Sasur Hawas Sex Story
एक प्रथा है नियोग की- ‘नियोग’ मतलब कि अगर किसी विवाहिता का मरद या खसम अगर पेल कर बच्चा पैदा करने में अक्षम है तो वह अपने मरद के किसी नजदीकि खून के रिश्ते, जैसे- देवर, भसुर, ससुर वगैरह से चुदाई करवा के बच्चा पैदा करवा सकती है। पुरानी किताबों में इसे नियोग कहा गया है। बाबा रामू जी ने अपने भतीजे कमल की शादी करवाई एक ऐसी लौंडिया से जो कमाल की हसीन थी। Sasur Hawas Sex Story
लौंडिया का नाम बता देना सही रहेगा, उस हसीना जिसकी गरमा गरम जवानी कमाल की थी, उसका नाम था कमला। यूपी बिहार में एक प्रचलन है, गौने मतलब कि इधर लौंडिया विवाह करने के बाद तुरत दूल्हे के घर नही आती बल्कि सालभर, दो साल के बाद अपने पिया के घर जाती हैं। तो गौने के बाद जब कमला अपने राजा जी के घर आयी तो उसका सपना बहुत रंगीन था।
अपने साथ बालीवुडिया हिरो और हिरोइन्स की तस्वीरे लेकर आयी लौंडिया को चुदाई और सेक्स के रंगीन ख्वाबों ने घेर रखा था। हो भी न क्यों आखिर में उसका हुस्न था लाखों में एक और वह थी एक पीस माल्। जरा उसकी जवानी का नक्शा बता दूं मैं आपको- कुछ लहलहाते हुए धान के खेतों के रंग का सुनहरा सा रुप, सावन भादों के काले बादलों जैसे घने बाल और उनके नीचे सुराही दार गरदन।
चूंचे का विवरण देने के लिये शब्द नहीं हैं लेकिन इतना तय है कि इन क्वारें चूंचे को देखकर बड़े से लेकर बुड्ढे तक सबका दिमाग इन्हें पीने को बेताब हो जाता था, ये मयखाने थे जो अब तक किसी ने चखे नहीं थे। इन दो नायाब हीरों की बात करें या कमर से नीचे चलें? जाने दीजिए ये कहानी थोड़ी लंबी हो जायेगी लेकिन मैं अपनी बात बता दूं आपको संयोग से मैं इन सारी घटनाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से जानता हूं।
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मुझे भी उसकी चूत का दीदार करने को मिला लेकिन बाबा के चूत मार लेने के बाद। बाबा रामू रिटायर्ड टीचर हैं और उनका लंड बड़ा ही घातक और प्रचंड है, उसपर तुर्रा ये कि उनकी बीबी की चूत एकदम सड़े हुए खीरे की तरह नाकाम हो चली है। अब काम कैसे चलेगा, तो बाबा रामू ने अपने भतीजे की शादी एक गरीब बाप की खबसूरत बेटी से तय कर दी थी।
दुल्हन अपने पिया के घर आयी, चुदाई के रंगीन सपने लिये। सुहागरात का सीन, चलने से पहले बता दें कि कमल जी बड़े ही दुबले पतले लंड वाले और हिले हुए पुर्जे के इंसान थे, जिनके बस का किसी गांड को मारना या, चूत की सील तोड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। सुहागरात की रात बाबा रामू ने ये सीन देखने के लिये एक बड़ा ही चौकस जुगाड़ किया.
और जैसा कि फ़िट था, अपना कमरा और सुहागरात वाला कमरा आजू बाजू ही था और एक ही दीवाल दोनों को अलग करती थी। एक खिड़क्की थी जो सुहाग रात वाले कमरे में झांकने का रास्ता थी, उसे उसने पहले से ही थोड़ा हिला हिला के झिर्रीदार बना दिया था। जैसे ही चूत की कहानी शुरु होती, बाबा ने अपनी आंखें खिड़की से लगा दीं।
कमल हिलते हुए अपनी दुल्हन के सामने खड़ा था, वो नीचे देख रही थी और वो उपर देख रहा था। कौन किसको चोदने वाला है ये समझ नही आ रहा था लेकिन दुल्हन ने पहल ली। वो समझ गयी थी कि ये लौंडा एकदम बकचोदू है और चिकलांडू है क्योंकि सामने चूत का मौका देख कर कोई बकलँड ही इस तरह कांप सकता है।
बाबा रामू को खिड़की से ये सीन दिखाई दे रहा था और उनका लंड धोती के अंदर डिस्को भांगड़ा करने लगा था। उन्होंने आंखें गड़ा दीं। बहु ने कमल की शेरवानी खोल दी, और पैजामे का नाड़ा जल्दी में खीच के तोड़ डाला। कहानी उल्टी चल रही थी और बाबा रामू इतनी गरम बहू देख कर एक दम बाग बाग थे.
