Mother Sister Pussy Fucker
मेरे परिवार में मेरे अलावा एक बड़ी बहन और मम्मी पापा हैं. पापा एक MNC में काम करने के कारण अधिकतर टूर्स पर रहते हैं. हमारे घर का माहौल शुरू से ही बड़ा खुला हुआ था घर में मेरी माँ और बहन आमतौर पर ऐसे कपड़े पहनती थी जो की कोई और लोग शायद बेडरूम में ही पहनना अच्छा समझे. Mother Sister Pussy Fucker
मम्मी और मेरी बहन घर में मेरे सामने ही अपने मासिक धर्म(MC) से सम्बंधित बाते करती जैसे के आज मेरा पहला दिन है या मेरी बहन को बहुत परेशानी महसूस हो रही है या ज्यादा ब्लीडिंग हो रहा है etc… आमतौर पर मम्मी और मेरी बहन मेरे सामने ही कपड़े बदलने में कोई ज्यादा शर्म संकोच नहीं करती थी.
एक बार मेरी बहन मुझे अपने कॉलेज के एनुअल फंक्शन में लेकर गयी और वहाँ पर फैंसी ड्रेस का प्रोग्राम था. कॉलेज गर्ल्स था इसलिए जेंट्स टीचर और स्टाफ को चुद किसी भी जेंट्स की एंट्री नहीं थी. मेरी बहन ने मुझे कहा चल तुझे मज़े करवाती हूँ और मुझे अपनी एक सलवार सुट पहना दी जब मेरी उम्र भी कोई ज्यादा नहीं थी चहरे से मासूमियत टपकती थी.
खैर मैं भी बहन के कहने पर उसकी ड्रेस पहनकर कॉलेज चला गया. वहाँ पर उसने मेरा परिचय अपनी कजिन बताकर किया और कहा की मैं गाँव से आयी हूँ और ज्यादा बोलती नहीं हूँ. मुझे अपनी सहेलियों से मिलवाते हुए हम लेडीज चेंज रूम में आ गए, जहाँ सभी लड़किया अपनी-2 प्रोग्राम के हिसाब से कपड़े चेंज कर रही थी.
बहन ने मुझे कहा की तू थोड़ी देर यही पर मज़े मार मैं अभी आती हूँ ऐसा कह कर वह अपनी एक सहेली के साथ वहां से चली गयी और मैं वहाँ लड़कियों के बीच अकेला रह गया. सभी लड़किया मुझे भी अपने समान लड़की ही समझ रही थी मेरे सामने ही अपनी ड्रेस चेंज करते हुए गन्दी-2 बातें और मज़ाक कर रही थी.
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मैंने पहली बार देखा की लड़किया तो लड़को से भी ज्यादा खुलकर गन्दी बातें करती है. उस दिन लगभग 50 लड़कियों को ब्रा और पेंटी में देखा. लेकिन पोल खुल जाने के डर की वजह से में ज्यादातर पीछे ही खड़ा रहा और सभी से दुरी बनाये रखी. एक लड़की ने तो मुझसे अपनी बैक बटन वाले ब्लाउज के हुक भी लगवाए, तब मेरे हाथ थर-2 काँप जाते थे.
घर आने के बाद मेरी बहन ने कपड़े बदलते वक्त मुझसे पूछा की मैंने क्या देखा तो मैं बोला कि मैं तो उसके पीछे-2 ही बाहर आ गया था और बाद में कैंटीन में आकर बैठ गया. तो वो बोली वाह रे बेवकूफ ऐसा भोला भंडारी तो मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखा. एक बार मेरी बहन की सभी सहेलिया होली खेलने हमारे घर आयी तो मैं दुबक कर घर की टांड के परदे के पीछे छुप गया.
तब किसी को नहीं मालूम था की मैं घर में ही छुपा हुआ हूँ. खैर मेरी बहन और उसकी सहेलियों ने वहाँ पर घर के डाइनिंग हॉल और बाथरूम के पास में काफी नंगापन मचाया. एक दूसरे के कपड़े फाड़ते हुए लगभग नंगधडंग पोजीशन में एक दूसरे के ऊपर रंग लगाया.
जब वह सभी जाने लगी तो मैंने देखा की किसी के भी चहरे पर रंग नहीं लगा था और सभी की सभी लड़कियों ने कपड़ो के अंदर रंग लगाया था. होली की शाम को मम्मी भी मोहल्ले वालो की घर से रंग में सराबोर होकर आयी और मुझे बिना रंग के देख बहन से कहने लगी की इस बेचारे ने क्या पाप किया है जो इसे सूखा छोड़ दिया.
और बहन को इशारा कर मुझे पकड़कर गिरा दिया और मेरे पुरे शरीर पर रंग लगा दिया. मेरी बहन ने तो रंग कम पड़ने पर अपनी शरीर को ही मुझसे रगड़ना शुरू कर दिया. और इसके बाद हम तीनो ने साफ सफाई के लिए और रंग छुड़ाने के लिए अपना घर आगे से बंद कर दिया और हम पीछे आ गए.
वहाँ पर जब मैंने देखा तो मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी. मेरी माँ और बहन केवल अपने अंतरवस्त्रो में थी और एक दूसरे से मस्ती कर रही थी. यह सब देख कर मैं जहाँ था वहीँ का वहीँ रुक गया और देखने लगा. ऐसा कई बार हुआ जब मुझे मेरी माँ बहन को देखने का मौका मिलता.
कुछ सालो के बाद मेरी बड़ी बहन की शादी हो गयी और वह अपने ससुराल चली गयी. कुछ महीनो के बाद गर्मियों के महीनो में जीजा जी का फ़ोन आया घर की वह नए घर में शिफ्ट हो गए है और घर की साफ सफाई के लिए उन्हें मेरी सहायता चाहिए और मैं वहाँ जा पंहुचा. क्योकि जीजा जी ने अभी-2 ही इस शहर में ट्रांसफर हो कर आये थे और उनको वापस ट्रेनिंग पर जाना था.
