Bihari Bur Chudai Kahani
मेरी शादी के बाद मेरी बीवी यानि मेरी जानू के प्यार में इतना खो गया कि एक साल तक तो मुझे लगा कि बिगड़े हुए इन्सान को सुधारना है तो उसकी शादी कर देना चाहिए ताकि वो बाहर के बिगड़े माहौल से दूर हो जाए। परन्तु साल गुजरते गुजरते मेरा यह भ्रम टूटने लगा कारण था, मेरी जवान होती साली मोना जो जवानी में कदम रख चुकी थी और मुझसे बेतकल्लुफ होकर खूब मजाक करती थी. Bihari Bur Chudai Kahani
मेरा दिल उसे पाने के लिए मचलने लगा परन्तु गांव के परिवेश में ऐसा मौका इत्तेफाक से ही मिल पाता है कि साली का कुछ मज़ा ले सकूँ! वो दिन पर दिन जवान और खूबसूरत होती जा रही थी पर मुझे कोई भी मौका नहीं मिल पाया कि उसकी चढ़ती जवानी और गदराते जिस्म का आनन्द ले सकूँ!
मोना भी बड़ी बिंदास थी, मेरे साथ खूब मजाक करती थी परन्तु बदकिस्मती से मेरे नैनों की भाषा को वो पढ़ न सकी, न ही समझ सकी और मैंने पहल इसलिए नहीं की, मैं नहीं चाहता था कि मेरे प्रणय निवेदन को वो ठुकरा दे और मैं अपनी नजरों में अपने को गिरा हुआ महसूस करूँ।
और मेरी शादी के ठीक तीन साल बाद उसकी भी शादी हो गई और वो विदा होकर चली गई जिसका सबसे ज्यादा सदमा शायद मुझे ही लगा होगा। फिर दिन आये, गए, गुजरते रहे, मैं अपने दिल को यह समझाते हुए तसल्ली देता रहा कि साली मोना और मेरी बीवी की कद काठी और रंग रूप लगभग सामान ही है, जो आनन्द मेरी बीवी से मिलता है, वही तो मोना से भी मिलता। क्या हुआ जो वो मेरे हाथ न लग सकी!
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कई बार मोना का ख्याल दिल में लेकर बीवी से सेक्स करता था, फिर धीरे धीरे सब सामान्य हो गया और मैं अपनी गृहस्थी और काम धंधे में रम गया। कभी मोना मिलती तो हंसी मजाक जरूर हो जाती पर अब मैं उसके प्रति ज्यादा संजीदा नहीं होता था, अब तक मेरी सलहज मधु से मेरी हंसी मजाक होती रहती, वो भी मस्त जवानी से भरपूर थी!
मेरी साली मोना शादी के बाद और भी निखर गई उसके वक्ष और नितम्ब भी मेरी बीवी के जैसे सुडौल हो गए एकदम भरे और उभरे और अब तक एक बेटी की माँ भी बन चुकी है! इसी साल होली के बाद वो अपने मायके आई थी तो एक दिन को मेरे घर पर भी आई।
उस दिन ऑफिस से जल्दी घर आ गया, बीवी और साली को बच्चों सहित बाजार घुमाने ले गया। रात में खूब मस्ती की हम सभी ने, क्योंकि सुबह 8 बजे की बस से उसे अपने ससुराल वापस जाना था। बस स्टैंड मेरे घर से बिल्कुल पास ही है इसलिए साले और सलहज ने भी मोना को मेरे घर रुकने पर कोई एतराज नहीं किया!
