Mom Son Hot Story
मेरा नाम मिथुन चक्रवर्ती है. घर मे बस मैं और मेरी मॉम सीमा है. मॉम और डॅडी का बहुत पहले डाइवोर्स हो गया था. उसके बाद डॅडी से हमारा कोई संपर्क नही रहा है. डॅडी दुबई मे जा बसे है, वहाँ उन्होंने दूसरी शादी कर ली है. डाइवोर्स के बाद मैंने मॉम के साथ रहने का फ़ैसला किया था. तब मैं सिर्फ़ आठ साल का था. Mom Son Hot Story
दोनों मे बहुत झगड़ा होता था इसलिए एक तरह से जब मॉम अलग हुई तो मेरी जान मे जान आई. मैं मॉम से बहुत प्यार करता था, उसके बिना रहने की कल्पना भी नही कर सकता था. हमारा घर सिलीगुड़ी मे है. मॉम ने डाइवोर्स के बाद दिल्ली मे नौकरी पकड़. ली और मुझे पूना मे होस्टल मे रख दिया कि मेरी पढ़ाई मे खलल ना हो.
मैं काफ़ी रोया चिल्लाया पर मॉम के समझाने पर आख़िर मान गया. उसने मुझे बाँहों मे भर कर प्यार से समझाया कि उसे अब नौकरी करना पड़ेगी और एक होस्टल मे रहना होगा. इसलिए यही बेहतर था कि मैं होस्टल मे रहूं. तब हमारा खुद का घर भी नही था और मॉम मुझे नानाजी के यहाँ नही रखना चाहती थी. बड़ी स्वाभिमानी है.
पिछले साल मॉम ने नौकरी बदल कर यहाँ मुंबई मे नौकरी कर ली. यहाँ उसे अच्छी काफ़ी सैलरि वाली नौकरी मिल गयी. घर भी किराए पर ले लिया. मेरा भी एच.एस.सी पूरा हो गया था इसलिए मॉम ने मुझे फिर यहाँ अपने पास बुला लिया की आगे की पढाई यही करूँ.
अब तक मैं साल मे सिर्फ़ दो तीन बार मॉम से मिलता था, गरमी और दीवाली की छुट्टी मे.वह सारा समय मज़ा करने मे जाता था. मॉम भी नौकरी करती थी इसलिए साथ मे रहना कम ही होता था, बस रविवार को. पिछले एक दो सालों से, ख़ास कर जब से मैंने किशोरावस्था मे कदमा रखा, धीरे धीरे मॉम के प्रति मेरा नज़रिया बदलने लगा था.
अब मैं उसे एक नारी के रूप मे भी देखने लगा था. होस्टल मे रहकर लड़के बदमाश हो ही जाते हैं. तरह तरह की कहानियाँ पढ़ते है और पिक्चर देखते है. मेरे साथ भी यही हुआ. उन कहानियों मे कई मॉम बेटे के कहानियाँ होती थीं. बड़ा आ मज़ा आता था मैं ज़्यादातर हमारी वासना डॉट नेट पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ता था.
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पर कभी कभी जब मैं मॉम और मेरी उन कहानियों जैसी स्थिति मे होने की कल्पना करता था तो पहले तो सब अटपटा लगता था. मॉम आख़िर मॉम थी, मुझे प्यार करने वाली, मुझपर ममता की वर्षात करने वाली. बहुत अपराधिपन भी महसूस होता था पर मन को कौन पिंजरे मे डाल पाया है.
जब मैं एच.एस.सी के बाद घर रहने वापस आया तो मॉम के साथ हरदम रहकर उसके प्रति मेरा आकर्षण चरमा सीमा पर पहुँच गया. मॉम अब करीब सैंतीस साल की है. मॉम का चेहरा बहुत सुंदर है, कम से कम मेरे लिए तो वा सबसे बड़ी ब्यूटी क्वीन है. शरीर थोड़ा मांसल और मोटा है, जैसा अक्सर इस उमर मे स्त्रियों का होता है, पर फिगर अब भी अच्छा है.
मॉम रहती एकदमा टिप टाप है. आख़िर एक बड़ी मलतिनेशनल मे आफिसर है. पहले वह ड्रेस और पैंट सूट भी पहनती थी, आजकल हमेशा साड़ी पहनती है. कहती है कि अब इस उमर मे और कुछ अच्छा नही लगता. पर साड़ियाँ एकदमा अच्छी चाइस की होती हैं. चेहरे पर सादा पर मोहक मेकअप करती है ज़रा सी गुलाबी लिपस्टिक भी लगा लेती है जिससे उसके रसीले होंठ गुलाब की कलियों से मोहक लगने लगते है.
जब मैं वापस मॉम के साथ रहने आया तब अक्सर दिन भर अकेला रहता था. उसे इतना काम रहता था कि वह अक्सर रात को देर से आती थी. शनिवार को भी जाना पड़ता था. बस रविवार हम साथ बिताते थे. तब मुझसे खूब गप्पे लगाती, मेरे लिए ख़ास चीज़े बनाती और शामा को मेरे साथ घूमने जाती.
पर अब मैं उससे बात करने मे थोड़ा झिझकने लगा था. मेरी नज़र बार बार उसके मांसल शरीर पर जाती. घर मे वह गाउन पहनती थी और इसलिए तब उसके स्तनों का उभार उस ढीले गाउन मे छिप जाता. पर जब्वह साड़ी पहने होती और उसका पल्लू कभी गिरता तो मेरी नज़र उसके वक्षास्थल के मुलायम उभार पर जाती.
उसके ब्लओज़ थोड़ा लो कट है इसलिए स्तनों के बीच की खाई हमेशा दिखती थी. अगर वह झुकती तो मेरे सारे प्राण मेरी आँखों मे सिमट आते, उसके उरजों के बीच की वह गहरी वैली देखने को. वह अगर स्लीवलेस ब्लाउज पहनती तो उसकी गोरी गोरी बाँहे मुझे मंत्रमुग्धा कर देतीं. मॉम की कांखे बिलकुल चिकनी थीं, वह उन्हे नियमित शेव करती थी.
स्लीवलेस ब्लाउज पहनने के लिए यहा ज़रूरी था. पीछे से साड़ी और ब्लाउज के बीच दिखती उसकी गोरी कमर देखकर मैं दीवाना सा हो जाता. थोड़ा मुटापे के कारण उसकी कमर मे अक्सर हल्के टायर से बन जाते. और मॉम की दमकती चिकनी गोरी पीठ, उसपर से मेरी नज़र नही हटती थी!
उसके लो कट के ब्लओज़ मे से उसकी करीब करीब पूरी पीठ दिखती. मॉम की त्वचा बहुत अच्छी है, एकदम कोमल और निखरी हुई. और उसके नितंबों का तो क्या कहना. पहले से ही उसके कूल्हे चौड़े हैं. मुझे याद है कि बहुत पहले जब उसका बदन छरहरा था, तब भी उसके कूल्हे ज़्यादा चौड़े दिखते थे.
वह उसपर कई बार झल्लाति भी, क्योंकि उसे लगता कि वह बेडौल लगती है. पर उसे कौन बताए की उन चौड़े कुल्हों के कारण मेरी नज़रों मे वह कितनी सुंदर दिखती थी. ख़ासकर जब वह चलती तो उसे पीछे से देखने को मैं आतुर रहता था. मोटे मोटे तरबूजों जैसे नितंब और बड़े स्वाभाविक तरीके से लहराते हुए; मुझे लगता था कि वही मॉम के पीछे बैठ जाउ और अपना चेहरा उनके बीच छुपा दूँ.
