Naukarani Chudai
मेरा नाम अशोक है और मैं दिल्ली में रहता हूँ। जब से मेरा लंड खड़ा होना शुरू हुआ है, तब से मैं औरतों को चोद रहा हूँ। मैंने आज तक हर किस्म की चूत मारी है। आज मैं आपको अपनी नौकरानी की कहानी बताता हूँ। उसका शरीर बहुत बड़ा-बड़ा था, उम्र 18 साल के करीब होगी। Naukarani Chudai
रंग बहुत काला है, पर उसके मम्मे बहुत बड़े-बड़े हैं। जब वो पहली बार घर आई तो मुझे बहुत अच्छी लगी, क्योंकि मुझे साँवली रंग की औरतें पसंद हैं। पहली नज़र में ही मैंने सोच लिया था कि कभी न कभी इसकी चूत ज़रूर मारूँगा। वो रोज़ सुबह मुझे जगाती थी और मेरा दिल करता था कि अभी इसे पकड़ लूँ और इसके मुँह में अपना लंड डाल दूँ, पर घर में सब लोग होने की वजह से मैं कुछ कर नहीं पाता था।
एक दिन जब मैं और कल्पना घर पर अकेले थे, तो मुझे लगा कि आज मौक़ा है। आज मैं पूरे जोश में था। कल्पना काम ख़त्म करके नहाने बाथरूम में गई। मैंने दरवाज़े के छेद से उसे देखना शुरू कर दिया। पहले उसने अपने कपड़े उतारे। वो कभी ब्रा नहीं पहनती थी। उसके बड़े-बड़े काले मम्मे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया।
फिर उसने बाक़ी कपड़े उतारे तो उसका बदन देखने लायक था – साँवला रंग और इतना अच्छा बदन! उसकी चूत भी बहुत सुंदर थी, चारों तरफ़ काले-काले बाल थे और गांड भी काफ़ी बड़ी-बड़ी थी। कल्पना को पता नहीं था कि मैं उसे देख रहा हूँ। नहाते-नहाते वो अपनी चूत में उंगली करने लगी और अच्छी तरह फिंगरिंग करने लगी।
ये देखकर मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मैं समझ गया कि ये साली भी ठरकी है। लगभग 15 मिनट उंगली अंदर-बाहर करने के बाद वो शांत हो गई, पर संतुष्ट नहीं लग रही थी। मैं चुपचाप सिर्फ़ अंडरवियर में अपना लंड खड़ा करके अपने कमरे में लेट गया। नहाने के बाद जब वो मेरे कमरे में आई तो उसकी नज़र सीधे मेरे लंड पर गई। उसका दिल कर रहा था, पर वो काफ़ी देर तक वही खड़ी होकर मेरे लंड को देखती रही।
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फिर मुझसे बोली, “भैया, आपको दूध दे दूँ?”
मैं बोला, “हाँ दे दो। आज मुझे दूध की बहुत ज़रूरत है।”
वो बोली, “साथ में क्या लोगे?”
मैं बोला, “तुझे।”
ये सुनकर वो शर्मा गई।
तब मैं बोला, “मेरे साथ आज मज़े करेगी?”
वो बोली, “आप जो भी कहेंगे मैं वही करूँगी।”
तब मैंने कहा, “चल आज एक-दूसरे को अपने मन की बात बताते हैं। जो भी तेरी फैंटसी है वो मुझे बता, आज मैं तेरी सारी फैंटसी पूरी कर दूँगा।”
ये सुनकर कल्पना का चेहरा खिल गया।
वो बोली, “भैया मैं औरत बनना चाहती हूँ। मुझे औरत बना दो।”
मैं बोला, “पहले कभी अपनी चूत मरवाई है?”
वो बोली, “नहीं, चूत तो कभी नहीं मरवाई, पर गांड बहुत बार मरवाई है।”
मैं बोला, “किससे मरवाई है?”
