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सौतेले बाप भाई ने मेरी इज्जत लुट ली

जून 17, 2024 by hamari

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यह बात जून 2018 की है, जब मैं कमसिन थी, मेरे पापा की बीमारी के कारण मौत हो गई थी तो माँ एकदम टूट सी गई थीं। उनका बस मैं ही अकेली सहारा थी। इस हादसे ने हमारी जिंदगी बदल थी, पैसों की तंगी रहने लगी थी, तब हमारे दूर के रिश्तेदारों ने माँ पर दबाव डाला कि वो दूसरी शादी कर लें। Chut Seal Tod Chudai

मगर माँ न मानी, मगर वक़्त के साथ माँ भी टूट गईं और आख़िर एक साल बाद माँ ने दूसरी शादी कर ली। मेरे नए सौतेले पापा शराबी थे, उनके दो बेटे थे जो करीब मेरी ही उम्र के थे या शायद मुझसे थोड़े बड़े थे। शुरू में तो सब ठीक तक चलता रहा मगर साल भर में ही पापा माँ को मारने लगे और वे मुझे भी पसन्द नहीं करते थे सो मेरी पढ़ाई भी बन्द हो गई थी।

मेरे दोनों भाई भी हमेशा मुझे मारते रहते थे, घर का सारा काम हम माँ-बेटी मिल कर करती थे और धीरे-धीरे माँ टूट सी गई और बीमार रहने लगी। आख़िरकार फरवरी 2020 को माँ भी मुझे छोड़ कर चली गईं। अब तो मुझ पर ज़ुल्म बढ़ने लगे। मैं भी धीरे-धीरे इनकी मार की आदी हो गई।

सॉरी दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि यह तो पका रही है, मगर क्या करूँ ये सब कुछ सत्य है और आपको इसके बारे में बताना जरूरी भी है। अब आपको मेरी चुदाई की कहानी बताती हूँ। 8 सितम्बर 2020 को मेरा जन्मदिन था अब कौन मेरा जन्मदिन मनाता, कहाँ नए कपड़े थे, कहाँ पार्टी थी और कहाँ प्यार.. बस मैं काम में पिस रही थी।

उस दिन तक मैं पूरी जवान हो गई थी। मेरे सीने के उभार दिखने लगे थे। मेरा सौतेला भाई सौरव जो 18 साल का था, अक्सर मुझे मारने के बहाने मेरे चूतड़ों को दबा देता तो कभी मेरे सीने पर हाथ रख देता था। दोपहर को मैं छत से कपड़े उतारने गई तो सौरव वहाँ आ गया और मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। उस वक़्त मैंने एक पुविनीता सी सलवार-कमीज़ पहनी हुई थी, दुपट्टा मैंने एक तरफ रख दिया था। आपको बता दूँ मैं हमेशा दुपट्टा ही अपने सीने पर रखती हूँ।

सौरव- अरे विनीता, आज ये दुपट्टा तूने एक तरफ क्यों रखा है नहीं तो इसके बिना तू रहती ही नहीं है?

विनीता- वो क्या है ना भाई, आज मुझे गर्मी लग रही है इसलिए मैंने सोचा छत पर हवा अच्छी आ रही है, थोड़ी हवा खा लूँ।

सौरव- अरे मेरी विनीता, बहना आज तो मस्त लग रही हो आओ आज तुम्हें एक चीज दिखाता हूँ।

सौरव ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे घूरने लगा। मुझे अच्छा नहीं लगा तो मैं घूम गई। तभी वो मेरे पीछे चिपक गया।

विनीता- भाई क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे प्लीज़…

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मैंने उसको हटाने की लाख कोशिश की, मगर वो माना नहीं और छत पर बने कमरे में मुझे जबरदस्ती ले गया। वहाँ वो मेरे होंठ चूसने लगा और एक हाथ से मेरी गाण्ड सहलाने लगा। मैं छटपटा रही थी मगर वो मेरी एक ना सुन रहा था इतने में मधुर जो मेरा बड़ा भाई है, वो आ गया, वो करीब 20 साल का था।

मधुर- क्या हो रहा है यहाँ?

सौरव- क.. क.. कुछ नहीं भाई.. देखो ये विनीता है.. मुझसे चिपक रही है.. पता नहीं क्या चाहती है?

विनीता- न.. न.. नहीं भाई.. सौरव झूठ बोल रहा है।

सौरव ने झट से मुझे एक थप्पड़ मारा।

सौरव- चुप साली मुझे झूठा बोलती है.. भाई इसने खुद ही मुझे यहाँ बुलाया और मुझसे चिपक गई। मुझसे बोल रही है, मुझे गर्मी लग रही है।

मधुर ने मुझसे पूछा- क्या सौरव सही बोल रहा है?

विनीता- वो तो दुपट्टे की बात पर मैंने कहा था, मगर मेरा मतलब ऐसा कुछ नहीं था।

मधुर- अच्छा यह बात है साली छिनाल हमने सोचा तू जैसी भी है हमारी बहन है.. तुझे खाना देते हैं मगर तू तो पता नहीं किसका गंदा खून है.. रुक आज मैं तेरी सारी गर्मी निकाल दूँगा और तेरे सारे मतलब पूरे कर दूँगा।

विनीता- भाई प्लीज़.. मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो…

पर असल में तो मैं सब समझ रही थी कि ये दोनों भाई मुझे चोदने के ख्याल से यह नौटंकी कर रहे हैं। जवान तो मैं भी हो चुकी थी, मेरे बदन में भी वासना की अग्नि तो उठती ही रहती थी, कहीं मेरे अन्तर्मन में भी कुछ तमन्ना थी नर-नारी के तन के मिलन का मज़ा लेने की, पर मैंने विरोध तो करना ही था ना अपने सौतेले भाइयों की हरकतों का। सौरव वहाँ खड़ा मुस्कुरा रहा था और मधुर से नजरें चुरा कर मुझे चिढ़ा रहा था।

मधुर- सौरव तू नीचे जा और ऊपर मत आना.. आज मैं इसको बताता हूँ कि मैं क्या चीज हूँ।

सौरव वहाँ से चला गया और मधुर ने मुझे कपड़े निकालने को कहा। मेरे मना करने पर मधुर ने मेरे कपड़े फाड़ दिए। मैं एकदम नंगी हो गई क्योंकि उस वक़्त मुझे कौन ब्रा-पैन्टी लाकर देता.. बस पुराने कपड़े ही नसीब में थे।

अब मैं एकदम नंगी दीवार के पास खड़ी थी, मेरे बेदाग गोरे बदन को देख कर भाई की आँखों में चमक आ गई थी। मेरे मम्मे उस वक्त कोई 28 इन्च के रहे होंगे। भाई की पैन्ट में तंबू बन गया था, उनका लौड़ा मेरे जिस्म को देख कर फुंफकार मार रहा था।

मधुर- वाह.. साली तू तो बड़ी ‘हॉट-आइटम’ है.. तभी तुझमें गर्मी ज़्यादा हैं। आजा आज तेरी सारी गर्मी निकाल देता हूँ।

विनीता- नहीं भाई.. प्लीज़ मुझे जाने दो.. मैं आपकी बहन हूँ प्लीज़…

मधुर- चुप साली.. छिनाल की औलाद.. तू कहाँ से मेरी बहन हो गई.. हाँ.. आज तुझे अपनी बीवी जरूर बनाऊँगा।

इतना बोलकर भाई मुझ पर टूट पड़ा। मेरे होंठों को चूसने लगा, मेरे मम्मों को दबाने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था मगर उस पर भूत सवार था, वो कहाँ मानने वाला था। मैंने उससे छूटने की कोशिश की, उसको गुस्सा आ गया और वो मेरे गाल पर थप्पड़ मारने लगा।

मधुर- क्या हुआ.. साली अब आया समझ में.. कुतिया बहुत नाटक कर रही थी।

इतना बोल कर भाई अपने कपड़े निकालने लगा। धीरे-धीरे वो पूरा नंगा हो गया, उसका 6 इन्च का लौड़ा एकदम तना हुआ मेरी आँखों के सामने लहरा रहा था। मैं घबरा गई और जल्दी से पलट गई यानि पेट के बल लेट गई।

मधुर- अरे वाह.. तेरी गाण्ड तो बड़ी मस्त है.. साली आज इसी का मुहूर्त करूँगा।

इतना बोलकर वो बिस्तर पर चढ़ गया और मेरे मम्मे दबाने लगा, अपनी ऊँगली से मेरी गाण्ड के छेद को खोलने लगा। मैं थोड़ी कसमसाई तो उसने ज़ोर से मेरी गाण्ड पर मार दिया, मैं दर्द के कारण सिहर गई। अब मुझे समझ आ गया था कि यह हरामी मुझे पीछे से ही चोदने वाला है, इसकी मार खाने से अच्छा है अब चुपचाप पड़ी रहूँ। भाई ने काफ़ी देर मेरे चूतड़ सहलाए अब मैं चुप पड़ी थी उसने अपने लौड़े पर ढेर सारा थूक लगाया और मेरे छेद पर भी थूक लगाया।

मधुर- हाँ.. अब आई ना लाइन पर बस ऐसे ही चुपचाप पड़ी रह.. नहीं तो मार खाएगी.. आहह.. क्या मस्त गाण्ड है। अब अपना बदन ढीला छोड़ दे.. मैं लौड़ा डाल रहा हूँ अगर जरा भी हिली ना तो तेरी खैर नहीं…

भाई ने लंड की टोपी गाण्ड के छेद पर रखी और ज़ोर से एक धक्का मारा.. एक ही बार में आधा लौड़ा मेरी गाण्ड को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।

विनीता- आआ.. उईईई माआ..मर गई.. आआआ आह.. भाई आह.. मेरी जान निकल रही है.. आह निकाल.. लो..

