New Incest Kahani
मेरा नाम प्रकाश है, मैं दिल्ली का रहने वाला एक इंजीनीयर हूँ. मैं 23 साल का लड़का हूँ. इस घटना से पहले मैंने किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था. मुझे नहीं मालूम था कि मुझे मेरा पहले सेक्स के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. मैं बहुत शर्मीला था मगर मेरे चरित्र में बदलाव किस तरह हुआ वो मैं बताने जा रहा हूँ. New Incest Kahani
हमारा खानदान बहुत बड़ा है, मेरे पापा की 5 बहनें हैं जिनमें से तीन दिल्ली में ही रहती हैं. कहानी तब की हैं जब मैं बी टेक के तीसरे वर्ष में था. मेरी बड़ी बुआ के लड़के की शादी थी, मेरी सबसे छोटी बुआ की लड़की आनंदी भी आई थी, उम्र 18 साल, गोरा बदन, सेक्सी, लंबाई 5 फीट 6 इंच और उसके मम्में करीब 34 और गांड 36 की होगी. आनंदी 20 से कम की नहीं लगती थी.
शादी के घर में भीड़ की वजह से बुआ और आनंदी हमारे घर पर रुकी. शादी को अभी चार दिन बाकी थे मगर शादी के घर में कितने काम होते हैं यह तो हम सभी जानते हैं. इसलिए मम्मी बुआ के घर मदद के लिए सुबह ही चली जाती थी और मेरी बहन पूनम भी जॉब पर चली जाती थी.
मेरी बहन खुद खूबसूरत जिस्म की मालकिन है वो 24 साल की है कोई भी उसे देख ले तो चोदे बिना ना छोड़े! उसका पूरा बदन कसा हुआ है. मेरा भाई-भाभी भी जॉब पर चले जाते थे और घर में मैं और आनंदी बचते थे मगर फिर भी मेरी आनंदी से बात करने की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि तब मैं थोड़ा शर्मीला था. एक दिन की बात हैं मैं और आनंदी घर पर अकेले थे तभी एक सेल्सगर्ल ने दरवाजा खटकाया. मैंने दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि वो ब्रा बेचने के लिए आई थी.
उसने कहा- घर में कोई लेडी है?
मैंने मना किया, तभी आनंदी आई और बोली- रुको मुझे खरीदनी है!
मगर उसको पसंद नहीं आई और उसने मुझे शाम को उसके साथ मार्केट चलने को कहा तो मैंने हाँ कर दी. बाज़ार में सबसे पहले हमने कुछ खाया फिर उसने कहा कि उसे ब्रा-पेंटी खरीदनी है. फिर हमने शॉपिंग की और भी काफी सामान खरीदा. घर आते-आते शाम के छः बज गए. जब हम घर पहुँचे तो भाई घर पर पहले से था. भाई थोड़ा थका हुआ था तो जाकर सो गया. आनंदी भी अपने कमरे में चली गई और मैं टीवी देखने लग गया.
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थोड़ी देर में किसी ने मुझे पीछे से आवाज लगाई, मैंने मुड़ कर देखा तो वो आनंदी थी, वो बोली- मैं कैसी लग रही हूँ? आनंदी सिर्फ ब्रा-पेंटी पहने थे और वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी. उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया मगर वो मेरी बुआ की लड़की थी इसलिए मैंने अपने आप को रोक लिया और उससे कपड़े पहन कर आने के लिए कहा.
रात को मेरे ख़यालों में सिर्फ आनंदी और उसके चूचे घूम रहे थे और हाथ अपने आप पैंट के अंदर जा रहा था. मैं उठा और आनंदी के कमरे की ओर बढ़ा. मैंने देखा कि आनंदी वहाँ नहीं थी और उसकी ब्रा वहाँ पड़ी थी. मैंने उसे उठाया और अपने कमरे में ले जाकर ब्रा लंड पर रख कर आनंदी के नाम की मुठ मारने लगा.
मैं मुठ मार रहा था, इतने में पीछे से आवाज़ आई. मैं मुड़ा तो देखा तो आनंदी थी. मुझे अपनी हरकत पर शर्म आ रही थी और मैं एक बुत की तरह वहीं खड़ा रहा. आनंदी अंदर आई और चादर लेकर बिना कुछ कहे चली गई. अगले दिन मैं आनंदी से नजर नहीं मिला पा रहा था, मैंने माफी मांगने की सोची.
जब सब चले गए तो मैं आनंदी के कमरे में गया. आनंदी ने काले रंग का सूट पहना था. मैं कुछ कहता इससे पहले आनंदी ने कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूँ! और यह कह कर उसने मुझे गले लगा लिया. मैं भी सब कुछ भूल गया और आनंदी को चूमने लगा. आज मेरा भी सपना सच हो गया मैं कब से उसे ख्यालों में चोद रहा था, कब से उसके नाम की मुठ मार रहा था, आज वो चूत मेरी होने वाली थी.
थोड़ी ही देर में उसकी साँसें तेज़ चलने लगी. मैंने अपने एक हाथ से उसके चूचे मसलने चालू कर दिए और दूसरे हाथ से सलवार के ऊपर से उसके चूतड़ दबाने लगा. फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पेंटी के अंदर हाथ डालकर उसकी चूत सहलाने लगा.
