Maa Mast Chut
दोस्तों आपने मेरी कहानी के पिछले भाग मम्मी को चोदने के लिए पंडित का मदद लिया 1 में पढ़ा होगा की कैसे मेरी दीदी की शादी नहीं हो रही थी और उसके लिए एक पंडित ने हमे हरिद्वार जाकर पूजा करवाने को बोला, लेकिन वो यहाँ मेरी माँ और बहन को चोदना चाहता था. पर मैं उसकी सच्चाई जान गया और उसे ब्लैकमेल किया की मम्मी को चोदने में वो मेरी मदद करे. अब आगे- Maa Mast Chut
मै मम्मी के पीछे चुपचाप चल पडा, हम दोनो एक अजीब से नशे मे थे. गन्गा मे उतरने के बाद मैने नहाने मे उनकी मदद की, लेकिन मैने जान बुझ कर उन्हे ज्यादा छुआ नही, अब आजूबाजू मे काफी लोग भी आये थे. मम्मी भी झट्से नहा कर निकली और तैय्यार हो गयी.
कुछ देर बाद पन्डित आ गया, मैने उसे आन्ख से इशारा करके बता दिया की जो हुआ सो अच्छा था. मम्मी थोडी दूर जाने पर मैने उसे साफ बता दिया की यह आयडिया तो अच्छा था लेकिन अब थोडा और आगे बढाओ. पन्डित ने कहा की अभी नही थोडा सब्र करो, उसने मम्मी को पूजा-स्थान पे बिठाया और कोई किताब खोल कर मन्त्र जाप करने लगे.
करीबन आधे घन्टे तक वो मन्त्र जाप कर रहे थे, फिर उन्होने मम्मी से कहा कि मुझे लगता है जिस निष्ठा से तुम यह पूजा कर रही हो उससे लगता है कि हमारे जाने से पहले ही आपका सन्कल्प पुरा हो जायेगा. मम्मी यह सुनकर बहुत खुश हुई और कहने लगी की पन्डितजी आप जो विधि है वो करवा लो अगर परिधि की शादी हो जाये तो हम समझेन्गे भग्वान हम पे सच मे प्रसन्न हो गये है.
मुझे मन ही मन हसी आ रही थी क्योन्की मै जानता था कि पन्डित ने पहले से ही परिधि दीदी के लिये रिश्ता तय कर चुका था, मम्मी का भोलेपन का वैसे तो मुझे गुस्सा आता था, लेकिन मुझे आज उसकी मासूमियत बहुत सेक्सी लग रही थी. पन्डित ने हमे आश्रम जाने के लिये कहा और कहा कि बाकी के विधी दीदी पर होने है.
उसने यह भी बताया कि उन्होने एक रूम पूजा विधी के लिये ले लिया है. इसका मतलब था कि मेरा काम होनेवाला था, मै खुश हुआ और मम्मी के सुन्दर बदन के सपने देखने लगा. हम आश्रम आ गये, दीदी हमारे रूम मै सोयी थी. फिर हम दोनो मा-बेटे हमारे रूमसे उस पूजावाले रूम मे पहुचे.
इसे भी पढ़े – व्हिस्की साथ अपनी चूत भी परोसी पति के दोस्त को
पन्डित ने मेरे आने के बाद कमरा बन्द किया और मुझे और मम्मी को एक आसन पे बिठा दिया और मुझे मम्मी का हाथ अपने हाथ मे लेकर ध्यान करने को कहा. वो खुद भी मन्त्र जाप शुरु कर दिया, मुझे मम्मी का मुलायम हाथ मेरे हाथ मे लेकर अजीबसी उतेजना हो रही थी.
कुछ देर बाद पन्डित ने बताय कि और कठिन विधी करनी होगी, मेरी मम्मी से वो बोले कि मै वो विधी तुम्हारे सुपुत्र को समझा दून्गा, मेरी उपस्थिती मे आपको वो विधी करनी ठीक नही लगेगा, मै उसे सारी बाते समझा दून्गा लेकिन आपको वैसे ही करना है जैसा बताया गया हो वर्ना विधी का फल नही मिलेगा.
फिर वो उस रूम के बाहर आया और मुझे समझाने लगा, उसने मुझे चन्दन का लेप दिया और एक चोला दिया और मेरे लिये एक धोती दी. उसने कहा आगे तुम देख लो इससे ज्यादा मै कुछ नही कर सकता, मैने एक कमरे का बन्दोबस्त किया है और यहा तुम दोनो के सिवा कोई नही आयेगा, अब तुम्हे पूरा मैदान खाली छोडा है, जाके अच्छी बॅटिन्ग करो.
ऐसा कहकर वो वहा से खिसक गया. मै अन्दर गया और कमरा अन्दर से बन्द किया और मम्मी से कहा कि आपको यह चोला पहनना है. उन्होने चिन्तित स्वर मे पूछा की बेटा अब क्या करना है, मैने कहा कि पन्डितजी यह लेप दे गये है इसे आपके शरीर पे लगाना है.
वो थोडी सन्देह मे थी वो बोली ऐसेही तो लगाया जा सकता है, मैने उन्हे पन्डित की बात बतायी कि यह वस्त्र पहनकर ही लगाना है, यह पूजा के स्पेशल वस्त्र है और लगाने की भी विधी है. उन्होने पूछा कैसी विधी, तो मैने कहा कि वो बतानी नही है, गुप्त विधी है, बस करके दिखानी है.
मम्मी उस कमरे के साथ वाले बाथरूम मे जाकर चोला पहनने लगी, मैने भी अब अपनी पॅन्ट शर्ट खोल कर वो धोती पहन ली. मम्मी जब बाहर आयी तो वो चौन्क गयी, पूछने लगी कि तुमने अपने कपडे क्यू निकाल लिये, मैने कहा यह धोती पहन के विधी करनी है, मम्मी मुह बनाके वही खडी रही.
मै कुछ समझा नही कि वो ऐसा क्यू कर रही है, लेकिन जब मेरा ध्यान मम्मी के कपडो पे पडा तो मै दन्ग रह गया, दरसल वो चोला बहुत ही छोटा था,और नीचे का हिस्सा एक ढीले स्कर्ट जैसा था जो मुश्किल से उनकी घुटनो तक ही आ रहा था, मम्मी की केले जैसी गोरी चिकनी जान्घे साफ दिख रही थी.
ब्लाउज इतना छोटा था कि मम्मी के विशाल स्तन उसमे समा भी नही रहे थे, छाती पूरी ढकी थी बस, वैसे तो उनकी ८०% बूब्स इतने उभरकर आये थे मानो नन्गे ही हो. उपर से वो ब्लाउज इतना ढीला था और उसका गला बडा था. उसकी स्लीव्स ढीली होनेकी वजह से मम्मी की साफ सुथरी बगल का हिस्सा दिख रहा था जो एकदम सेक्सी लग रहा था.
सिर्फ उनकी बगलही नही बल्कि मम्मी पूरी की पूरी इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा मन कर रहा था कि उन्हे उसी वक्त लिटा कर. खैर, मैने अपने आप पर काबू पाया, धोती मे खडे लन्ड को मम्मी के विरुद्ध दिशा मे घूमकर एडजस्ट किया.
मुझे नही पता था कि क्या यह मेरा वहम है या और कुछ लेकिन मम्मी के चोली से उनके निपल्स साफ दिखाई दे रहे थे, क्या मम्मी भी उत्तेजित हुई थी यह मै नही जानता था. मुझे अब किसी तरीके से उनको मेरी आगोश मे लाना था. मैने कुछ सोचकर उनको मेरे सामने बिठाया.
जैसे ही मम्मी बैठ गयी मै उनके सामने घुटनो पे बैठा और उनके चेहरे पे लेप लगाने लगा, पहले मै उनके माथे पे लगाया और फिर गले पे, फिर उनकी लम्बी और सुराईदार गर्दन पे, उनके गोरे गोरे और कोमल गालो पे लगाया. उन मक्खन जैसे गालोको सहलाते हे मै जन्नत का मजा ले रहा था.
उन्होने कहा कि अगर गाल पे लगाना था तो गर्दन से पहले लगाते, मैने कहा जैसे पन्डितजी ने कहा मै तो वैसे ही कर रहा हू. मैने डर डर के मम्मी से कहा, मम्मी एक बात कहू, वो बोली क्या, तो मैने शरमाते हुए कहा कि आपके गाल बहुत मुलायम है, और आपके चेहरे की स्किन बहुत स्मूथ है.
