Maa Beta Antarvasna Chudai
दोस्तों, मैंने आपको बताया था कि माँ के साथ एक रात चुदाई करने के बाद मैं फिर सोचने लगा कि एक बार फिर से सेक्स का आनंद लिया जाए। लेकिन मन में डर था कि माँ कैसे तैयार होंगी। अगली रात को डिनर के बाद मैंने माँ से कहा, “कल की रात के लिए मैं शर्मिंदा हूँ और माफी माँगता हूँ, लेकिन आप ही बताएँ ना, मैं क्या करता?” Maa Beta Antarvasna Chudai
मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने कहा, “माँ, तुम्हें भी तो बाद में मज़ा आने लगा था, झूठ मत बोलना।” माँ बोलीं, “ये सब अब दोबारा मत करना।” मैंने कहा, “लेकिन माँ, इस बार मैं कल की तरह नहीं करूँगा। तुम्हारी रजामंदी से ही करूँगा और मुझे विश्वास है कि तुम मौके पर ना नहीं करोगी। अब जब तुम्हें इसका आनंद लेना हो, तो बस मेरे चूतड़ पर एक चुटकी काट देना, मैं तुम्हारा इशारा समझ जाऊँगा।”
वे बोलीं, “ये सब रोज़ नहीं चलेगा,” और उन्होंने कोर से चुटकी काट ली। मैं तिलमिला गया। फिर बोलीं, “अब कभी इसकी चेष्टा मत करना,” और माँ अपने कमरे में चली गईं। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि माँ सोई नहीं थीं और दर्पण के सामने खड़ी होकर अपनी चूचियों को देख रही थीं और उन्हें अपने हाथों से दबा रही थीं।
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उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था। यह देखकर मैंने तुरंत माँ को पीछे से जाकर दबोच लिया और कहा, “तुम क्या कष्ट करती हो, मैं हूँ ना इन्हें दबाने के लिए,” और उनकी चूचियों को मसलने लगा। उन्होंने मुझे झटका दिया और दूर हो गईं। मुझे खराब लगा और मैंने उनकी साड़ी का पल्लू पकड़कर खींच दिया।
तभी उनका पेटीकोट का नाड़ा दिखा। मैंने तुरंत एक झटके में नाड़ा खींच दिया और पेटीकोट थोड़ा नीचे सरक गया। उनके मोटे चूतड़ों की वजह से पेटीकोट चौड़ाई पर अटक गया था। सामने से माँ की झाँट के बाल दिख रहे थे। काली-काली झाँटें बहुत खूबसूरत लग रही थीं।
मैंने कहा, “माँ, तुम अपने आप को क्यों कष्ट देती हो? मुझे सेवा का मौका दो ना। ऐसी मस्ती दूँगा कि याद रखोगी।” बोलते-बोलते मैंने पेटीकोट को और नीचे सरकाया और वह ज़मीन पर आ गिरा। अब वे बिल्कुल नंगी थीं। सिर्फ़ उनके बदन पर चोली और ब्लाउज़ था।
उनकी बुर दिखने लगी। काले-काले बाल उस पर बहुत अच्छे लग रहे थे, मानो जैसे कीचड़ में कोई गुलाब अपनी पंखुड़ियाँ फैलाकर किसी को आकर्षित कर रहा हो। मैंने कहा, “माँ, तुम्हारी चूत तो बहुत लाजवाब है।” उन्होंने अपने दोनों पैरों को कैंची की तरह कस लिया और बुर को छिपाने लगीं।
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मैंने उनकी चूची को ज़ोर से दबाया और दूसरे हाथ से उनके ब्लाउज़ के बटन खोलने लगा। फिर उनके ब्लाउज़ को उनके बदन से अलग कर दिया। अब वे सिर्फ़ ब्रा में थीं। उनके मोटे-मोटे स्तन ब्रा से बाहर आने को बेताब थे और मैं भी बेसब्र था। मैंने उनकी ब्रा को झटका दिया तो हुक टूट गया और ब्रा खुल गई।
