Family Sex Fantasy
दोस्तों मेरा, नाम अंजना है और में 39 साल की एक शादीशुदा औरत हूँ. मेरी किस्मत अच्छी है कि में आज भी बहुत सुंदर और सेक्सी हूँ. दोस्तों में भी आप सभी की तरह पिछले कुछ सालो से सेक्सी कहानियों को पढ़कर उनके बहुत मज़े लेती आ रही हूँ. मैंने अब तक ना जाने कितनी कहानियाँ पढ़ी है. Family Sex Fantasy
और फिर एक दिन मेरे मन में भी अपने जीवन की उस सच्ची घटना को लिखकर आप सभी तक पहुँचाने के बारे में वो विचार आया और मैंने इसको मेहनत करके लिखना शुरू किया और आज आप सभी के सामने है. दोस्तों मुझे अच्छी तरह से पता है कि कई लंड वाले मेरी इस आज की सच्ची कहानी को पढ़कर मुझे एक बार जरुर चोदना चाहेंगे.
दोस्तों इस समय में सो कर उठी हूँ और इस समय घर पर में बिल्कुल अकेली हूँ. मेरी बहुत इच्छा हो रही है, मैंने काली बॉर्डर की गुलाबी रंग की साड़ी और गुलाबी रंग का ब्लाउज पहना हुआ है ब्लाउज के अंदर सफेद रंग की जालीदार ब्रा में मेरे बूब्स तन रहे है इसलिए में बहुत कसा हुआ सा महसूस कर रही हूँ.
मुझे ऐसा ऐसा महसूस हो रहा है कि कोई आकर मेरे बूब्स को निचोड़ दे और नीचे गुलाबी रंग के पेटीकोट के अंदर हल्के नीले रंग की पेंटी मैंने पहनी हुई है और इस समय मैंने अपनी साड़ी जाँघो तक उठाकर पकड़ लिया है और पेंटी को नीचे सरकाकर में अपने एक हाथ से बार बार अपनी चूत को सहला रही हूँ और बूब्स पर भी थोड़ी थोड़ी देर में अपने हाथ को घुमा रही हूँ.
मेरी चूत के बाल इस समय थोड़े से बड़े हुए है क्योंकि मैंने पिछले दो महीनो से चूत की सफाई नहीं की है, लेकिन यह बाल जब भी पेंटी से रगड़ते है तो मुझे मज़ा भी बहुत आता है और में मन ही मन में सोचती हूँ कि काश कोई जवान मर्द इस समय मेरे पास होता. मेरी इस कहानी को पढ़कर मेरी कई बहनों को अपनी जवानी के वो दिन याद आ जाए.
मुझे लड़को से सेक्स की बातें करना और लंड, चूत, भोसड़ा, बूब्स, गांड, चुदाई जैसे बहुत सारे शब्द सुनना अच्छा लगता है क्योंकि में हमेशा खुलकर सेक्स का मज़ा करना चाहती हूँ. मुझे सेक्स फेंटेसी बहुत पसंद है और अब आप लोगों को ज्यादा बोर नहीं करना चाहती इसलिए वो घटना सुनिए.
दोस्तों में आप सभी को अपना एक सच्चा सेक्स अनुभव बताने जा रही हूँ और यह आज से करीब दस साल पुरानी एक सच्ची घटना है, तब मेरी ननद का लड़का जिसका नाम प्रणव है, जिसकी उम्र 18 साल थी वो अपने पेपर देने के लिए हमारे घर आया हुआ था.
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और उन दिनों मेरे पति अपनी कंपनी के काम से हमेशा बाहर ही रहते है तब भी बाहर गए हुए थे और इसलिए में उन दिनों सेक्स के लिए बहुत परेशान रहने लगी थी. हमारे घर में सिर्फ़ दो कमरे थे जिस वजह से प्रणव से मुझे बहुत चिड़ हो रही थी कि इसकी वजह से मेरे जीवन का सेक्स करने का आनंद जा रहा है.