मम्मी शर्मसे लाल हो गयी, बोली, धत ऐसे नही कहते और चुप हो गयी. मै जान गया कि उन्हे यह सब अच्छा लग रहा है. मै उठके मम्मी के पिछे जाके बैठ गया, मम्मी का स्कर्ट नीचे खिसक गया था और उनके गान्ड की लकीर दिख रही थी, मेरा लन्ड धोती मे बेकाबू हो चला था, मैने उसे एडजस्ट किया.
फिर मम्मी का ब्लाउज थोडा उपर किया, ढीला होने की वजह से वो आराम से उपर आ गया. मम्मी ने कापते हुए आवाज मे कहा क्या कर रहे हो, मैने कहा जैसा पन्डितजी ने बताया है वैसा ही कर रहा हू, मुझे आपकी पीठ पर शुभचिन्ह बनाना है.
मम्मी थोडी झल्ला गयी कि ऐसी विधी मैने ना देखी थी और न ही कभी सुनी थी, पता नही पन्डितजी परिधि का दोष हटाने के लिये क्या क्या करवायेन्गे, मैने भी उनकी हा मे हा मिला दी, मन ही मन मै सोच रहा था कि यह साजिश तो हम दोनो ने रचाई है.
लेकिन शायद मम्मी को यह सब उत्तेजित भी कर रहा था, क्योन्कि वोह यह सब दिखाने के लिये कह रही थी अन्दर से वो भी शायद मेरे हाथो का स्पर्श चाहती थी. और ऐसा नही होता तो उसने ऐसे विधी के लिये कब का मना कर दिया होता. जैसे ही मैने मम्मी की लगभग पूरी नन्गी पीठ को छुआ मेरे शरीर मे बिजली दौड गयी, मेरी रगो मे खून दुगनी रफ़्तार से बहने लगा.
मम्मी का भी शायद यही हाल था, उनकी पीठ एकदम चिकनी थी बिलकुल गोरी, उसपर कोई निशान नही था. मैने साहस करके शरारत करने की सोची और मम्मी से कहा, मम्मी एक बात कहू, वो बोली अब क्या है. मैने कहा मम्मी आपकी पीठ फ़िसलपटटी जैसी है, वो हसने लगी और पूछने लगी क्यू, मैने कहा हाथ रुकता ही नही फिसल जाता है.
फिर मम्मी ने कहा कि अब बस बहुत तारीफ कर ली. मैने कहा सचमुच मम्मी इस आश्रम के इस माहौल मे इन कपडो मे इस पूजा-पाठ की विधी मे आप सच मे कोई अप्सरा जैसी लग रही हो. मुझे मेरे साहस पे खुद भी विश्वास नही हो रहा था कि मैने यह कह दिया.
लेकिन मम्मी तो सिर्फ हस पडी, कही, मै जानती हू मै क्या हू, एक औरत जो पूरी जवान भी नही और पूरी बुढढी भी नही. मुझे यकीन हो गया कि अब मम्मी को भी इन शरारती बतो मे मजा आ रहा था, मैने कहा मम्मी आप क्या बात करती हो, जब आप और दीदी साथ साथ चलती हो तो लोग आप दोनो को बहने कहते है.
इसे भी पढ़े – बायो वाली मैडम ने चूत मारने का ज्ञान दिया
मम्मी ने मुडकर मेरी तरफ देखा और कहा सचमे तुझे ऐसा लगता है, मैने कहा हा मम्मी वाकई आप की उमर ज्यादा लगती नही. कोई भी औरत तारीफ से पिघल जाती है और मम्मी भी एक औरत ही थी, उनका खूबसूरत और गोरा चेहरा लाल हो गया, उन्होने यह बात पे जरा भी ध्यान नही दिया कि मै उन्हे बातो मे उलझाकर उनकी पीठ को बहुत समय से मसल रहा था.
मैने शुभचिन्ह बना लिया और मम्मी को कहा कि आप लेट जाओ. उन्होने पूछा कि अब क्या करना है. मैने कहा पन्डितजी ने जो कहा मै वैसा ही कर रहा हू. जैसे ही मम्मी लेट गयी,मै उनकी जान्घो के करीब बैठ गया, वो मुझे टुकुर टुकुर देख रही थी मगर कुछ बोल नही रही थी.
मैने हाथो पे लेप लिया और उनकी जाघो पे लगाने के लिये आगे बढा, मेरा हाथ उत्तेजना की वजह से कान्प रहा था, और मुझे यकीन नही हो रहा था कि मै यह सब अपने हाथो से कर रहा हू और वो भी मम्मी की अनुमति से खैर जैसे ही मैने अपना हाथ मम्मी की जान्घो पे रखा, मेरा शरीर ठन्डा पड गया.
मम्मी की जान्घे मुलायम और गरम थी शायद वो भी मेरी तरह उत्त्तेजित हो चुकी थी, वो अपनी आन्ख बन्द कर धीरे धीरे आहे भर रही थी, वो आवाज मुझे बडी सेक्सी लग रही थी, उनकी सासे भी तेज हो गयी थी. उनकी तरफसे कोई विरोध नही था यह देखकर मैने सुकून से फिर उनके पाव से लेकर जान्घो तक लेप लगाया.
सुबह किये हुई तेल मालिश की वजह से उनकी टान्गे और भी चिकनी हो चुकी थी. मैने लेप लगाते लगाते मम्मी से हिम्मत करके पूछा, मम्मी आप अपनी टान्गो पे क्या लगाती हो, उन्होने आन्खे खोल कर मेरी ओर देखा और पूछ क्यू, मैने कहा मुझे नही पता था के इतनी भी मुलायम स्किन किसी की हो सकती है.
तो मम्मी हस के बोली तुम पागल हो, मैने फिर जिद की के बताओ ना क्या लगाती हो, वो बोली कुछ खास नही हमेशा तेल मालिश करती हू, लेकिन आज मेरे लाडले बेटे ने मसाज किया है इसलिये स्किन और भी नरम हो गयी होगी, चल अब जल्दी खतम कर इस विधी को.
जैसे ही मैने स्कर्ट के अन्दर हाथ डाला तभी दरवाजे पर किसीने खटखटाया. साला कौन आ गया इस वक्त यह सोचकर मै दरवाजे की ओर बढा, मम्मी के शकल पर भी नाराजी झलक रही थी, वो उठकर बाथरूम मे चली गयी कि कोई उसे इस हालत मे न देखे.
मुझे बडा गुस्सा आया, झट्से दरवाजा खोला तो देख पन्डित लौट आया था, मै गुस्से मे फुसफुसाया कि क्या है, मैने क्या कहा था तो वो कहने लगा कि परिधि दीदी जाग गयी है और कबसे पूछ रही है वो यहा आ जाती तो सब गडबड हो जाता और काम बिगड जाता.
फिर मम्मी नहा के चेन्ज कर के आ गयी और हम दोनो हमारी रूम मे चले गये. जाते जाते मैने पन्डितको एक कोने मे ले जा कर दुबारा धमकाया अब पूजा मे सिर्फ २ दिन बचे है, वो अगर मेरा काम नही करेगा तो मै भी उसे किया हुआ वादा भूल जाउन्गा और फिर तुम्हारा जो अन्जाम होगा वो तो तुम्हे पता है.
पन्डित डर गया और मुझसे बिनती करने लगा कि प्लीज मुझे थोडा समय दे दो, आज रात को किसी भी हालत मे मै तुम्हारा यह काम करून्गा, अब तुम जाके सो जाओ, रात को तुम्हे जागना है. दोपहर मे पन्डित मम्मी और दीदी से कुछ ना कुछ पूजा और विधी करवाता रहा.
शाम को मम्मी वापस रूम मे लौटी तो बहुत थकी हुई थी, वो झट्से सो गयी. दीदी सुबह सो चुकी थी तो अब वो फ्रेश थी, वो चाहती थी कि मै उसे शहर घुमाने ले जाऊ या कुछ और टाईमपास करू लेकिन मेरा सारा ध्यान रात की प्लान पे था. मै नही चाहता था कि दीदी रात को जागे और मेरा खेल बिगाड दे.
मै शाम को ३-४ घन्टे सो कर उठा था, वैसे मै उन्हे घूमने ले जा सकता था लेकिन मैने ऐसा कुछ नही किया. दीदी यूही आश्रम मे इधर उधर टहल के वापस आयी. रात को ८ बजे पन्डित रूम मे आये और कहने लगे के शादी के रिश्ते की बात आयी है, देखो अगर सब कुछ ठिक चला तो रिश्ता पक्का हो जायेगा.