और मॉम के पाँव. एकदम गोरे और नाज़ुक पाँव थे उसके. मोतिया रंग का नेल पेंट लगी वो पतली नाज़ुक उंगलियाँ और चिकनी मासल एडी. वह चप्पले और सैंडल भी बड़ी फैशनेबल पहनती थी जिससे वो और सुंदर लगते थे. इसलिए मॉम के पैर छूने मे मुझे बहुत मज़ा आता था. और ख़ासकर पिछले एक साल से जब मैं होस्टल से आता या वापस जाता, ज़रूर झुककर दोनों हाथों से उसके पैर छूटा, अच्छे से और देर तक; उसे वह अच्छा नही लगता था.
“क्यों पैर छूता है रे मेरे, मैं क्या तेरे नानी हू. बंद कर दे.” वह अक्सर झल्लाति पर मैं बाज नही आता था. मन मे कहता.
“मॅमी, तू नाराज़ ना हो तो मैं तो तेरे पाँव चुम लूँ.” एस डी बर्मन का एक गाना मुझे याद आता, मॉम के चरणामृत के बारे मे “… ये चरण तेरे माँ, देवता प्याला लिए, तरसे खड़े माँ!” उस गाने मे मॉम के प्रति भक्ति है पर मेरे मन मे यहा गाना मीठे नाजायज़ ख़याल उभार देता.
कम से कम यह अच्छा था कि अब मॉम मुझे प्यार से अपनी बाँहों मे नही भरती थी जैसा वह बचपन मे करती थी. मैं बड़ा हो गया था. यहा अच्छा ही था क्योंकि अब मॉम को देखकर मैं उत्तेजित होने लगा था. जब वह घर का काम करती और उसका ध्यान मेरी ओर नही होता तब मैं उसे मन भर कर घुरता.
मेरा लंड तन्नाकार खड़ा हो जाता था. कभी उसके सुंदर चेहरे और रसीले होंठों को देखता, कभी उसके नितंबों को और कभी उसकी पीठ और कमर पर नज़र गढ़ाए रहता. उसके सामने किसी तरह से मैं कंट्रोल कर लेता था पर मौका मिले तो ठीक से घूर कर मैं उसकी मादक सुंदरता का मन ही मन पान करते हुए अपने लंड पर हाथ रखकर सहलाने लगता.
कभी मॉम सोफे पर बैठकर सामने की सेती पर पैर रख कर टीवी देखती या कुछ पढ़ती तो मेरा मन झुम उठता क्योंकि अक्सर उसका गाउन सरककर उपर हो जाता और उसके गोरे पैर और मांसल चिकनी पिंडलियाँ दिखाने लगती. मैं भी वही एक किताब लेकर बैठ जाता और उसके पीछे से उन्हे देखता रहता और एक हाथ से अपना लंड सहलाता.
अक्सर मॉम पैर पर पैर रखकर एक पैर हिलाती, तो उसकी उंगलियों से लटकी चप्पल हिलने लगती. यहा देखकर तो मैं और मदहोश हो जाता. पहले ही मैं उसके पैरों और चप्पलों का दीवाना था, फिर वह पैर से लटककर नाचती रबर की मुलायम चप्पल देखकर मुझे लगता था कि अभी उसे हाथ मे ले लूँ और चुम लूँ, चबा चबा कर खा जाउ.
एक बार मॉम ने मुझे अपने पैर की ओर घुरते हुए देख लिया था, तुरंत पैर हिलाना बंद करके देखने लगी कि कुछ लगा है क्या, मैंने बात बना दी कि मॉम शायद एक कीड़ा चढ़ा था, उसे देख रहा था. मॉम को पसीना भी ज़्यादा आता था. उसके ब्लओज़ की कांख भीगी रहती थी. वह नज़ारा भी मुझे बहुत उत्तेजित करता था.
कई बार मैंने कोशिश की की कपड़े बदलते समय उसे देखु. पर वह हमेशा अपने बेडरूम मे दरवाजा लगाकर ही कपड़े बदलती. सोचती होगी क़ी अब बेटा बड़ा हो गया है. मैं घर के काम करने मे उसकी खूब मदद करता, जो वह कहती तुरंत भाग कर करता. वह भी मुझ पर खुश थी. मैं परेशान था, आख़िर क्या करूँ, कुछ समझ नही पा रहा था.
बीच बीच मे लगता कि मॉम के बारे मे ऐसा सोचना पाप है पर उसके मादक आकर्षण के आगे मैं विवश हो गया था. मैं अक्सर यहा भी सोचता की मॉम जैसी सुंदर नारी आख़िर अकेले कैसे रहती है, क्या उसे कभी सेक्स की चाहत नही होती? क्या उसका कोई अफेयर है? लगता तो नही था क्योंकि बेचारी आफ़िस से आती तो थॅकी हुई.
उसे समय ही कहाँ था कुछ करने के लिए. और घर मे भी अब वह अकेली नही थी, मैं जो था. रात को और दिन मे भी अकेले मे (कालेज खुलने मे अभी समय था, एडमिशन भी नही हुए थे) उसके रूप को आँखों के सामने को लाकर मैं हस्तमैथुन करता, कल्पना करता की मॉम नग्नावस्था मे कैसी लगेगी.
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मन ही मन अपनी फ़ैंतसी मे उससे तरह तरह की रति करता. मॉम को मैं अच्छा लगता हम और वह बड़े अधिकार से मुझसे मन चाहे संभोग करा रही है, यहा मेरी पेट फ़ैंतसी थी. अब हौसला करके मैंने उसके अंतर्वस्त्रा चुराने शुरू कर दिए थे. उसकी ब्रा और पैंटी मैं चुपचाप उठा लाता और अकेले मे घर मे उनमे लंड लपेट कर मुत्ता मारता.
मॉम के पास बड़ा अच्छा कलेक्शन था. उनमे से एक लेस वाली सफेद ब्रा और एक नायलाँ की काली ब्रा मेरी ख़ास पसंद की थीं. उन्हे सूँघते हुए मुझे ऐसा लगता जैसे मई मॉम के आगोश मे उसकी छाती मे सिर छुपाए पद.आ हुआ हम. लंड पर उनका मुलायामा स्पर्श मुझे दीवाना कर देता.
एक दो बार मैं पकड़ा जाता पर बच गया. अक्सर मुत्ता मारने से मेरा वीर्या उनमे लग जाता. तब मैं धो कर दिन मे उन्हे सूखा कर वापस रख देता. एक दिन सुबह मॉम परेशान लगी. मैंने पूछा तो बोली कि उसकी काली ब्रा नही मिल रही है. वह काली साड़ी पहन कर आफ़िस जाना चाहती थी.
आख़िर झल्ला कर दूसरी साड़ी पहन कर चली गयी. ब्रा मिलती कैसे, रात को मुत्ता मार कर मैंने उस ब्रेसियार को अपने कमरे मे छुपा दिया था. मुझे क्या मालूमा कि आज वह उसे ही पहनेगी! मॉम के जाने के बाद उसे धोकर सुखाकर मैंने मॉम की अलमारी मे सेडियीओ के बीच छुपा दिया. बाल बाल बचा क्योंकि रात को वापस आकर मॉम ने सारी अलमारी ढूँढना शुरू कर दी. जब ब्रा मिली तो वह निश्चिंत हुई. बोली
“मिथुन, मैंने भी देखो कहाँ रख दी थी, इसीलिए नही मिल रही थी, मुझे लगा था कि गुम तो नही गयी या बाहर गैलरी से सुखाते समय गिर तो नही गयी.”
उसके बाद मैंने उसकी अलमारी से ब्रा चुराना बंद कर दिया. मॉम के जाने के बाद धोने को डाली उसकी ब्रा और पैंटी से काम चलाने लगा. यहा और भी मतवाला काम था. उनमे मॉम के शरीर की और उसके पसीने की भीनी खुशबू छुपी होती. उसकी पैंटी के क्रेच मे से मॉम की चूत की मतवाली महक आती. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब तो मैं मस्त होकर उन्हे मुँहा मे भर लेता और कस कर मूठ मारता. फिर कामवाली बाई आने के पहले उन्हे धोने को रख देता. मेरी दोपहर तो रंगीन हो गयी पर रात को परेशानी होनी लगी. रात की परेशानी दूर करने के लिए मैंने मॉम की चप्पलो का सहारा लेना शुरू कर दिया. जैसा मैंने बताया, मॉम के पैर बड़े खूबसूरत हैं.