फिर उस दिन मेरे पति रात की ट्रेन से पूरे सात दिनों के लिए बाहर जाने वाले थे और मेरे पति ने उनके ऑफिस जाने से पहले मुझसे बोला कि वो आज दोपहर को वापस घर आ जाएँगे जब प्रणव उसके कॉलेज में रहेगा फिर हम दोनों बहुत प्यार से जमकर सेक्स का मज़ा करेंगे.
क्योंकि उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से पूरे सात दिन नहीं मिलेंगे और ना मुझे उनके साथ सेक्स का मज़ा उन दिनों मिलेगा. फिर में उनके मुहं से वो बात सुनकर बहुत खुश थी और मैंने नहाने से पहले अपनी चूत के बालों को साफ किया, जिसकी वजह से मेरी चूत एकदम चिकनी चमकदार दिखने लगी थी.
उसके बाद मैंने बहुत सुंदर सेक्सी ब्रा पेंटी और साड़ी पहनी, लेकिन उस दिन मेरी किस्मत बड़ी खराब थी, पहले तो मेरे पति घर पर आने में लेट हो गये और जैसे ही वो आए उनके पीछे से प्रणव भी आ गया. फिर उसको देखकर मेरा दिमाग बिल्कुल खराब हो गया.
और में गुस्से में आकर फालतू में प्रणव को डांटने लगी और मेरे पति भी मुझ पर नाराज़ हो गए और वो मुझसे कहने लगे कि अभी हम यह सभी काम करने के लिए हमारे पास पूरा जीवन पड़ा हुआ है तुम क्यों इतना परेशान होती हो?
फिर में उनकी वो बात सुनकर अपना मन मारकर उनके बाहर जाने की तैयारी करने लगी थी. वो बारिश के दिन थे और कुछ देर बाद बारिश होने लगी थी. मेरे पति की ट्रेन रात को दस बजे की थी और मैंने जल्दी से खाना बनाकर सभी को खिला दिया था.
फिर करीब 9 बज़े मेरे पति रसोई के अंदर आ गए और उन्होंने अचानक से मुझे पीछे से पकड़कर चूमना शुरू किया और उनका वो तनकर खड़ा लंड में अपने कूल्हों पर महसूस करके बहुत ही उत्तेजित हो गयी और फिर मैंने अपने पति को बताया कि आज कि चुदाई के लिए तैयारी में मैंने क्या क्या किया?
अब मेरे पति ने मेरी साड़ी के अंदर मेरी पेंटी में अपना हाथ डालकर मेरी गरम चिकनी चूत को सहलाया और मैंने भी उनके लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया. अब तक मेरी चूत अपनी चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और वो अब धीरे धीरे बहुत गीली होने लगी थी.
मेरी चूत के अंदर चुदाई का जोश भर चुका था और अब उसको लंड की बहुत जरूरत थी, जो उसकी मस्त दमदार चुदाई करके ठंडा कर दे और मेरी कामुक चूत लंड को अपने अंदर लेने के लिए फड़क रही थी, लेकिन तभी इतने में प्रणव ने बाहर से एक आवाज़ लगा दी कि मामा ट्रेन का समय हो गया है चलो अब वरना हम लेट हो जाएगें.
तो उसकी आवाज को सुनकर हम दोनों होश में आ गए और उन्होंने मुझे उसी समय वैसे ही उस हालत में तरसता हुआ तुरंत छोड़ दिया. फिर प्रणव उन्हे स्कूटर से छोड़ने स्टेशन चला गया. में उनके जाने के बाद हाल में लेटकर टीवी देखने लगी थी और में अब तक बहुत गरम महसूस कर रही थी और मुझे अपनी इतनी खराब किस्मत पर भी रोना आ रहा था.
में उत्तेजना से भरकर अपनी साड़ी में अपने एक हाथ को डालकर अपनी गरम गीली चूत को सहलाने लगी थी. मेरी चूत को एक बड़ी ही अजीब सी प्यास लगी थी और मेरे दिमाग ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया था. में जोश में आकर चुदने के लिए बहुत बेकरार थी और ना जाने क्या क्या बातें सोच रही थी.
