Sex Politics
यह कहानी हैं एक पॉलिटीशियन की नाम हैं अजय. अजय की उम्र हैं 52 साल. अजय के घर मे उसकी खूबसूरत बीवी शोभा हैं और दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी रूचि पाठक 22 साल की हैं और छोटा लड़का ऋतिक 20 साल का हैं. Sex Politics
जब शोभा 20 साल की थी तब उसकी शादी अपने से 10 साल बड़े अजय के साथ हुई थी. शोभा ने उस वक़्त अपने से इतनी बड़े उम्र के आदमी से शादी क्यू की यह एक रहस्य हैं. शोभा की खूबसूरती को देख कर कोई भी अच्छा लड़का मिल सकता था.
अधिकतर लोगो का मानना हैं की शोभा एक मिड्ल क्लास फॅमिली से हैं और उसके फादर अजय के यहा मुनीम थे, इसलिए ज़्यादा पैसो के लालच मे शोभा की शादी अजय से करवा दी. दबी ज़ुबान मे लोग अक्सर यह भी बात करते हैं की शोभा इस बेमेल की शादी से नाखुश थी.
और इसी कारण शादी के बाद उसका नाजायज़ रिश्ता उनके ही ड्राइवर सुरेश के साथ हो गया. शोभा जब 20 की उम्र मे शादी कर के अजय के घर आई थी तो सुरेश को उसका पर्सनल ड्राइवर बनाया गया. शोभा से सुरेश सिर्फ़ 3 साल बड़ा था और दोनो एक दूसरे की तरफ अट्रॅक्ट हुए थे.
लोगो का यह भी मानना हैं की शोभा के छोटे बच्चे ऋतिक का असली बाप दरअसल ड्राइवर सुरेश ही हैं. लोग तो यहा तक कहते हैं की इसी बात से गुस्सा होकर अजय ने अपने ड्राइवर सुरेश की बीवी को चोद कर उसके पेट मे भी अपना बच्चा देकर बदला पूरा किया.
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खैर यह सब तो अफवाहे थी. वरना क्यू अजय अभी तक शोभा को अपने पास वाइफ बना कर रखे हुए था और क्यू वो शोभा के बच्चो ऋतिक और रूचि को एक जैसा प्यार करता हैं! जैसे जैसे बच्चे बड़े हुए तो उनके कानो मे भी यह अफवाह गयी.
जिसकी वजह से रूचि और ऋतिक मे भी टेंशन शुरू हो गया. हालाँकि उनके माँ बाप अजय और शोभा उनके साथ एक जैसा बर्ताव करते थे. रूचि को लगता था की उसका असली बाप तो अजय ही हैं पर ऋतिक का बाप ड्राइवर सुरेश हैं. रूचि का सपना अपने पिता की तरह पॉलिटिक्स मे आने का था.
रूचि ने अपने पोलिटिकल करियर की शुरुआत 2 साल पहले कर दी जब वो नयी नयी कॉलेज के फर्स्ट एअर मे आई थी. अजय का रुआब था की उसको एक पार्टी से टिकेट भी मिल गया. उसकी पार्टी पिच्छले 3 साल से कॉलेज के इलेक्शन मे हार रही थी.
रूचि ने सोच लिया की वो अपना पहला चुनाव जीत कर रहेगी. अपने पिता की तरह उसका दिमाग़ भी पॉलिटिक्स मे तेज चलता था. उस वक़्त सिर्फ़ 20 साल की रूचि को पता चला की विपक्षी पार्टी ने थर्ड एअर मे पढ़ने वाले एक लड़के गौरव जैन को टिकेट दिया हैं. गौरव की पूरे कॉलेज मे अच्छी इमेज थी और उसका जीतना तय था.
रूचि और गौरव का कॉलेज इलेक्शन मे सीधा मुकाबला था. नॉमिनेशन वापिस लेने की डेट आ गयी थी और रूचि ने गौरव को अपने पार्टी ऑफीस मे अकेले मिलने को बुलाया. गौरव के सपोर्टर्स को लगा की कुछ तो गड़बड़ हैं. 4-5 लड़के गौरव के साथ गये. गौरव जब रूचि के पार्टी ऑफीस मे पहुचा तो देखा की वहाँ रूचि अकेली हैं.
