Outdoor Bathing
मेरे परिवार मे ४ लोग है, मै, मेरी बडी बहन परिधि उनकी उम्र २६ साल है, मेरी मम्मी शकुन्तला उनकी उम्र ४८ और पापा अभिमन्यु उनकी ५१ साल है, और मै २२ साल का हू. हम एक मिडलक्लास परिवार मे थे, वैसे पैसे की कोई तकलीफ़ नही थी, पापा सरकारी नौकर थे, अच्छी तनखा थी उनकी. Outdoor Bathing
यह कहानी कुछ महिने पहले की है, मेरी दीदी २६ की हो चुकि थि, उन्होने डिग्री कर ली और वो घर का सब काम जानती थी, बहुत ही सुन्दर और सुशील थी, पर उनकी शादी नही हो पा रही थी क्योकी वो मान्गलिक थी और उनकी जनमपत्री मे भी कुछ दोष था (मुझे ठीक से पता नही) उनकी शादी ना होने से मम्मी पापा बहुत परेशान थे.
पापा सरकारी नौकर होनेकी वजह से उन्हे काम के सिलसिले मे अक्सर बाहर रहना पडता था, पर १ या २ दिन से ज्यादा नही. एक दिन मै घर पर आया तो मम्मी पापा आपस मे हमेशा की तरह दीदी की शादी की बात कर रहे थे, फिर हमारा पन्डित आया जो दीदी के लिये रिश्ता ढून्ढने मे मदद कर रहा था.
उसने बताया के दीदी की जनमपत्री का दोष हटाने के लिये हरिद्वार मे गन्गा किनारे पूजा करनी होगी और उनकी शुद्धि करनी होगी तब कोई मान्गलिक लडका दीदी के लिये ढून्ढ कर उनकी शादी करायी जा सकती है. मुझे ये सब बाते ठीक नही लगती थी और मै इनमे ज्यादा विश्वास भी नही रखता था.
मुझे तो उस पन्डित पर भी विश्वास नही था, लेकिन मम्मी और पापा उसपर बहुत भरोसा रखते थे, असल मे वो दोनो इतने परेशान थे के वो शादी के लिये कुछ भी करने के लिये तैयार थे, पन्डित की बाते सुन कर वो खुश हुए और उस पूजा के लिये फ़ौरन राजी हो गये.
पन्डित ने बताया की यह पूजा ७ दिन तक चलेगी और यजमान-मतलब मेरे पिता का-उपस्थित होना जरूरी है. पापा फिर नाराज हो गये के उन्हे २-३ दिन से ज्यादा छुटी नही मिलेगी, फिर ये तय हुआ के मै दीदी, मम्मी और पन्डित जायेन्गे, पापा ने हमारा रिझर्वेशन भी करा दिया.
हमने सारी तैयारी कर ली और निर्धारित समय पे स्टेशन पहुच गये, ट्रेन शाम के ७ बजे चलनी थी और सुबह ९ बजे हरिद्वार पहुचती थी. पन्डित वही स्टेशन पे आ गया था, फिर पापा ने हमे अपने डिब्बे मे बिठाया और चले गये, जाते वक्त उन्होने मुझे कुछ पैसे दिये और कहा की मा और दीदी का खयाल रखना.
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जब ट्रेन चली तो हम अपने अपने स्थान पे बैठ गये और बाते करने लगे, हमारे डिब्बे मे १ कपल और था, वोह खिडकी वली सीट पे आमने सामने बैठे थे और वोह अपनी ही बतो मे बिझी थे, मम्मी और दीदी और वो औरत एक साईड मे थे और मै और पन्डित और वो तीसरा आदमी एक साईड मे थे.
मै मम्मी के सामने था, बातो बातो मे मैने देखा की पन्डित मम्मी की तरफ़ कुछ ज्यादा ही देख रहे थे, मुझे बडा अनकम्फरटेबल फ़ील हो रहा था और शायद मम्मी को भी. साला पन्डित कभी मम्मी के बडे बडे बूब्स की ओर देखता तो कभी उसकी जान्घो की ओर, और जब भी मम्मी किसी काम से खडी होती तो वोह उनकी कमर और उनके कूल्हो को देख रहा था.
मुझे बडा गुस्सा आ रहा था पर मैने अपने आप पे काबू बनाये रखा, कुछ समय बाद जब भी वो मम्मी की तरफ़ देखता तो मै भी देखता के वो कहा देख रहा है, इसके चलते मै भी न जाने कब मम्मी के खूबसुरत बदन को देखने लगा.
मैने देखा की मम्मी के स्तन बडे विशाल और सख्त लग रहे थे, ब्लाउज मे कस के बन्धे हुए थे, उनके हिप्स भी बडे और गोल थे, उनका पेट थोडा सा ही फूला था, उनकी स्किन गोरी थी, मम्मीने अपने जिस्म का अच्छा खयाल रखा था. उनके चेहरेपर गोल बडी लाल बिन्दी खूब सज रही थी, मेरी मम्मी अब मुझे भी बहुत खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी.
साला इस पन्डित ने मेरा मम्मी की तरफ़ देखने का नजरिया ही बदल दिया था. रात हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे, मै और पन्डित सबसे उपर की बर्थ पे सोये, मम्मी और दीदी बीच की बर्थ पे और वो कपल नीचे वाली बर्थ पे सो गये.
सुबह जब उठे तो देखा मम्मी और दीदी जागी हुई थी और पन्डित भी जागे हुए थे, वो कपल बीच मे ही कही उतर गया होगा, क्योन्कि दीदी और मम्मी विन्डो सीट पे बैठे थे, पन्डित मम्मी की तरफ़ ही देख रहा था और शायद मन ही मन मम्मी के शरीर को पाने की कामना कर रहा था.
मम्मी ने ग्रीन कलर की साडी पहनी थी और उसी कलरका ब्लाउज, मम्मी का शायद ध्यान नही था पर उनकी दायी चुची पूरी तरह से ब्लाउज के साईड से दिख रही थी, वो शायद पल्लु कुछ ज्यादा ही चढ गया होगा, पन्डित तो उसे बस घूरते जा रहा था, मम्मी का स्तन काफ़ी बडा दिख रहा था और वो उनकी उमर की हिसाब से ढीला भी नही लग रहा था.
ब्लाउज का कपडा पतला होनेसे अन्दर की उनकी ब्रा थोडी दिख रही थी और उनके वक्ष का उभार मानो उस कपडे से बाहर आनेकी राह देख रहा था. मम्मी की बगल के हिस्से मे आया पसीन यह सब और उजागर कर रहा था. मेरा लन्ड मेरी पैंट मे फनफना उठा.
कुछ ही देर मे हम हरिद्वार पहुच गये, हमने वहा एक आश्रम मे किसी से कह के बुकिन्ग करवा रखी थी. जब हम वहा पहुचे तो देखा वो एक बहोत बडा आश्रम है और रहने खाने पीने की अच्छी व्यवस्था थी, हमने २ कमरे लिये एक मे पन्डित और दूसरे मे हम तीनो.
