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मैं सविता और बबिता मेरी दोनों बहनों को चोद चुका हूँ। मैंने दोनों बहनों को अब तक अलग-अलग चोदा था। एक बार मैं और बबिता घर पर थे.. और रोज की तरह चुदाई कर रहे थे.. तभी पता चला की सविता भी आने वाली है। Incest Threesome Porn
बबिता- आज सविता आने वाली है.. पता है तुमको?
मैं- हाँ पता चला.. मुझे भी!
बबिता- तो?
मैं- तो क्या?
बबिता- अब हम लोग मस्ती कैसे करेंगे?
मैं- जैसे करते थे..
बबिता- सविता के सामने?
मैं- हाँ कौन सा मैंने उसको नहीं चोदा हुआ है?
बबिता- लेकिन मुझे शर्म आ रही है..
मैं- आने तो दो.. जो होगा देखा जाएगा..
बबिता- हाँ लेकिन दोनों में से किसको चोदोगे?
मैं- एक साथ दोनों को..
बबिता- नहीं.. मैं नहीं करूँगी.. लेकिन तब भी आइडिया बुरा नहीं है..
मैं- बुरा नहीं है.. तो ट्राई कर सकते हैं ना..
बबिता- सोचूँगी इसके बारे में..
मैं- सोचना क्या है इसमें.. साथ में ही कर लेंगे..
बबिता- ओके..
मैं- सविता आ रही है.. स्टेशन लेने के लिए मेरे साथ चलना है क्या?
बबिता- ओके चलो.. चलती हूँ..
मैं- ठीक है।
हम दोनों स्टेशन पहुँच गए सविता को लेने… चुदाई के बाद दोनों बहनें पहली बार एक-दूसरे से मिलने वाली थीं.. सविता की ट्रेन अभी तक नहीं आई थी, हम ट्रेन का इंतज़ार करने लगे। जैसे ही ट्रेन आई.. हम दोनों की नजरें सविता को ढूँढने लगीं.. तभी सामने ट्रेन से उतरती हुई दिखी।
बबिता- वो देखो..
मैं- मैंने भी देख लिया..
बबिता- चलो चलते हैं।
मैं- नहीं यहीं रूको.. आ जाएगी!
बबिता- ठीक है।
तभी देखा कि सविता सामने से आ रही थी।
मैं- वो देखो इधर ही आ रही है।
बबिता- हाँ दिख रही है, और भी बहुत कुछ दिख रही है।
मैं- मतलब.. क्या दिख रही है?
बबिता- कुछ नहीं.. तुम्हारी मेहनत..
मैं- मेरी मेहनत?
बबिता- हाँ तुम्हारी मेहनत सविता के फिगर पर.. तुमने उसका सब कुछ बढ़ा दिया है।
मैं- ऊओह.. अब समझा.. बढ़ तो तुम्हारा भी गया है..
बबिता- हाँ लेकिन उतना नहीं.. जितना सविता का साइज़ बढ़ा हुआ है.. तुम और सूर्या दोनों ने मिल कर मुझसे अधिक मेहनत सविता पर हुई है।
मैं- हाँ ये तो है.. सविता की फिगर पहले भी बड़ी थी.. खुद भी खूब मेहनत करती थी और उसका ब्वॉय-फ्रेण्ड भी खूब उछल-कूद करके मेहनत किया करता था..
बबिता- वो तो ऊपर से मेहनत करता था ना.. और नीचे से देखो.. पिछवाड़ा कितना फैला हुआ है..
मैं- हाँ वो मेरी मेहनत है.. वैसे भी अभी उसको देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा है।
बबिता- तो क्या करने वाले हो?
मैं- देखो क्या करता हूँ..
बबिता- ओके.. नज़दीक तो आ ही गई।
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तब तक सविता हमारे पास पहुँच गई तो मैं सीधा उसके गले लग गया और उसकी चूतड़ों को दबा दिया और जल्दी से अलग हो गया। ये सब मैंने इतना जल्दी किया कि किसी को ज्यादा पता ही नहीं चला। तो सविता मुस्कुरा दी.. और हम तीनों गाड़ी की तरफ़ बढ़ने लगे और गाडी में आगे मैं और सविता बैठे और बबिता पीछे वाली सीट पर बैठ गई।
अब हम घर जाने लगे.. रास्ते में कुछ हुआ नहीं.. सो ज्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है। कुछ ही देर में हम लोग घर पहुँच गए। अब मैं दीदी को चोदने का मौका ढूँढ रहा था लेकिन सब घर में थे.. सो चुदाई का मौका ही नहीं मिल पा रहा था। क्योंकि दीदी माँ-पापा के पास बैठी हुई थी.. तो बबिता ने मुझे अपने पास बुलाया।
मैं- क्या हुआ?
बबिता- कुछ नहीं.. आगे का क्या प्लान है?
मैं- पता नहीं.. दीदी कभी अकेली तो रह नहीं रही है।
बबिता- तो मुझसे काम चला लो..
मैं- तुमको तो रोज चोद ही रहा हूँ.. आज दीदी को चोदना है.. उसको बहुत दिन से नहीं चोदा है।
बबिता- ठीक है.. माँ-पापा को ऑफिस जाने दो.. फिर चोद लेना।
मैं- हाँ, यह आइडिया बुरा नहीं है।
बबिता- लेकिन मैंने आइडिया दिया है.. तो मुझे क्या मिलेगा?
मैं- क्या चाहिए.. जाओ सूर्या के पास से निपट आओ..
बबिता- नहीं अब उसके साथ उतना मजा नहीं आता है।
मैं- तो तुम्हारे लिए और क्या कर सकता हूँ।
बबिता- कुछ नहीं.. बस तुम सविता दीदी को चोदना और मैं देखूंगी!
मैं- क्या बात कर रही हो.. क्या तुम साथ में नहीं चुदवाओगी?
बबिता- नहीं.. मैं देखना चाहती हूँ कि दीदी कैसे चुदती हैं।
मैं- ओके मेरी जान..
कुछ देर बाद दीदी रसोई में खाना बनाने गई.. तो मैं भी मौका देख कर उसके पीछे से चला गया और उसको पीछे से पकड़ लिया।
सविता- क्या कर रहे हो.. कोई देख लेगा!
मैं- क्या करूँ.. कंट्रोल नहीं हो पा रहा है।
सविता- कंट्रोल करो.. कोई देख लेगा तो गड़बड़ हो जाएगा।
मैं उसका हाथ अपने लंड पर रखते हुए बोला- मैं तो कर भी लूँगा.. लेकिन ये तुम्हार हथियार कंट्रोल नहीं कर पा रहा है।
सविता मेरे लंड को दबाते हुए इसको भी बोलो करने को..
मैं- नहीं मान रहा है.. पूछ रहा है इसकी गुफा कब मिलेगी!
सविता- रात को मिल जाएगी..
मैं- इतना लंबा इंतज़ार नहीं हो पा रहा है।
सविता- करना पड़ेगा.. और कोई रास्ता भी तो नहीं है।
मैं- एक रास्ता है।
सविता- क्या?
मैं- दोनों के ऑफिस जाने के बाद..
सविता- लेकिन बबिता तो रहेगी ना..
मैं- उसको भी बाहर भेज दूँगा.. उसके दोस्त के घर या मार्केट।
सविता- तब ठीक है.. अब जाओ यहाँ से..
मैं- ओके जाता हूँ.. लेकिन बिना कुछ लिए कैसे चला जाऊँ?
सविता- क्या चाहिए.. ये लो खाना खाओ..
मैंने उसकी चूचियों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- खाना नहीं.. ये पीना है..
सविता- ये बाद में.. अभी जाओ..
मैं- प्लीज़.. थोड़ा..
सविता- कोई देख लेगा तो?
मैं- कोई नहीं देखेगा..
सविता- ओके.. ये लो.. जल्दी करो।
उसने अपना टॉप उठा दिया और मैं चूचियों को पी कर बोल उठा- उम्माह्ह.. मजा आ गया..
सविता- अब जाओ यहाँ से..
मैं- हाँ जा रहा हूँ.. दोपहर को पूरा मजा लूँगा।
सविता- ओके..
थोड़ी देर बाद माँ-पापा ऑफिस चले गए। मैं बबिता के पास गया और बोला- तुम भी किसी बहाने से बाहर जाओ.. और पीछे के दरवाजे से आ जाना और वहीं बैठ जाना.. जहाँ मैं सूर्या के टाइम बैठा था।
बबिता- ओके जाती हूँ..
मैं- जाती हूँ नहीं.. जा कर दीदी को बोल कि तुम अपनी सहेली के घर जा रही हो।
बबिता- ओके बाबा जा रही हूँ..
वो दीदी के पास गई और बोली- मैं अपनी एक सहेली के पास जा रही हूँ.. 2-3 घंटे में आती हूँ।
सविता- ओके जाओ.. और ठीक से जाना।
बबिता- ठीक है दीदी।
वो चली गई.. उसके जाते ही मैं दीदी के कमरे में पहुँचा, मुझे देख कर दीदी मुस्कुराई।
मैं- भगा दिया ना उसको भी.. अब तो कोई नहीं है!
