Desi Sexy Kahani
में एक गर्मागर्म देसी सेक्सी कहानी लेकर आया हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को यह बहुत पसंद आएगी आज मैं आपके लिए एक बहूत ही हॉट और मस्त चुदाई की कहानी लेके आया हु। योगेन्द्र की पत्नी कमला की मौत 2 साल पहले हो गयी थी। अब वो पैतालिस साल का एक असंतुष्ट आदमी था और अपने लौड़ा की गरमी निकालने के लिए नई बूर की तलाश में था। Desi Sexy Kahani
उसका एक बेटा प्रशांत और एक बेटी खुशबू थी। बेटी की शादी विशाल के साथ हो चुकी थी जो कि फौज में काम करता था। विशाल की पोस्टिंग सिक्किम में थी और खुशबू से अलग रहने पर मज़बूर था। खुशबू 19 साल की जवान औरत थी।। गोरी चिट्टी, गदराया हुआ बदन, भारी गांड, भरी हुई चूचियाँ, मोटे होंठ, लंबा कद और कसरती जांघे।
कई बार तो योगेन्द्र अपनी ही बेटी के जिस्म की कल्पना से उत्तेजित हो चुका था। वो एक ही शहर में होते हुए भी अपनी बेटी से कम ही मिलता क्योंकि वो नहीं चाहता था कि उसका हाथ अपनी ही बेटी पर लगकर इस पवित्र रिश्ते को तोड़ डाले।
प्रशांत ने भी अपनी प्रेमिका दिव्या से शादी करके घर बसा लिया था। दिव्या एक साँवली 20 साल की लड़की थी।। बिल्कुल स्लिम, सेक्सी आँखें, लंबी टाँगें और भरा हुआ जिस्म। दिव्या की ज़िद थी कि वो अलग घर में रहेगी। तो प्रशांत ने अलग घर ले लिया था।
योगेन्द्र अब अकेलेपन का शिकार हो रहा था कि अचानक एक दिन उसकी बहू दिव्या का फोन आया और वो बोली कि पापा जी आप यहाँ पर चले आइए। मुझे आपकी ज़रूरत है। प्रशांत ने मुझे धोखा दिया है और में आपके बेटे से तलाक़ चाहती हूँ। आप अभी चले आये पापा जी।
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तभी योगेन्द्र जल्दी से अपने बेटे के घर पहुँचा तो देखा कि दिव्या ने रो रो रोकर अपना बुरा हाल कर लिया था। फिर योगेन्द्र उसके पास आया और पूछने लगा कि बेटी क्या हुआ? रोना बंद करो अब और मुझे पूरी बात बताओ बेटी। तू घबरा नहीं। तेरे पापा जी हैं ना? शाबाश बेटी मुझे सारी बात बताओ?
लेकिन दिव्या कुछ नहीं बोली बल्कि उसने तस्वीरों का एक लिफ़ाफ़ा अपने ससुर की तरफ बढ़ा दिया। फिर योगेन्द्र ने एक नज़र जब तस्वीरों पर डाली तो हक्का बक्का रह गया। प्रशांत क़िसी पराई औरत को चोद रहा था और उसकी हर तस्वीर साफ थी.
और एक तस्वीर में वो औरत प्रशांत का लौड़ा चूस रही थी तो दूसरी में प्रशांत उसकी गांड चाट रहा था, बूर चूम रहा था और तस्वीरें बिल्कुल साफ थी और उस औरत की शक्ल भी जानी पहचानी लग रही थी। वो औरत भी बहुत सेक्सी थी। गोरी, गदराया हुआ बदन, 25-26 साल की हसीना थी।
फिर योगेन्द्र बोला कि बेटी यह औरत कौन है? कब से चल रहा है ये सब कुछ?
