Lesbian Padosan Didi
“तुम तो मुझसे कितनी ज़्यादा बड़ी हो उम्र मे प्रिया दीदी. अच्छि ख़ासी ऊँची पूरी भी हो. मुझसे तीन चार इंच हाइट भी ज़्यादा है, वजन मुझसे दस बारह किलो ज़्यादा होगा. फिर भी तुम्हारा फिगर देखो कितना आकर्षक है” कुसुम प्रिया के भरे पूरे मासल शरीर की ओर प्रशंसा के भाव से देखते हुए बोली. Lesbian Padosan Didi
“वैसा कुछ नही है कुसुम, हां मैं टिप टॉप रहती हूँ, कपड़े और ख़ासकर अंदर के कपड़े याने लिंगरी ठीक से चुनती हूँ, आधा काम बस ईसीसे हो जाता है” प्रिया मुस्करा कर बोली.
दोनो औरतें दोपहर को कुसुम के घर मे बैठ कर गप्पें लड़ा रही थी. प्रिया को कुसुम के बाजू वाले फ्लट मे रहने को आकर बस चाह महीने हुए थे. प्रिया के पति दुबई मे काम पर थे. प्रिया और उसकी सौतेली लड़की नेहा दोनो अकेले यहाँ रहते थे. यह फ्लॅट ख़ासकर नेहा के पापा ने इसी लिए लिया था कि अच्छि सोसाइटी थी और उन दोनो औरतों को अकेले वहाँ रहने मे कोई परेशानी नही होगी ऐसा उन्होने सोचा था.
कुसुम ने अभी तीन महीने पहले अपनी बॅंक की नौकरी से इस्तीफ़ा दिया था, उसे अच्छ वीआरएस मिल गया था. कुसुम के पति भी बॅंक मे थे और उनकी पोस्टिंग कानपुर मे हो गयी थी. इसलिए उनका यहाँ मुंबई आना बस साल मे तीन चार बार होता था. उनके पुत्र मंजेश ने अभी अभी इंजिनियरिंग के पहले साल मे प्रवेश लिया था.
कुसुम बेचारी इसलिए दिन भर अकेली रहती थी. नयी सोसायटि होने के कारण उनके फ्लोर पर और कोई नही था, सब फ्लॅट खाली थे. कुसुम को खाली समय काटने को दौड़ता था. इसलिए प्रिया जब से उसके पड़ोस मे रहने आई थी, तब से वह खुश थी. दोपहर को गप्पें मारने को कोई साथ तो मिल गया था. नेहा सुबह कॉलेज को निकल जाती थी तब प्रिया भी अकेली रहती थी. इसलिए अब दोनो पड़ोसनों की अच्छि पटने लगी थी.
कुसुम सैंतीस साल की थी. दिखने मे साधारण मझली उम्र की स्त्रियों जैसी ठीक ठाक थी. हां काफ़ी गोरी थी. शरीर मझोले किस्म का था, ना ज़्यादा मोटा ना पतला. असल मे कुसुम काफ़ी स्लिम थी, पर उसके कूल्हे काफ़ी चौड़े थे. अपने स्थूल भारी भरकम नितंबों की वजह से वह थोड़ी मोटि दिखती थी, उसके बाकी के छरहरे बदन का इस वजह से पता नही चलता था.
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कुसुम इसलिए जब प्रिया के नपे तुले शरीर को देखती तो उसके मन मे आता कि मैं ऐसी क्यों नही हूँ! प्रिया उससे सात आठ साल बड़ी होगी, रंग भी सांवला था, काफ़ी गहरा सांवला. बदन मोटा नही था फिर भी अच्छ ख़ासा बड़ा और ऊँचा पूरा था, फिर भी प्रिया दिखने मे एकदम आकर्षक लगती थी.
उस दिन दोनो मे यही चर्चा हो रही थी. टिप टॉप कपड़ों के महत्व के बारे मे जब प्रिया बोली तो कुसुम को बात जच गयी. उसकी निगाह फिर से प्रिया के पूरे बदन पर घूमने लगी. प्रिया हमेशा बड़े अच्छे कपड़े पहनती थी और खुद का बहुत ख़याल रखती थी. एकदम सलीकेसे बाँधी हुई नाभि दर्शन साड़ी, बहुत करके स्लीवलेस ब्लाउज जिसमे से मरमरि बाँहें सॉफ दिखें और पल्लू के पतले कपड़े मे से दिखता हुआ उन्नत उरोजो का उभार, ऐसा रूप था प्रिया का.
इसलिए वह हमेशा अच्छि लगती थी. उसके ब्लाउज आगे और पीछे से लो कट होते थे जिसमे से उसकी चिकनी पीठ और उरोजो के ऊपरी भाग का उभार दिखता था. ब्लाउज के बारीक कपड़े मे से प्रिया की कस कर बाँधी हुई ब्रा के स्ट्रैप दिखते थे, जो उसकी पीठ के मास मे गढ़े होते थे.
प्रिया हल्की लिपस्टिक लगाती थी और बाल अक्सर एक जूडे मे बाँधती थी जिसमे वह मोगरे की वेणि भी लगा लेती. उसके साँवले रंग के कारण उसकी लाल लिप्स्टिक अक्सर जामुनी दिखती थी पर सब मिलाकर प्रिया का रूप ऐसा मादक होता था कि काफ़ी मर्द उसे नज़र गढ़ाकर देखते थे, यह कुसुम ने अक्सर गौर किया था. प्रिया के उस रूप पर उसे बड़ी ईर्ष्य होती थी.
ठीक इसके विपरीत कुसुम अपने रहन सहन और पहनावे पर ज़रा भी ध्यान नही देती थी. ढीली ढाली लपेटी हुई साड़ी, एकदम ढीला और बिना नाप का ब्लाउज और बहनजी जैसी दो चोटियाँ! इनमे वह कितनी अनाकर्षक दिखती थी इसका उसे एहसास हो चला था. मन मे एक न्यूनता की भावना, इन्फीरियारिटी कॉंप्लेक्स, आ गया था. एक अजीब उदासी उसके मन मे घर कर गयी थी.
कुसुम की आँखों मे झलकती उदासी देखकर प्रिया उसे प्यार से बोली “सुन कुसुम, तू असल मे दिखने मे बहुत सुंदर है. गोरी है, तेरी त्वचा पर अब भी जवानी की चमक है. बुरा मत मानना अगर मैं सॉफ सॉफ बताऊं तो. कितने ढीले ढाले कपड़े पहनती है तू, वह ब्लाउज देख, कैसा अजीब सा है, बिना नाप का. और तेरी ब्रेसियर भी बहुत ढीली है, पीछे से स्ट्रप लटक रहे हैं.
मेरी मानो तो अच्छि मॅचिंग ब्लाउज सिला लो, साड़ियाँ एक दो बहुत अच्छि हैं तेरे पास, जैसे कल पहनी थी. ब्लाउज मेरे दर्जी से सिला लो चाहिए तो. और नयी ब्रेसियर खरीद लो, नाप की. ज़रा अच्छे नये फॅशन की. बालों की स्टाइल बदल लो. फिर देखना कैसे रूप खिल उठता है तेरा. अगर तू चाहे तो मैं चलूंगी तेरे साथ शॉपिंग को.”
कुसुम को बात जच गयी. मन मे अच्छ भी लगा कि प्रिया कितनी आत्मीयता से बात कर रही है. उसके स्वर मे अब थोड़ा उत्साह था “आज ही जाती हूँ, सच मे तुम चलोगि प्रिया? याने मेरे साथ चलने को टाइम है ना तुम्हारे पास?”
“आरे, टाइम ही टाइम है. नेहा हफ्ते भर को अपनी सहेली के साथ गयी है. उसकी सहेली की बहन की शादी है पूना मे. मैं अकेली ही हूँ. उसकी चिंता मत करो. और अगर तू बुरा ना माने तो मैं अभी तुझे सिखाती हूँ कि साड़ी ठीक से कैसे बाँधी जाती है” कहकर प्रिया ने बड़ी आत्मीयता से कुसुम को तरीके से साड़ी पहनना सिखाया.
कैसे चुन्नटे फोल्ड की जाती हैं, कितनी ऊँचाई पर बाँधी जाती है, पल्लू कितना छोड़ना चाहिए ये सब उसने बताया. साथ ही खुद उसे साड़ी पहना दी और एक दो बार प्रॅक्टीस भी करवाई. उसके बाद प्रिया ने खुद कुसुम की दो चोटियाँ खोल कर उन्हे एक जूडे मे बाँध दिया.
कुसुम को यह भी समझाया कि उसे या तो जूड़ा बाँधना चाहिए या एक मोटि खुली खुली सी वेणि ना कि बहनजी जैसी दो कस के बँधी चोटिया. उसने इतने प्यार से यह किया कि कुसुम भाव विभोर हो गयी. इतने दिनों मे पहली बार कोई उससे इतने प्यार से पेश आया था. प्रिया स्मार्ट होने के साथ साथ दिल की कितनी अच्छि है, उसके मन मे यह ख़याल आया.
