Engineering College Sex
मैं मनीषा यादव आपको अपनी चुदाई की कहानी सुना रही हूँ। सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि मैं काफी।सेक्सी हूँ और सिर्फ एक ही चीज में मेरा अटूट विस्वास है। और वो है चुदाई। मेरे बूब्स भी 36 साइज़ के है। क्योंकि मैंने 8 वी से ही कई लड़कों से लगातार चुदवा रही हूँ। या यूँ कहूं कि मुझको जो भी लड़का मिला मैंने उसको जाने नही दिया और चुदवा कर ही मैंने उसे जाने दिया। Engineering College Sex
मेरी इसी चुदासी प्रवृति के कारण कई लड़कों से जो मेरे बॉयफ्रेंड थे। मुझे कई बार मारा पीटा भी। पर दोंस्तों, मैं चुदाई में इतना मजा मिलता है कि मैंने खुद को रोक ही नही पाती हूँ। जैसे ही मुझको कोई मर्द मिलता है मैं उसके लण्ड के बारे में सोचने लग जाती हूँ की कितना बड़ा होगा और वो लड़का बिना झड़े मुझे कितने देर पेल पाएगा।
मेरी इसी बुरी आदत के कारण मेरे सारे बॉयफ्रेंड मुझको छोड़ गए। किसी ने मुझे रंडी कहा, तो किसी ने आवारा कहा। किसी ने मुझे चुदासी कहा तो किसी ने मुझे लण्ड की दासी कहा। पर दोंस्तों, मैंने ज़माने की जरा भी फिक्र नही की। माँ चुदाऐ जमाना। मुझे तो बस किसी लड़के से चुदवाना है। मैं पटना की रहने वाली हूँ।
मैं इंजीनियरिंग से बी टेक का कोर्स कर रही हूँ। यह उन दिनों की बात है जब मैंने नया नया बी टेक् में एडमिशन लिया था। चूकिं मेरा घर पटना के देहात में था इसलिए मेरे घर वालो ने कहा कि मुझे हॉस्टल में रहना चाहिए। वो ही वो जगह थी जहाँ मुझे चुदाई का असली चस्का लगा।
दोंस्तों आप तो जानते ही होंगे की इंजीनियरिंग की पढाई कितनी कठिन होती है। हॉस्टल में हम लड़कियाँ दिन रात पढ़ती थी। रात में जब हमारे सिर में दर्द होने लगता था तो सब लड़कियाँ मिलकर एक कमरे में आ जाती थी। पूरा ग्रुप इकट्ठा हो जाता था। और हम सब सखिया चुदाई की खूब बातें करती थी।
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हर लड़की अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताती थी। वो कैसे उनकी चूत लेता है, कितनी देर लेता है, सब बताती थी। तो इस तरह दोंस्तों, घण्टे दो घण्टे बाद हम सखिया अपने अपने घर चली जाती थी। इस तरह चुदाई के टॉपिक पर बात करके हम सबका मुड फ्रेश हो जाता था और पढाई में खूब मन लगता था।
हर वीकेंड में शनिवार और रविवार के दिन किसी ना किसी लड़की का बॉयफ्रेंड चुपके से हॉस्टल में आ जाता था और वो लड़की खूब चुदाई करती थी। कई बार तो उसकी सहेलिया भी उस बॉयफ्रेंड से चुदवा लेती थी। जब ऐसा कई बार हुआ तो मेरा भी किसी लड़के का लण्ड लेने का मन हुआ। वैसे भी एक साल से मुठ मार रही थी।
एक दिन जब मेरी रूम मेट का बॉयफ्रेंड हॉस्टल सबसे छिप कर आया तो दीक्षा बोली की मै 2 घण्टों के लिए सोनम के कमरे में चली जाऊ। क्योंकि उसको अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाना था। मैं सोनम के कमरे में चली गयी। मेरे हाथ में इलेक्ट्रिकल की मोटी किताब थी। पर दोंस्तों अपनी माँ की कसम खा के कह रही हूँ की मेरा मन बस यही सोच रहा था कि सोनम कैसे कैसे चुदवा रही होगी।
