Mature Horny Lady
ये कहानी तब की है, जब आँचल अपनी बड़ी बहन की बेटी की शादी के लिए शापिंग करने निकली थी। आँचल, एक हाउसवाइफ, उम्र 45 साल, पति जो की एक बैंकर है, काफी पैसे कमाता है आँचल के लिए जिसे वो खुशी से खर्च करती है शापिंग में। Mature Horny Lady
उसका बेटा शिखर, 21 साल, एक नंबर का मादरचोद। बस बहाने ढूँढ़ता रहता है अपनी माँ को नंगा करने का और उसे चोदने का ख्वाब देखता रहता है। लेकिन ये सिर्फ मादरचोद ही नहीं बहनचोद भी है, अपनी 18 साल की कमसिन बहन अनन्या को तो चोद भी चुका है। लेकिन वो कहानी बाद में।
आँचल एक हाउसवाइफ है और पति के पैसे सिर्फ शापिंग में ही नहीं, फिटनेस में भी खर्च करती है। एक जिम जहां सब इंपोर्टेड मशीनें है वहां वर्काउट करती है। इसीलिये 45 साल की उम्र में भी वो एक कामदेवी से कम नहीं। उसकी 34डी के स्तन उसकी छाती की शोभा ही नहीं बल्की अच्छे अच्छो के लण्ड का साइज भी बढ़ा देते हैं।
पुजा की 28” की पतली कमर, और गहरी नाभि उसके जिश्म का चौथा छेद है जहां आप उंगली कर सकते हैं। और गाण्ड… गाण्ड के क्या कहने, 40” की साइज की मोटी और गोल गाण्ड जिस कुर्सी पर रखती होगी, कुर्सी भी खुश हो जाए। और आँचल अपनी कामुकता का प्रदर्शन करने में कभी पीछे भी नहीं रहती।
तो अब आँचल की बड़ी बहन की बेटी की शादी का वक़्त था इसीलिए आँचल को शादी के लिए शापिंग करनी थी। इसीलिए डिनर के वक़्त आँचल- “अमित (आँचल का पति) वर्षा की शादी तय हो गई है और शादी अगले हफ्ते ही है हमें शापिंग कर लेनी चाहिए।
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अमित- तुम ठीक कह रही हो, एक काम करो मेरा क्रेडिट कार्ड ले लो और कल शिखर के साथ जाकर शापिंग कर लो।
आँचल- ठीक है। शिखर चलोगे ना?
शिखर- क्यों नहीं माँ, बिल्कुल।
अगले दिन, दोपहर 12:00 बजे-
आँचल- शिखर चलो, हमें देर हो जाएगी। मैं कपड़े बदलने जा रही हूँ, तुम भी कपड़े बदल लो।
कपड़े बदलने का नाम सुनते ही शिखर अपने पलंग से उठकर चुपके से अपनी माँ के कमरे में जाने लगा। आँचल ब्लाउज़ और पेटिकोट में थी। धीरे-धीरे उसने अपना ब्लाउज़ और ब्रा उतार दी। उसके गोरे-गोरे मोटे-मोटे नारियल देखते ही शिखर का लण्ड खड़ा हो गया।
तभी आँचल ने अपनी पेटीकोट और पैंटी भी उतार दी, और नंगी होकर कबार्ड की तरफ बढ़ी। ये सब शिखर के लिए सहन करना मुश्किल था, और वो मूठ मारने लगा और अपना क्रीम गिरा दिया। फिर अपने कमरे में कपड़े बदलने चला गया। शिखर कपड़े बदलकर लिविंग रूम में बैठा था।
शिखर- माँ, मैं तैयार हूँ, आप चलो जल्दी।
आँचल- हाँ बेटा, आ रही हूँ। दरवाजे पे तुमने जो सफेद पानी गिराया है उसे साफ तो कर दूं।
ये सुनते ही शिखर के पशीने छूट गये। आँचल लिविंग रूम आ गई। क्या कयामत लग रही थी वो। गोरे बदन पे काली साड़ी और काला ब्लाउज़, और साड़ी भी झलकाऊ। ब्लाउज़ इतना लो-कट की उसकी क्लीवेज किसी अंधे को भी दिख जाए।
वही हाल पीठ का भी। साड़ी आँचल ने इतनी नीचे पहनी थी की अगर एक इंच भी वो नीचे हो जाए तो उसकी चूत के बाल बाहर आ जाएं। ऐसा नजारा देखकर शिखर का लण्ड फिर से खड़ा हो गया। आँखें फटी की फटी और मुँह खुला रह गया।
आँचल- कैसी लग रही हू?
