होली में सेक्सी जिस्म
हेल्लो दोस्तों, मैं प्रतिमा फिर से हाज़िर हूँ अपनी कहानी का अगला भाग लेकर. आपने मेरी कहानी पति के दोस्त ने नाजायज़ फायदा उठाया 1 में आपने पढ़ा होगा की. कैसे मेरे पति का दोस्त मेरे घर होली खेलने आ गया जब मैं घर पर अकेली थी. उसी का फायदा उठा कर उसने बाथरूम में मेरे जिस्म के मजे लिए, अब आगे.. होली में सेक्सी जिस्म
मैंने टॉवल उठाया अपने बदन को पोंछ गीले कपड़े निकाल दिए. बाथरूम के अंदर पहनने के कोई कपड़े थे नहीं तो मेरे मम्मो से लेकर जांघो तक मैं टॉवल लपेट कर ही बाहर आयी.
विनय की इन हरकतों की वजह से मेरे हाथ पैर अभी भी कांप रहे थे, और मेरे शरीर पर मैं उसके स्पर्श महसूस कर पा रही थी, ख़ास तौर से जब उसने मेरे मम्मो पर साबुन मला था. मैं जैसे ही टॉवेल लपेट बाहर आयी सामने थोड़ी दूर विनय खड़ा हो कुछ खा रहा था. हम दोनों की नज़रे मिली और वो मुस्कराने लगा.
विनय: “अरे तुमने तो आज होली खेली ही नहीं, देखो कोई रंग ही नहीं लगा.”
वो मेरी तरफ बढ़ता उससे पहले ही मैं चीखते हुए बैडरूम की तरफ भागी और वो मेरे पीछे. मैं बैडरूम का दरवाजा पूरा बंद करती उसके पहले ही वो दरवाजे पर आ गया और बंद नहीं करने दिया.
मैं: “कपड़े पहनने दो, फिर रंग लगा देना, अभी दरवाजा बंद करने दो. जाओ.”
विनय: “पिछली होली पर भी यही बोलकर कमरे में बंद हो गयी थी. कपड़े बदलने हैं तो मेरे सामने बदलो और फिर होली खेलो.”
वो दरवाजे पर धक्का लगाते हुए अंदर आ गया. मैं मुड़ी और अंदर भागी और उसने पीछे से आकर मुझे पकड़ लिया और बिस्तर पर धक्का दे उल्टा लेटा दिया और खुद पीछे से मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गया. मैं अपने टॉवल को कस कर पकड़े लेटी रही.
वो मेरे बालो को हटा मेरे कानो के पीछे और गर्दन और कंधे पर चूमने लगा. मेरे शरीर में मीठी सी गुदगुदी होने लगी और मैं सब सहती रही. इतनी देर की मस्तियो से उसने कही ना कही मुझे कमजोर कर दिया था.
कई बार हम विनय के साथ पिकनिक पर भी गए हैं और उसके साथ मेरा मजाक मस्ती काफी चलता था पर इतना ज्यादा होगा ये नहीं सोचा था. हर साल होली पर रंग लगाते वक़्त ऐसी मस्ती करता था पर आज वो अकेला था तो उसने हद कर दी थी, मेरे कपड़े तक खोल दिए थे और अंदर हाथ डाल दिया था.
मैं कई बार बिकिनी में उसकी पत्नी सीमा और विनय के साथ स्विमिंग पूल में तैर चुकी हूँ. मेरे प्रति उसकी ऐसी भावनाये होगी मुझे कभी लगा नहीं था. फिलहाल वो टॉवल के ऊपर से ही मेरी गांड पर अपने लंड को रगड़ रहा था.
थोड़ी देर में वो मेरे ऊपर से उठा और मुझे सीधा लेटा दिया. फिर मेरे टॉवल के ऊपर के हिस्से में सीने पर चूमने लगा. मैंने टॉवल को और कस के पकड़ लिया. उसको मैं लगातार मना कर हल्का प्रतिरोध कर रही थी. “होली में सेक्सी जिस्म”
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मैं: “तुम्हे पता भी हैं तुम क्या कर रहे हो? बासुकी को पता चलेगा तो क्या होगा पता हैं?”