उसी शाम को प्रिया के साथ जाकर उसने ब्लाउज पीस खरीदे और अर्जेंट सिलाई को दे दिए. मंजेश के कॉलेज से आने का समय हो गया था इसलिए बाकी शॉपिंग उसी दिन नही की. दूसरे दिन सुबह ही दर्जी का नौकर ब्लाउज दे गया. दोपहर को मंजेश के कॉलेज जाने के बाद कुसुम ने नया ब्लाउज पहनकर प्रिया को अपने घर बुलाया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“प्रिया दीदी देखो, कैसा लगता है!”
“अच्छ है कुसुम पर फिटिंग अब भी थोड़ी गड़बड़ है. अरे पर ये तो बता, तूने ब्रा कौनसी पहनी है? वही पुरानी वाली लगती है, मुझे लगा तू नयी ले आई होगी” प्रिया ने कहा.
“नही ला पाई. असल मे मैं तुझे पूछन चाहती थी कि अच्छि ब्रा कहाँ से लाउ.” थोड़ा शरमाते हुए कुसुम बोली.
“ऐसा कर पहले नाप ले ले, फिर अपन दोनो जाकर ले आएँगे. स्टेशन के पास एक अच्छ शॉप है, कंचुकी नाम का.” प्रिया बोली.
कुसुम के चेहरे पर असमंजस के भाव थे. प्रिया ने उसे मुस्कराते हुए समझाया “अरे कुसुम, नाप नही लेगी तो ब्रा फिट कैसे होगी? वहाँ दुकान पर पहन कर थोड़े देखते हैं! ऐसा कर. ज़रा इंच टेप ले आ, मैं सिखाती हूँ कि नाप कैसे लिया जाता है.”
कुसुम थोड़ी शरमा कर बोली. “प्रिया, यहाँ ड्रॉयिंग रूमा मे अटपट सा लगता है. मेरे बेडरूम मे चलो ना, वहाँ ठीक रहेगा, मैं खिड़की बंद करती हूँ.”
अंदर जाकर कुसुम ने खिड़की बंद की और प्रिया को टेप दी. प्रिया ने कहा “कुसुम, ब्लाउज निकालना पड़ेगा. ब्रा भी निकाल दो तो और अच्छा है. ऐसे कपड़ों के ऊपर से नाप ठीक नही आएगा.”
कुसुम का चेहरा लाल हो गया. “प्रिया दीदी, मुझे शरम लग रही है, ब्लाउज और ब्रा कैसे निकालु?”
प्रिया मुस्काराकर बोली “कुसुम, तुम बहुत ही शरमीली हो. यह भी ठीक करना पड़ेगा, अरे स्मार्ट दिखाने के लिए अपना कॉन्फिडेन्स भी बढ़ाना चाहिए. चलो निकालो. तब तक मैं तुझे सिखाती हूँ कि नाप कैसे लेते हैं. मैं पहले अपना ब्लाउज निकाल कर अपना नाप ले कर बताती हूँ, फिर तेरी शरम शायद कम हो जाए.”
प्रिया ने पल्लू नीचे किया और ब्लाउज निकालने लगी. उसके लो कट ब्लाउज के आगे के करीब करीब आधे खुले भाग मे से उसके विशाल स्तनों के बीच की गहरी खाई कुसुम को दिखी. क्या सेक्सी दिखती है यह औरत, ऐसा एक मीठा नटखट विचार कुसुम के मन मे कौंध गया.
प्रिया ने ब्लाउज के बटन खोले और हाथ ऊपर करके ब्लाउज निकाल दिया. उसकी कांखे एकदम चिकनी थी. “रोज शेव करती है लगता है, या हेयर रिमूवर् से निकाल दिए हैं. पर अच्छि लग रही हैं कांखे, नही तो मेरी कैसी बेकार लगती हैं. आज ही कांख के बाल काट डालूंगी” ऐसा विचार कुसुम के मन मे आया.
ब्लाउज निकलते ही प्रिया के लेस वाली एक खूबसूरत ब्रा मे कसे हुए बड़े बड़े स्तन दिखने लगे. ब्रेसियर काफ़ी टाइट थी और उसके स्ट्रप्स प्रिया के मांसल बदन मे गाढ़ने से बाजू का मास बड़े मादक तरीके से उभर आया था. प्रिया के वे मदमस्त उरोज मानों उस ब्रा मे समा नही पा रहे थे और उफान के साथ बाहर आने की कोशिश कर रहे थे.
कुसुम स्तब्ध होकर प्रिया का वह मादक रूप देखती ही रह गई. प्रिया स्मार्ट थी पर उसका रूप ऐसा होगा इसकी उसने कल्पना भी नही की थी. धीरे धीरे कुसुम ने भी अपने ब्लाउज के बटन खोलना शुरू कर दिया. आख़िर उससे ना रह गया और वह बोली “अरी प्रिया, कितनी अच्छि है तेरी ब्रा! कहाँ से ली? कांचुकी से? पर ज़रा टाइट नही है? तुझे तकलीफ़ नही होती?”
अपने सीने पर टेप लपेटते हुए प्रिया बोली “कुसुम, जान बूझ कर टाइट ब्रा मैं प्रिफर करती हूँ. उससे स्तन अच्छे कस कर बाँधे जाते हैं और ज़रा तन के खड़े होते हैं. मेरी उम्र मे यह करना पड़ता है नही तो लटक जाएँगे लौकी की तरह. वैसे मेरे ज़रा बड़े ही हैं, अपना ही वजन नही सह पाते बेचारे” उसने टेप पहले अपने स्तनों के नीचे छाती पर लपेटा और बोली “देख यह पहला नाप है, इसमे पाँच जोड़ कर ब्रा की बेसिक साइज़ मिलती है. देख कितने इंच है?”
कुसुम ने काँपते हाथों से टेप पकड़ा. उसकी उंगलियाँ प्रिया के बदन को लगी और उसके बदन मे एक रोमांच सा हो आया. झुक कर उसने नाप देखा और बोली पैंतीस इंच”
“याने पैंतीस और पाँच मिलाकर हुए चालीस. तो मेरी ब्रा का नाप है चालीस.” प्रिया बोली.
“काफ़ी बड़ी ब्रा है तुम्हारी दीदी, बहुत अच्छि लगती है” कुसुम ने कहा.
“अब कपों की साइज़ नापना पड़ेगी. उसके लिए ऐसे पूरा नाप लेना पड़ता है, निपलों के ऊपर टेप लगाकर” कहते हुए प्रिया ने टेप अपनी ब्रा के कपों के नोक पर रखकर नाप लिया.
“चवालीस” कुसुम बोली.
“याने चवालीस माइनस ब्रा की साइज़ चालीस चार का फरक हुआ. इसका मतलब है कि मेरे कप की साइज़ डी है. असल मे यह ब्रा बहुत टाइट है, ठीक नाप के लिए उतारकर नाप लेना चाहिए. मैं दिखाती हूँ तुझे. ब्रा निकालनी पड़ेगी. कुसुम ज़रा हेल्प करो ना प्लीज़. मेरे हुक खोल दो, टाइट हैं ना इसलिए मुझे तकलीफ़ होती है, नेहा को मैं कहती हूँ अक्सर हुक खोलने को. वह यहाँ होती है तो हुक लगाने और निकालने का काम उसी का है” प्रिया ने कुसुम की ओर देखते हुए मुस्करा कर कहा.
कुसुम प्रिया के पीछे खड़े होकर उसकी ब्रा का हुक खोलने लगी. पास से प्रिया की पीठ कितनी चिकनी और मुलायम दिख रही थी! उंगलियों पर प्रिया की पीठ का स्पर्ष होते ही कुसुम को फिर से रोमाच सा हो आया. उसे वह मासल पीठ इतनी मोहक लगी कि सहसा उसका मन हुआ कि उसे चूम ले.
फिर उसने अपने आप को संभाला. छी छी! क्या गंदे विचार आ रहे हैं मन मे! प्रिया को पता चला तो बेचारी क्या सोचेगी. हुक निकलते ही ब्रा लटक गयी. प्रिया की पीठ पर टाइट स्ट्रप्स के हल्के से निशान पड़े थे. प्रिया ब्रा को अपनी बाहों मे से निकालकर घूम कर खड़ी हो गयी.
और फिर से टेप लपेटते हुए बोली “अब फिर देखो नाप. छयालीस होगा. याने असल मे डिफ़रेंस पाँच का है. पाँच इंच फरक याने कप हुआ डीडी. इसका मतलब है कि मेरी ब्रा की साइज़ है चालीस कप डी डी. पर मैं एक साइज़ कम लेती हूँ. उनतालीस. थर्टि नाइन कप डी. उससे ब्रा टाइट बैठती है और स्तनों को अच्छा सपोर्ट मिलता है. देख ना टेप पकड़कर, नाप ठीक है यह देख ले.”