फिर दिव्या बोली कि पापा जी क्या आप नहीं जानते इस औरत को? ये कोमल है। मेरी भाभी जिसको आपके बेटे ने फंसाया हुआ है। आपका बेटा मुझसे और मेरी सग़ी भाभी से शारीरिक संबंध बनाए हुए है। तभी योगेन्द्र कहने लगा कि यह शरम की बात है उसको मर जाना चाहिए। जो अपनी बहन समान भाभी को चोद रहा है और दिन रात उसके साथ चिपका रहता है।
तभी दिव्या बोली कि हाँ पापा जी और में यहाँ करवटें बदलती रहती हूँ। तभी योगेन्द्र की नज़र अब अपनी बहू के रोते हुए चेहरे पर से ऊपर नीचे होते हुए सीने पर जा रुकी। दिव्या का कमीज़ बहुत नीचे गले का था और उसके सीने का उभार आधे से अधिक बाहर खनक रहा था।
तभी बूब्स की गहरी घाटी देखकर ससुर का दिल बहक उठा और योगेन्द्र जानता था कि जब औरत के साथ बेवफ़ाई हो रही हो तो वो गुस्से और जलन में कुछ भी कर सकती है। इस वक्त उसकी बहू को कोई भी ज़रा सी हमदर्दी जता कर चोद सकता था और अगर कोई भी चोद सकता था तो फिर योगेन्द्र क्यों नहीं? और ऐसा माल बाहर वाले के हाथ क्यों लगे? और बेटे की पत्नी उसके बाप के काम क्यों ना आए?
फिर योगेन्द्र बोला कि बेटी घबरा मत। में हूँ ना तेरी हर तरह की मदद के लिए। बोलो कितने पैसे चाहिए तुझे। दस लाख, बीस लाख। में तुझे इतना धन दूँगा कि तुझे कोई कमी ना रहेगी और कभी प्रशांत के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे। बस तुम मेरे घर की इज़्ज़त रख लो और प्रशांत की बात किसी से मत कहना और तुझे जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बुला लेना।
योगेन्द्र ने कहा और अपनी बहू को बाहों में भर लिया। रोती हुई बहू उसके सीने से चिपक गयी और जब दिव्या का गरम जिस्म ससुर के साथ लिपटा तो एक करंट उसके जिस्म में दौड़ गया जिसका सीधा असर उसके लौड़ा पर हुआ। तभी 45 साल के आदमी में पूरा जोश भर गया और उसने अपनी बहू को सीने से भींच लिया और उसके गालों को सहलाने लगा।
उधर जवान बहू ने जब इतने दिनों के बाद आदमी के जिस्म को स्पर्श किया तो उसकी बूर में भी एक आग सी मच गयी और वो एक मिनट के लिए भूल गयी कि योगेन्द्र उसका पति नहीं बल्कि पति का बाप था। योगेन्द्र ने बहू को गले से लगाया हुआ था और फिर वो सोफे पर बैठ गया और दिव्या उसकी गोद में। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
जब अपने ससुर के लौड़ा की चुभन बहू के बुर पर होने लगी तो बहू भी रोमांचित हो उठी और वैसे भी ससुर ने पैसे देने का वादा तो कर लिया था। अब उसकी जिस्मानी ज़रूरतों की बात थी तो वो सोचने लगी कि क्यों ना प्रशांत से बदला लेने के लिए उसके बाप को ही अपने जाल में फंसा लूँ?
