Sexy Aunty Mote Chuche
इस बार मैं दो सालों के बाद छुटि्टयों में घर आया था। हमारे घर के पीछे वाले घर मे एक औरत रहती थी। उन्हे मैं चाची कहता था। दोनों घरों के बीच में सिर्फ़ एक दीवार थी जिसमें एक दरवाजा था जिससे दोनो घरों में आना जाना था क्योंकि दोनो घरों में घरेलू संबन्ध थे। Sexy Aunty Mote Chuche
चाची के पति अधिकतर दौरे पर बाहर ही रहते थे। अब मेरी उम्र 15 वर्ष हो गयी थी मेरा चेहरा गोल कद छोटा है देखने मे मैं 11 या 12 साल का लगता हूँ। अगर कुछ बडा़ है तो वह है मेरा 7 लम्बा और डेढ इन्च मोटा गधे के जैसा लण्ड। मेरे अन्दर जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी।
मैंने चाची को पूरे दो सालों के बाद देखा था और वो मुझे बला की खूबसूरत लगी थी। उनके भरपूर 31 वर्ष के गदराये गुलाबी जिस्म ने मेरे अन्दर की आग को और भड़का दिया था। उनके उरोज आम औरतों से काफी बड़े थे वो उनके टाईट लोकट ब्लाउज में बिल्कुल गोल बड़े बड़े बेल जैसे दिखते थे जिन्हे देखकर मेरा मन उन्हें हाथों में पकड़ने को और अच्छी तरह दबाने को करता रहता था मैं उनको चोदने की कल्पना भी करने लगा था।
मैं उन्हें चोरी चोरी देखता था क्योंकि मुझे डर लगता था कि पता नहीं वो क्या सोचेंगी। एक दिन अचानक मैंने कमाल का नजारा देखा। उस दिन मैं तकरिबन 11 बजे सुबह अपनी छत के कमरे में धूप में बैठने के लिये गया क्योंकि उन दिनों सर्दियां थी।
मैं अपनी खिड़की के पास जा कर कुरसी पर बैठा था। वहां से सामने चाची के घर के बाथरूम की खिड़की और अन्दर का नजारा बिलकुल साफ दिख रहा था। तभी चाची बाथरूम के अन्दर आयी। मैंने सोचा आज मौका अच्छा है मैं नीचे जाकर दूरबीन उठा लाया।
मैंने दूरबीन से देखा तो नीचे का नजारा और भी साफ व बिलकुल नजदीक दिखने लगा। मैं सोचने लगा कि कमरे में अंधेरा और बाहर तेज धूप होने के बजह से मै चाची को नही दिख सकता और चाची के घर के चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिये उसने सोचा भी नही होगा कि उस को कोई देख रहा है।
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मैं उसे छुप कर देखने लगा चाची ने पेटीकोट ब्लाउज पहन रखा था और ऊपर से टावल डाल रखी थी। वह नहाने आयी थी। मैं अभी सोच ही रहा था कि तभी उसने ब्लाउज उतार दिया और टब पर बैठ गयी। उन्होंने अपनी टांगे सामने पड़े कुरसी पर रख ली और पीछे को हो कर आराम से बैठ गयी जिस की बजह से उस के बड़े बड़े स्तऩ चोली से बाहर को फटे पड रहे थे।
तभी अचानक चाची अपने भारी सीने की तरफ देखने लगी और उसे अपने हाथ से ठीक करने लगी। अचानक उसने चोली का स्ट्रैप खोल दिया और उसे उतार कर रख दिया और उनके बड़े बड़े दूध से सफेद उरोज ऐसे फड़फड़ाये जैसे दो बड़े बड़े सफेद कबूतर फड़फड़ा कर आजाद हो गये हों।
कबूतरों की चोचे यानि निप्पल हलके भूरे रंग के बहुत ही बडे़ थे जो कि उस समय इरैकट थे। मेरा दिल उनको चूसने को कर रहा था। तभी चाची ने पेटीकोट भी खोल दिया और उनकी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों भारी नितंबों से पेटीकोट नीचे सरक गया मैं बड़े गौर से उनके गदराये गोरे गुलाबी जिस्म को देखने लगा।
उनकी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों भारी नितंबों ने मेरे अन्दर आग लगा दी थी। मैं उस को चोदने के लिये और भी बेकरार होने लगा। पहली बार ऐसा नजारा देखने के कारण मुझे अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हो रहा था कि मै यह सब देख रहा हूं।
मैंने अपने आप को थोड़ा संभाला पर मैं अपने लण्ड को खड़ा होने से नही रोक पाया। तभी चाची टब में खड़ी हो गयी अब वो शावर के नीचे नहाने लगी पानी उनके नंगे गदराये गोरे गुलाबी जिस्म से होता हुआ उनक़ी बड़ी बड़ी चूचियों के निप्पलों से टपक रहा था।
मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों के बीच उसकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत से होता हुआ भारी नितंबों सुन्दर टांगों पर छोटी छोटी नदियां बनाता हुआ टब में गिर रहा था। मैंने फिर देखा तो चाची एक हाथ से जिस्म पर साबुन लगा रही थी तभी उस ने चूचियों पर जो कि बिलकुल गोल और बहुत ही गोरे रंग की थी साबुन मलने लगी।
मैं यह सब देख कर बहुत ही उतेजित हो रहा था। फिर उसने अपने दोनो हाथों की उगलियों से निप्पलस को पकड़ कर अच्छी तरह साबुन मलने लगी। काफी देर तक वो चूचियों पर साबुन मलती रही। थोड़ी देर बाद वे टब में लेट गयी।
चाची एक हाथ से अपने चूचियों पर और दूसरे हाथ से अपनी चूत पर साबुन रगड़ रही थी और आंखे बन्द कर के मजे ले रही थी। अच्छी तरह साबुन लगा चुकने के बाद फिर से वो अपनी नंगी सैक्सी देह शावर के नीचे़ धोने लगी पानी उनके नंगे गदराये गोरे गुलाबी जिस्म से साबुन धो रहा था। उसके बाद फिर वो वैसे ही अपने कमरे में चली गयी।
अब मैंने चाची को चोदने के लिये और भी बेकरार हो उठा। पर यह सम्भव नहीं लग रहा था। एक दिन मेरी किस्मत का सितारा चमका। हुआ यों मैं नहा धोकर टावल लपेटे अपने कमरे में गया तो देखा चाची खिड़की के पास रखी कुरसी पर रखी दूरबीन के पास खड़ी मुस्करा रही थी जैसे सब समझ गयी हो। मैं घबड़ा गया। तभी चाची मेरी घबराहट देख मुस्करा के बोली –
“कुछ सामान ऊपर से उतारना है शाम को आ जाना।
मैंने सकपकाते हुए जवाब दिया जी अच्छा।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो भी चुदासी है मेरे फौलादी लण्ड से गोरी पावरोटी सी फूली चूत चुदवाना चाहती है क्योंकि टावल की ओर देख रही थी। वह नाराज न हो कर मुझे बहाने से अपने घर बुला रही थी। मैं तो इंतजार मे ही था किस दिन मौका लगे और मैं उसको चोदूं। सो मैंने पक्का इरादा कर लिया कि यदि चाची चुदवाना चाहेगी तो जरूर चोदूंगा।
शाम को मैं उनके घर पहुंचा। मैंने चौड़े पायेचे का नेकर व शर्ट पहन रखा था डाइनिंग टेबल पर खडे़ हो कर ऊपर की सेल्फ से सामान उतारने लगा। चाची भी उसी टेबल के नीचे से सेल्फ को नीचे से देखने लगी। उनकी साड़ी का दुपट्टा सरक गया वो ब्रा नहीं पहने थी जिससे ब्लाउज़ में उनकी चूचियों का नजारा मेरे सामने आ गया।
हाय क्या कमाल की चूचियां थीं। एक पल को तो लगा कि दो चांद झांक रहे हों। अब काम करना मेरे बस में नहीं था। मैं खड़े खड़े उस खूबसूरत नजारे को देखने लगा। ब्लाउज़ के ऊपर से पूरी की पूरी चूचियां नजर आ रही थीं। यहां तक कि उनके खडे गुलाबी निप्पल भी साफ मालूम दे रहे थे।
शायद उन्हें मालूम था कि मैं ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं। इसीलिए मुझे छेड़ने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी चूचियां नजर आने लगीं। हाय क्या नजारा था। मैं खुशी खुशी चूचियों की घाटी में डूबने को तैयार था। ऐसा लगता था मानो दो बड़े बड़े खरबूजे साथ साथ झूल रहे हों। मुझे भी मालूम था कि वो नीचे से फ्री शो देख रही थी।
