Kamuk Aurat Ki Story
मेरा नाम सविता है और मेरी उम्र अब ४३ साल है. मेरे २ बच्चे है और अब अलग-अलग शहरो मे अपनी-अपनी नौकरी मे बिजी है. मेरी जिन्दगी शादी के बाद से काफी अच्छी है; मेरे पति मुझे बहुत ही प्यार करते है और बिस्तर मे तो, उनका कोई सानी नहीं है. वो बहुत ही सेक्सी और मदहोश है और उनका लंड पुरे दिन और रात खड़ा ही रहता है. Kamuk Aurat Ki Story
मै उनको हमेशा पूछती थी, कि आप ऑफिस मे कैसे करते हो? और वो मजाक मे बोलते थे, कि ऑफिस की लड़कियों के नाम पर बाथरूम मे मुठ मार लेता हु; और जोर-जोर से हसने लगते थे और मैं उनसे बनावटी गुस्सा करने लगती थी. सब कुछ बढ़िया चल रहा था.
लेकिन जैसे कि परिवर्तन दुनिया का नियम, तो इसी तरह मेरी जिन्दगी मे भी कुछ बदलाव आया, जिसने मेरी जिन्दगी मे काफी कुछ बदल दिया. मेरे पति एक बैंक मे काम करते थे और उनका तबादला दुसरे शहर मे हो गया था और मेरे बच्चे भी दुसरे शहर मे रहते थे.
किसी कारण से, मुझे अपनी शहर में ही रुकना पड़ा और मेरे पति काफी-काफी समय मे आते थे. उस समय मेरी उम्र करीब ३७ साल की होगी और मेरे पति के साथ मेरी सेक्स लाइफ बहुत ही अच्छी थी और उनके जाने के बाद, मुझे रात को बिस्तर पर नीद नहीं आती थी.
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मेरी चूत एक लंड के लिए लिए तड़पती रहती थी, मै पति के साथ फ़ोन रोती थी, लेकिन उनकी भी मज़बूरी थी. हम दोनों अपनी-अपनी सेक्स की हवस को खत्म करने के लिए वेबकैम सेक्स भी किया, फ़ोन सेक्स भी किया; लेकिन शरीर की जरुरत को नहीं मिटा पाए.
हम दोनों ही किसी बाहरी आदमी के साथ, अपने नए सेक्स सम्बन्ध नहीं शुरू कर करना चाहते थे, लेकिन हम दोनों की ही नियत लड़के और लड़कियों पर ख़राब होने लगी. लेकिन, हम दोनों ने ही, ये एकदुसरे पर जाहिर नहीं होने दिया. मैने अपने घर मे, एक कमरा एक लड़के को किराये पर दिया हुआ था.
मेरा घर काफी बड़ा था और घर की सुरक्षा भी हो जाती थी. वो लड़का कोई २४ साल होगा और उसका नाम कृष्णा था, वो किसी बाहर जाने के लिए कोई कोर्स कर रहा था. काफी अच्छा और सुंदर लड़का था, लेकिन थोडा शर्मीला था. मुझे अकेला घर काटता था, तो मैने ही उससे थोड़ी बहुत बातचीत शुरू कर दी.
और धीरे-धीरे वो मुझे से खुलने लगा और हम दोनों की बातचीत होने लगी. पहले तो मेरे मन मे कोई पाप नहीं था; लेकिन बात मे मुझे कुछ शरारत शुझने लगी और मैने कृष्णा पर डोरे डालने शुरू कर दिये. शुरू मे तो कृष्णा, कुछ नहीं समझता था या समझना नहीं चाहता था.
तब मुझे लगता था, कि कृष्णा को सेक्स और संभोग मे कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन एक दिन मैने रात को उसे खिड़की मे से से ब्लूफिल्म देखते हुए पकड़ा; वो नंगा होकर बैठा था और उसका काला और बड़ा लंड उसके हाथो मे था और मस्ती मे हस्थ्मथुन कर रहा था और सिसकिया भर रहा था.
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उस समय तो, मैने उसको कुछ नहीं बोला; लेकिन बातो ही बातो मे, उसे एक बार बोल दिया; उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी और उसने कुछ नहीं बोला. कुछ देर बाद, वो उठा और अपने कमरे मे चले गया और कुछ दिन तक, मैने उसे कोई ब्लूफिल्म देखते हुए नहीं देखा. लेकिन, कुत्ते की पूछ कभी सीधी नहीं होती.