मैंने उसे उतार फेंका। माँ ने अपने दोनों हाथों से स्तनों को ढक लिया। मैंने कहा, “साली, इतने नखरे करती है,” और उन्हें पलंग पर धक्का देकर पटक दिया। बोला, “साली, चुदवाने में नखरे मारती है।” मैंने अपनी उंगली उनकी बुर में घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा, जो उनकी बुर में गहरे तक घुस गई थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर अचानक उनका तेवर बदल गया और बोलीं, “तेरे को चोदने का भूत सवार हो गया है। ले, तुझे मज़ा चखाती हूँ।” वे मेरे ऊपर चढ़ गईं। मेरा लंड भी पूरी तरह तना हुआ था। वे मेरे लंड के ऊपर चढ़कर बैठ गईं। मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया था और माँ के ऊपर आने की वजह से मेरा लंड पूरी तरह उनकी चूत में गहरे तक घुसा हुआ था।
माँ बहुत आराम से ऊपर-नीचे कर रही थीं। फिर बोलीं, “बहुत खुलजी चलती है ना तेरे इस लंड में, ले मज़ा।” उन्होंने अपनी गति बढ़ा दी और अपने चूतड़ों को बहुत तेज़ी से ऊपर-नीचे करने लगीं, जिससे मेरे लंड की गोलियाँ उनके चूतड़ों से दब रही थीं और दर्द का एहसास हो रहा था।
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मैं बोला, “मम्मी, धीरे-धीरे करो, मेरी गोलियाँ दब रही हैं, जिससे दर्द हो रहा है। मम्मी, प्लीज़ आआहह!” वे बोलीं, “अब आएगा मज़ा, साला। अब आया है ऊँट पहाड़ के नीचे। आज मसल कर रख दूँगी तेरे लंड को।” और ज़ोर से करने लगीं। मैं बोला, “मम्मी, प्लीज़ धीरे-धीरे करो, बहुत भारी चूतड़ हैं आपके, मेरा लंड दब रहा है, आआहहह आआय्य इइइ मम्मी।”
वे बोलीं, “चल, मैं तुझ पर तरस खाकर मान रही हूँ,” और अपने चूतड़ों को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगीं। बोलीं, “क्या करूँ, आखिर तेरी माँ हूँ।” अब मैंने उनके निप्पल को ज़ोर से भींच दिया। उनके मुँह से ज़ोर की चीख निकली और वे मेरे ऊपर से हटकर मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगीं। बोलीं, “साले, आज देखती हूँ कितना दम है तेरे इस लंड में।”
फिर उन्होंने मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। हम दोनों के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आआहहहह।” फिर उन्होंने ज़रा दाँत गड़ाकर चूसा। मैं बोला, “मेरी माँ गज़ब की चूसती है। तेरी बुर की कसम, तू बड़ा मस्त माल है।” वे मेरे मूसल से लंड को जिस तरह से भरपूर मज़ा लेकर चूस रही थीं, “ओहहहह।”
मैं बोला, “साली भोंसड़ी, तू तो मेरी जान ही ले लेगी। माँ, रुक जा ना, प्लीज़।” मैं बड़बड़ा रहा था। माँ ने मेरे लंड को छोड़ दिया। फिर मैंने माँ को बिस्तर पर धक्का दिया और बोला, “ओईई, साली, तूने मेरे लंड को चेर दिया। अब इसकी फुँकार देख, माँ। अब तेरी इस बुर को शुरू होता हूँ अपनी माँ की मस्तानी जवानी का मज़ा लूटने को। आआहहह सीईईईई।”