उसके पास सात आठ जोड़ी चप्पले और सैंडल भी हैं, अधिकतर हाई हिल की. रात को मैं मॉम के सो जाने के बाद बाहर के शू-रैक से चुपचाप एक जोड़ी उठा लाता. फिर उन्हे लंड से सहलाता, चूमता, चाटता और मूठ मारता. अगर विर्य सैंडल पर छलक जाता तो ठीक से पोंछ कर वापस रख देता.
वैसे सबसे अच्छी मुझे मॉम की रबर की बाथरुम स्लीपर लगती थी. नाज़ुक सी गुलाबी वा चप्पल जब मॉम के पैरों मे देखता और चलते समय होने वाली सपाक सपाक की आवाज़ सुनता जो मॉम के तलवं से चप्पल के टकराने से होती थी तो मैं अपना संयम खोने लगता था.
दोपहर को वह चप्पल मैं ले आता था पर रात को मॉम उसे पहने होती और सोने के बाद उसके बेडरूम से उन्हे उठाने का मेरा साहस नही था. इसी चक्कर मे एक दिन आख़िर मैं पकड़.आ गया. एक हिसाब से अच्छा ही हुआ क्योंकि उस घटना ने आख़िर मॉम और मेरे बीच की सारी दीवारे हटा दी.
उस शनिवार रात को मॉम देरी से आई. थॅकी हुई थी इसलिए खाना खाकर तुरंत सो गयी. गर्मी के कारण उसके कपड़े गीले हो गये थे इसलिए उसने सारे कपड़े बदलकर बाथरुम मे डाल दिए. मेरी चाँदी हो गयी. मॉम के सोने के बाद मैं उसका ब्लओज़, ब्रा और पैंटी उठा लाया. सारे पसीने से तर थे.
साथ ही उसने उस दिन पहने हुए हाई हिल के सैंडल भी ले लिए. मॉम गहरी नींद मे सोई थी इसलिए चुपचाप उसके बेडरूम से उसके स्लीपर भी उठा लाया. आज तो मानों मुझे खजाना मिल गया था. उस रात मैंने इतनी मूठ मारी जितनी कभी नही मारी होगी. मॉम के कपड़े सूँघे, उन्हे मुँह मे लेकर चूसा कि मॉम के शरीर का कुछ तो रस मिल जाए.
सैंडल छाती से पकड़े, उन्हे मुँह से लगाया और चूमा, लंड को स्लीपरों के मुलायम स्ट्राइप्स मे फंसाया, चप्पलों के नरम नरम तलवे पर रगड़ा और शुरू हो गया. तीन चार बार झाड़. कर मुझे शांति मिली. पहले मेरा यहा प्लान था कि तुरंत मैं उठाकर सब चीज़े चुपचाप जगहा पर रख दूँगा. पर दो तीन घंटे के घमासान हस्तमैथुन के बाद उस तृप्ति की भावना के जादू ने मेरी आँखे लगा दीं.
ऐसा गहरा सोया कि सुबहा देर से आँख खुली. हड़बड़ा कर उठा तो देखा पास के टेबल पर चाय रखी है. याने मॉम मेरे कमरे मे आई थी! मैं मूरख जैसा रात को दरवाजा भी ठीक से लगा कर नही सोया था. और मेरे बिस्तर पर मॉम के कपड़े और सैंडल पड़े थे. स्लीपर गायब थी.
पाजामे मे से लंड भी निकल कर खड़ा था, जैसा सुबहा को होता है. मॉम ने ज़रूर देख लिया होगा! अपनी स्लीपर भी उसने पहन ली होगी पर उसे कितना अटपटा लगा होगा कि उसका बेटा उसके कपड़ो और चप्पलों के साथ क्या कर रहा था! मुझे समझ मे नही आ रहा था कि कैसे मॉम को मुँह दिखाउ. आख़िर किसी तरह कमरे के बाहर आया.
मॉम किचन मे थी. बिना कुछ कहे उसने मुझे फिर चाय बना दी. उसका चेहरा गंभीर था. मैं किसी तरह चाय पीकर भागा. नहाया और फिर कमरे मे एक किताब पढ़ने बैठ गया. मॉम दिन भर कुछ नही बोली, दोपहर को बाहर निकल गयी. उसे ज़रूर बुरा लगा होगा. आख़िर मैं भी क्या कहता!
रात को खाने के बाद मॉम ने आख़िर मुझे पूछा “ये क्या कर रहा था तू मेरे कपड़ो और चप्पलों के साथ?”
मैं चुप रहा, सिर्फ़ सिर झुका कर सॉरी बोला. मॉम ने और कठोर स्वर मे पूछा. “ये तू हमेशा करता है लगता है! और उस दिन मेरी काली ब्रा नही मिल रही थी. तूने ही ली थी ना? और चंदा बाई भी कपड़े ठीक से नही धोती, मुझे अपनी ब्रा और पैंटी मे एक दो बार कुछ दाग से मिले थे. तूने लगाए क्या ये गंदी हरकते करते हुए?”
मैं चुप रहा. मॉम अब मुझे डाँटने लगी. काफ़ी गुस्से मे थी. बोली कि उसे उम्मीद नही थी कि मैं ऐसा करूँगा. ऐसी गंदी आदते मुझे कहाँ से लगीं? और वह भी अपनी मॉम के कपड़ो और चप्पलों के साथ? अंत मे गुस्से मे आकर उसने मुझे एक तमाचा भी रसीद कर दिया और फिर मुझे झिंझोड़ कर बोली “बोल, ऐसा क्यों किया?”
मॉम ने अब तक कभी मुझे पीटा नही था. मैं रुआंसा होकर आख़िर बोला “सॉरी मॉम, अब नही करूँगा, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो इसलिए ऐसा किया” वह एक क्षण स्तब्ध रहा गयी. कुछ बोलना चाहती थी पर फिर चुप ही रही और अपने कमरे मे चली गयी.
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उसके बाद के तीन चार दिन बड़े बुरे गुज़रे. मॉम ने मुझसे बात करना ही छोड़. दिया था. ऑफीस से और देर से आती थी और जल्दी सुबह घर से निकल जाती थी. बेडरूम और अलमारी मे ताला लगा देती थी. कपड़े भी धोने को नही डालती थी बल्कि आकर खुद धोती. मेरा भी लंड खड़ा होना बंद हो गया, सारा हस्तमैथुन बंद हो गया.
मैने एक दो बार और मॉम को सॉरी कहा पर उसने जवाब नही दिया. हाँ उसका कड़ा रूख़ फिर थोड़ा नरम हो गया. अगले शनिवार को मॉम की छुट्टी थी. शुक्रवार को वह जल्दी घर आ गयी. मेरी पसंद का खाना बनाया. मुझसे ठीक से कुछ बाते भी कीं. मैंने चैन की साँस की ली और कान को हाथ लगाया कि अब ऐसा कुछ नही करूँगा.
असल मे मैं मॉम को बहुत प्यार करता था, एक नारी की तरह ही नही, एक बेटे के तरह भी और उसे खोना नही चाहता था. रात को मैं अपने कमरे मे पढ़. रहा था तब मॉम अंदर आई. उसने गाउन पहन रखा था. सारा मेकअप वग़ैरहा धो डाला था. चेहरा गंभीर था, एक टेंशन सा था उसके चेहरे पर जैसे कुछ फ़ैसला करना चाहती हो. आकर मेरे पास पलंग पर बैठ गयी. मैं थोड़ा घबरा गया, ना जाने क्या बाते करे, फिर डाँटने लगे.