सविता- हाँ लेकिन जाओ पहले दरवाजा बंद करके आओ.. ताकि कोई आए तो पता चल जाएगा।
मैं- ओके.. मैं आता हूँ..
मैं दरवाजा बंद करके बाहर निकला तो पीछे के दरवाजे से बबिता अन्दर आ चुकी थी.. तो मैंने दरवाजा बंद कर दिया।
सविता- ठीक से बंद कर दिया ना?
मैं- हाँ मेरी जान.. अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है।
सविता- तो करने को कौन बोल रहा है.. मेरी जान.. आ जाओ मैं भी तड़प रही हूँ।
मैं- तो आ जा.. अभी तड़फ मिटा देता हूँ।
मैं दीदी से लिपट गया और दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे और मैंने तो सीधा उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और उसे किस करना शुरू कर दिया। कुछ देर वैसा करने के बाद मैं थोड़ा नीचे आया और उसकी गर्दन को चूमने लगा। वो मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी और मैं उसकी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही चूमने-चाटने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो मेरे लंड को दबाने लगी.. तो मैं भी उसकी चूचियों को मुँह से और चूतड़ों को हाथ से ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसकी चूचियों को टॉप से निकालने लगा.. तो उसने खुद हाथ ऊपर कर दिए तो मैंने पूरा टॉप ही बाहर निकाल दिया। उसके दोनों ‘अनमोल रत्न’ बाहर आ गए और मेरी आँखों के सामने नग्न हो चुके थे.. तो मैं बेसब्री से उनको चूमने लगा।
अब तक वो मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी थी.. तो मैंने खुद अपना पैंट खोल दिया और लंड फनफनाता हुआ बाहर निकल आया.. जिसको पकड़ कर दीदी बोली- अरे वाह.. ये तो पहले से काफ़ी बड़ा और मोटा हो गया है.. लगता है इसका बहुत इस्तेमाल हुआ है।
मैंने हँसते हुए कहा- नहीं वैसी बात नहीं है.. ये तो तुम्हारे हाथों का कमाल है।
सविता- देख कर तो नहीं लग रहा है.. मुझे तो ऐसा लग रहा है कि इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा हुआ है।
मैं- हाँ उतना तो होते ही रहता है।
सविता- ओके.. किसके साथ चुदाई की?
मैं- है कोई..
सविता- कौन है.. हमें भी बताओ ज़रा?
मैं- बताना क्या है.. आज मिलवा ही दूँगा.. चलना शाम को..
सविता- ओके..
मैं- जानेमन अगर आपके सवाल-जवाब ख़तम हो गए हों तो अब हम अपना काम करें.. मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो पा रहा है।
सविता ने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा- हाँ यार.. सच बोलूँ.. तो मुझे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है.. जी कर रहा है खा जाऊँ इसे..
मैं- तो खा जाओ.. रोका किसने है.. लेकिन पूरा मत खाना.. नहीं तो तेरी चूत को कौन शान्त करेगा..
सविता- हाँ ये भी सही बोला..
मैं उसकी चूचियों को पीने लगा और मसलने लगा। तभी मेरी नज़र बबिता पर पड़ी.. तो वो इशारा कर रही थी कि ठीक से दिख नहीं रहा है। तो मैंने दीदी को गोद में उठाया और कमरे से बाहर आ गया और हॉल में बिस्तर पर लिटा दिया। पीछे से बबिता की सहमति मिली कि हाँ.. अब सब कुछ दिख रहा है.. तो मैं फिर से अपने काम में लग गया और उसकी चूचियों को पीने लगा।
मैं चूचियों को पीते-पीते नीचे बढ़ने लगा और उसके पेट पर चुम्बन करने लगा.. तो उसके मुँह से सीत्कार निकलने लगी। अंततः मैं उसकी चूत के पास पहुँच गया और कपड़ों के ऊपर से ही उसे चूमने लगा। कुछ देर चूमा.. कि तभी बबिता ने इशारा किया कि दीदी को पूरा नंगा करो।
तो मैंने दीदी को बिस्तर पर खड़ा किया और उसकी कैपरी को नीचे कर दिया। अब दीदी की चूतड़ कपड़ों से पूरी तरह से आज़ाद हो गए थे और मैंने देखा कि पीछे बबिता की चुदासी सूरत देखने लायक थी। वो दीदी को पहली बार नंगा देख रही थी। मैं दीदी के मुलायम चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. बता नहीं सकता कि कितना अच्छा लग रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और चूमने लगीं.. तभी मैंने बबिता को आने का इशारा कर दिया और वो पीछे आ कर खड़ी हो गई.. लेकिन दीदी को पता नहीं चला… वो तो मेरा लंड चूसने में मस्त थी। तभी बबिता आगे आ गई और दीदी की नज़र उस पर पड़ी तो उसे झटका लगा.
और वो लंड छोड़ कर सीधे एक चादर से अपने आपको ढकने की कोशिश करने लगी, उसके चेहरे पर शर्मिन्दगी साफ़ झलक रही थी। मैं उसी तरह नंगा ही खड़ा हो गया.. मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था ही.. मैं बिस्तर के एक तरफ बैठ गया। अब मैंने बबिता को अपने तरफ़ खींच लिया और उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसके हाथ में अपना लंड दे कर उसको चुम्बन करने लगा।
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सविता- ये क्या कर रहे हो तुम दोनों?
बबिता- वही.. जो अभी आप कर रही थीं।
सविता- मतलब तुम दोनों भी..
मैं और बबिता ने कामुक मुस्कान बिखरते हुए कहा- हाँ हम दोनों भी..
बबिता- अब शर्म छोड़ दीजिए.. और चादर हटा लो!
मैं- हाँ हटा दो यार..
सविता हँसते हुए- हटाती हूँ.. लेकिन ये कब हुआ.. कैसे हुआ?
तो मैंने और बबिता ने मिल कर उसको सारी बातें बता दीं।
सविता- मतलब ये तुम दोनों का प्लान था।
बबिता और मैं- हाँ..
सविता- तुम दोनों को देख कर मुझे लगा तो था..
बबिता और मैं- क्या लगा था?
सविता- बबिता के बदन में इतना जल्दी इतना ज्यादा परिवर्तन.. और तुम्हारे लंड को देख कर ही मैं बोली थी.. कि ये बहुत यूज होता है।
बबिता और मैं- हाहहह..
सविता- ख़ास कर बबिता तो जवान हो गई है.. पूरी मेरी तरह.. मुझे लगा किसी के साथ चक्कर चल रहा है.. लेकिन यह उम्मीद नहीं थी कि यह तुम्हारे साथ ही खेल रही है और राज तुमने इसको भी नहीं छोड़ा.. बड़ा कमीना बहनचोद है तू..
मैं- वो तो हूँ ही.. लेकिन छोड़ने वाली क्या बात है.. घर का माल अगर घर में ही रह जाए.. तो बुरा ही क्या है.. मैं नहीं भोगता.. तो कोई और तो पक्का ले ही जाता.. तो मैं ही क्यों नहीं चोद लूँ।
सविता & बबिता- ओह ऊओ.. तो हम दोनों माल हैं..
मैं- अरे नहीं.. मेरा मतलब वो नहीं था..
सविता और बबिता- तो क्या मतलब था?
मैं- अरे कुछ नहीं छोड़ो इन बातों को.. आओ मजे करते हैं।
सविता और बबिता- हाँ आओ..
मैं- हम दोनों तो नंगे हैं ही.. बबिता सिर्फ़ कपड़ों में है.. तुम भी अपने कपड़े उतारो न..
सविता- हाँ उतार दो और आज तक इसने हम दोनों को चोदा है.. आज हम दोनों मिल कर इसको चोदेंगे।
बबिता- हाँ ये सही रहेगा.. मैं जल्दी से कपड़े उतार देती हूँ।
बबिता एक-एक करके अपने कपड़े उतारने लगी और मैं मन ही मन ये सोच कर रोमांचित हो रहा था कि आज फिर से दो चूतों को एक साथ चोदने का मौका मिलेगा। तब तक बबिता कपड़े उतार चुकी थी और वो इतराती हुई हमारी तरफ़ बढ़ने लगी और उसकी चूचियों को ऊपर-नीचे होते देख कर मेरा लंड.. जो पहले से ही खड़ा था.. उसको इस तरह देख कर पूरे उफान पर पहुँच गया था।
मैं उसे पकड़ने के लिए उठने ही वाला था कि तभी दीदी ने मुझे खींच लिया और मैं बैठ गया। वो मेरी एक जाँघ पर बैठ गई.. तब तक बबिता भी मेरी दूसरी जाँघ पर बैठ गई। मेरे लंड की कुछ ऐसी हालत थी कि दो-दो चूतें मेरे दोनों बगलों में थीं.. लेकिन किस में पहले जाया जाए.. मैं यही सोच रहा था..
