Chut Dard
कहानी 5 साल पहले से जब मैं मुंबई में बी. कॉम. कर रही थी हॉस्टल में रहती थी तब. और अपने फ्रेंड्स सर्कल में खूब मस्ती होती थी.ग़लत मत समझो,कोई ज़यादा ग़लत काम नहीं करते थे.पर लॅडीस हॉस्टल में रहते थे तो कुच्छ बुरी आदते आ ही जाती हैं.हमारा फ्रेंड ग्रूप 5 लड़कियों का था. Chut Dard
हम दो रूम में अड्जस्ट कर रहती थी.घूमना और मस्ती करना ,शॉपिंग करना लड़को पर फब्तियाँ कसना और फिर रूम में आकर पिक्चर अच्छी भी और गंदी भी देखते थे.पर हम सभी फ्रेंड्स लड़को के मामले में बहुत अच्छी थी.क़िस्सी का कोई अफेर नहीं था,हम यही सोचते थे की जिससे शादी होगी उसीसे प्यार और सेक्स करेंगे.
मन तो सबका करता था जब हम ब्लू फिल्म्स में लड़को और लड़कियों को नंगे सेक्स करते हुए देखती थी.पर हम लोग एक दूसरे से चिपेट कर अपने होने वाले पतियों के बारे में गंदी बात कर सब्र करते की शादी के बाद ये सब करने को मिलेगा ही. मेरी बेस्ट फ्रेंड और रूम मेट का नाम संगीता था,उसकी उम्र 21 साल थी.
हम दोनो काफ़ी फ्रॅंक थे,ग़लत मत समझना हम दोनो के बीच कोई ग़लत रिस्ता नहीं था.पर हम दोनो जब भी बीएफ देखती तो एक दूसरे को बाहों में भर लेती थी और बातें करती रहती थी. जब भी इंग्लिश. बीएफ देखती उसमे हब्सियों या गोरे गोरे बॉडी बिल्डर्स के बहुत लंबे और मोटे मोटे लंड रहते थे जिससे वो मॉडेल्स को फक करते थे.
मैं तो देख कर काँप जाती क़ि इतने बड़े बड़े लंड आख़िर अंदर कैसे घुस जाता हैं.मैने संगीता से एक दिन पूछा की इतने बड़े और मोटे लंड औरते अंदर कैसे लेती हैं ,उन्हे दर्द नहीं होता.संगीता मेरे गाल पर चिकोटी लेती हुई बोली कि अरे इसमे पहली बार तो दर्द होता हैं पर बाद में तो स्वर्ग से भी ज़यादा मज़ा आता हैं,जब इतना बड़ा लंड अंदर बाहर जाता हैं तो बहुत मज़ा आता हैं.
देख वो स्लिम मॉडेल्स कैसे पूरा अंदर लेकर मस्ती से चुदवा रही हैं. देख तो मैं भी रही थी,एक मॉडेल दो दो बड़े बड़े लंड बारी बारी से ले ले रही थी. वो जब अंदर बाहर उसकी चूत में जा रहा था,हम दोनो की तो देख कर हालत ही खराब हो रही थी. मेरी तो पॅंटी गीली हो गयी थी शायद संगीता की भी हो गयी थी. संगीता बोली कि जानती हैं सपना इंडियन्स का लंड इतना बड़ा नहीं होता,हमे तो छ्होटे छ्होटे लंड ही मिलेंगे.
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तो क्या हुआ वो हमारा तो होगा उसपे किसी और का अधिकार तो नहीं होगा,तुझे बड़ा चाहिए तो कोई हबसी से शादी से कर ले.मैं उसे चिढ़ाती हुई बोली. अच्छा सपना की बच्ची पता चले के मेरी शादी के बाद तू मेरे घर आ जाए उस हबसी के लंड के लिए.वो उठ कर बाथरूम में चली गयी.मैं समझ गयी वो उंगली से अपने को शांत करने गयी हैं.
हम दोनो एक दूसरे को समझते थे ,आख़िर क़िस्सी लड़के से शादी से पहले सेक्स करने से अच्छा था कि उंगली से शांत कर लो. पहली बार मुझे संगीता ने ही बताया था की वो अपने को कैसे शांत करती हैं.फिर तो मेरी भी रोज़ आदत हो गयी थी सोने से पहले उंगली से चूत को शांत करने की. सच कहूँ तो ऐसा करते समय तरह तरह के गंदे ख्याल दिमाग़ में आ जाते थे.
कभी बीएफ में देखे हुए नंगे लड़के,उनके लंड और नंगी लड़कियों. चुदवाती हुई तो कभी कोई दिन में देखा हुवा कॉलेज का कोई हॅंडसम लड़का जो मुझे लाइन मारने की कोसिस करता उसके बारे में सोचती तो कभी कोई फिल्म स्टार या खिलाड़ी के बारे में सोच लेती और अपनी चूत को उंगली से शांत कर लेती.
मैं जानबूझ कर ऐसा नहीं सोचती थी,संगीता कहती थी ये सबके साथ होता हैं ,शादी के बाद भी जब तू पति के साथ करेगी तो आख़िरी लम्हो में कोई गंदा सीन या कोई गंदी बात आ जाती हैं.कोई आदमी या औरत उसे नहीं रोक सकती,ऑटोमॅटिक ऐसा ख्याल आता हैं जब हम चरम सीमा पर पहुँचते हैं.
शायद वो सच कहती थी,पर मुझे बहुत नफ़रत होती करने के बाद कि मैं ये सब कैसे सोच लेती हूं. आख़िर अपने होने वाले पति के अलावा क़िस्सी के बारे में कैसे सोच सकती हूँ. आज़ तो संगीता की बातों ने मुझे बहुत उतेज़ित कर दिया था,उसे मैने कह दिया था कि जो भी मिले ठीक हैं, पर अंदर से तो मैं भी अब ये सोचने लगी कि मेरा पति सुंदर हॅंडसम तो हो ही,उसका लंड भी गोरे मॉडेल्स इतना बड़ा हो.