मेरे चौड़े पायेचे के नेकर के नीचे से मेरा फौलादी लण्ड उन्हें साफ दिख रहा था। मैं सामान उतारकर उन्हें पकड़ाने लगा। तभी लाइट चली गयी अंधेरे में चाची ने सामान पकड़ने के लिए हाथ ऊपर उठाये तो दाहिना हाथ मेरे चौडे पायेचे के नेकर में चला गया चाची ने जैसे मौका ताड़ा और लपक कर मेरा फौलादी लण्ड थाम लिया। तभी मैं बौखलाकर बोल पड़ा –
“अरे चाची आपने अंधेरे में गलती से सामान के बजाए मेरा वो पकड़ लिया।”
तो चाची हॅसकर बोली – “अच्छा कोई बात नही तुम नीचे आ जाओ जब लाइट आ जायेगी तब सामान उतारेंगे।”
और बाये हाथ से सहारा देकर मुझे नीचे उतारा मैं अंधेरे में लड़खड़ाया तो गिरने से बचने मैंने हाथ आगे किये तो गल्ती से चाची की चूचियां हाथों में आ गयी मैंने भी मौका ताड़ा और लपक कर दोनों चूचियां थाम ली क्योंकि वो अभी भी मेरा फौलादी लण्ड थामे हुए थी तो चाची हॅसकर बोली – “देखो कही गिर न जाना ठीक से पकड़े रहो।”
और दाये हाथ में थमे मेरे लण्ड को बाये हाथ में थामते हुए बोली – “ ये वो वो क्या लगा रखा है इसका नाम नही पता इसे लण्ड कहते हैं। हाय इतनी सी उमर और इतना बड़ा लण्ड। लण्ड है या हथौड़ा।”
फिर अपने दाये हाथ से मेरा बाये हाथ खीचकर पेटीकोट के ऊपर अपनी चूत पर रखकर इठलाकर बोली – “और इसे चूत ले पकड़ और हां जो तुमने दाये हाथ में पकड़ रखा है उन दोनों को चूचियां कहते हैं इन्ही सब चीजो को ही तो तुम दूरबीन से देखा करते थे।”
मैं मारे बौखलाहट और उत्तेजना के बोल पड़ा – “हां अरे नहीं पर चाची ये आप क्या कर रही हैं।”
बाये हाथ में थामे लण्ड को दाहिने हाथ से सहलाते हुए चाची बोली – “तुझे चोदना सिखला रही हूं।”
-“पर मुझे पता नही क्या कुछ हो रहा है मेरा वो यानी लण्ड बेहद कड़ा हो कर बहुत दर्द भी कर रहा है।” मैंने कहा।
चाची हॅसकर बोली – “कोई बात नही मैं सब ठीक कर दूंगी। बस तू जैसे जैसे मैं बताऊ वैसे वैसे करता जा। जैसेकि अपनी पसन्द की चीजे मिल जाने पर उन्हे प्यार करते हैं सहलाते हैं खाली पकड़ कर बैठे नही रहते।”
मैंने मारे जोश उत्तेजना खुशी के दाहिने हाथ से दोनों चूचियां ब्लाउज के ऊपर से सहलाते हुए और बाये हाथ से पेटीकोट के ऊपर से चूत सहलाते हुए कहा – “जैसा आप कहें।”
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सारे कमरे में चाची उत्तेजना भरी आवाजे सिसकारियाँ उठ रही थी। -“इस्स्स्स्स् ऊउह इस्स्स्स्स्स ऊउह इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्” वो दोनों हाथों से मेरा बेहद कड़ा लण्ड सहला व रह रहकर दबा रहीं थी। थोड़ी देर मे चाची सिसकार कर बोली – “इस्स्स्स्स् ऊउह हाय खाली सहलाता ही रहेगा या कुछ मेरी तरह जोर भी लगायेगा।”
फिर मुझसे रहा नही गया और मैनें दाये हाथ से दोनों चूचियों को धीरे धीरे दबाने लगा और बाये हाथ से पावरोटी सी फूली चूत पेटीकोट के ऊपर से पकड़ने व दबाने लगा।चाची उत्तेजना में सिसकारियं भरे जा रही थी।
चाची तिरछी होकर इस तरह से खड़ी थी कि उनका बॅाया कंधा मेरे सीने से लग रहा था मेरा दॉंया हाथ उनकी गरदन के पीछे से उनकी ब्लाउज में कसी बड़ी बड़ी चूचियों जोकि उनके बड़े गले से फटी पड़ रही थी को सहला व दबा रहा था.
यहां तक कि उनके उत्तेजना से खड़े निप्पल भी हाथ में साफ महसूस हो रहे थे। मेरा बॉंया हाथ पेटीकोट के ऊपर से उनकी फूली चूत पर सरकता हुआ उनके गुदगुदे चिकने पेट और नाभी को टटोलने लगा फिर मैंने नाभी मे उंगली डाल दी।
चाची ने चिहुँककर सिसकारी भरी- “ऊउह इस्स्स्स्स्इस्स्स्स्स्.”
और मेरे नेकर के बटन खोलने लगी मेरी भी हिम्मत बढ़ी और मैं ऊपर से उनके ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर बड़ी बड़ी चूचियों और निप्पल टटोलने लगा और मेरे बॉंये हाथ ने पेटीकोट के अंदर सरककर उनकी पावरोटी सी फूली चूत दबोच ली चाची ने उत्तेजना में सिसकारी भरी।
फिर मुझसे रहा नही गया और मैं चाची के ब्लाउज के बटन खोलने लगा तभी मैंने बॉंये हाथ से पेटीकोट का नारा खीच लिया और उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों भारी नितंबों से पेटीकोट नीचे सरक गया मैं पागलों की तरह उनके गदराये जिस्म को टटोलने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों भारी नितंबों को दबोचने टटोलने लगा। मेरा लम्बा तगड़ा फौलादी लण्ड बेहद कड़ा होकर चाची के दोनों गुदाज हाथों में फुफकार रहा था। ब्लाउज के बटन खुलते ही दो बड़े बड़े दूध से सफेद कबूतर फड़फड़ाकर आजाद हो गये।
उनकी बड़ी बड़ी चोचे निप्पल खडे़ थे मैंने उनके निप्पलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाने चूसने लगा। अब चाची से भी बर्दास्त नही किया जा रहा था। चाची मेरा लण्ड पकड़कर खींचते हुए डाइनिंग टेबल के पास ले गयीं और टेबल से टिककर बोली – “अब जल्दी से आजा तुझे असली चुदाई सिखा दूं।”
ऐसा कहकर मेरा लण्ड अपनी दोनों मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच दबाकर मसल़ने लगी अब मेरे होठ और हाथ उनके सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर पहुँच रहे थे और सहला टटोल दबोच रहे थे। मैं उनके गदराये जिस्म पर जॅहा तॅहा मुंह मार रहा था और चाची धीरे धीरे डाइनिंग टेबल पर लेटती जा रही थी धीरे धीरे वे पूरी तरह लेट गयीं केवल दोनों टांगे नीचे लटकी थी.
और मैं उनके बीच मे खड़ा होकर चाची के गदराये जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी चूचियों और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मार रहा था बीच बीच मे उनके निप्पलो को बारी बारी से होठों में ले कर चुभला व चूस रहा था अब चाची से और रहा नही गया और मेरा लण्ड अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली –“इस्स्स्स्स् अब जल्दी लण्ड डाल।”
मैंने कहा – “जैसा आप कहें पर चूत का रास्ता तो दिखायें।”
चाची ने दोनों हाथों से अपनी चूत की फांके फैलायी मैंने अपने फौलादी लण्ड का सुपाड़ा उसपर धरा चाची ने अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़कर निशाना ठीक किया तभी लाइट आ गयी और मैंने रोशनी मे डाइनिंग टेबल पर लेटे उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म बड़ी बड़ी चूचियों को देखा जोकि मेरे दबाने मसल़ने से लाल पड़ गयी थी।
उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों भारी नितंबों के बीच मे उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का मुंह खुला था। चूत के मुंह की दोनों फूली फांको के ऊपर धरा अपना फौलादी लण्ड का सुपाड़ा देख मेरी उत्तेजना आपे से बाहर हो गयी.