“मिथुन, तू बड़ा हो गया है, तेरी कोई गर्ल फ़्रेंड नही है?” उसने मेरे बालों मे हाथ चलाकर पूछा.
“नही माम, मुझे कोई लड़की अच्छी नही लगती आज कल” मैंने कहा.
“तो फिर क्या अच्छा लगता है?” उसने पूछा. ना जाने कैसे मेरे मुँह से निकल गया.
“तुम बहुत अच्छी लगती हो ममी, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हू” कहने के बाद फिर मैंने अपने आप को कोस डाला कि ऐसा क्यों कहा. मॉम फिर नाराज़ हो गयी तो सब गड़बड़ हो जाएगा.
“अरे पर मैं तेरी मॉं हू. तू भी मुझे अच्छा लगता है पर एक बेटे की तरह. मॉम के बारे मे ऐसा नही सोचते बेटे जैसा तू सोचता है” मॉम ने मेरे चेहरे पर नज़र गढ़ाकर कहा. आज बात कुछ और थी. मॉम शायद मुझसे सब कुछ डिस्कस करना चाहती थी. मैंने साहस करके कहा डाला.
“मैं क्या करूँ माँ, तुम बहुत सुंदर हो, मुझसे रहा नही जाता.”
“अरे तूने ही कहा तेरी गर्ल फ़्रेंड नही हैं, तूने और किसी को देखा ही नही है. और मान भी ले कि मैं तुझे अच्छी लगती हू तो यहा तेरा वहम है. आख़िर मेरी उमर हो चली है, मोटी भी हो गयी हम. तेरे जैसे जवान लड़के को तो कमसिन युवतियाँ भानी चाहिए, मुझा जैसी अधेड़ औरते नहीं” मॉम ने गंभीर स्वर मे कहा.
“नही माँ, मुझे उनमे कोई दिलचस्पी नही है. तुम नही जानती तुम कितनी खूबसूरत हो. पर मैं तेरा दिल नही दुखाना चाहता ममी, अब मैं कोई गंदी बात नही करूँगा, ठीक से रहूँगा.” मैं अपनी बात पर अड़ा रहा. मॉम झल्ला कर उठ कर खड़ी हो गयी. उसने एक निश्चय कर लिया था शायद.
“कैसा मूर्ख लड़का है, समझता ही नही मैं क्या कहा रही हू. तू नादान है, आज तुझे समझाना ही पड़ेगा. इस बात का निपटारा मैं आज ही करना चाहती हू कि तू कम से कम अपना यहा पागलपन तो बंद करे. तू फिर शुरू हो जाएगा मैं जानती हू, ऐसी चीज़ों की आदत जल्दी नही जाती. तू बस मेरा चेहरा देखता है और वो तुझे अच्छा लगता है. माना की मेरी सूरत अच्छी है पर शरीर तो बेडौल हो गया है. चल आज तुझे दिखाती हू, फिर शायद तेरा यहा वहम दूर हो जाए.”
उसने दरवाजा बंद किया और अपना गाउन उतारने लगी. मैं हक्का बक्का देखता ही रहा गया. मॉम ने मेरे चेहरे से नज़र हटाकर दूसरी ओर देखते हुए गाउन उतार दिया और बोली “देख, कैसी मोटी और बेढब हू. अब बोल कि तुझे अच्छी लगती हू” उसके चेहरे पर एक कठोरता सी आ गयी थी.
मॉम अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे मेरे सामने थी. आज उसने अपने अच्छे मादक अंतर्वस्त्रा नहीं, एक पुरानी काटन की ब्रा और बड़ी सी पुरानी सफेद पैंटी पहन रखी थी. शायद यहा सोच रही थी कि अगर मैं सादे पुराने अंतर्वस्त्रों मे लिपटे उसके मध्यमवाइन शरीर को देखूँगा तो मेरी चाहत अपने आप ठंडी हो जाएगी.
ऐसा करने मे उसे कितनी मनोवयता हुई होगी, मैं कल्पना कर सकता था. आख़िर कौन औरत खुद ही किसी से अपने आप को बेढब कहलवाने की ज़िद करेगी. पर हुआ उल्टा ही. मॉम का अर्धनगञा शरीर मेरे मन मे ऐसी मतवाली हलचल पैदा कर गया कि इतने दिनों बाद मेरा लंड फिर सिर उठाने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मॉम नही जानती थी कि मैं अच्छी तरह से इस बात से वाकिफ़ था कि मॉम का शरीर मांसल और भरा हुआ है. वह यह भी नही जानती थी कि उसका भरा पूरा मोटा सा शरीर उसका आकर्षण मेरे लिए और बढ़ा देता था. मैं मन भर कर मॉम के अर्धनगञा रुप को देखने लगा. उसकी जांघे अच्छी मोटी थी पर एकदमा चिकनी और गोरी.
पैंटी बड़ी होने से और कुछ नही दिख रहा था पर चौड़े कूल्हे और भारी भरकम नितंबों का आकार उसमे से दिख रहा था. पेट भी थोड़ा थुलथुल था पर उस गोरी चिकनी त्वचा और कमर मे पड़ते मासल बलों से वह बाला की मादक लग रही थी. गोरे गोरे फूले हुए पेट मे गहरी नाभि उसके इस रूप को और मतवाला कर रही थी.
पुरानी ढीली ढाली ब्रा मे उसके स्तन थोडे लटक आए थे पर उन माँस के मुलायामा गोलों को देखकर ऐसा लगता था कि अभी इन्हे चबा कर खा जाउ. लंबी गोरी बाँहे तो मैं कई बार देख चुका था पर इस अर्धनगञा अवस्था मे भी और सुंदर लग रही थीं. चिकने भरे हुए कंधे जिनपर ब्रा के स्ट्रैप लगे हुए थे! क्या नज़ारा था. मॉम मूडी तो सिर्फ़ ब्रा के स्ट्रैप से धकि उसकी गोरी चिकनी पीठ भी मुझे दिखी. मॉम बाजू मे नज़र करके एक बार पूरी घुमा कर मुझसे बोली.
“देख लिया अपनी अधेड़. मॉम को? अब तो तसल्ली हुई कि मुझमे ऐसा कुछ नही है जो तुझे भाए. देख मैं कितनी मोटी हो गयी हू, नीचे का भाग देख, बिलकुल कितना चौड़ा और मोटा हो गया है” मैं कुछ ना बोला, बस उसे देखता रहा. मेरी चुप्पी पर झल्ला कर वह बोली.
“अरे चुप क्यों है, कुछ बोल ना? वैसे इतना पटर पटर बोल रहा था, अब साँप सूंघ गया क्या” कहकर उसने मेरी ओर देखा तो देखती रह गयी. मेरा लंड अब तन कर खड़ा था और इतना तना था कि पाजामे के ढीले बटन खोल कर बाहर आ गया था. उसकी नज़र लंड पर पड़ी और वह आश्चर्या से उसकी ओर देखने लगी.
धीरे धीरे उसके चेहरे की कठोरता कम हुई और एक अजीब ममता और चाहत उसकी आँखों मे झलकने लगी. उसने मेरे चेहरे की ओर देखा. उसमे उसे ज़रूर तीव्र चाहत और प्यार दिखा होगा. “लगता है कि सच मे मैं तुझे अच्छी लगती हू! मुझे लगा था कि …” अपनी बात पूरी ना कर के मॉम आकर मेरे पास बैठ गयी.