मम्मी अभी सो के उठी थी, यह बात सुनकर वो बहुत खुश हुई और पन्डित को धन्यवाद देने लगी. पन्डित ने बडी विनम्रता से कहा मेरा कुछ नही यह सब तो आपकी पूजा क असर है, फिर उन्होने कहा के आज रात की विधि १० बजे शुरु होगी, और उन्होने कहा मम्मी से के आपके सुपुत्र और के अलावा और कोई नही हो सकता आपके साथ.
दीदी ने कहा मै भी चलती हू तो पन्डित ने कहा ऐसा नही हो सकता, उन्होने मम्मी से भी कहा परिधि नही आ सकती, उसी मे तो दोष है. यह बात सुनकर मम्मी क्या कहती, उन्होने दीदी से कहा कि तुम यही रहो, हम पूजा करके आयेन्गे, तुम सो जाना. दीदी मान गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
हमलोग खाना खाने नीचे आ गये, पन्डित ने मुझे बाजू मे ले जाकर सब समझा दिया यू समझो सारा मामला फिट् कर दिया. मम्मी ने बीच मे उसे पूछा तो उसने बताया कि वो मुझे विधी ठीक से समझा रहा है, फिर मम्मी क्या बोलती. खाना खाने के बाद हम रूम मे आ गये, कुछ देर बाद पन्डित आया और पूजा के लिये चलने को कहा.
हम भी तैयार थे खास करके मै तो बहुत उतावला हो चुका था. मम्मी ने दीदी से कहा कि तुम सो जाना और दरवाजा अन्दरसे लगा लेना, हम जब भी आयेन्गे तुम्हे जगा लेन्गे. दीदी ने दोपहर मे आराम नही किया था जो मैने किया था, इसलिये उसे भी नीन्द आ रही थी. उसने सोने की तैयारी कर दी. उसे वहा छोड कर हम दूसरे कमरे मे दाखिल हो गये.
पन्डित ने वहा जाते ही हमे कुछ देर पूजा के स्थान पर बिठाया और मन्त्र जाप करने लगा. यह नाटक कुछ समय चलने के बाद मैने उसे आन्खो से इशारा किया कि अब बहुत हो चुका, चलो अपना काम निपटाओ. तुरन्त उसने अपना कारोबार खतम किया, जाते वक्त मम्मी से बोला कि बाकी की विधी मै आपके सुपुत्र को समझा के चलून्गा और सुबह ५ बजे आउन्गा.
मुझे वो बाहर ले गया और कहने लगा अब सब तुम्हारे हाथ मे है, मैने कुछ अलग से वस्त्र रखे है वोही पहनाना, तुम्हारा काम आसान हो जायेगा. मात्र ५ बजे तक का वक्त है तुम्हारे पास, उसके बाद तो बाकीके लोग जाग जाते है और अपनी अपनी पूजा के लिये निकल पडते है, उस टाईम तुम्हे इस कमरे मे रहना ठीक नही होगा. बस अपना वादा याद रखना, मेरे नाम पे अपने शहर मे कोई धब्बा नही लगना चाहिये.
मै समझ गया कि इससे ज्यादा कुछ करना उसके लिये सम्भव नही होगा. अब सचमुच सबकुछ मेरे हाथमे था अगर मै इस रात को कामयाब नही होता तो फिर ऐसा सुनहरा मौका कभी नही आता. मैने मन ही मन कुछ बाते तय कर ली और अन्दर रूम गया.
इसे भी पढ़े – जवान विधवा औरत की वीरान जिंदगी में रंग भरा
मम्मी उसी पूजा स्थान पे बैठी थी, जैसे मै अन्दर आया तो उसने पूछा, अब आगे क्या विधी बतायी है पन्डित जी ने. मैने कहा पहले आप बाथरूम मे जा कर शुद्ध वस्त्र पहन लो, पन्डितजी ने आज कुछ अलग वस्त्र रखे है जिनपर मन्त्र-जाप करके उन्हे शुद्ध किया है आप वो पहन लेना, मेरे लिये यह धोती रखी है.
मम्मी ने कुछ पूछे बिना अन्दर जाके कपडे बदल लिये किन्तु जब वो आयी तो मुझे लगा कि मै सपना देख रहा हू, वो वस्त्र कैसा सिर्फ़ एक साडी थी, सफेद कलर की, ना ब्लाउज ना पेटिकोट और ना ही अन्दर कुछ, उनकी बडी बडी चुचिया लगभग नन्गी थी.
मुझे अहसास हुआ की उनके स्तन का आगे का भूरा हिस्सा भी दिखाई दे रहा था और फिर वो वो मुनके जैसे निप्पल… पेट जरा सा फूला हुआ था और उसपर उनकी गहरी नाभी इतनी सेक्सी लग रही थी कि पूछो मत… वो साडी घुटनोके नीचे तक तो थी लेकिन पतली होनेके कारण उनकी सुडौल जान्घे उससे साफ दिख रही थी.
मम्मी इतनी ज्यादा कामुक लग रही है थी कि मेरा मन कह रहा था मारो गोली इस पूजा-विधी को और झपटकर… मुझे उन्हे देखकर ‘राम तेरी गन्गा मैली’ वाली मन्दाकिनी याद आयी. आपको याद होगा कि दोपहर को मैने जब लेप लगाया तो उन्होने वो चोला पहना हुआ था.
और सुबह तेल लगाते हुए मैने आन्खो पे पट्टी बान्धी थी इसलिये उनके इस सेक्सी बदन का दर्शन मुझे ठीक से नही हुआ था लेकिन अब की बात और थी, इस साडी मे वो लगभग ८०% नन्गी थी, उनका चेहरा शर्म से लाल हुआ था, जाहिर है वो कम्फरटेबल नही थी, लेकिन क्या करती, पन्डितजी का कहना वो किसी हालत मे नही टालती.
खैर वो आके खडी हो गयी और पूछने लगी, बोलो अब क्या करना है. मै उनके रूप को निहारने मे इतना मगन था कि मुझे पता ही नही चला कि वो मेरा नाम पुकारे जा रही है. फिर वो करीब आयी और मुझे हिलाते हुए कहा बेटा बताओ ना, क्या सोच रहा है, अब आगे क्या करना है.
मेरे दिमाग मे एक आयडिया आया, मैने कहा पन्डितजी ने आपको शुद्ध होके आने के लिये कहा है, आपको तेल लगाकर नहाना है, पन्डितजी ने मन्त्र-सिद्ध किया हुआ तेल दिया है. वो एक आसन पे बैठ गयी. मै उनके पीछे जाकर उनकी पीठ पे तेल रगडने लगा.
सुबह मै यह काम खुले मे और पटटी बान्धे कर रहा था लेकिन इस बार मै एक बन्द कमरे मे था, आसपास कोई नही था और मेरी आन्खे पूरी खुली थी, मै सुकून से उन्हे तेल लगा रहा था, पीठ के बाद मैने उनकी जान्घो पे, कन्धो पे, बाहो पे यहाँ तक कि उनकी चिकनी और गदराई हुई बगल मे भी तेल लगाया.
उनकी बगल मे तेल लगाते हुए मम्मी किसी बच्ची की तरह हस रही थी और गुदगुदी होने के कारण मुझसे छुडाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैने भी जिद रखकर उनके सारे शरीर पर तेल लगा लिया, बस अब उनके स्तन और नितम्ब बचे थे और वो खास हिस्सा जो अभी तक मैने नही देखा था.
लेकिन मै कोई जल्दबाजी नही करना चाहता था क्योन्कि इससे मेरा काम बिगड सकता था. तेल मालिश होने के बाद मैने मम्मी को नहा के आने के लिये कहा और वो बाथरूम मे चली गयी. अब मुझे क्या करना है इसका मुझे खुद पता नही था.
मैने बाथरूम के दरवाजे मे कोई सुराग ढून्ढने की कोशिश की, लेकिन कुछ नही था, उस रूम मे इधर उधर ताका झाकी कर ली, वहा पे कुछ तेल की शीशी और एक-दो धार्मिक किताबे मिली और तो कुछ नही था. अब आगे मम्मी को क्या बताया जाये इस सोच मे डूबा हुआ था कि मुझे एक तरकीब सूझी.