मैंने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियों दबोच उनके ऊपर झुककर गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुँह से निकला – “इस्स्स्स्स् ऊउह ओहहहहहहहहहहह शाबाश तेरा सुपाड़ा तो बड़ा तगड़ा है अब धीरे धीरे बाकी लण्ड भ़ी चूत मे डालदे।”
मैं बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से दबाने और गुलाबी होंठों को चूसने लगा। चाची की चूत बेहद टाइट थी पर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लण्ड अन्दर खिचा जा रहा हो या चूत अपने मुंह की दोनों फूली फांको मे लण्ड दबाकर उसे अन्दरचूस रही हो।
पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी चाची के मुँह से निकला – “आहहहहहहहहहहहहहहह आह वाहहहह बेटा शाबाश अब थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्के से अन्दर डाल और लगा धक्के पे धक्का इसे ह़ी चुदाई कहते हैं।”
मैंने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्का मारा दो तीन बाहर ह़ी धीरे धीरे ऐसा किया था कि चाची के मुह से निकला- इस्स्स्स्स् आहहहह बेटा शाबाश अब लगा धक्के पे धक्का धक्के पे धक्का जोर जोर से। चोद पड़ोसन चाची की चूत को अपने लण्ड से। मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस और जोर जोर से चोद।”
मैं मारे उत्तेजना आपे से बाहर हो जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाकर चोदने लगा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारते हुए चोदने लगा हर धक्के पे उनके मुंह से आवाजें आ रही थी। -“आह आहहहह आहहहहहहहहहहहहहहह.”
उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को देख मैं पागल हो रहा था चाची ने अपनी दोनों टांगे हवा मे फैला दी जिससे मेरा लण्ड उनकी चूत की जड़ तक धॅंसकर जा रहा था फिर उन्होंने अपनी दोनों टांगे उठाकर मेरे कंध़ों पर रख दी अब हर धक्के पे उनकी चिकनी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ मेरी जांघों और लण्ड के आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे जिससे फट फट की आवाज आ रही थी।
मैं दोनों हाथों में उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को दबोचकर उनकी गुलाबी मांसल पिण्डलियों पर जॅहा तॅहा कभी मुंह मारते कभी दांतों मे दबा चूसते हुए चोदने लगा। चाची भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर गोरी पावरोटी सी फूली चूत मे जड़तक लण्ड धॅंसवाकर चुदवा रही थी।
करीब आधे घंटे तक मैं पागलों की तरह उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलते कभी निप्पलों को दांतों मे दबाकर चुभलाते तो कभी बारी बारी से होंठों में लेकर चूसते हुए और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर संगमरमरी जांघों और भारी चूतड़ों पर जहॉ तहॉं मुंह मारते हुए चोदता रहा।
चाची भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवाती रही कि अचानक ऐसा लगा हमारे जिस्म ऐठ रहे हों तभी चाची ने नीचे से जोर से अपने चूतड़ों को उछाला और मैंने अगला धक्का मारा कि हमारे जिस्मों से जैसे लावा फूट पडा़। चाची के मुँह से जोर से निकला – “उम्म्म्महहहहहहहहहहह।”
नीचे से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपनी चूत मे जड़ तक मेरा लण्ड धॉंसकर झड़ रही थी और मैं भी उनके गदराये जिस्म को बुरी तरह दबाते पीसते हुए दोनों हाथों मे उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ रहा था।
जब हम दोनों झड़ चुके तब भी बुरी तरह चिपटे हुए थे फिर चाची को कुछ होश आया मुझे हटाते हुए बोली – “अब जल्दी से घर भाग जा जिससे किसी को शक न हो। बाकी सामान फिर कभी उतारेंगे।” फिर आँख मारकर बोली – “अभी तुझे चाची का बहुत सा सामान ठीक करना है मैं तुझे बाद मे फोन करुँगी।”
फिर हमने कपड़ों की सुध ली मेरे हाथ चाची का ब्लाउज लगा और चाची के हाथ मेरी शर्ट।
मैं बोला – “अरे चाची आपका ब्लाउज।”
चाची मेरे हाथ से ब्लाउज लेकर जल्दी जल्दी बाहों मे डालते हुए बोली – “अरे पहले तू अपने कपड़े पहन और भाग।”
फिर बिना अपने ब्लाउज के बटन बन्द किये मुझे शर्ट झाड़कर पहनाने लगी। शर्ट झाड़ने में ब्लाउज आगे से खुला होने के कारण उनके बड़े बड़े पुस्ट गोरे गुलाबी झाँकते स्तऩ बुरी तरह फड़फड़ाये ये देख मेरा लण्ड फिर से सुगबुगाने लगा.
मुझे शर्ट पहनाने मे बड़े बड़े स्तऩ मेरे सीने से टकराये और उनके निपल़ मेरे सीने में गुदगुदाकर फिर से मेरे लण्ड मे उत्तेजना भर रहे थे और वो सॉंप की तरह सर उठाने लगा था तभी चाची की नजर जमीन में पड़े मेरे नेकर व उनके पेटीकोट पर पड़ी.
वो उधर झपटी मैं नेकर की तरफ जाती चाची को देख रहा था उनक़ी बाहों मे पड़े ब्लाउज के अलावा वो पूऱी तरह नंगी थी उनके बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ चलने पर थिरक रहे थे झुककर नेकर उठाते समय बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ों के बीच में से गोरी पावरोटी सी फूली चूत भी दिख गयी जिसे थोड़ी देर पहले मैं चोद चुका था।
मैंने देखा अब वो वापस आ रही थी आगे से खुले ब्लाउज में से झाँकती थिरकती बड़ी बड़ी चूचियां मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों के बीच में से गोरी पावरोटी सी फूली चूत देख मेरा लण्ड पूऱी तरह खड़ा हो गया वापस आकर वो मुझे नेकर झाड़कर पहनाने लगी।
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चाची नेकर पहनाने आगे को झुक़ी तो उनकी बड़ी बड़ी चूचियां फड़ककर और बड़ी व तनाव से भरी लगने लगी। मैंने लपक कर उनको दोनों हाथों मे दबोच लिया चाची की नजर मेरे खड़े हो रहे लण्ड पर पड़ी तो मुस्करा के बोली– “अरे इतनी जल्दी फिर खड़ा हो गया बड़ा बदमाश है।”
और फिर मेरे खड़े हो रहे लण्ड को हाथ से पकड़कर नेकर के अन्दर करके जिप बन्दकर ऊपर का बटन बन्द कर दिया फिर चूचियां छुड़ाते हुए बोली – “चल छोड़ मुझे और भाग। दरवाजा खीच देना लैच लाक है अपने आप बन्द हो जायेगा।”
मैं दरवाजा बन्द कर खुशी खुशी अपने घर भागा। मैं खुशी खुशी अपने घर पहुँचा। गेट बन्द करके अन्दर गया और माँ से बताया कि अभी चाची का बहुत सा सामान ऊपर से उतारना ठीक करना है लाइट चली जाने की वजह से बहुत कम काम हो सका था।
अगले दो दिन मैं और चाची (उनके कहे अनुसार) बिना मिले बहुत व्यस्त रहे या यूं कहें कि व्यस्त रहने का बहाना किया ताकि किसी को शक न हो। तीसरे दिन मम्मी पापा अचानक किसी बीमार रिश्तेदार से मिलने दूसरे शहर चले गए।
दोपहर मे चाची का फोन आया कि मम्मी उनसे मेरे खाने के लिए बोल गयी थी सो वे मेरा भी खाना बनायेंगी और मैं खाना उनके साथ ही खाऊं। उन्होंने साथ ही कहा कि यदि मैं थोड़ा जल्दी आ जाऊं तो हम थोड़ा बहुत सामान भी ऊपर नीचे करके ठीक कर सकते हैं.