पापा जी का लौड़ा तो बहुत मोटा ताज़ा महसूस हो रहा है। अगर मदारचोद प्रशांत ने मेरी भाभी को फंसाया है तो क्यों ना में उसके बाप को अपना पालतू चोदू आदमी बना लूँ? और वैसे भी बुजुर्ग आसानी से पट जाते हैं और फिर औरत को एक जानदार लौड़ा तो चाहिए ही। अब तरकीब लगानी है कि ससुर जी को कैसे लाईन पर लाया जाए? और उसके लिए खुल जाना बहुत ज़रूरी है।
तभी दिव्या अपनी स्कीम पर मुस्कुरा उठी और कहने लगी कि मेरे प्यारे पापा जी, आप कितना ख्याल रखते हैं अपनी बहू का? में आपकी बात मानूँगी और घर की बात बाहर नहीं जाने दूँगी।। यह बात कहते हुए उसने प्यार से अपने ससुर के होंठों को चूम लिया।
योगेन्द्र भी औरतों के मामले में बहुत समझदार था और जनता था कि उसकी बहू को चोदने में कोई मुश्किल नहीं आएगी। तभी उसका लौड़ा उसकी बहू के बुर में घुसने लगा तो बहू भी शरारत से बोली कि पापा जी ये क्या चुभ रहा है मुझे? शायद कोई सख्त चीज़ मेरे कूल्हों में चुभ रही है।
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फिर योगेन्द्र बड़ी बेशर्मी से हंस कर बोला कि बेटी तुझे धन के साथ साथ इसकी भी बहुत ज़रूरत पड़ेगी।। धन बिना तो तू रह लेगी लेकिन लौड़ा के बिना रहना बहुत मुश्किल होगा।। मेरी प्यारी बेटी को इसकी ज़रूरत बहुत रहेगी और बेटे का तो ले चुकी है अब अपने पापा जी का भी लेकर देख लो और अगर तुझे खुश ना कर सका तो जिसको मर्ज़ी अपना यार बना लेना।
तभी योगेन्द्र का हाथ सीधा बहू की बूब्स पर जा टिका और बहू मुस्कुरा पड़ी और उसने अपने ससुर के लौड़ा पर हाथ रखा तो लौड़ा फूंकार उठा। पेंट में तंबू बन चुका था। तभी दिव्या समझ गयी थी कि अब बेटे के बाद बाप को ही अपना पति मान लेने में भलाई है।
फिर योगेन्द्र ने बहू के सर पर हाथ फैरते हुए कहा कि रानी बेटी अब ज़िप भी खोल दो ना और देख लो अपने पापा जी का हथियार और अपने कपड़े उतार फेंको और मुझे भी अपना खज़ाना दिखा दो। तभी बहू ने झट से ज़िप खोल दी और पापा जी की अंडरवियर नीचे सरकाते हुए लौड़ा को अपने हाथों में ले लिया.
और कहने लगी कि पापा जी आपका लौड़ा तो आग की तरह दहक रहा है। लगता है माँ जी के जाने के बाद से यह बेचारा प्यासा है। खैर अब में आ गयी हूँ इसका ख्याल रखने के लिए। ये बहुत बैचेन हो रहा है अपनी बहू को देख कर।
फिर योगेन्द्र ने भी अब अपना हाथ कमीज़ के गले में डालकर दिव्या की बूब्स भींच ली और उसके निप्पल को मसलने लगा। तभी जल्दी जल्दी दोनों प्यासे जिस्म नंगे होने को बेकरार हो रहे थे और बहू ने ससुर की पेंट नीचे सरका दी और उसके लौड़ा को किस करने लगी।
फिर योगेन्द्र बोला कि बेटी तेरे पापा जी का केला कैसा है स्वाद पसंद आया? लेकिन बहू तो बस केला खाने में मग्न हो चुकी थी। फिर दिव्या बोली कि पापा जी मेरा मन तो केले के साथ आपके आंड भी खा जाने को कर रहा है। कितने भारी हो चुके है यह आंड। इनका पूरा रस मुझे दे दो आज पापा जी प्लीज।
तभी योगेन्द्र बोला कि इनका रस तुझे मिल जाएगा लेकिन उसके लिए तुमको पूरा नंगा होना पड़ेगा और अपने पापा जी को अपने जिस्म का हर अंग दिखना पड़ेगा ताकि तेरे पापा जी तुझे प्यार कर सकें। अपनी बेटी के अंग अंग को चूम सकें, सहला सकें और अपना बना सकें।
बेटी आज मुझे अपने जिस्म की खूबसूरती दिखा दो। मुझे तो कल्पना करने से ही उतेज्ना हो रही है। मेरी रानी बेटी। आज तेरी फिर से सुहागरात होने वाली है अपने पापा जी के साथ। आज हम दो जिस्म एक जान हो जाने वाले हैं। बेटी क्या घर में विस्की है?