कल्पना बोली, “मेरे भाई से। साला गांडू है, वो होमो बन गया है। उसी ने मेरी गांड मारी थी। उसके सारे दोस्त भी गांडू थे, सबने मेरी गांड मारी है, पर किसी ने भी मेरी चूत नहीं मारी।”
मैं बोला, “तभी तेरी गांड बड़ी-बड़ी लग रही है।”
मैंने कहा, “चल कल्पना, आज मैं भी तेरी चूत की कुंवारीपन मिटा देता हूँ। चल अब सारे कपड़े उतार।”
ये सुनकर कल्पना ने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगी होकर मेरे सामने खड़ी हो गई।
मैंने पूछा, “अब बता कहाँ से शुरू करूँ?”
कल्पना बोली, “आप प्लीज़ मेरी चूत से शुरू कीजिए। वहाँ आज आग लगी हुई है।”
ये सुनकर मैंने उसकी चूत अपनी तरफ़ की और देखा कि उसकी चूत बहुत सुंदर थी, चारों तरफ़ काले-काले बाल थे। जब मैंने उसकी चूत को छुआ तो कल्पना के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो अभी तक वर्जिन थी और आज मुझे उसकी वर्जिनिटी तोड़नी थी। काफ़ी देर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने के बाद मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाला। कल्पना पूरा साथ दे रही थी क्योंकि उसे गांड में लंड लेने की काफ़ी प्रैक्टिस हो चुकी थी। जब मेरा लंड उसकी चूत में पूरा चला गया तो उसकी चीख निकल पड़ी।
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मैं बोला, “क्या हुआ?”
वो बोली, “कुछ नहीं, ये ख़ुशी की चीख थी। प्लीज़ आप अपने लंड से आज मेरी चूत फाड़ दो।”
तब मैंने उसकी चूत में अपना लंड पेलना शुरू कर दिया। वर्जिन होने की वजह से उसकी चूत बहुत टाइट थी, जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। कल्पना की चूत से ख़ून भी निकला। लगभग 10 मिनट बाद कल्पना पूरे जोश में आ गई थी और बार-बार मुझे कह रही थी, “भैया आपका लंड बहुत सेक्सी है। मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। दिल करता है कि ये लंड मेरी चूत में सारी ज़िंदगी पड़ा रहे।”
मैंने कहा, “कोई बात नहीं कल्पना डार्लिंग, जब भी तुझे ये लंड चाहिए हो आकर मुझसे अपनी चूत मरवा लेना।”
कल्पना बोली, “भैया आप मेरी चूत को आज सारे दिन पेलना, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। आप अगर ज़ोर से मुझे चोदोगे तो और भी अच्छा लगेगा।”
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। कल्पना को दो बार क्लाइमैक्स आ चुका था, वो दो बार झड़ चुकी थी, पर अभी भी वो अपनी चूत मरवाना चाहती थी और मुझे बार-बार तेज़ी से चोदने को कह रही थी। मुझे भी उसकी चूत मारने का मज़ा आ रहा था। अब मेरे झड़ने का वक़्त था। जैसे ही मेरा पानी निकला और उसकी चूत मेरे स्पर्म से भर गई।
तब कल्पना बोली, “ये आपने क्या किया?”
मैं बोला, “क्या किया? बस अपना पानी छोड़ा है तेरी चूत में।”
तब वो बोली, “भैया ये पानी चूत के लिए नहीं था, ये तो आपने मेरे मुँह में डालना था।”
वो बोली कि उसका भाई और उसके सारे दोस्त उसकी गांड मारने के बाद अपना पानी उसके मुँह में छोड़ते थे और उसे ये पानी बहुत अच्छा लगता है।
तब मैं बोला, “कोई बात नहीं मेरी काली डार्लिंग, अगली बार तेरे मुँह में डाल दूँगा। अब बता तेरी चूत की खुजली कुछ कम हुई है?”
तब कल्पना ने एक उंगली अपनी चूत में डालकर कहा कि अभी भी हो रही है।
मैंने कहा, “चल 5 मिनट रुक जा, अभी-अभी मेरा लंड झड़ा है। थोड़ी देर बाद फिर तुझे चोदूँगा।”
कल्पना बोली, “तब तक मैं आपका लंड चूसूँ?”