रात में मैं दो पैग लगा चुका था, हम सबने साथ में खाना खाया और मोना ने अपने कपड़े बदलकर मेरी बीवी की साड़ी पहन ली क्योंकि वो अपने कपड़े पैक कर चुकी थी। फिर मेरे डबल बेड पर एक ओर मेरी बीवी दूसरी ओर मेरी साली मोना सो गई, अपने अपने बच्चों को अन्दर की ओर सुला लिया।
मैंने नीचे गद्दा लगा कर अपना बिस्तर लगा लिया। दोनों बहनें बातें कर रही थीं, कब मेरी झपकी लग गई मुझे पता ही नहीं चला। करीब 1 बजे मेरी नींद खुली तो मेरे शरीर का जानवर कुलबुलाने लगा, मुझे मोना के जिस्म की चाहत सताने लगी। उम्मीद तो नहीं थी कि मोना इसके लिए कभी तैयार होगी.
पर शराब के नशे मैंने ठान लिया कि यदि कोई लफड़ा हुआ तो यह कहकर क्षमा मांग लूँगा कि यह साड़ी जो तुमने पहनी है, उसे देख कर मुझे लगा कि मेरी बीवी यानि तुम्हारी दीदी सो रही है इसलिए गुस्ताखी हो गई! हालांकि मेरी बीवी सोते समय कमरे की पूरी लाइट बंद कर देती है, उसे अँधेरे में सोने की आदत है जिसमें कुछ भी ठीक से दिखाई भी नहीं देता.
मैं हिम्मत जुटाकर करवट से सोई मोना के चादर में घुस, पीछे जाकर लेट गया फिर अपने हाथों को मोना के कंधे पर रख दिया। वो शायद गहरी नीद में थी, यह सोच कर मैंने उसकी बड़े बड़े स्तनों पर अपना हाथ रख दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी, मैं ब्लाउज़ के ऊपर से ही स्तनों को सहलाने लगा।
तभी उसने अपने हाथों से मेरे हाथ को पकड़ कर हटा दिया मेरे कलेजा धक से रह गया, सीने की धड़कन धाड़ धाड़ करके आवाज कर रही थी! मोना बार बार मेरे हरकत करतें हाथो को पकड़कर हटा रही थी, लगता था जैसे मेरा हार्ट फेल हो जायेगा! ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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मैंने कुछ देर बाद फिर से मोना के स्तनों पर हाथ रख दिया और अपने होंठ को उसकी गर्दन और पीठ पर छुआते हुए हौले हौले चूमने लगा। जब मोना की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ तो अपने एक पैर से मोना की पिंडलियों को सहलाते हुए उसकी साड़ी को धीरे धीरे ऊपर की ओर सरकाते हुए जांघों तक ले आया.
अब मोना की सांसों में एक हल्की सिसकारी सी निकल गई! मैं समझ गया कि मेरा तीर निशाने पर लग गया है, मैंने उसकी पीठ पर कई चुम्बन ले डाले, स्तनों को जोर से सहलाते हुए मसलने लगा. मेरा लंड अकड़कर खड़ा होकर मोना की गांड की दरार पर रगड़ देने लगा वो तो बहुत ही बेक़रार हो रहा था.
आज उसकी अरसे पहले की अधूरी इच्छा पूरी होने वाली थी वो तो बस मोना के छेद में घुस जाने को बेक़रार होकर झटके से दे रहा था! चादर के अन्दर ही मोना को चित्त लिटाकर उसके स्तनों को अपने होंठो में लेकर चूसते हुए दूसरे हाथ से उसकी योनि को पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा। मोना मुझसे बेल की तरह लिपट गई, उसकी योनि बिल्कुल गीली हो रही थी। अब मेरा रास्ता बिल्कुल साफ था, यानि मोना चुदने को तैयार हो चुकी थी!
मैंने उसके कान में कहा- नीचे आ जाओ!
फिर उसके चादर में से निकलकर टटोलते हुए अपने बिस्तर पर आ गया। जहाँ मेरा बिस्तर लगा था वहाँ और ज्यादा अँधेरा था। कुछ ही क्षणों में मोना एक साये की तरह आकर मेरे बिस्तर में आकर मेरी बाँहों में समा गई! मैंने उसके साड़ी अलग कर दी पेटीकोट ऊपर उठा दिया फिर पैंटी निकाल दी, ब्लाउज के हुक खोल दिए तो मोना के अमृत कलश बाहर आ गए!