लेकिन मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा। अपनी रानी बेटी को आज नागन रूप में देखकर कहीं में मर ना जाऊ? में अपना मन मज़बूत करने के लिए दो घूँट पी लूँ तो बहुत अच्छा होगा। आज मेरी अप्सरा जैसी बेटी मेरी हो जाएगी बेटी तुम कपड़े उतार लो और ज़रा विस्की ले आना दिव्या मुस्कुराती हुई उठी और दूसरे रूम में चली गयी।
फिर 10 मिनट के बाद जब वो लौटी तो केवल काली पेंटी और ब्रा में थी और योगेन्द्र पूरी तरह से नंगा था। वो अपने लौड़ा को मुठिया रहा था और वासना भरी नज़र से दिव्या को घूर रहा था और दिव्या का सांवला जिस्म देखकर उसका लौड़ा आसमान की तरफ उठा हुआ था।
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कसी हुई पेंटी में उसकी बहू की बूर उभरी हुई थी और बूब्स तो ब्रा को फाड़कर बाहर आने को उतावली हो रही थी। दिव्या के हाथ में ट्रे थी जिसमे दारू की बॉटल रखी हुई थी जो उसने टेबल पर रखी और पापा जी के लिए पेक बनाने लगी।
तभी योगेन्द्र ने अपना एक हाथ आगे बड़ाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और वो मचल गयी। लेकिन मुस्कुरा पड़ी। पापा जी ने अपनी बहू की बूब्स को मसल दिया और बोली कि बेटी क्या मेरा बेटा भी तेरी बूब्स को इतना प्यार करता है? इसको चूसता है? और बेटी तुम भी तो एक पेक पी लो। अपने लिए भी पेक बनाओ।
तभी दिव्या पहले झिझकी लेकिन फिर दूसरे ग्लास में दारू डालने लगी और जब पेक बन गये तो योगेन्द्र ने बहू को गोद में बैठा लिया और अपने हाथ से पिलाने लगा। फिर वो कहने लगी कि पापा जी जब में पी लेती हूँ तो मेरी कामुकता बहुत बड़ जाती है और में अपने होश में नहीं रहती।
तभी योगेन्द्र मुस्कुरा कर बोला कि बेटी आज होश में रहने की ज़रूरत भी नहीं है और मुझे ज़रा अपने दूध पी लेने दो। ऐसी कड़क बूब्स मैंने आज तक नहीं देखी है और योगेन्द्र वो बूब्स चूसने लगा। जिसको कभी उसका बेटा चूसा रहा था।
तभी ग्लास ख़त्म हुआ तो योगेन्द्र मस्ती में भर गया और उसने अपनी बहू को अपने सामने खड़ा किया और अपने होंठ उसकी फूली हुई बूर पर रख दिए और पेंटी के ऊपर से ही किस करने लगा। दिव्या कहने लगी कि पापा जी क्या एसे ही करते रहोगे या फिर बेटिंग भी करोगे? मैंने आपके लिए पिच से घास साफ कर रखी है दिखाऊँ क्या?
योगेन्द्र जोर से हंस पड़ा। क्योंकि चुदाई में बेशर्मी बहुत ज़रूरी होती है और उसकी लौड़ा की प्यासी बहू बेशर्म हो रही थी। वो कहने लगा कि बेटी मेरा लौड़ा कैसा लगा? और में भी देखता हूँ कि तेरा पिच तैयार है।। सेंचुरी बनाने के लिए या नहीं? पिच से खुश्बू तो बहुत बढ़िया आ रही है और यह कहते हुए उसने पेंटी की इलास्टिक को बहू के कूल्हों से नीचे सरका दिया.
और तभी कसे हुए बुर नंगे हो उठे और शेव की हुई बूर योगेन्द्र के सामने मुस्कुरा उठी। योगेन्द्र ने धीरे से पेंटी को बहू की कसी हुई जांघों से नीचे गिरा दिया और अपने बेटे की पत्नी की बूर को प्यार से निहारने लगा। बूर के उभरे हुए होंठ मानो आदमी के स्पर्श के लिए तरस गये हों।
फिर योगेन्द्र ने एक सिसकी भरकर अपना हाथ बूर पर फैरा और फिर अपने होंठ बूर पर रख दिए। बूर मानो आग में दहक रही हो। फिर दिव्या कहने लगी कि ओह पापा जी मेरे प्यारे पापा जी क्यों आग भड़का रहे हो? इस प्यासी बूर की प्यास बुझा दो ना। प्लीज। अब आप ही इस जवान बूर के मालिक हो। इसको चूसो, चाटो, चोदो, लेकिन अब देर मत करो पापा जी। में मरी जा रही हूँ।
फिर योगेन्द्र ने बहू के बूर कसकर थाम लिए और जलती हुई बूर में जीभ घुसाकर चूसने लगा। जवान बूर के नमकीन रस की धारा ने उसकी जीभ का स्वागत किया जिसको योगेन्द्र पीने लगा। बहू ने अपनी जांघे खोल दी जिससे ससुर के मुहं को चूसने में आसानी हो.
