Horny Desi Mom Sex
नमस्कार दोस्तों, आप सब कैसे है? उम्मीद है आप सब मजे में होंगे. आप सभी ने कहानी के पिछले भाग “बेटे के लुल्ली को लौड़ा बनाया माँ ने 2” में आपने पढ़ा कि अपने बेटे का लंड देखने के बाद प्रतिमा अपने बेटे से चुदवाने को उतावली हो गई थी, और पति भी उसके साथ नहीं रहता था जो उसकी वासना को शांत करता. एक रात बेटे के सामने ही पति से फ़ोन सेक्स करने के बाद, अब आगे- Horny Desi Mom Sex
प्रतिमा फ़ोन रख देती है. अपने पति से पूरे वार्तालाप में उसकी नज़र रिशु से नहीं हटी थी. दोनों माँ बेटे उसी हालत में लेटे हुए थे जैसे फ़ोन आने से पहले लेटे थे. प्रतिमा अब भी कोहनी पर सर टिकाए रिशु की और झांक रही थी. जबकि रिशु छत को घूर रहा था.
उसके लंड की क्या हालत थी वो प्रतिमा पेंट में बने तम्बू से देख सकती थी और उसने जब अपने पति से खुले लफ़्ज़ों में बात करनी शुरु की थी तो उसने साफ़ साफ़ देखा था कि रिशु का बदन कांप रहा था. अब भी उसमें हल्के हल्के कम्पन को वो महसूस कर सकती थी.
‘लोहा पूरा गर्म है… अब चोट करने का वक़्त आ गया है’ प्रतिमा खुद को बोलती है.
“रिशु….. बेटा…” प्रतिमा धीमे से फुसफुसाती है.
“हाँ मम्मी”, इस बार रिशु तुरंत जवाब देता है. उसकी आवाज़ से पहले वाली नाराज़गी पूरी तरह से गायब थी.
“सोये नहीं क्या अब तक?”
“नींद…. नींद नहीं आ रही मम्मी”.
“नींद क्यों नहीं आ रहा बेटा… कोई दिक्कत तो नहीं”.
“नहीं मम्मी बस मालूम नहीं क्यों…”.
रिशु किसी तरह से बात को उस तरफ ले जाना चाहता था. मगर कैसे? उसे सूझ नहीं रहा था.
“बेटा कहीं तुम्हे दर्द तो नहीं हो रहा…. वो सुबह की तरह………” प्रतिमा बेटे को मुसीबत से निकालने में मदद करती है.
“नहीं मम्मी… अब दर्द नहीं है” रिशु अचानक अपने होंठ काटता है. उसने उत्तेजना में अपने ख्यालों में गुम अपनी माँ की बात सुने बिना जवाब दे दिया था और उसके हाथ से सुनहरी मौका निकल गया था.
“ठीक है बेटा…. सोने की कोशिश करो… नींद आ जाएगी… मुझे भी नींद आ रही है… अगर कुछ प्रॉब्लम हो तो जगा लेना बेटा… ओके” प्रतिमा कहकर पीठ के बल बिस्तर पर लेट जाती है. कोहनी पर इतनी देर से बल डालने के कारण बांह में दर्द होने लगा था. रिशु ने जल्दबाज़ी में उसकी बात नहीं पकड़ी थी और अब उसे खुद कुछ उपाए करना होगा.
रिशु पछतावे से भर उठता है. उसकी माँ ने उसे इतना अच्छा मौका दिया था और उस बेवकूफ ने.. अब वो क्या करे… वो सोने जा रही थी.. अगर वो सच में सो गई तो …. नहीं… नहीं.. उसे कुछ सोचना होगा.. उसे कुछ करना होगा. रिशु हालाँकि ड्राइंग रूम में अपनी माँ के एक दम से भाग आने के कारण उससे बहुत नाराज़ हो गया था क्योंकि वो चरम पर पहुँच चूका था और उस समय वो आगे बढ़ना चाहता था.
वो समझ नहीं सकता था कि प्रतिमा एकदम से क्यों उठ गई थी. गुस्से से उसका लंड भी मुरझा गया था और उसकी सेक्स की इच्छा भी कम हो गई थी. मगर जब उसकी माँ ने बेशर्मी की सारी ह्द्दें पार करते हुए जब उसके सामने जानबूझकर दिखावा करते हुए अपने पति से फ़ोन सेक्स किया था तो रिशु की कामाग्नि इस तरह भड़की थी कि वो जल उठा था.
उसकी माँ के मुख से निकला एक एक लफ्ज़ उसे जला रहा था. उसने खुद को इतना उत्तेजित कभी नहीं पाया था. उत्तेजना से उसका बदन कांपने लगा था. वो जानता था, उसकी माँ उसके बाप को नहीं बल्कि उसे सुना रही थी. वो उसे कह रही थी वो चूत में ऊँगली कर रही थी जबकि उसने तो चूत को छुआ तक नहीं था. मगर अब समस्या यह थी कि अब वो क्या करे? उसकी माँ सोने जा रही थी.
हालाँकि उसके हिलने डुलने से साफ़ ज़ाहिर था वो अभी जाग रही थी. मगर वो सच में सो सकती थी… अब उसके पास एक ही रास्ता था. वो अपनी हिम्मत बांधने लगा. ‘मुझे कहना ही होगा’ वो खुद को समझा रहा था. उसके होंठ कांप रहे थे, मुंह सुख रहा था, एक मिनट. दो मिनट.. तीन… चार…. आखिरकार दस मिनट बीत गए मगर उसकी बात होंठो तक नहीं आई. अचानक उसकी माँ उसकी तरफ पीठ करके करवट लेने लगी. वो एकदम से घबरा उठा.
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“मम्मी.. मम्मी”
“हाँ बेटा … क्या हुआ .. कुछ चाहिए क्या” प्रतिमा के होंठो पर मुस्कान दौड़ गई थी, वो तो अब तक निराश हो चली थी.
“मम्मी वो मुझे… वो मुझे…”
“क्या हुआ बता ना…”
“मम्मी वो मुझे… मुझे मुझे वहां दर्द हो रहा है” रिशु ने अपनी हिम्मत जुटाकर आखिर कह दिया.
“दर्द हो रहा है… कहाँ दर्द हो रहा है…” प्रतिमा ने भोले बनते हुए पूछा.
“वो यहाँ सुबह… सुबह.. जब आपने चूसा था”.
“सुबह …उफ्फ्फ्फ़… यह क्या पहेलियाँ बुझा रहा है… बोल ना दर्द कहाँ हो रहा है”.
“वो मम्मी वो मेरी लू… वो सुबह जब पेंट की ज़िपर में …वो मेरी…मेरी लुल्ली में मम्मी” रिशु का दिल इस कदर धड़क रहा था कि जैसे वो फटने वाला हो.
“ओह्ह तो यह बात है… तो बोला क्यों नहीं पहले… इधर आ” प्रतिमा बेड से उठ खड़ी होती है.
रिशु भी उठ कर खड़ा हो जाता है. प्रतिमा मुडकर दीवार से स्विच ओन करती है और पूर कमरा रौशनी से भर उठता है. रिशु एक पल के लिए शर्मा उठता है. प्रतिमा आगे हो कर बेड से निचे उतरती है और रिशु को बेड के सिरे पर आने का इशारा करती है. रिशु आगे आता है तो प्रतिमा उसे बेड के किनारे पर घुटनों के बल खड़ा होने का इशारा करती है.
दोनों माँ बेटे के दिल की धडकनें पूरी रफ़्तार से चल रही थीं. कमरे में दोनों की सांसों की आवाजें गूँज रही थी. प्रतिमा फर्श पर खड़ी थी और रिशु बेड पर घुटनों के बल. प्रतिमा रिशु की टीशर्ट को पकडती है और उसे ऊपर उठाती है. रिशु की बाहें खुद बा खुद ऊपर उठ जाती हैं.
प्रतिमा उसकी टीशर्ट निकाल फर्श पर फेंक देती है और फिर उसकी पेंट को निचे खिसकाने लगती है मगर फूला हुआ लंड उसे निचे नहीं जाने दे रहा था. प्रतिमा पेंट की इलास्टिक से अन्दर हाथ डालती है और लंड को रिशु के पेट से दबाती है और फिर दुसरे हाथ से उसकी पेंट निचे खींचती है.
इस दौरान उसकी नज़र कई बार रिशु से टकरा जाती है जो उत्तेजना के चरम पर होने के बाबजूद भी शर्मा उठता है. रिशु की पेंट निकलते ही वो उसे फिर से घुटनों के बल खड़ा होने को कहती है. प्रतिमा पेंट को भी फर्श पर दूर फेंक देती है. अब बेटा अपनी माँ के सामने पूरी तरह नंगा था.
उसका लंड तना हुआ था और इस कदर अकड़ा हुआ था कि उस ज़बरदस्त अकड़ाहट के कारण वो झटके भी नहीं मार सकता था. लंड मांसपेशियों का ना होकर लोहे की रोड लग रहा था. लंड के उस भयंकर रूप को देख कर एक बार तो प्रतिमा भी सिहर उठी थी.
“उफफ्फ्फ्फ़… यह तूने इसका क्या हाल बना रखा है… देख तो.. और तू इसे अब भी लुल्ली कहता है… उफ्फ्फ… मैंने तुझे सुबह ही कहा था ना.. कि तेरी लुल्ली अब लौड़ा बन गई है” प्रतिमा की बात का रिशु कोई जवाब नहीं देता. प्रतिमा उसके लंड को सहलाती है तो रिशु की सिसकी निकल जाती है. लंड और भी अकड़ने लगा था और उसकी इस अकड़न से रिशु को दर्द होने लगा था.
“अब बोल मैं क्या करूँ इसके साथ… बता ना… तेरा दर्द कैसे कम होगा” प्रतिमा अपने बेटे की आँखों में झांकती होंठ काटती बोलती है.
“मम्मी वो सुबह जैसे आपने… अपने मुंह से… किया था.. वैसे ही अब भी” रिशु हकलाते हुए बोलता है.
“ओह.. तो तू चाहता है.. मैं तेरे लौड़े को मुंह में लेकर चुसू… यही कहना चाहता है ना तू” प्रतिमा अपने बेटे से सुनना चाहती थी. रिशु कुछ झिझकता है तो प्रतिमा अपना मुंह थोडा निचे करती है और उसकी छाती पर छोटे से निप्पल को अपनी जिव्हा से सहलाने लगती है और दुसरे को अपने नाख़ून से कुरेदती है.
“हाँ मम्मी… हाँ”.
“तो बोल ना… जब तक तू बोलेगा नहीं.. मुझे क्या पता चलेगा.. तू क्या चाहता है” प्रतिमा उस छोटे से निप्पल को दांतों में दबाते बोलती है, दुसरे को नाख़ून पहले की तरह कुरेदता है. उधर उसके हाथ रिशु के लंड और उसके अन्डकोशों को सहला रहे थे.
“मम्मी मेरा.. मेरा लौड़ा चुसो” रिशु उत्तेजना में डूबा बोल उठता है.
“फिर से बोल ना एक बार…” प्रतिमा उसकी छाती से मुंह हटाती बोलती है और बेड पर निचे टाँगे लटकाकर बैठने का इशारा करती है. रिशु बेड के किनारे टाँगे लटका कर बैठ जाता है.
“मम्मी मेरा लौड़ा चुसो ना” रिशु इस बार सहजता से बोलता है. प्रतिमा उसकी और देखकर मुस्कराती है और उसके सामने घुटनों के बल बैठ जाती है और लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है.
“एक बार और” सोलोनी अपने बेटे की और याचना करती बोलती है.