मैं बोला, “अच्छी बात है, चूस ले।”
तब कल्पना मेरे लंड को बड़े प्यार से चूसने लगी। वो अपनी जीभ से मेरे लंड को चाट रही थी, उसकी जीभ मेरे सुपारे पर घूम रही थी। वो मेरे लंड के छेद में भी अपनी जीभ डालने की कोशिश कर रही थी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने उससे कहा, “कल्पना तुम तो काफ़ी ठरकी लड़की हो।”
वो बोली, “भैया मुझे लंड बहुत अच्छे लगते हैं, तभी तो मैंने अपने गांडू भाई और उसके दोस्तों को कुछ नहीं कहा।”
मैंने पूछा, “गांड मरवाने में मज़ा आता है?”
वो बोली, “पहले-पहले तो नहीं आता था, पर अब आता है।”
मैंने कहा, “क्या मैं तेरी गांड मारूँ?”
तब कल्पना बोली, “भैया जी आप कुछ भी कर सकते हैं।”
अब मैं उसकी गांड मारने की सोच रहा था और वो मेरे लंड को चूस-चूसकर खड़ा कर रही थी।
वो बोली, “आप मेरी गांड मारने के बाद एक बार फिर मेरी चूत मारोगे ना?”
मैंने कहा, “मेरी प्यारी रंडी नौकरानी, आज मैं तुझे ख़ुश कर दूँगा, गांड मारने के बाद तेरी चूत भी मारूँगा।”
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ये सुनकर कल्पना ख़ुश हो गई। उसने लंड चूसना छोड़ा और बोली कि गांड मरवाने का एक अलग तरीक़ा होता है। वो घोड़ी बन गई और मुझसे कहने लगी, “भैया आप पहले मेरी गांड के छेद में अपनी उंगली डालिए और अपने लंड के लिए रास्ता बनाइए।” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो बोली, “भैया आप अपनी थूक भी लगा सकते हैं।”
कल्पना की काली गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो चुका था। पहले मैंने एक उंगली उसके छेद में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। पर मेरा दिल उसके छेद को चाटने को कर रहा था। मैंने काफ़ी देर तक उंगली अंदर-बाहर की, जिससे उसका छेद भी खुल गया था। फिर मैंने अपनी जीभ से उसके छेद को चोदना शुरू किया।
कल्पना घोड़ी बनी हुई थी और बोली, “भैया जी बहुत मज़ा आ रहा है आपकी जीभ से। आप अपनी जीभ मेरी चूत में भी डालोगे ना? वहाँ और मज़ा आएगा।”
मैंने कहा, “ठीक है, तेरी चूत में भी डालूँगा, पहले तेरी गांड के छेद को तो चाटने दे।”
मैंने अपनी ज़बान से उसके गांड के छेद को काफ़ी देर तक चोदा। फिर मेरा लंड जो अब बेक़ाबू हो रहा था, उसके गांड में डाल दिया। कल्पना को गांड मरवाने का काफ़ी एक्सपीरियंस था, इसलिए मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। मेरा पूरा-का-पूरा लंड उसके गांड के छेद के अंदर जा रहा था।
दोस्तों, ये सच बात है – गांड में चूत से ज़्यादा मज़ा होता है। ऐसा लग रहा था कि मैं कल्पना की गांड मारता ही रहूँ। 10 मिनट बाद मुझे लगा कि मेरा झड़ने वाला है। इस वक़्त कल्पना ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी। वो बहुत ख़ुश थी। मैंने कल्पना से कहा कि मेरा निकलने वाला है।
तब कल्पना बोली, “प्लीज़ भैया इसे रोक लो, अभी मुझे अपनी गांड और मरवानी है।”
मैंने कहा, “कल्पना डार्लिंग ये रुकने वाला नहीं है।”
कल्पना ने मेरे टट्टे पकड़ लिए और धीरे-धीरे उन्हें दबाने लगी। लेकिन अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, उसकी गांड की ख़ुशबू मेरे सिर पर चढ़ रही थी।
मैंने उससे कहा, “क्या मैं अपना पानी अंदर ही छोड़ दूँ?”