खैर मैं भी इन दिनों कुछ ज्यादा व्यस्त नहीं था और अपनी बहन और जीजा के साथ कुछ समय बिताना चाहता था. जब मैं वहाँ पंहुचा तो देखा की जीजा का मकान सिटी के बहार एक नई कॉलोनी में था जो की एक कोने में था और यहाँ अधिकतर बड़े-2 मकान थे जिनकी ऊँची-2 दीवाले थी.
जीजा जी ने बताया की यहाँ पर कोई किसी से मतलब नहीं रखता है सब अपनी मस्ती में मस्त है. जीजा जी का मकान भी ऊँची-2 दीवारों वाला था यहाँ तक की ऊपर छत पर भी दूसरी मंजिलो जितनी दीवाले खड़ी थी केवल छत डालने की कमी थी वहाँ पर मकान के पीछे काम करने और बैठने के हिसाब से पक्का आंगन बना हुआ था.
आजु बाजु दूर-2 तक कोई मकान नहीं था नया आदमी तो बोर ही हो जाये. लेकिन घर में सभी मनोरंजन के साधन होने के कारण कही जाने की जरूरत ही नहीं थी. वहाँ जाने पर मैंने देखा की मेरी बहन अब और ज्यादा बिंदास सेक्सी और कामुक हो गयी है और क्यों ना हो अब उसके पास लाइसेंस जो था.
मैंने जीजा जी को भी काफी खुले विचारो वाला पाया उनकी बातचीत से लगा की वह भी काफी ब्रॉड माइंड और खुली सोच वाले व्यक्ति है. शाम को खाने के बाद उन्होंने अपने हनीमून के फोटोग्राफ्स दिखाए जिसमे वह दोनों गोवा के समुन्द्र किनारे बिकनी और स्विमिंग कास्ट्यूम में ही नज़र आये.
मेरी बहन के ऐसे हाफ न्यूड फोटो देख मैं शर्मा रहा था और वह दोनों डबल बेड पर एक दूसरे से चिपक कर मुझे अपनी नंगी फोटो दिखा रहे थे. जब जीजा जी ने कहा की मैं तुम्हे हमारे हैंडीकैम से बनायीं वीडियो दिखता हूँ तब मेरी बहन ने ज़रा से परदे की आड़ में ही अपनी सलवार कमीज़ चेंज कर ली और एक छोटा सा नाईट ड्रेस पहन लिया.
जोकि उसके घुटनो के ऊपर थी और कंधे भी खुले हुए थे गले की गहराई से पता चलता था की उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी. मैंने शर्म से ऑंखें नीची कर ली तभी. जीजा जी ने एक विडियो लगा दी जिसे उन्होंने गोवा में होटल में बनायीं थी मुझे ऐसा लगा की मैं कोई ब्लू फिल्म देख रहा हूं और वो दोनों एक दूसरे पर चढ़कर मस्ती करने लगे.
तभी अचानक लाइट ऑफ हो गयी और काफी देर तक इन्तजार करने पर भी नहीं आयी तब हमने ऊपर छत पर सोने का प्लान बनाया. छत पर भी दीवारे ऊँची होने के कारण ठंडी हवा नहीं मिल रही थी. छत पर एक लोहे का पलंगपड़ा हुआ था जिस पर जीजा जी ने मुझे सुलादिया और वह दोनों इतनी गर्मी में अँधेरे में चिपक कर सो गए.
थोड़ी देर बाद जब अँधेरे में दिखने लगा तो मैंने देखा की मेरी बहन जीजा जी को उनका लंड पकड़कर मस्ती कर रही थी और बार-2 उनका लंड चूसने की जिद कर रही थी. उनकी सेक्सी चूमा चाटी के कारण होने वाली खुसफुसाहट के कारण मेरा लंड भी तम्बू बना हुआ था फट कर बहार आ जाने को हो रहा था.
तभी जीजी बोली की उसे बाथरूम आ रही है तो जीजा जी ने मुझे आवाज लगाई लेकिन मैं ऑंखें बंद किये हुए नींद आने का बहाना बनाए पड़ा रहा. तो जीजी बोली की शायद सफर की थकन के कारण सो गया होगा तब मेरी बहन उठी और बेड पर से ही अपनी पेंटी हिप्स के निचे उतारती हुए छत के कोने में पेशाब करने बैठ गयी.
आसमान की हल्की रौशनी में उसके गुन्दाज़ मांसल गोरे-2 चूतड़ चमक रहे थे. जिनको देख कर जीजा जी भी उठे और अपनी लुंगी एक और फेका वी शेप के अंडरवियर में से अपना मोटा मुसल लंड निकाल कर मेरी बहन के चूतड़ों के ठीक पीछे लंड लगा कर मूतने बैठ गए और अपने दोनों हांथों से मेरी सेक्सी बहन के बोबो को दबाने लगे.
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इसके बाद तो वोह दोनों खड़े-2 ही अँधेरे में रति क्रियाये करने लगे. मेरी बहन की मदहोशी में कामुक सांसे और आवाज़े मुझे पागल बना देने के लिए काफी थी. मैं अपनी आधी आँखे बंद कर यह सब देख रहा था और ना जाने कब मेरी आंखें लग गयी सुबह लगभग 5 ऍम पर ठंडी हवाओं के कारण मेरी आंख खुली तो मैंने देखा की मेरी बहन और जीजा जी एक दूसरे पर चढ़ कर सोये हुए थे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
शायद सेक्स करने के बाद उनकीनींद लग गयी और वो अपने को व्यवस्थित भी नहीं कर पाए. मेरी बहन जिसकी पेंटी तो पैरों में पड़ी थी और उसकी नाईटी उसके नंगे हिप्स पर चढ़ी हुई थी. जीजा जी भी पुरे नंगे थे और उनका लंड छुवाड़ा होकर जीजी की चूत में से बाहर लटक रहा था.
ऐसा सिन देख मैंने सबसे पहले तो लपक कर मुठ मारी और उसके बाद अपनी सेक्सी बहन के बोबो को देखने की कोशिश की. लेकिन जीजा जी के सीने से दबे होने के कारण मुझे कुछ ज्यादा नहीं देखने को मिला. दिन निकलने पर हम तीनो सफाई में लग गए गर्मी के कारण बुरा हाल था.