“मम्मी मेरा लौड़ा चुसो ना” इस बार रिशु कामौत्तेजना में खुद ही बोल उठता है और अपनी माँ के सर को अपने हाथों में थाम अपने लौड़े पर झुका देता है. प्रतिमा लंड के लाल सुपाड़े पर होंठ रख देती है.
प्रतिमा घुटनों के बल बैठी अपने बेटे की जांघो पर हाथ रखकर अपना मुंह बेटे के लंड के सामने लाती है.
“माँ मेरा लौड़ा चुसो ना” इस बार रिशु बिना किसी उकसावे के खुद बोल उठता है. वो अपनी माँ के सर पर हाथ रखकर उसे अपने लंड पर झुकाता है.
प्रतिमा बेटे की आँखों में झांकते अपना चेहरा लंड पर झुकाती चली जाती है. जैसे ही प्रतिमा के होंठ लंड की अति संवेदनशील त्वचा पर स्पर्श करते हैं, रिशु के मुंह से आह निकल जाती है. प्रतिमा बिलकुल धीमे-धीमे से, बिलकुल कोमलता से लंड के सुपाड़े को जगह जगह चूमती है. सुपाड़े पर खूब चुम्बन अंकित करने के बाद उसके होंठ लंड के पिछले भाग की और बढ़ने लगे थे. प्रतिमा के तपते होंठ लंड को जला रहे थे. अचानक प्रतिमा चुम्बन लेना रोक देती है और चेहरा पीछे खींच लेती है.
“थोडा सा आगे आ जाओ…ऐसे मुझसे सही से नहीं हो रहा”, प्रतिमा चेहरा हटाकर रिशु से बोलती है.
रिशु आगे को होता है. अब उसके कूल्हों का ज्यादातर हिस्सा बेड से बाहर था. वो एकदम किनारे पर बैठा था. प्रतिमा ने इशारा किया तो रिशु ने अपनी टाँगे चौडी कर ली और प्रतिमा घुटनों के बल उसकी टांगो के बीच खड़ी हो गई. उसने रिशु की जांघो पर हाथ रखे और चेहरा आगे बढ़ाया. उसकी लपलपाती जिव्हा बाहर आई.
“आआह्ह्ह्ह… मम्म्म्ममी” सुपाड़े की कोमल त्वचा पर खुरदरी जीभ का एहसास पाकर रिशु सीत्कार भरने लगता है.
प्रतिमा की जिव्हा लंड के पूरे सुपाड़े पर घूमने लगती है. उसे चाटते हुए वो जैसे सुपाड़े को अपनी जीभ से रगड़ रही थी. प्रतिमा ने अपना एक हाथ रिशु की जांघ से हटा कर उसका लंड पकड़ लिया और उसे ऊपर की और उठाकर वो लंड के पूरे निचले हिस्से को चाटने लगी.
जल्द ही उसका हाथ लंड को ऊपर-निचे , दायें-बाएं घुमाने लगा और वो पूरे लंड को चाटने लगी. जब भी प्रतिमा की जीभ सुपाड़े पर पहुँचती तो रिशु आअह्ह्ह्ह…. उफफ्फ्फ्फ़… करने लग जाता. लंड को खूब चाट-चाट कर प्रतिमा ने अपना मुख एक पल के लिए हटाया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
और फिर अपने होंठ सुपाड़े के गिर्द कस दिए और उस पर अपनी जीभ चलाते हुए उसे चूसने लगी. रिशु से यह दो तरफा प्रहार बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने सिसकते हुए अपने हाथ फिर से अपनी मम्मी के सर पर रख दिए. प्रतिमा ने अपने होंठ लंड की जड़ की तरफ बढ़ाते हुए उसे चुसना चालू रखा.
और साथ ही साथ अपनी जीभ से सुपाड़े को सहलाती रही. “मम्म्म्ममी…….आअह्ह्ह्ह…” प्रतिमा अपने एक हाथ से उसके अन्डकोशों को पकड़ लेती है और उन्हें सहलाने लगती है और दुसरे हाथ से उसकी जांघो को सहलाती धीरे-धीरे अपना मुंह लंड पर आगे पीछे करने लगी.
“मम्मम्मम्मम्मम्मी……….मम्मम्मम्मम्मम्मी………. उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़…” रिशु से अब बर्दाश्त करना मुश्किल था. प्रतिमा के मुख की गर्माहट, मुखरस के कारण उसके लंड की फिसलन, मुख की कोमलता के साथ-साथ जीभ के खुरदरेपन ने उसे कुछ ज्यादा ही जोश दिला दिया था और उसने अपनी माँ के बालों को मुट्ठियों में भर लिया और अपना लंड प्रतिमा के मुंह में पेलने लगा.
कुछ पलों तक प्रतिमा ने बेटे की जाँघों पर हाथ रखकर उसे अपना मुंह चोदने दिया और फिर अचानक से जाँघों पर हाथों से दवाब डालकर जोर से अपना मुख वापिस पीछे को खींचा. लंड उसके मुंह से बाहर निकल गया. लंड उसके मुखरस से भीगा चमक रहा था. सुपाड़े से मानो खून छलक रहा हो. लंड इतना हार्ड था कि बिलकुल भी हिलडुल नहीं रहा था.
“क्या हुआ मम्मी… आओ ना प्लीज…” रिशु आग को बढ़कर अपनी माँ का सर थामने की कोशिश करता है. मगर प्रतिमा उसके हाथों को झटक देती है और उठ कर खड़ी हो जाती है. वो भी उठकर खड़ा हो गया था. अब दोनों माँ बेटा एक दुसरे के सामने थे और दोनों में इतनी दूरी थी कि प्रतिमा के मुम्मे रिशु के सीने में चुभ रहे थे.
“मम्मी कीजिये ना प्लीज …चूसिये ना…” रिशु इस बार रुआंसी आवाज़ में बोलता है.
“तू चूसने दे तब ना…. तू तो झट से मेरे मुंह में धक्के मारने लग जाता है… जैसे यह मेरा मुंह नहीं.. मेरी चूत हो” प्रतिमा ने पहली बार बेटे से बात करते हुए सीधे चूत शब्द का इस्तेमाल किया था.
“नहीं मम्मी.. अब नहीं मारूँगा धक्के… प्लीज.. आओ ना मम्मी”.
“नहीं तुझसे कण्ट्रोल नहीं होता… सुबह भी नहीं हुआ था.. इसे मुंह में डालकर चूसा जाता है… धक्के मारने हों तो इसे कहीं और घुसाना पड़ता है… अब तू ही फैसला कर ले… तू लंड चुस्वाना चाहता है जा फिर धक्के मरना चाहता है….” प्रतिमा रिशु की आँखों में देखती बोलती है. रिशु कोई जवाब नहीं दे पाता. हाँ वो धक्के मरना चाहता था मगर वो अपनी बात को कहे कैसे?
“मैं सारी रात तेरा इंतज़ार नहीं कर सकती.. जल्दी फैसला कर ले…” इतना कहकर प्रतिमा पीछे हटती है और बेड पर चड़ जाती है. बेड के एकदम बीचोबीच वो पीठ के बल लेट जाती है. उसकी नाईटी उसकी जाँघों तक चड़ गई थी. प्रतिमा लेटने के बाद रिशु की और देखती है जो उसे अपना फैसला सुनाने के लिए शब्द ढूंड रहा था जो उसे मिल नहीं रहे थे.
प्रतिमा का एक हाथ नाईटी के सामने लगी बड़ी सी गांठ के सिरे से खेलते हैं और वो रिशु की आँखों में आँखें डाल कर कहती है, “वैसे तुझे मालूम है ना अगर धक्के लगाने हों तो इसे कहाँ डाला जाता है…” प्रतिमा के हाथ गांठ के सिरों से खेल रहे थे और वो ऐसे ज़ाहिर कर रही थी कि जैसे वो गांठ को खोल रही हो.
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रिशु एक पल के लिए अपनी माँ की आँखों में देखता है और फिर उसकी नज़र प्रतिमा के हाथों में नाईटी की गाँठ पर जाती है. रिशु धयान से देखता हुआ बेड पर चड़ता है और प्रतिमा की कमर के पास पहुँच जाता है. रिशु एक बार फिर से प्रतिमा के चेहरे की और देखता है तो वो धीरे से सर हिलाकर आगे बढ़ने की अनुमति देती है.
रिशु के काम्पते हाथ आगे बढ़ते हैं और प्रतिमा के हाथों को छूते हुए गाँठ के सिरे थाम लेते हैं. रिशु धीरे से गाँठ के सिरों को खींचता है तो गाँठ आराम से खुल जाती है. प्रतिमा अपने हाथ अपनी बगलों पर रख लेती है. नाईटी खुल चुकी थी और उसके दोनों पल्लू हल्का सा खुल गये थे.
जिससे प्रतिमा के मुम्मो की घाटी नज़र आने लगी थी और रिशु देख सकता था कि उसकी माँ ने ब्रा नहीं पहनी है. रिशु नाईटी के दोनों पल्लू पकड़ता है, उसका और प्रतिमा दोनों का बदन कांप रहा था. रिशु नाईटी के पल्लू पूरी तरह फैला देती है. प्रतिमा अपने बेटे के सामने मात्र एक लाल पेंटी पहने थी और कमर के उपर से पूरी तरह नंगी थी. उसके गोल मटोल मुम्मे और नुकीले निप्पल छत का निशाना लगाये हुए थे.
रिशु की नज़र अपनी माँ के मुम्मो से हट नहीं रही थी. उनकी दूध सी रंगत, उनकी मोटाई, उन पर गहरे गुलाबी रंग का घेरा और हल्के गुलाबी रंग के निप्पल और निप्पल कैसे अकड़े हुए थे. रिशु आगे होकर धडकते दिल के साथ अपना हाथ अपनी माँ के मुम्मो की और बढ़ाता है. प्रतिमा के दिल की धडकने भी बढ़ने लगती हैं.
“उन्न्न्नग्ग्गह्ह्ह्हह” प्रतिमा के गले से घुटी सी आवाज़ निकलती है. “उफ्फ्फ्फ़….” रिशु भी अपनी माँ के मुम्मे को छूते ही सिसक पड़ता है. नर्म मुलायम मुम्मे और सख्त निप्पल से जैसे ही उसका हाथ टकराता है तो दोनों माँ बेटे के बदन में झुरझुरी दौड़ जाती है. उसकी एक ऊँगली निप्पल को छेड़ती है, उसे सहलाती है, फिर वो पूरे मुम्मे को अपनी हथेली में भर लेता है. कितना नर्म, कितना मुलायम, कितना कोमल एहसास था. वो मुम्मे को अपनी हथेली में समेट हल्के से दबाता है.
“उन्न्न्नग्गग्घ्ह्ह…..” प्रतिमा फिर से सीत्कार भर उठती है. वो अपना सीना उठाकर अपना मुम्मा अपने बेटे के हाथ में धकेलती है. रिशु यहाँ मुम्मे की भारी कोमलता से हैरान था. वहीँ उसको दबाने से उसकी कठोरता से स्तब्ध रह जाता है. तने हुए गुलाबी निप्पल को घूरते हुए वो अपना चेहरा नीचे लाता है. प्रतिमा बेटे के चेहरे को अपने मुम्मे पर झुकते देखती है तो एक तीखी सांस लेती है.
“आअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह …….” रिशु के होंठ जैसे ही प्रतिमा के निप्पल को छूते हैं, प्रतिमा एक लम्बी सिसकी लेती है. रिशु निप्पल को चूमने लगता है. कुछ देर चूमने के बाद वो अपना चेहरा हटाकर निप्पल को घूरता है और फिर से अपना चेहरा मुम्मे पर झुका देता है. इस बार उसकी जिव्हा बाहर आती है और प्रतिमा के निप्पल को चाटती है.
