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शर्म हया की माँ चोद बेटे से चुदवाया

नवम्बर 13, 2025 by hamari Leave a Comment

Maa Chut Beta Chudai

दोस्तों, यह कहानी है एक 37 साल की विधवा औरत की, जिनके पति दो साल पहले भगवान को प्यारे हो गए। आप लोग तो जानते ही हैं कि इस उम्र में विधवा होना शरीर के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है। और अगर औरत खूबसूरत हो, तो और भी सितम। पति के मरने के बाद स्वाति का जेठ उसके जवान जिस्म पर नजर रखना शुरू कर दिया गया। Maa Chut Beta Chudai

स्वाति यह ताड़ गई थी। चूंकि उनके पति के पास काफी पैसा था और वह सब स्वाति के नाम कर गए थे, तो स्वाति ने अपनी आबरू (चूत) को बचाने की खातिर अपने लड़के के साथ अलग रहने लगी और धीरे-धीरे अपने पति का कारोबार भी संभाल लिया।

हालांकि ऑफिस में भी सब उनके जवान जिस्म को ताड़ते थे। इस तरह करीब 7-8 महीने गुजर गए। अब स्वाति को अक्सर रात में अपनी जवानी की प्यास तड़पाने लगती थी। आखिर शरीर की भी कुछ जरूरतें होती हैं। अब उसे रह-रहकर अपने जेठ की करतूतें याद आती थीं। वह सोचती थी कि बेकार ही यहाँ आ गई।

अगर घर में रहती, तो जेठ जी कम से कम मेरी चूची मसलकर ही मजा दे देते। यही सब सोच-सोचकर वह अपने हाथ से अपनी चूची दबाने लगती थी। अक्सर उसकी रातें ऐसे ही करवटें बदलते हुए बीत जाती थीं। स्वाति का लड़का, जो अभी सिर्फ 18 साल का है और अभी पूरी तरह जवान भी नहीं हुआ, लेकिन आजकल का माहौल ऐसा है कि छोटे-छोटे बच्चे भी चूत और लंड के बारे में सब कुछ जानते हैं।

वैसे ही उसकी बेटे में भी किसी जवान लड़की को देखकर उसे चोदने का ख्याल आता था और वह अक्सर अपने कमरे में बीएफ लगाकर हाथ की मारता था। ऐसे ही एक दिन रात को स्वाति अपनी चूत को अपने हाथ से सहलाने के बाद उंगली करके जब पेशाब करने बाथरूम जाने को हुई, तो बगल में बेटे के कमरे से सिसकने की आवाजें आ रही थीं।

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वह पहले तो दरवाजे पर कान लगाकर सुनती रही और अंदर से सिसकने की आवाज और तेज होती गई। फिर स्वाति ने रोशनदान से चढ़कर देखा, तो वह दंग रह गई। अंदर अरिजीत (उनका बेटा) पूरी तरह नंगा लेटा हुआ था और टीवी पर बहुत ही गंदी बीएफ चल रही थी, जिसे देख-देखकर वह अपने लंड को हाथ से सहलाता हुआ मुँह से सिसकियाँ निकाल रहा था।

अंदर का नजारा देखकर स्वाति की चूत, जो पहले से ही गर्म थी, और ज्यादा तपने लगी। उसका दिमाग भन्ना गया। वह झट से उतरकर बाथरूम में जाकर पहले अपनी पसीजी गई चूत से छर-छराकर मूतने लगी। इसके बाद स्वाति बेड पर जाकर लेट गई और अपने बेटे और उसके लंड के बारे में सोचने लगी।

इसके बाद तो फिर यह रोज का काम हो गया। स्वाति रोज ही अपने बेटे को बीएफ देखते हुए रोशनदान से झाँककर देखती और कुछ ही देर में उसका लड़का हाथ की लगाकर सो जाता। तब वह भी अपने कमरे में जाकर अपनी चूत में उंगली डालकर कुछ देर अंदर-बाहर करने के बाद सो जाती। करीब 20 दिन ऐसे ही चलता रहा।

