Maa Beta Hotel Sex
मैं उत्तर भारत के एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखता हूँ. मेरी दो बहनें और एक भाई है. अपने भाई बहिनो में मैं सबसे बड़ा हूँ. हम चारो भाई बहिनो की शादी हो चुकी है. मैं अपनी पत्नी और 4 वर्ष के बेटे के साथ अपने माता पिता के साथ ही रहता हूँ. Maa Beta Hotel Sex
मेरे पिताजी का अच्छा ख़ासा बिज़नेस है. हमने इंजिनियरिंग प्रॉडक्ट्स की डिस्ट्रिब्युटरशिप ले रखी है और हम दोनो बाप बेटे मिलकर कारोबार चलते हैं. कारोबार से अच्छा पैसा आ जाता है. जो हमारे लिए पर्याप्त है. मेरा छोटा भाई अपने परिवार के साथ विदेश में रहता है.
ये बात दिसंबर की है, तब उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी. उन दिनों जाड़ों में हमारा कारोबार थोड़ा सुस्त चल रहा था. इसी दौरान मेरी माँ ने दक्षिण भारत में तिरुपति और रामेश्वरम जाने की इच्छा जाहिर की. 15 जनवरी, को त्योहार के दिन वो वहाँ मंदिर में दर्शन करना चाह रही थी.
मेरे पिताजी की तबीयत ठीक नही थी तो उन्होने मुझसे माँ के साथ जाने को कहा. मेरा जाने का मन नही था तो मैं टालमटोल करने लगा. मैं थोड़ा परिवारिक आदमी हूँ और परिवार से दूर यात्रा करने का मेरा मन नही हो रहा था.
लेकिन माँ ने जाने की ज़िद पकड़ ली तो मुझे भी मजबूरन हामी भरनी पड़ी. फिर ये निर्णय लिया गया की जब मौसम थोड़ा ठीक होगा तब हम दोनो माँ बेटे जाएँगे. मेरी टाल मटोल देखकर मेरी पत्नी मुझे चिढ़ाती रही की तुम अपने पुत्र होने का कर्तव्य नही निभा रहे हो और तुम्हें अपनी माँ को उनकी इच्छानुसार दर्शन के लिए ले जाना चाहिए.
जब मौसम थोड़ा ठीक हुआ तो हमने अपने शहर से देल्ही के लिए ट्रेन का सफ़र किया और फिर देल्ही एयरपोर्ट से दक्षिण भारत में मदुरै के लिए फ्लाइट पकड़ी. वहाँ से हमने एक कार बुक कराई जो पूरी यात्रा के लिए हमने अपने पास रखी.
दक्षिण भारत में मौसम अच्छा था. हम पहले रामेश्वरम गये और फिर वहाँ से तिरुपति गये. तिरुपति में माँ ने मुझसे सर के बाल सफाचट करवाने को कहा. मैंने भी इस यात्रा का आनंद लिया था तो बिना किसी लाग लपेट के माँ की इच्छा अनुसार सर शेव करवा लिया.
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तिरुपति दर्शन के बाद हमारी वापसी यात्रा शुरू हुई. जो कार हमने यात्रा के शुरू में मदुरै से बुक करवाई थी, उसी से हम बंगलोर पहुँच गये. तकरीबन 4:30 pm पर हम बंगलोर पहुँचे और सीधे चान्सररी पेविलियन जो की मेरा फेवरेट होटेल है, वहाँ आ गये. लंबी धार्मिक यात्रा अब संपन्न हो चुकी थी. रूम में आकर नहाने के बाद मैंने थोड़ा आराम कर लिया.
फिर पीने के मूड से मैं होटेल की बार में चला गया. माँ अभी आराम कर रही थी, थकान से उसे नींद आ गयी थी. मैंने रूम की चाभी ली और चुपचाप चला आया ताकि माँ की नींद डिस्टर्ब ना हो. बार में थोड़ा पीने के बाद मुझे अपने बीवी बच्चों की याद आने लगी. घर की याद आने पर मेरा मूड ऑफ हो गया.
फिर मैंने माँ को फोन किया की आपने डिनर कर लिया. माँ बोली बेटा मैं तो तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ. मुझे शरम आई की मैं यहाँ बार में मज़े कर रहा हूँ और रूम में माँ मेरा इंतज़ार कर रही है. मैंने कहा, मैं आ रहा हूँ और फटाफट रूम में आ गया. जब मैंने चाभी से रूम खोला तो माँ वहाँ नही थी.
फिर बाथरूम से माँ के भजन गाने की आवाज़ आई तो मैं समझ गया माँ नहाने गयी है. मैं सोफे में बैठ के टीवी देखने लगा. करीब 10 मिनिट बाद माँ ने आवाज़ लगाई,” सोनू मेरी नाइटी पकड़ा दो.”(सोनू मेरा घर का नाम है).
मैंने बेड से नाइटी उठाई और बाथरूम के दरवाज़े पर जाकर माँ को आवाज़ लगाई. माँ ने थोड़ा सा दरवाज़ा खोला और नाइटी पकड़ने के लिए अपना हाथ दरवाज़े से बाहर निकाला. मैं नाइटी पकड़ाने के लिए थोड़ा आगे को आया और उसी क्षण से मेरी दुनिया बदल गयी.
बाथरूम ऐसे बना हुआ था की उसमे बाई तरफ शावर था और दाई तरफ वॉश बेसिन और ड्रेसर था. जब माँ ने दरवाजे के पीछे छिपकर सिर्फ़ हाथ बाहर निकाला तो सामने मिरर में मुझे वो पूरी नंगी दिखाई दी. आगे बताने से पहले मैं अपनी माँ के बारे में बता दूं.
मेरी माँ की उमर लगभग 52 – 53 वर्ष है और वो कोई हुस्न की परी या ऐसी कुछ नही है. वो एक साधारण हाउसवाइफ है. उमर के हिसाब से ही उसकी कमर पर चर्बी चढ़ी हुई है. यहाँ की औरतों की अपेक्षा उसकी हाइट थोड़ी ज़्यादा है, 5’5 की बड़ी चूचियां, और चौड़े नितंब जो इस उमर की औरतों के होते हैं. देखने में वो साधारण ही है पर उसका रंग एकदम साफ है, बिल्कुल गोरी चिट्टी है.
दरवाज़े पर खड़े होकर जब मैंने माँ को एकदम नग्न देखा तो मैं देखता ही रह गया. उसकी बड़ी बड़ी गोरी चूचियां जो 50 की उमर पार करने के बाद भी ज़्यादा झुकी हुई नही थी. जवान लड़कियों के जैसे ऊपर को भी नही थी पर ज़्यादा ढली हुई भी नही थी.
माँ दरवाज़े के पीछे थोड़ा साइड में होकर खड़ी थी तो मुझे चूचियों के बीच में गुलाबी ऐरोला और मोटे निपल भी दिख रहे थे. उसकी जांघें बड़ी बड़ी और मांसल थी और लंबी गोरी टाँगे मुझे दिखी. साइड में होने से उसकी नाभि के नीचे का v शेप वाला भाग मिरर में नही दिख रहा था. मैं हाथ में नाइटी पकड़े मिरर में माँ को नग्न देख रहा था तभी माँ की आवाज़ से मुझे होश आया.
माँ थोड़ा झुंझलाते हुए बोली,” क्या कर रहे हो, नाइटी देते क्यों नही.”
उसे पता ही नही था की मैंने मिरर में उसे नंगी देख लिया है. मैंने उसे नाइटी पकड़ाई और फिर टीवी देखने लगा. अब मेरे मन में मिलीजुली भावनाए आने लगी. एक तरफ तो जो मैंने देखा उससे मैं उत्तेजित हो गया था और दूसरी तरफ अपनी माँ के बारे में ऐसा सोचने से मुझे गिल्टी फीलिंग भी आ रही थी.
मुझे अपने ऊपर बहुत शरम आई लेकिन माँ की वो नग्न छवि जो मैंने मिरर में देखी वो मेरे मन से हट ही नही रही थी. मेरे दिमाग़ का एक हिस्सा कह रहा था की अपनी माँ को नग्न देखकर उत्तेजित होना ग़लत बात है, तो दूसरा हिस्सा वही नग्न छवि दिखाकर मुझे फिर से उत्तेजित कर दे रहा था.
माँ को लेकर मेरे मन में पहले कभी कोई ग़लत बात नही रही इसलिए अब जो मेरे दिमाग़ में चल रहा था वो मेरे लिए असहनीय हो गया. माँ के बारे में कुछ सेक्स कहानियाँ मैंने पढ़ी थी पर मैं सोचता था की ये परवर्ट लोगों की फैंटसीज हैं और कुछ नही. कोई अपनी माँ के साथ कैसे संबंध बना सकता है?
लेकिन अब मुझे क्या हुआ था. क्यूँ मेरे मन में अपनी माँ के नग्न रूप को देखकर उत्तेजना आई? टीवी के आगे बैठकर मैं यही सब सोच रहा था, तभी माँ अपनी स्लीवलेस वाइट कॉटन नाइटी पहनकर बाथरूम से बाहर आई. नाइटी से सिर्फ़ उसकी बाहें दिख रही थी बाकी पूरा बदन ढका हुआ था.
अपने गीले बालों में जो उसकी आधी पीठ तक पहुँच रहे थे, वो मुझे सुंदर लग रही थी. उसकी तरफ देखते हुए मुझे फिर वही नग्न छवि दिखाई देने लगी. लाख कोशिश करने पर भी अब माँ को देखने पर वही नग्न छवि मेरी आँखो के आगे आ जा रही थी.
माँ ने नहाकर ब्रा नही पहनी थी इसलिए जब वो चलती तो उसकी बड़ी चूचियां इधर उधर हिल रही थी. पहले की बात होती तो मैं कभी इस तरफ ध्यान नही देता पर अब सब कुछ बदल चुका था. मैं अब माँ को ध्यान से देख रहा था.
माँ शीशे के आगे खड़ी होकर बाल बनाने लगी और उसके हाथ हिलाने से हिलती हुई चूचियों को मैं देखने लगा. तभी माँ ने कहा की डिनर ऑर्डर कर दो तो मैं होश में आया. माँ ने कहा की उसे हल्का खाना खाने का मन है, तो मैंने सिर्फ़ सलाद और सूप ऑर्डर कर दिए. फिर हम टीवी में न्यूज़ देखते हुए डिनर करने लगे.
मेरा दिमाग़ अभी भी कहीं खोया हुआ था और मैं टीवी की तरफ खाली देख रहा था, उसमे क्या आ रहा था क्या नही मुझे कुछ पता नही. तभी माँ की आवाज़ मेरे कानो में पड़ी. उसने कुछ कहा पर ध्यान कहीं और होने से मुझे साफ सुनाई नही दिया. मुझे ऐसा लगा जैसे माँ की आवाज़ कहीं दूर से आ रही है.
अब माँ थोड़ी इरिटेट हो गयी और नाराज़गी से बोली,” तुम्हें इतना नही पीना चाहिए कि सामनेवाला क्या कह रहा है ये भी तुम्हें सुनाई ना दे.”
उसकी झिड़की से मैं एकदम से चौंक गया. उसे क्या पता था की मैंने ज़्यादा पिया नही है बल्कि कुछ देखा है, जिससे मेरा मन विचलित हो गया था.
मैं बोला,” आई ऍम सॉरी अम्मा. पीने से नही बल्कि सफ़र की वजह से मैं थक गया हूँ. इसलिए आपकी बात नही सुनी.”