“आआह्ह्ह्ह………..उन्न्नन्न्गग्ग्गह्ह्ह्हह …” प्रतिमा का बदन तेज़ झटका खाता है. जिस तरह उसकी खुरदरी जीभ ने रिशु को सिसकने पर मजबूर कर दिया था उसी तरह अब अपने बेटे की जीभ के प्रहार से वो खुद सिसकने पर मजबूर थी. रिशु निप्पल को चाटता जा रहा था. निप्पल चाटते हुए वो उसके निप्पल को अपने होंठो में दबोच लेता है और उसे बच्चे की तरह चुसना शुरु कर देता है.
प्रतिमा अपना सीना ऊपर उठाकर बेटे के मुंह में मुम्मा धकेल रही थी. उसके मुंह से फूटने वाली सिसकियाँ और भी तेज़ और गहरी हो गई जब रिशु ने एक मुम्मे को चूसते हुए, दुसरे पर अपना हाथ रख दिया और उसे हल्के हल्के दबाने लगा, सहलाने लगा, उसके निप्पल को अंगूठे और ऊँगली के बीच लेकर मसलने लगा.
निप्पल चूसते चूसते वो उसे धीरे धीरे दांतों से हल्का हल्का सा काट भी रहा था. जब भी उसके दांत निप्पल को भींचते, प्रतिमा सर को जोर से झटकती. वो अपने बेटे के सर पर हाथ रख देती है और उससे अपने मुम्मे चुसवाते हुए उसके बालों में उँगलियाँ फेरने लगती है. रिशु उत्साहित होकर और भी जोर जोर से मुम्मे को चूसता है.
कभी कभी वो पूरे मुम्मे को मुंह में भरने की कोशिश कर रहा था जिसमे स्पष्ट तौर पर वो सफल नहीं हो सकता था क्योंकि उसकी माँ के मोटे मुम्मे उसके मुंह में पूरे समाने से तो रहे. “दुसरे को भी… दुसरे को भी चुसो बेटा….” प्रतिमा रिशु का मुंह अपने एक मुम्मे से हटाकर दुसरे की तरफ ले जाती है और रिशु झट से उसके निप्पल को होंठो में भरकर चुसना शुरु कर देता है. उसका हाथ दुसरे मुम्मे को सहलाने, दबाने लगता है.
“उन्न्नन्न्गग्ग्गह्ह्ह्हह … आआह्ह्ह्ह………..” प्रतिमा की सिसकियाँ कुछ ज्यादा ही ऊँची हो जा रही थी. रिशु कुछ ज्यादा ही जोर से निप्पल को चूस रहा था. प्रतिमा रिशु के सर को अपन मुम्मे पर दबा रही थी. रिशु अपनी माँ के मुम्मे से मुंह हटाता है और दोनों मुम्मो को उनकी जड़ से दोनों हाथों में भर लेता है. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इससे उसके निप्पल और मुम्मो का ऊपरी हिस्सा उभर कर सामने आ जाता है. रिशु फिर से मुंह नीचे करके अपनी माँ के मुम्मे को चूसने लगता है. मगर इस बार थोडा सा चूसने के बाद वो अपना मुंह उठाकर दुसरे मुम्मे पर ले जाता है. हाथ से मुम्मो को दबाता रिशु बदल बदल कर मुम्मो को चूसने लगता है.
“रिशु….बेटा….ऊऊफ़्फ़्फ़….” प्रतिमा कामौंध में पूरी तरह डूब चुकी थी.
रिशु पर सर पर उत्तेजना का भूत सवार था. वो दोनों मुम्मो को बारी बारी से चूस रहा था, चाट रहा था, अपनी जीभ की नोंक से चुभला रहा था. उसका मुंह अब दोनों मुम्मो के बीच की घाटी में घूमने लगा. वो मुम्मो के बीच की घाटी को चूमता, चाटता, अपना मुंह धीरे धीरे नीचे ले जाने लगता है.
मुम्मो से होकर नीचे की और जाता उसका मुख उसके गोरे पेट पर घुमने लगा. रिशु की जिव्हा प्रतिमा के पूरे पेट पर घुमती उसे चाट रही थी. उसके होंठ अपनी माँ के दुधिया पेट के हर हिस्से को चूम रहे थी. हर बीतते लम्हे के साथ प्रतिमा की आहें ऊँची होती जा रही थीं.
चूत की आग उसे जला रही थी और उसका बेटा था जो उस आग को बुझाने की बजाए उसमें तेल डालकर उसे और तेज़ भड़का रहा था. रिशु की जिव्हा अब प्रतिमा की नाभि तक पहुँच गई थी. वो जिव्हा को नाभि के आखरी छल्ले पर घुमाता है. नाभि के दस बारह चक्कर काटने के बाद रिशु अपनी जिव्हा नाभि में घुसा देता है और उसके होंठ नाभि के ऊपर जम जाते हैं.
रिशु नाभि में जीभ घुमाता उसे चाटता और चूसता है. प्रतिमा कमर को कमान की तरह तान रही थी. कमरे में बस उसकी सिसकियों और रिशु की भारी साँसों की आवाज़ आ रही थी. रिशु पेट पर होंठ सटाए अपना मुंह नाभि से नीचे, और नीचे, और नीचे लाता है और उसका मुंह प्रतिमा की लाल कच्छी की इलास्टिक को छूता है.
प्रतिमा का बदन कांपने लगता है. उसके बेटे के होंठ उसकी चूत से मात्र कुछ इंच की दूरी पर थे. रिशु पहले अपनी जिव्हा कच्छी की इलास्टिक में घुसाता है और उसे प्रतिमा की कमर पर एक सीरे से दुसरे तक इलास्टिक में घुसाए रगड़ता है. फिर वो अपना चेहरा हटा लेता है और प्रतिमा के मुम्मो पर से भी हाथ हटा लेता है.
प्रतिमा के मुम्मो की दुधिया रंगत उसके बेटे ने मुम्मो को चूस, चुम्म, चाट, मसलकर गहरे लाल रंग में तब्दील कर दी थी. मगर रिशु का ध्यान अब अपनी माँ के मुम्मो की और नहीं था. उसकी नज़र प्रतिमा की भीगी लाल कच्छी में से झांकती उसकी चूत पर था.
रिशु की हरकतों से प्रतिमा इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसकी चूत ने पानी बहा बहाकर सामने से पूरी कच्छी गीली कर दी थी. रिशु को अपनी चूत घूरते पाकर प्रतिमा की बैचेनी और भी बढ़ गई थी. रिशु की नज़र कच्छी में से झांकती अपनी माँ की चूत के होंठो पर ज़मी हुई थी.
जिनसे भीगी कच्छी इस प्रकार चिपक गई थी कि प्रतिमा की चूत के होंठो के साथ साथ उनके बीच की हल्की सी दरार भी साफ़ नज़र आ रही थी. प्रतिमा बहुत बेताबी से रिशु के आगे बढ़ने का इंतज़ार कर रही थी. उस पर एक एक पल अब भारी गुज़र रहा था.
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शायद रिशु अपनी माँ के बदन में छाये तनाव से उसकी बेताबी को भांप लेता है. वो अपना चेहरा नीचे लाता है. प्रतिमा गहरी और तीखी सांस लेती है. रिशु तब तक चेहरा नीचे करता है जब तक उसका चेहरा लगभग अपनी माँ की चूत को छूने नहीं लग जाता.
रिशु अपनी माँ की चूत से आती खुशबू को सूंघ सकता था. वो चूत से नाक सटाकर गहरी सांस अन्दर खींचता है जैसे चूत को सूंघ रहा हो. “उन्न्न्नग्ग्गह्ह्ह्हह्ह …..” प्रतिमा कराह उठती है. चूत की खुशबू में बसी मादकता और कामुकता से रिशु का अंग अंग उत्तेजना से भर उठता है और वो अपना चेहरा झुकाकर अपने होंठ अपनी माँ की चूत पर लगा देता है.
“हाएएएएएएएएएएह्ह्ह्ह …ओह्ह्ह्हह्ह…….” प्रतिमा के पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ जाती है. “आअह्ह्ह्ह……….” प्रतिमा नंगी चूत पर बेटे की जीभ से सिहर उठती है. रिशु कई बार जिव्हा को लकीर पर ऊपर से निचे सौर निचे से ऊपर फेरता है और फिर अपनी जिव्हा दरार में घुसा देता है और घुसाए हुए उसे फिर से ऊपर से निचे और निचे से ऊपर फेरने लगता है.
“रिशुश्सुशुश…. रिरिरिरिरिशुशुशुश्श…..” प्रतिमा से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो चीकने लग जाती है. प्रतिमा अपने सर पर हाथों का दवाब देकर खुद को कण्ट्रोल करने की कोशिश करती है. रिशु अपनी माँ की प्रतिकिर्या से खुश और उत्साहित होकर अपना मुंह अपनी मम्मी की चूत पर दबा देता है. उसके होंठ चूत के होंठो पर दब जाते हैं और वो चूत के अन्दर गहराई तक जीभ घुमाने लगता है.
“आआअह्ह्ह्हहए ……बेटाआआअह्ह्ह्ह….” प्रतिमा ने ऐसा एहसास ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं किया था. रिशु जितनी गहराई तक जीभ घुसा सकता था, घुसा रहा था और चूत को जीभ से चाट रहा था. अपने होंठो से वो चूत से बहकर आने वाले रस को लगातार चाटता जा रहा था.
उधर प्रतिमा से चूत की नर्म और कोमल त्वचा पर रिशु की जीभ की रगड़ बर्दाश्त नहीं हो रही थी. चूत को जीभ से चाटते चाटते रिशु अपनी माँ के घुटने पकड़ उसकी टांगें पूरी चौड़ी कर देता है. अब चूत थोड़ी खुल गई थी. रिशु के सामने चूत का दाना थरथरा रहा था. रिशु अपने होंठ चूत के अन्दर तक घुसाते हुए चूत को चूसने चाटने की कोशिश कर रहा था.
“बेटा….उन्घ्ह्हह्ह…बे…टा…” प्रतिमा बेड की चादर को मुट्ठियों में भर चीख चिल्ला रही थी. चूत को अन्दर तक जिव्हा से चूस चूस कर, चाट चाटकर रिशु अपना ध्यान सामने छोटे से चूत के दाने की और करता है और झट से उसे अपने होंठो में दबोच लेता है. उस पर अपनी जीभ रगड़ने लगता है.
“रिशुशुशुशु….नहीईई..नहीईईईईईईईईईईईईईईइ…बेटाआआअह्ह्ह्ह…..उफफ्फ्फ्फ़…बेटा….आआआअह्हह्हह्ह…” प्रतिमा का पूरा बदन कांपने लगा. उसका पूरा बदन झटके मार रहा था. रिशु अपनी मम्मी की हालत देखकर और जोश में आ गया था. उसने दाने को अपने होंठो में दबा जोर जोर से चुसना शुरु कर दिया.
“बेटाआआअह्ह्ह्ह….. नहीईईईईईईईईईईईईईईइ…प्ली…..ज….उफ्फ्फ्फ़…रिशु….” प्रतिमा दायें बाएं जोरो से सर पटकने लगी. उसके बदन में तेज़ कम्कम्पी होने लगी. वो अपनी गांड हवा में उठाकर अपनी चूत अपने बेटे के होंठो पर दबा देती है और अपने हाथ अपने मुम्मो पर रखकर खुद ही अपने मुम्मे मसलने लगती है.