फिर पन्डित ने कहा के अभी आराम कर लो, और शाम ५.३० बजे गन्गा घाट जायेन्गे और पूजा का आरम्भ करेन्गे, हमने दोपहर को खाना खाया और फिर सो गये, ५ बजे मम्मी ने हमे जगाया और जल्दी तैयार होने को कहा, मे तुरन्त नहा के बाहर निकल गया.
क्योन्कि मम्मी और दीदी को भी तैयार होना था, जब वो दोनो बाहर निकले तो दोनोने एक जैसी ही साडी पहन रखी थी, क्रीम कलर की गोल्डन बॉर्डर वाली, जैसे हम अक्सर पूजा मे पहनते है, वो दोनो बहोत सुन्दर लग रही थी. साला पन्डित पहले की तरह मम्मी को घूरते जा रहा था. मम्मी भी उनके इस बरताव से परेशान लग रही थी.
खैर हम घाट पे चले गये, वो उस आश्रम का निजी घाट था, आश्रम मे रहने वाले लोग सुकून से स्नान और पूजा कर सकते थे. पन्डित ने सारी तैयारी कर रखी थी, जैसे ही हम पहुच गये उसने मम्मी और दीदी को पूजा के स्थान पे बिठाया और मन्त्र जाप शुरु किया.
मे वहा बैठे बैठे सब देख रहा था, मम्मी मेरे बिलकुल सामने बैठी हुई थी, मैने देखा की मम्मी वाकई बहुत सुन्दर और सेक्सी है, उनकी उमरकी कोई भी औरत इतनी सेक्सी मैने नही देखी थी. पूजा के इस साडी मे तो वो इतनी खूबसूरत दिख रही थी की दीदी उनसे जवान होने के बावजूद उनकी मुकाबला नही कर पा रही थी.
कुछ देर बाद पूजा करने के बाद पन्डित ने कह की अब आपकी शुद्धि मन्त्रो से हो गयी है अब आप दोनो गन्गा मे ३ डुबकी लगाके आओ. मम्मी हैरान हो गयी, उसने कहा की हमारे पास कपडे नही है, लेकिन पन्डित ने कहा की अभी पूजा समाप्त नही हुई है, आपको स्नान करके फिरसे यहा आके बैठना है.
मम्मी कुछ बोल नही पाई, वो चुपचाप पानी मे उतर गयी और डुबकिया लगाने लगी, जब वो बाहर आयी तब मुझे पन्डितकी चाल समझ मे आयी. मम्मी की सारी पूरी भीगने कि वजह से मम्मी और दीदी के शरीर का ज्यादातर हिस्सा साफ दिखाई दे रहा था.
दीदी ने काले कलर की ब्रा पहनी थी और मम्मी ने सफ़ेद, मम्मी के बूब्स एक दम उभर के आ रहे थे, और गीले पानी की वजह से सारी शरीर से चिपक गयी थी, मम्मी का पूरा शेप दिख रहा था, बहुत ही मन मोहित करने वाला दृश्य था. मम्मी का पेट हल्का सा बाहर दिख रहा था, उनकी गान्ड बडी थी, जान्घे मोटी मोटी भरी हुई.
दीदी की तरफ़ मैने इतना ध्यान नही दिया मेरी नजर मम्मी से हटती ही नही थी. पन्डित का तो हाल बुरा हो चुका था वो मम्मी को देख के कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था, घडी घडी अपना लन्ड धोती मे एडजस्ट कर रहा था, मुझे उसपे गुस्सा तो बहोत आया पर मै कुछ नही बोला.
रात करीबन ७.३० बजे हम वहा से चले पन्डित ने कहा खाना खाके जल्दी सो जाना, सुबह ६ बजे पूजा फिर से शुरु करनी है, और वो चला गया. मैने मम्मी से कहा मै जरा बाहर घूम कर आता हू. आश्रम से बाहर निकला तो मैने देखा साला पन्डित शर्ट-पॅंन्ट पहने कही जा रहा था.
मुझे कुछ अजीब सा लगा की ये शाम को आश्रम छोडकर कहा जा रहा है. मैने उसका पीछा करने की ठान ली, चुपके से मै भी उसके पीछे चलने लगा. थोडी देर चलने के बाद देखा तो पन्डित एक गन्दी सी दुकान मे घुस गया, मै हैरान हो गया वो तो एक देसी दारू की दुकान थी.
ये पन्डित इसमे क्या कर रहा होगा, ये देखने के लिये मै भी अन्दर दाखिल हुआ और भीड मे छुपकर पन्डित को देखने लगा, उसने एक क्वार्टर मन्गाकर गटागट आधी पी गया. मुझे इस कमीने पन्डित से बहुत नफरत हो गई थी साला दिन मे पूजा-पाठ पढाता था और शाम होते ही उसके ये धंधे शुरु हो जाते थे.
पन्डित ने आधी बोतल अपनी जेब मे रख दी और वो वहासे निकल पडा, मै पीछा करता जा रहा था. फिर पन्डित एक घर मे चला गया, वो बहुत पुराना सा घर था, मै अन्दर तो नही जा सकता था, लेकिन उस घर के पीछे जाकर देखा तो एक खिडकी का काच टूटा हुआ था, मै अन्दर देखने के लिये बेताब था, इसलिये बाजू मे पडे एक डिब्बे का सहारा लेकर मै खिड़की से झाकने लगा.
वैसे तो कमरा खाली दिख रहा था, एक टेबल और एक बिस्तर था, मुझे लगा मै शायद गलत कमरे मे देख रहा हू, लेकिन कुछ ही पलो मे पन्डित एक अधेड उम्र की एक औरत को साथ ले आया, दिखनेमे साधारण सी थी लेकिन मेक-अप पर बडा जोर दिया था.
चेहरे पर पावडर होटोपे लिपस्टिक वगैरा…. मै दन्ग रह गया की भला ऐसी औरत के साथ ये पन्डित क्या कर रहा है. देखते ही देखते पन्डित ने उसे अपनी बाहो मे भर के उसे चूमने लगा, चोलीके उपरसे उसके मम्मे दबाने लगा, कुछ ही पलो मे उसने वो औरत की चोली उसके सीने से हटा दी, उस औरत के बूब्स थे तो काफी बडे लेकिन ढीले ढीले लग रहे थे.
कुछ देर यूही चुम्मा चाटी करने के बाद वो औरत बिस्तर पर लेट गयी और अपना घाघरा कमर तक उठा लिया, उसने नीचे कच्छी नही पहनी थी सो उसकी काले झाटो वाली बुर साफ दिख रही थी, पन्डित ने अपना पैंट उतारा और अंडरवेअर से अपना लन्ड निकाल के उसकी बुर मे घुसा दिया.
मै भी ये सब देखकर बहुत उत्तेजित हुआ था, मेरा लन्ड भी मेरे पैंट मे सख्त हो गया. धीरे धीरे उनकी चुदाई तेज होने लगी और पन्डित जोर जोर से धक्के लगाने लगे, फिर उन्होने और तेजी से चुदई शुरु की और कुछ देर बाद उनका शरीर अकड गया.
मै समझ गया के वो अब झडने वाला है. और हुआ भी ऐसाही, कुछही पलो मे पन्डित हाफने लगा और वो औरत पर निढाल होकर गिर गया. वो औरत कुछ भी बोल नही रही थी, फिर पन्डित ने उठकर अपने कपडे पहने और वहा से निकलने के पहले उसने उस औरत को कुछ रुपये दिये.