रूचि: “एक अकेली लड़की से इतना डर लगता हैं की अपने साथ इतने लड़के लाने पड़ गये. मैने यहा लड़ाई के लिए नही बुलाया हैं. मैं चाहती हूँ की प्यार से मिलकर कॉलेज के लिए काम करे. हम अकेले मे बात कर सकते हैं?”
गौरव ने अपने साथ आए लड़को से कहा की कोई ख़तरा नही हैं और वो लोग जा सकते हैं. मगर उन सपोर्टर लड़को ने कहा की वो मैनगेट के बाहर थोड़ी दूर इंतेजार करेंगे, ताकि कोई गड़बड़ ना हो.
रूचि: “जाते जाते दरवाजा बंद कर जाना.”
सारे लड़के दरवाज़ बंद कर बाहर चले गये और अब पार्टी ऑफीस मे सिर्फ़ रूचि अपनी कुर्सी पर बैठी थी और टेबल के दूसरी तरफ सामने बैठा था गौरव.
रूचि: “मैं चाहती हूँ की आपसी सहमति से बिना इलेक्शन के ही कॉलेज का प्रेसीडेंट चुन लिया जाए.”
गौरव: “तो ठीक हैं. तुम अपना नॉमिनेशन वापिस ले लो.”
रूचि: “तुम इसके बदले मुझे क्या दे सकते हो?”
गौरव: “मेरे पास देने के लिए कुछ हैं भी नही. मैं तुम्हारी तरह अमीर फॅमिली से नही हूँ.”
रूचि: “मगर मैं दे सकती हूँ. बोलो कितना पैसा चाहिए.”
गौरव: “मुझे पता था तुम यही कहोगी. मगर मैं पैसो मे बिकाऊ नही हूँ. मैं यहा इलेक्शन जीतने आया हूँ.”
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रूचि अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी और घूम कर टेबल के दूसरी तरफ गौरव की कुर्सी के पास आ गयी. रूचि ने दुपट्टा गले से निकाला और अपनी कुर्सी पर फेंक दिया. रूचि फिर टेबल पर बैठ गयी और अपना पाव गौरव की चेयर पर रख दिया, गौरव के दोनो घुटनो के बीच मे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
गौरव थोड़ा घबराया. रूचि ने गौरव की एक कलाई पकड़ी और उसकी हथेली को अपने एक बूब्स पर रख कर दबा दिया. गौरव देखता रह गया. फिर रूचि ने गौरव का हाथ छोड़ दिया. रूचि भी अपनी माँ शोभा की तरह गजब की खूबसूरत थी. गौरा रंग, पतली कमर, भूरे रंगे हुए और कट्रल किए हुए बाल. कई लड़को का दिल उसके लिए धड़कता था.
गौरव: “यह क्या था!”
रूचि: “मैं जिस टेबल पर बैठी हूँ, इसी टेबल पर मैं अपने सारे कपड़े उतार कर लेट सकती हूँ. तुम्हे मेरे साथ जो करना हैं कर लेना. मगर तुम्हे अपना नॉमिनेशन वापिस लेना होगा.”
गौरव: “तो तुम अपनी इज़्ज़त का सौदा एक कुर्सी के लिए कर रही हो. तुम्हे क्यू लगता हैं की मैं मान जाउन्गा!”
रूचि: “तुमने अभी मेरे बूब को छुआ, तुम्हे कैसा लगा?”
गौरव: “अच्छा ही लगेगा. उपर से तुम खूबसूरत भी हो.”
रूचि: “तो फिर तुम मेरी इस खूबसूरत जवानी को नंगा नही देखना चाहते! एक हसीन लड़की को चोदना नही चाहते?”
गौरव: “तुम्हे नंगा देखना और चोदना हर एक लड़के का सपना हैं. मैं भी चाहता हूँ पर उसके लिए मैं नॉमिनेशन वापिस नही लेना चाहता.”
रूचि: “तो और क्या चाहिए!”
गौरव: “एक बार फिर से हाथ लगा कर देखु?”
रूचि: “लगा लो.”
गौरव ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और रूचि के बूब को एक बार फिर अपने हाथ से पकड़ कर थोड़ा दबा दिया.