स्वाति ने आखिर बहुत सोच-विचार करने के बाद अपने लड़के के साथ चुदवाने का मन बना लिया। उसने हर रिश्ते को ताक पर रख दिया और अपने बेटे से चुदवाने की तरकीब सोचने लगी। आखिरकार उसने अब घर में सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहनना शुरू कर दिया और ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खोलकर रखती थी।

अक्सर खाना देते वक्त अपना पल्लू भी गिरा देती थी, जिससे अरिजीत का ध्यान उसकी चूचियों की तरफ चला जाता था। यह देखकर स्वाति बहुत खुश होती थी। एक दिन कॉलेज की छुट्टी थी। अरिजीत घर पर ही था और स्वाति नहाने गई हुई थी। उसने जानबूझकर तौलिया अपने कमरे में छोड़ दिया था।

नहाने के बाद उसने अरिजीत को आवाज दी, “बेटा, जरा तौलिया पकड़ा देना, मैं भूल आई हूँ।” अरिजीत तौलिया लेकर आया, तो बाथरूम का दरवाजा भिड़ा हुआ था। स्वाति ने थोड़ा सा दरवाजा खोलकर अपना हाथ बढ़ाकर तौलिया पकड़ लिया और अरिजीत की तरफ देखा, तो वह अंदर झाँकने को बेकरार दिखा।

स्वाति यह देखकर बहुत खुश हो गई, मगर उसने झट से दरवाजा बंद कर लिया और अपना गोरा बदन पोंछने लगी। अरिजीत अपने मम्मी के कमरे में बैठ गया। इसके बाद स्वाति तौलिया लपेटकर बाहर आ गई और कमरे में आने के बाद अरिजीत से बोली, “अरे बेटा, तू यहाँ बैठा है?”

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अरिजीत ने पहली बार अपनी मम्मी को तौलिये में देखा था और तौलिया भी इतना छोटा था कि चूचियाँ भी पूरी तरह से नहीं ढक पा रही थीं और घुटनों से ऊपर का हिस्सा भी साफ नजर आ रहा था। स्वाति अपने बेटे को इस तरह अपनी तरफ देखते हुए अंदर ही अंदर बहुत खुश थी। आज उसने कुछ और ही सोच रखा था।

अरिजीत उठकर अपने कमरे में जाने को हुआ, तो स्वाति बोली, “बेटा, अब तू यहाँ है, तो जरा सा तेल मेरी पीठ पर लगा दे। आजकल बहुत तकलीफ रहती है।” अरिजीत घबराने लगा, तो स्वाति बोली, “बेटा, तू घबरा क्यों रहा है? ले, मैं पीठ के बल लेट जाती हूँ। तू अपना मुँह उधर घुमा ले, क्योंकि तौलिया बहुत छोटा है। मैं बेड पर ऐसे ही लेट जाती हूँ। सिर्फ पीठ के थोड़े से हिस्से को ही तौलिया ढक पाएगा और जहाँ तक खुला है, तू वहाँ तक तेल लगा देना।”

स्वाति पीठ के बल लेट गई। अरिजीत ने हाथ में तेल चुपड़कर मम्मी की पीठ के खुले हुए हिस्से में मालिश करने लगा। कुछ देर पीठ में मालिश कराने के बाद स्वाति बोली, “बेटा, अब जरा सा नीचे जाँघों की तरफ बढ़ जा। और हाँ, तौलिये पर ध्यान देना, वह न हटने पाए, नहीं तो मैं पीछे से भी नंगी हो जाऊँगी। आगे से तो हूँ ही।”

यह बात स्वाति ने बहुत अलग तरीके से कही थी। अरिजीत अपने हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसकी जाँघों की मालिश करने लगा। कुछ देर मालिश करने के बाद स्वाति बोली, “बेटा, ऐसा कर, तू तौलिये को थोड़ा समेट दे, कुछ इस तरह से कि सिर्फ मेरे चूतड़ ढके रह जाएँ और बाकी के पूरे हिस्से पर मालिश कर दे।”