लेकिन मेरा हाथ कौन सा रुकने वाला था एक हाथ से दीदी की और दूसरी हाथ से बबिता की चूचियों को दबाने लगा और दोनों मुझे लिपकिस करने लगीं। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं अलग हुआ और तो दीदी ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया। मैं पीठ के बल लेट गया और दोनों मुझे किस करने लगीं।
पूरे बदन पर कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी लंड को चुम्बन करने लगीं और बबिता मुझे अपनी चूचियों का रस पिला रही थी। कुछ देर बाद बबिता भी अपनी चूत को मेरे मुँह के पास करके लंड को चाटने लगी। ऐसा लग रहा था कि एक आइसक्रीम को दोनों बहन शेयर करके चूस रही हों।
दोनों मेरे लंड को चाट रही थीं और मेरा लंड गरम होता जा रहा था। तो मैं भी इधर बबिता की चूत को चाटने लगा। उधर दीदी लंड को चूसने के बाद मुँह से लंड को बाहर निकाला.. तो बबिता ने लंड को मुँह में ले लिया। अब दीदी मेरे दोनों गोलों को चूसने लगीं.. कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों अपनी गाण्ड मेरी तरफ़ करके चूसने लगीं.. तो मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैं दोनों की चूत में उंगली करने लगा।
खैर.. दोनों की चूत इतनी ज्यादा फ़ैल चुकी थी कि उनमें एक उंगली से कुछ होने वाला नहीं था तो मैंने दूसरी भी डाल दी.. कुछ देर बाद तीसरी और फिर चौथी भी घुसेड़ दी.. तो दोनों के मुँह से सीत्कार निकलने लगी। कुछ देर ऐसा करने के बाद हम सब झड़ गए और दोनों मिल कर मेरे लंड के पानी को पी गईं।
अब हम तीनों एक साथ बिस्तर पर लेट गए, मैं बीच में और दोनों मेरे दोनों बगल में थीं। कुछ देर लेटे रहने के बाद दोनों साथ मेरे बदन पर उंगली फेरने लगीं.. मैं समझ गया कि अब दोनों को चुदने का मन हो रहा है और मेरे लंड महाराज भी खड़े होकर अपनी मर्ज़ी बता चुके थे।
मैंने दीदी को उठा कर अपने ऊपर खींच लिया और वो मेरे लंड कर बैठ गईं। मेरा लंड थोड़ी सी मेहनत से ही सही लेकिन अन्दर जड़ तक घुसता चला गया और वो भी लण्ड को लीलने के बाद झटके मारने लगी। इधर बबिता अपनी गाण्ड मेरे मुँह के सामने हिलाने लगी। कुछ देर ऐसा करने के बाद दीदी लंड पर से हटी.. और बबिता जा कर लौड़े पर बैठ गई।
अब दीदी ने अपनी चूत मेरे मुँह के पास रख दी.. चूसने के लिए.. बबिता मेरे लंड पर खुद झटके मारने लगी। मैं इधर दीदी की चूत को चूसने लगा कि तभी दीदी ने बबिता के मुँह को पकड़ा और अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिए.. और दोनों चुम्बन करने लगीं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
दोनों रण्डियों की तरह अपनी गाण्ड हिला-हिला कर मुझसे चूत चटवाने लगीं.. और वो दोनों मेरे होंठों को चुम्बन भी करती रहीं। कुछ देर वैसा चलने के बाद बबिता ने दीदी की चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगी। तो दीदी भी कौन सा पीछे रहने वाली थी.. वो भी शुरू हो गई।
उसने भी बबिता की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया.. और इधर मैं अपने काम में लगा हुआ था, बबिता को झटके मार रहा था और दीदी की चूतड़ों को दबाते हुए उसकी चूत को चाट रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद हम तीनों अलग हुए और मैं अभी उठने ही वाला था कि दोनों ने मुझे बिस्तर पर फिर से गिरा दिया और दोनों लंड को चूसने लगीं।
बस कुछ देर में ही मैं झड़ गया.. और दोनों ने मेरे रस को साफ़ कर दिया। कुछ देर बाद वो दोनों भी मेरे चेहरे पर फिर से झड़ गईं और सारा पानी मेरे मुँह में चला गया.. मैं भी मजे से पी गया। फिर हम तीनों ने साथ में बाथरूम में जाकर अपने आपको साफ़ किया.. क्योंकि माँ-पापा के आने का टाइम हो गया था और जल्दी से घर को ठीक किया। दोनों बहनों ने मिलकर नाश्ता बनाया और हम नाश्ता करने बैठ गए।
मैं- कैसा लगा आज?
बबिता और सविता- मजा आ गया..
मैं- हाँ मुझसे ज्यादा मजा तो तुम दोनों ने ही लिया है।
बबिता और सविता- क्या.. जैसे तुम तो टाइम पास कर रहे थे..
मैं- टाइम पास तो नहीं.. लेकिन तुम से कम ही मजा किया न..
बबिता और सविता- ओके.. छोड़ो..
मैं- ओके..
सविता- बबिता तो एकदम जवान हो गई है।
मैं- हाँ आप बात तो सही बोली..
बबिता- आप भी कम थोड़े ही हैं आप का हुस्न देख कर तो कोई भी घायल हो जाए।
सविता- थैंक्स डार्लिंग..
बबिता- आपके ऑफिस में लड़के काम कम करते होंगे और ज्यादा ध्यान आप पर देते होंगे..
सविता- हाह हाहा.. क्यों तुम्हारे कॉलेज में ऐसा ही होता है क्या?
बबिता- नहीं लेकिन थोड़ा बहुत.. आपके ऑफिस में?
सविता- हाँ मेरे ऑफिस में भी थोड़ा बहुत तो होता ही रहता है।
बबिता- कोई ने लाइन दी कि नहीं आपको?
सविता- हाँ 2-3 ने कोशिश की.. लेकिन मैंने मना कर दिया।
बबिता- क्यों?
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सविता- वैसे ही ज़रूरत राज से पूरी हो ही जाती है… बाकी के टेन्शन में मैं नहीं पड़ना चाहती हूँ।
बबिता- हाँ सही है.. लेकिन इतनी बड़ी चूचियों को देख कर तो सब पागल हो जाते होंगे।
सविता- हाँ सबसे ज्यादा तो मेरा बॉस ही हमेशा मेरे आगे-पीछे घूमता रहता है।
बबिता- तो मौका दे दो न बेचारे को..
सविता- नहीं.. ज़रूरत नहीं है.. तुम बताओ, तुम्हारे पीछे कोई पड़ा या नहीं?
बबिता- हाँ बहुत हैं लेकिन किसी को भाव नहीं दे रही हूँ.. लेकिन सबको घुमा रही हूँ।
सविता- घुमा रही हो.. मतलब?
बबिता- अपने लटकों-झटकों से..
सविता- ऊऊओह.. गुड.. लेकिन ज्यादा इनके चक्करों में मत पड़ना।
बबिता- ओके..
सविता- लेकिन तुम्हारी उमर के हिसाब से तुम्हारे चूतड़ और गाण्ड थोड़े ज्यादा बड़े हो गए हैं.. सिर्फ़ राज ही चढ़ता है या और भी कोई है इसके पीछे?
मैं- बताओ?
बबिता- और भी है.. लेकिन ज्यादा राज का ही कमाल है.. अब तक 200 से ऊपर बार चोद चुका है।
सविता- 200 तो मेरा भी पहुँच ही गया होगा.. जब भी कोलकाता आता है 5-6 दिन तो सिर्फ़ चोदता ही है।
बबिता- मुझे तो भोपाल और घर पर भी.. भोपाल में मैं इसको अपना ‘ब्वॉय-फ्रेण्ड है..’ बोल कर सबको बताती हूँ।
सविता- मैं भी ब्वॉय-फ्रेण्ड ही बताती हूँ।
बबिता- ओके..
सविता- राज के अलावा और कौन चोदता है?
मैंने दीदी को तो सब बता दिया, सब कुछ जानने के बाद दीदी को तो मानो झटका सा लगा।
सविता- तुमने 3 लंड ले लिए.. इतने कम दिनों में ही?
बबिता- क्या करूँ.. चूत है कि मानती ही नहीं..
सविता- और राज तुम तो महारथी ही हो..
मैं- हाहह हाहा.. क्या करूँ अपना फंडा है.. जिधर मिले चूत.. उतार दो उसका भूत..
बबिता और सविता- हाहह हहाहा.. पर हमारी चूतों का भूत अभी तक नहीं उतरा है।
मैं- आओ उतार देता हूँ।
बबिता और सविता- मन तो हमारा भी है.. लेकिन माँ-पापा के आने का टाइम हो गया है.. सो रात को तेरे कमरे में आती हूँ।
मैं- ओके.. लेकिन मेरे पास एक मस्त आइडिया है..
बबिता और सविता- क्या?
मैं- क्यों ना हम लोग दिल्ली चलते हैं।
बबिता और सविता- क्यों?
मैं- क्यों क्या.. वहाँ खुल कर मस्ती करेंगे.. मेरा अपना फ्लैट है.. और कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं है।
बबिता और सविता- तब तो यही मस्त रहेगा.. बोलो कब चलना है..?