मैने उस रूम के कोने से एक चद्दर और एक पुरानी सी मन्त्रो वाली किताब ढून्ढ निकाली, उस पर कुछ फूल और चन्दन की पावडर रख दी और मम्मी के आने का इन्तजार करने लगा. कुछ ही समय मे मम्मी नहा के वापस आयी, उसने वही साडी लपेटी थी, लेकिन बाल गिले होने से वो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी.
बाहर आते ही उन्होने अपने बाल एक जूडे मे बान्ध लिये, यह करते हुए उनके हाथ उपर उठ गये और उनकी साफ सुथरी बगल का हिस्सा साफ दिखाई दिया, जो बहुत सेक्सी लग रहा था. मैने उन्हे उस फर्शपे बिछाई चद्दर पे लेटने को कहा, वो कुछ बोले बिना लेट गयी, मैने उस किताब को पढके मन्त्र-जाप करने का नाटक करते उनके पैर की उन्गलियो को सहलाने लगा.
उनकी गोरी गोरी नाजुक उन्गलिया इतनी सुन्दर लग रही थी कि मैने नीचे झुककर उन्हे चूम लिया. मेरे होन्टोका स्पर्श पाकर मम्मी चौन्क गयी और बोली, बेटा यह क्या कर रहे हो. मैने उन्हे समझाया, पन्डितजीने यह विधी बतायी है, इसी किताबकी आधार पर, और मैने उन्हे वो किताब दिखा दी, उसमे कुछ मन्त्र जरूर लिखे थे, लेकिन क्या लिखे थे इसका उन्हे पता नही था.
मैने बात और आगे बढाते हुए कहा कि यह बडी विचित्र विधी है, पन्डितजी बता रहे थे कि दीदी का जो दोष है कही ना कही उसकी जड आपमे भी है, और इस लिये मुझे आपसे आप का दोष हटाना है. मै जानता था कि मम्मी पन्डित की बात कभी नही टालेगी और न ही उन्हे पूछने जायेन्गी कि क्या वाकई उन्होने ऐसी विधी बतायी है इसलिये मै निश्चिन्त था.
मैने उनके पैर से लेकर उसकी सारी उन्गलिया एक एक करके चूसने लगा, मम्मी को गुदगुदी हो रही थी और बीच बीच मे वो खिलखिलाकर हसती थी. उन्गलिया चूसते समय मैने अपना एक हाथ उनके पैर का घुटने के नीचे का हिस्सा सहलाने लगा, उन्होने विरोध नही किया इसे मैने उनकी अनुमति समझा और फिर उनका घुटना सहलाने लगा.
फिर उनका पैर छोडकर मैने मेरा मुह उनके पाव पर लाया और फिर जहा पहले मेरा हाथ था वहा पे मै किस करने लगा, चूसने लगा हलकेसे काटने लगा. मम्मी अब आन्खे बन्द किये पडी थी, उनकी सासोसे और बीच बीच मे भरी सिसकियो से उनके मन के अन्दरकी बात जाहिर हो रही थी.
मै औन्धे बैठ गया, मेरा लन्ड अब गमछे का तम्बू बनाकर खडा था, मैने मम्मी के दोनो पैर साथ मे रख दिये और बारी बारी उनके घुटने चूमने लगा. फिर थोडा आगे झुककर मैने डरते हुए उनकी साडी उनकी जान्घो से उपर उठा दी, मुझे डर था कि कही वो मना ना कर दे, लेकिन मम्मी की आन्खे बन्द की बन्द रही, उन्होने मुह से कुछ नही कहा, बस थोडासा कसमसायी.
मैने वो इशारा अनुमति के तौर पे लिया और उनकी साडी यहातक उपर उठा दी कि वो साडी अब केवल उनकी चूत और आजूबाजू का थोडा हिस्सा ढक रही थी, मम्मी की केले के खम्बे जैसे सुडौल, गोरी, चिकनी और मादक जान्घे देखकर मै अपने आप पे काबू नही कर सका और झपटकर मम्मी की उन जान्घो पे तडातड चुम्मे जड दिये.
मम्मी मेरे इस हमले से सकपका गई और उन्होने अपनी जान्घे सिमटकर पास खीन्च ली, इस क्रिया की वजह से उनके पैर थोडे उपर आ गये और सीधे मेरे खडे लन्ड पे जा धडके. जैसे ही मम्मी के पैरो को मेरे खडे लन्ड का अहसास हुआ, उन्होने फिर से पैर नीचे रख दिये, और मुझे बाहो से पकड लिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
यह कसौटी की घडी थी, अब अगर मै पीछे हट जाता या मम्मी मुझे मना कर देती तो शायद हम दोनो पास कभी नही आते, लेकिन मम्मी ने कापते हुए स्वर मे पूछा, यह क्या कर रहे हो बेटा, मुझे… मुझे… बडा अजीबसा लग रहा है, क्या यह विधी मे जरूरी है यह सब कुछ…
मै जानता था कि वो अजीब सा लगना क्या था, वास्तव मे मम्मी बुरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी, उन्हे डर था कि अगर बात आगे बढती तो वो शायद खुदपे काबू न रख पाती. लेकिन मै अब पीछे हटने वाला नही था, मैने फट्से जबाब दिया कि हा मम्मी यही विधी पन्डितजी मुझे बताके गये है, उन्होने कहा था कि थोडी कठिनाई होगी मगर… और मैने बात को आधा छोड दिया, मम्मी फिर चुप हो गयी और लेट गयी.
इसे भी पढ़े – पापा की गन्दी नीयत मेरी बीवी के लिए
अब मेरे लिये मैदान खुला था, मैने आधा छोडा हुआ मेरा काम फिर से शुरु किया, मम्मी ने अपनी जान्घे एक दूसरे से सटाकर रखी थी, मैने मेरा हाथ बीच मे डालकर उन्हे थोडा अलग किया और उनकी जान्घोके अन्दर वाला हिस्सा सहलाना और चूमना शुरु किया.
जैसे जैसे मै उनकी चूतके पास जाता वैसे ही मुझे उनकी चूत से निकलती हुई सुगन्ध का अहसास होता था, मम्मी की जान्घे गिली हुई थी इसका मतलब था कि वो भी मस्तायी हुई थी और चोदने के लिये बेकरार थी. मैने उन्हे कहा की आप उठ के खडी हो जाईये, मुझे विधी करना आसान हो जायेगा.
वो खडी हो गयी, फिर मैने वो तेल की शीशी हाथ मे ले ली और कुछ मन्त्र कहने का नाटक करते हुए वो तेल बिलकुल थोडासा लेकर उनकी टान्गो पे मलना शुरु किया, लेकिन इस बार मैने पाव से लेकर सीधे उनकी जान्घो तक हाथ घुमाया, जान्घो के पीछेवाले हिस्सेपर भी मैने रगड लिया.
बीच बीचे मे मेरे हाथ उनकी नितम्बो को छू लेते थे, मम्मी आन्खे बन्द करके लम्बी आहे भर रही थी, मैने उनके थोडा पीछे करके एक दीवार की तरफ सटा दिया. अब वो ज्यादा हिल नही सकती थी, मैने फिर बडे आराम से उनकी चिकनी जान्घे और फिर उनकी गुदाज नितंबो पर मसलना शुरु किया, बीच मे मैने उनकी जान्घो पर हलके से दात गडाए और मम्मी चिहुक उठी, लेकिन दूर हटी नही.
मैने थोडे आत्मविश्वाससे कहा कि मम्मी आप अपनी टान्गे थोडी दूर किजिए. मुझे यह सब कहने करने का साहस कहा से आया पता नही, लेकिन मम्मी अब मेरी बात पूरी तरह से मान रही थी, उन्होने अपनी टान्गे थोडी फैला दी और मै उनकी जान्घो के बीचमे तेल मलने लगा.
उनकी चूत की तरफ जैसे मेरा हाथ बढने लगा वो थोडी सी छटपटायी, लेकिन मैने साहस बान्धकर उनके जान्घो पर और कूल्हो पर मसलना जारी रखा. लेकिन मैने जानबूझकर उनकी चूत पर हाथ फेरना टाल दिया, उसके इर्द-गिर्द हाथ फेरता रहा. कई बार मेरी उन्गली सीधी उनकी चूत के फूले हुए बाहरी हिस्से को छूती और मम्मी ऐसा झटका देती मानो उन्हे बिजली का करन्ट लगा हो.
मै उन्हे और उत्तेजित करना चाहता था इसलिये मैने उनकी चूत मे हाथ नही डाला. फिर मै उपर उठा और तेल लगा हाथ उनके साडी का पीछे वाला हिस्सा हटाकर उसमे हाथ डाल दिया. मम्मी अपना चेहरा दिवार से सटाकर चुप खडी थी, उनके मुह्से मात्र सिसकिया निकल रही थी.