मधुर कहाँ मानने वाला था उसने एक और जोरदार झटका मारा अबकी बार पूरा लौड़ा मेरी गाण्ड की गहराइयों मैं खो गया और मेरा दर्द के मारे बुरा हाल हो गया। मैं चीखती रही वो झटके मारता रहा.. मज़ा लेता रहा।

मधुर- आ उह..साली तेरी गाण्ड तो बड़ी मस्त है.. आह मज़ा आ गया उह ले आह उह उह उफ़ क्या कसी गाण्ड है.. आह आह आह…

मैं चिल्लाती रही.. 20 मिनट तक वो मेरी गाण्ड मारता रहा और आख़िरकार उसके लौड़े ने लावा उगल दिया, जो मेरी गाण्ड के कोने-कोने में समा गया। दो मिनट तक मधुर मेरे ऊपर पड़ा रहा, उसके बाद एक तरफ लेट गया।

मैं वैसी की वैसी पड़ी रही, उसका वीर्य मेरी गाण्ड से बह कर बाहर आ रहा था। मेरी गाण्ड में अब भी ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई मोटा डंडा घुसा हुआ हो, बड़ी जलन हो रही थी। मधुर उठा और मेरे कपड़ों से अपना लौड़ा साफ किया अपने कपड़े पहनने लगा।

मधुर- साली बड़ी कमाल की गाण्ड है तेरी.. मुझे अभी कहीं जाना है.. नहीं तो तेरी और ठुकाई करता। अब ध्यान से सुन अगर किसी को ये बात बताई ना.. तो तेरा वो हाल करूँगा कि ज़िंदगी भर पछताएगी समझी।

मधुर वहाँ से चला गया और मैं वैसे ही पड़ी रोती रही कोई 5 मिनट बाद सौरव अन्दर आया।

सौरव- हरामजादी.. अगर मेरी बात मान लेती तो तेरा ये हाल ना होता.. अब फट गई ना तेरी गाण्ड.. साली कुतिया भाई का लौड़ा लेकर मज़ा नहीं आया तो अब मेरा लेकर देख.. शायद तुझे मज़ा आ जाए।

इतना बोलकर वो भी नंगा हो गया, उसका भी लौड़ा 6 इन्च का ही था, पर मधुर के लौड़े से ज़रा मोटा था। मेरी कहाँ हिम्मत बची थी उसको रोकने की, वो भी मुझ पर सवार हो गया और एक ही झटके में पूरा लौड़ा मेरी खुली हुई गाण्ड में घुसा दिया। मैं फिर दर्द से कराहने लगी और वो मेरी गाण्ड मारता रहा, मज़े लेता रहा।

सौरव- आहह.. आह.. मज़ा आ गया.. साली तेरी गाण्ड में तो बड़ी गर्मी है.. आहह.. साला लौड़ा बर्दाश्त ही नहीं कर पा रहा आहह.. जल्दी ही पानी छोड़ देगा.. आहह.. मन तो तेरी चूत की सील तोड़ने का है.. मगर डर है कहीं साली तू मर-वर गई तो हमें मुफ़्त की नौकरानी कहाँ से मिलेगी.. आह.. उहह.. मेरा निकलने वाला ही है.. आह उहह…

करीब 7-8 मिनट में वो ठंडा हो गया और मेरी गाण्ड को पानी से भर कर चला गया। मैं काफ़ी देर तक उसी हालत में पड़ी रही और न जाने कब मेरी आँख लग गई। शाम को 6.30 बजे मेरी आँख खुली.. गाण्ड में अब भी दर्द था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैं जल्दी से उठी और गुसलखाने में चली गई, वहाँ से नहा कर कपड़े पहने। हाँ.. एक बात मैं आपको बता दूँ.. यहाँ पड़ोस के लोग जानते हैं कि इस घर में मेरी क्या हालत है, इसी लिए बेचारे अपने बच्चों के पुराने कपड़े मुझे दे देते हैं बस मेरा गुजारा चल जाता है। उन्हीं कपड़ों में से एक गुलाबी टी-शर्ट और नीला पजामा मैंने पहना और खाना बनाने की तैयारी में लग गई।

पापा- विनीता कहाँ हो.. यहाँ आओ।

दोस्तो, मैं आपको बताना भूल गई, पापा की खुद की दुकान है, तो वो सुबह 8 बजे जाते हैं तो सीधे शाम को 7 बजे ही आते हैं और आने के साथ ही उनको खाना चाहिए। मैं भाग कर रसोई से बाहर आई और कहा- बस 15 मिनट में खाना बन जाएगा।

पापा- हरामखोर किसी काम की नहीं है तू.. अब तक खाना नहीं बना.. इतनी देर क्या कर रही थी?

विनीता- वो वो.. पापा मेरी आँख लग गई थी, इसी लिए…जरा देर हो गई।

मैं आगे कुछ बोल पाती इससे पहले पापा ने एक जोरदार तमाचा मुझे जड़ दिया। मैं रोने लगी और अपने आप को बचाने के लिए मैंने वो बोल दिया जो शायद मुझे नहीं बोलना चाहिए था।

विनीता- उउउ उउउ पापा.. प्लीज़ मेरी बात तो सुनिए.. इसमें मेरी ग़लती नहीं है.. वो वो.. मधुर भाई ने मेरे साथ दोपहर को उूउउ उउउ…

पापा- क्या किया मधुर ने.. हाँ.. बताओ?

विनीता- उउउ.. वो वो.. उन्होंने मेरे साथ गंदा किया उउउ मेरे कपड़े निकाल कर उूउउ.. उसके बाद सौरव ने भी उूउउ…

मैंने पूरी दास्तान कह दी। मेरी बात सुनकर पापा गुस्सा हो गए और मुझे प्यार से चुप करवाया और कहा- आज आने दो दोनों को, उनकी आज खैर नहीं.. आज पहली बार पापा ने मुझसे प्यार से बात की थी, मैं खाना बनाने चली गई।

पापा अपने कमरे में चले गए, उन्होंने कपड़े बदले.. तब तक खाना भी तैयार हो गया था। आज पापा ने मेरे साथ बैठ कर खाना खाया और मुझे भी अपने हाथ से खाना खिलाया। खाने के बाद मैं बर्तन धोकर अपने कमरे में चली गई और बिस्तर पर लेट कर रोने लगी। मुझे माँ की बहुत याद आ रही थी, तभी पापा मेरे कमरे में आ गए।

पापा- अरे विनीता.. बेटी रो क्यों रही है? उन दोनों का फ़ोन आया था किसी दोस्त की शादी में गए हैं.. कल शाम तक वापस आएँगे, अब फ़ोन पर तो उनको क्या कहता, कल आने दो उनको अच्छा सबक सिखाऊँगा.. तू मेरे कमरे में आ.. कुछ बात पूछनी है।

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इतना बोलकर पापा चले गए, मैंने आँसू पौंछे और उनके पीछे चली गई।

पापा- आओ.. यहाँ बैठो.. मेरी विनीता बेटी तू रो रही है.. क्या बहुत दर्द हो रहा है? मुझे ठीक से बता हुआ क्या था?

विनीता- पापा अब मैं कैसे बताऊँ मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा।

पापा ने बहुत ज़िद की, तब मैंने उनको बताना शुरू किया कि बात कैसे शुरू हुई और मेरी गाण्ड तक कैसे पहुँची। पापा मेरे एकदम करीब चिपक कर बैठे थे, उन्होंने शराब पी हुई थी, उसकी बदबू आ रही थी। मेरी बात को सुनते-सुनते लुँगी के ऊपर से वो अपना लौड़ा मसल रहे थे और एक हाथ से मेरी पीठ सहला रहे थे।

‘अच्छा ये बात है… कितने कमीने हैं दोनों.. अच्छा ये बता.. यहाँ ज़ोर से दबाया क्या मधुर ने?’ मेरे मम्मों को सहलाते हुए पापा ने पूछा। मेरी तो हालत खराब हो गई.. उनका छूना मेरे लिए ऐसा था जैसे किसी ने जलते हुए अंगारे मेरे मम्मों पर रख दिए हों।

विनीता- पापा ये आप क्या कर रहे हो?

पापा- अरे मैं तो पूछ रहा हूँ.. अब तू ठीक से बताएगी तब ही तो पता चलेगा ना.. अब जो पूछूँ.. चुपचाप बता समझी…

इस बार पापा के तेवर एकदम बदल गए थे, उनकी आँखों में गुस्सा आ गया था और पापा का गुस्सा मैं खूब जानती थी कि अगर वो मारने पर आ गए तो हालत खराब कर देंगे।

विनीता- हाँ.. पापा यहाँ ज़ोर से दबाया था, अभी भी दर्द हो रहा है।

पापा ने उनको देखने के बहाने से टी-शर्ट ऊपर कर दी, ब्रा तो थी नहीं, उनको मेरे मम्मों के दीदार हो गए।

पापा- अरे अरे.. कुत्तों ने कैसे ज़ोर से दबाए हैं तेरे छोटे-छोटे चूचे.. देखो तो कैसे लाल निशान पड़ गए हैं।

मेरे सौतेला पिता अपनी औकात दिखा रहे थे, मेरे मम्मों को हल्के-हल्के सहला रहे थे। अब पापा का हाथ मेरी चूत पर आ गया था और उन्होंने अपनी ऊँगली चूत पर घुमा कर पूछा।

पापा- विनीता.. उन दोनों ने पीछे से ही मारी.. या यहाँ भी कोई छेड़छाड़ की?

