Village Incest XXX Kahani
मैं गाँव की चौपाल पे बैठे हुए आसपास कुछ बुजुर्ग ताश खेल रहे थे तो कुछ लोग गप्पे लड़ा रहे थे मैं अपने दोस्त नीरज का इंतजार कर रहा था. देर पे देर हो रही थी और ऊपर से वो अभी तक नहीं आया था दरअसल हमे कुछ काम से शहर जाना था उसने कहा था की दस बजे चलेंगे पर 11 से ऊपर हो गया था उसके दर्शन नहीं हुए थे. Village Incest XXX Kahani
हार कर मैं उसके घर की तरफ चला की देखू तो सही क्या माजरा है उसी गाने को गुनगुनाते हुए मैं उसके घर की तरफ बढ़ने लगा घर का दरवाजा तो खुला था पर कोई दिख नहीं रहा था तो मैं अन्दर गया उसके कमरे में देखा पर नहीं दिखा एक तो वैसे ही देर पर देर हो रही थी और ऊपर से ये नीरज पता नहीं कहा गायब था.
फिर मैंने सोचा की क्या पता मैं इधर आ गया और वो चौपाल की तरफ पहुच गया होगा तो मैं बस उसके कमरे से निकला ही था की मुझे चूडियो की आवाज सुनाई दी तो मैं साइड वाले कमरे की और बढ़ गया दरवाजा खुला ही था मैंने कमरे में झांका और जो देखा तो कसम से होश ही उड़ गए.
नीरज की मम्मी जो रिस्ते में मेरी ताई लगती थी बस कच्छी और ब्रा में ही खड़ी थी उसके कमर तक आते बालो से पानी टपक रहा था शायद अभी अभी नाहा के आई थी एक पल तो मुझे आया की निकल ले यहाँ से पर पता नहीं क्यों मैं हट नहीं सका वहा से.
ताई की पीठ मेरी तरफ थी जिसकी वजह से उसे पता नहीं था की मैं दरवाजे पर हु ताई ने गुलाबी ब्रा और काली कच्छी पहनी हुई थी जिसमे से उसके आधे से ज्यादा चुतड दिख रहे थे उफ्फ्फफ्फ्फ़ मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था तो दिमाग थोडा आउट सा हो गया.
मेरी टांगो के बीच सुरसुराहट सी होने लगी कान गर्म होने लगे और साथ ही धडकनों में कुछ तेजी सी आ गयी ताई तौलिये से अपने चेहरे को पौंछ रही थी उसके हिलने से उसके चूतडो में थिरकन हो रही थी मैंने देखा की उसकी कच्छी चूतडो की दरार में कुछ फंसी सी थी.
कसम से कयामत ही लग रही थी ताई पीछे से मैं तो जैसे सबकुछ भूल गया था मैं किसलिए आया था यहाँ मुझे शहर जाना था सब बस ताई का हुस्न ही था जो अब मेरे सामने था ताई के बालो से टपकता पानी उसकी कच्छी को भिगो रहा था.
मैं ताई की चिकनी टांगो को देख रहा था पल भर में ही मैंने उसकी सुन्दरता का गुण गान कर लिया था मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड पर पहुच गया जिसे मैंने थोडा कस के दबाया तो थोडा मजा सा आया पर मैंने गौर किया की आज से पहले वो इतना टाइट भी नहीं हुआ था.
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मेरे होंठ जैसे सुख से गए थे मैंने सोचा पीछे से ये हाल है तो आगे से क्या नजारा होगा अब मैं कोई नादाँ तो था नहीं की इन सब बातो को समझ नहीं पाता मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहला रहा था की तभी साला गजब सा हो गया ताई मेरी और पलटी और उसने मुझे दरवाजे के बीचो बीच खड़ा देखा.
तो एक पल को तो वो भी हैरान रह गयी उसने तुरंत पास पड़े पेटीकोट को खुद के बदन के आगे किया और चिल्लाई- शर्म ना आई तुझे, पता नहीं कब से मुझे देख रहा था तू रुक दो मिनट अभी बताती हु तुझे, ताई की बाते सुनकर मेरी गांड फट गयी और मैं बाहर की और भागा.
पर मेरे कानो में ताई की आवाज गूंज रही थी “भाग कहा तक भागेगा तेरी मम्मी को बताती हु की पूत क्या गुल खिला रहा है तू रुक तो सही.” मैं नीरज के घर से जो भागा तो सीधा चौपाल पर ही आके रुका और वहा मुझे नीरज दिखा.
नीरज- क्या यार कब से इंतजार कर रहा हु कहा गायब था तू.
मैं- भोसड़ी के, मुझ से पूछ रहा है साले इतनी देर से मैं क्या गांड मरवा रहा था यहाँ पे.
वो- भाई थोड़ी देर हो गयी नाराज मत हो पर तू कहा था.
मैं- यही था बटुआ भूल आया था तो लेने गया था चल वैसे ही देर हो गयी है.
हम अपने गाँव के अड्डे पर आ गए और बस का इंतजार करने लगे पर दिमाग में ताई की बाते चल रही थी गलती मेरी ही तो थी ऐसी किसी भी औरत को क्या देखना और वो भी अपने दोस्त की मम्मी को मैंने एक नजर नीरज पर डाली और सोचा इसको पता चलेगा तो ये क्या सोचेगा.
मुझे खुद पर भी शर्मिंदगी हो रही थी पर मेरे दिल में ये बात भी आ रही थी की ताई है गंडास औरत बस चूत देखने को मिल जाती तो मजा आ जाता ख्यालो ख्यालो में बस आ गयी और हम लद लिए उसमे हमारे गाँव से शहर करीब 30-35 किलोमीटर दूर था तो घंटे भर का सफ़र करना था.
एक तो गर्मी का मोसम ऊपर से बस में इतनी भीड़ जैसे सारी दुनिया को आज ही सफ़र करना था बैठने की तो सोचो ही मत ठीक स खड़े हो जाओ तो भी क्या बात है मैं कोशिश कर रहा था की ठीक से जगह मिल जाये खड़े होने की तो इसी कोशिश में एक औरत के बोबो को हाथ लग गया.