मैने उनकी पीठ मसलना शुरु किया, मम्मी कुछ बोल नही रही थी लेकिन मुझे सहयोग भी दे रही थी, मैने साडी थोडी सी उपर उठाकर उनकी नन्गी पीठ पर हलके हलके चुम्बन जडना शुरु किया, धीरे धीरे उपर आकर मैने उनके भरे हुए कन्धो पे दात गडा लिये, मुझे अब उनके वक्षो का उपर से नजारा दिख रहा था और मेरी तना हुआ लन्ड उनकी गान्डपे धक्के मार रहा था.
पहली बार जब मेरा लन्ड उनकी गान्ड को टच कर गया तो मैने झट्से मेरी कमर पीछे ले ली, लेकिन उनकी तरफ से कोई परेशानी नही यह देखकर मैने आराम से मेरी लन्ड उनकी गान्ड की दरार मे रगडना शुरु किया, उपर मेरे हाथ उनकी पीठ मसल रहे थे और कभी हलके से उनकी बगल से आगे जाकर उनके बूब्स को भी छू लेते.
इसतरह मै और मम्मी एकदम एक दूसरे से चिपके हुए थे, यह मेरे सुख की परम सीमा थी, अब मै जान गया कि मम्मी भी अभी मस्ती के मूड मे है, कोई भी औरत अपने जवान बेटे को अधनन्गी अवस्था मे इस तरह चिपकने नही देती. मेरे सब्र का फल शायद मुझे मिलने वाला था.
मैने मम्मी को मेरी ओर मुखातिर किया. अब मम्मीकी पीठ दीवार से सटी थी, और उनकी भरी हुई चुचिया मेरे नन्गे सीने से टकरा रही थी. मम्मी ने अपनी आन्खे बन्द की थी लेकिन उनका चेहरा लाल हुआ था, होन्ट थरथरा रहे थे. मैने मेरे हाथ उनके मुलायम पेट पर लाकर धीरे धीरे उनका पेट सहलाने लगा.
फिर शरारती अन्दाज मे मैने मेरी उन्गली उनकी नाभी मे घुसा दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा. मम्मी बस लम्बी आहे भर रही थी. मैने सोचा कि अब वक्त आया है आगे बढने का. मैने उनका चेहरा कापते हुए हाथो मे लिया और बडे प्यार से उनके माथे पे चूम लिया.
यह घडी परिक्षा की थी, अगर मम्मी पीछे हट जाती या मुझे डाटती तो मामला बिगड जाता, लेकिन मम्मी ने बस ‘हम्म्म्म’ ऐसी आवाज की, मै समझ गया कि मम्मी नाराज नही बल्कि वो भी कुछ करना चाहती है. मैने हलके से उनकी दोनो आन्खो पर चूम लिया, फिर उनकी नाक पर… मुझे जन्नत का मजा आ रहा था.
मम्मी की गरम सासे मेरी नाक को गर्मा रही थी, उनकी आहे मेरे दिल मे वासना बढा रही थी. और फिर मम्मी ने अपने हाथ उठाये और मेरे कन्धो पे रख दिये और उन्होने अपना नीचला होन्ट दातोतले दबा दिया और उनके मुह से ‘स्स्स्स्स्स’ की आवाज आयी. उनके चेहरे पे एक अजीब सी रौनक थी, तब मैने साहस करके उनके गुलाबी होन्टो पे अपने होन्ट रख दिये.
ह्ह्ह्ह्ह्ह…. ऐसा लगा कि मै स्वर्ग मे था, मम्मी के होन्ट मुलायम और बडे रसीले थे, कुछ देर मै बस उनके होन्टो को हलके हलके चूमता रहा, मुझे अन्दाजा नही था कि वो कैसा रियेक्ट करेगी, उनके हाथ मेरे कन्धो पे से हटे तो नही थे. कुछ देर बाद मै खुद उनसे दूर हुआ. मम्मी ने आन्खे खोली, मेरी नजर से नजर मिलायी.
आगे क्या होगा इसका मुझे कतई अन्दाजा नही था, उन्होने मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरे होन्टोपे एक कसके चुम्मा जड दिया. अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैने भी बडे प्यार से मम्मी का मुखचुम्बन आरभ किया, शुरु शुरु मे तो मै थोडा हिचकिचाया, और क्यू नही, जिन्दगी पहला चुम्बन, वो भी अपनी सगी मा से और इस हालतमे….
यह अनुभव मेरे लिये बहुत ही नया और अद्भुत था, लेकिन मम्मी का सहयोग देखकर मुझे भी जोष आ गया, और मै बडी सहजता उनके गुलाबी औत थोडे मोटे होन्ट चूसने लगा, मम्मी की मुह से बहुत सेक्सी आवाजे निकल रही थी और उनके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे, उनके साडी का पल्लु कब का सरक गया था और मैने सीने मे और उनके भरे हुए वक्षो के बीच मात्र एक पतली सी साडी का फासला था.
मम्मी की उत्तेजना की गवाही उनके सख्त हुए निप्पल दे रहे थे, वो निपल मेरे सीने मे गड रहे थे, मानो मुझे और भी भडका रहे थे. मैने इतनी देर से मेरा हाथ मम्मी के चेहरे पर ही रखा था, मम्मी का सहयोग देखकर मुझे याद आया कि अब मै उनके इस खूबसूरत बदन का खूब मजा ले सकता हू.
इसे भी पढ़े – मेरे इलास्टिक वाली सलवार खोलने लगा बॉयफ्रेंड
इस विचार से मैने मेरा दाया हाथ नीचे लाया और मम्मी की बायी चुची कसके पकड ली. ओफ्फ्फ्फ्फ… मम्मी की उमर ४० के उपर होनेके बावजूद भी उनकी चुची बहुत कसी हुई लग रही थी यहा तो कोई ब्रेसिअरका सहारा भी तो नही था, बडे टरबुजे की तरह सख्त और गोल चुची को सहलाते हुए और मसलते हुए मुझे बहुत आनन्द मिल रहा था.
मेरे मुह से मम्मी का मुह बिलकुल चिपका हुआ था और मम्मी अपनी जान्घो को मेरी जान्घो पे रगड रही थी. या तो व मेरे लन्ड के सख्तपन का अन्दाजा ले रही थी या फिर उत्तेजना से उनका भी पानी छूट रहा था. मैने सोचा कि इससे अच्छा मौका फिर आये ना आये, और मैने पीछे हटकर अपना मुह उनके मुह्से हटा लिया.
वो सुखद स्पर्श छोडने की वजहसे मै थोडा व्याकुल जरूर हुआ लेकिन मुझे अगला एक और काम करना था जिसके लिये मै बहुत समयसे तरस रहा था. मम्मी भी मेरी इस हरकत से शायद थोडी नाराज हो गयी और उन्होने आन्ख खोली और नजरो से ही मुझे सवाल किया कि क्यो मै दूर गया.
मैने उनके कन्धो पे से सरके हुए पल्लु को खीन्च लिया और उनकी साडी निकालने की कोशिश करने लगा, मम्मी को तब समझ मे आया कि मै क्यो पीछे हटा था, उन्होने फिरसे अपनी आन्खे बन्द कर ली, मानो उन्होने मुझे अनुमति दी कि जो करना है वो करो.
मैने वो साडी खीन्च कर पहले तो उनके विशाल स्तन खुले कर दिये. मै पहली बार मम्मी के वक्ष इतने करीब से और इतने निर्वस्त्र देख रहा था. क्या नजारा था, क्या बताऊ, मेरी तो सासे रुक गयी, मम्मीके वक्ष बहुत सुडौल और सुन्दर थे, बगैर किसी सपोर्ट के वो बडे शान से उनके सीने पे खडे थे, चुचियो का आगे का हिस्सा भूरे कलर का था, बडा बडा और गोल, और उसपर एक छोटी सुपारी की तरह खडे उनके निप्पल…
कुछ मिनिट मै अपना होशोहवास खो कर सिर्फ यह नजारा देखता रहा, फिर आगे होकर मैने उन दोनो वक्षो को हाथ मे लिया, जैसे ही मैने उन्हे हाथ मे लेकर हलके से मसला मम्मी की मुह से एक ‘स्स्स्स्स्स’ जैसी आह निकल आयी. मैने अपना मुह नीचे करके उनके एक वक्ष को निपल समेत मुह मे लिया और हलके से चूसना शुरु क्या.
