है, आज शाम तैयार रहना।’ मालकिन मालिक के खाने को पंखा झलकर मुस्कुरा रही थीं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैं मालिक-मालकिन के ऐसे संबंध देखकर दंग रह गई। उस शाम घर जाकर मैंने खूब अच्छे से नहाया, और सुगंधित इत्र लगाया। घर में ऊदबत्ती लगा दी जगह-जगह। अपने गुजरे पति की पूजा की, मुझे महसूस हुआ कि मेरे पति मुझे इस बात के लिए आशीर्वाद दे रहे हैं। सूरज के ढलते-ढलते मेरे दिल की धड़कन खूब बढ़ने लगी।

पर मालकिन के कहने के अनुसार मैंने साड़ी के नीचे से लहँगा, ब्लाउज़, और ब्रा निकाल दी और मालिक का इंतज़ार करने लगी। रात को काफ़ी देर बाद दरवाजे पर खट-खट हुई। मेरा दिल धक-धक कर रहा था, मैंने दरवाजा खोला। मालिक बहुत सुंदर दिख रहे थे, चेहरे पर वही तेज़, अच्छे से सज-धज कर आए थे, मेरी मनपसंद उनकी मूँछें तनकर सजी थीं।

उनके हाथ में एक दोना था केले के पत्ते का, उसमें मिठाई लाए थे। अंदर आते समय दरवाजा बंद करके बोले, ‘ले बबिता ये मिठाई, अभी रख दे, बाद में खाएँगे।’ जब मिठाई रखकर आई तो मुझे कसकर गले लगा लिया। मेरी चूचियाँ साड़ी से ढँकी उनकी छाती से चिपट गईं। वे मेरे बाल सहला रहे थे।

मेरी चूत गीली होने लगी। दो साल में मैं पहली बार किसी मर्द ने मुझे गले लगाया था, और वो भी इतना सुंदर मर्द। उनका आलिंगन और कसने लगा और उँगली सर से ढकी चूचियों को टटोलने लगी। मैंने महसूस किया उनका लंड कड़ा हो रहा था। मैं और ज़ोर से मालिक से चिपक गई।

वे मेरी आँखों, गालों को छूते हुए होठों पर अपने होठ रख दिए। उफ़्फ़!! मैं तो एकदम धन्य हो गई। चूत फड़क उठी। मालिक धीरे से बोले, ‘बबिता मेरी रानी।’ उनकी इस बात से मुझे लगा मालिक मेरे लिए खूब दिनों से तड़प रहे होंगे। मुझे बहुत खुशी हुई।

‘मेरी बबिता प्यारी, मेरा सिर दुख रहा है, गोद में रखकर ज़रा दबा दे रानी।’

मैं बिस्तर पर बैठ गई और मालिक मेरी गोद में सिर रखकर लेट गए। उनकी सफेद कुर्ता-धोती मेरी नीली साड़ी पर लेटे खूब जम रहे थे। मैंने नोटिस किया मालिक भी धोती के नीचे चड्डी नहीं पहने थे और लंड तना हुआ था। मैं मालिक का सिर दबाने लगी। मालिक आँखें बंद करके मेरी साड़ी के पल्लू से खेल रहे थे।

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फिर मेरी साड़ी के पल्लू को गिराकर मेरी चूचियों से खेलने लगे। ‘ओह बबिता, तुझे चोदने का कितने महीनों से मन कर रहा था रानी,’ कहकर मेरी चूचियाँ चूसने लगे, ‘चप-चप-चप-चप…’ मैं उनके सिर के बाल सहलाने लगी। ‘बबिता मेरी रानी,’ कहकर मेरी साड़ी की गाँठ खोल दी और चूत सहलाने लगे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैंने बरबस ही उनका लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। उन्होंने आँखें खोलकर नशीली नज़रों से मुझे देखा और मेरी पीठ सहलाते-सहलाते गाँड के पास अपने हाथ ले गए और ज़ोर-ज़ोर से चूचियाँ चूसते रहे। मैंने उनके कुर्ते के बटन खोल दिए और धोती भी खोल दी। फिर मालिक ने अपना सिर मेरी गोद से हटाकर मुझसे कहा, ‘साड़ी उतारकर नंगी हो जा, मेरी चुदासी बबिता।’