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क्योंकि वो जान गये थे कि इतनी गरम और कामुक बहू इस नादान और नामर्द लौंडे से संभलने वाली नहीं है इसीलिए तो उन्होंने इसकी जल्दी ही शादी करवा दी थी। बहू ने कमल को पूरा नंगा कर दिया। आज वो अपना हक अपने मरद से छीन लेने वाली थी कि अपने पति का ‘टिंकू लंड’ देख कर उसका दिल बैठ गया।
एक दम दो इंच का लंड था और खड़ा होकर साढे तीन इंच का हो गया था, इसे तो चूसा भी नही जा सकता, हद्द है। कमल जी हांफ़ रहे थे दुल्हन के इस गरमा गरम रुप को देख कर। पटक कर उसने कमल के मुह पर अपनी चूत रख दी और कमल की सांसें फ़ूलने लगीं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
गाली देते हुए बोली साले लंड में नही था गूदा तो लंका में काहे कूदा। काहे तेरे मास्टर बाप ने मेरी शादी तेरे से की माधरचोद ले अब चूस मेरी चूत और सुबह उस धोती वाले की धोती में आग लगा न दिया तो मेरा नाम कमला नहीं। लगभग आधा घंटा अपनी चूत और गांड उसके मुह पर रगड़ने के बाद उसने लाईट आफ़ कर दी और अपनी चूत पसार के सोने चली गयी।
बाबा रामू का दिल बागम बाग हो गया, लंड को तेल लगा कर उन्होंने मोटा और नुकीला किया और अपनी धोती खोल के सहलाते हुए सो गये। सुहागरात में अपने भतीजे कमल का नाकाम फ़्लाप शो देख कर खुश हुआ कि अब तो मेरे लंड को चौका मारने का मौका मिलना तय ही है।
सुबह उसने अपने भतीजे कमल को किसी काम से छ; सात दिनों के लिये बाहर भेज दिया। अब घर में अकेले बहू कमला और खूसट ठरकी बुढउ रामू बाबा ही बचे थे। खाना परोसते समय बहू का दुपट्टा सरक गया, उसके ब्लाउज का मुह बड़ा चोड़ा था तो उजले चूंचे बाबा रामू के नजरों में चमक गये।
शायद ये कमला की सोची समझी चाल थी। शाम को शौच के लिये उसे बाहर जाना था, खुले में। बहु को डर लगा तो रामू बाबा के पास आयी और पूछा- पिताजी मुझे बाहर जाना है दो नम्बर के लिये लेकिन पहली बार इस गांव में निकलते हुए डर लग रहा है।
बुढउ का दिल बाग बाग हो गया और उसने कहा चिन्ता ना कर बहु घर के बाउंड्री में ही ओपेन टायलेट के लिए गडढा बना रखा है चली जा। मैं छत पे ही रहूंगा कोई डरने की बात नहीं है। कमला चली गयी और बुड्ढा छत पर से उसे टट्टी करते देखता रहा अचानक दोनो की नजरें मिल गयीं।
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कमला ने अपनी चूत पर टार्च जला कर बुड्ढे को अपनी झांट वाली बम्बाट बुर दिखा ही तो दी। वहीं छत पर खड़े खड़े बुड्ढे की धोती में आग लग गयी, लंड खड़ा होने लगा और बुड्ढे रामू ने अपना सुपाड़ा हाथ में लेकर रगड़ना शुरु कर दिया। अब वह चूत का मैदान मारने की तैयारी कर चुका था।
जैसे ही कमला अंदर आयी, दरवाजे पर ही उसने उसे दबोच लिया, वो बोली अरे पापा जी रुकिये, गांड तो धो लेने दीजिए अभी टट्टी लगी है उसमें, इतने बेसबर मत होईये। रामू तुरत हैंड्पंप के पास जाकर पानी चलाने लगा और कमला ने लोटे से पानी लेकर अपनी गांड उस बुड्ढे के सामने ही छप्पाक छ्प्पाक धो डाली।