मैं एकदम कसमसा गई थी और मैंने ‘ना’ मैं सिर हिलाया।

पापा – चलो अच्छा है.. तेरी सील नहीं टूटी वरना मेरा बड़ा नुकसान हो जाता.. बेटी ये पजामा निकाल तो देखूँ तेरी गाण्ड का क्या हाल किया दोनों ने।

पापा की बात सुनकर मेरी अच्छी तरह समझ में आ गया कि ये कुत्ता मेरा बाप नहीं हवस का पुजारी है। उन दो हरामियों ने तो मेरी गाण्ड मारी थी.. ये मादरचोद मेरे चूत को फाड़ने वाला है।

विनीता- नहीं पापा.. रहने दो अब दर्द कम है, मुझे जाने दो नींद आ रही है।

पापा- मैंने कहा ना.. दिखाओ कहीं कुछ उल्टा-सीधा हो गया तो..? चल खड़ी हो जा तुझे शर्म आ रही है तो मैं खुद देख लूँगा।

मैं कर भी क्या सकती थी सो चुपचाप खड़ी हो गई। पापा ने मेरा पजामा नीचे सरकाया और मेरी गोल गाण्ड पर हाथ फेरने लगे।

पापा- आह ह.. क्या कोमल गाण्ड है तेरी.. कमीनों ने कैसे मार कर लाल कर दी है.. देखो सूजन भी आ रही है.. तू पूरे कपड़े निकाल कर लेट जा.. तुझे मालिश की जरूरत है.. तभी तेरा दर्द जाएगा।

मैं ‘ना’ भी करती तो भी पापा नहीं मानते, तो मैंने सोचा अब जो होगा देखा जाएगा.. इसी बहाने पापा मुझे प्यार से तो पेश आएँगे। मैं चुपचाप नंगी होकर बिस्तर पर लेट गई। पापा ने पास रखी तेल की बोतल ले ली और मेरी गाण्ड पर मालिश करने लगे। अपने हाथ चलाते-चलाते वो मेरी चूत पर भी ऊँगली घुमा देते। वहाँ हल्की-हल्की झांटें थीं जो एकदम रुई की तरह मुलायम थीं।

विनीता- आहह.. ककककक पापा उह.. गुदगुदी सी हो रही है।

पापा- अरे विनीता बेटी.. ये तो शुरूआत है.. आगे देखना तुझे कितना सुकून मिलेगा.. मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इस उम्र में आकर तेरी जैसी कच्ची कली की मालिश करने का मौका मिलेगा.. विनीता अगर तू मेरी बात इसी तरह मानती रहेगी ना.. तो तेरे सारे दु:ख दूर हो जाएँगे.. तुझे मैं सच्ची की विनीता बना कर रखूँगा.. मानेगी ना मेरी बात?

विनीता- हाँ.. पापा आपका प्यार पाने के लिए मैं आपकी हर बात मानूँगी.. मगर पापा ये गलत है.. मैं आपकी बेटी हूँ।

पापा- अरे कहाँ की बेटी.. तेरी माँ तुझे साथ लाई थी यहाँ और ऐसी कमसिन कली सामने हो तो कौन रिश्ते देखता है.. अगर तू मेरी सग़ी बेटी भी होती ना.. तो भी मैं तुझे नहीं छोड़ता.. भला हो उन दोनों का जो उन्होंने तेरी गाण्ड मार कर मेरा रास्ता आसान कर दिया. वरना मैंने तो ये कभी सोचा ही नहीं था।

विनीता- ठीक है.. पापा जैसा आपको अच्छा लगे.. अब मैं कुछ नहीं बोलूँगी।

पापा- ये हुई ना बात.. चल अब सीधी हो जा आज बरसों बाद दोबारा सुहागरात मनाऊँगा तेरे साथ.. अब तू मेरी बीवी बनकर इस घर में राज करेगी.. आज से तेरे दु:ख के दिन ख़त्म हो गए हैं।

अब मुझे किसी बात का डर नहीं था क्योंकि अगर मैं मना भी करती तो भी पापा मुझे छोड़ते नहीं, तो क्यों ना उनकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला कर कम से कम अपनी आगे की जिंदगी तो ठीक करूँ। मैं सीधी होकर लेट गई, पापा भी एकदम नंगे हो गए, उनका लौड़ा किसी काले नाग की तरह फुंफकार मार रहा था वो करीब कोई 8 इन्च से ज़्यादा ही होगा और मोटा इतना कि मेरी हथेली में भी ना समा पाए।

विनीता- पापा आपका तो सौरव और मधुर से भी बड़ा है, उन्होंने ही इतना दर्द दिया और आप तो मेरी जान ही निकाल दोगे।

पापा- अरे विनीता… बड़ा कैसे नहीं होगा.. मैं उनका बाप हूँ और तू डर मत.. वो तो नए खिलाड़ी थे, उनको क्या पता चुदाई क्या होती है.. तू बस देखती जा.. मैं तुझे कैसे सात आसमानों की सैर करवाता हूँ। वो दोनों गधे थे जो तेरी जैसी कच्ची कली की चूत का स्वाद चखने की बजाए गाण्ड से खुश हो गए। अब तुझे ऐसा चूसूंगा कि तू खुद मुझसे कहेगी कि मेरे राजा जल्दी से लौड़ा चूत में पेल दो..

विनीता- हा हा हा हा.. पापा मैं आपको राजा बोलूँगी.. हा हा हा.. मैं विनीता.. आप राजा.. मज़ा आएगा…

मेरी बात सुनकर पापा हँसने लगे और मेरे ऊपर आ गए, मेरे होंठ चूसने लगे। मैं भी उनका साथ देने लगी.. बड़ा मज़ा आ रहा था। पापा अपनी जीभ मेरे मुँह में दे रहे थे मैं उसको चूस रही थी। पापा मेरे छोटे-छोटे अमरूदों जैसे मम्मों को भी हल्के-हल्के दबा रहे थे, मुझे पता नहीं क्या हो रहा था।

लेकिन ‘हाँ’ इतना जरूर कहूँगी कि मज़ा बहुत आ रहा था। पापा अब मेरे चूचुकों को चूस रहे थे और अपना हाथ मेरी चूत पर घुमा रहे थे। मेरे जिस्म में न जाने कहाँ से इतनी गर्मी आ गई थी कि मेरी चूत आग की भट्टी की तरह जलने लगी थी।

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विनीता- आह उईईइ.. उफ़ ककक.. सस्स आह.. पापा आहह.. मज़ा आह रहा है.. आराम से पापा आह.. काटो मत दु:खता है आहह…

पापा- अरे मेरी विनीता.. अब पापा नहीं.. राजा बोलो और जितने गंदे शब्द आते हैं.. सब बोलो.. उससे चुदाई का मज़ा दुगुना हो जाएगा।

विनीता- आहह उईईइ मुझे नहीं समझ आहआह आह रहा है.. क्या बोल रहे हो?

पापा- सीधी सी तो बात है.. तुम मुझे गाली दो.. चूत और लंड की बात करो.. बस जो भी तुम्हें समझ आए.. आह्ह.. जैसे उहह साली रंडी आह्ह.. क्या मस्त दूध हैं तेरे.. आह आज तो तेरी चूत को भोसड़ा बना दूँगा.. आहह…

इतना बोलकर पापा मेरी चूत चाटने लगे.. अब तो मेरा मज़ा दुगुना हो गया था.. मेरी आँखें अपने आप बन्द होने लगी थीं।

विनीता- आहह ससस्स उफ़फ्फ़.. मेरे राजा आह.. मज़ा आह रहा है.. आह चाटो मेरी चूत को आह.. और ज़ोर से चाटो उफ़ आह…

पापा- ये लो मेरी विनीता बिटिया.. क्यों मज़ा आया ना.. गाली निकाल साली.. और मज़ा आएगा…

विनीता- आहह.. अब मज़ा आया तू एक नम्बर का कुत्ता है आह.. हरामी अपनी ही बेटी की चूत चाट रहा है.. आहह पापा आह.. मेरी चूत में कुछ हो रहा है आहह…

पापा- हा हा हा.. ये हुई ना बात.. अब तू झड़ने के करीब है.. झड़ जा बेटी आज तेरा झड़ने का पहला मौका है, भर दे मेरा मुँह अपने रस से.. आह.. क्या मजेदार माल है.. बरसों बाद मेरी जीभ को चूत रस चखने को मिलेगा।

पापा ने अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा दी थी और जीभ से मुझे चोद रहे थे। दोस्तो, क्या बताऊँ वो पल ऐसा था जिसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती। मेरी चूत का फव्वारा फूट पड़ा। मैं गाण्ड उठा-उठा कर झड़ने लगी और पापा ने मेरा सारा रस पी लिया। मेरी आँखें बन्द थीं मैं दो मिनट तक झड़ती रही और फिर शान्त पड़ गई.. मेरा बदन ठंडा पड़ गया।

पापा- उफ़ कितना गर्म और स्वादिस्ट रस था.. मज़ा आ.. गया.. क्यों मेरी जान तुमको मज़ा आया ना?

विनीता- आहह पापा उफ़फ्फ़.. क्या बताऊँ.. आह.. पता नहीं क्या हुआ.. मेरा बदन एकदम हल्का हो गया.. बहुत मज़ा आया आहह…

पापा- यह तो शुरूआत है.. विनीता अब देख आगे क्या होता है.. ले मेरे लौड़े को चूस.. इसमें भी बहुत मज़ा आएगा।

पहले तो मैं थोड़ी झिझकी मगर जैसे ही पापा का सुपारा जीभ से चाटा.. उस पर पानी की बूँदें थीं जो अजीब से स्वाद की थीं, मगर उसको चूसने में एक अलग ही मज़ा आ रहा था.. अब मैं खुल कर पापा का लौड़ा चूसने लगी थी। अब तो पापा पूरा लौड़ा मेरे मुँह में ठूंस कर झटके मार रहे थे। दस मिनट तक उनका लौड़ा चूसने के बाद मेरी चूत में दोबारा खुजली होने लगी और मैं अपने हाथ से चूत मसलने लगी।

पापा- अच्छा.. तो मेरी विनीता बिटिया दोबारा गर्म हो गई.. क्यों लौड़े का स्वाद कैसा लगा?