मैं- जब की टिकट मिल जाए..
बबिता और सविता- हाँ देख लो और चलो।
मैं- ओके..
घूमने का बहाना बना कर मैं दोनों को लेकर दिल्ली आ गया और सफ़र के कारण थोड़ा थक गया था.. मैं सो गया था। जब मेरी नींद खुली तो टीवी स्क्रीन पर देखा कि दोनों बिस्तर बैठी हुई थीं.. आगे बताने से पहले बता दूँ कि दिल्ली में मैं एक तीन कमरे के फ्लैट में रहता हूँ.. एक कमरे में.. जिसमें सबको चोदता हूँ.. उस कमरे में 5-5 कैमरे लगा हुए हैं.. जिससे बिस्तर पर जो भी होगा सब कुछ दिख जाएगा और उस कैमरे का वीडियो या तो मेरे मोबाइल पर या तो मेरे कमरे में लगे एलसीडी स्क्रीन पर देखा जा सकता है..
मैंने देखा कि बबिता और दीदी दोनों बिस्तर पर बैठे हुए थे। बबिता ने सफेद और गुलाबी मिक्स बिकिनी पहनी थी और दीदी ने काली लाल मिक्स बिकिनी पहनी थी। उन्हें यूँ देख कर तो मैं उत्तेजित हो गया था.. लेकिन फिर मैंने सोचा कि देखता हूँ कि ये दोनों क्या करती हैं। उसके बाद अन्दर जाऊँगा।
मैंने देखा कि दीदी गाण्ड हिला रही थीं और बबिता भी अपने बदन को सहला रही थी कि तभी बबिता और दीदी दोनों एक-दूसरे के पास आए और लिप किस करने लगीं। कुछ देर लिप किस करने के बाद दीदी बबिता की ब्रा के ऊपर किस करने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर कुछ देर के बाद दीदी ने बबिता की ब्रा नीचे कर दी और उसके निप्पल को चूसने लगी और हाथ से उसके चूतड़ों को सहलाने लगी। बबिता भी दीदी की चूतड़ों को सहलाने लगी.. कुछ देर बाद दीदी की ब्रा नीचे करके वो उसकी चूचियों को चूमने लगी और दबाने भी लगी।
दोनों एक-दूसरे की चूचियों को मसल ही रही थी.. तभी मैं सिर्फ़ अंडरवियर और टी-शर्ट में अन्दर पहुँच गया। मुझे देखते ही दोनों मुस्कुरा दीं और दोनों एक साथ मेरी तरफ बढ़ने लगीं। दोनों का गोरा बदन.. ऊपर से बड़ी-बड़ी चूचियाँ हिल रही थीं.. जो बहुत ही अच्छा लग रहा था।
जैसे ही मैंने उनकी चूचियों को दबाना चाहा कि दोनों बिस्तर पर चूत आगे करके लेट गईं और दोनों ने खुद ही अपनी-अपनी पैन्टी निकाल दी। पैन्टी निकालने के लिए पैर उठाया.. तो उनकी चूत सामने दिखने लगी और बिना बाल का पूरा साफ़-सुथरी गुलाबी चूतें मेरे नज़रों के सामने थीं।
तभी मैं दीदी की चूत की तरफ़ बढ़ने लगा और उसकी चूत को चाटने लगा तो बबिता भी दीदी की जाँघों को सहलाने लगी और दीदी की चूचियों को चूसने लगी। मैं इधर चूत को चूसता रहा और बबिता दीदी की चूचियों को दबाने लगी.. उसके लबों को चूमने लगी। तभी बबिता ने दीदी की ब्रा खोल कर पूरी हटा दी।
अब मैं भी दीदी की चूत को छोड़ कर बबिता की चूत पर पहुँच गया और तब तक दीदी ने भी बबिता की ब्रा को पूरे तौर से बदन से हटा दी और उसके निप्पलों पर अपना जीभ घुमाने लगी, अपने हाथों से दूसरी चूची को दबाने लगी। कुछ देर यूँ ही चलता रहा.. मैं चूत चूसता और ऊपर वो दोनों मजे लेते रहे।
तभी मैंने दीदी की चूत में एक उंगली को घुसा दिया.. तो मुझे पता भी नहीं चला.. बड़ी आसानी से अन्दर चली गई.. तो मैंने दूसरी उंगली को भी घुसाया और उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। मेरी देखा-देखी बबिता भी दीदी की चूत को ऊपर से सहलाने लगी, मैं तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा और दीदी चीखने लगीं।
तभी बबिता ने मेरी उंगली चूत से निकलवा दी और उंगली को मुँह में ले लिया। कुछ देर चूसने के बाद वो भी लेट गई और मैं उसकी चूत में भी उंगली करने लगा, अब दीदी उसकी चूत के ऊपर दबाने लगी और सहलाने लगीं। कुछ देर बाद जब मैंने बबिता की बुर में से उंगली को निकाला..
तो झट से दीदी मेरी उंगली को अपने मुँह में ले कर चूसने लगीं। फिर उन्होंने बबिता की चूत को भी एक बार चाट लिया। कुछ देर चूत चाटने के बाद मैंने भी अपनी टी-शर्ट को उतार दिया.. तो दोनों एक साथ मेरी तरफ़ बढ़ीं और मुझे चूमने-चाटने लगीं। कुछ देर यूँ ही मस्ती करने के बाद मैं उन दोनों के बीच में लेट गया और दोनों मेरे बदन पर चुम्बन करने लगीं।
चुम्बन करते-करते दोनों मेरे ही एक-एक निप्पल पर अपनी जीभ फेरते हुए उसे चुभलाने लगीं और उसको चाटने लगीं। कुछ देर बाद दोनों साथ ही मेरे लौड़े को अंडरवियर के ऊपर से ही चूमने लगे और कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों ने आपस में कुछ इशारा किया और एक साथ में ही मेरा अंडरवियर नीचे कर दिया.. तो मैंने हँसते हुए अपने पैर उठा दिए.. जिससे अंडरवियर को पूरा बाहर कर दिया गया।
अब हम तीनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। वे दोनों साथ में मेरे लंड को चाटने लगीं। तभी बबिता ने लंड को मुँह में ले लिया और दीदी नीचे गोटियाँ चाटने लगीं। मैं लौड़ा चुसवाता हुआ उन दोनों के चूतड़ों को सहला रहा था और दोनों मिल कर मेरे लंड के साथ खेल रही थीं।
कुछ देर दीदी चूसतीं.. तो कुछ देर बबिता.. कुछ देर बाद मैंने दीदी को अपने पास खींच लिया और उसके साथ चूमा चाटी करने लगा। उधर बबिता अब भी मेरा लंड चूस रही थी। कुछ देर ऐसा चलता रहा.. फिर हम तीनों खड़े हुए। बबिता ने दीदी को बेड के एक किनारे पर इस तरह बैठा दिया कि दीदी की चूत एकदम सामने को हो गई..
तो मैं अपने खड़े लंड को दीदी की चूत पर घुमाने लगा और एक झटका मारा.. लंड अन्दर घुसता चला गया.. और उसके मुँह से ज़ोर से चीख निकल पड़ी- आआ.. आआहह.. उ..ह..! तो बबिता दीदी की चूत के पास हाथ फेरने लगी और मैं झटके मारने लगा। जब दीदी थोड़ा संयत हो गई.. तो मैं ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा।
फिर मैंने लंड बाहर निकाल लिया.. तो बबिता मेरा लंड चूसने लगी, दीदी की चूत का सारा रस चाट गई। कुछ देर लौड़ा चूस कर उसने दीदी की चूत पर लगा दिया। फिर मेरे बमपिलाट झटके शुरु हो गए और दीदी के मुँह से फिर से ‘आआ.. आआअहह.. उऊहह..’ निकलने लगा।
तो बबिता ने दीदी के मुँह के पास अपनी चूत कर दी और दीदी में मुँह को दोनों टाँगों के बीच फंसा लिया। मैं लगातार झटके मार रहा था और सामने से बबिता की चूचियों को चूस रहा था। कुछ देर बाद फिर दीदी को उल्टा किया और झूले पर पेट के बल टांग दिया.. और पीछे से उसकी गाण्ड मारने लगा… कुछ देर झटके मारने के बाद फिर से दोनों लंड चूसने लगीं।
कुछ देर बाद मैं लेट गया और मेरे लंड के पास दोनों एक-दूसरे के गाण्ड से गाण्ड सटा कर बैठ गई.. और बारी-बारी से चुदने लगी। पहले दीदी चुदीं.. फिर दीदी हटीं.. तो बबिता चुदने लगीं.. तब तक मैं दीदी के चूतड़ों को मसलने लगा। फिर जब दीदी चुदने लगीं.. तो बबिता भी दीदी की गाण्ड में अपनी गाण्ड टकराने लगी.. जब दोनों के चूतड़ों टकराते थे.. तो मुझे बहुत अच्छा लगता था।
कुछ देर बाद जब हम तीनों को लगा कि हम झड़ने वाले हैं.. तो दोनों लंड के पास पहुँच गईं और लौड़े को चूसने लगीं। जैसे ही मैं रस छोड़ा.. तो दोनों चुदासी चूतें.. मेरा सारा रस पी गईं.. और चूत का रस भी दोनों एक-दूसरे का पी गई और हम तीनों वहीं निढाल हो कर सो गए। कुछ देर बाद सभी फ्रेश हुए और दोनों ने मिल कर नाश्ता बनाया और हम सब नाश्ता करने लगे।
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बबिता और सविता एक साथ बोलीं- तुमको कैसे पता चला था कि हम सेक्स कर रहे हैं?