इसलिए हमने सोचा की सुबह और शाम को ही सफाई करेंगे जीजा जी ने मुझे पहनने के लिए अपना बरमूडा दे दिया और खुद केवल वी डिज़ाइन अंडरवियर पहनकर टांड पर चढ़ गए क्योंकि इस घर में टांड ज्यादा थी इस कारण सभी सामान जो की काम में कम आते था उसे टांडो पर रखने का प्लान बनाया गया.
जीजा जी टांड पर चढ़ कर बैठ गए और जीजी जिसने की केवल जीजा जी की वाइट जेंट्स बनियान पहन रखी थी और निचे लुंगी जिसमे से उसकी गोरी-2 सफ़ेद जांघे झाँक रही थी वह लम्बे वाले स्टूल पर चढ़ी हुई थी. मैं निचे से सामान देता जा रहा था. जेंट्स बनियान होने के कारण उसके बाँहों के कट्स ज्यादा थे जिसमे से जीजी के मोटे-2 स्तन बाहर आ रहे थे और काली-2 चूचिया बाहर से ही दिखाई दे रही थी.
वह अपने हांथों से अपनी चूत को रगड़ने लगती. मैं सामान उसे देता तो वह हाथ उठाकर उसे जीजा जी को थमाती, हाथ उठाने से उसकी अंडर आर्म्स के बाल देख मेरा लंड फिर से तनतना गया. गनीमत थी की मैंने बरमूडा पहन रखा था कई बार हैवी सामान होने के कारण मेरी बहन का स्टूल पर बैलेंस नहीं बनता तो वह अपने पैरो को चौड़ा कर पास की आलमारी पर रखती.
तब तो उसकी पेंटी जो की वाइट कलर की थी ऐसी दिखती माँनो अभी ऐसे खींच लंड पेल दो. पानी पीते समय जीजी शायद जानबूझ कर अपनी सफ़ेद बनियान पर पानी डाल लेती जिससे उसके मम्में साफ़ दिखाई देने लगते जीजा जी भी बीच-2 में इतने गंदे अश्लील भद्दे डबल मिंनिंग जोक्स सुनाते की अपनी हसी ही नहीं रोक पाता.
खेर शाम होते-2 पूरा घर जम गया और हम भी काफी थक चुके थे. इसलिए हम तीनो ने डिनर होटल में ही लिया और रात को सोने की तैयारी करने लगे. तभी जीजा जी के ऑफिस से फ़ोन आया की उन्हें 1 दिन पहले ही टूर पर निकलना पड़ेगा इसलिए जीजी तो उदास हो गयी लेकिन जीजा जी ने फटाफट अपना लगेज तैयार कर लिया.
रात में उन दोनों ने मुझे अपने बेडरूम में ही सुलाया क्योकि दूसरे कमरे में कूलर काम नहीं कर रहा था. अंधेर में मैंने देखा की आज भी मेरी बहन जीजा जी को ज्यादा परेशान कर रही थी अपनी नाईटी जांघो पर चढ़ा कर पेंटी उतारकर अपनी रसीली चिकनी चूत को जीजा जी के मुँह पर रख कर उनका लंड मुँह में लेने की जिद कर रही थी.
लेकिन जीजा जी दिन भर की थकान के कारण सोने के मूड में थे और उन्हें सुबह जल्दी जाना भी था. जब सो गए तो जीजी भी अपनी चूत को हाथ से रगड़ती हुए सो गयी बेचारी क्या कर सकती थी. अगली सुबह जब मैं उठा तो देखा की जीजा जी को लेने उनकी ऑफिस की गाड़ी आ चुकी थी.
और जीजी उनसे एक बार मजे देने का कह रही थी और बोल रही थी की आपके बिना मैं कैसे रहूंगी. तो जीजा जी बोले की इसीलिए तो तेरे भाई को बुलवाया है वह रहेगा तो मुझे किसी बात की फिक्र नहीं रहेगी. जीजा जी के जाने के बाद जीजी बड़ी उदास सी हो गयी. आज हमने पूरा घर पानी से धोने का प्लान बनाया क्योकि सभी जगह धुल से भरी हुई थी.
हैवी बेकफस्ट के बाद जीजी ने अपनी नाईटी खोल ली और एक पुराना सा पतले कॉटन के कपड़े का सफ़ेद ब्लाउज पहन लिया. जो की शायद उसका था भी नहीं क्योकि उसमे उसके मांसल मम्में समां ही नहीं रहे थे और ना ही ब्लाउज के हुक लग रहे थे. ऊपर वाले दो हुक और एक बीचवाला हुक तो टूटे हुए थे और सबसे निचे का भी नहीं था.
कुल मिलकर केवल दो हुको पर जीजी के मम्में दबे हुए थे उसमे ब्रा भी नहीं पहनी थी जिससे उसके चूचक बाहर आने को बेताब हो रहे थे. निचे उसने एक काफी पुराना सा पतले कपड़े का वाइट पेटीकोट पहन रखा था जिसका नेफा भी काफी फटा हुआ होने के कारण उसकी सफ़ेद पेंटी दिख रही थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं पानी डालता जा रहा था और जीजी झुक-2 कर झाड़ू और गीले कपड़े से पूरा घर धोती जा रही थी. जीजी झुकती तो उसके ब्रेस्ट पुरे बाहर आ जाते और मैं एकटक उन्हें देखता रहता. जीजी ने अपना पेटीकोट भी घुटनो के ऊपर तक चढ़ा रखा था जिससे उसकी मांसल पिण्डलिया देख मैं पागल होता जा रहा था.
घर आगे से पीछे तक साफ करने के बाद मैं और जीजी ने छत भी साफ़ करने का मन बनाया. और हम दोनो छत पर चले गए काफी तेज धुप थी. इस कारण हम दोनों पसीने से नहा गए. धुप के कारण पसीना सर से बहता जा रहा था जो की जीजी के दोनों बोबो के बिच में से अंदर जा रहा था. इस कारण जीजी बार-2 अपने हाथो को सर में फिराती और फिर अपने टाइट ब्लाउज में डाल कर पसीना पोछने की कोशिश करती.