रिशु को नहीं मालूम था उसकी माँ को क्या हो रहा था मगर वो इतना ज़रूर जानता था कि उसकी इस हालत का दोषी वो खुद था और वो यह भी जान चूका था कि उसकी माँ के जिस्म का सबसे संवेदनशील बिंदु जो उसे तडपने पर मजबूर कर सकता था वही चूत के ऊपर की और वो दाना था जिसे वो अपनी जिव्हा से सहला रहा था.
जब भी उसकी जिव्हा दाने से टकराती थी उसकी मम्मी खुद पर पूरा नियंत्रण खो देती थी. इसीलिए उसने पूरे मुंह का दवाब उसकी चूत के दाने पर केन्द्रित कर दिया. उसे जीभ से सहलाते, दबाते, रगड़ते वो उसे होंठो में भरकर चूसता रहा. अचानक प्रतिमा के बदन में तनाव भरने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो अपनी कमर को कमान की तरह तान लेती है और अपनी टांगें रिशु की गर्दन पर लपेट देती है. वो जोर जोर से सर पटक रही थी. रिशु अपनी मम्मी की चूत में संकुचन को देख रहा था. रिशु एक पल के लिए भी नहीं रुका और ना ही उसने अपने होंठो और जीभ का दवाब कम किया.
“रिशु ….बेटा…उन्न्ग्गग्घ्ह …बेटाआ…..ऊह्ह्हह्ह….” अचानक प्रतिमा की चूत रस उगलने लगती है. प्रतिमा की देह और भी तेज़ झटके खाने लगती है. रिशु चूत से बाहर आ रहे रस को चुसना चालू कर देता है. वो पूरी चूत को अपने मुंह में भर लेता है और उसे चूसता है. अब जाकर उसे समझ आई थी कि उसकी माँ झड रही थी. उसने अपनी माँ की चूत को चाट चाट कर झाड दिया था.
“रिरिरिरिशुशु….. बे..एएएएए…टा……हाएएएए….भगवान……आअह्ह्ह्ह….” प्रतिमा की चूत लगातार रस बहाए जा रही थी और रिशु उसे पीता जा रहा था. वो एक बूँद भी जाया नहीं होने देना चाहता था. प्रतिमा के बदन के झटके अब कम होते जा रहे थे. उसके मुख से निकलने वाली सिसकियों की तीव्रता अब कम पड़ने लगी थी.
उसके जिस्म की ऐंठन कम होने लगी थी और उसकी कमर वापिस बेड पर लौट आई थी. प्रतिमा के हाथ अपने मुम्मो पर ढीले पड चुके थे और उसकी जांघें अपने बेटे की गर्दन पर ढीली हो चुकी थी. “बेटा….बेटा…बेटा…बेटा….” प्रतिमा के मुख से धीमी धीमी सिसकियाँ अभी भी फूट रही थी.
एक बार जब प्रतिमा शान्त पड गई और उसने अपना जिस्म पूरी तरह ढीला छोड़ दिया तो रिशु ने अपनी माँ की गांड के निचे हाथ डालकर उसे ऊपर को उठाया ताकि उसकी चूत उभरकर उसके सामने आ जाये और वो उसे अच्छी तरह चाट चाट कर साफ़ करने लगता है.
चूत के अंदरूनी हिस्से को साफ करके वो उसके बाहर चाटने चूसने लगता है. अपनी माँ की चूत को अच्छी तरह चाट चाट कर साफ़ करने के बाद वो उसकी गोरी जांघें चूमने लगता है. “बेटा….बेटा….ओह्ह्ह्हह…बेटा….” प्रतिमा के होंठ धीरे धीरे बुदबुदा रहे थे. जाँघों को अच्छी तरह चूमने के पश्चात वो प्रतिमा की कमर को चुमते ऊपर को जाने लगता है.
जिस तरह वो उसके पेट को चुमते हुए निचे आया था. अब ठीक बिलकुल वैसे ही वापिस ऊपर की तरफ जा रहा था. नाभि से सीधा ऊपर की और जाता वो जल्द ही वापिस अपनी माँ के मुम्मो पर पहुँच जाता है. यहाँ पर अभी भी उसकी माँ के हाथ थे. रिशु का चेहरा जैसे ही प्रतिमा के मुम्मो पर के ऊपर रखे हाथों से टकराता है तो वो अपने हाथ हटा लेती है और रिशु को अपने मुम्मे चूमने देती है.
रिशु फिर से प्रतिमा के निप्पल बदल बदल कर चूस रहा था. प्रतिमा अपने बेटे के बालों में उँगलियाँ घुमा रही थी. उस जबरदस्त सख्लन के पश्चात बिलकुल सुस्त पड चुकी प्रतिमा अब अपने जिस्म में कुछ हरकत महसूस कर रही थी. निप्पलों को चूसते चूसते रिशु ने अपनी नज़र अपनी माँ पर डाली जो उसके बालों में उँगलियाँ फेरती उसे बेहद प्यार, स्नेह और ममतामई नज़र से देख रही थी.
दोनों माँ बेटे की नज़रें मिलती हैं और रिशु आगे अपनी माँ के चेहरे की और बड़ता है. प्रतिमा भी उसका चेहरा अपने हाथों में थाम अपने मुंह पर खींचती है. रिशु का चेहरा सीधा अपनी माँ के चेहरे पर झुक जाता है और दोनों बेटे माँ के होंठ आपस में जुड़ जाते हैं. दोनों प्रेमियों की तरह एक दुसरे को चूम रहे थे.
कभी प्रतिमा रिशु के तो कभी रिशु प्रतिमा के होंठों को चूस रहा था. उधर प्रतिमा को अपनी जांघों पर रिशु का लंड ठोकरें मारता महसूस होता है. बेटे के लंड को अपनी चूत के इतने नजदीक पाकर उसके बदन में कामौत्तेजना लौटने लगती है और उसकी साँसों की गहराई बढ़ने लगती है.
प्रतिमा की जिव्हा रिशु के होंठो को चाटने लगती है और वो उसे उसके मुंह में धकेलती है. रिशु अपना मुंह खोल देता है और प्रतिमा की जिव्हा उसके मुख में प्रवेश कर जाती है. प्रतिमा रिशु के मुंह को उसकी जिव्हा को अपनी जिव्हा से सहलाती है. मगर रिशु एकदम से उसकी जिव्हा अपने होंठो में दबा लेता है और चूसने लगता है.
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“उन्न्न्गग्घ्ह्ह……” प्रतिमा अपने बेटे के मुंह में सिसकती है और वो अपनी कमर इधर उधर हिलाने लगती है. रिशु यह समझकर कि उसकी माँ क्या चाहती है अपनी कमर को थोडा सा हिलाता डुलाता है और फिर दोनों माँ – बेटा एकदम से सिसक उठते हैं.
रिशु का लंड अपनी माँ की चूत पर था और उससे निकल रहा हल्का हल्का रस उसकी चूत को भिगो रहा था. प्रतिमा बेटे के चेहरे को दबाती है तो रिशु उसकी जिव्हा को और भी जोर जोर से चूसता है. उन दोनों की कमर हल्की हल्की हिलना शुरु हो गई थी. जिससे रिशु का लंड अब प्रतिमा की चूत को रगड़ रहा था.
“उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़…..” प्रतिमा आह भरती है जब दोनों के होंठ सांस लेने के लिए जुड़े होते हैं.
“मम्मी…. मम्मम्मम्मममी….” रिशु भी लंड पर चूत के स्पर्श से सिसक उठा था.
प्रतिमा रिशु के चेहरे को झुकाती है और उसके मुख पर लगे जगह जगह अपनी चूत के रस को चाट चाट कर साफ़ करने लगती है. उसकी नाक से, उसके गालों से, उसकी ठोड़ी से, रिशु का चेहरा साफ़ करने के पश्चात वो फिर से उसके मुख में अपनी जिव्हा घुसेड़ देती है.
रिशु फिर से उसकी जिव्हा को चूसने लगता है. दोनों अब एक दुसरे की कमर पर अपनी कमर खूब जोर जोर से रगड़ने लगे थे. रिशु का लंड बार बार प्रतिमा की चूत को छूता है और उसे सहलाते हुए उस जगह में घूम रहा था. उधर प्रतिमा जो अब फिर से पूरी तरह गर्म हो चुकी थी इस बार बेटे की जिव्हा को अपने होंठो में दबोच कर उसे चूसने लगती है.
“आआह्ह्ह्ह……हाएएएएईएएएएइइइइइ…” अचानक प्रतिमा को झटका लगता है और वो सिसक कर अपना चेहरा हटा लेती है.
“मम्म्म्ममी ……मम्म्म्मी …उफफ्फ्फ्फ़…” रिशु भी सिसक उठा था. उसका लंड उसकी कमर की रगड़ से अचानक चूत के होंठो को फैलाकर थोडा सा अन्दर घुस गया था. अगर थोड़ा सा जयादा जोर लगा होता तो शायद सुपाड़ा अन्दर चला जाता.
प्रतिमा चूत में लंड के एहसास को पाकर ठिठक गई थी. वो रिशु के चेहरे की और देखती है जो उसी की और देख रहा था. प्रतिमा धीरे से हल्के से सर हिलाती है जैसे रिशु के किसी सवाल का जवाब दे रही हो. रिशु अपनी माँ के इशारे को पाकर वापिस उठ जाता है और प्रतिमा की जाँघों के बीच बैठ जाता है.
वो प्रतिमा की टांगों को ऊपर उठाता है तो प्रतिमा खुद अपनी टांगें घुटनों से मोड़कर खड़ी कर देती है. रिशु प्रतिमा के घुटनों को पकड़ उन्हें पूरी तरह फैला देता है. उसकी माँ की चूत खुल चुकी थी. रिशु अपने सामने अपनी माँ की चूत के छेद को देख रहा था. रिशु एक बार फिर से निगाह उठाकर प्रतिमा की और देखता है.
प्रतिमा फिर से सर हिलाकर उसे इशारा करती है. रिशु प्रतिमा की पतली सी कमर को कस कर थाम लेता है और थोडा सा उचककर आगे को बढ़ता है. उसका लंड चूत के बेहद करीब था. प्रतिमा कुहनियों के बल अपना सर ऊँचा उठा लेती है. वो अपने और अपने बेटे के बीच अपनी चूत पर दस्तक दे रहे अपने बेटे के लंड को देख रही थी. रिशु थोडा सा आगे को होता है और उसका लंड प्रतिमा की चूत के छेद पर फिट हो जाता है.
“ईइइइइइस्सस्ससह्ह्ह्हह्ह……” प्रतिमा होंठ काटते हुए आँख बंद करके सिसक पड़ती है.
रिशु अपनी मम्मी की कमर को थामे अपने कुल्हे आगे को धकेलता है. उसके लंड का सुपाड़ा चूत का मुंह हल्का सा खोलता है और ऊपर को फिसल जाता है. हालाँकि लंड अन्दर नहीं घुसा था मगर माँ – बेटे दोनों उस स्पर्श मात्र से सिसक उठे थे.
रिशु फिर से कमर को थाम लंड अन्दर धकेलता है और इस बार सुपाड़ा चूत के छल्ले को खोलता हुआ हल्का सा अन्दर जाता है और फिर से फिसल कर बाहर आ जाता है. प्रतिमा की चूत रस से दोबारा भीग चुकी थी इसीलिए लंड को सीधा रख पाना रिशु को बहुत मुश्किल लग रहा था.
“एक मिनट रुक” अचानक प्रतिमा रिशु को रोकती है. वो अपना एक हाथ आगे बढ़ाती है और लंड को कस कर पकड़ लेती है और उसे चूत के छेद पर फिट कर देती है. “अब घुसाओ बेटा” प्रतिमा अब एक कोहनी के बल उचककर अपनी चूत में ठोकर मार रहे अपने बेटे के लंड को देख रही थी.