और उन्होंने दोनो घरों के बीच की दीवार का दरवाजा खोल दिया है सो बजाय सामने का दरवाजा बार बार खुलवाने के उधर से आसानी से आ जा सकता हूँ। मैंने खुशी खुशी हामी भर दी और शाम होते ही बीच का दरवाजा खोल उनके यहाँ जा पहुंचा। चाची सामने ही सोफ़े पर बैठी थीं। मुझे देख चाची मुस्कुरा के बोली – “अरे वाह तू तो बड़ी जल्दी आ गया लगता है चाची का काम और सामान तुझे बहुत पसन्द आ गया है।”
मुझे ऐसा लगा जैसे कह रही हो कि लगता है चाची की चूत तुझे बहुत पसन्द आ गयी है। मैंने लपक कर उनकी चूचियों को दोनों हाथों मे दबोच लिया और बोला- हाँ चाची।
फिर चाची हॅसकर अपने आपको छुड़ाते हुए बोली- चल पहले सामान ठीक कर लें फिर इस सबके लिये समय ही समय है। यह कहते समय उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर धीरे से दबा दिया फिर मैंने डाइनिंग टेबल पर खड़े हो कर ऊपर की सेल्फ से बचा सामान उतार कर चाची को पकड़ाया। सेल्फ की धूल साफ की और फिर सामान फिर से ठीक से लगाया। इस साफ सफाई में हम दोनों धूल से भर गए।
तब चाची बोली – “अरे हम दोनों तो बुरी तरह धूल से भर गए हैं और खाने में अभी समय है। चलो पहले नहा लें तबतक खाने का भी समय हो जायेगा।”
मैंने कहा –“ ठीक है मैं नहा कर आता हूँ।
चाची बोली – “अरे कहाँ इन धूल भरे कपड़ो मे जायेगा इन्हें यही मेरे बेडरूम से लगे बाथरूम में उतार कर नहा ले मेरे पास एक गाउन है फिलहाल उसे पहन लेना।”
मैं उनके बाथरूम मे जाकर कपड़े उतारने लगा। तबतक चाची आ गयी उन्होंने साड़ी उतार दी थी पेटीकोट ब्लाउज पहन रखा था और ऊपर से टावल डाल रखी थी लगा कि है वह भी नहायेगी। मैं अभी सोच ही रहा था कि चाची बोली – “अरे तू अभी कपड़े ही उतार रहा है अच्छा चल मैं तेरे उतारती हूँ तू मेरे उतार थोड़ा जल्दी हो जायेगा।”
मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले और उसे उतार कर रख दिया। उनके बड़े बड़े स्तऩ चोली से बाहर को फटे पड़ रहे थे। मैं उनके भारी सीने की तरफ देखने लगा और उसे अपने हाथों से सहलाने लगा। उन्होंने फटाफट मेरी शर्ट व नेकर उतारकर फेक दिये। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने भी चोली का स्ट्रैप खोल दिया और उसे उतार कर रख दिया। एक बार फिर दोनों बड़े बड़े सफेद कबूतर फड़फड़ा कर आजाद हो गये। वे मेरे सहलाने से खड़ी हो गयी अपनी बड़ी बड़ी हलके भूरे रंग की चोचे मेरी तरफ उठाये थे। मेरा दिल उनको होंठों में दबा कर चूसने को कर रहा था।
फिर मैंने चाची के पेटीकोट का नारा भी खीच दिया और पेटीकोट उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी गुलाबी जांघों भारी नितंबों से नीचे सरक गया मैं अब गौर से उनके गदराये गोरे गुलाबी जिस्म को देखने लगा। उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी गुलाबी जांघों भारी नितंबों ने मेरे अन्दर आग लगा दी। मेरा लण्ड सुगबुगाने लगा था।
तभी चाची ने शावर चला दिया और अब हम शावर के नीचे़ नहाने लगे मैने देखा पानी उनके नंगे गदराये गोरे गुलाबी जिस्म से धूल धोता हुआ उनक़ी बड़ी बड़ी चूचियों के निप्पलो से टपक रहा था। मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों के बीच उसकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत को धोता हुआ भारी नितंबों सुन्दर टांगों पर छोटी छोटी नदियां बनाता हुआ टब में गिर रहा था।
तभी चाची मेरे जिस्म पर साबुन लगाने लगी। तब मैने भी उनके जिस्म पर साबुन लगाने लगा। उनके कंधों व सीने पर उनकी चूचियों पर जो कि बिलकुल गोल और बहुत ही गोरे रंग की थी साबुन लगाने मलने लगा। मैं यह सब देख कर बहुत ही उत्तेजित हो रहा था।
फिर अपने दोनो हाथों की उँगलियों से हलके भूरे रंग के बड़े बड़े निप्पल को पकड़ कर अच्छी तरह साबुन मलने लगा। तभी चाची के हाथ मेरे सीने पर साबुन लगाने के बाद मेरे लण्ड को पकड़कर साबुन लगाने लगे। मैं थोड़ी देर तक चूचियों पर साबुन मलता सहलाता व रह रहकर दबाता रहा फिर एक हाथ से उनकी चूचियों पर और दूसरे हाथ से उनकी चूत पर साबुन लगाने लगा।
चाची मेरे हाथ पर अपनी चूत रगड़ रही थी और आंखे बन्द कर के मजे ले रही थी। वो उत्तेजना से भर कर सिसकारियों लेने लगी। थोड़ी देर मे वो दोनों हाथों से मेरे बेहद कड़े हो रहे लण्ड पर साबुन लगा हुए सिसकार कर बोली – “अरे चूत के अन्दर भी तो साबुन लगा दे।”
मैं साबुन लगी अपनी एक उंगली चूत के अन्दर डाल कर बोला चाची मेरी उंगली बहुत छोटी है अन्दर तक नही पहुँचती।
चाची सिसकार कर बोली – “इस्स्स्सअहअरे तो लण्ड का इस्तेमाल कर वो तो बड़ा है।”
मेरा लण्ड भी उनकी चूत मे जाने के लिये बेकरार था ही सो मैंने अपना एक पैर टब की दीवार पर जमाया और उसपर चाची ने अपनी संगमरमरी जांघ चढ़ायी अब मेरे लण्ड का सुपाड़ा ठीक चूत के मुंह पर था मैंने अपना साबुन लगा लण्ड उनकी चूत पर लगा कर दोनो हाथों की उंगलियां उनके भारी चूतड़ों पर जमा लण्ड उचकाया तो सट से पूरा लण्ड अन्दर चला गया।
पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी चाची ने सिसकारी भरी। मैंने फटाफट तीन चार धक्के मार कर अच्छी तरह उनकी चूत मे साबुन लगा दिया। साबुन लगा चुकने के बाद हम खड़े हो गये और फिर से अपनी देह शावर के नीचे़ धोने लगे पानी उनके नंगे गदराये गोरे गुलाबी जिस्म से साबुन धो रहा था।
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जब साबुन धुल गया तो मैंने देखा पानी की बूंदे उनके नंगे गदराये गोरे गुलाबी जिस्म संगमरमरी बाहों बड़े बड़े उरोजों पर मोती के समान चमक रहा था। ये मोती उनक़ी बड़ी बड़ी चूचियों के निप्पलो से भी टपक रहे थे। हम दोनों टब मे बैठ गए।
जिन्हें मैं होंठों से पकड़कर चूसने लगा निप्पलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाने चूसने लगा मेरे दोनो हाथ उनकी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों उनके बीच में उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत से होते हुए भारी नितंबों सुन्दर टांगों पर फिसल रहे थे।
थोड़ी देर बाद वह उठी और टब में लेट गयी।उन्होंने अपनी टांगे फैला ली दोनों टांगे उठाकर मेरे कंध़ों पर रख दी। मैंने दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियांं दबोच उनके ऊपर झुककर गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला। सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुंह से निकला – “ओहहहहहहहहहहह।”
चाची पीछे को हो कर आराम से लेट गयी। मैंने बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से दबाते हुए निपलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाकर चूसते हुए धक्का मारा। पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी चाची के मुँह से निकला– “उफ़ आहहहहहहहहहहहहहहह।”
मैं मारे उत्तेजना के उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारते हुए जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाने लगा।
इस चुदाई में मजा तो बहुत आ रहा था पर टब के सॅकरेपन में दिक्कत भी हो रही थी सो हम बाथरूम से लगे बेडरूम के बेड की ओर भागे। पहले चाची बेड पर कूदी और टब की तरह टांगे उठाकर लेट गयी। इस उछल कूद में उनका गदराया गोरा गुलाबी नंगा जिस्म डनलप के गुदगुदे गददे पर थिरक रहा था.
मैंने झपट़कर दोनों हाथों मे उनके थिरकते बड़े बड़े स्तन पकड़कर लण्ड का सुपाड़ा चूत पर धरा और एक ही झटके में पूरा लण्ड चूत में धांस दिया चाची के मुँह से निकला – “उम्फ़ ओह आहहहहहहहहहहहहहहह।”
और पहले की तरह जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाने लगा कि अचानक चाची ने मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा चूत पर धरा और धीरे धीरे पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया फिर बरदास्त करने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी पहले धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये.