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गीले हाथ होने से उसका पतला सफ़ेद कॉटन का ब्लाउज पूरा ट्रांसपेरेंट हो गया और ब्रा नहीं पहनने के कारण जीजी की काली-2 चूचिया साफ़ दिख रही थी. जीजी को अपनी इस हालत का अच्छी तरह से पता था काम के साथ-2 हम अपनी पुरानी ज़िन्दगी के बारे में भी बातें करते जा रहे थे.
जीजी याद कर के बोली की किस तरह वह मुझे अपने कॉलेज के फंक्शन में लड़की बनाकर ले गयी थी और कैसे उसकी सहेली ने जानबूझकर मेरे सम्बे कपड़े बदलकर अपनी बैक बटन वाली ब्लाउज के हुक लगवाए थे. इसके आलावा वह यह भी बोली की किस तरह मम्मी और उसने जानबूझ कर होली की शाम को मेरे सामने ब्रा और पेंटी में मस्ती की.
वो दोनों यह सब करके मुझे बोल्ड और तेज़ बनाना चाहती थी. जीजी ने मेरी प्रेजेंट लाइफ के बारे में भी पूछा की क्या अभी मैं केवल पढाई का नाटक ही कर रहा हूँ या फिर किसी लड़की को कभी डेटिंग वगैरह पर भी लेकर गया हूँ. उसके डबल मिंनिंग बातें सुन-2 कर मेरा तो दिमाग और लंड बस फटने ही वाला था.
वोह तो ग़नीमत था मैंने अंडरवियर के ऊपर लुंगी पहन रखी थी जिस कारण मेरे लंड महाराज का उठाव जीजी को नहीं दिख रहा था. मेरे हांथों में प्लास्टिक का पाइप था जिससे मैं पानी डालता जा रहा था. पानी के कारण जीजी का पेटीकोट भी गिला हो चूका था इस कारण उसने अपने पेटीकोट को पूरा कमर में खोस लिया इस कारण अब उसकी सफ़ेद मांसल थाइज भी गज़ब ढा रही थी.
मेरी लुंगी भी गीली थी जिसे जीजी ने जबरदस्ती खींच कर खोल दी और मुझे केवल वी शेप अंडरवियर में देख जोर-2 से हसने लगी. बनियान तो मैं गर्मी की वजह से पहले ही उतार चूका था. जीजी के सामने केवल अंडरवियर में होने के कारण मैं शर्म की वजह से उससे ऑंखें नहीं मिला पा रहा था क्योकि मेरा लंड तन कर टेंट बना हुआ था.
मैंने देखा की जीजी बार-2 चोर निगाहो से मेरे लंड को देखती और मंद-2 मुस्कुराती मानो उसके मन में कुछ शैतानियत जाग रही हो. छत साफ़ करने के बाद जब हम सीढ़ियों तक पहुंचे तो जीजी कहने लगी की मुझे जोर से पेशाब आ रही है और बिना किसी शर्म या परदे के उसने मेरे सामने ही उसने अपनी पेंटी खोल दी और पेटीकोट ऊँचा उठा कर अपनी मोटी-2 गांड दिखाती हुई वह छत के एक कोने में जाकर मूतने बैठ गयी.
उसकी मूतने से जो आवाज पैदा हो रही थी वह सुन मैं बहक सा गया. तभी उसने मुँह घुमाकर मेरी और देखा और एक आंख मार कर सेक्सी आवाज बना कर कहने लगी की आजा शर्मा मत मेरे पास आकर तू भी मूत ले जैसे की हम बचपन में पास-2 बैठकर करते थे. यह सब देख मैं भी हिम्मत करके जीजी के ठीक पास में बैठ गया और अपने कड़कनाथ को पिंजरे से निकल कर मूतने लगा.
जीजी झुक-2 कर मेरा लंड फटी-2 आँखों से देखने लगी और बोली भैया तू तो वास्तव में जवान हो गया है रे मम्मी और मैं तुझे यु ही बच्चा समझती थी. तूने अभी तक अपने औज़ार को कहीं ट्राई किया है या यही तेज़ धारदार हथियार लेकर घूमता रहता है. जीजी कीऐसी बातें सुन मैं चुप सा हो गया और इधर-उधर देखने लगा की कहीं कोई देख तो नहीं रहा है.
लेकिन फिर ऊँची-2 दीवारों को देख बेफिक्र हो मैं सीधा खड़ा हो गया. मूतने से बड़ा हल्का पन महसूस हो रहा था. जीजी ने अपनी सफ़ेद छोटी सी पेंटी मेरे हाथों में देते हुए कहा की चल इसे पकड़ और सीढ़ियों पर पानी डाल मैं फटाफट अभी सीढियाँ भी धो डालती हूँ. ऐसा कह वह सीढियाँ धोने लगी और मैं पानी डालने लगा.
जीजी ने जो सफ़ेद पेंटी मुझे दी थी वह चूत वाले हिस्से के वहाँ से थोड़ी गीली हो रही था और उसमे से एक अजीब सी मादक महक महसूस हो रही थी. जिसे मैं जीजी की नज़रो से बचाकर सूंघ रहा था जो की मुझे मदहोश बनाये दे रही थी. अचानक मेरी निगाह जीजी के पेटकोट के अंदर नेफे(जहाँ नाड़ी बंधी जाती है) पर पड़ी जो की काफी सारा फटा हुआ था.
जीजी की चूत के ऊपर के सुनहरे मुलायम बाल साफ़ दिखाई दे रहे थे. शायद यह सब जीजी जानती थी क्योकि मेरी समझ के अनुसार कोई भी औरत अपने शरीर को यु ही बिना मकसद नहीं दिखाती. जीजी के मन में क्या है यह मैं अब तक ताड़ नहीं पाया था क्योकि मेरा दिमाग ने तो जीजी के मांसल बदन के भूगोल को देख कर ही काम करना बंद कर दिया था.
निचे आने के बाद मकान के पीछे के पक्के हिस्से के सफाई धुलाई करने के बाद तो पूरे मकान की चमक देखते ही बनती थी. घर के पीछे बरांडे में कपड़े धोने के लिए पक्का हौज बना था जिसमे की पानी भरकर आराम से छोटे स्विमिंग पूल या मानो बड़े से बाथ टब का मजा लुटा जा सकता था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
जीजी बोली की हम सफाई से इतने नहीं थके जितने की धुप और गर्मी के कारण परेशान हो गए है. पूरा बदन पसीने से चिप चिपा रहा है ऐसा करते है की इस हौज में पानी भरकर ठन्डे पानी से नहाते है. मैंने कहा ठीक है और ऐसा बोल मैं हौज को भी साफ़ करके पानी भरने लगा. इतनी देर में जीजी ने घर के बहार दरवाजे पर ताला लगा दिया ताकि कोई परेशान ना कर सके (इसका मुझे बाद में पता चला).