फिर मैंने माँ की तरफ देखा और सीधी मेरी नज़र उसकी क्लीवेज पर पड़ी, जो उसकी नाइटी के गले से ब्रा ना होने से दिख रही थी. ज़्यादा नही दिख रहा था पर जब वो सूप पीने को आगे को झुकती तो चूचियों का उपरी हिस्सा दिख जा रहा था.
अपने को माँ की चूचियों को ताकते पाकर मुझे अपने को थप्पड़ मारने का मन हुआ लेकिन कितनी भी कोशिश कर लूँ पर मैं माँ के बदन को तकने से अपने को नही रोक पा रहा था. एक ही दिन में ना जाने मुझे क्या हो गया था. आज 33 वर्ष की उमर में पहली बार माँ को ऐसे देख रहा था जो पहले हमेशा मेरे लिए पूजनीय माँ रही थी.
तभी माँ ने मेरा ध्यान टीवी में आ रही न्यूज़ की तरफ दिलाया की उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है और ज़्यादातर एयरपोर्ट कोहरे की वजह से अगले कुछ दिन के लिए बंद हैं. टीवी में देल्ही एयरपोर्ट में परेशान पैसेंजर्स को दिखाया जा रहा था जिनकी फ्लाइट्स कैंसिल हो गयी थी.
अब मुझे मौका मिल गया. मैंने माँ पर खीझ उतारते हुए कहा,” देखो अम्मा, मैंने पहले ही कहा था की इस बार मौसम बहुत खराब है, यात्रा पर नही जाते हैं पर आपने मेरी एक नही सुनी . अब देख लो टीवी में. लोग एयरपोर्ट में पड़े हुए परेशान हैं. फ्लाइट्स कैंसिल हो गयी हैं.”
माँ शांत स्वर में बोली,” सोनू, जब तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ था तो मैंने प्रार्थना की थी की अगर तुम जिंदा बच गये तो मैं तिरुपति और रामेश्वरम के दर्शन करने जाऊँगी. तुम क्या सोचते हो की तुम अगर मेरे साथ नही आते तो मैं यहाँ नही आती ? मैं तब भी आती और अकेली ही आती.”
माँ की बात सुनकर मुझे बुरा लगा और मैंने उनसे अपनी खीझ उतारने के लिए माफी माँगी. कुछ समय पहले की बात है मैं बाथरूम में गिर पड़ा था और किसी चीज़ से सर टकराने से वहीँ बेहोश हो गया. मेरे सर से खून बहता रहा. और जब मुझे हॉस्पिटल ले जाया गया तो काफ़ी देर हो गयी थी और बहुत सारा खून बह गया था.
करीब 15 दिन लगे थे मुझे ठीक होने में. माँ उसी एक्सीडेंट की बात कर रही थी. मेरे माफ़ी मांगने पर माँ उठी और मेरे पास बैठ गयी. प्यार से मुस्कुराते हुए उसने मेरा सर पकड़कर अपनी छाती से लगा लिया. कुछ देर के लिए मैं दुनिया को भूल गया और एक बच्चे की तरह उससे लिपटकर सिसकने लगा.
मुझे रोते देखकर माँ ने मुझे और कसकर अपने से चिपटा लिया और कुछ कहकर मुझे चुप कराने की कोशिश करने लगी. उसने क्या बोला मैं अपने सिसकने की वजह से नही सुन पाया. माँ सोच रही थी की मैं इसलिए गिल्टी फील कर रहा हूँ की मैंने उसकी यात्रा के लिए मना किया था, जबकि माँ ये यात्रा मेरे लिए ही कर रही थी.
लेकिन मेरे रोने का कारण कुछ और ही था. मुझे बहुत गिल्टी फीलिंग आ रही थी की माँ मेरे एक्सीडेंट की वजह से ये यात्रा कर रही है, और मैं उस पूजनीय माँ को नग्न देखने के बाद उत्तेजित हो रहा था, उसके बदन को ताक रहा था.
लगभग 10 मिनिट बाद मैं शांत हुआ और मुझे होश आया तो मैंने पाया की मेरा सर माँ की छाती पर टिका हुआ है. होश में आते ही फिर वही ख्याल आने लगे. उसकी नाइटी थोड़ी नीचे को हो गयी थी तो मेरी आँखों को नाइटी के गले से माँ की चूचियां ऊपर से दिखने लगी.
मेरा दायां गाल तो चूची पर ही दबा हुआ था. मैंने दोनो हाथों से माँ को आलिंगन किया हुआ था. और जिस हाथ से माँ के दाएं कंधे को पकड़ा हुआ था, उस हाथ की कुहनी माँ की दायीं चूची के निपल पर दब रही थी. मेरे ऊपर फिर से वासना हावी हो गयी और मैं सारी दुनियादारी भूलकर जैसे ही अपने होंठ माँ की नाइटी के गले से झांकती चूचियों पर लगाने को हुआ तभी माँ ने मुझे सीधा कर दिया और बोली,” सोनू अब सो जाते हैं.”
माँ उठी और सोने चली गयी. बेड पर लेटते ही वो खर्राटे लेने लगी. माँ के सो जाने के बाद मैं सोफे पर बैठे हुए आज दिन में जो घटित हुआ उसके बारे में सोचने लगा. एक ही दिन में मैं ‘अच्छा सोनू’ से ‘बुरा सोनू’ बन चुका था. मैं वही पर बैठे हुए, बाथरूम में पानी से भीगी हुई पूरी नंगी माँ की छवि को याद करते हुए, मूठ मारने लगा.
फिर जब मुझे लगा कि अब मेरा निकलने वाला है तो मैं बाथरूम की तरफ चल दिया. जब मैं सोफे से उठा तो मैंने एक नज़र अम्मा के ऊपर डाली. अम्मा दायीं तरफ करवट लेकर सोई हुई थी. उसका बायां घुटना मुड़ा हुआ था जिससे नाइटी खिसककर जांघों के ऊपरी भाग तक आ गयी थी.
शायद रूम हीटिंग की वजह से नींद में उसको गर्मी महसूस हुई होगी और माँ ने रज़ाई से पैर बाहर निकाल दिए थे. माँ की पूरी टाँगे नीचे से लेकर, जहाँ से नितंबों का उभार शुरू होता है, वहाँ तक पूरी नंगी थी. मैं बाथरूम जाना छोड़कर वहीं पर खड़ा माँ की नग्नता को देखने लगा.
फिर मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया और बेशरम बनकर मैंने वहीं बेड के पास खड़े होकर मूठ मारना शुरू कर दिया. फिर जब मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ी तो आनंद से मेरी आँखे बंद हो गयी थी. रोकने की कोशिश करने के बावजूद एक हल्की सी आह मेरे मुँह से निकल गयी.
फिर मुझे आशंका हुई की कहीं मेरा वीर्य माँ के जांघों के ऊपर तो नही पड़ गया है ? इस ख़याल से मुझे एक अजीब सी उत्तेजना आई, लेकिन थोड़ी घबराहट भी हुई. एक बार मैंने सोचा की लाइट ऑन करके देखूं, फिर मैंने बेडरूम की लाइट ऑन करने के बजाय बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया.
बाथरूम से लाइट की रोशनी में देखा वीर्य की कुछ बूंदे माँ की जांघों के अंदरूनी हिस्से पर पड़ी थी. मैंने सोचा अगर पोंछ दूँ और माँ उठ गयी तो परेशानी में पड़ जाऊंगा. या फिर ऐसे ही रहने दूँ, ये अपनेआप थोड़ी देर में सूख जाएगा और सुबह माँ उठकर नहा लेगी तो धुल जाएगा.
इन दोनो में से मुझे एक चुनना था, या तो पोंछ दूँ या फिर ऐसे ही रहने दूँ. लेकिन माँ की जांघों पर हाथ फेरने की मेरी इच्छा ने मुझे रिस्क लेने पर मजबूर कर दिया. मैंने एक छोटा सा टावल लिया और फर्श पर झुक गया. धीरे से मैंने टावल से वीर्य को पोंछ दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
झुकने पर मुझे परफ्यूम की सी महक आई. मेरे ख़याल से माँ ने पसीने की गंध को दूर करने के लिए परफ्यूम यूज़ किया होगा. वो खुशबू माँ की जांघों के ऊपरी हिस्से पर नाक लगाने से आ रही थी. मैं कुछ देर तक बैठे हुए उस खुशबू को सूंघता रहा.
अब मुझे माँ के साथ संभोग करने की तीव्र इच्छा होने लगी. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मुझे इसमे गंदा या ग़लत कुछ भी महसूस नही हो रहा था. वो मेरे लिए अब भी पूजनीय माँ थी. वहीं फर्श पर बैठे हुए ही मुझे नींद आ गयी. पता नही कैसे जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा की माँ अब सीधी लेटी हुई सो रही थी.
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उसकी टाँगे अभी भी पूरी ऊपर तक खुली हुई थी. रज़ाई उसने पूरी एक तरफ को फेंक दी थी. मैं खड़ा हुआ और कुछ देर तक माँ को देखता रहा फिर बेड में सोने के लिए लेट गया. लेकिन नींद नही आ रही थी. मैं सोचने लगा जब हम घर पहुँच जाएँगे तो घर पर परिवार के सभी लोग होंगे और मुझे माँ के साथ अकेले रहने का मौका नही मिलेगा.
और माँ को ऐसे सोए देखना तो दुर्लभ ही हो जाएगा. मैं सोचने लगा कुछ दिन और घर से दूर कैसे रहा जाए. एक ख़याल मन में आया की खराब मौसम का सहारा लेकर वापसी यात्रा को थोड़ा लंबे रास्ते से ले जाऊं जिससे कुछ और रात मुझे माँ के साथ होटेल में काटने को मिले. यही सब सोचते हुए मैं सो गया.
सुबह जब नींद खुली तो माँ साड़ी पहन रही थी. लाल रंग के बॉर्डर वाली सफेद सिल्क की साड़ी में माँ अच्छी लग रही थी. मेरी नज़र उसके ब्लाउज पर पड़ी. ब्लाउज के अंदर उसकी बड़ी चूचियों का शेप दिख रहा था. जब तक वो साड़ी पहनते रही मैं ध्यान से उसे देखता रहा. फिर मैं उठ गया और जाने को तैयार होने लगा.
होटेल वालों ने कार से हमें एयरपोर्ट पहुँचा दिया. वहाँ पता चला की हमारी जेट एयरवेज की फ्लाइट कैंसिल हो गयी है. हमने जेट के स्टाफ से किसी और फ्लाइट में सीट देने के लिए पूछा तो उन्होने मना कर दिया. मैंने पिताजी को फोन किया तो उन्होने कहा की टिकट का रिफंड ले लो और जब मौसम खुल जाए तो फ्लाइट ले लेना.
मैंने बाकी एयरलाइन्स के काउंटर पर भी पूछताछ की, इस सब में 5 pm हो गया और हम बुरी तरह से थक चुके थे. इंडियन एयरलाइन के काउंटर पर एक अधेड़ उमर की लेडी ने मुझे 3 दिन बाद का टिकट लेने को कहा. इससे पहले जो फ्लाइट्स जाएँगी उनमे पैसेंजर्स की भीड़ देखते हुए टिकट मिलना मुश्किल होगा.
या फिर रोज़ रोज़ एयरपोर्ट आकर पता करो. मैंने उस लेडी की बात मान ली और उसने हमें 3 दिन बाद के टिकट दिए वो भी वेटलिस्टिंग में, लेकिन उसने कहा की सीट्स मिल जाएँगी तब तक. मैंने माँ को ये बात बताई तो उसका चेहरा लटक गया. मैंने उसे दिलासा दी,” अम्मा हम कोई जंगल में बिना खाना और पानी के भटक थोड़ी गये हैं. बंगलोर इतना बड़ा शहर है . हम आराम से कुछ दिन यहाँ गुजार सकते हैं.”