मैं- बस पता चल गया किसी तरह..
बबिता और सविता- बताओ ना प्लीज़..
मैं- ओके.. इधर आओ.. चलो मेरे कमरे में..
बबिता और सविता- लो आ गए.. अब बोलो?
मैं टीवी की तरफ़ इशारा करते हुई बोला- उधर देखो..
बबिता और सविता- क्या है.. यह तो टीवी है।
मैं- हाँ लेकिन उसमें क्या चल रहा है.. वो तो देखो।
बबिता और सविता- ऊऊओह.. मतलब उस कमरे में कैमरा लगा हुआ है और उसका कनेक्शन इस कमरे में है..
मैं- हाँ..
बबिता और सविता- तो हम लोगों ने जो कुछ किया.. वो सब इसमें रेकॉर्ड हो गया होगा?
मैं- हाँ सब कुछ..
बबिता और सविता- जरा दिखाओ तो..
मैं- ओके.. ये लो..
मैंने वीडियो प्ले कर दिया।
बबिता और सविता- यह तो लग रहा है कोई लाइव इंडियन पॉर्न चल रहा है।
मैं- और तुम दोनों पॉर्न स्टार की तरह..
बबिता और सविता- हाँ लग तो रहा है।
मैंने आँख मारते हुए कहा- तो क्या अपलोड कर दूँ नेट पर? फेमस हो जाओगी..
बबिता और सविता- नहीं.. नहीं होना फेमस.. और हाँ इसको अभी डिलीट करो.. किसी को दिखना नहीं चाहिए।
मैं- ओके कर दूँगा..
बबिता और सविता- ओके.. चलो ना कुछ शॉपिंग करने चलते हैं।
मैं- हाँ चलो किसी मॉल में चलते हैं।
बबिता और सविता- ओके।
हम लोग रेडी हुए और एक मॉल में पहुँच गए और कुछ ड्रेस खरीदने के बाद लेडीज फ्लोर पर गए.. तो वहाँ बहुत सारी हॉट ड्रेस भरी पड़ी थीं.. तो मैंने उन दोनों को सजेस्ट किया.. तो दोनों ने अपने-अपने साइज़ के हिसाब से कुछ कपड़े ले लिए।
उनको ये सब इतने अधिक पसंद आए थे कि उन दोनों ने मिल कर लगभग 22 जोड़े ब्रा-पैन्टी खरीद लिए थे। हम लोग घूमते रहे खूब मस्ती की और घर आ गए.. तो बबिता ने अपने बैग से एक पैकेट निकाला.. उसमें रबर के 6 सैट लंड के थे।
मैं- ये क्यों लिए?
बबिता- रात को पता चलेगा।
मैं- ओके।
उसके बाद दोनों ने सारे ड्रेस पहन कर मुझे दिखाए और जब रात हो गई तो खाना आदि खाने के बाद हम लोग रेस्ट करने लगे। कुछ देर रेस्ट करने के बाद दोनों कपड़े उतार कर मेरे कमरे में आ गईं, मेरी जरा आँख लग गई थी.. तो दोनों ने मुझे उठाया।
मैं बोला- मेरे जिस्म में दर्द हो रहा है।
तो दोनों मेरे सारे कपड़े उतार दिए और अपनी चूचियों को तेल में डुबो कर मेरे बदन पर घुमाने लगीं। मैं ये चूचियों से मसाज करना पॉर्न मूवी में देख चुका था.. लेकिन आज पहली बार मेरे साथ भी यही हो रही थी। अब तो दोनों की चूचियों भी बड़ी और सख्त हो चुकी हैं.. मेरे मिलने से पहले छोटी-छोटी टेनिस की गेंद जैसे आकार की थीं।
लेकिन मेरे मिलने के बाद तो फुटबाल सी हो गई हैं तो मसाज भी बड़ी आसानी से हो रही थी और मुझे मजा भी आ रहा था। फिर मैं पीछे को मुड़ गया.. तो दोनों अपने हाथों और चूचियों से मेरी पीठ पर मसाज देने लगीं और मसाज के बहाने मेरे पूरे शरीर में तेल लग गया था। दीदी ने बबिता के चूतड़ों पर तेल लगाया और मेरे पीठ पर बिठा कर आगे को धकेल दिया..
तेल के कारण फिसलन होने के कारण वो सीधे मेरे सिर के पास आ कर रुकी। फिर तो दोनों इसी तरह आगे-पीछे करते हुए मेरी पीठ की मालिश करती रहीं और मैं चूतड़ों की इस मसाज का मजा लेता रहा। कुछ देर मसाज का मजा देने के बाद दोनों सामने झुक कर गाण्ड हिलने लगीं.. एक तो तेल लगने के बाद गाण्ड वैसे ही खूबसूरत दिख रही थी और हिलने के बाद तो और भी कयामत लग रही थी।
अब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैं भी उठ गया.. दोनों में ज्यादा सेक्सी दीदी की गाण्ड लग रही थी.. सो मैंने दीदी को गोद में उठाया और उसकी चूत के पास लंड सटा कर झटके मारने लगा। तभी मैंने देखा की बबिता भी रबर के लंड को पहन कर आ गई। मैं ये देख कर समझ गया कि इसका क्या इस्तेमाल होगा। मैं उसको देख कर मुस्कुरा दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
बबिता- दीदी ने एक साथ दो लंड का मजा नहीं लिया है.. सो आज उसका मन पूरा कर देती हूँ।
मैं- हाँ कर दो।
सविता- क्या करने वाले हो तुम दोनों?
बबिता और मैं- कुछ नहीं.. बस देखती जाओ.. आगे-आगे होता है क्या?
मैं नीचे लेट गया और दीदी को अपने ऊपर लिटा लिया और चूत में लंड डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी गाण्ड का छेद बबिता के सामने थी.. सो बबिता ने उसकी गाण्ड के मुँह पर लंड रखा.. और झटका मारना चाहा.. लेकिन वो फिसल कर बाहर आ गया।
मैं नीचे लेट गया और दीदी को अपने ऊपर लिटा लिया और चूत में लंड डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी गाण्ड का छेद बबिता के सामने थी.. सो बबिता ने उसकी गाण्ड के मुँह पर लंड रखा.. और झटका मारना चाहा.. लेकिन वो फिसल कर बाहर आ गया।
उसे अभी नकली लौड़े से गाण्ड मारने का अनुभव नहीं था ना.. सो मैं रुक गया बबिता के उस रबर वाले लंड को पकड़ कर दीदी की गाण्ड के छेद के पास ले गया। मैंने इशारा किया और तभी बबिता ने झटका मारा.. तो लंड सीधा गाण्ड में घुस गया.. रबर का ये लौड़ा मेरे लौड़े से बहुत पतला लंड था। तब भी दीदी की आह्ह.. निकल गई।
अब हम दोनों साथ झटके मारने लगे और दीदी भी 2 लंड एक साथ ले कर मजे ले रही थी। कुछ देर ऐसे चुदाई करने के बाद मैं दीदी की दोनों टाँगों के बीच आ गया और दोनों टाँगों को कंधे पर रख कर झटके मारने लगा। फिर कुछ देर बाद मैंने दीदी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया लंड को चूत में पेल कर दीदी को चुम्बन करने लगा।
तभी बबिता मेरे चूतड़ों पर फिर से तेल लगाने लगी और लगाते-लगाते ही वो मेरी गाण्ड में उंगली घुसेड़ने लगी.. तो मैं उसको हटाने लगा। तो दीदी ने मुझे पकड़ लिया और बबिता अपना रबर वाला लंड मेरी गाण्ड में डालने लगी.. वो पेन जितना पतला था।
उसने पूरा अन्दर डाल दिया और मेरे ऊपर लेट गई.. तो मैंने उसको हटा दिया। अब मैंने दीदी को छोड़ कर बबिता को उल्टा किया और उसकी गाण्ड के छेद पर अपना लंड लगा कर एक ही झटके में पूरा गाण्ड की जड़ तक अन्दर पेल दिया.. और जोरदार झटका मारने लगा।
बबिता कराह उठी.. गाण्ड चुदाई के बीच-बीच में मैं उसके चूतड़ों पर भी चपत मारने लगा। कुछ देर बाद चूतड़ों को छोड़ कर उसकी चूचियों को मसलने लगा और पीछे से गाण्ड में झटके मारता रहा। मैंने बबिता को तब तक नहीं छोड़ा.. जब तक मैं झड़ नहीं गया और झड़ कर हम तीनों बिस्तर पर एक साथ लेट गए।
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सविता- क्या बात है आज बबिता की जबरदस्त चुदाई हो गई।
बबिता- आप को भी तो आज मजा आया होगा.. एक साथ दो लंड लिए हैं।
सविता- हाँ बहुत मजा आया।
मैं- बबिता को तो एक साथ दो लंड खाने का अच्छा ख़ासा अनुभव है।
सविता- क्या सच में?