बुढे को अपनी बहू की बड़ी गांड का छोटा छेद बड़ा प्यारा और नाजनीन लगा, वह समझ गया कि यही है मेरे लंड का अंतिम डेस्टिनेशन्। कमला के खड़े होते ही रामू ससुर ने उन्हें दबोच लिया और उसकी साड़ी वही आंगन में ही खोलने लगा। घर में कोई नहीं था, चांदनी रात में पतोहू का चिरहरण, और दूधिया जवानी, दोनो का मेल गजब का था।
सारे कपड़े खोल बुढ्ढे ने कमला के बड़े चूंचे पर मुह सबसे पहले मारा, जैसे ही उसने मुह मारा कमला गाली देने लगी, पीले अपनी मां के चूंचे बहनचोद बुड्ढे कर दी शादी तूने मेरी नामरद मर्द से। रामू ने कहा तो कोई बात नहीं बेटी, ये ले बदले में मेरा लंड् किसी भी जवान से ज्यादा सख्त और बुलंद है।
अपना लंड पकड़ा कर वो खड़ा रहा और कमला नीचे बैठ गयी। लंड के सुपाड़े से चमड़े की टोपी हटा उसने लंड को सूंघा तो उसे उस बदबू से समझ मे आ गया कि ये पुराना चावल काफ़ी मजेदार है। अपने मुह में ढेर सारा थूक लेकर उसने लंड के उपर थूक दिया।
बुड्ढा बेताब हो रहा था मुह में पेलने को लेकिन कमला को अपनी हायजीन का पूरा खयाल था। उसने लंड को थूक से धोने के लिये उस थूक से लंड की मसाज चालू कर दी। बुढउ रामू गाली बक रहा था, हाय माधर्चोद मार डालेगी क्या साली जल्दी से मुह में डाल इतना रगड़ती क्यो है, तेरी मा का लोड़ा!! उफ़्फ़ चूस ना चूस ना।
कमला ने अधीरज पना नहीं दिखाया और आराम से लंड को थूक कर चाटती रही जब पूरा लंड साफ़ चकाचक हो गया, अपने मुह का रास्ता उस लंड को दिखा दिया। अब बुड्ढे ने लंड को चूत समझ लिया और उसमें अपना लंड किसी एक्स्प्रेस की तरह घुस्मघुसाई करने लगा।
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आह आह ले ले ये ले माधर्चोद तुम्हारा ससुर अभी जवान है, ये ले चूस तेरी मा का लोड़ा। कमला एकदम अवाक थी अपने बुड्ढे ससुर की परफ़ार्मेंस से। उसने अपना गला फ़ड़वाने की बजाय रात की प्यासी चूत की चुदास बुझाना बेहतर समझा। कमला ने तुरत उसका लंड ऐंठ कर बाबा रामू को नीचे गिरा दिया।
बुड्ढा अपनी बहू के इस कदम से भौंचक्का रह गया, लेकिन ये काम कमला ने उसके अंदर गुस्सा जगाने के लिये किया था जिससे कि वह बदले की भावना से जबरदस्त पेल सके। बुड्ढे ने अपनी धोती खोल फ़ेंकी। उसका अंड्कोष किसी पपीते की तरह आधा किलो का था।
कमला को पटक कर उसने अपना अंड्कोष उसके मुह में दे डाला कहा ले चूस बहुत कलाकार है तू बे माधरचोद साली लाया था बहू निकली रंडी। अब तो मेरा काम सेट कर देगी तू। कमला ने उस अन्डकोष को शरीफ़ा की तरह अपनी जीभ से कुरेदना जारी रखा।
बुड्ढा अपने मोटे लंबे लंड से चूत उसके बड़े चूंचों की पिटाई कर रहा था और अपनी उंगलियां उसकी झांटों पर फ़िरा रहा था। जब पूरे अंडकोष पर उसने अपनी जीभ फ़िरा ली तो बुड्ढे ने अपनी गांड का छेद अपनी बहू के मुह पर रख दिया। ले कर रिम जाब- बुड्ढा वाकई चोदूमल था, उसे रिम जाब मतलब कि गांड को चटवाने की कला भी आती थी और वो इसका रस खूब लेता रहा था।