और कामुक ससुर किसी कुत्ते की तरह बूर चूसने लगा और उधर दिव्या की वासना भड़की हुई थी और वो अपने ससुर के लौड़ा को चूसने के लिए उतावली और गरम हो रही थी। तभी दिव्या कहने लगी कि पापा जी मुझे बिस्तर पर ले चलो। मुझे भी आपका केला खाना है आपके बेटे को तो मेरी परवाह नहीं है।
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उस बहनचोद ने तो मेरी भाभी को ही मेरी सौतन बना रखा है। आप मुझे चोदकर प्रशांत की माँ का दर्जा दे दो पापा जी। प्लीज। उधर योगेन्द्र बहू की बूर से मुहं हटाने वाला नहीं था। लेकिन बहू का कहा भी टाल नहीं सकता था। तभी कामुक ससुर ने अपनी नग्न बहू के जिस्म को बाहों में उठाया और अपने बेटे के बिस्तर पर ले गया।
बहू का नंगा जिस्म बिस्तर पर फैला हुआ देखकर योगेन्द्र नंगा हो गया और इतनी सेक्सी औरत तो उसकी सग़ी बेटी भी होती तो आज वो उसको भी चोद देता। योगेन्द्र अपनी बहू पर उल्टी दिशा में लेट गया था तो उसका लौड़ा बहू के मुहं के सामने था और बहू की बूर पर उसका मुहं झुक गया।
दिव्या समझ गयी कि उसे क्या करना है। उसने दोनों हाथों में ससुर जी का लौड़ा थाम लिया और उस आग के शोले को मुहं में भर लिया और दिव्या योगेन्द्र के सूपाड़े को चाटने लगी। लौड़ा को चूसते हुए उस पर दाँत से भी काटने लगी और अंडकोष को मसलने लगी।
उधर ससुर भी अपनी जीभ बहू की बूर की गहराई में मुहं घुसाकर चुदाई करने लगा। दोनों कामुक जिस्म मुहं से चुदाई करते हुए सिसकियाँ भरने लगे। आहह उूुुउफ आआहह… तभी योगेन्द्र को लगा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो जल्दी ही झड़ जाएगा।
इसलिए उसने बहू को अपने आप से अलग कर लिया और उसने बहू को लेटा लिया और उसकी जांघों को खोल कर ऊपर उठा दिया। फिर उसने अपना सुपाड़ा दिव्या की बूर पर टिकाया और बूर पर रगड़ने लगा और दिव्या सिसकियाँ भरने लगी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
और कहने लगी कि उफफफफफ्फ़ अहह पापा जी क्यों इतना तरसा रहे हो? डाल दो ना और वो कराह उठी। पापा जी चोद डालो अपनी बहू को। आपकी बहू की बूर मस्ती से भरी पड़ी है।। मसल डालो अपनी बेटी की प्यासी बूर को और जो काम आपका बेटा ना कर सका आज आप कर डालो। पापा जी अब जल्दी से चोदना शुरू करो। मेरी बूर जल रही है।
तभी योगेन्द्र ने अपना सुपाडा दिव्या की बूर पर टिकाया और बूर पर रगड़ने लगा। उफफफफफ्फ़ पापा जी। क्यों तरसा रहे हो? डाल दो ना प्लीज कहते हुए बहू ने ससुर के लौड़ा को अपनी दहकती हुई बूर पर रखकर बुर ऊपर उछाल दिए और लोहे जैसा लौड़ा बूर में समाता चला गया।
ऊऊऊऊऊऊऊऊहह। आआअहह। मर गयी। में माँ डाल दो पापा जी। शाबाश पापा जी चोद डालो मुझे। मेरी बूर जल रही है। तभी दिव्या की बूर से इतना पानी बह रहा था कि लौड़ा आसानी से बूर की गहराई में उतर गया और बहू ने अपनी टाँगें पापा जी की कमर पर कस दी और वो अपनी गांड उछालने लगी।