कुसुम के होंठों से शब्द नही फुट रहे थे. प्रिया के मासल उरोज अब ब्रा से आज़ाद होकर दो बड़े पपीतों जैसे लटक रहे थे. स्तनों के बीच की गहरी खाई उनकी मादकता और बढ़ा रही थी. स्तनों के बीच फँसा मम्गलसूत्र उनकी सुंदरता को मानों चार चाँद लगा रह था. स्तनों की तुलना मे निपल छोटे थे, अंगूर जैसे, उनके चारों ओर पुराने रुपये के आकार के भूरे गोल थे.
कुसुम को सहसा महसूस हुआ कि उसकी जांघें गीली हो गयी है! वह उत्तेजित हो गयी थी. इसका अहसास होते ही वह थोड़ी चौंकी. आज तक ऐसा नही हुआ था कि किसी स्त्री को देखकर उसे कामोत्तेजना हुई हो. इस बारे मे उसने कभी सोचा तक नही था. उसने किसी तरह से पास मे आकर टेप का नाप देखा पर उसकी आँखे प्रिया के उन मतवाले गोलों पर गढ़ी हुई थी.
प्रिया कुसुम की मनस्थिति से पूरी तरह से वाकिफ़ थी पर उसने अपने चेहरे पर शिकन तक ना आने दी. बोली “अब तुम ब्लाउज निकालो कुसुम, अभी तक बटन खोल कर बैठी हो. चलो तेरा नाप लेते हैं.”
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कुसुम ने किसी तरह से अपना ब्लाउज निकाला. अंदर सादी ढीली काटन की ब्रा थी. प्रिया ने उसके स्तनों के नीच छाती पर टेप लपेट और बोली “तीस. याने ब्रा साइज़ हुई तीस प्लस पाँच याने पैंतीस. अब कप का साइज़ लेंगे” उसने टेप अब कुसुम की ब्रा की नोक पर से लपेटा और मूह बना दिया. ब्रा की नोक भी ढीली थी और एक्सट्र कपड़ा वहाँ लटक रह था. “अरी कुसुम, ब्रा निकाल ना प्लीज़, नाप ठीक नही आएगा. बहुत ढीली ब्रा है, फिटिंग भी ठीक नही है.”
प्रिया के कहने पर कुसुम ने शरमाते हुए अपनी ब्रा निकाल दी. अब उसका ऊपरी गोरा शरीर नग्न था. उसके गोल मुलायम स्तन प्रिया से काफ़ी छोटे थे पर सुडौल थे. अब तक उनमे ज़्यादा ढिलाई नही आई थी, बस ज़रा से लटक रहे थे. पर उसके गहरे भूरे रंग के निप्पल एकदम लंबे थे. करीब करीब एक छोटि मूँगफली जितने. निपलों के चारों बाजू के गोल भी काफ़ी बड़े थे, टी कोस्टर जैसे.
प्रिया भी अब बहुत उत्तेजित थी पर किसी तरह से अपने मन की भावना दबा कर रखी थी. उसकी योनि एकदम गीली हो गयी थी. जांघों पर बह आए पानी का गीलापन उसे महसूस हो रह था. कितने दिनों से प्रिया को इस क्षण की प्रतीक्षा थी. आज शायद मन की मुराद पूरी होने वाली थी!
असल मे उसने जब से कुसुम को तीन महने पहले देखा था तभी से कुसुम उसे बहुत भा गयी थी. उन ढीले ढाले कपड़ों और बहनजी जैसे पहनावे के नीचे छुपी कुसुम की सुंदरता उसने कब से परख ली थी. कुसुम को बाहों मे लेकर उससे रति करने की उसकी प्रबल इच्छा थी. जब वह कल्पना करती कि कुसुम उसकी बाहों मे है तब उसकी बुर गीली होने लगती. कब से वह इसी ताक मे थी कि कैसे अपनी इस आकर्षक पड़ोसन को फँसाया जाए.
अब जब शिकार हाथ मे आने को था वह बहुत उत्तेजित थी. उसका पूरा प्लान था कि क्या करना है. पर जल्दबाजी मे कही हाथ आया यह खजाना ना छूट जाए, यह सोच कर उसने अपना चेहरा निर्विकार रखा और टेप कुसुम के स्तनागरों पर लगाकर फिर से नाप लिया. नाप लेते लेते उसकी उंगलियाँ कुसुम के निपालों को छू रही थी. कुसुम की उत्तेजना और बढ़ने लगी.
“सैंतीस. याने चौंतीस से तीन इंच ज़्यादा. याने तेरा कप हुआ सी. पैंतीस कप सी. मेरी मान तो इस हिसाब से तुझे एक साइज़ छोटि, चौंतीस कप ब़ी ब्रा पहनना चाहिए, एकदम टाइट बैठेगि और बहुत सुंदर दिखेगी. पर कुसुम एक बात पूछूँ, पर्सनल, बुरा तो नही मानेगी?”
“नही दीदी, तुम्हारी किसी बात का मैं बुरा नही मानूँगी, तुम तो मेरी दोस्त हो” कुसुम बोली.
“तेरे निपल बहुत लंबे हैं. खूबसूरत दिखते हैं. लगता है तेरे पतिदेव की ख़ास मेहरबानी है इनपर, खूब खींचते होंगे. या चूसते होंगे? है ना? देख मज़ाक कर रही हूँ, बुरा मत मानना” प्रिया ने हँसते हुए कहा. वह कुसुम के सामने बिलकुल पास खड़ी थी, कुसुम की निगाहें अब भी बार बार उसके उरोजो पर जा रही थी.
कुसुम शरमा कर बोली “इसमे बुरा क्या मानना! वैसे लंबे हैं ये मुझे मालूम है. असल मे पहले से ही थोड़े बड़े थे, फिर मंजेश जब छोटा था तो दो साल का होने तक दूध पीता था, मानता ही नही था. और उसकी आदत थी दूध पीने के बाद भी नही छोड़ता था, चूसता रहता था. बड़ी मुश्किल से उसकी यह आदत छुड़ाई, तब से लंबे हो गये हैं.”
“खड़े भी हैं तन के देख! मैं अगर तेरे पति की जगह होती तो चूस चूस कर और डबल कर देती” प्रिया ने तीर छोड़ा और सहज भाव से अपना हाथ बढ़ाकर कुसुम का एक निपल अपनी उंगलियों मे पकड़कर दबा दिया. यह निर्णायक क्षण था इसलिए प्रिया धड़कते दिल से देख रही थी कि कुसुम की क्या प्रतिक्रिया होती है. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अगर वह बिचक गयी तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा. पर उसकी शंका निराधार थी, क्योंकि अब तक कुसुम उत्तेजित हो चुकी थी. अब तक उसे कभी स्त्रियों के प्रति आकर्षण नही हुआ था. पर पिछले कई सालों से वह बहुत प्यासी थी. उसके पति की अब उसमे ज़्यादा रूचि नही थी, ऊपर से वे बाहर कानपुर मे रहते थे.
कुसुम का स्वाभाव काफ़ी कामुक था जैसा अक्सर सीधे सादे दब कर रहने वाले लोगों का होता है, बस उसे वे खुल कर प्रकट नही कर पाते हैं. आज प्रिया के स्पर्ष से मानों उसके सब्र का बाँध टूट गया. प्रिया की उंगली से निपल दबाते ही उसने आँखे बंद कर ली और एक सिसकारी उसके होंठों से निकल पड़ी.
कुसुम का रियेक्शन देखकर प्रिया आनंद से झूम उठि. कब से वह इस लम्हे की राह देख रही थी. उसने कुसुम का दूसरा निपल भी पकड़ लिया और हल्के हल्के दोनो निपलों को अपनी उंगलियों मे मसलते हुए बोली. “अच्छ लग रह है क्या कुसुम? तेरे निपल कितने कड़े हो गये हैं देख! वैसे ऐसा होना एक्साइट होने की निशानी है. देख कुसुम, सम्भल जा नही तो मुझे लगेगा कि मेरे छूने से तू गरम हो गयी है! या ये मेरी इन भारी भरकम चून्चियो को देख कर हुआ है! आगे मैं नही जानती बाबा!”
कुसुम चुप रही. लज्जा से उसका चेहरा गुलाबी हो गया. पर उसने प्रिया की उंगलियों से अपने निपल छुड़ाने की कोई कोशिश नही की. बस सिर झुकाए आँखे बंद करके खड़ी रही और लंबी लंबी सिसकारियाँ लेने लगी. प्रिया ने आगे कदम उठाया. शिकार उसके चंगुल मे था. झुक कर उसने कुसुम के गाल को चूम लिया. कुसुम ने आँखे खोल कर प्रिया की आँखों मे देखा.