वाकइ में जब भी वो सोना गांछी जाता रंडियां उसे नया नया तरीका सिखातीं और अब तो वह परमानेंट रंडी ले आया था अपने घर में। कमला ने उसकी गांड को चाट कर उसमें एक उंगली करनी शुरु कर दी। बुढ्ढा पगल्ला गया, उसने तपाक बहु की झांटे पकड़ी और चर्र चर्र से एक मुट्टी उखांड लीं।
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हाये कमला ने बदले में पूरी उंग्ली उसके गांड में घुसेड़ कर कहा माधरचोद पेलेगा नहीं सिरफ़ खेलेगा ही क्या बे? अब उसकी मरदानगी जग चुकी थी, भयंकर रुप लिये बरसो के चूत के प्यासे मोटे लंबे लंड को उसने अपने प्यारी बहू की मुलायम चिकनी चूत मे डाल देने का फ़ैसला कर लिया था।
उसने उसकी टांगे खोल दीं। और चूत का दरवाज्जा खोला अपने उंगलियों से, कमला मारे उत्तेजना के गालियां बक रही थी। वो खेली खायी माल थी। बुड्ढे ने अपने लंड के सुपारे को चूत के मुहाने पर छोटे से छेद के बाहरी दीवाल वाली लाल लाल पंखुड़ी पर घिसने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कमला की सिसकारियां गहरी होती चली जा रहीं थीं। ससुर रामू ने उसकी बाहरी की मेजोरा लीबिया मतलब कि चूत की बाहरी दीवाल को ऐसे खीच रखा था जैसे टीचर किसी छोटे बच्चे का कान खींच के पनिशमेंट दे रहा हो। माहोल एकदम गरम हो चुका था। दोनो तरफ़ की दीवालो को रगड़ने के बाद बुड्ढे ने अपना लंड का मुह कमला के थूक से दोबारा गीला करने के लिये कमला के मुह में हाथ डाल ढेर सारा थूक् बटोरा.
और फ़िर अपने लंड के मुहाने पर लगा और अपना थूक उसकी चूत में चारो तरफ़ घंस कर अपना लंड धंसाना शुरु कर दिया। कमला की आंखें नाचने लगीं थी उसकी कहानी ससुर के लंड से लिखी जा रही थी। और वाकइ ससुर रामू का बुढ्ढा लंड जवानों के लंड से भी बेहतरीन था।
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वो रुका नहीं और चूत के पेंदे पर जाकर सीधा टक्कर मारी, कमला चिल्लाई उफ़्फ़ मां प्लीज पापा रुकिये ना लेकिन नहीं। बाबा रामू को चुदवास चढ चुका था और सालो बाद कोरा माल और उसकी चूत की कहानी लिखने का मौका मिला था। लंड नुकीला कर के उन्होंने उस चूत का सत्यानाश करना शुरु कर दिया था और फ़िर इन धक्कों से चूत की दीवालें तहस नहस हो रहीं थीं। कमला अर्धबेहोश हो चली थी और रामू ने उसे पलाट कर पेट के बल लिटा दिया। अब उसकी गांड फ़टने वाली थी.
दो उंगलिओं से पकड़कर उसकी गांड खोल दी रामू ने और अपनी जीभ अंदर डाल दी। ताजा ताजा धुली गांड खूश्बूदार थी। गीला कर के ढेर सारा थूक अंदर कर दिया। गांड तैयार थी। उसने अपना मोटा लंड एक ही बार में अंदर कर दिया और कमला चिल्लाई बचाओ लेकिन कोई फ़ायदा नहीं। उसकी गांड खुल चुकी थी और लंड उसे छेदते हुए अंदर था। आधे घंटे तक यह गांड मारने के बाद रामू बाबा ने अपना वीर्य उसके पिछवाड़े पर निकाल कर लंड को चूंचों में पोंछ दिया। रात में यह कार्यक्रम तीनचार बार उस खुली चांदनी में चला फ़िर।