शिखर- अच्छी।
आँचल- अच्छी या बहुत अच्छी?
शिखर- बहुत अच्छी माँ।
आँचल- बहुत अच्छी या माल?
शिखर- ये क्या कह रही हो माँ? मैं तुम्हारा बेटा हूँ।
आँचल- अच्छा? इस बेटे को अपनी नंगी माँ को देखकर मूठ मारने में तो शर्म नहीं आई क्यों?
शिखर- सारी माँ… आई एम रियली सारी।
आँचल- “अरे सारी क्यो? तू मेरा बेटा है, तू मुझे नंगा नहीं देखेगा तो कौन देखेगा, हुम्म्म?” और ये कहकर आँचल ने अपने बेटे के होंठों पर अपने लाल-लाल होंठ रख दिये और वो एक दूसरे को चूमने लगे। शिखर का हाथ अपनी माँ के एक स्तन को दबाने लगा तभी आँचल ने उससे रोक दिया।
शिखर- प्लीज… माँ, प्लीज… करने दो ना।
आँचल- “आज नहीं, आज शापिंग के लिए जाना है। माँ का दूध पीने के लिए सारी रात है, वैसे भी तुम्हारे डैडी आज घर नहीं आने वाले और तुम्हारी बहन तो होस्टेल में ही पढ़ाई के लिये रुकने वाली है, रात भर मजे कर लेना। ठीक है?”
शिखर खुश हो गया और उसे फिर से चूमने लगा और फिर वो शापिंग के लिए निकल पड़े। एक घंटे बाद माल में, दोपहर 1:30 बजे।
आँचल- आज तो माल में बिल्कुल ही भीड़ नहीं, क्या बात है?
शिखर- शायद आफ-सीजन की वजह से।
आँचल- चलो पहले तुम्हारे कपड़े खरीदें।
माँ बेटे एक मेनस-वेयर शोप्पी में शिखर के लिए कपड़े देखने लगे और वहां के शापकीपर्स आँचल के जिश्म को अपनी आँखों से ही चोदने लगे। आँचल ये सब नोटिस कर रही थी और उसने भी मजे लेने का इरादा बना लिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
आँचल- भैया जरा पैंट तो निकालना।
शापकीपर- क्या?
आँचल- वो जो ब्लू पैंट है ना लटकी हुई, जरा निकालना वो।
स्क- ओह्ह… आइ एम सारी, अभी निकालता हूँ।
आँचल- “अरे आप तो नर्वस हो गये, मैंने आपको आपकी पैंट निकालने के लिए तो नहीं कहा?”
कुछ ऐसी ही मस्ती मजाक करके वो अगली शाप में चले गये। करीब 40 मिनट में शिखर ने अपने कपड़े खरीद लिए। अब आँचल शापिंग के लिए साड़ियों की दुकान में जाने लगी।
आँचल- बेटा, तुम वहां बोर हो जाओगे, क्यों ना तुम एक फिल्म देख आओ, या कुछ खाने चले जाओ?
शिखर- ठीक है माँ। आपकी शोपिग होने के बाद मुझे काल कर देना। ओके?
आँचल- “ओके…” कहकर आँचल एक साड़ी की दुकान में चली गई। वहां पे 5 शापकीपर्स और 7-8 फीमेल ग्राहक थे। आँचल को अटेंड करने एक शापकीपर आगे आया।
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शोपकिपर- हेलो मेम, मेरा नाम माधव है, आपकी क्या मदद कर सकता हू?
आँचल- जी मुझे शादी के लिए कुछ साड़ियां खरीदनी है, क्या आप मुझे दिखाएंगे?