अब मेरे दिमाग़ में हमेशा जब भी सेक्स आता तो वो ही हब्सियों के बड़े काले और गोरे मोटे लंड के बारे में सोच कर झाड़ जाती.अब तो बस हम दोनो बड़े लंड वाली ही बीएफ लाकर देखते थे.इंडियन्स के बीएफ में तो मज़ा ही नहीं आता था. खैर ये सब यूँ ही चलता रहा,पढ़ाई कंप्लीट हुई…घर वापस आए तो शादी की बात चलने लगी.
तब तक मेरे ग्रूप की 3 लड़कियों की शादी हो गयी थी.संगीता की शादी किसी अजय के साथ हुई.मैं उसकी शादी में गयी थी,,अजय बहुत हॅंडसम तो नहीं पर ठीक तक लड़का था.1 साल बाद मेरी भी शादी ठीक हो गयी अमित के साथ. वो जब मुझे देखने आए तो मैं बहुत शर्मा रही थी. एक मन में डर भी था की पता नहीं कैसे होंगे अमित.
पर जब देखा तो जैसे सब कुच्छ मिल गया,बहुत हॅंडसम 5’10” हाइट थी,चौड़ा सीना,बिलकूल मेरे फ़ेवरेट.मॉडेल डिनो मारिओ की तरह थे. उन्होने मुझसे पढ़ाई के बारे में पूछा,मैं तो शरमाती रह गयी कुच्छ कह नहीं पाई.वो बॅंक में मॅनेजर थे,सुन्दर थे अब क्या चाहिए था,फटा फॅट शादी तय हो गयी.मैने शादी में संगीता के साथ साथ सभी सहेलियों को बुलाया.
मैं बहुत खुश थी की मुझे जैसा पति चाहिए था वैसा मिला. शादी हो गयी,उसमे संगीता भी आई थी..दूल्हे को देखने के बाद रात को मिलने पर मुझसे मज़ाक करती हुई बोली कि सपना लगता हैं तुझे हबसी वाला मिल गया,तू तो बहुत लकी हैं..देखने में ही बहुत तगड़ा लगता हैं. चेक करके मुझे भी फोन करना ताकि तेरे घर आना जाना मैं भी शुरू कर दूँगी.
मैं हंसते हुए उसे मारने के लिए दौड़ी…तूने तो कुच्छ बताया नहीं अपनी सुहागरात के बारे में ,मैं तुझे क्यों बताऊंगी..बताना क्या हैं कभी मेरे यहाँ आना तो लाइव दिखा दूँगी. हट बदमास कहीं की गंदी,मैं तुम दोनो का सेक्स देखूँगी. मैं उसे एक चपत लगाते हुए बोली. अरे नहीं रे मैने अपने सेक्स का वीडियो बनाया हुवा हैं, तुझे दिखाऊँगी,जब आएगी तो.
वो मेरे कान में धीरे से बोली. हट गंदी मैं नहीं आऊँगी तेरे घर….मेरे मन में तो उस समय अमित ही समाया हुआ था. सुहाग रात…आपलोग भी पूरी सुहाग रात की बात सुनना चाह रहे होंगे.तो चलो सुना देती हूँ,मेरा दावा हैं कि जो भी औरत मर्द इसे सुनेंगे उन्हे ज़रूर अपनी सुहागरात की याद आ जाएगी.मैं दुल्हन बनी बेड पर बैठी थी.
मैने लहनगा चोली पहन रखी थी. घूँगट तो था ही. मेरा मन धक धक कर रहा था ये सोच कर आज़ क्या होगा,आज़ मुझे अपने सपनो का साथी पहली बार मेरे बदन को टच करेगा. आपलोग मेरे बारे में सोच रहे होंगे कि मैं कैसी दिखती होगी,मेरी हाइट 5’6” हैं,रंग गोरा हैं, ज़यादा मोटी नहीं पर आवरेज सरीर था.
चेहरे या बॉडी से अगर मिलाया जाए तो मैं थोड़ी थोड़ी विद्या बालन आक्ट्रेस की तरह लगती थी उस समय,अब तो वो सरीर सिर्फ़ याद में ही हैं. फिगर उस समय 34 28 34 का था…जो अब 36 30 34 हो गया हैं.ये सब पिक्चर उसी समय के हैं जब हम हनिमून मनाने मसूरी गये थे.अमित ने ये सारी पिक्स ली थी.आप जानते हैं कि मैं अपना चेहरा नहीं दिखा सकती.
इसलिए उपर से चेहरा काट दिया हैं मैने.पर अब मुझे अच्छा लग रहा हैं कि मेरी बॉडी अमित के अलावा इतने लड़के देखेंगे और उस बारे में बात करेंगे. हां तो अमित रूम में आए और आकर दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. एक बात बता दूं की उनके घर में कोई नहीं हैं, उन्हे एक दूर की बुआ ने पाला था. अच्छा ही था मेरे घर में प्यार के लिए डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं था.
अमित आकर मेरे पास बैठ गये और मुझसे बोले “सपना हम दोनो आज़ से अपनी नयी ज़िंदगी शुरू करने जा रहे रहे हैं, हमने जो अब तक अकेली ज़िंदगी जी हैं उसे भूल जाओ और मेरे साथ आज़ से नयी ज़िंदगी मेरे साथ शुरू करो.”ये कह कर अमित ने एक अंगूठी मेरे हाथ में पहनी दी और मेरा घूँगट उपर कर दिया. मैं आँखें बंद कर सर नीचे झुकाए चुप चाप बैठी रही.