मैं- उसी से पूछ लो.. बताओ बबिता।
बबिता- हाँ..
सविता- कब और किसके साथ?
तो मैंने और बबिता ने मिल कर पूरी कहानी बता दी..
बबिता- दीदी आप भी लेना चाहोगी क्या?
सविता- नहीं बाबा..
बबिता- ओ के!
सविता- और तुम भी छोड़ दो.. घर में रहने तक ये सब ठीक है.. लेकिन घर से बाहर नहीं लेना.. कल को किसी को पता चल गया.. तो बदनामी होगी।
बबिता- नहीं पता चलेगा..
सविता- क्यों नहीं पता चलेगा? कहीं उससे झगड़ा हुआ और उसने सबको बता दिया तो?
बबिता- नहीं ना बताएगा..
सविता- क्यों नहीं बताएगा।
बबिता- क्योंकि राज उसकी दोनों बहनों को चोद चुका है।
सविता- क्या सच में?
बबिता- उसी से पूछ लो.. बताओ राज..
मैं- हाँ दीदी।
सविता- अरे ये लंड है कि क्या है.. किसी को नहीं छोड़ा है क्या?
मैं- क्या करूँ.. मैं तो सम्भल जाऊँगा.. लेकिन ये लंड है कि मानता ही नहीं है। जो मुझे पसंद आ जाती है.. यह लंड अपना रास्ता खुद ही ढूँढ लेता है।
बबिता- अब तक कोई ऐसी लड़की है.. जिसके पीछे तू पड़ा हो.. लेकिन वो नहीं पटी हो तुमसे?
मैं- हाँ हैं ना.. बहुत हैं.. लेकिन उनमें से एक है.. जिसके पीछे मैं पिछले 3 साल से पड़ा हुआ हूँ.. लेकिन लाइन ही नहीं दे रही है।
सविता- कौन है?
मैं- साधना मेम.. मेरे कॉलेज में टीचर हैं.. पिछले 3 साल से उनके लिए तड़प रहा हूँ.. लेकिन साली की चूत अब तक मिली नहीं है।
सविता और बबिता- मिल जाएगी.. जल्दी ही.. मुझे पूरा भरोसा है।
मैं- क्या बात है.. इतना भरोसा है मुझ पर?
सविता और बबिता- हाँ क्योंकि जो लड़का अपनी सग़ी बहन को नहीं छोड़ता है.. वो हरामी अपनी टीचर को क्या छोड़ेगा।
मैंने हँसते हुए- हाँ यह बात भी सही है.. वैसे तुम दोनों अब मेरी बहन नहीं हो..
सविता और बबिता- हाँ हमें भी भाई बोलते हुए अच्छा नहीं लगता।
मैं- हाँ आज से मैं दीदी और छोटी नहीं बोलूँगा.. आज से सविता को बड़ी बीवी और बबिता को छोटी बीवी बोलूँगा।
सविता और बबिता- ओके.. और हम दोनों तुमको पतिदेव।
मैं- हाँ लेकिन सिर्फ़ हम लोगों के बीच ही.. बाहर जैसे हम लोग एक-दूसरे से जैसे बात करते थे.. वैसे ही बात करेंगे।
सविता और बबिता- ओके मेरे पतिदेव।
मैं- अच्छा मेरी दोनों बीवियों.. अब हमें सोना चाहिए..
दोनों मेरी बाँहों में नंगी ही सो गईं.. जब मैं सुबह उठा.. तो देखा बिस्तर पर मैं अकेला सोया हुआ हूँ। अब वो मेरी बहनें नहीं.. दो बीवियाँ बन गई हैं। अगले दिन मैं जैसे ही उठा.. मुझे मेरी बीवी बगल में नहीं दिखी.. तो मैंने आवाज़ दी.. तो दोनों एक साथ अपनी गाण्ड मटकाती हुई आईं।
मैं- हैलो स्वीटी.. कल रात मज़ा आया..
बबिता और सविता एक साथ बोलीं- हाँ.. बहुत मजा आया.. वैसे भी अब तो आप हमारे पति बन गए हैं।
मैं- अभी नहीं.. आज हम लोग शादी करते हैं.. तब होंगे।
सविता- शादी.. वो कैसे करोगे?
मैं- मेरे पास एक आइडिया है।
बबिता- क्या आइडिया है बताओ.. कोर्ट मैरिज करोगे क्या?
मैं- नहीं.. आज हम अपने फ्लैट में शादी करेंगे और सिर्फ़ हम तीनों ही होंगे.. मोमबत्ती जला कर फेरे लेंगे।
सविता और बबिता एक साथ चहकीं- वाउ रोमाँटिक आइडिया है।
मैं- तो चलो रेडी हो जाओ।
सविता और बबिता फिर एक साथ बोलीं- तो हम दोनों पहले पार्लर जाते हैं।
मैं- पार्लर क्यों?
सविता- अरे यार आज शादी है हमारी.. तो सजने तो जाना होगा ना..
मैं- हाँ ये भी सही है.. तो तुम दोनों पार्लर जाओ और मैं मार्केट से कुछ सामान लेकर आता हूँ।
वे दोनों एक साथ बोलीं- ओके..
मैं मार्केट से दुल्हन का सारा सामान ले आया और तब तक दोनों भी पार्लर के लिए रेडी होकर आ गई थीं।
मैंने दोनों को कपड़े दे दिए और बोला- शाम तक सब कुछ रेडी रखना..
मैं अपने काम से चला गया। शाम को जब मैं घर लौटा.. तो मैंने देखा कि मेरे घर के एक हॉल में दोनों सजी-धजी बैठी हुई थीं.. और हॉल पूरा सज़ा हुआ था। मैं उनको इस रूप में देखकर मुस्कुराया और जल्दी से अपने कमरे में जाकर तैयार होकर आ गया। अब मैं वापस हॉल में आ गया। मैंने जींस और कुर्ता पहन रखा था.. लेकिन वो दोनों भी लहंगा-चुन्नी में मस्त आइटम लग रही थीं।
सविता दीदी ने लाल लहंगा और डोरी वाली चोली पहनी हुई थी और बबिता ने हल्के गुलाबी रंग का लहंगा और जरी के काम वाली चोली पहनी थी। उन दोनों के चूतड़ों के उभार मस्त दिख रहे थे और चोलियाँ चूचियों तक ही थीं। चोली और लहंगे के अलावा बाकी का भाग नंगा था.. मतलब कमर.. पेट पूरा नंगा था.. मेरा तो फिर से लंड खड़ा हो गया।
मैं- दोनों हॉट और सेक्सी लग रही हो.. एकदम कंटाप माल लग रही हो।
बबिता बोली- ऊऊहह.. तैयार भी तो इसी लिए हुए हैं।
मैं- मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है यार..
सविता- तो कंट्रोल करो.. अभी कुछ नहीं मिलने वाला है।
मैं- कुछ नहीं.. थोड़ा बहुत तो मिलना चाहिए ना यार..
बबिता- नो.. कुछ नहीं.. सब कुछ मिलेगा.. लेकिन कुछ देर बाद..
मैं- वही तो.. कुछ देर इंतज़ार नहीं हो रहा है.. मन हो रहा है कि बस शुरू हो जाऊं और खास करके तुम दोनों ने कपड़े भी इतने हॉट पहने हैं कि मैं तो क्या.. कोई बूढ़ा भी कंट्रोल नहीं कर पाएगा।
सविता और बबिता एक साथ हंसने लगीं।
मैं- ह्म्म्म्म .. ओके.. जो करना है.. जल्दी करो।
सविता- हाँ बस अब शुरू ही कर देती हूँ।
मैं लण्ड पर हाथ फेरता हुआ बोला- हाँ जल्दी करो।
बबिता- ओके आओ.. अब शुरू करते हैं।
इतना सुनते ही मैंने सीधा सविता को बांहों में लिया और चूमने लगा।
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तभी बबिता बीच में आई और हम दोनों को अलग करते हुए बोली- अभी रूको.. वो हम दोनों को हाथ पकड़ कर सामने एक जगह पर ले गई.. जहाँ एक मोटी मोमबत्ती रखी थी। उसने मोमबत्ती जलाई और मेरे कंधे पर एक धोती रख कर सविता की ओढ़नी से गाँठ बाँध दी और बोली- अब फेरे शुरू करो..
