Office Girl Fingering
मेरा नाम आकृति है। मैं पुणे में जॉब करती हूं। मेरी जॉब शिफ्ट अलग अलग टाइम की होती है। कई बार मुझे रात की शिफ्ट में भी काम करना पड़ता है लेकिन कंपनी ने मेरी शिफ्ट टाइमिंग को देखते हुए मेरे लिए कैब का इंतज़ाम भी करवा रखा है। इसलिए रात में जब भी मेरी शिफ्ट लगती है तो मैं कंपनी की कैब से ही घर आती हूं। Office Girl Fingering
यहां पर ग्रुप सोसायटी है जिसमें जगह-जगह ऊंची बिल्डिंग के फ्लैट्स बने हुए हैं। ये शहर रात के वक्त भी जगता हुआ दिखाई देता है इसलिए यहां पर मेरे घर वालों को भी मेरी जॉब से कोई प्रॉब्लम नहीं है। मेरे लिए शादी के कई रिश्ते आ चुके हैं लेकिन अभी मैं अपने करियर में और ऊंचाई तक पहुंचना चाहती हूं इसलिए शादी के लिए मना कर देती हूं।
साथ ही मुझे एक हैंडसम लड़के की तलाश है जिसका लंड भी काफी तगड़ा हो। लेकिन मेरी ये ख्वाहिश अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। क्योंकि मेरे पहले ब्यॉयफ्रेंड का लंड तो काफी मोटा था लेकिन वो देखने में कुछ खास नहीं था। इसलिए मैंने अपने दोस्तों को भी उसके बारे में नहीं बताया था कि मैं किसी के लंड के नीचे से निकल चुकी हूं।
क्योंकि अच्छा हैंडसम ब्यॉयफ्रेंड हो तो उसके साथ बाहर मस्ती करने का मज़ा ही अलग होता है। इसलिए मैंने पहले ब्यॉयफ्रेंड के बारे में किसी को नहीं बताया था। हां, जब भी मेरी चूत में खुजली होती थी मैं उसको फोन करके दो-चार मीठी बातें करके बुला लेती थी या उसके कमरे पर चली जाती थी।
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लेकिन जल्दी ही मेरा मन उससे भर गया था इसलिए मैंने उसके साथ ब्रेक अप कर लिया था। अब मेरी चूत काफी दिनों से प्यासी ही थी। मन तो करता था कि उसको बुलाकर चूत की प्यास को बुझा लूं लेकिन सोचा कि एक बार बुला लिया तो कई दिन उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाएगा, इसलिए मैं अपनी गरम चूत को अपनी पैनी उंगलियों से ही शांत कर लेती थी।
लेकिन चूत मेरे इस बहकावे में ज्यादा दिन रह नहीं पाई। उसको तो लंड ही चाहिए था इसलिए अगले ही दिन फिर से मुंह फुलाकर खड़ी हो जाती थी। मेरी फिगर के बारे में तो मैं बताना भूल ही गई। मेरी गांड तो ज्यादा लंबी चौड़ी नहीं है लेकिन मेरे दूध काफी मोटे हैं जिनको मैं अपने टॉप के अंदर बड़ी ही मुश्किल से संभाल पाती हूं।
टॉप के ऊपर से उनकी दरार की गहरी खाई अच्छे-अच्छों को लार टपकाने पर मजबूर कर देती है। लेकिन अभी तक मुझे ऐसा कोई दमदार लंड नहीं मिला था जिसको मैं हमेशा के लिए अपना बनाने के बारे में सोच सकूं। वैसे भी अरेंज मैरिज में ये तो करना संभव नहीं था क्योंकि अरेंज मैरिज में लड़के की शक्ल तो देखी जा सकती है लेकिन उसका सामान देखने के लिए बहुत ही पापड़ बेलने पड़ते हैं.