जैसे जैसे मजा बढ़ा वो सिसकारियॉं भरने लगी और उछल उछलकर धक्के पे धक्का लगाने लगी उनके बड़े बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ मेरे लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे उनकी गोरी गुलाबी बड़ी बड़ी उभरी चूचियां भी उछल रही थी.
जिन्हें मैं कभी मुंह से तो कभी दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश करता कभी पकड़ में आ जाते तो कभी उछल कूद में फिर से छूट जाते करीब आधे घंटे तक की उठापटक में मैं उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलने जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचने.
बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर झपटने सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारने के बाद मैंने दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी उभरी चूचियां पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली और उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉसकर झड़ने लगा तभी चाची के मुँह से जोर से निकला – “उम्म्म्महहहहहउम्म्म्महहहहहह उम्म्म्मह.”
वो जोर जोर से उछलते हुए अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक मेरा लण्ड धॉंसकर और उसे मेरे लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए वो भी झड़ने लगी थी। झड़ चुकने के बाद जब हमें कुछ होश आया तो जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने। फिर हमने खाना खाया और वापस बेडरूम में आ गये। फिर हम बिस्तर पर लेट कर बाते करने लगे।
मैंने चाची से पूछा – “जब आप के बेडरूम में बाथरूम है तो आप आंगन के बाथरूम में क्यों नहाती हैं।”
चाची मुस्कराई और अपना हाथ मेरे गाउन में डालकर मेरे हथियार को गाउन से बाहर निकालकर सहलाते हुए बोली –“क्योंकि एक दिन जब तू नहाने के बाद कपड़े पहन रहा था तो अचानक मैं आ गयी और मैंने तेरा ये 7 इंची फौलादी हथियार देख लिया था तो मुझे लगा कि मेरी चूत में तेरा ये फौलादी हथियार बिलकुल फिट आयेगा। तभी मैंने सोचा कि यदि मैं तुझे अपनी चीज दिखा दूँ तो बात बन सकती है।”
मैं भी ऊपर से उनके ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर बड़ी बड़ी चूचियों और निप्पल टटोलते हुए बोला – “अच्छा तो ये बात थी।”
इसी तरह बातें करते करते कब नींद आ गयी पता ही न चला। दूसरे दिन जब मैं उठा तो चाची ने पराठे और अण्डों का नाश्ता कराया फिर मैं उसी बीच के दरवाजे से वापस अपने घर आ गया तभी मम्मी पापा का फोन आया कि हमारे वो रिश्तेदार कुछ ज्यादा ही बीमार हैं सो उन्हें आने में कुछ दिन और लग जायेंगें.
उन्होंने चाची को भी फोन कर दिया है उन्होंने कहा है कि चिन्ता की कोई बात नहीं है वो मेरे खाने इत्यादि का ख्याल रखेंगी। मैंने सोचा चिन्ता किस बात की। पड़ोसन चाची के घर में खिलाई व चुदाई दोनो की भरपूर व्यवस्था है। फिर मैं अपने एक दोस्त से मिलने चला गया।
वहां मुझे थोड़ी देर हो गयी। जब मैं रात में घर आया तो देखा चाची खाने के साथ एक चिट रख गयी है कि वो किसी पड़ोसी के यहां शादी में गयी हैं रात में देर हो जायेगी। मैं खाना खाकर दिन भर की थकान से सो गया। दूसरे दिन भी मुझे देर हो गयी और जब मैं रात में घर आया तो फिर खाने के साथ एक चिट मिली कि उसी पड़ोसी के यहां काम अधिक होने के कारण गयी हैं और उन्हें रात में आने में देर हो जायेगी।
मैं बहुत झल्लाया क्योंकि घर खाली होने के मौके के दो दिन बेकार चले गए थे और दो दिनो से मुझे चूत के दर्शन भी नही हुए थे मुझे बहुत चुदास लगी थी। मैं सोचने लगा यदि मैं थोड़ा पहले आ जाता तो जब चाची खाना रखने आती तो शायद बात बन जाती या कम से कम गदराये जिस्म सहलाने टटोलने का मौका मिलता सोचते लण्ड सहलाते कब नींद आ गयी पता ही चला।
करीब 11 बजे मेरी नींद खुली तो लगा चाची के यहां खटरपटर हो रही थी। मेरा लण्ड तो पहले ही लोहे का डण्डा हो रहा था। मैंने सोचा खाली बरतन रखने के बहाने जाता हूँ शायद बात बन जाय। मैंने दरवाजे पर हाथ रखा तो उसे खुला पाया इसका मतलब चाची को मेरे आने की उम्मीद थी।
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बस मैं धड़धड़ाते हुए अन्दर चला गया। मैंने देखा कि चाची के साथ पड़ोस की मिश्रा आन्टी बैठी हैं। मिश्रा आन्टी बहुत मोटी पर बेहद गोरी चिटटी व सुन्दर महिला थी मुझे देखते ही बोल पड़ी– “अरे आओ आओ बेटा अभी तुम्हारी ही बात हो रही थी तुम्हारी ये चाची तुम्हारी बहुत तारीफ कर रही थी।”
उन्हें देख मै सकपका गया क्योंकि मिश्रा आन्टी की बला की खूबसूरत लड़की पर मैं आशिक था और अपने बारे में मैं उनके विचार खराब नहीं करना चाहता था। मेरा माथा भी ठनका मैं सोचने लगा पर इतनी रात में यहां क्यों और क्या कर रही हैं और चाची ने मेरी क्या बहुत तारीफ की है कहीं चाची ने सब कुछ बता तो नहीं दिया।
मैं हड़बड़ा के बोला- “जी मैं खाली बरतन देने आया था।”
तभी शोभा चाची ने आगे बढ़कर मेरे हाथ से खाली बरतन ले लिए और शरारत से मुस्कुरा के मेरी तरफ़ आँख मार के कहा –“तू तो खूब सोया मैं दरअसल तेरे कमरे तक गई थी पर तुझे सोता देख लौट आयी। यहाँ किचन मे बहुत सर्दी है बेडरूम में एयर कन्डीशनर चला के सुनीता आन्टी(मिश्रा आन्टी) को बैठा तबतक मैं किचेन निबटा के आती हूँ।
मैंने घबरा के मिश्रा आण्टी की तरफ़ देखा कि कहीं उन्होने शोभा चाची को मेरी तरफ़ आँख मारते तो नहीं देख लिया पर मेरी कुछ समझ में नहीं आया क्यों कि उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। मैं मिश्रा आण्टी के साथ बेडरूम की तरफ़ जाने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मिश्रा आन्टी मुझे अपनी तरफ़ देखते देख बताने लगीं कि उसी शादी वाले पड़ोसी के यहां आँचल और दूसरी मोहल्ले की लड़कियाँ अगले दिन के दूल्हे परेशान करने (जूते चुराने आदि के प्लान बनाने) के ख्याल से रुक गई हैं सो वापस आते समय शोभा चाची उन्हें अपने साथ लिए आयीं कि घर जा के क्या करोगी क्योंकि मिश्रा साहब बाहर गये हैं तो क्यों न मेरे ही यहाँ ही रुक जाओ।
उनकी बात खतम होने तक हम बेडरूम में पहुँचे चुके थे तभी पीछे से आते हुए शोभा चाची बोलीं -“तू अभी तो एक नींद ले के उठा ही है अभी तुरन्त तो नींद आने से रही थोड़ी देर हमारे पास बैठ गप्पें मार।” मैं अन्दर ही अन्दर जलाभुना जा रहा था कि गया मन ही मन बोला कि अगर आप ये मिश्रा आन्टी को खामखाँ अपने साथ न लाईं होतीं तो मैं आपकी ऐसी चुदाई करता कि मेरे साथ आप भी घोड़े बेंच के सोतीं।
पर ऊपर से– “जी बहुत अच्छा” बोल के पास में पास में पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। शोभा चाची मिश्रा आन्टी के बगल में बेड पर उन्ही की तरह दोनों पैर नीचे लटका के बैठ गई। दोनों और्तों ने पेटीकोट ब्लाउज के ऊपर नाईटी पहन रखी थी शोभा चाची बताने लगीं कि कैसे मैंने उनका किचेन व्यवस्थित करने में उनकी मदद की और अक्सर उनकी मदद करता रहता हूँ और मेरी वजह से उन्हे कितना सहारा है, वगैरह वगैरह।
मिश्रा आन्टी – “बेटा किचेन तो मेरा भी ठीक करना था मुझे कोई बेटा तो है नही ले दे के एक बेटी है उसके बस का तो ये काम है नहीं।”
आँचल से मिलने का मौका और मिश्रा आन्टी पे अच्छा असर डालने के ख्याल से मैने तुरन्त हामी भर दी।
मिश्रा आन्टी –“पर शोभा तू कुछ और भी बताने जा रही थी जब ये आया था।”
शोभा चाची –“अरे हाँ! वो! बताती हूँ जरा सबर तो करो।”
मिश्रा आन्टी –“मुझे जिज्ञासा हो रही है कब तक सबर करूं पहले कह रही थी कि रसोई का काम खतम कर के बताऊँगी।”
शोभा चाची –“अरे ये अभी अभी सोते से उठ के आया एक मिनट चैन से लड़के को बैठने तो दे।”
उनकी बातचीत से मुझे भी जिज्ञासा हुई कि ऐसी क्या बात है सो मेरे मुँह से निकला मैं ठीक हूँ आप हुकुम करें।
मिश्रा आन्टी –“देख अबतो ये भी कह रहा है शाबाश बेटा!”
