Young Horny Chudai Kahani
मैं 30 साल का हूँ, बठिंडा (पंजाब) से। मैं अपनी जिंदगी बहुत एंजॉय कर रहा हूँ। मैं अपनी वो कहानी शेयर करना चाहता हूँ जो 10 साल पहले हुई थी जब मैं कॉलेज में पढ़ता था और हमारा कॉलेज टूर शिमला गया था। विंटर्स में चंडीगढ़ में हम 7 लड़के, 6 लड़कियाँ और सर-मैडम थे। Young Horny Chudai Kahani
हम सब चंडीगढ़ और शिमला में बहुत एंजॉय कर रहे थे। फिर लड़के अलग लौटे जबकि लड़कियाँ सर-मैडम के साथ। हम सिर्फ लड़के थे। जब हम चंडीगढ़ पहुँचे तो बस स्टैंड पर शाम के 5 बज रहे थे। फिर हमें बठिंडा की बस मिली और पटियाला लगभग 6 बजे पहुँचे।
बाहर अंधेरा हो चुका था और बस पटियाला में पूरी तरह पैसेंजर्स से भर गई। हम ड्राइवर की सीट के पीछे वाली सीट पर बैठे थे। मेरे तीन दोस्त ड्राइवर की बैक सीट पर और अगली सीट पर मैं और दोस्त। अब मैं अपनी कहानी हिंदी में सुनाता हूँ।
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तब बस में एक सुंदर सी लड़की दिखी मुझे जिसकी अभी थोड़े दिन पहले ही शादी हुई थी, तकरीबन 2 महीने पहले। वो बहुत ही सुंदर थी। उसकी हाइट तकरीबन 5′-4” थी। उसने लाल रंग के कपड़े पहने हुए थे, सलवार कमीज। मुझे उसको देखके ख्याल आया कि मैं उसको अपने साथ बिठा लूँ।
पर हम 3 दोस्त 3 वाली सीट पर बैठे थे। फिर मैंने उसकी तरफ देखा और उसने भी मेरी तरफ देखा। न जाने क्यों मुझे लगा कि मैं इसके साथ एंजॉय करूँ क्योंकि मैं पहले भी बस से सफर करते वक्त बहुत लेडीज-गर्ल्स के साथ ट्रैवल एंजॉय किया पर इसकी और ही बात थी।
फिर मैंने उसकी तरफ देखा, वो मेरे पास आकर खड़ी थी। मैंने उसे अपने साथ साइड पर बैठने के लिए कहा, वो बैठ गई। तब हम बैठे ही थे कि पास में एक आदमी उसके साथ अपना लंड रगने लगा। वो तकलीफ महसूस कर रही थी। मैंने भी सिर्फ बात करने के लिए उसे पूछा क्या आप ठीक हैं या फिर उसने कहा कि ठीक हूँ।
फिर मैं उसके साथ भी टच कर रहा था। मुझे अपने में गर्मी महसूस हो रही थी। उसके बॉडी से अच्छी खुशबू आ रही थी। मैंने उसके साथ हाथ फेरने लगा धीरे-धीरे। उसकी बाजू पर हाथ फेरते-फेरते मैं उसके हाथ तक अपना हाथ ले गया और जब उसके हाथ तक मेरा हाथ पहुँचा तो मैंने धीरे से दबाया और उसने भी दबा दिया।
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मैं खुश हो गया कि बात बन गई। उसने शॉल भी लिया हुआ था क्योंकि सर्दी का मौसम था। सूरज डूब चुका था, बाहर अंधेरा होने के कारण लाइट्स जल चुकी थीं। तब कंडक्टर ने उससे टिकट के लिए कहा। उसने संगरूर की टिकट ले ली क्योंकि उसने बाद में बताया कि वो संगरूर में उसकी ससुराल है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो बैंक में काम करती थी। तब मैं भी उससे धीरे-धीरे बात करने लगा। वो भी मस्त हो रही थी। मैंने ऊपर से उसके बूब्स को दबाया और उसके मुँह से आह निकल गई। तब मैं ऊपर-ऊपर से एंजॉय कर रहा था। तब मैंने नीचे से कमीज में हाथ डाला। उसका पेट बहुत नरम था जैसे मलमल का था।
वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। तब मैंने ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स दबाए। वो चिकने-चिकने थे। मैंने ब्रा ऊपर करने की कोशिश की पर वो टाइट थी। मैंने उसे ब्रा ऊपर करने को कहा। उसने धीरे से ब्रा ऊपर कर दी। मैंने उसके मैमो को छुआ तो वो बिलकुल मक्खन जैसे चिकने थे।
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उसके निप्पल्स को महसूस करके तो मैं हैरान रह गया। वो बहुत ही पतले थे और लंबे भी 2 सेमी अप्रॉक्स। मैं उनको धीरे-धीरे जोर से मसलना शुरू किया। उसको भी मदहोशी छाने लगी। फिर हमें थोड़ी दिक्कत महसूस हो रही थी। तब मैंने मेरे दोस्त को कहा कि वो दूसरे दोस्त से बिलकुल सट जाए या उसकी टाँगों पे बैठ जाए।
वो उसकी लेग्स पे बैठ गया और हम लोग बिलकुल ठीक-ठाक आराम से बैठ गए और एंजॉय करने लगे। फिर मैंने धीरे-धीरे उसके बूब्स से उसकी चूत की तरफ हाथ बढ़ाया और उसकी सलवार की नॉट आहिस्ता से खोल दी और हाथ अंदर ले गया उसकी चूत के पास।
उसने अपनी टाँगें खोल दीं ताकि आराम से उंगली उसकी चूत में चली गई। उसकी चूत गीली थी। वो भी एक्साइटेड हो रही थी। ऐसा करते-करते वो मदहोश होने लगी और उसे 5 मिनट के बाद छूट गई। इतने में भवानीगढ़ बस स्टैंड आ गया। थोड़ी भीड़ कम हुई पर लोग अभी भी खड़े थे। फिर मैंने उसके साथ बातें की और उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया जो कि 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है।
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उसने ऊपर से दबाया और दबाती रही। फिर मैंने उसे मेरी मुठ मारने को कहा। उसने कहा कैसे। फिर मैंने उसे जिप खोल कर अपना लंड उसके हाथ में पकड़ाया और वो उसपर ऊपर-नीचे हाथ फेरने लगी। मुझे मस्ती छाने लगी। वो बहुत ही प्यार से सहलाते- सहलाते जोर से हाथ चलाने लगी और लगभग 10 मिनट में मेरा पानी निकाल दिया। मुझे भी आराम आ गया और उसे थैंक्स कहा। मैंने उसे अपने साथ बठिंडा जाने के लिए कहा पर उसने कहा कि मैं घर पर बता दिया है और वो लोग वेट कर रहे होंगे।
तब उसके पास मोबाइल भी नहीं था। मैंने उसे अपना एड्रेस दे दिया और फोन नंबर भी कि मुझे कॉन्टैक्ट करना हो तो मुझे जरूर मिले। उसने मुझे कहा कि तुम बैंक में आ जाना पर मैंने कहा कि मैं नहीं आ पाऊँगा पर कोशिश करूँगा। फिर हम थोड़ी बातें करते रहे। इतने पता ही नहीं चला कि डेढ़ घंटा यानी 90 मिनट कब गुजर गए। वो संगरूर आने पर उतर गई और मुझे मेरे दोस्त छेड़ने लगे कि क्या कर दिया भाई। मैं आज तक उसे याद करता हूँ क्योंकि इतने पतले निप्पल्स मुझे आज तक किसी के नहीं मिले।
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