वो बोली, “नहीं भैया, आप ये पानी मेरे मुँह में छोड़ना।”
मैंने अपना लंड निकाला और कल्पना ने अपना मुँह खोल लिया। मेरे स्पर्म की एक धार उसके मुँह में घुस गई। और बाक़ी पानी के लिए कल्पना ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। दोस्तों, औरत के मुँह में अपना पानी छोड़ने का मज़ा ही कुछ और है। जब मेरा पानी निकल रहा था, कल्पना उसे चूसने लगी ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पानी निकले।
उसने थोड़ा पानी अपनी मम्मों पर भी लगाया और अपने मम्मे अच्छी तरह मसलने लगी। जब मेरे लंड से पानी निकलना बंद हो गया तो वो कहने लगी, “भैया जी, औरत के लिए ये पानी बहुत अच्छा होता है।”मैं बेड पर लेट गया। कल्पना अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली, “भैया आप मेरी चूत को चाटोगे? प्लीज़ आप मेरी चूत को चूसिए, आपको बड़ा मज़ा आएगा।”
मैंने कहा, “चल ला अपनी चूत मेरे मुँह के पास।”
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तब कल्पना मेरे चेहरे पर बैठ गई और उसने अपनी चूत मेरे मुँह के हिसाब से ऊपर कर ली। मैं लेटे-लेटे उसकी चूत चाटने लगा। जैसे ही मेरी ज़बान उसकी चूत में लगी, कल्पना ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी।
वो मुझसे बोली, “आप मेरी चूत के ऊपर बने छोटे से लंड को मुँह में ले लीजिए।”
उसका मतलब मैं समझ गया, वो अपनी क्लिटोरिस के बारे में बोल रही थी।
मैंने मज़ाक करने लगा, “औरत का लंड?”
कल्पना बोली, “है भैया जी, इसे औरत का लंड ही कहते हैं, ये बिल्कुल चूत के ऊपर होता है।”
तब मैंने उसकी क्लिटोरिस को अपनी जीभ से हिलाना शुरू कर दिया। जिससे कल्पना काँपने लगी और उसकी चूत से गुलाबी रस निकलने लगा। वो झड़ रही थी।
वो मुझसे बोली, “आप मेरा रस पी लो, ये मर्दों के लिए अच्छा होता है।”
मुझे उसकी चूत से निकला रस अच्छा लगने लगा और मैंने उसे बहुत रस पिया। काफ़ी देर कल्पना की चूत चाटने के बाद जब मैं उठा तो कल्पना बोली, “भैया जी, अभी मेरी चूत की खुजली नहीं मिटी है।”
मैंने उससे कहा, “कल्पना डार्लिंग, अगर तू अपनी चूत मुझे रोज़ मरवाना चाहती है तो तुझे मेरे लिए और औरतें लानी पड़ेंगी।”
कल्पना मुझसे बोली, “भैया मैं अपनी माँ को ले आऊँ?”
मैं बोला, “तेरी माँ तो बूढ़ी हो गई होगी।”
वो बोली, “नहीं भैया वो तो अभी भी किसी से कम नहीं। एक बार उसकी चूत मारोगे तो रोज़ उसे बुलवाओगे।”
मैंने कहा, “आज घर पर क्यों नहीं है? तू अभी अपने घर जा और अपनी माँ को लेकर आना।”
कल्पना ने कपड़े पहने और बोली कि मेरे घर में मेरी भाभी भी है।
मैं बोला, “क्या वो मुझसे मरवाएगी?”