वो सिसकारियाँ लेने लगी और साथ में हल्का सा विरोध भी कर रही थी. फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और पंद्रह मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूसते रहे. फिर उसके बाद मैंने उसका कुर्ता उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार दी. उसके चुचे ऐसे लग रहे थे जैसे दो रसदार संतरे!!
मैंने उसके एक चूचे को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से मसलना शुरू कर दिया. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी. फिर उसने मेरी पैंट खोलकर मेरा लंड पकड़ लिया और मेरे लंड को दबाने लगी. मुझे लगा जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया. इतने में मैंने उसकी पेंटी नीचे सरका दी.
उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी. अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के सामने खड़े थे. उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे. फिर मैंने आनंदी को अपनी बाहों में समेटा और उसे बिस्तर पर लिटा दिया और जीभ से उसकी चूत चाटने लगा वो तो जैसे पागल हो उठी.
वो बोली- भैया, मुझे भी आपका लंड चूसना है!
उसके बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए. हम दोनों पंद्रह मिनट तक एक-दूसरे को ऐसे ही चूसते रहे और हम दोनों एक एक करके झड़ गए. फिर हम एक दूसरे के ऊपर लेट गए. थोड़ी देर में हम फिर गर्म हो गए और मैं फिर उसके चूचे चूसने लगा तो वो बोली- भैया, रहा नहीं जाता अपना लंड अंदर डाल दो!
उसकी चूत कुंवारी थी और मैं उसको दर्द नहीं पहुंचाना चाहता था इसलिए मैंने थोड़ी वेसलिन लेकर उसकी चूत की मालिश कर दी. मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. उसके बाद मैंने अपना लंड आनंदी की चूत पर लगाया और हल्के-हल्के लंड को अंदर करने लगा पर अंदर जा ही नहीं जा रहा था क्योंकि उसकी चूत कुँवारी थी.
मैंने हल्का सा धक्का लगाया तो वो तड़प गई और उसके मुँह से आह की आवाज़ निकल गई. मेरे लंड का सुपारा अंदर जा चुका था. फिर मैंने हल्के-हल्के अंदर डालना चालू किया और बीच-बीच में हल्का धक्का भी मार देता जिससे उसकी चीख निकल जाती. उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.
अब तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था फिर मैं हल्के हल्के अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. शुरू में तो उसे थोड़ा दर्द हुआ फिर वो भी मेरा साथ देने लगी. हम दोनों चुदाई का पूरा आनन्द ले रहे थे. फिर हम दोनों बीस मिनट तक चुदाई का आनन्द लेते रहे और फिर वो झड़ गई.
मैं भी बस झड़ने वाला था फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को कस के पकड़ किया और फिर अपना अपना पानी एक दूसरे में मिला दिया और उसके बाद हम एक-दूसरे में समा गए. हम दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद बाथरूम में जा कर एक-दूसरे को साफ किया. हम लोग उस वक़्त भी बिल्कुल नंगे थे.
एक दूसरे को साफ करते वक़्त मैंने उसे कई बार चूमा भी जिससे मेरा लंड फिर खड़ा हो गया, मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और वो उसे दस मिनट तक चूसती रही. फिर हम दोनों नंगे ही बाहर आ गए. मैंने बाहर आकर देखा तो पूनम दीदी बिस्तर पर बैठी थी. मैं अपने लंड को एक कपड़े से छुपाने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
दीदी ने आकर मुझे एक तमाचा मार दिया और बोली- यह क्या कर रहे थे.
तब आनंदी ने स्थिति को संभालते हुए कहा- मैंने कहा था! हम आगे से ऐसा कुछ दोबारा नहीं करेंगे.
तब कहीं जाकर दीदी शांत हुई और मैं वापिस अपने कपड़े पहनने लगा तो दीदी बोली- अपनी दीदी की आग शांत नहीं करेगा?
यह कह कर दीदी मुझे चूमने लगी और आनंदी यह सब देखती रही मगर मैंने कहा- दीदी, मम्मी आने वाली है. हम दोनों तो कभी भी कर सकते हैं.
आनंदी के साथ सेक्स करते हुए पकड़े जाने के बाद दीदी की आग शांत करने की जिमेदारी मेरे मजबूत लौड़े पर आ गई. मगर शादी की वजह से भैया-भाभी ने ऑफिस से छुट्टी ले ली तो कोई मौका नहीं मिल रहा था. मगर कहते है न जहाँ चाह वहाँ राह.
शादी से दो दिन पहले सभी मंदिर गए थे. मगर दीदी के सर में दर्द था इसलिए दीदी घर पर ही रुक गई. जैसा कि मैंने पहले भाग में बताया था, दीदी बहुत ही सेक्सी है, एक दम गोरा रंग, कसा हुआ शरीर, तनी हुई चूचियाँ जो बड़ी थी. दीदी की चूचियों को देखते ही मेरा लंड सलामी देने लगता था.
मैं पहले भी कई बार दीदी के नाम की मुठ मार चुका था मगर मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी मस्त चूत का मैं कभी राजा बनूँगा. सभी के जाने के बाद मैं दीदी के कमरे की तरफ बढ़ा मगर तबीयत खराब होने की वजह से दीदी सोई हुई थी. उन्हें सोया देखकर मैं वापिस अपने कमरे में आ गया और अपनी किस्मत को कोसने लगा. मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और दीदी के नाम की मुठ मारने लगा. थोड़ी देर के बाद सभी घर वापिस आ गए.
मैंने मम्मी से कहा- मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ!