विनय: “ठीक हैं उसी से पूछ लेते हैं.”
ये कह कर उसने अपना मोबाइल निकाला और स्पीकर पर रख फोन मिलाने लगा. उसने बासुकी को ही फ़ोन मिलाया था.
बासुकी (फ़ोन पर): “अबे विनय मैं तेरे घर पर होली खेलने आया हूँ, तू कहा हैं?”
विनय: “मैं तेरे नए घर पर हूँ. गहना होली खेलने से मना कर रही हैं. उसको जरा बोल मुझे मेरे हिसाब से होली खेलने दे, मना ना करे.”
बासुकी (फ़ोन पर):”अच्छा फ़ोन दो उसे.”
विनय ने फ़ोन मेरे हाथ में थमा दिया.
मैं: “हां, हेल्लो..”
विनय ने मेरे टॉवल को खींचना शुरू कर दिया. मैं एक हाथ से फ़ोन पकड़े और दूसरे से टॉवल पकड़े रखने का प्रयास कर रही थी. जब कि विनय दोनों हाथों से मेरा टॉवल निकाल रहा था.
मैं: “आउच, छोड़ो, ये विनय को समझाओ, ये मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा हैं.”
विनय दूर से ही जोर से चिल्लाने लगा “ये मुझे रंगने नहीं दे रही.”
बासुकी (फ़ोन पर): “तुम्हे पता हैं, वो जबरदस्ती होली खेलाए बिना नहीं छोड़ेगा, तुम बाद में वापिस नहा लेना, उसको जल्दी होली खेला कर यहाँ भेज दो, मैं इंतज़ार कर रहा हूँ.” “होली में सेक्सी जिस्म”
विनय ने मेरा पूरा टॉवल खिंच कर मुझे नंगी कर दिया. मैं पूरी नंगी हो गयी थी और उसने मेरी दोनों टाँगे दबा के रखी थी. मैं एक हाथ से फ़ोन और दूसरे से अपना सीना ढके हुई थी और शरम से सिकुड़ती जा रही थी. मैंने बासुकी से फ़ोन पर मदद मांगी.
मैं: “तुम समझ नहीं रहे हो. ये कुछ ज्यादा ही कर रहा हैं. हमेशा के लिए मेरे दामन पर दाग लग जायेगा.”
बासुकी (फ़ोन पर): “तुमने वो नयी साड़ी पहन ली क्या! उसको बोलो पहले खोलने दे.”
मैं: “कपड़े तो सब खोल ही चूका हैं.”
बासुकी (फ़ोन पर): “फिर क्या टेंशन हैं. होली हैं, थोड़ी मस्ती चलती हैं. तुम फ़ोन दो उसको.”
मैंने फ़ोन विनय की तरफ बढ़ाया पर उसने अपने हाथों से मेरे पाँव पकड़ रखे थे, तो उसने फ़ोन ना लेकर मुंह आगे फ़ोन के पास बढ़ा कर बात करने लगा.
विनय: “सीमा घर पर हैं ना, होली खेल ली?”
बासुकी (फोन पर): “नहीं वो तेरी छोटी बच्ची को बाहर छोड़ने गयी हैं, उसके सामने सीमा को रंग रगड़ता तो वो बच्ची डर जाती इसलिए वो बाहर छोड़ने गयी हैं.” “होली में सेक्सी जिस्म”
विनय: “हां ठीक किया, पिछली बार रगड़ा था वैसे रगड़ने वाला हैं तो बच्ची डर जाएगी.”
बासुकी (फ़ोन पर): “चल सीमा आ गयी हैं, तूने खेलना शुरू किया?”