माधव- “क्यों नहीं, आइए मेम…” और माधव ने आँचल को 10 से 15 साड़ियां दिखाई।
उसमें से आँचल ने 3 आलग करके रखी, और कहा- क्या मैं इन्हें ट्राई कर सकती हू?
माधव- ऐसा मेम, देयर इज दि ट्रायल रूम।
आँचल ट्रायल रूम चली गई।
माधव अपने दूसरे शोपकीपर दोस्त की तरफ बढ़ा और बोला- अबे क्या माल है यार?
रिंकू- हाँ यार, क्या लग रही है उस साड़ी में?
माधव- अबे उसने साड़ी इतने नीचे पहनी है कि उसकी चूत के बाल दिखाई पड़ रहे हैं।
रिंकू- चूत के बाल? अबे पीछे से उसकी गाण्ड की दरार नजर आ रही है। मैंने तो मोबाइल में फोटो भी ले लिया है।
माधव- मादरचोद।
रिंकू- क्या बोलता है? चोद देते हैं इसे।
माधव- मान जाएगी?
रिंकू- क्यों नहीं मानेगी, ऐसे कपड़े सिर्फ रंडिया ही पहनती हैं।
माधव- ठीक है। चल आज इसका गेम कर देते हैं।
आँचल ने अपने लिए 3 साड़ियां पसंद कर ली, और बिल बनाने माधव के साथ निकल पड़ी।
माधव- मेम हमारी शाप में एक नया ब्रा-पैंटी का सेक्शन भी खुला है, आप इन साड़ियों के लिए मैचिंग ब्रा और पैंटीस खरीदना पसंद करेंगी?
आँचल को थोड़ा शक हुआ लेकिन आज तो वो भी मूड में थी, कहा- ठीक है चलिए।
माधव आँचल को एक कमरे में ले गया जहां पे बहुत सारे ब्रा पैंटी के सेक्सन्स थे।
आँचल- ग्रीन साड़ी के लिए मैचिंग ब्रा दिखाईए।
माधव- ये लीजिए मेम।
आँचल- ट्राई कहा करूं?
रिंकू- सारी मेम, यहां पे ट्रायल रूम नहीं है।
आँचल- ओह्ह… तो फिर मुझे पता कैसे चलेगा कि ये सही साइज है या नहीं?
माधव- कोई बात नहीं मेम, आप यही ट्राई कर लीजिए।
आँचल- तुम दोनों के सामने?
रिंकू- अरे मेम परेशान ना होइए, ये तो हमारा रोज का काम है।
आँचल- ठीक है।
ये कहकर आँचल ने अपनी साड़ी का पल्लू गिराया। उसके लो-कट ब्लाउज़ से उसने आधे स्तन को माधव और रिंकू की नजरों में चमका दिया। उनके मुँह में पानी आ गया। आँचल ने माधव की आँखों में आँख डालकर अपनी ब्लाउज़ का एक हुक खोला।
फिर रिंकू की आँख में आँख डालकर दूसरा हुक खोला। फिर माधव फिर रिंकू और फिर एक मादक अंगड़ाई देकर उसने अपना ब्लाउज़ उतारकर माधव को पकड़ने के लिए दिया। फिर वो ब्रा उतारने के लिए पीछे का हुक खोलने लगी।
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माधव और रिंकू के टाइट लण्ड उनके पैंट में तंबू बना चुके थे और आँचल वो देखकर मन ही मन मुश्कुरा रही थी। आँचल हुक खोल दो। ब्रा की दायां लेस नीचे धकेल दी, फिर लेफ्ट लेस, और अपनी ब्रा की दोनों कप हाथ में पकड़कर नीचे कर दी। माधव और रिंकू तिलमिला रहे थे। लेकिन आँचल कहां रुकने वाली थी।
वो आगे बढ़ी और माधव से कहा,- मेरी साड़ी उतारने में मदद करोगे?
माधव- क्यों नहीं?