प्रिया की आँखों मे झलक रहे प्रेम और उत्कट वासना के भाव देख कर उसकी रही सही हिचक भी जाती रही. उससे ना रह गया और अपने पैरों के पंजों के बल खड़े होकर मूह ऊपर करके उसने अपने होंठ प्रिया के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी. प्रिया ने चुंबन का उत्तर एक गहरे चुंबन से दिया तो कुसुम अपनी सहेली की गर्दन मे बाँहें डालकर उससे लिपट गयी. प्रिया ने अपने हाथ कुसुम के स्तनों पर से हट लिए और उसे बाहों मे कस कर भरकर कुसुम के चुम्मे पर चुम्मे लेने लगी.
“चल आराम से पलंग पर बैठते हैं” दो मिनिट बाद प्रिया ने कहा. दोनो पड़ोसन एक दूसरे के चुंबन लेते हुए पलंग पर बैठ गयीं. कुसुम को अब अपनी चूत मे से टपक रहे पानी से अपनी पैंटी भीग जाने का अहसास हो रहा था. इतनी उत्तेजित वह बरसों मे नही हुई थी. अब उसकी शरम भी धीरे धीरे कम हो रही थी. प्रिया की बड़ी बड़ी चून्चियो को उसने अपने हाथों मे पकड़ा और झुक कर उन्हे चूमने लगी.
प्रिया ने बड़े लाड से उसके बालों पर हाथ फेरते हुए अपनी एक घून्डि कुसुम के मूह मे दे दी और प्यार से उसका सिर अपनी छाती पर दबा लिया. निपल चुसते चूसते कुसुम के मूह से और सिसकारियाँ निकलने लगी और वह अपनी जांघें आपस मे घिसने लगी.
उसकी हालत देखकर प्रिया ने अपना निपल चुसाती कुसुम को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके बाजू मे लेट गयी. अपने हाथ से उसने कुसुम की साड़ी ऊपर की और कुसुम की चिकनी जांघों को प्यार से सहलाता हुआ उसका हाथ जल्द ही कुसुम की पैंटी तक पहून्च गया.
पैंटी की क्राच एकदम गीली थी. पैंटी मे से कुसुम की फूली मुलायम बुर का गुदाज मास उसके हाथ को लग रहा था. कुसुम के मूह से उसने अपना निपल निकाल दिया. कुसुम ने मूह ही मूह मे बुदबुदाते हुए “दीदी, प्लीज़ … चूसने दो ना…” विरोध किया पर प्रिया ने अपने मूह से उसका मूह बंद कर दिया.
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अपनी जीभ से कुसुम के होंठ अलग करके प्रिया ने कुसुम के मूह मे अपनी जीभ डाल दी और अपनी उंगली पैंटी के ऊपर से ही कुसुम की बुर की लकीर मे घुसा कर रगड़ने लगी. फिर पलटकर उसने कुसुम को नीचे किया और खुद उसपर सो गयी. अपनी सहली पर चढ़ कर प्रिया ने उसकी एक टाँग अपनी जांघों मे दबा ली और उसपर अपनी चूत रगड़ने लगी.
कुसुम ने प्रिया के स्तन अपने हाथों मे पकड़े और उन्हे दबाते हुए वह प्रिया की जीभ चूसने लगी. शोभने कुसुम के लंबे लंबे निपल मसलना शुरू कर दिया. दोनो की चूमा चाटी अब तेज़ी से चल रही थी. कभी प्रिया कुसुम की जीभ चूसति और कभी कुसुम उसकी जीभ अपने मूह मे खींच लेती. स्तन मर्दन बराबर जारी था, प्रिया अब तेज़ी से कुसुम की चूत अपनी उंगली से
अपने ख़ास अंदाज मे घिस रही थी और खुद कुसुम की जाँघ का घोड़ा बनाकर अपनी बुर उसपर रगड़ रगड़ कर स्वमैथुन कर रही थी. चुम्मो की ‘पुच’ पुच’ आवाज़ से और ‘आह’ ‘ओह’ ‘उई’ की किलकारियों से बेडरूम भर गया था. दोनो औरते इतनी गरम चुकी थी कि वे कुछ मिनिटो मे स्खलित हो गयीं.
कुसुम का स्खलन तो इतना तीव्र था कि उसकी एक हल्की चीख निकल पड़ी जो प्रिया के मूह मे दब कर रह गयी. प्रिया का शरीर भी अचानक तन गया और उसने झड़ते झड़ते कुसुम को और ज़ोर से बाहों मे भींच लिया. दोनो सहेलियाँ कुछ देर तक इस सुख का आनंद उठाति हुई एक दूसरे को प्यार से हुए पड़ी रहीं.
प्रिया पहले उठि और अपने कपड़े ठीक करने लगी. उसने ब्रा पहनी और ब्लाउज चढ़ा लिया. वासना शांत होने के बाद जब कुसुम ने अपने आप को अर्धनग्न अवस्था मे पलंग पर पाया तो शरम से वह पानी पानी हो गयी. अपने स्तनों को अपने पल्लू मे छुपा कर वह चुप चाप बैठी रही. उस बेचारी को यह कल्पना भी नही थी कि प्रिया ने बड़ी चालाकी से उसके कपड़ों पर हुई बातचीत का फ़ायदा उठाकर उसे आज फँसाया था.
कपड़े पहनते पहनते प्रिया ने पूछा “क्यों री कुसुम, ऐसे मूह लटकाए क्यों बैठी हो? हमने जो किया वह अच्छा नही लगा? अपनी यह सहेली, अपनी दीदी नही पसंद आई तुझे?”
कुसुम सिहर कर बोली “प्रिया, आज जो सुख तुमने दिया है, वैसा सुख मुझे कभी नही मिला, अपने पति के साथ भी. पर थोड़ा अटपटा लग रह है, हमने जो किया वह ठीक है ना? ग़लत तो नही है? किसी को पता चल गया तो?”
प्रिया कुसुम के पास आई और उसकी ठुड्डि पकड़कर उसका चेहरा ऊपर किया. उसे प्यार से चूम कर उसकी आँखों मे आँखे डाल कर बोली “किसी को पता नही चलेगा. यहाँ है ही कौन? हम दिन भर अकेली रहती हैं. और हमने जो किया है अपने सुख के लिए है. कुदरत ने हमे यह शरीर दिया है और इच्छाएँ दी हैं, अगर बिना किसी को नुकसान पहूंचाए हम अपने शरीर की भूख को शांत करते हैं तो इसमे कोई बुराई नही है, यह बात अपने दिमाग़ मे से निकाल दे कि हम ग़लत कर रहे हैं. अब भी अगर तुझे लगता है कि यह ग़लत है तो हम इस बात को यही खतम कर देंगे.”
कुसुम प्रिया से लिपट गयी “ऐसा मत कहो प्रिया, अब मुझे अपने से कभी दूर नही करना. एक बार इस सुख को चखने के बाद मैं तुमसे अलग नही रह पाऊँगी. और तुम जा रही हो? और रूको ना!”
प्रिया उस एक बार चूम कर उसे अलग करती हुई बोली “काफ़ी समय हो गया, शाम होने को है, अब मुझे जाना चाहिए. और शाम को कांचुकी मे भी जाना है, तेरे लिए ब्रा और पैंटी लेनी हैं. देखना कैसी सुंदर लगेगी उनमे, बिलकुल दुल्हन जैसी!”
कुसुम ने अपने कपड़े पहने और एक बार प्रिया से लिपट कर उसे चूम कर उसे विदा किया. कुछ देर आराम करके वह बाहर जाने की तैयारी करने लगी. आज उसके कदम जमी पर नही पड़ रहे थे, उसे ऐसा लग रह था कि वह बादलों पर चल रही है. प्रिया के उस मादक रूप को याद करके वह फिर उत्तेजित हो रही थी. अब प्रिया के साथ के एकांत के लिए उसे कल दोपहर तक रुकना पड़ेगा यह बात उसे खाए जा रही थी.
एक घन्टे के बाद दोनो शॉपिंग को निकलीं. कांचुकी दुकानमे प्रिया ने सेल्सगर्ल को सब तरह की ब्रा और पैंटी दिखाने को कहा. कुसुम उन सुंदर अंतर्वस्त्रों को देख कर चकरा गयी कि कौन सी लूँ. सब एक से एक नाज़ुक और खूबसूरत थी. उसकी दुविधा देखकर प्रिया उसे चून्टि काटकर उसके कान मे बोली “मेरी पसंद की ले तो ठीक रहेगा, है ना? आख़िर मैं ही तो उन्हे सबसे ज़्यादा देखूँगी!” कुसुम शरमा गयी पर हां कर दी.
प्रिया ने चौंतीस बी कप साइज़ की दो सफेद, दो काली और एक एक स्किन कलर की, गुलाबी और मोतिया रंग की ब्रा और पैंटी के सेट लिए. सब एक से एक ब्रांड थे, लवबल, एनामोर, जाकी! वापस आते समय प्रिया बोली “कुसुम, मेरे पास भी काफ़ी कलर के सेट हैं पर मैं तो बस अधिकतर सफेद ही पहनती हूँ.
