Small Chut
मेरा नाम डॉक्टर कार्तिक है। मैं मूलरूप से झारखण्ड के एक गांव का निवासी हूँ। मेरे गांव में जंगली आदिवासी लोग रहते हैं। जो कि शहर से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित है। मेरे पिता भी एक डाक्टर थे जो गांव के लोगों का इलाज जड़ी-बूटी से किया करते थे। लेकिन मेरे पैदा होने के बाद उन्होंने गांव छोड़ दिया और शहर में आकर बस गए। Small Chut
मेरी शिक्षा-दीक्षा झारखण्ड के रांची शहर में पूरी हुई। पिताजी डाक्टरी के पेशे से इतना प्रभावित थे कि उन्होंने मुझे भी डाक्टर बनाने के लिए मेरा दाखिला लन्दन में कर दिया। मैं लन्दन विश्वविद्यालय से डाक्टरी की डिग्री हासिल की और वापस अपने शहर रांची आ गया.
लेकिन मेरा मन रांची में नहीं लग रहा था क्योंकि लंदन में पढ़ाई के दौरान मेरी कई अच्छी लड़कियां दोस्त बन गई थीं और कई लड़कियों के साथ मैंने शारीरिक संबंध भी बनाए थे। जिससे मेरा मन भी अब लड़कियों के साथ ही काम करने में लगता था।
काफी दिनों तक मैं खाली समय बैठा रहा। फिर मैंने डाक्टरी में शोध करने का विचार बनाया और मैंने रांची शहर में ही स्त्रियों के शोध के सब्जेक्ट से एडमीशिन ले लिया। जहाँ मैंने स्त्रियों के जननांग, गुप्त रोग, प्रसव, नि:सन्तान संबंधित कई प्रकार के शोध किए।
इस दौरान रोज मुझे स्त्रियों के जननांग को छूने को मिलता। तरह तरह के सवाल जवाब पूछने को मिलते। मेरे साथ एक लड़की भी शोध कर रही थी तो अब मेरे मन भी लगने लगा था, मैं प्रसन्न रहने लगा। शोध के दौरान तो कई बार लड़कियों से खूब तफरीह होती थी, लड़कियों की बुर एवं दूध में हाथ लगाकर उन्हें छेड़ता और कहता लाओ तुम्हारी ‘वो’ चैक करूँ कि मासिक धर्म समय से क्यों नहीं आ रहा।
इसे भी पढ़े – बाथरूम में पूरी नंगी नहाते देखा पड़ोसन
इसी तरह मेरे शोध का समय भी पूरा हो गया और पेपर की डेट आ गई, पेपर होने के बाद मुझे डिग्री भी मिल गई। फिर मैंने रांची में अपना क्लीनिक खोलने का विचार बनाया लेकिन रांची जैसे छोटे शहर में बहुत से क्लीनिक पहले ही खुले हुए थे..