तो आनंदी ने साथ चलने को कहा. मैं आनंदी की शरारत समझ गया और मैंने भी हाँ कह दी.
मैंने अपने और आनंदी के सेक्स के बारे में अपने दोस्त सिद्धार्थ को पहले ही बता दिया था. हम सभी उसे सिड कहते थे. वो भी आज इंजीनियर है हम दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते. जब मैं उसके घर पहुँचा तो सिड के अलावा उसके घर में कोई और नहीं था. वैसे सिड के घर में उसके माता-पिता के अलावा उसकी दो बहनें भी हैं.
सिड के घर पहुँचने के बाद हम तीनों बात करने लगे. सिड आनंदी की तारीफ करने लगा, वैसे सिड एक नंबर का ठर्की है. फिर उसने हमें बीयर पेश की. आनंदी ने मना किया मगर मेरे कहने पर आनंदी ने हाँ कह दी. आनंदी को थोड़ी चढ़ने लगी जिसके कारण वो अंगड़ाई लेने लगी जिससे आनंदी के चूचों की गोलाई साफ-साफ दिखने लगी जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने सिड की तरफ देखा तो उसका लंड भी साँप की तरह खड़ा था. फिर मैंने आनंदी को देखा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिये और उसे बाहों में उठा कर सिड के कमरे में ले गया. सिड भी पीछे-पीछे आ गया, मैंने उसका सूट उतार दिया और फिर उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और फिर मैंने आनंदी की पेंटी भी निकाल दी और उसकी चूत चाटने लगा.
फिर सिड भी उसके होंठ चूमने लगा मगर आनंदी ने सिड का भी कोई विरोध नहीं किया. फिर मैंने अपना मोबाइल निकाला और सिड को बिना बताए आनंदी और सिड की फोटो खींच ली. सिड तो आनंदी को चूमने में लगा हुआ था. अब आनंदी पूरे होश में थी और वो हमारा पूरा साथ दे रही थी शायद वो भी दो-दो लंड का मजा एक साथ लेना चाहती थी.
फिर सिड उसके चूचे चूसने लगा और मैंने अपना लंड आनंदी के मुँह में डाल दिया. मैंने सिड को हटाया और आनंदी को घोड़ी बनने के लिए कहा और अपना लंड उसकी गांड पर रख कर रगड़ने लगा. इतने में सिड ने अपना लंड आनंदी के मुँह में रख दिया.
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आनंदी पहली बार गांड मरवा रही थी इसलिए मैंने पहले उसकी गांड पर क्रीम की मालिश की और फिर उसकी गांड में हल्का सा धक्का दिया तो वो चिल्लाने की कोशिश करने लगी मगर सिड का लंड उसके मुंह में था इसलिए वो चिल्ला भी नहीं सकी.
फिर मैं धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा और बीच-बीच में हल्के धक्के मार देता जिससे उसकी चीख निकल जाती. मैं तीस मिनट तक उसकी गांड मारता रहा. इतनी देर में वो दो बार झड़ गई. जैसे ही मैं झड़ने वाला था मैंने अपना लंड निकाल और पूरा पानी उसके मुँह में डाल दिया.
हम तीनों बिस्तर पर लेट गए. हम पंद्रह मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे फिर मैंने अपने होंठ फिर से आनंदी के होंठों पर रख दिये. उसके बाद हम बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ करने लगे. फिर हम तीनों नंगे ही बाहर आ गए तो सिड ने आनंदी को पकड़ लिया और आनंदी के चूचे चूसने लगा.
उसने आनंदी को बाहों में लेकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया तो आनंदी बोली- अभी मैं थक गई हूँ!
मगर सिड ने उसकी एक नहीं सुनी और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया तो वो दर्द के मारे चिल्ला उठी. सिड पंद्रह मिनट तक उसकी चूत मारता रहा. फिर वो दोनों जाकर नहाये और फिर हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और मैं और आनंदी वापिस घर आने लगे.
तभी आनंदी ने सिड के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और थेंक-यू कहा और फिर हम दोनों वापिस घर आ गए. आनंदी और मैं काफी थक गए थे इसलिए हम दोनों मेरे कमरे में जाकर एक ही बिस्तर पर सो गए. जब मैं सो कर उठा तो देखा आनंदी वहाँ नहीं थी.
मैं उठा और आनंदी के कमरे की तरफ बढ़ा मगर आनंदी के कमरे का दरवाजा बंद था और अंदर से आवाजें आ रही थी. मैंने ध्यान से सुना तो आनंदी किसी से बात कर रही थी. सुनने के लिए मैं दरवाजे के बिल्कुल पास आ गया तो यह कोई और नहीं बल्कि पूनम दीदी थी.
मैं वापिस अपने कमरे में आ गया क्योंकि मुझे अब पूनम दीदी का कोई डर नहीं था. मैं फ्रेश होने के बाद नीचे आ गया तो पूनम दीदी और आनंदी पहले से ही नीचे थी. आनंदी ने सूट और पूनम दीदी ने काले रंग की साड़ी पहन रखी थी. उस साड़ी में दीदी क्या कयामत लग रही थी.
थोड़ी देर में मुझे किसी की मिस कॉल आई मैंने देखा तो वो पूनम दीदी की थी. मुझे समझते देर न लगी और मैंने रिटर्न कॉल की तो दीदी ने फोन नहीं उठाया. मैं सीधा दीदी के कमरे की ओर बढ़ा. मैंने दरवाजे को हाथ लगाया तो दरवाजा खुला हुआ था. मैं अंदर गया तो दीदी अंदर थी, उन्होंने लाल रंग की पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी. उनकी लाल रंग की ब्रा और पेंटी उस नाइटी में से साफ दिखाई दे रही थी.