इसी उधेड़ बुन में मैं अपनीं बुर में ऊँगली करने लगे। धीरे धीरे पूरा हाथ ही मैनें अपने भोंसड़े में पेल दिया और मुठ मारने लगी। दोंस्तों, 2 घण्टे बाद दीक्षा का बॉयफ्रेंड उसको पेलकर रात के अंधेरे में हॉस्टल की दिवार फांद गया। दीक्षा मुझको बुलाने आयी।
यार दीक्षा!!! ये तो बड़ी जातती है। तू अकेले अकेले लण्ड खा लेती है। एक बार नही सोचती है कि मनीषा का भी चूदने का मन करता होगा! मैंने उससे नाराज होते हुए कहा।
ठीक है बाबा!!! अगली बार तुझको भीं चुदवा दूंगी! अब तो हँस दे! दीक्षा बोली।
मैं हँस दी। मैनें उसे गले लगा लिया। अगली शनिवार को उसका बॉयफ्रेंड फिर आया तो हम दोनों सखियाँ नँगी होकर लेट गयी। उसके बॉयफ्रेंड शुभम ने बारी बारी से हम दोनों को पेला। 40 50 बार दीक्षा की बुर में लण्ड अंदर बाहर करता फिर मेरे पास आ जाता। फिर मुझे भी 50 60 बार बुर में लण्ड डालकर अंदर बाहर करता फिर दीक्षा के पास चला जाता।
जब दीक्षा चूदने लगती तो मैंने उसकी बुर और गाण्ड चाटने लगती। और जब मैं चुदती तो वो मेरी बुर के पास जहाँ लण्ड अंदर बाहर होता है वहां चाटती और फिर मेरी गाण्ड भी वो चाटती। फिर शुभम सीधा अपने दोनों हाथ करके खड़ा हो जाता। हम दोनों सहेलियाँ बारी बारी से उसका लण्ड चूसती।
अगर दीक्षा जादा देर तक उसका लण्ड चूसती तो मुझे जलन हो जाती। मैं लण्ड खीच कर खुद चूसने लग जाती। और जब मैं काफी देर तक उसका लण्ड पीती रहती तो दीक्षा मुझसे जलने लगे जाती और शुभम का लण्ड खीच कर पीने लगती।
इस तरह हम दोनों सहेलियाँ हॉस्टल में खूब मस्ती करती थी। फिर सिद्दार्थ जब जाने लगता तो हम दोनों के बारी बारी से मुँह चोदता। कुछ हफ्तों बाद क्रिसमस की 4 दिनों की छुट्टियाँ हो गयी। और सारी लड़कियाँ अपने अपने घर चली गयी।
यार मनीषा! ये 4 दिन की छुट्टी पड़ रही है। कई दूसरी लड़की यहाँ होगी नही। अगर तू कहे तो सिद्दार्थ को बुलाऊँ। दोनों ऐश करेंगे! दीक्षा ने कहा।
डन बेबी!! मैंने कहा।
दोंस्तों अब हमारे हॉस्टल में कोई नही था। हम दोनों सखियाँ खुलकर पेलाई कर सकती थी। क्रिसमस के दिन दीक्षा का बॉयफ्रेंड वार्डन की नजरों से छिपते हुए हॉस्टल में आ गया। फिर महाराज जी यानि हमारी मेस वाले भैया जी हम दोनों सखियों को बुलाने आये।
नियम के मुताबिक कोई भी लड़की किसी लड़के को अपने कमरे में नही ला सकती थी। पर नियम आखिर कौन मानता था। महाराज जी!! हमारा खाना यही ले आइये। और आज हम 6 रोटी और चावल खाएंगे! हम् दोनों ने कहा। भैया जी चौक गए की रोज तो हम 2 या 3 रोटी ही खाती है।
