Jawani Ki Dahleej
मेरा नाम निमकी है मैं बिहार की रहने वाली हूँ। मेरे फूफा जी नॉएडा जो दिल्ली के पास है वही रहते है एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम करते हैं। मेरी फुआ भी और उनकी एक बेटी जो की मेरे उम्र की ही है वो लोग वही रहते हैं। और मैं गाँव में ही रहकर पढाई करती हूँ। मेरे पापा दूसरे शहर में काम करते है मेरी माँ आंगनबाड़ी में काम करती है। Jawani Ki Dahleej
मैं अकेली अपने माँ बाप की संतान हूँ। मेरे घर में मेरे दादा और दादी जी भी हैं। कहानी दिवाली के दिन की है। मेरे फूफा जी दिवाली के दो दिन पहले ही आये थे मेरे दादा जी को देखने क्यों की वो भागलपुर में भर्ती थे उनका तबियत ख़राब था। तो वो देखने आये थे। सब कुछ नार्मल हो गए था।
भागलपुर में दादा जी के पास सिर्फ मेरी दादी थी और मम्मी पापा दोनों ही घर आ गए थे दिवाली के एक दिन पहले ताकि घर में पूजा पाठ सही तरीके से हो जाये। पर दिवाली के एक दिन पहले शाम को फोन आया की तबियत ज्यादा ख़राब हो गया है। तो मेरे मम्मी पापा दोनों ही भागलपुर चले गए।
मैं घर में अकेली थी तो पापा मम्मी ने फूफा जी से कहा की आप रुक जाइये दो दिन के लिए क्यों की घर में लड़की अकेली है और जमाना ख़राब है। एक जवान लड़की को घर में छोड़ना अच्छी बात नहीं। पर शायद उन दोनों को क्या पता जिसको मेरी रक्षा के लिए रख रहे हैं वही मेरी चूत की सील तोड़ेगा और दो दिन तक मुझे अपनी बाहों में सुलाएगा और चुत गांड की बैंड बजा देगा।
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शाम को घर में मैं और फूफा जी थे। शाम को उन्होंने ने ही खाना बनाया और हम दोनों खाये। फूफाजी बड़े अच्छे इंसान है वो लोगो की मदद करना चाहते हैं। और करते भी है। तो मैं उनको पूछने लगी की इंजीनियर बनने के लिए क्या क्या करना होता है। तो वो समझाने लगे की पहले इंटरेंस एग्जाम दो फिर पास करो फिर अच्छे कॉलेज में एडमिशन हो जाएगा।
तो मैं बोल दी मुझे तो बहुत अच्छे से पढ़ने का मन करता है और मैं आगे बढ़ना चाहती हूँ पर शायद मैं कभी बाहर जाकर नहीं पड़पाऊंगी क्यों की मेरे पापा नहीं भेजेंगे। तो उन्होंने कहा मैं करुगा तुम्हरी मदद मैं दूंगा पैसे और मैं करवाऊंगा तुम्हारा एडमिशन। इतना सुंनते ही मेरे ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैं गलती से ही सही ख़ुशी के मारे मैं उनको गले लगा ली।
जब गले लगा ली तो एहसास हुआ की मैंने कुछ गलत कर दिया क्यों की उनका लंड पहले से ही खड़ा था इसका मतलब ये था की उनको निगाहें पहले से ही मेरे प्रति ख़राब हो गयी थी। तो मैं अपने कपडे ठीक करने लगी क्यों की मेरी दोनों चूचियां मेरे कपडे के ऊपर से हाफ दिखाई दे रहा था।
पर उन्होंने कहा नहीं नहीं तुम्हे ठीक करने की कोई जरुरत नहीं बहुत सुन्दर लग रही हो। तुम बहुत हॉट हो। मैं शरमा गयी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला की तुम अगर मेरी बात मान लो तो मैं तुम्हे रानी बना दूंगा आगे चलकर एस करोगी ज़िंदगी में।
मैं तुम्हे खर्चे दूंगा मैं पढ़ाऊंगा और फिर मस्त तरीके से तेरी शादी करवाऊंगा जो लड़का विदेश में रहता हो तुम ही जहाज से जाना विदेश और खूब मजे करना अपने पति के साथ। पर तुम्हे मेरा साथ देना होगा अगर तुम मुझे खुश करोगी तो मैं भी तुम्हे खुश करूंगा।
दोस्तों मैं बहक गयी फिसल गयी मैं मना नहीं कर पाई मैं चुपचाप थी तब तक उनका हाथ मेरी जांघों को फेरने लगा था और एक हाथ मेरी चूचियों पर टिका हुआ था। मैं भी खुद को नहीं रोक पाई और फिर मैं उनके करीब चली गयी. बाहर पटाखे की आवाज आ रही थी। और मेरे तन बदन में आग लग गयी थी।
