Desi Aunty Ki Chudai
मेरा नाम समीर है, में नियमित पाठक हूँ। ये हादसा तब हुआ जब में कॉलेज के iind ईयर में था। अब में पहले आपको अपने बारे में बता देता हूँ। मेरी हाईट 5 फुट 5 इंच है, वजन 70 किलोग्राम, गौरा रंग और में हमेशा से अपनी उम्र से बड़ी औरतों को पसंद करता हूँ। अब में आपको बिना बोर किए मेरी कहानी लिखता हूँ। Desi Aunty Ki Chudai
मेरे घर के पड़ोस में एक आंटी रहती थी, उनका नाम दीपिका है, उनका फिगर साईज 36-32-36 है, उनकी उम्र करीब 42 साल के आस पास होगी और उसके एक बेटी और एक बेटा है और उसका पति बिजनसमैन है, जो हमेशा आउट ऑफ स्टेशन होता है और कभी-कभी आता है, लेकिन आंटी बहुत मस्त माल है।
में जब भी उनको देखता था तो मेरा लंड तन जाता था। क्या कूल्हे थे उसके? जब वो झुकती थी तो में यही देखने के लिए बेताब हो जाता था कि उसके बूब्स ब्रा से कितने बाहर है। फिर एक दिन में उनके घर किसी काम से गया तो तब उनके घर में कोई नहीं था।
फिर मैंने दरवाजे पर नॉक किया तो वो खुला हुआ था। फिर में अंदर एंटर हुआ और फिर जैसे ही में आवाज़ देने लगा कि कोई है तो तब मैंने थोड़ी सी आहट सुनी, शायद वो बाल्टी की आवाज थी। फिर में उस तरफ बढ़ा तो बाथरूम में कोई था, बाथरूम के दरवाजे के ऊपर जाली थी।
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फिर मैंने सोचा कि अंदर देखूं कौन है? अब पास में ही एक छोटा स्टूल पड़ा था तो मैंने चुपके से उस स्टूल को उठाया और जाली के अंदर देखा तो में दंग रह गया। अब अंदर दीपिका आंटी नहा रही थी और उन्होंने सिर्फ़ पेंटी पहन रखी थी.
उनकी पेंटी लाल कलर की थी और उस पर बड़े-बड़े फूल थे, उसके बूब्स जिनको में कब से देखने के लिए बेताब था? आज मेरे सामने बिल्कुल नंगे थे। अब मेरा लंड तो यह सब देखकर तन गया था। फिर मैंने उधर ही अपनी चैन से मेरे लंड को आज़ाद किया और मुठ मारने लग गया।
अब आंटी एक एक डिब्बा पानी अपने बदन पर डालती थी, त्यो त्यो में अपने लंड को घिसता जाता था और सोच रहा था कि काश में भी अंदर चला जाऊँ और आंटी के साथ नहा लूँ और तभी में उधर ही झड़ गया। अब मैंने बाथरूम के दरवाजे को पूरा गीला कर दिया था।
अब आंटी भी नहा चुकी थी। फिर वो अपने कपड़े पहनने के लिए उठी और टावल लेकर अपना बदन पोंछने लगी। अब इस बात से बेख़बर की में कब से उसको देख रहा था? अब वो अपने बूब्स को बहुत सहलाकर पोंछ रही थी। फिर उन्होंने अपनी पेंटी उतारकर नीचे रख दी तो मेरा लंड तो फिर से तन गया, उसकी गोरी-गोरी गांड मेरी तरफ थी।
अब में सोचने लगा था कि मेरा लंड उसकी गांड में अभी घुसा दूँ, लेकिन क्या करता? अब में सिर्फ़ देख रहा था। फिर थोड़ी देर के बाद वो घूमी तो तब मुझे उसकी चूत के दर्शन हुए, उसकी चूत एकदम काले-काले बालों के बीच में छुपी हुई थी। तब उसकी गांड के पीछे टावल से पोछ रही थी।
फिर वो अपने कपड़े पहने के लिए बढ़ी और पहले अपनी पेंटी पहनी, जो काले कलर की थी और फिर ब्रा पहनने लगी। तब मैंने धीरे से उतरकर स्टूल बाजू में रख दिया और दबे पैर अगले रूम से होते हुए दरवाजे के बाहर आ गया और धीरे से उसी तरह दरवाजा बंद कर दिया जैसे पहले था।
अब उस दिन से मैंने तय कर लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, अब तो में दीपिका की चूत और गांड फाड़कर रहूँगा और फिर तब से में मौका खोजने लगा। चूँकि आंटी बहुत शरीफ दिखाई पड़ती थी, इसलिए में कन्फ्यूज़ था कि कैसे उसको चोदने के लिए तैयार करूँ?