अरिजीत सन्न रह गया। तब स्वाति बोली, “बेटा, इसमें इतना शरमा क्यों रहा है? मैंने तेरी बहुत मालिश की है और फिर तू तो मेरा राजा बेटा है ना। क्या अपनी माँ को तकलीफ में तू देख सकेगा?” अरिजीत ने मम्मी के तौलिये को दूहरा करके सिर्फ उनके चूतड़ पर रख दिया और फिर उनके पूरे पिछवाड़े की मालिश करने लगा।

इतनी देर में वह भी गर्म हो चुका था और अब उसे भी मम्मी के बदन की मालिश करने में बहुत मजा आ रहा था। मगर रिश्तों की वजह से वह ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहा था और वह अपनी मम्मी के इरादों से पूरी तरह अनजान था। इसके बाद जब वह बुरी तरह से गर्म हो गया और स्वाति ने देखा कि अब अरिजीत की हालत खराब है, तब वह बोली, “बेटा, अब बस, बहुत हो गया। अब तू जा।”

वह जानती थी कि इस बात से अरिजीत का मूड खराब हो जाएगा, मगर वह पूरी तरह लोहा गर्म देखकर हथौड़ा मारना चाहती थी। अरिजीत अपने कमरे में चला गया और स्वाति ने भी अपने कपड़े पहन लिए। इसके बाद जब-जब स्वाति से अरिजीत की नजरें मिलीं, वह उनकी चूचियों की तरफ ही घूरता रहा और स्वाति अपने लड़के के लंड की तरफ देखा करती थी।

उस दिन अरिजीत से अपने बदन की मालिश कराने के बहाने मम्मी जी ने उसे खुलकर अपने खूबसूरत बदन का दीदार कराया था। उसकी आँखों में तैरती वासना को देखकर अनुभवी मम्मी जी समझ गई थीं कि लड़का जवान हो चुका है। फिर वह तो पहले ही उसे बीएफ देखकर हाथ की लगाते हुए देख चुकी थीं. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

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और उसके मोटे लौड़े को देखकर ही उन्होंने सारी शर्मो-हया की माँ को चोदकर अपने सगे लड़के से अपनी चूत फड़वाने की ठानी थी। यही सोचकर उस दिन के बाद से वह अरिजीत को अपने बदन का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा दिखाती थी। कभी खाना देते वक्त पल्लू गिराना, कभी झाड़ू-खटके के वक्त चूची दिखाना और तो कभी बुर को साड़ी के ऊपर से खुजाना।

इस तरह से वह अरिजीत को सीसे में ढालने की सोच रही थी। आखिर में उन्होंने संडे का दिन फिक्स कर लिया कि आज उससे अपनी चूची और बुर रगड़वाऊँगी। और संडे की सुबह वह सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में वॉशरूम में कपड़े धोने चली गई। जब मॉर्निंग वॉक से अरिजीत लौटकर आया, तो उन्होंने आवाज दी।

मम्मी जी: बेटा अरिजीत, जरा यहाँ आकर मेरी कपड़े धोने में मदद कर दे, थोड़े से ही रह गए हैं।

जब अरिजीत वॉशरूम में गया, तो मम्मी जी पूरी तरह से भीग चुकी थीं, जिसकी वजह से उनका ब्लाउज उनकी चूचियों से चिपक गया था और उसमें से निप्पल भी साफ दिखाई पड़ रहे थे, क्योंकि मम्मी जी ने ब्रा और पैंटी पहनी ही नहीं थी। उन्होंने जब अरिजीत को इस तरह अपनी चूचियों की तरफ निहारते देखा, तो वह अंदर ही अंदर खुश हो गई।

कुछ देर में ही सारे कपड़े खत्म हो गए, तो मम्मी जी बोलीं, “बेटा, ये टी-शर्ट और बरमूडा भी मुझे दे दे, इसे भी धो डालूँ।” तो अरिजीत ने वह भी उतार दिया और सिर्फ अपनी फ्रेंची में रह गया। हालांकि वह अपनी मम्मी को कई बार इस तरह से देख चुका था, पर आज पहली बार वह मम्मी के सामने फ्रेंची में था।