मेरी आन्ख अपने आप ही इस असाधारण सुख से बन्द हो गयी, मैने दाये हाथ से मम्मी को अपने पास खीन्च के रखा था और बाये हाथ से मैने उनकी दायी चुची को पकडकर सहलाने लगा, मै उनके निप्पल पे उन्गली घुमा रहा था और मुझे महसूस हो रहा था कि मेरी इस क्रिया की वजहसे उनके निप्पल और भी सख्त हो रहे थे.
जैसे मेरा मम्मी का वक्ष चूसना तीव्र हो गया, वैसेही मेरे दूसरे हाथ का दबाव उनकी चुची पर बढता गया, मै बिलकुल बेहोश हो कर उनके वक्षो का आनन्द ले रहा था और वो मुह्से सेक्सी आवाजे निकाल कर मुझे बढावा दे रही थी. कुछ देर बाद मै उस अजीब अवस्था मे थोडा अनकम्फर्टेबल लगने लगा और मैने मजबूरन उनके वक्ष चूसना बन्द करके सीधा खडा हो गया.
अब मम्मी ने आन्खे खोल ली, उनका चेहरा लाल हुआ था और उसपर वासना साफ झलक रही थी. मैने उन्हे अपनी तरफ खीन्च लिया तो वो बडी सहजता से मेरी बाहो मे आ गयी, मैने पहली बार मम्मी को इस तरह आलिन्गनबद्ध किया था, मुझे अपने आप पर बडा गर्व हो रहा था, आखिर मै मेरी चाल से मम्मी को अपने आप को समर्पित कराने मे कामयाब हो गया था.
वो पन्डित ने काम बखुबी निभाया था. कुछ दिन पहले हम एक साधारण मा-बेटा थे और आज हम लगभग पूरे नग्न अवस्था मे एक दूसरेसे लिपटकर खडे थे. मम्मी की तो चुचिया भी नन्गी थी जो मै मेरे नन्गे सेने पे महसूस कर रहा था. मैने कुछ देर मम्मी को यूही कसके बाहो मे भर लिया था और उनके सारे अन्गो पर हाथ फेर रहा था.
फिर मैने उन्हे अपने अलग किया और उनकी साडी पूरी निकालने लगा, उन्होने भी गोल गोल घूमकर साडी निकालने मे मेरी मदद की, मम्मी धीरे धीरे नन्गी हो रही थी और मै आन्खे फाड फाडकर उनके यौवन का नजारा देख रहा था.
मम्मी कमर के उपर तो पहले से नन्गी थी अब साडी निकलने से उनकी गोल गुदाज गान्ड भी नन्गी हो गयी, काफी कसी हुई लग रही थी उनकी गान्ड, पेट जरा सा फूला था, घूमते हुए साडी निकालने मे उनकी मेरी तरफ पीठ हो गयी थी सो मै उन्हे आगे से नही देख पा रहा था लेकिन पीछेसे मम्मी गजब की सेक्सी लग रही थी.
उनकी गोरी गोरी पीठ, बीचवाली दरार, कमर बहुत मोटी भी नही थी लेकिन नीचे उनके कूल्हे पूरी तरह फैले हुए और कसे हुए थे, नीचे उनकी गोरी जान्घे सेक्सी और खूबसूरत पैरो मे समाप्त हो रही थी. मैने पीछे से जाकर मम्मी को दबोच लिया, अब वो पूरी तरह से नन्गी थी और मै केवल एक गमछा लपेटे हुए था, मेरा तना लन्ड उनकी गान्ड पे रगडते हुए मैने उनकी गोरे कन्धो पर चूमना शुरु किया.
मम्मी ने अपने बाल एक जूडे मे बान्धे थे, उस जूडे को उपर उठाकर मैने उनकी गोरी गर्दन भी चूम ली और फिर मेरे हाथ उनकी बगल से आगे लाकर उनके वक्षो को मसलना शुरु किया. मम्मी अब पूरी तरह मस्ती मे आयी थी, वो भी अपनी गान्ड को पीछे धकेलती हुई मेरे लन्ड का स्पर्श पाने का आनन्द लुटा रही थी.
मैने उनके कन्धो पे और गर्दन पे दातो से हलके से काटा और फिर बेरहमी से उनकी निप्पल उन्गलियो से कुरेदना शुरु किया, मम्मी कसमसा गयी लेकिन मुह से बस सिसकारिया भरती थी. फिर उसने अपने आप को मुझसे अलग किया और वो उस रूम मे मैने जो चद्दर बिछायी थी उस पर जाके खडी हो गयी.
धीरे से वो मेरी तरफ मुडी और मुझे अपने खूबसूरत बदन का नजारा दिखाते हुए उन्होने अपने हाथ अपनी गर्दन के पीछे किये, हम दोनो मा-बेटा एक दूसरे की आन्खो मे देख रहे थे, मै उत्सुक था जानने के लिये कि अब मम्मी क्या कदम उठाती है.
मम्मी उस चद्दर पर घुटने मोड कर बैठ गयी उन्होने हलके से मुस्कुराते हुए अपनी बालो का जूडा छोड दिया और उनके बाल आजाद हो के खुल गये, उन्होने गर्दन हिलाकर उन्हे और भी खुला कर दिया. उस अदा को देखकर मै तो मानो पागल हो गया.
यह अदा से मानो वो मुझे बताना चाहती थी कि अब वो पूरी तरह से खुल गयी है, जैसे वो एक प्रेमिका है जो अपने प्रेमी को बता रही है कि मै तो अब तैय्यार हू, अब आके मुझे अपना लो. मैने आगे बढकर मम्मी को चित लिटा दिया और उनके बदन पर मै लेट गया, इस प्यार भरी दावत को मै बडे इत्मिनान से एन्जॉय करना चाहता था.
इसे भी पढ़े – गदराई देहाती भाभी को पेला
मम्मी से फिर किस करते हुए मैने उनकी बाहे उपर उठा ली, उनकी बगल का जो हिस्सा था वो मुझे बडा ही सेक्सी लग रहा था, मैने उन्हे पूछा, अम्मी अपके यहा बाल नही है तो वो शरमा के मेरी आगोश मे अपनी मुह छुपा ली, मुझे उनकी इस अदा इतनी पसन्द आयी कि मैने तडातड कई चुमबन उनके चेहरे पे और गर्दन पे जड दिये.
फिर शरारत करके मैने उनकी बगल मे चूमा, गुदगुदी होने की वजह से वो कसमसाने लगी और हसने लगी, मैने जबरन वहा पे मेरा काम जारी रखा और उनकी बगल का थोडा सा फूला हुआ हिस्सा हलकेसे काटा. उनके बदन का एक एक हिस्सा चूमते चाटते हुए मै नीचे सरक गया, कुच और समय उनकी चुचियो पर बिताने पर मैने उनके पेट को चूमना शुरु किया.
मम्मी जान गयी थी कि मेरा अगला स्थान कौन सा रहेगा. उस अन्दाज से वो और भी शरमा गई, लेकिन मै अभी इस मकाम पर पहुचा था कि वहासे लौटना नामुमकिन था. मैने मम्मी की नाभी मे जीभ घुमायी जिससे उनको गुदगुदी हो गयी और वो दबे सुर मे हसने लगी लेकिन जैसे मै नीचे चूमता गया उनकी हसी सिसकारियो मे बदल गयी.
आखिर मै उस जगह पर पहुचा जो जगह कोई माता अपने बच्चे को नही दिखाएगी, वासना की नजरसे तो हरगिज नही. मम्मी की चूतका उपरी हिस्सा एक पावरोटी की तरह फूला हुआ था, और उसके नीचे उनके चूत के गुलाबी लिपलिपाते हुए होन्ट, जिनसे यौनरस बह रहा था और एक अनोखी खुशबू की महक आ रही थी.
मैने उस छेद मे उन्गली डाल दी और मम्मी ऐसे उछली मनो उन्हे बिजली का नन्गा तार छुआ हो, उनके मुह से आआआह्ह्ह…. उफ्फ्फ्फ… इसतरह की आवाजे आ रही थी, लेकिन उन आवाजो मे मस्ती भरी थी, इन्कार नही था. मैने उस रसभरी चूत मे अपनी दो उन्गलिया घुसाकर निकाल दी और अपनी नाक के पास ले जाकर एक लम्बी सास ली.