आँचल- ये लो मेरा पल्लू और खिचो।
माधव आँचल की साड़ी खींच रहा था और आँचल गोल-गोल घूमते हुए साड़ी उतार रही थी। आँचल का चीरहरण उसकी मर्ज़ी से हो रहा था और आज इस द्रौपदी को नंगा होने से कोई रोकने वाला नहीं था। आँचल की साड़ी उतरते ही उसने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, तो उसका पेटीकोट एक झटके में नीचे उतर गया।
उसकी गोरी-गोरी मांसल जांघें दोनों मर्दों के लण्ड को उत्तेजित करने लगी। आँचल पीछे पलटकर पैंटी उतारने लगी। आँचल ने पैंटी उतारते वक़्त अपनी गाण्ड का नजारा दोनों को दिखाया। और फिर माधव और रिंकू की तरफ बढ़ी और बोली- तो अब, ब्रा पैंटी ट्राई करे या?
उसके आगे बोलने से पहले ही माधव ने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। रिंकू पीछे से उसकी गाण्ड को चाटने लगा और चूत में उंगली करने लगा। आँचल पहले से ही गीली हो चुकी थी। माधव उसकी चूचियां को जोर-जोर से दबाने लगा और फिर उन्हें चूसने लगा।
आँचल- “आह्ह… चूस्स मेरे राजा चूस ले…”
रिंकू- साली रांड़, आज तो तुझे मसल के रख देंगे।
माधव और रिंकू ने अपना टाइट लण्ड बाहर निकाला, और आँचल अपने घुटनों पर बैठे हुए उनको एक-एक करके चूसने लगी। करीब 5 मिनट तक चूसने के बाद दोनों के लण्ड झड़ गये और आँचल उन दोनों का पानी पी गई। माधव ने आँचल को टेबल पर लिटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा।
आँचल कामुकता से चहकने लगी। माधव की जीभ जब भी उसकी चूत के दाने से टकराती आँचल के मुँह से तड़पती हुई आवाज आने लगती। रिंकू ने उन आवाजों को अपने लण्ड से बंद कर दिया। आँचल रिंकू का सोया हुआ लण्ड जगाने के लिए उसे जोर-जोर से चूसने लगी। नीचे माधव उसकी चूत को चाट-चाट कर नरम करने लगा। करीब 10 मिनट तक रिंकू का लण्ड चूसने के बाद, रिंकू का लण्ड खड़ा हो गया।
आँचल- चलो, अब अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दो। प्लीज अब सबर नहीं होता। चोद दे मुझे हरामी, चोद मुझे।
रिंकू- “हरामी किसे बोल रही है रंडी? रुक साली छिनाल तेरी चूत का भोसड़ा ही बना देता हूँ…” कहकर रिंकू ने आँचल की एक टांग अपने कंधे पर रखी, और अपना लण्ड एक ही झटके में पूरा का पूरा उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
आँचल के मुँह से एक जोरदार चीख निकली- “हे भगवान्न… मादरचोद, निकाल भड़वे अपना लण्ड मेरी चूत से… लौड़े के बाल दर्द हो रहा है, निकाल अपना काला लण्ड कुत्ते।
माधव- “चुप कर साली कुतिया छिनाल कहीं की… ये ले…” माधव ने अपना लण्ड आँचल के मुँह में डालकर उसकी आवाज बंद कर दी।
थोड़ी देर बाद आँचल का डर कम हुआ और अब वो चुदाई का मजा लेने लगी- “आह्ह… आह्ह… आह्ह… आह्ह… हअँ हअँ हअँ फक में, फक में, फक में, ऊओह्ह… ऊओह्ह… और जोर से और जोर से फास्टर फास्टर ऊओ… आश… उउंम्म्म…”
रिंकू ने अपनी स्पीड बधाई और उससे जोर-जोर से चोदने लग।
आँचल- “और जोर से भड़वे और जोर से आह्ह… आइ अम कमिंग… मैं झड़ने वाली हूँ आअह्ह…” और आँचल की चूत से पानी निकलने लगा। ऐसा लग रहा था कि मूत रही है। आँचल झड़ने की वजह से मछली की तरह तड़पने लगी।
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माधव- “ला अब मैं चोदता हूँ इसे…” माधव अब रिंकू की जगह आ गया और उसकी चूत में अपना मोटा लण्ड घुसेड़ दिया।
आँचल सिसकियां भरने लगी- “कम ओन माधव, फक में, फक में, फक में लीके होर… मुझे रंडी बना दो और जोर से माधव और जोर से…”
माधव- उम्म्म… उफ्फ़…, ये ले रंडी ये ले।
आँचल- साले भड़वे जोर से चोद ना मादरचोद… कभी अपनी माँ को चोदा नहीं क्या और जोर से चोद फाड़ दे मेरी चूत।
माधव ने अपनी स्पीड एकदम तेज कर दी और आँचल एक बार फिर झड़ गई।
आँचल- माधव तुम जमीन पर सो जाओ।
माधव- क्यों?