उसकी आँखे मेरे लंड पर से हट ही नही रही थी. मैं भले ही यहा खुद कह रहा हू पर मेरा लंड काफ़ी सुंदर है, गोरा और कसा हुआ, भले ही बहुत बड़ा ना हो, फिर भी करीब करीब साढ़े पाँच- छः इंच का तो है ही. मॉम ने अचानक झुक कर मेरा गाल चूमा लिया. उसका चेहरा अब गुलाबी हो गया था, खिल कर उसकी सुंदरता मे और चार चाँद लगा रहा था.
मेरे कुछ ना कहने पर भी उसने भाँप लिया था कि वह मुझे कितनी अच्छा लगती थी. और एक औरत के लिए इससे बड़े कामपलिमेंट और क्या हो सकता है, ख़ास कर जब वह खुद अपनी सुंदरता के प्रति आश्वस्त ना हो. मेरा लंड अब ऐसा थारतरा रहा था जैसे फट जाएगा. इतनी खुमारी मैंने जिंदगी मे कभी महसूस नही की थी.
“कितना प्यारा है! तू सच मे बड़ा हो गया है बेटे” मॉम मेरे पास सरककर बोली. फिर उसने अपना हाथ बढ़ाया और हिचकते हुए मेरा लंड मुठ्ठी मे पकड़. लिया. वह ऐसे डर रही थी जैसे काट खाएगा.
“कितना सूज गया है! तुझे तकलीफ़ होती है क्या?” उसकी हथेली के मुलायम स्पर्श से मैं ऐसा बहका कि अचानक एक सिसकी के साथ मैं स्खलित हो गया. वीर्य की फुहारे लंड मे से निकलने लगीं. मॉम पहले चौंक गयी और अपना हाथ हटा लिया पर मैंने तड़प कर उससे लिपटाते हुए कहा.
“पकडो ना मम्मी, मत छोड़ो” उसने फिर मेरे लंड को पकड़. लिया और तब तक पकड़े रही जब तक पूरा झाड़. कर वह मुरझा नही गया. मॉम ने फिर मुझे गाल पर चूमा.
“बिलकुल पागला है तू मिथुन, मुझे क्या मालूमा था कि मैं तुझे इस कदर अच्छी लगती हू. देख सब पाजामा गीला हो गया है, चादर भी खराब हो गयी है. चल उठ और निकाल दे. चादर भी डाल दे धोने को. मैं अभी आई. तेरी इस हालत का कोई इलाज करना पड़ेगा मुझे ही”.
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मुझे एक बार और चूमा कर वह वैसे ही गाउन लेकर कमरे से बाहर चली गयी. मैंने पाजामा निकाला और तावेल बाँध कर चादर बदल दी. मेरा दिल खुशी से धड़क रहा था कि कम से कम अब वह मुझसे नाराज़ तो नही थी, यह मेरे लिए बहुत था. पर मैं सोच रहा था कि आगे क्या होगा, मॉम अब क्या करेगी.
इसका जवाब दस मिनिट बाद मिला जब मॉम फिर मेरे कमरे मे आई. उसकी काया पलट गयी थी. वह काला स्लीवलेस ब्लाउज और काली शिफान की साड़ी पहने हुए थी. मेकअप भी कर लिया था. बालों का जुड़ा बाँध लिया था जैसे वह बाहर जाते समय करती थी.
अंदर की ब्रा बदल ली थी क्योंकि पतले ब्लाउज मे से उसकी वही काली मेरी मनपसंद ब्रा अंदर दिख रही थी. मॉम इतनी सुंदर दिख रही थी जैसे औरत नही साक्षात अप्सरा हो. मैंने चकराकर पूछा. “ये क्या मॉम, कही जाना है” मॉम मुझे बाहों मे लेते हुए बोली-
“हाँ बेटे, मेरे कमरे मे जाना है, चल आज से तू वही सोएगा.” मैंने मॉम की आँखों मे देखा, उसमे अब प्यार, दुलार और एक चाहत की मिली जुली असिम भावना थी. इतने पास से मॉम के रसीले लिपस्टिक से रंगे होंठ देखकर अब मुझसे नही रहा गया. धीरे से मैंने उसके होंठ चुम लिए. मॉम ने मुझे आलिंगन मे लेकर मेरा गहरा चुंबन लिया. उनके फूल जैसे कोमल स्पर्श से और उसके मुँह की मिठास से मैं सिहर उठा.
अपना चुंबन तोड़. कर मॉम ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने कमरे मे ले गयी. उसने टेबल लैंप जलाया और उपर की बत्ती बुझा दी. वापस आकर दरवाजा बंद किया और फिर चुपचाप मेरे कपड़े उतारने लगी. मेरा कुरता और बनियान उतारकर उसने मेरा तावेल भी निकाल दिया. नीचे मैंने कुछ नही पहना था इसलिए मैं थोड़ा शरमा रहा था.
“अब क्यों शरमाता है? नादान कही का. बचपन मे जैसे मॉम के सामने कभी नंगा हुआ ही नही था तू” मुझे नग्न करके वह दूर होकर मुझे निहारने लगी. अब तक मेरा लंड फिर से सिर उठाने लगा था.
“कितना हेंडसम और जवान हो गया है रे तू!” मॉम ने लाड़. से कहा.
“पर माँ, तुझसा नहीं, तुम तो रूप की परी हो” मैंने मॉम से कहा.
“हाँ जानती हू की तुझे मैं कितनी अच्छी लगती हू. और तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है बेटे, तू नही जानता इस हफ्ते भर मेरी क्या हालत रही है” मॉम ने कहा और और मुझे पलंग पर लिटा दिया. फिर वह मेरे उपर लेट गयी और मुझपर चुम्बनो की वर्षा करने लगी. उसकी साँसे तेज चल रही थी और अपने हाथों से वह मेरा पूरा शरीर सहला रही थी.
मुझे बचपन की याद आ गयी. बहुत बार मुझे मॉम गोद मे लेकर चूमती थी. पर तब उसमे सिर्फ़ वात्सल्या होता था, आज उसके साथ एक नारी की प्रखर कामना भी उसके स्पर्श और चुंबानों मे थी. मैं पड़ा पड़ा मॉम के प्यार का आनंद ले रहा था. लगता था कि स्वर्ग मे पहुँच गया हू. मॉम ने फिर मेरे होंठों का गहरा चुंबन लिया, मैं भी उसके होंठ चूसने लगा.
मॉम के मधुर मुखरस का पान करके ऐसा लग रहा था जैसे मैं शहद चख रहा हम. मॉम चुंबन तोड़कर अचानक उठा बैठी और नीचे खिसककर मेरा लंड हाथ मे लेकर उसे चूमने लगी. “हाय, कितना प्यारा है! लगता है खा जाउ!” कहकर मॉम उसे अपने गालों और होंठों पर रगाडकर फिर मेरे सुपाड़ा मुँह मे लेकर चूसने लगी.
मैं स्तब्ध रह गया. मॉम की वासना इतनी प्रखर हो जाएगी यहा मैंने कभी सोचा नही था. मॉम के मुँह का गीला तपता मुलायम स्पर्श इतना जानलेवा था कि मुझे लगा कि मैं फिर झाड़. जाउन्गा. लंड एक मिनिट मे फिर कस के खड़ा हो गया. पर मैं अभी झड़ना नही चाहता था. मॉम के दमकते रूप को अब मैं ठीक से देखना चाहता था इसलिए मैंने मॉम की साड़ी निकालना शुरू की.
“मम्मी, अब तुम भी कपड़े निकाल दो ना, प्लीज़!” मॉम उठ बैठी. कामना और थोड़ी लजजासे उसका चेहरा लाल हो गया था.
“निकालती हू बेटे, तू लेटा रहा. मैंने गाउन निकालकर अपना मोटापा तुझे दिखाया था. अब ये कपड़े निकालकर मेरा कंचन सा बदन तुझे दिखाती हू, यह तेरे ही लिए है मेरे लाल” मॉम ने उठकर साड़ी निकाली और फिर पेटीकोत खोल दिया. उसकी मदमस्त जांघे फिर से नग्न हो गयीं.