तब मै समझ गया की वो औरत एक वेश्या थी, साला हरामी पन्डित, दिन मे बभूती लगाकर पूजा के मन्त्र बोलता था लेकिन रात को शराब पी कर रन्डीबाजी करता था. मुझे उसपर गुस्सा भी आया और इस बात का बुरा भी लगा के मेरे मम्मी-पापा ऐसे गिरे हुए इन्सान पर भरोसा रखते थी.
फिर पन्डित आश्रम आगये और उनके पीछे पीछे मै भी लौट आया, रात हो चुकी थी, हम सब ने खाना खाया, मम्मी और दीदी उपर हमारे कमरे मे चली गयी, मै इधर-उधर की टहल रहा था, पन्डित ने मेरे साथ बात करने की कोशिश की लेकिन मैने टाल दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मै ये देखना चाहता था की कही वो कमीना हमारे कमरे के आसपास तो नही आता है, लेकिन वो एक बडे से कमरे मे सोने चला गया जहा पर और भी लोग थे. तब मै अपने रूम मे सोने चला गया, आश्रम के रूम मे बेड नही था, जब मै रूम मे पहुचा तो देखा की दीदी दिवाल की साईड मे सो रही थी और मम्मी उनके पास.
मेरा बिस्तर भी मम्मी के पास फर्श पर ही बिछाया था. मै चुपचाप सो गया, मम्मी और दीदी गहरी नीन्द मे थी, अब मेरे मन मे मम्मी के लिये अलग विचार आने लगे थे, बहोत कोशिश के बाद भी मै सो नही पय, एक पल मुझे मम्मी को छूने की सोची लेकिन डर के मारे आगे नही बढ पाया.
फिर हिम्मत बढाकर मैने धीरे से मा के हाथ के उपर हाथ रखा, सच बताउ दोस्तो मुझे ऐसा लगा जैसे धडकन वही रुक गयी हई, फिर कुछ देर तक जब कोई हरकत नही हुई तो मै उनका हाथ सहलाने लगा, बहुत अच्छा लगने लगा था. जब मम्मी नही जागी तो मेरा साहस और भी बढ गया और मैने अपना हाथ उनके पेट पर रखा, ओहोहोहो… कितना मुलायम था.
मैने अपना हाथ काफ़ी देर तक हिलाया भी नही, अब कोई हरकत ना हुई तो मै उनका पेट सहलाने लगा, एकदम मख्खन जैसी नरम स्किन थी और नाभी काफी गहरी थी, मै उसमे अपनी उन्गली घुमा रहा था. ऐसा लग रहा थ के मै स्वर्ग मे आया हू, इसी मे मुझे नीन्द आ गयी.
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जगाया और तैय्यार होने को कहा, मै उठकर दात मान्जने लगा, दीदी नहाने चली गयी, उस वक़्त मैने देखा की मम्मी मुझे कुछ अजीब नजरो से देख रही है, मैने जब उनकी तरफ देखा तो वो मुस्कुरा कर नजर फेरकर चली गयी. मुझे थोडी शर्म सी लग रही थी की कही उनको रात वाली बात मालूम तो नही हो गयी.
खैर हम जब तैयार होके बाहर निकले तो पन्डित बाहर ही खडा था. हम पूजा के स्थान पे गये, वहा सफेद रन्ग के कुछ कपडे पडे हुए थे पन्डित ने बताया की ये शुद्ध किये हुए वस्त्र आप दोनो (यानि मम्मी और दीदी) को पहनने होगे, पर अभी आप इन्ही कपडो मे रहे.
फिर कुछ देर मन्त्र पढ कर उसने मम्मी और दीदी से कहा की आप पानी मे डुबकी लगा के आओ और ये जो वस्त्र है वो पहन लो. मम्मी-दीदी जब डुबकी लगाकर वस्त्र पहन लिये तो मेरी आन्खे फटी की फटी रह गयी, काहे के वस्त्र वो तो सिर्फ एक ब्लाऊझ और पेटिकोट था और एक चुन्नी.
साईड मे इतने छोटी की मम्मी के बूब्स ब्लाउज मे आधे भी समा नही पा रहे थे, और पेटिकोट बिलकुल उनकी नाभी के नीचे था, शायद अन्दर उन्होने पॅन्टी नही पहनी थी जिसकी वजह से उनकी गान्ड पेटिकोट से साफ झलक रही थी. दीदी का भी यही हाल था लेकिन मेरी आन्खे तो सिर्फ मम्मी के गदराये हुए जिस्म पर थी.
उन्होने किसी तरह उस चुन्नी जैसे कपडे से अपना काम चलाया. पन्डित ने आकर फिर पूजा और हवन शुरु कर दिया, जैसी ही मम्मी आहुती देने के लिये हाथ हवन कुन्ड की ओर ले जाती उनके बूब्स उस छोटेसे ब्लाउज से बाहर आने की कोशिश करते थे, मेरा उनको इस हाल मे देख के लन्ड खडा हो गया, पन्डित का भी कुछ ऐसा ही हाल था.
एक-दो बार तो मम्मी ने शायद मुझे लन्ड एडजस्ट करते हुए देख भी लिया था. मै घबरा गया पर कुछ कह न सका, बस वही खामोश बैठा रहा. जब हवन खतम हुआ तो नारियल डालने के लिये सब खडे हो गये, पन्डित सामने था, दीदी और मम्मी पास पास खडी थी और मै मम्मी के पिछे खडा था.
पन्डित ने कहा की नारियल की आहुती के समय परिवार के सभी लोग जिस पे नारियल रख के आहुती देते है उसे हाथ लगाये, मै मम्मी के पिछे लकडी पकड के खडा था मम्मी थोडी ही पिछे आई और मेरा तना हुआ लन्ड उनकी गदराई गान्ड से एकदम सट गया उधर वो पन्डित कुछ मन्त्र जाप करने लगा.
लेकिन मै मम्मी की मोटी मांसल गान्ड पे अपने लन्ड के स्पर्श का आनन्द ले रहा था. कुछ देर बाद जब नारियल की आहुती देने लगे तो मम्मी और दीदी झुक के उस हवन कुन्ड मे डाल रहे थे, इस सूरत मे मम्मी की गान्ड मेरे लन्ड से एक दम सट सी गयी.
मै भी जरा भी पिछे नही हटा बल्कि अपने आप को थोडा और आगे की ओर किया जिसकी वजह से मम्मी जब जब झुकती थी मेरा लन्ड मानो उनकी गान्ड की छेद मे धस सा जाता था. आहुती खतम होने के बाद जब हम सब खडे हो गये तो मुझे मम्मी की रिएक्शन का डर था, लेकिन उसके चेहरे पर कुछ फर्क नही था.
फिर पन्डित ने कहा की अबकी बार आप तीनो एक बार गन्गा मे नहा कर आ जाओ, और फिर मम्मी और दीदी को कहा की आप अपने दूसरे कपडे पहन लेना. जब हम पानी मे गये तो मम्मी की पीठ मेरे सामने थी, जैसे ही मम्मी ने पहली दफा डुबकी लगायी, गीले पानी की वजह से उनकी गान्ड का शेप साफ दिखने लगा.
मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया, मम्मी आराम से नहा रही थी और मुझे उनकी नन्गी पीठ, कमर और गान्ड के खूब दर्शन हो रहे थे. जब डुबकिया लगाने के बाद मम्मी मेरी तरफ मुडी तो मेरा दिल जोरो से धडकने लगा, उन्होने चुन्नी हटा दी थी, और उनके बडे बूब्स मेरी आन्खो के बिलकुल सामने थे, उनके बूब्स का सिर्फ़ ३०-४० % हिस्सा कपडे के अन्दर था बाकी पूरा बाहर था.
मेरा दिल कर रहा था के मै वही उन बडे मम्मो को भीन्च दू, लेकिन मम्मी ने मुझे एक ब्लॅन्क सा लुक दिया और वहा से चली गयी. मै भी पानी से निकल कर बाहर आके खडा हो गया, कुछ देर बाद जब मम्मी और दीदी आये तो हम आश्रम के ओर चले, वहा हमने खाना खाया.
पन्डित ने कहा की पूजा फिर शाम ५ बजे शुरु होगी. हम अपने रूम मे सोने चले गये क्योन्की सुबह जल्दी उठे थे. शाम करीबन ४.३० बजे मम्मी ने मुझे जगाया, हम सब तैयार होके पूजा-घाट पर आ गये, पन्डित ने मम्मी से कहा की अब यहा से पूजा थोडी कठिन हो जायेगी.
लेकिन मम्मी को उसपर पूरा विश्वास था उन्होने कहा की परिधि की जनमपत्री का दोश हटाने के लिये जो आप जरूरी समझे वो बताये, हम आपका पूरा साथ देन्गे. मै मन ही मन हस पडा, मम्मी कितनी भोली थी, अगर उसने पन्डित का उस शाम वाला रूप देखा होता तो खैर, मम्मी और दीदी अपने स्थान पर बैठ गयी.
पन्डित ने विधी शुरु कर दी, फिरसे वही सुबह वाली बात बतायी, गन्गा मे नहा आओ और सफेद वस्त्र पहनो, पन्डित ने ममी को बुलाया और उन्हे एक धागा दिया उस धागे मे एक मोटी गोल करीबन ३ इन्च की लकडी बन्धी हुई थी, पन्डित ने बताया की इस धागे को स्नान के बाद आप और परिधि अपने नाभी पे पहन लेना, और जब तक पूजा पूरी तरह से खतम नही होगी, उसे नही उतारना.
स्नान होने के बाद मम्मी गजब की मादक और कामुक लग रही थी, उनके ब्लाउज के उपर वाला एक हुक भी नही था. मै समझ गया की ये जरूर इस कमीने पन्डित की चाल होगी. आज तो मम्मी के ७०% बूब्स बाहर थे और चुन्नी होते हुए भी वो उसमे समा नही पा रहे थे, वो पन्डित ने दिया हुआ धागा बाहर कमर पे बान्धा हुआ था.
पन्डित ने कहा की ऐसे नही, लकडी के टुकडे को अन्दर की ओर रहने दो, मम्मी ने तुरन्त अपने पेटिकोट के अन्दर कर दिया. जैसे ही मम्मी और दीदी उस धागे को और उससे से बन्धी लकडी को लेकर बैठ गयी, लकडी ने अपना काम शुरु किया.
अन्दर कुछ न पहनने की वजह से वो लकडी सीधे उन दोनो की चूत पर ही रगड रही थी. और इसी वजह से दोनो के चेहरे पे एक अजीब सा भाव आ रहा था, जो आनन्द और शर्म दोनो दिखा रहा था काफी देर तक वो इस लकडी से जूझ रही थी.
जब शाम की पूजा समाप्त हुई और वो दोनो खडी हुई तो मेरे होश का कोई ठिकाना नही रहा, जैसे ही मम्मी और दीदी पलटी तो उनकी गान्ड के थोडा नीचे का भाग गिला था, शायद लकडी की वजह से उनकी चूत से पानी निकल रहा था, मतलब दोनो एकदम कामुक हो चुकी थी.
पन्डित ने भी मन ही मन मे कुछ सोच कर उसे घूर रहे थे, उनके चेहरे पर एक कमीनी मुस्कान थी. मम्मी और दीदी ने जब फिर से स्नान कर के कपडे पहने तो वो काफी शान्त लग रही थी और थकी हुई भी. पन्डित ने उन्हे आराम करने को कहा और खाने पर मिलने की बात कही.
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जैसे ही हम आश्रम पहुचे मैने देखा पन्डित पैंट शर्ट पहन कर चल पडा, मै जानता था की वो कहा जायेगा. पन्डित वैसे ही पहले शराब की दुकान पर और फिर उस रन्डी के पास जाने के लिये निकल पडा. लेकिन आज उसने कुछ ज्यादाही पी रखी थी, ठीकसे चल भी नही पा रहा था, लडखडा रहा था.
उस दिन की तरह भी मै उस घर के पीछे छिप गया, लेकिन इस बार मैने एक तरकीब सोची थी, मेरे पास फोन था, मैने सोचा की क्यो ना इन दोनो का व्हिडियो बनाया जाये. कुछ समय बाद पन्डित आ गया, इस बार कोई और औरत थी, जो बहुतही जवान थी, वो पन्डित से लड रही थी की उसे छोड दे.
लेकिन नशे मे धुत पन्डित को अपनी वासना के आगे कुछ नही दिख रहा था. उसने उस औरत को बिस्तर पे गिरा दिया और उसके वस्त्र उतारने लगा, वो औरत चीख रही थी, चिल्ला रही थी, पन्डित ने अपने कपडे उतार दिये और वो उस औरतपर झपटने वाला था की अन्दर से वो पहले वाली अधेड औरत आ गयी.
उसने डर डर के कहा, भागो जल्दी, पुलीस की रेड पडी है, ये सुनकर वो जवान औरत उठ के खडी हो गयी और अपने कपडे उठाकर अन्दर की तरफ भाग गयी. पन्डित नशे मे था, उसने इस अधेड औरत को अपने बाहो मे भर लिया और उसे चूमने लगा, लेकिन उस औरत ने एक जोरदार तमाचा उसके गाल पे जड दिया और उसको पीछे की दरवाजे की तरफ ढकेल दिया.
आगे क्या होगा इसका मुझे अन्दाजा नही था, अचानक पन्डित और वो वेश्या पीछे का दरवाजा खोलकर मेरे सामने आ गये. हम दोनो मे कौन ज्यादा अचम्भित हुआ ये बताना मुश्किल है, उस औरत ने पन्डित को ढकेल दिया, लेकिन पन्डित ने उसको काफी कसके पकडा था, सो वो दोनो एक दूसरे पर गिर गये.
मैने होश सम्भाला और झट से मेरे फोन के कॅमेरे मे उन दोनो की तस्वीरे खीन्च ली, ये देखकर वो औरत ने पन्डित से अपने आप को छुडाया और अन्दर भाग गयी, बडा अजीब सा नजारा था, पन्डित आधा नन्गा उस रन्डीखाने के पीछे पडा था, नशे मे धुत……… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तस्वीरे खीन्चने पर मै वहासे दूर भाग कर खडा हो गया और कुछ अन्तर से वो सारा तमाशा देखने लगा. काफी भीड जमी थी. फिर पुलीस आ गयी और उसने पन्डित को उठाकर अपने गिरफ्त मे ले लिया. उस कोठे के सामने ही उन्होने रेड मे गिरफ्तार किये लोगो की खूब पिटाई शुरु की.