कपड़े धोने के बाद मम्मी जी बोलीं, “बेटा, ऐसा कर, मैं यहीं नहा लेती हूँ। तू जरा मेरी पीठ पर साबुन लगा दे।” और आंटी अपने जिस्म को पानी से तर करने लगीं। ब्लाउज अभी भी उन्होंने नहीं उतारा था। जब वह पूरी तरह से भीग गईं, तब अरिजीत को साबुन पकड़ाकर बोलीं, “ले बेटा, लगा दे साबुन।” और अरिजीत साबुन लगाने लगा।

तब वह बोलीं, “अरे बेवकूफ, क्या ऊपर से ही लगाएगा? ब्लाउज का हुक खोलकर उतार दे इसे। मैं तेरी तरफ पीठ घुमाकर बैठ जाती हूँ।” और फिर अरिजीत ने ब्लाउज उतार दिया। अपनी मम्मी की गोरी-गोरी पीठ देखकर उसकी धड़कनें भी जवान होने लगीं, मगर वह उनकी पीठ पर किसी तरह साबुन लगाता जा रहा था। तभी अचानक मम्मी जी घूम गईं, जिससे उनकी बड़ी-बड़ी लटकी हुई चूचियाँ अरिजीत के सामने की तरफ आ गईं।

तब मम्मी जी बोलीं, “ले बेटा, जरा इन पर भी रगड़ाई कर दे।” अरिजीत को कुछ झिझक होने लगी, तो आंटी बोलीं, “बेटा, तू तो शरमा रहा है। आज मैं तुझसे एक बात बता रही हूँ। देख, तू तो जानता ही है कि तेरे पापा को मरे 4 साल हो चुके हैं और अब तू भी समझदार हो गया है। मैंने तेरी ही खातिर दूसरी शादी भी नहीं की। तो अब वक्त आ गया है कि तुझसे खुलकर बात की जाए। पर तू शरमा रहा है, तो रहने दे।” स्वाति ने नाराज होने का नाटक किया।

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तो अरिजीत बोला, “नहीं मम्मी, मैं शरमाऊँगा नहीं। बताओ, क्या बात है?”

मम्मी जी: बेटा, देख, मैं जानती हूँ कि तू भी अब जवान हो चुका है और तुझे भी किसी न किसी के साथ की जरूरत है। मेरी भी अभी इतनी ज्यादा उम्र नहीं हुई कि मैं अपनी सारी जिंदगी अकेले ऐसे ही बिता दूँ। पर मैं दूसरी शादी नहीं करना चाहती।

अरिजीत: तो प्लीज मम्मी, बताइए ना, आप मुझसे क्या चाहती हैं?

मम्मी जी: बेटा, तू ये मत सोचना कि मैं कितने गिरे हुए किरदार की हूँ। पर बेटा, जिस्म की अपनी भी कुछ जरूरतें होती हैं। मैंने कई बार तुझको अपने हाथों से मैथुन (सड़का लगाते) करते देखा है और मैं खुद भी यही करती हूँ। हम दोनों को एक ही चीज की जरूरत है।

अरिजीत: मम्मी, आप मुझसे खुलकर बात कर सकती हैं। बताइए, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?

मम्मी जी: देख बेटा, मैं चाहती हूँ कि तू मेरी प्यास बुझाए और मैं तेरी प्यास बुझाऊँ। और ये भी जानती हूँ कि ये महा पाप है। पर अगर तू किसी बाहर की लड़की को चोदेगा, तो पैसा भी फेंकेगा और एड्स का भी खतरा है। और ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी है।

अरिजीत: हाँ, ये तो है। पर क्या आप मुझसे प्यास बुझवाएँगी?

मम्मी जी: हाँ, पर दो शर्त पर।

अरिजीत: वो क्या?

मम्मी जी: वो ये कि पहली तो ये सब बातें किसी को पता नहीं चलनी चाहिए। और दूसरी ये कि तू मुझसे जितनी चाहे गंदी जबान में बात कर सकता है और मैं भी चुदवाते वक्त तुझे अपना लड़का नहीं, पति मानूँगी। ओके?