रिशु उसी तरह कमर को अपने हाथों में दबाए लंड को आगे धकेलता है. वो फिर से फिसलने वाला था मगर प्रतिमा उसे मजबूती से अपनी चूत के मुंह पर टिकाए रखती है. रिशु और जोर लगाता है. उसके लंड का सुपाड़ा जैसे ही चूत के छल्ले पर और बल डालता है वो खुलती चली जाती है.
“ओह्ह्हह्ह्ह्ह….रिशु …..रिशु……..रिशु….” प्रतिमा अपनी चूत में लंड के दाखिल होते ही सिसक पड़ती है. उसका हाथ लंड से हट जाता है और वो फिर से दोनों कोहनियों के बल होकर अपने बेटे के लंड को देखने लगती है जिसका सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चूका था. प्रतिमा की तंग चूत जैसे ही रिशु के सुपाड़े को कसती है तो वो कराह उठता है और अपना लंड और आगे को धकेलता है.
“आआह्ह्ह्ह……ऊफ्फ्फ्फ़………बेटा धीरे……..धीरे…” प्रतिमा बेटे के मोटे लंड से अपनी चूत फैलती हुई महसूस करती है. चूत इतनी गीली थी कि बहुत तंग होने के बावजूद रिशु का लंड आराम से घुसता जा रहा था और तभी वो चूत की गर्मी या अपने लंड पर चूत की पकड़ के उस जबर्दस्त अनोखे एहसास से जोश में आ जाता है और एक ज़ोरदार धक्का मारता है.
“ओह्ह्ह्हह……आह्ह…..आआह्ह्ह्ह……हाएएएए…रिशुलल्ल …. प्लीज… बेटा धीरे…….धीरे डालो… उफ्फ्फ्फ़…….” प्रतिमा लंड के उस ज़बरदस्त प्रहार को सेहन नहीं कर पाती और चीख पड़ती है. मगर रिशु इस समय उसकी सुन नहीं रहा था. वो तो अपने लंड को अपनी माँ की टाइट चूत में घुसाकर ऐसा आनंद ले रहा था कि वो फिर से एक करारा झटका मारता है और पूरा लंड चूत में घुसेड देता है.
“आईईईईईईईए………..आउच…….आआउच …………हे भगवान………उफफ्फ्फ्फ़ शैतान…………….. हाएएएए…….मार डालेगा क्या”.
“मम्मी…….. मम्मी……….ओह्ह्ह्ह गॉड…………म्म्म्मम्म्म्ममम्मी…. हाए….” रिशु भी जलती हुई चूत में लंड पेल कर उस पीड़ादायक आनंद की परिसीमा महसूस करता है.
प्रतिमा अपनी जाँघों के बीच देख रही थी यहाँ उसके बेटे के लंड उसकी चूत में पूरा घुस चूका था. चूत के होंठो ने लंड को चारों तरफ से कस लिया था और उसके बेटे के लंड को सहला रहे थे.
“उफफ्फ्फ्फ़….मम्मी कितनी टाइट है तुम्हारी और कितनी गर्म भी… अन्दर से… उफ़… मेरा जल रहा है मम्मी” रिशु चूत की तपिश से लंड को जलता हुआ महसूस कर रहा था.
“यह गर्मी तेरे लंड को ही नहीं मुझे भी दिन रात जलाती है… दिन रात मेरी पूरी देह इस आग में झुलसती है… अब तुम्हे ही इस आग को बुझाना है मेरे बेटे….अब तुझे ही इस आग को बुझाना है” कहकर प्रतिमा पीछे को लेट जाती है और रिशु की तरफ अर्थपूर्ण नज़रों से देखती है. रिशु फिर से अपनी माँ की कमर थाम लेता है और लंड को पीछे खींचता है और फिर से अन्दर डालता है.
“आअह्ह्ह्ह……..आराम से …….बेटा…….आराम से …” प्रतिमा पहले ही धक्के पर कराह उठती है और जब उसके बेटे के लंड उसकी चूत को पूरा रगड़ता हुआ वापिस अन्दर तक घुस जाता है. वो शुक्र मना रही थी कि उसकी चूत इतनी गीली थी वरना उसके बेटे का मोटा लंड उसे खूब तकलीफ देने वाला था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
रिशु अपनी माँ की नाज़ुक चूत में लंड पेलने के उस अनोखे मज़े से गदगद हो उठा था. यह आनंद उसकी कल्पनायों से कहीं बढ़कर था. वो फिर से अपना लंड बाहर निकालता है और वापिस अन्दर घुसेड देता है. प्रतिमा फिर से सीत्कार भरती है, फिर तीसरा, चौथा, पांचवा, छठा… रिशु चूत से लगभग आधा लंड बाहर निकालता और उसे अपनी माँ की चूत में पेल देता. हर धक्के के साथ उसका जोश दौगना होता जा रहा था. कुछ समय आराम से धक्के मारने के बाद वो लंड को खींच जोर से पेलता है.
“आआआअउच… आउच…….. आउच” रिशु माँ की सिसकियों से और भी जोश में आ जाता है और वो और भी जोर जोर से लंड पेलने लगता है.
“आईईईईए…बेटा……आआराम से …आराम से….” प्रतिमा चीखती है और रिशु माँ की चीखो पुकार के जवाब में खींच कर ऐसा धक्का मारता है कि प्रतिमा की सांस अटक जाती है.
“हाए मार डाला ज़ालिम …धीरे…मेरे लाल…धीरे मार….उफफ्फ्फ्फ़ ….आअह्ह्ह्ह…आउच….ऊऊउच…धीरे से कर ना …आऊऊऊऊऊउच्च्च्घ…. बेटा…हाए तेरा लौड़ा …..उइफ़्फ़्फ़्फ़ …… हाए जान निकाल दी मेरी……. हाए धीरे चोद …धीरे चोद अपनी मम्मी को ….” रिशु अब खुद को पूर्ण मर्द महसूस कर रहा था.
उसकी माँ ठीक वैसे ही सिसक रही थी, जैसी उसने कल्पना की थी कि जब वो अपनी माँ को चोदेगा तो वो ऐसे ही चीखेगी चिल्लाएगी. खुद रिशु भी चूत में अपनी लंड की रगड़ से ज़बरदस्त मज़े को अनुभव कर रहा था. अब समय आ गया था वो अपनी मम्मी को दिखाता कि वो कितना तगड़ा मर्द है कि वो चुदाई के मामले में उसे कितना सुख दे सकता है.
रिशु लंड को सुपाड़े तक खींचता है और कमर पर अपने हाथ कस अपने कुल्हो का पूरा ज़ोर लगा कर अपनी मा की चूत में अपना लंड पेल देता है.
“आआईईएईईईए……हहाअयईईए मेरी चूत…..हाए मरररर गययययीईई……उउउफफफफ़फफ्फ…….धीरे…….धीरे मारो …..बेटा…” प्रतिमा उस जबरदसत धक्के से पीड़ादायक मज़े से सिहर उठी थी. रिशु अब पूरा लंड खींच खींच कर धक्के मार रहा था. प्रतिमा उसके हर धक्के पर चीख पड़ती थी.
रिशु ने हालांकि अभी तक तेज़ स्पीड नही पकड़ी थी और वो अब वही करने जा रहा था. रिशु अपनी गति बढ़ाता है और पूरा लंड खींच कर धक्के मारता है. मगर यह क्या तेज़ गति से लंड सुपाड़े तक बाहर खींचने के समय उसका लंड टककककक करता हुआ पूरा बाहर आ जाता है.
वो फट से लंड अंदर घुसाता है. लंड का सुपाड़ा अंदर जाते ही प्रतिमा चिहुंक पडती है. रिशु दो तीन धक्कों के पशचात जैसे ही फिर से स्पीड बढ़ाता है. उसका लंड फिर से जल्दबाज़ी में बाहर आ जाता है. रिशु फिर से अंदर डालता है और अपनी मा को चोदने लगता है. मगर जैसे ही वो स्पीड पकड़ता है और लंड वापस खींचता है लंड फिर से बाहर आ जाता है.
“क्या कर रहा है………..क्यों बार बार बाहर निकाल रहा है….” इस बार प्रतिमा चुप्प नही रह पाती. एक तो बार बार चुदाई रुकने से उसे मिलने वाले मज़े से वो वंचित हो जाती जिसके लिए वो इतना तरसी थी, उपर से रिशु जब भी दोबारा अपना मोटा लंड उसकी चूत में घुसाता तो वो दर्द से बिलबिला उठती. वो नही चाहती थी कि लंड चूत से बाहर निकले.
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“सॉरी मम्मी………वो फिसलन बहुत है….”
रिशु फिर से लंड अंदर घुसाता है और कुछ धक्के लगाने के बाद वो जैसे ही स्पीड पकड़ता है लंड फिर से बाहर. लंड बाहर निकलते ही रिशु पूरी गति से उसे वापस अपनी मा की चूत में घुसेड देता है और घबराता हुआ जैसे ही लंड खींच कर धक्का लगाता है, लंड हल्का सा बाहर आकर उपर को फिसल जाता है.
प्रतिमा रिशु को घूर रही थी. रिशु बिजली की तरह अपना लंड थामे फिर से चूत में घुसाने की कोशिश करता है मगर वो इतना घबरा चुका था कि उसके हाथ कांप रहे थे. लंड अंदर जाने की वजाए एक तरफ को फिसल जाता है. अचानक प्रतिमा ज़ोरों से खिलखिला कर हंस पड़ती है. रिशु के चेहरे पर घबराहट और मासूमियत का वो भाव इतना प्यारा था कि प्रतिमा खुद को रोक नही पाती और खुल कर हँसने लगती है.
अपनी माँ को इस तरह हंसते देख रिशु जो उसकी चूत में फिर से लंड घुसाने की कोशिश कर रहा था, रुक जाता है. उसके चेहरे का रंग लाल हो जाता है. उसके चेहरे पर घबराहट की जगह शर्मिंदगी छा गयी थी. उसे समझ नही आ रहा था जब बाकी सब कुछ ठीक था तो यहाँ आकर उससे क्या गलती हो जाती थी. प्रतिमा बेटे के चेहरे पर शर्मिंदगी देखकर उसे इशारे से अपनी तरफ बुलाती है. रिशु थोडा नीचे को होता है तो प्रतिमा उसके चेहरे को थाम उसके होंठो को चूमती है.
“अब बताओ आख़िर इतना तेज़ी क्यों पकड़ रहे हो कि बार बार बाहर निकाल लेते हो?”
“वो मैने पढ़ा था कि तेज़ तेज़ करने से…….औरतों को बहुत मज़ा आता है, इसलिए मैं भी….. मगर वो बार बार बाहर निकल जाता है”.
“पढ़ा था? कहाँ? कब?” प्रतिमा जिगाय्सु हो उठती है.
“आज शाम को…….जब आप कपड़े धो रहे थे” रिशु के पास अब सच बोलने के सिवा और कोई रास्ता नही था.
“ओह अब समझी.. तो यह पढ़ाई कर रहे थे तुम……….सोचा होगा माँ चोदने को मिलेगी…. थोड़ी सी जानकरी हासिल कर लेता हूँ……हुं क्या बोलते हो?” मगर रिशु कुछ बोल नही पाता. उसके चेहरे पर छाई शर्मिंदगी और भी गहरी हो गयी थी.
“इधर देखो मुझे….मेरी तरफ……….” प्रतिमा रिशु का चेहरा पकड़ कर अपनी तरफ घूमाती है जो उसने शर्मिंदगी की वजह से एक तरफ को मोड लिया था.
“मुझे इंप्रेस करने की कोशिश कर रहे थे” रिशु झिझकता हुआ हाँ में सर हिलाता है.