कृष्णा को मालूम था, कि मुझे दोपहर मे सोने के आदत है. रविवार वाले दिन, मै सो गयी और रवि ने अपने कमरे को बंद कर लिया और पूरा नंगा हो कर ब्लूफिल्म देखने लगा. मुझे सोते-सोते पेशाब की हुड़क लगी, तो मै संडास मे पेशाब करने गयी. मेरे घर मे संडास का रास्ता कृष्णा के कमरे के बराबर मे से जाता था.
जब मै, वहा से निकली तो मुझे, कृष्णा की सिसकिया और ब्लूफिल्म मै चुदने की आवाज़े आने लगी. मै फिर समझ गयी, कि कृष्णा मूड है और आज मेरा काम बन सकता है. मेरे पास, अपने हर दरवाजे की डुप्लीकेट चाबी होती है और मैने उस चाबी से बड़े ही सलीके से और बिना आवाज़ के दरवाजा खोला और झट से अंदर घुस गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कृष्णा का हाथ अपने लंड पर था और वो अपना मुठ मार रहा था; जैसे ही उसने मुझे देखा तो वो सकपका गया. मै उस समय, सिर्फ सोने वाले कपड़ो मे थी और मैने ब्रा-पेंटी भी नहीं पहनी थी. मैने अंदर जाते ही, कृष्णा का लंड पकड़ लिया और उसको झटके मारने लगी.
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उसका लंड बहुत ही गरम था और मेरे मुह से सिसकी निकल गयी. कृष्णा कुर्सी पर बैठा था, मैने अपनी टाँगे कुर्सी के दोनों तरफ डाली और कृष्णा के लंड पर बैठ गयी. इस तरह से बैठने की वजह से मेरी ड्रेस ऊपर खीच गयी, मेरी टाँगे नंगी और गये और मेरी चूत बिलकुल उसके लंड के ऊपर थी.
मैने एक ही झटके मे, कृष्णा का मुह पकड़ लिया और उसको चूमने लगी. मेरी साँसे गरम हो चुकी थी और चूत रिसने लगी थी. कृष्णा, बेचारा कुछ नहीं बोल पा रहा था और मै उसका रेप करने पर तुली हुई थी. कृष्णा का लंड, मेरी चूत पर बार-बार मस्ती में टक्कर मार रहा था और अंदर जाने को बेताब था.
आज मुझ से भी नहीं रुका जा रहा था, क्योकि काफी महीनो बाद, मेरी चूत का लंड से मिलाप हुआ था. मैने ज्यादा वक़्त बर्बाद ना करते हुए, अपने हाथ से कृष्णा का लंड अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और मेरे मुह से मस्ती भरी सिसकिया निकलने लगी आआआ… ऊऊऊऊऊओ… ओओओह्ह्ह्हह… बस… आह…
और पूरा कमरा मेरी और कृष्णा की कामुक आवाजो से गूंजने लगा. फिर, मैने एक ही झटके में कृष्णा के लंड पर कृष्णा चूत को घुसा दिया और कृष्णा के कंधो को पकड़ लिया. और जोर-जोर से उसके लंड पर खुदने लगी. हर धक्के के साथ, मेरी कराहने की आवाज़ तेज होती जा रही थी.
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और कृष्णा का लंड भी मेरी चूत मे फस चुका था और कृष्णा के मुह से भी जोर से आवाज़ निकलने लगी. कुछ उस तेज कामुक धक्को की वजह से और कुछ लंड को काफी महीनो के बाद लेने की वजह से, मै झड़ गयी और मेरा सारा जूस कृष्णा के लंड पर फैल गया. अब कृष्णा भी हल्का होना चाहता था और उसने मेरी गांड को कसकर पकड़ लिया और मुझे जोर-जोर से ऊपर नीचे करने लगा ऊऊऊओ… एस… आआआ… और उसकी गांड भी कुर्सी उछालने लगी.
और कुछ ही मिनटों बाद, मैने अपनी चूत के अंदर एक गरम पानी की पिचकारी को महसूस किया. कृष्णा झड़ गया और उसका लंड मेरी चूत मे ही छोटा सा हो गया. कृष्णा के चहरे पर थकान लग रही थी और वो कुर्सी से गिरने लगा. मैने कृष्णा को संभाला और फिर हम दोनों ही जोर से हंस पड़े. उस दिन, मै कृष्णा के कमरे मे ही रही और मैने कृष्णा को ४-५ चोदा और अपनी चूत की कई महीनो की प्यास को बुझाया. फिर, तो कृष्णा के वापस जाने तक, कृष्णा ने मुझे हर रात को चोदा और मेरी बदन को मस्ती मे रौंदा.
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