Husband Wife Sex Kahani
मैं नीलू २२ साल की हूँ और दो साल से शादी शुदा हूँ. मैंने इकोनॉमिक्स में बी.ए. किया है और बड़ौदा की एक प्रख्यात बैंक में नौकरी करती हूँ. यदि आप को “गंदे” लफ़्ज़ पसंद न हो तो कृपया यहीं से ही रुक जाईये आगे पढ़िए मत. क्यों की मैंने ऐसे “गंदे” शब्दों जैसे की भोस बुर चूत लंड योनि वगैरह भरपूर इस्तेमाल किये है इस कहानी में. Husband Wife Sex Kahani
क्या करूँ कहानी का विषय ही ऐसा है तो. सच बताऊँ तो ये “गंदे” शब्द लग्न जीवन में मसाला का काम करते है. मैं और मेरे पति चुदाई वक्त बहुत गन्दी बातें करते है; इन से चुदाई का मजा और बढ़ जाता है. आप भी ट्राई कीजियेगा. एक सवाल आप मुझ से पूछेंगे: मेरे जैसी पढ़ी लिखी कम उम्र की शादी शुदा लड़की ऐसा “डर्टी” कैसे लिख सकती है उसे शर्म नहीं आयी?
तो जनाब जवाब है ना नहीं आई शर्म. क्यों आये जिंदगी के साथ घनिष्ठता से जुड़ी हुई और अत्यंत आनंदजनक क्रिया के बारे में लिखते हुए शर्म कैसी, टांगे पसारे लम्बा लंड लिए चुदवाने में कहाँ शर्म आती है. कौन सी पत्नी अपने पति से ऐसे चुदवाती नहीं है, कौन सा प्रेमी अपनी प्रेमिका को ऐसे चोदता नहीं है. हाँ एक बात पक्की है आज से एक साल पहले मुझे बहुत शर्म आती ये कहानी लिखने में.
शादी से पहले और शादी के बाद करीबन एक साल तक मैं खूब शर्मीली रही. इनसे सुहाग रात में मेरे पति को जो मुसीबत का सामना करना पड़ा इस की कहानी फिर कभी लिखूंगी. हौले हौले मेरे पति ने मेरी शर्म तोड़ मुझे बेशर्म बना रखा है. मेरी योनि की झिल्ली तोड़ने में उन्हें एक घंटा लगा लेकिन हया का पर्दा तोड़ने में एक साल लगा.
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पहले आप को परिचय करवा दूँ. सबसे पहले मैं माता पिता की अकेली संतान हूँ. पिताजी गवर्नमेंट सर्वेंट थे हर थोड़े साल उन की बदली अलग अलग स्थानों पर होती रही. मेरी शादी के छः महीने आगे ही वो रिटायर हुए और बड़ौदा में रहने लगे. मैं तेरह साल की थी जब पिताजी ने मुझे एक रेजिडेंशियल स्कूल में भर्ती किया. उधर मैं चार साल रही. आखिर 12वी की परीक्षा दे कर निकली तब मैं सत्रह साल की हो गयी थी.
उन दिनों की ये कहानी है. मेरे पिताजी की एक बड़ी बहन है हमारी सविता फूफी. फूफा है मन भाई. वो लोग काफी धनवान है. बरोदा से 40 किमी दूर उन का 200 एकड का बड़ा फार्म है. रहने के वास्ते बड़ा दो मंजिल का मकान है. उन के आलावा वर्कर्स भी अपनी फॅमिली भी फार्म में रहते है.
फार्म के एक कोने में छोटा सा तालाब है. किसानी के साधन उपरांत अच्छी किसम की दस एक गायें और दो घोड़े भी है. फूफी के दो लड़के है. बड़े राजू भैया ने बी.ए. किया है और फूफा को फार्म की देखभाल में मदद करते है. उन की शादी चार साल से सिमा भाभी से हुई है लेकिन अब तक संतान हुआ नहीं है.
मेरे तरह सिमा भी बी.ए. है. फूफी के छोटे लड़के है रवि मेरे कलेजे के टुकड़े, मेरे हया के हार, मेरे प्यारे प्यारे पति. रवि 25 बरस के है. मेडिकल कॉलेज के अंतिम ईयर में पढ़ते है. ऊंचाई 5’ 8” वजन 70kg पतला बदन. रंग सांवला. चहेरा मोहक थोड़ा सा टाइगर श्राफ जैसा. बाल काला और घुंघराले. चौड़ा सीना और मस्कुलर हाथ पाँव.