विनय: “बस शुरू करने ही वाला हूँ”
मैंने फ़ोन अपने मुँह के पास खिंचा, मेरा एक हाथ अभी भी मेरे सीने पर मम्मो को ढके हुआ था. इस बीच विनय ने अपनी जेब से एक कंडोम निकाल कर अपने कपड़े नीचे किये और अपने लंड को पहना दिया.
मैं आश्चर्यचकित रह गयी कि होली के दिन वो कंडॉम लेकर क्यों घूम रहा हैं, या विनय पहले ही सोच कर आया था कि आज वो मुझे चोदने वाला हैं. वो सचमुच पूरी तैयारी के साथ ही आया था.
मैं: “तुम्हे पता हैं, तुम्हारा दोस्त क्या करने वाला हैं?”
बासुकी (फ़ोन पर): “अरे क्या हुआ? होली हैं, उसको रंग लगाने दो. एक मिनट होल्ड करो.”
फ़ोन पर पीछे से फुसफुसाहट हो रही थी और सीमा की खिलखिलाहट सुनाई दे रही थी. विनय ने मेरे पाँव चौड़े किये और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया. उसको जो चाहिए था वो ले चूका था, अब मेरे विरोध से कोई फायदा नहीं था. मैं फ़ोन पकड़े छत की तरफ शुन्य में निहार रही थी. “होली में सेक्सी जिस्म”
बासुकी (फ़ोन पर): “अच्छा गहना अभी तुम ज्यादा मत सोचो, होली के मजे लो, मैं होली खेल कर आता हूँ. जरा विनय को फोन दो.”
विनय ने अब मुझे धक्के मार चोदना शुरु कर दिया था. मैंने फ़ोन विनय को पकड़ा दिया.
विनय: “हां बोल!”
बासुकी (फ़ोन पर): “ज्यादा परेशान मत करना उसको, प्रोटेक्शन का ध्यान रखना.”
विनय: “चिंता मत कर, वो मान गयी हैं, फ़ोन रख.”
फिर विनय ने फ़ोन काट दिया और फिर अपने धक्को की गति बढ़ा दी.
उनकी बातें सुनकर मैं सन्न रह गयी, क्या बासुकी को पहले से ही पता था. कही ये इन दोनों के बीच कुछ डील तो नहीं हैं कि होली के दिन एक दूसरे की बीवी के मजे लेंगे. ये इन दोनों दोस्तों की मिलीभगत हैं. हालांकि बासुकी कोड लैंग्वेज में बात कर रहा था पर उसकी बातो का मतलब मैं समझ सकती थी.
मुझे शायद खुलकर बासुकी को विनय की करतूत बता देनी चाहिए थी, पर मुझे उस वक़्त बिना कपड़ो के इतनी शर्म आ रही थी कि मैंने सोचा बासुकी मेरी इतनी सी बात सुनकर वैसे ही विनय को रोक देगा. मगर वो तो उसका और भी साथ दे रहा था.
विनय ने इतनी देर होली खेलते और नहलाते मुझे तैयार कर ही दिया था सिर्फ बासुकी का डर था, वो भी इजाजत मिल ही गयी थी. मजे लेने का हक़ क्या सिर्फ पतियों को ही हैं, वो वहा सीमा के मजे ले रहा हैं तो मैं भी ले सकती हूँ. “होली में सेक्सी जिस्म”
मैंने अपना हाथ अपने सीने से हटा उसको अपने मम्मे दिखा दिए, ये मेरी सहमति थी. विनय ने अपनी टीशर्ट निकाल दी थी और अब आगे झूक कर मेरे मम्मो को चूसने लगा. थोड़ी देर चूसने के बाद मुझ पर पूरा लेट गया. उसके वजन से मेरे मम्मे दब गए और उसने मुझे चोदना जारी रखा.
मैं: “तुम जो मेरे साथ कर रहे हो, बासुकी भी सीमा के साथ कर रहा होगा तो?”
विनय: “मेरे हिसाब से तो उन्होंने पिछली होली पर भी किया था.”
