Lesbian Chudai Kahani
यूँ ही जुलाई का महीना था. हमारे हॉस्टल में नयी नयी लड़कियों ने दाखिला लिया था. बाहर बरसात होने की वजह से हम सब को ऑफिस से लौटने के बाद अपने अपने कमरों में रहना पड़ता था. संजना और में खूब मस्ती करती थी उन दिनों. शाम होने के बाद कमरे में बैठ के किताबे पढ़ती थी हु. Lesbian Chudai Kahani
न जाने कहाँ से ऐसी ऐसी किताबे लाती थी जिनमे सिर्फ सेक्स की ही बाते होती थी और फोटोज भी. हम भी सब पढ़ती थी और रात को वैसे ही करती थी जैसी इन किताबो में लिखा जाता था. वैसे भी सारी किताबे सिर्फ लेस्बियन्स पे ही नहीं होती थी इसीलिए हम रोले प्ले करती थी. कभी हु मर्द तो मैं औरत फिर कभी मैं मर्द और हु औरत बनती थी.
जुलाई महीने का १५ तारीख हुआ था. हॉस्टल में जान्हवी आ गयी थी क्यों की नयी नयी तीन लड़कियां आयी थी. मुझे उनमे कोई दिलचस्पी नहीं थी क्यों के मैं संजना के साथ खुश थी. पर उस दिन रात को प्रिया दीदी ने बुलावा भेजा तो मैं गयी. वह मुझसे बोली “जो नयी लड़कियां आयी है उनको तू हमसे मिला. जैसे तू मज़े ले रही है उन्हें भी मज़े लेने दे.”
मैं बोली “दीदी मैं कैसे आप जैसे कर सकती हूँ. आप तो आप है और मैं तो नयी भी हूँ.”
“इसीलिए तो तुझे बोल रही हूँ. देख तो तो नयी जैसी ही है तो उनसे मिलने में तुझे कोई परेशानी नहीं होगी और फिर उन्हें समझा देना यहाँ क्या क्या होता है और कैसे होता है. देख इतना तो तुझे करना ही पड़ेगा इसमें तेरी ही तो भलाई है!!! कल मैं चली जाउंगी तो उनके साथ कौन रहेगा तू ही न.”
मैं कुछ कह नहीं पायी. अपने कमरे में लौटने के बाद मैं चुप चाप बैठ गयी.
तो संजना आके बोली “क्या हुआ तुझे? प्रिया दीदी कुछ बोली तुझसे?”
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तो मैंने उससे सारी बाते की. वो भी घबरा गयी फिर बोली “ठीक है चल हम भी शाने (मुम्बइया स्टाइल में जो बोलते है न) बन जाते है. हम भी सबके गुरु बन जाते है. कल तक प्रिया दीदी ने सबको लेस्बियन बनाया आज हम सब को लेस्बियन बनाएंगे. उनसे पहले हम सबसे मज़े करेंगे फिर प्रिया दीदी के पास भेजेंगे.”
मेरे चेहरे पे ख़ुशी आ गयी. शाम ढल चुकी थी सभी लड़कियां डिनर के लिए जैसे ही हॉल में पहुंची तो मैंने तीनो नयी लड़कियों का परेड करवाया. उनके साथ खूब बाते की और फिर उन्हें भी मेरे साथ फ्री होने का मौका दे दिया. उन तीनो में से एक लड़की थी पल्लवी जो बहुत ही सेक्सी थी.
वैसे में बता दूँ मुझे कैसी लड़की पसंद है. जो लम्बी कद काठी की हो (५ फ़ीट ६ के करीब) पतली हो गोरी हो जिसके स्तनों की आकर छोटी हो जो ले तो मुँह में भर जाए और छाती से मुँह सट जाये. जिसके लम्बी लम्बी काले और घने बाल हो. जो बाते अच्छी और मीठी करे. जिसके बदन से खुसबू आये और पल्लवी ऐसी ही थी.
उसे देखती ही उससे सेक्स करने की इच्छा मेरे मन में आने लग गयी. मैंने यह बात संजना को बताया तो वो भी राज़ी हो गयी और हमने पल्लवी को डिनर के बाद रूम में आने का न्योता दिया. पल्लवी जब कमरे में आई तो उसने हाफ पेंट और ओवर साइज़ टी-शर्ट पहने के आई थी. उसके आने के बाद हम इधर उधर की बाते करने लगे.