पर आज कैसे हम दोनों 6 6 रोटियाँ खा रही है। वो जादा कुछ नही बोले। हमारा खाना ले आये। शुभम को हमसे अपने कमरे के बाथरूम में छुपा दिया था। भैया जी चले गए। हम तीनों ने मस्ती से खाना खाया। रात 10 बजे वार्डन और बाकि सेक्युरिटी गार्ड सब सो गए। और हम तीनो की मस्त चुदाई शुरू हो गयी।
पहले मैं चुदवाऊंगी! दीक्षा ने कहा।
नही, पहले मैं चुदवाऊंगी! मैंने कहा। हम दोनों सखियों में इस बात को लेकर झगड़ा हो गया।
तुम दोनों slut आपस में झगडा मत करो! टॉस कर लो ! शुभम ने कहा।
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मैंने टॉस किया तो दीक्षा जीत गयी। वो लेट गयी। शुभम ने अपना 10 इंच लम्बा लण्ड उसके भोंसड़े में डाल दिया और खचाखच उसको पेलने लगा। मैं दीक्षा के मुँह के ऊपर नँगी बैठ गयी। वो शुभम ने पेलवाती रही और मेरी बुर पीती रही। आह दोंस्तों, बड़ा मजा मिला मुझको।
शुभम ने हम दोनों को slut यानि रंडी कहा था। हमे ये शब्द बहुत अच्छा लगा। आज की रात के लिए हम दोनों शुभम की रण्डियाँ बन गयी थी। दोंस्तों, उस दिन तो हम सहेलिया हँस कर चुदवा रही थी। पर आज सब सीरियस था। आज तो बड़ी गाण्डफाड़ चुदाई दीक्षा की चल रहीं थी।
शुभम काफी हट्टा कट्टा था, सट सट करके बड़ी जोर जोर से धक्के मार रहा था। मैंने अपनी बुर पिलाते देखा की दीक्षा की बुर का भोसड़ा बन गया है। शुभम के लंबे और शक्तिशाली लण्ड ने दीक्षा की बुर को फाड़ के रख दिया था। चूत का चबूतरा बन गया था। वो इतने जोर जोर के धक्के मार रहा था कि दीक्षा आहु आ हहहह हा चिल्ला रही थी।
पर इस दर्द में भी मजा मिल रहा था। मैं अपनीं गाण्ड दीक्षा के मुँह के ऊपर लटका के बैठी थी। शुभम जितना जोर जोर से धक्के मार रहा था दीक्षा को उतना जादा मजा मिल रहा था। वो मेरी बुर और जोर जोर से चाट रही थी। जबकि मैं दीक्षा की चूचियों को सहला रही थी। घण्टे भर दीक्षा की बुर का कमरा बन गया। अब चूदने की बारी मेरी थी।
अब मैं बिस्तर पर दोनों टाँग फैलाकर लेट गयी। दीक्षा मेरे मुँह पर गाण्ड लटकाके बैठ गयी। उसका बॉयफ्रेंड अब मुझको लेने लगा। दोंस्तों जैसा मैंने आपको बताया आज वो दूसरे ही मूड में था। बिलकुल नही हँस रहा था। उसका ध्यान सिर्फ और सिर्फ चुदाई में थी। उसके धक्कों से पूरा बेड हिल रहा था।
उसने मेरे दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिए थे और मुझे गच गच पेले जा रहा था। दोंस्तों, जिस तरह लोग मिर्ची खाते जाते है। वो कड़वी होती है पर फिर भी खाते जाते है और सी सी करते जाते है उसी तरह मैं दीक्षा के फ्रेंड के जोर दार धक्के ले रही थी, मुझे दर्द भीं हो रहा था। पर एक बार भी मैनें उसको रुकने को नही कहा। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।
फक मी!! फक मी शुभम सो हार्ड!! यू आर सो फकिंग गुड़!! मैंने कहा और सी सी करने लगी। अब तो दोंस्तों, उसका हौसला बढ़ गया। वो और जोर जोर के धक्के मारने लगा। वहीं मैं दीक्षा की बुर लगातार चाटे जा रही थी। वो मेरी निपल्स मसल रहीं थी। आधे घण्टे बाद शुभम का माल झड़ने वाला था।