मैं: “तुमने फिर बासुकी को कुछ नहीं बोला?”
विनय: “मैं घर पंहुचा तब तक तो वो लोग कर चुके थे.”
मैं: “तो तुम्हे कैसे पता चला?”
विनय: “बाथरूम अंदर से बंद था. बहुत देर तक नहीं खोला बस आवाजे आ रही थी. तुम्हारी तरह सीमा बचाने के लिए आवाज नहीं लगा रही थी. सिसकियाँ भर रही थी.” “होली में सेक्सी जिस्म”
मैं: “तो तुमने उनको बाहर आने के बाद पूछा नहीं!”
विनय: “बासुकी बोला कि वो सीमा को पानी में गीला कर रहा था. शायद बाथरूम के पानी से नहीं उसके लंड के पानी से गीला किया था.”
मैं: “और सीमा ने क्या कहा?”
विनय: “वो तो टब में पूरी रंगी पड़ी थी. पूरा मुँह रंग से काला हो गया था. सच में मुँह काला करा लिया था उसने. मेरे पास कोई सबूत तो था नहीं तो इल्जाम कैसे लगाता.”
मैं: “सच सच बताओ बासुकी ने ही तुम्हे यहाँ भेजा न मुझे चोदने के लिए?”
विनय: “मुझे तो सीमा ने कहा कि बासुकी ने फ़ोन करके मुझे यहाँ बुलाया हैं. वो यहाँ नहीं था. मैं समझ गया सीमा की चाल हैं. एक विकल्प था उन दोनों को घर जाकर रंगे हाथों पकडू लू, दूसरी तरफ तुम थी. जब से तुम्हे बिकिनी में देखा था तब से ही नज़रे थी, मैंने तुम पर ट्राय मारा. उधर बासुकी मेरी बीवी सीमा को चोद रहा होगा, तो मैंने सोचा मैं उसकी बीवी को चोद दूं.”
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मैं: “तुम तीनो मुझे क्यों फंसा रहे हो?”
विनय: “मैंने तुम्हारे सामने बासुकी को फ़ोन किया, तुम्हारी गुहार के बावजूद उसने खुद ने मुझे इजाजत दी तो मुझे पता चल गया वो उधर क्या कर रहा हैं. अब तुम ज्यादा मत सोचो, मजा नहीं आ रहा क्या?” “होली में सेक्सी जिस्म”
मैं: “इतनी देर नहीं आ रहा था, अब आ रहा हैं.”
विनय: “मैं सीमा को फ़ोन लगाता हूँ और बात नहीं करेंगे, सिर्फ फ़ोन चालू रख छोड़ देंगे. उनको हमारी चुदाई की आवाजे सुना कर जलाते हैं.”
मैं: “इसे कहते हैं बदला, लगाओ फ़ोन.”
विनय ने फ़ोन लगाया, मैंने उससे फ़ोन लेकर चेक किया तो सीमा को ही कॉल जा रही थी. मैंने फ़ोन अपने पास में ही बिस्तर पर रख दिया.
सीमा (फ़ोन पर): “हेलो, क्या हुआ?… हेलो… हेलो… आउच.. अब इसे तो रहने दो, सारे कपड़े मत खोलो.”
उधर से सीमा की कामुक मदहोश आवाजे आने लगी और हमें उनसे तेज आवाज करनी थी.
मैं: “कम ऑन विनय, जोर से चोदो मुझे.”
विनय मेरी तरह आवाज नहीं कर रहा था, पर उसने मेरी आवाज सुनकर और जोश के साथ चोदना शुरू कर दिया. मैंने एक हाथ से उसको उसकी गर्दन के पीछे से पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसकी पीठ झकड़ ली. अपनी टांगे उठा कर उस पर लपेट दी और अब मैं भी चुदने के मजे लेने को तैयार थी.