ये सब तो ठीक है. उन का सब से महत्त्व का अंग है… उन का वो. समझ गए न आप? उन का शिश्न (पेनिस गुप्त अंग लौड़ा). उन का कहना है की सोये हुए पेनिस को लौड़ा कहते हैं और वो चोदते वक्त खड़ा हो जाये तब उसे लंड कहते हैं. रवि का लौड़ा 6” लम्बा और डेढ़ इंच मोटा है.
रबड़ की नाली के टुकड़े जैसा नरम है पेट पर पड़ा हुआ वो सोया हुआ निर्दोष बच्चा जैसा दिखता है. लौड़े का मत्था चिकना है और टोपी से ढका रहता है हालांकि टोपी आसानी से खींची जा सकती है. रवि कहते हैं की लौड़े का एक मात्र काम है: पिसाब करना. उठे हुए लंड की रंगत कुछ और है.
एक तो ये की वो बढ़ कर 7” लम्बा और ढाई इंच मोटा हो जाता है. खून की नसें भर आती है. मत्थे का रंग नीला सा हो जाता है. डंडी अकड़ कर लकड़ी जैसी कड़ी हो जाती है. बिना पकड़े अपने आप वो टॉप जैसा खड़ा रहता है. थोड़ी थोड़ी देर में वो ठुमका लगता है तब वो ज्यादा मोटा और ज्यादा कड़ा हो जाता है.
मैं लंड हाथ में ले कर हिला सकती हूँ लेकिन बोल नहीं सकती. रवि के लंड को छूते ही मेरी भोस गीली होने लगती है. लंड का सब से मोटा हिस्सा है उस का मत्था. मत्थे के निचे टोपी चिपकी हुई है जिसे फ़्रेनुम कहते हैं. फ़्रेनुम सब से सेंसिटिव पॉइंट है. कई बार ऐसा हुआ है की रवि झड़ नहीं पाते थे तब मैं मत्था मुंह में लिए फ़्रेनुम पर जीभ फिरती हूँ और रवि तुरंत पिचकारी छोड़ देतें है.
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लंड की डंडी थोड़ी सी ऊपर की और टेढ़ी है कमान जैसी और मूल के पास 3” मोटी है. इस से होता क्या है की जब रवि मुझे आगे से चोदते हैं तब लंड का मत्था चूत की अगली दीवार से घिस पता है और जी-स्पॉट को उत्तेजित करता है. जब वो पीछे से चोदते है (डोगी स्टाइल) तब मत्था योनि की पिछली दीवाल से रगड़ता है.
जब वो पूरा लंड योनि में ठूस देते है तब लंड के मूल का मोटा हिस्सा योनि के मुंह में घुस के मुंह को ज्यादा चौड़ा करता है. चूत का मुंह चौड़ा होते ही क्लाइटोरिस निचे खिंच आती है और लंड के साथ घिस पाती है. इन सब का एक ही नतीजा आता है मुझे चुदाई में बहुत मजा आता है मैं बहुत एक्साइट हो जाती हूँ और जल्दी से झड़ जाती हूँ.
रवि कहते हैं की चूत (वजाइना) की गहराई 4 से 5 इंच होती है. तो सवाल ये उठता है की आठ इंच लम्बा लंड कैसे अंदर घुस सकता है. रवि का कहना है की चूत इलास्टिक है इसलिए जब लंड अंदर घुसता है तब वो लम्बी होती है और गर्भाशय अन्दर धकेल दिया जाता है. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
लंड बहार निकलते ही चूत छोटी हो जाती है और गर्भाशय फिर नीचे आ जाता है. हर धक्के के वक्त लंड का मत्था गर्भाशय के मुंह के साथ टकराता है. फटा फट चोदते वक्त लंड के धक्के से जो गर्भाशय हिलता है इससे लड़की को खूब आनंद आता है और ओर्गास्म हो जाता है. रवि और मैं एक दूजे को खूब प्यार करते हैं.
ऐसा होने पर भी चुदाई के बारे में हम ओपन-माइंडेड हैं हालांकि अब तक उन्होंने मेरे सिवा और किसी को चोदा नहीं है और न मैंने उन के आलावा किसी और से चुदवाया है. लग्न बाद रवि ने मुझे हर रात चोदा है कम से कम एक बार तो सही (मासिक के तीन दिन सिवाय).