वो और नज़दीक आकर मेरे चेहरे को अपने हाथ में लेकर उपर उठाया. मेरी धड़कन बहुत तेज़ हो गयी थी. मेरे होठ कपकपाने लगे थे,उनके हाथों का स्पर्श यूँ लगा जैसे पूरे सरीर में तेज़ करेंट दौड़ गया हो.उनके कहने पर मैने आँखें खोली,तो उनका चेहरा अपने चेहरे के इतने पास पाकर शर्मा गयी और सर नीचे झुका लिया.
वो मेरा सर हाथों से उपर कर बोले अब मेरे साथ पूरी ज़िंदगी गुज़ारनी हैं तो शरम कैसी ? क्या मैं इतना बदसूरत हूँ कि तुम मुझे देख भी नहीं सकती?मैने झट से अपना हाथ उनके मूँह पर रख दिया और झट से बोली ऐसा मत कहिए,आप से सुन्दर तो कोई भी नहीं होगा. ये कह कर मैं ही शर्मा गयी और आँखें बंद कर ली. सच सपना,पर तुम जानती हो तुम कितनी सुंदर हो, ये तुम्हारी बंद पॅल्को में तुम्हारी आँखें,कहते हुए उन्होने मेरी आँखों पर अपने होठ रख दिए.
उनके गरम होंठो का स्पर्श अपनी पॅल्को पे पाकर धधकान बहुत तेज़ हो गयी, फिर धीरे से उन्होने ने अपने होठ मेरे दाहकते गालों पर रख दिए..उफफफफ्फ़ मैं तो इतने में मदहोश हुई जा रही थी. मुझे लग ही नहीं रहा था कि मुझपे मेरा अब कोई बस हैं. फिर मेरे चेहरे को हाथों में लिए हुए मेरे दूसरे गाल को चूमा… तब तक मुझे अहसास हुआ कि अब वो मेरे होंठो तक जाएँगे ,इस एहसास ने ही मुझे कपा दिया..
वो मेरे होंठो को चूमने वाले ही थे ,उनकी गरम साँसे मेरे सांसो में घुलने लगी थी,मेरे होठ बिलकूल काँप रहे थे…पूरा सरीर जैसे की बुखार से तप रहा था..उनके होठ मेरे गुलाबी होंठो को छुने वाले ही थे कि मैने उनके होठों पर अपने मेहन्दी लगे हाथ रख दिए,उफ़फ्फ़ उनके होठ भी बिलकूल गरम थे…
वो तो एक दिखावा था वरना मेरा दिल चाह रहा था कि उनके गरम होंठो को अपने गुलाबी अधरों के बीच लेकर उन्हे अपने बाहों में जाकड़ लूँ या उनके चौड़े सीने में च्छूप जाऊं.. उन्होने धीरे से मेरी हथेली अपने हाथों में लेकर उसे अपने होठ से चूम लिया..एक बार नहीं बॅस चूमते ही चले गये…
फिर मेरा हाथ अपनी पीठ पर रख दिया और अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर रख कर फिर धीरे से अपने होठ मेरे दाहकते गुलाबी काँपते होंठो पर रख दिए……ओह मैं तो पता नहीं उस समय कहाँ खो गयी..वो पल कभी भूल नहीं सकती…पहली बार उनके होठ मेरे होंठो को अपने अंदर समेट कर उसका रास्पान कर रहे थे.
मेरे दोनो हाथ अपने आप उनके पीठ पर कस गये,उन्होने भी मुझे पूरी तरह जाकड़ लिया था अपने सिने में और मैं कुच्छ भी नहीं सोच पा रही थी और ना ही कुच्छ कर पा रही थी….जी तो चाह रहा था कि मैं भी उनके खूबसूरत होंठो को चुसू और उन्हे प्यार करूँ.. पर कुच्छ नहीं…बस अपने आपको पूरी तरह उनके हवाले कर दिया था…
उन्होने धीरे से मुझे लिटा दिया और फिर खुद बगल में लेट कर फिर मेरे होंठो को चूमने लगे…इस बार मैं भी हिम्मत कर उनके होंठो को धीरे से अपने होठों के बीच दबाने लगी…उफ़फ्फ़ क्या मस्ती थी उनके होठों को चूसने में,,,,वो मुझे किस करता देख पूरी तरह उतेज़ित हो गये..मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिर से कस गये थे.और उनके होठ मेरे होंठो में..
बहुत देर तह हम यूँ ही किस करते रहे फिर उन्होने धीरे धीरे होठों से नीचे किस करना शुरू कर दिया…मेरी गर्दन फिर उसके नीचे उनके हाथ उपर से ही मेरे गोलाईयो पर पड़े,मैं अंदर तक हिल गयी …आख़िर मेरे इस अंग पर पहली बार किसी का हाथ पड़ा था….उनके हाथ धीरे धीरे वहीं चोली के उपर ही घूमने लगे..मेरा गला सूखा जा रहा था…
वैसे तो अब मैं अपने आपको उन्हे पूरी तरह सौप चुकी थी.वो क्या कर रहे थे ये सिर्फ़ मुझे एहसास हो रहा था…उन्होने चोली धीरे से खोल दी थी और उनके हाथ मेरी ब्रा से बाहर निकले हुए दूधिया गोलाइयों को सहला रहे थे और अपने होंठो से किस भी करना शुरू कर दिया था,मेरे हाथ उनके सरीरपर बस इधर उधर फिसल रहे थे..