माँ चेयर से उठी और कहने लगी सुबह से वेट करते करते मेरी कमर दर्द हो गयी है. पूरा दिन एयरपोर्ट में बैठे हुए वो थक गयी थी और मैं तो एक काउंटर से दूसरे काउंटर दौड़ने में ही था. माँ ने कहा होटेल में अब रूम खाली है की नही, पता तो करो.
मैंने होटेल फोन किया की हम वापस आ रहे हैं तो उन्होने कहा की हमारी एक कार एयरपोर्ट पर किसी गेस्ट को छोड़ने गयी हुई है, उसके ड्राइवर से हम आपको होटेल वापस लाने को कह देते हैं. जब हम अपने रूम में पहुँचे तो 8 pm हो चुका था. सुबह से रात तक हम दोनो एयरपोर्ट में चक्कर लगाकर थक चुके थे. नहाने के बाद मैंने अम्मा से कहा, मैं अभी थोड़ी देर में आता हूँ.
अम्मा मुस्कुरायी और बोली, ठीक है, लेकिन ज़्यादा मत पीना हाँ.
मैंने कहा, हाँ अम्मा नही पियूँगा और रूम से बाहर आ गया.
बार में आने के बाद मैं ड्रिंक करने लगा. अब मुझे अम्मा के साथ 3 दिन होटेल में बिताने थे. ड्रिंक करते हुए मैं सोचने लगा मैं अम्मा के साथ संभोग करने की अपनी इच्छा कैसे पूरी करुं. लेकिन कोई तरीका नही सूझ रहा था. थोड़ी देर बाद मैं वापस रूम में आ गया.
माँ बेड में लेटकर टीवी देख रही थी. उसने एक स्लीवलेस नाइटी पहनी हुई थी जो उसके घुटनो तक उठी हुई थी. मैं माँ के सामने सोफे पर बैठ गया. फिर मैंने डिनर का ऑर्डर दे दिया. माँ टीवी देख रही थी और मैं चुपचाप माँ की सुंदरता को निहार रहा था.
जैसे ही डोर बेल बजी तो मैं दरवाजा खोलने को उठा. अचानक माँ बेड से उठी और बाथरूम में चली गयी. जब वेटर डिनर देकर चला गया तो मैंने माँ को आवाज़ दी. जब माँ बाथरूम से बाहर आई तो मुझे एहसास हुआ की माँ वेटर के सामने रूम में क्यूँ नही रही.
जैसे ही डोर बेल बजी तो मैं दरवाजा खोलने को उठा. अचानक माँ बेड से उठी और बाथरूम में चली गयी. जब वेटर डिनर देकर चला गया तो मैंने माँ को आवाज़ दी. जब माँ बाथरूम से बाहर आई तो मुझे एहसास हुआ की माँ वेटर के सामने रूम में क्यूँ नही रही.
उसने जो नाइटी पहनी थी वो उसके घुटनो से कुछ ही इंच नीचे तक थी और बड़े गोल गले वाली स्लीवलेस थी. उसने ब्रा पहनी हुई थी और उस बड़े गोल गले से क्लीवेज दिख रही थी. नये जमाने की औरतों के लिए तो ये कुछ भी नही था पर अम्मा शायद दूसरे आदमियों के सामने इस नाइटी में असहज महसूस कर रही थी. तभी वो वेटर के अंदर आने से पहले बाथरूम चली गयी.
अम्मा ने बाथरूम से आकर मुझे अपनी नाइटी को देखते हुए पाया तो वो बोली,” बाकी सब गंदी हो गयी हैं, यही बची है. कल लांड्री के लिए कपड़े देने होंगे.”
मैंने कहा,” कोई बात नही अम्मा. ठीक तो है.”
डिनर करने के बाद मैंने बाथरूम जाकर बेड में लेटने के लिए बरमूडा पहन लिया. बाथरूम से आकर मैंने देखा माँ ने ब्रा उतार दी है और धोने के कपड़ो के ढेर में उसे रख रही है. मैं जब उसके पास खड़ा हुआ तो उसके बड़े गले के अंदर झाँकने पर चूचियां साफ दिख रही थी. वास्तव में अम्मा के लिए वो नाइटी सही नही थी.
तभी अम्मा बोली,” सोनू तुम्हारे पास कोई पेनकिलर है तो दो, एयरपोर्ट में दिन भर कुर्सी में बैठने से मेरी कमर दर्द कर रही है.”
मैंने दिक्लोफ़ेनाक और त्रिका पानी के साथ अम्मा को दी. फिर मैंने पूछा,” अम्मा चाय पियोगी?”
उसने मना कर दिया तो मैंने अपने लिए चाय ली और बेड में बैठकर पीने लगा और फिर हम सो गये.
लगभग 10 मिनिट बाद वो बोली,” सोनू बेटा, कमर दर्द से मुझे नींद नही आ रही है. मेरी कमर और पैरो में मालिश कर दोगे ?”
मैंने कहा,” ठीक है अम्मा.”
फिर मैंने बेड लैंप को स्विच ऑन कर दिया और माँ के पैरों के पास आ गया. माँ बायीं करवट लेकर मेरी बेड की तरफ लेटी हुई थी. उसकी छोटी नाइटी घुटनो तक खिसक गयी थी और बड़े गले से चूचियों का ऊपरी भाग बाहर निकला हुआ था. बेड लैंप की रोशनी अम्मा के ऊपर पड़ रही थी और फिर से मुझे अम्मा के साथ संभोग की इच्छा होने लगी.
जब मैं उसके पैरों के पास बैठा तो वो पीठ के बल सीधी होकर लेट गयी. मैंने उसका पैर अपनी गोद में रख लिया और उसकी मालिश करने लगा. थोड़ी देर ऐसे ही पैरों की मालिश के बाद अम्मा को आराम महसूस हुआ. वो बोली, “सोनू बेटा, भगवान तुमको मेरी बाकी बची उमर दे दे. तुम्हारे जैसा सेवा करने वाला बेटा मिला है, मैं और तुम्हारे पिताजी भाग्यशाली हैं.”
कोई और समय होता तो माँ का आशीर्वाद सुनकर मैं भावुक हो जाता. पर इस समय वासना मुझ पर हावी थी. मैं कुछ नही बोला. चुपचाप पैरों की मालिश करता रहा. कुछ देर बाद मैंने अम्मा से घुटने मोड़ने को कहा. अम्मा ने जब घुटने मोड़े तो अब उसके पैर उल्टा v की शेप में थे.
जिससे नाइटी घुटनो से नीचे को जांघों की तरफ खिसक गयी थी. ये नज़ारा देखकर मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. मैं उसकी टाँगों के पिछले भाग की मालिश करने लगा. अम्मा अभी भी हल्की आवाज़ में आशीर्वाद देती जा रही थी. हालाँकि उसकी आवाज़ इतनी धीमी थी की शब्द सुनाई नही दे रहे थे.
शायद मेडिसिन और मालिश के असर से वो मुँह ही मुँह में बुदबुदा रही थी. फिर मैं थोड़ा सा खिसका और घुटने से नीचे को उसकी दायीं जाँघ की मालिश करने लगा. जब मेरा हाथ उसकी नाइटी तक पहुँचा तो मैं रुक गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं नाइटी को ऊपर करके और ऊपर तक जाँघ की मालिश करना चाह रहा था पर इतनी हिम्मत मुझमे नही थी की उसकी नाइटी ऊपर कर दूं. तो मैं घुटने से आधी जाँघ तक मालिश करने लगा. कुछ देर तक मैं ऐसे ही पंजो से घुटने तक और घुटने से आधी जाँघ तक मालिश करते रहा.
फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मुझे उम्मीद नही थी. अम्मा ने कहा,” भगवान सबको तुम्हारे जैसा बेटा दे.” और अपना बायां पैर सीधा कर दिया. अब उसका बायां पैर सीधा था और दायां पैर घुटने से मुड़ा हुआ खड़ा था. इससे मुझे उसकी जांघों के जोड़ तक दिखने लगा. अब मेरी धड़कने बहुत बढ़ गयी.
मैंने जांघों के बिल्कुल ऊपरी हिस्से तक मालिश करना शुरू कर दिया. जिससे नाइटी और ऊपर खिसक गयी. मैं मालिश करते हुए अम्मा की मांसल जांघों पर ऊपर तक हाथ फिराने लगा. फिर ऐसे ही मैंने बायीं जाँघ की भी मालिश की.
लगभग 15 मिनिट बाद अम्मा बोली,” सोनू अब मेरी कमर की मालिश कर दो.”
और वो घूमकर पेट के बल लेट गयी. अब जो नज़ारा मेरे सामने था उसे देखकर मैं दंग रह गया. जब अम्मा उल्टा लेटी तो उसकी नाइटी उसके और ऊपर खिसक गयी. उसके पैर पूरे नंगे थे और जहाँ से नितंब शुरू होते हैं, उससे थोड़ा ऊपर तक सब खुला था.
अब मैं अम्मा के ऊपर से आँखे हटा ही नही पा रहा था. उसकी गोरी जांघें और नितंबों का निचला हिस्सा मेरी आँखों के सामने था. नितंबों के बीच की दरार के निचले हिस्से से अम्मा की चूत का कुछ भाग भी दिख रहा था. थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही देखता रहा.
फिर मुझे होश आया. मैंने सोचा खाली देखने से क्या होगा. मुझे कुछ करना होगा. लेकिन किस्मत कितनी देर तक मेरा साथ देगी. 33 वर्ष की उमर में अम्मा के साथ एक ग़लत हरकत और जिंदगी भर के लिए मैं श्रापित हो जाता. मेरी जिंदगी दांव पर लगी थी.
लेकिन मैं उस मोड़ पर पहुच चुका था जहाँ पर मेरी इच्छाओं ने मुझे वश में कर लिया और मैंने अपने को दांव पर लगा दिया. बिना ज़्यादा सोचते हुए मैं अम्मा की जांघों के दोनो तरफ पैर रखकर उसकी कमर और पीठ को उंगलियों से दबाने लगा.
अंगूठे और उंगलियों से कमर को दबाकर मालिश करने से उसकी नाइटी थोड़ा थोड़ा करके और ऊपर होने लगी और कुछ देर बाद अम्मा के बड़े बड़े गोरे नितंब आधे नंगे हो गये. मैं उसकी पीठ और कमर को उंगलियों और अंगूठे से दबाकर मालिश करता रहा पर मैंने उसके खुले हुए नितंबों को नही छुआ.
अब मेरा लंड पूरा मस्त होकर तन चुका था और बरमूडा के कोने से सुपाड़ा बाहर झाँक रहा था. मैं अम्मा के नितंबों की तरफ थोड़ा ऊपर खिसकर पीठ की मालिश करने लगा. मैं अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरत रहा था और अच्छी मालिश कर रहा था ताकि अम्मा को आराम महसूस हो. क्या पता आगे क्या होने वाला था ?
धीरे धीरे मैंने अम्मा की नाइटी कमर तक खिसका दी. अब अम्मा के विशाल नितंब पूरे नंगे थे. फिर मैंने हिम्मत करके नाइटी के अंदर हाथ डालकर उसकी कमर और पीठ के निचले हिस्से पर हाथ फिराते हुए मालिश शुरू कर दी. मैं आगे झुक के मालिश कर रहा था और मेरा लंड अम्मा के नंगे नितंबों पर फिसल रहा था.