मालिक के ये गंदे शब्द सुनकर मेरा जोश बढ़ने लगा, मैं खड़ी होकर गाँड मटका-मटकाकर साड़ी नीचे गिरा दी, तभी मालिक ने भी अपनी कुर्ता-धोती उतारकर अपना लंड मेरी गाँड की दरार में सटा दिया। उफ़्फ़!! क्या गर्म मोटा लंड था, उसका पानी मेरी गाँड पर लग गया। पीछे से मेरे स्तन सहलाते-सहलाते मालिक बोले, ‘क्या गाँड है रानी, क्या चूचियाँ हैं, कुर्बान जाऊँ।’

मैं धीरे से बोली, ‘आपका लंड भी कुछ कम नहीं मालिक।’

यह सुनकर वे मेरी चूचियों को ज़ोरों से चिमटने लगे, मैं समझ गई मालिक को मेरे मुँह से गंदे शब्द सुनना है। मैं बोली, ‘मेरी चूत आपके तगड़े लंड को स्वीकार करने को तड़प रही है, मेरे प्यारे नंगे मालिक।’ वे ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत मलने लगे। और मुझे उठाकर बिस्तर पर घुटनों के बल बैठा दिया, और खुद भी नंगे घुटनों के बल बैठ गए।

उनका तेजस्वी चेहरा मुझे चूमे जा रहा था, मेरे स्तन उनकी छाती से चिपके थे, लंड चूत को छू रहा था, और उनके हाथ मेरी गाँड मसल रहे थे। मेरे हाथ भी खुद-ब-खुद उनकी गाँड को सहलाने लगे। मैंने उनकी आँखें चूमीं और धीरे-धीरे अपने होठ उनके होठ से चिपका दिए।

उनकी आकर्षक मूँछें पहली बार मेरे सुंदर होठों से रगड़ रही थीं। हमारी जीभें खुद-ब-खुद एक-दूसरे को चाटने लगीं, और मैंने खूब देर तक मालिक की जीभ को चूसा। जीभ चूसते-चूसते मैं उनका लंड अपनी चूत से रगड़ रही थी। वे बोले, ‘साली कुतिया चुदने को तड़प रही है मुझसे।’

मैंने कहा, ‘कुत्ते, तेरा लंड है ही ऐसा, मालकिन को चोद-चोदकर बोर हो गया है।’

मुझे खुद पर आश्चर्य हुआ और डर लगा कि कैसे मैंने ये बोल दिया। पर मालिक यह सुनकर और उत्तेजित हो गए, ‘हाँ उस रांड में अब चुदने की ताकत कम हो गई, पर तू तो खूब चुदासी है कुतिया।’ ‘हाँ मेरे कुत्ते राजा,’ अब मैं मालिक से एकदम खुल चुकी थी।

फिर मालिक ने मुझे नंगा लिटाकर मेरे ऊपर चढ़ गए और चूत में फँसा दिया। उफ़्फ़!! मेरी चूत को स्वर्ग मिल गया। मैं उनकी शानदार मूँछों को अपने हाथों से सहलाने लगी और अपनी गाँड उचकाने लगी। ‘इतनी जल्दी नहीं बबिता कुतिया,’ मालिक बोले। ‘जैसी तेरी मर्जी कुत्ते,’ मैंने कहा।

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यह सुनकर मालिक मेरी चूचियों को थप्पड़ मारने लगे, मुझे बहुत मज़ा आया। मेरे पति ने ऐसा कभी नहीं किया था। ‘अब तुम ऊपर आ जाओ बबिता रानी,’ मालिक फिर नम्रता से मुझसे बोले और तना लंड आकाश को दिखाकर लेट गए। मुझे ये पोज़ीशन हमेशा से अच्छी लगती थी।