तो पिताजी ने सलाह दी- बेटा क्यों न तुम अपना क्लीनिक गांव में खोलो। क्योंकि गांव अभी शहर के हिसाब से बहुत पिछड़ा हुआ है वहाँ पर कोई क्लीनिक भी नहीं है। लोगों को इलाज के लिए 150 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। या तो वहीं किसी अनपढ़ डाक्टरों के हाथों इलाज कराना पड़ता है। जिससे कई बार लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। अगर तुम अपना क्लीनिक वहीं पर खोल लोगे.. तो साथ में अपनी जमीन की देखभाल भी हो जाया करेगी।
मैंने पिताजी बात मान ली और अगले दिन ही बस पकड़ कर अपने गांव आ गया। पिताजी भी साथ में गांव आ गए। मैं पहली बार गांव पहुँचा तो देखा कि गांव में चारों ओर जंगल ही जंगल है। हर तरफ हरे भरे खेत और खेतों के बीच में ही लोग अपनी झोपड़ी बनाकर रहते हैं, दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा।
पिताजी गांव पहुँचते ही लोग डॉक्टर बाबू कहकर हाथ-पैर जोड़ने लगे, वे सभी कहने लगे- जब से आप गए हैं। गांव का इलाज करने वाला कोई नहीं है। कई लोग इलाज के अभाव में अपनी जान गवां चुके हैं।
पिताजी ने सांत्वना देते हुए कहा- अब चिंता करने की कोई बात नहीं है।
वे मुझे लेकर घर की ओर चल दिए। मैंने पहली बार अपना घर देखा। घर बहुत बड़ा बना हुआ था, जिसमें कई सारे कमरे बने हुए थे। लेकिन किसी के न रहने के कारण पूरा अस्त-व्यस्त था। पिताजी ने कुछ लोगों को बुलाकर घर की साफ-सफाई करवाई और पूरे गांव के लोगों से कहा- यह मेरे बेटा कार्तिक है। जो कि लंदन से डाक्टरी करके आया है, अब तुम लोगों का यही इलाज करेगा।
मैंने भी सिर हिलाकर सबको आश्वासन दिया। अगले दिन पिता जी शहर चले गए क्योंकि मां अकेली थीं, शहर में उन्हें कुछ काम भी था। पिताजी गांव के लोगों से मेरा ख्याल रखने को कह गए। जिस पर लोग मुझे सुबह-शाम खाना एवं नाश्ता का इंतजाम कर देते थे।
मैंने घर के बाहर वाले कमरे में अपना क्लीनिक बनाया और बगल वाले दो कमरों का दरवाजा भी इसी कमरे में कर दिया.. जिसमें कई सारी मशीनें व इलाज में प्रयोग होने वाले सामान उसमें रखे। अब मैंने घर के आगे वाले हिस्से को पूरा अस्पताल बना दिया और लोगों का इलाज शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे गांव के अलावा अन्य गांवों के लोग भी मेरे क्लीनिक पर आने लगे। मेरा क्लीनिक खूब चलने लगा और आमदनी भी ठीक-ठाक होने लगी। क्लीनिक में आने वाली महिलाओं और लड़कियों के हाथ पकड़ता तो करेंट सा दौड़ने लगता। आला लगाने के बहाने लड़कियों के सीने को छूता तो लंड खड़ा हो जाता। कभी-कभी तो लड़कियां को मेरा लंड छू भी जाता था।
ऐसे ही कई दिन बीत गए लेकिन चुदाई करने को नहीं मिल रहा था। एक दिन सुबह पड़ोस की चाची नाश्ता लेकर आई और कहने लगीं- बेटा अगर कोई डाक्टर और हो तो बताओ?
मैंने कहा- क्यों क्या हुआ। मैं हूँ तो.. कहो क्या तबीयत खराब है?
तो चाची बोलीं- नहीं बेटा.. मेरी तबीयत नहीं खराब है मेरी बेटी मीरा को दिक्कत है।
मैंने कहा- क्या हुआ मीरा को?
तो बोलीं- अब क्या बताऊँ बेटा.. मुझसे कहा नहीं जाता है।
मैंने कहा- अगर बताओगी नहीं तो इलाज कैसे होगा.. और मैं एक डाक्टर हूँ। डाक्टर से कैसा शर्माना?