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अब मैं बहुत उत्तेजित हो गया था. संभोग की मेरी इच्छा तीव्र हो चुकी थी. अब मेरा धैर्य जवाब देने लगा था. मैंने हाथ कमर से नीचे उसके नितंबों पर भी फेरने शुरू कर दिए. फिर मैं रीड की हड्डी पर मालिश करते हुए अम्मा के कंधों की मालिश करने लगा.
अम्मा की बड़ी चूचियां उसके शरीर से दबी हुई थी और साइड्स से कुछ हिस्सा दोनो तरफ निकला हुआ था. साइड्स पर हाथ फिराते हुए मैंने उन पर भी हाथ फेर दिया. अम्मा ने हल्के से ऊऊऊओ…ह की आवाज़ निकाली.
मैं घबरा गया और जल्दी से हाथ हटाकर उसके कंधों की मालिश करने लगा. तभी मेरा लंड फिसलकर अम्मा के नितंबों के बीच दरार में चला गया. लंड से प्री-कम निकल रहा था और वो अम्मा के विशाल नितंबों के बीच घुस गया.
मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी और मेरे लंड के अम्मा के नितंबों के बीच घुसने से बहुत आनंद महसूस हो रहा था. दवाई और मालिश का असर उस पर हुआ था लेकिन मेरे ख़याल से अब अम्मा को भी पता चल चुका था. लेकिन शायद वो शॉक और ऐम्बर्रेसमेंट से कुछ बोल नही पाई.
अपने नितंबों के बीच अपने बेटे का लंड महसूस करके वो अवाक रह गयी होगी. लेकिन मैं अब सारी सीमाएँ लाँघ चुका था. मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था. मैं अपने लंड को अम्मा के नितंबों के अंदर रगड़ने लगा. मुझे लगा अब मेरा वीर्य निकल जाएगा.
वासना पूरी तरह मुझ पर हावी हो चुकी थी. मेरा पूरा ध्यान सिर्फ़ अम्मा के साथ संभोग पर था. मैंने अपना बरमूडा नीचे खिसका दिया और अम्मा की नाइटी उसकी गर्दन तक ऊपर खींच दी. अब अम्मा पीछे से पूरी नंगी थी. मैं अम्मा के ऊपर लेट गया.
मैं अम्मा की गर्दन को चूमने लगा, उसकी बाँहों को चूमा और साइड्स से उसकी चूचियों को मलने लगा. मैंने अपने लंड को पकड़ा और नितंबों के बीच और अंदर घुसाने की कोशिश की. मुझे एक छेद में अपना लंड घुसता महसूस हुआ.
मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया. लेकिन फिर मुझे महसूस हुआ वो अम्मा की चूत का छेद नही बल्कि उसकी गांड का छेद था. लेकिन मैं कोई परवाह ना करते हुए अंदर घुसाने को ज़ोर लगाने लगा. तभी अम्मा का बदन काँपा और वो आश्चर्य भरे स्वर में चिल्लाई,” आइईई…माँ, सोनुउऊउउ…ये क्या .“
अम्मा पलटने की कोशिश करने लगी. मैं अपने हाथों पर उठ गया और उसे मेरे नीचे सीधा हो जाने दिया. जैसे ही वो सीधी हुई, मैं फिर से उसके ऊपर लेट गया. अम्मा ने मुझे देखा, उसकी आँखो में अविश्वास और शॉक के भाव थे. मेरे हाथ अम्मा की चूचियों पर थे और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था.
मैं अम्मा की चूचियां दबाने लगा और मुझे लगा की मेरा वीर्य निकलने वाला है तो मैं उसकी चूचियों को पकड़े हुए, अपने नितंब उठाकर अम्मा के ऊपर धक्के मारने लगा. लंड चूत के अंदर नही गया था, मैं खाली ड्राइ हमपिंग कर रहा था, कुछ ही धक्कों में मेरे लंड से इतने दिनों का जमा किया हुआ वीर्य निकलकर अम्मा की नाभि के पास पेट में गिरने लगा.
अम्मा ने मेरा वीर्य अपने पेट पर गिरते महसूस किया. उसने अपनी आँखे बंद करके, एक गहरी सांस ली और बोली,” ये क्या किया तुमने.”
मुझे इतना तेज ओर्गास्म आया की कुछ पल के लिए मुझे होश ही नही रहा. मैं अम्मा की चूचियों के बीच मुँह घुसाए लेटा रहा. जब मुझे होश आया तो मैं ऐम्बर्रेसेड और घबराया हुआ था. मुझे समझ नही आया अब कैसे रियेक्ट करूँ.
मेरी दुनिया अब बदल चुकी थी. अम्मा के साथ मेरा संबंध अब बदल चुका था. क्या अम्मा के साथ पवित्र रिश्ता नष्ट हो जाएगा या फिर ये और भी मजबूत रिश्ते की शुरुआत थी? धीरे धीरे मुझे अपनी स्थिति का आभास हुआ. मैं अम्मा के ऊपर लेटा हुआ था और अम्मा के पेट में गिरा हुआ वीर्य गोंद की तरह से हमारे बदन को आपस में चिपकाए हुए था.
मेरे लंड उसके पेट के निचले हिस्से में दबा हुआ था. अम्मा की छोटी छोटी झाँटे मुझे लंड के आख़िरी सिरे पर चुभ रही थी. अब फिर से मेरा लंड खड़ा होने लगा. मेरे दिमाग़ से उलझने निकल गयी और अम्मा के साथ संभोग करने की इच्छा ज़ोर मारने लगी.
मैंने सर उठाकर देखा, अम्मा की नाइटी उसके गले तक ऊपर थी. उसने अपना मुँह बायीं तरफ को मोड़ा हुआ था और उसकी आँखे बंद थी. बायां हाथ उसने अपनी चूचियों के ऊपर रखा था और दायां हाथ उसके कंधे से पीछे था और उसकी अंगुलियां मेरी अंगुलियों से मिली हुई थी.
मुझे ध्यान ही नही था की मैंने अम्मा का दायां हाथ ऐसे पकड़ रखा है. मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और उसके बायीं तरफ बेड पर खिसक गया और सर उठाकर अम्मा को देखने लगा. बेड लैंप की धीमी रोशनी में मैंने देखा अम्मा उठने की कोशिश कर रही थी.
वो अपनी कोहनियों के सहारे थोड़ा उठी और सीधे मेरी आँखों में झाँका. उसकी बड़ी बड़ी आँखें मुझे किसी सागर के जैसे लगी. मैं उन्हे चूमने को बढ़ा. उसने अपना चेहरा घुमा लिया. मैंने उसका चेहरा पकड़ा और थोड़ा ज़ोर लगाकर अपनी तरफ घुमाया. फिर मैंने अपनी आँखे बंद करके अम्मा की आँखे चूम ली.
तभी अम्मा बोली,” सोनू अब रहने दो, जो हुआ उसे भूल जाओ.”
फिर वो बेड से उतरने को हुई. मैंने अपने दाएं हाथ को उसकी छाती पर लपेटा और उसे उठने नही दिया. फिर मैंने उसकी कोहनिया सीधी कर दी और उसे फिर से लिटा दिया. अम्मा ने विरोध किया पर मैंने ज़ोर लगा के उसे लिटा दिया.
फिर मैं अम्मा के होठों को चूमने लगा. मैंने उसके होठों को अपनी जीभ से खोलने की कोशिश की लेकिन उसने अपने होंठ नही खोले. फिर मैं बारी बारी से उसके ऊपरी और निचले होंठ को चूमने लगा. मैंने अपना बायां हाथ अम्मा की गर्दन के नीचे डाला हुआ था और दाएं हाथ से मैं उसकी चूचियां दबाने लगा. इससे उसकी सिसकारी निकल गयी.
अम्मा ने बहुत ज़ोर लगाकर मुझे ऊपर हटाया और बोली,”ऊफ़ सोनू, कुछ शरम करो बेटा, मैं तुम्हारी माँ हूँ. यहीं रुक जाओ और आगे मत बढ़ो.”
फिर बोली, ”सीमा(मेरी पत्नी) और बच्चे के बारे में सोचो बेटा. मैं क्या मुँह लेकर जाऊँगी उनके सामने. मान जाओ सोनू.”
अम्मा के उठने बैठने और लेटने से उसकी बड़ी चूचियां खूब हिल डुल रही थी, उनको देखकर मैं मस्त हो जा रहा था. अम्मा ने मेरे कंधे पकड़े हुए थे अपने से दूर हटाने के लिए. मैंने ज़ोर लगाकर अपने कंधों से अम्मा के हाथ हटाए और झुककर निपल मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा.
दूसरे निपल को मैंने अपने अंगूठे और उंगली के बीच दबा लिया और उसे घुमाने लगा. मेरी छेड़छाड़ से अम्मा के दोनो निपल तनकर टाइट हो गये. अम्मा अपना सर दायीं बायीं तरफ हिलाने लगी और उसके मुँह से हल्की सिसकारी भी निकल जा रही थी.
उसने फिर से मुझे कंधे पकड़कर अपने ऊपर से हटाना चाहा, लेकिन मैं उसकी चूचियों और निपल से छेड़छाड़ करते रहा. कुछ समय बाद अम्मा ने मुझे धक्का देना बंद कर दिया और आँखे बंद किए हुए,”मत करो सोनू……हे भगवान…उफफफफ्फ़…” ऐसे बोलने लगी.
शायद अब उसका शरीर उसके दिमाग़ से अलग दिशा में रियेक्ट कर रहा था. अब उसका विरोध हाथों से नही हो रहा था, वो सिर्फ़ आँखे बंद किए हुए ‘मत करो’ बड़बड़ा रही थी. क्या उसके अंदर की औरत की कामइच्छा जाग गयी थी या सामाजिक मान्यताओ, बंधनो के विपरीत जाकर अपने सगे बेटे द्वारा माँ के नंगे बदन को स्पर्श किए जाने से वो रोमांचित महसूस कर रही थी ?
मैंने अपने पैर के पंजे से अम्मा की टाँगे फैला दी और उसके ऊपर लेट गया. मेरे लंड ने अम्मा की चूत को छुआ. अम्मा के मुँह से ज़ोर से आवाज़ निकली,” अरे …….”.
मैं थोड़ा ऊपर खिसक गया अब मेरा लंड अम्मा की नाभि पर आ गया. मैंने अपनी हथेलियों में अम्मा का चेहरा पकड़ा और उसे अपने मुँह की तरफ घुमाया. अम्मा ने आँखे खोल दी और सीधे मेरी आँखो में झाँका.
“अम्मा, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ. आज मुझे मत रोकिए. मैं औरत नही माँ और देवी के रूप में आपको पाना चाहता हूँ.”
“सोनू अब इससे आगे मत बढ़ो, सब बर्बाद हो जाएगा. तुम इतने छोटे नही हो की इसका परिणाम ना समझ सको. माँ से संभोग नही किया जाता. तुम्हारी यौन इच्छा ने तुमको पागल कर दिया है. बेटा अपने ऊपर काबू रखो. ये पाप मत करो.”
“कुछ नही बदलेगा अम्मा. ये तो मानव प्रेम की पराकाष्ठा है. जिस संभोग में सृष्टि की रचना निहित है वो पाप कैसे हो सकता है ? मेरा आपके साथ संभोग वासना नही पूजा है.”