प्रतिमा ठंडी आह भरती है और उसके चेहरे को पकड़ कर फिर से उसके होंठो को चूमती है.
“बेवकूफ़ कहीं का…….. अरे तूने तो मुझे सुबह ही इंप्रेस कर दिया था……तेरे लंड पर तो मैं सुबह ही मर मिटी थी……..याद नही उसे मुँह में लेकर चूसा था…. तेरा वीर्य पिया था मैंने …….अगर तुझसे इंप्रेस ना होती तो इस समय तेरी माँ होने के बावजूद तेरे नीचे ना लेटी होती और तू मेरा बेटा होने के बावजूद मेरे उपर ना चढ़ा होता और तेरा लंड मेरी चूत में ना घुसता”.
रिशु को अपनी माँ की बातों से जहाँ थोड़ी तस्सली हुई थी कि वो उसके लंड से इतनी प्रभावित थी वहीं उसकी ज़ुबान से निकलने वाले वो अश्लील अलफ़ाज़ उसकी आग को भड़का रहे थे.
“देखो बेटा सेक्स एक नेचुरल चीज़ है…. इसमे तुम खुद बा खुद सब कुछ सीखते जाओगे…. अभी देखो तुम कितना बढ़िया चोद रहे थे और स्पीड पकड़ने की कोशिश की तो क्या हुआ? तुम पहली बार किसी को चोद रहे हो…. बस आराम आराम से करो….. तुम्हे खुद बा खुद शायद पहली चुदाई में ही तजरबा हो जाएगा कि अपनी कमर कितनी वापस खींचनी है कि तुम्हारा लंड मेरी चूत से पूरा बाहर ना निकले…..
जब तुम्हे एक्सपीरियेन्स हो जाएगा तो फिर तुम पूरा लंड बाहर निकाल निकाल कर पूरी स्पीड से चोद पाओगे…. नेट से तुम्हे सीखने की कोई ज़रूरत नही है…. यह सब तुम दो बार चुदाई करके खुद बा खुद सिख जाओगे और अगर कुछ सीखना है भी तो वो मैं तुम्हे सिखायुंगी…. समझे…..वैसे तुमने जिस प्रकार मेरी चूत चाटी थी वैसे लगता नही मुझे तुम्हे कुछ सीखाना पड़ेगा……चलो अब देर मत करो….जलद से अपना लंड मेरी चूत मैं घुसाओ और मुझे चोदो”.
रिशु अपनी माँ की दोनों साइड में हाथ रखकर अपने बदन को उपर उठाता है और अपना लंड फिर से अपनी माँ की चूत पर रखता है. प्रतिमा फिर से अपने हाथ से लंड को पकड़ती है, “अब घुसा दो अंदर”. रिशु कूल्हे को धकेलता है तो लंड चूत का मुँह खोलता अंदर समा जाता है. प्रतिमा फिर से सिसक उठती है. वो लंड से हाथ हटा कर उसके कंधो को पकड़ लेती है और अपनी टाँगे उसकी कमर पर लपेट देती है. वो रिशु को खींच कर अपने ऊपर लेटा लेती है.
“हाययईई……अब देर मत कर …. चोद मुझे……..चोद मुझे……….हाए चोद अपनी मम्मी को” प्रतिमा अपने बेटे के कानों में सरगोशी करते हुए बोलती है. रिशु अपनी माँ की अश्लील भाषा से उत्तेजित अपनी कमर को हिलाना शुरू कर देता है. उसका लंड फिर से अपनी माँ की चूत के अंदर बाहर होने लगता है. फिर से प्रतिमा उँची उँची सिसकारियाँ भरने लगती है.
रिशु हालांकि डर रहा था कहीं उसका लंड फिर से फिसल कर बाहर ना आ जाए इसलिए वो उसे आधा ही बाहर निकालता और वापस अंदर पेल देता. उसकी माँ की सिसकियां, उसके अशलील लफ्ज़ जिनसे वो उसे उत्साहित कर रही थी और प्रतिमा की टाइट चूत में लंड पेलने का जबरदसत मज़ा वो जल्द ही सब कुछ भूल गया और उसकी स्पीड बड़ने लगी.
“आआअहह………ऊऊुऊउक्कककचह………ऊऊुऊउक्ककचह…….ऊओह रहहुउऊउल्ल…….राआहहुउउल्ल्ल………चोदो मुझे…….हाएयययय….ई…….ऐसे ही मारो बेटा……..हाअयययययईई……….ऊऊऊफफफफफफफफ़फ्ड……” प्रतिमा की सिसकियाँ आग मैं घी डाल रही थी.
रिशु और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर खींच खींच कर अपना लंड अपनी माँ की चूत में घुसेड़ने लगा. उसे एहसास ही नही था अब उसका लंड उसके सुपाड़े तक बाहर आ रहा था. प्रतिमा हर धक्के पर चीख पड़ती थी.
“मम्मी मज़ा आ रहा है ना……..” रिशु उत्तेजना की अधिकता में बोल उठता है.
“पूछ मत……. ऊऊऊऊुऊउक्ककच……हायय….ईई………बस चोदता रह…..
मैं झड़ने वाली हूँ…….. हाए अब तेरी माँ हर रोज़ तुझसे चूदेगी…..हर दिन हर रात………..आआहह……….”
“मैं भी मम्मी…..मैं भी मम्मी………” रिशु अब फुल स्पीड में अपनी मा को चोद रहा था. उसके टट्टो में वीर्य उबल रहा था. जो शाम से बाहर आने को तड़प रहा था. अचानक प्रतिमा अपनी कमर उछाल उछाल कर अपने बेटे के धक्कों का ज्वाब धक्कों से देने लगती है. रिशु और भी जोश में आ जाता है. वो अपनी माँ के कंधे थाम खींच खींच कर अपना लंड उसकी चूत में पेलता है.
“रिशु मेरे बेटा…….मेरे बेटे……….हे भगवन्…….” प्रतिमा रिशु के सर को थाम उसके होंठो पर अपने होंठ रख देती है और अपनी जिव्हा उसके मुख में घुसेड देती है. रिशु तुरंत जिव्हा को अपने होंठो में दबा कर चूस्ता हुआ अपनी माँ की चूत में कस कसकर धक्के लगाता है. प्रतिमा भी उसकी ताल से ताल मिला रही थी. अचानक प्रतिमा बदन ऐंठने लगती है. वो धक्के मारने बंद कर देती है. उसका मुँह अपने बेटे के मुँह से हट जाता है और वो अपनी टाँगे उसकी कमर पर और कस कर लपेट देती है.
“बेटा……बेटा…….मेरे लाल…….मेरे लाल……” प्रतिमा झड़ रही थी. रिशु अपनी माँ के उपर से उठ पहले की तरह उसकी कमर को पकड़ लेता है और पूरी शक्ति से धक्के लगाता है. मुश्किल से पाँच सात धक्के ही लगाए होंगे कि वो ज़ोरदार हुंकार भरता है.
“मम्मी……..आहह……मम्मी…..” रिशु सिसक पड़ता है. उसके लंड से वीर्य की पिचकारियाँ उसकी मा की चूत को भरने लगी थी.
“मेरे लाल….आआहह…..उउउन्न्ननज्ग्घह……भर दे मेरी चूत अपने रस से……मेरे लाल…..हइईए……..भर दे मेरी चूत” प्रतिमा अपनी चूत में रिशु के लंड से निकलती वीर्य की तेज़ धारों को महसूस करती है तो उसका सखलन और भी तीव्र हो जाता है.
“ऊऊहह………..उूउउफफफफफफ्फ़…….बेटा…….बेटा…..बेटा…..”
आख़िरकार दोनो का सखलन मंद पड़ जाता है और रिशु अपनी माँ के उपर लेट जाता है. प्रतिमा अपनी बाहें उसकी गर्दन में डाल देती है.
“मेरा बेटा……मेरा लाल…..”
कमरे का माहौल बिल्कुल शान्त था. जहाँ कुछ पल पहले पुरे कमरे में तूफान मचा हुआ था. वहीं अब वहाँ पूरी तरह से शांति थी. बस माँ-बेटे की सांसो की हल्की हल्की आवाज़ गूँज रही थी. दोनो जाग रहे थे और पुरे होशो हवाश में थे मगर दोनो के जिस्म पूरी तरह स्थिल थे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
रिशु ने आज पहली बार एक नारी की देह को भोगा था वहीं प्रतिमा ने बहुत समय बाद आज ऐसे जबरदस्त सखलन को प्राप्त किया था. दोनो माँ-बेटा ऐसे महसूस कर रहे थे जैसे उनके जलते हुए जिस्मो पर किसी ने शीतल जल डाल दिया था. सखलन के परम सुख को प्राप्त करने के बाद अभी उनके जिस्मो में उस जबरदस्त आनंद की लहरें दौड़ रही थी और वो आराम से चुपचाप लेटे उस आनंद का एहसास ले रहे थे.
दोनो सुबह से तीन बार झड़ चुके थे मगर वो थके हुए नही थे. आख़िरकार प्रतिमा के बदन में ही कुछ हरकत होती है और वो अपने हाथों से अपने बेटे की पीठ सहलाने लगती है जो उसके बदन पर लेटा हुआ था और वो उसकी धीमी साँसे अपनी गर्दन पर महसूस कर रही थी. हालाँकि रिशु का वजन प्रतिमा से कहीं अधिक था मगर उसे वो किसी फूल की तरह हल्का लग रहा था.
“रिशु……… बेटा…….” वो कोमलता से उसकी पीठ सहलाती धीमे से उसे पुकारती है.
“हुं………” रिशु अपनी माँ की गर्दन पर चेहरा दबाए धीमी सी आवाज़ में बोलता है.
“मुझे लगा शायद तुम सो गए………..” प्रतिमा कोमल स्वर में उसकी पीठ सहलाती उसी स्वर में बोलती है, “कैसा महसूस हो रहा है मेरे बेटे को”.
“उम्म्म्ममममम………उउम्म्म्ममम” रिशु अपनी माँ की गर्दन पर चुंबन अंकित करता बोलता है, “बहुत अच्छा मम्मी…………ऐसा महसूस हो रहा है मम्मी जैसे मेरे उपर से कोई वजन उतर गया है……जैसे मै हवा से हल्का हो गया हूँ………जैसे जैसे…….. उफफफफफफफ्फ़ मुझे नही माँलूम मम्मी मैं आपको कैसे बतायूं मगर मुझे बहुत- बहुत अच्छा महसूस हो रहा है” रिशु के होंठ अब अपनी मम्मी के कंधे को चूम रहे थे.
“गुड………वैरी गुड…. इतना अच्छा महसूस होना भी चाहिए आख़िर तुमने अपनी मम्मी चोदी है”.
“म्म्मम्म्मी………” रिशु शिकायत भरे स्वर में अपनी माँ के कंधे पर कोमलता से होंठ रगड़ता बोलता है.
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“क्या मम्मी…………… मैं कुछ ग़लत कह रही हूँ? अभी अभी अपनी मम्मी की चूत में लंड नही पेल रहे थे?…. अभी भी तुम्हारा लंड मेरी चूत में है …. अगर जबरदस्त मज़ा नही आया तो फिर क्या फ़ायदा अपनी मम्मी को चोदने का!……. हाए… मुझे देखो……… उउउफफफफफफफ्फ़… अभी तक बदन के अंग अंग में रोमांच छाया हुआ है…….. नस नस में आनंद की लहरें उठ रही हैं”.
“मम्मी आप भी ना……….” अपनी माँ की अश्लील भाषा से रिशु थोडा शर्मा जाता है. मगर उसकी मम्मी के वो अल्फ़ाज़ उसके अंदर आग भर रहे थे. उसके लंड में सुरसूराहट होने लगी थी. प्रतिमा रिशु की शर्म से हंस पढ़ती है. वो उसके कंधे से उसकी गर्दन को चूमता हुआ धीरे धीरे उसके मुख की और बढ़ता जा रहा था.