आँचल- रंडी की औलाद जितना बोला है उतना कर।
माधव नीचे फिर्श पर सो गया। उसका टाइट लण्ड चाट की तरफ खड़ा था। तभी आँचल माधव के लण्ड पर बैठ गई और ऊपर-नीचे करने लगी। माधव को बड़ा मजा आने लगा, आँचल नीचे झुक कर उसे किस करने लगी। माधव अपनी गाण्ड उठाकर उसकी चूत पेलने लगा.
तभी आँचल को कुछ महसूस हुआ। उसे एहसास हो गया कि रिंकू उसकी गाण्ड मारना चाहता है। लेकिन पुजा के कुछ कहने से पहले ही रिंकू ने एक जोरदार झटका लगाया और अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड में डाल दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
आँचल फिर से चिल्लाने लगी- “मादरचोद, लौड़े जा अपनी माँ की गाण्ड मार, मेरी क्यों मार रहा है? हीईए भगवान्न्, साले भड़वे…”
आँचल की आँखों से आँसू आने लगे लेकिन रिंकू ने उसपर कोई रहम नहीं किया और गाण्ड मारने लगा, आँचल एक ही पोजीशन में चूत भी चुदवा रही थी और गाण्ड भी मरवा रही थी। कालेज के दिनों के बाद ये पहला वक़्त था जब आँचल दो लौड़ों से एक ही वक़्त चुद रही थी.
लेकिन इस बार माधव चूत में उसकी चुदाई कर रहा था और रिंकू उसकी गाण्ड मारकर उसका गांड फाड़ रहा था। आँचल दर्द से तड़प रही थी। रोते-रोते चुदाई का मजा वो आज पहली बार ले रही थी। थोड़ी देर बाद रिंकू माधव की जगह चला गया और आँचल को अपने काले लण्ड पे बिठा दिया और माधव उसकी गाण्ड मारने लगा।
करीब 25 मिनट तक वो दोनों चूत और गाण्ड बदलकर करके आँचल को चोद रहे थे। 25 मिनट तक गाण्ड मरवाकर आँचल की गाण्ड ढीली हो चुकी थी और वो भी मजे लेने लगी और उनका साथ देने लगी- “और जोर से और जोर से मुझे ऐसे चोदो जैसे अपनी माँ को चोदते हो आआह्ह, ऊओह्ह… ऊह्ह आअह्ह…” 10 मिनट बाद रिंकू आँचल की चूत में झड़ गया और माधव आँचल की गाण्ड में। तीनों 10 मिनट तक नंगे एक दूसरे के ऊपर ही लेते रहे।
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माधव- वाहह… मजा आ गया।
रिंकू- क्या औरत है तू… साली तुझे तो रंडी होना चाहिए।
आँचल- हाहाहा… चलो अब कपड़े पहन लो और चलो।
अब तीनों कपड़े पहेनने लगे।
आँचल- माधव, तुम्हारी शाप में क्या सभी औरतों को ऐसे ही सर्विस मिलती है?
माधव- सबको नहीं, सिर्फ खास कस्टमर्स को।
आँचल- “और तुम?” रिंकू की तरफ उंगली करते हुए- नाम क्या है तेरा?