विनीता- उफ़.. पापा बहुत मज़ा आ रहा है.. आपका लंड चूसने में.. पर क्या करूँ मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।

पापा- अच्छा ये बात है.. चल घूम कर मेरे ऊपर आजा, इस तरह तू मेरा लौड़ा चूसना.. मैं तेरी चूत चाटूँगा ताकि दोनों को बराबर मज़ा मिले।

विनीता- ओह्ह वाह.. मज़ा आएगा.. ये आइडिया अच्छा है.. पापा आप तो बहुत दिमाग़ वाले हो.. अच्छा एक बात तो बताओ.. आप ये लौड़ा मेरी चूत में कब डालोगे.. मधुर ने तो इतना वक्त लिया ही नहीं था.. बस सीधा लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया था।

पापा- हा हा हा.. अरे इसमें दिमाग़ की क्या बात है.. तू अभी बच्ची है.. तुझे नहीं पता इसे 69 का आसन कहते हैं और लौड़ा भी डालूँगा.. तेरे जैसी कच्ची कली को पहले पूरा गर्म करना जरूरी है ताकि तू लौड़े को सहन कर सके समझी.. मधुर तो खुद बच्चा है उसे क्या पता लौड़ा कब और कैसे डालते हैं?

हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए.. अब मैं पापा के ऊपर लेट कर उनका लौड़ा चूस रही थी और पापा कभी जीभ से तो कभी ऊँगली से मेरी चूत को चोद रहे थे या यूँ कहो कि मेरी कसी चूत को पापा ऊँगली से खोल रहे थे। करीब दस मिनट तक ये खेल चलता रहा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अब मैंने पापा के लौड़े को बेदर्दी से चूसना शुरू कर दिया था। मेरा बदन एकदम अंगार उगलने लगा था, मेरी चूत रिसने लगी थी और चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी थी। तभी पापा ने मेरी चूत को चाटना बन्द कर दिया और मुझे ऊपर से नीचे उतार दिया।

विनीता- उफ़फ्फ़ पापा प्लीज़ आह.. बीच में क्यों छोड़ दिया.. आह.. अभी तो मज़ा आ रहा था।

पापा- मेरी जान.. अब सही वक्त है लौड़ा तेरी चूत में घुसेड़ने का.. अब तू इसको लेने के लायक हो गई है.. तेरी चूत एकदम रसीली है… और मेरा लौड़ा भी तेरे थूक से सना हुआ है.. चल अब पैरों को मोड़ ले और ले ये तकिया कमर के नीचे रख ले ताकि तेरी चूत का उभार ऊपर आ जाए.. आज तुझे कली से फूल बनाने का वक्त आ गया है।

पापा ने एक हाथ से मेरी चूत को खोला और लौड़ा मेरी चूत पर सैट किया।

पापा- विनीता.. अब मैं लौड़ा पेल रहा हूँ.. बस तू अपने दांत भींच लेना.. शुरू में दर्द होगा, उसके बाद हम रोज चुदाई करेंगे.. बड़ा मज़ा आएगा…

विनीता- आहह आहह आहह.. उफ़फ्फ़ पापा डाल दो.. अब जो होगा, देखा जाएगा.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा आहअहह…

पापा ने अपने लौड़े की टोपी चूत में फँसाई और धीरे से आगे को धक्का मारा, कोई 2 इन्च लौड़ा मेरी चूत में फँस गया। मुझे बहुत दर्द हुआ मगर मेरे ऊपर मस्ती सवार थी, मैंने दाँत भींच लिए। पापा ने कमर को पीछे किया और एक जोरदार झटका मारा, अबकी बार आधा लौड़ा मेरी सील को तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया।

अबकी बार दर्द की इंतहा हो गई और मेरे मुँह से एक जोरदार चीख निकली, जो शायद बाहर तक किसी ना किसी ने जरूर सुनी होगी। पापा ने जल्दी से अपने होंठ मेरे मुँह पर रख दिए और मेरी दूसरी चीख उनके मुँह से दब कर रह गई। करीब 5 मिनट तक पापा बिना हिले वैसे ही पड़े रहे। अब मुझे भी दर्द कम हो गया था और मेरा शरीर ढीला पड़ गया था, तब पापा ने अपना मुँह हटाया।

विनीता- आहह पापा ऊउउहह बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बस अब निकाल लो… आह मैं मर जाऊँगी ऊउउहह…

पापा- अरे कुछ नहीं होगा.. मेरा जान ये तो आज तेरा कौमार्य भंग हुआ है.. इसलिए इतना दर्द हुआ.. बस आज बर्दाश्त कर ले.. फिर तू खुद मेरे लौड़े पर बैठ कर उछल-उछल कर चुदेगी.. अब जितना लौड़ा अन्दर गया है उसी को आगे-पीछे करूँगा.. थोड़ा दर्द होगा और कुछ नहीं.. जब दर्द कम हो जाए तो बता देना, एक ही बार में पूरा हथियार घुसेड़ दूँगा.. उसके बाद मज़ा ही मज़ा है।

मैं मुँह से कुछ नहीं बोली बस ‘हाँ’ में सर हिला दिया। अब पापा अपने लौड़े को आगे-पीछे करने लगे मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं दाँत भींचे पड़ी रही।

विनीता- आहह पापा ऊउउहह बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बस अब निकाल लो… आह मैं मर जाऊँगी ऊउउहह…

पापा- अरे कुछ नहीं होगा.. मेरा जान ये तो आज तेरा कौमार्य भंग हुआ है.. इसलिए इतना दर्द हुआ.. बस आज बर्दाश्त कर ले.. फिर तू खुद मेरे लौड़े पर बैठ कर उछल-उछल कर चुदेगी.. अब जितना लौड़ा अन्दर गया है उसी को आगे-पीछे करूँगा.. थोड़ा दर्द होगा और कुछ नहीं.. जब दर्द कम हो जाए तो बता देना, एक ही बार में पूरा हथियार घुसेड़ दूँगा.. उसके बाद मज़ा ही मज़ा है।

मैं मुँह से कुछ नहीं बोली बस ‘हाँ’ में सर हिला दिया। अब पापा अपने लौड़े को आगे-पीछे करने लगे मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं दाँत भींचे पड़ी रही। कुछ देर बाद मेरी चूत का दर्द मज़े में बदल गया। अब मेरी चूत में वही खुजली फिर से होने लगी थी, ऐसा लग रहा था पापा का लौड़ा आगे तक क्यों नहीं जा रहा।

विनीता- आहह.. हह उईईई उफफफ्फ़.. पापा आहह अब दर्द कम है.. आहह घुसा दो.. आह फाड़ दो.. मेरी चूत को उफ़फ्फ़ अब बर्दाश्त नहीं होता आह.. घुसाओ ना आहआह…

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पापा के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई और पापा ने मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी कमर पर दबाव बनाया जिससे थोड़ा और लंड अन्दर सरक गया। पापा ऐसे ही धीरे-धीरे आगे-पीछे करते रहे और थोड़ा-थोड़ा करके लौड़ा अन्दर करते रहे।

दोस्तों सच बताऊँ मुझे पता ही नहीं चला कि उस हल्के दर्द में ही पापा ने अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत में जड़ तक घुसा दिया था। पापा बहुत ही मंजे हुए खिलाड़ी हैं, उनको हक़ था मेरी सील तोड़ने का.. वरना कोई नया होता तो दर्द के मारे मेरी जान निकल जाती।

विनीता- आहह उफफ्फ़ ससस्स कक.. पापा आहह घुसा दो.. आहह मज़ा आह रहा है.. आह अब जल्दी से झटका मार कर पूरा डाल दो.. अब दर्द कम हो गया आहअहह…

पापा- हा हा हा.. साली रंडी कहीं की.. कौन सी दुनिया में खोई है.. लौड़ा कब का जड़ तक तेरी चूत की गहराइयों में खो गया.. साला किसी ने सच ही कहा है लौड़ा कितना भी बड़ा हो.. चूत में जाकर गुम ही होता है और चूत दिखने में छोटी लगती है, मगर साली बड़े से बड़े लौड़े को निगल जाती है। अब देख मैं कैसे तेरी सवारी करता हूँ.. अब आएगा असली मज़ा, जब तेरी चूत में रफ्तार से लौड़ा अन्दर-बाहर करूँगा।

इतना बोल कर पापा ने रफ्तार बढ़ा दी, और दे झटके पे झटके मुझे चोदने लगे। मुझे भी दर्द के साथ मज़ा आने लगा। एक मीठा सा दर्द होने लगा, अब मैं भी पापा का साथ देने लगी और नीचे से गाण्ड उठा-उठा कर चुदने लगी।

विनीता- आहह चोदो.. मेरे हरामी पापा.. आह चोद दो.. अपनी बेटी को.. आहह फाड़ दो आज मेरी चूत.. आह बना लो अपनी बीवी.. आहआह…

पापा- उह उह उह.. ले साली छिनाल की औलाद.. मेरे झटके अब ले.. आहह.. क्या गर्मी है तेरी चूत में आहह मज़ा आह.. गया आहह..