“चुप रहो सोनू. ये प्रेम नही वासना है. माँ और बेटे के प्रेम में ऐसे संबंध नही होते. तुम मेरे शरीर से अपनी काम इच्छा शांत करना चाहते हो और उसके लिए ये तार्क़ दे रहे हो. तुम कैसे भूल सकते हो की मैं तुम्हारी माँ हूँ. जिस योनि को तुम भोगना और अपमानित करना चाहते हो वही तुम्हारे जन्म की कारक है.”
“अम्मा, माँ और बेटे का प्यार ही निस्वार्थ होता है. संभोग तो प्रेमियों के प्रेम की पराकाष्ठा है. फिर माँ बेटे के बीच यदि ये हो तो बुरा क्यूँ है ? बेटा तो माँ के शरीर से ही बना है फिर वही शरीर बेटे के लिए अप्राप्य क्यूँ है ? आपकी योनि का भोग और अपमान तो मैं सोच भी नही सकता. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
सिर्फ़ योनि ही क्यों मैं तो आप से संपूर्ण प्रेम की याचना कर रहा हूँ. ऐसी पूर्णता जो एक माँ ही बेटे को दे सकती है. ऐसा निस्वार्थ काम पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका या किसी और संबंध में संभव नही. स्त्री और पुरुष के बीच केवल माँ और बेटे का संबंध ही पूर्ण है बाकी हर तरफ तो वासना और स्वार्थ ही है.”
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अम्मा ने कुछ जवाब देने के लिए होंठ खोले, लेकिन मैंने उसको मौका नही दिया. मैंने उसके होठों से अपने होंठ चिपका दिए और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी. अम्मा ने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमाना चाहा पर मेरे हाथों की पकड़ ने उसे चेहरा घुमाने नही दिया.
थोड़ी देर बाद वो शांत पड़ गयी. मैंने उसके गाल चूमे फिर गर्दन चूमी और फिर से होठों को चूमने लगा. अब वो पहले के जैसे अपने होंठ टाइट बंद नही कर रही थी, मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ पर अब वो होंठ खुले रख रही थी. मेरे चूमने का वो कोई जवाब नही दे रही थी पर विरोध भी नही कर रही थी.
अम्मा मेरी बाँहो में थी उसके बदन पर सिर्फ़ एक कपड़ा था जो मैंने उसकी गर्दन तक ऊपर खींच दिया था. एक तरह से वो पूरी नंगी ही थी. अम्मा ने अब समर्पण कर दिया था, उसको थोड़ी उत्तेजित और कोई विरोध ना करते देखकर मैंने उसे किसी प्रेमी की तरह अपनी बाँहों में पकड़ा और उसके बदन को हर जगह चूम लिया.
अम्मा चुपचाप आँखे बंद किए लेटी थी और मेरे चूमने से किसी किसी समय उसकी सिसकारी निकल जा रही थी. फिर मैंने उसकी नाइटी गर्दन से ऊपर खींचने की कोशिश की उसने थोड़ा विरोध किया पर मैं नही माना और नाइटी निकालकर बेड पर रख दी. अब अम्मा पूरी तरह से नंगी थी. फिर मैंने अपनी टीशर्ट भी निकाल दी और नंगा हो गया.
मेरे टीशर्ट उतारते समय अम्मा चाहती तो उठकर बेड से उतर कर जा सकती थी. लेकिन वो शांत लेटी रही ना ही उसने अपने अंगो को छुपाने या ढकने की कोशिश की. इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी, मुझे लगा की अब अम्मा भी मेरा साथ दे रही है. और मेरे अंदर जो थोड़ा बहुत अपराधबोध था वो खत्म हो गया.
फिर मैं अम्मा की चूचियों को हाथों से सहलाने लगा और उनके ऐरोला पर जीभ घुमाने लगा. दोनो चूचियों के बीच की घाटी को भी मैंने चूमा और अपने दोनो गालों पर अम्मा की चूचियों का मुलायम स्पर्श महसूस किया. फिर मैं नीचे की तरफ बढ़ा और नाभि के पास पेट को चूमा. नाभि को चूमते ही अम्मा के बदन में कंपकंपी हुई.
मैं थोड़ा और नीचे बढ़ा और अम्मा के शेव किए झाँटों के छोटे छोटे बाल मुझे चेहरे पर चुभे. अम्मा ने तुरंत अपनी जांघें चिपका ली. फिर भी चूत की दरार के उपरी हिस्से पर मैंने जीभ लगाई. फिर मैंने अम्मा की जाँघो को ढीला पड़ते महसूस किया. एक हाथ से अम्मा की एक चूची को दबाए हुए दूसरे हाथ की बड़ी वाली उंगली मैंने अम्मा की चूत में डाल दी.
अम्मा का बदन काँपा और वो चीखी,” सोनूनूनू………..तुम पागल हो गये हो क्या ?”
उसकी चूत पूरी गीली थी, जिससे पता चलता था की वो भी उत्तेजित हो रखी थी. मैंने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और उंगली को चूत के अंदर बाहर करने लगा. एक अंगुली से उसकी क्लिट को भी रगड़ने लगा.
वो थोड़ा रिलैक्स हुई तो मैंने उसकी जांघें थोड़ा फैला दी और अपनी जीभ से उसकी क्लिट को छेड़ने लगा. मैंने अपने होठों में अम्मा की चूत के बड़े होठों को लिया और उन्हे चूमा और दांतो से थोड़ा खींचा. फिर मैं उसकी चूत के अंदर जीभ डालकर अम्मा का कामरस पीने लगा.
अम्मा के मुँह से हल्की सी चीख निकली,” ऊऊ…उूउउफफफफ्फ़……..सोनू, ये क्या हो गया तुम्हें. क्या कर दिया तुमने.”
मैंने उसकी क्लिट को होठों में पकड़कर खींचा और उसकी चूत के फूले हुए होठों को भी होठों से पकड़कर बाहर को खींचा.
“ऊऊओ….ऊऊओफफ्फ़…हे भगवान…मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा, क्या करूँ मैं.” अम्मा सिसकी.
फिर अम्मा ने अपना हाथ मेरे सर पे रखा और उसे सहलाने लगी. फिर धीरे से मेरे गाल छुए. मैं सोच रहा था अम्मा अब मुझे धक्का देकर अपनी चूत से मेरा मुँह हटा देगी. लेकिन उसने मुझे नही हटाया. शायद मेरा वैसा करना उसे भी अच्छा लग रहा था. इससे मेरे मन को शांति मिली.
मैं बीच की दो अंगुली डालकर तेज़ी से अम्मा की चूत में अंदर बाहर करने लगा. और साथ ही साथ उसकी क्लिट को अपनी जीभ से छेड़ता रहा. अब अम्मा की साँसे भारी हो चली थी. मैंने महसूस किया की अम्मा थोड़ा थोड़ा अपने नितंबों को ऊपर को कर रही थी.
अगर मेरी पत्नी होती तो उत्तेजना में अपने नितंबों को ऊपर उछालकर मेरे मुँह पर रगड़ देती लेकिन अम्मा शरम से ऐसा नही कर पा रही थी. लेकिन फिर भी हल्का नेचुरल मूवमेंट मैंने महसूस किया. अम्मा की चूत से बहुत कामरस निकल रहा था. और उसकी गंध से मैं पागल हुआ जा रहा था.
अचानक अम्मा ने अपने घुटने उल्टा v शेप में मोड़ लिए और अपने पैरों के पंजों के बल पर अपनी गांड को मेरे मुँह और अंगुलियों पर (जो उसकी चूत के अंदर थी) तीन चार बार उछाला . उसने अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाया . उसको बहुत तेज ओर्गास्म आ गया था. फिर वो झड़ गयी.
“आआआ……ऊऊहह……सोनू, कहीं का नही छोड़ा तूने मुझे.”
झड़ने के बाद अम्मा की चूत से रस बहने लगा और मैंने सब रस चाट लिया. फिर अचानक से उसने अपनी टाँगे मेरी पीठ में लपेट दी और मुझे टाँगों से जकड़ लिया.
उसके मुँह से एक चीख निकली,” हे ….ईए…..… हे ईश्वर …..ये क्या हो गया …”
मुझे उसकी आवाज़ घुटी घुटी लगी. मैंने उसकी चूत से अपना सर ऊपर उठाकर उसके चेहरे की ओर देखा. उसने तकिये को अपने चेहरे पर दबा रखा था. उसका बदन काँपने लगा. और फिर से चूत रस बहाते हुए वो एक बार और झड़ गयी.
फिर वो कोहनियों के बल उठकर बेड में बैठ गयी. मेरा चेहरा उसकी जांघों के बीच दबा हुआ था. लेकिन उसके बैठने से मैं अम्मा की चूत तक नही पहुँच पा रहा था. फिर अम्मा ने कुछ ऐसा किया जिस पर मुझे विश्वास ही नही हुआ.
अम्मा कोहनी के बल पीछे को झुकी, उसने अपनी जांघें फैलाई और अपने नितंबों को थोड़ा उठाकर मेरे मुँह के पास अपनी चूत लगा दी. अपने दूसरे हाथ से उसने मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया. मैंने दोनो हाथों से अम्मा के नितंबों को पकड़ा और चूत से बहते रस को चाट लिया.
फिर मैंने अम्मा के चूतरस से भीगी हुई अंगुली को उसकी गांड के छेद में डाल दिया. अम्मा ने थोड़ा अपने को उठाया और अपनी चूत को मेरे मुँह पर धकेला. मैंने गांड के छेद के अंदर उंगली अंदर बाहर करनी शुरू की.
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अम्मा चिल्लाई,”आइईई………ईई…, कुछ बाकी नही रखोगे क्या ?”
फिर उसने थोड़ा और रस बहाया, वो थोड़ा कांपी और फिर शांत पड़ गयी. उसका ओर्गास्म खत्म हो चुका था. वो फिर से बेड पर पीछे को धड़ाम से लेट गयी.
“सोनू मेरे बच्चे, क्यूँ किया तुमने ये ? एक पल ने सारा कुछ बदल दिया.” फिर वो हल्के हल्के सुबकने लगी.
मेरा हाथ अभी भी उसके नितंबों के नीचे दबा था. फिर मैंने अपनी उंगली गांड से बाहर निकल ली. अम्मा की गीली हो गयी जांघों के अंदरूनी हिस्से को मैं चूमने और चाटने लगा. मैं उसके पैरों के बीच से उठा और नीचे जाकर उसके पैर के अंगूठे को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा.
फिर मैं उसके पैरों को चूमते हुए ऊपर को बढ़ा. जब मैं अम्मा के घुटनो के पास पहुँचा तो उसने थोड़ा सा अपनी टाँगे फैला दी. और मैं उसकी जांघों पर हाथ फिराने लगा. फिर मैं और ऊपर को बढ़ा. और अपना मुँह अम्मा की चूत पर रख दिया.
अम्मा फिर थोड़ा हिली और उसने अपनी जांघें थोड़ी फैलाई. मैंने फिर से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. अम्मा की साँसे फिर से भारी होने लगी. उसके होठों से सिसकारियाँ निकलने लगी. वो फिर से अपने नितंबों को हल्के से ऊपर को करने लगी.
“मेरी जान मत लो बेटा. सोनू अब बस भी करो.”
मैं ऊपर की ओर बड़ा और अम्मा की साइड में लेट गया. मैंने अपना बायां हाथ अम्मा की गर्दन के नीचे डाला और दाएं हाथ से उनके कंधे को धीरे धीरे सहलाने लगा. फिर मैंने साइड से चूची को चूमा और निपल को होठों में भर लिया.