प्रतिमा के हाथ रिशु की पीठ पर घूम रहे थे और अब उनकी सीमाँ बढ़ती जा रही थी. उसके हाथ उसके कंधो से लेकर उसके नितम्बो तक को सहा रहे थे. प्रतिमा का कोमल स्पर्श रिशु को बेहद्द सुखद लग रहा था. वो उसकी गर्दन से चेहरा उपर उठाकर उसके कान की लौ को अपने होंठो में भर लेता है और उसे अपनी जीभ की नोंक से सहलाने लगता है.
“उउउम्म्म्ममममम……….” प्रतिमा के मुख से मीठी सिसकी फूट पड़ती है.
रिशु उस सिसकी से उत्साहित होकर अपनी मम्मी के कान को चुभलाता है. प्रतिमा बेटे के मधुर प्यार को महसूस कर अपने जिस्म में छाए उस आनंद को बड़ता हुआ महसूस करती है. उसके हाथ रिशु की पीठ से नीचे जाते हुए उसके कूल्हों को सहलाने लगते हैं. रिशु की जिव्हा अपनी मम्मी की कान की लौ से फिर से उसकी गर्दन और वहाँ से उसकी गाल को चाटने लगती है.
“उउउम्म्म्ममममममममममम…….” प्रतिमा के होंठो से एक और मधुर सी सिसकी फूट पड़ती है.
प्रतिमा अपने अंगो में फिर से हल्का हल्का तनाव छाते महसूस कर रही थी. उसके हाथ रिशु के कुल्हों को सहलाते हुए उसके कुल्हों की घाटी के बीच चले जाते हैं. रिशु जो अपनी मम्मी के गाल चूम चूस रहा था उसके गालों को और भी तेज़ी से चूसने लगता है. उसके जिस्म में झुरझुरी सी छाने लगी थी जब उसे अपनी माँ के हाथ अपनी गांड के छेद के इतने नज़दीक महसूस हुए.
प्रतिमा की उंगलियाँ रिशु के छेद को स्पर्श करती हैं तो उसका जिसम हल्का सा झटका ख़ाता है. वो अपनी माँ के गाल को हल्का सा काटता है. उसका लंड अपनी माँ की चूत के अंदर जागने लगा था. प्रतिमा रिशु की गांड के छेद से खेलती उसे अपनी उंगलियों से सहला रही थी, धीरे धीरे रगड़ रही थी. फिर वो अपनी बड़ी उंगली उसकी गांड के छेद पर दबाती है.
“उउउन्न्नहहह………..” रिशु अचानक चिंहूक उठता है. वो अपना चेहरा उठाकर अपनी मम्मी के चेहरे को देखता है. प्रतिमा का चेहरा उत्तेजना और माँदकता से चमक रहा था. दोनो माँ बेटा एक दूसरे की आँखो में देखते हैं. प्रतिमा अपना एक हाथ उसकी गांड से हटाकर अपने मुँह के पास लाती है और फिर अपनी एक उंगली वो अपने मुँह में डालती है.
उसकी नज़रें रिशु के चेहरे पर ज़मी हुई थीं. प्रतिमा अपने मुँह से उंगली बाहर निकालती है तो वो उसके मुखरस से चमक रही थी. रिशु अपनी माँ को जिज्ञासा से देख रहा था. प्रतिमा का हाथ फिर से रिशु की गांड पर जाता है वो अपनी उंगली रिशु की गांड पर दबाती है. अब जाकर रिशु समझा था उसकी माँ ने अपनी उंगली थूक से गीली क्यों की थी.
प्रतिमा उंगली दबाना चालू रखती है. रिशु की गांड बेहद्द कसी हुई थी मगर प्रतिमा की उंगली के लगातार दवाब के बाद वो धीरे धीरे थोड़ा थोड़ा सा खुल रही थी, जितना गांड खुल रही थी उतना ही उंगल दबा बनाती जाती और आख़िरकार प्रतिमा की मुखरस से गीली उंगली का ऊपरी सिर उसके बेटे की गांड में हल्का सा घुस जाता है.
“मम्म्मममी………..मम्म्ममय्यययी” रिशु पीड़ा और सनसनी से कराह उठता है. वो अपनी माँ के चेहरे को हाथों में थाम अपना चेहरा उसके चेहरे पर झुकाता है और दोनो माँ-बेटे के होंठ आपस में मिल जाते हैं. प्रतिमा तुरंत अपने बेटे के मुख में अपनी जिव्हा धकेल उसके मुख को चूमने चूसने लगती है.
उसकी उंगली लगतार दवाब बनाते अपने बेटे की गांड में घुसती चली जा रही थी. रिशु उत्तेजना से भडकता हुआ अपनी मम्मी की जिव्हा अपने होंठो के बीच दबा लेता है और उसे ज़ोरों से चूसने लगता है. दोनो एक दूसरे के मुँह में सिसक रहे थे. रिशु को अपनी गांड के छेद में हल्की हल्की चुभन महसूस हो रही थी.
मगर वो चुभन उसकी उत्तेजना को बढ़ाती जा रही थी. वो अपनी माँ के होंठो पर होंठ दबाए उसकी जिव्हा चूस रहा था, उसके मुखरस को पी रहा था. आख़िरकार दोनो के मुँह अलग होते हैं और दोनो खांसने लगते हैं. दोनो की साँसे बुरी तरह से उखड़ी हुई थी. दोनो गहरी गहरी साँस लेते खुद को संभाल रहे थे.
“आहह………..रिशु…..बेटा देखो मेरी चूत में कुछ हिल डुल रहा है….हाएएए…………यह तो झटके मारने लगा है बेटा……….हाए कितना लंबा मोटा है………देखो तो बेटा तुम्हारी मम्मी की चूत में क्या घुस आया है…….” प्रतिमा गहरी गहरी साँस लेती बहुत ही कामुक अंदाज़ में कुछ इस तरह बोलती है कि उन लफ़्ज़ों की अश्लीलता और भी बढ़ जाती है. रिशु का लंड और भी ज़ोर से झटके मारने लगता है.
“हे भगवान……… रिशु बेटा………. आआअहह………देखो ना तुम्हारी मम्मी की चूत को…………… हाए तुम्हे अपनी मम्मी की ज़रा भी फ़िक्र नही है……… उउउफफफफफफ्फ़ इतना लंबा मोटा मेरी चूत में क्या घुस………..”
प्रतिमा अपनी बात पूरी नही कर पाई थी कि रिशु ने बीच में ही उसके होंठो पर अपने होंठ चिपका दिए और उसका मुँह बंद कर दिया. वो और भी ज़ोर शोर से अपनी माँ के होंठो को चूसने लगता है, उत्तेजना में उन्हे काटने लगता है. रिशु का पूरा ध्यान अपनी माँ की उंगली पर था जो उसकी गांड में घुसती चली जा रही थी.
उसे खुद माँलूम नही चला था कब उसका लंड पूरा अकड़ गया था और कब उसने झटके मारने शुरू कर दिए थे. प्रतिमा की उंगली इस समय आधी से ज़्यादा रिशु की गांड में जा चुकी थी. वो अपनी उंगली को वहीं रोक कर उसे आगे पीछे करने लगती है. मगर गांड बहुत तंग होने के कारण वो बहुत ज़्यादा आगे पीछे नही हो रही थी.
मगर जितना भी रिशु की तंग गांड उंगली को अंदर बाहर होने दे सकती थी, प्रतिमा कर रही थी. उधर जब प्रतिमा ने रिशु की गांड अपनी उंगली से चोदनी शुरू की तो उसकी उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच गयी. प्रतिमा की गरम चूत जो फिर से पूरी तरह बहक चुकी थी उसके बेटे के लंड को कस कर चूम चाट रही थी, उसे सहला रही थी.
रिशु से रहा नही गया और वो अपनी मम्मी के होंठ को काटता हुया अपनी कमर हिलना शुरू कर देता है. माँ अपने बेटे की गांड अपनी उंगली से चोद रही थी और बेटा उंगली से ताल मिलाते हुए अपनी माँ को चोद रहा था. जैसे जैसे माँ की उंगली रफ़्तार पकड़ती वैसे वैसे बेटा अपनी कमर की रफ़्तार तेज़ कर रहा था.
अपनी माँ की सिल्की भीगी चूत में लंड पेलने से बड़ा आनंद उसे कहाँ मिलने वाला था. इस बार जब दोनो के होंठ जुदा होते हैं तो दोनो की हालत पहले से भी बुरी थी. खुले मुँह से साँस संभालते प्रतिमा अपनी उंगली को तेज़ तेज़ रिशु की गांड में आगे पीछे करने लगी.
“ओह……मम्म्ममी ……….मम्म्ममममी…..” रिशु सिसक रहा था. रिशु की गांड के पट्ठे अब कुछ ढीले पढ़ने लगे थे जिससे प्रतिमा को उसकी गांड में उंगली आगे पीछे करने में आसानी होने लगी थी.
प्रतिमा अपनी टाँगे बेटे की कमर पर लपेट उन्हे कस देती है. वो अपने चेहरे से रिशु के हाथ हटा उन्हे अपने मुम्मो पर रखते हुए बोलती है.
“मेरे मुम्मे पकड़ो……..हाए…….मेरे मुम्मे मस्ल मसल कर चोदो मुझे|” कहते हुए प्रतिमा फिर से रिशु के होंठो को अपने होंठो में दबोच लेती है.
रिशु अपनी मम्मी के मुम्मो को हाथों में समेटता अपनी कमर उछालनी शुरू कर देता है. मुम्मो को दबाते दबाते वो कुछ ज़्यादा ही जोश में आ जाता है और खींच खींच कर ज़ोरदार धक्के मारने शुरू कर देता है.
“आआईईईईईईई………आाईईईईए……..धीरे……धीरे………उउफफफफफ्फ़…..” प्रतिमा अकस्मात के ज़ोरदार हमले को झेल नही पाती और हर धक्के पर चीखती है. मगर रिशु प्रतिमा के चीखने चिल्लाने की कोई परवाह नही करता और अपने धक्के जारी रखता है बलकि और भी ज़ोर से अपनी माँ की चूत में लंड पेलने लगता है.
“उउउक्चकचह……….ऊउक्ककचह…..रूको……धीरे….बेटाआआ….. हायययययईई…..” प्रतिमा चिल्लाती हुई अपनी टाँगे रिशु की कमर से नीचे उसकी जाँघो पर कस्ती चली जाती है. रिशु की स्पीड कम होती होती खुद बा खुद रुक जाती है. प्रतिमा ने अपनी जांघें कस कर उसकी जाँघो पर जैसे लॉक लगा दिया था.
और वो अपनी कमर पीछे नही खींच सकता था, इसलिए धक्का भी नही मार सकता था. रिशु ज़ोर लगाकर अपनी कमर पीछे को खींचने की कोशिश करता है मगर उसके हाथ निराशा ही लगती है. अपनी माँ की जाँघो की ताक़त देखकर वो आश्च्र्यचकित हो गया था.
“हाययइईई…….हाअयययययईए……….” प्रतिमा अभी भी सिसक रही थी. “क्या कर रहा है?…..क्यों इतनी ज़ोर ज़ोर से ठोक रहा है……उउफफ़फ़गगग……जान निकाल कर रख दी मेरी……. बेटा अभी मेरी चूत तुम्हारे मोटे लंड के लिए इतनी ज़्यादा नही खुली है…..तुम इतने ज़ोर ज़ोर से पेलोगे तो जानते हो मेरा क्या हाल होगा…..”