दस मिनट तक पापा मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करते रहे, मैं इस दौरान दो बार झड़ गई। अब पापा भी झड़ने के करीब आ गए। उन्होंने रफ्तार और बढ़ा दी, पूरा बिस्तर हिलने लगा, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं ट्रेन में हूँ और आख़िर पापा के लौड़े ने लावा उगल दिया, मेरी प्यासी चूत पानी से भर गई। काफ़ी देर तक पापा मेरे ऊपर पड़े रहे हाँफते रहे.. उसके बाद वे ऊपर से हटे…

विनीता- उफ़फ्फ़ पापा.. यह क्या कर दिया.. आपने मेरी चूत को फाड़ दिया.. देखो पूरा बिस्तर खून से लाल हो गया, उफ़फ्फ़.. कितनी जलन हो रही है चूत में..

पापा ने मुझे समझाया- यह तो सील टूटी.. इसलिए खून आया, आज के बाद दोबारा कभी नहीं आएगा.. अब तू हर तरह से चुदने के लायक हो गई है। उनकी बात सुनकर मेरा डर निकल गया, मैं जब उठी तो मेरे पैरों में दर्द हुआ और चूत में भी अंगार सी जलन हो रही थी।

मैंने हिम्मत करके खुद को उठाया और कमरे में थोड़ा चहलकदमी की, यह भी मुझे पापा ने ही बताया। दस मिनट में मेरा दर्द कम हो गया और मैंने चादर हटा कर बाथरूम में धुलने में रख दी, पापा और मैं एक साथ नहाए। पापा ने बड़े प्यार से मल कर मेरी चूत साफ की.. गर्म पानी से मुझे बड़ा आराम मिल रहा था। मैंने भी पापा के लौड़े को साफ किया।

नहाते-नहाते पापा का लौड़ा दोबारा खड़ा हो गया और पापा ने कहा- चलो अब इसको दोबारा ठण्डा करो।

उस रात पापा ने मेरी 3 बार चूत और आखिर में एक बार गाण्ड मारी। दोस्तों एक ही रात में पापा ने मुझे चुदाई के ऐसे-ऐसे नियम बताए और हर तरह के आसन में मुझे चोदा, मैं आपको कैसे बताऊँ… चुदाई से थक कर हम नंगे ही सो गए। सुबह 9 बजे मेरी आँख खुली तो मैं जल्दी से उठी, नहा कर पापा को उठाने गई, वो नंगे सोए हुए थे, उनका लंड भी सोया हुआ था, मुझे मस्ती सूझी, मैंने झट से उनका लौड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

पापा- आहह… उफ़ पूरा बदन दर्द कर रहा है.. अरे वाहह.. विनीता तू तो नहा कर तैयार हो गई और साली लंड की भूखी सुबह-सुबह ही लौड़े को चूसने लगी.. रात को मन नहीं भरा क्या तेरा?

मैंने हँसते हुए पापा से कहा- वो बात नहीं है.. आपको उठाने आई तो पहले लौड़ा ही दिखा.. बस आपको छेड़ने के लिए इसको चूसने लगी।

पापा- ओह्ह ये बात है वक्त क्या हुआ है?

विनीता- पापा 9.30 बज गए हैं।

पापा- अरे बाप रे.. आज तो बहुत लेट हो गया और बदन भी दु:ख रहा है.. चल अब तो तू लौड़े को चूस कर पानी निकाल दे.. उसके बाद नहा कर आराम से नाश्ता करके ही जाऊँगा.. सच में तूने मेरी जिंदगी बना दी, इतना मज़ा तो मुझे मेरी सुहागरात पर भी नहीं आया था। चल साली अब चूस…

मेरा भी मन था कि लौड़ा चूसूँ… तो मैं अपने काम पर लग गई। दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि मैं कितनी बेशर्म हूँ जो अपने बाप के साथ ऐसा कर रही हूँ, पर दोस्तो, यकीन करो इतने सालों में मुझे कभी उनका प्यार नहीं मिला, आज चुदाई के बहाने ही सही, वो मेरे साथ ठीक से पेश आ रहे हैं.. बस मेरे लिए यही काफ़ी है। मैंने पूरा लौड़ा मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगी, मुझे बड़ा मज़ा आह रहा था…

पापा- आह उफ़फ्फ़ चूस साली.. आहह तू तो तेरी माँ से भी अच्छा चूसती है.. रंडी.. वो तो नखरे करती थी.. आह मज़ा आह गया उफ़…

पापा की बात सुनकर मैंने लंड मुँह से निकाल दिया और हाथ से सहलाने लगी।

विनीता- सच पापा.. क्या मेरी माँ भी चूसती थी और क्या आपको उनको चोदने में मज़ा आता था।

पापा- अरे हाँ.. उसने शादी की रात तो.. साली ने नहीं चूसा.. नाटक किया.. मगर धीरे-धीरे लाइन पर आ गई, मगर उसको चोदने में मज़ा नहीं था.. साली की चूत नहीं भोसड़ा था.. लगता था तेरे बाप ने दिन-रात उसको चोद-चोद कर चूत का भोसड़ा बना दिया होगा.. तभी साला मर गया।

विनीता- पापा प्लीज़ वो दोनों इस दुनिया में नहीं हैं.. उनके बारे में ऐसा तो ना कहो…

पापा- साली छिनाल.. तूने पूछा तभी मैंने बताया.. अब तू खुद अपनी माँ चुदवा रही है तो मैं क्या करूँ।

विनीता- अच्छा जाने दो.. अपनी पहली बीवी के बारे में कुछ बताओ ना प्लीज़…

पापा- आह तू हाथ को छोड़.. मुँह से चूस.. मैं सब बताता हूँ.. मैं 23 साल का था जब मेरी शादी हुई थी और राधा 21 की.. बस सुहागरात को तेल लगा कर उसकी चूत में लौड़ा घुसाया था, मगर उसकी सील बचपन में खेल-कूद में टूट गई थी, तो खून तो नहीं आया.. हाँ दर्द उसको बहुत हुआ था।

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मैं भी नया खिलाड़ी था, तो उस वक़्त इतना मज़ा नहीं आया। असली सुहागरात तो मैंने रात तेरे साथ मनाई है.. आहह उफ़फ्फ़ साली.. आराम से चूस उफ़फ्फ़.. हा ऐसे ही.. मज़ा आह रहा है.. उफ़फ्फ़ ज़ोर से कर.. आह मेरा पानी आ रहा है साली बाहर मत निकालना.. पी जा पूरा.. आह…अहहा उफफ्फ़…

पापा के लौड़े ने मेरे मुँह को पानी से भर दिया, मैं पीना तो नहीं चाहती थी, मगर पापा को खुश करने के लिए पी गई और जीभ से चाट कर उनके लौड़े को साफ कर दिया। पापा खुश होकर नहाने चले गए और मैं नाश्ते की तैयारी में लग गई। लगभग 11 बजे तक हम नाश्ते से निपट गए। पापा ने मुझे एक लंबा सा चुम्बन किया और जाने लगे, दरवाजे तक जाकर वो वापस आ गए।

पापा- विनीता मेरी जान.. एक बहुत जरूरी बात बताना भूल गया, शाम को तेरे भाई आएँ.. तो उन्हें ज़रा भी शक ना हो कि हमने रात क्या किया है और तुमने मुझे उनके बारे में कुछ भी नहीं बताया ओके!

विनीता- लेकिन पापा अगर उन्होंने दोबारा मेरे साथ करने की कोशिश की तो?

पापा- देख तू मना करेगी तो वो तुझे मारेंगे और मैं नहीं चाहता कि तेरे जिस्म पर ज़रा भी खरोंच आए और वो भी जवान हो गए हैं उनका भी लौड़ा फड़फड़ाता होगा, तुझे क्या है उनसे भी मरवा लेना.. कौन सी तू उनकी सग़ी बहन है.. अब तो तू एक्सपर्ट हो गई है दोनों को झेल लेगी…

पापा की बात सुन कर मुझे थोड़ा दु:ख हुआ कि वो खुद तो मुझे अपनी बीवी बना चुके और अब अपने बेटों की भी रखैल बना रहे हैं।

विनीता- आप जो ठीक समझो.. मगर उन्होंने मेरी चूत में लौड़ा डाला तो उनको पता चल जाएगा कि मेरी सील टूट चुकी है, तब मैं उनको क्या जवाब दूँगी?

पापा- अरे पागल, वो दोनों एक साथ तो तुझे चोदेंगे नहीं, जो भी पहले चूत में लौड़ा डाले.. उसको दूसरे का नाम बता देना कि उसने सील तोड़ी है.. समझी…

पापा की बात मुझे अच्छे से समझ में आ गई थी। अब मुझे किसी किस्म का डर नहीं था. पापा के जाने के बाद मैंने घर की साफ-सफ़ाई की, मेरा पूरा बदन दर्द से दु:ख रहा था मगर ना जाने कहाँ से मुझमें इतनी ताक़त आ गई थी कि मैं फटाफट सारा काम कर रही थी। दोपहर का खाना तो बनाना नहीं था, सो मैं सारा काम निपटा कर सो गई। लगभग 5.30 बजे तक सुकून की नींद लेने के बाद मेरी आँख खुली, तभी सौरव आ गया और मुझे देख कर मुस्कुराने लगा।

विनीता- क्या हुआ क्यों मुस्कुरा रहे हो?

सौरव- कुछ नहीं देख रहा हू तेरी अकड़ अभी निकली नहीं.. तुझे दोबारा डोज देना पड़ेगा।

मैं कुछ नहीं बोली और मुँह-हाथ धोकर रसोई में खाना बनाने चली गई। सौरव भी पजामा पहन कर मेरे पीछे आ गया। मैंने सफ़ेद टॉप और पीला स्कर्ट पहना हुआ था, यह मुझे पड़ोस की मिश्रा आंटी ने दिया था, जो मेरे लिए भी छोटा ही था। मैं कभी ऐसे कपड़े नहीं पहनती, मगर अब तो ऐसे ही कपड़े इन तीनों को काबू करने के काम आएँगे।

सौरव- आज तो बड़ी क़यामत लग रही हो.. क्या इरादा है?