फिर संजना उससे पूछी “पल्लवी आप बुरा न मानो तो एक सवाल पुछु?”
“अरे नहीं आप ऐसी क्यों बोल रही है पूछिए न क्या पूछना है?” वह बोली.
संजना बोली “आप इतनी सुन्दर हो की आपसे कोई भी प्यार कर बैठे क्या आपकी कोई बॉय फ्रेंड है?”
वह हस के बोली “नहीं मेरी तो कोई भी बॉयफ्रैंड नहीं है… और फिर आप तो सुन्दर है क्या आपके कोई बॉय फ्रेंड्स है?”
हम दोनो ने एक दूसरे को देखा फिर पल्लवी को बोले “गेस करो.”
वह कुछ देर सोचती रही फिर बोली “मुझे लगता है आप दोनों के बॉय फ्रेंड्स है.”
हम दोनों हस पड़े फिर हस्ते हुए बोले “तुम्हे कैसे पता?”
वह कुछ नहीं बोली बाद हम दोनों को देखती रही. फिर शंका के साथ बोली “क्या मैंने गलत जवाब दे दिया क्या? आपका कोई बॉय फ्रेंड नहीं है?”
संजना हसती हुई बोली “है न. हम दोनों की ही बॉयफ्रैंड्स है. इसके लिए मैं और मेरे लिए वह. हम दोनों ही एक दूसरे के बॉयफ्रैंड्स है.”
वह कुछ समझ नहीं पायी और हम दोनों को देखती रही फिर बोली “आप हमसे मज़ाक कर रहे है? यह कैसे हो सकता है. आप दोनों तो लड़कियां है.!!!!!!”
“तो क्या हुआ लड़की लड़की से प्यार नहीं कर सकती क्या?” मैं बोली.
“कर सकती है लेकिन बॉयफ्रेंड कैसे हो सकती है?” वह पूछने लगी.
“क्यों बॉयफ्रैंड्स कुछ अलग होते है क्या? वह भी तो इंसान ही होते है जो दूसरे के साथ समय बिताना चाहते है बाते करते है साथ खाते पीते है साथ सोते भी है.”
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“लेकिन दो लड़कियां कैसे साथ….” वह रुक गयी.
“सो सकती है? यही पूछना चाहती हो न तुम?” मैं बोली.
और वह अपना सर हिला के हाँ बोली.
“तो इसमें क्या है. हम दोनों तो हमेशा साथ रहते है. एक साथ बाते करते है एक साथ खाना कहते है. अपने हर सुख दुःख बांटते है. और…”
वह मेरे चेहरे को देख रही थी.
“सोते भी है.” मैंने कहा.
वह चौंक गयी पर खामोश रही. संजना उसके पास जाके बोली “तुमने फायर फिल्म देखि है?”
और वह हाँ बोली तो उसने कहा “उस फिल्म में शबाना आज़मी और नंदिता दास एक दूसरे से प्रेम करते थे. हाँ के ना? एक साथ सोते भी थे. हाँ के ना? बस वैसे ही हम एक दूसरे से प्रेम करते है.”
वह कुछ बोल नहीं रही थी.
तो मैंने कहा “क्या सोच रही हो?”
“लेकिन यह सब तो फॉरेन में होता है न?” वह बोली.
“नहीं यहाँ भी होता है बस वहां इसको सब के सामने करते है और हमारे यहाँ चोरी छुपे ही यह सब होता है.” मैंने कहा.
“फिर आप लोग कैसे करती हो इससे?”
“हम अपने कमरे में इससे करते है किसीको बताने की जरूरत ही नहीं.” मैंने कहा.
“लेकिन किसी ने देख लिया तो?” वह सहमी से पूछने लगी.
संजना मेरे चेहरे को देख के जोर से हसने लगी और उसके साथ साथ मैं भी हस पड़ी. वह कुछ समझ नहीं पायी.
तो संजना बोली “कौन देखेगा? यहाँ तो सब ही ऐसे है? सब के सब मज़े में मस्त है. तो किसी से डरना कैसा?”
वह आश्चर्य के साथ हम दोनों को देखने लगी.
तो मैंने कहा “इस हॉस्टल में रहने बाले सभी लड़कियां आपस में प्रेम करती है. जीतने दिन यहाँ रहे खूब मस्ती करना फिर क्या पता यहाँ से बाहर जाने के बाद आपको कैसी जीवन साथी मिले. हम सब हॉस्टल में ही रहती है. बॉयज के पीछे नहीं भागती. वह धोखा देंगे लेकिन यहाँ किसी बात का दर नहीं.”