मेरे इस काले शरीर पर बस वही फबते हैं, मैं क्या करूँ ऐसे सब कलर ले कर. तू गोरी है, तुझ पर कोई भी रंग खिलेगा. और भी रंग आते हैं, ले लेंगे एक एक करके. और तेरा नाप भले ही पैंतीस कप सी हो, मैने चौंतीस कप बी लिए तेरे लिए. एकदम फिट बैठेगि तेरे बदन पर, तेरे इन स्तनों को मस्त ऊँचा करके रखेगी ये ब्रा.”
वापस आ कर दोनो कुसुम के यहाँ चाय पी रही थी. कुसुम को एक दो बार लगा था कि फिर प्रिया से लिपट जाए पर शरमा रही थी. प्रिया भी पूरी घाघ थी, जान बूझ कर कुसुम से दूर ही बैठी थी कि थोड़ा तड़पेगी तो और अच्छे से फँसेगी. कॉलेज से मंजेश के आने का भी समय हो गया था.
प्रिया उसे अब समझा रही थी कि ये महँगी ब्रा और पैंटी कैसे धोयि जाती हैं कि खराब ना हों. तभी मंजेश का फोन आया. कुसुम ने फोन उठाया.
“मा, आज मैं नही आ रह हूँ, यहाँ कॉलेज मे बहुत काम है. यही होस्टल मे रुक जाऊँगा. कल सुबह आऊंगा. ठीक है ना? तुम अकेली परेशान तो नही होगी?”
कुसुम का दिल उत्तेजना से धड़कने लगा. “ठीक है मंजेश बेटे, मैं देखती हूँ. वैसे अकेली कभी रही नही हूँ इस घर मे.”
“मा, ऐसा करो, प्रिया मौसी को बुला लो, या तुम उसके यहाँ आज रात सो जाओ.”
मंजेश के कहने पर कुसुम का चेहरा गुलाबी हो गया. अपने आप को संभाल कर वह बोली “ठीक है, मैं ऐसा ही करती हूँ, प्रिया मौसी के यहाँ सो जाऊंगी, तू सुबह अगर जल्दी आया तो बेल बजा देना” और फोन रख दिया.
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प्रिया समझ गयी थी कि फोन पर क्या बाते हुई हैं. उसकी आँखों मे एक नटखट चमक आ गयी. कुसुम का हाथ पकड़कर वह बोली “मंजेश नही आ रहा है ना? चलो हम दोनो अकेली हैं. तैयार हो जा कुसुम, बाहर चलते हैं घूम कर. मज़ा करेंगे, मस्त डिनर लेंगे कहीं. फिर वापस आकर मेरे यहाँ रत जगा करेंगे. सिर्फ़ गप्पें मारेंगे रात भर और कुछ नही, समझ गयी ना?” और उसने कुसुम को आँख मार दी. फिर मूह पर हाथ रखकर हँसने लगी.
कुसुम को समझ मे नही आ रह था कि क्या कहे. प्रिया की आँखों मे झलक रही अथाह कामना को देख कर वह फिर शरमा उठी थी. प्रिया तैयार होने अपने घर चली गयी. यहाँ कुसुम ने भी तैयारी की. नहाया, नहाकर नई वाली काली ब्रा और पैंटी पहनी. ब्रा टाइट ज़रूर थी पर उसके उरोजो को ऐसा निखार रही थी जैसे बीस साल की युवती हो. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
आईने मे अपने अर्धनग्न रूप को देख वह खुद से ही शरमा उठी. उसने नया ब्लाउज पहना, साड़ी प्रिया ने सिखाया था वैसे बाँधी. एक मोटि वेणि बाँधी, उसमे फूल लगाए. हल्के गुलाबी लिपस्टिक भी लगा ली. आईने मे खुद के रूप को देखकर वह चौंक गयी, यह क्या वही कुसुम है, हमेशा की दबी दबी बहनजी कुसुम? वह कितनी सुंदर लग रही थी इसका उसे अहसास हुआ.
एक और विचार उसके मन मे चमक गया. आज वह ऐसे तैयार हुई थी जैसे कोई नयी नवेली दुल्हन अपने पति के लिए तैयार होती है, या कोई प्रेमिका अपने प्रेमी से अभिसार करने को जाते समय सिंगार करती है. खुद से ही शरमाते हुए कुसुम मन ही मन मे बुदबूदाई “असल मे यही तो बात है, आख़िर मैं अपने चाहने वाले… वाली… के लिए तो कर रही हूँ यह सब.
बेल बजाने पर उसने दौड़ कर दरवाजा खोला. प्रिया भी पूरी बन ठन कर आई थी. शिफानकी साड़ी, लो काट स्लीवलेस ब्लाउज और पैरों मे ऊँची आईडी के सैंडल्स. आँचल के नीचे से उसके उरोज दो पर्वतों जैसे गर्व से सीना तान कर खड़े थे. शायद प्रिया ने ख़ास ब्रा पहनी थी. प्रिया का वह रूप देखकर कुसुम के मन मे अजीब सी गुदगुदी हो उठी.
उधर कुसुम का बदला रूप देखकर प्रिया भी दहलीज पर ही खड़ी रह गयी. आज रात को होने वाली रति की कल्पना कर कर के शाम से ही उसकी बुर गीली थी. अब कुसुम का मादक सौंदर्य देखकर उसे लगा कि अब पानी तो नही चुहुने लगेगा! पैंटी और साड़ी खराब हो जाएँगी. किसी तरह अपने आप को संभाल कर बोली “कुसुम, आज अगर तेरे पति होते तो उनकी खैर नही थी. वे तो बाहर ही नही जाने देते तुझे. खैर वे नही हैं तो ना सही, मैं देखती हूँ कि उनकी जगह मैं तुझे कुछ दिलासा दे सकती हूँ क्या.”
दोनो रात को दस बजे घर लौटीं. शाम कैसे निकल गयी कुसुम को पता ही नही चला. उसके मन मे एक अजीब सी उत्सुकता, मादकता और डर भरी हुई थी. घर वापस आकर जब वह कपड़े बदलने को अपने घर का दरवाजा खोलने लगी तो प्रिया बोली “कुसुम, अब घर क्यों खोल रही है? मेरे यहाँ ही सोने वाली है ना? फिर कपड़े बदलने की क्या ज़रूरत है. चाहिए तो मैं एक गाउन देती हूँ तुझे. पर तुझे उसकी ज़रूरत नही पड़ेगी.” और कुसुम की ओर देखकर मुस्करा दी.
प्रिया ने अपने फ्लॅट का दरवाजा खोला. धड़कते दिल से कुसुम प्रिया के पीछे पीछे गयी. अंदर से दरवाजा बंद करके लाक करके प्रिया उसे हाथ पकड़कर अंदर ले गयी. प्रिया के गरम हाथ के स्पर्ष से और प्रिया की ज़ोर से चलती साँसों से उसने अंदाज़ा लगाया कि उसकी सहेली कितनी उतावली हो रही थी.
चुपचाप सुहागरात मे दूल्हे द्वारा किसी दुल्हन जैसी खिंचीखिंची वह प्रिया का हाथ पकड़कर उसके बेडरूम मे दाखिल हुई. दो नारियों के उत्कट प्रेम का खेल अब शुरू होने वाला था. बेडरूम मे जाकर प्रिया ने अंदर से दरवाजा लगा लिया. फिर घूम कर उसने कुसुम को बाहों मे भर लिया और उसका एक दीर्घ चुंबन लिया. कुसुम ने भी शरमाते शरमाते चुंबन का जवाब दिया और फिर अपनी जीभ प्रिया के होंठों पर लगा दी.
प्रिया ने मूह खोल कर कुसुम की जीभ अपने मूह मे खींच ली और चूसने लगी. उसके हाथ अब कुसुम के लो कट ब्लाउज मे से दिखती चिकनी पीठ को सहला रहे थे. चुंबन खतम होने पर प्रिया धीरे धीरे कुसुम के कपड़े उतारने लगी. शरमाती हुई कुसुम आँखे बंद करके चुपचाप खड़ी रही. जल्द ही उसके बदन पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी भर बचे थे. प्रिया ने उन्हे हाथ नही लगाया, वैसे ही रहने दिया. फिर दो कदम पीछे होकर प्रिया कुसुम के उस अर्धनग्न रूप को देखने लगी.
“क्या दिखती है तू मेरी रानी, वारी जाऊं तुझपर! ये गोरा गोरा बदन और उसपर ये काली ब्रा और पैंटी. देख, टाइट ब्रेसियर की वजह से तेरी चून्चिया कैसी मस्त तन कर खड़ी हैं. आगे उभर आई हैं. अब कोई इन्हें कहेगा क्या कि छोटि हैं? मेरी जान, अब ज़रा गोल गोल घूम, फैशन माडल की तरह और मुझे अपना पूरा बदन दिखा. अगर मैं मर्द होती तो अब तक तुझे पटककर कब की तुझ पर चढ़ गयी होती. पर मुझे तेरे इस कुंदन से बदन का भोग लेना है आराम से, मज़े ले लेकर.”