मैंने उसकी बात का कोई जबाव नहीं दिया और अपने काम में लगी रही। सौरव ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मेरी जाँघों पर हाथ घुमाने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था मगर मैंने ना चाहते हुए भी पीछे मुड़ कर उसको धक्का दे दिया।

विनीता- शर्म करो.. मैं तुम्हारी बहन हूँ.. कल भी तुमने मेरी गाण्ड मार ली.. मैंने पापा से कुछ नहीं कहा। अब अगर तुमने कुछ किया ना, तो पापा को बता दूँगी।

सौरव- अबे चल.. साली राण्ड.. पापा तेरी बात कभी नहीं सुनेंगे, कल की बात भूल गई क्या? मधुर ने कैसे तुझे ठोका था.. चल नाटक मत कर चुपचाप कमरे में आजा, मेरा बहुत मन कर रहा है तेरी गाण्ड मारने का.. तू अगर चुपचाप आ जाएगी ना.. तो कल तुझे पक्का एक प्यारा सा गिफ्ट लाकर दूँगा और आज के बाद तुझे कभी परेशान नहीं करूँगा।

मुझे तो इसी मौके का इन्तजार था, मगर ऐसे सीधे ‘हाँ’ बोल देती तो गड़बड़ हो जाती। पापा ने रात भर चोद कर मुझे ऐसी रंडी बना दिया था कि आइडिया अपने आप मेरे दिमाग़ में आ गया।

विनीता- ठीक है भाई.. मगर आप इस बारे में मधुर से कुछ नहीं कहोगे और आराम से करोगे.. कल ही तुमने मेरी जान निकाल दी थी.. तुम्हारा बहुत मोटा है।

मेरी बात सुनकर सौरव के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई उसकी पैन्ट में तंबू बन गया।

सौरव- अरे नहीं मेरी विनीता.. मैं भला मधुर को क्यों बोलूँगा, इसमे मेरा ही नुकसान है और आज बड़े प्यार से तेरी गाण्ड मारूँगा.. ज़रा भी दर्द नहीं होने दूँगा.. बस तू आ जा कमरे में.. कसम से लौड़े में बहुत दर्द हो रहा है, मेरी तमन्ना पूरी कर दे.. मैं तुझे सच्ची की विनीता बना कर रखूँगा।

मैं मन ही मन सोच रही थी कि कितने हरामी है मेरे भाई और बाप.. साले कुत्ते सब मुझे चोदने के लिए कैसे मेरे आगे गिड़गिड़ा रहे हैं। मैं उसके पीछे-पीछे कमरे में गई, वो बिस्तर पर बैठा अपने लौड़े को पैन्ट के ऊपर से मसल रहा था। मुझे देख कर उसने मुझे आँख मारी, बदले में मैंने भी एक कामुक मुस्कान दे दी।

सौरव- आजा मेरी विनीता अब बर्दाश्त नहीं होता.. आज तो मैं घोड़ी बना कर तेरी गाण्ड मारूँगा।

विनीता- पहले कपड़े तो निकाल दो.. क्या ऐसे ही मारोगे?

मेरी बात सुनकर सौरव खुश हो गया और जल्दी से अपने कपड़े निकाल कर फेंक दिए, उसका लंड मुझे सलामी दे रहा था। कल तो मैंने ठीक से नहीं देखा था मगर आज उसका गोरा लौड़ा मुझे अच्छा लग रहा था। मैं उसके पास जाकर खड़ी हो गई और एक-एक करके अपने कपड़े निकालने लगी. मुझे ऐसे कपड़े निकालते देख कर सौरव की तो हालत खराब हो गई क्योंकि मेरा अंदाज थोड़ा मादक था।

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सौरव- वाह.. क्या मस्त फिगर है तेरा.. मज़ा आएगा आज तो आजा विनीता.. देख मेरा लौड़ा कैसे तेरे इन्तजार में फुंफकार रहा है।

इतना कहकर सौरव मुझ पर टूट पड़ा.. मेरे मम्मों को दबाने लगा.. चूसने लगा। मैं उसको धक्का मार रही थी मगर वो चिपका जा रहा था आख़िर मैंने उसे अपने आप से दूर किया।

विनीता- ऐसे नहीं भाई.. पहले अपनी आँखें बन्द करो.. उसके बाद मैं आपके पास आऊँगी।

सौरव ने झट से मेरी बात ली और आँखें बन्द करके बिस्तर पर लेट गया। मैं बिस्तर पर चढ़ गई और उसके लौड़े को हाथ से सहलाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उसको मुँह में भर लिया और चूसने लगी। सौरव ने झट से आँखें खोल दीं और मुझे देखने लगा।

सौरव- अरे वाह साली… तू तो एक ही दिन में इतना बदल गई.. लौड़ा भी चूसने लगी.. आहह मज़ा आ गया उफ़.. साली काट मत.. चूस विनीता.. .. मज़ा आ रहा है…

करीब 5 मिनट की ज़बरदस्त चुसाई के बाद मेरी चूत में भी खुजली होने लगी.. मगर मैंने अपने आप पर काबू किया।

सौरव- आह आहह.. उफफफ्फ़ साली बस भी कर.. पानी मुँह से ही निकलेगी क्या.. चल अब घोड़ी बन जा.. तेरी गाण्ड मारने की मेरी बहुत इच्छा हो रही है।

मैंने लंड मुँह से निकाल दिया और घोड़ी बन गई, सौरव मेरे पीछे आ गया उसने मेरी गाण्ड पर हाथ घुमाया और गाण्ड की तारीफ की, उसके बाद उसने लंड को मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा.. पूरा लौड़ा आराम से गाण्ड में घुस गया, मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

सौरव- आहह तेरी गाण्ड में जाकर लंड को कितना सुकून मिला है.. अब ले विनीता मेरे झटके संभाल.. आह.. उहह ले आहह…

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था उसके धक्कों से मेरी चूत की आग बढ़ने लगी थी मगर वो कच्चा खिलाड़ी था। अचानक उसने रफ्तार बढ़ा दी और 2 ही मिनट में उसके लौड़े ने रस छोड़ दिया। अब वो निढाल सा होकर मेरे पास लेट गया। मेरी चूत की आग चरम पर थी..

मैंने जल्दी से अपनी ऊँगली डाल कर चूत को ठंडा करना चाहा, मगर ऐसा करना ठीक नहीं था वरना सौरव को शक हो जाता। मैं उसके पास ही लेट गई और उसकी नजरों से बचा कर एक हाथ से चूत को रगड़ने लगी।

सौरव- उफ़ साली.. क्या हो गया तुझे.. कल तो रो-रो कर बुरा हाल था और आज ऐसे चुदी.. जैसे कई सालों की प्यासी हो.. जान तेरी चूत की सील तोड़ने दे ना.. प्लीज़ तू जैसा कहेगी मैं वैसा ही करूँगा.. प्लीज़ बस एक बार दर्द होगा.. उसके बाद तुझे बड़ा मज़ा आएगा प्लीज़…

विनीता- नहीं भाई.. आज नहीं कल पक्का.. अभी पापा आने वाले होंगे.. अच्छा मधुर कहाँ है? आया नहीं अभी तक? ‘वो आता ही होगा.. अच्छा तेरी चूत को चुम्मी तो करने दे अभी.. प्लीज़ अब मना नहीं करना..’

उसकी बात सुनकर मेरी तो मन की मुराद पूरी हो गई, चूत तो वैसे ही जल रही थी, मैंने झट से ‘हाँ’ कर दी और अपनी टाँगें फैला लीं।

सौरव- वाह.. क्या मस्त गुलाबी चूत है तेरी.. मगर ये ऐसे सूजी हुई क्यों है.. क्या हुआ?

उसकी बात सुनकर मैं भी असमंजस में पड़ गई कि अब क्या जवाब दूँ। अब दोस्तो, माना कि पापा ने मुझे रात भर चोदा और कई बातें भी सिखाईं मगर ऐसी नौबत भी आएगी, यह हमने सोचा ही नहीं था। मैंने पापा की वही बात बोल दी।

विनीता- भाई इतने भी अंजान मत बनो कल मधुर ने गाण्ड के साथ-साथ मेरी चूत में भी लौड़ा घुसाया था इसी कारण ये ऐसी हो गई।

सौरव- क्या.. मगर मैंने तो नहीं देखा.. मैं वहीं खड़ा छुप कर देख रहा था.. उसने चूत कहाँ मारी थी।

अब तो मेरी मुश्किल और बढ़ गई थी.. क्या जबाव देती उसे? मेरे चेहरे का रंग उड़ गया था चूत की सारी आग ठंडी पड़ गई थी। अब तो कैसे भी करके मैं सौरव को वहाँ से भगाना चाहती थी।

विनीता- वो व्व वो.. मधुर भाई गुस्से में लौड़े को ज़ोर ज़ोर से अन्दर-बाहर कर रहे थे तो अचानक लौड़ा गाण्ड से निकल कर चूत में घुस गया था, उस वक्त मैं ज़ोर से चीखी भी थी.. याद है ना..? बस उसी वक्त चूत की सील टूट गई थी।

सॉरी दोस्तो.. मुझे पता है, यह बात मुमकिन नहीं है, मगर उस वक़्त मैं भी चुदाई के मामले में नई ही थी.. तो जो मुँह में आया.. सो बोल दिया और सौरव कौन सा पक्का चोदू था.. वो हरामी भी नया ही चोदू था तो उसको कहाँ समझ में आया ये सब.. उसने मेरी बात झट से मान ली। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