शोभा चाची –“ओफ़्फ़ोह नहीं मानती तो लो, जरा यहां तो आना बेटा!”
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं बिना सोचे समझे उठ के बिस्तर पर बैठी दोनों औरतों के पास गया।”
अचानक शोभा चाची ने मेरे हाफ़ पैन्ट का जिप खोल के उसमें हाथ डाल मेरा लण्ड पकड़ के बाहर निकाल लिया और और उसे(लण्ड को) खीच के मिश्रा आण्टी के नजदीक करते हुए बोली-“ ले देख ले मैं जैसा कह्ती थी वैसा है या नहीं।“
इस अचानक हमले से मैं हक्काबक्का होने के साथ साथ लड़खड़ा भी गया और गिरने से बचने के लिए मेरे दोनों हाथ स्वाभाविक ढंग़ से अपने आगे हो उनके (मिश्रा आण्टी और शोभा चाची के) कन्धों पर टिक गये।
मिश्रा आन्टी – “देखो गिरना नहीं बेटा। शोभा इतनी जोर से न खींच कि लड़का गिर ही जाये।”
शोभा चाची –“तुझे ही सबर न था अब पड़ गई कलेजे पे ठण्ड।”
मिश्रा आन्टी (हाथ बढ़ा के लण्ड थामते हुए) –“बात तो तेरी सही है सचमुच बहुत बड़ा है खड़ा होने पे तो और भी शानदार होता होगा जरा नजदीक तो आना बेटा।”
मैं उनके और करीब हो गया इतना कि उनके लो कट ब्लाउज में से उनकी तरबूज के साइज की गुलाबी छातियाँ झाँकने लगा। मैंने सोचा चोदने में तो ये भी बहुत मजेदार होगी। तभी मिश्रा आन्टी की बात के जवाब में शोभा चाची बोली –“तो खड़ा कर के देख ले न।”
मिश्रा आन्टी की गुदाज हथेली में मेरा लण्ड अपना सर उठाने लगा था।
मिश्रा आन्टी –“देख ये तो खड़ा होने भी लगा।”
शोभा चाची –“अभी भी तुम्हारे मिश्रा साहब (मिश्रा आण्टी के पति) से बड़ा है।”
मिश्रा आन्टी –“और तुम्हारे दीवान जी (शोभा चाची के पति)से भी।”
शोभा चाची –“तुझे कैसे पता।”
मिश्रा आन्टी –“यही मैं तुझसे पूछूँ तो?”
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मैं समझ गया कि दोनों एक दूसरे के पति से चुदवा चुकी हैं अब मैने भी खुल के खेलने का फ़ैसला कर लिया और अन्जाने ही मेरा दायाँ हाथ शोभा चाची के कन्धे से फ़िसल कर उनके लोकट ब्लाउज में चला गया और उनका बायाँ खरबूजा थाम कर सहलाने लगा.
इसी तरह बायाँ हाथ मिश्रा आण्टी के कन्धे से फ़िसल कर उनके लोकट ब्लाउज में जा पहुँचा था और उनका दायाँ तरबूज दबोचकर सहला रहा था। मेरे मुँह से निकला – बहस से क्या फ़ायदा चुदने के बाद अपने आप पता चल जायेगा कि मेरा मिश्रा अंकल और दीवान चाचा से बड़ा है या नहीं।
अब तक मेरा दो दिन का भूखा लण्ड बुरी तरह टन्ना गया था ये देख मिश्रा आन्टी बोली –“ ये शेर तो तैयार भी हो गया लगता है काफ़ी भूखा है.”
शोभा चाची –“होगा नहीं दो दिन से बिचारे को खुराक नहीं मिली।”
जवाब में मैने दोनों औरतों को बिस्तर पर धक्का दे कर लिटा दिया और उनकी पेटीकोट नाइटी उलटते हुए बोला –“करता भी क्या दो दिन से शोभा चाची आप से मुलाकात ही नहीं हुई ऊपर से मिश्रा आण्टी ने हाथ से सहला के और भूख बढ़ा दी अब भुगतो आप दोनों इससे।”
मेरी बात के जवाब में शोभा चाची ने अपनी मोटी मोटी जाँघे फ़ैला दीं, पर चालाक मिश्रा आण्टी ने स्वाभाविक ढंग से पहली मुलाकात वाली झिझक का नाटक कर ये दिखाया कि उन्हें पता नहीं मैं पहले किसे और किस तरह से चोदना पसन्द करूँगा।
हाँलाकि मैंने देखा कि दोनों औरतों ने कच्छी नहीं पहनी हुई है और चूतें बुरी तरह पनिया रही हैं। इस बीच ऊपर को खिसकते हुए दोनों औरतें बिस्तर के बीच मे और मैं भी पूरी तरह बिस्तर पर आ गया था। मिश्रा आन्टी की झिझक मिटाने के ख्याल से मैंने जैसे ही अपनी जानी पहचानी शोभा चाची की पावरोटी सी चूत के मुहाने पर लण्ड रखा ही था कि उन्होंने मेरे हाथ से लण्ड अपने हाथ में छीन अपनी चूत पर रगड़्ना शुरू किया।
मैंने मिश्रा आन्टी की नाइटी और ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोला –“ देखा मिश्रा आन्टी शोभा चाची कितनी उतावली हो रही हैं?”
मिश्रा आन्टी ने ब्लाउज खुलते ही पीछे हाथ ले जा कर ब्रा का हुक भी खोल दिया और दोनों चीजें एक साथ एक ही झटके में उतार के फ़ेक दीं। जिससे उनकी दोनो गुलाबी रंग की बड़े बड़े तरबूज के मानिन्द छातियाँ थिरक उठीं मैंने झपट कर उन्हें अपने हाथों मे दबोच लिया और हपक हपक के उनपे मुँह मारने लगा और फ़िर झुक के गुलाबी तरबूज पर लगा कत्थई अंगूर सा निपल होठों मे दबा कर चूसने लगा।
मेरे मुँह से आवाजें आ रही थीं “यम्म उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह यम्म उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह.” मिश्रा आन्टी के मुँह से सिस्कारियाँ फ़ूट रही थीं। इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आह्ह इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आह्ह तभी अचानक शोभा चाची उठ गईं उधर मैं मिश्रा आन्टी के तरबूजों मे मस्त था तभी शोभा चाची ने मिश्रा आन्टी की गोद में ढकेल दिया।
मेरे हाथों से मिश्रा आण्टी की तरबूज छूट गये पर शायद उन्हें इतना मजा आ रहा था कि वो उठ के बैठ गईं और मुझे अपनी जाँघों पर ठीक से लिटा के फ़िर से अपनी छतियाँ मेरे हाथों और मुँह के हवाले कर दीं इसी दौरान शोभा चाची ने मेरा लण्ड अपने हाथ से थाम अपनी चूत पर एक बार घिस ठिकाने से लगाया और सिसकारी भर धक्का मारा.