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मैं शायद कुछ ज़्यादा ही गर्म हो चुका था। मैं बोला, “माँ, तेरा चूत कितना हसीन है, क्या मस्ताना चूत है।” अब मैंने अपने मूसल से लंड को माँ की हसीन नाज़ुक बुर में एक धक्के के साथ “घच्” से पेल दिया। “ऊऊऊईई, हरामी, मार दिया रे तूने,” माँ चिल्लाईं।
मैं तेज़ी से अपना लंड माँ की बुर में अंदर-बाहर करने लगा। माँ को मस्ती आ रही थी। माँ नीचे से अपने चूतड़ उछाल-उछालकर मेरे लंड को अपनी चूत में निगल रही थीं। “सीईईईईई आह ओहहहह मेरी जान निकली जा रही है।” मैं अब और ज़ोर से “घचघच” अपने लंड को पेल रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं बोलता जा रहा था, “ले साली, खा मेरे लंड को। देख, कैसे साली चुदवा रही है। ले, संभाल अपनी चूत को। उफ्फ संभाल। कितनी नरम और कोमल है तुम्हारी चूत, रानी। चुदा और चुदा। ऐसा लंड और चूत का संगम तुझे और कहीं नहीं मिलेगा। ले, चुदवा, साली। माँ, तुमको आज रात भर चोदूँगा। ले, खा मेरे लंड को, खूब चुदवाओ, उफ्फ।” चुदाई की रफ्तार मैंने बढ़ा दी। “ओहहह आआहहह अब मज़ा आ रहा है। और बोल, मेरी माँ रानी है तू। तेरी बुर को कितना ज़ोर से चोदूँ, आआहहह।”
माँ भी अब बोल उठीं, “चोद, ज़ोर से चोद। फाड़ दे अपनी रंडी की हसीन चूत को। कितना ज़ालिम लौड़ा है तुम्हारा! हाय, कैसा अकड़कर खड़ा है। बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे तुमसे चुदवाने में, डियर। ओहहह डियर, तुम बहुत अच्छा चोदते हो। आआहह उहह ऑफ्फ डियर, यूंही हाँ डियर, यूंही चोदो मुझे। बस चोदते जाओ मुझे। अब कुछ और नहीं चाहिए मुझे। आज जी भर के चोदो मुझे, डियर। हाँ डियर, जमकर चुदाई करो मेरी। तुम बहुत अच्छे हो। बस यूंही चुदाई करो मेरी। ओहहह खूब चोदो मुझे।”
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मैं भी बोला, “माँ, तेरी इस मस्त चूत की कसम, आज बहुत मज़ा आ गया है। बड़ी मस्त चीज़ है तू। और बोल, कैसे मज़ा चाहिए?” अब मैं झड़ रहा था। माँ चिल्लाईं, “ऊऊईईई, तुमने मुझे जन्नत पहुँचा दिया। मैं झड़ गई रे।” और माँ एक झटके के साथ झड़ गईं। मैंने अपना लंड माँ की चूत से बाहर निकाला और ज़बरदस्ती एक साथ उनके मुँह में घुसेड़ दिया और मुँह की चुदाई शुरू कर दी। “आआहहह ओहहहह” दोनों के मुँह से तेज़ सिसकारियाँ निकल रही थीं। माँ बोलीं, “बड़े बेरहम हो तुम। मादरचोद की औलाद, आज मेरी चूत फाड़ दी तुमने। आहहह मेरी माँ, मुझे बचा ले मेरे बेटे से।”
मैं अब झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड उनके मुँह से निकाला और उनके स्तनों पर रखा। मेरा सारा रस उनके स्तनों पर गिर गया। थोड़ी देर के लिए हम दोनों निढाल होकर एक-दूसरे पर पड़े रहे। फिर मैंने माँ को एक ज़ोरदार चुंबन दिया और उनके स्तनों को चूसने लगा। उनके स्तनों को अपनी छाती से दबाकर कहा, “बोलो माँ, कैसी रही? मैंने ज़्यादा ज़बरदस्ती तो नहीं की? और कैसी लगी मेरी ये, माँ?” फिर चुंबन लेकर हम दोनों सो गए। और माँ को भी नींद आ गई।
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