उसने बड़ा घुर के देखा मुझे मैंने नजर निचे कर ली अब जान के हाथ थोड़ी लगाया था मैंने परतभी बस ने झटका खाया और मैं उस औरत के पीछे आ गया कुछ देर मैं खड़ा रहा बस आगे बढ़ रही थी सब ठीक ही था पर जब जब ड्राईवर ब्रेक लगता तो झटके से मैं थोडा सा उस औरत के पीछे हो जाता था
उसने दो तीन पर पीछे मुडके मुझे घुरा भी पर मैं क्या करू यार भीड़ ही इतनी थी की अब एडजस्ट तो करना ही था पर शायद तक़दीर में कुछ और ही लिखा था जैसे जैसे बस सावरिया ले रही थी भीड़ और बढ़ रही थी अब मैं उस औरत से थोडा चिपक कर खड़ा हो गया था.
जैसे ही बस चली वो थोड़ी सी कसमसाई और इसी बीच मेरे लंड वाला हिस्सा उसकी गांड की दरार पर लग गया कसम से मजा ही आ गया और पीछे से जो धक्का आया तो पेल लग गयी उसने मुझे गुस्से से देखा तो मैंने कहा पीछे से धक्का आया है.
पर उसके चूतडो का दवाब मुझ पर पड रहा था तो मेरे लंड में तनाव आने लगा मैं समझ रहा था की ये औरत गुस्से में है उपर से लंड बेकाबू हो रहा है कुछ भी गड़बड़ हुई तो गांड कुटेगी बहुत बस में पर हालत पर किसका जोर चलता है जी तो अपना भी कहा चलता.
एक तो भेन्चो, बस में चिल्लम चिल्ली बहुत थी ऊपर से गर्मी की दोपहर पर कयामत तो साली हमारे लंड में मचाई हुई थी जो उस औरत की गांड में घुसने को मचल रहा था जबकि फ़िक्र हमे अपनी गांड की थी जो कभी भी कूट जाती. उस औरत के गालो पर पसीने की धारा बह चली थी इधर मेरा लंड लगातार उसके चूतडो की दरार पर रगड़ खा रहा था.
मैं मन ही मन डर रहा था पर मजा भी आ रहा था और जैसे जैसे उत्तेजना का स्तरबढ़ने लगा तो दिल से डर कम होने लगा. फिर बस ने एक झटका लिया तो उस औरत के चुतड पीछे को हुए पता नहीं उसने खुद किये थे या बस हो गए थे किस्मत की बात ये थी की वो रास्ता भी साला ख़राब था.
तो बस के साथ साथ हमारी धक्कमपेल भी हो रही थी इसी बीच मेरा बैलेंस थोडा सा बिगड़ा तो मैंने वो डंडा पकड़ लिया वो बस की छत पर लगा होता है. अब मेरी कोहनी मोहतरमा की चूची से छूने लगी तो और मजा आने लगा उसका चेहरा एक दम लाल होने लगा था.
पर हालात ही ऐसे हुए पड़े थे तो मैं क्या करू मैं तो ये सोच रहा था की अभी इतना मजा आ रहा है तो जब सच में चूत में जाता होगा तो कितना मजा आएगा. मेरा लनड इस हद तक गरम हो गया था की वो औरत भी महसूस कर रही होती साथ ही उसकी चूची से भी जो छेड़खानी हो रही थी.
शायद अब उसको भी मजा आने लगा था पर वो शो नहीं कर रही थी जब तक शहर नहीं आ गया ऐसा ही चलता रहा फिर हम उतरे तो मैंने सुना उसने कहा “बदतमीज.” फिर नीरज और मैं कैंटीन गए दरअसल उसका बाप फ़ौज में था तो हम कैंटीन से सामान लेने आये थे करीब दो घंटे लगे हमे वहा पर उसके बाद हमने समोसे और बूंदी खायी.
नीरज- भाई मुझे कुछ किताबे लेनी है.
मैं- ले ले तो.
हम बुक मार्किट में गए तो वहा भी देर लग गयी फिर मैंने अपने लिए कुछ सामान लिया तो शाम ही हो गयी एक तो आये लेट थे ऊपर से दिन ही घुल गया था तो हम फिर आये बस स्टैंड और अपनी बस देखि तो मैंने देखा की वो ही औरत बस में बैठी थी और उसकी पास वाली सीट खाली थी तो मैं उस पर बैठ गया.
वो- आएगी सवारी यहाँ पर.
मैं- आयेगी तो उठ जाऊंगा.
वो- अभी उठ जा.
मैं- क्यों.
वो- कहा न सवारी आएगी.
मैं- अभी तो ना आ रही.
उसने घुर कर देखा मेरी और और फिर खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगी थोड़ी देर बाद बस चली मेरे पैर उस औरत के पैरो से रगड़ खा रहे थे अजीब सा मजा आ रहा था पर अबकी बार कुछ ज्यादा मजे की गुंजाईश नहीं थी तो बस ऐसे ही सफ़र काटा अपना.
और आ गए गाँव और आते ही मेरे दिमाग में अब हलचल हो गयी की ताई ने घर पे उलहना दे दिया होगा तो आज तो गयी भैंस पानी में अब डर भी लगे पर घर भी ना जाऊ तो कहा जाऊ यही सोच विचार करते हुए मैं चल रहा था.
नीरज- भाई मेरे पास सामान ज्यादा है तो मेरे घर रखवा के फिर चले जाना.
मैं- तू ले जा भाई मुझे एक काम याद आ गया.
वो- भाई दो मिनट की ही तो बात है मेरे से न चल रहा.
अब नीरज को कैसे बताता की उसके घर जाने से बच रहा था मैं पर जाना ही पड़ा दो देखा की ताईजी आँगन में ही बैठी थी हमे देख के बोली- बड़ी देर लगा दी आने में.