रूचि: “मेरा कुर्ता और अंदर पहना ब्रा नही होगा तो तुमको हाथ लगाने और ज़्यादा मज़ा आएगा.”
गौरव सोच मे पड़ गया. एक तरफ कुर्सी थी तो दूसरी तरफ एक खूबसूरत लड़की को चोदने का मौका, जो उसकी औकात के हिसाब से कभी मुमकिन नही हो सकता था.
रूचि: “मैं चाहती तो इस वक़्त अपने कपड़े फाड़ कर तुम पर रेप का ग़लत इल्ज़ाम लगा कर भी फसा सकती थी. मगर मैं फेयर गेम खेलूँगी. बोलो क्या फ़ैसला हैं तुम्हारा? कुर्सी चाहिए या मेरी चूत!”
गौरव: “अपने कपड़े निकालो और लेट जाओ.”
रूचि ने एक स्माइल दी और गौरव की कुर्सी से अपना पैर हटाया और टेबल से उतर कर नीचे खड़ी हो गयी. गौरव भी अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ. रूचि ने अपना कुर्ता सर से होकर निकाल दिया और अपनी लेगिंग भी निकाल दी.
एक खूबसूरत सी जवानी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे गौरव के सामने खड़ी थी और उसका लंड उसकी पैंट मे फड़फड़ाने लगा. रूचि ने जल्दी से अपना ब्रा और पैंटी निकाली और गौरव की आँखें फटी की फटी रह गयी. उसने कभी सोचा नही था की कोई लड़की बिना कपड़ो के इतनी खूबसूरत भी दिख सकती हैं.
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गौरव ने जल्दी से अपने कपड़े निकाले और नंगा हो गया. तब तक रूचि टेबल पर चढ़ कर लेट गयी. गौरव ने आगे बढ़कर अपने एक हाथ को रूचि के नंगे बदन पर फेरना शुरू किया. बूब्स के उभार से होते हुए उसका हाथ रूचि की पतली कमर और नाभि पर होते हुए उसकी चूत तक गया.
फिर आगे झुककर उसने रूचि के निपल्स को चूसना शुरू कर दिया. एक निपल से दूसरे निपल तक वो झपट्टा मार कर चूस रहा था और रूचि के बूब्स को दबा भी रहा था. छपर्र छपर्र की आवाज़ो के साथ उसने जल्दी ही रूचि के दोनो बूब्स को गीला कर दिया था.
इस बीच एक हाथ से रूचि की चूत को अपनी उंगलियो से रगड़ता भी जा रहा था. जब उसका मन रूचि के बूब्स का रस लेकर भर गया तो उसने अपना मूह रूचि के होंठो की तरफ किया. रूचि ने उसके होंठो पर हाथ रख दिया.
रूचि: “सिर्फ़ गर्दन के नीचे का शरीर तुमको इस्तेमाल करने को दिया हैं. वही तक रहो.”
इतनी देर से रूचि को इतने करीब से देख कर उसके गुलाबी होंठो को देख कर उनको चूमने का बहुत मन था पर गौरव को अपनी तमन्ना अपने मन मे ही दबानी पड़ी.
गौरव: “उपर के होंठ ना सही, पर तुम्हारे नीचे के होंठो को तो चूम ही सकता हूँ.”
यह कहते हुए गौरव टेबल के दूसरी तरफ रूचि की टाँगो की तरफ आया और उसके दोनो पैर चौड़े कर उसकी चूत को खोला. फिर अपने होंठ रूचि की चूत के होंठो पर रख दिए. रूचि की चूत के गीले होंठो को अपने होंठो से छूते ही गौरव बावरा सा हो गया.
उसने अपने होंठो मे रूचि की चूत के होंठो को भर भर कर चूसा. अपनी ज़ुबान को आरी की तरह रूचि की चूत की दरार मे चला कर मज़े लिए. अपनी ज़ुबान को रूचि की चूत के छेद मे डाल कर अंदर बाहर करते हुए थोड़ी देर चोदता रहा.
सिसकती हुई रूचि को देख कर गौरव का लंड और भी ज़्यादा फड़फड़ाने लगा. गौरव से और इंतेजार नही हुआ और वो चढ़ गया रूचि के उपर. गौरव का लंड छू गया रूचि की चूत को और छाती से मिल गयी छाती. गौरव की छाती को भी महसूस हुआ की उसने मुलायम से बूब्स को दबा दिया हैं.