मैं उसे पूर्ण नग्न नहीं करना चाहता था, क्या पता कब मेरी बीवी की नींद खुल जाये! फिर मैंने अपने लंड को उसके हाथों के हवाले करके 69 की पोजीशन ली और मोना की गीली चिकनी चूत को जीभ और अंगुली से सहलाते हुए मस्त करने लगा! वो मेरे लंड को सहलाते हुए चूम रही थी, उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी.
मैं नहीं चाहता था कि उसकी स्वर ध्वनियाँ और तेज होकर मेरी बीवी की नीद में खलल डाले! मैं सीधी पोजीशन में आकर टांगों को घुटनों से मोड़कर फैला दिया और अपने लौड़े को उसकी बुर का रास्ता दिखा दिया। अगले ही पल मेरा लंड मोना की बुर में था और एक हल्की सी उफ़ मोना के कंठ के बाहर वो मुझसे ऐसे लिपट गई जैसे वो भी कभी मेरे साथ ये सब करने को तरसती रही हो!
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थोड़ा सा विराम लेकर हम दोनों अपनी मंजिल की और बढ़ चले। मैं नहीं चाहता था कि वो कोई आवाज भी करे, इसलिए ज्यादा से ज्यादा उसके होंठों को अन्गुलियों से दबाकर रखा था! एक हाथ से उसके अमृत कलशों को मसलते हुए, उन्हें चूमते चाटते, अपने लंड को ज्यादा से ज्यादा उसकी चिकनी गीली चूत के अन्दर पेल रहा था!
वो अपनी गांड को उठाकर चुदाई में मेरी बीवी की तरह मेरा पूरा सहयोग कर रही थी, जल्द ही वो चरम पर पहुँच गई। जैसे ही वो स्खलित हुई मैंने उसका मुँह हाथ से दबाकर बंद कर लिया, तुरंत बाद ही मेरे लंड ने भी वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। पांच मिनट तक हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे के आगोश में पूरे समर्पण के साथ खो गए!
मैंने महसूस किया वाकई इसका जिस्म बिल्कुल मेरी बीवी की तरह ही है यानि मेरा अनुमान सही निकला! फिर हो भी क्यों न आखिर दोनों बहनें ही तो हैं! उसके बाद उसने अँधेरे में जैसे तैसे अपनी साड़ी लपेट ली और पलंग पर चली गई। मेरी दिली ख्वाइश थी कि उससे बात करूँ.
उसे बता दूँ कि मोना मैं तुम्हें तुम्हारी शादी के पहले से बहुत चाहता हूँ, तुम्हें हासिल करने की तमन्ना मेरे दिल में उसी समय से थी पर कभी पूरा करने का मौका नहीं मिला, तुम्हारी शादी के बाद तो मैं तुम्हें पाने की उम्मीद ही खो चुका था, पर आज तुम्हें पाकर मैं धन्य हो गया, कभी मौका मिले तो मुझे इसी तरह अपनी जवानी के जाम पिलाते रहना!
और भी बहुत सी बातें उससे करना चाहता था पर बीवी के उठने का खतरा मोल लेना नहीं चाहता था इसलिए मैंने उसे पलंग पर जाने दिया। यहाँ तक कि हम दोनों में से कोई भी अपने प्यार या दिल की बात नहीं बोल पाया! कैसा संयोग था कि इतना सब हुआ पर सभी कुछ संवादहीन, बस एक घटना की तरह जैसे हम दोनों अपना अपना किरदार निभा रहे हों! मुझे तो यह एक सुखद स्वप्न की तरह लग रहा था!
अगले दिन सात बजे मोना ने मेरे चेहरे पर पानी के छींटे डालकर जगा दिया और खिलखिलाते हुए हंसने लगी, बोली- जीजू उठो जल्दी… मुझे बस स्टेंड छोड़ने चलो!