मेरे चूसने से अम्मा के निपल सख़्त होने लगे. अम्मा के मुँह से हल्की सी ऊओ…ऊवू की आवाज़ निकली लेकिन उन्होने मुझे रोका नही. फिर मैं थोड़ा खिसका और अम्मा का दायां हाथ जो उन्होने अपने पेट पर रखा हुआ था, उसको पकड़कर अपने लंड पर लगाया.
अम्मा ने पहले तो लंड को पकड़ा फिर झटक दिया. अम्मा ने कुछ सेकेंड्स के लिए ही मेरे लंड को पकड़ा, लेकिन जिस आनंद की अनुभूति मुझे हुई उसे मैं शब्दों में बयान नही कर सकता. अम्मा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ किया हुआ था और वो चुपचाप थी.
अब मैंने आगे बढ़ने का निश्चय किया और मैं अम्मा के ऊपर आ गया. अम्मा समझ गयी, उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे टाइट पकड़े रखा और अपने होंठ उसके होठों से मिला दिए. कुछ पल बाद वो शांत हो गयी और उसने अपने होंठ खोल दिए.
उसने मेरा स्वागत किया या समर्पण कर कर दिया, मुझे नहीं मालूम. मैंने उसकी चूचियों को सहलाया, निपल को चूसा, ऐरोला पर जीभ फिराई और उसे चूमा और चाटा. फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को अम्मा की गीली चूत की दरार पर रगड़ना शुरू किया.
अम्मा ने दोनो हाथ पीछे ले जाकर बेड का हेडबोर्ड पकड़ लिया और चिल्लाई,” सोनू ये मत कर बेटा. मैं हाथ से तुम्हारा कर दूँगी पर बेटा अब इस सीमा को मत लाँघ.”
मैंने अम्मा को ओर्गास्म दिलाया था और अब अम्मा उसके बदले मुझे हस्तमैथुन का प्रस्ताव दे रही थी. इसका मतलब ये था की वो ये महसूस या कबूल कर रही थी की उसे ओर्गास्म आ चुका है तो सोनू को भी ओर्गास्म निकालने की ज़रूरत है. उसका ये प्रस्ताव ही मुझे प्रोत्साहित करने के लिए काफ़ी था. अब मुझे चुनाव करना था, या तो मैं उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लूँ या फिर अम्मा मेरी इच्छा के आगे समर्पण कर दे.
मुझे जवाब ना देते देखकर अम्मा बोली,” सोनू बहुत पछताओगे बेटा, बाद में. मान जाओ.”
मैंने अम्मा के होठों को चूमा और बोला,” अगर ऐसे ही करना है तो मुँह से कर दीजिए.”
अम्मा ने कहा,”नहीं, लाओ हाथ से कर दूं.” और फिर अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया. मैंने थोड़ी सी जगह दी और अम्मा ने हाथ से मूठ मारनी शुरू कर दी. मैंने महसूस किया की अम्मा अनमने ढंग से हस्तमैथुन नही कर रही थी बल्कि वास्तव में वो मेरे लंड को सहला रही थी और सहलाते हुए सिसकियाँ ले रही थी.
इससे मैं और भी उत्तेजित हो गया. मैंने थोड़ी देर तक अम्मा को ऐसे ही करने दिया. मैं उसकी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगा और उसकी चूत में उंगली डालकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा. अम्मा सिसकारियाँ ले रही थी, उसके मुँह से निकलती उन सिसकारियों से मैं उत्तेजना से पागल हो गया. मैंने उसकी कलाई पकड़ी और अपने लंड से उसका हाथ हटा दिया और फिर से उसके ऊपर आ गया.
अम्मा बोली, “तुम नही मानोगे?”
लेकिन उसके बोलने की टोन से मुझे लगा की असलियत में वो चाहती है की मैं आगे बढूं, क्या उसका विरोध दिखावे के लिए ही था और वो चाहती थी की मैं आगे बढूं या फिर मैंने ग़लत समझा ? जो भी हो. मुझे मालूम था यही सही समय है.
मैंने अपने घुटनो से अम्मा की टाँगे फैला दी और उसकी जांघों के नीचे अपने घुटने रख दिए. इसे उसकी जांघें मेरी जांघों के ऊपर आ गयी. मैंने अपने लंड को अम्मा की चूत की दरार की पूरी लंबाई में ऊपर से नीचे तक रगड़ना शुरू किया. अम्मा की आँखे बंद थी और साँसे इतनी भारी थी की उसकी चूचियां ज़ोर ज़ोर से हिल रही थी. मैं अब रुक नही सका.
अम्मा की चूत के फूले हुए होठों को अलग करते हुए लंड को मैंने चूत के छेद पर लगा दिया. उसकी चूत की गर्मी से ऐसा लग रहा था जैसे मैंने किसी स्टोव में लंड को रख दिया है. जैसे ही मैंने अंदर घुसाने को धक्का दिया, अम्मा ने झटके से ऊपर को खिसकने की कोशिश की, होनी को टालने का ये उसका अंतिम प्रयास था.
“सोनूऊ….नहीं……रुक जाओ बेटा. मान जाओ…..ना…नहीं……आआहह…..आअहह….ऊऊऊ…उउउफ़फ्फ़ माँ..”
एक धक्के से मैंने समाज के सबसे पवित्र माने जाने वाले बंधन को तोड़ दिया. आधी लम्बाई तक लंड अंदर जा चुका था. मैं रुका और लंड को वापस बाहर खींचा और फिर एक झटके में जड़ तक अंदर घुसा दिया.
अम्मा सिसकी,”ऊऊऊहह..……मा.”
मैं कुछ पल के लिए रुका. अपनी आँखे बंद की और आनंद की उस भावना को महसूस किया. अम्मा की गहरी और गरम चूत की दीवारों ने मेरे लंड को जकड़ रखा था. चूत के अंदर बहुत मुलायम महसूस हो रहा था. फिर मैंने आँखे खोलकर अम्मा को देखा. बड़ा मनमोहक दृश्य था.
उसकी जांघें फैली हुई थी, टाँगे मुड़ी हुई थी. और उसके छोटी छोटी साँसे लेने से उसकी छाती और पेट हिल रहे थे. उसने अपनी बाँहे ऊपर उठा रखी थी और हाथों से बेड का हेडबोर्ड पकड़ रखा था. जिससे उसकी चूचियां ऊपर को उठी हुई थी.
उसके बड़े निपल ऊपर को तने हुए आमंत्रण दे रहे थे. बेड लैंप की हल्की रोशनी में उसका पूरा गोरा नग्न बदन चमक रहा था. मैं थोड़ा आगे को झुका, उसकी जांघों को थोड़ा और ऊपर उठाया और अम्मा के दोनो तरफ अपने हाथ रख दिए.
फिर थोड़ा और नीचे सर झुकाकर मैंने अम्मा की नाभि को चूमा. फिर धीमे लेकिन लंबे स्ट्रोक लगाकर अम्मा की चुदाई करने लगा. मैंने नीचे देखा, जहाँ पर हमारे जिस्म एक में मिल रहे थे, मेरा लंड चूत के रस से पूरा भीगा हुआ था. मैं लंड को पूरा बाहर निकालकर फिर तेज झटके से अंदर घुसाकर धक्के मारने लगा. अम्मा का पूरा बदन मेरे धक्कों से हिलने लगा. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
“हे माँ, उफ़फ्फ़ तुम कितने निर्दयी हो.”
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मुझे मालूम था ऐसे तेज तेज करने से मैं ज़्यादा देर तक नही ठहर पाऊँगा. इसलिए मैं अम्मा के बदन पर लेट गया और फिर धीमे लेकिन गहरे धक्के लगाने लगा. मैंने उसकी चूचियों को मुँह मे भर लिया और चूसने लगा. मेरे चूसने और काटने से चूचियां लाल हो गयी.
मैंने अपना चेहरा ऊपर बढ़ा के अम्मा के होठों को चूमा. अम्मा अब कोई विरोध नही कर रही थी, विरोध का दिखावा भी नही. जैसे ही मेरे होठों ने उसके होठों को छुआ उसने मेरी जीभ का स्वागत करने के लिए अपने होंठ खोल दिए. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब मैं सहारे के लिए अम्मा के कंधों को पकड़कर चुदाई करने लगा. हर धक्के के साथ कुछ अजीब सी फीलिंग आ रही थी. मैंने कभी खुद को इतना उत्तेजित और इतना आनंदित नही महसूस किया था. अब इस पोज़िशन मे मैं तेज तेज शॉट नही लगा पा रहा था.
और जड़ तक लंड नही घुस पा रहा था क्यूंकी मैं आगे को झुका हुआ था. तभी अचानक अम्मा ने अपनी जांघें ऊपर की ओर फैला दी, जिससे मेरे लिए ज़्यादा जगह बन गयी और उसकी चूत के ऊपर उठने से मेरा लंड अब जड़ तह गहरा घुसने लगा.
इससे हमारे बीच की रही सही शरम भी ख़त्म हो गयी, मुझे मालूम चल गया था की अम्मा भी अच्छे से चुदाई चाह रही है. मैंने दुगने उत्साह से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैंने अपना सर उठाया और धीरे से कहा,” आई लव यू अम्मा.”
अम्मा ने एक सिसकारी लेकर उसका जवाब दिया. मेरे हर धक्के से उसके मुँह से ऊवू……आआअहह…की आवाज़ें निकल रही थी. हर धक्के के साथ उसके बदन से मेरे बदन के टकराने से ठप ठप ठप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी. अम्मा के मुँह से निकलती ऊओ…आअहह….उफ़फ्फ़ माँ …की आवाज़ों का संगीत मुझे और भी उत्तेजित कर दे रहा था.
अम्मा भी अब कामोन्माद में थी. उसकी जीभ उसके मुँह में घूम रही थी. अम्मा ने मेरा निचला होंठ अपने मुँह में दबा लिया और उसे चूसने लगी. उसके दांतो के अपने होंठ पर गड़ने से मुझे पता चल गया की अम्मा अपने दूसरे ओर्गास्म के करीब है.
अपनी धार्मिक माँ को कामोन्माद में इतना उत्तेजित देखना मेरे लिए हैरान करने वाला था. मैंने उसके बदन के निचले भाग के हल्के हल्के मूवमेंट को महसूस किया. और अपने धक्कों को उस के हिसाब से एडजस्ट कर दिया. ऐसा करने से अम्मा बहुत उत्तेजित हो गयी. उसने बेड का हेडबोर्ड छोड़ दिया और अपनी बाँहे मेरी पीठ पर लपेट ली.
अब वो मुझे बेतहाशा चूमने लगी और मेरे हर धक्के का जवाब अपने नितंबों को ऊपर उछालकर देने लगी. जब मैं ऊपर को आ रहा होता था तो वो नीचे पड़ी रहती थी लेकिन जब मैं नीचे को जाता था तो वो अपने नितंब उठाकर पूरा मेरे लंड को अपने अंदर ले लेती थी. फिर उसका बदन अकड़ने लगा. मैं समझ गया अब अम्मा को ओर्गास्म आने वाला है.
फिर अम्मा ने अपने हाथों से मेरे नितंबों को पकड़ लिया उसके नाख़ून मेरे माँस में गड़ रहे थे. वो मेरे नितंबों को पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से पटककर धक्के देने लगी. अब वो मेरे पर भारी पड़ने लगी थी.