नीरज-हां, मम्मी देर हो गयी.
ताई- हाथ मुह धो लो मैं चाय नाश्ता लाती हु.
मैं- मैं चलता हु नीरज.
ताई- ऐसे कैसे चलता हु, मैंने कहा न चाय लाती हु.
अब मैं क्या कहता मैं बैठ गया कुर्सी पर.
नीरज- भाई मैं अभी हाथ-मुह धो के आता हु तू बैठ जरा.
ये साली सिचुएशन भी ऐसी हो रही थी मैं चाहता था की नीरज साथ रहे ताकि ताई कुछ कह न सके मुझे तभी ताई ने रसोई में से आवाज दी मुझे तो मेरी गांड फट गयी मैं डरता डरता रसोई में गया और जाते ही ताई के पैर पकड़ लिए.
मैं- गलती हो गयी ताईजी, वो मैं नीरज को ढूंढ रहा था माफ़ कर दो ताईजी आगे से ऐसी गलती ना होगी.
ताई- न नीरज का तो बहाना है तू उसकी माँ को ताड़ रहा था.
मैं- ना ताईजी, वो तो मैं वो तो………
ताई- वो तो के.
मैं- ताईजी थारी कसम झूठ न बोलू, वो तो थारे को देखा तो मैं हट न सका.
ताई- क्यों न हट सका.
मैं- ताईजी आप हो ही इतने सुन्दर की मियन आपकी सुन्दरता में खो सा गया था.
ताई- झूठ ना बोल मैं तो कित सुन्दर हु देख बुद्धी होने लगी हु.
मैं- नाना ताईजी आप तो बहुत सुन्दर हो.
ताई- पर फिर भी अपने दोस्त की मम्मी को छुप के देखना ठीक नहीं होता.
मैं- इस बार माफ़ी दे दो ताईजी मैंने जाना के नहीं किया.
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इस से पहले ताई कुछ कहती तो नीरज आ गया और फिर हमने चाय बिस्कुट लिए और मैं अपने घर आ गया सब ठीक ही था तो मैं समझ गया की ताई ने शिकायत नहीं की है सांस में सांस आई मैं नहाया-धोया और फिर कुछ काम निपटाए.
रात को मैं छत पर सों रहा था पर नींद नहीं आ रही थी तो मैं बस करवटे बदल रहा था बार बार नीरज की मम्मी का वो सेक्सी फिगर मेरी नजरो के सामने आ रहा था तो मैं उत्तेजित होने लगा और फिर उसको सोच सोच कर ही मैंने दो बार अपना लंड हिलाया.
लंड तो शांत हो गया था पर मेरे दिल में ताईजी के लिए गन्दी फीलिंग्स जगा गया था पूरी रात मैं बस सोचते ही रहा की अगर उसकी चूत मिल जाए तो मजा आ जाये उसके वो सेक्सी नजारे रात भर मेरी आँखों के सामने आते रहे,
अगले दिन क्रिकेट मैच खेलने चला गया मैं तो दोपहर ही हुई फिर जब मैं घर आया तो देखा की नीरज की मम्मी हमारे घर ही आई हुई थी मैं सोचा की अब ये बोलेगी मैं दरवाजे से ही वापिस मुड पड़ा तो मम्मी ने मुझे बुलाया और बोली- तेरी ताईजी आई है कबसे और तू पता नहीं कहा गायब है.
मैं- जी क्रिकेट खेलने गया था.
मम्मी- वो नीरज के नानी की थोड़ी तबियत ख़राब है तो ताईजी कोच्ची जाना चाह रही है.
मैं- तो जाये उसमे क्या है.
मम्मी- बात तो सुन , वो क्या है की नीरज मना कर रहा है की वो नहीं जायेगा तो ये चाहती है की तू इनके साथ जाये वैसे भी छुट्टियाँ तो है ही इसी बहाने कोच्ची घूम आना.
मैं- नीरज क्यों नहीं जायेगा मैं बोलता हु उसको.
ताई- तुम तो जानते हो वो पढाई में थोडा कमजोर है ट्यूशन लगी है उसकी छुट्टियो में भी और फिर घर पे भी तो कोई रहना चाहे बस एक हफ्ते की ही तो बात है.
मैं- पर मैं कैसे?
ताई- कैसे क्या, वैसे तो नीरज के दोस्त हो पर लगता है तुम मुझे नहीं मानते हो तभी तो आना कानी कर रहे हो.
मैं- ऐसी बात नहीं है ताई जी ठीक है मैं चलता हु पर कब चलाना है.
ताई- परसों चलेंगे.
उसके बाद मैं अपने कमरे में चला गया वो बाते करने लगी मैं सोचने लगा की ठीक है इसी बहाने से ताई पर लाइन मार लूँगा थोडा टाइम तो बिताऊंगा उसके साथ तो क्या पता कुछ जुगाड़ हो ही जाये मैंने नहाया और कपडे बदले.
मम्मी- जा ताई जी के साथ शहर जा और टिकेट वगैरा बुक करवा के आ.
मैं- अब तो दोपहर हो रही है पहुचते पहुचते दो बज जायेंगे कल नहीं जा सकते क्या.
मम्मी- बेटा , टिकट्स होंगी तभी तो तुम जा पाओगे एक काम करो पापा का स्कूटर लेजा वैसे भी वो तो चलाते नहीं इसी बहाने पता चल जायेगा की ये ठीक है या कबाड़ ही बचा है.
तो मैंने नीरज की मम्मी को बिठाया और चल दिए शहर की और पहुचे रेलवे स्टेशन में तो पता चला की कोच्ची के लिए ट्रेन तो है कई पर दिक्कत ये है की स्लीपर , ए सी 3 ,2 में फूल बुकिंग हो रही है क्योंकि छुट्टिया चल रही थी तो लोग आ रहे थे जा रहे थे.
मैं- अब क्या करे अब तो बस के ही धक्के खाने पड़ेंगे.
ताईजी- ac 1, में तो सीट्स मिल जाएँगी.
