Family Hardcore Sex
मेरा नाम अनुष्का है और मेरी सेक्स स्टोरी मैं आप लोगों को सुनाने जा रही हूँ.. यह मेरे जीवन का पहली बार का सेक्स था। मेरे घर में हम 4 लोग रहते हैं जिनमें मेरे अलावा मेरे पापा-मम्मी और भाई हैं। हम लोग जयपुर में रहते हैं, पापा एक गवर्नमेंट एम्प्लोई हैं और मम्मी हाउसवाइफ हैं। मेरा भाई मुझसे दो साल छोटा है। Family Hardcore Sex
मैं आपको अपनी उम्र बताना चाहूंगी.. मैं अभी 21 साल की हूँ। यह बात पुरानी है जब मैं ba फर्स्ट ईयर में थी और मेरा भाई तब बारहवीं में था। मैं आपको बता दूँ कि मैं 12वीं में.. बहुत इंटेलिजेंट थी और अपनी क्लास में दूसरी रेंक पर थी। मेरा सेक्स में कोई इंटरेस्ट नहीं था।
जब मैंने गर्ल्स कॉलेज में एडमिशन लिया था.. तब मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं था लेकिन अपने कॉलेज फ्रेंड के साथ रह-रह कर.. मैं सेक्स मूवी वगैरह देखने लगी, कभी-कभी मेरा भी मन सेक्स करने को करने लगता था लेकिन मैं सेक्स करती किसके साथ?
ना कोई बॉयफ्रेंड था और अगर कोई बनाती भी.. तो पापा का डर था। मैंने बहुत कण्ट्रोल किया और सिर्फ अपनी कामाग्नि को उंगली से बुझा कर शांत हो जाती थी। एक बार की बात है.. जब पापा ड्यूटी पर गए हुए थे और भाई अपने दोस्त के साथ घूमने गया हुआ था, मम्मी भी पड़ोस वाली आंटी के साथ शॉपिंग पर गई हुई थीं, मैं घर में अकेली थी।
तभी अचानक से मेरा सेक्स मूवी देखने का मन करने लगा और मैंने नेट से कुछ पोर्न मूवी डाउनलोड की और देखने लगी। उनको देखते-देखते मैं बहुत ही गर्म हो गई और अपनी चूत में उंगली करने लगी, मेरे मुँह से जोर से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
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तभी पता नहीं कहाँ से मेरा भाई आ गया और उसने मुझे ये सब करते हुए देख लिया। मैं डर गई और जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी और मेरा भाई मेरे कमरे से बाहर चला गया। फिर कुछ देर बाद.. मैंने भाई को जाकर ‘सॉरी’ बोला। भाई ने मुझे कुछ भी नहीं कहा और कुछ देर ऐसे ही चुपचाप खड़े रहने के बाद..
मैंने भाई से कहा- भाई.. प्लीज किसी को कुछ मत बोलना.. वरना पापा मेरी वाट लगा देंगे।
मेरे भाई ने मुझे देखा और बोला- तू टेंशन मत ले.. मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा.. जो तू कर रही थी.. वो आजकल हर लड़की करती है।
फिर मैंने उसको ‘थैंक यू” बोला और फिर वहीं बैठ गई।
मैंने उससे पूछा- भाई.. तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
भाई ने कहा- नहीं..
फिर मैंने कुछ सोच कर बोला- भाई तू भी तो अपना हिलाता ही होगा?
भाई ने मुस्कुरा कर जवाब दिया- हाँ.. हिलाकर ही शांत होता हूँ।
फिर मेरे भाई ने मुझसे पूछा- तू ब्लू-फिल्म देखती है?
मैंने कहा- हाँ.. देखती हूँ..
भाई ने कहा- मेरे साथ देखेगी?
मैंने कहा- नहीं भाई.. हम भाई-बहन हैं।
भाई ने कहा- इतनी टेंशन क्यों कर रही है? सिर्फ देखेंगे.. कुछ करेंगे नहीं..
मैंने बोला- ठीक है..
और फिर मेरे भाई ने अपने लैपटॉप में एक मस्त सी पोर्न मूवी लगा दी। हम दोनों बैठ कर मूवी देखने लगे। मूवी देखते-देखते मेरा भाई अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगा।
मैंने बोला- भाई.. तू ये क्या कर रहा है?