मैंने आहें जोर जोर से आहें भरना शुरू किया आह्ह, आह्हहह आह्ह ओ विनय, चोद दे मुझे, हां यही पे, हम्म, आउच, ऊहहह आहह्ह्ह आ मेरी चूत भर दे. फिर मैंने महसूस किया फ़ोन से आती आवाज लगभग बंद हो गयी थी. “होली में सेक्सी जिस्म”
जरूर उन्होंने मेरी आवाज सुन ली होगी और अब पछता रहे होंगे. मुझे और जोश आ गया. मैं और भी आवाज कर उन्हें चिढ़ाने लगी. इस बीच मेरा मजे के मारे पानी छूटना शुरू हो गया था.
विनय का कंडोम लगा लंड मेरी चूत के पानी को चीरते हुए अंदर बाहर हो फच्चाक फच्चाक की आवाजे करने लगा. मैं फ़ोन उठा कर अपनी चूत के पास ले गयी और थोड़ी देर चुप हो कर उनको वो आवाजे सुनाने लगी.
मैं अपनों आहें तो रोक नहीं पा रही थी तो फ़ोन फिर नीचे रख दिया और हम दोनों चीखते हुए चुदने के मजे लेते रहे. आह्हहह ओआह्ह आ आ आ आ अम्म आईईईई ईईहीहीहीही ऊहूऊऊऊऊ, उसने चोद चोद कर मेरा काफी सारा पानी निकाल दिया और मेरी नशीली आवाज की सिसकियों से वो खुद ही झड़ गया.
झड़ने के बाद भी वो अपना लंड मेरी चूत में डाले रखे हुए मुझ पर लेटा रहा. उसने फिर इसी तरह लेटे लेटे ही अपना मोबाइल उठाया और मैंने उससे छीन कर अपनी आखरी भड़ास निकालते हुए दूसरी तरफ फ़ोन पर लोगो को सुनाया “क्या मस्त चोदा हैं विनय तुमने”.
पहली बार मेरा ध्यान गया फ़ोन तो म्यूट पर था. मतलब इतनी देर तक चिल्लाने का कोई फायदा ही नहीं हुआ. विनय ने फ़ोन मुझसे छीना और कॉल काट दिया. “होली में सेक्सी जिस्म”
मैं: “ये तुमने म्यूट पर क्यों रखा?”
विनय: “गलती से दब गया होगा. छोड़ो न, अपना काम तो हो गया न.”
मैं: “सिर्फ तुम्हारा ही हुआ हैं, मेरा नहीं.”
उसने मेरे ऊपर से हटते के बाद अपना इस्तेमाल किया हुआ कंडोम निकाला. फिर घुटनो के बल बैठ मेरे चेहरे के पास आ गया.
विनय: “चलो मेरा लंड रगड़ कर तैयार करो, मैं तुम्हारा भी पुरा कर देता हूँ.”
मैं: “फ़ालतू मेहनत मत करवाओ, अब ये खड़ा नहीं होने वाला.”
विनय: “तुम्हे अपने मुँह का जादू पता ही नहीं हैं. तुम्हारा चेहरा देख कर ही लोगो का लंड खड़ा हो जाता हैं, मुँह में लोगी तो मुर्दा लंड भी खड़ा हो जायेगा.”
मैं: “मैं पागल हूँ, इस गंदे लंड को अपने मुँह में लुंगी.”
विनय: “मुँह में लेकर ही तो साफ़ करना हैं. एक बार लेकर देखो स्वाद पसंद ना आये तो निकाल देना.”
वो आगे बढ़कर अपना लंड मेरे मुँह के पास ले आया. वो नरम पड़ा लंड मेरे मुँह में डालता उसके पहले ही मैंने हाथ से पकड़ लिया और अपनी हथेली से रगड़ कर थोड़ा साफ़ कर लिया और हाथ से खिंच रगड़ने लगी. वो एक बार मुँह में डालने की ज़िद करता रहा तो मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले चूसना शुरू किया. “होली में सेक्सी जिस्म”
वो सिसकिया भरते हुए मेरे मुँह को ही चोदने लगा. एक हाथ से वो मेरे मम्मे भी दबा रहा था और फिर उसने हाथ लंबा कर मेरी चूत पर अपनी ऊँगली रगड़ने लगा. उसकी उंगलियों के मेरी चूत पर रगड़ से मुझे नशा चढ़ने लगा.