और साइड के दरवाज़े से अंदर आ गयी और ठन्डे दूध में रूह अह्फ्जा घोल कर वह दूध कोल्ड ड्रिंक बना लाई जिसको पीते ही सारी थकान तो मानो छु मंतर हो गयी और बदन में एक नया जोश भर गया. बाद तो मानो मुझ पर क़यामत ही टूट पड़ी अब जीजी ने अपना असली जलवा दिखलाना शुरू कर दिया.
उसने बड़े सेक्सी अंदाज़ में मुझे देखते हुए अपने ब्लाउज को खोल दिया जिसमे से उसके दोनों गदराये हुए मस्त कबूतर फड़फड़ा कर बाहर आ गए. उनको हाथो से सहलाते हुए वह कहने लगी के देख भैया इनको बेचारे ये भी गर्मी के कारण कैसे कुम्हला गए है आज तेरे जीजा जी होते तो अब तक तो इन्हे मुँह में लेकर ताजा कर देते.
ऐसी वाहियात बात सुन मेरे को ऐसा करंट लगा कि मैंने भी सोचा की छोड़ो ऐसी नैतिकता और दिखा दो अपनी मर्दानगी. जीजी के दोनों ब्रेस्ट पर इतना टाइट ब्लाउज पहनने के कारण लाल रंग का निशान सा पड़ गया था. जीजी ने धीरे से अपना पेटकोट भी खोल दिया और नंगधडंग नंगी हो फिर से मूतने बैठ गयी.
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मूतने के लिए उठते बैठते समय उसकी चूत का जो नज़ारा मुझे पीछे से हुआ वह वास्तव में मेरे जीवन का अद्भुत नज़ारा था. क्योकि जिस चीज को आज तक मैं केवल फोटो या फिल्मो में देखता था और जिस के बारे में मैं बंद कमरे में आँखें बंद कर अपने कड़कनाथ को रगड़ता था आज वही चीज मेरे सामने परोसी हुई सी मालूम पड़ रही थी.
मैं भी शर्म संकोच छोड़ जीजी के बिलकुल पास जा खड़ा हुआ. अब जीजी पूरी नंगी अवस्था में पानी के हौज में उतर गयी और हाथ बढ़ा कर मुझे भी बुलाने लगी. मैं जैसे ही पानी में उतरने लगा तो जीजी ने झट से मेरी वी शेप अंडरवियर खींच निकाली और मुझे भी अपनी तरह मादरजात नंगा कर पानी में खींच लिया.
और कहने लगी की इस बेचारे पर कुछ तरस खा इतनी गर्मी में ऐसे इतने तंग कपड़ो में रखेगा तो इसका क्या हाल होगा तू नहीं जनता इसका तो भुर्ता ही बन जायेगा और जब मेरी भाभी यानि इस अकेलेराम की जब मालकिन आएगी तो मुझसे कहेगी की क्या जीजी यह तो नादान थे पर तुम तो समझदार थी कभी हमारे बारे में सोच कर ही इस बेचारे को थोड़ी हवा पानी दिखा देती.
और हसते हुए जीजी ने मुझे अपने ऊपर गिरा लिया. अब हम दोनों के नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़ रहे थे जीजी के कामुक बदन ने तो मानो मुझे सम्मोहित ही कर लिया था. और मैं लगभग अंधे के सामान वही करता जा रहा था जो वो मुझसे चाहती थी. उसने मेरे दोनों हांथो को पकड़ा कर अपने बोबो पर रख दिया और कहने लगी की प्लीज भैया जल्दी से इन कबूतरों को मुँह में ले कर चूस जाओ नहीं तो मैं मर जाउंगी.
और एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी. कुछ देर उसके बोबो को चूसने के बाद मेने भी अपना एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया. तो मुझे उसकी गर्मी महसूस कर आश्चर्य हुआ क्योकि जो चीज पिछले कुछ समय से ठन्डे पानी मे ही हो वह कैसे इतनी गर्म हो सकती है. अपनी उंगलियों को अपनी बहन की मांसल चूत में घुसाते हुए मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
और मैं लगभग पागलो की तरह अपनी बहन की चूत को रगड़ रहा था जिस कारण उसमे से हल्का सा गरमा चिकना मदमस्त रस सा महसूस होने लगा. मैं इस रस को अपने मुँह में पीना चाहता था लेकिन जीजी से कहने मेंझेप रहा था तभी जीजी मानो मेरे मन की इच्छा भाप गयी और वह मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे कड़कनाथ को मुँह में लेकर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी.
उसने अपनी रस भरी चूत को मेरे मुँह के पास कर दिया जिसे शायद बुक्स में 69 की पोजीशन कहते है. मैं भी अपनी बहन की चूत को मुँह में लेकर चूसने लगा. वह तो एक्सपेरिएंस्ड थी इसलिए वह मज़े कर रही थी लेकिन मेरे साथ यह पहला अनुभव था इसलिए मैं एकदम से जोश में आ गया और अपनी बहन से बोला की प्लीज जीजी थोड़ा रुक-2 कर चूसो नहीं तो तुम्हारा मुँह कही ख़राब ना हो जाये.
तो वह जोर-2 से हसते हुए बोली की तेरे जीजा जी और मैं तो सारी रात ऐसे करते-2 गुजर देते है लेकिन खाली नहीं होते और एक तू है कि पांच मिनट में ही बोलने लगा. खैर ठीक ही है क्योकि ये तेरा पहला मजा है जीजी की मस्त रसीली चूत का मजेदार नमकीन पानी पिने के समय जीजी ने अपनी दोनों जांघो को चौड़ा कर हौज की डोली पर बैठ गयी और अपनी आँखों को मूंद कर मुँह से अजीब सी सिसकारियां ले रही थी.