इसलिए मैंने अपने घरवालों को कह रखा था कि मैं शादी करूंगी तो लव मैरिज ही करूंगी। हाई सोसायटी की वजह से मेरे घरवालों को भी मेरे इस फैसले से कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन पता नहीं रिश्तेदारों के दिमाग में क्या भूसा भरा होता है मुझे ये आज तक समझ नहीं आया।
वो आए दिन मेरे लिए कोई न कोई रिश्ता लेकर आ जाते थे और मेरा जवाब सुनकर फिर अपना सा मुंह लेकर वापस चले जाते थे। मैं रोज़ की इस चिक-चिक बाज़ी से परेशान होकर घरवालों को कई बार समझा चुकी थी कि अभी मुझे शादी की कोई जल्दी नहीं है। पहले मुझे अपने करियर पर फोकस करना है।
लेकिन घरवालों को भी जैसे मेरे साथ मत्था मारने में मज़ा आता था। खैर, ये तो रोज़ की ही कहानी थी लेकिन इसके साथ ही मेरी चूत भी मुझे परेशान करती रहती थी। कुछ दिन पहले की ही बात है कि मेरी नाइट शिफ्ट लग गई और ऑफिस टाइम शाम के 6 बजे से रात के 2 बजे तक का हो गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पहले दिन जब मैं घर जाने लगी तो कैब ड्राइवर को देखकर मेरी चूत ने अपना मुंह खोलकर एक आह… दे दी। वैसे तो कैब वाले मुझे पसंद नहीं आते थे लेकिन उस बंदे में कुछ अलग ही बात थी। देखने में हट्टा-कट्टा और तगड़ा था। लेकिन मैं अपनी तरफ से कोई इस तरह की पहल नहीं करना चाहती थी जिससे कि उसको शक हो जाए कि मैं उसकी तरफ आकर्षित हो रही हूं।
इसलिए मैं चुपचाप उसको पीछे वाली सीट पर बैठकर फोन में लगी रहती थी। एक दिन की बात है जब मैं घर जा रही थी कैब वाले के फोन पर कॉल आती है। उसने जब बात करना शुरु किया तो पता चला कि कोई गांव का बंदा है और पुणे में अपने दोस्तों के साथ रूम लेकर रह रहा है। उसकी बोली भी ठेठ गांव जैसी थी।
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मैंने सोचा कि शरीर से तो ये काफी रसीला है ही और हो सकता है कि इसका लंड भी काफी दमदार हो। क्योंकि गांव वालों के लंड के बारे में कई कहानियां पढ़ी थीं जिनको पढ़ने के बाद मेरी चूत भी किसी गांव वाले के लंड का स्वाद चखना चाहती थी। इसलिए ना चाहते हुए भी मैंने उससे धीरे-धीरे बहाने से बात-चीत शुरु कर दी।
उसका नाम विक्रम था। वो हरियाणा के एक जिले से यहां पर कैब ड्राइविंग की जॉब के लिए आया था और पुणे में अपने दो दोस्तों के साथ रूम पर रहता था। मैंने सोचा कि अगर रूम पर गई तो तीनों को खुश करना पड़ेगा और अगर कोई हरामी निकला तो क्या पता मेरी वीडियो बनाकर किसी साइट पर डाल दे।
अब मैंने उसको अपनी मीठी-मीठी बातों के जाल में फंसाने का काम शुरु कर दिया। उसके साथ कई बार रात को आइस क्रीम खाने चली जाती तो कभी चाय पीने। धीरे-धीरे मैंने नोटिस किया किया कि वो भी मेरे दूधों का को नज़र चुराकर देख जाता था इसलिए उसकी कमजोरी मेरे हाथ लग गई थी। एक दिन की बात है जब मैंने जान बूझकर बहुत छोटा टॉप पहना जिसमें से लगभग मेरे आधे दूध बाहर ही झांक रहे थे। उस दिन मैंने विक्रम को कहा-
“चलो, आज आइसक्रीम खाने चलते हैं”.
“ठीक है आकृति मैडम, लेकिन मैं अपना पर्स आज रूम पर ही भूल आया हूं”.
“मैंने तुमसे कभी पैसे मांगे हैं क्या, तुम चलो तो सही, पैसे मैं दे दूंगी”.
हम सड़क से गुजर रहे थे रास्ते में एक आइसक्रीम वाले को देखा तो गाड़ी साइड में लगाकर विक्रम आइसक्रीम लेने चला गया। मैं उतर कर अगली सीट पर आकर बैठ गई और अपने केंधे पर डाला हुआ स्टॉल भी उतारकर पीछे की सीट पर फेंक दिया। और सीट को पीछे झुकाते हुए आराम से लेट गई। पांच मिनट बाद जब विक्रम ने गाड़ी का दरवाजा खोलकर अंदर झांका तो उसकी नज़र सीधी मेरे टॉप से बाहर निकलने के उतावले हो रहे दूधों पर जाकर रुक गई। मैंने हँसते हुए पूछा-
“बाहर ही खड़े होकर चाटोगे क्या..?”