चाची बोलीं- मीरा की शादी तय हो गई है और उसे मासिक धर्म आने के समय पेट में बहुत दर्द होता है और खून भी रुक-रुककर आता है। मैं तो बहुत परेशान हूँ। मीरा भी बहुत परेशान है कि कहीं कुछ गड़बड़ी तो नहीं है।
मैं पूरी बात समझ गया था, मैंने चाची से कहा- चिंता करने की कोई बात नहीं है, मीरा को ले आओ, मैंने स्त्री रोग विशेषज्ञ की ही पढ़ाई कर रखी है। किसी से कुछ कहने की जरूरत नहीं है, चुपचाप आज दोपहर को लेकर आना। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने चाची को सारी मशीनें दिखाईं और कहा- ये सब मशीनें इसी सबके लिए हैं।
चाची चुपचाप रोती हुई चली गईं। दोपहर को वे मीरा को लेकर क्लीनिक पर आ गईं। मीरा को देखते ही मेरे होश उड़ने लगे, 18 साल की उभार लेती जवानी मेरे सामने खड़ी थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो उसकी चूचियां शरीर से बाहर निकल कर फट ही जाएंगी। उसकी गदर जवानी को देखकर मेरा लंड उछाल मारने लगा। थोड़ी देर तक तो मैं मीरा को देखता ही रहा है और उसे चोदने का प्लान बनाने लगा।
इसे भी पढ़े – भैया ने होटल में वाइल्ड तरीके से चोदा मुझे
चाची बोलीं- बेटा, मैं मीरा को लेकर आ गई, अब तुम ही इसका इलाज कर सकते हो।
चाची फिर से रोने लगी। मैंने चाची को चुप कराया और मीरा से मासिक धर्म संबंधित कुछ सवाल पूछे तो मीरा ने कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने कहा- देखो मीरा.. अगर बताओगी नहीं तो इलाज कैसे होगा।
मीरा ने शर्म से सिर नीचे कर लिया।
मैंने चाची से कहा- शायद यह आपके सामने कुछ नहीं बताना चाहती। आप थोड़ी देर के लिए बाहर चली जाइए।
चाची बाहर चली गईं।
मैंने मीरा का मुँह पकड़ा और ऊपर करते हुए फिर से पूछा- बताओ क्या परेशानी है?
मीरा ने फिर कोई जवाब नहीं दिया।
तो मैंने कहा- चाची कह रही थीं कि मासिक धर्म के समय तुम्हारे अन्दर से खून नहीं निकलता है?
तो उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।
मैंने कहा- जब तक कुछ मुँह से कहोगी नहीं, तो कैसे पता चलेगा।
फिर मीरा ने कुछ मुँह से बुदबुदाया।
मैंने कहा- यहाँ कोई नहीं है। दरवाजा भी बंद है.. जोर से कहो।
तो मीरा ने कहा- मुझे शर्म आ रही है।
मैंने कहा- तुम्हें शर्माने की कोई जरूरत नहीं है। मैं एक डाक्टर हूँ और डाक्टर का काम लोगों का इलाज करना है।
तब मीरा ने कहा- मेरी पेशाब ठीक से नहीं होती है और मासिक धर्म के समय बहुत कम खून निकलता है।
मैंने कहा- यह बहुत ही गंभीर बीमारी है। इसका लिए तुमको इलाज कराना ही होगा।
मैंने चाची को कमरे में बुलाया और कहा- इसका चैकअप करना होगा।
मैं मीरा को जहाँ सारी मशीनें लगी थीं उस कमरे में लेकर गया। मैंने मीरा से सलवार उतारकर मेज पर लेट जाने को कहा। मीरा ने कोई जवाब नहीं दिया, वह शर्मा रही थी।
मैंने गुस्से से कहा- तुम्हारा चैकअप होगा और कुछ नहीं करूँगा।
तो मीरा डर गई और पीछे मुँह करके सलवार का नाड़ा खोलने लगी। वो धीरे-धीरे सलवार को नीचे सरकाने लगी। सलवार के नीचे सरकते ही उसकी गांड दिखने लगी। जिसे देखकर मेरी उत्तेजना बढ़नी लगी। अब मीरा की सलवार खिसक कर उसके पैरों के पास पड़ी हुई थी और मीरा पेंटी पहने हुई खड़ी थी।
मैं चुपके से मीरा के पास गया और उसके कमर पर हाथ रखा.. तो मीरा एकदम से उछल गई और आगे की तरफ बढ़कर मेरे हाथों पर अपने हाथ रख दिया। मैंने उसकी कमर पर हाथ सहलाते हुए मीरा से कहा- यहाँ कोई नहीं है.. शर्म मत करो। मैं अपने हाथों को कमर से सहलाते हुए उसके बुर पर ले जाकर उसकी चड्डी को उतारने लगा। मीरा के सुबकने की आवाज आने लगी, उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे।
मैंने मीरा को चुप कराया और कहा- अगर चैकअप नहीं होगा तो इलाज कैसे होगा।
इसे भी पढ़े – ठण्ड से बचने के लिए बहन साथ चुदाई
मैंने यह कहते ही मीरा की चड्डी पकड़कर नीचे सरका दी। अब मेरे सामने मीरा नंगी खड़ी थी जिसे देखकर मेरा लंड बार-बार झटके मार रहा था और मीरा की गांड से बार-बार टच कर रहा था। जिसका अनुभव शायद मीरा भी कर रही थी। फिर मैंने मीरा को उठाकर मेज पर लेटा दिया, मीरा चुपचाप लेट गई.