उसका बदन ऐंठ गया। वो कुत्ते की बहुत जल्दी जल्दी मुझको ठोकने लगा। मैं जान गयी की अब वो झड़ने वाला है। फिर वो इतने ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा की लगा की कहीं उसका मेरी बुर फाड़ के मेरे पेट में ना घुस जाए। अअअअ आई आई मैंने खूब जोर जोर से दर्द के कारण चिल्लाने लगी। दीक्षा ने मेरे मुँह पर अपनी बुर टिका दी। मेरा मुँह दब गया। अब मैं चिल्ला नही पा रही थी।
अब मेरी आवाज घुट गयी थी। ये देख शुभम को बड़ा मजा आया। वो और जोर जोर से मुझे चोदने लगा। मैं कुछ मिनटों में असंख्य बार चुद गयी थी। फिर शुभम ने अपना 10 इंची लण्ड मेरे भोंसड़े से निकाल लिया। और जल्दी से मेरे मुँह के पास आ गया। उसने अपना सारा माल मेरे मुँह पर छोड़ दिया।
मैंने सारा माल पी लिया। शुभम अब मेरी चूत में खूब जल्दी जल्दी ऊँगली करने लगा। उसकी ताबड़तोड़ चुदाई से मुझको लग रहा था कि मेरी बुर 10 गुना चौड़ी हो गयी है, इतना पेला था शुभम ने मुझको। उसने अपनी सीधे हाथ की 4 उंगलियाँ मेरे भसोड़े में पेल दी थी। और बड़ी जल्दी जल्दी मथ रहा था। मुझको अपनी मरी हुई नानी याद आ रही थी।
मैंने अपनी बुर की ओर देखा। बुर के दोनों होंठ बिलकुल खुल गए थे और अगल बगल झूल रहे थे। इसी से दोंस्तों आप लोग जान सकते है कि मैं कितना चुद गयी थी उस दिन। अब शुभम ने मुझको छोड़ दिया। अब दोबारा दीक्षा की बारी आ गयी। शुभम ने दीक्षा को कुतिया बना दिया।
दीक्षा के मम्मे और सीना बिस्तर छू रहा था जबकी उसका पिछवाड़ा ऊपर उठा हुआ था। शुभम ने उसको बड़ी जुगाड़ से कुतिया बनाया था। सिर्फ दीक्षा के नर्म नर्म चुत्तड़ पीछे से ऊपर उठे हुए थे। शुभम ने दीक्षा की गाण्ड को कुछ देर तक चाटा और उसमें ऊँगली की। फिर वो उसकी खुश्बु सूंघने लगा।
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फिर दीक्षा की गाण्ड चोदने लगा। मैं पागल के आगे अपना पिछवाड़ा करके बैठ गयी। दीक्षा मेरी बुर पी रही थी और शुभम उसकी गाण्ड ले रहा था। दोंस्तों वाकई कई मायनों में ये एक यादगार और शानदार चुदाई थी। शुभम के मोटे ताजे लण्ड से दीक्षा की गाण्ड ये मोटी हो गयी थी। खूब चौड़ी हो गयी थी। आ ओमा ओ माँ माँ दीक्षा चुदास के मजे ले रही थी और दाँत और मुठी भींचकर चिल्ला रही थी। जी तो कर रहा था कि उसकी एक ऐसी ही न्यूड पेंटिंग बना लूँ।
फिर मैंने अपने स्मार्टफोन से उसकी कई तस्वीरें खिंच ली। जब शुभम को दीक्षा की गाण्ड मारते मारते काफी देर हो गयी तो मैंने चिल्लाने लगी। अब मेरी बारी!! अब चूदने की मेरी बारी!! मैंने चिल्लाई। शुभम ने लण्ड दीक्षा की गाण्ड से निकाल लिया। खूब मोटा दमदार लण्ड था दोंस्तों। लप ने लण्ड निकला और ऊपर उठ गया। बड़ा विचित्र लण्ड था, खट से ऊपर उठ जाता था। जबकि ज्यादातर मर्दों का लण्ड सीधा रहता है। पर शुभम का तो ऊपर उठ जाता था।