मेरी आँखें बंद हो चुकी थी…. तभी उन्होने ब्रा का भी हुक खोल दिया और धीरे से हाथ पेट को सहलाते हुए ब्रा के अंदर घुसा दिया…उफफफ्फ़ क्या एहसास था मेरे होंठो से एक सिसकारी निकल गयी..उन्होने ब्रा हटाकर नीचे फेक दिया ..अब मेरी दोनो अनचुई कुँवारी चुचियाँ जो की उनका हाथ लगते ही बिलकूल तन गयी थी ,निपल टाइट होकर खड़े हो गये थे…
वो गोरी चुचियाँ देखकर अमित भी पागल हो उठे थे,…कोई भीपागल हो जाता इन गोरी तनी हुई कुँवारी चुचियों को देखकर….वो एक निपल हाथों के बीच लेकर मसल्ने लगे और दूसरे के पास अपना चेहरा ले गये…उनकी गरम साँसे मेरी चुचियों को च्छुने लगी….एक हाथ की उनकी उंगली धीरे धीरे मेरे निपल के चारो तरफ घेरा सा बना कर सहला रही थी…
मुझमे अभी तक सिर्फ़ प्यार था…पर उनकी साँसों का अहसास अपने चुचियों के पास पाकर एक दम मेरे अंदर वासना का तूफान अंगड़ाई लेने लगा… मेरे हाथ अपने आप उनके सर के बालों पर चले गये और धीरे धीरे उनके सर को अपनी चुचियों की तरफ दबाने लगे…अमित मेरे हाथ का इशारा समझ कर मेरे निपल को अपने होंठो के बीच दबा लिया…
अहह उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे मूँह से ज़ोर की सिसकारी निकल गयी…मैने उनका सर ज़ोर से अपनी चुचियों पर दबा दिया…वो मेरे निपल को अब चूसने लगे…..मैं उनके सर को चुचियों पर दबा कर रखी हुई थी और वो एक एक कर दोनो चुचियाँ बारी बारी से चूसने लगे बच्चे के जैसे…उनके हाथ रेंगते हुए मेरे पेट और नाभि को सहला रहे थे..
बहुत देर तक वो मेरे चुचियों को पीते और सहलाते रहे….मेरा तो जी चाह रहा था की वो यूँ ही पूरी रात पीते रहे…..सच कहूँ तो उस समय नहीं लगा पर आज़ याद आता हैं कि उतने देर में मैं दो बार झाड़ चुकी थी…… अब वो चुचियों पर किस करते पेट पर और मेरे नाभि पर अपनी जीभ घुमा कर चाटने लगे….जब उनकी जीभ मेरे लहंगे के नाडे पर पाहूंची तो वो उसे अपने दांतो से खोलने का प्रयास करने लगे…
मैं चिहुक उठी..वो मेरे उस अंग को छूने जा रहे थे जिसे मैने 21 साल से उनके लिए ही बचा कर रखा था…एक पल को तो मेरे सामने देखी हुई गंदी फिल्म याद आ गयी …कि क्या वो भी मेरे साथ ऐसा ही करने जा रहे हैं…मेरे हाथ उनके अपने लहंगे के नाडे पर चले गये थे ताकि वो खोल ना सके…उनका एक हाथ पहले ही मेरे पैरो को सहलाते हुए घुटनो तक लहंगे को उपर कर चुका था….
वो दांतो से अब भी नाडे को खोलने में लगे हुए थे… मैने सोचा आख़िर ये सब उन्ही का तो हैं ..जब वो ये सब करना चाह रहे हैं तो मैं क्यों रोकू….ये ख्याल मन में आते ही मेरे हाथ नाडे पर ढीले पड़ गये और डोर खुल गयी…वो दांतो से धीरे धीरे खिचते हुए नीचे तक ले गये…पर जैसे ही मैने कमर उठा कर उसे निकालने में सहयोग दिया ….वो भौचके रह गये….
दरअसल मैने नीचे कुच्छ भी नहीं पहना था..मैं कभी पहनती भी नहीं थी…लह्न्गा घुटनो से नीचे जा चुका था…..मैं पहली बार क़िस्सी के सामने नंगी हो चुकी थी….सरं से मैने अपना चेहरा तकिये में च्छूपा लिया था…अमित तो मेरी गोरी जंघे और उनके बीच में मेरे छ्होटे से उस अंग को देखकर पागल हो उठे…और अचानक मेरी जांघों को घुटनो से लेकर चूमते हुए कमर की तरफ बढ़ने लगे…
मैं मदहोश होकर सिसकारियाँ ले रही थी….वो कमर के पास आकर रूके और अपना एक हाथ मेरे सटे हुए जाँघो के बीच डाल दिया…..मैने उनका हाथ जांघों के बीच भींच लिया ताकि उनका हाथ मेरी बुर तक पहुँच ना सके….पर वो धीरे मेरे चुचियों को सहलाते हुए उन्हे पीने लगे ..मैं मदहोश हो गयी और मेरी जंघे अपने आप ढीली पड़ गयी..