फिर तभी इतने में स्कूटर की आवाज़ आई और मैंने अपने कपड़े ठीक किए उठकर गई दरवाज़ा खोला तो मैंने देखा कि प्रणव बाहर हो रही तेज बारिश की वजह से पूरा भीगकर आया था. फिर मैंने उससे थोड़ा गुस्से से बोला कि जल्दी से पानी को साफ करके कपड़े बदल ले वरना, तेरी तबीयत खराब हो गयी तो हमारे लिए भी मुसीबत खड़ी हो जाएगी.
वो मेरे मुहं से यह शब्द सुनकर एकदम सहम गया. अब में अंदर अपने रूम में जाने लगी तो में जब अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करने आई तो मैंने देखा कि उस समय प्रणव अपनी गीली बनियान को उतार रहा था, तब उसकी नंगी पीठ को देखकर मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ.
और अब में हाल में आ गयी और कुछ ढूंढने का नाटक करते हुए अपनी तिरछी नज़र से में उसको देखने लगी थी. फिर उसने अपनी पेंट को उतार दिया था और मैंने देखा कि उसकी वो अंडरवियर सफेद रंग की थी, जो पूरी गीली होने की वजह से प्रणव के शरीर से चिपक गयी थी.
अब मैंने देखा कि प्रणव का काला लंड अंडरवियर में मुड़ा हुआ मुझे साफ साफ नजर आ रहा था. वो बड़ा ही लंबा और मोटा भी था, वैसे तो वो उस समय ठीक तरह से खड़ा भी नहीं हुआ था और लंड के आसपास काले काले बाल भी मुझे नज़र आ रहे थे और उसके लंड का गुलाबी टोपा तो एकदम चमक रहा था.
वो मुझे दिखने में दमदार मर्द का जवान लंड नजर आ रहा था, जिसको हर कोई औरत अपनी चूत में डलवाकर अपनी चूत की चुदाई के मज़े लेना चाहेगी, चाहे वो कितनी ही सती सावित्री क्यों ना हो? और अब मेरी हालत एक जवान लड़के को अपने इतने करीब पूरा नंगा देखकर बहुत खराब हो गयी थी और में सपने में भी नहीं सोच सकी कि प्रणव इतना जवान है?
और उसके गोरे भरे हुए बदन को देखकर में सभी रिश्ते पूरी तरह से भूल चुकी थी. दोस्तों अब मैंने मन ही मन में सोच लिया था कि आज रात को मुझे इसके साथ मज़ा जरुर लेना है फिर चाहे जो भी होगा देखा जाएगा, मुझे किसी भी बात की अब बिल्कुल भी चिंता नहीं थी.
फिर प्रणव ने अपने कपड़े पहन लिए थे और फिर प्रणव बिस्तर पर आकर लेट गया. में अपने रूम में चली आ गयी और मैंने अपनी साड़ी, ब्लाउज, ब्रा, पेटीकोट को उतारकर एक मेक्सी को पहन लिया था. दोस्तों हमारा बाथरूम पीछे आँगन में था और उस समय रात के करीब 11 बज रहे थे. मैंने प्रणव को एक बार आवाज़ दी तो वो बोला हाँ जी मामी.
मैंने उससे कहा कि मुझे पीछे पेशाब करने जाना है, लेकिन पीछे बहुत अँधेरा है इसलिए मुझे डर लग रहा है तू भी मेरे साथ में चल और वो मेरे साथ आ गया. उससे इतना कहकर मैंने पीछे की लाइट को चालू कर दिया और बाथरूम के बाहर नाली के पास जाकर मैंने अपनी मेक्सी को अपनी कमर के ऊपर तक उठा लिया.
और फिर में धीरे से अपनी पेंटी को नीचे सरकाने लगी जिससे कि प्रणव मेरी गोरी चिकनी जांघे और गांड को बड़े आराम से देख सके और फिर में यह सब करके नीचे बैठ गयी. उस समय प्रणव ठीक मेरे पीछे ही खड़ा हुआ था और फिर मैंने पीछे मुड़कर देखते हुए उससे बोला कि तू यहाँ से जाना मत.
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फिर वो बोला कि जी मामी और फिर जब मैंने पेशाब कर लिया उसके बाद में प्रणव की तरफ अपना मुहं करके खड़ी हुई और तब मैंने अपनी मेक्सी को कमर से ऊपर उठाकर में उसी के सामने जानबूझ कर पेंटी पहनने लगी जिसकी वजह से प्रणव को मेरी गोरी चिकनी साफ चूत दिख जाए और वो भी यह सब देखकर पूरी तरह से बहक जाए.