शोभा चाची की गीली चूत मे लण्ड का सुपाड़ा पक से घुस गया पर शोभा चाची के मुँह से कराह निकल गई “आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.” उधर मिश्रा आन्टी ने झुक के अपने गुलाबी तरबूज पर लगा कत्थई अंगूर सा निपल मेरे होठों मे दे दिया और मैं छोटे बच्चे की तरह दोनों हाथों से उसे दबा दबा के चूसने लगा।
उधर शोभा चाची ने चार ही धक्कों मे पूरा लण्ड अपनी चूत में ठाँस लिया। बस फ़िर क्या था किला फ़तह होते ही शोभा चाची अपनी पाव रोटी सी चूत से मेरा लण्ड ठोंकने लगीं और मैं आराम से लेटे लेटे दोनों हाथों से मिश्रा आन्टी के दोनो बड़े बड़े तरबूज के मानिन्द छातियाँ दबाते और उनपर मुँह मारते निपल चूसने लगा।
तभी मेरी नजर अपने लण्ड पर मर्दाने ढंग से ठोकरें मारती शोभा चाची की उछलती बिखरती बड़े बड़े खरबूजों जैसी चूचियों पर पड़ी। अब मेरी आँखों के सामने दो जोड़ चूचियाँ थीं मेरे पास करने को सिवाय लण्ड खड़ा कर लेटे रहने के और कोई काम तो था नहीं.
और मैंने देखा कि मिश्रा आन्टी के गुलाबी तरबूज (चूचियाँ) दबाने मसलने और चूसने से बुरी तरह लाल हो रहे हैं तो मैंने सोचा कि यदि मैं चारो चूचियों का आनन्द लूँ तो दुगना मजा आने के साथ एकरसता टूटेगी मिश्रा आन्टी के तरबूजों को थोड़ी राहत भी मिलेगी.
और इस ख्याल के आते ही मैं शोभा चाची के बड़े बड़े खरबूजों पर बुरी तरह से टूट पड़ा। पर पहले से बुरी तरह से उत्तेजित शोभा चाची मेरा उनके खरबूजों से किया गया खिलवाड़ और निपल चूसना ज्यादा देर झेल नहीं पायीं और अचानक उनके मुँह से निकलने वाली सिस्कारियाँ तेज हो गयी – “इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आह्ह इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आह्ह और वो सिस्कारियाँ भरते हुए झड़ गयीं।
हाँफ़ती हुई शोभा चाची ने अपने हाँथों से मेरी कलाइयाँ थाम मेरे हाँथों से अपनी चूचियाँ छुड़ा लीं और मेरे ऊपर से उतर गईं पख़ की आवाज के साथ मेरा लण्ड उनकी चूत से बाहर आ गया अब बौखलाने की बारी मेरी थी क्योंकि मेरा लण्ड तो ज्यों का त्यों मुस्तैद खड़ा था.
इतनी देर से लन्ड खड़ा कर लेटे लेटे दो दो गुलाबी खूबसूरत मादक रसीले बदनों से खिलवाड़ कर मजा लेने के अलावा तो मैने कुछ किया तो था नहीं मजा लेने के चक्कर में उस तरफ़ ध्यान मेरा भी नहीं था। मैंने मिश्रा आन्टी की तरफ़ देखा वो मेरे बगल में घुटनों के बल खड़ी मेरी जाँघ से अपनी बुरी तरह रस छोड़ती चूत रगड़ रही थीं।
मैं समझ गया कि इनकी चूत बिलकुल तैयार है। बस मैंने अपने हाथ उनकी चूचियों पर धरे हलका सा धक्का दे उन्हें बिस्तर पर लेटने का इशारा कर लिटा दिया और खुद करवट लेकर उनके ऊपर आ गया तो मेरा लण्ड उनके गुदगुदे पेट से टकराया। मैं उनके गुलाबी तरबूजों पर मुँह मारने के लिए नीचे सरका तो मेरा लण्ड उनके रेशमी गुदगुदे पेट और फ़ूली हुई चूत की फ़ाँकों से रगड़ खाते हुए उनकी जाँघों के बीच जा पहुँचा।
मैंने मिश्रा आण्टी के दायें गुलाबी तरबूज ऊपर लगे काले अंगूर को ही होठों में दबाया और चुभला चुभला के चूसने लगा कि मिश्रा आण्टी ने अपनी मुगदर जैसी मोटी मोटी रेशमी जाँघों के बीच मेरा लण्ड दबाकर मसलते और मेरे कन्धे पकड़ मुझे नीचे ठेलते हुए मेरे कान में धीरे से कहा – “अब देर न कर बेटा।”
ये सुनते ही मैं उठकर उनकी दोनों जाँघों के बीच आया मिश्रा आण्टी ने अपनी दोनों जाँघे फ़ैला दी मैं गौर से उनका बदन देखने लगा शोभा चाची से मोटी और बेहद उत्तेजित होने के कारण उनका उनका गुलाबी जिस्म और भी गुलाबी और मादक लग रहा था।
एक तो शोभा चाची अपने जिस्म का पूरा मजा दिये बगैर झड़ जाने से मैं बिना झड़ा यों ही बौखला रहा था उसपर मिश्रा आण्टी की हिमालय की तरह सर उठाये बड़े बड़े तरबूजों के मानिन्द गुलाबी छातियाँ, उसके नीचे गुदगुदा पेट, गहरी नाभी घड़ों के जैसे गोल आकर के बड़े बड़े चूतड़ और दोनों मोटी मोटी रेशमी गुलाबी जाँघों के बीच में बिना बालों वाली गुलाबी सफ़ेद पावरोटी सी चूत की मोटी मोटी फ़ाँके देख मेरा मन किया कि एक ही बार में पूरा ठाँस दूँ.
पर तभी मेरे शैतानी दिमाग में ख्याल आया कि इस समय मिश्रा आण्टी बेहद उत्तेजित हैं सो इनसे कोई बात भी मनवायी जा सकती है। मेरे दिमाग ने तुरन्त एक योजना बना ली, बस फ़िर क्या था उस योजना के अनुसार मैंने उनकी बड़े बड़े तरबूजों के मानिन्द गुलाबी छातियाँ थाम लीं और पावरोटी सी फ़ूली चूत की मोटी मोटी फ़ाँकों के बीच अपने फ़ौलादी लण्ड का सुपाड़ा रखा।
बुरी तरह उत्तेजित मिश्रा आण्टी ने जान लिया कि उनकी इन्तजार की घड़ियाँ खत्म हुई सो उन्होंने सिसकारी भरी –“इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स आआआआआह।”
मैंने लण्ड का सुपाड़ा हल्का सा चूत पर दबाया पर जैसे ही सुपाड़ा चूत में घुसने लगा मैंने चौक कर बड़े नाटकीय ढ़ंग से कहा – “नहीं ये गलत है!!!”
इतना बोल के मैंने अपना लण्ड मिश्रा आण्टी की चूत से हटा लिया और उनसे ऐसे दूर हट गया जैसे जैसे करेन्ट लग गया हो।
मिश्रा आन्टी –“उफ़ अरे ये क्या बेटा।”
मैं बोला –“मैं ये आपके साथ नहीं कर सकता ये गलत है।”
मिश्रा आन्टी (झल्ला के अपने दोनों हाथों से मेरे लण्ड पर झपटते हुए) –“इतनी देर से मेरे सारे जिस्म पर मुँह मार मारकर मजे लेते हुए शोभा की चूत का बाजा रहा था तबतक तुझे कुछ सही गलत का चक्कर नहीं दिखा अब इस आखरी मौके पे तुझे सब सही गलत का ज्ञान होने लगा। बोल क्या गलत है ? मैं क्या तेरी करीब की सगी रिश्तेदार लगती हूँ?”
मैं बोला –“यही तो बात है, आप मेरी बात समझने की कोशिश कीजिये, मैं और आँचल एक ही स्कूल में पढ़ते हैं आण्टी।”
मिश्रा आन्टी(मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपनी चूत की तरफ़ खींचते हुए) –“तो इस बात से कौन सा मैं तेरी करीबी रिश्तेदार आण्टी हो गयी? और ये शोभा चाची भी तो तेरे बगल के मकान में रहती हैं इन्हें भी तो तू चाची कहता है।”
मैं –“ये बात नहीं बात दरअसल ये है कि मैं आँचल को पसन्द करता हूँ और उससे शादी करने के ख्वाब देखता हूँ।”
मिश्रा आण्टी जैसी रोबदाब वाली औरत से किसी साधारण मौके पर अगर मैंने ये बात कही होती तो शायद नाराज हो के बम की तरह फ़ट पड़ती पर आज तो वो खुद अपना रोबदाब वाला कलेवर उतार कर बिस्तर पर नंग धड़ंग चुदने के लिए दोनों टांगे फ़ैलाये, मेरा लण्ड थामे पड़ी थी.