क्लर्क- हां, उसमे हो जायेगा पर उसका किराया थोडा महंगा पड़ेगा.
ताईजी- मेरे पास मिलिट्री कोटा है मेरे पति सूबेदार है तो एडजस्ट कीजिये.
क्लर्क- मैडम जी, ac 1 में छूट सेना के अधिकारियो को है उनका कोटा है पर परसों के चार्ट में एक कूपा खाली है आप कहे तो मैं…….
ताई- ठीक है अब बस में धक्के खाने से तो ठीक ही रहेगा थोडा पैसा ज्यादा लग जायेगा तो क्या हुआ सफ़र तो आराम से कटेगा आप 2 सीट्स बनाओ.
तो अगले कुछ मिनट लगे और जल्दी ही हमारे हाथ में टिकट्स थी वो भी कनफर्म्ड.
मैं- ताईजी ज्यादा खर्चा नहीं कर दिया.
ताई- अरे नहीं सफ़र लम्बा है तो आराम से तो चलेंगे अब कहा बस के धक्के खाते.
मैं- पर आपका मायका तो गाँव में है ना फिर कोच्ची क्यों.
ताई- मेरे पिताजी नौकरी करते है वहा तो माँ-पिताजी वही पर है.
फिर ताईजी ने मुझे पपीता शेक पिलाया और थोड़ी सी खरीदारी की फिर हम गाँव के लिए वापिस हुए मैं थक गया था बहुत तो आते ही सो गया वो दिन ऐसे ही निकल गया अगले दिन मैंने अपने जो जो कपडे ले जाने थे वो धोये प्रेस किये और अपना बैग तैयार किया.
बस इंतजार था अब कोच्ची देखने का हमारी ट्रेन शाम 7 बजे की थी पर गाँव से आखिरी बस 5 बजे थी मैं तो टाइम से नीरज के घर पहुच गया था पर ताई ने तैयार होने में बहुत देर कर दी थी मैंने ताई पर गौर किया काली साडी में बहुत गजब लग रही थी ऊपर से जो ब्लाउज उसने पहना था उसकी चुचिया तो समा ही नहीं रही थी जैसे की किसी कम नाप वाली औरत का पहन लिया हो.
ताई पलटी तो मैंने देखा की पीछे से भी ब्लाउज सही नहीं है पूरी पीठ तो दिख रही थी होंठो पर मेहरून रंग की लिपस्टिक बदन से आती पाउडर की खुशबु ताई बहुत जबरदस्त लग रही थी मेरी तो नजर थी ही बेईमान तो मुझे अपने लंड में सुरसुराहट महसूस हुई.
एक तो उसने तैयार होने में देर कर दी और ऊपर से दो बड़े सूटकेस पता नहीं क्या ले जा रही थी तो हमे अड्डे पर आते आते थोड़ी देर हो गयी पता किया बस का तो पता चला की 5 वाली बस गयी थोड़ी देर पहले ही.
मैं- दिक्कत हो गयी फिर तो.
नीरज- मैंने तो बोला था पर मम्मी आप कभी नहीं सुनते अब निकल गयी न बस अब कैसे पहुचेंगे.
मैं- देखते है भाई टेंशन मत ले.
इंतजार करते करते आधे घंटे से ज्यादा हो गया पर कोई दूसरा साधन नहीं आया बैसे तो टाइम था अभी थोडा पर पहुच जाये समय से तो बेहतर हो तो दस- पन्द्रह मिनट और इंतजार किया तब एक पिक अप आई मैंने उसे हाथ दिया और बोला की भाई ये ये बात है बिठा ले यार.
गाड़ी वाला- भाई गाड़ी में सामान है पीछे तो आगे एक आदमी की जगह है और तुम हो तीन.
मैं- भाई एक को आगे बिठा दो पीछे एडजस्ट हो जायेगे सह लेंगे थोड़ी परेशानी.
वो- ठीक है फिर.
नीरज- मम्मी आप आगे बैठ जाओ.
ताई- ना मैं अकेली न बैठू दो अजनबियों के साथ तू बैठ जा मैं पीछे खड़ी हो जाउंगी.
नीरज- ठीक है मम्मी.
मैंने सूटकेस चढ़ाये और फिर ताई को भी चढ़ाया और खुद चढ़ गया तो ड्राईवर ने आवाज लगाई- भाई चढ़ के पर्दा गिरा लेना अच्छे से कीमती सामान है तो धुप धुल नही लगनी चाहिए.
मैं- ठीक है भाई.
मैंने पर्दा गिराया और गाड़ी चल पड़ी पर सामान बहुत ठूस ठूस कर भरा था पता नहीं क्या ले जा रहा था दो लोग ठीक से खड़े नहीं हो पा रहे थे.
ताई- हवा भी ना आ रही बंद गाड़ी में मुझे उलटी आती है.
मैं- इधर आ जाओ मैं साइड में हुआ और ताई को अपने आगे कर लिया इधर परदे की साइड से हवा आ रही थी तो ताई को आराम मिला.
मैं- अब ठीक हो.
वो- हां,
तभी गाड़ी शायद किसी गड्ढे में पड़ गयी हिचकोले से बचने के लिए मैंने ताई की कमर में हाथ डाल दिया तो ताई चिहुंक गयी.
वो- क्या करता है.
मैं- सॉरी.
पर पकड़ने को कुछ नहीं था तो मैंने अपना हाथ ताई की कमर से नहीं हटाया उसके बदन से बहुत खुसबू आ रही थी जो उसके पसीने से और फ़ैल रही थी मैं थोडा सा ताई से चिपक गया और ताई की कमर को सहलाने लगा.
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ताई- उम्म्मम्म , क्या कर रहा है.
मैं- कुछ भी तो नहीं.
वो- गुदगुदी मत कर.
मैं- कहा कर रहा हु.
ताई- उम्म्मम्म.
मैंने अपने लंड का दबाब ताई के पिछवाड़े पर बढाया.
मैं- ताई क्या लगाती हो चारो तरफ खुशबु ही खुसबू है.