मैंने उसके पैरों को पकड़ कर फैलाया तो बुर, पंखुड़ियों की तरह आपस में चिपकी हुई नजर आ रही थी। मैंने मीरा की तरफ देखा तो मीरा अपनी आंखों की हाथों से बंद किए हुए थी। मैं धीरे-धीरे अपने हाथ उसके पैरों पर फेरते हुए उसकी जांघों की ओर ले जाने लगा तो मीरा का हाथ मेरे हाथों को रोकने लगा।
लेकिन मैंने आहिस्ता-आहिस्ता उसके हाथों को नजरअंदाज करते हुए अपने हाथ उसकी दोनों जांघों के मध्य ले गया और उसकी बुर के ऊपरी उभार पर हाथ लगा दिया। मीरा एकदम से उछल गई और मेरा हाथ रोकने का प्रयास करने लगी। मैं उसके हाथ को हटाकर बुर पर हाथ फेरने लगा।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी बुर की दोनों पंखुड़ियों के बीच रखकर हल्का सा अन्दर को दबाव बनाया तो उंगली दोनों पंखुड़ियों के बीच फंस गई। तभी एक तेज गंध मीरा से बुर से बाहर से ओर निकली जो मेरे नाकों को मदहोश करने लगी। फिर मैं अंगूठे के सहारे बुर की पंखुड़ियों को फैलाने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पंखुड़ियों के फैलते ही मीरा की बुर के अन्दर का हिस्सा दिखने लगा। जोकि एकदम लाल था। बुर के ऊपरी हिस्से में एक छोटा सा उभार दिखने लगा.. जिसे लोग भगनासा कहते है। निचले हिस्से में एक बहुत छोटा सा छिद्र दिखाई पड़ रहा था। छिद्र देखते ही मैं समझ गया कि मीरा की बुर का छिद्र काफी छोटा है।
जिसके कारण मीरा न ही ठीक से पेशाब कर पाती है और न ही मासिक धर्म के समय उसकी बुर से गंदा खून निकलता है। जिससे उसको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मैंने मीरा की बुर के अन्दर उंगली हल्के से अन्दर-बाहर करते हुए कहा- मीरा तुम्हारी पेशाब का छेद बंद है.. इसे आपरेशन करके खोलना पड़ेगा।
मीरा आपरेशन का नाम सुनते ही चौंक गई और बोली- नहीं डाक्टर साहब मैं आपरेशन नहीं करवाऊँगी। मुझे बहुत दर्द होगा।
मैंने कहा- बगैर आपरेशन के तुम्हारा इलाज नहीं हो पाएगा।
तो उसने कहा- डाक्टर साहब कोई दूसरा उपाय नहीं है?