“क्या..?”
उसके सवाल में सेक्स साफ झलक रहा था।
“आइसक्रीम, और क्या..”
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वो हल्के से मुस्कुराते हुए अंदर आकर बैठा और एक आइसक्रीम मेरे हाथ में थमा दी। मैं आइसक्रीम को जीभ निकालकर चाटने लगी जैसे किसी लंड को चाट रही हूं। मेरी ये हरकत वो देख रहा था। मैंने भी जान बूझकर आइसक्रीम को अपने दूधों पर गिरा लिया, और बोली-
“ओह..शिट..विक्रम, देखो ना मेरी सारी आइसक्रीम गिर गई”.
“मैं अभी साफ कर देता हूं.. मैडम”.
कहकर उसने रुमाल निकाला और मेरी दूधों पर से आइसक्रीम को पोंछने लगा, पोंछते उसके हाथ धीरे-धीरे मेरे दूधों को दबाने लगे और मैं भी उसके हाथों की पकड़ के मज़े लेने लगी। मैंने अपना सीधा हाथ उसकी जांघ पर फेरना शुरु कर दिया और टटोलते हुए उसके खड़े हो चुके लंड को पकड़ लिया।
उसके लंड पर मेरा हाथ जाते ही उसने मेरे टॉप से मेरे दूधों को आज़ाद करवा दिया और उनको बाहर निकालकर दबाते हुए चूसने लगा। मेरे मुंह से कामुक सिसकियां निकलना शुरु हो गईं। “आआआअह्हह्हह… ईईईईईईई… ओह्ह्ह्… आहहहहहह… म्म्म्म्म्म्….” करती हुई मैं उसके लंड को सहलाने लगी और उसकी जिप को खोलकर अंदर से उसके लंड को बाहर निकाल लिया और उसके लंड को हाथ में लेकर उसकी मुट्ठ मारने लगी।
उसके शरीर की तरह ही काफी मोटा तगड़ा लंड था उसका। मैंने उसके होठों को चूसना शुरु कर दिया और उसके लंड को भी सहलाना जारी रखा। अब उसने मेरी गर्दन नीचे ले जाकर मेरे होंठ अपने लंड पर रखवा दिए और मैं उसके लंड को आइक्रीम की तरह चाटने और चूसने लगी। बहुत दिनों के बाद लंड मिला था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं भी पूरे जोश में उसके लंड को चूसने लगी। उसके मुंह से कामुक सिसकियां निकलने लगीं। “ हूँउउउ… हूँउउउ… हूँउउउ… ऊ… ऊँ… ऊँ… सी… सी… सी… सी… हा हा ह ओ हो ह……” करता हुआ वो भी मेरे मुंह में लंड को पेलने लगा। अब उससे कंट्रोल नहीं हुआ.
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और उसने मेरी वाली सीट पर मुझे लिटाकर मेरी पजामी को नीचे खींचा और मेरे होठों को चूसते हुए सीधे अपना लंड मेरी चूत में सेट करने लगा। मैंने भी उसको बाहों में भर लिया और लंड को अपनी चूत पर सेट करवा कर उसके होठों को फिर से चूसने लगी। उसने बिना देर किए मेरी चूत में लंड को पेल दिया। क्या दमदार लंड था विक्रम का। मज़ा आ गया अंदर जाते ही। मैं कुछ ही पल में जन्नत की सैर करने लगी। वो मेरे दूधों को मसलता हुआ मेरी चूत को चोदने लगा। दोनों के मुंह से कामुक सिसकियां निकल रही थीं।
“उई… उई… उई… माँ… ओह्ह्ह्ह माँ… अहह्ह्ह्हह…” “विक्रम चोदो मुझे और तेज़, मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी थी। आइ लव यू विक्रम..” कहते हुए मैं उसके जोश को बढ़ा रही थी। मेरी हर सिसकी के साथ उसकी स्पीड भी बढ़ रही थी। 15-20 मिनट तक उसने मेरी चूत को गाड़ी की सीट पर खूब रगड़ा और एकाएक उसकी स्पीड कम होने लगी। उसके मोटे लंड ने मेरी चूत में सिकुड़ना शुरु कर दिया। जब सेक्स की आग बुझ गई तो वापस उठकर फटाक से कपड़े ऊपर किए और उसने मुझे घर पर ड्रॉप कर दिया।