मैं बोला- मैं फेरा अलग स्टाइल में शुरू करूँगा।
मैंने सविता को गोद में उठा लिया.. मेरा एक हाथ उसकी नंगी कमर पर था और दूसरा नंगी पीठ पर कर घूमने लगा। दो फेरे लेने के बाद मैंने बबिता को भी बुला लिया और हम तीनों ने मिल कर फेरे पूरे किए। फेरे पूरे होने के बाद मैंने दोनों की माँग को भरा और मंगलसूत्र पहनाया। इस तरह हम तीनों की शादी हो गई और आज मुझे एक नहीं दो-दो बीवियाँ चोदने को मिल गई थीं। मैंने दोनों को गले से लगाया।
मैं- अब तो तुम दोनों मेरी बीवियाँ बन गई हो.. चलो सुहागरात मनाते हैं।
सविता और बबिता एक साथ बोलीं- हाँ हम दोनों कमरे में जा रही हैं.. ‘आप’ कुछ देर में आना।
मैं- आप?
सविता- हाँ.. पत्नियाँ अपने पति का नाम नहीं लेती हैं।
मैं- ओहो.. तो चलो हम भी साथ चलते हैं।
सविता और बबिता एक साथ बोलीं- नो कुछ देर बाद आना.. आप हमारे पतिदेव हैं।
मैं- अपने पति को तड़फा रही हो..
सविता- नहीं तड़फा नहीं रही हूँ.. बस कुछ देर बाद आ जाइएगा।
मैं- ठीक है.. जैसी आपकी इच्छा।
बबिता- हाँ ये हुई ना हमारे पति जैसी बात..
दोनों गाण्ड मटकाती हुई कमरे में चली गईं और मैं लण्ड सहलाता हुए इंतज़ार करता रहा। कुछ देर इंतज़ार के बाद मुझे अन्दर बुलाया.. मैं जैसे ही अन्दर गया। मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि ये मेरा ही कमरा है.. क्योंकि पूरा कमरा बड़े ढंग से सजाया हुआ था.. हल्की दूधिया रोशनी जल रही थी और उस लाइट में मुझे तो सिर्फ़ मेरी दोनों बीवियों के दूधिया गुंदाज बदन दिख रहे थे।
मैं जैसे ही अन्दर गया.. उन दोनों ने मुझे एक कुर्सी पर बैठाया और बोलीं- आओ स्वामी आपका मुँह मीठा कराते हैं।
सविता एक रसगुल्ले को लेकर मेरी तरफ़ आई.. मैंने आधा रसगुल्ला अपने मुँह में दबा कर सविता को अपनी तरफ़ खींचा और बचा हुआ आधा रसगुल्ला उसको खिलाने लगा। जैसे ही हम दोनों नजदीक आए.. हम रसगुल्ला खाने के साथ ही होंठों का चुम्बन करने लगे।
अभी तो रसगुल्ला दुगना मीठा लग रहा था। मीठा रसगुल्ला और ऊपर से सविता के रसीले होंठ.. आह्ह.. मजा आ गया। कुछ देर बाद हम अलग हुए और मैं बबिता को भी किस करने लगा.. कुछ देर चुम्बन करने के बाद हम अलग हुए।
बबिता- अब आगे दीदी के साथ मजा करो.. मैं बाद में आऊंगी। वैसे भी मैं एक बार मना चुकी हूँ.. दीदी का इधर फर्स्ट-टाइम है।
मैं- तब तक तुम क्या करोगी?
बबिता- लाइव शो का मजा लूँगी.. इतना सेंटी क्यों हो रहे हो.. इसके बाद मैं ही आने वाली हूँ।
मैं- ओके मेरी जान.. लव यू।
बबिता- ओके.. एंजाय करो।
अब बबिता सामने सोफे पर बैठ गई और सविता दूध का गिलास लेकर मेरे पास आई। मैंने थोड़ा दूध पिया और थोड़ा उसको भी पिलाया।
मैंने उसको गोद में उठा लिया और बोला- मुझे तुम्हारे ये वाले दूध पीना है।
मैं उसकी चोली के ऊपर की खुली जगह पर किस करने लगा.. तो उसके गहने मुझे दिक्कत करने लगे। मैंने उसको बिस्तर के पास बैठाया और एक-एक करके उसके सारे गहने उतार दिए। फिर गर्दन और चूचियों के बीच की जगह पर किस करने लगा.. साथ ही मैं उसकी कमर को भी सहलाए जा रहा था।
वो मुझे पकड़े हुए थी और मैं चोली के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूस रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके पीछे गया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा और आगे हाथ बढ़ा कर उसकी मस्त चूचियों को भी दबाने लगा। उसकी गर्दन पर किस करते-करते मैं नीचे को बढ़ने लगा और उसकी नंगी पीठ पर किस करने लगा.. साथ ही मैं उसकी चूचियों को भी दबाता रहा।
कुछ देर किस करने के बाद उसकी चोली की कपड़े की चौड़ी पट्टी को अपने दांतों के बीच दबा कर खींच दिया.. चोली एकदम से खुल गई। मैंने चोली को हटा दिया और अब वो ऊपर सिर्फ़ रेड ब्रा में थी.. जो पीछे एक पतली सी डोर से बन्धी हुई थी। जिसकी वजह से नीचे से उसकी आधी चूचियों को ऊपर की तरफ़ उठी हुई थीं।
वैसे भी सविता की चूचियाँ मेरी जिन्दगी की अब तक की सबसे बेस्ट चूचियाँ थीं। एकदम गोल बॉल की तरह.. और दूध की तरह गोरी चूचियां.. एकदम टाइट.. अगर ब्रा नहीं भी पहने.. तब भी एकदम सामने को तनी रहें.. झूलने की कोई गुंजाइश नहीं। मैं उसकी अधखुली चूचियों को ही चूमने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कुछ देर किस करने के बाद मैं उसकी ब्रा के अन्दर उंगली डाल कर निप्पल को ढूँढने लगा। वैसे ढूँढने की ज़रूरत नहीं थी.. निप्पल खुद इतना कड़क था.. जो कि दूर से ही ब्रा के ऊपर दिख रहा था। मैंने उसके निप्पल को पकड़ कर ब्रा से बाहर निकाल लिया। गुलाबी निप्पल को देख कर लग रहा था कि वो बाहर निकलने का इंतज़ार ही कर रहा था.. मानो बुला रहा हो कि आओ और चूसो मुझे..
मैं कौन सा पीछे रहने वाला था मैं भी टूट पड़ा उस पर.. मैं उसके एक निप्पल को मसलने लगा और दूसरे को होंठ के बीच दबाने और चूसने लगा। कुछ देर बाद मैंने अधखुली चूचियों के ऊपर चिपकी ब्रा भी खोल दिया.. जैसे ही ब्रा को खोला.. उसकी दोनों चूचियाँ छलकते हुए बाहर आ गईं।
मैं पहले भी बता चुका हूँ कि सविता की चूचियाँ मेरे अब तक की सबसे बेहतरीन चूचियाँ हैं.. तो जैसे ही उसकी मदमस्त चूचियाँ उछलते हुए बाहर आईं.. मैं चूचियों पर टूट पड़ा। मैं उसकी मस्त चूचियों को चूसने और मसलने लगा और पूरी चूचियों को मुँह में लेने की कोशिश करने लगा।
वो इतनी बड़ी गेदें थीं.. जिनके साथ खेल तो सकते थे.. लेकिन खा नहीं सकते थे। मैं बस उसकी गेदों से खेलता रहा। वो भी चूचियों को मसलवाने के मज़े ले रही थीं। अब तो वो ऊपर से पूरी नंगी थी.. एक तो गोरा बदन और दूधिया रोशनी में कयामत लग रही थी। मैं उसके पूरे बदन को चूमता-चाटता रहा।
तभी बबिता बोली- दीदी आपके कपड़े उतर गए और पतिदेव अभी तक कपड़े में हैं।
सविता हँसते हुए मेरे कपड़े उतारने लगी, मैंने भी अपने कपड़े उतारने में उसका साथ दिया, अब मैं भी ऊपर से पूरा नंगा हो गया, मैंने उसको अपनी तरफ़ खींचा और गले लगा लिया। हम दोनों एक-दूसरे के बदन पर किस करने लगे और एक-दूसरे को जकड़ कर पकड़े हुए थे। अब मैं उसके चूतड़ों को लहंगे के ऊपर से ही मसलने लगा और वो मेरे लंड को सहलाने लगी।
मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था ही.. और उसके पकड़ने के बाद तो और टाइट हो गया.. मेरा लौड़ा बिल्कुल लोहे की तरह सख्त हो गया था। सविता ने उसको पैंट से बाहर निकाला.. तो आज़ादी महसूस हो रही थी.. लेकिन वो आजादी अधिक देर तक कायम नहीं रह सकी, सविता लंड को मसलने लगी और वो मेरे पेट पर किस करते हुए नीचे की तरफ़ बढ़ रही थी।
वो मेरे खड़े लंड के आस-पास किस करने लगी। मैंने तो आज की सुहागरात की तैयारी में पहले से ही झांटों का जंगल साफ़ कर रखा था। वो अपने मुलायम होंठ से मेरे लंड पर किस करने लगी.. और कुछ देर में लंड के ऊपर वाले भाग को चाटने लगी। वो मेरे लंड को पूरा अन्दर लेने की कोशिश करने लगी, कुछ ही देर के बाद पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी।