मैंने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गया. दीदी मेरे ऊपर टूट पड़ी और मेरी टी-शर्ट और बनियान उतार दी और मेरी छाती पर जीभ फेरने लगी. मैंने भी देर न करते हुए दीदी के होंठो पर अपने होंठ रख दिये और हम दोनों पंद्रह मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे. फिर मैंने दीदी की नाइटी उतार दी और ब्रा के ऊपर से ही उनके चूचे मसलने लगा जिससे दीदी मचल उठी.
मैंने दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया और अपना मुँह दीदी के होंठो से हटा कर उनके चूचे चूसने लगा. हमें किसी का ड़र नहीं था क्योंकि रात का समय था और ज़्यादातर लोग सो चुके थे. दीदी ने जोश में आते हुए मेरी पैंट और अंडरवीयर उतार दी और मेरा लंड दबाने लगी.
मैंने भी पूनम दीदी की पेंटी निकाल दी और उनको बाहों में लेकर उन्हें चूमने लगा जिससे उन्हें भी जोश आ गया और वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी. फिर मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी चूत चाटने लगा जिससे वो सिहर उठी. मैंने आव देखा न ताव, अपना लंड दीदी के मुँह में रख दिया और फिर दीदी उसे लोलीपॉप की तरह चूसने लगी और हम 69 की अवस्था में आ गए.
हम पंद्रह मिनट तक एक दूसरे को चाटते रहे और फिर मैंने अपना लंड दीदी की चूत पर रख दिया. मेरी दीदी पहली बार किसी से चुदने वाली थी इसलिए मैं धीरे धीरे धक्का मारने लगा. जैसे ही मैं धक्का मारता, दीदी चिल्ला उठती. हमारा चुदाई कार्यक्रम बीस मिनट तक चला. इतने में दीदी दो बार झड़ गई, मैं भी झड़ने वाला था इसलिए मैंने धक्के मारना तेज़ कर दिया.
दीदी को भी अब मजा आ रहा था. फिर मैं भी झड़ गया और हमारा पानी एक-दूसरे में मिल गया. फिर हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर लेट गए, हम काफी देर तक वैसे ही लेटे रहे और हम एक दूसरे को चूमते रहे जिससे दीदी फिर से गर्म हो गई और मेरा लंड भी फिर खड़ा हो गया. मैंने फिर से दीदी को चोदा. उस रात मैंने उन्हें चार बार चोदा. हम सुबह तक एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे.
सुबह किसी ने दरवाजा खटकाया तो हम डर गए. मैंने खिड़की में से देखा तो वो आनंदी थी. आनंदी को सब पता था इसलिए वो चली गई और फिर मैं और दीदी उसके बाद बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ करने लगे. दीदी अपने चूचों पर पानी डाल-डाल कर साफ कर रही थी जिसे देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने दीदी को बाहों में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया एक बार फिर उनकी चुदाई की.
फिर मैंने दीदी से कहा- मुझे तुम्हारी गांड मारनी है!
तो दीदी ने कहा- अभी नहीं! सुबह हो चुकी है, कोई भी आ सकता है. और मेरे भैया राजा, अब तो मैं पूरी तुम्हारी हूँ, कभी भी मार लेना! और अब मुझे अकेले में दीदी नहीं डार्लिंग बोला करो.
फिर हमने एक-दूसरे को एक लंबा चुंबन दिया और कपड़े पहन कर नीचे आ गए. सुबह नीचे आने के बाद मुझे बहुत ग्लानि महसूस हो रही थी कि मैंने अपनी बहन के साथ सेक्स किया मगर मुझे रह-रह कर उसकी उसकी मस्त चूचियों की चुसाई और उसकी चूत की खुशबू भी याद आती. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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मैं फिर अपने कमरे में वापिस चला गया. तभी दीदी मेरे कमरे में आई तो मैं वहाँ से उठ कर जाने लगा. तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये जिससे मेरी बची हुई शर्म भी चली गई और मैं भी उनके होंठ चूसने लगा.
पाँच मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसने के बाद दीदी उठी और वहाँ से जाने लगी तो मैंने उन्हें पकड़ लिया तो वो मुझसे बिल्कुल चिपक गई जैसे एक साँप चन्दन के पेड़ से चिपकता हैं और मैं फिर से उनके होंठो का रसपान करने लगा. मगर फिर मम्मी की आवाज़ आई और दीदी नीचे चली गई.
उसके बाद शादी की वजह से मैं और दीदी दो दिनों तक सही से एक-दूसरे से बात भी नहीं कर पाये. खैर किसी तरह शादी निपट गई और आनंदी भी अपने घर चली गई. अब दीदी सुबह ही अपनी जॉब पर निकल जाती और शाम को लेट आती इसलिए मेरे लिए उनके पास कोई वक़्त नहीं बचता था और रविवार को सभी घर पर होते थे. शनिवार था, मेरी कॉलेज की छुट्टी थी इसलिए मैं घर पर अपने कमरे में बैठा था तभी मम्मी की आवाज़ आई.