जब उसका मन चूमा चाटी से भर गया तो कहने लगी की चल अब जल्दी से अपनी प्यारी बहन को चोद दे. और ऐसा कह वह खड़ी हो गयी और पानी से बाहर निकल कर टॉवल से हल्का सा बदन पोछ कर दौड़कर अपने बेडरूम में घुस गयी और वह अपनी चूत को चौड़ा कर बोली फाड़ दे भाई अपनी बहन की चूत को.
इसके बाद में मेने अपना धारदार औज़ार उसकी चूत में जो घुसाया तो वह बिलबिला उठी और कहने लगी की ऐसा लंड तो मैंने अपने जीवन में कभी नहीं खाया यदि आज यहाँ मम्मी होती तो…. ऐसा कह वह मस्ती में आंखें बंद कर चुप हो गयी और उस वक्त तो मैं यह सुन कर चुप हो गया क्योकि मैं भी इस पल के मज़े को भूलना नहीं चाहता था.
लेकिन कुछ मिनटों के धक्को के बाद मैंने अपनी बहन से पूछ ही लिया की ऐसा लंड कभी नहीं खाया और मम्मी होती तो… से तेरा क्या मतलब है क्या जीजा जी के अलावा तूने और भी लंड खाये है क्या. तो वो हसते हुए बोली की अब तुझसे क्या छुपाना मम्मी शुरू से ही पापा की गैर मौजूदगी में अपनी जवानी की गर्मी घर में आने वाले मर्दो से मिटवाती थी.
जिसमे हमें पढ़ने आने वाला टीचर और अपना छोटा राजू मामा थे मैं यह राज जान गयी तो मम्मी ने मुझे भी खुली आज़ादी दे दी और कहा की केवल चुनिंदा लोगो से ही मज़ा लो जो की खुद की इज़्ज़त बचाने के साथ-2 हमें भी बदनाम ना करे नहीं तो हम माँ बेटी किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी.
बाहर के लोगो के साथ सम्बन्ध बनाने में बड़ा डर रहता था क्योकि एक तो कमरे की व्यस्था नहीं रहती थी और दूसरा बदनामी का सबसे ज्यादा डर रहता था. हम दोनों माँ बेटी अपने शिकार को अपने बदन के उभार दिखाकर अपने जाल में फसाती थी मम्मी को चोदने वालो को यह नहीं मालूम था की मैं भी अपनी माँ की तरह चुद्द्कड़ हु और ऐसा ही मुझे चोदने वालो का था.
इसलिए हम दोनों माँ बेटी हमेशा इसी जुगाड़ में रहते थे की कैसे भी हम घर ही घर में कुछ जुगाड़ कर ले ताकि रोज रात हमें अपनी चूत की खुज़ली मिटवाने के लिए परेशान ना होना पड़े तब हमारे दिमाग में तेरे साथ चुदाई का प्लान आया लेकिन तेरा सीधा पन हमें रोकता था की ऐसे कैसे अपने चक्कर में ले.
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इसलिए हमें जानबूझ कर तुझे अपने कॉलेज के एनुअल फंक्शन में ले जाकर लड़कियों के बदन का जलवा दिखाया और होली पर तेरे को रंग लगाने के बाद दोनों माँ बेटी ने तुझे अपना बदन दिखाया इसके अलावा भी पचासो बार तेरे सामने कपडे बदले अधनंगी अवस्था में घर में घूमी तेरे सामने उलटी सीधी बातें की लेकिन तू हमारे चक्कर में नहीं आया.
खैर तेरे जीजा जी के साथ तो मैं शादी के पहले से ही मज़े मारती आ रही हूँ ये तो मेरे साथ जिम में साथ एक्सरसाइज करते थे और जब मैंने अपना चिकना बदन इनको ट्रैक सूट में दिखाया तो यह पागलो की तरह मेरे पीछे घर तक आ गए और बाद में तो मेरे साथ-2 अपनी मम्मी को भी कई बार चोद चुके है और आज जो तू यहाँ है वह भी मम्मी और तेरे जीजा जी की ही प्लानिंग का नतीजा है.
मम्मी कई महीनो से चुदाई के लिए तड़प रही थी इसलिए तेरे जीजा जी ने ऑफिस का टूर निकाला और तुझे यहाँ बुलवाया. ताकि वह ऑफिस का काम निपटाकर अपने घर जाकर मम्मी की चूत की खुजली मिटा सके और मैं यहाँ तुझे अपनी जवानी का दर्शन करा सकू इसलिए तेरे जीजा जी ने जानबूझ कर तुझे हमारे हनीमून की विडियो दिखाई मुझे छत पर नंगा कर चोदा.
और मुझे तेरे सामने अधनंगे कपडे पहना कर सफाई करवाई. यह सफ़ेद टाइट ब्लाउज और पेटीकोट भी उन्होंने ही अरेंज किया और मुझे बताया की किस-2 तरह से मैं तुझे अपनी शरीर को दिखाऊ ताकि मैं अपनी जवानी का स्वाद चखा कर मम्मी के लिए तुझे तैयार कर दु. तो बोल हमारा प्लान कामयाब हुआ या नहीं. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इस बात का जवाब मेने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा कर दर्शा दिया. मेरी पहली ही चुदाई में मेरे द्वारा लिए समय को देख मेरी बहन बोली की यह हम माँ बेटी की किस्मत ही ख़राब थी जो की ऐसा गबरू जवान मर्द घर में होते हुए हम दोनों तरसती रही. इसके बाद अगले तीन दिनों तक मैं रात दिन अपनी सगी बहन को चोदता रहा.
और फिर जीजा जी के आने के बाद मैं वापस ऐसा हो गया मानो कुछ हुआ ही न हो. क्योकि ये कैसे संभव है की एक पति के सामने उसकी पत्नी को उसका सगा भाई ही चोदे और वह बैठे-2 बस देखता रहे. जब मैं वापस घर आया तो मैंने मम्मी के चेहरे पर बड़ी अजीब सी चमक देखी जो शायद जीजा जी से चुदाई के बाद हुई संतुष्टि के कारण थी.