ताई- मैंने कुछ नहीं लगाया.
मैं अपने लंड को ताई की गांड पर घिसते हुए- ताईजी, पर खुसबू तो आपमें स ही आ रही है.
पर तभी गाड़ी ने हिचकोला खाया तो ताई डिब्बे से टकरा गयी- “आह, कमीना कैसे चला रहा है.”
मैं- लगी क्या.
वो- हाँ कंधे पर लगी.
मैं- देखू जरा.
मैंने पीछे से ही ताई के कंधे को सहलाया तो सीने की खाल से हाथ टच हो गया तो ताई ने सिसकी ली मेरा जी तो किया की चूची को भीच दू अभी के अभी.
मैं- एक काम करो मेरी तरफ मुह कर लो.
तो ताई घूम गयी अब हमारे चेहरे एक दुसरे के सामने थे पर जगह कम होने की वजह से हम दोनों बस चिपक के ही खड़े थे और मैंने हिचकोले का बहाना लेके अपने शारीर का दवाब ताई पर डाल दिया. और मेरा लंड ताई की चूत वाले हिस्से पर जा टकराया तो ताई थोडा सा पीछे को हुई पर पीछे डिब्बा था तो हो नहीं पाई ताई की चुचिया मेरे सीने से टकरा रही थी ताई की सांसे मेरे गले पर पद रही थी.
ताई- कब आएगा शहर.
मैं- अब टाइम तो लगेगा ही आप परेशां हो रहे हो क्या.
वो- मैं तो परेशां नहीं हो रही पर तेरा ये परेशां कर रहा है.
कहकर ताई ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और उसको कस कर भीच दिया.
“आह ताईजी दर्द हो रहा है” मैं बोला.
ताई- और जो तू कभी मेरे पीछे तो कभी आगे इसे रगड़ रहा है.
मैं- जानके थोड़ी किया.
ताई- तो क्या ये 24 घंटे खड़ा रहता है.
मैं चुप रहा.
ताई मेरे लंड को भीचते हुए- बोल ना.
मैं- आप हो ही इतनी सुंदर की मैं क्या करू ये काबू में ही नहीं रह पाता.
ताई- तो मैं क्या करू दुनिया में पता नहीं कितनी सुन्दर औरते है क्या सबको देख के तेरा खड़ा होगा.
ताई बहुत जोर जोर से मेरे लंड को भीच रही थी पर पेंट के अन्दर होने की वजह से मुझ को तकलीफ हो रही थी. तभी गाड़ी ने शायद मोड़ काटा था तो मेरा बैलेंस पीछे को हुआ तो हडबडाहट में मैं डिब्बे को पकड़ना चाहता था पर ताई भी मेरी तरफ हो गयी जिसकी वजह से मेरा हाथ ताई की गोल मटोल चूची पर आ गया और मैंने उसे जोर से दबा दिया.
ताई- आऐईई.
मैंने तुरंत हाथ हटा लिया.
ताई- कमीने.
मैं- सॉरी.
वो- हर बार गलती करके सॉरी बोलता है चल अब चुप चाप खड़ा रह वर्ना गुस्सा करुँगी.
पर मैं बार ताई की चुचियो की घाटी की तरफ देख रहा था तो ताई ने अपने सीने को थोडा सा झुका लिया और बोली- ले अच्छे से देख ले.
मैं- झेंप गया और दूसरी तरफ देखने लगा.
ताई- क्या हुआ खुद देख सकता है पर कोई दूसरी दिखाए तो फट गयी ताई ने ताना मारा.
मैं- देख नहीं कर भी बहुत कुछ सकता हु पर…………
ताई- रहने दे बेटा जो करने वाले होते है वो कर देते है कहते नहीं.
मैं- देख लो.
वो- अरे दुनिया देखि है तू कल का लौंडा क्या बात करता है.
पता नहीं ताई की वो बात सुन के मुझे क्या हुआ मैंने सीधा ताई के चेहरे को अपनी अपने हाथो में थमा और ताई के लिपस्टिक लगे होंठो को चूमने लगा ताई ऊऊ ऊ ऊऊ करने लगी पर मैंने उसको नहीं छोड़ा और किस करता रहा जब तक मेरी साँस फुल ना गयी मैं ताई को होंठो को चुस्ता रहा.
ताई हांफते हुए- जान ही निकलेगा क्या साँस ही नहीं आया.
मैं- फिर मत कहना.
ताई- देखियो ऐसी मार मारूंगी की जवानी के सारे कीड़े बिलबिला जायेंगे सारा मुह गन्दा कर दिया.
मैं- आय लव यू.
ताई-हैं,, ये क्या कह रहा है.
मैं- ताईजी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती है मुझे आपसे प्यार हो गया है और मैं जानता हु की आपको भी मैं पसंद हु वर्ना आप तभी के तभी मेरी शिकायत कर देती.
ताई चुप रही.
मैं- बताओ ना आप भी मुझे पसंद करती है ना.
पर इस से पहले की वो कुछ कहती गाड़ी रुक गयी मतलब शहर आ गया था ताईजी ने अपने चेहरे को थोडा ठीक किया और तभी नीरज ने आवाज दी तो मैंने पर्दा हटाया और फिर निचे उतरा फिर सामान उतारा नीरज ने ड्राईवर को पैसे दे दिए थे.
तो हमने रिक्शा ली स्टेशन के लिए जब हम वहा पहुचे तो ट्रेन लगी पड़ी थी हमने अपना कुपा देखा और घुस गए अन्दर मैं तो पहली बार ट्रेन में बैठ रहा था ऊपर से डिब्बा ac वाला तो और मजा आया हमारा केबिन लास्ट में था सामान सेट किया और फिर एक सीट पर मैं और नीरज बैठ गयी ताईजी दूसरी पर बैठ गयी.