मैंने अपने पाँव पुरे खोल अपनी गांड को हिला उसकी ऊँगली अपनी चूत में घुसाने की कोशिश की. मेरे मुँह में उसका लंड फिर कड़क हो बड़ा हो गया था, क्यों की वो अब मेरे गले तक चोद रहा था. मैंने उसका लंड अपने मुँह से बाहर निकाला.
मैं: “चलो अब जल्दी से ख़त्म करो मेरा काम…”
वो फिर मेरे ऊपर चढ़ गया, और अपना लंड मेरी चूत में घुसा चोदना चालू कर दिया. मेरा काफी सारा काम तो उसकी पिछली चुदाई और ऊँगली करने से ही हो गया था, तो उसक लंड के अंदर घुस चोदते ही मेरे अंदर का पानी आवाज करने लगा. मैं भरी हुई बैठी थी तो मैं झड़ने को हो आयी.
मैं: “मेरा होने वाला हैं, जोर जोर से चोदो, आहहह आहहह..”
मैं खुद नीचे से अपने शरीर को ऊपर नीचे पटकते हुए झटको का वेग बढ़ा रही थी. कुछ ही क्षणों में चीखते चिल्लाते हुए झड़ गयी उह मम्मी, आईईईई उहुँहुँहुँहुँ ओ मम्मी ओ मम्मी, हां कर लो, कर लो, ऊ आ आ आ, ईशश्श्श्श्स ऊअआ. “होली में सेक्सी जिस्म”
झड़ने के बाद वही बिना हिले डुले शांत पड़ी रही. पर विनय तो पूरा तैयार था दूसरी बार झड़ने को, मैंने उसको अपने ऊपर से गिरा दिया. आधा छूटने से उसको अच्छा नहीं लगा.
विनय: “मेरा भी तो पूरा करने दो.”
मैं: “प्रोटेक्शन किधर हैं? माँ बनाओगे क्या मुझे? जाकर सीमा को माँ बनाना.”
विनय: “खुद को झड़ना था तब प्रोटेक्शन याद नहीं आया.”
मैं: “तुम्हारा एक बार हो चूका हैं ना? मुझे रिस्क नहीं लेना.”
विनय: “मैं पहले झड़ने के बाद ही चला जाता तो? तुम्हारा पूरा किया न मैंने?”
मैं: “रो मत, चलो पीछे से कर लो, आगे रिस्क नहीं ले सकती मैं.”
मैंने अब करवट ली और वो मेरे पीछे आकर लेट गया और मेरे गांड में अपना लंड ठूंस कर चोदना शुरू कर दिया. ज्यादा देर नहीं लगी और उसने अपना पानी मेरी गांड में भरते, आहें भरते हुए दूसरी बार झड़ गया. “होली में सेक्सी जिस्म”
उसने अपने कपड़े पहन लिए और मैंने भी अपना टॉवेल फिर लपेटा. मेरा शरीर अब थोड़ा हल्का महसूस कर रहा था. वो बाहर गया तो मैंने टॉवेल निकाल अपना गाउन पहन लिया. मेरे बैडरूम से बाहर आने पर वो बाथरूम से निकला और मुझसे जाने की इजाजत मांगने लगा.
मैं: “तुमने जान बूझकर तो म्यूट नहीं किया था न मोबाइल?”
विनय: “हम दोनों ने किया वो हमारे बीच. बासुकी को बताने की जरूरत नहीं इस बारे में.”
वो वहा से चला गया और मैं एक पहेली में उलझ गयी. अगर विनय यहाँ पर सीमा के कहने पर गलती से आया था तो वो अपने साथ कंडोम लेकर क्यों आया. अब झूठ कौन बोल रहा हैं ये पता करना मुश्किल था.