मैंने कहा- नहीं इसका तो आपरेशन ही करना पड़ेगा। मैं चाची से बात करके आता हूँ।
मैं बाहर जाकर चाची से झूठ बोला- मैंने मीरा का चैकअप मशीन लगाकर कर लिया है। दरअसल मीरा की अन्दर की एक नली बंद है.. जो मशीन द्वारा एक छोटे से आपरेशन से खोलना पड़ेगा।
चाची बोलीं- उसमें खर्चा कितना आएगा और समय कितना लगेगा। मुझे तो बाजार जाना है।
मैंने कहा- चाची खर्चा बिल्कुल नहीं आएगा। आप बाजार जाइए.. आपरेशन में करीब एक घंटा का समय लगेगा। जो मैं अभी करके मीरा को घर भेज दूंगा।
चाची बाजार के लिए चली गईं और मैंने क्लीनिक को बंदकर अन्दर मीरा के पास जाकर बोला- देखो मीरा मैंने चाची से बात कर ली है। तुम्हारी पेशाब का छिद्र आपरेशन करके ही खोलना पड़ेगा। वरना शादी के बाद तुम कभी बच्चे को जन्म नहीं दे पाओगी और न ही तुम.. अधूरी बात कहकर मैं रुक गया।
मीरा मेरी तरफ मुँह करके मुझे समझने की कोशिश कर रही थी कि और क्या समस्या हो सकती है.
मीरा बोली- और क्या डाक्टर साहब?
मैंने कहा- और न ही तुम कभी अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बना पाओगी।
मीरा पढ़ी-लिखी नहीं थी, वह शारीरिक संबंध का मतलब नहीं समझ पाई, मीरा बोली- डाक्टर साहब शारीरिक संबंध का क्या मतलब होता है?
तब मैंने कहा- जिसको करने से बच्चा पैदा होता.. उसे शारीरिक संबंध कहते हैं।
मीरा फिर कुछ सोचने लगी और बोली- डाक्टर साहब मैं आपके हाथ-पैर जोड़ती हूँ.. मेरी शादी तय हो चुकी है। अगर मुझे बच्चा नहीं हुआ तो मेरे पति मुझे तलाक दे देंगे, कोई रास्ता निकालिए।
तब मैंने कहा- देखो मीरा पेशाब के रास्ते का आपरेशन को करना पड़ेगा। अगर तुम आपरेशन नहीं करवाती हो.. तो एक रास्ता और है।
मीरा उछलकर बोली- वो क्या डाक्टर साहब?
मैंने उसकी बुर पर हाथ रखकर सहलाया और उसके एक हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रखते हुए कहा- इसे अभी तुरंत इससे खोलना पड़ेगा।
मीरा ने मेरा हाथ झिटक कर दूसरी ओर देखने लगी। मैं मीरा की बुर पर उंगलियां फेरता रहा और मैंने मीरा के दोनों पैरों को उठाकर मोड़ दिया। जिससे मीरा की बुर पूरी तरह खुल गई। मैंने अपना मुँह ले जाकर उसकी बुर को चूम लिया। मीरा ने एक लंबी सांस ली और सिसकारियां भरने लगी।
मीरा की बुर से अभी भी मनमोहक गंध आ रही थी। जिसे सूँघकर मेरा लंड फिर से टाइट हो गया और उछाल मारने लगा। मेरा लंड उछल-उछलकर मीरा की जांघों से टकराने लगा। लंड के जांघों से टकराते ही मीरा ने अपने हाथ आगे बढ़ाया और वो लंड पकड़ने का प्रयास करने लगी।
इसे भी पढ़े – दोस्त की भाभी को गैंगबैंग सेक्स का मज़ा
पहली बार में लंड मीरा के हाथों से छूट गया.. लेकिन दुबारा मीरा ने मजबूती के साथ उसे पकड़ लिया और मसलने लगी। लंड के मसले जाने से वह सांप की तरह फनफनाने लगा। मैंने अपनी पैंट की जिप खोलकर लंड को आजाद कर दिया। जो कि अपनी पूरी लम्बाई का हो गया था। जिसे देखते ही मीरा के होश उड़ गए।
वो बोली- हाय भगवान इतना बड़ा..!