लेकिन अब मैं इस जुगाड़ में था की अब मैं मम्मी को कैसे अपने चक्कर में लू. क्योकि मुझमे इतनी हिम्मत ही नहीं थी की मैं अपनी माँ को सीधे-2 चुदाई के लिए प्रोपोज़ कर सकू. अपनी बहन को चोदे मुझे भी लगभग 10-12 दिन हो चुके थे और अब बिना चुदाई एक रात काटना मेरे लिए भी असंभव सा लग रहा था.
क्योकि असली मस्त माल खा कर मेरा कड़कनाथ भी अब हाथठेला चलाने के लिए राजी नहीं होने वाला था. तभी मेरी बहन का फ़ोन आया और उसने मुझसे पूछा की तूने अब तक कितनी बार मम्मी को निपटाया. तो जब मैंने कहा की मैंने तो मम्मी की तरफ देखा भी नहीं तो उसने माथा पीट लिया और कहने लगी की अब क्या मैं वह आकर तेरे भोले भंडारी को पकड़कर मम्मी की रबड़ी का स्वाद चखाऊँ.
मैं कुछ बोल न पाया तो उसने कहा की चल मम्मी से बात करा. मैंने मम्मी को फ़ोन दे दिया और मैं कमरे से बाहर चला गया. मम्मी बहुत देर तक जीजी से बात करती रही. रात में गर्मी कुछ ज्यादा ही थी इस कारण मैं लुंगी और बनियान पहनकर टी.वी. देख रहा था की मम्मी भी हॉल में ही आ गयी और बोली की अंदर बेडरूम तो मानो भट्टी सा तप रहा है मैं भी यही कूलर की हवा में सो जाती हूँ.
ऐसा कह मम्मी ने मेरे बेड के पास (गर्मियों में मैं कूलर के कारण हॉल में ही सोता हूँ) ही अपना बिस्तर लगा लिया और सोने लगी. सैटरडे नाईट होने की वजह से मैं भी लेट नाईट टीवी देख रहा था क्योकि अगले दिन संडे के कारण किसी बात की जल्दी नहीं रहती थी और मैं देर तक सोता रहता हूँ.
टीवी पर कुछ खास नहीं दिखने के कारण मैं बार-2 चैनल चेंज करता जा रहा था और चाहता था की कुछ गर्मागर्म शॉट देखने को मिल जाये कि भगवान ने मेरी मुराद सुन ली और एक साउथ इंडियन चैनल पर कोई सी ग्रेड तमिल मूवी चल रही थी. जिसमे एक लगभग 40 साल की ओल्ड लेडी अपने नौकर जो की लड़का था के सामने अपना बदन दिखाती जा रही थी और उसे उकसा रही थी.
उसके बड़े-2 स्तन देख मेरा कड़कनाथ हमेशा की तरह तैयार हो गया. तभी मैंने गौर किया की मम्मी जो की मेरे सामने ही जमीन पर बिस्तर पर सोई हुई थी, ने अचानक करवट ली और पसीने को पोछने के अंदाज़ में अपना हाथ अपने ब्लाउज में डाल कर अपने साड़ी के पल्ले को अपने सीने से हटा दिया और वापस सोने का नाटक करने लगी.
जब मैंने मम्मी की तरफ गौर से देखा तो मैंने पाया की मम्मी ने अभी जो ब्लाउज पहना था उसका गला इतना डीप था की उसमे से मम्मी के आधे से ज्यादा स्तन बाहर आ रहे थे और उस ब्लाउज को मैंने पहले कभी नहीं देखा था यहाँ तक की मम्मी ने आज पुरे दिन से भी नहीं पहना था.
इसका मतलब यह ब्लाउज मम्मी ने स्पेशल पहना है जब मम्मी का पल्ला सीने से हटा तो मैं मम्मी के ब्लाउज के हुको को देख अचरज में पड़ गया. मम्मी के ब्लाउज के केवल तीन हुक लगे थे जैसे की उस दिन सफाई करते समय जीजी के हुक टूटे हुए थे. इसका मतलब मम्मी को यह आईडिया जीजी ने ही दिया होगा.
मैंने जब गौर किया तो पाया कि ब्लाउज में मम्मी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी की तभी मम्मी ने फिर करवट बदली. और इस बार अपने पैरो को ऐसे उठाया की मम्मी की साड़ी उनके घुटनो के ऊपर हो गयी और उनके एक गोरी जांघ दिखाई पड़ने लगी. एक तो टीवी पर चलती सेक्सी मूवी और ऊपर से मेरे इतने पास अपनी माँ को इस हाल में देख मेरा हाल बुरा हो रहा था.
मम्मी भी गर्मी के कारण बेचैन लग रही थी मम्मी बोली कि बेटा कूलर भी मानो आग उगल रहा है कपड़े पसीने में भीग रहे है. नींद ही नहीं लग पा रही है तो मैं हिम्मत कर के बोला की मम्मी एक काम करो थोड़े कपड़े उतार लो रात में कौन देखता है आप चाहो तो मैं बेडरूम में सो जाता हूँ.
तो मम्मी बोली की हाँ बेटा यही ठीक रहेगा और तू भी यही कूलर में सोजा तुझसे कैसी शर्म बस ज़रा लाइट ऑफ कर दे. तब मैंने तुरंत लाइट ऑफ कर दी और टीवी देखने लगा. तो मम्मी उठी और उसने अपनी साड़ी खोल कर एक तरफ रख दी और सामने के बाथरूम में पेशाब करने लगी.
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मम्मी ने जानबूझ कर बाथरूम का गेट बंद नहीं किया. मैंने तिरछी निगाह डाली तो मम्मी की मोटी-2 गांड के दर्शन हो गए. मम्मी फ्रिज में से ठन्डे पानी की बोतल से पानी पी रही थी तो मैं बोला कि मम्मी एक काम करो बर्फ को एक पॉलीथिन में डाल लो और ठंडा-2 अपने बदन पर फिराओ तो ठंडक जल्दी लगेगी.