किसी मर्द के बाहों में पहली बार थी और वो भी जवानी की शुरआत में मेरी चूचियां भी बड़ी नहीं हुई थी अभी जवानी की दहलीज पर कदम ही रखी थी। उन्होंने मेरे होठ को पहले अपने उँगलियों से छुआ फिर उन्होंने मेरे बालों को सहलाया उन्होंने मेरे गाल पर किस किया और फिर मेरे होठ को चूसने लगे।
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मैं भी शर्माती हुई हौले हौले ही सही पर साथ दे रही थी। मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ रहा था। मैं सिसकारियां और अंगड़ाईयाँ लेने लगी। उन्होंने मेरे ऊपर के कपडे उतार दिये और फिर मेरा टेप उतार दिया मेरी चूचियों को मसलने लगे और फिर मुझे लिटा दिए और निप्पल को मुँह में लेकर पीने लगे।
अब मैं बरदाश्त के बाहर हो गयी मेरी चूत में आग लग गयी थी गरम हो गया था चूत की पानी। मैं फूफाजी को बोली जो करना है कर लो। पर मुझे आगे बढ़ाओ। उन्होंने कहा अब तुम कुछ भी नहीं सोचो, तुम्हारा काम हो गया और इतना कहते ही उन्होंने मेरे पेण्ट और पेंटी उतार फेंकी मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी थी।
उन्होंने मेरे दोनों पैरों के बिच में बैठ कर अपना ऊँगली मेरी चूत में डालना शुरू कर दिया बड़ी मुश्किल से उनकी ऊँगली मेरी चूत में जा रही थी। मैं मना भी कर रही थी और जाने दे भी रही थी। उन्होंने फिर मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया और फिर मेरी दोनों चूचिओं को मसलना और मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया मैं अंगड़ाईयाँ लेने लगी सिसकारि लेने लगी।
दांतो से खुद के होठ को दबाती और आआह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्हह की आवाज निकालने लगी। उन्होंने अपना कपड़ा उतार दिया और अपना मोटा लंड मेरी मुँह में दे दिया और मुझे चूसने को कहा पर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मैं मना कर दी।
उन्होंने अब मेरे दोनों पैरों को अलग अलग किया और अपना लंड मेरी चूत में छेड़ पर रखा और घुसाने लगे। मैं कराह उठी क्यों की मैं उसके पहले कभी चुदी नहीं थी। एक उनलगी जा सकता था क्यों की मैं हस्थमैथुन करती थी। पर इतना मोटा लंड को मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।
उन्होंने जोर जोर से घुसाने की कोशिश करने लगे पर मैं दर्द से बेचने होने लगी थी पर उन्होंने मेरी एक नहीं मानी अपने लंड में थूक लगाया और जोर से घुसा दिया। जब पूरा लंड अंदर गया तो मैं शांत हो गयी मेरे अंदर सुरसुराहट होने लगी।
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मैं अब कम्फर्ट फील कर रही थी पर जब वो अंदर बाहर करते तो दर्द होता था। पर करीब दस मिनट के अंदर ही दर्द ख़तम हो गया और वो मुझे आराम से चोदने लगे और मैं भी उनको साथ देने लगी। उन्होंने मुझे उल्ट कर पलट कर कभी पीछे से कभी बैठा कर कभी खड़ा कर के खूब चोदा रात भर उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा और मुझे अपनी बाहों में भर कर रखा। पहली चुदाई का आनंद ही अलग होता है दोस्तों।
दो दिन तक उन्होंने मुझे खूब चोदा दूसरे दिन मुझे गांड भी मारा। पर हां मुझे बहुत अच्छा लगा और अब मैं जल्द ही उनके पास जाने वाली हु कल ही मेरे मम्मी पापा कह दिए हैं की तुम चाहते हो आगे की पढ़ाई करने और फूफा जी मदद करने वाले है तो अच्छी बात है। मैं सब बातों को समझ रही थी पढाई के साथ साथ मेरी चुदाई भी होगी। अब मुझे ट्रैन के टिकट का इंतज़ार है जल्द ही मैं नॉएडा अपने फूफा जी के यहाँ जाने वाली हूँ चुदने और पढ़ने।
Sahil says
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