मैं उनके ऊपर आकर उनके लंड से अपनी चूत का छेद जोड़ दिया। मेरे स्तन ज़ोर-ज़ोर से उछल रहे थे, मेरे स्तन काफ़ी बड़े हैं तो एक स्तन को दोनों हाथों से मसल रहे थे। मैंने उनके दाँतों से अपने दाँत रगड़ दिए, और गाँड उछाल-उछालकर लंड को अपनी चूत में समा दिया। मालिक भी अपनी गाँड उछाल-उछालकर लंड से मेरी चूत की दुनिया कर रहे थे।

‘ले कुतिया, ले कुतिया, अपने कुत्ते का लंड,’ ओह्ह्ह! क्या मज़ा आया, इतना संतोष चुदाई में शायद कभी नहीं मिला था मुझे। मैं मालिक की छाती पर ढेर हो गई, वे लंड चूत में फँसाए-फँसाए मेरे बालों को सहलाते रहे। और हम दोनों एक-दूसरे के होठ चूसते-चूसते सो गए। मैं मालिक की रखेल बन चुकी थी।

सुबह मेरी नींद जल्दी खुली तो देखा मेरे प्यारे मालिक खर्राटे भर रहे थे, लंड बुझ चुका था पर फिर भी शानदार दिख रहा था। मैंने लंड को चूमकर मालिक को जगाया। मालिक ने सिर पकड़कर मेरा मुँह लंड से सटा दिया। मैं समझ गई और लंड को मुँह में रखकर चूसने लगी।

उन्होंने कहा, ‘ठहर मेरी प्यारी बबिता,’ और मेरी चूत अपने चेहरे के पास लिटाकर हम दोनों एक-दूसरे के गुप्तांग चाटने लगे। मैंने नीचे देखा, मालिक की मूँछ के बाल मेरी घनी झाँटों के बालों में फँसे थे और मालिक अपनी जीभ मेरी चूत के खूब अंदर तक ले जा रहे थे।

मैंने गाँड उचकाना शुरू कर दिया तो मालिक की जीभ और गहराई तक चली गई। फिर मालिक ने भोर होने से पहले अपने लंड और मेरी गाँड में तेल लगाकर मेरी गाँड मारी। फिर हमने चूमते-चाटते एक-दूसरे को कपड़े पहनाए। फिर मालिक ने मुझे अपने हाथों से मिठाई खिलाई और मैंने भी मालिक को।

जाते-जाते मालिक ने कहा, ‘बबिता रानी, आज मेरे घर में जल्दी आना, हम एक साथ स्नान करेंगे।’ मैं चौंक गई, ‘और मालकिन?’ वे बोले, ‘मालकिन जानती है कि सिर्फ़ आज के लिए तू मालकिन है, उसने सब इंतज़ाम कर लिया है,’ कहकर मालिक खड़े हुए और मुझे भी खड़ा करके कपड़े पहनाए। मैं उनका लंड चूमती रही।

फिर मालिक ने भी कपड़े पहने और मुझे एक ज़ोरदार चुम्बन दिया मेरी जीभ चूसते-चूसते, और घर चले गए। थोड़ी देर बाद मैं मालिक के घर नौकरी करने गई, तो देखा मालकिन मेरा स्वागत करने को तैयार थीं। मुझे गले से लगाकर बोलीं, ‘बबिता, आज से तू मेरी बहन समान हो गई,’ और मुझे एक नया तौलिया और चंदन का साबुन, और नए कपड़े देकर बोलीं, ‘जाओ नहाने, आज तुम्हारी जगह मेरे से ऊपर है।’

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मैं स्नान-गृह में गई और नहाने के लिए अपने कपड़े उतारने लगी। तभी मालिक के खाँसने की आवाज़ आई, तो मैंने जल्दी-जल्दी कपड़े उतारे। जब मालिक स्नान-गृह में घुसे, मैं पूरी नंगी हो चुकी थी। मालिक ने आकर गले से लगा लिया और मेरी योनि को सहलाने लगे।