प्रतिमा रिशु को झिड़कती है जो अभी भी चाहता था कि उसकी मम्मी अपनी जांघें ढीली छोड़ दे ताकि वो खुल कर उसकी चूत चोद सके. “हाए मम्मी कितना मज़ा आ रहा था…..प्लीज़ मम्मी करने दीजिए ना… ज़ोर ज़ोर से” रिशु मिन्नत के अंदाज़ में बोलता है.
प्रतिमा बेटे की बात के ज्वाब में अपनी एक उंगली जो उसकी गांड में थी बाहर निकाल कर उसमे अपना अंगूठा दबाती है. अंगूठा अंदर नही जा पाता क्योंकि उंगली से काफ़ी मोटा था. प्रतिमा खूब ज़ोर से अंगूठे को अंदर को धकेलती है तो धीरे धीरे गांड का छल्ला चोडा करता उसका अंगूठा उसके बेटे की गांड में घुसता चला जाता है.
“मम्म्मममममी…. यू..उ…मम्म…ऊऊउ…म्म्म्ममी…..निकालो….निकालो…..प्लीज़ मम्मय्यययी……उउउफफफफफ्फ़…..बहुत दर्द हो रहा है….” रिशु का बदन झटके खा रहा था. मगर प्रतिमा कुछ पलों तक अंगूठे को उसकी गांड में डाले रखती है.
रिशु अपनी कमर ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था ताकि वो अंगूठा उसकी गांड से निकल सके मगर प्रतिमा पूरी ताक़त से उसकी जाँघो को अपनी जाँघो में कस कर उसे रोके हुए थी. आख़िरकार प्रतिमा उसकी गांड से अपना अंगूठा बाहर निकाल लेती है|
“उउफफफफफफ्फ़……ऊओह गॉड!” रिशु चैन की गहरी साँस लेता है. “आप मेरी मम्मी नही मेरी दुश्मन हो, कोई अपने बेटे को इस तरह से तकलीफ़ देता है क्या?” रिशु रुआंसे स्वर में बोला.
“अब पता चला कितनी तकलीफ़ होती है जब कुछ अंदर घुसता है तो? …….. मम्मी कितना मज़ा आ रहा था तेज़ तेज़ करने में…. अब मालूम चला ……. अरे तुझसे यह अंगूठा बर्दाश्त नही हुआ और तूने मेरी चूत में पूरा मूसल घुसेड़ा हुआ है…..” प्रतिमा बेटे से नाराज़गी जाहिर करती है. वो अपनी टाँगे ढीली छोड़ देती है. मगर रिशु उसे चोदना शुरू नही करता. बल्कि उसका तो मुँह लटका हुआ था. नज़र झुकी हुई थी. चेहरे पर शर्मिंदगी थी.
प्रतिमा बेटे के चेहरे को अपने हाथों में थाम लेती है और उसके होंठो पर प्यार के कई मीठे और कोमल चुंबन अंकित करती है.
“जानते हो तुम्हारा लौड़ा कितना लंबा मोटा है… खास कर तुम्हारे पिता की तुलना में…… और मेरी इस चूत में तुम्हारे पिता के अलावा और किसी का लौड़ा नही घुसा, इसलिए अब जब तुम इतना लंबा मोटा मेरी नाज़ुक सी चूत में घुसाओगे तो मुझे तकलीफ़ होगी ना और उपर से तुम ताबड़तोड़ धक्के मारने चालू कर देते हो”. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
प्रतिमा बेटे को समझाने के अंदाज़ में बोल रही थी और रिशु समझ भी रहा था, मगर बेचारा करता भी तो क्या| प्रतिमा की जालिम ज्वानी तो बड़े बड़ों के होश उड़ा सकती थी तो उसका बेटा कैसे बच सकता था. बहरहाल बेटे के चेहरे पर पछतावे और शर्मिंदगी के भाव देख प्रतिमा को उस पर बेहद प्यार आता है. वो फिर से उसके कोमल होंठो पर कई चुंबन अंकित करती है.
“मेरे लाल मैं तेरे पास हूँ……. बस एक बार मेरी टाइट चूत को थोडा सा खुल जाने दे फिर चाहे पूरी रात अपनी मम्मी पर चढ़े रहना और जैसा तेरा दिल में आए मेरी चूत मारना ………. ” प्रतिमा की बात पर रिशु हल्का सा सर हिलाकर सहमति प्रकट करता है. वो तो इतने से ही खुश था कि उसे अपनी मम्मी चोदने को मिल रही थी.
“तो चलो अब शुरू हो जायो….. लेकिन आराम आराम से…… बिल्कुल प्यार प्यार से……. मैं चाहती हूँ तू खूब लंबे समय तक मेरी चुदाई करे……. आआअहह……… और….. और ऐसा तभी होगा….. जब तू धीरे धीरे छोड़ेगा….. ऊऊहह………. हाए तू नही जानता कितने दिनों से तरस रही हूँ चुदवाने के लिए……….. आआहह………… आज जाकर तूने जो मेरी चुदाई की तो कुछ राहत मिली है नही तो मेरी चूत तो भट्टी की तरह जल रही थी………. उउफफफ़फ़गग बस ऐसे ही………”
प्रतिमा फिर से अपनी टाँगे रिशु की कमर पर लपेट कस देती है और उसका हाथ फिर से रिशु की गांड पर पहुँच जाता है. उसकी उंगली जल्द ही फिर से रिशु की गांड के अंदर घुस जाती है. वो जानती थी कि इससे रिशु की सनसनी और भी बढ़ेगी और उसे और भी अधिक मज़ा आएगा.
प्रतिमा का सोचना बिल्कुल सही था, उंगली गांड में घुसते ही रिशु के मुँह से ‘आअहह’ करके एक तीखी सिसकी निकलती है और वो अपनी मम्मी के मुम्मो को कस कस कर मसलने लगता है.
“बस ऐसे ही………. ऐसे ही बेटा…… आआहह….. आराम आराम से……… आराम आराम से चोद मेरे लाल अपनी मम्मी को …….. हाए तेरी मम्मी की चूत………….. आहह……….. उउउफफफफ़फ्ग…….. बहुत नाज़ुक है……. और……. और तेरा लंड बहुत मोटा है…….. उफफफफफफफफ्फ़…… सच में बहुत मोटा है तेरा…… देख कैसे फँस रहा है……… देख कैसे तेरी मम्मी की चूत रगड़ रहा है……. “
रिशु जितना खुद पर कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था, प्रतिमा की भड़कायु बातें उसकी कामौत्तेजना को उतना ही बढ़ा देती थी. वो काई बार अपनी कमर को पीछे खींचता ताकि कस कर अपनी माँ की सिल्क सी मुलायम चूत में अपना लंड पेल सके मगर फिर वो किसी तरह खुद को काबू में करता.
प्रतिमा भी यही चाहती थी. वो सॉफ तौर पर बेटे के चेहरे पर देख सकती थी कि खुद को काबू में रखना उसके लिए कितना मुश्किल था मगर वो जानती थी अगर वो इस परीक्षा में सफल हो गया और खुद को काबू में रखना सिख गया तो किसी भी औरत को चुदाई में संपूर्णतया शान्त करना उसके लिए बेहद आसान हो जाएगा.
उसे इतनी पीड़ा नही हो रही थी जितना वो नाटक कर रही थी. शायद इसलिए कि उसकी चूत बेहद्द गीली थी और रिशु का लंड आराम से फिसल रहा था. मगर फिर भी जब रिशु स्पीड से धक्के लगाने लगता था तो उसे बेहद्द पीड़ा होती थी.
“मज़ा आ रहा है बेटा ……… अपनी मम्मी को चोदने में मज़ा आ रहा है ना मेरे लाल”.
“आ रहा है मम्मी…….. हाए बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी……… उफफफफफ़फ्ग कितनी नरम है आपकी……… कितनी मुलायम……… हाए बिल्कुल मक्खन की तरह….. और कितनी टाइट है आपकी मम्मी……… सच में बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी” रिशु उत्तेजना में सिसक सिसक कर बोलता है. प्रतिमा बेटे के मुँह से अपनी चूत की तारीफ सुन कर खुश हो जाती है.
“आआहह…… आराम से….. तेज़ नही…….. आराम से……… उउफफफफफफ्फ़………… हाए मुझे नही मालूम मेरी चूत इतनी टाइट है…….. उउउन्न्नज्ग्घह………. मुझे तो लगता है तेरा लौड़ा ही इतना मोटा है कि मेरी चूत को पूरा भर दिया है…. “
“नही मम्मी आपकी चूत…… आपकी चूत सच में बहुत टाइट है……”
“हाए तो मज़े ले ले अपनी मम्मी की टाइट चूत के…….. लूट ले मज़े……… उउफफफफफफ्फ़………. अराम से कम्बखत…….. मुझे अभी देर तक चुदवाना है……. आआआहह धीरे धीरे चोद मेरे लाल अपनी मम्मी को ……… जितना देर तक चोद सकता है चोद… ऐसे ही मेरे मुम्मे मसल मसल कर चोद मुझे…… ऐसे ही पेलता रह अपना लौड़ा मेरी चूत में……. तेरा लौड़ा सच में बहुत मज़ा दे रहा है……. उउफफफफफफ्फ़……. हाए तूने मुझे पहले क्यों नही चोदा मेरे लाल”.
प्रतिमा बेटे की गांड में उंगली पेलती अपनी गांड हल्के हल्के उछाल कर बेटे के लंड को चूत में ले रही थी. उस रात माँ-बेटे ने चुदाई में वो आनंद हासिल किया जो ज़िंदगी भर उन्हे नही मिला था. प्रतिमा रिशु को पूरी तरह अपने काबू में रखते हुए उससे चुद्वाती रही. पुरे दो घंटे……..
पुरे दो घंटे रिशु अपनी माँ के उपर चढ़ा उसकी चूत में अपना लंड पेलता रहा. इस बीच प्रतिमा तीन बार और झढ़ चुकी थी……… मगर उसने रिशु को ना झड़ने दिया…….. जब भी वो स्खलन के करीब पहुँचता, प्रतिमा चुदाई को रोक देती और दोनो एक दूसरे को चूमने चूसने लगते. अंत उसे अपने बेटे पर रहम आया जो झड़ने के लिए बहुत बैचेन हो रहा था, कामौन्माद से उसका अंग अंग कांप रहा था.
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प्रतिमा ने आख़िर दो घंटे की चुदाई के बाद जब रिशु झड़ने के करीब आया. उसने उसे रोका नही….. उसने उसे तब भी नही रोका जब रिशु की स्पीड बढ़ने लगी……… तब भी नही जब वो पूरा पूरा लंड बाहर निकाल कर वापस उसकी चूत में ठोक रहा था…. तब भी नही जब वो झड़ते हुए उसके मुम्मो को मुँह में भर चूस्ते हुए उसके निप्पलों को काट रहा था…… हालांकि रिशु के झड़ने के पुरे समय वो खुद उन्माद में शोर मचा रही थी, चीख रही थी.
मगर रिशु ने खुद को इस हद तक और इतने समय तक रोके रखा था कि उसे उस समय बिल्कुल भी होश नही था कि वो कितनी बेरहमी से अपनी मम्मी की ठोकते हुए उसकी बुरी गत बना रहा था. माँ-बेटे उस आनंद में डूबे इतने थक चुके थे, दोनो इतने पस्त हो चुके थे कि झड़ने के फ़ौरन बाद ही दोनो को नींद आ गयी थी. दोनो पूरी दुनिया से बेख़बर एक दूसरे की बाहों में समाए किसी और ही दुनिया में विचर रहे थे.
AMAN says
This is the best sex story I have ever read between a mom and a son.
If possible I want to some chat with the character….