पर फ़िर भी उत्तेजना से बौखलाई मिश्रा आण्टी ने हल्का सा प्रतिरोध कर मुझे बरगलाना, समझाना चाहा –“देख बेटा, मेरी बेटी मेरी तरह नहीं है, अपने क्लास में अव्वल आती है आज तक उसने किसी लड़के से दोस्ती नहीं की। सर झुका के स्कूल और घर आती जाती है उसके लिए तो कोई तेज और उसी के जैसा लड़का होना चाहिये वही तो उससे शादी कर उसे सम्भाल पायेगा न।”
मैं(आवाज में तल्खी और गुस्सा लाकर) –“आपका मतलब है मैं गन्दा लड़का हूँ अगर ऐसा है तो मुझे ऐसा बनाया किसने? आप ही लोगों ने न? क्योंकि एक औरत के रूप में तो आपको अपने लिए ऐसा ही मर्द पसन्द है पर बेटी के लिए…
आप भूल रहीं हैं कि कल जब वो औरत बनेगी तो उसे भी ऐसा ही मर्द पसन्द आयेगा और जहाँ तक योज्ञता का सवाल है शायद आप मेरे बारे में ये नहीं जानती कि मैं भी अपने क्लास में अव्व्ल आता हूँ आप आँचल से दरयाफ़्त कर सकती हैं आँचल के लायक बनने के बाद ही मैं आपसे उसका हाथ माँगूँगा। फ़िर आप मेरी……?”
मिश्रा आण्टी मेरा धुँआधार लेक्चर सुन सकपका गयीं क्योंकि वो ये समझ गयीं कि अगर वो आँचल से मेरे रिश्ते से इन्कार कर दें तो जाहिर है मैं बुरा मान जाऊँगा और वो चुदने से रह जायेंगी, पर इतनी देर के खेल खिलवाड़ और लण्ड का सुपाड़ा अपनी चूत पे रगड़ते रगड़ते अब चुदास से पागल होने को आगयी थीं. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
सो जल्दी से बात टालने के ख्याल से बोली – “अरे नहीं बेटा मेरा ये मतलब नहीं था तू तो बहुत अच्छा लड़का है सारा मोहल्ला जानता है। मैं तो ये कह रही थी कि इन सब बातों में तो अभी बहुत देर है तूने खुद ही कहा कि आँचल के लायक बनने के बाद ही तू मुझसे उसका हाथ माँगेगा, तो ठीक है तब की तब देखी जायेगी।”
मैं समझ गया कि मुटल्ली मुझे टाल रही है जिससे कि जल्दी से किसी तरह मुझसे चुदने को मिले पर मैं ये मौका चूकना नहीं चाहता था सो उसकी इस बात को उसकी हाँ(आँचल से शादी के लिए) मान साफ़ साफ़ बोला – “फ़िर तो आप मेरी सास……?”
मिश्रा आण्टी का धैर्य जाता रहा हार कर झल्लायी आवाज में बोलीं – “अरे तो क्या सास की चूत में तेरा लण्ड घुसने से मना कर देगा। मेरा दाँव चल गया तो मैं एक ही बिस्तर पर अपनी बेटी के साथ तुझसे चुदवाऊँगी।”
शोभा चाची, जो चुदने के बाद बिस्तर पर चारों खाने चित्त पड़ीं अपनी चूत सहलाते हुए मेरी मिश्रा आण्टी की नोक झोंक सुन रहीं थी मैंने उनकी तरफ़ देख कर कहा –“सुन रही हो शोभा चाची! आप गवाह हो।”
शोभा चाची – “हाँ हाँ मैं गवाह हूँ अब जल्दी से इसे चोद दे बेटा वरना ये अपनी चूत की आग में ही जल कर मर जायेगी। आण्टियों को इतना नहीं सताते बेटा। फ़िर ये तो मिश्रा आण्टी हैं इनकी अपनी चूत ही हजार चूतों से अच्छी देख कितनी सुन्दर गुलाबी फ़ूली हुई पावरोटी सी है इसकी जम के चुदाई कर तुझे कमाल का मजा मिलेगा और तेरी चुदाई से खुश हो ये तेरी सभी इच्छाये पूरी करेंगी।”
अब मैंने मिश्रा आण्टी को और सताना ठीक नहीं समझा। वैसे मिश्रा आण्टी की हिमालय की तरह सर उठाये बड़े बड़े तरबूजों के मानिन्द गुलाबी छातियों, उसके नीचे गुदगु्दे पेट, गहरी नाभी घड़ों के जैसे गोल आकर के बड़े बड़े चूतड़ों और दोनों मोटी मोटी रेशमी गुलाबी जाँघों के बीच में बिना बालों वाली गुलाबी सफ़ेद पावरोटी सी चूत की मोटी मोटी फ़ाँकों को इतनी देर से देखते देखते मेरा लण्ड भी बुरी तरह टन्नाया हुआ था.
फ़िर भी बड़ों की बात मानने का नाटक सा करते हुए बोला –“ अब जब आपलोग इसे गलत नहीं समझतीं तो मुझे क्या एतराज हो सकता है।”
बस मैंने एक बार फ़िर उनकी बड़े बड़े तरबूजों के मानिन्द गुलाबी छातियाँ थाम लीं और पावरोटी सी फ़ूली चूत की मोटी मोटी फ़ाँकों के बीच अपने फ़ौलादी लण्ड का सुपाड़ा रखा तो ऐसा लगा जैसे किसी गरम भट्टी पर रख दिया हो। बुरी तरह उत्तेजित मिश्रा आण्टी ने सिसकारी भरी –“इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स आआआआआह।”
मुझे ऐसा लगा जैसे चूत, लण्ड का सुपाड़ा अन्दर की तरफ़ खींच रही है पर जैसे ही सुपाड़ा चूत में घुसा कि मुझे लगा कि चूत की पुत्तियों ने सुपाड़े को जकड़ रखा है। उनके मोटापे, भारी चूतड़ और मोटी जाँघों की वजह से चूत बेहद टाइट थी अब मुझसे और भी बरदास्त नहीं हो रहा था सो मैंने उनके बायें तरबूज(चूची) पर लगा जामुन(निपल) होठों मे दबा कर चूसते हुए धक्का मारा तो करीब एक चौथाई लण्ड चूत में घुस गया
मिश्रा आण्टी के मुँह से निकला–आऽऽऽह! शाबाश बेटा !”
मिश्रा आण्टी ने अपने दोनों हाँथों से अपनी चूत की फ़ाँके फ़ैलाकर मेरे लण्ड के लिए अपनी मोटापे से बुरी तरह सकरी हो रही चूत फ़ैलाने की कोशिश कर धक्का मारने का इशारा किया बस मैने चार धक्कों मे पूरा लण्ड ठाँस दिया।
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पूरा लण्ड अन्दर जाते ही मिश्रा आण्टी के मुँह से निकला–उऽऽफ़! तेरा तो बहुत बड़ा है बेटा !आऽह! ऐसा लग रहा है जैसे पहली बार चुदवा रही हूँ शाबाश !” बस फ़िर क्या था मैंने निपल चूसते हुए धीरे धीरे धक्के लगाते हुए चुदाई शुरू की। मैंने कुछ ही धक्के मारे होंगे कि मिश्रा आण्टी ने चूतड़ उछालते हुए आवाज दी –“ आऽह! जरा जोर जोर से निपल चूस बेटा ! तभी शोभा चाची (जोकि शायद हमारी चुदाई से फ़िर से गरम हो गई थी) ने पीछे से आकर मेरी पीठ से अपनी बेल सी चूचियाँ रगड़ते हुए मेरे कान में कहा.
“अगर इसकी लौंडिया(आँचल) से शादी करनी है तो इतनी सुस्ती से चोदने से काम नहीं चलेगा। इसकी ऐसी चुदाई तो मिश्रा साहब रोज करते हैं। रौंद डाल साली को।” बस फ़िर क्या था मैंने उनके सारे गुलाबी गुदगुदे जिस्म पर मुँह मारते हुए धुँआदार चुदाई की मिश्रा आण्टी चूतड़ उछाल उछाल कर किलकारियाँ भरते हुए तरह तरह की आवाजें निकाल रही थीं –“अम्म्मऽह ! आऽह ! आऽई ! उऽई ! उऽफ़! ऐसे ही ये हुई न बात शाबाश !