भाई ने बोला- तू भी तो अपनी खोल कर फिंगरिंग कर रही थी.. और अब भी अगर तू चाहे.. तो अपनी खोल कर फिंगरिंग कर सकती है।
यह बात सुनकर मुझे भी जोश चढ़ गया और मैं भी गर्म हो चुकी थी, मैंने भी अपनी खोलकर फिंगरिंग करनी शुरू कर दी। फिर मैंने अपने आप ही अपने भाई का लंड पकड़ लिया और उसको अपने मुँह में लेने लगी। मैंने काफी देर तक उसके लंड को अपने मुँह में डाले रखा और उसको हिलाने लगी। मैंने अपने भाई के लंड को बहुत देर तक चूसा और जब उसने पानी छोड़ दिया.. तो उसका पानी भी पी लिया।
मैंने अपने भाई को बोला- भाई.. फक मी.. प्लीज.. आज तोड़ दो मेरी सील.. और बना लो अपनी बहन को अपनी रखैल..
मेरा भाई यह सुनकर पागल हो गया और मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों पर किस करने लगा। किस करते-करते वो मेरे मम्मों को दबा रहा था। करीब आधे घंटे तक हमारी किसिंग चलती रही और किसिंग के काफी देर बाद..
भाई ने बोला- चल.. अब मेरा लंड चूस..
मैंने भी तुरंत उसका लंड मुँह में ले लिया और ऊऊउगुगुगू.. ऊऊउईईई.. अहहाह.. अहह.. अहहहह्हा अउम्म्म्म.. उम्म्म्म.. की मस्त मादक आवाजों के साथ उसके लंड को चूसने लगी। करीब 15 मिनट के बाद.. मेरे भाई ने अपना पानी निकाल दिया और मैं उसका सारा पानी पी गई।
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और एक-दूसरे का सामान चूसने लगे। चूसते-चूसते काफी टाइम हो गया था और फिर मैंने अपने भाई से बोला- भाई.. प्लीज नाउ फक मी.. अब मुझसे और कण्ट्रोल नहीं हो रहा है।
मेरा भाई भी कम चालाक नहीं था.. वो भी मुझे खूब तड़पा रहा था और मेरी चूत में उंगली कर रहा था। मेरे से तो रहा ही नहीं जा रहा था, मैं जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी ‘आहहाह अह..अहहाह.. उऔ औऔऔअ.. उईईईइ.. फक मी प्लीज.. अह..हाह.. प्लीज.. अब तो लंड डाल दे.. प्लीज.. फक मी हार्ड… मेरी चूत बहुत प्यासी है.. प्लीज.. और मत तड़पाओ..
फिर मेरे भाई ने अपना 6 इंच का लंड का टोपा मेरी चूत पर रखा और एक जोरदार झटका मारा और उसका टोपा अन्दर चला गया। मेरी तो हालत ख़राब हो गई थी.. बहुत जबरदस्त दर्द हो रहा था। इसी बीच.. उसने एक और जोरदार झटका मारा और इस बार उसका आधा लंड मेरी सील तोड़ते हुए अन्दर घुस गया।
मैंने भाई से बोला- भाई.. प्लीज इसे बाहर निकालो.. मैं मर जाऊँगी.. बहुत दर्द हो रहा है मुझे..
बेड पर खून आ गया था.. मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। फिर मेरा भाई मुझे किस करने लगा था और कुछ देर रुक गया और उसका आधा लंड ही मेरी चूत में था। कुछ देर बाद.. मेरा दर्द कम होने लगा और मेरा शरीर शांत सा हुआ। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेरे भाई ने फिर से एक और झटका मार दिया और उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुसता चला गया। इस बार भी मेरे मुँह से जोरदार चीख निकली और मुझे बहुत दर्द होने लगा। लेकिन इस बार मेरा भाई मेरी नहीं सुन रहा था.. वो अपने लंड को ‘दनादन..’ मेरी चूत में पेले जा रहा था।
फिर कुछ देर बाद.. मुझे भी मज़ा आने लगा और मैं भी भाई का साथ देने लगी थी। पूरे कमरे में हमारी चुदाई की ‘छप- छप’ की आवाजें आ रही थीं। करीब 15 मिनट के बाद.. मेरा भाई झड़ने जा रहा था और मैं अब तक दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने भाई को बोला- बाहर ही झड़ना.. नहीं तो मैं प्रेग्नेंट हो जाऊँगी.
उसने माल मेरे कहे अनुसार निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया और फिर हम दोनों वहीं बिस्तर पर लेट गए। उस रात हमने हर पोज में सेक्स किया और अब जब भी हमने मौका मिलता है.. हम सेक्स का मज़ा लेते हैं। और तब से हमें जब भी मौका मिलता है, हम चुदाई करते हैं। मेरा भाई मेरी चूत बहुत बार चोद चुका है।
अभी होली के बाद की बात है, मां और पापा दो दिन के लिए कही रिश्तेदारी में गए थे। वो लोग सुबह 10 बजे घर से निकल गए थे तो अब घर में हम दो लोग ही थे। माँ पापा के जाते ही भाई मेरे पास आया और उसने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और मुझे बैडरूम में ले आया.