मैं नीचे गया तो मम्मी ने एक फ़ाइल मुझे देते हुए मुझे कहा- पूनम यह फ़ाइल भूल गई है, उसका फोन आया है, तू जाकर यह फ़ाइल उसे उसके ऑफिस में दे आ.
मैंने फ़ाइल उठाई और ऑफिस चल दिया. दीदी का ऑफिस काफी दूर था इसलिए मैं कार ले गया. मैं ऑफिस पहुंचा तो चपरासी ने कहा- मैडम बॉस के साथ मीटिंग में हैं! आप इंतज़ार कीजिये. मगर मुझे घर जाने कि जल्दी थी इसलिए मैं पूनम के बॉस के कैबिन की तरफ बढ़ गया.
मैंने कैबिन का दरवाजा खोलना चाहा तो दरवाजा नहीं खुला, शायद दरवाजा अंदर से बंद था. मैंने खिड़की से झांक कर देखा तो मैं दंग रह गया क्योंकि अंदर दीदी बॉस की बाहों में थी और उनके तन पर कपड़े के नाम पर सिर्फ पेंटी थी और उनका बॉस उनके चूचे चूस रहा था. दीदी के बॉस का नाम श्यामलाल था और उनकी उम्र 48 थी मगर फिर भी वो काफी जवान दिख रहा था. यह देख कर मेरी आँखों से आंसू आ गए और मैं वापिस दीदी के कैबिन में आ गया.
थोड़ी देर के बाद दीदी वापिस अपने कैबिन में आई, मुझे देख कर बोली- तू इतनी जल्दी कैसे आ गया?
मैंने कहा- मैं कार से आया हूँ.
उनके पीछे उनका बॉस श्यामलाल आया और चपरासी से तीन चाय कह कर मुझे और दीदी को अपने कैबिन में बुलाया. हम सब बैठ कर बात कर रहे थे. तभी कंपनी का मैंनेजर अब्दुल आया और कोई फ़ाइल दीदी के बॉस को दी और फिर मुझे देख कर चला गया.
चाय पीने के बाद मैं कंपनी के गेट से निकला तो मुझे याद आया कि मैं अपनी चाभी तो दीदी के बॉस के कमरे में छोड़ आया. मैं चाभी लेने के लिए वापिस मुडा और दीदी के बॉस के कमरे की तरफ बढ़ा. मैंने दरवाजा खोलना चाहा तो दरवाजा फिर से बंद था.
मुझे समझते देर न लगी और मैंने खिड़की से झाँका तो मैंने जो सोचा था उससे ज्यादा देखने को मिला. दीदी का बॉस श्यामलाल और कंपनी का मैंनेजर अब्दुल दोनों मेरी बहन को बड़ी बेदर्दी से चोद रहे थे और मैं कुछ नहीं कर पा रहा था. मगर मैं अंदर भी नहीं जा सकता था और मैं वहाँ खड़ा रह कर देख भी नहीं सकता था क्योंकि मेरी कार की चाभी अंदर थी.
फिर मैंने अपना मोबाइल निकाला और दीदी की उसके बॉस और कंपनी के मैंनेजर के साथ फोटो खींच लिए. तभी मैंनेजर उठा और कपड़े पहनने लगा मुझे लगा कि शायद दीदी का चुदाई कार्यक्रम खत्म हो गया. मगर दीदी का बॉस रुक नहीं रहा था और दीदी की चूत का भोसड़ा बनाने में लगा था. श्यामलाल अपना जोशीला लंड दीदी की चूत से निकालने को ही तैयार ही नहीं था.
तभी गेट खुला, मैं छुप गया और फ़िर एकदम फ़ुर्ती से सीधा अंदर घुस गया. दीदी और उसका बॉस मुझे देख कर हैरान रह गए. अब दीदी मुझे तरह-तरह के कारण देने लगी मगर मैंने बिना कुछ कहे चाभी उठाई और बाहर आ गया और दीदी के कैबिन में जाकर बैठ गया.
तभी दीदी और उसके बॉस श्यामलाल कपड़े पहन कर दीदी के कैबिन में आ गए और फिर दोनों मिल कर तरह-तरह के कारण देने लगे. दीदी के बॉस बहुत ज्यादा घबराए हुए थे शायद उन्हे यह नहीं पता था कि यह चुदाई का कार्यक्रम मैं और पूनम पहले ही खेल चुके हैं.
श्यामलाल ने कहा- तुम यह बात किसी को मत बताना. मैं वायदा करता हूँ कि इसके बदले में तुम जो मांगोगे वो मैं तुम्हें दे दूंगा.
मगर मैंने कहा- मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए जब जरूरत होगी तब मांग लूँगा.
यह कह कर मैं वहाँ से चल दिया, दीदी भी मेरे पीछे आने लगी, शायद श्यामलाल ने दीदी की छुट्टी कर दी थी. मैं और दीदी कार में बैठे और हम घर कि तरफ चल दिये मगर दीदी शांत बैठी थी. मैंने एक सुनसान जगह पर कार रोक दी और दीदी के गालों पर एक चुंबन दिया और कहा- आपको घबराने या शर्माने की कोई जरूरत नहीं, मैं जानता हूँ इस उम्र में ऐसा हो जाता है.
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मैंने इतना कहा तो दीदी की आँखों से आँसू निकल आए और फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया. उसके बाद दीदी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये. दस मिनट तक दीदी ने अपने होंठ मेरे होंठो से नहीं हटाए. फिर हम दोनों घर की तरफ चल दिये, मगर घर का दरवाजा बंद था.