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और उनकी उंगलियाँ मेरी पूरी तरह भीग चुकी बुर के चारो तरफ घूमने लगी और फिर जब छेद को टच किया तो मेरी कमर उपर उठी और मेरे मूँह से ओह आमित्तत्त की सिसकारी निकल गयी…अब पता चला कि क़िस्सी दूसरे की उंगली में कितना मज़ा हैं…मैं तो अपनी उंगली से कई बार च्छुई थी पर ऐसा एहसास पहली बार हुवा था…
उन्होने धीरे अपनी उंगली अंदर घुसाइ…मुझे दर्द हुवा क्योंकि उनकी उनकी उंगली मुझसे मोटी थी…पर जब उसे अंदर बाहर करने लगे तो मज़ा आने लगा….साथ ही वो मेरी चुचियों को चूस्ते जा रहे थे और अपनी उंगली तेज़ी से अंदर बाहर करते जा रहे थे…बहुत देर तक यूँ ही करते रहे जब तक कि मेरी कमरने झटके खाकर पानी नही छोड़ दिया…
फिर वो नीचे की तरफ गये और मेरी जांघों को फैलाकर नाइट बल्ब की रोशनी में मेरी चूत को ध्यान से देखा…मैं तो निढाल पड़ गयी थी…इतनी देर में मैं तीन बार झाड़ चुकी थी….. कुच्छ देर बाद वो मेरी जाँघो को दोनो तरफ फैलाकर बीच में अपने होंठो को घुमाने लगे…अपनी बर पर उनके होंठो के स्पर्श ने मुझे फिर उतेज़ित करना शुरू कर दिया…
ये सब मैने बीएफ में देखा था पर ये नहीं सोचा था की मेरा पति भी ऐसा करेगा….मैने तो मदहोश होकर उनके सर को अपनी जांघों के बीच दबा लिया….वो अब मेरी बुर पर जीभ घूमाकर उसे चाटने लगे थे…मैने सोचा मेरा निकला हुआ पानी क्या उनको गंदा नहीं लग रहा हैं…..पर वो तो उसे चूम चूम कर चाटते जा रहे थे… यूँ ही वो आधे घंटे तक चाटते रहे…
मैं सेक्स में अब पूरी तरह घुस चुकी थी…कमर धीरे धीरे उच्छल रही थी ….और फिर एक ऐसा पॉइंट आया जब मैं पूरी तरह थक कर शांत हो गयी ..मेरी बुर ने एक बार फिर पानी छोड़ा था…..मैं बूरी तरह थक चुकी थी….पर अमित तो मेरी बुर को अपने होंठो से बिलकूल साफ कर चमका रहे थे…फिर वो उपर आ कर मेरे पास लेट गये…
और धीरे धीरे अपनी उंगली मेरे निपल के चारो ओर सहलाने लगे… मैने भी साइड में मुँह कर उनके शर्ट के बटनो को खोल दिया ..उन्होने शर्ट उतार दी…उनका चौड़ा सीना देख कर मॉडेल्स की याद आ गयी…बिलकूल हार्ड चौड़ा सीना था…मैं उसपे अपने होठ से किस करने लगी और अपना चेहरा उनके सीने पर रगड़ने लगी…फिर उनके पेट पर नाभि पर किस करने लगी…
तभी उन्होने अपना बेल्ट खोला…..मैने उनका इशारा समझ कर धीरे से उनके पैंट का हूंक खोल दिया …मेरे हाथ काँप रहे थे….उन्होने अपनी पैंट उतार फेंकी…..अब मेरी जंघे उनकी नंगी जांघों से और मेरी चुचियाँ उनके सीने से सॅट गये पूरा नंगा बदन दोनो का चिपक गया…दोनो का बदन बिलकूल गरम….अचानक मुझे अपनी जांघों के बीच कुच्छ चूबता हुआ महसूवस हुआ…
मैं सिहर गयी…शायद उनका अंग था जो कि खड़ा हो गया थाअंडरवेर में और उपर से ही चुभ रहा था..मैने एक पल सोचा आख़िर कैसा होगा इनका अंग…. हम एक दूसरे से चिपके हुए थे की अमित ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने अंडरवेर पर रख दिया…उफ़फ्फ़ वहाँ तो उनका अंग खड़ा होकर बाहर निकलने को मचल रहा था…उपर से ही वो बड़ा लग रहा था…
मैने पहले उपर से टटोला उनके अंग को …शायद बहुत बड़ा था….मैने झट से उनका अंडरवेर नीचे खिच्छ दिया.. उफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे हाथ में एक जैसे मोटा डंडा आ गया हो…बिलकूल डंडे की तरह हार्ड और इतना मोटा की हाथ में नहीं आ रहा था…मुझसे रहा नहीं गया..मैने धीरे से चेहरा नीचे से उपर उठा कर देखी तो जैसे साँप सूंघ गया….
पर सोचा की मेरा जीवन धन्य हो गया…मुझे सब कुच्छ के साथ साथ वो मिल गया जो शायद क़िस्सी इंडियन औरत को नहीं मिलता होगा…कोई 1फुट लंबा और बहुत ही मोटा लंड था ,बिलकूल डंडे की तरह खड़ा लाल क्लर का ,मैने हाथ से धीरे से उसका उपरी मूँह खोला तो अंग्रेज़ो के लंड जैसा बिलकूल गुलाबी बड़ा सा सूपड़ा….
उफफफफ्फ़ मैं तो देख कर अंदर अंदर ही खुश होकर पागल हो गयी…..शायद क़िस्सी बीएफ में भी इतना मस्त लंड नहीं देखा होगा…अब मैं पूरी तरह सेक्स के आगोश में समा चुकी थी… मैं पूरा सरीर सहलाते हुए धीरे धीरे उनके कमर और फिर जेंघो को किस करते हुए हाथ में पकड़े लंड को जो की अब मैं धीरे धीरे सहलाते हुए बहुत बड़ा कर चुकी थी…
उसपर अपने होठ रख दिए और फिर अपने होंठो के बीच लेने की कोशिश करने लगी….पर वो बहुत मोटा था बड़ी मुश्किल से सूपड़ा मूँह में आया तो उसे चूसने लगी और फिर लंड को जीभ से चाटने लगी,उनके अंडकोष पर भी जीभ फिराने लगी….मैने देखा लंड तो हार्ड होता जा रहा था पर अमित के चेहरे पर कोई खास असर नहीं पड़ा था, वो मेरी चूत में उंगली किए जा रहे थे….