अब पन्डित की बारी थी, उसका नशा अब पूरी तरह से उतरा था, उसे अब मार पडनी ही थी की उसकी नजर मुझपर पडी, मै भी भीड मे खडा था. पन्डित ने पुलीस को बताया की वो आश्रम मे आया है और गलती से इन लोगो के साथ फस गया है, उसने मुझे पुकारकर बुलाया.
पुलीस ने मुझे पन्डित के बारे मे पूछा. मैने मौके का फायदा उठाने की सोच ली, मैने पुलीस से कहा की ये सचमुच हमारे साथ आश्रम मे ठहरा है. पुलीस को तसल्ली हो गयी और उन्होने उसे छोड दिया, मै और पन्डित फिर आश्रम लौट आये, पन्डित बार बार मुझसे शुक्रिया कह रहा था, मै कुछ नही बोला, बस सुनता जा रहा था.
आश्रम आने के बाद वो अपने कमरे मे चला गया, कुछ देर बाद जब खाना खाने सब नीचे आये तो वो भी आ गया, उसके चेहरे पे कोई चोट तो नही थी, लेकिन चेहरा लाल था, उसका नशा अब कम हुआ लग रहा था, उसकी चाल अभी भी ठीक नही लग रही थी, मम्मी ने बडी चिन्ता से उनको पूछा, लेकिन उसने कुछ झूठ बोलकर बात टाल दी.
खाना खाके मम्मी और दीदी उपर चले गये, मै वही पे बैठा रहा, मुझे देखकर पन्डित भी मेरे पास आ गया और बाते करने लगे, बातो बातो मे वो मम्मी की बहुत तारीफ़ करने लगा. मुझे बडा गुस्सा आया और मैने एक जोर का तमाचा उसके गाल पे मारा और कहा, लगता है मार कम पडी है जो अभी भी औरतो के खयाल जेहेन से जा नही रहे है.
वो मेरे मुह से सुनने के बाद अपने होश मे ही नही था, फिर मैने उनको मेरे फोन के कॅमेरा की तस्वीरे बता दी. वैसे ये पन्डित था तो बडा बदमाश, लेकिन हमारे शहर मे उसका बडा नाम था, कई लोग उसे गुरू मानते थे. इन्ही लोगो की वजह से उसका पूजा-पाठ का अच्छा धन्धा चलता था.
उसे पता चला की अगर मै ये फोटो शहर मे दिखा दी तो उसे मुह छुपाने की भी जगह नही मिलेगी. मैने उसे ये भी बताया की वो शराब पीता है और रन्डीयो के पास जाता है, ये बाते अगर मै अपने शहर मे जाके सबको बता दू तो उसका सारा धन्धा चौपट हो जायेगा.
अब पन्डित बहुत डर गया था, वो मेरे आगे हाथ जोडने लगा और माफ़ी मान्गने लगा और किसी से ना कहने के लिये गिडगिडाने लगा. अब स्थिती बिलकुल मेरे कब्जे मे थी, सो मैने उसे धमकाकर उसे कहा एक शर्त पे. मैने उससे पूछा की तुम यहा पूजा के लिये आये हो या कोई और चक्कर मे.
तो उसने बताया के वो मेरी मम्मी को पाने की साजिश रचाने के लिये यहा आया था, वो जानता था की मम्मी और पापा उसे बहुत मानते थे सो वो जो कहेगा उसे वो इन्कार नही करेन्गे, पूजा के बहाने वो मम्मी को अपने चन्गुल मे फसाने के लिये ही यहा लाया था.
उसे मेरे आने की उम्मीद नही थी और पापा आते तो उन्हे वो आसानी से ठग सकता था. मेरी वजह से उसका काम नही बन रहा था. उसने बताया के उसने वास्तव मे दीदी के लिये एक रिश्ता ढून्ढ रखा था, ये पूजा तो मेरी मम्मी को फसाने के लिये रखी थी.
ये सब सुनकर मुझे उसपर बहुत गुस्सा आया और मैने भी एक कोने मे उसे ले जाके उसकी अच्छी धुलाई कर दी. उसे फिर एक बार उसके नन्गे फोटो दिखाने की धमकी दी. फिर वो मेरे पैरो मे गिर गया और रोने लगा और माफ़ी मान्गने लगा, फिर मैने उससे कहा की मेरी मम्मी का खयाल अपने दिमाग से निकाल दो, और जो दूसरी बात मैने बोली तो वो हक्का बक्का रह गया.
मैने उसे साफ कहा की मै अपने मम्मी को पाना चाहता हू, पर जोर जबरदस्ती से नही बल्कि प्यार से, और तुम मेरी इस काम मे मदद करोगे, नही तो मै उसकी पोल खोल दून्गा. पन्डित का नशा अभी काफी उतरा था, वो हसने लगा की मै कैसा कमीना इन्सान हू जो अपनी सगी मा के साथ यौन-सबन्ध बनाना चाहता है.
फिर मैने उसे एक और थप्पड मारा और कहा की हरामी तेरी वजह से ही मेरी नियत बिगडी है, तो अभी ज्यादा नौटन्की मत करना, मेरा काम हो जाना चाहिये वरना तुम जानते हो मै क्या कर सकता हू. उसके पास कोई चारा भी तो नही था, वो मेरी सारी बाते मान रहा था.
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मैने उसे फिर एक बार धमकाया की ये काम कल सुबह से ही शुरु हो जाना चाहिए और मै सोने चला गया. जब मै रूम मै पहुचा तो देखा की मम्मी और दीदी सो चुकि है, मै भी लेट गया. रूम की खिडकी से चान्द की हल्की रोशनी आ रही थी.
मैने साईड मे सोयी मम्मी की तरफ देखा, उनकी साडी घुटनो तक उन्ची हुई थी और उनके गोरे कोमल पाव उस रोशनी मे साफ़ दिख रहे थे. मेरी नीन्द उड गयी, मै मम्मी के पाव के पास बैठ गया और उन्हे देखने लगा, बहुत मन कर रहा था की मै मम्मी के पाव का स्पर्श करू पर हिम्मत जुटा नही पा रहा था.
कुछ देर सोचने के बाद मैने मम्मी के पाव को हाथ लगाया मेर शरीर ठन्डा पड गया, मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था. मैने कुछ देर अपना हाथ मम्मी के पाव पे बिना हिलाये रहने दिया और फिर कुछ देर बाद हलके हलके उनके पाव को मह्सूस करने लगा.
मम्मी की टान्गो पे बाल नही थे, शायद यहा आने से पहले उन्होने निकाल लिये होन्गे, लेकिन मम्मी ऐसी मॉडर्न चीजे भी करती होगी ये सोचकर मै और उत्तेजित हो गया. खैर मै अपना हाथ हलके हलके मम्मी के पाव पे घुमा रहा था, अब मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया था और मै अपना हाथ पाव के नाखूनो से लेकर घुटनो तक घुमा रहा था, मुझे बडा मजा आ रह था.