मैंने डुप्लिकेट चाभी से दरवाजा खोला और और फिर हम अंदर आ गए. फिर मैंने मम्मी को फोन किया तो मम्मी ने कहा कि वो चार घंटे बाद आएंगी. यह सुनने के बाद मेरी खुशी का ठिकाना न रहा क्योंकि आज मेरे पास वो मौका था जो मुझे कई दिनों से नहीं मिल रहा था.
मैं दीदी के कमरे की तरफ बढ़ा तो देखा कि दीदी कपड़े बदल रही थी. आज मुझे दरवाजा बंद करने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि घर पर कोई नहीं था. दीदी ने उस वक़्त सफ़ेद टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी. मैं जैसे ही अंदर घुसा तो दीदी ने कहा- मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी.
मैं थोड़ा घबरा गया और मैंने कहा- दीदी दीदी!!!
तो दीदी बोली- मैंने तुमसे कहा था कि अकेले में मुझे दीदी नहीं डार्लिंग बोला करो.
दीदी कुछ और बोलती इससे पहले मैंने उसका मुंह बंद करने के लिए अपने होंठ उनके होंठो पर रख दिये और टी-शर्ट के ऊपर से ही उनके चूचे मसलने लगा तो दीदी मचल उठी. इतने में दीदी ने मेरी भी टी-शर्ट और पैंट उतार दी. इससे मैं भी और जोश में आ गया और मैंने भी उनकी टी-शर्ट और जीन्स निकाल दी और पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत रगड़ने लगा जिससे वो झड़ गई और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने देर ना करते हुए उनकी पेंटी उतारी और उनकी चूत का पानी पीने लगा. फिर मैंने उनकी ब्रा भी निकाल फेंकी और हम दोनों एक-दूसरे के सामने नंगे खड़े थे. मैंने उन्हें बाहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और वो मेरा लंड चूसने लगी फिर मैंने उनको घोड़ी बनने के लिए कहा.
मैंने पहले उनकी गांड में उंगली डाली तो उनकी गांड ज्यादा कसी नहीं थी. शायद उसके बॉस श्यामलाल पहले भी उसकी गांड मार चुके थे इसलिए मैंने ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा लगभग आधा लंड पूनम की गांड में समा गया और वो चिल्ला उठी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर मैं धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा तो उन्हें भी मजा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी. मैंने बीस मिनट तक उनकी गांड मारी फिर मैंने पानी छोड़ दिया और निढाल होकर बिस्तर पर लेट गया. हम दोनों बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ करने लगे और फिर कपड़े पहन लिए.
अब मैं कभी भी दीदी के साथ सेक्स के मजे ले सकता था. एक लड़का जो थोड़ा शर्मीला था उसका चरित्र अपनी फ़ुफ़ेरी बहन और सगी बहन के साथ सेक्स करने के बाद बदल चुका था क्योंकि जिस बहन की वो इज्जत करता था वो बहन अब उसकी तथाकथित बन चुकी थी.
दीदी पूनम और आनंदी के साथ सेक्स का मजा लेने और दीदी के साथ सेक्स करने की आजादी मिलने के बाद मैंने काफी दिनों तक उनके साथ सेक्स किया. मगर कहते हैं ना जिस तरह बुरे दिन ज्यादा दिन तक नहीं रुकते उसी तरह अच्छे दिन भी ज्यादा दिनों तक नहीं रुकते.
दीदी की शादी तय हो गई और वो घर छोड़ कर अपने ससुराल चली गई जिसके बाद मैं भी उदास रहने लगा और उसी के कारण मैं एक विषय में फेल हो गया. पापा को ट्यूशन से बहुत नफरत थी इसलिए मैं वो भी नहीं लगवा सकता था तो भाभी से मदद मांगी तो उन्होंने मदद करने के लिए हाँ कह दी.
अब जो लड़का अपनी बहन के साथ सेक्स कर चुका हो वो अपनी भाभी की कितनी इज्ज़त करेगा यह तो हम सब अंदाजा लगा ही सकते हैं. मेरी नज़र हमेशा भाभी के ब्लाऊज के अंदर तक झांकती थी. वैसे तो भाभी की उम्र 26 साल थी लेकिन कामकाजी महिला होने के कारण उन्होंने अपने आपको काफी अच्छा संवार कर रखा था. उनका नाम तो अंजना था मगर सब घर में उनको अंजू ही कहते थे.
सिड(मेरा मित्र) के निवेदन पर भाभी ने उसे भी पढ़ाने के लिए हाँ कह दी क्योंकि वह मेरा मित्र था. अगले दिन से भाभी हमें पढ़ाने लगी क्योंकि भाभी ऑफिस जाती थी इसलिए वो हमें हफ्ते में दो दिन यानि शनिवार व रविवार को ही पढ़ाती थी. वैसे तो सिड पढ़ाई में अच्छा है लेकिन जैसा मैं पहले ही बता चुका हूँ, वह एक नंबर का ठरकी है वो भी बस भाभी को देखने के लिए ही पढ़ने आता था.
एक शुक्रवार की बात है, घर पर भी मेरे अलावा कोई नहीं था, भाभी ऑफिस से जल्दी घर आ गई और बिना कपड़े बदले ही मुझे पढ़ाने लग गई ताकि मेरी पढ़ाई का नुक्सान ना हो क्योंकि अगले दिन हम सबका पिकनिक पर जाने की योजना थी मगर उस दिन मेरा ध्यान पढ़ाई की जगह भाभी के चूचे देखने में ज्यादा था क्यूंकि भाभी ने शर्ट पहनी थी और उसमें से उनके चूचो का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था.