और उसने मुझे बेड पर पटक दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा, कभी मेरे होठों को चूसता तो कभी मेरे गालों को, कभी माथे को तो कभी गर्दन को… वो पागलों की तरह मुझे चूम रहा था। मेरी साँसें तेज हो चुकी थीं… हमें डर तो किसी का था नहीं क्योंकि घर पूरा खाली था।
मेरी सिसकारी छूट रही थी ‘आ.. आ..’ भाई मेरे दोनों मम्मों को दबा रहा था और मेरी ‘आ.. आ… आह.. हा..’ की आवाज निकल रही थी। कई बार भाई ने इतनी तेज दूध दबाए कि मैं चीख पड़ी, मैंने भाई से कहा- इतनी तेज नहीं दबाओ.. आराम से दबाओ न.. लगती है।
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मैंने भाई से कहा- आराम से करो, अब हमारे पास दो दिन हैं, खूब मज़े करेंगे!
हम दोनों बहुत खुश थे।
भाई ने कहा- हमारे पास दो दिन हैं और हम इन दो दिनों में खुलकर चुदाई करेंगे। दीदी, मैं आपको सेक्स का नया मज़ा दूँगा, बस आप मेरा साथ देना!
मैंने भी हाँ में सर हिलाया। अब क्या था, उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और जल्दी से अपने कपड़े भी उतार लिए। अब भाई मेरे दोनों मम्मों को चूस रहा था, कभी चूसता तो कभी दबाता अब उसने मेरी नाभि में जीभ डाल दी और उसे चाटने लगा।
थोड़ी देर बाद वो मेरी चूत पर आ गया था, वो मेरी चूत को चाट रहा था, कभी पूरी जीभ अंदर गुसा देता तो कभी चूत के दाने को मुँह में लेकर चूसता। मैं तो बस आँखें बंद करके आहे भर रही थी आःह्ह्ह आअह्ह्ह आह्ह्ह्ह…
मैं पूरी तरह से गर्म हो गई थी, उससे विनती करने लगी- भाई, अब अपना लंड डाल कर मेरी चुदाई कर दो!
लेकिन वो मुझे और तड़फा रहा था, वो कहने लगा- दीदी, मैं आपको एक शर्त पर चोदूँगा!
मैं बोली- क्या शर्त है? मुझे तेरी सब बातें मंजूर हैं।
वो बोला- दीदी, मुझे आज आपकी गांड मारनी है।
मैंने कहा- ठीक है, मार लेना लेकिन अभी मेरी चूत को को शांत कर!
इतना सुनते ही उसने मेरी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रख ली और मेरी चूत में एक ही जटके में अपना पूरा लंड डाल दिया और धीरे धीरे अंदर-बाहर करने लगा। कमरे में मेरी और उसकी सीत्कारें और आहों की आवाज़ गूंज रही थी, वो मुझे बेदर्दी से पेल रहा था और मैं भी उसके धक्कों का जवाब अपनी गाण्ड उठा-उठा कर दे रही थी।
फिर उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा, मैंने घोड़ी बन कर अपना सर नीचे झुका लिया। उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाला। मुझे दर्द हो रहा था मगर मैं सह गई। दर्द कम होते ही फिर से धक्के जोर जोर से चालू हो गए। मैं तो पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो भी झड़ने वाला था।
उसने धक्के तेज कर दिए। अब तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे यह आज मेरी चूत फाड़ देगा। फिर एक सैलाब आया और उसका सारा माल मेरी चूत में बह गया। वो वैसे ही मेरे ऊपर गिर गया। मैं भी नीचे उल्टी ही लेट गई और वो मेरे ऊपर लेट गया।
मेरी चूत में से उसका माल निकल रहा था। फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दी। हम दोनों थक चुके थे और भूख भी लग चुकी थी। फिर मैं नंगी ही रसोई में गई और कुछ खाने के लिए ले कर आई, हम दोनों ने नंगे ही खाना खाया। शाम को 5 बजे मेरी नींद खुली तो मैंने भाई को भी जगाया।
फिर हम दोनों नंगे ही नहाये, हमने कपड़े पहने और शाम के खाने के लिए बाजार में सब्जी लेने के लिए चल दिए। शाम को 7 बजे तक हम घर आ गए थे। भाई टीवी देखने लग गया और मैं खाना बनाने रसोई में चली गई। खाना बनाने के बाद साथ में खाना खाया और उसके बाद मैं और भाई दोनों बेड आ गए थे।
भाई मुझसे कहने लगा- दीदी, अब जल्दी से अपनी मस्त गाण्ड का दीदार करवा दो।
मैंने कहा- डायरेक्ट गाण्ड ही मारोगे क्या.. पहले थोड़ी मस्ती तो कर लो..