कल्पना बोली, “मेरा भाई तो गांडू है, उसे चूत में मज़ा नहीं आता। इसलिए मेरी भाभी आपसे चुदवा सकती है।”
मैं बोला, “तू दोनों को लेकर जल्दी से आ जा।”
कल्पना उन्हें लेने चली गई। तब मैंने नाश्ता किया। 15 मिनट बाद कल्पना अपनी माँ और अपनी भाभी को लेकर आ गई। उसकी माँ और भाभी काफ़ी अच्छी लग रही थीं। मैंने उनसे पूछा कि क्या वो मेरे साथ सेक्स करेंगी। दोनों शरमाने लगीं। कल्पना बोली कि मैंने उन्हें बता दिया है और ये लोग भी आपसे अपनी-अपनी चूत मरवाने के लिए तैयार हैं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तब मैं बोला, “चलो आज तीनों को चोदूँगा।”
मैंने कल्पना की माँ से कहा कि चल अपने कपड़े उतार। कल्पना की माँ ने अपने कपड़े उतार दिए। वो तक़रीबन 40 साल की होगी और उसकी भाभी 25 साल की होगी। कल्पना की माँ मेरा लंड देख रही थी।
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मैं बोला, “आप इसे चाट भी सकती हैं।”
कल्पना की माँ ने जल्दी से मेरा लंड पकड़ लिया और उसे बड़े प्यार से हिलाने लगी। मैं उस वक़्त कुर्सी पर बैठा हुआ था। कल्पना की माँ नीचे बैठकर मेरा लंड चाट रही थी। अब मैंने उसकी भाभी से कहा कि वो अपने मम्मे मेरे मुँह के पास लेकर आए।
उसकी भाभी ने जल्दी से अपना ब्लाउज़ खोला और अपने मम्मे मेरे मुँह के पास ले आई। मैं उसके मम्मे दबाने लगा और साथ-साथ चाट भी रहा था। कल्पना की माँ अभी भी मेरा लंड चाट रही थी और उसकी भाभी खड़ी-खड़ी अपनी चूत में उंगली कर रही थी।
मैंने कल्पना से कहा, “चल तू अपनी भाभी की मदद कर और उसकी चूत में फिंगरिंग करके इसे कुछ शांति दे।”
कल्पना अपनी नंगी भाभी की चूत में दो उंगलियाँ डालकर अंदर-बाहर करने लगी।
उसकी भाभी मुझसे बोली, “भैया मुझे कल्पना की उंगली नहीं, आपका लंड चाहिए।”
तब मैं बोला, “डोंट वरी, वो भी मिल जाएगा।”
मैंने कल्पना की माँ से कहा कि अब मुझे तेरी भाभी को चोदना है।
तब वो बोली, “बेटा पहले मुझ पर तरस करो, पहले मुझे चोद लो। मैं इससे ज़्यादा भूखी हूँ।”
तब मैंने कहा, “चलो आपकी बात मान लेते हैं, पहले तेरी लेता हूँ।”
कल्पना की भाभी माँ को गुस्से से देखने लगी।
मैंने उससे कहा, “कोई बात नहीं डार्लिंग, मेरे लंड में बहुत ताक़त है, वो तुझे भी मिलेगा।”
वो बोलने लगी कि ये बुढ़िया कितनी कमीन है, घर पर बोल रही थी कि मैं नहीं मरवाऊँगी, लेकिन अब देखो।
तब माँ बोली, “भाभी, इतना सुंदर लंड देखकर मैंने अपना इरादा बदल लिया।”
अब मैं उसकी चूत मारने लगा।
कल्पना की माँ ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी – “मम्म्म्म्म्म आआआ गया… बेटा तू मेरी चूत को मार दे… मुझे तेरा लंड बहुत अच्छा लगा।”
मैंने कहा, “चल अब घूम जा, तेरी गांड भी लेता हूँ।”
कल्पना की माँ घूम गई। फिर मैंने उसकी गांड मारी। इधर कल्पना और उसकी भाभी अपने टर्न का इंतज़ार कर रही थीं और साथ-साथ अपनी-अपनी चूत की फिंगरिंग भी कर रही थीं। कल्पना की माँ को तक़रीबन 15 मिनट तक चोदकर मैंने कहा, “चल अब तू हट जा, तेरी भाभी की बारी है।”
कल्पना की भाभी जल्दी से मेरे पास आई और उसने मेरे होंठ चूम लिए। कहने लगी, “भैया मेरी शादी एक गंदू से हुई है, इसलिए मेरी चूत बहुत भूखी है। आप प्लीज़ अपने लंड को इसमें डालकर मुझे शांत कर दीजिए।” मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया।
कल्पना की माँ मेरी गांड को चाटने लगी। वो मुझसे बोली, “बेटा मैं तेरी गांड को चाट लूँ?”