मम्मी की चूत की उस मादक खुशबू से मै गनगना उठा और बिना कुछ सोचे समझे मैने उनकी चूत से मुह सटाकर चूमना शुरु किया. मम्मी उछल उछल कर अपनी कमर को झटके देने लगी. पहले तो मै इस मामले मे अन्जान होने की वजह से बस कोई आईसफ्रूट की तरह मम्मी की चूत चाट रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
लेकिन अनजाने मे मेरी जीभ एक खास जगह पे जा धडकी और उस वक्त मम्मी ने जो आह भरी वो सुनकर मुझे लगा जैसे मेरा लन्ड पानी गिरा देगा. बस फिर क्या था, उसी जगह को सामने रखकर मैने मम्मी की चूतपे बेरहमी से मेरी जीभ के वार करना शुरु किया, मम्मी भी अपनी कमर उछालकर मेरा साथ दे रही थी.
मैने फिर थोडा और नीचे झुककर उनके चूत मे अन्दर तक मेरी जीभ डाल दी, मेरी नाक उनकी चूत की टीट पर रगड रही थी और मेरी जीभ अन्दर तक उनकी चूत की दीवार को रगड रही थी. मैने मेरे दोनो हाथो को मम्मी के सीने पर ला कर उनकी चुचिया मसलना शुरु किया, मम्मी की सिसकारिया सारे कमरे मे गून्ज रही थी.
मम्मी अब मुह से आहे भरने के साथ जोरजोर से बडबडा रही थी, हाय… ये क्या हो रहा है मुझे, बेटा… तुम तो… आआआह्ह्ह… स्स्स्स्स्स… और अभी, और… मममम्म्म्म्म्म्म… आह्ह्ह… मै.. मै… बेटा सम्भालो मुझे… ऐसा कहकर मम्मी ने मेरा सर अपनी चूतपर टाईट पकड लिया, मै भी बिना रुके उनकी चूत अपनी जीभ से चोद रहा था.
और वो घडी आ गयी, मम्मी ने कसमसा कर मुझे पकड लिया, उनकी चूत से रस की फुहार बहने लगी और मम्मी एकदम शान्त हो गयी, मै समझ गया कि वो झड गयी. मुझे अपने आप पर गर्व महसूस होने लगा, न ही मैने मम्मी को सिर्फ पटाया था, उन्हे ओरल सेक्स भी करवाया था और उन्हे उत्तेजना की चरमसीमा तक ला कर खुश करके छोडा था.
मै मम्मी के पास लेट गया, मम्मी सुस्त हो कर आन्खे बन्द किये पडी थी, मैने उन्हे अब बेझिझक हो कर पास खीन्च लिया और उनके रसीले होन्टो पे एक जोरदार चुम्मा जड दिया, मेरे हाथ उनकी चुचियोन्की गोलाई नाप रहे थे और मेरा खडा लन्ड उनकी जान्घो पे रगड रहा था.
कुछ देर बाद मम्मी ने अपनी आन्खे खोली और मेरी तरफ देखकर बोली, यह क्या कर गये हम दोनो, यह पाप है, हम मा-बेटे है हमारे बीच मे ऐसे सबन्ध होना पाप है और वो भी इस जगह पे… यह कहकर वो उठनेका प्रयास करने लगी, लेकिन मै अभी झडा नही था और यह सुनहरा मौका मै गवाना नही चाहता था.
मैने उनके होन्टो पे मेरे होन्ट रख दिये और एक उन्गली नीचे ले जाकर सीधी उनकी चूत मे घुसा दी, मम्मी तिलमिला उठी लेकिन मेरे चुम्मा-चाटी और बाकी हरकतो से वो भी अभी उत्तेजित हुई थी, मैने अब ज्यादा समय गवाना उचित नही समझा, मै झट्से उनके उपर चढ गया और उनकी जान्घे फैलाकर मेरा लन्ड सही निशाने पे रखा.
मेरा पहला टाईम होने की वजहसे मुझे थोडी दिक्कत जरूर हुई लेकिन १-२ बार कोशिश करने के बाद मेरा लन्ड मम्मी की चूत मे घुस गया, मम्मी की मुहसे बस ‘आआआह्ह्ह्ह’ की आवाज आई, मैने फिर कमर आगे पीछे करके मम्मी को घचाघच चोदना शुरु किया, बीच मे मै प्यार से उनके होन्टोको चूमता, और बेरहमी से उनकी चुचिया मसलता.
मम्मी मेरा साथ दे रही थी अपनी कमर उचकाकर वो मेरा लन्ड और अन्दर लेनेका प्रयास कर रही थी, अब वो पूरी तरह खुल चुकी थी, अब विधी वगैरा का कोई बहाना जरूरी नही थी, अब हम एक दूसरेसे इस तरह लिपट गये थे कि मानो २ प्रेमी हो और न मा बेटा.
मुझे इसी बात का अहसास हुआ कि अब हमने जो रिश्ते की दिवार तोडी है तो क्यू न दिल खोलके प्यार किया जाए, यह सोच कर मै भी मस्ती की मूड मे आकर उन्हे चूमने लगा, मम्मी ने उनकी जीभ मेरे मुह मे ठेल दी और हम दोनो मुखरस का आदान-प्रदान करने मे जुट गये, मम्मी के मुखरस का मादक स्वाद मुझे और गरमा रहा था.
मेरी जान्घे मम्मी की जान्घो पर थप थप की आवाज करती धडक रही थी, मम्मी ने मुझे बाहो से जकड लिया था और वो पल आ गया जो मै चाहता भी था और नही भी, मुझे लगा कि अब मेरा वीर्यपतन होने वाला है. मैने मम्मी को और कसके पकड लिया और मेरे धक्को की रफ्तार बढा दी, मम्मीने उनकी कमर बहुत ज्यादा स्पीड से उछालनी शुरु कर दी….
और कुछ्ही पलो मे मेरे लन्डसे एक लहर दौड गई और मै मम्मी की चूत मे मेरा वीर्य छोडने लगा, मम्मी भी शायद दुबारा झड रही थी, उन्होने मुझे कसके पकड रखा था, उनके नाखून मेरे पीठ मे गडे जा रहे थे और उनके गर्म होन्ट मेरे सीने पर चूम रहे थे. हम दोनो निढाल हो कर एक दूसरे पर गिर गये.
हमारी सासो की आवाज के अलावा वहा कुछ सुनाई नही दे रहा था. कुछ पल ऐसे ही लेटने के बाद मै मम्मी की उपर से उनके साईड पर लेट गया. मम्मी की आन्खे अभी भी बन्द थी, मै एक कोहनी उठाकर उन्हे निहारने लगा. कुछ देर बाद मम्मी ने अपनी आन्खे खोली, मुझे यू घूरता देखकर वो शरमा गई और करवट लेकर मेरी ओर होकर बोली, क्या देख रहे हो.
मैने बडे प्यार से उन्हे और थोडा पास खीन्च लिया और कहा कि देख रहा हू आप कितनी सुन्दर हो और… इतना कहकर मै रुक गया. मम्मी आगे की बात सुनने के लिये बेताब थी, उन्होने पूछा और क्या, बोलो बोलो. मैने कहा आप बहुत सेक्सी हो. मम्मी ने एक चपत मेरे सीने पर मारी और बोली, हट शैतान.
मुझे उनकी यह अदा बहुत पसन्द आयी, मैने प्यार से उन्हे किस किया. इसी प्रकार की मीठी मीठी बाते करते मुझे नीन्द आ गई और मै सो गया. कुछ देर बाद मेरी नीन्द टूटी कुछ आवाज से. मैने मोबाईल मे देखा तो सुबह के ४ बज गये थे, रूम की लाईट जल रही थी लेकिन मम्मी का पता नही था.
मै थोडा डर गया कि कही मम्मी बुरा मानकर चली तो नही गई. लेकिन फिर बाथरूम से आवाज आई और मम्मी बाहर आ गयी, उन्होने वही साडी पहनी थी, वास्तव मे उसे पहनी थी कहना गलत होगा, बस बदन पे लपेटी थी. मुझे जगा हुआ देखकर मुस्कुराई और बोली, क्या हुआ, नीन्द नही आ रही है क्या.
मैने कहा आप भी तो जाग गई है. उन्होने कहा, हा मुझे बाथरूम जाना था, अभी फ्रेश होकर आ रही हू. इतना कहकर वो मेरी बाजू मे चद्दर पर अपने घुटनो पर बैठ गयी और कुछ ढून्ढने लगी. मैने पूछा क्या हुआ, क्या ढून्ढ रही है आप, मम्मी बोली, मेरे कान की बाली यही कही गिर गई है और वो घोडी बनकर बाली खोजने लगी.