फिर एक दिन मेरे घर के सब लोग बाहर गये हुए थे। तब मम्मी मुझे बोलकर गयी थी कि पड़ोस की दीपिका को उन्होंने मेरे लिए खाना बनाने के लिए बोल दिया है। तो तब से में सोचने लगा कि दीपिका खुद शायद खाना देने आएगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब में तरह-तरह के प्लान सोचने लगा था, लेकिन अंदर से डरने लगा था कि कही वो गुस्सा होकर मेरे पेरेंट्स को यह बात ना बता दे, लेकिन अब मुझे तो उसकी चूत ही याद आ रही थी और कई बार उसकी गांड की भी याद आती थी।
अब यह सब सोचते हुए मेरा लंड तन गया था। अब में यह सब सोचते हुए उसको याद करते हुए मुठ मारने लगा। चूँकि अब घर में कोई नहीं था, इसलिए मैंने अपनी पेंट निकालकर अपनी अंडरवियर भी निकाल दी थी और मुठ मारने लगा था।
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अब में बहुत ही उत्तेजित हो गया था, इसलिए डबल मज़े के लिए में दीपिका डार्लिंग, आह आह बोलते हुए मुठ मारने लगा था। अब इन सब के बीच में ये भूल गया था कि में अगला दरवाजा खुला ही छोड़ आया हूँ और फिर पता नहीं कब दीपिका आ गयी? और अंदर के रूम में दाखिल हो गयी, जहाँ में मुठ मार रहा था।
तभी में झड़ा और मेरा वीर्य दूर तक निकला, जिसकी 1-2 बूंदे दीपिका के ऊपर भी पड़ गयी थी। तब मेरी नजर उस पर पड़ी तो तब वो एकदम से वहाँ से अगले रूम में आ गयी। अब में घबरा गया था कि उसने किसी को बता दिया तो। फिर मैंने फटाफट से अपने कपड़े पहने और बाहर आया।
अब अगले रूम में दीपिका खड़ी थी, तो तब वो बोली कि तुम्हारे लिए खाना लाई हूँ। तो मैंने कहा कि ठीक है और फिर में थोड़ा पसीना पोछकर बोला कि प्लीज आंटी किसी को नहीं बताना, जो अभी आपने देखा है। तो तब वो थोड़ी सी सीरीयस होकर कुछ बोले बिना ही चली गयी।
अब में घबराने लगा था कि वो अब मेरे पेरेंट्स को बताकर ही रहेगी। फिर में दोपहर के बाद जब वो वापस अपने बर्तन लेने आएँगी तो तब में उसे समझाऊंगा यह सोचकर बैठा रहा। फिर दोपहर के बाद जब वो आई तो तब उसने अंदर नहीं आकर सीधे ही दूर से आवाज देकर कहा कि में आई हूँ।
तब मैंने बाहर आकर उनको अंदर आने को कहा तो वो थोड़ी सी झिझकती हुई अंदर आई। तब मैंने उनसे फिर से कहा कि प्लीज किसी को मत बताना। फिर तब उन्होंने कहा कि मैंने तुमको क्या समझा था? और तुम क्या निकले? ठीक है कोई बात नहीं, में किसी को नहीं बताऊँगी, लेकिन तुम मेरा नाम क्यों ले रहे थे? मेरा ही ले रहे थे या कोई और लड़की का नाम है?
तो तब मैंने थोड़ी हिम्मत करके कहा कि सॉरी आंटी, में आपका ही नाम ले रहा था। तब वो हंस पड़ी और बोली कि में तो तुमसे बहुत बड़ी हूँ, तुम मेरा नाम लेकर ये सब क्यों कर रहे थे? तो तब मुझमें थोड़ी हिम्मत और आई और मैंने कहा कि जी मुझे आप बहुत अच्छी लगती है।
तो वो फिर से बोली कि तुमने मुझमें क्या देखा? तो तब मैंने कहा कि मुझे बड़ी उम्र की औरत बहुत पसंद है। तब वो बोली कि तुमको यह सब करना शोभा नहीं देता है। तब मैंने कहा कि इसमें क्या है? मुझे आप पसंद हो इसलिए में ऐसा करता हूँ और थोड़ी हिम्मत करके बोल दिया कि में हर रोज आपको याद करके ऐसा करता हूँ।
तब वो थोड़ी हंसकर चुप हो गयी और मेरी तरफ देखने लगी थी। तब मैंने कहा कि अगर आपको ऐतराज ना हो तो एक बात बोलूँ? तो वो बोली कि हाँ। फिर तब मैंने कहा कि आज तक मैंने सिर्फ़ आपको याद करके ये किया है, अगर आप नाराज नहीं हो तो में आपकी इजाज्त में ये करना चाहता हूँ।
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फिर पहले तो वो थोड़ी हिचकिचाई और बाद में चुप बैठी रही। अब में उसका इशारा समझ गया था। तब मैंने उठकर अपनी पेंट की क्लिप खोली और फिर चैन खोली और फिर मैंने अपनी अंडरवेयर खोल दी। अब वो मेरी तरफ ही देख रही थी।
फिर अचानक से उसने नीचे देखा और बोल पड़ी कि हाए माँ। तब मैंने कहा कि क्या है? तो तब वो कुछ नहीं बोली। फिर मैंने अपनी पेंट और अंडरवेयर दोनों ही निकालकर बाजू में रख दी और ठीक उसके सामने जाकर खड़ा हो गया और उसको देखते हुए मुठ मारने लगा था।