कुसुम धीरे धीरे . और प्रिया ने भूखी नज़रों से उसके मादक रूप को चारों ओर से देखा. जब कुसुम की पीठ प्रिया की ओर थी तब उसकी वह चिकनी पीठ, उसपर टाइट बँधे ब्रा के काले स्ट्रैप और हुक, नाज़ुक कमर और उनके नीचे काली तंग पैंटी मे से बाहर आने की कोशिश करते हुए उसके बड़े बड़े नितंब देखकर प्रिया ने दो उंगलियाँ अपने मूह मे डाली और मजनुओ जैसी एक सीटि बजाने की कोशिश की.
सीटी तो नही बजी पर कुसुम का मन प्रसन्न हो उठा कि उसकी सुंदरता प्रिया को इतनी भा गयी है. पर सामने के आईने मे अपने चौड़े कूल्हे और मोटे तरबूज जैसे नितंब देखकर उसने निराशा भरे स्वर मे कह “वो तो ठीक है प्रिया दीदी पर इन कूल्हों का क्या करूँ, देखा कितने चौड़े हैं और इतने भारी भरकम हिप्स. बाकी बदन ठीक है पर मेरे इन फूले हुए हिप्स की मुझे बहुत शरम आती है.”
“अरी पगली, ये तो तेरे ट्रंप कार्ड्स हैं. किसी भी मर्द का इन्हें देख कर कैसा तन्ना कर खड़ा हो जाएगा देखना. मुझे भी बहुत अच्छे लगे. लगता है इनमे मूह छुपा दूं. अब तू यहाँ बैठ सोफे पर और मुझे देख. मैं खुद अपने कपड़े निकालती हूँ. ज़रा आराम से देख कि तुझे अपनी यह सहेली, अपनी दीदी कैसी लगती है. अब तक तो तूने सिर्फ़ एक झलक देखी है” प्रिया ने गर्व से कहा. उसकी आवाज़ मे एक सेक्सी औरत का कॉन्फिडेन्स था, जिसे मालूम है कि वह कितनी सेक्सी है.
धड़कते दिल से कुसुम प्रिया का यह स्ट्रीप टीज़ देखने लगी. आज उसे प्रिया के उस ऊँचे पूरे मासल शरीर के पूरे दर्शन होने वाले थे. उसे बहुत देर रुकना पड़ा, प्रिया इस मामले मे उस्ताद थी. उसने इतने धीरे धीरे और कुसुम को तरसा तरसा कर अपने कपड़े निकाले कि कोई प्रोफेशनल स्ट्रीप टीज़ डाँसर भी क्या निकालती.
पहले उसने अपनी साड़ी निकाली और ठीक से फोल्ड की. उसे अलमारी मे रखा. ऐसा करते करते वह बार बार इधर उधर घूम रही थी और झुक रही थी जिससे लो कट ब्लाउज मे से उसकी सफेद ब्रा की झलक दिख रही थी. ब्लाउज के आगे के कट मे से उफान कर निकलते हुए स्तनों और उनके बीच की खाई को देख देख कर कुसुम के मन की बेचैनी धीरे धीरे और बढ़ रही थी.
पेटीकोट के नाडे के नीचे की छोटि स्लिट मे से प्रिया की पैंटी दिख रही थी और पैंटी के अंदर की फूली हुई बुर का उभार बीच बीच मे दिखता था. फिर उसने अपना ब्लाउज निकाला. कुसुम उसके स्तन एक बार देख चुकी थी पर फिर भी सफेद ब्रा मे कस के बँधे उन उरोजो को देखकर उसकी उत्तेजना फिर तेज हो गयी.
प्रिया की इस ब्रा के कप गोलाकार नही बल्कि शंकु जैसे थे जिससे उसकी तो बड़ी बड़ी चून्चिया दो भॉम्पुओं जैसी तन कर खड़ी थी. ब्रा की नोक एकदम नुकीली थी. कुसुम सोचने लगी कि कैसा लगेगा अगर वे नोकें उसके स्तनों मे गड़ें! अंत मे प्रिया ने अपना पेटीकोट निकाला. अपने पैर उठाकर उसने पेटीकोट अलग किया और रख दिया.
केले के तने जैसी मोटि मोटि मजबूत और चिकनी जांघों को देखकर कुसुम का मन हुआ कि अभी जा कर उनके बीच मे अपना सिर फँसा ले या उन्हे चूम ले. पैंटी एकदम तंग थी, जरी सी थी. उसके बीच की पट्टि से बस प्रिया की बुर की लकीर और पीछे उसके उन विशाल नितंबों के बीच की लकीर भर छुपा पा रही थी, आधे चूतड़ नंगे थे. सामने से बुर पर की काली घनी झांतें पैंटी के पाते के दोनो ओर से झाँक रही थी.
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उस मतवाली नारी का वह रूप, सिर्फ़ एक सफेद ब्रा और पैंटी मे ढके उस साँवले मासल शरीर को देखकर कुसुम के मूह से एक सिसकी निकल पड़ी. उसकी वासना अब चरमा सीमा पर थी. उससे नही रह गया और अनजाने मे उसका हाथ अपनी चूत पर चला गया, कि अपनी चूत को रगाडकर किसी तरह से इस मीठी अगन से वह छुटकार पा ले.
प्रिया ने वह देख लिया और उसे आँखे दिखा कर मना किया कि क्या कर रही है, खबरदार! कुसुम की लाज लज्जा अब पूरी तरह से खतम हो चुकी थी. शोभि के उस मतवाले शरीर का उपभोग करने को वह मरी जा रही थी. “प्रिया दीदी, ऐसे मुझे मत तरसाओ, निकालो ना ये ब्रा और पैंटी, मुझे अपने शरीर का कुछ तो रस चखने दो.”
प्रिया आकर उसके पास बैठ गयी और उसे बाहों मे ले लिया. कुसुम को चूमते हुए बोली “मेरी रानी यही तो मज़ा है सेक्स का. अर्धनग्न नारी शरीर कितना लुभावना होता है, यह मैं तुझे समझाना चाहती थी. ब्रेसियर और लिंगरी का बिज्निस फालतू मे ही नही चलता, उसका कारण है. चाकलेट खाने का आधा मज़ा तो उसके उस लुभावने रैपर मे होता है. इसका मज़ा लेना सीख. सारी रात पड़ी है. इन लम्हों का लुत्फ़ प्यार से आराम से लो मेरी प्यारी बहना.”
अगले आधे घन्टे तक दोनो औरतों मे प्रखर रति हुई पर वह सिर्फ़ सूखी रति थी. एक दूसरे के चुंबन लिए गये, एक दूसरे की चून्चियो को ब्रा के ऊपर से सहलाया और दबाया गया, कभी ब्रा के ऊपर से ही घून्डिया चूसी गयीं. एक दूसरे की बुर को पैंटी के ऊपर से रगड़ने की क्रिया तो निरंतर चालू थी. अपूर्व असहनीय सुख कुसुम के अंग अंग मे भर गया था.
प्रिया भी आख़िर अपनी इस पड़ोसन को अपने बेडरूम मे लाने मे सफल हुई थी, इसलिए अच्छि मस्त थी पर वह अनुभवी खिलाड़ी थी, अपनी वासना पर उसका अच्छ कंट्रोल था. कुसुम अब कामोत्तेजना से रोने को आ गयी थी. उसकी आँखों मे वासना की वह पीड़ा देखकर आख़िर प्रिया ने समझ लिया कि इसे अब और तरसाना ठीक नही है.
उसने कुसुम की गीली पैंटी उतारी और खुद उठ कर कुसुम के सामने फर्श पर बैठ गयी. उसे कुसुम की चूत पास से ठीक से देखने और उसे प्यार करने की बहुत इच्छा थी पर कुसुम की महकती चूत की सुगंध ने उसका मन भी डाँवाडोल कर दिया. इसलिए बिना कुछ समय नष्ट किए उसने कुसुम की टांगे फैलाई और अपना मूह कुसुम की चूत मे डाल दिया. चूत से बहते चिपचिपे रस को वह चाटने लगी.
उसकी जीभ मे वह जादू था कि इतनी देर तरसति हुई कुसुम बस दो मिनिट मे झाड़ गयी. “उई माआआआआआअ मा उईईईईईईईईई ओह ओह्हीईईईईईईईईई ” की एक किलकारी के साथ उसने अपने हाथों से प्रिया का मूह अपनी चूत पर दबा लिया और अपनी जांघों मे प्रिया के सिर को जाकड़ कर आगे पीछे होती हुई कमर हिला हिला कर धक्के मारने लगी. उसकी योनि से अब रस की धार बह रही थी. प्रिया ने पूरा फ़ायदा उठाया और मन भर कर उस कामरस का स्वाद लिया.