सौरव- ओह्ह.. तो ये बात है.. ‘हाँ’.. तुम एक बार ज़ोर से चीखी थी’.. भाई भी ना.. उनको पता ही नहीं चला कि लौड़ा कहाँ जा रहा है.. बस दे दनादन चोद रहे थे। अगर कुछ हो जाता तो? उनको पता भी नहीं चला और तुम्हारी सील टूट गई.. चलो अच्छा ही है अब मुझे किसी बात का डर नहीं है। कल आराम से तुम्हारी चूत के मज़े लूँगा.. अच्छा अब जल्दी से कपड़े पहन लो वरना कोई आ गया तो तेरी शामत आ जाएगी.. कल तेरे लिए एक नई ड्रेस लेकर आऊँगा.. अच्छा सा ओके…

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इतना बोलकर वो कड़े पहनने लगा। मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े पहने और उसको एक पप्पी कर के अपने काम में लग गई। करीब 7 बजे पापा और मधुर साथ में ही घर आए। पापा के हाथ में कोई पैकेट था.. मधुर भाई मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे क्योंकि आज से पहले उन्होंने भी मुझे ऐसे कपड़ों में नहीं देखा था।

मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े पहने और उसको एक पप्पी कर के अपने काम में लग गई। करीब 7 बजे पापा और मधुर साथ में ही घर आए। पापा के हाथ में कोई पैकेट था.. मधुर भाई मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे क्योंकि आज से पहले उन्होंने भी मुझे ऐसे कपड़ों में नहीं देखा था।

पापा- अरे वाहह.. क्या बात है विनीता.. आज तो बड़े अच्छे कपड़े पहने हैं।

मधुर- पापा आप भी ना.. इसने बेढंगे कपड़े पहने हैं और आप इसकी तारीफ कर रहे हो..

पापा- अरे बेटा कौन सा हम इसको कपड़े लाकर देते हैं? आस-पड़ोस से माँग कर पहनती है। अब कोई सलवार सूट देता है तो कोई ऐसे कपड़े दे देता है.. हमको क्या लेना-देना.. ओए विनीता की बच्ची.. खाना बनाया कि नहीं.. वरना आज तेरी खैर नहीं..

विनीता- ज.. जी.. पापा खाना तैयार है.. आप हाथ-मुँह धो लो अभी लगा देती हूँ।

‘मुझे अभी भूख नहीं है.. बाद में खा लूँगा..’ इतना कहकर मधुर अपने कमरे में चला गया। उधर सौरव भी अपने कमरे में आराम कर रहा था। खाना खाने के वक्त तो कुछ खास नहीं हुआ। रात को करीब दस बजे तक सौरव और मधुर ने भी खाना खा लिया और अपने-अपने कमरों में चले गए।

पापा- अरे ओ विनीता की बच्ची.. कहाँ मर गई.. इधर आ साली.. मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है.. जल्दी आ कुतिया..

दोस्तों पापा ने ज़ोर से मुझे आवाज दी ताकि दोनों भाइयों को किसी तरह का शक ना हो.. मैं चुपचाप पापा के कमरे में गई, पापा मुझे देख कर मुस्कुराए।

पापा- आजा मेरी जान तेरे इन्तजार में लौड़ा मेरी पैन्ट फाड़ रहा है.. साली आज बड़ी क़यामत लग रही है.. ऐसे कपड़े पहनेगी तो मेरा क्या मेरे दोनों बेटों का भी सत्यानाश कर देगी तू.. चल आ जा.. ये ले आज ये पहन कर आ।

पापा ने मुझे वो पैकेट दिया जिसमे गुलाबी रंग की एक सेक्सी नाइटी थी और उसके साथ एक वीट की ट्यूब थी, जिससे मेरी झांटों के बाल साफ़ किए जाते हैं।

पापा- मेरी जान जल्दी से गुसलखाने में जाकर अपने सारे बाल साफ करके ये नाइटी पहन कर आजा… तब तक मैं भी दो-चार पैग लगा लेता हूँ।

दोस्तों मैंने कभी ऐसी क्रीम इस्तेमाल नहीं की थी तो मुझे कुछ समझ नहीं आया।

विनीता- पापा मुझे नहीं आता.. आप ही साफ कर दो ना प्लीज़…

पापा- ओह्ह.. चल आज तुझे सिखाता हूँ कि बाल कैसे उतारते हैं.. चल इसी बहाने मेरे लौड़े को भी चिकना कर लूँगा।

हम दोनों नंगे होकर बाथरूम में घुस गए। पापा ने मेरी चूत और हाथ-पाँव पर वीट लगा दी और खुद एक रेजर से अपने बाल उतारने लगे। दोस्तो, वीट लगाते हुए पापा ने मेरी चूत को ऐसा रगड़ा की बस क्या बताऊँ.. शाम को सौरव ने मुझे अधूरा छोड़ दिया था.. अब वो आग वापस जल उठी थी। करीब 15 मिनट में सारे बाल साफ करके हम नहा कर कमरे में आ गए। हमने एक-दूसरे को साफ किया और पापा नंगे ही बैठ कर पैग बनाने लगे।

पापा- क्यों विनीता आज तेरा भी पैग बना दूँ.. बड़ा मज़ा आएगा और सुना आज कुछ हुआ क्या? सौरव पहले आ गया था ना.. उसने तुझे चोदा कि नहीं?

विनीता- नहीं पापा.. ये आप ही पियो.. मुझे तो आपके लौड़े का रस अच्छा लगता है.. बस उसी को पीऊँगी।

मैंने सौरव के साथ की सारी बात पापा को बता दी।

पापा- हा हा हा बेचारा सौरव.. बहुत बुरा हुआ उसके साथ तो.. साली रंडी तुझे क्या जरूरत है एक ही दिन में उसके लौड़े को चूसने की.. चुपचाप चुद गई होती और क्या चूतिया बनाया बेचारे को।

मैंने बिना कुछ बोले पापा के लौड़े को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

पापा- अरे जान ऐसे ही शुरू हो गई.. वो नाइटी पहन कर तो आ.. जरा देखने तो दे.. कैसी लगती है तू?

विनीता- पापा मेरी चूत पानी-पानी हो रही है आपको नाइटी की पड़ी है। वैसे भी उसे पहन कर उतारना ही तो है और आप भी गर्म हो.. ऐसा करूँगी जब दोनों भाई घर पर नहीं होंगे, तब उसको पहन कर आप को रिझाऊँगी ताकि कभी दिन में भी आप मुझे छोड़ कर ना जा पाओ और मुझे चोदने को बेकरार हो जाओ।

पापा- हाँ.. ये सही कहा.. कभी मेरा मूड नहीं होगा उस दिन उस नाइटी में तुझे देख कर मूड अपने आप बन जाएगा.. चल अब मुझे पीने दे और तू भी अपने काम पर लग जा।

दस मिनट में पापा ने 3 पैग पी लिए और तब तक मैंने उनके लौड़े को चूस कर एकदम लोहे जैसा बना दिया। अब पापा को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने बिना मुझे चूमे-चाटे बस सीधा बिस्तर पर लिटा कर लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया।

दोस्तो, कल तो दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी मगर आज जो मज़ा आ रहा था। मैं क्या बताऊँ पापा ने आसन बदल-बदल कर मुझे मुझे 40 मिनट तक चोदा, मेरा दो बार पानी निकल गया था। पापा ने अपना सारा पानी मेरी चूत में भर दिया और हाँफने लगे।

पापा- उफ़फ्फ़ लौड़े में दर्द होने लगा, क्या मस्त कसी चूत है तेरी.. साली एक ही दिन में ऐसी पक्की राण्ड बन गई है कैसे मेरे लौड़े पर उछल कर मज़े ले रही थी।

विनीता- पापा ये सब आपका कमाल है.. कमसिन कली को एक ही दिन में तीन-तीन हरामी चोदेंगे तो वो रंडी ही बनेगी।

पापा- साली हरामखोर गाली देती है.. रंडी मैंने तेरी लाइफ बना दी.. कुत्तों से बदतर जिंदगी जी रही थी.. अब मज़े करेगी।

विनीता- सॉरी पापा.. आपको बुरा लगा तो मगर आपने ही कहा था गाली देने से चुदाई में मजा बढ़ता है.. अच्छा अबकी बार कैसे चोदेंगे मुझे?

पापा- अरे विनीता चोदने के वक्त गाली देने से मजा बढ़ता है.. ऐसे क्या फायदा और अभी के लिए इतना काफ़ी है.. वरना दोनों को शक हो जाएगा.. जा अपने कमरे में चली जा.. मधुर आता ही होगा.. उसकी नज़रें साफ बता रही थीं कि वो तुझे आज कच्चा खा जाएगा।

विनीता- सच्ची मधुर आएगा… कसम से कल कुत्ते ने बड़ी बेदर्दी से मेरी गाण्ड मारी थी.. आज अगर आ गया तो रात भर जाने नहीं दूँगी.. बोलूँगी चोद बहन के लौड़े.. आज जितना दम है निकाल ले साला हरामी बड़ा अकड़ता है।

पापा- अरे आएगा कैसे नहीं.. मेरा खून है उसकी नज़र को बहुत अच्छे से पहचानता हूँ.. जा अब देर मत कर…

मैं झट से गुसलखाने में गई.. अपनी चूत को अच्छे से साफ किया। बाहर आकर अपने कपड़े पहने और सीधी अपने कमरे में चली गई। वहाँ मधुर पहले से ही बैठा मेरा इन्तजार कर रहा था। उसको देख कर मैं सन्न रह गई।

मधुर- आओ विनीता.. मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था.. कहाँ थी अब तक हाँ?