खास प्रसंग पर (दीवाली होली जन्मदिन शरद पूनम इत्यादि) एक से ज्यादा बार चुदाई होती है दो बार तीन बार. हाईएस्ट स्कोर पांच बार का है. वो शरद पूनम की रात थी. खुले आकाश के निचे हम छत पर सोये थे. पहली चुदाई यूँ ही फटा फट हो चुकी लेकिन रवि उतरे नहीं. पिचकारी छोड़ने के बाद भी लंड नरम नहीं पड़ा.
मैंने चूत सिकोड़ कर लंड दबाया तो रवि ने हौले हौले धक्के मारने शुरू कर दिए. दूसरी चुदाई लम्बी चली. दोनों एक साथ झड़े लंड नरम पड़ने लगा और रवि उतरे. उतरने के बाद उन्होंने मुझे छोड़ा नहीं. मुझे लिपटे रहे किश करते रहे और निप्पल्स मसलते रहे. एक के बाद एक कर के मेरे सब कपडे उतार दिए और खुद भी नंगा हो गए.
खुली चांदनी में एक दूजे के नंगे बदन का स्पर्श होते ही हम एक्साइट हो गए. मैंने पांव पसारा तो वो बीच में आ गए. लंड ने खुद चूत का रास्ता ढूंढ लिया और तीसरी चुदाई हो चली. एक बार फिर हम साथ झड़े और सो गए. एक आध घंटे की नींद के बाद में जब जगी तब रवि की उंगलियां मेरी चूत में आ जा रही थी.
मैंने लंड टटोला तो उसे चोदने के लिए तैयार पाया. मैं चार पाँव हो गयी और रवि पीछे से चढ़े. मेरे नितम्ब पकड़ कर उन्होंने जोर से मुझे चोदा. जब वो झड़े तब लंड निकाले बिना मुझे उल्टा लेता दिया. मेरी चूत में ओर्गास्म के फटाके होते थे और लंड भी खड़ा था. दो पांच मिनिट बाद पांचवी चढ़ाई शुरू हुई जो दस मिनट तक चली. आखिर थक कर हम सो गए तो सुबह सात बजे जगे.
मेरे जिस्म के बारे में मैं क्या बताऊँ मेरे पति ही मेरा परिचय देना चाहते है. उन के शब्दों में. मैं नीलू को बचपन से जानता हूँ. मैंने उसे दूध पीती बच्ची देखा है. कभी कभी मामी उस की नैपी बदलती थी तब उस की छोटी सी भोस मुझे दिख जाती थी. उस वक्त मेरे दिमाग में सेक्स का कोई ख्याल आया नहीं था.
किस को खबर थी की एक दिन उस भोस को चोदने का सौभाग्य मुझे प्राप्त होगा नीलू को कच्ची कली में से खिल कर सुगंधीदार पुष्प बनते मैंने देखा है. ऐसा होने पर भी सुहागरात में जब मैंने उस के कपडे उतरे तो मुझे लगा की मैं कोई स्वप्न देख रहा हूँ वो इतनी सुन्दर होगी ये मैंने सोचा तक नहीं था.
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नीलू 5’ 2” लम्बी है. वजन 45 किलो फिगर: 33-26-36. बड़ी बड़ी काली आँखों वाला चेहरा गोल है. मेकअप किये बिना ही गुलाबी रंग के चिकने गाल है किस करने को दिल लुभाये ऐसे. मुंह का ऊपरी होंठ पतला और नीचे वाला भरपूर लाल कलर का. किश करते वक्त होठ चूसने का जो मजा आता है. हाथ और पाँव सुडोल चिकने और नाजुक.
कबूतर की जोड़ी जैसे दो स्तन सीने के ऊपरी हिस्से पर लगे हुए हैं. सम्पूर्ण गोल स्तन के मध्य में एक इंच की अरोला है और अरोला के बीच किशमिश के दाने जैसी कोमल कोमल निप्पल है. अरोला जरा सी उभरी हुई है. अरोला और निप्पल बादामी रंग के हैं. चोदते वक्त दोनों लाल रंग के और कड़े हो जाते हैं और सारा स्तन भारी और कठोर बन जाता है.
