Khoobsurat Sali Ki Chudai
मेरा नाम मधुर है. आज मैं आपको अपने साली की चुदाई की कहानी सुनाऊंगा. मैं जब भी ससुराल जाता अपनी साली के साथ बहुत हंसी मजाक करता. एक दिन तो मैंने साली की चूचियां और उसकी चूत को कपड़ो के ऊपर ही सहला दिया था. उस दिन मुझे अपनी साली के साथ थोड़ा सा ही मौका मिला था, इसलिए मैं ज्यादा कुछ कर नहीं पाया था। Khoobsurat Sali Ki Chudai
उसके बाद मुझे कभी मौका भी नहीं मिला था अपनी साली के साथ चुदाई करने का। कई महीनों बाद हमें फिर से मौका मिला, मेरी बड़ी साली की शादी में। शादी एक होटल में आयोजित की गई थी, जो मेरे ससुराल से कुछ दूरी पर था। सभी घरवाले शादी वाले दिन जल्दी ही उस होटल में चले आए थे, क्योंकि सारा काम और शादी का आयोजन वहीँ होटल से ही था।
मैं भी वहीँ आ गया था। मेरे मन में उस दिन ऐसा कुछ नहीं था कि आज मैं अपनी साली से मस्ती करूँ, लेकिन मेरी साली थी कि मेरे साथ बहुत ज्यादा मस्ती और मजा ले रही थी। वह कभी मेरे पास आकर मेरे कान में बोलती, “आज तो बहुत मस्त लग रहे हो, जीजू! क्या बात है?”
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तब मैंने कहा, “बात तो कुछ नहीं है, लेकिन आज अच्छा मौका है, साली जी! बोलो, मस्ती करें क्या?” तो वह बोली, “मन में तो है, जीजू, लेकिन डर लगता है। और फिर मौका कैसे मिलेगा?” तब मैंने कहा, “तुम मौके को जाने दो, तुम तो बोलो कि चाहिए क्या?” तो उसने कहा, “अंदर नहीं डलवाऊँगी, सिर्फ उस दिन की तरह ही बाहर से सब कुछ।”
तब मैंने कहा, “वो बाद में देखेंगे, अंदर डालने का। पहले तो मजा तो ले लो।” तब वह बोली, “एक बात बोलूँ, जीजू?” मैंने कहा, “बोलो।” तो वह बोली, “आज आप बहुत ही मस्त और सेक्सी लग रहे हो, और मैं आपको किस करना चाहती हूँ।” तब मैंने कहा, “जितनी किस चाहिए, उतनी कर लेना।”
तो उसने कहा, “मौका तलाश करो, जीजू,” और चली गई। फिर मैं सोचने लगा कि क्या किया जाए कि आज साली को चोद ही दूँ और उसकी सील तोड़ दूँ, जिससे वह फड़कना बंद करे। तब मुझे ध्यान आया कि हम लोग तो होटल में हैं और घर पर कोई भी नहीं है। क्यों न घर जाकर ही कुछ करें?
तब मैं घर जाने की जुगत लगाने लगा। मैंने साली को इशारा करके पास बुलाया और कहा, “किसी भी बहाने से घर चलो, किसी भी काम से।” तो वह बोली, “आप तो बड़े ही चालाक हो, जीजू! मौका तलाश कर ही लिया आखिर!” और खुश हो गई। तब वह बोली, “मुझे घर पर वैसे भी मेरे ड्रेस और सामान लेने जाना है।”
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यह कहकर वह घरवालों को कहने चली गई कि मैं जीजू के साथ घर जाकर मेरा सामान लेकर आ रही हूँ। फिर कुछ ही देर में वह वापस आई और मेरे ससुर और अन्य रिश्तेदारों के सामने बोली, “जीजू, मेरे साथ घर चलो, मुझे मेरा सामान लेकर आना है।” तब मेरे ससुर ने भी कहा, “जाओ और ले आओ।” बस मुझे और क्या चाहिए था! ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने जल्दी से कार स्टार्ट की और हम दोनों घर के लिए निकल पड़े। घर की चाबियाँ मेरी साली के पास थीं। कार में मेरी साली ने कहा, “जीजू, प्लीज ज्यादा मत करना और अंदर बिल्कुल मत डालना।” तो मैंने कहा, “तुम इतना डरती क्यों हो?” यह कहकर मैंने उसकी जाँघों को सहलाया और उसके स्तनों की तरफ हाथ किया.