मैंने भी उनकी धोती के अंदर से उनका लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। हम लोग एक-दूसरे को चुम्बन देने लगे। मालकिन ने कुनकुने पानी का इंतज़ाम कर रखा था। करीब 10 बाल्टी पानी नहाने के लिए रखा था। मुझे बहुत अच्छा लगा कि कल तक मैं जिस स्नान-गृह को साफ़ करती थी, आज उसी में मालिक के साथ नंगे नहाने मिल रहा है।

मैंने मालिक की धोती उतार दी, उनका फड़फड़ाता लंड निकल आया। मालिक ने कुर्ता उतारा और हम दोनों नंगे एक-दूसरे को आलिंगन-बद्ध देखते रहे। मालिक की नज़रों में प्यार और प्यास दोनों ही झलक रही थीं। मालिक ने मेरे ऊपर एक लोटे से पानी डाला और मेरे स्तनों में साबुन लगाकर मलने लगे। मेरी आँखें बंद हो गईं।

मालिक बोले, ‘तू भी मुझे नहला बबिता रानी,’ और मेरा हाथ अपने खड़े लंड पर फिर से रख दिया। मैंने दूसरे लोटे से मालिक की कमर के नीचे पानी डालकर लंड पर साबुन लगाकर उसे हिलाने लगी। मालिक के लंड और मेरे स्तनों पर साबुन का झाग भर गया। फिर हमने एक-दूसरे के पूरे शरीर पर साबुन लगाया।

मालिक मेरे साबुन के झाग से भरे शरीर को पीछे से अपने झाग भरे शरीर से चिपटा लिया। उफ़्फ़! ऐसा मैंने जीवन में कभी महसूस नहीं किया था, खूब-खूब मज़ा आ रहा था। हम दोनों के शरीर एक-दूसरे पर फिसल रहे थे। मालिक मेरी दोनों चूचियों को धोने लगे, झाग बह गया और मैं जैसे एकदम नई होकर नंगी मालिक के सामने थी।

मैंने भी मालिक के शरीर से झाग बार-बार पानी डाल-डालकर साफ़ किया। इसी समय मालिक के लंड से पेशाब निकलने लगा, जो उन्होंने पिचकारी की तरह मेरी चूत के इलाके पर छोड़ दिया। मैंने कहा, ‘धत मालिक, ये क्या करते हो!’ मालिक ने हँसकर मेरी चूत का इलाका फिर से साबुन लगाकर साफ़ किया।

फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को नए तौलिये से साफ़ किया। साफ़ करते समय मालिक ने मेरी चूत बार-बार चाटी। फिर खुद नए कपड़े पहने और मुझे एक बड़ी तौलिया से ढककर कहा, ‘जा बबिता प्यारी, आशा (मालकिन) तुझे सजाएगी।’ मैं तौलिये में लिपटी स्नान-गृह से बाहर निकली तो देखा मालकिन खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थीं।

मुझे देखकर मुस्काईं, और शयन-कक्ष के पास वाले कमरे में ले गईं। मेरी तौलिया उतारकर मुझे गले से लगा लिया। मेरी चूचियाँ मालकिन की चूचियों से टकरा गईं, यद्यपि मैं नंगी थी और मालकिन कपड़े पहने थीं। फिर मालकिन ने मुझे सजाया, कंघी,  जेवर, नई साड़ी, अत्तर इत्यादि।

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मैंने जब आईने में देखा तो यकीन नहीं आया मैं ही हूँ। इतनी सुंदर दिख रही थी मैं। फिर मालकिन ने माया (एक बूढ़ी नौकरानी) से कहा, ‘ले आ माया।’ माया रसोई से एक थाल लेकर आई, जिसमें पकवान, मिठाई आदि थीं। मालकिन बोलीं, ‘ले जा बबिता, मालिक के साथ भोजन कर,’ और मेरे माथे पर एक चुम्बन दे दिया।

मैंने महसूस किया मालकिन की आँखों में प्यार था पर आँसू भी थे। आखिर एक पत्नी अपने पति की चुदाई किसी और के साथ हो तो कुछ तो दुख महसूस करेगी। मैं थाल लेकर शयन-गृह में ले गई जहाँ मालिक एकदम सजे-धजे मेरा इंतज़ार कर रहे थे। बिस्तर के सामने एक बड़ी मेज़ पर मैंने थाली रख दी।