अब मैंने देखा कि प्रणव की आखों में थोड़ी सी शरम थी, लेकिन वो मेरी बिना बालों की चूत और नंगी जांघो को अपनी आखों से चोरी चोरी देख रहा था, लेकिन वो वापस जाकर सो गया. अब में भी अपने रूम में आ गई और फिर मैंने मन ही मन में सोचा कि प्रणव को आवाज़ देकर में अपने पास ही बुला लेती हुई.
लेकिन मुझे थोड़ा सा डर भी लग रहा था कि कहीं मुझसे यह सब करते हुए कुछ ग़लत तो नहीं हो रहा है, लेकिन मेरी सांसे बड़ी तेज़ तेज़ चल रही थी और नीचे मेरी वो चुदाई के लिए पागल चूत चिल्लाकर कह रही थी कि उसको अब वो लंड चाहिए, उसको बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था और इस वजह से मेरी भी हालत पागलों जैसी हो गयी थी.
अब में उठकर बैठ गयी और मैंने देखा कि उस समय प्रणव के कमरे की लाइट जल रही थी. फिर मैंने धीरे से उठकर प्रणव के रूम के पास जाकर अंदर झांककर देखा, तो वो उस समय उल्टा होकर सो रहा था. फिर मेरा हाथ अपने आप अपनी चूत पर जाने लगा था और मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि में कैसे शुरुआत करूँ? अपनी चुदाई के लिए उसको कैसे कहूँ?
तभी मैंने ध्यान से देखकर महसूस किया कि प्रणव अब कुछ हिल रहा है, जैसे एक आदमी औरत के ऊपर चढ़कर उसकी चुदाई करते समय हिलता है वो वैसे ही हिल रहा था और फिर मुझे समझते ज्यादा देर नहीं लगी कि वो मेरी नंगी जांघो को और साफ चूत को देखकर इतना उत्तेजित हो गया है इसलिए वो यह सब कर रहा था.
अब वो अपने लंड का पानी बाहर निकालने की पूरी तैयारी में है. तभी मैंने समय गँवाए बिना में प्रणव के रूम में तुरंत चली गयी और मैंने देखा कि अब प्रणव ने धीरे से अपनी आखें खोलकर मुझे देखा और वो सोने का नाटक करने लगा था.
में कुर्सी पर जाकर बैठ गयी और मैंने सोचा कि में भी देखूं कि अब प्रणव हिलता है या नहीं यदि हिलेगा तो उससे में पूरी तरह खुलकर चुदने के लिए कह दूँगी, लेकिन करीब दस मिनट में भी वो साला बिल्कुल भी नहीं हिला और अब मेरी हालत पहले से भी ज्यादा खराब हुए जा रही थी. मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि में क्या करूँ?
अब रात के करीब एक बज चुके थे. फिर मैंने टीवी को चालू कर दिया और में देखने लगी तभी प्रणव अपनी आखों को मसलता हुआ उठकर बैठ गया और वो मुझसे पूछने लगा कि क्या हुआ मामीजी आज आप सो क्यों नहीं रही हो? तो मैंने उससे कहा कि पता नहीं क्यों मुझे आज नींद ही नहीं आ रही और मेरे कुछ दुख रहा है?
प्रणव ने मुझसे पूछा कि क्या आपका सर दर्द हो रहा है? मैंने कहा कि नहीं मेरा पूरा ही शरीर दर्द कर रहा है. अब प्रणव पूछने लगा कि आपकी तबीयत तो ठीक है ना? मैंने कहा कि हाँ ठीक ही है. अब प्रणव मुझसे बोला कि क्या में आपकी कुछ मदद करूँ? तब मैंने उससे कहा कि प्लीज़ मेरे पैर दबा दे हो सकता है कि मुझे कुछ आराम मिल जाए.