कुच्छ देर यूँ ही दोनो चूस्ते चाटते रहे एक दूसरे का अंग फिर अमित मेरी जाँघो के बीच आ गये…..मेरी तो साँस रुक गयी थी जब पहली बार क़िस्सी लंड का मेरी चूत के साथ टच हुआ…मैं मस्ती में भर गयी….वो अपना सूपड़ा मेरे चूत में घुसाने लगे….अहह बहुत तेज़ असहनीय दर्द हुआ….मेरे मूँह से चीख निकल गयी….मैने उनका लंड झटक दिया…
सारा सेक्स का नशा काफूर हो गया..मैने इसके बारे में तो सोचा ही नहीं था कि ये लंड घुसेगा कैसे मेरी चूत में….फिर अमित मेरे पास आकर मेरी चुचियों पर किस करते हुए समझाने लगे कि पहले पहल. दर्द होता हैं….कुच्छ देर यूँ ही लेट कर वो फिर घुसाने की कोशिस करने लगे. पर उतना बड़ा गधे के जैसा लंड अंदर घुसे कैसे,मेरी तो दर्द के मारे जान निकली जा रही….
उन्होने थूक लगाकर लंड पर एक झटका मारा,मेरी जान निकल गयी और थोड़ा लंड अंदर गया…मैं चीखती रही और वो धीरे 2 घंटे तक घुसाते रहे…क़िस्सी तरह लगभग आधा घुसा और मेरी जाँघो बीच लगा कि क़िस्सी ने चीर दिया हो..मैं दर्द में चीखती रही और वो धीरे धीरे धक्का मारते रहे.मैं यही सोच रही थी कुच्छ देर की बात हैं फिर मुझे भी अच्छा लगने लगेगा…
पर वो मारते जा रहे थे…मेरा दर्द और बढ़ता ही जा रहा था… जबकि मेरी चूत में उनका आधा ही लंड जा रहा था….मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा था,जी चाह रहा था की उन्हे धक्का दे दूँ..तभी वो गहरी सांस छोड़ते हुए मुझपे ढेर हो गये….मेरे अंदर एक ठंडा ठंडा कुकछ निकला..मेरे जान में जान तब आई जब उनका लंड सिकुड गया और उन्होने बाहर निकाल लिया…
मेरी चूत पर फोड़े जैसा दर्द हो रहा था,…मुझपर से शादी और सेक्स का सारा नशा उतर गया था और मैं दर्द में तड़प रही थी….उठकर देखा पूरी चादर ब्लड से लाल हो गयी….मैं क़िस्सी तरह लंगड़ाते हुए उठी और बाथरूम में जाकर उसे धोया…वहाँ मेरे आँखों से आँसू निकल गये..क्या यही सुहागरात होती हैं..कुच्छ देर रोकर फिर समझाया अपने आपको कि सबके साथ पहली बार ऐसा होता हैं..
बाद में मुझे भी मज़ा आने लगेगा..वापस आई तो पति महराज़ नींद में सो रहे थे…मैं भी सो गयी… यूँ ही दिन निकलते गये पर सब कुच्छ वैसे ही चलता रहा…रोज़ रात को वो घुसाने की कोशिस करते और मैं दर्द में तड़पति रहती…वो क़िस्सी तरह आधा घुसाकर खुद मज़ा लेकर सो जाते…अब तो 2 3 हफ्ते बाद मुझे सेक्स के नाम से डर लगने लगा….
मेरा सारा लंबे लंड का शौक उतर गया. मैं अब तो रात होने से डरने लगी. कुच्छ महीने बाद एक बार संगीता का भी फोन आया दोपहर को जब वो ऑफीस में थे….मैं उसकी आवाज़ सुनते ही रो पड़ी..वो चुप कराकर पुच्छने लगी क्यों शादी के बाद खूब मस्ती हो रही हैं ना.बता ना तेरी सेक्स लाइफ कैसी गुजर रही हैं…मैने उसे सब कुच्छ बता दिया…
संगीता बिस्वास ही नहीं कर रही थी कि क़िस्सी इंडियन का अंग इतना बड़ा हो सकता हैं,उसने पूछा तूने नापा हैं कितना बड़ा हैं..मैने कहा वो काले हब्सियों का जितना बड़ा बीएफ में देखते थे उतना ही बड़ा हैं..संगीता गंभीर हो गयी थी… ये तो सच में तेरे साथ बहुत बूरा हुआ..कोई इंडियन औरत इतना बड़ा लंड नहीं ले सकती…तेरी तो ज़िंदगी बर्बाद हो गयी…
मैने उसे कहा तू ही तो कहती थी कि बड़े लंड में बहुत मज़ा आता हैं…संगीता ने समझाया कि अरे वो तो बीएफ देखने में अच्छा लगता हैसोच कर और बात कर पर सच ये हैं कि इंडियन आदमी और औरत के अंग छ्होटे होते हैं…मेरे पति का तो 5-6’होगा पर कभी कभी मुझे उसीमे दर्द हो जाता हैं पर उससे मज़ा बहुत आता हैं…फि
र एक दिन संगीता के कहने पर मैने अमित से पूच्छ लिया कि आपका अंग तो बहुत बड़ा और जानदार हैं,क़िस्सी का शायद इतना बड़ा नहीं होता होगा…आपका कैसे इतना बड़ा हैं?उन्होने मुझे उस दिन एक राज़ की बात बताई…कि… जब वो छ्होटे थे12-13 साल के तभी से वो बुआ के पास सोते और वो बुआ भी उस समय जवान थी.