उसने कुछ नहीं कहा और मुझे सीधा बिस्तर पर पटक दिया और मेरे होंठ चूसने लगा। मैं भी मस्ती में आ गई और उसका साथ देने लगी। कुछ ही देर में हम दोनों चूमते-चूमते एक-दूसरे के कपड़ों को निकालने लगे। अब हम दोनों एकदम नंगे हो गए थे, भाई का लण्ड तो लोहे जैसा सख़्त हो गया।
मैं- अरे भाई, ये आपके लौड़े को क्या हो गया.. कैसे झटके खा रहा है.. लगता है इसको घुसने की बड़ी जल्दी है।
भाई- अरे इसको पता है.. आज तेरी मुलायम गाण्ड का उद्घाटन करने वाला है ये!
मैं- हाँ, लेकिन उसके पहले मेरे प्यारे होंठ इसको मज़ा देंगे.. फिर यह मेरी चूत की आग मिटाएगा.. उसके बाद आखिर में गाण्ड का मज़ा मिलेगा.. समझे? इतनी आसानी से नहीं..
भाई- अरे यार, ये क्या बात हुई.. पहले गाण्ड मारने दो ना प्लीज़..
मै- नहीं… शुरू में गाण्ड मारोगे तो पता नहीं कितना दर्द होगा.. पहले मुझे ठंडी कर दो.. फिर आराम से मारते रहना।
भाई ने ज़्यादा ज़िद नहीं की और मान गया। उसके बाद हम दोनों चूमा-चाटी में लग गए, दोनों 69 के पोज़ में आ गए और एक-दूसरे के चूत और लण्ड को चूसकर मज़ा लेने लगे। कुछ देर बाद मैंने कहा- अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो लौड़ा चूत में.. और बुझा दो इसकी आग! भाई ने मेरे पैर कंधे पर डाले और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर चला गया।
मै-आआह्ह्ह्ह आआआआ मर गई आह्ह.. भाई क्या हो गया है आपको आह्ह..
भाई- दीदी, तेरी चूत बहुत प्यासी है ना.. इसकी वजह से मैं गाण्ड बाद में मारूँगा। अब देख इसका क्या हाल करता हूँ.. आह्ह.. ले आह्ह आह्ह आअह्ह!
मैं- आ आह्ह.. आआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह चोदो आह्ह.. मेरे भाई.. मज़ा आ गया.. चोदो मुझे आज इस चूत का भुर्ता बना देना… आह्ह.. भाई फाड़ दो मेरी चूत को! हां ऐसे ही ओह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह… हां भाई, आज इस चूत की सारी आग बुझा देना, यह मुझे बहुत परेशान करती है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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भाई स्पीड से झटके देने लगा.. मुझसे ऐसे तगड़े झटके बर्दाश्त नहीं हुए और मैं झड़ने के करीब आ गई।
मैं- आह्ह.. भाई, और तेज और तेज… मेरी चूत आह्ह.. मैं गई.. गई.. आह्ह.. आइ ईय..
मैं कमर हिलाकर झड़ने लगी, उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर भाई का अभी बाकी था.. वो घपाघप लौड़ा पेल रहा था।
मैं- आ आह्ह.. भाई आह्ह.. अब निकाल लो.. आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. जलन हो रही है.. आह्ह.. उफ्फ.. उफ्फ़..
भाई ने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया.. तो मैं तड़प सी गई- आह्ह.. आज तो बड़े जोश में हो भाई.. लगता है आज मेरी खैर नहीं..
भाई- आपका तो पता नहीं.. मगर आज तेरी गाण्ड की खैर नहीं है.. बहुत तड़पाती है मुझे.. आज उसको फाड़ के रख दूँगा मैं..
मैं- भाई जोश में होश ना खो देना.. आज फाड़ दोगे.. तो दोबारा नहीं करना क्या आपको?
भाई- डरो नहीं दीदी, तेरी गाण्ड इतनी प्यारी है.. इसको तो बड़े प्यार से चोदूंगा चल अब देर मत कर बन जा मेरी घोड़ी.. ताकि मेरे लौड़े को भी सुकून आ जाए..