रिंकू- “रऽराऽरिंकू…”
आँचल- “रिंकू। ह्म अपनी माँ को क्या ऐसे ही चोदता है क्या? कभी किसी को चोदा भी या नहीं? जाकर किसी भैंस को चोदा कर हरामी भड़वे…”
रिंकू- सारी मेम, तुम हो ही ऐसी माल कि कंट्रोल नहीं हुआ अगली बार ऐसा नहीं होगा।
आँचल- अगली बार?
माधव- अगली बार साड़ी खरीदने आएंगी ना आप, हमें खिदमत का दूसरा मौका मिलेगा।
आँचल- मादरचोदो मन नहीं भरा? और इन मचिंग ब्रा पैंटीस का बिल?
रिंकू और माधव- फ्री।
आँचल- ह्म्म… थैंक योउ, चलो चलते हैं।
करीब दो घंटे की चुदाई के बाद आँचल अपनी साड़ियां लेकर शाप के बाहर आ गई और शिखर को काल करके पार्किंग में बुलाया।
शिखर- माँ, तुम्हारे बालों को क्या हुआ?
आँचल- क्या हुआ?
शिखर- सब बिखरे हुए हैं, ऐसा लग रहा है कि तुम्हारे साथ किसी ने जबरदस्ती कर दिया।
आँचल- जबरदस्ती नहीं हुआ।
शिखर- तो फिर?
आँचल- बस थोड़ा मजा।
शिखर- किससे चुदकर आई हो?
आँचल- बस दो शापकीपर्स थे।
ये सुनते ही शिखर अपनी माँ पर पार्किंग लाट में ही टूट पड़ा। शिखर ने एक मिनट के अंदर आँचल की साड़ी पेटीकोट और ब्लाउज़ उतार दिया, और पूछा- “माँ, तुम्हारी ब्रा पैंटी कहां है?
आँचल- वहीं छोड़ दी है।
और तभी शिखर ने अपनी माँ के चूत में अपना लण्ड डाल दिया और उससे खड़े-खड़े ही चोदने लगा।
आँचल- “शिखर बेटा, घर चलके चोदो ना प्लीज, प्लीज…”
शिखर- नहीं माँ अब सहन नहीं होता, प्लीज… चोदने दो।
आँचल- “आअह्ह… अह्ह… चोद बेटा चोद… तू तो सच में बड़ा हो गया रे चोद दे अपनी माँ को…”
शिखर- “आह्ह माँ तुम बहुत गरम हो। माँ तुम्हारी चूत भी गरम है, मैं ज्यादा देर तक कंट्रोक नहीं कर पाऊँगा।
आँचल- “तू बस चोदता रह बेटा लंबी चुदाई तो घर जाकर करेंगे आह्ह… ऐसे ही… ऐसे ही बेटा ऐसे ही चोद… वाह… मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है चोद बेटा चोद आअह्ह…”
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शिखर- माँ मैं झड़ने वाला हूँ… माँ, मैं झड़ने वाला हूँ।
आँचल- “अंदर ही झड़ बेटा, डाल दे अपना पानी मेरी चूत में आअह्ह…”
शिखर- “आह्ह… माँ आआह्ह…”
आँचल- वाउ… मेरे बेटे के लण्ड में तो बहुत दम है और पानी भी बहुत है। बेटा, दैट वाज रियली गुड…”
शिखर के लण्ड का पानी अपनी माँ के चूत से निकलकर उसकी जांघों पर बहने लगा। आँचल ने उसे अपने हाथ में लिया और उस हाथ पर लगे पानी को चाटने लगी- “उउंम्म… तेरा पानी तो टेस्टी भी है। चल घर चल आज इस कुंवें का सारा पानी पी जाऊँगी…” और दोनों घर चले गये.
शिखर ने उस रात अपनी माँ को घर के हर कमरे में, हर कोने में, हर पोजीशन में चोदा। लिविग रूम, बेडरूम, किचेन, बाल्कनी, खाना बनाते वक़्त, खाना खाते वक़्त, चलते हुए, बैठते हुए, यहां तक की मूतते वक़्त भी शिखर अपनी माँ को चोदता रहा। और इस तरह, वो रात शिखर की सबसे यादगार और मजेदार रात रही, और आँचल कालेज के दिनों के बाद पहली बार इतना चुदी थी।