वो अमित का अंग तभी से मसल मसल कर बड़ा करती थी….उसे मूँह में लेती थी और उसे चुस्ती रहती थी..फिर वही दोनो घर में थे और कोई नहीं था,इसलिए उसकी बुआ कभी भी नहलाने से पहले उसकी लंड तेलसे मालिस करती थी रोज़…ऐसा करने से उसका लंड बड़ा और बहुत ही कड़ा हो गया 16 -17 साल की उम्र में ही,..
पर बुआ ने उसे नहीं चोदा और हमेशा उसे मालिश करती और मूँह में लेकर चुस्ती… शायद इसीके चलते उनके लंड से क़िस्सी औरत के होंठो के स्पर्श का कोई खास असर नहीं होता था क्योंकि वो 12 साल की उम्र से एक औरत उसे चुस्ती रही हैं…उन्होने बताया कि उन्होने और लड़को की तरह कभी मूठ नहीं मारी…या मारने का कभी मन ही नहीं किया…
मैं समझ गयी कि उनका लंड एक तरह से सिर्फ़ सुन्न अंग हैं उसमे वो जान नहीं हैं जो आम लड़को के अंग में होती हैं…मैं अपने भाग्य को कोसने लगी कि क्या ज़िंदगी ने मुझसे खेल खेला…यूँ दिन बीतते गये…..ऐसे ही…अब तो मैं सेक्स ही कतराने लगी थी… फिर एक बार गर्मियों में संगीता के बुलाने पर उसके यहाँ अपने पति के साथ गयी 2 दिन के लिए..
वहाँ संगीता ने चुपके से मुझे दिन में वो वीडियो दिखाया जिसमे उसके पति और वो मस्ती से सेक्स कर रहे थे…वो देख कर कई दिनो के बाद मेरे मन सेक्स जगा था…उसमे उसके पति जिनका लंड सचमूच मेरे पति से आधा था…पर जब संगीता उसे मूँह में लेकर चूस रही थी तो उनके चेहरे को देखकर बहुत मज़ा आरहा था…
वो सिसकारिया भी लेने लगते वैसे ही वो संगीता की चूत चाटते और दोनो मस्ती मे डॉग पोज़िशन और फिर कभी खड़े होकर ,आपस में बात करते हुए मज़े से सेक्स कर रहे थे… पागल हो गयी थी उनके सेक्स को….मेरी भी इच्छा होने लगी कि काश कोई छ्होटा लंड मुझे भी ऐसे ही मज़े देकर चोद्ता…संगीता मुझे चिकोटी काटकर बोली कि मेरे पति पर नज़र मत लगाना.
मैं फिर उसे मारने दौड़ पड़ी थी…ये मेरे समझ में आ गया था कि उनके सेक्स की जो पिक्चर थी वही असली सेक्स हैं और वो बीएफ सब फालतू की मज़े लेने वाली चीज़े हैं… यूँ ही फिर एक साल गुजर गया..इस बार ज़्यादा के दिनो में मयके गयी…मेरे चचेरी बेहन की शादी थी…और भी सभी घर के लोग आए हुए थे..जो बाहर रहते थे वो भी…
मेरी चचेरी बेहन 2 भाई और दो बेहन हैं…बड़ी बेहन की पहले ही शादी हो गयी थी और दोनो भाई उससे छ्होटे थे…बड़े का नाम विवेक था जो कि मेडिकल कॉलेज.में पढ़ाई कर रहा था बॉमबे में और छ्होटा अभी स्कूल में पढ़ रहा था..विवेक मुझसे 4 साल छ्होटा था…उसकी बात करते समय मुझे उसके बचपन की याद आ गयी…तब मैं 18-19 की होगी और विवेक की उम्र तब 14-15 की रही होगी….
तब बचपन में बच्चो का थोड़ा टीवी और दोस्तो के चलते कुच्छ ग़लत बातें सीखने लगते हैं…मुझे याद हैं जब हम सो जाते थे तब वो रात को 1 -2 बजे उठकर धीरे से मेरे पास आकर मेरे बदन को इधर उधर छुता था…पहले तो मैं घबरा गयी पर बाद में जब जान गयी की वो विवेक हैं तो मैं नाटक करती जैसे की अचानक जाग गयी हूँ और वो धीरे से भाग कर अपने बिस्तेर में दुबक जाता…
मैं ये नहीं कहूँगी की मुझे वो सब अच्छा नहीं लगता था पर आख़िर रिस्ते भी कुच्छ होते हैं और मैं शायद बिलकूल शरीफ थी उस समय..मैं नींद में होती तो वो धीरे धीरे कपड़ो के उपर से ही मेरे बूब्स को सहलाता और मेरे स्कर्ट के नीचे घुटनो तक सहलाता था.. मैं कुच्छ देर देखती वो क्या कर रहा हैं पर फिर जैसे ही वो जाँघो के उपर हाथ ले जाता मैं जागने का नाटक करती और वो भाग जाता…
ये कुच्छ सालों तक चला था….अब तो जब हमने देखा वो काफ़ी बड़ा और समझदार हो गया था…उसने मेरे पैर च्छुए और सब समाचार पूछा और अपने कॉलेज की बात बताने लगा… यूँ ही. 2-3 दिन बीत गये…शादी हो गयी थी और हम अपने रूम रज़ाई लेकर सोए हुए थे..तब तक मेरा कोई बच्चा नहीं था…
मैं नींद में थी की अचानक मेरी नींद खुली मेरे सरीर पर कुच्छ फिसलते हुए महसूस किया…थोडा होश में आई तो पता चला कोई बेड के पास खड़ा मेरे बूब्स पर हाथ फेर रहा हैं….मैं झटके से उठने वाली थी कि मेरे दिमाग़ में ख्याल आया कि ये कहीं विवेक तो नहीं…धीरे धीरे मूंदी पॅल्को से नाइट बल्ब की रोशनी में देखा तो वही था…
मुझे समझ में नहीं आया कि क्या करूँ…मैं चुप चाप थी…और उसका हाथ मेरे नाइट ड्रेस के अंदर घुटनो तक सहला रहा था…और दूसरे हाथ को मेरे बूब्स पर घुमा रहा था…एकदम वही आदत थी जो वो बचपन में किया करता था…लेकिन मैने ये फील किया की आज़ उसके हाथों में कुच्छ बात थी ..तब कुच्छ नहीं होता था पर अब उसके सहलाने से मेरे निपल कड़े होने लगे थे…
और जांघों में कसाव होने लगा था… शायद सुहागरात के बाद कोई मुझे ऐसे अब प्यार कर रहा था…मैं कुच्छ कहने की हिम्मत नहीं कर पाई…सोचा देखूं क्या करता हैं..ज़्यादा आगे बढ़ेगा तो रोक दूँगी उसे…..वो धीरे2 अपना हाथ मेरे जाँघो तक ले जाकर उसे सहलाने लगा और अंदर हाथ डाल कर मेरे ब्रा पर से बूब्स को सहलाने लगा…
उसे लगा कि मैं गहरी नींद में हूँ और उसे भी ये सब अंग छूकर अब होश नहीं रहा था की मैं जाग जाऊंगी तो क्या होगा…आख़िर वो भी अब एक जवान हो गया था… मैं अपने आपको रोके रही रही…पर मेरी चूत गीली होती जा रही जब उसके हाथ ब्रा के हुक खोल कर नंगे बूब्स को सहलाने लगे और फिर उसके हाथ बिन पॅंटी की चूत पर पड़े..