कुछ देर पढ़ाने के बाद भाभी बोलने लगी- तुम पढ़ो, मैं अभी आती हूँ.
काफी देर तक भाभी के ना आने पर मैं बिना कुछ सोचे उनके कमरे की तरफ चल दिया. जब मैं उनके कमरे में पहुँचा तो जो देखा वो देख मैं हैरान रह गया. मैंने देखा कि भाभी पारदर्शी नाईटी में बैठी हुई हैं, यह देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैंने किताबें एक तरफ फेंकी और बिना कुछ सोचे भाभी के पास जाकर उन्हें चूम लिया.
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भाभी ने मुझे एक तरफ करते हुए कहा- क्या करते हो? सबके आने का समय हो गया है, किसी ने देख लिया तो?
लेकिन मैंने भाभी की एक ना सुनी और उन्हें फिर चूमने लगा तो भाभी ने मेरे गालो पर एक थप्पड़ मार दिया और चली गई. मैं वहीं बैठ गया और रोते हुए सोचने लगा कि भैया के रहते हुए भाभी को इसकी क्या जरूरत पड़ गई. अगले दिन क्योंकि हम सबको पिकनिक पर जाना था सो हम सभी सुबह जल्दी उठ गए.
लेकिन अचानक ऑफिस का जरूरी काम पड़ने के कारण भैया का आना कैंसल हो गया तो भैया ने मुझसे भाभी को घुमा लाने को कहा मगर भाभी ने मना कर दिया. लेकिन भैया के जोर देने पर भाभी मान गई. मैं भी भाभी को घुमाने के लिए मेट्रो वाक मॉल ले गया लेकिन भाभी के दिल की बात जानने के लिए मैंने कार जापानी पार्क की तरफ ले ली.
जब हम अंदर पहुँचे तो दूसरे जोड़ों को देखकर भाभी शर्माने और हंसने लगी क्योंकि बाकी एक दूसरे को चूम रहे थे, मैं भी भाभी के मन की बात समझ गया और हम दोनों भी एक बेंच पर बैठ गए और फिर मैंने जबरदस्ती भाभी के होंठो पर होंठ रख दिए, कोई विरोध ना होता देख मैं ऊपर से ही उनके वक्ष मसलने लगा जिससे शायद भाभी थोड़ा गर्म हो गई थी और चुम्बन में मेरा साथ देने लगी.
थोड़ी देर के बाद मैंने भाभी से पूछा- आपने कल ऐसा क्यों कहा कि कोई देख लेगा? क्या आपको इस पर ऐतराज नहीं था?
तो वो बोली- मुझे पता है कि तुम और पूनम पहले सेक्स कर चुके हो.
पूछने पर उन्होंने बताया कि पूनम ने ही उन्हें बताया था. मैं थोड़ा डर गया मगर भाभी की मर्ज़ी देख मेरा भी डर निकल गया और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे क्योंकि शाम का समय था और पार्क इतने बड़ा है कि हमें कोई भी देख नहीं सकता था इसलिए मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकल लिया और भाभी को उसे चूसने को कहा.
मगर भाभी ने मना कर दिया. इस बार मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं की और चुपचाप अपनी ज़िप बंद कर ली. फिर हम दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे को चूमा और घर के लिए निकल पड़े. जैसे ही हम घर पहुँचे तो मम्मी और पापा ने हमें खाने के लिए बुलाया मगर मुझे भूख नहीं थी इसलिए मैंने मना कर दिया और मैं सीधा अपने कमरे की तरफ चल दिया.
कमरे में पहुँच कर मुझे अपने ऊपर अफ़सोस हो रहा था क्योंकि भाभी की हाँ के बावजूद मैं उन्हें चोद नहीं पाया. मैंने सोच लिया कि आज रात को मैं उन्हें जरूर चोदूँगा इसलिए मैं मम्मी और पापा के सोने का इंतज़ार करने लगा. मैंने मोबाइल में 12 बजे का अलार्म लगा दिया और सो गया.
रात को जैसे ही अलार्म बजा, मैं उठ गया और अपने रात के पहने हुए कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में भाभी के कमरे की तरफ चल दिया. जब मैं भाभी के कमरे के पास पहुँचा तो देखा कि भाभी के कमरे की बत्ती जल रही है और भाभी के अलावा किसी और की भी आवाज़ आ रही है मगर आवाज़ साफ़ ना होने कि वजह से मुझे समझ नहीं आया कि भाभी किससे बात कर रही है.
मैंने कमरे का दरवाजा खोलने की कोशिश कि मगर दरवाजा अंदर से बंद था. मैंने भी दरवाजा बजाना ठीक नहीं समझा क्योंकि इससे मम्मी पापा जग सकते थे, मैं अपने कमरे में वापिस आ गया मगर एक सवाल मुझे बार बार परेशान कर रहा था कि भाभी किससे बात कर रही थी और मैं यही सोचते सोचते सो गया. सुबह करीब 8 बजे भाभी मुझे जगाने आई. जब मैं उठा तो देखा कि घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था.
मैंने भाभी से पूछा- मम्मी-पापा कहाँ हैं?