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उसकी आँखों की चमक और खिला चेहरा देख मेरी नीद उड़ गई, इच्छा हुई कि एक बार फिर से मौका मिल जाये तो मजा आ जाये! फिर कोई मौका नहीं मिला, मैंने उससे कहा- पहुंचकर फोन करना! मेरी बीवी और मैंने उसे बस में बिठाकर उसकी ससुराल रवाना कर दिया!
सारा दिन मैं उसके फोन का इंतजार करता रहा। शाम को मेरी बीवी ने बताया- मोना का फोन आया था, वो अच्छे से पहुँच गई है! मैं सोचता रहा कि उसने मेरे को उसने फोन क्यों नहीं लगाया जबकि मेरा नंबर भी तो उसके पास है? फिर सोचा कि शायद उसको मौका नहीं मिला होगा !
मोना के फोन का इंतजार और उस की याद में दिल बहुत उदास हो रहा था, रात को मैंने दो की जगह चार पैग लगा लिए, अच्छा खासा नशा हो गया था! मेरी बीवी ने बड़े प्यार से मुझे खाना खिलाते हुए मजाक किया- लगता है, साली के जाने के गम में आज कुछ ज्यादा ही चढ़ा ली!
मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे करंट लगा दिया हो, कहीं कल रात को मेरी बीवी ने मुझे मोना के साथ वो सब करते हुए देख तो नहीं लिया? आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा, नशे की हालत में कुछ भी सोच नहीं पा रहा था! कमरे की लाइट बंद की जाकर पलंग पर लेट गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
सोचने लगा कि यदि मेरे को उसने मोना के साथ देखा होता तो अभी घर में इतनी शांति नहीं होती, न ही मैं चैन की साँस ले पा रहा होता! तभी मेरी बीवी रसोई का काम निपटाकर आ गई। मैंने दूसरी और करवट बदल ली तो मेरी बीवी ने मुझे पीछे से लेटकर जकड़ लिया और शरारत करते हुए मुझे बहकाने लगी।
मैंने कहा- सो जाओ यार! आज मूड नहीं है!
तो वो बोली- कल तो बड़े रोमांटिक हो रहे थे?
मैंने इशारे से मना भी किया था पर नहीं माने और बेशर्मी की सारी हदें पार करके मुझे बहका कर अपने मन की कर ही ली थी तभी सोने दिया था! सच कहू तो कल रात तुमने जिस शार्ट कट तरीके से किया बहुत मजा आया, फिर भी मुझे लग रहा था कहीं मोना न जाग जाये.
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नहीं तो सोचेगी दीदी और जीजू कितने बेशरम हैं ये लोग! एक दिन भी सबर नहीं कर सकते! एक क्षण में मेरा सारा नशा उतर गया, मुझे लगा जैसे मेरे हाथों के तोते ही उड़ गए हों, अब असलियत मेरे सामने थी यानि की रात को मोना नहीं, अपनी बीवी के साथ ही सम्भोग किया था! परन्तु आप सभी यकीन करो या न करो, मेरे जिस्म की वो उत्तेजना इतनी प्रबल थी बिल्कुल ऐसा लगा था जैसे पहली बार अपनी जानू के साथ सुहागरात में महसूस हुआ था।
चंद मिनटों का वो सम्भोग कितना सुखद और अविस्मरणीय था और यह तजुर्बा शायद जिन्दगी भर नहीं भूल पाउँगा! गनीमत यह रही कि रात में मैंने उसे मोना जानकर उससे कोई बात नहीं की नहीं तो मेरी तो बाट लग जाती! मैं बीवी से यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाया कि वो मोना की जगह और मोना उसकी जगह कैसे आ गए? यह बात राज ही रह गई! मुझे लगता है मोना की बच्ची को रात में बार बार पेशाब जाने की वजह से उन्होंने अपनी जगह बदल ली होगी! खैर जान बची तो लाखों पाए, लौट के बुद्धू घर को आये!