हो सकता हैं बासुकी ने सीमा के साथ कुछ किया ही ना हो, विनय ने मुझे झूठ बोलकर अपने जाल में फंसाया हो. मुझे सीमा पर भी शक था, वो विनय के साथ मिली हो सकती हैं. दूसरी बार फ़ोन उसी ने उठाया था, बासुकी की आवाज तो आयी ही नहीं.
पहले भी मैं उसकी हरकते देख चुकी थी और वो मुझसे नंगी नंगी बातें करती थी. पर एक सच तो ये भी था कि मेरी गुहार के बावजूद बासुकी यही कहता रहा कि विनय को मस्ती करने दूँ. शाम को बासुकी घर लौटा और मैंने उससे थोड़ी शंका समाधान करने की कोशिश की. “होली में सेक्सी जिस्म”
मैं: “तुम फ़ोन पर सीमा को रगड़ने की क्या बात कर रहे थे?”
बासुकी: “मुझे कुछ याद नहीं मैंने क्या बोला, वो सीमा ने इस साल भी भांग पिला दी धोखे से.”
मैं: “इस साल भी मतलब, पिछले साल भी…”
बासुकी: “पिछले साल पकोड़े में भांग मिलाई थी, मेरी हालत ख़राब हुई तो वो मुझे बाथरूम में ले गयी ताकि गीला होने से नशा उतर जाए, पर मुझे कुछ ज्यादा याद नहीं. उठा तब टब में था और विनय मुझ पर पानी डाल उठा रहा था.”
मैं :”तो इस साल क्यों खाया भांग का पकोड़ा?”
बासुकी: “मैंने नहीं खाया, सीमा ने मिठाई खिलाई ये बोलकर कि बाजार की हैं, पर उसमे भी भांग थी.”
मैं: “तुम तो विनय को फ़ोन पर मेरे साथ कुछ भी मस्ती करने की छूट दे रहे थे, वो मेरे साथ कितनी जबरदस्ती कर रहा था पता हैं?” “होली में सेक्सी जिस्म”
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बासुकी: “क्या बदतमीजी की बताओ?”
मैं: “मेरे कपड़े फाड़ दिए थे, और नंगी कर दिया था.”
बासुकी: “क्या! अभी फ़ोन लगता हूँ उस हरामी को.”
मैं: “नहीं, कोई जरुरत नहीं झगड़ा करने की.”
बासुकी: “तुम झूठ तो नहीं नहीं बोल रही, बताओ फटे कपड़े.”
मैं: “कपड़े नहीं फाड़े, छीना झपटी में ब्लाउज का हुक टूट गया था. उसने मेरे साथ कुछ कर लिया होता तो?”
बासुकी: “ऐसे कैसे कर लेता, बाप का माल हैं क्या. तुम बताओ क्या किया उसने, मैं उसको देख लूंगा.”
मैं: “मैं उसको कुछ करने थोड़े ही देती, उस दिन हिल स्टेशन पर डीपू को भी नहीं करने दिया था याद हैं?”
बासुकी: “मैं फिर भी उससे बात करूँगा. अगली बार से वो यहाँ नहीं आएगा.”
उस वक्त तो बात आयी गयी हो गयी. कभी कभी मौन ही सबसे अच्छा उपाय होता हैं. मैंने इस होली के दिन को भुला आगे बढ़ने में ही भलाई समझी, हो सकता हैं ऐसा कुछ ना हो जो मैं समझ रही थी.
मगर अब बासुकी पर भरोसा करना मुश्किल होता जा रहा था. मैं इस दुनिया से बाहर आना चाहती थी और अपने जीवन की एक नयी शुरुआत चाहती थी. मैंने शपथ ले ली कि अब मै किसी गैर मर्द के चक्कर में बिलकुल नहीं फँसूँगी. “होली में सेक्सी जिस्म”