अरिजीत: ओके, तो अब देर किस बात की है? ब्लाउज तो आप उतार ही चुकी हैं, पेटीकोट भी उतार दीजिए।

मम्मी जी: अब चोदने को क्या कह दिया, तो तू पूरी तरह उतारू हो गया। अरे हराम के, पहले मुझे नहला तो। चल, चूचियों पर साबुन लगा। इसके बाद मैं तेरे लौड़े पर साबुन लगाऊँगी। मैं आज तेरे लंड की सारी गंदगी भी साफ कर दूँगी। और ये जो तेरा बाँस फ्रेंची में उछल-कूद मचा रहा है ना, उसे अपनी भोसड़ी के बिल में घुसाकर गायब कर दूँगी। पता भी नहीं चलेगा कि तेरे पास कभी लौड़ा था भी या नहीं।

अरिजीत मम्मी जी की चूचियों पर झाग बनाकर बहुत नरमियत से रगड़ने लगा। कुछ देर की रगड़ाहट में ही मम्मी जी गर्म हो गईं और अपना हाथ अरिजीत की फ्रेंची के ऊपर से उसके डंडे जैसे खड़े लौड़े पर रखकर सहलाने लगीं। कुछ देर सहलाने के बाद उन्होंने झट से उसका निक्कर खींचकर घुटनों पर कर दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

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इसके नीचे से अरिजीत का फननाया हुआ लौड़ा बाहर आ गया और किसी साँप की तरह फनफनाने लगा, जिसे मम्मी जी ने अपने दोनों हाथों के बीच में रखकर मथना शुरू कर दिया। अब अरिजीत की हालत और खराब होने लगी। उसने अपना मुँह मम्मी की चूचियों के बीच की गहराई में रख दिया।

उसकी मम्मी की चूचियाँ इतनी बड़ी-बड़ी थीं कि अक्सर लटकी ही रहती थीं, पर आज जब मम्मी जी वासना से भर गईं, तब उनकी वही लटकी हुई चूचियों में गजब का उथान आ गया था। इसके बीच में अरिजीत ऐसे सर डाले हुए था, जैसे कोई चिड़िया छुपने की जगह तलाश कर रही हो। अरिजीत को अपनी मम्मी की चूचियों के बीच की गहराई बहुत भा रही थी और वह अपने दोनों हाथों से उनकी दोनों चूचियों को खींच-खींचकर तान रहा था।

इसके बाद उसने एक निप्पल, जो कि काला हो रहा था, अपने मुँह में डाल लिया और चुभलाने लगा। मम्मी जी भी उसके लंड से खेल-खेलकर उस पर साबुन लगा-लगाकर थक चुकी थीं। इसके बाद मम्मी जी नीचे बैठ गईं। उनका पेटीकोट अभी भी उनके जिस्म पर ही था, जबकि अरिजीत पूरा नंगा हो चुका था।

मम्मी जी: ला बेटा, जरा अब अपना लौड़ा मेरे मुँह में डालकर चुसा। मैं भी तो देखूँ, इसका स्वाद कैसा है। बहुत दिन हो गए किसी लौड़े को टेस्ट किए।

अरिजीत: मम्मी जी, पापा का लौड़ा कैसा था?

मम्मी: बेटा, बहुत जानदार था उनका लौड़ा। मैं चूस-चूसकर थक जाती थी, तब भी उनका रस बाहर नहीं निकलता था। और ऐसा झकझोर के चोदते थे कि मुझे अपनी मम्मी और नानी याद आ जाती थी। पर मेरा दुर्भाग्य कि मेरी चूत को उनके लौड़े का ज्यादा साथ नसीब नहीं हुआ।

अरिजीत: मम्मी, आप परेशान न होइए। मैं हूँ ना। आखिर मैं भी उसी बाप की औलाद हूँ। आज आप मेरे लौड़े की औकात भी देख लीजिएगा। पर आप बताइए कि ये देखने में कैसा लग रहा है?