ससुर बहू की साँस भी बहुत भारी हो चुकी थी और दोनों कामुक सिसकियाँ भर रहे थे। तभी योगेन्द्र ने बहु की बूब्स को ज़ोर से मसलते हुए धक्कों की स्पीड बढ़ा डाली और लौड़ा फ़चा फ़च बूर के अंदर बाहर होने लगा। फिर योगेन्द्र ने बहू के निप्पल चूसना शुरू किया तो वो बेकाबू हो गयी और पागलों की तरह चुदवाने लगी।
वाह! पापा जी वाह चोद डालिए मुझे। चोद डालो अपनी बहू की बूर। चोदो अपनी बेटी को पापा जी। आह्ह पापा जी। फिर पापा जी ने भी जोश में आकर धक्के और तेज़ कर दिए और इतनी जवान बूर योगेन्द्र ने आज तक नहीं चोदी थी। ऐसा बढ़िया माल उसे मिला भी तो अपने ही घर में और उत्तेजना में उसने बहू के निप्पल को काट लिया.
तो बहू चिल्ला उठी आआआअहह ऊऊऊऊओह ईईईईईईी माँआआ। बहू पूरी तरह से होश खो चुकी थी मदहोश हो होकर अपने ससुर की चुदाई का मज़ा ले रही थी। पूरा कमरा कामुक सिसकियों से गूँज रहा था। मुझे मार डाला आपने पापा जी आआअहह में जन्नत में पहुँच गयी।
तभी योगेन्द्र ने अपना लौड़ा बहू की बूर की गहराईयों में उतार दिया और पागलों की तरह चोदने लगा और बहू ससुर चुदाई के परम आनंद में डूब चुके थे ससुर का लौड़ा तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था और बहू की बूर की दीवारों ने उसको जकड़ रखा था। तभी बहू ने बिखरती साँसों के बीच कहा अह्ह्ह मर गयी में।
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मेरे राजा पापा जी चोदो मुझे और ज़ोर से मेरे पापा जी आज मेरी बूर की तृप्ति कर डालो। आज मुझे निहाल कर दो अपने मूसल लौड़ा के साथ मुझे चोद दो मेरे पापा जी। मेरी बूर किसी भी वक्त पानी छोड़ सकती है। फिर योगेन्द्र का भी समय नज़दीक ही पहुँच चुका था और वो बहू को जकड़ कर अपनी गांड आगे पीछे करते हुए चुदाई में लग गया और कमरे में फ़चा फ़च की आवाज़ें गूँज रहीं थी। उसने पूरे ज़ोर से धक्के मारते हुए कहा कि बहु मेरी रानी बेटी चुदवा ले मुझसे। अब ज़ोर लगा कर मेरा लौड़ा भी झड़ने के पास ही है।
ले लो इसको अपनी बूर की गहराई में मेरा लौड़ा अब तेरी बूर में अपना पानी छोड़ने वाला है। मेरी रानी बेटी तेरी बूर ग़ज़ब की टाईट है। में सदा ही तेरी बूर को चोदने का वादा करता हूँ। मेरी रानी लो में झड़ा शीहहह। मेरी बेटी मेरा लौड़ा तेरी बूर में पानी छोड़ रहा है। मेरा रस समा रहा है तेरी प्यारी बूर में में झड़ा आआह्ह्ह्ह और इसके साथ ही उसके लौड़ा ने और दिव्या की बूर ने एक साथ पानी छोड़ना शुरू कर दिया और दोनों निढाल होकर एक दूसरे से लिपट कर सो गये। दोस्तों इस तरह ससुर और बहू की चुदाई की शुरुआत हुई। जो कि आज तक भी जारी है।