मैंने कहा- क्यों इसमें क्या.. तुम्हारे पति का भी तो इतना बड़ा होगा।
तो मीरा बोली- यह अन्दर कैसे जाएगा.. छेद तो बहुत छोटा है।
मैंने कहा- इसलिए कहता था कि आपरेशन करना पड़ेगा। तुम चिंता न करो.. मैं अभी तुम्हारी बुर का आपरेशन कर दूँगा।
बुर का नाम सुनते ही मीरा शर्मा गई और उसने अपनी आंखों को हाथों से ढक लिया। फिर मैंने मीरा के दोनों पैर पकड़ कर अपने कंधे पर रखे और अपनी जीभ को मीरा की बुर पर फेरने लगा। बुर पर जुबान लगते ही मीरा अपने बुर उछालने लगी। फिर मैंने धीरे-धीरे बुर के अन्दर जुबान डाली और बुर का रस पीने लगा।
थोड़ी ही देर में मीरा की बुर से एक तेज मादक गंध के साथ पानी निकलने लगा और मीरा की सिसकारियां तेज होने लगीं। मैं जितनी बार जुबान इधर-उधर फेरता.. मीरा उतनी बार तेज-तेज सिसकारियां लेने लगती ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ अब मैं तेजी के साथ मीरा की बुर चाटने लगा और जुबान को बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।
मीरा की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी। वह जोर-जोर से अपने बुर उछाल रही थी। मैं अपनी जुबान मीरा की बुर के छेद में घुसेड़ने का प्रयास कर रहा था। तभी एक तेज झटके के साथ मीरा अपने चूतड़ उछालकर चिल्लाई और एक तेज धार के साथ मीरा की बुर का कामरस बाहर निकल आया।
मीरा की बुर से निकला कामरस मेरे मुँह में भर गया। जो रिस-रिसकर काफी देर तक निकलता रहा। शायद मीरा की बुर से निकला यह पहला कामरस था। जिसे मैंने अपनी जुबान से चाटकर पूरा साफ कर दिया। मीरा की सिसकारियां अब बंद हो चुकी थीं और वह एकदम निढाल पड़ी थी। मैंने अलमारी से रुई निकाली और मीरा की बुर से निकल रहे कामरस को अच्छी तरीके से साफ किया।
उसके बाद मीरा बोली- डाक्टर साहब आपने तो मुझे मार ही डाला।
तब मैंने कहा- अभी तो यह फिल्म का ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
यह कहते हुए मैं मीरा को अपने कमरे में लेकर गया और बिस्तर पर लिटाकर अपने लंड को मीरा के हाथों में रख दिया और बोला- इसका रस पीकर तो देखो.. बहुत मजा आएगा।
मीरा लंड को हाथ से पकड़कर सहलाने लगी और मैं मीरा के शरीर में बचे हुए कपड़े उतारने लगा। एक एक करके मैंने मीरा के सारे कपड़े उतार दिए, अब मीरा मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। फिर मैंने मीरा का सिर पकड़कर अपना लंड उसके मुँह में लगाया तो मीरा ने ‘छी..’ करके मुँह घुमा लिया और बोली- बहुत गंदा है।
मैंने कहा- इसका स्वाद चखोगी तो बहुत अच्छा लगेगा।
मैंने लंड जबरदस्ती उसके होंठों पर रखकर मुँह के अन्दर डालने लगा। मीरा नानुकुर करती रही.. लेकिन मैंने जोर लगाया तो लंड का सुपाड़ा मीरा के मुँह के अन्दर चला गया। फिर मैंने अपनी कमर आगे-पीछे करके लंड को मीरा के मुँह में घुसेड़ दिया। मीरा का मुँह पूरा बंद हो गया.. वह चिल्लाने का प्रयास कर रही थी लेकिन उसकी आवाज मुँह से नहीं निकल रही थी।
थोड़ी देर बाद मीरा स्वंय लंड को पकड़ कर एक अच्छी सेक्सवर्कर की तरह चूसने लगी। मीरा को लंड चूसने में काफी आनन्द आने लगा। मैं भी कमर हिलाकर मीरा के मुँह को चोदने लगा। तभी मेरे लंड से एक लिसलिसा पदार्थ निकलने लगा। जो कि मीरा ने चख कर थूक दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो बोली- यह क्या है?