मैंने कहा, “ठीक है।”
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मैं कल्पना की भाभी के मम्मे चूसता हुआ उसकी चूत पर चला गया। उसकी चूत एकदम साफ़ थी, उसने अपने सारे बाल साफ़ कर रखे थे। ये देखकर मैंने उसे कहा कि वो बेड पर लेट जाए। वो बेड पर लेट गई और मैं उसकी रस भरी चूत को चाटने लगा।
इधर कल्पना की माँ मेरी गांड के छेद को चाट रही थी और कल्पना से भी रहा नहीं गया, वो मेरे लंड को चाटने लगी। हम सबको मज़ा आ रहा था। कल्पना की माँ सबसे अच्छा कर रही थी। वो अपनी आधी जीभ मेरी गांड के छेद में डाल रही थी और साथ-साथ अपनी उंगली भी मेरी गांड में डाल रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
ये मुझे अच्छा लग रहा था। आज तक मेरी गांड में किसी ने उंगली नहीं की थी। कल्पना मस्त औरत की तरह मेरे लंड को चाटे जा रही थी। एक-दो बार तो वो मेरे पानी निकालकर पी भी चुकी थी। कल्पना की भाभी भी ख़ूब सारा रस निकाले जा रही थी। उसका रस पी-पीकर मेरा पेट भी भर चुका था। फिर मैंने अपना लंड कल्पना के मुँह से निकाला और उसकी गीली चूत में डाल दिया। लंड जाते ही उसका चेहरा खिल गया।
कहने लगी, “भैया अब ये लंड कभी भी बाहर नहीं निकालना। इस पर अब मेरा हक़ है।”
मैंने कहा, “तू मेरी रंडी है, तेरी चूत अब मेरी है। मैं इसे रोज़ पेलूँगा। रोज़ तेरी चूत का रस पीऊँगा।”
फिर मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। कल्पना की माँ अपने टर्न का वेट कर रही थी।
वो मुझसे बोली, “बेटा कभी तूने अपनी गांड मरवाई है?”
मैं उस वक़्त भाभी को चोद रहा था। मैंने कहा, “नहीं।”
वो बोली, “एक बार मरवा कर तो देख लो।”
मैंने कहा, “कुत्ती, साली तू मुझे अपनी गांड मरवाने को बोल रही है? चल भाग जा यहाँ से।”
वो बोली, “बेटा गुस्सा नहीं होते, मैं तो तेरे मज़े के लिए कह रही थी। जब मैं तेरी गांड के छेद में अपनी उंगली डाल रही थी तब तूने कुछ नहीं कहा।”
मैंने कहा, “तू क्या चाहती है हरामज़ादी?”
वो बोली कि मैं तेरी गांड के छेद में अपनी उंगलियाँ डाल दूँ।
मैंने कहा, “चल डाल दे।”
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अब कल्पना की भाभी तीन-चार बार झड़ चुकी थी। उसकी चूत से इतना रस निकल रहा था कि पूछो मत। कल्पना की माँ मेरी गांड में अपनी उंगलियाँ डालती जा रही थी, साथ में मेरे टट्टों को भी दबा रही थी। धीरे-धीरे उसने अपनी तीन उंगलियाँ मेरी गांड में डाल दी। मुझे भी इससे मज़ा आने लगा।
वो बोली, “बेटा मज़ा आ रहा है ना?”
मैंने कहा, “हाँ आ रहा है।”
अब वो मुझसे अपनी गांड मरवाना चाहती थी। जब मैंने अपना लंड भाभी की चूत से निकाला, तभी कल्पना की माँ ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और ज़ोर से चाटने लगी। अब मैं झड़ने वाला था और मैंने अपना सारा पानी कल्पना की माँ के मुँह में डाल दिया। मेरा पानी वो पीने लगी।
तब ही कल्पना और उसकी भाभी भी नीचे बैठ गईं कि उन्हें भी मेरे पानी मिल जाए। मैंने तीनों को बारी-बारी अपना पानी पिलाया। अब मैं थक चुका था और मैं लेट गया। वो तीनों अभी भी मेरे लंड को चाटे जा रही थीं। ये सब देखकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। आजकल मैं कल्पना, उसकी भाभी और माँ – तीनों को चोदता हूँ। वो सब मेरे लंड की दीवानी हैं।
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