पर अब फरक था. उस पुरानी पैंटी के बजाय एक सुंदर लेस वाली काली तंग पैंटी उसने पहनी थी. उसमे से उसके पेट के नीचे का मांसल उभार निखर कर दिख रहा था. पैंटी की पट्टी के सकरे होने के बावजूद आस पास बस मॉम की गोरी त्वचा ही दिख रही थी.
“मॉम क्या नीचे भी शेव करती है!” मेरे मन मे आया. तंग पैंटी के तलामा कपड़े मे से मॉम की योनि के बीच की गहरी लकीर की भी झलक दिख रही थी.
अब तक मॉम ने अपना ब्लओज़ भी निकाल दिया था. मेरी पहचान की उस काली ब्रा मे लिपटे मॉम के गोरे बदन को देखकर मुझे रोमांच हो आया. कितनी ही बार मैंने उसमे मूठ मारी थी. मॉम के मोटे मोटे स्तनों के उपरी भाग उसके कपड़ो मे से दिख रहे थे.
ब्रा शायद पुश अप थी क्योंकि अब वह स्तनों को आधार दे कर उन्हे उठाए हुए थी, इसलिए मॉम के स्तन और बड़े और फूले हुए लग रहे थे. बड़े गर्व से वो सीना तान कर खड़े थे मानों कहा रहे हों कि देखो, अपनी मॉम की ममता की इस निशानी को देखो, एक बेटे के लिए अपनी मॉम के सबसे खूबसूरत अंग को देखो. मुझे घुरता देखकर मॉम ने हँस कर कहा.
“अरे कुछ बोल, तब तो खूब चहक रहा था, अब मॉम सुंदर लग रही है या नहीं, इन्हे निकाल दूं कि रहने दूं?” मैं कुछ ना बोल पाया. मेरी वह हालत देख कर मॉम प्यार से मुसकर्ाई और वैसे ही आकर पलंग पर मेरे पास लेट गयी और मैं उससे लिपट गया.
अगले कुछ मिनिट इस मदहोशी की अवस्था मे गुज़रे कि मैं कह भी नही सकता. सोच कर देखें, वह मॉम जिससे आप इतना प्यार करते हैं, जिसके आगोश मे आप ने कितने दिन गुज़ारे हुए हैं, उसी मॉम के आगोश मे आप फिर से हों, पर इस बार उसके नग्न शरीर का आभास आप को हो रहा हो और वह भी एक प्रेयसी की तरह आप पर प्रेम की वर्षा कर रही हो तो आपकी क्या हालत होगी!
मैं मॉम से लिपटकर उसे चूमता हुआ उस पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था. उसके स्तनों को मैने ब्रसियर के उपर से ही हाथ मे भर लिया था. मुलायम स्पंज के गोलों जैसी उन गेंदों को दबाकर जब मुझे संतोष नही हुआ तो मैं हाथ उसकी पीठ के पीछे करके मॉम की ब्रा के हुक खोलने की कोशिश करने लगा. मुझ अनाड़ी को वह कुछ जमा नही और दो मिनिट मेरी इस कोशिश का आनंद लेने के बाद प्यार से मॉम ने कहा.
“चल दूर हो, अनाड़ी कही का, आज मैं निकाल देती हू. पर सीख ले अब, आगे से तू ही निकालना.” मॉम ने फिर अपने हाथों से अपनी ब्रा खोली और ब्रा के कप बाजू मे कर दिए. मैं मॉम की घुंडी मुँह मे लेकर चूसने लगा. मुझे वह भूरी मोटी घुंडी जानी पहचानी सी लगी. निपल के आजू बाजू बड़ा सा भूरा गोला था, पुराने एक रुपये के सिक्के जैसा. मैं आँखे बंद करके मॉम की चुचि चूसने लगा.
मॉम ने हाथ उपर करके अपनी ब्रा पूरी निकाल दी और फिर मुझे छाती से चिपटा कर मुझे अपनी गोद मे लेकर लेट गयी. मुझे स्तन पान कराती हुई भाव विभोर होकर बोली.
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“मिथुन, कितने दिन बाद तुझे निपल चुसवा रही हू बेटे, जानता है, तू तीन साल का होने तक मेरा दूध पीता था, छोड़ने को तैयार ही नही था, बड़ी मुश्किल से तेरी यह आदत मैंने छुडवाई थी. मुझे क्या पता था कि बड़ा होकर फिर यही करूँगी? पर अब ये मैं नही बंद होने दूँगी बेटा, तुझे जब चाहे जितना चाहे तू मेरे स्तन चूस सकता है मेरे राजा.”
एक हाथ से मॉम का उरोज दबाकर मैं उसे चूस रहा था और दूसरे से दूसरा स्तन दबा रहा था. बार बार स्तन बदल बदल कर मैं चूस रहा था. लंड अब तन कर मॉम के पेट पर रगड़. रहा था और मैं आगे पीछे होकर उसे चोदने सी हरकत करता हुआ मॉम के पेट पर रगड़. रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
एक हाथ मॉम की पैंटी की इलास्टिक मे डाल कर मैं उसे उतारने की कोशिश करने लगा. मॉम का भी हाल बहाल था. वह भी सिसकारियाँ भर भर कर अपनी जांघे रगड़ती हुई मुझे छाती से चिपटा कर पलंग पर लुढ़क रही थी. उसके स्तनों की घुंडियाँ अब कड़ी हो गयी थीं.
उन चमदिली मूँगफलियों को चूसने और हल्के हल्के चबाने मे बड़ा आनंद आ रहा था. अगर उनमे दूध बस और होता तो मैं स्वर्ग पहुँच गया होता! आख़िर उससे ही रहा नही गया. उसने अपनी पैंटी निकाली और टांगे फैलाकर मुझे अपने उपर लेकर लेट गयी. फिर अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पर सटाकर उसे अंदर डालने लगी.
लंड पर लगती मुलायम टच से ही मैं समझ गया की मॉम ने नीचे शेव किया है. मेरी फॅंटेसी मे मैं हमेशा कल्पना करता था की मॉम की चूत को पास से देख रहा हू, उसे चूम रहा हू, उसके रस को पी रहा हू और आज जब यह असल मे करने का मौका मिला तो यह सब करने के लिए अब हम दोनों मे सबर नही था.
मैने एक हल्का धक्का दिया और मेरा लंड एक ही बार मे पूरा मॉम की तपती गीली बुर मे समा गया. मॉम की चूत ऐसी गीली थी जैसे अंदर क्रीम भर दी हो. मॉम ने मुझे अपनी जांघों और बाँहों मे भर लिया और नीचे से ही धक्के दे देकर चुदवाने लगी.
मुझे इसका विश्वास ही नही हो रहा था कि आख़िर मैं अपनी मॉम को चोद रहा हू. मेरा पहला संभोग, पहली बार किसी नारी से काम क्रीड़ा और वह भी मेरी जान से प्यारी ममी के साथ! मैं कुछ कहना चाहता था पर मॉम ने अपनी चुचि मेरे मुँह मे ठूंस दी थी और छोड़. ही नही रही थी. मैंने तड़प कर मॉम को अपनी बाहों मे कसा और उसे हचक हचक कर चोदने लगा.
हमारा यहा पहला संभोग बिलकुल जानवरों जैसा था. हमा इतने प्यासे थे कि एक दूसरे को बस पूरे ज़ोर से चोद रहे थे, बिना किसी की परवाह के. चार पाँच मिनिट की धुआँधार चुदाई के बाद जब मैं आख़िर झाड़ा तो जान सी निकल गयी. इतनी तृप्ति महसूस हो रही थी जैसी कभी नही हुई. लगता है कि मॉम भी झाड़. चुकी थी क्योंकि मुझे बाँहों मे भरके मेरे बालों मे हाथ चलाती हुई बस यही कहा रही थी “मेरे बेटे, मेरे लाल, मेरे बच्चे”.