प्रणव बोला कि हाँ ठीक है और फिर में तुंरत मन ही मन बहुत खुश होकर प्रणव के बिस्तर पर में लेट गयी और अब प्रणव मेरे पैर दबाने लगा था. फिर कुछ देर बाद मैंने उससे कहा कि प्लीज़ तुम थोड़ा ऊपर हाँ और ऊपर तक दबाओ. दोस्तों प्रणव बिस्तर पर बैठकर मेरी जांघे दबा रहा था.
जिसकी वजह से मेरी चूत से रस निकल रहा था और जिसकी वजह से मुझे अब अपनी पेंटी गीली गीली महसूस हो रही थी. तभी मुझे महसूस हुआ कि प्रणव अब मेरी चूत को मेक्सी के ऊपर से छू रहा था और वो मेरी चूत के ऊपर अपनी उंगलियां भी चला रहा था.
उसके ऐसा करने से मेरी साँसे बहुत तेज़ तेज़ चलने लगी थी. तभी मैंने वो एकदम सही मौका समझकर अपना एक हाथ प्रणव के लंड पर रख दिया और छूकर महसूस किया कि उसका वो पांच इंच का लंड पूरी तरह तनकर खड़ा हुआ था और वो मुझे छूने पर बहुत मोटा महसूस हो रहा था. तभी प्रणव मुझसे पूछने लगा क्यों आपको मेरा यह लंड कैसा लगा?
फिर मैंने उससे कहा कि मुझे आज यह पूरा का पूरा अपनी चूत के अंदर चाहिए है और अब प्रणव मेरे मुहं से यह बात सुनकर मेरे पास में आ गया और उसने मेरी छाती को सहलाना शुरू किया. उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अब मैंने अपने एक हाथ से उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया था और में उसकी गांड को भी सहला रही थी.
मेरे ऐसा करने से अब उसकी हिम्मत पहले से ज्यादा बढ़ गई और वो मेरे बूब्स को अब ज्यादा ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा था. उसके ऐसा करने से मुझे सिरहन होने लगी थी और अब मैंने अपनी करवट को बदलकर में एकदम सीधी हो चुकी थी.
अब उसने अपने हाथ को हटा लिया और वो थोड़ी देर बाद एक बार फिर से मेरे बूब्स को दबाने सहलाने लगा था. फिर कुछ देर बाद वो मेरी मेक्सी को भी उतारने लगा था, जिसके बाद में पूरी उसके सामने नंगी लेटी हुई थी और अब वो मेरे नंगे बूब्स को चूसने लगा और उसके ऐसा करने से में बहुत ही गरम हो रही थी.
में अब उठ गयी और मैंने उसको उसके भी कपड़े उतारने के लिए कहा तो उसने तुरंत ही अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और वो अब पूरा नंगा हो गया था. अब मैंने उसके लंड को बिना कपड़ो के पहली बार देखा तो वो बहुत ही बड़ा था और में उसको देखकर चकित होने के साथ साथ खुश भी बहुत थी.
फिर उसने मेरी पेंटी को उतार दिया और उसके बाद वो मुझे किस करने लगा था और में भी उसका साथ देते हुए उसको बहुत जमकर किस करने लगी थी. फिर उसने मुझे अब मेरी गोल गहरी नाभि और मेरे गोरे मुलायम पेट पर किस किया आआअहह वाह मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और में बहुत ही गरम हो चुकी थी.
फिर वो नीचे आकर अब मेरी गीली रसभरी कामुक चूत को अपनी जीभ से चाटने और चूसने लगा था और में जोश में आकर अंगड़ाई लेने लगी उफ़फ्फ़ मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि में अब क्या करूं? फिर मैंने उससे कहा कि प्लीज अब तुम मुझे और मत तड़पाओ प्लीज अब तुम मुझे चोद दो और मेरी आज तुम जमकर चुदाई करो.
मेरी इस प्यासी चूत को शांत कर दो और इसकी आग को ठंडा कर दो, डाल दो अपना यह लंड मेरी इस चूत में और मुझे चुदाई के पूरे पूरे मज़े दो. अब वो यह बात सुनकर मेरे ऊपर आकर लेट गया और उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुहं पर रख दिया और फिर एक ज़ोर का धक्का मारा.