मम्मी ने मेरी बात मान कर बर्फ की पोटली बना ली और थोड़ा ठंडा पानी अपने बिस्तर पर भी डाल लिया और केवल पेटीकोट ब्लाउज में सोने लगी. मम्मी इतनी उम्र में भी इसके पहले इतनी मादक मुझे कभी नहीं लगी. मां एक हाथ से बर्फ की थैली को अपने बदन पर रगड़ रही थी. तो मैं बोला कि लाओ मम्मी मैं बर्फ लगा देता हूँ. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
ऐसा कह मैंने मम्मी के हाथों से वह आइस-बैग ले लिया और मैं मम्मी के पास बैठ गया. पेटीकोट तो पहले से ही घुटनो तक उठा हुआ था मैं आइस बैग को सर से घूमाते हुए मम्मी के गले और सीने तक ले आया. तो मम्मी बोली की हाँ अब आराम लग रहा है. तो मैंने कहा कि ऐसा करो अपना ब्लाउज थोड़ा खोल दो तो मैं अच्छे से लगा दूंगा.
मम्मी ने थोड़ा झेपते हुए ब्लाउज के सभी हुको को खोल दिया. अब मैं टीवी की लाइट में ऑंखें फाड़-2 मम्मी की चूचियों को देख रहा था. इस उम्र में भी मम्मी के स्तन इतने भरे हुए और कड़क थे की मुझे बड़ा आशर्य हुआ. मैं आइस बैग रगड़ते हुए मम्मी की कमर तक आ गया. और फिर मैंने मम्मी के पैरो पर आइस बैग घूमना शुरू कर दिया.
मम्मी के मुँह से हलकी सी मादक आवाज़ सुनाई देने लगी और उन्होंने अपनी ऑंखें बंद कर ली. मैंने भी मौका ताड़ मम्मी के पेटीकोट में हाथ डालना शुरू कर दिया और आइस बैग के साथ अपनी उंगलिया भी जांघो पर फिराते हुए मम्मी की जांघो के जोड़ पर ले गया, मम्मी की चूत पर हलके-2 बालो के रोये थे और वह भी बिलकुल मेरी बहन की चूत की तरह भट्टी बन तप रही थी.
मैंने अपनी उंगलियों को तेज़ी से घूमाते हुए आइस बैग को भी चूत पर रख दिया. तो मम्मी अपने पुरे बदन को कड़क कर हलकी सी बेड पर उचक गयी लेकिन अपनी ऑंखें नहीं खोली. मैंने मौके की नज़ाकत को भांप कर अपना एक हाथ मम्मी के स्तनों पर रख उनको जोर-2 से मुठ्ठी में भिचने लगा.
मम्मी के दोनों चूचक कड़क होकर फूल गए और अब मम्मी ने मुझे बेड पर गिराते हुए मेरी लुंगी खेच कर मेरा कड़कनाथ बाहर निकाल लिया और उसे मुँह में लेकर जोर-2 से चूसने लगी. जीजी को चोदने की प्रैक्टिस होने के कारण मैं दम मार गया नहीं तो जिस तरह मम्मी जोर आजमाइश कर रही थी मेरा तो दो मिनट्स में ही बोलो राम हो जाता.
मैंने भी मम्मी को अपने सीने पर खींच कर उसकी चूत यानि मेरा जन्मद्वार को खूब चूसा जिस छेद से मैं बाहर आया आज उसी में वापस घुसाने का सोच मैं रोमांचित हो रहा था. अब तो सारी मर्यादाये छोड़ मैं और मम्मी एक हो गए. मम्मी की चूत इतनी टाइट लग रही थी मानो बरसो से प्यासी हो.
मम्मी चुदवाते समय बड़ी अजीब सी गन्दी-2 बातें और गालिया बके जा रही थी. जिसे मैं भी अनसुना कर चुदाई का मजा ले रहा था. रात लगभग चार बजे हम सोये होंगे. सुबह करीब सात बजे जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा की मम्मी और मैं नंगधडंग नंगे पड़े थे कि चूत में से मेरे लंड का वीर्य बाहर बह रहा था.
मैं फिर से सो गया लगभग दस बजे मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे लंड को चूस रहा है तो मैं चौक कर जाग गया, देखा तो मम्मी घर की साफ सफाई करने के बाद नाश्ता रेडी करके मुझे फिर से चुदाई के लिए तैयार कर रही थी. मैंने कहा थोड़ा रिलैक्स कर ले फिर मैं फटाफट फ्रेश हुआ और नाश्ता करने के बाद वापस बेडरूम में गया.
तो देखा की मम्मी वहाँ पहले से ही जमी बैठी है और मेरा इंतज़ार कर रही थी. कहने लगी की जब जीजी का फ़ोन आया था कह रही थी कि तुझे सब बातें बता दी है इसलिए तुझसे कैसा पर्दा यदि उस समय तू हम दोनों की कामाग्नि मिटा देता तो हमें यु आवारा बाज़ारू औरतो की तरह इस तरह यहाँ वहाँ मुँह नहीं मारना पड़ता.
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इसके बाद तो पूरा संडे हम माँ बेटे एक दूसरे के पीछे हाथ धोकर पड़ गए. कभी मम्मी मुझे तैयार करती तो कभी मैं मम्मी को पकड़ता. यह सिलसिला जो चला तो केवल तभी थमता जब या तो पापा घर आते या मम्मी MC में होती इसके आलावा अब तो जीजा जी और जीजी भी लगभग हर 15-20 दिनों में घर आ ही जाते है और फिर हम चारो मिलकर जो मस्ती करते है वह और किसी के लिए तो बस कल्पना की ही बात है. मम्मी अब ज्यादा स्मार्ट, खुश और स्वस्थ रहने लगी है.
हमारे सम्बन्धो के पहले वह काफी उदास बीमार और चिड़चिड़ी सी रहा करती थी. मैंने भी सोचा की यह पापा के साथ-2 मेरी भी गलती है की हम लोग खुद तो बाजार में मुँह मारते फिरते है लेकिन यदि यही कामाग्नि हमारे घर की माँ बहनो के साथ लगी हो तो वह कहाँ जाकर उसे शांत करे यदि वह इधर-उधर मुँह मारे और बदनाम हो जाये तो उनके साथ-2 हमारी और हमारे घर परिवार की क्या शान रह जाएगी. इसलिए मेरे अनुभवानुसार हमें हमारी घर की इज़्ज़त बचाने के लिए घर-ही-घर में संबंध रखना गलत नहीं है.
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