डब्बा ऑलमोस्ट खाली ही था अब अगले स्टेशन पर ही कोई बैठे तो बैठे थोड़ी देर बाद नीरज हमे बाय बोल कर चला गया ताईजी ने उसे कहा की ठीक से जाना और पीछे से अच्छे से रहना उसके जाने के बाद हम बैठ गए थोड़ी देर कुछ बात चित नहीं हुई. ताईजी ने केबिन का गेट बंद कर दिया और बैठ गयी.
मैं उनको देख रहा था वो मुझे तेजी ने तभी एक अंगड़ाई सी लगी तो ताई की छातिया तन गयी मेरे मुह में पानी आ गया और उसने भी बड़ी अदा के साथ मेरी तरफ देखा पर मैं थोडा सा हिचक रहा था पर दिल में फीलिंग आ रही थी की वो भी चुदना चाहती है. करीब एक घंटे बाद ट्रेन काफी देर रुकी शायद कोई बड़ा स्टेशन था पर हमारी साइड से दिख नहीं रहा था तो केबिन के दरवाजे को खडकाया तो मैंने गेट खोला तो एक अंकल थे.
मैं- जी.
वो- बेटे हमने न चार सीटर केबिन बुक किया था पर हमारी दो टिकटे अलग हो गयी वैसे मैंने टी टी से पता किया है ट्रेन कोच्ची तक ऑलमोस्ट खाली ही है पर मेरी पूरी फॅमिली साथ है तो अगर आप थोडा हेल्प करे तो आप हमारा टू सीटर केबिन में एडजस्ट हो जाइये हमारी फॅमिली इधर आ जाएगी तो हमारा भी सफ़र ठीक से हो जायेगा.
मैं- पर सर, टिकेट्स में सीट नंबर का भी तो है.
वो- आप चाहे तो मैं टी टी से बात करवा दूंगा प्लीज देख लो वैसे भी खाली ही जाएगी.
ताईजी- कोई बात नहीं हम शिफ्ट कर लेते है.
तो हमने अपना सामान उठाया और दुसरे केबिन में आ गए कुछ देर बाद टी टी आया तो उसकी फॉर्मेलिटी भी पूरी की उसने बताया की कोई प्रॉब्लम हो तो वो कहा मिलेगा फिर हमने केबिन बंद किया और थोडा रिलैक्स करने लगी. ताई चुप थी तो मैंने पुछा- क्या हुआ ताईजी.
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वो- कुछ नहीं बस ऐसे ही.
मैं- दिल में बात रखनी नहीं चाहिए कुछ हो तो बता देनी चाहिए.
ताई- कुछ नहीं तू बता.
मैं- मेरा तो आपको सब पता ही है.
ताई मेरे पास आके बैठ गयी फिर बोली- तुझे मैं सच में अच्छी लगती हु.
मैं- आपकी कसम जब से उस दिन आपको देखा तो कसम से उस दिन से कैसे जी रहा हु मैं ही जानता हु मेरा दिल तो करता है की……..
ताई- क्या करता है तेरा दिल.
मैं– जी करता है की आपको अपनी बहो में भर लू और खूब प्यार करू.
ताई- अच्छा, कैसे करेगा मुझे प्यार.
मैंने ताई की आँखों में देखा और ताई को किस करने के लिए अपना मुह आगे किया तो ताई ने मुझे परे किया और खड़ी हो गयी मैंने पीछे से ताई को अपनी बाहों में ले लिया और ताई की कमर पर अपने हाथ लपेट लिए.
ताई- मत कर, छोड़ मुझे.
मैं- ना.
वो- जिद मत कर.
मैं- जिद कहा है प्यार है.
वो- मान जा.
मैं- आप मान जाओ ताईजी आपके बिना मुश्किल है अब जीना.
वो- पर गलत भी तो है.
मैं- आपको प्यार करना गलत कैसे है.
मैंने ताई के कान में धीरे से कहा और अपने हाथ ताई की चुचियो पर रख दिए ताई की आँखे बंद होने लगी और मैंने ताई की चुचियो को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा uffffffffffff इतनी मुलायम चुचिया ताई जी की ताई की आँखे बंद थी बस वो मेरे हाथो को अपनी चुचियो पर फील कर रही थी.
मैं ताई की गर्दन को चुमते हुए बोला- आय लव यू ताईजी.
वो चुप रही मैंने थोडा सा जोर से चुचियो को दबाया ताई ने अपनी गांड को पीछे करके हौले हौले से हिलाना शुरू किया साथ ही मैं अपनी जीभ ताई की गर्दन पर घुमा रहा था ताई भी गर्म होने लगी थी कुछ देर तक हम ऐसे ही करते रहे फिर ताई मेरी पकड़ से निकल गयी.
ताई- मैं कपडे बदलने जा रही हु उसने बेग से सूट निकला और चली गयी मैं रह गया पर जल्दी ही वो आ गयी.
मैं- क्या हुआ.
वो- दोनों टॉयलेट में है कोई.
मैं- तो यहाँ कर लो मैं बाहर खड़ा हो जाता हु.
ताई- बाद में कर लुंगी.
मैं- ताईजी हां कह दो न मेरा भी भला हो जायेगा.
ताई- अगर हाँ ना होती तो तुझे अपने साथ ना लेके आती भोंदू, तेरे ऊपर तो मेरा दिल कब से था कितनी बार छुप कर तुझे और नीरज को लंड हिलाते देखा है मैं तो कब से तुझ पे फ़िदा थी पर तू एक नंबर का भोंदू है तुझसे कुछ नहीं होता.
मैं- आप हमे देखती ती.
वो- हा कई बार तभी से मेरा दील तेरे पे आया हुआ है पर मैं सोच रही थी तू पहल करेगा पर उस दिन जब तू मुझे देख रहा था तो सोचा की अब काम बन जायेगा तेरे ताऊ की उम्र गुजर गयी फ़ौज में पर मैं प्यासी पड़ी रहती.
मैं- सारी प्यास बुझा दूंगा अब.