कुसुम का स्खलन इतना तीव्र था कि वह रोने को आ गयी. प्रिया ने उसे चुप कराया. सिसकती हुई कुसुम बोली “कितना सुख है प्रिया तेरी इस जीभ मे, मैं मर जाऊंगी ऐसा लग रह था. आई लव यू प्रिया दीदी, अब मुझे अलग मत करना” प्रिया ने उसे पुचकार कर चुप कराया और जब वह शांत हुई तो फिर से नीचे बैठकर उसकी चूत देखने लगी.
“अब ज़रा ठीक से बैठ कुसुम, मुझे देखने दे, आख़िर जिस चीज़ का स्वाद इतना मस्त है वह दिखने मे कैसी है.”
प्रिया ने उंगलियों से कुसुम की चूत के भागोष्ठों को सहलाया और फिर उन्हे खोल कर बड़े गौर से देखा. चूत पर के बाल ठीक से कटे हुए और छोटे थे. भगोष्ठ छोटे थे और उनके ऊपर बीच का क्लिट भी ज़रा सा था, अनार के दाने से छोटा. प्रिया बार बार कुसुम की बुर को चूम लेती और कुसुम के मन मे एक सुख और प्रेम की लहर दौड़ जाती. कितना प्यार करती है प्रिया मुझे!
प्रिया ने उसकी चूत खोल कर एक उंगली अंदर डाली और अंदर बाहर करते हुए बोली “कुसुम डार्लिंग, बड़ी टाइट है तेरी ये चूत, मुझे लगा था कि तेरे पति ने पूरी ढीली कर दी होगी.”
कुसुम ने अपनी चूत को सिकोड़कर प्रिया की उंगली पकड़ ली. उसे मज़ा आ रहा था. “दीदी, ये यहाँ है ही कहाँ, साल मे दो तीन बार आते हैं. पहले भी जब यहाँ थे, इनका ज़्यादा इंटरेस्ट नही था. सो जाते थे थक कर, मुझे तो बरसों हो गये ठीक से चुदवाये हुए. उई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माआआआअ अच्छा लगता है! और करो ना प्रिया.”
प्रिया ने एक दो मिनिट उंगली की और जब कुसुम फिर से उत्तेजित होने लगी तो उंगली निकाल कर चाट ली. “मस्त शहद है रानी. एकदम प्योर्, कितना गाढ़ा है!”
कुसुम बोली “प्रिया, अब ज़रा मुझे भी चखा अपना शहद, बस खुद ही मज़े लेगी क्या?”
प्रिया उठकर कुसुम की ब्रेसियर निकालने लगी. “अब ज़रा अपने मम्मे दिखा फिर से. छोटे हैं पर बड़े प्यारे हैं, कश्मीरी सेब जैसे. और ये घून्डिया, ये मूँगफली, उन्हे चूसे बिना मैं तुझे अपना शहद नही चखाने वाली.”
कुसुम के स्तनों को उसने दबा कर इकठ्ठ किया और बारी बारी से उसके लंबे लंबे स्तनाग्र चूसने लगी. बीच मे ही वह उन्हे दाँतों मे दबा लेती और हल्के से काट लेती. मचल कर कुसुम ने प्रिया का सिर अपनी छाती पर दबा लिया और अपने स्तन उसके मूह मे घुसेड़ने की कोशिश करने लगी. प्रिया का हाथ अब भी कुसुम की चूत पर था, उसे वह प्यार से सहला रही थी.
कुसुम को फिर कामुकता के शिखर पर लाकर प्रिया उठ खड़ी हुई. “चल, अब तुझे अपने रस का खजाना दिखाती हूँ. तेरी प्यास बुझाती हूँ, तैयार है ना मेरा सोमरस पीने को?”
कुसुम की आँखे चमक रही थी. उसने सिर हिला कर हां कहा. प्रिया ने धीरे धीरे अपनी ब्रा और पैंटी उतारी. उसकी वे बड़ी बड़ी चून्चिया कुसुम दोपहर को देख चुकी थी फिर भी उन लटके हुए पपीतों को देखकर उसका मन डोलने लगा. और जब प्रिया ने पैंटी नीचे की तो जांघों के ऊपर के घने काले रेशमी बालों के त्रिकोण को वह देखती रह गयी. इतनी घनी झान्ट!”
मेरे बड़े बाल देख रही है ना? अरे मेरी झान्ट बहुत ज़्यादा घनी हैं. पर मुझे अच्छ लगता है इन्हें ऐसा ही रखना. और इनका दीवाना और भी कोई है, मैं बहुत प्यार करती हूँ उससे, उसीके कहने पर मैने इन्हें नही काटा” आकर प्रिया सोफे पर बैठ गयी.
और कुसुम को एक बार चूम कर उसे हौले से सोफे के नीचे उतारती हुई बोली “अब बैठ यहाँ मेरे सामने, मेरी टाँगों के बीच और ताव मार ले मेरे खजाने पर, जितना मान चाहे. जितना देखना है, छूना है, मन भर के सब कर ले. कोई जल्दी नही है. मैं खुद मियाँ मिठ्ठु नही बनती पर मुझे मालूम है कि मेरा खजाना एकदम रसीला और स्वादिष्ट है. टेस्ट करके देख, जितना पीना है पी, खाली नही होगा.”
कुसुम ने धीरे से वे घने बाल अपनी उंगली से बाजू मे किए; प्रिया के दो बड़े भगोष्ठ दिखने लगे, साँवले ही रंग के थे, अच्छे चौड़े और मोटे. कुसुम ने झुक कर उनका चुंबन लिया. अपनी उंगलियों से उसने चूत खोली, अब अंदर का गुलाबी छेद दिखने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
बिलकुल गीला था, उसमे से सफेद चिपचिपा रस निकल रह था. ऊपर के कोने पर अंगूर जितना बड़ा क्लिट था. कुसुम उसे देखती रह गयी, उसे विश्वास नही हो रह था कि इतना बड़ा क्लिट हो सकता है. उसने उसे धीरे से पकड़ा और दबाया. प्रिया के बदन मे एक कपकपि सी दौड़ गयी.
“क्लिट देख रही है? पसंद आया?” प्रिया ने पूछा.
“कितना बड़ा है प्रिया, मेरा तो इतना सा है, दिखता भी नही है.”
“आख़िर तेरी प्रिया दीदी का है, सब मे अलग, मुझे बहुत सुख देता है. देख क्या रही है, मूह मे ले कर चूस ना” प्रिया के कहने पर कुसुम ने उस अंगूर को अपने होंठों मे दबाया और चूसने लगी. प्रिया कराहकर मस्ती मे आगे पीछे होने लगी. अब उसकी चूत मे से पानी बाहर आना शुरू हो गया था.
कुसुम ने अब तक कभी चूत नही चूसी थी पर फिर भी ज़रा भी ना रुक कर उसने उस रस मे जीभ लगा दी. उस रस की सौंधी तेज गंध से और खारे कसैले स्वाद ने उसे बेपनाह मस्त कर दिया. अपने पति का वीर्य उसने कई बार चखा था, यह स्वाद उससे बहुत अलग था. कुसुम भूखे की तरह उस रसीले खजाने पर टूट पड़ी और जीभ से चाटने लगी.
प्रिया ने उसे कुछ देर मन मानी करनी दी फिर वा अपनी शिष्य को सिखाने लगी कि चूत कैसे चाटि जाती है. हर तरह के तरीके उसने बताए और कुसुम से करवा लिए. कुसुम अच्छि स्टूडेंट थी, फटाफट सीख गयी, इतना कि प्रिया जैसी घाघ औरत भी पंद्रह मिनिट से ज़्यादा नही टिक सकी और एक हूंकार के साथ स्खलित हो गयी.
हान्फते हुए उसने कुसुम को आखरी कला सिखाई “रा नि बहुत अच छी चाटति है.. तू.. ओह.. ओह.. अब मेरे होंठ मूह मे ले ले और चूस … अम्म्म्म ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जैसे आम चूसते हैं.”
कुसुम ने उसके भगोष्ठ मूह मे भर लिए और चूसने लगी. उसे ऐसा ही लग रहा था जैसे कोई रसीला आम चूस रही है, रस के घून्ट उसके मूह मे जा रहे थे. उसे आश्चर्य हुआ क्योंकि वह खुद कभी इतना रस नही छोड़ती थी, प्रिया की बुर से निकलने वाला रस करीब करीब किसी पुरुष के स्खलन से निकलने वाले वीर्य से भी ज़्यादा मात्रा मे था.
पूरा झड़ने के बाद प्रिया पाँच मिनिट बैठ कर साँस थमने तक रुकी और फिर कुसुम को पलंग पर ले गयी “आ जा रानी, कितना मस्त चूसा मुझे तूने, लगता नही है कि पहली बार कर रही थी. सच बता, कोई यारिन है क्या तेरी?” कुसुम ने शरम कर कहा कि स्त्री स्त्री संभोग का यह उसका पहला मौका है.