मैं- ठीक है भाई.. प्लीज़ दर्द मत करना.. आराम से डालना और प्लीज़ ऐसे सूखा मत डालना, कोई ऑयल लगा लो.. ताकि दर्द कम हो।
भाई खड़ा हुआ और तेल की बोतल ले आया.. तब तक मैं भी दोनों पैर फैला कर घोड़ी बन गई थी.. मुझको देख के भाई खुश हो गया- वाह्ह.. मेरी घोड़ी क्या पोज़ में आई हो.. पैर भी फैला दिए.. ताकि गाण्ड थोड़ी और खुल जाए.. तू डर मत.. अभी बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद तेरी गांड को खोल दूँगा.. इतना कहकर भाई बिस्तर पर आ गया और मेरी गाण्ड को सहलाने लगा, पीछे से मेरी गांड को चाटने लगा, मेरी गांड के छेद में अपनी जीभ घुसाने लगा।
मै- उफ्फ.. भाई आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है… ऐसे ही चाटो!
कुछ देर गांड चाटने के बाद भाई ने तेल मेरी गाण्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसके छेद में लगाने लगा। कुछ तेल लौड़े की टोपी पर भी लगा लिया ताकि आराम से घुस जाए। भाई उंगली को गाण्ड के अन्दर घुसा कर तेल लगाने लगा.. तो मुझे थोड़ा दर्द हुआ.. मगर में दाँत भींच कर चुप रही। भाई बड़े प्यार से उंगली थोड़ी अन्दर डालकर गाण्ड में तेल लगा रहा था और मैं बस आने वाले पल के बारे में सोच कर डर रही थी।
भाई- अब तेरी गाण्ड को चिकना बना दिया है.. अब बस लौड़ा तेरी गांड में पेलना है, थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेना.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं… तू खुद कहेगी कि रोज गाण्ड मरवाऊँगी।
मैं- भाई, प्लीज़ आराम से डालना.. मैं आपकी बहन हूँ।
भाई ने लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और प्यार से छेद पर लौड़ा रगड़ने लगा।
भाई- अरे दीदी डर मत.. जानता हूँ तू मेरी बहन है.. तुझे दर्द होगा तो मुझे भी तकलीफ़ होगी.. तू बस देखती जा.. बड़े प्यार से करूँगा।
भाई ने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को फैलाया और टोपे को छेद में फँसा कर हल्का सा झटका मारा.. तो लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया। उसने 3 या 4 बार कोशिश की.. मगर लौड़ा अन्दर नहीं गया.. तो भाई ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ा और छेद पर रख कर दबाव बनाया.. अबकी बार लौड़ा गाण्ड में घुस गया और एक दर्द की लहर मेरी गाण्ड में होने लगी- आःह्ह्ह आईईइ.. आह… भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. आराम से करना उई.. माँ… आज नहीं बचूँगी..
भाई- अभी तो टोपी घुसी है.. थोड़ा सा बर्दाश्त कर ले.. बस उसके बाद दर्द नहीं होगा।
भाई- आह्ह.. कर तो रही हूँ.. आप बस झटके से मत देना.. धीरे-धीरे अन्दर डालो.. मैं दाँत भींच लेती हूँ.. आह्ह.. आह..
भाई हाथ से दबाव बनाता गया। टोपा थोड़ा सा और अन्दर गया और वो रुक गया.. फिर दबाया तो और अन्दर गया.. वैसे मेरा भाई बड़े प्यार से लौड़ा अन्दर पेल रहा था.. मगर मेरी गाण्ड बहुत टाइट थी, मेरी तो जान निकल रही थी..
मैं बस धीरे-धीरे कराह रही थी ‘आःह्ह्ह आःह्ह्ह आह्ह ह्म्म…’ कुछ देर तक भाई धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर बाहर करता रहा, उसका आधा लण्ड अब गाण्ड में जगह बना चुका था। अब वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा। तभी उसने अपना लन्ड मेरी गान्ड में से निकाल लिया।
मैं- ऑउच.. क्या हुआ भाई.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?
भाई- अरे नहीं दीदी!
मैं- उफ्फ.. भाई जल्दी से पेल दो… आप मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है।
भाई- सब्र करो दीदी, आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं!
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फिर भाई ने पूरे लौड़े पर थूक लगाया और मेरी गांड के छेद में भी थूका उसके बाद मेरी गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमें लौड़ा डालने लगा, फिर भाई ने एक ही झटके में पूरा लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा। मैं मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी।
तभी भाई ने ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में गाड़ दिया और इसी झटके के साथ मैं बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ भाई भी मेरे ऊपर गिर गया। पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो मेंरे मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई..
मगर जल्दी ही मेने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया.. मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। भाई को भी यह अहसास हो गया कि मुझे कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना एक आम बात है। भाई कुछ देर वैसे ही मेरे ऊपर लेटा रहा..