मैंने ताई को अपने बिस्तर पर खीच लिया और ताई के लाल होंठो को चूमने लगा तो उसने भी अपना मुह खोल दिया और मेरा साथ देने लगी ताई की जीभ मेरी जीभ से लड़ने लगी साथ ही मैं ताई के बोबो को भीचने लगा तो ताई मदहोश होने लगी.
मैं- पूरी रात चोदुंगा तुझे.
ताई- देखती हु.
मैंने ताई का हाथ अपने लंड पर रख दिया ताई- तेरी जगह और कोई होता तो पिक अप में ही चोद देता.
मैं- अभी कौन सा देर हुई है.
मैंने ताई का ब्लाउज खोलना शुरू किया तो ताई ने मेरी पेंट उतार दी और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर बोली- तेरे इस हथियार पर मर ही गयी मैं तो उफ्फ्फ्फ़ कितना गरम है ये, मैंने अपना मुह ताई की चुचियो पर दे दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसको सूंघने लगा ताई के बदन की खुसबू मेरे रोम रोम में समाने लगी.
ताई मेरे लंड पर अपना हाथ आगे पीछे करने लगी थी तो मैंने भी ताई की ब्रा को ऊपर किया और ताई की किलो भर की चूची को अपने मुह में ले लिया. एक नमकीन सा स्वाद मेरे मुह में आने लगा ताई के चुचक में तनाव आने लगा तो ताई बस निपट गयी मुझसे और मेरे सर पर अपना हाथ फेरने लगी.
“उम्म्म्मम्म्म्म” मैं बारी बारी से दोनों चुचियो का मर्दन करने लगा ऐसे लग रहा था की जैसे मैंने अपने मुह में किसी गुब्बारे को डाल दिया हो बहुत देर तक मैंने ताई की चुचियो से मुह लगाये रखा ताई की साड़ी और पेटीकोट ऊपर को सरक आया था.
मैंने ताई के बाकि कपड़ो को भी उतारना चालू किया तो ताई शर्माने लगी पर अब शर्मा के क्या होना था. ताई का बदन आज आगे से भी मेरे सामने था ताई बस एक नीली कच्छी में मेरे सामने थे मैंने ताई को अपनी बाहों में भर लिया मेरा लंड ताई की चूत वाले हिस्से से रगड़ खाने लगा.
“ओह!ताई, आगे से भी बहुत गरम है तुम, मैं ताई के चूतडो को भीचने लगा तो ताई सिसकने लगी और मस्ताने लगी और तभी मैंने ताई की कच्छी में अपनी उंगलिया फंसाई और कच्छी को घुटनों तक सरका दिया हम दोनों नंगे ऐसे ही अपने केबिन में खड़े थे.
मैंने ताई को लिटाया और खुद ताई के ऊपर लेट गया ताई के जिस्म की गर्मी अब मेरी नस नस में दौड़ने लगी थी एक बार फिर से हमारे होंठ आपस में जुड़ गए थे और बस बेताब थे हम एक दुसरे में समा जाने के लिए ताई ने मेरे सुपाडे की खाल को पीछे की तरफ किया और मेर सुपाडे को अपनी गरमा गरम चूत पर रगड़ने लगी.
उस रगड़न से मेरा रोम रोम कांप गया उफ्फ्फ कितना मजा आ रहा था की मैं वर्णन नहीं कर सकता ताई की चूत बड़ी लिसलिसी सी थी उसकी चूत की वो लाल पंखुड़िया जैसे मेरे लंड को आमन्त्रण दे रही थी की आओ और हमे रौंद डालो. मैं तो खुद अब काबू से बाहर हो गया था की अब बस जल्दी से चूत में घुस जाऊ.
पर ताई को कोई जल्दी नहीं थी असल में वो मुझे तडपा रही थी अपनी इन कातिल अदाओ से पर मेरे को बहुत जल्दबाजी हो रही थी तो मैंने ताई का हाथ हटाया और अपनी कमर को उचकाया. तो मेरा लंड ताई की चूत को चीरते हुए आगे को सरकने लगा और ताई के गले से आहे निकल ने लगी “आह धीरे डाल, आई कितना मोटा है रे तेरा सीईईई.”
मैं- आपको दर्द तो नहीं होना चाहिए.
ताई- कितने दिन में लंड ले रही हु दर्द तो होगा ना ऊपर से तू अनाड़ी अईई.
मैं- बस हो गया.
कहकर मैंने और जोर लगाया और पूरा लंड ताई की चूत में घुसा दिया ताई ने अपनी आँखों को बंद कर लिया उनकी शकल ऐसी हो रही थी जैसे की बहुत पीड़ा में हो पर अपने को उस समय जूनून सा चढ़ गया था मैंने अपने लंड को बाहर की तरफ खीचा तो ताई ने मुझे रोका “थोड़ी देर रुक जा.”
मैं वैसे ही ताई के ऊपर लेटा रहा और ताई के गालो को होंठो को चूमने लगा धीरे धीरे ताई फिर से मूड में आने लगी तो मैंने अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू किया ताई की चूत का छल्ला मेरे लंड के इर्द गिर्द कस आया था जैसे की किसी टाले में चाबी फसी हो.
मैंने अब अपने हाथ ताई के कंधे पर रखे और ताई को चोदने लगा ताई भी मेरा साथ देने लगी और जल्दी ही ताई के पैर m शेप में हो गए थे मैं ताई की पिंडिया पकडे हुए ताई को चोद रहा था ताई के हाथ अपनी चुचियो पर थे जिन्हें वो सहला रही थी.
ताई की चूत से बहुत ज्यादा पानी बह रहा था जिस से चूत चिकनी हो गयी थी मेरा लंड बार बार फिसल रहा था करीब दस मिनट तक मैं ऐसे ही धक्के लगाता रहा इस बीच ताई का जिस्म झटके खाने लगा अकड़ने लगा तो ताई ने अब अपने पैर मेरी कमर के पास फसा दिए और निचे से अपने चुतड हिलाने लगी.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था ताई की चूत मारने में ताई की गरम सांसे उनकी आहे डिब्बे के वातावरण को झुलसा रही थी और फिर ताई ने मुझे कस लिया अपनी बहो में वो ऐसे लिपट गयी मुझसे की साँस लें भी मुश्किल कर दिया मेरे होंठ उसके मुह में दबे थे और लंड को कस लिया था उसने अपनी चूत में.