“अच्छ लगा? या मुझे खुश करने को चूस रही थी?” अपनी बाहों मे कुसुम को लेकर बिस्तर पर लेटते हुए प्रिया ने पूछा.
“बहुत अच्छ लगा दीदी. कैसा स्वाद है, अजीब सा पर मन को भा जाता है. ऐसा लगता है कि चूसति रहूं. और खूब सारा रस था, मुझे लगा कि औरते इतना रस नही ….” कुसुम ने प्रिया की बाहों मे अपने आप को समर्पित करते हुए कहा.
“हां, अधिकतर औरते कम रस छोड़ती हैं, बस आधा एक चम्मच पर कई औरते बहुत सारा इज़ाकुलेशन करती हैं. उनमे से मैं भी एक हूँ. अच्छा है ना? मेरे चाहने वालों को मन भर के रस पिला सकती हूँ” और प्रिया ने कुसुम को कस के भींचा और उसके होंठ चूमने लगी. उसके विशाल भरे पूरे साँवले शरीर पर पड़ी हुई उससे कम कद और आकार की कुसुम ऐसी लगती थी जैसे किसी मा ने अपनी बेटि को आगोश मे लिया हुआ हो.
कुसुम झुक कर प्रिया का एक निपल मुँह मे लेने की कोशिश करने लगी. उसने अपने दोनो हाथों मे एक चून्चि पकड़ ली थी जैसे कि किसी बड़े नारियल का पानी पीने की कोशिश कर रही हो. प्रिया ने मुस्कराकर कहा “मेरा स्तन पान करने का मूड है तेरा कुसुम? ले मैं कराती हूँ तुझे स्तनपान” उसने पलटकर कुसुम को नीचे सुलाया और खुद उसपर सो गयी.
कुसुम का मूह खोल कर उसने उसमे एक घून्डि घुसेड दी और कुसुम का सिर अपनी छाती पर भींच कर उसपर वजन देते हुए सो गयी. कुसुम की एक टाँग को अपनी जांघों मे क़ैद करके उसपर अपनी बुर रगड़ते हुए वह धक्के मारने लगी जैसे चोद रही हो. उसके वजन से उसके स्तन का अगला भाग कुसुम के मूह मे घुस गया.
उसका दम सा घुटने लगा पर उसपर ध्यान ना देकर प्रिया ने उसे और भींचा और अपना उरोज और उसके मूह मे ठूँसने की कोशिश करते हुए उसने धक्के मारना चालू रखा कुसुम को अपना दम घुटता सा लगा पर मूह मे खचाखच भरा स्तन का मुलायम मास भी उसे मदहोश कर रह था.
प्रिया का यह ज़बरदस्ती का अंदाज भी उसे बहुत प्यारा लगा. आख़िर प्रिया बड़ी थी, उसकी दीदी थी, उसे इतना सुख दिया था, और उसको पूरा हक था कि वो जो चाहे जो करे. चुपचाप पड़े पड़े वह प्रिया की चून्चि चूसति रही और उसके धक्के सहन करती रही.
प्रिया की वासना अब धधक रही थी. उठ कर वह कुसुम से बोली. “कुसुम चल, अब स्त्रियों का ख़ास आसान करते हैं, सिक्सटी नाइन. मुझे अब नही रह जाता. तू है ऐसी मीठी कि तेरा फिर से रस पीने का मन हो रह है. मेरी खजाने मे भी काफ़ी रस जमा हो गया है लगता है तेरे लिए” कुसुम कुछ नही बोली पर उसकी आँखों के भाव से सॉफ था कि कुछ भी करने को वह तैयार है.
अपनी करवट पर उलटि बाजू से लेट कर प्रिया ने कुसुम की कमर मे हाथ डालकर उसे पास खींचा और उसकी टाँग उठाकर अपना मूह उनके बीच डाल दिया. खुद उसने अपनी एक टाँग उठायि और कुसुम के सिर को अपनी बुर से सटा दिया. कुसुम के सिर को अपनी जांघों मे जकाड़कर उसने उसके मूह पर धक्के मारने शुरू कर दिए.
यह आसन कुसुम के मन को लुभा गया. उसने सुना बहुत था पर किया कभी नही था. प्रिया बड़ी कुशलता से उसके नितंब पकड़कर अपनी जीभ से उसे चोद रही थी और बीच बीच मे अपनी उंगली से उसकी गुदा को टटोल देती थी. कुसुम भी मन लगाकर प्रिया की चूत चूसने मे लगी थी.
उसने अपनी बाहों मे प्रिया के भारी भरकम चूतड़ भर लिए थे और उन्हे दबाते हुए पूरे ज़ोर से अपनी सहेली की बुर का पानी पीने मे लगी थी. वह रात कैसे और कब गुज़री, कुसुम को समझ मे ही नही आया. वह एक अलग दुनिया मे थी, उत्तेजना और कामना के स्वर्ग मे ऐसी खो गयी थी कि समय का कोई एहसास नही बचा था.
प्रिया ने अपनी साथिन का पूरा उपभोग किया. उसे हस्तमैथुन के नये तरीके सिखाए, कैसे दो उंगली से बुर खोदी जाती है, कैसे क्लिट को अंगूठे से रगड़ते हुए जीभ को चम्मच की तरह चूत मे डालकर रस निकाला जाता है आदि आदि. अपनी वासना पूर्ति मे प्रिया ने कोई कमी नही होने दी.
बराबर अपनी बुर कुसुम से चुसवाई. जीभ से पूरी चूत चटवायि और चुदवायि. बीच मे जब प्रिया की बुर मे जीभ करते करते कुसुम की जीभ दुखने लगी और वह रुक गयी तो प्रिया ने उसे नीचे पटककर अपनी जांघें जकाड़कर उसके सिर को पकड़ लिया और ज़बरदस्ती अपनी बुर उसके मूह पर रगड़ने लगी.
आख़िर रात को जब कुसुम पूरी लास्ट हो गयी और सिमटकर सोने की कोशिश करने लगी तो प्रिया ने अपना आखरी तीर छोड़ा. उसने निश्चय किया कि कुसुम की चूत के रस की बूँद बूँद जबतक वह नही निचोड़ लेती तबतक उसे नही छोड़ेगी.
थकि हुई कुसुम को उसने बिस्तर पर सीधा सुलाया और खुद उसपर उलटि बाजू से सो गयी. अपनी बुर उसने कुसुम के मूह पर जमाई और खुद झुक कर कुसुम की बुर भागोष्ठों समेत अपने मूह मे भर ली. फिर उसे चूसते हुए, कुसुम के क्लिट को अपने अंगूठे से रगड़ते हुए वह कुसुम के मूह को चोदने लगी.
जैसे उसके मूह को साइकिल की सीट बनाकर सवारी कर रही हो. जब प्रिया ने दाँतों मे कुसुम के क्लिट को ले कर हल्के से चबाया तो बेचारी कुसुम को सहन नही हुआ. वह इतना झाड़ चुकी थी कि उसकी बुर मे कुछ नही बचा था. अब अपनी चूत या क्लिट पर किसी तरह का स्पर्ष उसे सहन नही हो रहा था.
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बेचारी छूटने के लिए हाथ पैर मारते हुए प्रिया को कहने की कोशिश कर रही थी कि दीदी अब छोड़ो, मैं मर जाऊंगी. पर प्रिया ने उसका मूह अपनी बुर से कस के बंद कर रखा था. उधर प्रिया अपना पूरा कामकौशल लगा रही थी कि कुसुम को और झड़ाए, उसकी बुर को पूरा निचोड़ ले. खुद उसकी बुर अभी भी मस्त थी और ज़बरदस्ती वह कुसुम को अपनी चूत का पानी पिला रही थी. आख़िर बेचारी कुसुम को अपनी चूत की नसों पर पड़ता यह अति सुख का बोझ सहन नही हुआ और एक लंबी साँस लेकर वह बेहोश हो गयी. उसके शरीर के ढीले पड़ने के बाद प्रिया ने उसे छोड़ा.
उठ कर प्रिया ने कुसुम के निस्तेज पड़े भोगे हुए गोरे बदन को देखा. उसके होंठों पर एक मुस्कान थी, कुछ मीठी और कुछ कुटिल. आज वह पूरी तृप्त थी, आख़िर उसने अपनी इस पड़ोसन को फँसा कर उसे मन चाहे वैसा भोग लिया था. उसे अपने इस मीठे जाल मे फँसाने का उसका इरादा पूरा हो गया था. अब इस जाल मे से कुसुम का छूटना असंभव था. कुसुम के ढीले पड़े शरीर को बाहों मे लेकर वह सो गयी जैसे वह शरीर किसी औरत का नही, बल्कि कोई बड़ा टेडि बीयर हो, खिलौना हो. कुसुम के बदन से खेलते खेलते प्रिया की भी आँख लग गयी.