जब मेरा दर्द कम हुआ तो मैं बोली- आह्ह.. भाई.. मेरी जान निकाल दी आपने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर डाल रखा है..
भाई अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं- आह्ह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़, अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी।
भाई बोलने लगा- जब पूरा लंड ले लिया तब तो मरी नही अब क्या मरेगी?
मैं- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है जल्दी करो.. मुझे ज़ोर की सूसू आई है.. आह्ह.. जल्दी करो..
भाई अब स्पीड से मेरी गाण्ड मारने लगा, मैं सिसकारियाँ लेती रही.. कुछ देर बाद लौड़ा ‘पक-पक’ की आवाज़ के साथ स्पीड से अन्दर बाहर होने लगा। अब मुझे भी दर्द कम महसूस हो रहा था, मेरी चूत टपकना शुरू हो गई थी.
मैं जोश में आ गई- आ आह्ह.. भाई.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. अब ज़ोर से करो.. आह्ह.. जल्दी मेरी चूत की आ..आग भी आपको मिटानी है… आह्ह.. आह्ह.. फास्ट..
मुझको अब मज़ा आने लगा था, मैं हाथों पर ज़ोर देकर फिर से घोड़ी बन गई थी और भाई अब मेरे कूल्हे पकड़ कर ‘दे दनादन..’ लौड़ा पेल रहा था। कुछ देर बाद भाई ने मेरी गाण्ड में पिचकारी मारनी शुरू की.. तो गर्म-गर्म वीर्य से मुझको बड़ा सुकून मिला।
फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए और जब तक माँ पापा नही आये, तब तक हमने जी भरकर चुदाई की। फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए और जब तक माँ पापा नही आये, तब तक हमने जी भरकर चुदाई की।
सुबह 7 बजे मेरी आँख खुली तो हम दोनों बिस्तर पर नंगे पड़े थे, मैं उठी और सबसे पहले में बाथरूम में घुस गई, बाथरूम में ही लेट्रिन है, मैं सीट पर बैठ कर टट्टी कर रही थी, तभी वहाँ भाई आ गया, मुझे टट्टी करते देख भाई का लण्ड खड़ा होने लगा.
वो मुझसे कहने लगा- दीदी जल्दी कर लो, मुझे बहुत जोर से टट्टी आ रही है।
मैंने कहा- दो मिनट इंतजार कर…
फिर मैं जैसी ही टट्टी धोने को हुई, उसने मुझे रोक दिया, मुझसे कहने लगा- लाओ दीदी, मैं धो देता हूँ तुम्हारी गांड!
मैं हंसते हुए उसकी तरफ झुकी पर उसका हाथ मेरी गांड तक नहीं पहुँच रहा था, पर इस बार उसने मुझे चौंका दिया। जब मैं झुकी तो उसने अपना लंड मेरे मुंह में घुसा दिया और मैं उसका लण्ड चूसने लगी, उसके एक हाथ में पानी का जग था और एक हाथ से वो मेरी गांड धोने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो ठीक से धो नही पा रहा था, वो गांड में उंगली डाल रहा था। मैं तो मानो सातवें आसमान पर थी।
अब मैंने उसका लण्ड चूसना बंद कर दिया और कहा- अरे मेरे भाई, मेरी टट्टी करती हुई गांड के साथ ही आगे का काम करेगा क्या? मैं घोड़ी बन जाती हूँ, तू पीछे से जा और गांड धो.
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वो पीछे गया और पानी डालकर मेरी गांड अपने हाथ से धोने लगा।
वो कहने लगा दीदी- कितनी चिकनी गांड है तुम्हारी! वाह मजा आ गया, और यह देखो तुम्हारी गांड का छेद कितना मस्त है, गोरी गोरी गांड की एक काली सुरंग!
मेरी गांड धोते धोते वो कभी मेरी गांड में उंगली कर देता तो कभी मेरी चूत में… वो मेरी चूत भी धो रहा था।
मैंने कहा- भाई, जल्दी कर, अभी मेरी गांड धुली नहीं क्या?
वो मेरी गांड धोकर खड़ा हो गया, मैं भी खड़ी हो गई, मैंने कहा- अब तो टट्टी कर ले!
वो सीट पर बैठ गया, उसका लण्ड खड़ा था, मैं उसके सामने पेट के बल लेट गई और उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, मैं उसके लण्ड को चूस रही थी और वो टट्टी कर रहा था।
वो कहने लगा- दीदी, बहुत मज़ा आ रहा है!
तभी उसने कहा- दीदी, मुझे पेशाब आ रहा है!