कुछ देर ताई ऐसे ही झटके खाती रही और फिर शांत पड़ गयी और तभी मेरे लंड से पानी निकल कर ताई की चूत में गिरने लगा मेरा पूरा जिस्म अकड़ गया लरजने लगा आँखे कुछ पालो के लिए बंद हो गयी पर एक के बाद एक झटके खाते हुए मेरा लंड चूत में ढीला होने लगा.
ऐसा लग रहा था की बदन से सब कुछ निचुड़ सा गया हो फिर क्या हुआ मुझे याद नहीं रहा जब होश आया तो देखा की मैं और ताई एक दुसरे की बाँहों में नंगे पड़े है ताई का हाथ मेरे सीने पर था तो मैंने उसे हटाया और बोतल से कुछ घूंट पानी पिया गला गीला किया.
मैं ताई के नंगे जिस्म को देख रहा था सोच रहा था की कितनी आसानी से ताई को चोद दिया था मैंने मेरे होंठो पर एक मुस्कान सी आ गयी मैंने देखा की ताई की चूत और जांघ के हिस्से पर कुछ सुखा चिपचिपा सा लगा है ताई की चुचिया उसकी सांसो के साथ ऊपर निचे हो रही थी तो बड़ी प्यारी लग रही थी.
मैंने अपनी घडी में देखा तो बारह से थोडा उपर हो रहा था हमारा दो दिन का सफ़र था और इन दो दिन में ताई को खूब चोदना था मुझे मैं ताई के बदन पर हाथ फेरने लगा तो ताई भी जाग गयी एक बार तो वो ऐसे हालात देख कर चौंक सी गयी पर फिर उसे याद आया तो मुस्कुरा पड़ी.
उसने बेग से दुसरे कपडे निकाले और बोली- मैं आती हु.
ताई शायद पेशाब करने गयी थी मैं नंगा ही बैठा रहा थोड़ी देर बाद वो आई ताई ने अब सूट सलवार पहन लिया था और मेरे पास ही आके बैठ गयी मैंने ताई का हाथ अपने लंड पर रख दिया तो वो उस से खेलने लगी और कुछ ही मिनट में वो फिर से नंगी थी.
ताई ने मेरे पैरो को फैलाया और खुद फर्श पर बैठ कर मेरे लंड को अपने होंठो पर रगड़ने लगी उसे सूंघने लगी फिर ताई ने अपनी जीभ बाहर को निकाली और मेरे लंड पर फेरने लगी. “ओह,,,,,,, ये क्या कर दिया आप्नीईईए.”
ताई ने अपनी कजरारी आँखों से देखा मुझे और फिरसे मेरे लंड पर जीभ फेरने लगी मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी पर धीरे धीरे उसने लंड मुह के अंदर लेना शुरू किया तो मजा आने लगा और जल्दी ही मेरा लंड उसके गले की गहराइयों को नाप रहा था ताई के थूक से सन गया था.
वो साथ ही उसकी उंगलिया मेरी गोटियो पर चल रही थी मुझे तो जैसे पागल ही कर दिया था ताई ने उफ्फ्फ इतना मजा आ रहा था की क्या बताऊ मैं तो इतना गरम हो गया था की ताई के मुह में ही धक्के लगाने लगा जैसे वो ही चूत हो मेरे बदन में आग लग गयी थी काम्ग्नी में जल रहा था.
मैं फिर ताई ने मेरे लंड को अपने मुह से निकाला और बिर्थ पर घोड़ी बन गयी ताई का विशाल पिछवाड़ा मेरी तरफ आ गया हाय कितने मोटे चुतड थे इस गरम औरत के मैंने अपने हाथ उसके चूतडो पर फेरा तो मजा आ गया ताई ने कहा की उसकी चूत को ऐसे ही मुह से चुसू मैं भी.
तो मैंने अपना मुह ताई के चूतडो पर किया ताई की गांड का मस्त छोटा सा छेद उत्तेजना से कांप रहा था मैंने चुतड थोड़े से फैलाये और ताई की चूत पर अपने होंठ लगा दिए एक पल को तो लगा की मेरे होंठो कही जल न जाए ताई ने आह भरी और अपने कुलहो को पीछे करने लगी.
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चूत का नमकीन खट्टा सा रस मेरी जीभ से टकराया तो मैं उसकी चूत कीदरार पर अपनी जीभ को रगड़ने लगा तो ताई पागल होने लगी मेरे दोनों हाथ ताई के चूतडो पर थे मैं मेरी जीभ चूत के अन्दर घुसने की कोशिश कर रही थी ताई तो जैसे सपनो की दुनिया में खो सी गयी थी. सुदुप सुद्प सू करके मेरी जीभ ताई की चूत से टपकते उस चिपचिपे पानी को चाट रही थी जब जब मेरी जीभ चूत के दाने को छू जाती तो ताई को कर्र्न्त सा लगता ताई का पूरा चेहरा लाल सुर्ख हो गया था, “अब कितना तड्पाएगा जालिम, डाल दे अन्दर और ठंडी कर मुझे.”
मैंने अपने लंड पर थोडा सा थूक लगाया और ताई की चूत पर लगाया ताई के गोरे चुतड हिलने लगे मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा और लंड अंदर डालने लगा तो वो हाय हाय करने लगी पर एक बार लंड अन्दर जाते ही वो भी अपनी गांड को पटकने लगी. और चुदने का मजा लेने लगी थप्प्प्प थप्प्प्प की आवाज केबिन में गूंज रही थी पता नहीं कब मेरे हाथ ताई के खर्बुजो पर पहुच गए और मैं उनको दबाते हुए ताई को चोदने लगा और उसने भी मेरा भरपूर साथ दिया उस रात हमने तीन बार चुदाई की.