आज पहली बार मुझे महसूस हो रहा था कि यह दिल से लंड चूस रही है.. क्योंकि बता नहीं सकता.. कितना मज़ा आ रहा था। वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसके सिर को सहला रहा था। वो मेरे लंड को मसल-मसल कर चूस रही थी.. जैसे किसी पोर्न मूवी में लंड चूसते हैं। मैं तो अन्दर तक हिल गया था.. उसने मुझे लंड चूस कर ही आधा मज़ा दे दिया था।
वो मेरा लौड़ा तब तक चूसती रही.. जब तक मैं झड़ नहीं गया। मेरे झड़ने के बाद वो मेरा सारा माल पी गई और लंड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया, फ़िर मेरे बगल में लेट गई और मेरे बदन पर उंगली फिराने लगी। मैं उठा और उसके लहँगे को घुटनों तक उठा दिया और उसके पैरों को चूमने लगा।
उसके एकदम चिकने पैरों को चूमते-चूमते मैं ऊपर को बढ़ने लगा और अपने सिर को उसके लहँगे के अन्दर घुसेड़ दिया। अब मैं उसकी मरमरी जाँघों को चूमने लगा। कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मेरे हाथ उसकी पैन्टी पर गए.. जो गीली हो चुकी थी। मुझसे अब बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हुआ और मैं उसकी भीगी पैन्टी को चाटने लगा।
मुझे नमकीन सा स्वाद लग रहा था.. और कुछ देर यूं ही पैन्टी के ऊपर से चाटने के बाद मुँह से ही पैन्टी को साइड कर दिया और उसकी गुलाबी चूत को जीभ से चाटने लगा। उसने भी आज ही चूत को साफ़ किया था.. एक भी बाल नहीं था और ऊपर से इतनी मखमल सी मुलायम चूत.. आह्ह.. मजा आ गया।
आप सोच सकते हो मुझे उसकी चूत को चाटने में कितना मजा आ रहा होगा। लेकिन उसकी पैन्टी बार-बार बीच में आ जा रही थी.. तो मैंने उसकी पैन्टी को उतार दिया। अब नंगी चूत देख कर मैं उसको किस करने लगा और अपनी पूरी जीभ चूत के अन्दर डाल कर चूसने लगा।
मेरी पूरी जीभ चूत के बहुत अन्दर तक चली जा रही थी.. वो भी मस्त हो कर अपनी चूत को उठा रही थी। कुछ देर ऐसा चला.. फिर मैंने उंगली से चूत की फांकों को अलग किया और जीभ को और अन्दर तक ले गया। उसकी ‘आह्ह..’ निकल गई.. मैं पूरी मस्ती से जीभ को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और उसने अपनी जांघों से मेरे सिर को दबा लिया.. तभी अचानक उसकी चूत ने एक जोरदार पानी की धार छोड़ दी.. जिससे मेरा पूरा चेहरा भीग गया। वो झटके ले-ले कर पानी छोड़ती रही और फिर निढाल हो कर लेट गई।
कुछ देर बाद मैंने भी उसको छोड़ दिया करीब 5 मिनट के बाद मैं फिर से हरकत में आ गया और उसकी नाभि पर उंगली घुमाने लगा.. तो वो खुद मेरे ऊपर लेट गई और ‘लिप किस’ करने लगी। कुछ देर ‘लिप किस’ करने के बाद हम दोनों एक-दूसरे के बदन पर किस करने लगे और एक-दूसरे को चूसने लगे।
मैंने कुछ देर ऐसा करने के बाद उसके लहँगे के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके भरे हुए चूतड़ों को दबाने लगा। कुछ देर दबाने के बाद उसके लहँगे को नीचे कर दिया और उसके चूतड़ों को क़ैद से आज़ाद करवा दिया। उसने भी चुदास से भरते हुए अपने लहँगे को पूरा बाहर ही कर दिया और अब वो भी पूरी नंगी हो गई.. मैं तो पहले से ही नंगा था।
हम दोनों ही नंगे हो चुके थे और वो मेरे ऊपर भी लेटी हुई थी.. सो मेरा लंड उसकी चूत से सटा हुआ था.. और लंड खुद ही अपना रास्ता ढूँढ रहा था। मेरा कड़क लौड़ा उसकी चूत के दरवाजे को खटख़टा रहा था। मैं अभी सोच ही रहा था कि तभी सविता ने मेरे लंड को पकड़ कर चूत का रास्ता दिखा दिया, लंड ने भी जरा सी मदद मिलते ही अपना रास्ता ढूँढ लिया.. सीधा आधा भाग चूत के अन्दर घुसता चला गया।
उसके मुँह से ‘आह्ह.. उई.. माँ..’ की आवाज़ आई। मैं उसके चूतड़ सहलाने लगा और चूचियों को मुँह में लेकर एक जोरदार झटका मारा और पूरा लौड़ा उसकी चूत के अन्दर घुसता चला गया। उसकी ‘ऊऊहह आहूऊऊहह..’ की तेज आवाज़ आने लगी.. तो मैं रुक गया और कुछ देर चूचियों को दबाता रहा.. चूमा.. फिर से लण्ड के झटके मारने लगा।
अब उसे भी उतना दर्द नहीं हो रहा था.. बल्कि कुछ ही देर में उसको भी मजा ही आने लगा था। क्योंकि वो इसी लंड से पिछले 3 साल से चुद रही थी.. सो ये दर्द कम और मजा ज्यादा दे रही थी और पिछले तीन साल में मुझे भी पता लग गया था कि इस चूत को कैसे सम्भालना है।
खैर.. मैं झटके मार रहा था और उसके मुँह से सीत्कार निकल रही थी। इतनी मादक सीत्कार थी.. जिसको सुन कर कोई भी पागल हो जाए। मैं तो इस सीत्कार का दीवाना था ही। कुछ देर ये सब चलता रहा.. फिर मैंने उसको गोद में उठा लिया और उसकी रसीली चूत में ‘घपाघप..’ चोटें मारने लगा।
अपने लंड से कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसको पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया.. जिसमें वो कमर से ऊपर बिस्तर पर थी.. और उसके चूतड़ और पैर नीचे थे। मैं भी बिस्तर के नीचे ही खड़ा रहा। मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और उसके एक पैर को अपने कंधों पर उठा लिया.. जिससे उसकी चूत मेरे सामने खुल उठी थी।
फिर मैंने उसकी चूत में लंड पेल दिया और झटके मारने लगा। अब मेरे इन झटकों से उसका पूरा जिस्म हिल रहा था। सबसे ज्यादा मजा उसके अमृत फलों को चूसने में आ रहा था.. खास करके निप्पलों को चचोरने में.. मानो वे खुद ही चूसने को बुला रहे हों। उसकी हिलती हुई चूचियाँ तो ऐसे लग रही थीं.. जैसे पानी में कोई दो बड़े से नारियल तैर रहे हों।
जब मैं झटका मारता था.. तो चूचियाँ उसके सिर की तरफ़ को उछलती थीं और फिर से नीचे की तरफ़ को आ जाती थीं। नीचे से उसकी चूत में मेरा लंड तो अपना काम कर ही रहा था.. लेकिन जब भी मैं झटके मारता.. मेरे पैर भी उसके मुलायम और गुदाज चूतड़ों को छू कर मज़े लेने लगते थे। कुछ देर इसी तरह चोदने के बाद मैंने उसको बिस्तर से उतार कर पूरा खड़ा कर दिया। अब मैं उसको पीछे से चूमने लगा.. पहले चूतड़ों को चुम्बन करने लगा और दबाने लगा।
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फिर उसके एक पैर को बिस्तर पर रख दिया और अपने लंड के सुपारे को फिर से उसकी चूत के मुँह पर लगाया और अन्दर तक पेल दिया। अब तो मेरा लंड बड़ी आसानी से अन्दर चला गया.. बिना किसी परेशानी के.. और मैं भी उसकी चूचियों को पकड़ कर हचक कर अपना लौड़ा पेलने लगा.. साथ ही लौड़ा अन्दर ठेलते समय मैं उसकी चूचियों को भी जोर से भींचने लगा। पूरे कमरे में फिर से एक बार मादक सीत्कारें गूँजने लगीं। कुछ देर हम दोनों ऐसे ही चुदाई का खेल करते रहे.. फिर उसको दीवार से सटा कर उसकी चूत का मजा लेने लगा।
कुछ देर चूत का मजा लेते-लेते उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मुझसे एकदम से चिपक गई। मैं समझ गया कि वो फिर से झड़ने वाली है.. सो मैंने अपना लंड निकाल कर उसको अपने से चिपकाए रखा.. और वो झड़ने लगी और मैंने उसको नंगा ही उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया। तब तक बबिता भी चूत में उंगली करके खुद को झाड़ चुकी थी। फिर भी मैं उसके पास गया और एक राउंड उसको भी चोदा.. और हम तीनों नंगे ही एक ही बिस्तर पर सो गए। मैं बीच में लेटा था और वो दोनों मेरे दोनों बगलों में पड़ी थीं।
raj says
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