तो उसने मना कर दिया कि रास्ते में कोई देख लेगा। तब मैंने कहा, “चलो, घर चलकर करेंगे सब।” तब वह बोली, “क्या-क्या करोगे, मेरे जीजू जान? जो भी करो, मजा आना चाहिए, उस दिन की तरह।” तब मैंने कहा, “तुम चिंता मत करो, मेरी जान। आज मौका लगा है, तो तुम्हें पूरा खुश कर दूँगा।” और हम घर पहुँच गए।
होटल से घर की दूरी ज्यादा नहीं थी, सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर था। मेरी साली ने पहले कभी किसी के साथ चुदाई नहीं की थी। जो भी कुछ किया था, वह मेरे साथ ही किया था। हम घर पहुँचकर अंदर चले गए। उसने दरवाजा बंद कर लिया। तब उसने मुझे वहीँ पर कसकर बाँहों में जकड़ लिया और बोली, “जीजू, आई लव यू। मैं आपको बहुत चाहती हूँ।”
तब मैंने कहा, “मैं भी तुम्हें बहुत चाहता हूँ और मैं तुम्हें खुश करना चाहता हूँ।” यह कहकर मैंने वहीँ उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और वह भी मेरा साथ देने लगी। तब मैंने कहा, “कमरे में चलते हैं।” और हम कमरे में चले गए। तब वह बोली, “जल्दी करो, जीजू, नहीं तो टाइम ज्यादा लग गया तो कोई शक करेगा।”
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लेकिन मैंने कहा, “तुम पर शक हो सकता है, लेकिन मुझ पर नहीं।” और वह फिर से मुझसे लिपट गई। तब मैंने उसे अपनी गोद में बिठाया और प्यार से उसके होंठों को चूमने लगा। मैंने उसके स्तनों को दबाना और सहलाना शुरू किया, जो काफी मस्त और टाइट थे।
उसके स्तनों का आकार अच्छा था। धीरे-धीरे वह मस्त होने लगी। मैंने उसकी टी-शर्ट खोलकर उसके स्तनों को बाहर निकाला और फिर उसके निपल्स को चूसा। सचमुच, बहुत मजा आया। यह एक शानदार मजा था। ऐसा मजा मुझे मेरी जिंदगी में कभी नहीं मिला था, दोस्तों।
और यह सच है कि शादी के बाद किसी कुंवारी लड़की को इस तरह मजा दिया जाए, तो पूरा मजा आता है। खैर, मैंने उसके स्तनों को चूसा और वह भी मेरी शर्ट निकालकर मेरी छाती को चूमने लगी। फिर मैंने धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसे सिर्फ पैंटी में ही रखा। वह शरमाने लगी।
मैंने कहा, “अब क्यों शरमाती हो?” तब वह बोली, “मैं पैंटी नहीं खोलूँगी, जीजू।” तब मैंने उससे कहा, “मत खोलो, लेकिन मजा तो ले लो।” तब वह बोली, “हाँ,” और मेरे अंडरवियर छोड़कर मेरे सारे कपड़े खोल दिए। और हम दोनों लिपट-लिपटकर मजा लेने लगे।
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तब मैंने कहा, “तुम मेरे लंड को चूसो।” तो उसने मना कर दिया, “मैं ये नहीं करूँगी, जीजू। मुझसे नहीं होगा।” और उसने ऐसा किया भी नहीं। मैंने फिर से उसे प्यार करना शुरू किया और उसके स्तनों को दबाने लगा। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया।
तब वह मस्त हो गई और बोली, “बहुत मजा आ रहा है, जीजू। ये क्या कर दिया?” और वह मदहोश होने लगी। तब मैंने सोचा कि इसे आज चोदूँगा जरूर, लेकिन मैं नहीं बोलूँगा। यह खुद ही कहेगी, “मुझे चोद दो, जीजू।” मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत को रगड़ते हुए उसे और तड़पाने लगा।
वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी और तड़प उठी कि मैं उसे चोद दूँ, लेकिन वह मुझे कह नहीं रही थी कि “चोदो मुझे।” लेकिन जब वह पूरी तरह बेकाबू हो गई, तो उसने अपनी पैंटी खोल दी और मेरे अंडरवियर को भी उतारकर मेरे लंड को पकड़ लिया। मेरा लंड 8.5 इंच का है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसने कहा, “डालो ना, जीजू। जब उंगली में इतनी मस्ती है, तो इसमें तो बहुत होगी।” तब मैंने कहा, “नहीं, साली, ऐसे थोड़े डालूँगा। अब तो तुम पहले मेरे लंड को चूसो।” वह बोली, “नहीं, जीजू, प्लीज। मेरे से नहीं होगा ऐसा।” तब मैंने कहा, “ट्राई करो।” वह बोली, “नहीं, प्लीज। मुझे पूरी घरवाली बना दो ना, जीजू, प्लीज।”
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तब मैंने कहा, “एक बार तो तुम्हें इसे चूसना ही होगा, मेरी जान।” उसने एक बार मुँह में लिया, लेकिन उसे उबकाई आ गई। फिर मैंने भी उसे दोबारा नहीं कहा। उसके बाद मैंने उसे पलंग पर लिटाकर पूरी ताकत के साथ एक ही बार में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया, जिससे वह जोर से चिल्लाई और रोने लगी। लेकिन मैं तो उसकी चूत को देखकर पागल हो गया था। मैंने एक-दो धक्के चूत के अंदर-बाहर किए, तो उसे थोड़ा-थोड़ा मजा आने लगा और वह साथ देने लगी। तब मैंने करीब 45 मिनट तक उसका पूरा लंड उसकी चूत में डालकर उसे चोदा।
इस दौरान वह तीन बार झड़ चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी। 45 मिनट बाद मैंने भी उसकी चूत में जोरदार तरीके से जोश के साथ अपना वीर्य पिचकारी की तरह छोड़ दिया। हम दोनों वहीँ ऊपर-नीचे लेट गए। थोड़ी देर बाद उठकर देखा तो पलंग पर खून भी फैला था, जिसे देखकर वह डर गई और बोली, “किसी को पता चल गया तो?” तब हमने कपड़े पहनकर उसे साफ किया। और वह फिर से मुझसे लिपटकर बोली, “आई लव यू, जीजू। बहुत मजा आया। अब तो मैं रात को फेरों के समय फिर से चुदवाऊँगी आपसे।” तब मैंने कहा, “फिर मौके देखकर घर आएँगे।”
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