उसने मजबूती से अपने पैर बेड पर रखे हुए थे और मेरे नितंबों तो कसके पकड़कर वो नीचे से इतनी तेज धक्के मार रही थी की मुझे उसका साथ देने में मुश्किल होने लगी. मेरे नितंबों पर गडते उसके नाख़ून दर्द करने लगे थे. अपने ओर्गरस्म के आने से पहले अम्मा कामोन्माद से बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी.
फिर वो चीखी,” ओह सोनूउऊउउ…सम्भालो हमको…आआअररररज्ग्घह……”
वो झड़ने लगी, मैं भी झड़ने ही वाला था. मैंने बेरहमी से अम्मा की चूचियां मसल डाली, उसके कंधों पर दाँत गड़ा दिए. और पूरी तेज़ी से धक्के मारने लगा.
अम्मा चीखी,”ऊूउउ…उफ़फ्फ़…मेरी जान ही ले लोगे क्या ..”
फिर अम्मा ने अपनी कमर उठाकर टेढ़ी कर दी और एक चीख उसके मुँह से निकली,”आऐईयईई…….ईईईईईए….मा…”
उसकी तेज चीख से मैं घबरा गया, कोई सुन ना ले. मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया. अम्मा ने अपनी जाँघो को मेरे नितंबों पर लपेट कर मुझे जकड़ लिया. तभी मेरा वीर्य निकल गया. मैं धक्के लगाते रहा और अम्मा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया.
अम्मा का बदन काँपने लगा. फिर वो शांत पड़ गयी और झड़ने के बाद मैं भी शांत होकर उसके ऊपर ही लेट गया. मेरा लंड अभी भी अम्मा की चूत के अंदर था. अम्मा अपना मुँह मेरी गर्दन के पास लाई और हल्के से मेरी गर्दन चूमने लगी. अपने हाथ से वो मेरे नितंबों को सहलाने लगी.
वो देर तक मेरे कंधे, मेरी पीठ को सहलाती रही. मैं उसके ऊपर पड़े हुए ही सोने लगा. उसके सहलाने से मेरी आँखे बंद होने लगी. तभी वो हिली और अपने दायीं तरफ खिसकने लगी. मैं उसके ऊपर से उठकर उसके बगल में लेट गया. मैंने अम्मा को देखा, वो मुझको ही देख रही थी. आँसू भरी आँखो से सीधे उसने मेरी आँखो में झाँका. उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बड़ी छाती में मेरा चेहरा छुपा लिया.
“कैसे हो गया ये सब बेटा? तूने तो मार ही डाला मुझे सोनू. अब क्या होगा ?”
अपनी इच्छा पूरी हो जाने के बाद अब वास्तविकता से सामना था. अम्मा की बात का मेरे पास कोई जवाब नही था. मैं भी उतना ही कन्फ्यूज़ और चिंतित था. बात को जारी रखने की मेरी हिम्मत नही थी. इसलिए मैंने अपनी बाँहो को अम्मा के बदन में लपेटा.
उसकी चूचियों के बीच की घाटी को चूमा. और अम्मा की छाती में चेहरा छुपा के किसी बच्चे की तरह सुरक्षित महसूस करते हुए सो गया. सुबह जल्दी मेरी नींद खुल गयी, बाहर अभी उजाला नही हुआ था. मैं बेड में लेटे हुए ही रात में हुई घटना के बारे में सोचने लगा.
लेकिन मैं कुछ भी ठीक से नही सोच पा रहा था, दिमाग़ में कई तरह के विचार आ रहे थे. मुझे बहुत अपराधबोध हो रहा था लेकिन इस बात से भी मैं इनकार नही कर सकता था की जिस आनंद की मुझे अनुभूति हुई थी वैसी पहले कभी नही हुई.
मैंने खुद से स्वीकार किया की अम्मा का इस घटना में कोई हाथ नही है, ये सब मेरी वजह से ही हुआ है. मेरी ही वजह से अम्मा इस पाप की भागीदार बनी, जिसके बारे में हमारे समाज में सोचा भी नही जा सकता. यही सब सोचते हुए मुझे फिर से नींद आ गयी.
सुबह बेड के हिलने से मेरी नींद खुली. मैं खिड़की की तरफ मुँह करके सोया हुआ था और अम्मा की तरफ मेरी पीठ थी. अम्मा के हिलने डुलने से मुझे लगा की वो बेड से उठ रही है. माँ ने बेड साइड लैंप ऑन किया. मैंने सामने दीवार पर लगे मिरर में देखा अम्मा बेड में पीछे टेक लगाकर बैठी है और उसने अपना चेहरा हाथों से ढका है.
फिर वो सुबकने लगी और उसकी आँखो से आँसू बहने लगे. बीच बीच में वो, हे प्रभु ! हे ईश्वर ! भी जप रही थी. मुझे बहुत बुरा लगा. क्या करूँ समझ नही आया इसलिए मैं चुपचाप वैसे ही लेटे रहा. मैंने फिर से मिरर में देखा तो, मेरे अंदर का जानवर फिर से सर उठाने लगा.
मिरर में माँ की बड़ी छाती दिख रही थी. कुछ घंटे पहले रात में इन चूचियों को मैंने खूब चूसा था पर अभी नज़ारा कुछ और ही था. जब माँ ने अपने हाथों से चेहरा ढका था तो मिरर में कुछ दिख नही पा रहा था पर जब उसने अपनी आँखे पोछी और हाथ नीचे कर दिए तो अम्मा की गदराई हुई छाती मुझे दिखने लगी.
मुझे इस बात पे हैरानी हुई की माँ की चूचियां ज़्यादा ढली हुई नही थी. वो बड़ी बड़ी और गोल थी और उन्होने अपना आकार बरकरार रखा था. माँ ने अपना सर पीछे को किया हुआ था और उसके गहरी साँसे लेने से उसकी चूचियां हल्के से हिल रही थी. उसके कंधे, उसकी उठी हुई ठोड़ी, सब कुछ एकदम परफेक्ट था.
फिर वो सीधी होकर बैठ गयी और हाथ पीछे ले जाकर अपने बाल बाँधने लगी. उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा. क्या मैंने उसे मुस्कुराते हुए देखा ? हाँ, वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी. फिर मैंने उसका हाथ अपने सर पे महसूस किया. उसने प्यार से मेरा सर सहलाया फिर मेरे गाल को सहलाया.
“ये तूने क्या कर डाला मेरे बच्चे “, अम्मा बोली.
मैंने मिरर में देखा अम्मा मेरे ऊपर झुक रही है. मैंने सोए हुए का नाटक करते हुए आँखे बंद कर ली. मैंने अम्मा की गरम साँसे अपनी गर्दन पर महसूस की. अम्मा ने अपने होंठ मेरी बाई कनपटी पर रख दिए और कुछ देर तक ऐसे ही वो अपने हाथ से मेरा सर सहलाती रही.
फिर उसने अपने होंठ हटाए और वो बेड से उठने लगी. मैंने अपनी आँखे खोली और मिरर में देखा लेकिन तब तक वो बेड से उठ चुकी थी. मैंने कान लगाकर सुनने की कोशिश की, बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. अम्मा बाथरूम में चली गयी है समझकर मैं जैसे ही सीधा लेटने को हुआ वो अचानक मिरर में मुझे दिख गयी.
मैंने जल्दी से आँखे बंद कर ली. फिर थोड़ी सी खोलकर देखा. अम्मा घूमकर मेरी बेड की साइड में आई और फर्श से अपनी नाइटी उठाने लगी, जो मैंने रात में उतार कर फेंक दी थी. नाइटी को अपनी छाती से लगाकर वो सामने मिरर में अपने नंगे बदन को देखने लगी, उसकी पीठ मेरी तरफ थी.
वो दृश्य पागल कर देने वाला था. माँ अपनी पूरी नग्नता के साथ मिरर के सामने खड़ी थी. उसने अपनी नाइटी बेड में रख दी और अपने को देखा. वो थोड़ी साइड में घूमी और अपने को मिरर में देखने लगी. ऐसा ही उसने दूसरी तरफ घूमकर किया.
फिर उसने अपनी चूचियों के नीचे हाथ रखे और उन्हे थोड़ा ऊपर उठाया, फिर थोड़ा हिलाया. चादर के अंदर ही मेरा पानी निकलने को हो गया. वो थोड़ी देर तक अपने को ऐसे ही मिरर में निहारती रही. शायद वो गर्व महसूस कर रही होगी की अभी भी उसका बदन ऐसा है की वो उसका जवान बेटा भी उस पर लटटू हो गया.
फिर वो थोड़ा पीछे हटी, मिरर में अपना पूरा बदन देखने के लिए. अब वो मेरे बिल्कुल करीब थी. उसके बदन से उठती खुशबू को मैंने महसूस किया. उसके पसीने और चूतरस की मिली जुली खुशबू से मैं मदहोश हो गया. कमरे में आती हुई सूरज की रोशनी मे उसका नंगा बदन चमक रहा था.
कुछ समय के लिए मैं दुनिया को भूलकर अपनी देवी जैसी माँ को देखते रहा. उसकी टांगों और जांघों का पिछला भाग जो मेरी आँखों के सामने था, बिल्कुल गोरा और मांसल था. कमर से नीचे को उसके विशाल नितंब फैले हुए थे जो माँ के हिलने के साथ ही हिल डुल रहे थे.
उसकी चूत के बड़े फूले हुए होठों से उसकी गुलाबी क्लिट ढक सी गयी थी. ज्यादातर गोरी औरतों की चूत भी काले रंग की होती है लेकिन उसकी गोरी थी. नाभि के नीचे वो उभरा हुआ भाग बड़ा ही मादक दिख रहा था. मुझे लगा मेरी प्यारी अम्मा रति का अवतार है. एक आदमी को जो चाहिए वो सब उसमे था. लंबी टाँगे, अच्छा आकार लिए हुए चूचियां, बाहर को निकले हुए विशाल नितंब और नाभि के नीचे उभरा हुआ वो भाग.
मैं अम्मा को देखने में डूबा हुआ था तभी अम्मा झुकी और बेड से अपनी नाइटी उठाने लगी. उसके झुकने से उसके नितंबों के बीच की दरार से मुझे उसकी चूत दिखी. अब मेरा लंड पूरा मस्त हो चुका था. मेरा मूड हुआ की मैं वहीं पर ही अम्मा को चोद दूं. लेकिन इससे पहले की मैं उठ पाता अम्मा ने नाइटी अपने बदन पर डाल ली और वहाँ से चली गयी.
फिर बाथरूम का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई. मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ का इंतज़ार किया. फिर मैं उठ गया और टीशर्ट और शॉर्ट पहन लिया. कमरे में अकेला होने के बाद फिर से मेरे दिमाग़ में उथल पुथल होने लगी. मेरी इच्छाओं और नैतिकता के बीच द्वन्द्ध होने लगा.
फिर मैंने सोचना छोड़कर दरवाज़ा खोला और बास्केट में से सुबह का अख़बार निकाल लिया. फिर नाश्ते का ऑर्डर देकर में अख़बार पढ़ने लगा. मौसम के बारे में लिखा था की उत्तर भारत में शीतलहर जारी है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मुझे कोई खुशी नही हुई.
एक रात पहले जो मुझे मौसम खराब होने पर होटेल में रुकने की खुशी थी, वैसा अब महसूस नही हो रहा था, पता नही क्यूँ. तब मुझे एहसास हुआ की कल रात माँ के साथ जबरदस्त चुदाई के बाद अब मेरे और उनके बीच एक चुप्पी सी छा गयी है, जिसे मैं बर्दाश्त नही कर पा रहा था और मैं इसे खत्म करना चाहता था.
तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और माँ सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट पहने हुए बाहर आई. मेरी तरफ देखे बिना वो सूटकेस मे से अपनी साड़ी निकालने लगी. वो थोड़ी देर खड़ी रही फिर उसने कुर्ता और पैजामा निकाल लिया. वो कभी कभार ही कुर्ता पैजामा पहनती थी.
माँ की तरफ सीधे देखने की मेरी हिम्मत नही हुई इसलिए मैं आँखों के कोने से उसे देखता रहा. फिर मुझसे और टेंशन बर्दाश्त नही हुआ और मैं उठा और बाथरूम चला गया. बाथरूम में आकर मैंने देखा मेरा लंड मुरझा चुका है. अब मुझे उत्तेजना भी महसूस नही हो रही थी.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. तभी मैंने अम्मा को कुछ मैगज़ीन्स और अख़बार का ऑर्डर देते हुए सुना. अम्मा को थोड़ी बहुत अँग्रेज़ी ही आती थी. फिर मैं नहाने लगा. ठंडा पानी जब मेरे बदन पर पड़ा तो काँपते हुए मेरे दिमाग़ की उथल पुथल गायब हो गयी. फिर टीशर्ट और शॉर्ट पहनकर मैं रूम में आ गया.
नाश्ता आ चुका था और अम्मा चाय डाल रही थी. मैंने रूम सर्विस को लांड्री के लिए कहा और खिड़की से बाहर झाँकने लगा. हमारे रूम के सामने नीचे स्विमिंग पूल था, मैं बच्चों को तैरते हुए देखने लगा. अम्मा ने नाश्ते के लिए बुलाया तो मैं उनके सामने बैठ गया.
मैंने सीधे अम्मा की आँखो में देखा. उन्होने नज़रें घुमा ली और सैंडविच की प्लेट मेरी तरफ सरका दी. मैंने सैंडविच उठा लिया और खाने लगा. जब भी मैं अम्मा की ओर देखता की वो क्या सोच रही है तो वो अपनी नज़रें घुमा लेती.
लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था की जब मैं उसको नही देख रहा होता था तो वो मुझे देख रही होती थी. नाश्ता भी ख़तम हो गया और हमारे बीच टेंशन बना रहा. कोई कुछ नही बोला. नाश्ता खत्म होते ही, लांड्री के लिए वेटर आ गया. मैंने उसको कपड़ों का बैग दिया और अम्मा से पूछा,” अम्मा आपको कुछ और देना है लांड्री के लिए ?”
अम्मा ने सिर्फ़ ‘नही’ कहा. फिर जैसे ही वेटर जाने को मुड़ा तो उन्होने सूटकेस से 2 नाइटी निकालकर लांड्री बैग में डाल दी.
उसके जाते ही रूम साफ करने के लिए आया आ गयी. मैं बैठे हुए सोचने लगा, अब क्या किया जाए. रूम की सफाई करने के बाद आया ने ट्राली मे से 2 साफ चादर निकाली और बेड से पुरानी चादरें हटा दी. मैं आया को ऐसे ही देख रहा था तभी उसने पुरानी चादर को अपनी नाक पर लगाकर सूँघा.
उसमे एक बड़ा सा दाग लगा हुआ था. मुझे इतनी शरम आई की मैंने मुँह फेर लिया और नीचे स्विमिंग पूल को देखने लगा. तभी आया अम्मा से कन्नड़ में कुछ बोलने लगी. मैं मुड़कर उसे देखने लगा, तभी वो टूटी फूटी हिन्दी मे धीमे से अम्मा से बोली,” भगवान अयप्पा के आशीर्वाद से आपको ऐसी बहुत सी रातें बिताने को मिले.”
फिर ऐसा कहते हुए आया ने अम्मा को वो चादर पर लगा धब्बा दिखाया. अम्मा डर गयी. उसने सोचा रात मे जो हुआ, वो सब आया समझ गयी है. उसने जल्दी से 500 का नोट निकाला और आया के हाथ में थमा दिया. ताकि आया खुश हो जाए और अपना मुँह बंद रखे और अपने साथ काम करने वालों को कुछ ना बताए.
आया ने खुश होकर वो नोट अपने माथे से लगाया और बोली,” भगवान तुम दोनो को खुश रखे.” और फिर वो चली गयी.
उसके जाते ही अम्मा ने मुझे देखा, शरम से उसका पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया था. मैं दौड़कर उसके पास गया और कंधों से उसे पकड़ लिया. अम्मा ने मेरी आँखों में देखा और अपनी नज़रें फर्श की तरफ झुका ली.
मैंने अपने आलिंगन में अम्मा को कस लिया और वो सुबकने लगी. मैं कुछ भी नही बोल पाया और उसे अपने से चिपकाए रखा. फिर मैं उसे बेड के पास ले गया और बेड पर बिठा दिया. और उसकी पीठ बेड के हेडबोर्ड पर टिका दी. खुद उसके सामने बैठ गया.
“तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया ? क्या तुम्हारे मन में लंबे समय से मेरे लिए वासना थी या फिर मेरे व्यवहार में ऐसा कुछ था जिससे ये घटना हुई ?”
मैं सीधे अम्मा की आँखो में नही देख पाया. मैं दूसरी तरफ देखता रहा.
अम्मा ने मेरे कंधे पकड़कर मुझे अपनी तरफ घुमाया,” बताओ बेटा. कल रात जो हुआ उसके बारे में बहुत सी बातें करनी है, जाननी है.”
मुझे चुप देखकर अम्मा ने मुझे ज़ोर से झिझोड़ दिया,” मुझसे बात करो बेटा. मैं बर्बाद हो गयी हूँ. हम दोनो ही इस घटना से प्रभावित हुए है.”
“अम्मा, मैंने कभी आपको ऐसी नज़र से नही देखा. लेकिन जब आप बाथरूम में थी और आपने मुझसे नाइटी माँगी थी, जिस दिन हम बंगलोर आए थे…….” और फिर मैंने पूरी बात अम्मा को बता दी की कैसे कैसे मेरी काम इच्छा बढ़ती चली गयी.
पूरी बात सुनकर वो अपने को दोष देने लगी और रोने लगी.
मैंने कहा,” अम्मा ये बात सही है की उस दिन बाथरूम में आपको देखकर ही ये भावना मेरे अंदर आई. लेकिन जो कुछ हुआ उसके लिए आप अपने को दोषी क्यूँ ठहरा रही हैं. आपने तो होनी को टालने की पूरी कोशिश की थी लेकिन आप भी इंसान हैं और शारीरिक इच्छाओं के आगे आपने समर्पण कर दिया.”
एक गहरी साँस लेकर वो बोली,” सोनू, सिर्फ़ एक पल की कमज़ोरी से मेरा सब कुछ छिन गया. हे ईश्वर! मैंने ऐसा होने कैसे दिया.”
फिर सुबकते हुए वो कहने लगी, ”अपने ही बेटे की नज़रों में मैं अपना रुतबा खो चुकी हूँ. मैं अब वो माँ नही रही जो तुम्हारे लिए पूजनीय थी जिसकी तुम इज़्ज़त करते थे. आज से मैं तुम्हारी नज़रों मे ऐसी चरित्रहीन औरत हूँ जो इस उमर में भी अपनी टाँगे फैला देती है.”
“अम्मा प्लीज़, ऐसा ना कहो. मैं अब आपको और भी ज़्यादा प्यार करता हूँ. आप ये बात समझ लो की बिना इज़्ज़त के प्यार नही हो सकता. आप मेरे लिए वो देवी हो जिसके चरणों में मेरा सब कुछ अर्पित है. प्यार, इज़्ज़त और ज़रूरत पड़ी तो मेरी जिंदगी भी. मैंने कभी अपनी माँ के साथ संभोग के लिए नही सोचा था लेकिन फिर भी ये हो गया. ये हमारे भाग्य में था. या तो हमें इसे स्वीकार कर लेना चाहिए या फिर रोते चिल्लाते रहें, कोसते रहें लेकिन भाग्य में जो होगा वो होकर रहेगा.”
मेरी बात सुनकर अम्मा ने रोना बंद कर दिया और आश्चर्य से बोली,” क्या तुम मुझे ये समझाना चाहते हो की जो कुछ हुआ वो सही था और हमें इस पाप को करते रहना चाहिए ? अपनी काम इच्छाओं को सही ठहराने के लिए भाग्य का बहाना बनाना चाहिए ?”
“अम्मा क्या सही है क्या ग़लत, इसका फ़ैसला मैं या आप नही कर सकते हैं. ये बस यूँ ही हो गया और मुझे इसका कोई अफ़सोस या दुख नही है. आप अपने को देखिए, आपने विरोध करने की कोशिश की थी लेकिन कही गहराई में आपके अंदर कुछ था जिसने आपके विरोध को कमज़ोर कर दिया और उसके बाद आपने भी यौनसुख का भरपूर आनंद लिया. अम्मा आप चाहे माने या ना माने लेकिन आपके अंदर भी कुछ ख़ालीपन या शून्य था जिसके बारे में आप खुद अंजान थीं.”
“अम्मा मेरी आँखो में देखिए और मुझसे कहिये की जो कुछ हुआ उसके बाद आप मुझसे घृणा करती हैं और आप इसे जारी नही रखना चाहती हैं. मेरी सौगंध लीजिए अम्मा, उसके बाद मैं कभी आपको परेशान नही करूँगा. मेरे हृद्य मे आप मेरी काम की देवी की तरह रहेंगी लेकिन मैं आपसे फिर कभी संभोग के लिए नही कहूँगा. बताइए मुझे अम्मा.” मेरी आँखो से आँसू बहने लगे.
अम्मा ने अपनी बड़ी बड़ी आँखो से मुझे देखा और बड़बड़ाई,” हे ईश्वर !” वो मुझे ऐसे ही देखती रही जैसे मुझे नही बल्कि मेरे अंदर मेरी आत्मा में कुछ देख रही हो. फिर मैं अम्मा के नज़दीक़ बैठ गया, अम्मा ने थोड़ा खिसककर मुझे जगह दी.
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मैंने अपनी बाँह अम्मा से लपेटकर उन्हे अपनी ओर खींचा. अम्मा ने मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया और मेरी छाती पर अपनी बाँह लपेटकर मुझे पकड़ लिया. मैंने अम्मा के चेहरे को सहलाया तो उनके मुँह से एक सिसकारी निकली और मेरे बदन में अपना चेहरा छुपा लिया.अम्मा को अपने से लगाए हुए मैं बैठा रहा. उस समय कुछ ऐसी फीलिंग थी जैसा पहले कभी महसूस नही हुआ था. वो वासना नही थी, प्यार भी नही था, एक अजीब सी भावना थी, क्या था मुझे भी नही पता. अब मेरे अंदर कोई अपराधबोध या इच्छाओं के बीच संघर्ष नही रह गया था.
सब साफ हो चुका था की मुझे अम्मा की पूजा और उनसे प्यार करने की अपनी दैवीय ज़िम्मेदारी को निभाना है. अम्मा और मेरे शारीरिक संबंध के बावजूद, अम्मा का रुतबा और उनके लिए इज़्ज़त पहले जैसी ही रही. अम्मा को ऐसे पकड़े रहने और उनकी चूचियों के मेरे बदन से दबने से मुझे उत्तेजना आ रही थी, लेकिन उसके माँ होने की भावना भी मेरे मन में आ रही थी. किसी भी औरत के साथ मैं इस अवस्था में होता तो उत्तेजना की भावना तो आती लेकिन वो एमोशनल फीलिंग नही आती जो अम्मा के साथ आ रही थी.