मैंने कहा- यह लंड की उत्तेजना बढ़ जाने पर निकलता है।
यह सुनकर मीरा से उसे अपनी जुबान से साफ कर दिया, अब मेरा मन पूरी तरह से मीरा को चोदने का कर रहा था।
मैंने मीरा से कहा- अब मैं तुम्हारी बुर का आपरेशन करने जा रहा हूँ।
इसे भी पढ़े – क्या गजब की चूत है टीचर की
मीरा हँसने लगी। मैं अपने सारे कपड़े उतारकर मीरा की तरह निर्वस्त्र हो गया। फिर मैंने मीरा को पैरों की तरफ जाकर उसके पैर समेटकर मोड़ दिया और अपने लंड को मीरा की बुर से सटा दिया। मीरा के मुँह से तेज से सिसकारी निकली। फिर मैं अपना लंड मीरा की बुर पर रगड़ने करने लगा।
उसकी बुर की पंखुड़ियों को फैलाकर लंड उसके बीच में रखा। बुर पर लंड का अहसास होती ही मीरा कराह उठी। फिर मैंने लंड को मीरा की बुर के भगनासा पर रगड़ना शुरू कर दिया, मीरा खूब तेज सिसकारियां लेने लगी और मेरी कमर को पकड़कर सहलाने लगी।
फिर मैंने मीरा की चूचियों पर अपना मुँह लगाया तो मीरा सिकुड़ गई। मैंने काफी देर तक मीरा की दोनों चूचियों को चूस-चूसकर लाल कर दिया। उसके निप्पल बिल्कुल खड़े हो गए और बुर काफी गीली हो गई थी जिस पर लंड फिसल रहा था। मैं समझ गया कि मीरा अब चुदना चाह रही है।
मैंने एक हाथ से मीरा की बुर के छेद पर अपना लंड रखा और मीरा की एक चूची को अपने मुँह में पूरा भरकर एक जोरदार धक्का मारा। मीरा बहुत तेज से चिल्लाई और बेहोश सी होकर कांपने लगी। लंड का सुपाड़ा मीरा की बुर के छोटे से छेद को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया था।
मीरा जोर-जोर से रोने लगी और लंड को बाहर निकालने का प्रयास करने लगी। मैंने मीरा को भावनाओं को समझा और लंड को बुर से थोड़ा बाहर की ओर निकाला। लंड के बाहर निकलते ही बुर से खून निकलने लगा। बुर से लंड बाहर निकलने पर मीरा ने एक लंबी सांस ली। और रुआंसे मुँह से बोली- डाक्टर साहब आपने तो मेरी बुर फाड़ डाली।
फिर मैंने मीरा का ध्यान भटकाने के लिए उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया और बीच-बीच में उसके होंठों को चूमने लगा। थोड़ी देर बाद मीरा कुछ नार्मल हुई तो मैंने दुबारा अपना लंड उसकी बुर पर भिड़ाकर दोनों हाथों से चूचियों को पकड़कर दबाने लगा। धीरे-धीरे मीरा की चूचियों में कसाव आने लगा।
जिसे भांपते हुए मैंने लंड से बुर में थोड़ा से धक्का मारा, जिस पर मीरा ने अपने पैर फैला लिया। पैरों को फ़ैलते ही मुझे जगह मिल गई और मैंने कमर खींचकर एक जोरदार प्रहार किया। इस बार लंड बुर को फाड़ता हुआ सीधा बच्चेदानी से जा टकराया। मीरा हाथ पैर पटकने लगी और तेजी के साथ पैर समेटने और फैलाने लगी।
मैंने मीरा का मुँह पकड़ कर समझाया- अब कुछ नहीं होगा। बस एक सेकेंड रुको।
लेकिन मीरा सुनने का प्रयास ही नहीं कर रही थी और चिल्लाये जा रही थी। फिर थोड़ी देर तक मैंने लंड को वैसे ही अन्दर रखा, मीरा अपने पैर पटकती रही। फिर मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और रुक गया और थोड़ी देर बाद पुन: अन्दर की ओर ढकेला तो इस बार मीरा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