नीलू की निप्पल्स बहुत सेंसिटिव है जब मैं मुंह में लिए निप्पल्स चूसता हूँ तब नीलू जल्दी से झड़ जाती है. पेट बिल्कुल सपाट है. पतली कमर के निचे दो भरी चौड़े नितम्ब (हिप्स, चूतड़, थापा, कूल्हे) है. जांघें मोटी गोल और चिकनी है. दो जाँघों के बीच नीलू का सबसे रसिक अंग है: उस की भोस.
मेडिकल कॉलेज में मैंने कितनी भी देखी है लेकिन कोई इतनी खूबसूरत नहीं देखी. जब नीलू जाँघे सता कर पाँव लम्बे कर के लेटती है तब उस की भोस उलटा हुआ टीके जैसी दिखती है. भोंस काफी ऊपर उठी हुई है और काले घुंघराले झांटों से ढकी हुई है नीलू काट कर झांट छोटे रखती है. भोंस की दरार का एक इंच ही दिखाई देता है और कुछ नहीं.
जांघें फैला कर पाँव उठाने से भोस अच्छी तरह से देखी जा सकती है. बड़े होठ भरावदार है और एक दूजे से सटे होने से अंदर का हिस्सा ढका रहता है. होठ के बीच की दरार तीन इंच लम्बी है बडे होठ उंगलिओं से आसानी से खोले जा सकते है. तब भोस का अंदर का गुलाबी कलर का हिस्सा दिखाई देता है.
छोटे होठ पतले और नाजुक है. वो जहाँ मिलते हैं वहां नीलू की 1” लम्बी क्लाइटोरिस है. क्लाइटोरिस का मत्था छोटे से लंड के मत्थे बराबर दिखता है. क्लाइटोरिस के पीछे पिसाब की सुराख़ है और इस के पीछे योनि का मुंह. ये हुई बात जब नीलू शांत हो तब की. जब वो चुदवाने के लिए एक्साइट हो जाती है तब उस की भोस बदल जाती है.
सारी भोस सूज जाती है. छोटे होठ जामुनी कलर के हो जाते है और बड़े होठों के बिच से बाहर निकल आते हैं. क्लाइटोरिस लंड के माफिक टाइट और मोटी हो जाती है. उस का मत्था चेरी जैसा दिखता है और टेस्ट में भी वैसा ही लगता है. योनि गीली हो कर लप्प लप्प करने लगती है.
क्लाइटोरिस के नजदीक पिसाब का सुराख़ है और इस के पीछे छूट का मुंह. दो साल से में हर रोज नीलू को चोदता आया हूँ लेकिन उसकी चूत अभी भी कुंवारी जैसी ही है. आज भी मुझे लंड पेलते वक्त सावधानी रखनी होती है. जब लंड अंदर जाता है तब चूत का सिकुड़ा हुआ मुंह लंड की टोपी खिसका देता है.
अंदर जाने के बाद चूत के स्नायुओं लंड को जकड़ लेते हैं. बाहर निकालते वक्त लंड की टोपी फिर मत्थे पर चढ़ जाती है. इसीलिए चुदाई की शुरुआत में मुझे हौले हौले धक्के लगाने पड़ते हैं. 15-20 हलके धक्के खाने के बाद चूत जरा नरम होती है और लंड आसानी से आ जा सकता है. उस के बाद ही मैं नीलू को गहरे और तेज धक्के से चोद सकता हूँ.
झड़ने से पहले लप्प लप्प कर के चूत लंड को चूसती है और जब नीलू झड़ती है तब उस की चूत लंड को इतना जोर से जकड़ लेती है की मानो मुठ मार रही हो. आप ये कहानी पढ़ ने के बाद तय कीजियेगा की चुदाई में ज्यादा लुफ्त कौन लेता है मैं या नीलू.
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देखा आपने रवि मेरे बारे में क्या सोचतें हैं, सच बताऊँ तो जब मैं झड़ती हूँ तब मुझे कोई होश नहीं रहता. बस आनंद आनंद और आनंद का अनुभव ही करती हूँ. मेरी चूत क्या करती है क्लाइटोरिस क्या करती है या लंड क्या करता है मैं कुछ नहीं जानती. खैर आगे की कहानी पढ़िए.