मैंने मॉम का निपल मुँह मे से निकाला और उसके स्तनों की खाई को चूमकर मॉम से बोला “सॉरी मम्मी, मैं अपने आप को रोक नही पाया, इसलिए इतनी जल्दी की.”
मॉम ने प्यार से कहा “जानती हू बेटे, बस कुछ मत बोल, ऐसे ही पड़ा रह. कुछ कहने की ज़रूरत नही है. मेरे दिल का हाल तू जानता है और तेरे दिल की बात मैं जानती हू.”
हम खामोश अपने स्खलित होने के आनंद मे भिगते पड़े रहे. मुझे विश्वास ही नही हो रहा था कि मैंने अपनी मॉम से, अपनी जननी से अभी अभी संभोग किया है, वह भी उसकी इच्छानुसार और उसे वह बहुत अच्छा लगा है. मॉम ने कुछ देर बाद कहा.
“मिथुन, पहले मुझे तुझ पर पहुत गुस्सा आया था, आख़िर मेरा प्यारा बेटा ऐसी गंदी हरकते कैसे कर सकता है पर फिर मेरी भी हालत बुरी हो गयी थी. लगता था कि तू यहा सब ऐसे ही तो नही करता? क्या सच मे मैं तुझे अच्छी लगती हू? तू भी इतना जवान और सुंदर है, मेरे मन मे भी कैसे कैसे विचार आने लगे थे. खुद पर ही गुस्सा आया जो तुझपर निकाला.
तू नही समझ सकता, एक मॉं पर क्या गुजराती होगी, जो इतनी प्यासी है इतने सालों से और खुद उसका जवान लड़का उसे भाने लगे. बार बार मन मे लगता कि कैसी पाप की बाते सोच रही है. फिर सोचा कि आख़िर तुझसे दो टुक बाते करूँ. मुझे यही लगा था कि मेरे शरीर को देखकर तू आख़िर समझ जाएगा और मेरी परेशानी कम से कम एक तरफ से तो कम हो जाएगी” मैंने मॉम से पूछा.
“मामी, सच बताओ, अगर मैं भी कह देता कि हाँ, मैं अब कुछ नही करूँगा तो तुम क्या करती? तुम्हे अच्छा लगता?”
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मॉम ने मुझे पास खींचते हुए बोला “नही बेटे, सच बतओं तो इतना संतोष भर होता कि मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया, तुझे सही रास्ते पर ले आई. पर अच्छा नही लगता. एक तो मुझपर पहाड़. टूट पड़ता कि मैं सच मे मोटी और बेडौल हू. दूसरे तुझे मैं बेटे के रूप मे फिर पा लेती पर तेरे जैसे सुंदर जवान से प्यार करने का मौका हमेशा के लिए खो देती.”
मैंने मॉम की छाती मे सिर छिपा कर कहा “माँ, तुम तो कितने साल से मुझे अच्छा लगती हो, जब से जवान हुआ हू, तभी से तुम्हारे सपने देख रहा हू. होस्टल मे भी तुम्हारे सपने देखा करता. पर आज मुझे गुस्सा आ रहा है, मैं पहले ही तुमसे कहा देता तो तुम्हे कब का पा चुका होता. वैसे मैंने आज बहुत जल्दी की माँ, पाँच मिनिट मे ख़तम हो गया, मुझे और सब्र करना चाहिए था”
मॉम हँस कर बोली “और क्या करना था मिथुन? मन नही भरा”.
“नही माँ, तुमने मुझे स्वर्ग मे पहुँचा दिया. माँ, तुम्हे अच्छा लगा? कि मैंने तुम्हे प्यासा छोड़. दिया?” मैंने पूछा.
“तू नही समझेगा मेरे लाल, मुझे कितना अच्छा लगा. तुझे और क्या करना था मेरे साथ, बता तो” मॉम ने फिर पूछा. वह मंद मंद मुस्करा रही थी.
“मैं तुम्हारी शरीर को हर जगहा चूमना और उसका रस चूसना चाहता था. कब से इसका सपना है मेरे दिमाग़ में” मैंने आख़िर अपनी इच्छा कह डाली.
मॉम मुझे चूमा कर बोली “कल कर लेना बेटे, जो चाहे वह कर लेना, अब मैं कही भाग थोड़े ही रही हू? कल और परसों छुट्टी है, मैं अपने बेटे को बहुत सा प्यार दूँगी. चल अब सो जा”.
मैं उठ बैठा “इतनी जल्दी थोड़े छोड़ूँगा मॉम मैं तुम्हें. इतनी मुश्किल से हाथ आई हो. आज रात भर प्यार करूँगा तुम्हें”.
अब हमारे बीच की झिझक पूरी समाप्त हो गयी थी. आग दोनों तरफ से लगी थी. अब मॉम और मैं ऐसे बाते कर रहे थे जैसे दो प्रेमी करते हैं. मॉम शैतानी के लहजे मे मेरी आँखों मे आँखे डाल कर बोली- “प्यार करेगा, याने क्या करेगा बेटे? चूमेगा? बोल ना?”
मैं क्या कहता. मॉम शरारत पर उतर आई थी. मेरी परीक्षा ले रही थी शायद. मैंने आख़िर कह ही डाला “हाँ माँ, चुम्मा लूँगा, तुम्हारी जीभ चुसूँगा, तुम्हारे मुँह की इस चाशनी का स्वाद लूँगा और फिर माँ, मैं तुम्हे रात भर चोदुन्गा. इतना सब करने का मन होता है मेरा तुम्हारे साथ”.
मॉम ने मुस्कराते हुए पूछा “अब बोला ना सॉफ सॉफ, मैं यही सुनना चाहती थी. और क्या क्या मन होता है, मैं भी तो सुनूँ. आख़िर पता तो चले की मेरे इस पागल बेटे को अपनी मॉम के साथ क्या क्या करना है”.
मैंने कहा “तुम्हाई मम्मों को खूब दबाने और चूसने का मन होता है. उन्हे चबा चबा कर खा जाने का दिल करता है, उनके बीच की खाई मे अपना लंड डाल कर रगड़ने का मन होता है.”
“और?”
मैं अब मॉम की जांघों के बीच मे नज़र लगाए बैठा था. मॉम ने अब टांगे आपस मे सटा ली थी इसलिए उसकी चूत पूरी नही दिख रही थी. पर उस शेव की हुई बुर का मांसल उभार और उसके बीच की गहरी लकीर सॉफ दिख रही थी. मेरा वीर्य और मॉम की चूत का पानी उसकी जांघों पर बह आया था. मॉम की टांगे अलग करने की कोशिश करता हुआ मैं बोला
“तुम्हारी यह रसीली चूत चूसने का मन होता है. लगता है कि इसका चुंबन लूँ, इसमे जीभ डालूं और तुम्हारा सारा रस पी लूँ. ममी, प्लीज़, देखने दो ना” मैं मॉम की बुर की गहरी लकीर मे उंगली चलाने लगा.
मॉम वैसे ही रही, अपनी टांगे और सिमटाकर बोली अच्छा ये बता तूने इतनी सारी बाते कहाँ से सीखी.
मैने कहा मॉम नेट पर हमारी वासना डॉट नेट है, मैं उसी मे सेक्सी कहानियाँ पढ़ता था वही से मुझे इन बातो का पता चला मॉम उस वेबसाइट पर सेक्स से संबंधित सभी तरह की जानकारी है मैने मॉम को बताया.
मॉम कहा मिथुन मैं भी ओफिस मे नेट पर अक्सर हमारी वासना डॉट नेट की कहानिया पढ़ती रहती हू सच मे उस वेबसाइट में जितनी सेक्सी कहानिया मैने कही भी नही देखी.