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संजना बोली “लड़को से सेक्स करेगी तो बहुत परेशानी है. प्रेग्नेंट बन जाओगी लेकिन यहाँ कोई फिकर नहीं है. हम रोज़ सेक्स करे भी तो प्रेग्नेंट नहीं होंगे.”
रात के साढ़े दस बज चुके थे. हॉस्टल सुनसान हो चुक्का था. पल्लवी शायद जाने के लिए कहना चाहती थी लेकिन हमारी बाते सुन के उसके भी मन में कुछ कुछ होने लगा. वह उठ खड़ी हो गयी पर जा नहीं पायी.
मैंने कहा “तुम बहुत सुन्दर हो. तुमसे तो कई लड़के पीछे पड़े होंगे.”
वह बोली “कहाँ? आप तो मुझसे बहुत सुन्दर है. मुझे तो मेरे क्लास की लड़किया चिढ़ाती थी के मैं सुन्दर नहीं हूँ. इतनी दुबली पतली. सब कहती थी के अगर मैं थोड़ी मोटी हो जाऊ तो संदर हो जाउंगी. मुझपे तो कोई भी सलवार नहीं अच्छा लगता. जींस पहनती हु तो मैं स्केलेटन जैसी दिखती हु.” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वह हमसे खूब घुल मिल गयी थी और वह बेझिझक बाते करती चली जा रही थी. तभी संजना मेरे और इशारा करके बोली “इसको तेरे जैसी लड़कियां अच्छी लगती है. जो स्केलेटन ही हो. जिनके बदन पे छोटे छोटे ब्रेस्ट हो.”
वह मेरे और देखती रही और कुछ नहीं बोली.
तो मैं बोली “मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो. मुझसे दोस्ती करोगी?”
वह दुविधा में पड़ गयी थी शायद यही सोचती होगी के दोस्ती करने के बाद मैं उसके साथ क्या करुँगी. शायद उसको इस बात से डर लग रहा था के हम दोनों सेक्स के बारे में इतनी बाते की है तो शायद उसके साथ हम कुछ उल्टा पुल्टा न कर दे. थोड़ी देर हो गयी पर वह कुछ नहीं बोली.
तभी संजना कमरे से बाहर चली गयी. मैं वहां अकेली रह गयी. मैं दरवाज़े पे जाके संजना से पूछने लगी के कहाँ जा रही हो तो उसने कहा के वह प्रिया दीदी के कमरे में जा रही है. मैं दरवाज़ा बंद करके कमरे में आई और अचानक ही पल्लवी को पीछे से जकड ली.
और वो कुछ बोल सके उससे पहले ही मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया. और उसके होंठो को चुसती रही और उसके मुँह में अपना जीभ डालना चाहा तो मुझे आश्चर्य हुआ के उसने कोई भी रेजिस्टेंस नहीं दिया और मेरे जीव के साथ अपना जीव को लड़ा दी.
हम दोनों एक दूसरे के जीव को चाट चूस रहे थे. मैं उठी और कप्बोर्ड में से संजना की किताब निकाल के ले आयी और उसे खोल के पल्लवी को दिखाया. वह चौंक गयी और बोली “आप यह सब किताब लाते कहाँ से है? यहाँ रखती है कोई कुछ नहीं कहता है?”
मैं हस्ते हुए उससे लेस्बियन सेक्स की कुछ तस्वीरें दिखाती रही. और उसके बदन में आग लगाती रही. फिर मैंने उठ के कमरे की बत्ती को बंद कर दिया. अभी हम दोनों के बीच कोई लाज की दीवार नहीं थी. मैं पल्लवी के पास जाके उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ दाल के उसके ब्रेस्ट को मिसलना सुरु किया.
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हाथो में लेके उन्हें दबाती रही. और उसकी मुँह से अव्वाज़ निकल आई आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. तभी मैंने उसके टी-शर्ट को उतर दी और देखा के वह ब्रा नहीं पहनी थी. मैंने जब पूछा तो बोली “कोई जरूरत नहीं है यह तो इतनी छोटी है और तना है के हमेशा खड़ी होके रहती है.”