तेरह साल की उम्र तक मेरे मन में सेक्स का कोई ख्याल तक आया नहीं था बाद में मैं चार साल रेजिडेंशियल स्कूल में गयी. वहां सेक्स के बारे में सोचने का समय ही न मिला. ऐसा भी नहीं है की मैंने सेक्स देखा नहीं था. छोटे बच्चों की नुन्नी मैंने देखी थी वो भी कभी कभी टाइट हुई सी.
मेरे दिमाग पर कोई असर पड़ा नहीं था. असली चुदाई देखने का एक मौका मिला था मुझे. वो प्रसंग अभी भी याद है मुझे. मैं ग्यारह साल की थी. सीने पर छोटे छोटे निम्बू जैसी चूचियां उभर आयी थी और काख में बाल उगे थे. मैं और दूसरी दो लड़कियां स्कूल जा रही थी. हमारी स्कूल गाँव के बाहर थी रास्ते में कई खेत आते थे. गर्मी के दिन थे.
एकाएक रास्ते में एक गधी भागी आ रही थी. उस के पीछे गधा पड़ा था. दो फुट लम्बा काला और मोटा लंड गधे के पेट नीचे झूल रहा था. अचानक गधी रुक गयी और पेशाब करने लगी. गधे ने आ के अपना मुंह गधी की भोस में डाल कर पेशाब नाक पर लिया. तुरंत उस का लंड ज्यादा तन गया और पेट से टकराने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पिसाब कर के जैसे गधी खड़ी हुई की गधा एक छलांग मार ऊपर चढ़ गया. एक धक्के में उस का आधा लंड गधी की चूत में घुस गया. मैं तो देखती ही रह गयी कौतूहल से. थोड़ी देर रुकने के बाद धक्का दे कर गधा गधी को चोदने लगा देखते देखते में उस का सारा लंड गधी की चूत में घुस गया.
ये सब मेरे वास्ते नया नया था. मुझे डर भी लगा की गधी अब मर जाएगी. मैं पूरा खेल देखती लेकिन मेरी सहेली मेरी बांह पकड़ कर खिंच के ले चली और बोली “ऐसा हमें देखना नहीं चाहिए.” बाद में मैंने सहेली से पूछा की वो क्या करते थे. वो बोली “पगली तुझे पता नहीं है.” “नहीं तो मैंने तो ऐसा पहली बार देखा” मैंने कहा.
सहेली शर्म से लाल लाल हो गयी मेरे कान में मुंह डाल के बोली “गधा गधी को चोद रहा था.” तब मैंने जाना की चुदाई क्या होती है. “लेकिन क्यों चोद रहा था.” “चोदने से गधी को बच्चा पैदा होता है.” मेरे कच्चे दिमाग में ये बातें उतर न सकी. सेक्स का कोई भाव भी नहीं हुआ. चार साल बाद मैं जब फूफी के फार्म पर आयी तब माहौल बदल गया था.
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एक तो मेरा बदन पूरा खिल गया था खास तौर पर मेरे स्तन. जहाँ मैं जाऊं लोगों की नजर मेरे स्तन पर लगी रहती थी. भोस पर काले काले झांट निकल आये थे. क्लाइटोरिस क्या और कहाँ है वो मैं जानती थी और हॉस्टल की लड़कियों से हस्त-मैथुन भी सीखी थी. कम नसीब से मेरी रूम पार्टनर बहुत पुराने विचार की थी इसी लिए हस्तमैथुन का मौका मिलता नहीं था. (डर ये था की यदि वो अथॉरिटीज को बता दे तो मुझे तुरंत स्कूल में से निकल दिया जाये; ऐसे दो तीन किस्से बने थे).
दूसरे अब मुझे सेक्स की फीलिंग होने लगी थी. सिनेमा के हीरो हीरोइन के सेक्सी सीन देखकर में उत्तेजित होने लगी थी. ऐसे दृश्य देखने से मेरी भोस गीली गीली हो जाती थी और हस्तमैथुन का दिल हो जाता था. मौका मिलने पर क्लाइटोरिस रगड़ कर हस्त मैथुन कर भी लेती थी. मेरा पति कैसा होगा और मेरे साथ क्या क्या करेगा वो मैं सोचने लगी थी. मेरी क्यूरोसिटी का जवाब दे सके ऐसा कोई मेरे निकट नहीं था इसलिए मैं सेक्स से सजग तो हुई लेकिन अनजान भी रही. फूफी के फार्म में क्या हुआ वो में अगले पार्ट में लिखूंगी.
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