मम्मी जी: बेटा, देखने की तू बस इतना जान ले कि जब से मैंने तुझे अपने कमरे में हाथ की लगाते हुए देखा है, तब से मैं तेरे हलब्बी लौड़े को अपनी चूत में डालने की सोच रही थी। पर ये जलिम समाज है ना, इसके आगे बस नहीं चलता।

अरिजीत ने अपना तना हुआ लौड़ा पकड़कर मम्मी जी के मुँह की तरफ बढ़ाया, तो पहले मम्मी उसे अपने गाल पर रगड़ने लगीं। फिर अपनी जबान बाहर निकालकर उसे चाटने लगीं। और पूरी तरह से मम्मी जी ने अपनी जबान से पहले उसके तने हुए भाग को चाटा, फिर उसके लटके हुए बड़े-बड़े अंडों को चाटा।

और फिर उन्होंने पहले उसकी लटकी हुई गोलियों को ही मुँह में डाल लिया और हाथ से लौड़ा सहलाते हुए अरिजीत की गोलियों को चूसने लगीं। अरिजीत की हालत खराब होती जा रही थी। वह अपने दोनों हाथों से मम्मी जी का सर पकड़े हुए था। मम्मी जी बहुत देर तक चूस-चूसकर थक गईं, तब फिर से खड़ी हो गईं।

और अरिजीत भी अब अपनी मम्मी की भोसड़ी देखने को बेकरार हो रहा था। मम्मी जी ने खड़े होते ही अरिजीत को नीचे बैठने का इशारा किया। जैसे ही अरिजीत नीचे बैठा, मम्मी जी ने उसके सर को अपने पेटीकोट से ढक लिया, जिससे कि अरिजीत का सर मम्मी जी के पेटीकोट के अंदर हो गया।

अरिजीत को कुछ समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि अंदर कुछ दिख ही नहीं रहा था। उसने भी अपने हाथ जाँघों की तरफ बढ़ाए और झट से खींच दिया। फिर क्या था, सरसराता हुआ पेटीकोट वहीं जमीन पर फिसल गया और आंटी की काली झाँटों से सजी साँवली सलोनी बुर अब अरिजीत को साफ-साफ नजर आने लगी। वह कुछ देर तक तो एकटक उसे ही देखता रहा।

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मम्मी जी: बेटा, ऐसे क्या देख रहा है? पहले कभी नहीं देखी क्या?

अरिजीत: मम्मी, सही बता रहा हूँ। आज से पहले कभी किसी औरत को बीएफ के अलावा कभी भी नंगा नहीं देखा। हाँ, वो अलग बात है, आप कभी-कभी मुझे अपनी चूचियाँ दिखा दिया करती थीं। आज पहली बार किसी की चूत देख रहा हूँ।

मम्मी जी: और वो भी अपनी माँ की चूत…

अरिजीत: हाँ, ये तो है। और आज पहली बार चोदूँगा भी अपनी माँ की चूत ही।

इसके बाद अरिजीत मम्मी जी की चूत को और करीब से निहारने लगा, जो कि लंड अंदर डलवाने के लिए फड़क रही थी।

अरिजीत: मम्मी जी, ये फड़फड़ा क्यों रही है?

मम्मी जी: बेटा, बहुत दिन से इसने किसी लौड़े को अंदर नहीं लिया है ना, इसलिए ही फड़फड़ा रही है।

अरिजीत: मम्मी जी, मैंने तो अपना लौड़ा साफ कर रखा है। पर आपने झाँटें क्यों बढ़ा रखी हैं?

मम्मी जी: बेटा, अब बेचारी का कोई हाल पूछने वाला नहीं था, तो क्या करती? झाँटें बनाकर। और इससे एक फायदा ये भी था कि जब ये पैंटी से रगड़ खाती थी, तो मेरी चूत को कुछ करार आ जाता था। और फिर तेरे बाप से झाँट बनवाने का मजा ही और था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अरिजीत: मम्मी जी, आप अब फिक्र न करो। मैं आपका पूरा ख्याल रखूँगा।

इसके बाद कुछ देर तक अरिजीत मम्मी जी की चूत रगड़ता रहा, फिर अपनी जबान निकालकर चाटने लगा।