मेरा लन्ड भी अब आगेसे चिपचिपा हुआ था. मै अपने ही खयालो मे खोया हुआ था के अचानक मम्मी जाग गयी और मेरा हाथ पकड लिया, मेरी तो जैसे सास ही रुक गयी, मै कुछ भी नही बोला और मम्मी की डाट का इन्तजार करता रहा. लेकिन मम्मी ने बडे शान्त स्वर मे पूछा, बेटा तुम यह क्या कर रहे हो, मैने हिचकिचाते हुए कहा, मम्मी मै आपके पाव दबा रहा था.
उन्होने थोडे गुस्से से पूछा क्यु, मैने कहा की मुझे लगा आप दिन भर पूजा मे बैठ के थक गयी होगी तो पाव दबाने से आराम मिलेगा, लेकिन आपकी नीन्द कैसे खुल गयी. तो उन्होने कहा बेटा यह जो लकडी बान्धी है पन्डित जी ने उससे काफ़ी तकलीफ़ होती है सोने मे. फिर मैने कहा आप सो जाईये, मै पाव दबा देता हू, थोडा चैन मिलेगा.
इसपर मम्मी के चेहरे पर सन्तुष्टी के भाव झलकने लगे, बडे प्यार से उन्होने मेरे बालो मे हाथ फेरा और बोली, मेरा राजा बेटा मेरा कितना खयाल रखता है, मैने कहा मम्मी ये तो मेरा फ़र्ज़ है. फिर उन्होने कहा बेटा तू भी तो हमारे साथ पूजा मे लगा रहता है, तू भी तो थक गया होगा, चल अब बस कर मेरी सेवा, सो जा यह कहकर वो लेट गयी.
मै भी उनके पास जाके लेट गया. मेरे इस बर्ताव से मम्मी काफी खुश थी, उसने प्यार से मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरी तरफ मुह करके मेरे कन्धे पर हाथ डालकर सो गयी. मै उनके बाजू मे लेटा था, मम्मी की साडी का पल्लु थोडा सा खिसक गया था और उनके बडे बडे मम्मे और उन मम्मो के बीच वाली खूबसूरत दरार उस चान्दनी मे गजब की जच रही थी.
लेकिन मैने इस वक्त चुपचाप सो जाना ठीक समझा. सुबह मम्मी ने मुझे ५ बजे जगाया और तैयार होने को कहा, आज मै बडी खुशी से उठा, जल्दी से तैयार हो गया. दीदी नहाने चली गयी, मम्मी का रवैया आज बदला बदला सा था, वो मेरा बडा खयाल रख रही थी, और बात बात पे मेरी तारिफ़ कर रही थी.
मेरे रात के पैर दबाने वाले ड्रामे से वो एकदम पिघल गयी थी, वो नही जानती थी की मै उन्हे किस नजर से देख रहा था. जब हम नीचे आये तो पन्डित हमारा इन्तज़ार कर रहा था, मुझे देखते ही उसने अपनी नजरे नीचे झुका ली. हम घाट पे आये तो मम्मी और दीदी पूजा स्थान पे बैठ गये.
और पन्डित ने पूजा शुरु कर दी, आज वो अपना पूरा ध्यान मन्त्र और पूजा पे लगाये हुए थे, उसने मम्मी और दीदी की तरफ देखा तक नही. कुछ देर बाद उसने मम्मी से कहा की अब पूजा मे परिधि की जरुरत नही है सो वो आश्रम जा सकती है, अब आगे की विधी मे आपके सुपुत्र और आपका काम है, मै समझ गया की वो मेरे लिये मौका बना रहा है.
मैने इशारे से उसको बता दिया की दीदी की नाभी की लकडी को खुलवा दे. पन्डित ने वैसे ही किया. अब वो बिलकुल पालतू कुत्ते की तरह मेरा कहना मान रहा था. मम्मी को थोडा अचरज हुआ, उसने पूछा ऐसा क्यू, तो पन्डित बोला की बाकी की विधी मै आपसे सम्पन्न कर लून्गा.
दीदी ने जाते वक्त वो धागा पन्डित को दे दिया और वो आश्रम मे चली गयी. अब पन्डित की चाल शुरु हो गयी, उसने मम्मी से कहा कि अब पूजा मे आपका विधीपूर्वक स्नान और शुद्धि होनी है, मम्मी ने कह की उसमे कौन सी नयी बात है, हम तो रोज करते आ रहे है.
तो पन्डित ने कहा कि आगे की पूजा और कठिन परिश्रम वाली होगी, मात्र डुबकी लगाने से शुद्धि नही होगी. मम्मी ने आश्चर्य से पूछा तो फिर क्या करना होगा, पन्डित ने बताया कि तुम्हे पहले दिव्य जडी बूटी वाला तेल लगाना होगा फिर गन्गा स्नान करना होगा, यह सब आप खुद नही कर सकती और यह काम मुझे आपके लिये करना उचित नही, आप यह पसन्द भी नही करोगी, इसलिये मै यह कार्य आपके सुपुत्र से करवाउन्गा.
मम्मी हैरान हो गयी और परेशान भी, वो कहने लगी, पन्डितजी वो मेरा बेटा है, मतलब कि…… वो अब अब…. बडा है, मै उसके साथ उसके सामने कैसे स्नान कर सकती हू, परिधि मुझे स्नान करा सकती है, आप उसे क्यू नही बुलाते. लेकिन पन्डित साला बहुत चालाक था, उसने कहा जी परिधि जरूर करवा सकती थी अगर उसकी जनमपत्री मे दोश ना होता तो.
फिर उसने और थोडा जोर देते हुए कहा कि आप अगर अपनी बेटी की जनमपत्री से दोश हटाना चाहती हो तो ऐसा करो, वर्ना इस विधी के बगैर भी काम चलाया सकता है, लेकिन…… यह कहकर पन्डित ने बात आधी छोड दी. उसको मम्मी का वीक पॉईन्ट पता था.
मम्मी घबरा गयी और पन्डित से माफ़ी मान्गने लगी, पन्डितजी क्षमा करे, हमे आप पर पूर विश्वास है, आप जैसा कहेन्गे वैसा ही होगा. पन्डित ने कहा कि मेरी उपस्थिती मे आप लोग ज्यादा शरमा जाओगे इसलिये मै पुरी स्नान विधी आपके बेटे से कह के कुछ देर के लिये चला जाउन्गा, और जैसा मै उसे समझा के जाऊ उसे वैसा ही करने देना, एक भी कार्य अगर ठीक से ना हुआ तो पूरी पूजा व्यर्थ हो जायेगी.
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और इस अजीब विधी के लिये पन्डित ने एक जगह बतायी जो थी तो घाट पे ही पर थोडी दूर थी, वहा पे ज्यादा लोग अक्सर नही आते थी, अच्छी प्रायव्हसी थी. मम्मी ने पन्डित से कहा की जैसी आपकी आज्ञा हो, हम करेन्गे, है ना, यह कहकर उसने मेरी तरफ देखा, मैने भी हामी भर दी.