मालिक मुझे देखा तो देखते ही रह गए। फिर से मुझे आलिंगन देकर चुम्बन देने लगे। मेरी रेशमी साड़ी ब्लाउज़ के ऊपर से मेरी चूचियाँ दबाने लगे। फिर मुझे अपनी गोद में बिठाकर प्यार से मुझे खाना खिलाने लगे। मैंने भी उन्हें खाना खिलाया। मैंने गोद में बैठे महसूस किया कि मालिक का लंड फिर खड़ा हो चला था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

खाना खाते-खाते मालिक ने मेरे होठ चूसना शुरू कर दिया। हम दोनों एक-दूसरे के मुँह से जूठा खाना एक-दूसरे के मुँह में डालने लगे। इसी बीच खाते-खाते ही मालिक ने मुझे नंगा करना शुरू किया। मैं दंग थी कि मालिक में कितनी जवानी है, कल शाम से मुझे 4 बार तो चोद ही चुके थे और फिर तैयार थे।

मैंने भी उन्हें नंगा कर दिया और नंगी में उनकी नंगी गोद पर बैठकर एक-दूसरे को खाना खिला रहे थे। मालिक का लंड गोद में बैठी मेरी चूत के छेद को टटोलने लगा। मालिक एक तरफ़ मुझे खाना खिलाते, दूसरी तरफ़ मेरी चूचियाँ मसलते, या गाँड सहलाते। मैं भी उन्हें खाना खिलाती और कसकर उनकी गोद में अपनी चूतड़ दबाती।

अचानक मालिक ने मुझे गोद से उठाया और नरम-नरम बिस्तर पर लिटा दिया। और मेरी टाँगों को कसकर जकड़ दिया ताकि मेरी चूत एकदम कस गई। फिर मालिक ने मेरी कसी चूत पर अपना लंड घुसेड़ना शुरू किया और मेरी चूचियों को चिमट-चिमटकर दबाने लगे।

मैं चीख उठी तो उन्हें और जोश आया और अपनी गाँड हिला-हिलाकर ज़ोर से लंड चूत पर धकेलने लगे। मैंने हड़बड़ाकर अपने पैर फैला दिए और मेरी चूत उनके लंड का स्वागत करने के लिए चौड़ी हो गई। मालिक ने अपनी हथेली बिस्तर पर दबाकर अपने शरीर को मेरे ऊपर से ढीला किया और फिर एकदम लंड फिर से घुसेड़ दिया।

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मैंने उनके कंधों को अपनी चूचियों की ओर खींचकर अपनी जीभ उनकी जीभ में डाल दी, और चूतड़ उचका-उचकाकर उनका साथ देने लगी। 10-12 धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। ओह्ह्ह! क्या मज़ा था, मैं नौकरानी अपने मालिक के रेशमी सेज पर चुद रही थी। फिर लंड चूत में डाले-डाले हम एक बार फिर सो गए। थोड़ी देर में मैंने महसूस किया कोई हमें उठा रहा है। मैं देखकर दंग रह गई, मालकिन हमारे लिए पान लेकर खड़ी थीं, और मालिक और मैं नंगे बदन एक-दूसरे की बाहों में थे।

मालकिन ने प्यार से मालिक और मुझे पान दिया। हमने एक-दूसरे को पान खिलाया। मालिक पान खाते-खाते मेरी नंगी चूचियों पर सिर रखकर सोने लगे, मैं उनके सिर के बाल सहलाती रही, और मालकिन हम दोनों पर पंखा झलती रही। नींद में मालिक बार-बार मेरी चूत सहला रहे थे। मालकिन ने इशारा किया कि मैं मालिक का लंड सहलाऊँ। मैंने वैसा ही किया। मालकिन मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं। दूसरे दिन से मैं फिर से नौकरानी और आशा दीदी मालकिन हो गईं। पर मालिक और मेरे चुदाई का संबंध आज तक चल रहा है।

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