इस पोझिशन मे उनकी गान्ड और चूत का थोडा हिस्सा उभरकर मेरे सामने आ गया. अब मै अपने आप पे कैसा काबू रखता. मैने उठकर उनके बडे और फूले चुतडो पर हाथ रख दिये. मेरा हाथ पा कर मम्मी हैरान हो गई और बोली, बेटा अब बस करो, रात मे हुआ सो हुआ, अब और नही.
मैने कुछ जवाब न देते हुए आगे झुक गया और उनके चुतडो को चूमने लगा. पहले तो मैने अपनी जीभ उनकी चूत पे घुमायी और फिर उसे उनकी गान्ड पे ले आया, मै ऐसा कुछ करून्गा इसका मम्मी को अन्दाजा नही था, जैसे ही मेरी जीभ उनके गान्डके छेद पर लगी वो उछल गयी और चूतड हिलाने लगी.
मैने उनके कूल्हो को मजबूती से पकडा और पहले उस गान्ड के भूरे छेद पर जीभ फिराई और जीभ सख्त करके सीधी उस छेद के अन्दर घुसा दी. मम्मी सिसकी भरती हुई आहे भरने लगी, उफ्फ्फ… बेटे… क्या कर रहे हो… मैने उसकी तरफ ध्यान न देते हुए मेरी एक एक करके २ उन्गलिया उस फूली हुई चूत मे भी घुसेड दी.
अब मेरा मुह मम्मी की गान्ड ओए था, उन्गलिया चूत मे हरकत कर रही थी, मैने इस पोझिशन मे उनके लटकती चुचियो को मसलने लगा. इस तीन तरह के हमले से मम्मी बिलकुल मस्त हो गई और अपने होन्टो को दातो के नीचे दबाकर अपनी उत्तेजना जाहिर होने से रोकने लगी. लेकिन उनकी चूत से निकलता हुआ ढेर सारा पानी उनकी अवस्था बता रहा था.
मै घचाघच उन्गली पेलता जा रहा था, बीच मे उनके नितम्बो पर हलके से दात गडाता. फिर मैने मम्मी की चूत से उन्गली निकाल ली और मेरा मुह सीधे उनकी चूत पर लगा दिया. उनकी चूत से बहुत सारा रस निकल रहा था जिससे मेरा मुह सराबोर हो गया.
कुछ देर बाद मम्मी ने झटका दे कर अपने आप को छुडा लिया और सीधी होकर मुझपर लेट गयी और प्यार से मुझे चूमने लगी, उनकी भरी चुचिया मेरे सीने पर रगड रही थी, मम्मी पागलो की तरह बडबडाने लगी, मुझसे लिपट कर कहने लगी, जल्दी करो बेटा… आआआ… अब बर्दाश्त नही होता… मेरे अन्दर आग लगाई है तूने, अब उसे बुझा दे.. फिर मैने उन्हे थोडा ऊन्चा होने का इशारा किया.
ऐसे करने से उनकी चूत बराबर मेरे लन्ड के उपर आयी, मम्मी को मेरी चाल समझ मे आयी, उन्होने मेरा लन्ड अपने ही हाथो से उनकी चूतके छेद पर सेट कर के धीरे धीरे उसपे बैठ गयी. जैसे ही वो पूरा बैठ गयी मेरा लन्ड उनकी चूत के अन्दर तक धस गया.
मम्मी की चूत गजब की टाईट लग रही थी, मम्मी ने झुककर उनकी चुची मेरे मुह मे ठेल दी, मै नीचे से धक्के मारते हुए उन्हे चूसने लगा. मम्मी भी उछल उछलकर मेरा लन्ड और अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी… और इसी मे उनकी चूतसे ढेर सारा पानी निकल गया और मेरी जान्घे गीली हो गई.
मम्मी सुस्त होकर मुझ पर ढेर हो गई, लेकिन मै तो झडा नही था, मै अब पूरे मूड मे था, मैने उन्हे पीठ के बल लिटा दिया और उनपर चढकर घचाघच चोदने लगा, साथ मे उनकी चुचियो को बेरहमी से मसलता था और उनके रसीले होन्टो को चूमता और चूसता भी था.
मम्मी शुरु मे तो बस हिल रही थी, लेकिन मेरी ताबडतोड चुदाई से वो भी उत्तेजित हो गई, वो बोली ओह्ह्ह्ह बेटा… और तेज और… और.. और जोरसे… ऐसे ही करो मुझे…. तेज मै अभी खतम होने वाली हू… हाय राम… यह क्या हो रहा है मुझे.. और मुझे अहसास हुआ कि मेरा पानी निकलने वाला है.
मै किसी जानवर की भान्ति गुर्राते हुए कमर तेजी से आगे-पीछे करने लगा और कुछ ही पलो मे मेरे अन्डकोष से वीर्य की एक और जबरदस्त फुहार छूटी और मै हाफते हाफते मम्मी के उपर गिर गया. हम दोनो पसीने से भीग चुके थे. मम्मी ने मेरा बदन अपने बदन पर रखा था और वो प्यार से मेरे बालो मे हाथ फेर रही थी. मुझे एक झपकी सी लग गयी.
थोडी देर बाद मम्मी ने मुझे उठाया. मेरे वजन से उन्हे दिक्कत होती होन्गी लेकिन उन्होने प्यार से कुछ नही कहा. मै उनके बगल मे लेट गया, वो उठकर फिर से बाथरूम हो कर आयी और दिवार को पीठ लगाकर बैठ गयी. मैने प्यार से उनकी गोद मे अपना सर रख दिया और उन्होने भी मुझे बडे प्यार से किस किया.
मैने शरारत करते उनकी नन्गी चुचियो को मुह मे लिया और दूसरी को मसलने लगा. वो हस पडी लेकिन मुझे रोकते हुए बोली, अभी रुक जाओ, पन्डित जी आते होन्गे. हम दोनो बिलकुल नन्गे एक दूसरे के इतने करीब थे कि पूछो मत. एक बहुत शान्त सी भावना हम दोनो के मन मे थी.
फिर मम्मीने उठ कर अपनी हमेशा वाली साडी पहन ली, मैने भी अपने कपडे पहन लिये. सुबह के ५ बजने वाले थे, मै और मम्मी एकदम साधारण मा-बेटे की तरह बैठे थे, हमे देखकर किसी को शक नही होता कि कुछ समय पहले यह दोनो घमासान चुदाई मे लगे थे.
मै और मम्मी बस उस पल का आनन्द ले रहे थे. और फिर दरवाजे पर खटखटाने की आवाज आई. मैने जा कर दरवाजा खोला, जाने के पहले मम्मी के होन्टो पर किस जरूर किया, उन्होने भी मुझे आगोश मे भरकर भरपूर साथ दिया. दरवाजा खोला तो सामने पन्डित था, उसने कहा कि अब बाकी के लोग आयेन्गे.
इसे भी पढ़े – छुपन छुपाई खेलते 4 चचेरी बहनों को पेल लिया
मम्मी फिर हमारे कमरे मे चली गई. वो जाते ही पन्डित ने मुझे पूछा कि काम हुआ कि नही. मुझे लगा कि जो भी हुआ वो मेरे और मम्मी के बीच हुआ, इस गैर आदमी को क्यू बताया जाए, इसलिये मैने चेहरे पर नाराजी जताते हुए कहा कि वो नही मानी. पन्डित परेशान हो गया कि कही मै उसकी पोल खोल दून्गा. मैने उसे पूछा कि दीदी का रिश्ता तय हुआ क्या. उसने हामी भर दी तो मैने उसे तसल्ली दी कि मै शहर मे जा कर उसका पर्दाफाश नही करून्गा.
वो मुझे कई बार शुक्रिया बोला और चला गया. अब कमरे मे मै और मम्मी दोनो फिर से अकेले थे, मैने दरवाजा बन्द करके मम्मी को बाहो मे भर लिया. मम्मी ने मुझे प्यार से चूमते हुए कहा, अभी नही बेटा, अब घर चलते है, फिर हम दोनो रहेन्गे, हमे कई मौके मिलेन्गे. मै समझ गया कि मम्मी कोई खतरा नही उठाना चाहती लेकिन वो मेरे साथ यौन सबन्ध बनाए रखने के लिए राजी है. इस खुशी से मैने उन्हे एक बार फिर चूम लिया और हम दोनो हमारे कमरेकी ओर चल पडे.