फिर पन्डित मुझे एक कोने मे ले गया और उसने कहा कि देखो भाई शुरुआत तो कर दी है थोडा प्रयास तुम्हे भी करना होगा, समय समय पे मै ऐसे ही मौके तुम्हे देता जाऊन्गा लेकिन वो कल वाली बात किसी से ना कहना. मैने उसे निश्चिन्त रहने को कहा, फिर वो वहा से चला गया, जाते हुए वो मुझे एक तेल की बोतल दे गया.
मै समझ गया की क्या करना है. मै मम्मी के पास पहुचा, वो थोडी सी घबराई हुई थी और व्याकुल भी थी मै समझ सकता था के उनके मन मे क्या विचार आ रहे होन्गे, लेकिन मै मन ही मन मे बहुत खुश था लेकिन मम्मी के सामने मै भी परेशान होने का नाटक कर रहा था.
मम्मी ने क्रीम कलर की साडी पहनी थी और मॅचिन्ग ब्लाउज भी. उस ब्लाउज से उनकी सफेद कलर की ब्रा भी साफ दिखाई दे रही थी. मैने थोडा हिचकिचाते हुए मम्मी से कह की विधी शुरु करे वरना सूरज निकल आने पर और भी लोग आ जायेन्गे और फिर बडी मुसीबत होगी.
मम्मी बोली की ठीक है, यह बात भी सही है, और फिर मम्मी वहा एक पत्थर पे बैठ गयी, मै मम्मी के पाव के करीब नीचे जमीन पर बैठ गया और मम्मी का एक पाव अपने घुटने पे रखा और पहले उनके पाव के तलवो पे तेल लगाने लगा, फिर मैने पाव की उन्गलियो पे तेल लगाया.
मम्मी बहुत अन-इझी लग रही थी पर मुझे बडा अच्छा लग रहा था, फिर मैने पाव के उपरी हिस्से मे तेल लगाया, अब मेरे हाथ उनके पैरो पर घूम रहे थे. मम्मी ने अपनी आन्खे बन्द कर रखी थी और मुझे अपनी मन मर्जी करने का मौका मिल रहा था.
फिर मैने मम्मी की साडी घुटनो तक उठायी, इसपर मम्मी ने आन्खे खोल दी और बोली, यह क्या कर रहे हो, मैने कहा मम्मी पन्डित्जी ने कहा है ऐसा करने के लिये, आप कहे तो रुक जाता हू, लेकिन मम्मी ने कहा कि नही, अगर पन्डितजी ने कहा है तो करो, आखिर परिधि के भविष्य का सवाल है.
अब तो मुझे लायसन्स मिल गया फिर मैने मम्मी के पाव पे घुटनो तक तेल लगाने लगा, मम्मी ने अपनी आन्खे फिर से बन्द की. अब धीरे धीरे उनके के चेहरे के भाव बदल रहे थे. उनका चेहरा हलका लाल होता जा रहा था, शायद उन्हे भी इस क्रिया से मजा आ रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब मेरा भी साहस बढ गया और मैने हिम्मत करते हुए मम्मी की जान्घो पे साडी थोडी और उठानी चाही. मम्मी शरमा गयी और बोली ऐसा मत करो, मैने कहा मम्मी तेल कैसे लगाउन्गा तो उन्होने पूछा कि क्या पन्डितजी ने यहा भी तेल लगाने के लिये कहा है.
मैने कहा हा ऐसे ही कहा है, तो मम्मी बोली की साडी उपर मत करना. मैने कहा कि फिर तो साडी खराब हो जायेन्गी उसपर तेल के धब्बे दिखेन्गे. लेकिन मम्मी इस बार अपनी बात पे अडी रही, फिर मैने तेल अपने हाथो पे लिया और साडी के अन्दर हाथ डालकर जान्घो पे तेल लगाने लगा.
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बताउ दोस्तो मम्मी की जान्घे इतनी कोमल और मुलायम थी, ऐसा लग रहा था जैसे फूलो पे हाथ घुमा रहा हू, अब मुझे इस मे और भी ज्यादा मजा आने लगा था, और मै चाहता था के मै इसे और लम्बा खीचू और मम्मी मुझसे उन्हे चोदने के लिये गिडगिडाये.
मैने आस्ते से मम्मी की जान्घोके उपर वाले हिस्से पे तेल रगडना शुरु किया. मम्मी के मुह से आवाजे निकलने लगी, जैसे ही मै जान्घो के उपरी हिस्से मे पहुचा तो मेरे हाथ उस लकडी को लगने लगे जो पन्डित ने उन्हे बान्धने के लिये दी थी, मै हल्केसे वो लकडी मम्मी की चुत की दिशा मे ढकेलता रहा.
अब मम्मी मस्ती मे आयी थी, अपने दान्तो तले होठ दबा रही थी और आन्ख बन्द किये शायद मालिश का मजा ले रही थी. फिर मैने उनसे खडे होने को कहा, वो बोली क्यू तो मैने बताया कि पाव के पिछे के हिस्से मे भी तेल लगाना है, वो खडी हो गयी और मैने अपने घुटनो पे बैठ गया और तेल हाथ मे लेकर साडी मे हाथ घुसा के पाव के पिछले हिस्से मे उपर से नीचे तेल रगडने लगा.
मम्मी बहुत अनकम्फरटेबल हो रही थी आन्ख बन्द करके खडी थी. मैने कई बार उनकी पॅन्टी की लाईन को छुआ, लेकिन जब जब मेरा हाथ उनकी गान्ड के करीब आता वो सहम जाती. अब मै खडा हो गया और मम्मी क हाथ अपने हाथ मे लेकर तेल लगाने लगा.
ब्लाउज के चलते पूरे हाथ मे लगाना मुश्किल था, मैने मम्मी से कहा के ऐसे कपडो के साथ मे तेल लगा नही पाउन्गा, और वैसे भी नीचे का हिस्सा रह गया है. मम्मी एकदम से चौन्क गयी, उनकी आन्खोमे कई सवाल थे पर वो कह नही पा रही थी.
मैने उनसे कहा मम्मी अब थोडी देर मे रोशनी हो जायेगी और फिर लोगो की भीड भी बढ जायेगी तो बेहतर यही होगा कि आप साडी ब्लाउज उतारकर पेटिकोट पहन लो, ऐस पन्डितजी ने खुद कहा है. वो करना तो नही चाहती पर पन्डित के प्रति विश्वास की वजह से वो चुप थी.
वो साईड मे जा कर सारे कपडे उतार के आ गयी. मम्मी का वो रूप देखकर मुझे लगा कि कोई स्वर्ग की अप्सरा धरतीपे उतर आयी हो मम्मी ने सफेद कलर का पेटिकोट पहना था और उनके बाल खुले थे, चेहरे पे शर्म की लाली थी. मै मम्मी के पिछे खडा हुआ और उनके बालो मे तेल लगाया.
सर रगडते ही मम्मी की आन्खे मून्दने लगी, इस मौके का फायदा उठाकर मैने तेल उनकी कन्धो पे लगाया, गजब की मखमली स्किन थी, नर्म रजाई जैसी, कन्धो पे लगाते लगाते मैने उनके बूब्सके उपरी हिस्सो मे तेल लगाया. उनके बूब्स पेटिकोट मे समा नही पा रहे थे, और उभर के बाहर आने को बेताब थे.