उसके कहने से ही मेरे बदन में आग लग गयी और मैंने उसके राइट ब्रैस्ट को अपने मुँह में लेके चूसने लग गयी. वो फिर से आवाज़ करने लगी आआआआ ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह, धीरे…… मैंने ऐसी ख़ुशी कभी नहीं सोची थी. प्लीज धीरे धीरे करो न. मैं मर जाउंगी. हाय………. आप कितना जोर से चुस्ती है. आप मेरी जान ले लेगी……………”
वह ऐसी ही बोलती रही और में उसके दोनों ब्रेस्ट को चुस्ती रही. फिर उसके पैन्ट्स के अंदर हाथ डाला तो चूत पे पतले पतले बाल हाथ में आये. उसने मेरे हाथ को वहीँ पे रोकने की कोशिस करने लगी. पर मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने हाथ फेर ली थी. वह बस सिसकियाँ भर रही थी.
मैंने धीरे से उसकी पेंट को निचे कर दिया तो वह बोली “यह क्या कर रही हो आप?”
“तुमने अभी तस्वीर देखी न? बस हम वैसे ही करने वाले है.” मैं बोली.
“क्या” वो चौंक उठी “आप मेरी चूत को मुँह में लेंगी?”
वो कुछ बोल पाती मैंने उसको बेड पे धकेल दी और उसके ऊपर चढ़ गई. फिर उसके चूत पे अपने मुँह लेके रगड़ी. उसकी पूरी बदन में कम्पन सुरु हो गया. वह इधर उधर घूमने लगी तो मैंने उसको कस के पकड़ ली और उसके छेद में से अपने जीव को ऊपर की और लाते हुए उसकी क्लाइटोरिस को मुँह में ले लिया और अपने दोनों लिप्स से उसको चूसने लग गयी.
वह जोर जोर से सिसकियाँ भर रही थी. ऊऊऊऊऊऊउईईईईईई माह्ह्ह्हह्ह…… यह क्या कर रही हो. मैं मर जाउंगी. क्या आप हमेशा ऐसे करती है? ऊऊऊऊह्ह्ह्ह माआआआ……. फिर उसके बदन में एक जोर दार कम्पन आना सुरु हुआ तो वह चौंक के बोली “मुझे कुछ हो रहा है. मेरे अंदर से कुछ चीज़ बाहर आने लगी है जैसे लगता है. ओह गॉड मैंने ऐसा कभी फील नहीं किया था. आप ने क्या कर दिया?”
मैंने उसके क्लीट को चूसना जारी रखा और फिर उसके चूत के अंदर अपना जीव डाल के अंदर बाहर करने की कोशिस करती पर अंदर गया नहीं. वर्जिन थी शायद इसीलिए मैं उसके अंदर अपना जीव भी नहीं डाल पायी. पर फिर मैंने उसकी क्लीट को थोड़ी बाईट की तो उसकी चूत में से पानी निकलना सुरु हो गया.
वह बहुत रिलैक्स फील कर रही थी. जैसे ही मैंने उसकी चूत से पानी निकाल दी वह जैसे थक गयी और बिस्तर पे पड़ी रही. मैं फिर भी उसकी चूत को चाट रही थी. थोड़ी देर बाद मैं ऊपर आयी और उसको एक जोरदार किश कर दी. थोड़ी देर बाद जब हम फिर से बाते करने लगे.
तो वह बोली “पता है जब मैंने फायर फिल्म देखि थी दोस्तों के साथ कॉलेज से जाके तो मैंने यह सोचा तो था के लेस्बियन्स होती है लेकिन कभी यकीन नहीं हुआ. मेरे कई सहेलियों पे मुझे हमेशा शक रहता था. मुझे लगता था के वह सब भी लेस्बियन होंगी हमेशा साथ साथ घूमती थी और कभी लड़को से मिलती नहीं थी. सच कहु तो मुझे भी मन कर रहा था के किसी से मैं भी सेक्स करू. लड़की हु इसीलिए लड़को से डर लगता था क्यों के वो सब धोखा देते है. लेकिन किसी लड़की से कभी कह नहीं पायी. मुझे आज बहुत ख़ुशी है.”
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तभी मैं सोचें लगी के यही मौका है एक बार फिर इससे सेक्स करने का. क्योंकि मुझे वह बहुत अच्छी लगने लग गयी थी. मैंने इसी हॉस्टल में बहुत सारी लड़कियों से सेक्स किया था लेकिन किसी से भी मुझे वह आनंद नहीं मिली जो पल्लवी से मिला. मैं फिर उसके ब्रेस्ट को चूसने लगी तो वह भी हरकत में आ गयी.