इसके पहले की गौरव अपना लंड रूचि की चूत मे डाल कर चोदना शुरू करे, रूचि ने गौरव को ड्रॉवर से कॉंडम निकाल कर पहनने को कहा. गौरव नीचे उतरा और कॉंडम पहन कर फिर से रूचि पर चढ़ गया. गौरव ने जल्दी से अपना लंड रूचि की चूत के हवाले कर दिया.
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रूचि की चूत की गर्मी मिलते ही गौरव का शरीर पर काबू नही रहा और वो तेज़ी से उपर नीचे हिलता हुआ रूचि के नाज़ुक बदन को रगड़ने लगा. गौरव का मूह रूचि की गर्दन को चूम रहा था और वहाँ से आती हुई रूचि के शरीर की सुगंध से वो मदहोश हुए जा रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
गौरव धक्के पर धक्के मारता हुआ रूचि को चोद रहा था. रूचि छत की तरफ देखे आहें भरते हुए खुश हो रही थी. रूचि को छत पर लटके पंखे मे कुर्सी का रिफ्लेक्षन दिख रहा था. हालाँकि पंखे मे गौरव का हिलता हुआ नंगा बदन भी दिख रहा था पर उसका फोकस सिर्फ़ कुर्सी पर था.
थोड़ी देर बाद पंखे की आवाज़ से ज़्यादा टेबल के हिलने की आवाज़ आने लगी थी. गौरव का जोश अब बढ़ चुका था क्यू की वो झड़ने की कगार पर था. मरने से पहले जैसे मछली छटपटाती हैं वैसे ही गौरव झड़ने के पहले पूरा ज़ोर लगा कर चोद रहा था.
गौरव ने इतना ज़ोर लगाया की टेबल पूरा हिलने लगा था. रूचि की चूत की क्या हालत थी वो तो रूचि ही जानती थी. गौरव ने अपने हाथ के दोनो पंजो के सहारे अपना सीना उपर उठाया और एक के बाद एक ज़ोर के झटके अपने लंड से रूचि की चूत मे मारे.
पहली बार रूचि की चीख निकली. “आआअहह आआआहह आआहह आआईए” रूचि की थोड़ी और चीखे निकली और उसके बाद गौरव एक बार फिर धडाम से रूचि की छाती पर अपना सीना रखे लेट गया. गौरव का लंड रूचि की चूत मे गहराई मे गया और वो वही झड़ गया.
गौरव का नंगा बदन अभी भी रूचि के नंगे बदन से चिपका हुआ पड़ा था. गौरव ने अपने आप को संभाला और टेबल से नीचे आ गया और अपने कपड़े फिर पहनने लगा. रूचि भी टेबल पर उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत को देखने लगी.
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रूचि ने भी टेबल से उतर कर अपनी पैंटी और ब्रा पहने. गौरव बराबर कपड़े पहनती रूचि को घूर रहा था. थोड़ी देर मे ही दोनो ने अपने कपड़े पहने और फिर से सभ्य लोग बन गये. रूचि ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और गौरव से हाथ मिला लिया. दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को बाय किया और गौरव वहाँ से चला गया. अगले ही दिन कॉलेज मे हलचल मच गयी. सबको पता चला की गौरव ने अपना नॉमिनेशन वापिस ले लिया हैं. उसकी पार्टी वाले सन्न रह गये की कल रात मीटिंग मे ऐसा क्या हुआ!
हालाँकि कुछ समझदार लोगो को गेस करते टाइम नही लगा की गौरव ने क्या रिश्वत ली होगी. पार्टी ने गौरव को बाहर निकाल दिया. नॉमिनेशन डेट पहले ही निकल चुकी थी तो वो नया कॅंडिडेट खड़ा भी नही कर सकते थे. बिना इलेक्शन के ही रूचि निर्विरोध इलेक्शन जीत कर कॉलेज स्टूडेंट यूनियन की प्रेसीडेंट बन गयी. रूचि ने अपना पहला चुनाव बिना लड़े ही जीत लिया था. रूचि की गंदी राजनीति की यह तो सिर्फ़ एक शुरुआत थी.