मॉम एक बार और करने दो ना मैने मॉम से कहा.
मॉम ने कहा बेटा “आज नहीं, सब एक दिन मे कर लेगा क्या? आगे बोल, और क्या करेगा मेरे साथ”.
“माँ, तुम्हारे पैर इतने खूबसूरत हैं, उनकी पूजा करूँगा, खूब चुंबन लूँगा उनके, तुम्हारे तलवे चाटूंगा. तुम्हारा चरणामृत पियुंगा” मॉम भाव विभोर हो गयी. मुझे पट से चुम लिया.
“मेरे पैर अच्छे लगते है तुझे? तभी बदमाश मेरी चप्पलों से खेलता था, और पिछले साल से बार बार मेरे पैर छूने की फिराक मे रहता था नालायक कही का! वैसे मेरे पैर सुंदर है ये मुझे मालुम है, मेरी सहेलियाँ भी मुझे बचपन मे कहती थी कि सीमा तुझे तो फैशन की सैंडलों का मेनमॉडल होना चाहिए. पर तेरे मुँह से ये सुनकर कितना अच्छा लगता है तू नही समझेगा. बचपन मे भी तुझे मेरी चप्पलों से खेलने का बहुत शौक था, रेंगते हुए पहुँच जाता था जहाँ भी रखी हों”
मॉम कुछ देर खामोश रही, बस मुझे चूमती रही और मेरी पीठ पर हाथ फेरती रही. फिर मेरे पीछे लग गयी.
“और क्या करेगा, बता ना” अब मैं क्या कहता. बची थी उसके उन भारी भरकामा नितंबों को प्यार करने की बात, पर आख़िर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी. मैं कैसे पहली ही रात को कहता की मॉम तुम्हारी गांद भी मारने का मन करता है.
मेरे चेहरे पर के भावों से मॉम शायद समझ गयी. मुझे चिढ़ाना छोड़. कर मुझे अपने उपर खींच कर फिर लेट गयी. मेरे लंड को पकड़कर हौले हौले मुठियाते हुए बोली-
“और मिथुन, मेरा क्या मन होता है मालुम है? मैं अपने बेटे को बाँहों मे भर लूँ, उसे खूब प्यार दूं, उससे खूब चुदवाउ, उसकी हर इच्छा पूरी करूँ अपने शरीर से, उसे अपना दूध पिलाउ और फिर उसके इस प्यारे शिश्न को चूस कर उसकी गाढ़ी मलाई पी लूँ. जब तू अपने कमरे मे अभी स्खलित हुआ था, मुझे ऐसा लगा था कि उसे मुँहा मे ले लूँ. कितनी मादक सुगंध आ रही थी उसमें से. चल, अब तो तू मेरा ही है, कहाँ जाएगा मॉम को छोड़कर”.
मैं और मॉम फिर एक दूसरे को चूमने लगे. मैंने आख़िर अपनी एक इच्छा पूरी कर ही ली, उसकी लाल रसीली जीभ को खूब चूसा. मॉम का शहद जैसा गाढ़ा मुखरस मुझे चाशनी की तरह मीठा लग रहा था. मेरा लंड फिर तन गया था. मॉम भी बेचैन थी, अपनी जांघे आपस मे घिस रही थी. उन्हे फैलाकर मुझे बोली “तू फिर तैयार हो गया मेरे राजा! तेरी जवानी को मेरी नज़र ना लग जाए, आ बेटे, आ जा मुझ में, समा जा मेरे शरीर में”.
मॉम की बुर अब खुल कर मेरे सामने थी. बाल ना होने से उसका हर भाग सॉफ दिख रहा था. उस मोटे भागोष्तों वाली लाल गीली चूत को देखकर पल भर को लगा कि मुँह मार दूं पर फिर सब्र कर लिया. अभी मेरा वीर्य उसमे लगा था, स्वाद नही आएगा ठीक से यहा सोच कर मैंने अपना लंड मॉम की बुर पर रख कर पेल दिया. बुर इतनी गीली थी कि आराम से लंड जड़. तक समा गया. मैं मॉम पर लेट गया और उसे चूमता हुआ उसे चोदने लगा.
इस बार मैं आराम से धीरे धीरे मज़ा लेकर चोद रहा था. मॉम ने भी मुझे बाँहों मे भर लिया. वह कभी मेरे होंठ चूमती और कभी गाल, कभी प्यार से मेरे बाल चूम लेती और कभी मेरा कान मुँह मे लेकर हल्के हल्के काटने लगती. मैं मॉम के होंठ चूमता हुआ एक मस्त लय मे उसे चोद रहा था. इस बार मेरा काफ़ी कंट्रोल था, मैं यह चाहता था कि मॉम को पूरा सुख दूं और फिर ही झाड़ू. धीरे धीरे हमारी चुदाई की रफ़्तार बढ़. गयी.
मॉम अब कराह कर बोली “मिथुन, बहुत अच्छा लग रहा है बेटे, और ज़ोर से कर ना” कहती हुई नीचे से धक्के मार रही थी.
मैंने पिछले मज़ाक का बदला लेते हुए चोदना बंद कर दिया और मॉम से पूछा “क्या करूँ माँ, ठीक से बताओ.”
मॉम बोली “अरे वही जो कर रहा है”.
अब उससे रहा नही जा रहा था. मैं अड़ गया “नही माँ, बताओ. क्या करूँ”.
मॉम ने मेरी पीठ पर चपत लगाते हुए कहा “शैतान, अब तू मुझसे कहलावा रहा है. चल चोद मुझे, ज़ोर से चोदो मुझे मिथुन बेटे”.
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मॉम के मुँह से यहा सुनकर मुझे जो रोमांच हो आया उसका बयान करना मुश्किल है. अब मैं झाड़.आने को आ गया था. झुक कर मैंने मॉम की चुचि मुँह मे ली और ज़ोर ज़ोर से उसे चोदने लगा. गीली बुर से अब फॅक फॅक फॅक आवाज़ आ रही थी. मॉम ने मेरे सिर को अपने स्तनों पर दबा लिया और मेरे नितंब सहलाने लगी.
अपनी जांघे भी उसने मेरी कमर के इर्द गिर्द जाकड़. ली थीं. नीचे से वह बराबर अपने नितंब उछाल कर मेरा पूरा लंड अपनी बुर मे लेते हुए मन लगाकर चुदवा रही थी. मैं बीच बीच मे मॉम के नितंबों को पकड़. लेता और उन्हे दबाने लगता. दस एक मिनिट की चुदाई के बाद जब मैं झाड़ा तो मॉम को झदने के बाद.
उसके स्खलन का पता मुझे तब चला जब अचानक उसका शरीर कड़ा हो गया और गहरी साँस भर कर उसने मुझे ज़ोर से जाकड़. लिया. लंड भी एकदमा और गीला हो गया, मॉम की बुर ने ढेर सा पानी छोड़. दिया था. अब मैं एकदमा त्रुप्त था. थक भी गया था. कुछ देर बाद मॉम पर से अलग होकर उसके पास लुढ़क गया. मॉम ने एक टॉवल से अपनी चूत और मेरा लंड पोंचा और फिर टेबल लैंप बुझाकर मुझे बाँहों मे लेकर लेट गयी. मैं बहुत खुश था.
“माँ, आई लव यू. तुम दुनिया की सबसे अच्छा मॉम हो, सबसे खूबसूरत और सेक्सी औरत हो” मॉम के आगोश मे आते हुए मैं बोला.
“और तू सबसे अच्छा बेटा है. चल अब सो जा. कल छुट्टी है. आराम से उठना” मॉम ने कहा.
मुझे नींद लग गयी. इतनी गाढ़ी और मीठी नींद बहुत दिनों मे आई थी.
Bhatiya says
Nice