फिर मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा, मीरा चुपचाप लेटी रही। अब मैंने मीरा की चूचियों को दबाना शुरू किया और चोदने की स्पीड बढ़ा दी, अब मैं जोर-जोर से मीरा की बुर चोदने लगा। थोड़ी देर बाद मीरा ने अपने दोनों हाथ से मेरा चेहरे को पकड़ा और चूम लिया, अब वो भी अपनी कमर उछालने लगी, मैं समझ गया कि अब मीरा को चुदने में मजा आने लगा है।
मीरा अब कमर उछालने के साथ-साथ बुदबुदाने लगी और सिसकारियां लेते हुए कहने लगी ‘कर दो आज.. मेरी बुर का आपरेशन.. साली बहुत दर्द देती थी.. आह्ह.. आज के बाद सारा दर्द खत्म हो जाएगा इसका..’ अब मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं मीरा की चूची को मुँह में भरकर जोर-जोर से झटके लगाने लगा।
फिर मैंने दोनों हाथों से मीरा के कमर की नीचे हाथ डालकर उसके बुरड़ों को पकड़ लिया और एक जोरदार धक्का मारा। एक तेज धार के साथ मेरा वीर्य मीरा की बुर में गिरने लगा। मीरा खुशी से उछल पड़ी और उछल उछलकर ‘और-और..’ कहकर चुदने लगी। जब तक मेरा पूरा वीर्य निकल नहीं गया मैं भी उसे चोदता रहा। कुछ देर बाद दोनों के शरीर से दम निकल गया और निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े।
थोड़ी देर बाद मीरा उठ कर खड़ी होने को हुई तो बोली- मैं चल नहीं पा रही हूँ माँ क्या कहेगी।
मैंने हँसते हुए कहा- तुम चिंता क्यों करती हो.. मैं चाची से कह दूँगा कि आपरेशन हुआ ही.. अभी कुछ दिन चलने फिरने में दिक्कत आएगी।
इसे भी पढ़े – रात भर भैया के लंड से चुदवाया बहन ने
अब मीरा भी हँसने लगी। फिर मैं किचन गया और एक लोटा पानी गर्म करके लाया और मीरा को बाथरूम ले जाकर उसकी बुर को अच्छी तरह से धोकर साफ किया। अपने लंड पर लगे खून को गर्म पानी से धोकर साफ किया। फिर दोनों ने साथ मिलकर एक-दूसरे को खूब नहलाया। नहाने-धोने के बाद मीरा ने अपने कपड़े पहने और बोली- अब मैं घर जा रही हूँ।
तब मैंने कहा- फिर कब आपरेशन होगा?
मीरा मुस्कराते हुए कहने लगी- जब आप कहेंगे।
मीरा लंगड़ाते हुए अपने घर चली गई। मीरा के घर जाते ही मैं क्लीनिक को खोलने लगा। तभी अचानक चाची बाजार से सीधा मेरे क्लीनिक आ धमकीं और बोलीं- डाक्टर साहब मीरा कहाँ है.. उसका आपरेशन हो गया कि नहीं.. मैं बहुत जल्दी बाजार से आई हूँ.. सोचा कहीं मीरा को कोई दिक्कत न हो।
तब मैंने चाची को चुप कराते हुए कहा- नहीं चाची मीरा का आपरेशन में कोई दिक्कत नहीं आई.. वो अब बिल्कुल ठीक है। मैंने मशीन से उसकी नली खोल दी है। अब कोई परेशानी की बात नहीं है। मीरा से घर जाकर पूछ लेना। तभी एक मरीज मेरे क्लीनिक आ गया, कहने लगा- डाक्टर साहब कहाँ गए थे.. काफी देर से आपका इंतजार कर रहा था। मैं मरीज को देखने लगा और चाची अपने घर चली गईं।