अब वो मेरे लंड की तरफ ही देख रही थी। फिर थोड़ी देर तक मुठ मारने के बाद मैंने देखा तो उसका चेहरा लाल हो गया था और उसकी साँसे तेज चल रही थी। यह देखकर में और उसके नजदीक गया। अब मेरे लंड और उसके मुँह के बीच में थोड़ा सा ही अंतर रह गया था।
तब मैंने कहा कि आप पकड़ो ना, तो वो पहले तो शर्मा गयी। तब मैंने उसका एक हाथ उठाकर मेरे लंड को पकड़ा दिया। पहले तो उसने अपना हाथ खींच लिया, लेकिन फिर बाद में वापस से पकड़कर दबाने लगी। तो तब मैंने कहा कि दबाओ नहीं, मुठ मारो।
तब उसने कहा कि मैंने पहले इतना मोटा लंड कभी नहीं देखा है, मेरे पति का तो छोटा सा और पतला है। तब मैंने कहा कि यह तुम्हारा ही है, अब अंदर चलकर बाकि का काम निपटा लो। तब वो तुरंत ही उठकर मुझे मेरे लंड को पकड़े हुए खींचकर ले गयी।
फिर मैंने भी उसके कूल्हों पर एक चिमटी काटी और उसके साथ अंदर बेडरूम में चल दिया। फिर मैंने उसको लेटाकर पहले तो दरवाजा बंद कर दिया और बाद में उसके ऊपर जाकर लेट गया, वो साड़ी पहने हुए थी। फिर मैंने उसकी साड़ी निकालकर फेंक दी और ब्लाउज और ब्रा भी निकाल दी।
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अब में उसके एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसका दूसरा बूब्स दबा रहा था। फिर मैंने उसके पेट पर एक चुम्मा करने के बाद उसका पेटिकोट और पेंटी निकाल दी। अब मुझे तो वो पहले ही नंगा कर चुकी थी।
अब वो बेताब हो रही थी, लेकिन मैंने धीरे से उसकी चूत को चाटना शुरू किया। अब उसकी साँसें तेज चल रही थी। अब वो बोल रही थी हाए ऐसा तो मेरे पति ने अभी तक नहीं किया। तो तब मैंने कहा कि तू देखती जा तेरे पति से भी ज़्यादा सुख में तुझे दूँगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
और ये कहकर मैंने उसे पलट दिया और उसके कूल्हों को अपने दोनों हाथों से खींचकर उसकी गांड को चाटने लगा था। तब वो एकदम से बोल पड़ी कि यह तू कहाँ चाट रहा है? तो तब मैंने कहा कि चुप, मुझे तेरा हर रस पीना है और फिर उसके बाद में खड़ा हो गया और उसे मेरा लंड अपने मुँह में लेने की बोला.
तो वो मेरा पूरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और में बोलता गया दीपिका रंडी की तरह चूस, आज से यह तेरे लिए ही है। अब वो ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूसने लगी थी और फिर बाद में अपने मुँह से निकालकर बोली कि अब मुझे चोद दो।
तब में उसके ऊपर लेट गया और उसकी थोड़ी सी कमर ऊपर उठाई तो उसने मेरा लंड पकड़कर उसकी चूत में घुसा दिया। अब में धक्के मारने लगा था और वो सिसकारी लेती रही और बोली कि हाए बहुत मज़ा आ रहा है। फिर तब मैंने कहा कि में तो तुझे शरीफ समझता था, लेकिन तू तो पूरी रंडी है।
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तब वो बोली कि क्यों शरीफ औरतों के चूत नहीं होती क्या? वो नहीं चुदवाती है क्या? तो तब मैंने कहा कि हाँ मेरी जान, मेरी रंडी, दीपिका तेरी चूत तो बहुत प्यासी है। फिर मैंने उससे कहा कि तू कुत्ती जैसे बन जा, में तेरी पीछे से लूँगा। तब वो बोली कि कहाँ गांड में? तो तब मैंने कहा कि हाँ। तो उसने मना कर दिया और आगे से ही लेने को बोलने लगी, लेकिन मैंने जबरदस्ती से पीछे से उसकी गांड में अपना आधा लंड घुसा दिया तो वो दर्द के मारे चिल्ला उठी।
अब ये सुनकर मुझे जोश आ गया था और मेरा लंड पूरा ही उसकी गांड घुसा दिया और उसकी गांड फाड़ डाली और वो बोलती रही धीरे-धीरे, लेकिन में ज़ोर-ज़ोर से करता रहा। फिर मैंने अपना लंड निकालकर उसके बूब्स के बीच में रख दिया और झड़ गया। अब उस दिन से हमें जब कभी भी कोई मौका मिलता है, तो तब हम चुदाई कर लेते है। अब तो मेरे पापा का ट्रान्सफर हो गया है। अब वो मुझे कभी-कभी ही मिलती है, लेकिन वो जब भी फोन करती है तो वो बोलती जरूर है, तेरा लंड बहुत याद आता है।