मम्मी जी: आयीईईई… आयीईईई… ओह्ह्ह्ह बेटा… आह्ह्ह्ह… मजा आ रहा है… आह्ह्ह्ह… कसम से तूने तो… आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह… बिल्कुल तेरे बाप की याद दिला दी। चाट, और चाट। इसके बाद घुसा देना अंदर अपनी जबान को। मेरे लाल… आयीईईई… क्या कुत्ते की तरह चपर-चपर आवाज के साथ चाट रहा है… वाव्व्व्ह्ह्ह बेटा, नाज है मुझे तुझ पर।

और अरिजीत बहुत देर तक अपनी माँ की चूत चूसता-चाटता रहा। फिर उसने अपने दोनों हाथों से अपनी मम्मी की चूत को और फैला दिया और अंदर झाँककर देखने लगा।

मम्मी जी: बेटा, क्या झाँककर देख रहे हो उसमें?

अरिजीत: मम्मी, मैं देख रहा हूँ कि मेरे बाद आपकी चूत में ऐसा क्या हुआ कि कोई और भाई-बहन बाहर ही नहीं आया। कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा। क्या अंदर जाकर देखूँ?

मम्मी जी: अरे हरामी, मजाक करता है अपनी माँ से। बहन के लौड़े, तेरा बाप चाहता था कि हमारा एक लड़का ही हो। इसके बाद वह जब भी मुझे चोदता था, हमेशा कंडोम लगाकर ही चोदता था। जबकि मैंने हमेशा एक बेटी को और पैदा करना चाहा। अब बातें न छोड़, अपने काम पर लग जा जल्दी से।

तब अरिजीत ने उनकी फैली हुई भोसड़ी में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी और अंदर-बाहर करते हुए अपनी जबान से भी बुर को चूस रहा था।

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मम्मी जी: आह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… बेटा, लगता है आज तू मुझे बिना चोदे ही झाड़ देगा… आयीईईई… आह्ह्ह्ह… प्लीजज्ज्ज… जल्दी-जल्दी जबान चलाओ… आयीईईई…

और अरिजीत ने अपनी दो उंगलियाँ और उनकी चूत में घुसे दी। और जब मम्मी जी की भोसड़ी में चार उंगलियाँ एक साथ गईं, तब उसे कुछ तकलीफ होने लगी।

मम्मी जी: आह्ह्ह्ह… हरामी, क्या पूरा हाथ अंदर डालेगा? निकाल हाथ को, मदरचोद साले। दर्द हो रहा है मुझे। अभी तुझे उल्टा करके तेरी गांड में मैं अपना हाथ घुसेड़ूँ, तो कैसा लगेगा?

मगर अरिजीत कुछ सुन ही नहीं रहा था। वह धकाधक हाथ अंदर-बाहर करे जा रहा था। कुछ देर में मम्मी जी का दर्द कम हुआ, तो वह फिर से चालू हो गईं।

मम्मी जी: आयीईईई… आह्ह्ह्ह… बहुत अच्छा लग रहा है बेटा… प्लीजज्ज्ज… आह्ह्ह्ह… और करो… मैं बस झड़ने ही वाली हूँ… और हाँ, तू मेरी चूत से निकले हुए रस को चूसकर देखना। बहुत टेस्टी होता है ये… आयीईईई…

कुछ देर में ही मम्मी जी झरझराकर झड़ने लगीं। और आज बहुत दिन बाद उनकी चूत ने जो पानी फेंकना शुरू किया, तो जैसे बरसात ही हो गई। क्योंकि 4-5 साल के बाद ऐसी बरसात हुई थी। और अरिजीत उनकी चूत से निकले पानी को जितना पी सका, पीया। इसके बाद भी वह अपने चेहरे को उनकी चूत से रगड़ता रहा।

मम्मी जी: आह बेटा, मजा आ गया। अब आज के लिए काफी है।

अरिजीत: बहन की लौड़ी, ऐसे कैसे काफी है? अभी तो अपना मूसल तेरी चूत में धसाना है।

और इसके बाद अरिजीत ने बेदर्दी से अपनी माँ की चूत को चोदा।

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