तो उन्होंने कहा- वो कल रात को दस बजे ही तुम्हारी लक्ष्मी नगर वाली बुआ के यहाँ चले गए क्योंकि तुम्हारी बुआ की तबीयत ठीक नहीं है.
मैं तभी समझ गया कि इससे अच्छा मौका मुझे जिंदगी में कभी नहीं मिलेगा.
भाभी ने कहा- तुम नहा-धो कर फ्रेश हो जाओ, मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ.
मैंने देर ना करते हुए भाभी का हाथ पकड़ लिया और कहा- जो उस दिन नहीं हो पाया उसे आज पूरा कर लेते हैं.
भाभी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया मगर उन्होंने इस बात पर कोई नाराज़गी भी नहीं दिखाई. मैंने इसे उनकी हाँ समझ कर उनके होंठो पर चुम्बन जड़ दिया, अपना एक हाथ उनकी कमर में डाल कर चारों तरफ से उन्हें जकड़ लिया और उनके शरीर के हर भाग पर चुम्बनों की बारिश कर दी. इससे भाभी भी जोश में आ गई और उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने चूचों पर रख दिया और हम दूसरे को पकड़ कर चूमते रहे. मैं बीच-बीच में भाभी के चूचे भी दबा दिया करता थे जिससे वो चिल्ला उठती थी.
थोड़ी देर बाद मैंने उनसे कहा- भाभी! मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ!
तो वो हँस दी.
कहते हैं ना कि हंसी तो फँसी. मैंने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया और उन्हें अपने कमरे में ले गया.
फिर मैंने उनसे कहा- भाभी! भैया का कितना बड़ा है?
तो भाभी ने कहा- वैसे तो तुम मुझे चोदना चाहते हो और अभी भी मुझे भाभी बोल रहे हो? तुम मुझे अंजू कह कर बुलाओ, मुझे अच्छा लगेगा और ऐसे सवाल पूछ कर क्यों समय खराब कर रहे हो? फिर मैंने इस बेकार के सवालों को छोड़ते हुए अंजू के बाल पकड़ लिए और फिर से उसके होंठ चूसने लगा ताकि उसका जोश खत्म ना हो और चुदाई में ज्यादा मजा आये.
मैंने नाइटी के ऊपर से ही उनके चूचे मसल दिए जिससे वो चिल्ला उठी. मैंने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने भाभी की भी नाइटी खींच कर उतार दी. भाभी ने खुद ही अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और अपने स्तनों को आजाद कर दिया. भाभी के स्तन सच में पूनम दीदी से भी बड़े थे, अंजू भाभी के स्तन 36′ से कम नहीं थे.
मैंने धक्का देकर भाभी को बिस्तर पर पटक दिया और अपना मुँह उनके स्तनों में गड़ा दिया और स्तनपान करने लगा. मेरे स्तनपान करने के कारण भाभी धीमी धीमी सिसकारियाँ लेने लगी मगर शायद भाभी को इस सब में मजा आ रहा था. फिर मैंने अपने हाथ से अपना अंडरवीयर उतार दिया और फिर थोड़ी ही देर में उनकी पेंटी भी उतार फेंकी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने देखा कि चूत पर एक भी बाल नहीं था शायद अंजू ने अपनी चूत की ताजी-ताजी सफाई की थी. मैं बिस्तर पर लेट गया और भाभी मेरा लण्ड चूसने लगी. थोड़ी ही देर में हम 69 की अवस्था में आ गए और अंजू मेरा लण्ड और मैं उसकी चूत चूसने लगा. मैंने धीरे से उनकी चूत पर काट लिया जिससे भाभी जोर से चिल्ला उठी. थोड़ी ही देर में हमने दोनों ही पानी छोड़ दिया. फिर मैंने अंजू को उठाया और… मैं बिस्तर पर लेट गया और भाभी की चूत चूसने लगा.
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मैंने धीरे से उनकी चूत पर काट लिया, भाभी जोर से चिल्ला उठी. थोड़ी ही देर में हमने दोनों ही पानी छोड़ दिया. फिर मैंने अंजू को उठाया और… बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया. अंजू की चूत को देख कर ही मैं समझ गया कि भाभी को चुदवाने का काफी तजुर्बा है और भैया के अलावा भी बाहर कई लोगों से चुदवा चुकी हैं. मैंने बिल्कुल भी देर नहीं की, अपना लण्ड निशाने पर रख दिया और एक जोर का धक्का मार दिया. भाभी की चूत कुँवारी नहीं थी मगर फिर भी भाभी चिल्ला उठी और उनकी चूत से खून आने लगा.
तभी भाभी बोली- बहनचोद, अपनी बहन की चूत का भोंसड़ा बना दिया! अब मेरी का भी बनाएगा क्या?
फिर भी मैंने कोई रहम नहीं किया और अपने झटके तेज कर दिए. भाभी चिल्लाती रही और मुझे गालियाँ देती रही मगर मैं भी बिना रुके उन्हें चोदता रहा. थोड़ी देर में मैंने उनकी चूत में ही अपना पानी छोड़ दिया और मैं भाभी के वक्ष के ऊपर थक कर गिर गया, भाभी ने मेरे होंठ चूम लिए और बोली- थैंक्यू देवर जी! फिर हम दोनों बाथकमरे में गए और एक दूसरे को साफ़ करने लगे. उस पूरे दिन घर पर किसी के ना होने के कारण मैंने भाभी को तीन बार चोदा.