तो वो बिलकूल सब कुछ भूल कर मेरी चूत को ध्यान से पैरो को अलग कर देखने लगा और फिर अचानक उसके होठ मेरे चूत पर जा टीके…मेरे होंठो से सिसकारी निकल गयी…वो समझ गया की मैं जागी हूँ तो और निडर हो गया..बोला. “दीदी जब जागी हो तो आँखें खोलो ना और मेरे होंठो को किस कर दिया…
पर मैं फिर भी कुच्छ नहीं बोली पर पैरो को थोड़ा फिला दिया ताकि वो आराम से मेरी चूत चाट ले अब मेरी कमर उपर उठने लगी थी….अचानक वो दूर हट गया…फिर वो आकर मेरे पास अंदर रज़ाई में लेट गया…ह्म्म्म्मममम वो नंगा हो गया था… उसका पूरा गरम जिस्म मेरे शरीर से टच हो रहा था और उसका नीचे वाला अंग भी मेरी जेंघो से टच हो रहा था…
मेरा मन हुआ उसे च्छुकर देखने का ….मैने उसके उपर हाथ ऐसे रखा जैसे की नींद में रखा हो….अचानक उसका गरम मस्त लंड जो की लगभग 4-5 ‘ का होगा मेरे हाथ में आ गया….अचानक मुझे संगीता के पति अजय के लंड की याद आ गयी..कितनी मस्ती से वो संगीता को चोद रहे थे. …मैने झटके से हाथ हटाना चाहा तो विवेक बोला दीदी सहलाओ ना..अच्छा लग रहा हैं….
मैं अब बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली “विवेक ये सब क्या कर रहा हैं?मैं तेरी बेहन हूँ,और तू अभी बच्चा हैं इस उम्र में ये सब क्या कर रहा हैं?” “दीदी क्या आपको अच्छा नहीं लग रहा हैं..?मुझे अच्छा लगता हैं ऐसा करना…आपके साथ?” “क्यों तेरे कॉलेज में कोई गर्ल फ्रेंड नहीं हैं ये सब करने के लिए….?”
“नहीं दीदी..मुझे तो बचपन से आप ही अच्छी लगती हो….आपके साथ ही ये सब करना चाहता हूं…ग़लत मत समझना मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ..आप कहोगी तो मैं कुच्छ नहीं करूँगा…पर क़िस्सी से कुच्छ कहना नहीं..” पर मैं तो उतेज़ित हो चुकी थी और उसका लंड देख कर उस समय मैं सारा रिस्ता भूल गयी.. “मैं क़िस्सी से कुच्छ नहीं कहूँगी अगर इसे तू मुझे चाटने देगा?”
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वो तो यही चाहता था…फिर उसके लंड को मूँह में लेकर चूसने लगी पूरा….मैं मस्त होती जा रही थी .. फिर उसका लंड भी अपने अंदर लिया तब भी वो बच्चो की तरह मेरी चुचियाँ पीता रहा…बहुत मज़ा आया जब उसका पूरा लंड गीली चूत में गया….उसने फिर जमकर चोदा…..पूरी रात मुझे चोद्ता रहा और शायद उसे मालूम नहीं था क़ी मुझे भी पहली बार सेक्स में मज़ा आया था… पर सुबह मैं बहुत पछता रही थी ग़लत किया ये सब…विवेक से दिन भर आँखें नहीं मिला पाई…
पर फिर रात को जब वो आया तो अपने पर कंट्रोल नहीं हुआ…फिर जितनी देर वहाँ रही उससे मस्ती में चुदवाया…. क्या मैने अपने पति को धोका दिया…?मैं यही सोचती रहती हूँ…और ये घुटन की ज़िंदगी जीती हू…ये बच्चा भी पता नहीं अमित का हैं या विवेक का… अब क्या करूँ…..आप लोग ही बताइए…विवेक कहता हैं कि वो पूरी ज़िंदगी मुझे ऐसे सुख दे सकता हैं…पर ये मुमकिन नहीं मैं जानती हूँ…क्या अब मैं किसी दूसरे आदमी से रिस्ता बनाऊँ सेक्स के लिए…?