मैंने उसका लण्ड को चूसना बंद कर दिया और लण्ड को छोड़ दिया। उसने अपने लन्ड को पकड़ कर मेरे चेहरे के ऊपर पिचकारी मार दी और मेरे मुखड़े पर पेशाब करने लगा।
जब उसने टट्टी कर ली और मुझसे कहने लगा- दीदी, मेरी गांड को धो दो!
मैंने उसकी गांड को धोया और हम खड़े हो गए, वो खड़े लंड के साथ मेरे सामने खड़ा था, मैंने उसे अपने नंगे गोरे बदन से चिपका लिया। हम मस्ती से एक दूसरे को सहला रहे थे, वो मेरी पीठ और चूतड़ सहला रहा था और मैं उसके लण्ड को सहला रही थी।
उसका लंड तो जैसे मेरी जांघों में घुसे जा रहा था। मैं तुरन्त नीचे बैठी और अपने दोनों पैर पसार दिए, मैं उसे अपनी गोरी चूत दिखा रही थी। वो भी नीचे बैठ गया, मेरी चूत को देखने लगा, मुझसे बोला- दीदी, आज आपकी चूत कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है, मस्त गोरी गोरी और लाल लाल चूत!
अब वो मेरी चूत की गंध से और कामुक हो गया और उसने मेरी चूत को चाटना चालू कर दिया। मेरी कामुक आवाजें निकलने लगी- उईई ह्म्म्म्म आआ आओम्म्म म्म्म्मम्म… ऐसे ही चाट मेरे भाई राजा… चाट अपनी बहन की चूत को चाट, ऐसे ही मजा दूंगी तुझे रोज अम्म्म्म ऊऊओ ओओ आआआ आअह्ह्ह आअह्ह ह्हह ईईएररर चाट भाई चाट अईई… ओह्ह्ह आआहह्हह ह्म्म्म…
मैं वहीं फर्श पर लेट गई, वो मेरी चूत को चाट रहा था और मेरे मम्मों को दबा रहा था। हम दोनों की कामुकता अब बढ़ चुकी थी, दोनों गर्म होते जा रहे थे, अब हमने एक-दूसरे की जुबान को चूसना शुरू कर दिया था, साथ ही वो अपना लिंग मेरी चूत में रगड़ रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब मेरे अन्दर की चिंगारी और तेज़ होने लगी थी, मैं भी अपनी कमर को हरकत में लाकर उसकी मदद करने लगी। अब उसने मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मेरी जाँघों को फ़ैलाने की कोशिश करने लगा। मैंने भी उसकी मदद करते हुए अपनी टाँगें फैला दीं, इससे वो आसानी से अपना लण्ड मेरी चूत में रगड़ने लगा।
वो मेरे होठों को चूम रहा था, वो कभी मेरी जीभ को चूसता तो कभी मैं उसकी जीभ को! इसके बाद वो अब मेरे गालों, गले, सीने को चूमते और चूसते हुए नीचे मेरी चूत के पास फिर आ गया और फिर मेरी टाँगों को फैला दिया।
अब उसने मेरी चूत को प्यार करना शुरू कर दिया, पहले तो उसने बड़े प्यार से उसे चूमा, फिर एक उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा, मुझे बहुत मजा आने लगा। उसने अपना मुँह लगा कर अपनी बहन की चूत को चाटना शुरू कर दिया।
मैं तो मरी जा रही रही थी और चिल्ला रही थी- भाई अब मुझसे सहन नहीं होता, मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दे! मेरी चूत का कीमा बना दे, चूत का भोसड़ा बना दे! चोद कुत्ते अपनी बहन को… मेरी चूत को फाड़ दे आज… आअह्ह आआह्हह ओफ़्फ़फ़ ह्म्म्म्म आआआ अह्हह्ह!
मुझसे अब सहन नहीं हुआ और मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाना शुरू कर दिया और अपना पानी छोड दिया। मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसके थूक और मेरी चूत का रस मिल कर मेरी जाँघों से बहने लगा था और वो मेरी चूत का पूरा पानी पी रहा था, उसने पूरा साफ़ कर दिया चाट कर!