तो उसका पूरा लंड उसके उस एक ही जोरदार झटके के साथ मेरी चूत के अंदर चला गया और में दर्द की वजह से ज़ोर से चीख उठी आअहह्ह्ह्ह आआफ्फफ्फ्फ्फ़ आईईईईई माँ मर गई. अब वो ज़ोर ज़ोर से मुझे लगातार धक्के देकर चोदने लगा था और में भी कुछ देर बाद अपने कूल्हों को ऊपर उठा उठाकर उसका साथ देने लगी थी.
और मेरे मुहं से अब भी आह्ह्ह उहह्ह्ह उईईईईई की आवाज निकल रही थी और वो ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर मुझे चोदने लगा था. फिर थोड़ी देर बड़े मस्त ताबड़तोड़ धक्के के बाद उसने मेरी चूत में अपना गरम गरम लावा छोड़ दिया था और में उसकी चुदाई की वजह से पूरी तरह संतुष्ट होकर वैसे ही कुछ देर पड़ी रही.
और फिर सारी रात हम दोनों एक दूसरे के साथ वैसे ही नंगे चिपककर सो गये और उसके बाद तो उसका जब भी मन होता है वो मेरे पास आकर ब्लाउज को हटाकर मेरे बूब्स के निप्पल को अपने मुहं में भरकर चूसने लगता है, लेकिन हाँ वो कभी भी मुझसे पूछे बिना मेरी चूत को नहीं छूता है.
एक दिन में नहा रही थी तो वो भी उस समय अचानक से बाथरूम में आ गया और वो मुझसे बाथरूम में ही प्यार की भीख माँगने लगा था, वो मुझसे कहने लगा कि उसको आज मेरी पानी में भीगते हुए चुदाई का मज़ा लेना है और में उसकी वो पूरी बात को सुनकर उसको अपनी तरफ से मना नहीं कर सकी.
फिर उसने मेरी तरफ से हाँ सुनकर तुरंत ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और अब हम दोनों साथ में नहाने का मज़ा लगे थे और फिर में वहीं पर कुछ देर बाद पास की दीवार का सहारा लेकर खड़ी हो गई और अब उसने मुझे बहुत टाइट हग किया और वो मेरे होंठो का जूस पीने लगा था.
में भी उसका पूरा पूरा साथ दे रही थी, जिसकी वजह से वो बहुत जोश में आकर अपना सारा काम कर रहा था. फिर कुछ देर बाद उसने मेरी चूत में अपनी एक ऊँगली को अंदर डालकर हिलाना शुरू किया जिसकी वजह से चूत पूरी अंदर तक पानी जाने की वजह से गीली हो चुकी थी.
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अब उसने मुझे अपनी बाहों में भरकर मेरे एक पैर को अपने एक हाथ से पकड़कर थोड़ा सा ऊपर उठाकर अपने लंड को मेरी गीली चूत में डालकर वो मुझे वहीं पर दीवार के सहारे खड़ा करके चोदने लगा था और उसका पूरा का पूरा लंड पानी की वजह से एक हल्के से धक्के में मेरी चूत की गहराइयों में जाकर मुझे बड़े मस्त मज़े दे रहा था और में आज बहुत खुश थी, क्योंकि उसने आज मुझे एक नये तरह के सेक्स का एक अच्छा अनुभव का सुख दिया था और वो मुझे अपनी तरफ से वैसे ही धक्के देता रहा.
और में भी अपनी कमर को उसके हर एक धक्के के साथ नीचे लाकर उसका साथ देती रही, लेकिन कुछ देर बाद वो अब झड़ गया और उसका वीर्य चूत से बाहर निकलकर फर्श पर भी टपकने लगा था. में अब भी उसकी बाहों में ही थी उसने मेरे उस पैर को छोड़कर मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया था इसलिए मेरे बूब्स उसकी छाती से दब रहे थे. दोस्तों सच कहूँ तो में अब प्रणव को बहुत चाहती हूँ और वो भी मुझे बहुत चाहता है और फिर हम दोनों ने कई बार अलग अलग तरह से सेक्स के पूरे पूरे मज़े लिए और वैसे में मेरे पति को भी चाहती हूँ.