मैने तेल हाथ मे लेकर मम्मी की पीठ पे लगाने लगा, उनकी स्किन का स्पर्श एक दम सुखद था, मम्मी भी अब मेरे हाथ के स्पर्श का आनन्द ले रही थी, वो कुछ बोल तो नही रही थी पर उनका चेहरा लाल हो चुका था, अब बारी थी उनके प्रायव्हेट जगहो की मुझे समझ नही आ रहा था कि कैसे आगे बढू.
मैने उनसे कहा कि बाकी जगहो पे तेल लग गया है, मम्मी ने पूछ कही कुछ बाकी है क्या, तो मैने नौटन्की अन्दाज मे नजर नीचे घुमाकर कहा कि पन्डितजी ने तो पूरे बदन पे लगाने के लिये कहा था लेकिन मेरे हिसाब से अब मुझे रुकना चाहिये.
मम्मी सोच मे पड गयी एक तरफ थी उनकी उस पन्डित के प्रति श्रद्धा और दूसरी तरफ अपने जवान बेटे के सामने नग्न हो कर उससे अपने शरीर की मालिश कराना. उन्होने मुझे फिर पूछा कि क्या पन्डित ने सचमुच सब जगह लगाने के लिये बोला है.
मैने झट से कहा कि हा वाकई सब जगह पे, आप चाहती हो तो मै उन्हे बुलाकर आपके तसल्ली कर दू और ऐसा कहकर मैने निकलने का अभिनय किया. मम्मी घबडा गयी, वो नही चाहती थी वो पन्डित उसे इस अवस्था मे देखे. कुछ पल ऐसे उधेड-बुन मे बिताने के बाद मम्मी ने एक तरकीब सोची.
उन्होने कहा कि मै तेरे सामने अपने कपडे तो नही निकाल सकती, तुम एक काम करो, अपनी आन्खो पे कपडा बान्ध लो. मै थोडा नाराज हो गया क्योन्की मै इस काम का आराम से मजा लेना चाहता था, लेकिन यह भी जानता था की देर करने पर लोग आना शुरु हो जायेन्गे और मेरा काम बिगड जायेगा.
मैने कुछ बोले बिना अपनी आन्खो पे पटटी बान्धी और अपने हाथ मे तेल लेकर मम्मी के पेटिकोट मे उपर से हाथ डाला, जैसे ही मेरा हाथ मम्मी के बूब्स को छुआ हम दोनो के शरीर कान्प गये, मै ऐसे ही कुछ पल खडा रहा और उस अजीब महोल मे मम्मी के भरे पूरे वक्षो को रगडने का आनन्द लेने लग.
जैसे ही मेरा हाथ उनके एक निपल पर आया उफ्फ्फ्फ……. ऐसा लग रहा था जैसे मै हवा मे सैर कर रहा हू, मै जोरसे दबाना तो चाहता था लेकिन मन ही मन जानता था कि ऐसा करने से बना बनाया काम बिगड सकता था इसलिये मैने सिर्फ उपर उपर से हाथ घुमाया.
मम्मी का निपल मेरी हथेली के नीचे सख्त होता हुआ मै महसूस कर रहा था, मै उनके बूब्स देख तो नही सकता था लेकिन उनके बूब्स के स्पर्श से अन्दाजा लगा सकता था कि उनके बूब्स काफी कठोर थे, ढीले नही पडे थे. और उनका साईझ काफी बडा था, मै सब कुछ भुला कर उनके दोनो मम्मो पर तेल लगा रहा था.
मम्मी को कैसा लग रहा था इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल था क्योन्की मै उनका चेहरा तो नही देख सकता था, उन्होने कोई आवाज भी नही की लेकिन मेरे स्पर्श से थोडी कसमसायी जरूर थी. एक एक करके मैने मम्मी के दोनो बूब्स पे तेल लगाया और अपना हाथ वहा से निकाल लिया.
शायद मम्मी अपने बूब्स मुझसे और थोडा दबाना चाहती थी लेकिन उनकी तरफ से कोई आवाज नही आयी, फिर मैने मम्मी को खडा किया और उनके पेटिकोट के अन्दर हाथ डाल दिया और सीधा उनके गदराई गान्ड पे रख दिया, क्या बताउ, मेरे अन्दाज़ से भी उनकी गान्ड बडी और टाईट और सुडौल थी.
मेरा हाथ लगते ही मम्मी का बॅलन्स बिगड गया, शायद उनको भी अब इन्ही हरकतो से मजा आ रहा था, और वो कुछ ना कहते हुए मेरे मसाज का आनन्द ले रही थी, पहले तो मैने उनके गोल मटोल चुतडो पे बारी बारी तेल लगाया, एक अजीब से हलचल हो रही थी मन मे, और मेरा लन्ड एक दम तना हुआ था.
मैने उनकी गान्ड की दरार मे तेल लगाया और वहा से हाथ हटा लिया, फिर मैने हाथ मे तेल लिया और वो काम करने के लिये बढ गया जिसे मुझे कुछ दिन पहले करने का ना कोई इरादा न मनशा, पर आज मेरी सबसे बडी चाहत वो चीज बन चुकी थी.
यह सब सोच कर मेरा लन्ड मेरे वस्त्रसे बाहर आनेकी कोशिश कर रहा था जैसे ही मैने मम्मी के पेटिकोट मे हाथ अन्दर डाला, मम्मी की मुह से एक लम्बी सास मुझे सुनाई दी, शायद वो भी जान चुकी थी कि आगे क्या होना है, मैने जैसे ही अपना हाथ मम्मी की चूत के करीब लाया तो मुझे अपने हाथ मे गरमी महसूस हुई, शायद मम्मी भी उत्तेजित हो गयी होगी.
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जब मैने उनकी चूत पे हाथ रखा तो हक्का बक्का रह गया, उनकी चूत भटटी की तरह गरम थी और गीली भी थी, चूत के उपर वाले हिस्से मे वो पन्डितवाली लकडी हाथ को लग रही थी. मम्मी शायद मेरे स्पर्श और उस लकडी की वजह से उत्तेजित हो चुकी थी, उनके चूत एकदम गदराई थी और उनके बाहर वाले होट फूले फूले से लग रहे थे. मैने जैसे ही उनकी चूत पे हाथ रखा तो मम्मी एकदम झेन्प गयी और मेरे हाथ को अपनी टान्गो से हलके से दबा लिया. मम्मी की चूत एकदम चिकनी थी, एक भी बाल नही था.
इसका मतलब मम्मी भी एक मॉडर्न औरत की तरह सब साज-शृन्गार करती थी बस बाहर से वो एकदम सीदी साधी लगती थी. मुझे लग रहा था कि कुछ पल वक्त यही रुक जाये, मेरी मम्मी मेरा हाथ उनके टान्गो के बीच दबाये रखे और मै उनकी मस्तानी चूत सहलाता रहू. खैर कुछ देर बाद मैने मम्मी की चूत से हाथ हटा लिया मम्मी को भी होश आया और उन्होने मेरी आन्ख की पटटी खोल दी और खुद घाट की तरफ चल पडी. दोस्तों अभी के लिए इतना ही. पर अभी मम्मी की चुदाई मैंने कैसे की जानने के लिए कहानी का अगला भाग का इन्तेजार करे….