विनीता- व व.. वो वो.. पापा के सर में दर्द था.. इसलिए उनका सर दबा रही थी।

मधुर- चुप साली छिनाल.. बहुत झूट बोलती है… मैंने दरवाजे के पास खड़े होकर सब कुछ देखा है… साली रंडी तुझे शर्म नहीं आई पापा से चुदवाते हुए?

दोस्तो, उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया, ना जाने कितने सालों से मैं घुट-घुट कर जी रही थी.. मगर इन दो दिनों की चुदाई ने मुझे निडर बना दिया था। वो कहते है ना औरत को नंगी कर दो, तो उसके बाद उसकी शर्म के साथ-साथ उसकी ज़ुबान भी खुल जाती है।

विनीता- अबे ओ बहनचोद.. किसको तेवर दिखा रहा है हरामजादे कल तूने मुझे चोदा.. तब तुझे शर्म नहीं आई कि मैं तेरी बहन हूँ और वो कुत्ता सौरव उसने मुझे चोदना चाहा.. उसकी बातों में आकर तूने मेरी गाण्ड मारी.. तेरे जाने के बाद उस कुत्ते ने मेरी गाण्ड मारी…

मैंने तेरे हरामी बाप को बताया तो उसने तुमको कुछ कहने की बजाए मेरी चूत को फाड़ दिया… हाँ साले.. शर्म उसको नहीं आई अपनी बेटी के साथ चुदाई करते हुए। उसके बाद आज फिर उस कुत्ते सौरव ने मुझे चोदा… अभी तेरे बाप के पास मैं नहीं गई थी.. उस हरामी ने मुझे बुलाया था चोदने के लिए समझे…

मधुर- साली छिनाल.. बहुत ज़ुबान चल रही है तेरी… काट कर फेंक दूँगा।

विनीता- बस ज़्यादा तेवर मत दिखाओ… मैं जानती हूँ तू यहाँ क्यों आया है। अब चुपचाप अपना काम कर और चलता बन मुझे नींद आ रही है।

मधुर- क.. कौन सा काम?

विनीता- इतना भी पागल मत बन.. आधी रात को तू मेरे कमरे में क्या माँ चुदाने आया है… साला बहनचोद.. मुझे चोदने आया है ना.. तो क्यों बेकार में वक्त खराब कर रहा है.. चल निकल अपने कपड़े.. आज तुझे असली मज़ा देती हूँ। तेरे हरामी बाप ने कल से लेकर आज तक मुझे इतना बेशर्म बना दिया है कि एक रंडी भी अपने ग्राहक को इतना मज़ा नहीं देती होगी जितना मैं तुझे आज दूँगी।

अब मधुर के पास बोलने को कुछ नहीं था वो चुपचाप बिस्तर पर बैठ गया। मैं उसके पास गई और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। दो मिनट के चुम्बन के बाद मधुर मेरे मम्मों को दबाने लगा, मेरी चूत को सहलाने लगा। मैं भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, मैंने उसके लौड़े को पजामे के ऊपर से दबाने लगी।

मधुर- उफ साली वाकयी में तू बड़ी गजब की चीज है… चल अब नंगी हो जा अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

हम दोनों नंगे होकर बिस्तर पर लेट गए और एक-दूसरे को चूमने, चूसने लगे। मधुर का लंड फुंफकारने लगा, तब मैंने झट से उसको मुँह में ले लिया और बड़ी अदा के साथ उसको चूसने लगी।

मधुर- उफ़फ्फ़ आह कक साली.. आहह.. मज़ा आ गया ओए.. काट मत अईए.. हरामजादी क्या हो गया तुझे.. आहह.. ला मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखने दे उई..

मैं लौड़े को मुँह से निकाले बिना ही घूम गई और मधुर के ऊपर आ गई। अब मेरी चूत मधुर के मुँह पर थी, जिसे वो बड़ी बेदर्दी से चूसने लगा था। करीब 15 मिनट तक ये चूत और लंड चुसाई का प्रोग्राम चलता रहा। अब तो मधुर का लौड़ा लोहे की रॉड जैसा सख़्त हो गया था और मेरी चूत आग की भट्टी की तरह जल रही थी।

मैंने लौड़े को मुँह से निकाला और घूमकर लौड़े पर बैठ गई.. ‘फच’ की आवाज़ के साथ पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा गया। एक हल्की सिसकी के साथ मैं आसमानों में पहुँच गई। लगातार दस मिनट तक मैं लौड़े पर कूदती रही.. मधुर अपना आपा खो बैठा और मेरी चूत में झड़ गया। उसके साथ ही मेरा भी फव्वारा निकल गया। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।

विनीता- क्यों भाई.. मज़ा आया ना?

मधुर- उफ़फ्फ़ तू मज़े की बात कर रही है… मुझे समझ नहीं आ रहा मैंने कौन से अच्छे काम किए थे… जो घर बैठे तुझ जैसी कमसिन कली मुझे चोदने को मिल गई। अब तो रोज रात तेरी चूत और गाण्ड के मज़े लूँगा… साली क्या गाण्ड है तेरी… सच कहूँ तेरी चूत से ज़्यादा गाण्ड मस्त है।

विनीता- ओ मेरे प्यारे भाई.. तो रोका किसने है.. अब मैं पूरी आप की ही हूँ जब चाहे चोद लेना… आ जाओ अब गाण्ड भी मार लो… मन की मन में मत रखो।

मधुर- अरे साली रुक तो अभी लौड़ा ठंडा हुआ है.. इतनी जल्दी कहाँ इसमें रस आएगा थोड़ा सबर कर…

विनीता- अरे भाई क्या बात करते हो.. मेरे होते हुए ये कैसे ठंडा पड़ सकता है.. अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है… पापा ने मुझे सब सिखा दिया है कि सोए लंड को कैसे जगाया जाता है।

मधुर- अच्छा दिखाओ तो अपना कमाल.. एक बात तो है पापा हैं बड़े ठरकी… एक ही दिन में तुझे पक्की रंडी बना दिया। मैं तो शाम को ही समझ गया था जब पापा ने तेरी तारीफ की थी।

विनीता- हाँ ये बात तो है.. पापा बड़े हरामी हैं.. लेकिन चुदाई का उनका तरीका ऐसा है कि कोई भी लड़की उनको ना नहीं बोल सकती… क्या आराम से चोदते हैं, कसम से मज़ा आ जाता है।

मधुर- चल अब तू पापा के गीत गाना बन्द कर और अपना कमाल दिखा… मैं भी तो देखूँ ऐसा कौन सा जादू करेगी तू… कि इतनी जल्दी मेरा सोया लंड खड़ा हो जाएगा।

मैंने एक हल्की सी मुस्कान दी और मधुर के लौड़े के सुपारे पर अपनी जीभ घुमाने लगी.. साथ ही मैं उसकी गोटियों को सहलाने लगी। कभी लंड को मुँह में लेकर चूसती तो कभी उसके गोटियों को मुँह में लेकर चूसती.. मधुर की हालत खराब हो गई। कुल 5 ही मिनट में उसका लौड़ा पिलपिले आम से कड़क केला बन गया।

मधुर- अरे वाहह.. मेरी विनीता तूने तो कमाल कर दिया.. चल अब घोड़ी बन जा। तेरी गाण्ड आज बड़े प्यार से मारूँगा।

मैं घोड़ी बन गई और मधुर ने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया। उफ़फ्फ़.. कितना मज़ा आया मुझे.. आपको क्या बताऊँ। दोस्तों गाण्ड मारने के बाद मधुर ने दो बार और मेरी चूत और गाण्ड मारी। मेरे जिस्म में अब ज़रा भी ताक़त नहीं बची थी.. मैं थक कर चूर हो गई।

मधुर भी निढाल सा होकर वहीं ढेर हो गया था। हम दोनों की कब आँख लग गई पता भी नहीं चला। सुबह 6 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने जल्दी से मधुर को उठाया और खुद गुसलखाने में घुस गई। करीब आधा घंटा बाद जब मैं बाहर आई तो मैंने देखा कि मधुर जा चुका था।

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मैं भी अपने काम में लग गई। सुबह का दिन तो सामान्य गुजरा फिर वही शाम आई और आज सौरव सबसे पहले आ गया। मैंने उसको खुश कर दिया। उससे दो बार चूत और गाण्ड मरवाई, फिर रात को पापा और मधुर ने मज़े लिए। दोस्तों अब रोज-रोज की चुदाई का क्या हाल बताऊँ आप को.. बस यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। अब तो मैं लंड की आदी हो गई थी। उफ़फ्फ़ सॉरी.. लंड की नहीं लंडों की.. अब ये घर के लौड़े मेरी जिंदगी बन गए थे। करीब दो महीने तक यह सिलसिला चलता रहा तीनों ने मिलकर मेरी चूत का भोसड़ा और गाण्ड को गड्डा बना दिया था.

मगर एक बात है अब तक तीनों एक-दूसरे से छुपे हुए थे। ख़ासकर सौरव को पापा के बारे में कुछ पता नहीं था। अब तो मेरे मज़े ही मज़े थे, घर का काम तो आज भी मैं ही कर रही हूँ। हाँ.. मगर अब कोई ना कोई मेरी मदद कर देता है.. जैसे कि सौरव आया और उसका मन है चोदने का तो मैंने कह देती हूँ कि कपड़े धोने में मेरी मदद करो.. ताकि मैं जल्दी फ्री हो जाऊँ और हम मज़े से चुदाई कर सकें और हाँ.. अब तो कोई ना कोई मेरे लिए तोहफा भी ले आता.. अच्छे कपड़े और ब्रा पैन्टी सब कुछ जो मैं चाहती हूँ।

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