उसने अपने हाथो से मेरे स्तनों को दबोचा फिर धीरे धीरे दबाना सुरु किया. उसने मेरी नाईट सूट की शर्ट को खोल दी और मेरी राइट ब्रैस्ट को अपने मुँह में ले ली. लेकिन वह उससे इतनी जोर जोर से चूसने लगी के मानो कोई बच्ची आम चुस्ती हो. फिर वो मेरे दोनों ब्रेस्ट को चूसने चाटने लगी.
उसने अपने एक हाथ मेरे चूत पे रख दी और चौंक कर बोली “आप के वहां तो बाल नहीं है?”
मैं हस्ती हुई बोली “संजना को साफ़ चूत पसंद है वह उससे घंटो तक चुस्ती चाटती है न.”
“क्या मैं भी आपकी चूत को मुँह में ले लू?” वह पूछने लगी.
और मैंने कहा “सेक्स करते वक़्त सवाल नहीं करते है. जो तुम्हारे मन में आये वैसे करो.”
वह निचे चली गयी और मेरे चूत के पास अपना मुँह इधर उधर घूमाने लगी. मैंने पहले से ही उसमे परफ्यूम डाल दी थी. क्यों की मुझे पता था मैं आज इसी से सेक्स करवाके रहूंगी. वो मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में लेके खाने लगी. मुझे यूँ लगने लगा मानो कोई पहली बार मेरे चूत पे मुंह मार रही हो.
मैं कांप रही थी और वो मुझे चुस्ती रही. नए नए बच्चो को खिलौना पकड़ दिया जाये तो जैसे वह उससे खेलते है वैसे ही पल्लवी मेरी चूत को चूसती जा रही थी और मेरे मुँह से आआह्ह्ह्ह ऊऊऊउईईईईई माआआआअ की आवाज़ आने लगी थी. फिर मैंने उससे रुकने के लिए कहा और उसको मेरे ऊपर उल्टी करके लेटा दी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसकी मुँह मेरे चूत पे रख दी और मैंने भी उसकी चूत को अपने मुँह के पास रख दी और हम दोनों ६९ के पोज़ में एक दूसरे को चूसते रहे. इस बार भी पहली बार की तरह ही पल्लवी की बदन में कम्पन सुरु होने लगा और उसकी हालत को देख के मेरी भी चूत मस्त हो गयी थी.
मैं उसकी चूत को अब धीरे से सहलाने लग गयी ताकि उसकी अभी पानी न निकले. वैसे ही हुआ. हमने एक दूसरे को करीब दस मिनट और चूसते रहे और तभी मेरी बदन में कप कपिया आने लगी तो मैंने उसकी चूत को चूसना जोर जोर से सुरु कर दी और वह तो पहले सी ही लगी हुई थी.
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कुछ ही पलो में हम दोनों झड़ गयी थी. हम दोनों थक गयी थी. हम उठे और एक साथ टॉयलेट में जाके अपने आप को साफ़ किया और फिर कमरे में लौटे. तब घडी में रात के साढ़े बारह बज़ चुके थे. संजना अभी तक नहीं आयी थी. मैंने पल्लवी को कहा के वह अपने कमरे में चली जाये.
तो वो बोली “मुझे डर लगता है आप भी चलो न साथ. और फिर वही प्रिया दीदी के कमरे के पास ही तो है मेरा रूम संजना दीदी भी वहीँ है उनको साथ लेके आ जाना.”
मैं हस दी और बोली “संजना अभी प्रिया दीदी के साथ बिजी होगी. वो उसे इतनी जल्दी कैसे छोड़ेंगी? फिर भी तुम कहती हो तो चलो. तुम्हारे साथ चलती हु मौका मिला तो तुमको प्रिया दीदी से मिला दूंगी.”
प्रिया दीदी के कमरे के बाहर जाके मैंने जैसे ही दरवाज़े पे दस्तक दी तो अंदर से प्रिया दीदी पूछने लगी “कौन है?”
मैं बोली “दीदी में हु विभा. संजना है यहाँ?”
तो वह बोली “ओह तू है आजा अंदर. दरवाज़ा खुला ही है.”
मैंने जब दरवाज़ा खोला तो अंदर प्रिया दीदी और संजना बेड के ऊपर ६९ पोजीशन कर रहे थे. और पल्लवी को देख के प्रिया दीदी बोली “आजा हमारे साथ तू भी मज़े कर ले.” फिर हम चारो अंदर चली गयी और दरवाज़ा बंद कर दिया.
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