अब मैं उसके लण्ड से खेलने लगी और हिलाने लगी, कुछ देर बाद मैं अपने भाई का लंड चूसने लगी। थोड़ी देर लन्ड चूसने के बाद उसने मुझे वहीं लिटाया, मेरी टाँगें चौड़ी की और मेरी टांगों के बीच में आ गया, मेरी चूत अपना लण्ड घिसने लगा।
मैंने जल्दी से उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और उसे झटका मारने के लिए कहा। उसने एक झटके में पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया तो मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ। अब वो हल्के हल्के झटके लगाने लगा। उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा फिर मेरे होंठों से होंठ सटाकर चूमते हुए मुझे चोदने लगा।
मुझे मजा आने लगा, उसने अब अपनी गति तेज़ कर दी, मैं सिसकारियाँ लेने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत में आसानी से जा रहा था, मैं तो मस्ती में उसके बाल तो कभी उसकी पीठ नोचने लगी। वो भी कभी मेरे गाल काटता तो कभी मम्मों को जोर से दबाता।
हम दोनों कभी एक-दूसरे को देखते, कभी चूमते, चूसते या काटते और वो तेज़ी से मेरी चूत को चोदे जा रहा था। वो लगातार 15-20 धक्के मारता फिर 2-4 धक्के बहुत तेज मारता, उस समय उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से जाकर टकरा जाता! इस तरह मुझे बहुत मजा आ रहा था। हम दोनों की साँसें तेज़ हो रही थी।
उसने मुझसे कहा- दीदी, तुम मेरे ऊपर आ जाओ मजा आएगा।
भाई नीचे फर्श पर पीठ के बल लेट गया और मैं उसके लण्ड पर अपनी चूत को सेट करके बैठने लगी। फच की आवाज के साथ मेरी चूत उसके पूरे लण्ड निगल गई और मैं उस पर कूदने लगी, वो भी नीचे से झटके दे रहा था।
थोड़ी देर ऐसे चुदने के बाद उसने मुझे कहा- दीदी चलो अब घोड़ी बन जाओ !
मैं झुक कर दोनों घुटनों को मोड़ कर अपनी हाथों के बल घोड़ी बन गई। उसने पहले तो पीछे से मेरी चूत को चाटा फिर लन्ड को चूत पर टिका कर धक्का दिया। लण्ड पूरा घुस गया और उसने मेरी कमर को पकड़ कर मेरी चूत में जोर जोर से चोट मारने लगा में सिसकारी लेते हुए कहने लगी- हाँ.. ऐसे ही ऐसे चोदो मुझे.. ह्म्म्मम्म आ..हह.. स्सस्स स्स !
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करीब 10 मिनट तक ऐसे चुदने के बाद मैं अब झड़ने वाली थी, मेरे शरीर की अकड़न देख कर वो समझ गया कि मैं अब झड़ने को हूँ, उसने तुरन्त मुझे सीधा लिटाया, मेरे ऊपर चढ़ गया, मेरी टाँगों को फैला कर उसने अपने कन्धों पर रख कर कहा- तुम्हें अब और ज्यादा मजा आएगा! उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और चोदने लगा, मैं उसके चूतड़ों को कस के पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी। उसकी साँसें मेरी साँसों से तेज़ हो रही थी।
उसने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
मैंने कहा- मैं भी जल्दी आने वाली हूँ।
भाई ने अब अपने धक्को की गति बढ़ा दी और चोदने लगा। मैं तो जैसे पागल हुए जा रही थी, वो मुझे चोदे जा रहा था और मैं कभी उसके गाल को काट लेती कभी उसकी पीठ सहलाती, कभी उसके चूतड़ों को अपनी चूत पर दबाती।
मैं मदमस्त होकर चिल्ला रही थी- आअ ईईईइ ऊऊऊ म्म्म्मम्म… चोद अपनी बहन को चोद हरामी चोद भड़वे! फाड़ दे मेरी चूत को आआम्मीईईई… ऊऊम्मम्म। आज छोड़ना मत मुझे… आज इस चूत का कचूमर बना देना!
मैं झड़ने वाली थी, मैंने कहा- भाई मैं आने वाली हूँ। जोर जोर से झटके मार अपनी पूरी ताकत से चोद मुझे… मैं आने वाली हूँ।
उसने कहा- दीदी, मैं भी बस आने वाला हूँ!
वो भी मुझे गालियाँ देने लगा ले रंडी साली कुतिया… आज तेरी चूत को फाड़ दूंगा… ले लण्ड आअह्ह आह्ह्ह्ह! ‘भाई… और जोर से ठोक मेरी… आअह्ह आह्हह ह्म्म्मम्म आआआआ गई मैं…’ और मेरा पानी निकलने लगा, मैंने भाई को बहुत कस कर पकड़ लिया था और झड़ गई। कुछ झटकों के बाद भाई भी मेरी चूत में झड़ गया और मेरे ऊपर गिर गया, हम दोनों हांफ़ते हांफ़ते वहीं कुछ देर पड़े रहे। फिर हम दोनों ने साथ में नहाने और साथ में बाद चाय नाश्ता किया और फिर दिन भर चुदाई की।